मासिक धर्म, धर्म और बिटिया

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

मैं एक पुरुष हूं और इस नाते मुझे महिलाओं के जैसे होने वाले मासिक धर्म का कोई भी डर नहीं रहा, पर 2 ऐसी घटनाएं मैं ने अपनी बहन के साथ देखीं, जिन्होंने मेरे मन को पूरी तरह हिला दिया और न केवल हिलाया, बल्कि स्त्री के प्रति आदर और भी बढ़ गया.

मेरी दीदी जो मुझ से 5 साल बड़ी हैं. जब वे 10वीं जमात में थीं, तब वे अचानक कालेज से एक दिन जल्दी ही घर लौट आईं. उन के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था, उन के कुरते के पिछले हिस्से पर खून के निशान थे, जिसे उन्होंने पानी से धोया था. इस वजह से उन के कपड़े पूरी तरह से गीले हो गए थे.

मेरे पूछने पर वे बात को टाल गईं और मां ने भी मुझे डांट कर चुप करा दिया था.

बड़े होने पर धीरेधीरे मैं स्वयं ही समझ गया कि उस दिन दीदी के साथ क्या हुआ होगा. और जो भी हुआ, उस समय दीदी की मनोदशा को सोच कर मैं आज भी कांप उठता हूं.

मुझे मेरे बचपन की दूसरी घटना याद आती है, जब मेरी दीदी की शादी के बाद पहली बार मैं उन के घर गया था. एक सुबह मैं ने देखा कि मेरी दीदी जमीन पर सो रही थीं, जबकि जीजाजी ऊपर बिस्तर पर सो रहे थे.

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दीदी से मैं ने इस की वजह पूछी, तो उन्होंने सहजता से बता दिया कि स्त्रियों में जब मासिक चक्र होता है, तो वे अछूत हो जाती हैं और उन को जमीन पर ही सोना पड़ता है.

उस समय तो उन की बात बहुत अजीब ही लगी थी, पर मैं करता भी क्या, इसलिए चुप ही रहा. पर, आज जब मैं बड़ा हो गया हूं, तो मैं ने इस विषय पर लिख कर अंधविश्वास खत्म करने की बात सोची. इसीलिए इस से संबंधित लेख लिख रहा हूं.

अपने जीवनकाल में हर महिला को मासिक चक्र से गुजरना पड़ता है, जो कि एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, पर धार्मिक दृष्टि से औरतों को अपवित्र माना जाता है.

यदि मासिक धर्म के होने से कोई महिला अपवित्र हो जाती है, तब तो इस दुनिया का हर एक पुरुष और महिला अपवित्र है, क्योंकि जन्म के समय हर एक बच्चा उसी रक्त में लिप्त और सना हुआ होता है.
अगर खुले दिमाग से गौर किया जाए, तो मासिक चक्र के दौरान स्त्री को अपने से अलग रखना पुरुष के मिथ्या अहंकार को पोषित करने के अलावा और कुछ भी नहीं. और इस काम में काफी हद तक पुरुषों की सहायता की है हिंदू धर्म के पुराणों ने.

एक कथा के अनुसार, इंद्र देवता ने अपने हिस्से का पाप औरतों को भी दे दिया था और इसी कारण महिलाओं को हर महीने इस मासिक धर्म की पीड़ा से गुजरना पड़ता है.

मुंबई में महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में एक कामकाजी महिला ईशा बताती हैं कि मैं अपने पति से कोई भी पीड़ा शेयर नहीं करती, पर फिर भी वे मेरी असहजता देख कर समझ जाते हैं.

चूंकि मैं इन दिनों में हार्मोंस में बदलाव के कारण थोड़ी चिड़चिड़ी सी हो जाती हूं, इसलिए वे मुझे मानसिक रूप से भी सहयोग देते हैं, बल्कि घर के कामकाज में भी वे मेरी मदद करते हैं.

जबकि ईशा के साथ में ही काम करने वाली नेहा ने जो बताया, वह उन्हीं के शब्दों में, “अब… क्या बताऊं इस बारे में आप को… मेरे ये 5 से 7 दिन नरक जैसे बीतते हैं, क्योंकि मेरे पति को इन्हीं दिनों में मेरे साथ संबंध बनाने की प्रबल इच्छा होती है, जबकि मेरे लिए ऐसा कर पाना लगभग असंभव सा होता है, और जब मैं उन को ऐसा करने से मना कर देती हूं, तो वे नाराज हो कर मारपीट पर उतारू हो जाते हैं.”

लिवइन रिश्तों में रहने वाली एक महिला कोमल बताती हैं, “मैं और मेरे पार्टनर यहां मुंबई में अपने कैरियर की तलाश कर रहे हैं, ऐसे में मेरे इन दिनों में वैसे तो ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देता, पर उस के व्यवहार में कुछ रूखापन सा महसूस कर पाती हूं.”

मुंबई के ही एक कालेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सब्या बतातीं हैं कि वे और उन का बौयफ्रैंड एकदूसरे से बहुत प्रेम करते हैं और आगे चल कर शादी भी करना चाहते हैं, पर जिन दिनों में मैं मासिक के दौर से गुजर रही होती हूं, उन दिनों में मेरा बौयफ्रैंड और भी अधिक मेरा ध्यान रखता है और मेरे बदले हुए व्यवहार और चिड़चिड़ाने पर नाराज नहीं होता, बल्कि और भी अधिक ‘केयरिंग’ हो जाता है और मेरी पढ़ाई और अन्य कामों में मेरी सहायता करता है.

इन दिनों में संबंध बनाने को ले कर उस वर्ग की महिलाओं को समस्या आती है, जिन के पुरुष जीविका कमाने के लिए महीनों तक बाहर रहते हैं और साल में कभीकभार ही घर आते हैं, और तो और, आकस्मिक घर आने के बाद प्रेम से भरे पुरुष के मन को ऐसे में यदि पत्नी सैक्स का सुख देने से उन्हें वंचित कर दे, तो यह भी पति के गुस्से का कारण बनता है.

कुछ इसी प्रकार की कहानी है लखनऊ से जुड़े एक गांव अटरिया में रहने वाले लल्लन की. वह शरमाते हुए बताता है, “अब …का बताएं, रोजी कमाने को घरबार, बीवी सबै छोड़ा है. साल में दुई बार घर जाय पात हैं, और उस में भी मेहरिया, माहवारी आवन की बात बता, संबंध बनावे को मना कर देत है, कसम से आग लग जावत है हमार तनबदन में.”

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इस प्रकार की समस्या सिर्फ लल्लन की ही नहीं है, बल्कि बाहर जा कर पैसा कमाने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन को इस समस्या से दोचार होना ही पड़ता है.

पैड्स पर होने वाला खर्चा भी कम नहीं

बाजार में मिलने वाले सैनेट्री पैड्स विभिन्न कंपनियों के होते हैं. आमतौर पर एक औसत कंपनी का 8 पैड्स का एक पैकेट 30 से 35 रुपए का आता है और एक महिला के एक महीने में इस तरह के 2 से 3 पैकेट खर्च हो जाते हैं. इस प्रकार एक महीने में 100 से 150 रुपए का खर्चा हो ही जाता है.

जो महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं, उन्हें तो इस खर्चे से कोई असर नहीं पड़ता, पर जो महिलाएं गांव में रहती हैं या जिन के पतियों के पास कोई रोजगार नहीं है, उन के लिए पैड्स को खरीदने पर आने वाला 100 से 150 रुपए का हर महीने का खर्चा भी एक सिरदर्द बन जाता है. और खुद के पास कोई रोजगार न होने की हालत में एक पति को पैसे के लिए अपने पिता पर निर्भर रहना पड़ता है और हर महीने पिता से पैसे मांगना एक बेरोजगार, शादीशुदा युवक के लिए काफी शर्म भरा अनुभव होता है.

पैड्स का निस्तारण एक बड़ी समस्या

सैनेट्री पैड्स प्रयोग करने के बाद इन को सुरक्षित ठिकाने लगाना भी एक टेढ़ी खीर होता है.

जिन घरों में लोग एक संयुक्त परिवारों में रहते हैं और रूढ़िवादिता से बंधे होने के कारण नई इन घरों की बहू और बेटियों को इन दिनों में अलगथलग रहना पड़ता है और असली परेशानी जब आती है, जब इन पैड्स को प्रयोग के बाद फेंकने की बारी आती है. ऐसे में ये महिलाएं रात होने का इंतजार करती हैं और दबे पैर छत पर जा कर कूड़े के ढेर में जा कर इन पैड्स का निस्तारण कर पाती हैं.

कालोनियों मे भी इन पैड्स का निस्तारण एक बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है. महिलाएं प्रयोग के बाद इन पैड्स को सड़क के किनारे लगे डस्टबिन में फेंक देती हैं, जिस में कुत्तेबिल्ली, गाय आदि जानवर इस में मुंह डाल कर, इन पैड्स को नोच डालते हैं और इधरउधर बिखेर भी देते हैं जो कि देखने में काफी अशोभनीय भी लगता है.
और कई बार आसपड़ोस के लोगों में झगड़े का सबब भी बनते हैं.

हमारे समाज में बहुत से अंधविश्वास भी फैले हुए हैं, उन में से कुछ इस प्रकार हैं:

अंधविश्वास के कारण

गौमाता को ना छूना

मासिक धर्म के समय महिलाओं को गाय तक को छूने की मनाही होती है, क्योंकि अगर रजस्वला स्त्री ने गाय माता को छू लिया तो गाय दूध देना बंद कर देगी, कितनी अजब, हास्यप्रद और अवैज्ञानिक बात है.

तुलसी के पौधे से दूर रहना

महिलाओं को तुलसी के पौधे से भी दूर रहना होता है. अगर मासिक धर्म के दौरान स्त्री की छाया भी तुलसी के पौधे पर पड़ गई, तो वह सूख जाएगा. इस का वैज्ञानिक कारण पूछने पर कोई बता नहीं पाता और सिर्फ यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह बात उन्हें उन के बड़े बुजुर्गों ने बताई है, इसलिए वे इस को मानते जा रहे हैं.

इन बातों के अलावा अचार न छूना, किसी को पानी तक न देना और घर के ही एक कोने में पडी रहना, जो पूरी तरह से किसी भी यातना से कम नहीं है.

इन दिनों में हिंदू स्त्रियों को मंदिर जाने की भी मनाही होती है. सबरीमाला के मंदिर में 10 साल से ले कर 50 साल की स्त्रियों के प्रवेश की जो मनाही है, वो शायद स्त्री के रजस्वला होने के कारण ही बनाई गई है और स्त्रियां घर में भी किसी प्रकार की पूजापाठ नहीं कर सकती हैं. और तो और महिलाएं इन दिनों ऊपर वाले के नाम का उच्चारण भी नहीं कर सकती हैं और अगर ऐसा कर दिया तो उन को एक बड़ा पाप लग सकता है.

हिंदू धर्म की तरह ही इसलाम धर्म में भी रजस्वला स्त्री को नापाक ही माना जाता है और उसे घर के किसी काम में भी शामिल नहीं किया जाता है.
ईसाई धर्म में स्त्रियों को किसी तरह की खास मनाही नहीं है. अगर स्त्रियां चाहें तो वे चर्च भी जा सकती हैं.

इस पूरी दुनिया में सिख धर्म ही ऐसा धर्म है, जो एक रजस्वला स्त्री को इन दिनों में और भी ज्यादा पवित्र मानता है.

सिख धर्म के अनुसार, जिस रक्त से जीवन पनपता है और जो स्त्री पूरे संसार को जन्म देती है, वो भला अपवित्र कैसे हो सकती है, बल्कि वो तो इन दिनों में और भी पवित्र हो जाती है.

इसी अवधारणा के चलते सिख महिलाओं पर कोई पाबंदी नहीं होती और वे गुरुद्वारे भी जा सकती हैं.

ये तो वे बातें हैं, जो सदियों से हम मानते चले आ रहे हैं, पर किसी भी बात को मानने से ज्यादा जरूरी है उस का वैज्ञानिक आधार जानना. आज बाजार में बहुत सी ऐसी पुस्तकें हैं, जिन को पढ़ कर आप अपनी जानकारी बढ़ा सकते हैं. साथ ही, आप अपनी बेटी को भी मासिक धर्म के बारे में सहीसही बताएं.

जैसे ही आप की बेटी 9 से 10 साल की हो जाए, तभी आप उस को मासिक धर्म के बारे में सबकुछ बताना शुरू करें, ताकि बेटी का बालमन उसे आसानी से समझ सके.

अधिकतर हम सभी खून देख कर घबरा जाते हैं. खून का मतलब चोट लगना होता है, हमारी यही मनोदशा रहती है और जब आप की बेटी पहली बार इस अनुभव से गुजरे, तो वह बिना घबराए ही इस प्रक्रिया से आसानी से गुजर सके, इस बात की जिम्मेदारी मां और बाप दोनों पर समान रूप से होती है.

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अगर मातापिता दोनों ही बाहर काम पर जाते हैं, तो बेटी के लिए एक आकस्मिक मासिक किट तैयार कर दें, जिस में एक पैंटी का जोड़ा और 2 से 3 पैड्स रख दें.

शुरुआत में मासिक धर्म काफी अनियमित हो सकता है, ऐसे में यह किट आप की बेटी को स्कूल में भी भयमुक्त रखेगी और यदि हो सके, तो बेटी को यह भी बताएं कि यह जीवन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया है और इस से उस को शर्म न महसूस कर के अपनेआप को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए, अपनी बिटिया को बताएं कि यह एक नैसर्गिक क्रिया है.

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर “हैप्पी टू ब्लीड” नामक कैंपेन काफी लोकप्रिय हुआ था. इस कैंपेन में एक लड़की को समय से पहले ही मासिक धर्म होने लगा था, जिस का उसे पता ही नहीं चला और पुरुष उसे अजीब नजरों से घूरते रहे. उस की अनभिज्ञता देख रास्ते में एक महिला ने उसे सैनेट्री पैड दिया, तब उस की समझ में आया कि उसे मर्द रास्ते में क्यों घूर रहे थे.

उस लड़की ने खून में भीगा हुआ अपना पाजामा सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था और लिखा था, “मेरी यह पोस्ट उन महिलाओं के लिए है, जिन्होंने मेरे स्त्रीत्व को छुपाने में मेरी मदद की. मेरे लिए ये कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि हर महीने दर्द के साथ होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है.”

जिस स्त्री को पीरियड नहीं आते, वह भी तनाव में रहती है और हर महिला को इसे सामान्य ढंग से ही लेना चाहिए, न कि इसे एक पाप और टैबू मान कर अंधविश्वास में जिंदगी बसर करनी चाहिए.

पांच साल बाद टीवी पर वापसी करेंगे रोनित रॉय, पढ़ें खबर

मनोरंजन की दुनिया में तहलका मचाने के लिए ‘‘शेमारू टीवी’’पहला सेंसेशनल अपराध सीरियल ‘जुर्म और जज्बात‘ लेकर आने जा रहा है. जिसके संचालक होंगें रोनित रॉय. वैसे सीरियल ‘जुम ओर जज्बात’’ में टेलीविजन इंडस्ट्री के उम्दा कलाकार नजर आएंगे, मगर जुर्म के पीछे छिपे जज्बातों का पर्दाफाश करते हुए पहली बार रोनित रॉय नजर आने वाले हैं.

‘जुर्म और जज्बात‘ पहला ऐसा अनोखा अपराध पर आधारित सीरियल है, जिसमें इस बात का चित्रण होगा कि किस तरह हर जुर्म के पीछे हदों को पार करते जज्बात होते है ओर किन जज्बातों की वजह से कैसे एक आम इंसान पलभर में मुजरिम बन जाता है. आए दिन समाज में हो रहे दिल दहला देनेवाले जुर्म के पीछे छिपे जज्बात की गुत्थियों को सुलझाता यह सीरियल हर इंसान को मानवीय जज्बातों के बारे में सोचने पर मजबूर करेगा.

इस अपराध सीरियल का निर्माण करने से पहले ‘शेमारू टीवी’ ने काफी शोधकार्य करवाया है. जिससे इस तथ्य को उजागर किया जा सके कि भावनाएं इंसान को किस तरह से नियंत्रित करती हैं, जो आगे चलकर एक भयंकर रूप ले लेती हैं.  इस सर्वे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें निकलकर सामने आईं कि इस सीरियल का नाम ही ‘‘जुर्म और जज्बात‘‘रख दिया गया.

सर्वे में भाग लेनेवाले 75 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि अपराध और आपराधिक व्यवहार अलग-अलग इंसानी जज्बातों से प्रेरित होते हैं. सर्वे में जो सबसे अहम बात निकलकर सामने आई है, वह यह कि आज के समय में जुर्म के दो सबसे बड़े मुख्य कारण हैं ‘लालच और अहंकार’. ‘जुर्म और जज्बात‘ एक ऐसा सीरियल है,  जिसे देखकर दर्शक खुद को इसकी कहानियों से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

सीरियल‘‘जुर्म और जज्बात’’ इस हिसाब से भी अनोखा है, कि इसे सिर्फ महानगरों नही देश के कई छोटे कस्बों में स्थानीय प्रतिभाशाली कलाकारों के संग फिल्माया जा रहा है.

इस सीरियल के लांच पर खुशी जाहिर करते हुए रोनित रॉय ने कहा,  ‘‘जुर्म और जज्बात शो मेरे लिए बेहद खास है,  क्योंकि इसके साथ ही मैं 5 साल के लंबे अंतराल के बाद टीवी पर वापसी कर रहा हूं.  साथ ही इस शो का अद्भुत कॉन्सेप्ट  मुझे बेहद पसंद आया,  जिसमें जुर्म के पीछे छिपे जज्बातों को उजागर किया जाएगा. और सबसे मजेदार बात तो यह है कि यह शो शेमारू टीवी पर आएगा, जो कि एक फ्री टु एयर चैनल है और जिसकी पहुंच गांव- कस्बों और शहरों तक फैली हुई है.  मुझे पूरा विश्वास है कि दर्शकों को मेरा यह नया शो उतना ही पसंद आएगा,  जितना मुझे इसे शूट करते हुए आया. ‘‘

सीरियल‘‘जुर्म और जज्बात’’ का प्रसारण ‘‘शेमारू टीवी ’’प्र सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे और पुनः प्रसारण दोपहर 12 बजे होगा.

Winter special: ब्रेकफास्ट में परोसें मसाला उत्तपम

अगर आप साउथ इंडियन फूड के शौकीन हैं तो उत्तपम आपने जरूर खाया होगा. पर क्या आपने कभी मसाला उत्तपम ट्राय किया है. मसाला उत्तपम बनाना बहुत आसान है और ये खाने में हेल्दी और टेस्टी दोनों है. आप इसे बनाकर ब्रेकफास्ट में सर्व कर सकते हैं.

बनाने का तरीका

चावल– 250 ग्राम,

आलू– 04 (मीडियम साइज के, कटे और छिले हुए),

प्याज़– 02 (कटे हुए),

शि‍मला मिर्च– 02 (मीडियम साइज़ की),

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टमाटर- 03 (कटे हुए),

हरी मिर्च- 04 (कटी हुई),

हरी धनिया– 01 बड़ा चम्मच,

नींबू – 02 (रस निकला हुआ),

तेल – 02 छोटे चम्मच,

ज़ीरा – 02 छोटे चम्मच,

सरसों के दाने – 02 छोटे चम्मच,

हल्दी पाउडर – 01 छोटा चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर– 1/2 छोटा चम्मच,

हींग पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच,

करी पत्ते – 03 नग,

नमक – स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

सबसे पहले चावल को अच्छी तरह से पानी से धो लें. अब एक पैन में तेल डाल कर गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें सरसों के दाने, हींग पाउडर, करी पत्ते और लाल मिर्च डाल कर भूनें.

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इसके बाद आलू, शि‍मला मिर्च, टमाटर, हल्दी और नमक मिला दें और जरा सा पानी डालकर मीडियम आंच पर पकाएं. जब टमाटर पक जाएं, इसमें चावल मिला दें और चावल के गलने तक पकाएं. चावल के पक जाने पर गैस बंद कर दें और गरमा गरम ब्रेकफास्ट में हेल्दी उत्तपम अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिलाएं.

जरूरी है बच्चों की रिस्पैक्ट का ध्यान रखना

बच्चे कच्ची मिट्टी समान होते हैं. उन्हें क्या रूप देना है यह आप पर निर्भर करता है. बड़ा हो कर बच्चा अच्छे व्यक्तित्व का स्वामी बने, उन्नति करे और आप का नाम रोशन करे यह चाह हर मांबाप को होती है. मगर ऐसा मुमकिन तभी होगा जब आप शुरू से बच्चे की अच्छी परवरिश पर ध्यान देंगे. अच्छी परवरिश के लिए दूसरी बातों के साथसाथ यह बात भी काफी अहम है जिसे अकसर मातापिता नजरअंदाज कर जाते हैं और वह है बच्चों को रिस्पैक्ट देना.

बच्चे को कभी उस के छोटे भाई या बहन के सामने न डांटें: यदि आप के बच्चे ने कोई काम आप के मनमुताबिक नहीं किया या उस ने कोई शरारत की, नंबर अच्छे नहीं आए या फिर उस के झूठ बोलने पर आप को गुस्सा आया हो, तो बात कितनी भी बड़ी हो पर बच्चे को कभी उस के छोटे भाईबहनों के सामने अपमानित न करें, क्योंकि छोटा भाई या बहन जो बड़े को आप से डांटमार खाता देख रहा है, समय आने पर वह भी बड़े की कद्र करना छोड़ देगा. छोटे भाई या बहन की नजर में बड़े का सम्मान घट जाएगा. वह बड़े भाई या बहन का मजाक उड़ाएगा जिस से बड़े के मन में कुंठा बैठती जाएगी. इसलिए यदि बड़े बच्चे को कुछ कहना है तो छोटे के सामने नहीं, बल्कि अकेले में कहें.

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दूसरों के आगे आपा न खोएं

मान लीजिए बच्चे ने आप की कोई चीज खो दी या कोई बड़ी गलती कर दी जिस के बारे में आप को किसी और से पता चलता है, तो खबर मिलते ही एकदम बच्चे पर चीखनेचिल्लाने लगें यह उचित नहीं. लोगों के बीच बच्चे को कभी अपमानित न करें. अकेले में उस से बात करें. एकदम आपा खोने के बजाय बच्चे को उस के द्वारा की गई गलती के बारे में बताएं और फिर उस का जवाब सुनें. हो सकता है परिस्थितिवश ऐसा हुआ हो. उसे अपने बचाव का मौका दें. उस का पक्ष सुनने के बाद फैसला लें कि बच्चे की गलती है या नहीं. यदि उस की गलती है भी तो उस से मारपीट करने के बजाय उसे तार्किक तरीके से समझाएं. उसे अपनी गलती का एहसास कराएं और वादा लें कि वह आगे ऐसा नहीं करेगा. प्यार से समझाई गई बात का असर बहुत गहरा पड़ता है, जबकि मारपीट कर समझाई गई बात बच्चे में क्षोभ और विद्रोह के भाव पैदा करती है या फिर वह डिप्रैस्ड रहने लगता है.

बच्चे की कमियां न गिनाएं

हर समय बच्चे को नाकारा, आलसी, बेवकूफ, जाहिल जैसे शब्दों से न नवाजें. आप उसे जितना ज्यादा झिड़केंगे या उस की कमियां गिनाते रहेंगे उस के उतना ही ज्यादा गलत रास्ते पर जाने की संभावना बढ़ती जाएगी. कई घरों में मांबाप हर समय बच्चे को कोसते रहते हैं. बाहर वालों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के आगे भी उस की कमियों का बखान करते रहते हैं. इस से बच्चे के अंदर नकारात्मक सोच विकसित होती है. इस के विपरीत यदि मांबाप बच्चे की छोटीबड़ी उपलब्धियों का जश्न मनाएं, दूसरों के आगे उस की तारीफ करें, उस के अंदर की खूबियों को बढ़ाचढ़ा कर बताएं तो बच्चे के अंदर सकारात्मकता बढ़ती है. उस के अंदर और अच्छा काम कर अधिक तारीफ पाने की लालसा जगती है, उस के मन में क्षोभ, ग्लानि या प्रतिस्पर्धा के बजाय उत्साह, लगन और स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना प्रबल होती है.

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बच्चे की इच्छा को मान दें

हर बच्चा दूसरे से अलग होता है. हर बच्चे में अलगअलग खूबियां होती हैं, अलगअलग हुनर होते हैं. बच्चे में जो हुनर है, उसे जो करना पसंद है, उस की भविष्य में जो बनने की इच्छा है उसे तरजीह दें. उसे वही बनने दें जो वह बनना चाहता है. कई घरों में बच्चे की इच्छा यह कह कर दबा दी जाती है कि वह छोटा है. उसे भलेबुरे का ज्ञान नहीं. पर ऐसी प्रवृत्ति सही नहीं. बच्चे की जिंदगी पर अपना अधिकार न जमाएं. उसे पूरे सम्मान के साथ अपनी जिंदगी और जिंदगी से जुड़े फैसले लेने दें ताकि उम्र बढ़ने के बाद उस के अंदर घुटन, छटपटाहट, फ्रस्ट्रेशन और गुस्से की ज्वाला नहीं, बल्कि संतुष्टि, खुशी, अपनत्व और प्रेम की धारा बहे. वह आप को भी प्रेम दे और दूसरों को भी.

बच्चे का नाम न बिगाड़ें

अकसर माता-पिता या रिश्तेदार बच्चे के नाम को बिगाड़ कर पुकारते हैं जैसे चंद्र को चंदर, देव को देवू, मीनल को मिनुआ आदि. उन की किसी बाहरी कमी के आधार पर भी उस नाम से पुकारने लगते हैं जैसे- बच्चा काला है तो कालू, मोटा है तो मोटू, छोटा है तो छोटू वगैरह. अत: भूल कर भी कभी बच्चे को ऐसे नामों से न पुकारें उलटा यदि कोई परिचित या रिश्तेदार ऐसा करता है तो उसे तुरंत ऐसा करने को मना कर दें. बिगड़े नाम के साथ बच्चे का व्यक्तित्व भी बिगड़ सकता है. हमेशा बच्चे को उसी नाम से पुकारें जैसा आप उसे देखना चाहते हैं जैसे हर्ष, आशा, निहाल, प्रथम जैसे अच्छे अर्थ वाले नाम बच्चे के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.

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बच्चे को आप कह कर पुकारें

अकसर हम देखते हैं कि कुछ संभ्रांत परिवार के लोग अपने बच्चे को शुरू से ही आप कह कर पुकारते हैं जैसे आप ने क्या खाया, आप कहां गए, क्या सीखा आप ने वगैरह-वगैरह. इस से बच्चे के अंदर शिष्ट और सभ्य व्यवहार की नींव पड़ती है. आप बच्चे से तूतड़ाक कह कर बात करेंगे तो कल को वह दूसरों से और हो सकता है कि आप से भी इसी लहजे में बात करने लगे. इस से खुद आप को दूसरों के आगे लज्जित होना पड़ सकता है.

जानें क्या है रुमेटाइड आर्थराइट्स

रुमेटाइड एक ऑटोइम्यून डिसॉर्डर है. जिस में प्रतीक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम शरीर के सेल्स पर हमला करती है. रुमेटाइड आर्थराइट्स जोड़ों की परतों को नुकसान पहुंचाता है, जिस कारण जोड़ों में दर्द, सूजन जैसी समस्या होने लगती है. शुरुआत में तो यह जोड़ों को प्रभावित करता है लेकिन बाद में यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. गंभीर रुमेटाइड आर्थराइट्स के कारण शारीरिक विकलांगता जैसी समस्या भी हो सकती हैं.

1. अनदेखा न करें ये बीमारियां

हम सब भी कभी न कभी जोड़ों के दर्द जैसे समस्या से पीड़ित होते है. इसका मतलब यह नहीं है की हमें रुमेटाइड है. लेकिन कई बार जोड़ों का दर्द काफी लंबे समय तक रहता है. जो समय के साथ बढ़ता चला जाता है जिसमें आराम करने से भी कोई बदलाव नहीं होता. यदि आप जोड़ों के दर्द के साथ शरीर में सूजन व कठोरपन देख रही हैं तो, ऐसे में जरूरी है की किसी अच्छे डाक्टर से सलाह ली जाए.

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2. कारणों का लगाएं पता

रुमेटाइड होने का सही कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन मोटापा, धूम्रपान, ज्यादा तनाव से रुमेटाइड बढ़ सकता है. आज के समय में हर बीमारी का इलाज है. मेडिकल लाइन में निरंतर प्रगति हो रही है. अच्छी संख्याओं में दवाइयां उपलब्ध है, जो रुमेटाइड के लक्षण को कम करने के साथ शरीर में इसके बढ़ोतरी को रोक सकती है. दवाइयों के साथ रुमेटाइड रोगी को अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करना जरूरी है.

 3. योगा है जरूरी

जोड़ों में गति बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी है. यदि रुमेटाइड के वजह से मांश पेशियां कमजोर होने लगी हैं, तो योगा और मेडिटेशन जरूरी है. योगा आपके शरीर के वजन को बढ़ने से रोकता है साथ ही आपकी मांशपेशियों को मजबूत करता है. जिससे जोड़ों का दर्द में आराम मिलता है. योगा और मेडिटेशन से दिल की बीमारी और डाइबिटीज होने की संभावना भी कम हो जाती है.

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4. टेंशन लेना हो सकता है खतरनाक

रुमेटाइड में ज्यादा टैंशन लेना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. योगा और मेडिटेशन की मदद से शरीर में बहुत जल्दी बदलाव देखने को मिलता है. यह आपको शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ बनाता है. मेडिटेशन यानी ध्यान, सांस लेना और विश्राम यानी आराम से शरीर की कोमलता और सूजन में आप बड़ा अंतर पा सकती हैं. यदि कोई शारीरिक रूप से बीमार है या कोई तनाव से जूझ रहा है. इस स्तिथी से बचने का एक मात्र उपाय है योगा. योगा आंतरिक लाभ पहुंचाता है. यदि आपको रुमेटाइड हैं तो, शुरुआत में कुछ आसान योगासन करें और बाद में धीरे धीरे इसे बढ़ाएं. समय समय पर डाक्टर की सलाह लेना न भूलें.

7 टिप्स: कम बजट में ऐसे सजाएं घर

अगर घर साफ-सुथरा और सुव्यस्थित रहता है तो न सिर्फ हमारा दिमाग शांत रहता है, बल्कि मन भी प्रसन्न रहता है. घर सजाने के लिए 2 चीजों की जरूरत पड़ती है. पहला समय और दूसरा पैसा. समय तो हम निकाल लेते हैं, लेकिन जो सब से बड़ी दिक्कत आती है वह है पैसे की. वैसे भी आजकल जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गई हैं कि घर की सजावट पर ज्यादा पैसा खर्च करने की हिम्मत ही नहीं होती. ऐसे में यहां कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जिन पर गौर कर बिना ज्यादा पैसा खर्च किए आप भी अपने घर को नया और फ्रैश लुक दे सकती हैं:

1. पुराना फर्नीचर यों करें इस्तेमाल

अगर आप पुराने फर्नीचर को बदलने की सोच रही हैं तो इस का इस्तेमाल बैडरूम में साइड टेबल के रूप में कर सकती हैं. अगर केन स्टूल में छेद हो गया है तो उसे ट्रे से ढक कर उस पर रीडिंग लैंप, फ्लौवर वास या अलार्म क्लौक रखी जा सकती है.

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2. डैकोरेशन के लिए प्लेट्स का यूज

खाने के अलावा प्लेट्स का इस्तेमाल हम आमतौर पर घर की दीवारों को डैकोरेट करने के लिए भी कर सकती हैं. इस के लिए बस थोड़ी सी मेहनत करने की जरूरत होती है. प्लेट्स को स्टैंड या सैल्फ में रखने के बजाय उन्हें वायर प्लेट हैंगर्स की सहायता से टांग दें. अब देखिए, इस ड्रामैटिक लुक ने आप की प्लेन और बोरिंग दीवार को कितना बदल दिया. इस के अलावा आप अलगअलग आकार के कांच के गिलासों को भी डैकोरेशन आइटम की तरह यूज कर सकती हैं.

3. प्रकृति से बेहतर कुछ नहीं

नैचुरल चीजें सब को भाती हैं. अगर इन का इस्तेमाल घर को सजाने के लिए किया जाए तो क्या कहने. कम खर्च में घर को अट्रैक्टिव लुक देने का इस से अच्छा तरीका शायद नहीं हो सकता. आप तरहतरह के प्लांट को घर में सजा सकती हैं. ये पौधे हैल्थ के लिए भी लाभदायक होते हैं. इस के अलावा घर के किसी शांत कोने में बीच से लाए गए कंकड़पत्थर को कांच के बाउल या गिलास में भर कर रख सकती हैं. शंख को आप कैंडल स्टैंड के रूप में भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. यह रोशनी है खास

मोमबत्ती का नाम सुनते ही मन में रोशनी का खयाल आता है, लेकिन आप को बता दें कि घर को डैकोरेट करने के लिए भी यह एक अच्छा औप्शन है. किसी खाली टेबल पर कई रंगों और आकार की मोमबत्तियां रखें, फिर देखें कैसे आप के घर का लुक बदलता है.

5. दीवारों में लाएं नई जान

अपने घर को औरों की तुलना में अलग बनाना चाहती हैं तो दीवारों के टैक्स्चर पर ध्यान दें. इस का मतलब यह नहीं कि सारी दीवारों पर डिजाइनें होनी चाहिए. किसी एक दीवार पर की गईर् हलकी सी डिजाइन भी घर को खास लुक देती है.

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6. प्रौपर लाइट से बनेगी बात

न ज्यादा न कम, जरूरत के हिसाब से घर में रोशनी का होना बहुत जरूरी है. जहां आराम करते हैं वहां की रोशनी आंखों को सुकून देने वाली होनी चाहिए. जिस कमरे में आप या आप का परिवार पढ़नेलिखने का काम करता हो वहां की लाइट थोड़ी तेज होनी चाहिए ताकि आंखों पर जोर न पड़े.

7. घर सजाते समय यह भी रखें ध्यान

– डिजाइन करने से पहले फ्लोर प्लान बनाना बहुत जरूरी होता है. मान लीजिए, आप ने कोई चीज बहुत मेहनत से बनाई पर वह फिट नहीं हो पाई. इसलिए कमरों का डाइमैंशन, दरवाजों, खिड़कियों की माप जरूर लें.

– चलन के हिसाब से पूरे घर को एक थीम पर सजाया जा सकता है या फिर हर रूम का अलगअलग थीम रखा जा सकता है, आप इस पर फोकस करने के बजाय अपने प्रयोग कीजिए. अगर किचन मौडर्न है तो बैडरूम ट्रैडिशनल थीम पर भी डैकोरेट कर सकती हैं.

– डैकोरेशन के लिए कौंबिनेशन पर ध्यान देना जरूरी है. इसलिए एक ही दिन हर चीज का सैट न खरीदें. कौन सी चीज किस के साथ अच्छी लगेगी इस पर ध्यान दें.

– सजावट करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि सूर्य की रोशनी घर में आती रहे. सनलाइट से घर की खूबसूरती और बढ़ जाती है. घर में ऐसे परदे लगाएं जिन से जरूरत पड़ने पर रोशनी भीतर आ सके.

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‘मन की आवाज प्रतिज्ञा‘ के सीजन 2 की होगी वापसी, पढ़ें खबर

पिछले साल कोरोना महामारी के चलते कठिन परिस्थितियों के बीच पूरी दुनिया को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा.इस दौरान लोगों के मनोरंजन के लिए कई चैनलों ने टीवी पर पुराने व अति लोकप्रिय सीरियलों का प्रसारण कर दर्शकों और फैन्स की पुरानी यादों को दोबारा ताजा कर दिया.ऐसा ही सीरियल ‘मन की आवाज प्रतिज्ञा‘के साथ भी हुआ,जिसके चलते इसके दूसरे सीजन के आने का रास्ता साफ हो गया. जी हां,अब मनोरंजक सेटेलाइट चैनल ‘‘स्टार भारत’’ने दर्शकों के पसंदीदा सीरियल ‘‘मन की आवाज प्रतिज्ञा‘’के सीजन दो को पेश करने का फैसला लिया है, जिसमें काफी कुछ नयापन होगा.

 

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यूं भी ‘‘स्टार भारत’’ अपने दर्शकों के लिए हमेशा से असाधारण कार्यक्रम लेकर आता रहा है,जिसे वह दिलचस्प कहानियों के साथ दर्शकों के समक्ष पेश करता है.अपनी इसी सोच के साथ अब चैनल ‘मन की आाज प्रतिज्ञा’के सीजन 2 के साथ अपने दर्शकों के मनोरंजन के लिए पूरी तैयार है.इसका प्रसारण  मार्च माह में होने वाला है.डायरेक्टर्स कट प्रोडक्शन राजन शाही और पर्ल ग्रे द्वारा निर्मित,लोकप्रिय सीरियल की लगभग एक दशक के बाद टीवी पर वापसी होने वाली है.इसमें प्रतिभाशाली अभिनेत्री पूजा गौर अपनी पुरानी भूमिका में नजर आएंगी.जबकि अरहान बहल और अनुपम श्याम ओझा की भी अहम भूमिकाएं होंगी.

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‘‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’’ के दूसरे सीजन की वापसी पर खुश पूजा गौर बताती हैं, “मेरे लिए तो यह घर वापसी है. साल 2009 से ‘मन की आवाज प्रतिज्ञा‘एक घरेलू नाम बन गया है. स्टार भारत पर इसके दूसरे सीजन की वापसी को लेकर मैं बहुत खुश हूँ.दर्शकों का प्यार हमें टीवी पर वापस ले आया है और मैं खुद को अभिभूत महसूस करती हूं.अब सीजन 2 के साथ उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए तत्पर हूं.मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मैं इस सीजन के लिए इतने प्रसिद्ध और सम्मानित प्रोडक्शन हाउस डायरेक्टर्स कट प्रोडक्शन (डीकेपी), राजन शाही सर और पर्ल ग्रे मैम के साथ काम कर रही हूं. यह सीरियल हमारे लिए बहुत खास है और इस सीजन को लॉंच करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था.मुझे उम्मीद है कि यह सीरियल पहले सीजन की ही तरह इस बार भी अच्छा करेगा और आने वाले दिनों में दर्शकों को रोमांचित करेगा और उन्हें टीवी स्क्रीन से बांधे रखेगा.”

कपिल शर्मा ने किया मीडिया फोटोग्राफर्स के साथ गलत बर्ताव, VIDEO VIRAL

कौमेडी किंग कपिल शर्मा अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में जहां वह अपनी बेटी अनायरा संग मस्ती करते हुए फोटोज के चलते खबरों में थें तो वहीं अब एक वीडियो के चलते ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

वीडियो हुआ वायरल

हाल ही में एयरपोर्ट पर वीलचेयर में कपिल शर्मा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह मौजूद फोटोग्राफर्स से हटने के लिए कहते नजर आ रहे हैं. साथ ही कुछ भद्दे शब्द बोलते हुए भी दिख रहे हैं. खबरों के अनुसार वीडियो में कपिल कहते दिख रहे है- ओए हटो पीछे सारे तुमलोग. दरअसल, इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा भी गया है- चलो जी, हम उल्लू के पट्ठे लेकिन हम फिर भी आपके जल्दी रिकवर होने की प्रार्थना करते हैं.

 

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ट्रोल हो रहे कपिल शर्मा

 

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कपिल शर्मा के इस वीडियो के वायरल होने के बाद ट्रोलर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरु कर दिया है. ट्रोलर्स का कहना है कि – पैसा आने के बाद बंदे का ऐटिट्यूड. कपिल शर्मा के इस रुखे व्यवहार को देखकर लोगों ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है, ‘कितना ऐटिट्यूड है, पेंडमिक के बाद जहां खाना और काम की वजह से लोगों की जानें गईं, काफी बुरा बर्ताव. फोटोग्राफर अपना काम कर रहा…आपलोगों ने ही इन्हें सिलेब्रिटी बनाया है.’

 

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बता दें, कपिल शर्मा जहां अपनी हाजिरजवाबी के लिए खबरों में रहते हैं तो वहीं अपने बर्ताव के कारण ट्रोल भी होते रहते हैं. वहीं कई बार इसका खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ा है. अब देखना ये है कि इस व्यवहार को लेकर कपिल शर्मा क्या सफाई देते हैं.

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चुनावी साल में युवा, महिला और विकास पर केंद्रित है उत्तर प्रदेश का ‘योगी बजट’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विधान सभा में प्रस्तुत वर्ष 2021-22 का बजट एक लोक कल्याणकारी, विकासोन्मुख व सर्व समावेशी बजट है. यह बजट ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की उत्कृष्ट लोकतांत्रिक भावना से परिपूर्ण है. यह बजट वैश्विक महामारी कोरोना के मध्य देश के सबसे बड़े राज्य को नयी आशा, नयी ऊर्जा देने के साथ ही, प्रदेश की नयी सम्भावनाओं को उड़ान देने का माध्यम बनेगा. इस बजट में हर घर को नल, बिजली, हर गांव में सड़क की व्यवस्था और उसे डिजिटल बनाने तथा हर खेत को पानी एवं हर हाथ को काम देने का संकल्प निहित है.

उन्होंने कहा कि प्रस्तुत बजट गांव, गरीब, किसान, नौजवान, महिलाओं तथा समाज के प्रत्येक तबके का प्रतिनिधित्व करने वाला बजट है. यह बजट आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की भावना के अनुरूप है. रोजगार की व्यवस्था, सभी वर्गाें के उत्थान का इरादा, वंचितों, शोषितों एवं युवाओं के सुन्दर भविष्य की रूपरेखा और प्रदेश के नवनिर्माण की संरचना इस बजट में निहित है.

मुख्यमंत्री जी आज विधान सभा में राज्य सरकार के वर्ष 2021-22 का बजट प्रस्तुत किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश को पेपरलेस बजट प्रस्तुत करने वाला देश का पहला राज्य होने पर उन्होंने वित्त मंत्री व उनकी टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आज ही प्रदेश में पहली बार ई-कैबिनेट बैठक सम्पन्न हुई. बजट से पूर्व हुई कैबिनेट की बैठक पहली ई-कैबिनेट थी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट का आकार 05 लाख 50 हजार 270 करोड़ 78 लाख रुपये का है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में भी वित्तीय अनुशासन बनाये रखते हुए आधारभूत संरचना के विकास के साथ ही लोक कल्याण के लिए कदम उठाये. विगत वर्ष कोविड-19 से आमजन जीवन के साथ ही अर्थव्यवस्था भी व्यापक रूप से प्रभावित हुई. लक्ष्य के अनुरूप राजस्व की प्राप्तियां सम्भव नहीं हुईं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने भारत सरकार द्वारा निर्धारित एफआरबीएम की सीमा का पालन किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान सरकार का वर्ष 2017-18 में पहला बजट किसानों को समर्पित था. वर्ष 2018-19 का दूसरा बजट औद्योगिक विकास तथा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए था. वर्ष 2019-20 का बजट महिलाओं के सशक्तिकरण के माध्यम से समाज में उनके प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन के लिए था. वर्ष 2020-21 का बजट युवाओं तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समर्पित था. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट का केन्द्र बिन्दु प्रदेश के समग्र एवं समावेशी विकास द्वारा प्रदेश के विभिन्न वर्गाें का ‘स्वावलम्बन से सशक्तीकरण’ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तुत बजट के माध्यम से प्रदेश में ईज ऑफ लिविंग के लिए हर घर को पानी, बिजली, हर गांव को सड़क तथा डिजिटल बनाने के साथ ही राज्य के समग्र विकास की रूपरेखा प्रारम्भ की गयी है. कृषि क्षेत्र में मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को विस्तार दिया गया है. इस योजना के तहत अब किसान के साथ-साथ उसके परिवार का कमाऊ सदस्य, बटाईदार आदि को भी सम्मिलित किया गया है. दुर्घटना से मृत्यु की स्थिति में 05 लाख रुपये बीमा की व्यवस्था की गयी है. साथ ही, आयुष्मान भारत योजना से कवर न होने वाले किसान परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 05 लाख रुपये के निःशुल्क चिकित्सा बीमा कवर की व्यवस्था की गयी है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रस्तुत बजट में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नयी योजनाएं प्रारम्भ की गयी हैं. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना को नया आयाम दिया गया है. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का आच्छादन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. प्रस्तुत बजट में एक नयी योजना मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना प्रस्तावित है. इसके अन्तर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत 06 माह से 05 वर्ष के चिन्हित कुपोषित बच्चों तथा एनीमिया ग्रस्त 14 वर्ष तक की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाओं को अतिरिक्त पोषण प्रदान किया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला दुग्ध उत्पादकों के स्वयं सहायता समूहों की आजीविका बढ़ाने के लिए महिला सामर्थ्य योजना भी प्रस्तावित की गयी है. इसके लिए 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग के लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना प्रारम्भ की गयी है. योजना के अन्तर्गत फिजिकली और वर्चुअली निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था है. इस योजना के अन्तर्गत 18 मण्डल मुख्यालयों पर 10 लाख से अधिक युवा जुड़ चुके हैं. प्रदेश में यह योजना तेजी से लोकप्रिय हो रही है. अन्य राज्यों में भी प्रतियोगी परीक्षार्थियों द्वारा इसकी डिमाण्ड की जा रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अन्तर्गत पात्र श्रेणी के परीक्षार्थियों को टैबलेट उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव बजट में किया गया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में कुल 18 मण्डल हैं. जिन मण्डलों में सैनिक स्कूल नहीं हैं, उन मण्डलों में सैनिक स्कूल की स्थापना की जाएगी. संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को गुरुकुल पद्धति के अनुरूप निःशुल्क छात्रावास एवं भोजन की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. युवाओं को खेल-कूद के बेहतर अवसर सुलभ कराने के लिए ग्रामीण स्टेडियम एवं ओपेन जिम के निर्माण हेतु धनराशि की व्यवस्था प्रस्तुत बजट में प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन मण्डलों में राज्य विश्वविद्यालय नहीं हैं, वहां राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी. प्रदेश के 59 जनपदों में राजकीय अथवा निजी मेडिकल कॉलेज स्थापित हैं. मेडिकल कॉलेजों से असेवित 16 जनपदों में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी. इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं अत्यन्त सुदृढ़ हो जाएंगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए निःशुल्क राशन, भरण पोषण भत्ता उपलब्ध कराया गया. श्रमिकों के आवागमन के लिए भी सुविधा सुलभ करायी गयी. श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा सुलभ कराने के लिए अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करायी जा रही है. प्रदेश में असंगठित क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं. इनमें खेतों में काम करने वाले श्रमिकों सहित पल्लेदार, कुली आदि बड़ी संख्या में श्रमिक सम्मिलित हैं. असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री दुर्घटना बीमा योजना तथा चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने के लिए मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना प्रारम्भ करने के लिए धनराशि का प्रस्ताव किया गया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोवंश संरक्षण एवं निराश्रित पशुओं की देखभाल के लिए संचालित गो आश्रय स्थलों में 05 लाख 58 हजार गोवंश संरक्षित हैं. मुख्यमंत्री निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अन्तर्गत 74,000 से अधिक गोवंश इच्छुक गोपालकों की सुपुर्दगी में दिये गये हैं. प्रस्तुत बजट में सभी न्याय पंचायतों मंे गो आश्रय स्थलों की स्थापना तथा इन्हें स्थानीय एवं स्वैच्छिक संगठनांे की सहभागिता से संचालित करने का प्रस्ताव किया गया है. वाराणसी के गोकुल ग्राम की तर्ज पर शहरों में भी गो संरक्षण की व्यवस्था की जाएगी. व्यापारियों के कल्याण के लिए संचालित मुख्यमंत्री व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत प्रति लाभार्थी को देय धनराशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन तथा टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ किया जाएगा. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी, पुणे की तर्ज पर लखनऊ में एक संस्थान बनाया जाएगा, जिससे भविष्य में कोरोना जैसे वायरस पर नियंत्रण के लिए प्रभावी प्रयास किये जा सकें. उन्होंने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्मृति में स्थापित किये जा रहे अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ हेतु बजट में धनराशि का प्रस्ताव है. प्रधानमंत्री स्वस्थ भारत योजना के अन्तर्गत एसजीपीजीआई, लखनऊ में लेवल-3 के बायो सेफ्टी लैब की स्थापना की जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल जीवन मिशन, हर घर नल पहुंचाने की योजना है. उन्होंने कहा कि शुद्ध पेयजल की उपलब्धता से बीमारियों की आशंका आधी हो जाती है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण में स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत निर्मित शौचालयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. बुन्देलखण्ड, विन्ध्य क्षेत्र तथा आर्सेनिक, फ्लोराइड की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तुत बजट में 17,000 करोड़ रुपये की धनराशि प्राविधानित की गयी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों का दायरा बढ़ा है. प्रदेश के 10 नगर स्मार्ट सिटी मिशन तथा 60 शहर अमृत योजना से आच्छादित हैं. शहरी क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन में व्यापक सुधार के लिए बजट में धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग’ में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. पिछले 03 वर्षाें में इस रैंकिंग में प्रदेश पूरे देश में द्वितीय स्थान पर आ गया है. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान इसके प्रबन्धन के साथ ही औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी कार्य हुआ. प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश आया. जनपद गौतमबुद्धनगर में डिस्प्ले यूनिट की स्थापना हो रही है. यह संयंत्र चीन से प्रदेश में आया है. डाटा सेण्टर पार्क की स्थापना से बड़ी मात्रा में निवेश हो रहा है. फर्नीचर व हाउस होल्ड में दुनिया की प्रख्यात कम्पनी आइकिया द्वारा प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है. कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति को निरन्तर बनाये रखने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. फॉरेन्सिक साइंस में आवश्यक विशेषज्ञता व प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस और फॉरेन्सिक साइंस इंस्टीट्यूट की स्थापना की गयी है. सभी 18 रेन्ज में फॉरेन्सिक लैब स्थापित करने जा रहे हैं. हर जनपद में साइबर थाना बनाने का कार्य तेजी से आगे बढ़ाया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम का क्षेत्र रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर सृजित करने का महत्वपूर्ण माध्यम है. बन्द पड़ी कताई मिलों की परिसम्पत्तियों को पुनर्जीवित कर पी0पी0पी0 मोड पर औद्योगिक पार्क/आस्थान/क्लस्टर स्थापित करने के लिए धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है. ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के अन्तर्गत धनराशि की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है. प्रदेश के शिक्षित युवा बेरोजगारों को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से लाभान्वित करने के लिए भी बजट में धनराशि की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए 1,000 दिनों तक लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अवस्थापना विकास के लिए निरन्तर कार्य किया गया. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का 88 प्रतिशत, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का 50 प्रतिशत तथा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का लगभग 25 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है. बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को सैद्धान्तिक मंजूरी प्राप्त हो गयी है. गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि प्राप्त करने हेतु बजट में धनराशि की व्यवस्था प्रस्तावित है. उन्होंने कहा कि हर गांव को सड़क से जोड़ने तथा गांवों के डिजिटलीकरण के लिए धनराशि की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में एयर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में किसी भी अन्य राज्य से अधिक कार्य किया गया है. जनपद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा, अयोध्या के निर्माण के लिए बजट व्यवस्था प्रस्तावित है. जेवर में निर्माणाधीन एयरपोर्ट में हवाई पट्टियों की संख्या 02 से बढ़ाकर 06 करने के लिए धनराशि प्रस्तावित है. यह एयरपोर्ट एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप में विकसित होगा. कुशीनगर एयरपोर्ट को केन्द्र सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट घोषित किया गया है. प्रदेश में पुलिस के लिए अवस्थापना कार्याें हेतु बजट की व्यवस्था प्रस्तावित है. प्रत्येक जनपद में पुलिस के लिए बनाये गये आवासों का नामकरण महान क्रान्तिकारी एवं शहीद ठाकुर रोशन सिंह के नाम पर किये जाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि क्रान्तिकारियों व शहीदों के स्मारक स्थलों के जीर्णाेद्धार एवं सौन्दर्यीकरण के लिए बजट व्यवस्था प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में असीम सम्भावनाएं हैं. प्रयागराज कुम्भ-2019 में स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था के कारण 24 करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक इसमें सम्मिलित हुए. उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काशी, नैमिष, विन्ध्यवासिनी धाम, चित्रकूट आदि का पर्यटन विकास कराये जाने की योजना है. अयोध्या को दुनिया के नये टूरिस्ट सेण्टर के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के माध्यम से ईको व हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा. बजट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति के लिए भी व्यवस्था है. जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के लिए बजट धनराशि प्रस्तावित है.

इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना, वित्त राज्यमंत्री श्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव वित्त श्रीमती एस.राधा चौहान, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

अनुपमा से बदला लेगी काव्या तो बेटी पाखी करेगी ये काम

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ काव्या, वनराज से बदला लेने के लिए प्लान बना रही है तो वहीं अनुपमा अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करते हुए काव्या को शाह परिवार की बहू का दर्जा देने के लिए तैयार हो गई है. इसी बीच शो में नया ड्रामा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा ने दिया काव्या को बहू का हक  

अब तक आपने देखा कि काव्या, वनराज को जन्मदिन मनाने के लिए शाह निवास में आती है. जहां बा अनुपमा पर गुस्सा होती है कि वह काव्या को क्यों घर में आने दे रही है. लेकिन अनुपमा जवाब देते हुए कहती है कि इसबार तो वो उनकी खुशी है, मगर अगली बार काव्या उनकी पत्नी औऱ बहू होगी, जिसके बाद आपको उसे अपनाना ही होगा. साथ ही अनुपमा घरवालों को समझाते हुए कहती है कि पूजा में काव्या और वनराज के साथ बैठने के लिए कहती है.

 

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काव्या ने बनाया ये प्लान

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां काव्या शाह निवास में रहने का प्लान बना चुकी है तो वहीं किंजल की मां राखी जानने के लिए बेताब है कि काव्या में इतना बदलाव कैसे आ गया है. इसी के चलते वह काव्या से सवाल से पूछेगी कि वह ये सब ड्रामा क्यों कर रही है. दूसरी तरफ काव्या कहेगी कि यह सब वह अनुपमा से बदला लेने के लिए कर रही है. दरअसल, काव्या कहेगी कि घर के बाहर वह कुछ नही कर सकती. इसीलिए वह घर में आकर सबसे पहले बा और बापूजी को घर से बाहर निकालेगी और फिर अनुपमा के बच्चों को हॉस्टल या घर से बाहर कर देगी, जिससे वह अनुपमा और वनराज को अलग करके उससे बदला लेगी.

 

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पाखी को आएगा गुस्सा

 

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काव्या के इरादों से बेखबर पूरा परिवार वनराज के जन्मदिन सेलिब्रेट करते हुए नजर आएंगे. वहीं इसी बीच पाखी और काव्या के बीच बहस हो जाएगी, जिसके चलते पाखी, काव्या की बातों से नाराज होकर उसके मुंह पर कोल्डड्रिंक फेंक देगी. अब देखना ये है कि क्या काव्या अपने प्लान में कामयाब होगी.

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