उसके हिस्से के दुख: भाग 3- क्यों मदद नही करना चाहते थे अंजलि के सास-ससुर

अब सासससुर की सेवा, बीमार पति की देखभाल, दोनों बेटियों की स्कूल की पढ़ाई, घर के काम, अंजलि टूटटूट कर अंदर ही अंदर बिखर रही थी. वह अपना सारा दुख अपनी अभिन्न सहेली रूपा से ही शेयर कर पाती थी जो उसी सोसायटी में रहती थी. रूपा को अपनी इस सहेली का दुख कम करने का कोई रास्ता नहीं सूक्षता आता था. अंजलि के सासससुर जब से आए थे.

अंजलि ने रूपा से कहा था, ‘‘मैं तुम से अब फोन पर ही बात करूंगी, मांपिताजी को मेरी किसी से भी दोस्ती कभी पसंद नहीं आई है और किसी भी तरह का इन्फैक्शन होने के डर से डाक्टर ने भी अब विनय को किसी से मिलनेजुलने के लिए मना कर दिया है.’’

अंजलि घर का कोई सामान लेने बाहर निकलती तो कभीकभी 10-15 मिनट के लिए रूपा के पास चली जाती थी. उस का घर रास्ते में ही पड़ता था. उस समय वह सिर्फ रूपा के गले लग कर रोती ही रहती. कुछ बात भी नहीं कर पाती. अपनी सहेली के दर्द को समझ रूपा कभी उसे बांहों में भर खूब स्नेहपूर्वक दिलासा देती तो कभीकभी साथ में रो ही देती.

रूपा के पति अनिल व्यस्त इंसान थे. अकसर टूर पर रहते थे. उस का देवर सुनील जो अभी पढ़ ही रहा था, उन के साथ ही रहता था. ऐसे ही एक दिन रूपा ने कहा, ‘‘अंजलि, सारे काम खुद पर मत रखना, तेरी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही है, कोई भी काम हो, सुनील को बता दिया कर. कालेज से आ कर वह फ्री ही रहता है.’’

‘‘हां, ठीक है,’’ कह कर अंजलि चली गई.

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रूपा फोन पर अंजलि से दिन में एक बार बात जरूर करती थी. अंजलि की  बिल्डिंग में अभी किसी को विजय की बीमारी के बारे में पता नहीं था. स्वभावत: विनय बहुत कम लोगों को पसंद करते थे. उन्होंने हमेशा आसपास रहने वालों से एक दूरी ही बना कर रखी थी. राकेश, उमा से जितना हो सकता था, कर रहे थे. 1 महीने बाद कीमोथेरैपी बंद हो चुकी थी. रैडिएशन थोड़ा बाकी था. कुछ फायदा होता नहीं दिख रहा था. विजय की हालत चिंताजनक थी. उन्हें अब काफी तेज बुखार रहने लगा तो रैडिएशन भी रोकना पड़ा. कमजोरी बढ़ती जा रही थीं.

एक दिन रिपोर्ट्स लानी थी और दवाइयां भी खत्म थीं. जुलाई का महीना था. बारिश बहुत तेज थी. रात के 9 बज रहे थे. अंजलि ने हमेश की तरह होम डिलिवरी के लिए मैडिकल स्टोर फोन किया तो फोन की घंटी बजती रही, किसी ने उठाया नहीं या तो फोन खराब था या मैडिकल स्टोर बंद था. राकेश, उमा भी बाहर थे. कुछ समझ नहीं आया तो अंजलि ने रूपा को फोन कर के यह समस्या बताई.

रूपा ने फौरन कहा, ‘‘दवाई का नाम व्हाट्सऐप पर भेज दे, सुनील दवाई और रिपोर्ट्स सब पहुंचा देगा.’’

अंजलि को बहुत सहारा सा लगा. पहले भी कई बार रूपा के किसी काम से सुनील आताजाता रहा था. वह शरीफ, सभ्य लड़का था पर इस बार आया. विनय की तबीयत पूछी तो विनय ने उसे बहुत रूखे स्वर में जवाब दिया. अंजलि को बहुत बुरा लगा पर कुछ कह नहीं सकती थी. महेश और मालती ने भी सुनील के जाने के बाद बहुत ही मूड खराब कर सुनील के आने के बारे में कमैंट किए तो अंजलि रोंआसी हो गई. क्या करे इन लोगों का, सुनील से तो कोई लेनादेना ही नहीं है. कोई इस समय काम आ गया तो बजाय कृतज्ञ होने के उस के चरित्र पर ही उंगलियां उठने लगीं. क्यों? विनय बीमार है तो वह अब किसी से बात न करें. छोटे भाई जैसे लड़के से भी नहीं? कोई घर आएजाए भी नहीं. पहले भी सुनील घर आया है, विनय ने उसे अच्छी तरह अटैंड भी किया है. अब?

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यह अपमान क्यों? यह रूपा का भी तो अपमान है कि मैं उसे घर आने से  मना करती हूं. उसे. जो हर दुख में मुझे संभाल रही है. यह मेरा भी तो अपमान है. क्या विनय के बीमार होने से अब मेरे चरित्र पर उंगलियां उठाई जाएंगी और वे भी मेरे ही परिवार के द्वारा? क्या अब कोई सद्भाव से मेरी मदद भी करना चाहेगा तो उस का अपमान होगा? रातदिन मैं किस बात की सजा भुगत रही हूं? मैं ने क्या किया है? दिनबदिन तनमन से टूट रही हूं मैं, मेरे पति और मेरे सासससुर के लिए मेरा दर्द समझना इतना मुश्किल है? मैं विजय की स्थिति महसूस कर रातदिन उन की मनोदशा का अंदाजा लगा सकती हूं, बीमार, कर्कश, सासससुर के इशारों पर इस स्थिति में भी नाच सकती हूं, मैं शारीरिक और मानसिक संबल के लिए किसी से कोई आशा क्यों नहीं रख सकती?

बारिश की परेशानी देख कर इस के बाद भी रूपा ने दवाई या कोई काम पूछने सुनील को भेजा तो विनय और सासससुर के चेहरे तन गए, सुनील तो पूछ कर चला गया. पूरा दिन घर में अजीब सा तनाव रहा.

अंजलि हैरान थी कि यह क्या है? क्यों है? मैं कैसे रूपा को सुनील को भेजने के लिए मना करूं? यह कितनी शर्म की बात होगी. मुझे तो कभी भी किसी की भी मदद लेनी पड़ सकती है अब. क्या सब से कट कर अपने में ही हमेशा जी सकता है इंसान?

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सासससुर मुझे हर बात पर ऐसे देखते हैं जैसे मैं ने कोई गुनाह कर दिया हो. विजय का गुस्सा, चिड़चिड़ाहट बढ़ती जा रही है. देवरदेवरानी ने तो मांपिताजी को यहां भेज कर राहत की सांस ली है. 8-10 दिन में एक बार फोन कर पूछ लेते हैं कि कोई काम तो नहीं है? राकेश, उमा को भी विनय ज्यादा पसंद नहीं करते. मैं किसी को अपना दुख बता ही नहीं सकती, बिडंबना से विनय का साथ छूट रहा है. हर पल उन्हें मुझ से दूर करता जा रहा है, रोज सुब यह आंशका रहती है कि आज का दिन ठीक रहेगा या शाम तक कहीं… मेरी हालत तो फांसी का इंतजार कर रहे उस व्यक्ति की सी है जो जानता है गुनाह उस ने किया ही नहीं पर अदालत ने मौत की सजा दे दी. मुझे तो शायद पैरोल पर तभी छोड़ा जाएगा जब विनय… उफ नहीं… नहीं, पर गुनहगार तो तब भी मैं ही मानी जाती रहूंगी, शायद.’’

उसके हिस्से के दुख: भाग 1- क्यों मदद नही करना चाहते थे अंजलि के सास-ससुर

शामके 7 बज रहे थे. विनय ने औफिस से आ कर फ्रैश हो कर पत्नी अंजलि और दोनों बेटियों  कोमल और शीतल के साथ बैठ कर चायनाश्ता किया. आज बीचबीच में विनय कुछ असहज से लग रहे थे.

अंजलि ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, तबीयत तो ठीक है?’’

‘‘हां, कुछ अनकंफर्टेबल सा हूं, थोड़ी सैर कर के आता हूं.’’

‘‘हां, आप की सारी तबीयत सैर कर के ठीक हो जाती है.’’

‘‘तुम भी चलो न साथ.’’

‘‘नहीं, मुझे डिनर की तैयारी करनी है.’’

‘‘तुम हमेशा बहाने करती रहती हो… तुम्हें डायबिटीज है, डाक्टर ने रोज तुम्हें सैर करने के लिए कहा है और जाता मैं हूं, चलो, साथ में.’’

‘‘अच्छा, कल चलूंगी.’’

‘‘कल भी तुम ने यही कहा था.’’

‘‘कल जरूर चलूंगी,’’ फिटनैस के शौकीन 30 वर्षीय विनय ने स्पोर्ट्स शूज पहने और निकल गए.

बेटियों को होमवर्क करने के लिए कह कर अंजलि किचन में व्यस्त हो गई. काम करते हुए विनय के बारे में ही सोचती रही कि कितना शौक है विनय को फिट रहने का, दोनों समय सैर, टाइम से खानापीना, सोना.

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अंजलि ने कई बार विनय को छेड़ा भी था, ‘‘कितना ध्यान रखते हो अपना, कितना शौक है तुम्हें हैल्दी रहने का… जरा सा जुकाम भी हो जाता है तो भागते हो डाक्टर के पास.’’

‘‘वह इसलिए डियर कि मैं कभी बीमार पड़ना नहीं चाहता, मुझे तुम तीनों की देखभाल भी तो करनी है.’’

वह अपने पर गर्व करने लगती.

विनय सैर से लौटे तो कुछ सुस्त थे. स्वभाव के विपरीत चुपचाप बैठ गए तो अंजलि ने टोका, ‘‘क्या हुआ, आज सैर से फ्रैश नहीं हुए?’’

‘‘नहीं, थोड़ा अनईजी हूं.’’

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘पता नहीं, कुछ तो हो रहा है.’’

डिनर करते हुए भी विनय को चुपचाप, गंभीर देख अंजलि ने फिर पूछा, ‘‘विनय, क्या हुआ?’’

अपनी ठोड़ी पर हाथ रखते हुए विनय ने गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘यहां से ले कर सिर तक बीचबीच में एक ठंडी सी लहर उठ रही है.’’

‘‘अरे, चलो डाक्टर को दिखा लेते हैं,’’ अंजलि ने चिंतित स्वर में कहा. अंजलि विनय के साथ डाक्टर नमन के क्लीनिक के लिए निकल गई. ठाणे की इस ‘हाइलैंड’ सोसायटी के अधिकांश निवासी सोसायटी में स्थित ‘नमन क्लीनिक’ ही जाते थे.

अपना इतना ध्यान रखने के बाद भी विनय को अकसर कुछ न कुछ होता रहता था. विनय दवाइयों की कंपनी में ही काम करते थे तो डाक्टर शर्मा से उन की अच्छी दोस्ती भी थी.

डाक्टर नमन ने कहा, ‘‘ऐसे ही एसिडिटी रहती है न तुम्हें, वही कुछ हो रहा होगा.’’

डाक्टर नमन से अधिकतर लोगों को यह शिकायत रहती थी कि वे मरीज की परेशानी को अकसर हलके में ही लेते थे. कुछ इस बात से खुश रहते थे तो कुछ शिकायत करते थे. एसिडिटी की दवाई ले कर विनय और अंजलि घर आ गए. फिर रोज की तरह 11 बजे सोने चले गए.

रात को 3 बजे के आसपास अंजलि विनय के बाथरूम जाने की आहट पर जागी. विनय  बाथरूम से आए और वापस बैड पर बैठतेबैठते एक तेज आह के साथ लेटते हुए बेहोश हो गए.

अंजलि हैरान सी उन्हें हिलाती हुई आवाज देने लगी, ‘‘विनय, उठो, क्या हुआ है?’’

विनय की बेहोशी बहुत गहरी थी. वे हिले भी नहीं. अंजलि के हाथपैर फूल गए. उन का फ्लैट तीसरे फ्लोर पर था. उसी बिल्डिंग में ही 10वें फ्लोर पर अंजलि का छोटा भाई राकेश, उस की पत्नी उमा और उन के 2 बच्चे रहते थे. अंजलि के मातापिता थे नहीं, दोनों भाईबहन ने एकदूसरे के आसपास रहने के लिए ही एक बिल्डिंग में घर लिए थे.

अंजलि ने इंटरकौम पर राकेश को तुरंत आने के लिए कहा. राकेश, उमा भागे आए, बहुत कोशिश के बाद भी विनय को होश नहीं आ रहा था. उन्हें बेहोश हुए 30 मिनट हो गए थे. राकेश ने अब फोन कर तुरंत ऐंबुलैंस बुलवाई. उमा को बेटियों की जिम्मेदारी सौंप अंजलि राकेश के साथ विनय को ले कर हौस्पिटल पहुंच गई. उन्हें फौरन एडमिट किया गया. गहरी बेहोशी में विनय को देख अंजलि के हौसले पस्त हो रहे थे, राकेश उसे तसल्ली दे रहा था.

विनय को फौरन आईसीयू में एडमिट कर लिया गया. उन्हें काफी देर बाद होश आया तो वे बिलकुल नौर्मल थे. बात कर रहे थे. पूछ रहे थे कि क्या हुआ. उन्हें अपना बेहोश होना बिलकुल याद नहीं था.

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अगले कई दिन टैस्ट्स का सिलसिला चलता रहा. दवाइयों की ही फीलड में काम करने के कारण विनय की कई डाक्टर्स से अच्छी जानपहचान थी. टैस्ट्स होते रहे, रिपोर्ट्स आती रहीं, सब ठीक लग ही रहा था कि ब्रेन की एमआरआई की रिपोर्ट आई तो बात चिंता की थी. ब्रेन में एक धब्बा सा नजर आ रहा था. विनय के ही कहने पर एमआरआई फिर किया गया. रिपोर्ट वही थी.

अब डाक्टर ने कहा, ‘‘बायोप्सी करनी पड़ेगी.’’

घबराहट के कारण अंजलि के आंसू बह चले, ‘‘बायोप्सी?’’

‘‘हां, जरूरी है,’’ एकदम हलचल सी मच गई.

विनय ने कहा, ‘‘राकेश, में ‘हिंदुजा’ में एक बार दिखा लेता हूं, वहां मेरी अच्छी जानपहचान है और हर तरह से वहीं ठीक रहेगा.’’

राकेश, अंजलि ने भी सहमति में सिर हिलाया.

इस हौस्पिटल में भी विनय को एडमिट हुए 10 दिन हो गए थे. राकेश ने औफिस से छुट्टी ली हुई थी. अंजलि मुश्किल से ही घर चक्कर काट पा रही थी. उमा ही शीतल, कोमल को स्कूल भेजती थी. उन्हें अपने पास ऊपर ही रखती थी. इन दस दिनों ने अंजलि को भी बहुत शारीरिक और मानसिक तनाव दिया था. डायबिटीज के कारण उस की हैल्थ भी काफी प्रभावित हो रही थी. इस समय विनय की चिंता ने उस की हालत खराब कर रखी थी.

‘हिंदुजा’ में डाक्टर्स को दिखा कर विनय एडमिट हो गए. बायोप्सी हुई, ब्रेन जैसे शरीर के महत्त्वपूर्ण भाग के साथ छेड़छाड़ होती सोच कर अंजलि मन ही मन बहुत घबराए चली जा रही थी. आंसू रुकने का नाम नहीं लेते थे. रिपोर्ट आने में 10 दिन लगने वाले थे. विनय को बुखार भी था. बाकी टैस्ट्स भी चल रहे थे.

डाक्टर अमन ने कहा, ‘‘आप लोग सोच लें, डिस्चार्ज हो कर घर जाना है या यहीं रहना है. यहां से आप का घर काफी दूर है. 3 दिन बाद सिर की ड्रैसिंग भी करनी है, बारबार आनेजाने में आप को परेशानी होगी.’’

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विनय के सिर के थोड़े से बाल बायोप्सी के लिए शेव किए गए थे. अभी 3 दिन बाद फिर ड्रैसिंग होनी थी. यही ठीक समझ गया कि फिर आनेजाने से अच्छा है कि एडमिट ही रहा जाए. विनय काफी सुस्त भी थे. उन्हें आनेजाने में स्ट्रैस भी हो सकता था, इसलिए डिस्चार्ज नहीं लिया गया.

आगे पढ़ें- बारबार अंजलि से कह रहे थे…

अनुपमा की शक्ल देखने से इंकार करेगी पाखी, क्या पूरा हो जाएगा काव्या का प्लान

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में पाखी का गुस्सा और बदतमीजी बढती जा रही है, जिसके चलते काव्या बेहद खुश है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में पाखी, अनुपमा को भला बुरा कहेगी. साथ ही उसकी शक्ल तक देखने को मना कर देगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा की बेइज्जती करती है पाखी

अब तक आपने देखा कि पाखी, नंदिनी और किंजल से लड़ती नजर आती है. क्योंकि वह अनुपमा का साथ देते हैं. लेकिन इस बात पर वह रात में बा-बापूजी के सामने ड्रामा शुरु कर देती है, जिसके चलते काफी हंगामा होता है. दरअसल, पाखी बा-बापूजी से अनुपमा के उसकी ड्रैस छेड़ने की बात कहती है, जिसके बाद बा उसे समझाती है कि वह बेहद ज्यादा बोल रही है. वहीं पाखी भड़क जाती है और अपनी मां अनुपमा को काफी सुनाती है.

 

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काव्या को खरी खोटी सुनाती हैं बा

दूसरी तरफ काव्या यह बात सुनकर आग में घी डालने का काम करती है, जिसे सुनकर बा कहती है कि वह घी डालने की बजाय उसे पी लिया करे. वहीं बा पाखी को मां और मास्टर का फर्क समझाने की कोशिश करती है, जिसके चलते पाखी और भी ज्यादा भड़क जाती है. इसी बीच पाखी और अनुपमा से कहता है कि अगर उनका ड्रामा खत्म हो गया है तो वह अपने कमरे में सोने जा रहे हैं, जिसे सुनकर अनुपमा और पूरा परिवार हैरान रह जाता है.

अनुपमा का चेहरा देखने से मना करेगी पाखी


अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पाखी अपने कौम्पीटिशन के लिए तैयार होगी, जिसे लेकर अनुपमा खुश होगी और कौम्पीटिशन देखने की बात कहेगी लेकिन वह अनुपमा से कहेगी कि वह उसकी शक्ल भी नही देखना चाहती और ना ही उसे उसकी जरुरत है. क्योंकि उसके साथ काव्या है, जिसे सुनकर वनराज और अनुपमा का दिल टूट जाता है.

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जानें क्या हैं Whatsapp ग्रुप के 7 एटिकेट्स

आजकल तकनीक का जमाना है और उसी का एक हिस्सा है सोशल मीडिया. फेसबुक, व्हाट्स एप, ट्विटर, यू ट्यूब जैसे अनेकों प्लेटफॉर्म आज मौजूद हैं जिनसे जिंदगी काफी आसान भी हुई है. कोरोना काल में जब मेल मुलाकातों का सर्वथा अभाव था तो व्हाट्स एप पर ही लोगों ने एकदूसरे का सम्बल बढ़ाया.

व्हाट्स एप पर ग्रुप बनाना आजकल बड़ी ही आसान और सहज बात है. आजकल व्हाट्स पर ग्रुप बनाकर बड़े बड़े ऑफिसेज के क्रिया कलाप किये जाते हैं. यहां पर ग्रुप बनाने से लाभ यह होता है कि एक साथ आप कई लोगों तक अपनी बात पहुंचा पाते हैं. यद्यपि आजकल टेलीग्राम पर भी ग्रुप बनाकर चर्चा की जाती है परन्तु टेलीग्राम की अपेक्षा व्हाट्स एप अधिक चलन में है. ग्रुप में जुड़ना तो आसान है परन्तु वहां के नियम कायदों को फॉलो करना अत्यंत आवश्यक होता है. यहां पर प्रस्तुत है व्हाट्स एप ग्रुप के 7 एटिकेट्स जिन्हें हम सबको आवश्यक रूप से अपनाना चाहिए-

1. -पूछना है जरूरी

किसी भी प्रकार का ग्रुप बनाते समय सम्बंधित सदस्यों को ग्रुप में जोड़ने से पहले पूछ अवश्य लें कि वे ग्रुप में जुड़ना चाहते हैं अथवा नहीं क्योंकि कई बार आपके परिचित ही एक दूसरे को आपस में जानते नहीं है ऐसे में वे ग्रुप में स्वयम को असहज अनुभव करते हैं और ग्रुप को छोड़ देते हैं इसलिए पूछना अत्यंत आवश्यक है हां परिवार के सदस्यों को आप बिना पूछे जोड़ सकते हैं.

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2. -नियमों का करें पालन

पारिवारिक के अलावा अक्सर ग्रुप किसी व्यवसाय, किसी गतिविधि या चर्चा के लिए बनाए जाते हैं. यदि आप ऐसे किसी ग्रुप के सदस्य हैं तो उस ग्रुप एडमिन के द्वारा बनाये गए नियमों का पालन अवश्य करें. उदाहरण के लिए सोसाइटी के ग्रुप आवश्यक सूचनाओं के लिए तो किसी प्रकाशन संस्थान का ग्रुप विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बनाया जाता है और ऐसे ग्रुप्स पर इमोजी, गुडमार्निंग और अन्य कोई भी सन्देश भेजना मना होता है इसी प्रकार के नियम प्रत्येक ग्रुप के होते हैं.

3. -निजी बातें न करें

अक्सर लोग ग्रुप पर ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करना प्रारम्भ कर देते हैं जो उस ग्रुप में एड नहीं होता है. बाद में किसी अन्य से जब उसे पता चलता है तो वह दुखी होता है. इसलिए ग्रुप पर किसी भी निजी चर्चा को करने से बचें और यदि कोई कर भी रहा है तो भी उसे रोक दें.

4. -पोस्ट करने से पहले पढ़ लें

आप किसी भी प्रकार के ग्रुप से जुड़ें हों वहां पर हो रही चर्चा के बारे में कुछ भी पोस्ट करने से पहले पूर्व के संदेशों को भली भांति पढ़ लें फिर अपना मत पोस्ट करें. अक्सर लोग बिना पढ़े बस अपना मत व्यक्त कर देते हैं जिससे कई बार बात बिगड़ जाती है.

5. -ग्रुप का नाम न बदलें

ग्रुप का नाम एडमिन अपने अनुसार रखता है. इसलिए एडमिन द्वारा रखे गए नाम, फोटो या सन्देश को बदलने का प्रयास न करें. यदि आप उसमें कुछ बदलाव चाहते ही हैं तो एडमिन के व्यक्तिगत नम्बर पर जाकर सजेस्ट कर सकते हैं.

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6. -@का करें प्रयोग

यदि आप ग्रुप के किसी एक ही व्यक्ति के लिए कुछ मैसेज करना चाहते हैं तो उस व्यक्ति के नाम से पूर्व @का प्रयोग करें इससे जब भी वह व्यक्ति ग्रुप खोलेगा तो उसे स्वयम को टैग किये जाने का नोटिफिकेशन दिखेगा और वह आसानी से जबाब दे सकेगा.

7. -व्यक्तिगत पोस्टिंग न करें

ग्रुप पर कभी भी अपने व्यवसाय, चैनल या किसी समारोह आदि की व्यक्तिगत जानकारी पोस्ट न करें. आपके द्वारा इस प्रकार किया गया अपना प्रचार दूसरों के लिए आपत्तिजनक हो सकता है इसके अतिरिक्त आपको देखकर दूसरे भी अपना प्रचार प्रसार करना प्रारम्भ कर देते हैं जिससे ग्रुप की गरिमा ही समाप्त हो जाती है.

Monsoon Special: चावल के आटे से बनाएं ये हेल्दी रेसिपी

कोरोना आगमन के बाद से हर कोई सेहतमंद खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहता है. हरी सब्जियां, मोटे अनाज और फलों को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. यदि थोड़े से प्रयासों से इन्हें अपनी रोज की डाइट में शामिल कर लिया जाए तो इनका सेवन करना काफी आसान हो जाता है. आमतौर पर घरों में गेहूं के आटे का प्रयोग किया जाता है परन्तु आज हम आपको चावल के आटे से हैल्दी और आसान व्यंजन बनाना बता रहे हैं. चावल का आटा ग्लूटन फ्री और फाइबर से भरपूर होता है इसलिए हैल्थ कॉन्सस लोगों के लिए ये वरदान है. अपने इन्हीं गुणों के कारण यह वजन कम करने में भी कारगर है. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-हैल्दी रोटी

कितने लोगों के लिए         4

बनने में लगने वाला समय   30 मिनट

मील टाइप                      वेज

सामग्री

चावल का आटा            1 कप

घी                                1 टीस्पून

पालक कटी                    1 कप

हरा धनिया                      1/2 कप

हरी मिर्च                          4

अदरक                            1 इंच

प्याज                              1

लहसुन                            4 कली

नमक                              1 टीस्पून

जीरा                                1/4 टीस्पून

विधि

पालक को हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक लहसुन, प्याज, जीरे, नमक और 1/2 कप पानी के साथ पेस्ट फॉर्म में ग्राइंड कर लें. एक भगौने में डेढ़ कप पानी गर्म करके पालक प्यूरी और घी डाल दें. जब पानी में उबाल आ जाये तो गैस बंद कर दें और चावल के आटे को चलाते हुए धीरे धीरे डालें. पूरा आटा डालकर आधे घण्टे के लिए ढककर रख दें. आधे घण्टे बाद आटे को चिकनाई लगे हाथों से अच्छी तरह मसलकर चिकना कर लें. तैयार आटे से नीबू के बराबर की बॉल लेकर चकले पर रोटी बेलें. परोथन के लिए चावल के आटे का ही प्रयोग करें. तवे पर दोनों तरफ से सेंककर गैस पर सेंककर घी लगाएं. गर्मागर्म रोटी रायता, सब्जी या दाल के साथ परोसें. आप चाहें तो इससे परांठा भी बना सकतीं हैं.

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-टमाटरी मठरी

कितने लोगों के लिए          8

बनने में लगने वाला समय     40 मिनट

मील टाइप                      वेज

सामग्री

चावल का आटा                2 कप

टमाटर पके                     2

उबले आलू                      2

हरी मिर्च                          4

अदरक                            1 इंच

अजवाइन                         1/4 टीस्पून

हींग                                 चुटकी भर

हरा धनिया                       1 टीस्पून

तलने के लिए तेल

विधि

टमाटर, आलू, हरी मिर्च, और अदरक को ग्राइंड करके पेस्ट बना लें. अब चावल के आटे में अजवाइन, नमक, हरा धनिया, हींग और 1 टीस्पून तेल  अच्छी तरह मिलाएं. अब तैयार टमाटर और आलू की प्यूरी को धीरे धीरे आटे में मिलाते हुए आटा गूंथे. तैयार आटे से छोटी छोटी लोई लेकर एक पॉलीथिन पर रखें. ऊपर से दूसरी पॉलीथिन रखकर कटोरी से दबाकर मठरी का शेप दें. चाकू या कांटे से इसमें बीच में छेद कर दें ताकि तलने पर पूरी जैसी न फूले. इसी प्रकार सारी मठरियां बेल लें. मद्धिम गरम तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें.

आटे को गूंथकर न रखें वरना यह पानी छोड़ देगा.

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खूबसूरती और हेल्थ से जुड़े हुए नीम के पानी से नहाने के फायदे

अगर आप अपने सौंदर्य को निखारना चाहती है तो नीम के पत्तों के पानी से नहा कर खूबसूरती को बढ़ा सकती है. नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है.

भारत में लगभग कई हजार वर्षों से नीम का प्रयोग किया जा रहा है. नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है. लेकिन कड़वा होने के बाद भी नीम को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता हैं. नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है, नीम के गुणों के कारण इसे धरती का ‘कल्प वृक्ष’ भी कहा जाता है. नीम के पेड़ के सभी हिस्से हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए लाभकारी होते हैं. नीम का पेड़  स्किन इंफेक्शन, घावों, संक्रमित जलन और कुछ फंगल इंफेक्‍शन जैसी कई समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है. वेदों में नीम को “सर्व रोग निवारिणी” कहा गया है जिसका अर्थ “सभी रोगों को दूर करने वाली” है. नीम की पत्ती को पानी में उबाल कर इस पानी से नहा कर, आप स्वस्थ होने के साथ खूबसूरती को भी निखार सकती हैं.

नीम का पानी बनाने का तरीका

एक पतीले में से 10  से 12 गिलास पानी डाल कर गैस चूल्हे पर चढ़ा दे फिर इस पानी में कुछ नीम की पत्तियां धो कर डाले. कुछ देर इसे उबले, जब उबाल आने लगे तब गैस बंद कर दे. नीम का पानी ठंडा होने पर इस पानी को नहाने की  बाल्टी में मिलाकर नहाएं. ऐसा हफ्ते में दे बार कर सकते हैं.

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 नीम के पानी से नहाने के फायदे

अगर आप अपने सौंदर्य को निखारना चाहती है तो नीम के पत्तों के पानी से नहा कर खूबसूरती को बढ़ा सकती है. नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है. नीम के पानी के लाभ इतने हैं कि जिन्‍हें जानकर आप भी नीम का उपयोग किये बिना नहीं रह पाएगें. आइए जाने नीम के पानी से नहाने के लाभ क्‍या हैं. इस बारे में बता रहे है, डॉ. अजय राणा, विश्व प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी.

नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं. इसका तात्‍पर्य यह है कि नीम के पानी से नहाने के फायदे आपको त्‍वचा संक्रमण से बचा सकते हैं.

1. नीम में कई आयुर्वेदिक और मेडिकल गुण होते है, जिसके कारण इसके पानी से नहाने से एक्ने, स्कार्स और ब्लैकहेड्स ठीक हो जाते है.

2. नीम के पानी से नहाने से आप शरीर की बदबू को दूर कर सकते हैं. अक्‍सर शरीर के नमी युक्‍त भाग जैसे जननांग क्षेत्र या बगल में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति के कारण शरीर से बदबू आने लगती है. नीम के पानी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण उन बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं.

3. नीम के लीव्स का पानी कई प्रकार के आँखों के इंफेक्शन को भी ठीक करने में मदद करता है. जैसे आंख की खुजली, आंख आना इत्यादि के लिए कर सकते हैं. नीम के पानी से नहाने के दौरान नीम का पानी आपकी आंखों में मौजूद बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद कर सकता है.

4. नीम एंटी- बैक्टेरियल एजेंट की तरह काम करता है, जिसके कारण ह्युमिडिटी और गर्मियों में बोइल्स और स्किन एलर्जिस को ठीक करने के लिए नीम के पानी से नहाना काफी फायदेमंद है.

5. नीम के पानी से नहाने से बालों से डेंड्रफ कम हो जाते है और यह बालों को स्मूद और चमकदार बनाता है.नियमित रूप से सप्‍ताह में 2 बार नीम के पानी से नहाए. यह आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिलाने में भी सहायक होता है.

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6. नीम का पानी पिंपल्स, रेशैज और अनेक प्रकार के स्किन प्रॉब्लम को भी ठीक करने में मदद करता है.

7. नीम में एंटी- फंगल और एंटी – बैक्टेरियल प्रोपर्टीज होती है, जो एक्जिमा, चिकनपॉक्स और सोरियासिस जैसे बीमारियों के लिए बहुत लाभकारी है.

नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं. जिससे ये आपत्‍वचा संक्रमण से बच सकते हैं.

काव्या से कम नही हैं ‘वनराज’ की बहन ‘डौली’, फैशन के मामले में देती हैं मात

रूपाली गांगुली और सुधांशू पांडे का सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं सीरियल के सितारे घर-घर में फेमस हो गए हैं. काव्या से लेकर पाखी तक हर कोई सीरियल के सितारों की एक्टिंग से लेकर फैशन तक हर कोई कायल है. इसी बीच आज हम आपको वनराज की बहन डौली के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस एकता सरइया के बारे में बताएंगे. अनुपमा में डौली यानी एकता एक से बढ़कर एक लुक में नजर आती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं इन लुक्स में वह मदालसा शर्मा यानी काव्या को टक्कर देती नजर आती हैं. आइए आपको दिखाते हैं वनराज की बहन डौली के लुक्स…

साड़ी में दिखाईं अदाएं

 

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वनराज की बहन डौली यानी एकता सरइया सीरियल अनुपमा में नए-नए लुक्स में नजर आती हैं. वहीं हाल ही में एक सीन में वह रेड कलर की प्लेन साड़ी में जलवे बिखेरती नजर आईं, जिसे देखकर फैंस उनकी तारीफें करते नही थक रहे थे.

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एकता लगती हैं कमाल

 

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अगर डौली यानी एकता सरइया के साड़ी लुक्स की बात करें तो वह नई-नई साड़ियों में बेहद खूबसूरत लगती हैं. एकता की ये वाइट नेट साड़ी बेहद खूबसूरत है. वहीं इस पर की गई कारीगरी और कौंट्रास्ट में रेड ब्लाउज उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है. फैंस को उनका ये लुक काफी पसंद आ रहा है.

सूट में कुछ ऐसा है चार्म

 

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टीवी सीरियल्स में एक से बढ़कर एक लुक्स देखने को मिलते हैं. वहीं सूट्स की वैरायटी देखी जाए तो अनारकली से लेकर सिंपल सूट भी बेहद खूबसूरत लगते हैं. ऐसे ही एक सीन में एकता वाइट कलर की पैंट के साथ यैलो कुर्ते में नजर आईं. वहीं इसके साथ नेट की प्रिंटेड चुन्नी एकता के लुक पर चार चांद लगा रही थी.

 

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इन 6 Selfcare प्रोडक्ट्स का करें इस्तेमाल और घर बैठे पाएं स्पा जैसा एक्सीपिरियंस

कोविड 19 महामारी के चलते हो सकता है आप सैलून या स्पा जाने से डर रही हों और इस कारण आप अपनी ग्रूमिंग या हाइजीन का ध्यान नहीं रख रही हो. लेकिन अब आपको खुद को ग्रूमिंग या सेल्फ केयर करने के लिए अब आपको स्पा जाने की जरूरत नहीं है. आप कुछ घरेलू रेमेडी या घर पर ही कुछ अच्छे प्रोडक्ट्स का प्रयोग करके स्पा जैसा अनुभव प्राप्त कर सकती है. इस अनुभव से आपके माइंड को और बॉडी को रिलैक्स मिलेगा और आपको काफी अच्छा भी महसूस होगा. आपको हफ्ते में एक दिन ऐसा निकाल लेना चाहिए जिस दिन आप अपनी खुद की केयर करें और बाकी के कामों को न बोल सकें. तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी टिप्स जिनसे आप घर ही स्पा जैसा अनुभव प्राप्त कर सकती हैं.

1. शीट मास्क :

यह प्रोडक्ट प्रयोग करने में बहुत आसान होते हैं, प्रयोग करने में आपको किसी प्रकार की मुसीबत नहीं होती है और शीट मास्क सस्ते भी होते हैं. आप इन्हें ऑनलाइन भी खरीद सकती हैं. अपनी स्किन को एक्सफोलिए करने के बाद उसमें से निकले हुए सारे न्यूट्रिएंट्स को वापिस से स्किन में ले जाने का शीट मास्क से बेहतर कोई तरीका नहीं है और यह आपको मॉइश्चर भी प्रदान करता है.

2. लिप मास्क :

अगर आप अपनी स्किन को प्रयाप्त मात्रा में पोषण देने के लिए शीट मास्क का प्रयोग कर रही हैं तो आपको अपने होंठों का भी ख्याल रखना होगा. इसके लिए आप एक लिप मास्क खरीद सकती हैं. इससे आपके होंठ भी मॉइश्चराइज रहेंगे और आप इसी बहाने उन्हें भी थोड़ा पैंपर कर सकेंगी.

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3. हेयर मास्क :

सेल्फ केयर डे हेयर केयर के बिना तो अधूरा ही रहता है इसलिए आपको बालों की केयर करने के लिए हेयर मास्क का प्रयोग करना चाहिए. इससे आपके बालों को फ्रिजीनेस और ड्राई बालों से राहत मिलेगी. अगर आप बालों को थोड़ी एक्स्ट्रा न्यूरिशमेंट देना चाहती है तो बालों में मास्क अप्लाई करने के बाद थोड़ी स्टीम भी दे सकती है .

4. हर्बल टी :

अपने बालों और स्किन की केयर करने के साथ साथ आपको थोड़ा समय अपने शरीर को भी देना चाहिए और अगर आप अपने शरीर को रिलैक्स करवाना चाहती हैं तो हर्बल चाय पीने से अच्छा कोई तरीका नहीं है. अगर आप एक स्पेशल डे ही सेल्फ केयर करती हैं तो आप हर्बल चाय के लिए हिबिस्कस टी का प्रयोग कर सकती है .

5. एप्सम साल्ट :

अगर आप अपनी मसल्स को रिलैक्स करना चाहती है. तो जब तक आपके सभी मास्क स्किन या होंठों पर रहते हैं तब तक आप अपने पैरों को गर्म पानी से युक्त एक बाल्टी में रख सकती हैं और इस पानी के अंदर थोड़ा सा इप्सम साल्ट भी मिक्स कर दें. इस नमक से मिले हुए पानी से आपको थोड़ी और रिलैक्सिंग वाइब्स मिलेंगी और आप पानी में अपने पैरों को एंजॉय भी कर सकेंगी.

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6. बाथ बॉम्ब्स :

रिलैक्स होने के बाद  अब आपको अच्छे से नहाने की आवश्यकता है और इसके लिए आप एक बाथ बॉम्ब का प्रयोग कर सकती हैं. बाथ बॉम्ब की तरफ केवल देखने से ही आपको बहुत सेटिस्फेक्शन मिलती है. जब आप इसे पानी में डिसॉल्व करती है तो यह देखने में भी आपको बहुत राहत और संतुष्टि मिलती है.  यह आप की स्किन के लिए भी बहुत अच्छा होता है.

अगर आप इन सभी टिप्स का प्रयोग करती है तो आप घर पर खुद ही खुद को रिलैक्स कर सकती हैं और इस चीज के लिए आपको किसी भी महंगे प्रोडक्ट की जरूरत नहीं होती है और आपका स्पा जा कर महंगे महंगे ट्रीटमेंट लेने का पैसा भी बच जाता है इसलिए हम कह सकते है कि यह बहुत पॉकेट फ्रेंडली भी होता है.

जब मायके से न लौटे बीवी

पेशे से मैकैनिक 22 साल का शफीक खान भोपाल की अकबर कालोनी में परिवार के साथ रहता था. उस की कमाई भी ठीकठाक थी और दूसरी परेशानी भी नहीं थी. लेकिन बीते 18 अक्तूबर को उस ने घर में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. ऐशबाग थाने की पुलिस ने जब मामला दर्ज कर तफतीश शुरू की तो पता चला कि शरीफ की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी और उस की बीवी शादी के बाद पहली बार मायके गई तो फिर नहीं लौटी.

शरीफ और उस के घर वालों ने पूरी कोशिश की थी कि बहू घर लौट आए. लेकिन कई दफा बुलाने और लाने जाने पर भी उस ने ससुराल आने से इनकार कर दिया तो शरीफ परेशान हो उठा और वह तनाव में रहने लगा. फिर उसे परेशानी और तनाव से बचने का बेहतर रास्ता खुदकुशी करना ही लगा.

22 साल की उम्र ज्यादा नहीं होती. फिर भी इस उम्र में शादी हो जाए तो मियांबीवी हसीन सपने देखते हैं. एकदूसरे से वादे करते हैं और चौबीसों घंटों रोमांस में डूबे रहते हैं, पर कई मामलों में उलटा भी होता है. जैसाकि अगस्त के महीने में भोपाल के ही एक और नौजवान अभिषेक के साथ हुआ था. उस की शादी को भी ज्यादा दिन नहीं हुए थे. लेकिन बीवी मायके गई तो फिर उस ने ससुराल आने से साफ इनकार कर दिया.

अभिषेक खातेपीते इज्जतदार घराने का लड़का था. अच्छे काम की तलाश में था. घर में पैसों की कमी न थी और शादी के पहले ही उस की ससुराल वालों को बता दिया था कि नौकरी या करोबार अभिषेक की बहुत बड़ी जरूरत नहीं. लड़का अच्छा था, ग्रैजएुट था, सेहतमंद था और मालदार घराने का था, इसलिए ससुराल वालों ने अनामिका (बदला नाम) की शादी उस से धूमधाम से कर दी. जब पहली विदाई के लिए अभिषेक के घर वालों ने समधियाने फोन किया तो यह सुन कर सन्न रह गए कि बहू ससुराल नहीं लौटना चाहती. वजह पूछने पर कोई साफ जवाब नहीं मिला.

कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा. अभी बहू बच्ची ही तो है. मायके का लगाव नहीं छोड़ पा रही है जैसी बातें सोच कर अभिषेक के घर वाले सब्र कर गए. लेकिन अभिषेक ज्यादा सब्र नहीं रख पाया और उस ने भी शफीक की तरह जीवन समाप्त करने का कदम उठा डाला.

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मौज के दिनों में मौत

शादी के बाद के शुरुआती दिन शादीशुदाओं के लिए बेहद रंगीन, रोमांटिक, हसीन होते हैं, लेकिन शफीक और अभिषेक जैसे नौजवानों की भी कमी नहीं, जिन के हिस्से में महज इस वजह से मायूसी, तनाव और ताने आते हैं, क्योंकि उन की बीवियां मायके से नहीं लौटतीं. मौजमस्ती के इन दिनों अगर बीवी की यह बेरुखी कोई शौहर न झेल पाए तो बात कतई हैरत की नहीं, क्योंकि आमतौर पर इस का दोष उस के सिर मढ़ दिया जाता है जो खुद नहीं समझ पाता कि आखिरकार क्यों बीवी वापस नहीं आ रही.

बीवियों के मायके में रहने या वहां से न आने की कई वजहें होती हैं, लेकिन समाज और रिश्तेदार उंगली पति की मर्दानगी पर उठाने का लुत्फ उठाते हैं. कई दफा ये ताने कि इस में दम नहीं होगा या बीवी का पहले से ही मायके में किसी से चक्कर चल रहा होगा, इसलिए वापस नहीं आ रही. इस से नातजर बेकार पति परेशान हो उठता है. बीवी से बात करता है तो वह साफसाफ वजह नहीं बताती पर साफसाफ यह जरूर कह देती है कि मुझे नहीं रहना तुम्हारे और तुम्हारे घर वालों के साथ. तब शौहर के सपने चकनाचूर हो जाते हैं. एक मियाद के बाद वह भी यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि

उस का पहले से कहीं चक्कर चल रहा होगा. शादी तो उस ने घर वालों के दबाव में आ कर कर ली होगी.

पर मेरा क्या कुसूर, यह सवाल जब शौहर के जेहन में बारबार हथोड़े की तरह बजता है और इस का कोई मुकम्मल जवाब कहीं से नहीं मिलता तो उसे जिंदगी और दुनिया बेकार लगती है. उसे लगता है सारे लोग उसे ही घूरघूर कर यह कहते देख रहे हैं कि कैसे मर्द हो, जो बीवी को काबू में नहीं रख पाए? जरूर तुम्हीं में कोई कमी होगी.

धीरेधीरे शफीक और अभिषेक जैसे शौहरों की हालत पिंजरे में फड़फड़ाते पक्षी की तरह होने लगती है. वे गुमसुम रहने लगते हैं, लोगों से कन्नी काटते हैं, अपना काम सलीके और लगन से नहीं कर पाते. बीवी की याद आती है तो हर कीमत पर वे वापस लाना चाहते हैं, लेकिन बीवी किसी भी कीमत पर आने को तैयार नहीं होती तो इन का मरने की हद तक उतारू हो जाना चिंता की बात समाज के दबाव और कायदेकानून के लिहाज से है. कई दफा तो घर वाले भी शौहरों का साथ यह कहते हुए नहीं देते कि तुम जाने और तुम्हारी बीवी. हमारी जिम्मेदारी शादी कराने की थी जो हम ने पूरी कर दी. अब वह नहीं आ रही तो हम क्या उस की चौखट पर अपनी नाक रगड़ें?

क्या हैं वजहें

बीवी के ससुराल वापस न आने की वजहों पर गौर करें तो पहली और अहम बात है उस की नादानी, नासमझी और जिम्मेदारियां न उठा पाने की नाकामी. जाहिर है, इस का सीधा संबंध उम्र से है, जो वक्त रहते ठीक हो जाता है. लेकिन कई मामलों से समझ आता है कि वाकई लड़की का मायके में किसी से चक्कर था.

और वह आशिक के दबाव में है या ब्लेकमैलिंग की शिकार है. कई लड़कियां घर वालों की खुशी के लिए शादी तो कर लेती हैं, पर अपने पहले प्यार को नहीं भूल पातीं. इसलिए भी उन का शौहर से लगाव नहीं हो पाता.

विदिशा के उमेश की शादी को 2 साल हो चले हैं, लेकिन उस की बीवी भी ससुराल नहीं आती. पहली रात ही उस ने दिनेश को बता दिया था कि वह भरेपूरे परिवार में नहीं रह सकती, इसलिए वह अलग हो जाए. इस पर उमेश ने समझा कि ऐसा तो होता रहता है. आजकल हर लड़की आजादी से रहना चाहती है. धीरेधीरे बीवी घर वालों से घुलमिल जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा.

लेकिन जिस तालमेल की उम्मीद दिनेश कर रहा था वह बीवी और घर वालों के बीच नहीं बैठा तो 2-3 बार ससुराल आ कर बीवी ने ऐलान कर दिया कि अब कुछ भी हो जाए वह मायके में ही रहेगी.

उमेश जैसे पतियों की समझ में नहीं आता कि कैसे इस स्थिति से निबटें, क्योंकि ससुराल वाले भी अपनी बेटी का साथ देते हैं. उधर यारदोस्त, नातेरिश्तेदार और समाज वाले भी बातें बनाना शुरू कर देते हैं, तो पूरा घर हैरानपेरशान हो जाता है.

मगर उमेश ने बुजदिली का रास्ता न चुनते हुए अदालत की पनाह ली. एक वकील की सलाह पर कोर्ट में बीवी को वापस आने के लिए दरख्वास्त लगा दी. वह सोच रहा था कि इस से बीवी को अक्ल आ जाएगी. लेकिन हुआ उलटा. ससुराल वालों और बीवी ने उस के घर वालों के खिलाफ दहेज मांगने और परेशान करने का झूठा मामला दर्ज करा दिया. उमेश गिरफ्तार हो गया. कुछ दिन बाद जमानत पर छूट आया, लेकिन अब वह खुद नहीं चाहता कि ऐसी बेगैरत, झूठी और बेवफा औरत के साथ जिंदगी काटे, इसलिए अब वह तलाक चाहता है.

कई मामलों में बीवियां अपनी कोई कमजोरी या छोटीमोटी जिस्मानी या दिमागी बीमारी छिपाने के लिए भी ससुराल नहीं लौटतीं

इधर कानून भी ज्यादा मदद हैरानपेरशान शौहरों की नहीं कर पाता. वजह काररवाई का लंबा चलना, बदनामी होना और अदालत में गुनहगारों सरीखे खड़े रहना होती है. इसलिए अधिकतर शौहर अदालत के नाम से घबराते हैं. जाहिर है, बीवी का वापस न आना ऐसी समस्या है, जिस का कोई सटीक हल नहीं मगर हल यह भी नहीं है कि खुदकुशी कर ली जाए.

ऐसा भी नहीं है कि ससुराल न लौटने की जिम्मेदार बीवी ही हो. कुछ मामलों में पति की बेरोजगारी, निकम्मापन, घर में पूछपरख न होना, नामर्दी जैसी वजहें भी होतीं हैं.

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क्या है हल

ऐसे शौहर क्या करें, जिन की बीवियां लाख समझानेबुझाने पर भी ससुराल नहीं आतीं? इस का सटीक जवाब किसी के पास नहीं. वजह हर मामले में थोड़ी अलग होती है.

बीवी मायके में रहे तो शौहर को समझ और सब्र से काम लेना चाहिए और लोगों की बातों और तानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. सब से पहले वजह ढूंढ़नी चाहिए. अगर बीवी की पटरी घर वालों से नहीं बैठ रही है या वह जिद्दी और गुस्सैल स्वाभाव की है तो अलग रहना ही बेहतर रहता है. यह ठीक है कि जिन मातापिता ने जन्म दिया, पालापोसा, तामील दिलाई और अपने पैरों पर खड़ा किया उन्हें एक कल की लड़की के लिए छोड़ देने का फैसला खुद को धिक्कारने वाला ही नहीं शर्मिंदगी भरा भी होता है, लेकिन सवाल चूंकि पूरी जिंदगी का होता है, इसलिए कारगर यही साबित होता है.

बेहतर यह फैसला लेने से पहले घर वालों को भरोसे में ले कर सारी बात समझाई जाए. बेटे की इस मजबूरी को अब मातापिता समझने लगे हैं, इसलिए उन्हें रोकते नहीं. ससुराल वापस न आने की वजह अगर बीवी का शादी से पहले के प्यार का चक्कर हो तो अलग होने से भी कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि बीवी सुधरने या पहले को तो छोड़ने से रही. इसलिए ऐसे मामले में तलाक देना बेहतर होता है. लेकिन इस के लिए सब्र और हिम्मत की जरूरत होती है. पहले बीवी से इस बाबत खुल कर बात करना चाहिए. अपनी जिद पर नहीं अड़ना चाहिए, क्योंकि यह तय है कि वह आप की हो कर नहीं रह सकती.

धीरेधीरे जब वह समझ जाए और तलाक  के लिए तैयार हो जाए तो बजाय मुकदमे के रजामंदी से तलाक लेना बेहतर होता है. इस के लिए कानून की धारा हिंदू मैरिज ऐक्ट 13 (सी) में इंतजाम है, जिस के तहत मियांबीवी दोनों अदालत में दरख्वाहस्त देते हैं कि खयालात न मिलने से उन का साथ रहना मुमकिन नहीं, इसलिए तलाक कर दिया जाए. इस के लिए अदालत दोनों को सोचने के लिए 6 महीने या 1 साल का वक्त देती है, जिसे खामोशी से गुजार देना शौहर के लिए फायदेमंद रहता है. इस मियाद के बाद भी दोनों अदालत में अपनी बात पर कायम रहें तो तलाक आसानी से हो जाता है. आमतौर पर आपसी रजामंदी से तलाक में शौहर बीवी का सारा सामान और दहेज में मिले तोहफे व नक्दी लौटा देता है. लेकिन इस की लिखापढ़ी दरख्वाहस्त में जरूर करनी चाहिए.

कमउम्र बीवियां अगर ससुराल में तालमेल न बैठा पाने की शिकायत करें तो बजाय जल्दबाजी के सब्र से काम लेना चाहिए. ऐसी बीवियां शौहर से ज्यादा वक्त चाहती हैं इसलिए शादी के बाद हनीमून पर जाना और वक्तवक्त पर कुछ दिनों के लिए घूमने जाना कारगर साबित होता है ताकि बीवी का शौहर से लगाव बढ़े.

इस के बाद भी बात न बने तो समाज से घबरा कर शराब पीने लगना, बीवी और उस के घर वालों को धमकाना, लड़नाझगड़ना या फिर खुदकुशी कर लेना बेवकूफी है. थोड़ा इंतजार कर हालात देखना ठीक रहता है.

लोग क्या कहेंगे, बीवी बदचलन है या खुद को कमजोर समझने लगना जैसी बातें समस्या का हल नहीं हैं. समस्या का हल है तलाक जो आसानी से नहीं होता, लेकिन देरसबेर हो ही जाता है. इस दौरान बेहतर रहता है कि आने वाली जिंदगी के सपने नए सिरे से बुने जाएं और पैसा कमाया जाए. याद रखें जिंदगी जीने के लिए होती है, जिसे किसी दूसरे की गलती पर कुरबार कर देना कतई बुद्धिमानी की बात नहीं.

सैक्स में जल्दबाजी नहीं

यह दिलचस्प मामला भी भोपाल का है, जिसे शौहर के बहनोई ने सुलाझाया. हुआ यों कि उस के साले की बीवी ससुराल नहीं आ रही थी. बात फैली तो तरहतरह की बातें होने लगीं. बहनोई ने साले को भरोसे में ले कर वजह पूछी तो पता चला कि गड़बड़ पहली ही रात हो हो गई थी.

शौहर जबरन हमबिस्तरी करने पर उतारू था और बीवी डर रही थी. जब वह नहीं मानी तो शौहर ने जबरदस्ती की कोशिश की लेकिन कायमयाब नहीं हो पाया. दूसरे दिन बीवी बहाना बना कर सास के पास सो गई और 4 दिन बाद विदा हो कर मायके चली गई. इस दौरान वह पति के वहशियाना बरवात से काफी डरीसहमी रही.

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मायके जा कर उस ने सुकून की सांस ली और मातापिता से कह दिया कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी. मां ने पुचकार कर वजह पूछी तो उस ने सच बता दिया. दोनों के घर वालों के बीच बातचीज हुई. शौहर को उस के जीजा ने समझाया कि सैक्स के मामले में जल्दबाजी न करें. धीरेधीरे करे तो बीवी का डर खत्म हो जाएगा और वह खुद साथ देने लगेगी. बात शौहर की समझ में आ गई. अब 3 साल बाद हालात यह है कि बीवी मायके नहीं जाना चाहती क्योंकि उस के डर की जगह प्यार ने ले ली. 1 साल के बच्चे की मां भी है. यानी सैक्स से डर भी कभीकभार ससुराल न लौटने की वजह बन जाता है. ऐसे मामलों में जिम्मेदारी पति की बनती है कि वह पहली रात को ही शेर बनने के चक्कर में न पड़े. बीवी से प्यार से पेश आए, उस का डर खत्म करे.

बार-बार सर्दी-जुकाम होना ठीक नहीं

मौसम बदलने पर बीमार पड़ना या फिर सर्दी-जुकाम हो जाना आम बात है लेकिन अगर आप उन लोगों में से शामिल हैं जिन्हें साल के 12 महीने में से 10 महीने सर्दी जुकाम रहता है, तो आपको इसपर विचार करने की जरूरत है. वैसे शायद आप अकेली नहीं है जो इस तरह की समस्या से दो-चार हो रही हैं. चलिए आज हम आपको इस खबर में बताते हैं कि आखिर बार-बार बीमार पड़ने की वजह क्या है…

सही तरीके से हाथ न धोना

सामान्य सर्दी जुकाम बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर हो जाता है. सेंटर फार डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की मानें तो कम से कम 20 सेकंड तक अच्छी तरह से हाथ धोना चाहिए. इसके अलावा खाना खाने से पहले, ट्वाइलेट का इस्तेमाल करने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल के बाद और खांसने या छींकने के बाद भी हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए. अगर आप ऐसा नहीं करती हैं तो आपको भी सर्दी जुकाम होने का खतरा रहता है.

कमजोर इम्यूनिटी

इसमें कोई शक नहीं कि वैसे लोग जिनका इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर होती है वे जल्दी बीमार पड़ते हैं. इम्यूनिटी वीक होने की कई वजहें होती है जिसमें औटोइम्यून समस्या, कुछ बीमारियां या फिर कई तरह की दवाईयां शामिल होती हैं जो शरीर को कमजोर बना देती हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है.

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शरीर में पानी की कमी

अगर आपका शरीर डिहाइड्रेटेड है यानी शरीर में पानी की कमी है तब भी आपका इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है जिससे आपके बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. खुद को हाइड्रेटेड रखकर आप बीमार पड़ने के खतरे को कई गुना कम कर सकती हैं.

बार-बार चेहरा छूना

शरीर में कीटाणुओं के पहुंचने का सबसे आसान तरीका है हमारे हाथों के जरिए… अगर आपके हाथों में कीटाणु हैं क्योंकि आपने अपने हाथ सही तरीके से नहीं धोएं हैं या फिर कोई गंदगी जगह छूने के बाद आपने हैंडवाश नहीं किया है और उसके बाद आप अपना चेहरा या मुंह छूते हैं तो हाथों में लगे कीटाणु बड़ी आसानी से हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं.

किसी चीज से ऐलर्जी

अगर आपको किसी चीज से ऐलर्जी है तो आपकी सर्दी जुकाम की समस्या और ज्यादा बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं ऐलर्जी की वजह से सर्दी के लक्षण भी आए दिन दिखते और बढ़ते नजर आते हैं. अगर आपकी सर्दी जुकाम की समस्या 7 दिन के अंदर ठीक नहीं होती तो आपको डाक्टर से संपर्क कर चेक करवाना चाहिए कि कहीं आपको किसी तरह की कोई ऐलर्जी तो नहीं है.

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