समीर ने स्वामी के पैर छू कर विदा लिया और अलका को ले कर घर की तरफ चल पड़ा. अलका समझ रही थी कि घरवालों के मन में स्वामी के प्रति कैसी अंधभक्ति जमी है. वह चाह कर भी पति के आगे स्वामी की हकीकत जाहिर नहीं कर सकी. उल्टा समीर सारे रास्ते स्वामी की तारीफों के पुल बांधता आया. अलका के दिमाग में तूफान उठते रहे.
उस दिन रात में वह ठीक से सो भी नहीं सकी. बारबार उठ कर बैठ जाती. जैसे ही नींद पड़ती कि स्वामी का चेहरा आंखों के आगे घूमने लगता और वह नींद में ही चीख पड़ती. सांसे तेज चलने लगतीं.
धीरेधीरे दिन बीतने लगे. फिर से सोमवार आने वाला था और अलका यह सोचसोच कर बेचैन थी कि वह अब क्या करेगी. उस ने अपने दिल का दर्द किसी से भी बयां नहीं किया था. उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए.
रविवार की रात पति ने याद दिलाया,” कल हमें स्वामी जी के पास जाना है. मैं ने ऑफिस से छुट्टी ले ली है. तुम सुबह तैयार रहना.”
“मगर मैं अब वहां जाना नहीं चाहती प्लीज.”
“मगर क्यों ? कोई बात हुई है क्या? बताओ अलका, ” समीर ने पूछा.
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अलका समझ नहीं पा रही थी कि पति को कैसे बताए? कहीं उसे ही गलत न समझ लिया जाए. इसलिए उस ने बहाना बनाया ,”बच्चों को छोड़ कर जाना पड़ता है न इसलिए.”
“अरे नहीं अलका तुम बच्चों की फ़िक्र मत करो. उन्हें मां संभाल लेंगी. स्वामी जी ने बताया है कि अनुष्ठान अधूरा रह गया तो पूरे परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ेगा. बच्चों की जान पर बन आएगी. वैसे भी एक बार अनुष्ठान पूरा हो जाए तो स्वामी जी के आशीर्वाद से तुम पुत्रवती बन जाओगी. तुम ही चाहती थी न,” समीर ने समझा कर कहा.
मन मसोस कर अलका को फिर से स्वामी के पास जाना पड़ा. समीर अलका को ले कर भक्तों की कतार में किनारे की तरह बैठ गया. स्वामी ने जैसे ही अलका को देखा तो उस की आंखों में चमक आ गई. इधर अलका का दिल धड़क रहा था. स्वामी ने थोड़ी देर उपदेश देने का ढोंग किया और फिर उठ गया.
इधर समीर के पास किसी क्लाइंट का फोन आ गया. उस ने उठते हुए अलका से कहा,” मुझे जरूरी काम से किसी क्लाइंट से मिलने जाना होगा. बस 1-2 घंटे में आ जाऊंगा,” कह कर वह चला गया.
अलका बुत बन कर बैठी रही. कुछ ही देर में स्वामी ने उसे अंदर आने को सूचना भिजवाई. अलका का दिल कर रहा था कि वह भाग जाए पर पति को क्या जवाब देगी. यही सोच कर उस से उठा भी नहीं गया. स्वामी ने उसे फिर से बुलवाया. एक बार फिर से अलका के शरीर को रौंदा.
काम पूरा होने के बाद स्वामी ने फिर धूर्तता से कहा,” जा पुत्री हाथमुंह धो कर आ. अब तुझे अगले सोमवार आना होगा.”
अलका का दिल कर रहा था कि पास पड़ी कुर्सी उठा कर स्वामी के सिर पर दे मारे मगर वह ऐसा नहीं कर सकती थी. अपने साथसाथ अपने परिवार की इज्जत मिट्टी में नहीं मिला सकती थी.
कई बार यही सब फिर से दोहराया गया. घर वाले खुश थे कि अनुष्ठान पूरा होने पर उस के गर्भ में पुत्र धन आएगा. जब कि अलका अंदर ही अंदर घुट रही थी. फिर धीरेधीरे अलका को अपने शरीर के अंदर बदलाव नजर आने लगे.
उस दिन सुबहसुबह बाथरूम में उसे उल्टियां हुईं. पीरियड्स पहले ही बंद हो चुके थे. अलका समझ गई थी कि वह गर्भवती है पर इस बार गर्भवती होने के अहसास उसे कोई खुशी नहीं दी. उल्टा वह चिल्लाचिल्ला कर रोने लगी. उसे लग रहा था जैसे उस कुटिल स्वामी की दो लाल आंखें अभी भी उस का पीछा कर रही हैं. उस के गर्भ को भींच कर ठहाके मार रही हैं. वह तड़प उठी और वहीं पर बेहोश हो कर गिर पड़ी.
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बाद में घर वालों ने डॉक्टर को बुलाया तो सब को पता चल गया कि वह गर्भवती है. सभी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई मगर अलका का चेहरा पीला पड़ा हुआ था. वह समझ नहीं पा रही थी कि आज प्रेगनेंसी की खुशी मनाए या फिर स्वामी द्वारा दिए गए धोखे का गम.
पति प्यार से उस की तरफ देख रहा था. सास बलैयां ले रही थी मगर वह उदास अपने आंसू छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. 2 दिन बाद सोमवार था. पति उसे फिर से स्वामी के पास ले कर गया. उस के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और बोला,” स्वामी जी आप के आशीर्वाद से अलका मां बनने वाली है.”
अलका ने स्वामी की तरफ देखा. स्वामी ने धूर्तता से हंसते हुए कहा,” पुत्रवती भव. आज अनुष्ठान का अंतिम दिन है पुत्री. आओ मेरे साथ.”
कमरे में पहुंचते ही अलका ने चिल्ला कर स्वामी से कहा,” तेरा बच्चा मेरे पेट में है धूर्त, अब क्या करोगे ? अपने बच्चे को अपना नाम नहीं दोगे? ”
” पागल है क्या तू ? तेरे बच्चे को अपना नाम दूंगा तो मुझ पर भरोसा कौन करेगा? लाखों लोगों की भीड़ नहीं देखी जो मेरे मेरे ऊपर विश्वास रख कर इतनी दूर मेरे दर पर आते हैं, गुहार लगाते हैं. ”
“हां पाखंडी तेरी धूर्तता सब के आगे नहीं आती न. तभी तू स्वामी का मुखौटा लगा कर रोज नईनई औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाता है. मेरे जैसी मजबूर औरतें चुपचाप तेरी ज्यादतियां सहती रहती हैं तभी तेरी हिम्मत इतनी बढ़ी हुई है.”
“जुबान संभाल कर बात कर. तू कर भी क्या सकती है? पति को बताएगी तो बता दे. देखूं किस की इज्जत पर आंच आती है ? यहां भक्तों की भीड़ देखी ही है, सब तुझे पागल समझ कर पत्थरों से मारेंगे. समझदारी इसी में है कि अब अपने इस बच्चे और पति के साथ सुख से जी. मेरे यहां आने की जरूरत नहीं है.”
” मैं यह सच अपने पति को जरूर बताऊंगी. सब बता दूंगी उन्हें .. “रोते हुए अलका ने कहा.
स्वामी हंसा, ” बता रहा हूं तुझे, ऐसी भूल मत करना. तेरी जिंदगी और परिवार की इज़्ज़त दोनों बर्बाद हो जाएंगे. चल अब उठ, जा यहां से. चली जा और याद रखना मुंह खोला तो तेरी ही जिंदगी तबाह होगी. मुझ पर आंच भी नहीं आएगी.”
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