बड़े यूजफुल हैं ये 5 मोबाइल Apps

आज मोबाइल फोन हम सभी की लाइफ का ऐसा हिस्सा बन चुका है कि इस के बगैर लोग खुद को अधूरा महसूस करने लगे हैं. चाहे घर के अंदर हो या फिर बाहर, मोबाइल फोन पास में होना बेहद जरूरी है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल पहले की तरह सिर्फ लोगों से संपर्क करने के लिए ही नहीं है, बल्कि इस की यूटिलिटी कहीं ज्यादा हो चुकी है.

इस बढ़ती यूटिलिटी का क्रैडिट सब से अधिक फोन में ऐप्स के इस्तेमाल कर पाने की क्षमता को दिया जा सकता है. जिन के सहयोग से लोग अपनी बिजी लाइफ को आसान बनाने के लिए करते हैं. इसीलिए यदि आप भी अपनी बिजी लाइफ को थोड़ा आसान बनाना चाहते हैं तो इन ऐप्स के इस्तेमाल से ऐसा कर सकते हैं.

1. एवरनोट-नोट्स और्गनाइजर :

यदि आप अपने किसी भी काम को और्गनाइज नहीं कर पाते या फिर अपने सैट टाइम के अनुसार उसे पूरा नहीं कर पाते, तो एवरनोट का यह ऐप आप के बेहद काम आ सकता है. एवरनोट का इस्तेमाल आप नोट्स बनाने के लिए कर सकते हैं, जो किसी भी फौरमैट, जैसे टैक्स्ट, ड्राइंग, फोटोग्राफ, औडियो या फिर वैब कंटैंट में हो सकता है. इस के जरिए आप अपने आइडियाज को लिख सकते हैं और कलैक्ट व कैप्चर कर सकते हैं. अपने नोट्स पर अलार्म सैट कर इसे आप टू-डू लिस्ट या टास्क मैनेजर की तरह भी यूज कर सकते हैं जोकि इस का सब से बेहतरीन औप्शन है. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप साइज- 28 एमबी (एंड्रौयड डिवाइस पर).

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2. डुओलिंगो :

यदि आप कोई नई भाषा सीखना चाहते हैं तो डुओलिंगो का ऐप आप के बेहद काम आएगा. डुओलिंगो 35 अलगअलग भाषाओं को सीखने में आप की मदद करता है. इस की सहायता से इस ऐप को यूज करने वाला बोलने, पढ़ने, सुनने, लिखने, व्याकरण और शब्दावली इत्यादि चीजों को सीख सकता है. डुओलिंगो की सर्विस यूजर को फ्री व पेड दोनों ही तरह से नई भाषा सीखने का अवसर देती है. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप साइज- 14 एमबी (एंड्रौयड डिवाइस पर).

3. क्वालिटी टाइम :

कई बार फोन चलातेचलाते पता ही नहीं चलता कि आप ने कितना वक्त फोन पर वेस्ट कर दिया. क्वालिटी टाइम ऐप आप को, फोन पर कितना समय आप बिताते हैं, इस पर निगरानी रखने और वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करने में आप की सहायता करता है. आप किन ऐप्स पर ज्यादा समय गुजारते हैं, कितनी बार अपना फोन आप लौक या अनलौक करते हैं, इन सब की बारीक डिटेल्स आप को यह ऐप मुहैया करवाता है ताकि आप यह तय कर सकें कि आप को कितना समय फोन पर देना है और कितना नहीं. इस में मौजूद ‘टेक अ ब्रेक’ का इस्तेमाल कर आप समयसीमा बांध सकते हैं जिस से उस वक्त आप फोन न छेड़ सकें और अपना पूरा ध्यान काम पर लगा सकें. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप साइज- 14 एमबी (एंड्रौयड डिवाइस पर).

4. ट्वाइलाइट :

यदि आप देररात तक अपना फोन चलाते हैं तो यह आप की आंखों और दिमाग के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है. ट्वाइलाइट ऐप मोबाइल की स्क्रीन लाइट से निकलने वाली ब्लू लाइट को डिम (हलका) कर देता है ताकि आप की आंखों पर जोर न पड़े. दरअसल, हाल के शोध से पता चला है कि सोने से पहले नीली रोशनी के संपर्क में आने से आप की प्राकृतिक लय बिगड़ सकती है, जिस की वजह से अच्छी नींद में समस्याएं आनी शुरू हो सकती हैं. इस ऐप में मौजूद टाइमर औप्शन की मदद से शाम ढलने पर यह अपनेआप ही चालू हो जाता है. ट्वाइलाइट ऐप उन सभी के लिए अच्छा है जो बिना तेज रोशनी से आंखों को नुकसान पहुंचाए रात में फोन का उपयोग करना चाहते हैं. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप साइज- 4.4 एमबी (एंड्रौयड डिवाइस पर).

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5. फायरफौक्स स्क्रीनशौट गो :

आजकल हर फोन में स्क्रीनशौट लेने का औप्शन मौजूद है, लेकिन फायरफौक्स स्क्रीनशौट गो ऐप उन सभी से अलग है. फायरफौक्स स्क्रीनशौट गो से खींचे गए स्क्रीनशौट्स को आप आसानी से ढूंढ़ सकते हैं. सिर्फ यही नहीं, यदि आप ने कोई ऐसा स्क्रीनशौट लिया है जिस में कुछ टैक्स्ट्स लिखे हुए हैं तो आप एक क्लिक कर उन्हें कौपी कर सकते हैं और उस टैक्स्ट का इस्तेमाल किसी को सैंड करने के लिए या अपने अनुसार उस का यूज कर सकते हैं. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप साइज- 4 एमबी (एंड्रौयड डिवाइस पर).

यंग गर्ल्स के लिए परफेक्ट हैं ‘अनुपमा’ की ‘पाखी’ के ये लुक्स

सीरियल अनुपमा में इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां काव्या शाह निवास में आ गई है तो वहीं वनराज और अनुपमा की बेटी पाखी घर छोड़कर चली गई है. लेकिन आज हम आपको सीरियल के किसी नए ट्विस्ट की नही बल्कि सीरियल अनुपमा में पाखी के रोल में नजर आने वाली मुस्कान बामने के फैशन की बात करेंगे. मुस्कान बामने का स्टाइल काफी खास है. वह वेस्टर्न से ज्यादा इंडियन लुक्स की शौकीन हैं, जिसका अंदाजा मुस्कान के इंस्टाग्राम अकाउंट को देखकर लगाया जा सकता है. क्योंकि वह अपने फैंस के लिए समय समय पर अपने नए नए लुक्स की खास फोटोज शेयर करती रहती हैं. तो आइए आपको दिखाते हैं अनपमा की पाखी के कुछ इंडियन लुक्स…

1. गाउन है खास

अगर आप किसी पार्टी या शादी में कुछ लेटेस्ट डिजाइन ट्राय करना चाहती हैं तो मुस्कान का ये ब्लैक गाउन आपके लिए परफेक्ट है. इसके साथ आप बन हेयरस्टाइल और प्लेन स्टड इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को एलीगेंट और स्टाइलिश बनाएगा.

 

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2. सिंपल लहंगे को दें नया टच

 

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अगर आप सिंपल लहंगे को नया टच देना चाहती हैं तो ब्लाउज को नया तरीके से बनवाएं. जैसा कि पाखी यानी मुस्कान ने किया है. सिंपल लहंगे के साथ फ्लफी पैटर्न वाला ब्लाउज आपके सिंपल लहंगे में जान डाल देगा.

3. लहंगे के साथ नया कौम्बिनेशन करें ट्राय

 

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लहंगे के नए-नए डिजाइन मार्केट में आ गए हैं और आप अगर कोई नया औप्शन तलाश कर रही हैं तो मुस्कान बामने का ये न्यू पैटर्न लहंगा परफेक्ट औप्शन है.

4. शरारा करें ट्राय

 

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शरारा इन दिनों काफी डिमांड में है. वहीं शरारा के सूट से लेकर लहंगे के कई पैटर्न मार्केट में मौजूद है. वहीं इसी में मुस्कान बामने का ये लुक भी आपके लिए परफेक्ट औप्शन बन सकता है.

 

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फ्लर्टनैस नहीं स्मार्टनैस

विद्या आजकल घर में बहुत बोर हो रही थी. दिन तो औफिस के काम में बीत जाता पर लौकडाउन में घर में बंद होने से उलझन होने लगी थी. ग्रौसरी लेने जाने में भी रिस्क लगता. वह अकेले ही इस फ्लैट में 4 महीने से किराए पर रह रही थी. किसी को जानती भी न थी. मुंबई में सुबह निकल कर जाना, फिर शाम को आ कर आसपड़ोस में झंकने की फुरसत भी कहां रहती है.

वह यों ही शाम को उठ कर बालकनी में आई, तो बराबर वाले फ्लैट का एक लड़का बालकनी में ऐक्सरसाइज कर रहा था. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिए. विद्या का कुछ टाइम पास हुआ. अब धीरेधीरे यह रूटीन ही हो गया. दोनों शाम को हायहैलो करते. फिर नाम पूछे गए.

बालकनी में कुछ दूरी थी, तो लड़के अवि ने फोन नंबर का इशारा किया. अब दोस्ती आगे बढ़ी. दोनों ही इस लौकडाउन में बोर हो रहे थे.

उसे अकेले देख अवि की हिम्मत बढ़़ी, कहा, ‘‘बाहर जाना तो सेफ है नहीं, मैं मम्मी की लिस्ट ले कर जाता हूं. आप को भी जो सामान मंगवाना हो, बता देना.’’

विद्या ने मजाक किया, ‘‘सोशल डिस्टैसिंग का टाइम है, आप से कैसे सामान मंगवाऊं?’’

‘‘अरे, कोई बात नहीं. अभी ला देता हूं सामान. शौप वाला अभी होम डिलीवरी नहीं कर रहा है.’’

‘‘नहींनहीं, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.’’

‘‘दोस्त समझ कर अपनी लिस्ट व्हाट्सऐप पर भेज दीजिए, मैं आप के डोर पर सामान रख दूंगा,’’ अवि नहीं माना. तो विद्या ने लिस्ट उसे दे दी.

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सामान ला कर अवि ने बैग उस के डोर पर रख कर घंटी बजाई. दोनों कुछ देर दूर से ही हंसीमजाक करते रहे. फिर तो यह नियम बन गया. अवि ही उस के सारे काम करने लगा. विद्या को तो कहीं निकलना ही नहीं पड़ा. विद्या अपनी दोस्त रुचि को फोन पर सब बता रही थी.

रुचि खूब हंसती, कहती, ‘‘ये लड़के भी न, लड़की देख कर सब डिस्टैसिंग भूल जाते हैं. ठीक है, तेरा क्या जा रहा है. फिलहाल काम करवा उस से, बाद में देखते हैं.’’

बहुत तेज बारिश हो रही थी. मुंबई की बारिश का वैसे भी कुछ पता नहीं होता कि कब रुकेगी. पोवई से अंधेरी जाने में अच्छेअच्छों की हालत खराब हो जाती. पर आरती आराम से तैयार हो रही थी. उस की रूममेट रूपा ने कहा भी, ‘‘यार, आज बहुत बारिश है, वर्क  फ्रौम होम ले ले.’’

आरती ने हंस कर कहा, ‘‘अनिल आता ही होगा कार से लेने. औफिस उसी के साथ जा रही हूं. आजकल लोकल ट्रेन के धक्कों से बच जाती हूं. आजकल टैक्सी में बैठने से तो डर ही लगता है, कोई वायरस न छोड़ गया हो. उस से अच्छा वायरस अनिल ही रहेगा, कोरोना से तो कम ही परेशान करेगा.’’

रूपा हंसी, ‘‘वाह, यह कब हुआ? वह तो सीनियर है न काफी तुम से?’’

‘‘हां, मैरिड है. उसे मेरी कंपनी चाहिए, मुझे आराम से आनाजाना. दोनों का काम हो जाता है. बदले में उसे झेलना पड़ता है, बस. वह फ्लर्ट करने की कोशिश कर रहा है. जानती हूं ऐसे पुरुषों को. मैरिड है, पर एक लड़की की कंपनी के लिए मरे जाते हैं. हद है, यार. पर ठीक है, मैं कौन सी मूर्ख हूं. आराम से कार में आनाजाना हो रहा है. इन जैसों का फायदा क्यों न उठाया जाए. जैसे ही लिमिट क्रौस करने की कोशिश करेगा, एक डिस्टैंस मैंटेन करना शुरू कर दूंगी. बहानों की कमी तो होती नहीं है,’’ कह कर वह हंसते हुए निकल गई.

ट्विंकल राठी ने एक मल्टीनैशनल कंपनी जौइन की. 3 महीने में उसे समझ आ गया कि यहां उस के एक सीनियर अतुल का सिक्का चलता है.

कभी फ्लर्टिंग की है? यह पूछने पर वह अपने बारे में खुल कर बताती है, ‘‘हमारे बौस अतुल की सब बात सुनते हैं. उस की रिकमैंडेशन पर ही औफिस में प्रमोशन होते हैं. मैं नईनई थी. अतुल साहब मेरे आसपास मंडराने लगे. पुरानी लड़कियों ने भी उन की इस आदत के चर्चे मुझ से खूब किए थे. कभी मुझे कौफी के लिए कैंटीन ले जाते, कभी मुझे घर तक ड्रौप करने के लिए कहते. मुझे क्या परेशानी होती. मैं औटो के धक्कों से बच जाती.

‘‘वे मेरी बड़ी अच्छी रिपोर्ट्स आगे पहुंचाते. मेरे प्रोमोशंस धड़ाधड़ होते रहे. मुझ में काबिलीयत थी, पर अतुल के सपोर्ट से मैं खूब आगे बढ़ी. वे मैरिड थे. उन के बच्चे थे. मुझ से हंसबोल कर, मेरे आगेपीछे घूम कर वे एंजौय कर रहे थे. तो मेरा भी कुछ नुकसान तो हो नहीं रहा था. फिर मेरा दूसरे औफिस में ट्रांसफर हो गया. फिर यह भी सुना कि अब वे नई लड़की के आगेपीछे घूम रहे हैं. ऐसे पुरुष आप को हर जगह मिल जाएंगे. उन की ऐसी आदतों का फायदा उठाना गलत कहां से हो गया.’’

स्मार्ट बन कर काम निकलवाना

एक लेखिका हैं मंजू शर्मा. अपने वाक कौशल और अदाओं पर उन्हें पूरा भरोसा है. उन का मानना है कि वे जहां भी अपनी कोई रचना भेज कर संपादकों से बात कर लेती हैं. उन की रचना फिर अस्वीकृत होने का कोई चांस ही नहीं है. सारे पुरुष संपादक उन से बात करने के लिए लालायित रहते हैं. उन्हें व्हाट्सऐप में मैसेज भेजते रहते हैं. उन की सुंदरता के कसीदे पढ़ते रहते हैं. उन्हें अपना काम निकालना आता है. उन्हें अपनी रचनाएं छपवानी हैं, इसलिए वे थोड़ीबहुत लिफ्ट दे देती हैं. उन का काम हो जाता है. जहां कोई पुरुष संपादक उन की रचना को रचनात्मकता की कसौटी पर ही परख कर छापता है, वहां वे अपना समय खराब नहीं करतीं. उन का मानना है कि अगर किसी पुरुष संपादक को लिफ्ट दे कर बिना ज्यादा मेहनत किए मेरी रचनाएं छप जाती हैं, तो बुरा क्या है.

खुशबू सिन्हा जब औफिस में कहीं किसी प्रैजेंटेशन में अटक जाती है, तो कुछ देर पहले से ही किसी न किसी से मीठी बातें कर के उसे हैल्प के लिए तैयार कर ही लेती है. उस का कहना है, ‘‘यह जरा भी मुश्किल नहीं, किसी भी यंग लड़की की हैल्प करने के लिए पूरा औफिस लगभग तैयार रहता ही है. तो ठीक है, दो मीठीमीठी मासूम बातें कर के इन लड़कों से काम निकलवाना बुरा तो नहीं है.

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चतुर लड़कियां आजकल फ्लर्ट समझती हैं. वे जानती हैं कि लड़कों से काम कैसे निकलवाया जा सकता है. लड़के तो यही समझते हैं कि वे बहुत स्मार्ट हैं, सामने वाली लड़की तो बहुत सीधी है, उस के साथ फ्लर्ट किया जा सकता है. पर अपने को होशियार समझ रहे लड़के होशियार लड़कियों के हाथों बुद्धू बन रहे होते हैं. उन्हें पता भी नहीं चलता और वे मेल ईगो को सैटिस्फाई कर के खुश हो रहे होते हैं. लड़कियां कामकाजी हों, तो वे ऐसे पुरुषों की नसनस खूब पहचानने लगती हैं.

चालाक तो बनना ही पड़ेगा

एक औफिस में काम करने वाली नीरा बताती हैं, ‘‘मीटिंग में पहले औफिस से निकलने में देर होती थी. तो अकेले घर पहुंचने की बड़ी चिंता रहती थी. पर देखा कि औफिस के एक 40 वर्षीय मिस्टर गुप्ता को लड़कियों से पूछने का बड़ा शौक है कि लेट हो रहा है तो मैं छोड़ दूं? उन के इस शौक का लड़कियां खूब फायदा उठाती हैं. अब यह किसी लड़की को ही कहने वाली बात तो नहीं है. भाई, जब आप लड़की की कंपनी के लिए मरे जा रहे हैं तो हमें भी क्या परेशानी है. आराम से चिपकू गुप्ताजी की कार में जाती हैं लड़कियां. इतनी देर में, भीड़ में, ट्रैफिक में उन्हें इस शौक में क्या आनंद आता है, वही जानें.’’

तो आगे से किसी लड़की को फ्लर्ट करने से पहले एक बार जरूर सोच लें कि फ्लर्ट है कौन, लड़की फ्लर्ट नहीं होशियार है, जो लड़के के अहं और घमंड को धता बता रही है और लड़के को पता भी नहीं. लड़के अब तक लड़कियों को बहुत ठगते आए हैं. उन का हमेशा नाजायज फायदा उठाते आए हैं. अब हवा बदली है. लड़कियां किसी भी तरह लड़कों से कम नहीं रहीं. आप उन की अदाओं पर मरते रहिए, उन के काम आने के लिए अपनेआप को पेश करते रहिए. वे आप की सेवाएं खुशीखुशी लेती रहेंगी. उन्हें भी तो आप के बनाए समाज में रहना है, चतुर तो होना ही पड़ेगा.

दौड़ने से पहले जरूर जानें यह बातें

शरीर को चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए कुछ लोग जिम जा कर पसीना बहाते हैं, तो कुछ घर पर ही व्यायाम करते हैं. कुछ मौर्निंग वाक करते हैं तो कुछ दौड़ लगाते हैं. यदि आप भी दौड़ कर फिट रहना चाहते हैं, तो यह एक अच्छी बात है. लेकिन दौड़ने से पहले कुछ बातें जान लेना भी जरूरी है अन्यथा दौड़ने से लाभ के बजाय हानि भी हो सकती है.

चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, रोज 1 घंटा दौड़ कर आप न केवल स्वस्थ और निरोगी रह सकते हैं, अपितु अपनी आयु को भी 3 साल तक बढ़ा सकते हैं. 18 से 100 साल की उम्र के 55 हजार लोगों के लाइफस्टाइल की स्टडी कर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि किसी भी ऐक्सरसाइज की तुलना में दौड़ने से क्वालिटी औफ लाइफ सब से ज्यादा बढ़ती है. इस स्टडी को लीड करने वाली अमेरिका की ‘आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी’ के प्रोफैसर डकचुल्ली के अनुसार, स्टडी में पाया गया कि दूसरी ऐक्सरसाइज करने वाले लोगों की तुलना में धावक लंबे समय तक जीते हैं.

धावकों में जल्दी मौत के लिए जिम्मेदार कारणों से लड़ने की क्षमता सब से ज्यादा पाई गई.आम लोगों की तुलना में रोज दौड़ने वाले को दिल का दौरा पड़ने की आशंका भी 25% तक कम हो जाती है. दौड़ना फिटनैस को बढ़ाता है, जो अच्छी सेहत के प्रमुख इंडिकेटर्स में से एक है. रोज 1 घंटे दौड़ते हैं तो प्रीमैच्योर डैथ की आशंका 40% तक कम हो जाती है. दौड़ने से संपूर्ण शरीर के सभी अंगों का अच्छा व्यायाम हो जाता है. पैरों के अलावा हृदय, फेफड़ों आदि की भी कसरत हो जाती है और उन की कार्यक्षमता बढ़ती है.

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कब करें दौड़ने की शुरुआत

विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापा दूर करने के लिए डाइटिंग करने की नहीं, दौड़ने की जरूरत है. यदि पहले से दौड़ लगाते हैं, तो मोटापा कभी हावी होगा ही नहीं. दौड़ने से मांसपेशियां पुष्ट होती हैं तथा वे अधिक क्षमता के साथ काम करती हैं. रनिंग से पेट की मांसपेशियों का भी व्यायाम होता है. दौड़ने से डायबिटीज भी कंट्रोल में रहती है, क्योंकि इस में काफी मात्रा में कैलोरी बर्न होती है.

दौड़ने से न सिर्फ आप को फिट रहने में मदद मिलती है, बल्कि इसे सब से प्रभावी अवसादरोधी के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि 97% लोगों ने महसूस किया कि इस से उन की मानसिक और भावनात्मक सेहत में भी मदद मिली. इस सर्वे में 4 शहरों मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरु और जयपुर को शामिल किया गया था. सुबह के समय दौड़ने से औक्सीजन भी ज्यादा मिलती है, जोकि फेफड़ों के लिए बहुत जरूरी है. दौड़ लगाने से रक्तसंचार तेज होता है, जिस से शरीर की कोशिकाएं पुष्ट होती हैं तथा सही ढंग से कार्य करती हैं.

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यदि आप कभी दौड़े नहीं हैं, तो पहली बार में ही विश्व रिकौर्ड बनाने की कोशिश न करें. शुरुआत पैदल चलने यानी मौर्निंग वाक से करें. मौर्निंग वाक में पहले सामान्य चाल से चलें, फिर तेज चाल चलने का अभ्यास करें. जौगिंग भी करें. इस के बाद जब भी दौड़ने की शुरुआत करें, उस की दूरी कम रखें और अधिक तेज गति से न दौड़ें. हर सप्ताह दूरी और दौड़ने की रफ्तार बढ़ाएं. उतना ही दौड़ें, जितना बरदाश्त हो सके. यदि असहज महसूस करें, तो दौड़तेदौड़ते रुक जाएं. थोड़ा विश्राम कर लें. याद रहे, रनिंग से पहले वार्मअप करना बहुत जरूरी है.

एक सांकल सौ दरवाजे: भाग 4- सालों बाद क्या अजितेश पत्नी हेमांगी का कर पाया मान

अब तक ममा बाहर आ गई थी. पूरे एक साल बाद हम ममा को देख रहे थे. पीली जयपुरी प्लाजो सूट में भव्य लग रही थी. आंखों में चमक वापस आ गई थी. गालों में लाली थी. रंग भी फिर से निखर गया था. हम दोनों को उस ने गर्मजोशी से गले लगा लिया. आंखों में आंसू भर आए थे.

हम ममा को पा कर आश्वस्त थे, लेकिन क्या पता मैं जाने क्यों कुछ आशंकित सी महसूस कर रही थी. क्या यह ममा का अपना घर है? या ममा का घर बस रहा है और हम घरविहीन हो रहे हैं धीरेधीरे? भाई को मेरी धड़कनें तुरंत महसूस हो जाती हैं. उस ने सशंकित सा मुझे देखा.

ममा ने शुभा से कहा कि हमें वह हमारा कमरा दिखा दे और फ्रैश होने के लिए बाथरूम में हमारे जरूरत का सामान रख दे.

‘ममा,’ मैं ने आवाज लगाई थी. ममा ने कहा- ‘सब बताती हूं, यह जल्दीबाजी की बात नहीं है.’ ममा मन की बात खूब समझती है. वह फिर उसी शीघ्रता में दूसरे किनारे बने एक कमरे में दाखिल हो गई.

शुभा हमारे कमरे से लगे बाथरूम में सबकुछ व्यवस्थित कर रही थी. भाई ने कहा- ‘दीदी, मुझे बहुत अजीब लग रहा है. क्या ममा भी पापा के जैसे…’

मैं ने उसे रोकते हुए कहा- ‘ममा पर हमें विश्वास नहीं खोना चाहिए. वह पापा की तरह नहीं है. उस में सचाई है, हमारे लिए चिंता भी. रुको जरा.’

हमारा यह कमरा दूसरी मंजिल पर है. 2 अगलबगल पलंग पर सफेद फुलकारी वाली चादर के साथ आकर्षक बिस्तर लगे हैं. बगल की अलमारी में कुछ अच्छी चुनिंदा किताबें रखी हैं. पास ही टेबलकुरसी और एक कपड़ों की छोटी अलमारी है.

शुभा जाने को हुई, तो मैं ने उसे रोका.

‘शुभा, क्या तुम बता सकती हो हम यह कहां आए हैं?’

तभी ममा ने शुभा को नीचे से आवाज दी और वह कहने को कुछ होती हुई भी नीचे चली गई.

हम अपने घर में हमेशा त्रिशंकु की तरह रहे. न मान की ऊंचाई मिली, न प्रेम का आधार. बीच में रहे हमेशा असुरक्षित, अशांत, असहाय से.

यह हमारा अपना घर नहीं था. लेकिन शायद ममा का निडरभाव हमें सुरक्षा का आभास दे रहा था.

2 घंटे बाद यानी करीब रात के 8 बजे वह हमारे कमरे में आई. उस ने हमें पुचकारा. मगर हम दोनों भाईबहन अब संतोष मनाने की हिम्मत खो चुके थे. हमारे मन में उलझनों की घटाएं घनी हो आई थीं.

मैं ने तुरंत कहा- ‘ममा, क्या यह घर तुम्हारा है?’

‘चलो आओ मेरे साथ. तुम्हारे सारे सवाल के उत्तर वहीं मिल जाएंगे.’

हम निचली मंजिल के उसी किनारे वाले कमरे में दाखिल हुए जहां ममा को शाम को हम ने जाते देखा था.

सुंदर नक्काशीदार पौलिश किए हुए दरवाजे से अंदर जाते ही एक गरिमापूर्ण, सुसज्जित कमरा हमारे सामने था. कमरे के बीचोंबीच सागवान लकड़ी की चारों ओर से स्टैंड लगी पलंग लगी थी.

इस पलंग पर 45 के आसपास के एक शांतचित्त पुरुष लेटे थे जिन के एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा था और यह पैर पलंग से जुड़े एक स्टैंड से बंधा था.

ममा ने पुकारा उन्हें, ‘पल्लव, मेरे दोनों बच्चे आए हैं.’

मैं अजीब सा महसूस करने लगी. ममा को हमें बताना चाहिए था कि हम कहां लाए गए हैं.

पल्लव जी तो ममा के दोस्त हैं, क्या यह इन्हीं का घर है? इन्हें चोट कैसे आई?

ढेरों सवाल मुझे तंग करने लगे थे.

पल्लव जी ने हमारी ओर देखा. क्या जादू सा था उन की आंखों में. गेहुंए वर्ण में आकर्षक चेहरा और ऊंचाई भी तकरीबन 6 फुट के आसपास होगी. हम ने कभी ऐसा शांत चेहरा देखा नहीं था.

पल्लव जी यथासंभव हमारी ओर मुड़े, हम दोनों के हाथ पकड़े, कहा- ‘तुम दोनों को कब से देखना चाहता था. हेमा इन्हें यहां आराम से रहने को कहो. जब मैं ठीक हो जाऊंगा, इन्हें भोपाल में ही अच्छे स्कूलकालेज में भरती करवा दूंगा, तब तक इन के रिज़ल्ट आ जाएं.’

ममा ने पल्लव जी से पूछा- ‘अभी और किसी चीज की जरूरत तो नहीं. शुभा को यहीं आसपास रुकने को कहती हूं. मैं जरा बच्चों के साथ हूं. कुछ जरूरत हो, तो फोन से बुला लेना.’

‘हांहां, ज़रूर. अभी तुम इन के साथ रहो.’

हम ऊपर अपने कमरे में चले आए थे. रहस्य की जाने कितनी परतें अभी उघड़नी बाकी थीं. मैं और भाई बेसब्र हुए जा रहे थे.

‘शुभा कौन है ममा?’ मैं ने पूछ लिया.

‘इन के कालेज के चपरासी की बेटी है. चपरासी का 5 वर्षों पहले निधन हो गया, तो उस की बीवी और बच्ची मुश्किल में आ गई थीं. पल्लव जी ने पड़ोस में मांबेटी को छोटा सा घर खरीद कर दे दिया. इस की मां इस घर में साफसफाई का काम कर लेती है और पल्लव जी इस के लिए उसे ठीकठाक तनख्वाह देते हैं. शुभा 11वीं में है. उस की पढ़ाई का भी पल्लव जी इंतजाम देखते हैं.’

‘इन्हीं पल्लव जी के कालेज में तुम लैक्चरर हो न?’

‘सही पहचाना. मेरे पुराने दोस्त हैं और अब ये हमारे कालेज के प्रिंसिपल हैं. इन्हीं का कालेज है.’

अब तक हम अपने कमरे के पलंग पर पसर कर बैठ चुके थे. ममा भाई के सिर को अपनी गोद में रख कर आराम से हमारे पास बैठ गई थी.

‘ममा, हम जानना चाहते हैं कि तुम यहां क्यों हो? तुम तो होस्टल में रहती थीं? तुम ने कहा था, तुम ने किराए का एक मकान देख रखा है और हमारे आते ही हम सब वहां रहने लगेंगे?’

‘यही तय था. लेकिन 2 दिनों पहले पल्लव जी का ऐक्सिडैंट में पैर टूट जाने के बाद डाक्टर के कहने पर मुझे आज यहां आ जाना पड़ा है. और चूंकि इन का अपना कोई जिम्मेदारी लेने वाला है नहीं, मुझे ही देखभाल के लिए रुकना होगा. पल्लव जी दिल के बड़े प्यारे और सच्चे इंसान हैं. सुना न, तुम्हारे लिए उन्होंने क्या कहा? तुम लोग यहां कुछ दिन शांति से रहो, एकाध महीने में पल्लव जी ठीक होने लगें तो हम किसी अच्छे मकान में चले जाएंगे और तुम दोनों को यहीं अच्छे स्कूल और कालेज में भरति कर देंगे.’

‘ममा, पल्लव जी के बारे में कुछ और बात कहो न, जो अब तक तुम ने नहीं कहा?’

‘पल्लव जी कालेज में 2 वर्ष मुझ से सीनियर थे. इन का भी विषय इकोनौमिक्स था. मेरे कई दोस्त पढ़ाई में इन से मदद लेते, तो मैं भी इन से मदद लेने लगी थी. बाद में इन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से डाक्ट्रेट किया था.

मालदीव में पति संग रोमेंटिक वेकेशन मना रही हैं Shilpa Shetty Kundra, PHOTOS VIRAL

बॉलीवुड सेलेब्स इन दिनों वेकेशन का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं. जहां हाल ही में अली गोनी, जैस्मीन भसीन संग छुट्टियां मना रहे हैं. तो वहीं एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा भी पति राज कुंद्रा संग रोमेंटिक वेकेशन पर हैं, जिसके फोटोज वह अपने फैंस के लिए सोशलमीडिया पर लगातार शेयर कर रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिल्पा शेट्टी के वेकेशन की खास फोटोज और वीडियोज…

मालदीव पहुंची शिल्पा

मालदीव में समंदर के बीच छुट्टियां मना रहीं शिल्पा शेट्टी ने इंस्टाग्राम पर कुछ फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं, जिसमें शिल्पा शेट्टी बेहद खूबसूरत और खुश लग रही हैं. वहीं पति संग समंदर के बीचों बीच रोमेंटिक फोटोज खिंचवाती नजर आ रही हैं.

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खिलखिलाती दिखीं शिल्पा शेट्टी

 

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मालदीव वेकेशन पर शिल्पा शेट्टी खुशनुमा पल बिता रही हैं. जहां वह अपने नए-नए लुक्स भी फैंस के साथ शेयर कर रही हैं. साथ ही फैंस के साथ वीडियो भी शेयर करती नजर आ रही हैं.

पाउरी पर शिल्पा की वायरल वीडियो

 

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इन दिनों सोशलमीडिया पर पाउरी हो रही है वीडियो काफी चर्चा में हैं, जिसको लेकर टीवी और बौलीवुड सेलेब्स वीडियो शेयर कर रहे हैं. वहीं हाल ही में शिल्पा के हसबेंड राज कुंद्रा ने भी इसी को लेकर एक फनी वीडियो शेयर किया है जिसमें वे दोस्तों संग एंजॉय करते नजर आ रहे हैं. वीडियो शेयर करते हुए राज कुंद्रा ने लिखा कि पाउरी हो रही है. दरअसल, वीडियो में वे कह रहे हैं- ये हमारा ब्रेकफास्ट है, ये हमारा व्यू है, और ये हमारी पार्टी हो रही है.

डॉलफिन्स देख खुश हुईं शिल्पा

मालदीव में शिल्पा डॉलफिन्स को देखकर खुशी होती हुई नजर आ रही हैं. दरअसल, शिल्पा ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह कह रही हैं कि डॉलफिन्स को देखने का चांस 50-50 होता है और उन्हें यह देखने को मिल गया, यह एक स्पेशल शो की तरह लग रहा है.

बता दें, जल्द ही शिल्पा हंगामा 2 जैसी फिल्मों में नजर आने वाली हैं, जिसके लिए उनके फैंस बेताब हैं.

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Alia Bhatt की ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ का टीजर हुआ रिलीज तो फैंस ने किए ऐसे कमेंट

बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर संग रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) इन दिनों अपनी नई फिल्म को लेकर सुर्खियों में है. दरअसल, अपकमिंग फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (Gangubai Kathiawadi) का टीजर रिलीज हो गया है, जिसके बाद फैंस का रिएक्शन सामने आया है.

आलिया की फिल्म का टीजर हुआ रिलीज

फिल्म  ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में आलिया भट्ट एक वेश्या का किरदार निभाती नजर आ रही हैं, जो मुंबई के कमाठीपुरा में जबरदस्ती लाई गई है और फिर वहां से वह नेता बनकर निकलती है. वहीं टीजर आउट होने के बाद अब फैंस अलग-अलग रिएक्शन दे रहे हैं. जहां कुछ लोग आलिया की फिल्म को खराब बता रहे हैं तो वहीं कई लोग आलिया की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

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फैंस ने दिया ये रिएक्शन

संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की फिल्म के टीजर पर लोगों ने कमेंट करते हुए लिखा है कि, ‘गंगूबाई का टीजर देखने के बाद मैं यही कहूंगा कि यह आलिया के करियर का सबसे शानदार रोल है. मैं इस फिल्म को देखने का इंतजार कर रहा हूं.’ तो वहीं दूसरे फैन ने लिखा है, ‘टीजर कमाल का लग रहा है. आलिया अपने किरदार में फिट है. संजय लीला भंसाली सर ने आलिया को शानदार किरदार के लिए चुना है. यह फिल्म तो हिट है.’

प्रभास की फिल्म के साथ होगी टक्कर

आलिया भट्ट की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी 30 जुलाई के दिन बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होगी. वहीं इसी दिन प्रभास की राधे-श्याम भी रिलीज होने वाली है, जिसके बाद हर कोई अनुमान लगा रहा है कि कहीं प्रभास की फिल्म के साथ अपनी फिल्म रिलीज करके संजय लीला भंसाली कोई गलती तो नही कर रहे हैं.

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बता दें, बीते साल सुशांत सिंह राजपूत के निधन का असर आलिया की फिल्म सड़क 2 पर भी पड़ा था, जिसके बाद बौक्स औफिस पर खासा कमाल नही दिखा पाई थी. वहीं अब देखना होगा कि क्या आलिया की ये फिल्म फैंस के बीच अपना कमाल दिखा पाती है.

बाइक चलाते समय रखें इन 6 बातों का ध्यान

बाइक आम लोंगों की जरूरत है तो युवाओं के लिए फैशन है. युवा जेनरेशन का बाइक पसंदीदा वाहन है. आज एक से एक महंगी और फैशनेबल बाइक बाजार में उपलब्ध हैं. चार पहिया वाहन की बंद यात्रा कीअपेक्षा युवा बाइक की खुली खुली यात्रा को ज्यादा पसंद करते हैं. आज के युवा लद्दाख जैसे ऊंचाई पर भी बाइक से जाना पसंद करते हैं. बाइक चलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि आपकी जरा सी लापरवाही किसी भी दुर्घटना को न्यौता दे सकती है. आप जब भी बाइक चलाएं निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें-

1. ब्रेक लें

कई बार लंबी यात्रा पर आप सुबह जल्दी निकल पड़ते हैं इसलिए जब भी आपको आंखों में भारीपन लगे तो चाय और कॉफी के लिए ब्रेक लें ताकि आपकी नींद भाग जाए. यदि आप ब्रेक नहीं लेना चाहते तो हैल्मेट ब्राउजर को खुला रखें इससे तेजी से आती हवा आपसे टकराएगी और आपकी नींद भाग जाएगी अथवा कहीं पर रुककर ठंडे ताजे पानी से छींटे मारकर अपने मुंह को धो लें इससे आपकी नींद खुल जाएगी और आप तरोताजा होकर बाइक चला सकेंगे.

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2. हाइड्रेट रहें

डिहाइड्रेशन अर्थात शरीर में पानी की कमी नींद को बढ़ाती है. चूंकि बाइक में कप होल्डर आदि नहीं होने से बाइक सवार पानी पीने के लिए रुकने में समय की वेस्टेज मानते हैं इसलिए शरीर में पानी की कमी हो जाती है. भले ही रुकना पड़े परन्तु शरीर में पानी की कमी न होने दें हर दो घण्टे के अंतराल पर तरल पदार्थ लेना अत्यंत आवश्यक है.

3. संगीत

संगीत सुनते हुए बाइक चलाने का मजा दोगुना हो जाता है वहीं संगीत आपको नींद से भी दूर रखता है. संगीत सुनते समय चूंकि हमारा दिमाग एक्टिव रहता है इसलिए नींद की संभावना समाप्त हो जातीहै. ध्यान रखें कि बाइक चलाते समय ऐसे इयर प्लग का प्रयोग करें जो पूरी तरह साउंड प्रूफ न  हो ताकि आसपास की आवाजें भी आपको सुनाई देती रहे और आप अपने आगे पीछे चलने वाले वाहनों से अवगत रहें

4. समय निर्धारण

आप यदि लंबे सफर पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो घर से निकलने का ऐसा समय निर्धारित कर लें कि आप अंधेरा होने से पूर्व अपने गंतव्य तक पहुंच जाएं. इसके लिए जरूरी है कि आप सुबह जल्दी निकलें.

5. पावर नेप

यदि आपको बहुत अधिक नींद महसूस हो रही है तो कहीं सुरक्षित जगह पर रुककर पावर नेप ले लें. नासा के अनुसार केवल 26 मिनट की पावर नेप से भरपूर एनर्जी को प्राप्त किया जा सकता है. पावर नेप लेने के बाद आप पुनः ऊर्जा से भर उठेंगे.

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6. चैक करें

सफर प्रारम्भ करने से पूर्व अपनी बाइक को किसी गैराज पर जाकर चैक अवश्य कराएं साथ ही पेट्रोल डलवाएं ताकि मार्ग में आपको किसी प्रकार की परेशानी न हो.

उपरोक्त सावधानियों के अतिरिक्त बाइक चलाते समय हैल्मेट अवश्य लगाना और गति पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.

Winter special: चुकंदर से बनाएं ये हैल्दी Dishes

डार्क मैरून रंग और गोल आकार का चुकंदर जड़ वाली वनस्पति होती है. चुकंदर में अनेकों औषधीय और सेहतमंद गुण होते हैं और इसीलिए इसे सुपर फूड के रूप में जाना जाता है. गहरे रंग के होने के कारण इसे अक्सर खाद्य पदार्थों में रंग लाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. रोम में आविष्कार की गई इस वनस्पति को सर्वप्रथम वाइन में रंग लाने के लिए प्रयोग किया गया था. चुकंदर में निहित विटामिन बी 9, मैग्नीज, पोटेशियम,फाइबर, और एंटी ऑक्सीडेंट ब्लड प्रेशर, एनीमिया, पाचन तंत्र, संबधी बीमारियों को दूर करने में बहुत लाभकारी होते हैं इसलिए इसे किसी न किसी रूप में अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए. कुछ लोग इसे कच्चा नहीं खा पाते ऐसे लोगों के लिए यहां पर प्रस्तुत हैं ये रेसिपीज जिससे आप बड़ी ही सुगमता से इस सुपर फ़ूड को अपने भोजन में शामिल कर सकेंगे-

-चुकंदर का खट्टा मीठा अचार

कितने लोंगो के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 25 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

ताजे चुकंदर 500 ग्राम
काला नमक 1/4 टीस्पून
शकर 100 ग्राम
सफेद सिरका 1 कप
किशमिश 1 टेबलस्पून

विधि

चुकंदर को छीलकर पतले स्लाइस में काट लें. आधा लीटर पानी गर्म करें और कटे स्लाइस को डालकर हल्का नरम होने तक पकाएं. छलनी में छानकर पानी निकाल दें और चुकंदर के स्लाइस को ठंडा होने दें. शकर को एक कप पानी में डालकर घुलने तक पकाएं. जब शकर सीरप ठंडा हो जाये तो इसे छानकर एक कांच की बरनी में डालें. अब इस बरनी में सिरका, काला नमक, चुकंदर के स्लाइस और किशमिश डालकर भलीभांति मिलाएं. तैयार अचार को एक सप्ताह तक फ्रिज में रखें और फिर प्रयोग करें.

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-फ्राइड चुकंदर

कितने लोंगों के लिए 4
बनने में लगने वाला समय 15 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

चुकंदर 2
रिफाइंड तेल 1 टीस्पून
जीरा 1/4 टीस्पून
काला नमक 1/4 टीस्पून
काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
चाट मसाला 1/4 टीस्पून
नीबू का रस 1/2 टीस्पून
कटा पोदीना 1 टीस्पून

विधि

चुकंदर को धोकर मनचाहे आकार में काट लें. एक पैन में तेल गरम करें और जीरा डालकर कटे चुकंदर डाल दें. इन्हें 3 मिनट ढककर पकाएं. 3 मिनट बाद खोलकर नमक, काली मिर्च पाउडर, चाट मसाला डालकर 2 मिनट चलायें और गैस बंद कर दें. नीबू का रस और पोदीना डालकर सर्व करें.

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सोशल मीडिया से युवाओं में फोमो का खतरा

देश में जब कोरोना के कारण लौकडाउन लगा था तब बाहर जाने की सख्त मनाही थी. जैसे ही लौकडाउन की स्ट्रिक्टनैस को कम किया गया तो लोग शहरों से होमटाउन की तरफ जाने लगे थे, उस दौरान मेरे भी कुछ दोस्त जो पीजी में रहते थे, अपने होमटाउन की तरफ गए. मुझे भी होमटाउन जाने की काफी इच्छा थी लेकिन यहां ठहरना ज्यादा ठीक समझ. मगर उस दौरान एक बदलाव मेरे भीतर भी आया था. ज्यादा इंटरनैट चलाने की वजह से मेरे मन में हर समय कुछ सवाल घूमने लगे. सोशल मीडिया में क्या चल रहा है? वे दोस्त क्या कर रहे हैं? आज उन्होंने कौन सी पोस्ट डाली है? खुले आसमान में हरे खेतों के बीच खुले में घूम रहे हैं और स्टोरी डाल रहे हैं या नहीं? उन्हें कितने लाइक और शेयर आए हैं? इत्यादि.

यह सब मन में लगातार चलता रहता. अगर किसी दिन कुछ मिस हो जाता तो लगता गड़बड़ हो गई. हमेशा यह सोचता कि मैं ने गांव जाना मिस कर दिया वरना मैं भी ऐसे ही एंजौय कर रहा होता. यही बातें घबराहट पैदा करतीं और मैं और भी ज्यादा उन की डेली एक्टिविटीज को देखता रहता व डिप्रैस्ड हो जाता. इस का जो नतीजा निकला वह यह था कि मैं ने अपनी एंजौय करती हुई फोटो डालनी शुरू कर दीं. कभी घर में नई डिश बनाते हुए, तो कभी साफसफाई करते हुए ऐसी फोटो डालीं जैसे यह दूसरे प्लेनेट का कोई काम हो. 2013 में इस कंडीशन को पहली बार औक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने ‘फोमो’ के नाम से परिभाषित किया था.

फोमो यानी ‘फियर औफ मिसिंग आउट’. इस में बताया गया जब कोई व्यक्ति यह फील करता है कि वह उस मौके या उस जगह पर मौजूद नहीं हो पाया है या बुलाया नहीं गया है जहां उसे होना चाहिए था, तो वह बेचैनी और घबराहट महसूस करने लगता है. आमतौर पर फोमो वाली कंडीशन में व्यक्ति यह मानने लगता है कि उस का सोशल रैंक या स्टेटस कमतर है. जिस कारण वह एंग्जाइटी भी महसूस कर सकता है. फोमो विशेषतौर पर 18-33 साल के युवाओं को ज्यादा इफैक्ट करता है. यहां तक कि नैशनल स्ट्रैस एंड वेलबीइंग सर्वे में बताया गया कि इस एज ग्रुप के हर 3 में से 2 युवा फोमो का हर रोज अनुभव करते हैं.
क्यों होता है फोमो का अनुभव?

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इस के होने को ले कर जानकार सब से बड़ा कारण सोशल मीडिया को मानते हैं. सोशल मीडिया ऐसा टूल बन कर आया है जिस में किसी इवैंट को पोस्ट करने की सुविधा होती है. अब सवाल यह बन सकता है कि इस का फोमो से क्या लेनादेना. मामला यह है कि पहले जब सोशल मीडिया नहीं था तो लोगों के पास इवैंट को पब्लिकली पोस्ट करने की सुविधा नहीं होती थी. कोई व्यक्ति किसी इवैंट जैसे कौन्सर्ट, पार्टी, फैमिली टूर या स्कूल वैकेशन को मिस कर देता था तो दुख तो होता था लेकिन इतना नहीं जितना सोशल मीडिया के कारण तुरंत डे टू डे डाली गई पोस्ट से अपडेट मिलने पर होता है.

इस मसले पर कई साइकोलौजिस्ट्स का कहना है कि जितना सोशल मीडिया ने युवाओं में फोमो कंडीशन पैदा की है उतना ही सोशल मीडिया को फायदा हुआ है. इस से देखनेदिखाने का चलन चलने लगा. फेक फन या कहें खुश न होते हुए भी खुशी वाली तसवीरें पोस्ट करना आम हो गया. टैक्नोलौजी या सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं होने लगा कि लोग क्या कर रहे हैं बल्कि इसलिए भी कि वे कितना मजा मार रहे हैं. इसी चीज ने सोशल मीडिया को पैट्रोलडीजल देने का काम किया. अब यह देखना जरूरी हो गया कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर कितने लाइक्स और शेयर मिल रहे हैं. इस से सोशल रैंक या स्टेटस निर्धारित होने लगा.
फोमो के परिणाम

भारत में अगर किसी युवा से पूछा जाए कि क्या वह फोमो अनुभव कर रहा है, तो उस का जवाब होगा कि यह फोमो क्या होता है? इसलिए यह सवाल ही अपनेआप में बेमानी है. अगर कोई युवा जानता भी होगा कि फोमो क्या है तो ज्यादा चांस है कि वह मना ही करेगा. लेकिन अगर इस की जगह उस से यह पूछा जाए कि वह सोशल मीडिया पर जानपहचान या अनजान लोगों की मजेदार पोस्ट देख कर स्ट्रैस या एंग्जाइटी फील करता है तो वह हां ही कहेगा. यह हाल हर युवा का है. अगर इसी तरह एक मास ओपन सर्वे करवाया जाए तो पता चलेगा कि यह तो महामारी की तरह लोगों के बीच है.

इस से युवाओं के बीच नैगेटिव इफैक्ट देखने को मिल जाते हैं. संभव है कि यह फोमो किसी के आत्मविश्वास को बहुत ज्यादा गिरा दे. इस से अधिक खतरनाक यह है कि वह खुद की आइडैंटिटी को ही खत्म कर दे और झठे देखनेदिखाने वाले भ्रम में ही जीने लगे.

नैशनल स्ट्रैस एंड वेलबीइंग सर्वे के अनुसार, 60 प्रतिशत युवा इस बात से दुखी होते हैं कि उन के दोस्त उन के बगैर ही एंजौय कर रहे हैं. इस में से कई इस बात से बेचैन होते हैं कि उन के दोस्तों ने एंजौय करते समय क्याक्या किया होगा. ये चीजें दिमाग पर नैगेटिव इफैक्ट डालती हैं. इस से खुद की आइडैंटिटी को बहुत बार नुकसान पहुंचने का खतरा होता है.

इस से निबटें कैसे

डायरी लिखें : यह सब से शुरुआती प्रक्रिया होती है. डायरी एक हैल्पफुल टूल है खुद को समझने के लिए. डायरी या जर्नल लिखने से खुद के अनुभव बाहर आते हैं, मन में पौजिटिविटी पैदा होती है. लिखते समय इंसान लिखी हुई बात पर कई बार सोचता है. और अगर कोई नैगेटिव बात भी सामने आती है तो उसे बारबार पढ़ कर उस परेशानी से निबटा जा सकता है. यही कारण है कि वह अपने शब्दों में संतुलन लाने की कोशिश करता है. इसलिए ऐसे समय में डायरी लिखना अच्छा उपाय होता है.

दूसरों से खुद की तुलना न करें : यह बहुत कौमन है कि सोशल मीडिया में कोई पोस्ट देखने के बाद सब से पहले खुद से तुलना की जाती है. कोई अगर फोटो में खुश दिखाई दे रहा है तो खुद से तुलना कर और दुखी हो जाता है. लेकिन यह बात समझने की जरूरत है कि जरूरी नहीं कोई भी हंसता हुआ व्यक्ति खुश ही हो. हो सकता है कि उसे कोई दूसरी समस्या हो जिसे वह फेस कर रहा हो. और अगर वह खुश भी है तो इस में खुद को स्ट्रैस में डालने की जरूरत नहीं बल्कि खुद इस नकली दुनिया से बाहर निकलने की जरूरत है.

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टैक्नोलौजी के लिए शैड्यूल बनाएं : बहुत बार हम किसी चीज से छुटकारा पाने के लिए एग्रेसिव तरीकों का इस्तेमाल करने लगते हैं. उदाहरण के लिए फोन स्विचऔफ कर दिया, फ्लाइट मोड में डाल दिया या नैट औफ कर दिया. लेकिन उस के बाद क्या? कुछ नहीं. यहीं से अगला स्टैप शुरू होता है, खुद के लिए शैड्यूल बनाने का. इस का तरीका यह है कि जिस टाइम फोन से दूरी बनाई जा रही है उस समय किसी और चीज से नजदीकी बढ़ाई भी तो जानी चाहिए, जैसे वह किताब पढ़ने का समय हो सकता है, आउटडोर गेम खेलने का या दोस्तों के साथ सैरसपाटे का. इस से उस खाली समय में बेहतर आल्टरनेटिव मिल जाता है.

हकीकत पहचानें : इस बात को समझें कि दुनिया बहुत बड़ी है और आप बहुत छोटे. इसलिए आप हर जगह हर समय नहीं हो सकते. हर किसी के पास लिमिटेड टाइम और उस में करने के लिए अनलिमिटेड एक्टिविटीज हैं. संभव है कि आप बहुत सी चीजों को न कर पाएं या हर जगह शामिल न हो पाएं. इसलिए इस की चिंता न करें कि आप ने किसी समय कोई चीज मिस की, बल्कि यह सोचें कि उस समय आप ने वह एक्टिविटी की जो किसी और ने नहीं की.

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