Serial Story: स्वामी जी का आशीर्वाद- भाग 2

समीर ने स्वामी के पैर छू कर विदा लिया और अलका को ले कर घर की तरफ चल पड़ा. अलका समझ रही थी कि घरवालों के मन में स्वामी के प्रति कैसी अंधभक्ति जमी है. वह चाह कर भी पति के आगे स्वामी की हकीकत जाहिर नहीं कर सकी. उल्टा समीर सारे रास्ते स्वामी की तारीफों के पुल बांधता आया. अलका के दिमाग में तूफान उठते रहे.

उस दिन रात में वह ठीक से सो भी नहीं सकी. बारबार उठ कर बैठ जाती. जैसे ही नींद पड़ती कि स्वामी का चेहरा आंखों के आगे घूमने लगता और वह नींद में ही चीख पड़ती. सांसे तेज चलने लगतीं.

धीरेधीरे दिन बीतने लगे. फिर से सोमवार आने वाला था और अलका यह सोचसोच कर बेचैन थी कि वह अब क्या करेगी. उस ने अपने दिल का दर्द किसी से भी बयां नहीं किया था. उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए.

रविवार की रात पति ने याद दिलाया,” कल हमें स्वामी जी के पास जाना है. मैं ने ऑफिस से छुट्टी ले ली है. तुम सुबह तैयार रहना.”

“मगर मैं अब वहां जाना नहीं चाहती प्लीज.”

“मगर क्यों ? कोई बात हुई है क्या? बताओ अलका, ” समीर ने पूछा.

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अलका समझ नहीं पा रही थी कि पति को कैसे बताए? कहीं उसे ही गलत न समझ लिया जाए. इसलिए उस ने बहाना बनाया ,”बच्चों को छोड़ कर जाना पड़ता है न इसलिए.”

“अरे नहीं अलका तुम बच्चों की फ़िक्र मत करो. उन्हें मां संभाल लेंगी. स्वामी जी ने बताया है कि अनुष्ठान अधूरा रह गया तो पूरे परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ेगा. बच्चों की जान पर बन आएगी. वैसे भी एक बार अनुष्ठान पूरा हो जाए तो स्वामी जी के आशीर्वाद से तुम पुत्रवती बन जाओगी. तुम ही चाहती थी न,” समीर ने समझा कर कहा.

मन मसोस कर अलका को फिर से स्वामी के पास जाना पड़ा. समीर अलका को ले कर भक्तों की कतार में किनारे की तरह बैठ गया. स्वामी ने जैसे ही अलका को देखा तो उस की आंखों में चमक आ गई. इधर अलका का दिल धड़क रहा था. स्वामी ने थोड़ी देर उपदेश देने का ढोंग किया और फिर उठ गया.

इधर समीर के पास किसी क्लाइंट का फोन आ गया. उस ने उठते हुए अलका से कहा,” मुझे जरूरी काम से किसी क्लाइंट से मिलने जाना होगा. बस 1-2 घंटे में आ जाऊंगा,” कह कर वह चला गया.

अलका बुत बन कर बैठी रही. कुछ ही देर में स्वामी ने उसे अंदर आने को सूचना भिजवाई. अलका का दिल कर रहा था कि वह भाग जाए पर पति को क्या जवाब देगी. यही सोच कर उस से उठा भी नहीं गया. स्वामी ने उसे फिर से बुलवाया. एक बार फिर से अलका के शरीर को रौंदा.

काम पूरा होने के बाद स्वामी ने फिर धूर्तता से कहा,” जा पुत्री हाथमुंह धो कर आ. अब तुझे अगले सोमवार आना होगा.”

अलका का दिल कर रहा था कि पास पड़ी कुर्सी उठा कर स्वामी के सिर पर दे मारे मगर वह ऐसा नहीं कर सकती थी. अपने साथसाथ अपने परिवार की इज्जत मिट्टी में नहीं मिला सकती थी.

कई बार यही सब फिर से दोहराया गया. घर वाले खुश थे कि अनुष्ठान पूरा होने पर उस के गर्भ में पुत्र धन आएगा. जब कि अलका अंदर ही अंदर घुट रही थी. फिर धीरेधीरे अलका को अपने शरीर के अंदर बदलाव नजर आने लगे.

उस दिन सुबहसुबह बाथरूम में उसे उल्टियां हुईं. पीरियड्स पहले ही बंद हो चुके थे. अलका समझ गई थी कि वह गर्भवती है पर इस बार गर्भवती होने के अहसास उसे कोई खुशी नहीं दी. उल्टा वह चिल्लाचिल्ला कर रोने लगी. उसे लग रहा था जैसे उस कुटिल स्वामी की दो लाल आंखें अभी भी उस का पीछा कर रही हैं. उस के गर्भ को भींच कर ठहाके मार रही हैं. वह तड़प उठी और वहीं पर बेहोश हो कर गिर पड़ी.

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बाद में घर वालों ने डॉक्टर को बुलाया तो सब को पता चल गया कि वह गर्भवती है. सभी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई मगर अलका का चेहरा पीला पड़ा हुआ था. वह समझ नहीं पा रही थी कि आज प्रेगनेंसी की खुशी मनाए या फिर स्वामी द्वारा दिए गए धोखे का गम.

पति प्यार से उस की तरफ देख रहा था. सास बलैयां ले रही थी मगर वह उदास अपने आंसू छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. 2 दिन बाद सोमवार था. पति उसे फिर से स्वामी के पास ले कर गया. उस के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और बोला,” स्वामी जी आप के आशीर्वाद से अलका मां बनने वाली है.”

अलका ने स्वामी की तरफ देखा. स्वामी ने धूर्तता से हंसते हुए कहा,” पुत्रवती भव. आज अनुष्ठान का अंतिम दिन है पुत्री. आओ मेरे साथ.”

कमरे में पहुंचते ही अलका ने चिल्ला कर स्वामी से कहा,” तेरा बच्चा मेरे पेट में है धूर्त, अब क्या करोगे ? अपने बच्चे को अपना नाम नहीं दोगे? ”

” पागल है क्या तू ? तेरे बच्चे को अपना नाम दूंगा तो मुझ पर भरोसा कौन करेगा? लाखों लोगों की भीड़ नहीं देखी जो मेरे मेरे ऊपर विश्वास रख कर इतनी दूर मेरे दर पर आते हैं, गुहार लगाते हैं. ”

“हां पाखंडी तेरी धूर्तता सब के आगे नहीं आती न. तभी तू स्वामी का मुखौटा लगा कर रोज नईनई औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाता है. मेरे जैसी मजबूर औरतें चुपचाप तेरी ज्यादतियां सहती रहती हैं तभी तेरी हिम्मत इतनी बढ़ी हुई है.”

“जुबान संभाल कर बात कर. तू कर भी क्या सकती है? पति को बताएगी तो बता दे. देखूं किस की इज्जत पर आंच आती है ? यहां भक्तों की भीड़ देखी ही है, सब तुझे पागल समझ कर पत्थरों से मारेंगे. समझदारी इसी में है कि अब अपने इस बच्चे और पति के साथ सुख से जी. मेरे यहां आने की जरूरत नहीं है.”

” मैं यह सच अपने पति को जरूर बताऊंगी. सब बता दूंगी उन्हें .. “रोते हुए अलका ने कहा.

स्वामी हंसा, ” बता रहा हूं तुझे, ऐसी भूल मत करना. तेरी जिंदगी और परिवार की इज़्ज़त दोनों बर्बाद हो जाएंगे. चल अब उठ, जा यहां से. चली जा और याद रखना मुंह खोला तो तेरी ही जिंदगी तबाह होगी. मुझ पर आंच भी नहीं आएगी.”

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महिलाओं की सुरक्षा और आत्मसम्मान के प्रति सजग उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष ‘मिशन शक्ति’ की प्रगति, इसके द्वितीय फेज़ तथा इसमें विभिन्न विभागों द्वारा दिए गए योगदान के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण किया गया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा तथा आत्मसम्मान सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है. ‘मिशन शक्ति’ को इसी उद्देश्य से लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि 08 मार्च, 2021 को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इसके दृष्टिगत ‘मिशन शक्ति’ के तहत महिला सशक्तीकरण से सम्बन्धित विभिन्न विभागीय आयोजन 26 फरवरी, 2021 से ही शुरू कर दिए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अभियान का सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ा है और महिलाओं की सुरक्षा और आत्मसम्मान के प्रति समाज अब और जागरूक हो रहा है. उन्होंने राजस्व विभाग को घरौनी के तहत स्वामित्व का अधिकार घर की महिला को देने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए गए सामुदायिक शौचालयों में महिला कर्मी की तैनाती शीघ्र की जाए. उन्होंने सभी जनपदों में अपर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक रिपोर्टिंग चौकी स्थापित करने के निर्देश दिए, जहां महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के सम्बन्ध में सूचना दर्ज कर त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.

मुख्यमंत्री ने कन्या सुमंगला योजना और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री जी के समक्ष नारी सुरक्षा, नारी सम्मान तथा नारी स्वावलम्बन के लिए चलाए जा रहे ‘मिशन शक्ति’-द्वितीय फेज़ का प्रस्तुतीकरण अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने किया.

उन्होंने ‘मिशन शक्ति’ के द्वितीय फेज़ के दौरान महिला थाने की रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की स्थापना तथा इससे सम्बन्धित प्रस्ताव, महिला साइबर क्राइम सेल, साइबर बुलीइंग व साइबर स्टॉकिंग के लिए डूज़ व डोन्ट्स, कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत महिला सुरक्षा समिति के गठन, समिति के स्वरूप, महिला हेल्प डेस्क में प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा, अत्यधिक वृद्ध महिला कैदी/शारीरिक रूप से अशक्त महिला कैदियों की रिहाई, ‘मिशन शक्ति’ पुरस्कार इत्यादि के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया.

प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री जी के समक्ष ‘मिशन शक्ति’ में प्रतिभाग करने वाले विभिन्न विभागों जिनमें कृषि, पंचायती राज, राजस्व, महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, युवा कल्याण, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण, उच्च शिक्षा, दुग्ध विकास, चिकित्सा शिक्षा, संस्कृति, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, औद्योगिक विकास, ग्राम्य विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, परिवहन, नगर विकास, पशुपालन, अल्पसंख्यक कल्याण, न्याय तथा सहकारिता विभाग शामिल हैं, ने अपने-अपने विभाग द्वारा किए गए कार्यों तथा उपलब्धियों के विषय में जानकारी दी.

उल्लेखनीय है कि ‘मिशन शक्ति’ की शुरुआत शारदीय नवरात्र 2020 से की गई थी. यह अभियान बासन्तिक नवरात्र 2021 तक चलेगा.

Rakhi Sawant ने शेयर की कैंसर से जूझ रही मां की फोटो तो Kamya Panjabi ने कही ये बात

बिग बौस 14 का फिनाले हो चुका है. जहां शो की विनर रुबीना दिलैक और दूसरे कंटेस्टेंट अपने वेकेशन की तैयारी कर चुके हैं तो वहीं फाइनलिस्ट रह चुकीं राखी सावंत इन दिनों अपनी मां के साथ समय बिता रही हैं. हाल ही में राखी सावंत ने अपनी बीमार मां की फोटो शेयर की थी, जिसके साथ उन्होंने फैंस से अपनी मां की सलामती की प्रार्थना करने को भी कहा है. इसी बीच एक्ट्रेस काम्या पंजाबी सहित कई सेलेब्स का रिएक्शन सामने आया है.

फिनाले के बाद शेयर की फोटो

बिग बॉस 14 के ग्रैंड फिनाले के दिन 14 लाख रुपये की बड़ी रकम लेकर शो को अलविदा कहने वाली राखी सावंत (Rakhi Sawant) ने अब सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अपनी बीमार मां की एक फोटो शेयर करते हुए प्रार्थना करने को कहा है. इसी के साथ राखी सावंत ने कैप्शन में लिखा, ‘प्लीज मेरी मां के लिए प्रार्थना करें. वो कैंसर के इलाज से गुजर रही है.’

 

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सेलेब्स ने दिया ये रिएक्शन

राखी सावंत के इस पोस्ट के बाद जहां फैंस उन्हें दिलासा दे रहे हैं तो वहीं टीवी एक्ट्रेस काम्या पंजाबी ने भी अपना रिएक्शन देते हुए कहा, ‘तुमने बहुत सही किया राखी. बिग बॉस 14 के फिनाले के बाद तुम्हारा पहला पोस्ट देखने के बाद मेरे पास शब्द नहीं है. जिसने कुछ महीनों तक पूरे वर्ल्ड को खूब एंटरटेन किया, वो इस दौर से गुजर रही है. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. कोई तुझसे क्या मुकाबला करेगा राखी, तू तो सबसे ऊपर सबसे अनोखी निकली. तुम अपनी जिंदगी में एक विनर हो.’

 

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14 लाख लेने पर कही थी ये बात

 

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एक इंटरव्यू में राखी ने शो में 14 लाख रुपए लेने की बात को लेकर कहा था कि मुझे मां के इलाज और कीमोथेरेपी के लिए पैसे की जरूरत थी. मेरी मां से बड़ी कोई चीज़ नहीं है, यहां तक कि ट्रॉफी भी नहीं है. मेरे लिए दर्शकों का प्यार और मेरे लिए सलमान खान का ब्रेसलेट का एक ट्रॉफी जैसा है.’

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बता दें, बिग बौस 14 में राखी ने एंटरटेनमेंट से सभी का दिल जीता था. हालांकि कई बार उन्हें लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा था. लेकिन फिर भी फैंस को एंटरटेन करने के लिए राखी सावंत ने कोई कसर नही छोड़ी और इसकी तारीफ खुद सलमान खान भी कर चुके हैं.

अनुपमा के सामने आएगी काव्या की असलियत! आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां काव्या, वनराज से शादी का प्लान बना रही है तो वहीं पूरी कोशिश कर रही है कि अनुपमा और उसके परिवार को बर्बाद कर सके. लेकिन जल्द ही अनुपमा के सामने काव्या की सच्चाई आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

काव्या ने बनाया ये प्लान

अब तक आपने देखा कि जहां काव्या शाह निवास में रहने का प्लान बना चुकी है तो वहीं किंजल की मां राखी जानने के लिए बेताब है कि काव्या में इतना बदलाव कैसे आ गया है. इसी के चलते वह काव्या से सवाल से पूछ लेती है कि वह ये सब ड्रामा क्यों कर रही है, जिसका जवाब देते हुए काव्या कहती है कि यह सब वह अनुपमा से बदला लेने के लिए कर रही है. दरअसल, काव्या कहती है कि घर के बाहर वह कुछ नही कर सकती. इसीलिए वह घर में आकर सबसे पहले बा और बापूजी को घर से बाहर निकालेगी और फिर अनुपमा के बच्चों को हॉस्टल या घर से बाहर कर देगी, जिससे वह अनुपमा और वनराज को अलग करके उससे बदला लेगी.

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पाखी को समझाती है अनुपमा

 

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काव्या को पिता वनराज की जिंदगी में आने से परेशान पाखी गुस्से में है. इसी के चलते वह काव्या के ऊपर कोल्डड्रिंक गिरा देती है, जिसके बाद अनुपमा उसे समझाती है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा कहेगी कि वह काव्या से इसलिए गुस्से में हैं क्योंकि उसे खाना बनाना नही आता. जबकि वह पहले अपनी मां से इसलिए नाराज थी कि उसे सिर्फ खाना बनाना आता है. अनुपमा की इस बात से अपनी गलती का एहसास होगा, जिसके बाद पाखी माफी मांगती नजर आएगी.

 

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अनुपमा जान जाएगी काव्या का प्लान

 

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पाखी को उसकी गलती का एहसास कराने वाली अनुपमा अभी काव्या की असलियत और उसके प्लान से बेखबर है. लेकिन आने वाले एपिसोड में अनुपमा, काव्या का सच जान जाएगी. दरअसल, राखी और काव्या आपस में बात कर रहे होंगे. जहां काव्या कहेगी कि वह केवल वनराज से उसकी शादी होने का इंतजार कर रही है. जैसे ही शादी हो गई वह बा बापूजी सभी को बर्बाद कर देगी, हालांकि अचानक उसी समय अनुपमा आ जाएगी. हालांकि यह पता नही चलेगा कि क्या अनुपमा, काव्या की असलियत जान जाएगी.

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फेशियल का फायदा चेहरे पर दिखाई नहीं देता, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं पार्लर में नियमित फेशियल करवाती हूं. लेकिन फेशियल का फायदा चेहरे पर दिखाई नहीं देता. बताएं क्या करूं?

जवाब

आप एक बार अपना पार्लर बदल कर देखें. कई बार सही तरीके से स्टैप्स न फौलो करने के कारण भी फेशियल का फायदा चेहरे पर दिखाई नहीं देता. इसलिए इस बार किसी अच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक से एएचए फेशियल करवाएं. एएचए यानी अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड फलों से निकाले गए ऐसिड होते हैं, जो स्किन को रिजनरेट कर के फेयरनैस देता है साथ ही त्वचा को हाइड्रैट कर के उस की ड्रायनेस भी दूर करता है.

घरेलू उपाय के तौर पर औलिव औयल और आमंड औयल में कुछ बूंदें औरेंज औयल की मिक्स कर के फेस पर मसाज करें. ऐसा रोजाना करने से रूखापन कम होगा और रंग भी निखरेगा.

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पिछले सैकड़ों सालों से औयल को सिर से लेकर पैर तक इस्तेमाल किया जाता है. इसका कारण ये है कि तेल आपकी स्किन को हेल्दी रखता है.

मार्केट में फेस औयल की भरमार है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि अक्सर आपको को ये पता नहीं होता है कि कौनसा औयल आपकी स्किन को सूट करेगा.

इसका जवाब हम देते हैं. चेहरे के लिए आपको लाइट और नौन-कौमेडोजेनिक (non-comedogenic, जिससे पिंपल्स ना हो) औयल इस्तेमाल करें. इसकी कुछ बूंदे ही आपके लिए काफी है.

फेस औयल को लेकर अमूमन लोगों के बीच कई तरह की गलत फैहमी होती है. कभी भी अपने चेहरे पर नारियल तेल या जैतून का तेल (औलिव औयल ) ना लगाएं, क्योंकि ये आपके पोर्स को बंद कर देते हैं. आइए जानते हैं फेस औयल किस तरह आपकी स्किन को स्वस्थ और सुंदर बना सकता है.

पूरी खबर पढ़नें के लिए- क्या आप जानती हैं फेशियल औयल के इन फायदों के बारे में

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सनसक्रीन एक ऐसा स्किन केयर प्रौडक्ट है जिस का रोजाना इस्तेमाल करना हमारी स्किन के लिए बहुत जरूरी है. अधिकतर महिलाओं को लगता है सनस्क्रीन को सिर्फ गर्मियों में लगाया जाता है, लेकिन सनस्क्रीन को हर मौसम में इस्तेमाल करना चाहिए. सनस्क्रीन आप की स्किन को डैमेज होने से बचाता है.

गर्मियों में क्यों जरूरी है सनसक्रीन

गर्मियों में तेज धूप और सूरज की हानिकारक किरणों की वजह से स्किन पर टैनिंग, फ्रेक्ल्स, सनबर्न जैसी समस्या हो सकती है, जिस से आप की स्किन की खूबसूरती ढल सकती है. क्लीनिक डर्माटेक के डर्मेटोलौजिस्ट डाक्टर इंदु का कहना है, “यदि किसी को फ्रेक्ल्स, सनबर्न जैसी समस्या हो जाती है तो उसे सनस्क्रीन दिन में 3 बार जरूर लगाना चाहिए. फ्रेकलस बहुत आम समस्या है. चेहरे पर जब ब्राउन स्पौट हो जाते है, उन्हें फ्रेक्ल्स कहते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- Summer Tips: सनस्क्रीन लगाना क्यों है जरूरी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मासिक धर्म, धर्म और बिटिया

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

मैं एक पुरुष हूं और इस नाते मुझे महिलाओं के जैसे होने वाले मासिक धर्म का कोई भी डर नहीं रहा, पर 2 ऐसी घटनाएं मैं ने अपनी बहन के साथ देखीं, जिन्होंने मेरे मन को पूरी तरह हिला दिया और न केवल हिलाया, बल्कि स्त्री के प्रति आदर और भी बढ़ गया.

मेरी दीदी जो मुझ से 5 साल बड़ी हैं. जब वे 10वीं जमात में थीं, तब वे अचानक कालेज से एक दिन जल्दी ही घर लौट आईं. उन के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था, उन के कुरते के पिछले हिस्से पर खून के निशान थे, जिसे उन्होंने पानी से धोया था. इस वजह से उन के कपड़े पूरी तरह से गीले हो गए थे.

मेरे पूछने पर वे बात को टाल गईं और मां ने भी मुझे डांट कर चुप करा दिया था.

बड़े होने पर धीरेधीरे मैं स्वयं ही समझ गया कि उस दिन दीदी के साथ क्या हुआ होगा. और जो भी हुआ, उस समय दीदी की मनोदशा को सोच कर मैं आज भी कांप उठता हूं.

मुझे मेरे बचपन की दूसरी घटना याद आती है, जब मेरी दीदी की शादी के बाद पहली बार मैं उन के घर गया था. एक सुबह मैं ने देखा कि मेरी दीदी जमीन पर सो रही थीं, जबकि जीजाजी ऊपर बिस्तर पर सो रहे थे.

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दीदी से मैं ने इस की वजह पूछी, तो उन्होंने सहजता से बता दिया कि स्त्रियों में जब मासिक चक्र होता है, तो वे अछूत हो जाती हैं और उन को जमीन पर ही सोना पड़ता है.

उस समय तो उन की बात बहुत अजीब ही लगी थी, पर मैं करता भी क्या, इसलिए चुप ही रहा. पर, आज जब मैं बड़ा हो गया हूं, तो मैं ने इस विषय पर लिख कर अंधविश्वास खत्म करने की बात सोची. इसीलिए इस से संबंधित लेख लिख रहा हूं.

अपने जीवनकाल में हर महिला को मासिक चक्र से गुजरना पड़ता है, जो कि एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, पर धार्मिक दृष्टि से औरतों को अपवित्र माना जाता है.

यदि मासिक धर्म के होने से कोई महिला अपवित्र हो जाती है, तब तो इस दुनिया का हर एक पुरुष और महिला अपवित्र है, क्योंकि जन्म के समय हर एक बच्चा उसी रक्त में लिप्त और सना हुआ होता है.
अगर खुले दिमाग से गौर किया जाए, तो मासिक चक्र के दौरान स्त्री को अपने से अलग रखना पुरुष के मिथ्या अहंकार को पोषित करने के अलावा और कुछ भी नहीं. और इस काम में काफी हद तक पुरुषों की सहायता की है हिंदू धर्म के पुराणों ने.

एक कथा के अनुसार, इंद्र देवता ने अपने हिस्से का पाप औरतों को भी दे दिया था और इसी कारण महिलाओं को हर महीने इस मासिक धर्म की पीड़ा से गुजरना पड़ता है.

मुंबई में महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में एक कामकाजी महिला ईशा बताती हैं कि मैं अपने पति से कोई भी पीड़ा शेयर नहीं करती, पर फिर भी वे मेरी असहजता देख कर समझ जाते हैं.

चूंकि मैं इन दिनों में हार्मोंस में बदलाव के कारण थोड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हूं, इसलिए वे मुझे मानसिक रूप से भी सहयोग देते हैं, बल्कि घर के कामकाज में भी वे मेरी मदद करते हैं.

जबकि ईशा के साथ में ही काम करने वाली नेहा ने जो बताया, वह उन्हीं के शब्दों में, “अब… क्या बताऊं इस बारे में आप को… मेरे ये 5 से 7 दिन नरक जैसे बीतते हैं, क्योंकि मेरे पति को इन्हीं दिनों में मेरे साथ संबंध बनाने की प्रबल इच्छा होती है, जबकि मेरे लिए ऐसा कर पाना लगभग असंभव सा होता है, और जब मैं उन को ऐसा करने से मना कर देती हूं, तो वे नाराज हो कर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं.”

लिवइन रिश्तों में रहने वाली एक महिला कोमल बताती हैं, “मैं और मेरे पार्टनर यहां मुंबई में अपने कैरियर की तलाश कर रहे हैं, ऐसे में मेरे इन दिनों में वैसे तो ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देता, पर उस के व्यवहार में कुछ रूखापन सा महसूस कर पाती हूं.”

मुंबई के ही एक कालेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सब्या बतातीं हैं कि वे और उन का बौयफ्रैंड एकदूसरे से बहुत प्रेम करते हैं और आगे चल कर शादी भी करना चाहते हैं, पर जिन दिनों में मैं मासिक के दौर से गुजर रही होती हूं, उन दिनों में मेरा बौयफ्रैंड और भी अधिक मेरा ध्यान रखता है और मेरे बदले हुए व्यवहार और चिड़चिड़ाने पर नाराज नहीं होता, बल्कि और भी अधिक ‘केयरिंग’ हो जाता है और मेरी पढ़ाई और अन्य कामों में मेरी सहायता करता है.

इन दिनों में संबंध बनाने को ले कर उस वर्ग की महिलाओं को समस्या आती है, जिन के पुरुष जीविका कमाने के लिए महीनों तक बाहर रहते हैं और साल में कभीकभार ही घर आते हैं, और तो और, आकस्मिक घर आने के बाद प्रेम से भरे पुरुष के मन को ऐसे में यदि पत्नी सैक्स का सुख देने से उन्हें वंचित कर दे, तो यह भी पति के गुस्से का कारण बनता है.

कुछ इसी प्रकार की कहानी है लखनऊ से जुड़े एक गांव अटरिया में रहने वाले लल्लन की. वह शरमाते हुए बताता है, “अब …का बताएं, रोजी कमाने को घरबार, बीवी सबै छोड़ा है. साल में दुई बार घर जाय पात हैं, और उस में भी मेहरिया, माहवारी आवन की बात बता, संबंध बनावे को मना कर देत है, कसम से आग लग जावत है हमार तनबदन में.”

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इस प्रकार की समस्या सिर्फ लल्लन की ही नहीं है, बल्कि बाहर जा कर पैसा कमाने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन को इस समस्या से दोचार होना ही पड़ता है.

पैड्स पर होने वाला खर्चा भी कम नहीं

बाजार में मिलने वाले सैनेट्री पैड्स विभिन्न कंपनियों के होते हैं. आमतौर पर एक औसत कंपनी का 8 पैड्स का एक पैकेट 30 से 35 रुपए का आता है और एक महिला के एक महीने में इस तरह के 2 से 3 पैकेट खर्च हो जाते हैं. इस प्रकार एक महीने में 100 से 150 रुपए का खर्चा हो ही जाता है.

जो महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, उन्हें तो इस खर्चे से कोई असर नहीं पड़ता, पर जो महिलाएं गांव में रहती हैं या जिन के पतियों के पास कोई रोजगार नहीं है, उन के लिए पैड्स को खरीदने पर आने वाला 100 से 150 रुपए का हर महीने का खर्चा भी एक सिरदर्द बन जाता है. और खुद के पास कोई रोजगार न होने की हालत में एक पति को पैसे के लिए अपने पिता पर निर्भर रहना पड़ता है और हर महीने पिता से पैसे मांगना एक बेरोजगार, शादीशुदा युवक के लिए काफी शर्म भरा अनुभव होता है.

पैड्स का निस्तारण एक बड़ी समस्या

सैनेट्री पैड्स प्रयोग करने के बाद इन को सुरक्षित ठिकाने लगाना भी एक टेढ़ी खीर होता है.

जिन घरों में लोग एक संयुक्त परिवारों में रहते हैं और रूढ़िवादिता से बंधे होने के कारण नई इन घरों की बहू और बेटियों को इन दिनों में अलगथलग रहना पड़ता है और असली परेशानी जब आती है, जब इन पैड्स को प्रयोग के बाद फेंकने की बारी आती है. ऐसे में ये महिलाएं रात होने का इंतजार करती हैं और दबे पैर छत पर जा कर कूड़े के ढेर में जा कर इन पैड्स का निस्तारण कर पाती हैं.

कालोनियों मे भी इन पैड्स का निस्तारण एक बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है. महिलाएं प्रयोग के बाद इन पैड्स को सड़क के किनारे लगे डस्टबिन में फेंक देती हैं, जिस में कुत्तेबिल्ली, गाय आदि जानवर इस में मुंह डाल कर, इन पैड्स को नोच डालते हैं और इधरउधर बिखेर भी देते हैं जो कि देखने में काफी अशोभनीय भी लगता है.
और कई बार आसपड़ोस के लोगों में झगड़े का सबब भी बनते हैं.

हमारे समाज में बहुत से अंधविश्वास भी फैले हुए हैं, उन में से कुछ इस प्रकार हैं:

अंधविश्वास के कारण

गौमाता को ना छूना

मासिक धर्म के समय महिलाओं को गाय तक को छूने की मनाही होती है, क्योंकि अगर रजस्वला स्त्री ने गाय माता को छू लिया तो गाय दूध देना बंद कर देगी, कितनी अजब, हास्यप्रद और अवैज्ञानिक बात है.

तुलसी के पौधे से दूर रहना

महिलाओं को तुलसी के पौधे से भी दूर रहना होता है. अगर मासिक धर्म के दौरान स्त्री की छाया भी तुलसी के पौधे पर पड़ गई, तो वह सूख जाएगा. इस का वैज्ञानिक कारण पूछने पर कोई बता नहीं पाता और सिर्फ यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह बात उन्हें उन के बड़े बुजुर्गों ने बताई है, इसलिए वे इस को मानते जा रहे हैं.

इन बातों के अलावा अचार न छूना, किसी को पानी तक न देना और घर के ही एक कोने में पडी रहना, जो पूरी तरह से किसी भी यातना से कम नहीं है.

इन दिनों में हिंदू स्त्रियों को मंदिर जाने की भी मनाही होती है. सबरीमाला के मंदिर में 10 साल से ले कर 50 साल की स्त्रियों के प्रवेश की जो मनाही है, वो शायद स्त्री के रजस्वला होने के कारण ही बनाई गई है और स्त्रियां घर में भी किसी प्रकार की पूजापाठ नहीं कर सकती हैं. और तो और महिलाएं इन दिनों ऊपर वाले के नाम का उच्चारण भी नहीं कर सकती हैं और अगर ऐसा कर दिया तो उन को एक बड़ा पाप लग सकता है.

हिंदू धर्म की तरह ही इसलाम धर्म में भी रजस्वला स्त्री को नापाक ही माना जाता है और उसे घर के किसी काम में भी शामिल नहीं किया जाता है.
ईसाई धर्म में स्त्रियों को किसी तरह की खास मनाही नहीं है. अगर स्त्रियां चाहें तो वे चर्च भी जा सकती हैं.

इस पूरी दुनिया में सिख धर्म ही ऐसा धर्म है, जो एक रजस्वला स्त्री को इन दिनों में और भी ज्यादा पवित्र मानता है.

सिख धर्म के अनुसार, जिस रक्त से जीवन पनपता है और जो स्त्री पूरे संसार को जन्म देती है, वो भला अपवित्र कैसे हो सकती है, बल्कि वो तो इन दिनों में और भी पवित्र हो जाती है.

इसी अवधारणा के चलते सिख महिलाओं पर कोई पाबंदी नहीं होती और वे गुरुद्वारे भी जा सकती हैं.

ये तो वे बातें हैं, जो सदियों से हम मानते चले आ रहे हैं, पर किसी भी बात को मानने से ज्यादा जरूरी है उस का वैज्ञानिक आधार जानना. आज बाजार में बहुत सी ऐसी पुस्तकें हैं, जिन को पढ़ कर आप अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं. साथ ही, आप अपनी बेटी को भी मासिक धर्म के बारे में सहीसही बताएं.

जैसे ही आप की बेटी 9 से 10 साल की हो जाए, तभी आप उस को मासिक धर्म के बारे में सबकुछ बताना शुरू करें, ताकि बेटी का बालमन उसे आसानी से समझ सके.

अधिकतर हम सभी खून देख कर घबरा जाते हैं. खून का मतलब चोट लगना होता है, हमारी यही मनोदशा रहती है और जब आप की बेटी पहली बार इस अनुभव से गुजरे, तो वह बिना घबराए ही इस प्रक्रिया से आसानी से गुजर सके, इस बात की जिम्मेदारी मां और बाप दोनों पर समान रूप से होती है.

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अगर मातापिता दोनों ही बाहर काम पर जाते हैं, तो बेटी के लिए एक आकस्मिक मासिक किट तैयार कर दें, जिस में एक पैंटी का जोड़ा और 2 से 3 पैड्स रख दें.

शुरुआत में मासिक धर्म काफी अनियमित हो सकता है, ऐसे में यह किट आप की बेटी को स्कूल में भी भयमुक्त रखेगी और यदि हो सके, तो बेटी को यह भी बताएं कि यह जीवन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया है और इस से उस को शर्म न महसूस कर के अपनेआप को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए, अपनी बिटिया को बताएं कि यह एक नैसर्गिक क्रिया है.

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर “हैप्पी टू ब्लीड” नामक कैंपेन काफी लोकप्रिय हुआ था. इस कैंपेन में एक लड़की को समय से पहले ही मासिक धर्म होने लगा था, जिस का उसे पता ही नहीं चला और पुरुष उसे अजीब नजरों से घूरते रहे. उस की अनभिज्ञता देख रास्ते में एक महिला ने उसे सैनेट्री पैड दिया, तब उस की समझ में आया कि उसे मर्द रास्ते में क्यों घूर रहे थे.

उस लड़की ने खून में भीगा हुआ अपना पाजामा सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था और लिखा था, “मेरी यह पोस्ट उन महिलाओं के लिए है, जिन्होंने मेरे स्त्रीत्व को छुपाने में मेरी मदद की. मेरे लिए ये कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि हर महीने दर्द के साथ होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है.”

जिस स्त्री को पीरियड नहीं आते, वह भी तनाव में रहती है और हर महिला को इसे सामान्य ढंग से ही लेना चाहिए, न कि इसे एक पाप और टैबू मान कर अंधविश्वास में जिंदगी बसर करनी चाहिए.

पांच साल बाद टीवी पर वापसी करेंगे रोनित रॉय, पढ़ें खबर

मनोरंजन की दुनिया में तहलका मचाने के लिए ‘‘शेमारू टीवी’’पहला सेंसेशनल अपराध सीरियल ‘जुर्म और जज्बात‘ लेकर आने जा रहा है. जिसके संचालक होंगें रोनित रॉय. वैसे सीरियल ‘जुम ओर जज्बात’’ में टेलीविजन इंडस्ट्री के उम्दा कलाकार नजर आएंगे, मगर जुर्म के पीछे छिपे जज्बातों का पर्दाफाश करते हुए पहली बार रोनित रॉय नजर आने वाले हैं.

‘जुर्म और जज्बात‘ पहला ऐसा अनोखा अपराध पर आधारित सीरियल है, जिसमें इस बात का चित्रण होगा कि किस तरह हर जुर्म के पीछे हदों को पार करते जज्बात होते है ओर किन जज्बातों की वजह से कैसे एक आम इंसान पलभर में मुजरिम बन जाता है. आए दिन समाज में हो रहे दिल दहला देनेवाले जुर्म के पीछे छिपे जज्बात की गुत्थियों को सुलझाता यह सीरियल हर इंसान को मानवीय जज्बातों के बारे में सोचने पर मजबूर करेगा.

इस अपराध सीरियल का निर्माण करने से पहले ‘शेमारू टीवी’ ने काफी शोधकार्य करवाया है. जिससे इस तथ्य को उजागर किया जा सके कि भावनाएं इंसान को किस तरह से नियंत्रित करती हैं, जो आगे चलकर एक भयंकर रूप ले लेती हैं.  इस सर्वे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें निकलकर सामने आईं कि इस सीरियल का नाम ही ‘‘जुर्म और जज्बात‘‘रख दिया गया.

सर्वे में भाग लेनेवाले 75 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि अपराध और आपराधिक व्यवहार अलग-अलग इंसानी जज्बातों से प्रेरित होते हैं. सर्वे में जो सबसे अहम बात निकलकर सामने आई है, वह यह कि आज के समय में जुर्म के दो सबसे बड़े मुख्य कारण हैं ‘लालच और अहंकार’. ‘जुर्म और जज्बात‘ एक ऐसा सीरियल है,  जिसे देखकर दर्शक खुद को इसकी कहानियों से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

सीरियल‘‘जुर्म और जज्बात’’ इस हिसाब से भी अनोखा है, कि इसे सिर्फ महानगरों नही देश के कई छोटे कस्बों में स्थानीय प्रतिभाशाली कलाकारों के संग फिल्माया जा रहा है.

इस सीरियल के लांच पर खुशी जाहिर करते हुए रोनित रॉय ने कहा,  ‘‘जुर्म और जज्बात शो मेरे लिए बेहद खास है,  क्योंकि इसके साथ ही मैं 5 साल के लंबे अंतराल के बाद टीवी पर वापसी कर रहा हूं.  साथ ही इस शो का अद्भुत कॉन्सेप्ट  मुझे बेहद पसंद आया,  जिसमें जुर्म के पीछे छिपे जज्बातों को उजागर किया जाएगा. और सबसे मजेदार बात तो यह है कि यह शो शेमारू टीवी पर आएगा, जो कि एक फ्री टु एयर चैनल है और जिसकी पहुंच गांव- कस्बों और शहरों तक फैली हुई है.  मुझे पूरा विश्वास है कि दर्शकों को मेरा यह नया शो उतना ही पसंद आएगा,  जितना मुझे इसे शूट करते हुए आया. ‘‘

सीरियल‘‘जुर्म और जज्बात’’ का प्रसारण ‘‘शेमारू टीवी ’’प्र सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे और पुनः प्रसारण दोपहर 12 बजे होगा.

Winter special: ब्रेकफास्ट में परोसें मसाला उत्तपम

अगर आप साउथ इंडियन फूड के शौकीन हैं तो उत्तपम आपने जरूर खाया होगा. पर क्या आपने कभी मसाला उत्तपम ट्राय किया है. मसाला उत्तपम बनाना बहुत आसान है और ये खाने में हेल्दी और टेस्टी दोनों है. आप इसे बनाकर ब्रेकफास्ट में सर्व कर सकते हैं.

बनाने का तरीका

चावल– 250 ग्राम,

आलू– 04 (मीडियम साइज के, कटे और छिले हुए),

प्याज़– 02 (कटे हुए),

शि‍मला मिर्च– 02 (मीडियम साइज़ की),

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टमाटर- 03 (कटे हुए),

हरी मिर्च- 04 (कटी हुई),

हरी धनिया– 01 बड़ा चम्मच,

नींबू – 02 (रस निकला हुआ),

तेल – 02 छोटे चम्मच,

ज़ीरा – 02 छोटे चम्मच,

सरसों के दाने – 02 छोटे चम्मच,

हल्दी पाउडर – 01 छोटा चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर– 1/2 छोटा चम्मच,

हींग पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच,

करी पत्ते – 03 नग,

नमक – स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

सबसे पहले चावल को अच्छी तरह से पानी से धो लें. अब एक पैन में तेल डाल कर गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें सरसों के दाने, हींग पाउडर, करी पत्ते और लाल मिर्च डाल कर भूनें.

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इसके बाद आलू, शि‍मला मिर्च, टमाटर, हल्दी और नमक मिला दें और जरा सा पानी डालकर मीडियम आंच पर पकाएं. जब टमाटर पक जाएं, इसमें चावल मिला दें और चावल के गलने तक पकाएं. चावल के पक जाने पर गैस बंद कर दें और गरमा गरम ब्रेकफास्ट में हेल्दी उत्तपम अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिलाएं.

जरूरी है बच्चों की रिस्पैक्ट का ध्यान रखना

बच्चे कच्ची मिट्टी समान होते हैं. उन्हें क्या रूप देना है यह आप पर निर्भर करता है. बड़ा हो कर बच्चा अच्छे व्यक्तित्व का स्वामी बने, उन्नति करे और आप का नाम रोशन करे यह चाह हर मांबाप को होती है. मगर ऐसा मुमकिन तभी होगा जब आप शुरू से बच्चे की अच्छी परवरिश पर ध्यान देंगे. अच्छी परवरिश के लिए दूसरी बातों के साथसाथ यह बात भी काफी अहम है जिसे अकसर मातापिता नजरअंदाज कर जाते हैं और वह है बच्चों को रिस्पैक्ट देना.

बच्चे को कभी उस के छोटे भाई या बहन के सामने न डांटें: यदि आप के बच्चे ने कोई काम आप के मनमुताबिक नहीं किया या उस ने कोई शरारत की, नंबर अच्छे नहीं आए या फिर उस के झूठ बोलने पर आप को गुस्सा आया हो, तो बात कितनी भी बड़ी हो पर बच्चे को कभी उस के छोटे भाईबहनों के सामने अपमानित न करें, क्योंकि छोटा भाई या बहन जो बड़े को आप से डांटमार खाता देख रहा है, समय आने पर वह भी बड़े की कद्र करना छोड़ देगा. छोटे भाई या बहन की नजर में बड़े का सम्मान घट जाएगा. वह बड़े भाई या बहन का मजाक उड़ाएगा जिस से बड़े के मन में कुंठा बैठती जाएगी. इसलिए यदि बड़े बच्चे को कुछ कहना है तो छोटे के सामने नहीं, बल्कि अकेले में कहें.

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दूसरों के आगे आपा न खोएं

मान लीजिए बच्चे ने आप की कोई चीज खो दी या कोई बड़ी गलती कर दी जिस के बारे में आप को किसी और से पता चलता है, तो खबर मिलते ही एकदम बच्चे पर चीखनेचिल्लाने लगें यह उचित नहीं. लोगों के बीच बच्चे को कभी अपमानित न करें. अकेले में उस से बात करें. एकदम आपा खोने के बजाय बच्चे को उस के द्वारा की गई गलती के बारे में बताएं और फिर उस का जवाब सुनें. हो सकता है परिस्थितिवश ऐसा हुआ हो. उसे अपने बचाव का मौका दें. उस का पक्ष सुनने के बाद फैसला लें कि बच्चे की गलती है या नहीं. यदि उस की गलती है भी तो उस से मारपीट करने के बजाय उसे तार्किक तरीके से समझाएं. उसे अपनी गलती का एहसास कराएं और वादा लें कि वह आगे ऐसा नहीं करेगा. प्यार से समझाई गई बात का असर बहुत गहरा पड़ता है, जबकि मारपीट कर समझाई गई बात बच्चे में क्षोभ और विद्रोह के भाव पैदा करती है या फिर वह डिप्रैस्ड रहने लगता है.

बच्चे की कमियां न गिनाएं

हर समय बच्चे को नाकारा, आलसी, बेवकूफ, जाहिल जैसे शब्दों से न नवाजें. आप उसे जितना ज्यादा झिड़केंगे या उस की कमियां गिनाते रहेंगे उस के उतना ही ज्यादा गलत रास्ते पर जाने की संभावना बढ़ती जाएगी. कई घरों में मांबाप हर समय बच्चे को कोसते रहते हैं. बाहर वालों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के आगे भी उस की कमियों का बखान करते रहते हैं. इस से बच्चे के अंदर नकारात्मक सोच विकसित होती है. इस के विपरीत यदि मांबाप बच्चे की छोटीबड़ी उपलब्धियों का जश्न मनाएं, दूसरों के आगे उस की तारीफ करें, उस के अंदर की खूबियों को बढ़ाचढ़ा कर बताएं तो बच्चे के अंदर सकारात्मकता बढ़ती है. उस के अंदर और अच्छा काम कर अधिक तारीफ पाने की लालसा जगती है, उस के मन में क्षोभ, ग्लानि या प्रतिस्पर्धा के बजाय उत्साह, लगन और स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना प्रबल होती है.

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बच्चे की इच्छा को मान दें

हर बच्चा दूसरे से अलग होता है. हर बच्चे में अलगअलग खूबियां होती हैं, अलगअलग हुनर होते हैं. बच्चे में जो हुनर है, उसे जो करना पसंद है, उस की भविष्य में जो बनने की इच्छा है उसे तरजीह दें. उसे वही बनने दें जो वह बनना चाहता है. कई घरों में बच्चे की इच्छा यह कह कर दबा दी जाती है कि वह छोटा है. उसे भलेबुरे का ज्ञान नहीं. पर ऐसी प्रवृत्ति सही नहीं. बच्चे की जिंदगी पर अपना अधिकार न जमाएं. उसे पूरे सम्मान के साथ अपनी जिंदगी और जिंदगी से जुड़े फैसले लेने दें ताकि उम्र बढ़ने के बाद उस के अंदर घुटन, छटपटाहट, फ्रस्ट्रेशन और गुस्से की ज्वाला नहीं, बल्कि संतुष्टि, खुशी, अपनत्व और प्रेम की धारा बहे. वह आप को भी प्रेम दे और दूसरों को भी.

बच्चे का नाम न बिगाड़ें

अकसर माता-पिता या रिश्तेदार बच्चे के नाम को बिगाड़ कर पुकारते हैं जैसे चंद्र को चंदर, देव को देवू, मीनल को मिनुआ आदि. उन की किसी बाहरी कमी के आधार पर भी उस नाम से पुकारने लगते हैं जैसे- बच्चा काला है तो कालू, मोटा है तो मोटू, छोटा है तो छोटू वगैरह. अत: भूल कर भी कभी बच्चे को ऐसे नामों से न पुकारें उलटा यदि कोई परिचित या रिश्तेदार ऐसा करता है तो उसे तुरंत ऐसा करने को मना कर दें. बिगड़े नाम के साथ बच्चे का व्यक्तित्व भी बिगड़ सकता है. हमेशा बच्चे को उसी नाम से पुकारें जैसा आप उसे देखना चाहते हैं जैसे हर्ष, आशा, निहाल, प्रथम जैसे अच्छे अर्थ वाले नाम बच्चे के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.

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बच्चे को आप कह कर पुकारें

अकसर हम देखते हैं कि कुछ संभ्रांत परिवार के लोग अपने बच्चे को शुरू से ही आप कह कर पुकारते हैं जैसे आप ने क्या खाया, आप कहां गए, क्या सीखा आप ने वगैरह-वगैरह. इस से बच्चे के अंदर शिष्ट और सभ्य व्यवहार की नींव पड़ती है. आप बच्चे से तूतड़ाक कह कर बात करेंगे तो कल को वह दूसरों से और हो सकता है कि आप से भी इसी लहजे में बात करने लगे. इस से खुद आप को दूसरों के आगे लज्जित होना पड़ सकता है.

जानें क्या है रुमेटाइड आर्थराइट्स

रुमेटाइड एक ऑटोइम्यून डिसॉर्डर है. जिस में प्रतीक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम शरीर के सेल्स पर हमला करती है. रुमेटाइड आर्थराइट्स जोड़ों की परतों को नुकसान पहुंचाता है, जिस कारण जोड़ों में दर्द, सूजन जैसी समस्या होने लगती है. शुरुआत में तो यह जोड़ों को प्रभावित करता है लेकिन बाद में यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. गंभीर रुमेटाइड आर्थराइट्स के कारण शारीरिक विकलांगता जैसी समस्या भी हो सकती हैं.

1. अनदेखा न करें ये बीमारियां

हम सब भी कभी न कभी जोड़ों के दर्द जैसे समस्या से पीड़ित होते है. इसका मतलब यह नहीं है की हमें रुमेटाइड है. लेकिन कई बार जोड़ों का दर्द काफी लंबे समय तक रहता है. जो समय के साथ बढ़ता चला जाता है जिसमें आराम करने से भी कोई बदलाव नहीं होता. यदि आप जोड़ों के दर्द के साथ शरीर में सूजन व कठोरपन देख रही हैं तो, ऐसे में जरूरी है की किसी अच्छे डाक्टर से सलाह ली जाए.

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2. कारणों का लगाएं पता

रुमेटाइड होने का सही कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन मोटापा, धूम्रपान, ज्यादा तनाव से रुमेटाइड बढ़ सकता है. आज के समय में हर बीमारी का इलाज है. मेडिकल लाइन में निरंतर प्रगति हो रही है. अच्छी संख्याओं में दवाइयां उपलब्ध है, जो रुमेटाइड के लक्षण को कम करने के साथ शरीर में इसके बढ़ोतरी को रोक सकती है. दवाइयों के साथ रुमेटाइड रोगी को अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करना जरूरी है.

 3. योगा है जरूरी

जोड़ों में गति बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी है. यदि रुमेटाइड के वजह से मांश पेशियां कमजोर होने लगी हैं, तो योगा और मेडिटेशन जरूरी है. योगा आपके शरीर के वजन को बढ़ने से रोकता है साथ ही आपकी मांशपेशियों को मजबूत करता है. जिससे जोड़ों का दर्द में आराम मिलता है. योगा और मेडिटेशन से दिल की बीमारी और डाइबिटीज होने की संभावना भी कम हो जाती है.

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4. टेंशन लेना हो सकता है खतरनाक

रुमेटाइड में ज्यादा टैंशन लेना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. योगा और मेडिटेशन की मदद से शरीर में बहुत जल्दी बदलाव देखने को मिलता है. यह आपको शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ बनाता है. मेडिटेशन यानी ध्यान, सांस लेना और विश्राम यानी आराम से शरीर की कोमलता और सूजन में आप बड़ा अंतर पा सकती हैं. यदि कोई शारीरिक रूप से बीमार है या कोई तनाव से जूझ रहा है. इस स्तिथी से बचने का एक मात्र उपाय है योगा. योगा आंतरिक लाभ पहुंचाता है. यदि आपको रुमेटाइड हैं तो, शुरुआत में कुछ आसान योगासन करें और बाद में धीरे धीरे इसे बढ़ाएं. समय समय पर डाक्टर की सलाह लेना न भूलें.

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