पैंटी की शॉपिंग करते समय न भूलें यह जरूरी बातें

जब आप पैंटी की शॉपिंग करने जाती हैं तो उस शोरूम या दुकान में बहुत ही अच्छे अंतर्वस्त्रों को देख कर आप चौंधिया जाती हैं और आपको लगता है कि इन चीजों को पहन कर आप सबसे सेक्सी लग सकती हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं कि कुछ लिंगरी आपके लिए नहीं बनी होती है या कुछ चीजों का कपड़ा आपकी स्किन को डेमेज कर सकता है. इसलिए अपनी स्किन को डेमेज होने से बचाने के लिए आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.

निम्न बातों का रखें ध्यान :

यह बात तो हम सभी को पता है कि हमें वैसे ही पैंटी लेने चाहिए जैसे हमारी वेजाइना के लिए आरामदायक हों. पर हर महिला का शरीर अलग होता है. उन्हें अलग प्रकार के कपड़े ही सूट करते हैं. तो किसी महिला के लिए हिप्स्टर अच्छी रहती हैं तो किसी के लिए बिकिनी कट. अगर आप यदि किसी चीज पर अपने पैसे खर्च करती हैं तो ध्यान रखें कि उसमें आपको किसी प्रकार की परेशानी न हो और वह आपके लिए आरामदायक रहे.

एक बात का आपको और ख्याल रखना चाहिए कि आप ज्यादा कसी हुई पैंटी न खरीदें. इससे आपको वेजाइनल इंफेक्शन हो सकता है.

यदि आप झालरों वाली लेसी पैंटी पहनना चाहती हैं तो आप पहन सकती हैं लेकिन केवल कुछ स्पेशल दिनों पर या केवल कभी कभार ही. क्योंकि यदि आप इस प्रकार की लिंगरी हर रोज पहनना चाहती हैं तो यह ठीक नहीं है असल में इससे आपको रेडनेस हो सकती है.

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यदि आप ज्यादा टाईट पैंटी पहनती हैं या सिंथेटिक फाइबर से बनी हुई पेंटी पहनती हैं तो इससे आपको इरीटेशन हो सकती है और आपके बट चीक्स पर भी बहुत रेडनेस व इरीटेशन हो सकती है. इससे आपको इंफेक्शन का रिस्क भी रहता है.

ऐसे में किस प्रकार की पैंटी आपके लिए सबसे ज्यादा आरामदायक हो सकती है?

आपको हमेशा रोजाना प्रयोग के लिए कॉटन से बनी लिंगरी पहननी चाहिए. कुछ लोग नायलॉन, पॉलिस्टर व स्पंडेक्स से बनी पेंटी पहनना भी पसंद करते हैं. लेकिन इन सभी फैब्रिक्स से अच्छा कॉटन ही रहता है. क्योंकि बाकी के फैब्रिक आपकी स्किन से सारा मॉइश्चर सोख लेते हैं. यह न केवल आपको आरामदायक महसूस करवाते है बल्कि आपकी वेजाइना को हेल्दी भी रखते हैं. यदि आप कॉटन के अलावा किसी फैब्रिक का प्रयोग करती हैं तो उनसे आपको यीस्ट इंफेक्शन होने का ज्यादा खतरा होता है.

आपकी वेजाइना के लिए क्या चीज बुरी है?

सबसे पहले आपको कभी भी अपने से कम साइज की पैंटी नहीं पहननी चाहिए. इससे आपको बहुत इरीटेशन हो सकती है व इससे खुजली भी बहुत अधिक होती है.

इसके अलावा आपको कभी भी स्वेटी पैंटी नहीं पहनना चाहिए. जब भी आप वर्क आउट करती हैं या आपको स्वेटिंग होती है तो आपको हमेशा पैंटी बदल लेना चाहिए. उस मॉइश्चर से आपको यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है.

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आपको थोंग्स भी हमेशा अवॉइड करने चाहिए. ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि यह कम हाइजेनिक होते हैं. इनके अलग डिजाइन के कारण इनसे आपको कुछ बैक्टेरिया भी मिल सकते हैं जो आपकी वेजाइना के लिए बिल्कुल भी हेल्दी नहीं हैं. ऐसे बैक्टेरिया का सबसे प्रमुख उदाहरण है ई काली.

शेपवियर से भी आपको हमेशा बचके रहना चाहिए. यह बहुत से रिस्क भी आपको देता है. कुछ रिसर्च के मुताबिक ज्यादा टाइट शेपवियर आपको पाचन समस्याएं भी दे सकते हैं.

एक साल चलेगा चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी की बेड़ियां को तोड़ा वही भारत को दुनिया की बड़ी ताकत बनाएगी. सामूहिकता की यह शक्ति, आत्मनिर्भर भारत की ताकत है. देश को आत्मनिर्भर बनाने में सामूहिक भागीदारी बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश की एकता और सम्मान सबसे बड़ा है. इसी भावना से प्रत्येक देशवासी को साथ लेकर आगे बढ़ना है. उन्होंने विश्वास जताया कि देश के विकास की यात्रा एक नये भारत के निर्माण के साथ पूर्ण होगी.

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का शुभारम्भ किया. उन्होंने इस अवसर पर चौरी चौरा की घटना पर केन्द्रित एक डाक टिकट भी जारी किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर स्थित चौरी चौरा स्मारक स्थल से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम के साथ जुड़ने के पश्चात संगीत नाटक एकेडमी द्वारा चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का थीम सॉन्ग ‘चौरी चौरा के वीरों ने रचा नया इतिहास’ प्रस्तुत किया गया.

कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा चौरी चौरा की घटना के सम्बन्ध में तैयार की गयी डॉक्यूमेण्ट्री भी प्रदर्शित की गयी. इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी/स्टॉल भी लगाये गये.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले चौरी चौरा की घटना का संदेश बहुत बड़ा और व्यापक था. अनेक कारणों से पहले जब इस घटना की बात हुई, इसे आगजनी के रूप में देखा गया. आगजनी किन परिस्थितियों में हुई, वह महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी व उनकी टीम को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि चौरी चौरा के इतिहास को आज जो स्थान दिया जा रहा है, वह प्रशंसनीय है.

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प्रधानमंत्री जी ने कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के शुभारम्भ के साथ ही, पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम होंगे. देश की आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश के समय यह कार्यक्रम अत्यन्त प्रासंगिक हैं. चौरी चौरा की घटना आम मानवी का स्वतःस्फूर्त संग्राम था. इस संग्राम के शहीदों का बलिदान प्रेरणादायी है. बाबा राघवदास, महामना पं0 मदन मोहन मालवीय का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कम घटनाएं होंगी, जिसमें 19 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गयी हो. अंग्रेज सरकार अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देना चाहती थी, किन्तु बाबा राघवदास, महामना पं0 मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 150 से अधिक लोगों को फांसी से बचा लिया गया.

प्रधानमंत्री जी ने कार्यक्रम से युवाओं को जोड़े जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उन्हें इतिहास के अनकहे लोगों की जानकारी मिलेगी. भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों एवं स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं पर किताबें व शोध पत्र लिखने के लिए कार्यक्रम चला रहा है. इससे चौरी चौरा की घटना के सेनानियों का व्यक्तित्व और कृतित्व सामने लाया जा सकता है. चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रमों को लोककला और संस्कृति से जोड़े जाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जी व उनकी टीम की सराहना की.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि चौरी चौरा के संग्राम में किसानों की भरपूर भूमिका थी. वर्तमान सरकार ने विगत 06 वर्षाें में किसान को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किया है. कोरोना काल में भी कृषि में वृद्धि हुई तथा रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ. केन्द्रीय बजट में किसान कल्याण के लिए कई प्राविधान हैं. 1000 मण्डियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा. इससे किसानों को मण्डी में अपनी फसल को बेचने में आसानी होगी. ग्रामीण क्षेत्र के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इससे किसान लाभान्वित और आत्मनिर्भर तथा कृषि लाभकारी होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का कार्य तेजी से संचालित है. यह योजना ग्रामीण विकास में सहायक है. इसके अन्तर्गत ग्रामीणों को उनके घर, जमीन के मालिकाना हक का अभिलेख उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे ग्रामीण जमीन का मूल्य बढ़ेगा. कर्ज लेने में आसानी होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयास से किस तरह देश व प्रदेश की तस्वीर बदल रही है, गोरखपुर इसका उदाहरण है. यहां खाद कारखाना फिर से शुरु हो रहा है. इससे किसानों को लाभ होगा व युवाओं को रोजगार मिलेगा.

पूर्वांचल में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया गया है. 04 लेन व 06 लेन की सड़कें बन रही हैं. गोरखपुर से 08 शहरों हेतु हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध हो गयी है. कुशीनगर में इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यह सभी विकास कार्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि हैं.

कार्यक्रम स्थल चौरी चौरा, गोरखपुर में उपस्थित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने स्वागत सम्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी का कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आभार प्रकट करते हुए कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव भारत माता के अमर बलिदानी सपूतों के प्रति श्रद्धा व सम्मान व्यक्त करने का अवसर है. चौरी चौरा की घटना 04 फरवरी, 1922 को इसी स्थान पर हुई थी. प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के आयोजन का निर्णय लिया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि चौरी चौरा में आमजन और पुलिस की गोली से तीन लोग शहीद हुए. ब्रिटिश सरकार द्वारा 228 स्वतंत्रता सेनानियों पर मुकदमा चलाया गया. 225 स्वतंत्रता सेनानियों को सजा हुई. इनमें से 19 को मृत्यु दण्ड, 14 को आजीवन कारावास, 19 को आठ वर्ष का कारावास, 57 को पांच वर्ष का कारावास, 20 को तीन वर्ष का कारावास तथा 03 को दो वर्ष के कारावास की सजा दी गयी. इस घटना को ध्यान में रखकर वर्ष 1857 से वर्ष 1947 के मध्य के सभी शहीद स्मारकों एवं आजादी के बाद विभिन्न युद्धों में शहीद अमर बलिदानियों के शहीद स्थलों पर राज्य सरकार द्वारा वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारम्भ की जा रही है. उन्होंने कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का ‘लोगो’ ‘स्वरक्तैः स्वराष्ट्रं रक्षेत्’ अर्थात ‘हम अपने रक्त से अपने राष्ट्र की रक्षा करते हैं’, स्वतंत्रता आन्दोलन के शहीदों के जीवन आदर्शाें से ओतप्रोत है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सायंकालीन सत्र में सभी शहीद स्मारकों व शहीद स्थलों पर पुलिस बैण्ड द्वारा राष्ट्रभक्ति के गीतों का कार्यक्रम, कवि गोष्ठी का आयोजन तथा दीपोत्सव का कार्यक्रम होगा. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी तिथियों पर अमर स्वाधीनता सेनानियों, उनसे जुड़े स्मारकों और शहीद स्थलों पर, उन तिथियों पर मुख्य आयोजन के साथ ही, प्रदेश में समस्त शहीद स्मारकों व शहीद स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे. विद्यालयों में लेखन, पेंटिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिता, ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित साहित्य की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. स्वतंत्रता सेनानियों एवं घटनाओं के सम्बन्ध में विशिष्ट शोध को बढ़ावा देने का कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो रहा है.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. इनमें श्री रामनवल, श्री ओमप्रकाश, श्री लाल किशुन, श्री गुलाब, सुश्री सावित्री, श्री वीरेन्द्र, श्री रामआशीष, श्री मानसिंह यादव, श्री हरिलाल, श्री सौदागर अली, श्री लल्लन, श्री रामराज, श्री मैनुद्दीन, श्री सत्याचरण, श्री दशरथ और श्री राम नारायण त्रिपाठी सम्मिलित हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने 100 दिव्यांगजन को मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल का वितरण किया तथा हरी झण्डी दिखाकर उन्हें रवाना किया. इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने शहीद स्मारक, चौरी चौरा पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने संग्रहालय का भ्रमण कर कराये जा रहे सौन्दर्यीकरण कार्याें का निरीक्षण किया तथा राष्ट्र गीत वन्दे मातरम के समवेतिक गान में प्रतिभाग किया.

कार्यक्रम के अन्त में पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम को सांसद श्री कमलेश पासवान, विधायक श्रीमती संगीता यादव ने भी सम्बोधित किया.

इस अवसर पर समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री सहित जनप्रतिनिधिगण व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

‘कश्मीरी की कली बनीं शहनाज गिल, बादशाह संग आएंगी नजर

बिग बौस फेम शहनाज गिल अपने वेट लौस के बाद से सुर्खियों में हैं. हाल ही में, शहनाज गिल सिद्धार्थ शुक्ला के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट करती नजर आईं थीं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई थी. वहीं अब शहनाज गिल ने अपनी कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वह जम्मू-कश्मीर की वादियों का लुत्फ उठाती नजर आ रही हैं. वहीं फैंस भी शहनाज की इन फोटोज को देखने के बाद रिएक्शन दे रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं शहनाज गिल की लेटेस्ट फोटोज…

शेयर की फोटोज

शहनाज ने इंस्टाग्राम पर कश्मीरी बाला के कपड़ों में अपनी बहुत ही खूबसूरत फोटोज शेयर की हैं. दरअसल, शहनाज, सिंगर और रैपर बादशाह के साथ जम्मू-कश्मीर में एक म्यूजिक वीडियो की शूटिंग कर रही हैं, जिसके चलते हाल ही में शहनाज ने बादशाह संग एक फोटोज शेयर की थीं. वहीं अब शहनाज ने अपने लुक की फोटोज शेयर की है, जिसमें वह कश्मीरी लुक में पोज देती नजर आ रही हैं.

 

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फैंस लुटा रहे हैं प्यार

शहनाज  की फोटोज जहां सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं तो वहीं उनके फैन्स तारीफे करने में लग गए हैं. फैन्स उनकी फोटोज पर कमेंट करते हुए लिख रहे हैं कि  ‘तुमने फोटो डाली और देखो पूरा इंस्टाग्राम हिल गया.’ वहीं दूसरा यूजर ने लिखा, ‘मैं बस तुम्हें देखे जा रही हूं, काला टीका लगा लेना बस बाबू.’

 

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नए अवतार में दिखेंगी शहनाज

 

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बादशाह संग म्यूजिक वीडियो की बात करें तो शहनाज गिल एकदम अलग अवतार में नजर आएंगी. खबरों की मानें तो शहनाज गाने में कश्मीरी बाला के गेटअप और किरदार में होंगी.

बता दें, इन दिनों शहनाज गिल अपने और सिद्धार्थ शुक्ला संग रिश्ते के चलते सुर्खियों में हैं. दरअसल, हाल ही में शहनाज ने अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया था, जिसमें सिद्धार्थ और उनकी मां भी नजर आईं थीं.

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कोरोना की मार से बेहाल हुए जेठालाल, 50 लाख का झेलना पड़ेगा घाटा

टीवी के पौपुलर कौमेडी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah) में आए दिन जेठालाल पर मुसीबतें आती रहती हैं, जिसके लिए उनकी मदद के लिए हर कदम पर तारक मेहता रहते हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में कोरोना प्रकोप के चलते बड़ी मुसीबत का सामना करने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

बापू जी सुना चुके हैं खरीखोटी

लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो बबीजा जी को आई लव यू बोलने के लिए बापू जी ने जेठालाल को खरीखोटी सुनाते हुए नजर आए थे. वहीं अब जेठालाल का साला उनके लिए नई मुसीबत पैदा करते हुए नजर आने वाला है. दरअसल, सुंदर अपने जीजाजी को लुटने के लिए एक नया प्रपोजल लेकर आया है, जिसके कारण जेठालाल को जल्द ही 50 लाख रुपए का नुकसान हो जाएगा.

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जेठालाल को होगा नुकसान

हाल ही में मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो में कोरोनावायरस के कारण जेठालाल को भारी नुकसान होने वाला है. दरअसल, सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि जेठालाल अपने बिजनेस कस्टमर भोगीलाल को फोन करेगा. फोन पर जेठालाल भोगीलाल से अपने 50 लाख रुपए की पेमेंट मांगेगा, जो कि काफी समय से अटकी हुई है.

नही मिलेगी जेठालाल को पेमेंट

जेठालाल के पेमेंट की मांग करते ही भोगीलाल रुपए न देने के लिए बहाना बनाता नजर आ रहा है. भोगीलाल कहेगा कि उसे कोरोना वायरस हो गया है, जिसके कारण उसका बिजनेस ठप्प पड़ गया है. वहीं रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से अब वो अपनी कमाई हॉस्पिटल वालों को दे रहा है, जिसके कारण वह जेठालाल से कहेगा कि वो फिलहाल उसके किसी तरह की कोई पेमेंट नहीं दे पाएगा. इसी के चलते जेठालाल चाहकर भी अपने रुपए नहीं मांग पाएगा.

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बता दें, खबरें हैं कि जल्द ही दयाबेन की एंट्री शो में एंट्री होने वाली है. हालांकि अभी कोई भी आधिकारिक घोषणा नही की गई है. लेकिन शो में दयाबेन के एंट्री की खबर से फैंस खुश हो जाएंगे.

15 वर्ष पहले बीए किया था, लेकिन मैं अब तक बेरोजगार हूं?

सवाल-

मेरी उम्र 35 वर्ष है. 15 वर्ष पहले बीए किया था. अब तक बेरोजगार हूं. कौल सैंटर में नौकरी करना चाहता हूं, परंतु खुद पर आत्मविश्वास नहीं है कि नौकरी मिलेगी या नहीं. मेरी गणित  कमजोर है और इंग्लिश भी. नौकरी में स्टैबिलिटी भी नहीं है. क्या मुझे ऐसी नौकरी करनी चाहिए?

जवाब-

आप ने 15 वर्ष पहले बीए किया तो आप को इतने लंबे समय बेरोजगारी में नहीं काटने चाहिए थे, किसी प्रकार की नौकरी ढूंढ़ लेनी चाहिए थी. खैर, जो बीत गई सो बात गई. वर्तमान पर आते हैं. कौल सैंटर की नौकरी में भाषा का चुनाव होता है, इंग्लिश का ज्ञान जरूरी नहीं और न ही गणित का. यदि आप की बोली साफ है तो आप को आसानी से नौकरी मिल जाएगी. रही बात सफलता और स्टैबिलिटी की, तो कुछ साल नौकरी करने के बाद आप अनुभव प्राप्त कर कोई और नौकरी भी ढूंढ़ सकते हैं. इस से आप में आत्मविश्वास भी आ जाएगा.

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विशाल रोजाना की तरह अपने औफिस गया. वहां जाने पर उसे पता चला कि कंपनी घाटे में चलने और आर्थिक मंदी के कारण कर्मचारियों की छंटनी कर रही है जिस में उस का नाम भी है. कंपनी ने अपने 1,600 कर्मचारियों में से 600 की छुट्टी कर दी.

विशाल के पैरों तले जमीन खिसक गई. उस पर अपने परिवार का दायित्व था. उसे वह कैसे निभाएगा? यह सोचते हुए वह लौट रहा था कि अचानक उस की मुलाकात उस के एक प्रोफैसर से हुई, जिन्होंने उसे 10 वर्ष पूर्व पढ़ाया था. बातों ही बातों में उस ने बताया कि छंटनी की वजह से उस की नौकरी चली गई और अब वह बेरोजगार हो गया है.

प्रोफैसर ने उसे दिलासा देते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं. एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुलता है. इसलिए निराश न हो. तुम पढ़ेलिखे हो, अनुभवी हो और काबिल भी हो. आज नहीं तो कल, तुम्हें जौब अवश्य मिल जाएगी. हां, इस के लिए कोशिश अभी से जारी कर दो. अपनी सोच सकारात्मक रखो और आत्मविश्वास को डगमगाने मत दो, फिर देखो कितनी जल्दी दूसरी नौकरी मिलती है.’’

रोहित जिस फैक्ट्री में काम करता था, उसे किसी अन्य ने खरीद लिया और उसे कंप्यूटरीकृत कर दिया. इस से उस की जगह कंप्यूटरों ने ले ली. कंपनी ने उसे नौकरी से हटा दिया. वह पिछले 8 सालों से सुपरवाइजर का काम कर रहा था.

पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- जब छूट जाए नौकरी

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

फिर छाया कुलोट्स का फैशन, आप भी कर सकती हैं ट्राय

क्रौप टौप के बाद अब क्रौप पैंट्स का ट्रैंड फैशन में छाया हुआ है. इन क्रौप पैंट्स को कुलोट्स के नाम से जाना जाता है. फैशन का यह अंदाज भी जुदा है. नए स्टाइल की पैंटनुमा कुलोट्स आजकल फैशन ट्रैंड की सूची में पहले पायदान पर हैं. इस की सब से बड़ी खासीयत है कि यह पैंट छोटे कद, हैल्दी, लंबी या फिर पतली हर बौडी टाइप की युवतियों पर फबती है. हो सकता है कि पहली नजर में आप इसे नापसंद कर दें, लेकिन इसे नजरअंदाज बिलकुल भी न करेंगी. यदि आप इस नए लुक वाली पैंट को ट्राई करने में हिचक रही हैं, तो शुरुआत में ऐंकल लैंथ वाली कुलोट्स लें. पहली बार इसे पहनने में अटपटा कम लगे, इस के लिए प्रिंटेड कुलोट्स लेने की जगह सिंगल और डार्क कलर मसलन, काला, नीला या भूरे रंग की कुलोट्स चुनें.

1. किस के साथ पहनें कुलोट्स

कुलोट्स को किसी भी टौप के साथ पेयर किया जा सकता है. यह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को किस लुक में देखना पसंद करेंगी. उदाहरण के तौर पर यदि आप हाई वैस्ट कुलोट्स चुनती हैं, तो इसे आप एक स्टाइलिश क्रौप टौप के साथ पेयर कर सकती हैं. इस के अतिरिक्त यदि आप ने लो वैस्ट और ऐंकल लैंथ कुलोट्स को चुना है, तो इस को नी लैंथ कुरती के साथ पहना जा सकता है. कुलोट्स पहनने का यह स्टाइल आप को वैस्टर्न ऐथनिक का फ्यूजन लुक देगा. बाजार में ए लाइन स्कर्टनुमा कुलोट्स भी मौजूद हैं, जिन्हें फौर्मल या स्टाइलिश शर्ट के साथ पेयर किया जा सकता है. फैशन ट्रैंड्स में पहले ही सब के फेवरेट बन चुके ज्वैल्ड टौप भी कुलोट्स के साथ स्टाइलअप किए जा सकते हैं.

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2. कब और कहां पहनें

कई लैंथ, स्टाइल और पैटर्न्स में मौजूद कुलोट्स न सिर्फ स्टाइलिश लगती हैं, बल्कि इन्हें पहनना भी काफी कंफर्टेबल है. इसीलिए इन्हें किसी भी जगह आसानी से कैरी किया जा सकता है. खासतौर पर गरमी के मौसम में तो ये बहुत ही आरामदायक होती हैं. आप इन्हें डे पार्टी, नाइट आउटिंग यहां तक कि औफिस में भी पहन कर जा सकती हैं. हां, यदि आप औफिस में कुलोट्स पहनना चाहती हैं तो फौर्मल लुक वाली कुलोट्स ही चुनें और इसे फौर्मल शर्ट या टौप के साथ ही पेयर करें. फौर्मल लुक के लिए आप मोनोक्रोमैटिक कलर की कुलोट्स ट्राई करें. इन के साथ आप ब्लेजर भी पहन सकती हैं. ब्लेजर और कुलोट्स का कौंबिनेशन सुनने में भले ही आप को अटपटा लग रहा हो, लेकिन यह आप को स्टाइलिश प्रोफैशनल लुक देगा.

3. बौलीवुड में छाया कुलोट्स  का जादू

 

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फिल्म ‘पीकू’ में दीपिका पादुकोण को पहली बार कई दृश्यों में कुलोट्स पहने देखा गया. तब इसे नी लैंथ कुरतियों के साथ ही पेयर करने का ट्रैंड था. लेकिन अब दीपिका के अलावा आलिया भट्ट भी फिल्म ‘शानदार’ के प्रमोशन पर फौर्मल लुक वाली कुलोट्स में दिखीं. तब से कुलोट्स के साथ फैशन ऐक्सपैरिमैंट का सिलसिला शुरू हो गया. अब इस स्टाइलिश पैंट को बौलीवुड की अन्य अभिनेत्रियां भी अलगअलग इवेंट्स में अलगअलग टौप्स के साथ कैरी करते देखी जा चुकी हैं. एक फोटोशूट के दौरान सोनम कपूर को भी कौमिक प्रिंट वाली कुलोट्स में देखा गया. कई जानेमाने फैशन डिजाइनर्स कुलोट्स को फैशन इंडस्ट्री में न्यू ऐंट्री नहीं मानते. उन की मानें, तो क्युलोट्स का फैशन 70 के दशक से प्रचलित है. अब नए लुक और स्टाइल के साथ इस का कमबैक हुआ है.

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4. कुलोट्स का इतिहास

 

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स्कर्ट की तरह दिखने वाली कुलोट्स  वास्तव में एक शौर्ट पैंट की तरह होती है. फ्रांस के हैनरी तृतीय के शासनकाल के दौरान कुलोट्स काफी लोकप्रिय थी. इस के बाद विक्टोरियन युग में जब महिलाओं को पैंट पहनने की स्वतंत्रता चाहिए थी, उस वक्त भी स्कर्टनुमा पैंट के रूप में कुलोट्स प्रचलन में आई. तब से ले कर अब तक इस के डिजाइन, पैटर्न और स्टाइल में कई बदलाव आ चुके हैं. क्युलोट्स का फैशन पिछले वर्ष से हौट लिस्ट में शामिल हो चुका है. कुलोट्स का ही एक स्वरूप डिवाइडेड स्कर्ट है. अधिकतर भारतीय स्कूलों में लड़कियों को डिवाइडेड स्कर्ट ही यूनिफौर्म के रूप में पहननी होती है.

रैंट एग्रीमैंट: इन 7 बातों को न करें नजरअंदाज

किसी भी रेंट एग्रीमैंट को साइन करते समय या बनवाते समय मकानमालिक और किराएदार दोनों को ही कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. जैसे, मकानमालिक को जहां किराएदार से जुड़ी पूरी जानकारी होनी चाहिए, वहीं कहीं मकानमालिक कोई धोखा तो नहीं कर रहा. इस की जानकारी किराएदार को होनी चाहिए. दूसरा, कितने समय से कितने समय तक के लिए प्रौपर्टी किराए पर दी जा रही है, साथ ही बिजली, पानी व हाउस टैक्स का बिल कौन देगा. क्या वह किराए में ही सम्मिलित है या किराए से अलग है. यह स्पष्ट होना चाहिए.

1. क्लीन अक्षरों में हो रैंट एग्रीमेंट

किराया कितने समय बाद बढ़ाया जाएगा और कितना, यह सब भी रैंट एग्रीमैंट में साफ-साफ शब्दों में लिखा जाना चाहिए. मकानमालिक की सबलैटिंग से जुड़ी नीति के बारे में भी रैंट एग्रीमैंट में लिखा होना चाहिए. किराए के मकान के कायदेकानून की जानकारी होना आवश्यक ओ.पी. सक्सेना (ऐडीशनल पब्लिक प्र्रौसीक्यूटर, दिल्ली सरकार)

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2. रेंट कंट्रोल एक्ट

यह कानून किसी भी रिहायशी या व्यावसायिक प्रौपर्टी, जो किराए पर ली या दी जाती है, उस पर लागू होता है और किराएदार एवं मकानमालिक के सिविल राइटस की रक्षा करता है. इस कानून का सही फायदा उस दशा में होता है, जब प्रौपर्टी का किराया रु. 3500 प्रति माह तक या इस से कम हो. यदि किराया रु. 3500 से ज्यादा है और किराएदार व मकानमालिक में कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.

3. रेंट एग्रीमैंट में प्रौफेशनल्स से जुड़वाएं ये चीजें

रैंट एग्रीमैंट नोटरी के वकील की मदद से बनवाया जा सकता है. इस में कुछ खास बातों का ध्यान में रखना आवश्यक है.

  • किराएदार व मकानमालिक का पूरा नाम व सही पता दर्ज हो. किराए के लिए निर्धारित की गई रकम के साथ डिपाजिट की गई सिक्योरिटी व एडवांस का जिक्र अवश्य हो.
  • यदि बिजल पानी का भुगतान किराए में नहीं है, तो इस का जिक्र भी आवश्यक है.
  • किराएदार से जबरन मकान खाली नहीं कराया जा सकता : रैंट एग्रीमैंट में एक महीने के नोटिस का प्रावधान होने के बावजूद कोई भी मकानमालिक किराएदार से जबरदस्ती मकान खाली नहीं करा सकता. यदि कोई मकानमालिक ऐसा करने की कोशिश करे, तो अदालत में उस के खिलाफ अर्जी दी जा सकती है और स्टे आर्डर लिया जा सकता है.

4. रिटीनेंसी का न हो केस

मकान लेने से पहले किराएदार को यह जान लेना आवश्यक है कि जिस से वह मकान ले रहा है, वही मकान का असली मालिक है. यदि ऐसा नहीं है, तो मकान किराए पर देने वाले के पास टीनेंसी का अधिकार होना चाहिए. यदि यह सावधानी न बरती जाए, तो मकान का असली मालिक बिना किसी नोटिस के मकान खाली करा सकता है.

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5. किराएदार की पूरी जानकारी

मकानमालिक के लिए आवश्यक है कि वह किराएदार की सही पहचान, मूल निवास, कार्यालय व आचरण के साथ इस बात की भी पूरी जानकारी जुटा ले कि वह किराया देने की हैसियत रखता है या नहीं. बाद में यदि किराएदार 1-2 महीने तक किराया नहीं भी दे पाता, तो मकानमालिक बिना अदालत का सहारा लिए मकान खाली नहीं करा सकता.

6. मकान की मैंटेनंस

मकान में होने वाली रिपेयरिंग व साल में एक बार रंगाईपुताई का दायित्व मकानमालिक का बनता है. किराएदार को कानूनन ये अधिकार प्राप्त हैं तथा इस के बारे में वह मकानमालिक को कह सकता है और रैंट एग्रीमैंट में भी इस का जिक्र कर सकता है.

7. किराए की बढ़ोतरी

रैंट एग्रीमैंट 11 महीने तक वैध होता है और नए एग्रीमैंट में पहले कानूनन किराए में 10% की वृद्धि का प्रावधान है. यदि मकानमालिक इस से ज्यादा किराया बढ़ाने का दबाव बनाता है, तो किराएदार को आपत्ति जताने का अधिकार है. किराया तय करने से पहले उस क्षेत्र के आसपास के मकानों से किराए का अंदाजा अवश्य लें.

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…और दीप जल उठे: अरुणा ने आखिर क्यों कस ली थी कमर

ट्रिनट्रिन…फोन की घंटी बजते ही हम फोन की तरफ झपट पड़े. फोन पति ने उठाया. दूसरी ओर से भाईसाहब बात कर रहे थे. रिसीवर उठाए राजेश खामोशी से बात सुन रहे थे. अचानक भयमिश्रित स्वर में बोले, ‘‘कैंसर…’’ इस के बाद रिसीवर उन के हाथ में ही रह गया, वे पस्त हो सोफे पर बैठ गए. तो वही हुआ जिस का डर था. मां को कैंसर है. नहीं, नहीं, यह कोई बुरा सपना है. ऐसा कैसे हो सकता है? वे तो एकदम स्वस्थ थीं. उन्हें कैंसर हो ही नहीं सकता. एक मिनट में ही दिमाग में न जाने कैसेकैसे विचार तूफान मचाने लगे थे. 2 दिनों से जिन रिपोर्टों के परिणाम का इंतजार था आज अचानक ही वह काला सच बन कर सामने आ चुका था.

‘‘अब क्या होगा?’’ नैराश्य के स्वर में राजेश के मुंह से बोल फूटे. विचारों के भंवर से निकल कर मैं भी जैसे यह सुन कर अंदर ही अंदर सहम गई. ‘भाईसाहब से क्या बात हुई,’ यह जानने की उत्सुकता थी. औचक मैं चिल्ला पड़ी, ‘‘क्या हुआ मां को?’’ बच्चे भी यह सुन कर पास आ गए. राजेश का गला सूख गया. उन के मुंह से अब आवाज नहीं निकल रही थी. मैं दौड़ कर रसोई से एक गिलास पानी लाई और उन की पीठ सहलाते, उन्हें सांत्वना देते हुए पानी का गिलास उन्हें थमा दिया. पानी पी कर वे संयत होने का प्रयास करते हुए धीमी आवाज में बोले, ‘‘अरुणा, मां की जांच रिपोर्ट्स आ गई हैं. मां को स्तन कैंसर है,’’ कहते हुए वे फफकफफक कर बच्चों की तरह रोने लगे. हम सभी किंकर्तव्यविमूढ़ उन की तरफ देख रहे थे. किसी के भी मुंह से आवाज नहीं निकली. वातावरण में एक सन्नाटा पसर गया था. अब क्या होगा? इस प्रश्न ने सभी की बुद्धि पर मानो ताला जड़ दिया था. राजेश को रोते हुए देख कर ऐसा लगा, मानो सबकुछ बिखर गया है. मेरा घरपरिवार मानो किसी ऐसी भंवर में फंस गया जिस का कोई किनारा नजर नहीं आ रहा था.

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मैं खुद को संयत करते हुए राजेश से बोली, ‘‘चुप हो जाओ राजेश. तुम्हें इस तरह मैं हिम्मत नहीं हारने दूंगी. संभालो अपनेआप को. देखो, बच्चे भी तुम्हें रोता देख कर रोने लगे हैं. तुम इतने कमजोर कैसे हो सकते हो? अभी तो हमारे संघर्ष की शुरुआत हुई है. अभी तो आप को मां और पूरे परिवार को संभालना है. ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जो ठीक न किया जा सके. हम मां को यहां बुलाएंगे और उन का इलाज करवाएंगे. मैं ने पढ़ा है, स्तन कैंसर इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकता है.’’

मेरी बातों का जैसे राजेश पर असर हुआ और वे कुछ संयत नजर आने लगे. सभी को सुला कर रात में जब मैं बिस्तर पर लेटी तो जैसे नींद आंखों से कोसों दूर हो गई हो. राजेश को तो संभाल लिया पर खुद मेरा मन चिंताओं के घने अंधेरे में उलझ चुका था. मन रहरह कर पुरानी बातें याद कर रहा था. 10 वर्ष पहले जब शादी कर मैं इस घर में आई थी तो लगा ही नहीं कि किसी दूसरे परिवार में आई हूं. लगा जैसे मैं तो वर्षों से यहीं रह रही थी. माताजी का स्नेहिल और शांत मुखमंडल जैसे हर समय मुझे अपनी मां का एहसास करा रहा था. पूरे घर में जैसे उन की ही शांत छवि समाई हुई थी. जैसा शांत उन का स्वभाव, वैसा ही उन का नाम भी शांति था. वे स्कूल में अध्यापिका थीं.

स्कूल के साथसाथ घर को भी मां ने जिस निपुणता से संभाला हुआ था, लगता था उन के पास कोई जादू की छड़ी है जो पलक झपकते ही सारी समस्याओं का समाधान कर देती है. घर के सभी सदस्य और दूरदूर तक रिश्तेदार उन की स्नेहिल डोर से सहज ही बंधे थे. घर में ससुरजी, भाईसाहब, भाभी और दीदी में भी मुझे उन के ही गुणों की छाया नजर आती थी. लगता था मम्मीजी के साथ रहतेरहते सभी उन्हीं के जैसे स्वभाव के हो गए हैं.

इन सारी मधुर स्मृतियों को याद करतेकरते मुझे वह क्षण भी याद आया जब राजेश का तबादला जयपुर हुआ था. मम्मीजी ने एक मिनट भी नहीं सोचा और तुरंत मुझे भी राजेश के साथ ही जयपुर भेज दिया. खुद वे मेरी गृहस्थी जमाने वहां आई थीं और सबकुछ ठीक कर के एक सप्ताह बाद ही लौट गई थीं. यह सब सोचतेसोचते न जाने कब मेरी आंख लग गई. अचानक सवेरे दूध वाले भैया ने दरवाजे की घंटी बजाई तो आवाज सुन कर हड़बड़ा कर मेरी आंख खुली. देखा साढ़े 6 बज चुके थे.

‘अरे, बच्चों को स्कूल के लिए कहीं देर न हो जाए,’ सोचते हुए झपपट पहले दूध लिया. दोनों को तैयार कर के स्कूल भेजतेभेजते दिमाग ने एक निर्णय ले लिया था. राजेश की चाय बना कर उन्हें उठाते हुए मैं ने अपने निर्णय से उन्हें अवगत करा दिया. मेरे निर्णय से राजेश भी सहमत थे. राजेश ने भाईसाहब को फोन किया, ‘‘आप मां को ले कर आज ही जयपुर आ जाइए. हम मां का इलाज यहीं करवाएंगे, लेकिन आप मां को उन की बीमारी के बारे में कुछ भी मत बताना. और हां, कैसे भी उन्हें यहां ले आइए.’’ भाईसाहब भी राजेश से बात कर के थोड़ा सहज हो गए थे और उसी दिन ढाई बजे की बस से रवाना होने को कह दिया.

‘राजेश के साथ पारिवारिक डाक्टर रवि के यहां हो आते हैं,’ मैं ने सोचा, फिर राजेश से बात की. वे राजेश के बहुत अच्छे मित्र भी हैं. हम दोनों को अचानक आया देख कर वे चौंक गए. जब हम ने उन्हें अपने आने का कारण बताया तो उन्होंने हमें महावीर कैंसर अस्पताल जाने की सलाह दी. उसी समय उन्होंने वहां अपने कैंसर स्पैशलिस्ट मित्र डा. हेमंत से फोन कर के दोपहर का अपौइंटमैंट ले लिया. डा. हेमंत से मिल कर कुछ सुकून मिला. उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर से डरने की कोई बात नहीं है. आजकल तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है. आप सब से पहले मुझे यह बताइए कि माताजी की यह समस्या कब सामने आई?

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मैं ने बताया कि एक सप्ताह पहले माताजी ने झिझकते हुए मुझे अपने एक स्तन में गांठ होने की बात कही थी तो अंदर ही अंदर मैं डर गई थी. लेकिन मैं ने उन से कहा कि मम्मीजी, आप चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा. जब 4-5 दिनों में वह गांठ कुछ ज्यादा ही उभर कर सामने आई तो मम्मीजी चिंतित हो गईं और उन की चिंता दूर करने के लिए भाईसाहब उन्हें दिखाने एक डाक्टर के पास ले गए. जब डाक्टर ने सभी जांच रिपोर्ट्स देखीं तो कैंसर की पुष्टि की.

सब सुनने के बाद डा. हेमंत ने भी कहा, ‘‘आप तुरंत माताजी को यहां ले आएं.’’ मैं ने उन्हें बता दिया कि वे आज शाम को ही यहां पहुंच रही हैं. डा. हेमंत ने अगले दिन सुबह आने का समय दे दिया. राहत की सांस ले कर हम घर चले आए.

रात साढ़े 8 बजे मम्मीजी भाईसाहब के साथ जयपुर पहुंच गईं. राजेश गाड़ी से उन्हें घर ले आए. आते ही मम्मीजी ने पूछा कि क्या हो गया है उन्हें? तुम ने यहां क्यों बुला लिया? मम्मीजी की बात सुन कर मैं ने सहज ही कहा, ‘‘मम्मीजी, ऐसा कुछ नहीं है. बच्चे आप को याद कर रहे थे और आप की गांठ की बात सुन कर राजेश भी कुछ विचलित हो गए थे, इसलिए मैं ने सामान्य चैकअप के लिए आप को यहां बुला लिया है. आप चिंता न करें, आप बिलकुल ठीक हैं.’’ मेरी बात सुन कर मम्मीजी सहज हो गईं. तभी बच्चों को चुप देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘अरे, नीटूचीनू तुम दूर क्यों खड़े हो? यह देखो मैं तुम्हारे लिए क्याक्या लाई हूं.’’ बच्चे भी दादी को हंसते हुए देख दौड़ कर उन से लिपट पड़े. ‘‘दादीमां, आप कितने दिनों बाद यहां आई हो. अब हम आप को यहां से कभी भी जाने नहीं देंगे.’’ बच्चों के सहज स्नेह से अभिभूत मम्मीजी उन को अपने लाए खिलौने दिखाने में व्यस्त हो गईं, तो मैं रसोई में उन के लिए चाय बनाने चली गई. इसी बीच राजेश ने भाईसाहब को डा. हेमंत से हुई बातचीत बता दी. अगले दिन सुबह जल्दी तैयार हो कर मम्मीजी राजेश और भाईसाहब के साथ अस्पताल चली गईं.

कैंसर अस्पताल का बोर्ड देख कर मम्मी चौंकी थीं, पर राजेश ने होशियारी बरतते हुए कहा, ‘‘आप पढि़ए, यहां पर लिखा है, ‘भगवान महावीर कैंसर ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट.’ कैंसर के इलाज के साथ जांचों के लिए यही बड़ा केंद्र है.’’ मां यह बात सुन कर चुप हो गई थीं. अगले 2 दिन जांचों में ही चले गए. इस दौरान उन्हें कुछ शंका हुई, वे बारबार मुझ से पूछतीं, ‘‘तुम ही बताओ, आखिर मुझे हुआ क्या है? ये दोनों भाई तो कुछ बताते नहीं. तुम तो कुछ बताओ. तुम्हें तो सब पता होगा?’’ मैं सहज रूप से कहती, ‘‘अरे, मम्मीजी, आप को कुछ नहीं हुआ है. यह स्तन की साधारण सी गांठ है, जिसे निकलवाना है. डाक्टर छोटी सी सर्जरी करेंगे और आप एकदम ठीक हो जाओगी.’’

‘‘पर यह गांठ कुछ दर्द तो करती नहीं है, फिर निकलवाने की क्या जरूरत है?’’ उन के मुंह से यह सुन कर मुझे सहज ही पता चल गया कि कैंसर के बारे में हमारी अज्ञानता ही इस रोग को बढ़ाती है. मम्मीजी ने तो मुझे यह भी बताया कि उन के स्कूल की एक अध्यापिका ने उन्हें एक वैद्य का पता बताया था जोकि बिना किसी सर्जरी के एक सप्ताह के भीतर अपनी आयुर्वेदिक गोलियों और चूर्ण से यह गांठ गला सकते हैं. मैं ने साफ कह दिया, ‘‘मम्मीजी, हमें इन चक्करों में नहीं पड़ना है.’’ मेरी बात सुन कर वे निरुत्तर हो गईं. जांच रिपोर्ट आने के तीसरे दिन ही डाक्टर ने औपरेशन की तारीख निश्चित कर दी थी. औपरेशन के एक दिन पहले ही रात को मम्मीजी को अस्पताल में भरती करवा दिया गया. राजेश और भाईसाहब मां की जरूरत का सामान बैग में ले कर अस्पताल चले गए.

अगले दिन ब्लडप्रैशर नौर्मल होने पर सवेरे 9 बजे मम्मीजी को औपरेशन थिएटर में ले जाया गया. हम लोग औपरेशन थिएटर के बाहर बैठ इंतजार कर रहे थे. साढ़े 11 बजे तक मम्मीजी का औपरेशन चला. उन के एक ही स्तन में 2 गांठें थीं. सर्जरी से डाक्टर ने पूरे स्तन को ही हटा दिया.

अचानक ही आईसीयू से पुकार हुई, ‘‘शांति के साथ कौन है?’ सुन कर हम सभी जड़ हो गए. राजेश को आगे धकेलते हुए हम ने जैसेतैसे कहा, ‘‘हम साथ हैं.’’ डाक्टर ने राजेश को अंदर बुलाया और कहा कि औपरेशन सफल रहा है. अब इस स्तन के टुकड़े को जांच के लिए मुंबई प्रयोगशाला में भेजेंगे ताकि यह पता लग सके कि कैंसर किस अवस्था में था. राजेश को उन्होंने कहा, ‘‘आप चिंता नहीं करें, आप की माताजी बिलकुल ठीक हैं. औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है तथा 4 से 6 घंटे बाद उन्हें होश आ जाएगा.’’

राजेश जब बाहर आए तो वे सहज थे. उन को शांत देख कर हमें भी चैन आया. तभी भाईसाहब ने परेशान होते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ? तुम्हें अंदर क्यों बुलाया था?’’ राजेश ने बताया कि चिंता की बात नहीं है. डाक्टर ने सर्जरी कर हटाए गए स्तन को दिखाने के लिए बुलाया था. मम्मीजी बिलकुल ठीक हैं.

शाम को करीब साढ़े 7 बजे मम्मीजी को होश आया. होश आते ही उन्होंने पानी मांगा. भाईसाहब ने उन्हें थोड़ा पानी पिलाया. तब तक दीदी भी बीकानेर से आ चुकी थीं. दीदी आते ही रोने लगीं तो हम ने उन्हें मां के सफल औपरेशन के बारे में बताया. जान कर दीदी भी शांत हो गईं. अगले दिन सुबह मां को आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. उन्हें हलका खाना जैसे खिचड़ी, दलिया, चायदूध देने की इजाजत दी गई थी.

3 दिनों तक तो उन्हें औपरेशन कहां हुआ है, यह पता ही नहीं चला, लेकिन जैसे ही पता चला वे बहुत दुखी हुईं और रोने लगीं. तब मैं ने उन्हें बताया, ‘‘मम्मीजी, अब चिंता की कोई बात नहीं है. एक संकट अचानक आया था और अब टल चुका है. अब आप एकदम स्वस्थ हैं.’’ 10 दिनों तक हम सभी हौस्पिटल के चक्कर लगाते रहे. मम्मीजी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई तो फिर घर आ गए. घर पहुंच कर हम सभी ने राहत की सांस ली. भाईसाहब और दीदी को हम ने रवाना कर दिया. मां भी तब तक थोड़ा सहज हो गई थीं. अब उन्हें कैंसर के बारे में पता चल चुका था और वे समझ चुकी थीं कि औपरेशन ही इस का इलाज है.

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एक महीने में उन के टांके सूख गए थे और हम ने हौस्पिटल जा कर उन के टांके कटवाए, क्योंकि वे एक मोटे लोहे के तार से बंधे थे. डाक्टर ने मम्मीजी का हौसला बढ़ाया तथा उन्हें बताया कि अब आप बिलकुल ठीक हैं. आप ने इस बीमारी का पहला पड़ाव सफलतापूर्वक पार कर लिया है. पहले पड़ाव की बात सुन कर हम सभी चौंक गए. ‘‘डाक्टर ये आप क्या कह रहे हैं?’’ राजेश ने जब डाक्टर से पूछा तो उन्होंने बताया कि आप की माताजी का औपरेशन तो अच्छी तरह हो गया है, लेकिन भविष्य में यह बीमारी फिर से उभर कर सामने न आए, इसलिए हमें दूसरे चरण को भी पार करना होगा और वह दूसरा चरण है, कीमोथेरैपी?

‘‘कीमोथेरैपी,’’ हम ने आश्चर्य जताया. डाक्टर ने बताया कि कैंसर अभी शुरुआती दौर में ही है. यह यहीं समाप्त हो जाए, इस के लिए हमें कीमोथेरैपी देनी होगी. कैंसर के कीटाणु के विकास की थोड़ीबहुत आशंका भी अगर हो तो उसे कीमोथेरैपी से खत्म कर दिया जाएगा. डाक्टर ने बताया कि आप की माताजी के टांके अब सूख चुके हैं. सो, ये कीमोथेरैपी के लिए बिलकुल तैयार हैं. अब आप इन्हें कीमोथेरैपी दिलाने के लिए 4 दिनों बाद यहां ले आएं तो ठीक रहेगा. पता चला, मां को कीमोथेरैपी दी जाएगी. कैंसर में दी जाने वाली यह सब से जरूरी थेरैपी है. 4 दिनों बाद मैं और राजेश मां को ले कर हौस्पिटल पहुंचे. 9 बजे से कीमोथेरैपी देनी शुरू कर दी गई. थेरैपी से पहले मां को 3 दवाइयां दी गईं ताकि थेरैपी के दौरान उन्हें उलटियां न हों. 2 बोतल ग्लूकोज की पहले, फिर कैंसर से बचाव की वह लाल रंग की बड़ी बोतल और उस के बाद फिर से 3 बोतल ग्लूकोज की तथा एक और छोटी बोतल किसी और दवाई की ड्रिप द्वारा मां को चढ़ाई जा रही थीं. धीरेधीरे दी जाने वाली इस पहली थेरैपी के खत्म होतेहोते शाम के 7 बज चुके थे. मैं अकेली मां के पास बैठी थी. शाम को औफिस से राजेश सीधे हौस्पिटल ही आ गए थे.

रात को 8 बजे हम तीनों घर पहुंचे. थेरैपी की वजह से मम्मीजी का सिर चकरा रहा था. हलका खाना खा कर वे सो गईं. अब अगली थेरैपी उन्हें 21 दिनों के बाद दी जानी थी. पहली थेरैपी के बाद ही उन के घने लंबे बाल पूरी तरह झड़ गए. यह देख कर हम सभी काफी दुखी हुए. बाल झड़ने के कारण मां पूरे समय अपने सिर को स्कार्फ से ढक कर रखती थीं. कई बार मां इस दौरान कहतीं, ‘‘कैंसर के औपरेशन में इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी इस थेरैपी से हो रही है.’’

मैं उन को ढाढ़स बंधाती, ‘‘मम्मीजी, आप चिंता मत करो, यह तो पहली थेरैपी है न, इसलिए आप को ज्यादा तकलीफ हो रही है. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.’’ थेरैपी के प्रभाव के फलस्वरूप उन की जीभ पर छाले उभर आए. पानी पीने के अलावा कोई चीज वे सहज रूप से नहीं खापी पाती थीं. यह देख कर हम सभी को बहुत कष्ट होता था. उन के लिए बिना मिर्च, नमक का दलिया, खिचड़ी बनाने लगी, ताकि वे कुछ तो खा सकें. फलों का जूस भी थोड़ाथोड़ा देती रहती थी ताकि उन को कुछ राहत मिले. इस तरह 21-21 दिन के अंतराल में उन की सभी 6 थेरैपी पूरी हुईं.

हालांकि ये थेरैपी मम्मीजी के लिए बहुत कष्टकारी थीं लेकिन हम सभी यही सोचते थे कि स्वास्थ्य की तरफ मां का यह दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक संपन्न हो जाए, तो अच्छा है. जिस दिन अंतिम थेरैपी पूरी हुई तो मां के साथ मैं ने और राजेश ने भी राहत की सांस ली. जब डाक्टर से मिलने उन के कैबिन में गए तो खुश होते हुए डाक्टर ने हमें

बधाई दी, ‘‘अब आप की माताजी बिलकुल स्वस्थ हैं. बस, वे अपने खानेपीने का ध्यान रखें. पौष्टिक भोजन, फल, सलाद और जूस लेती रहें. सामान्य व्यायाम, वाकिंग करती रहें, तो अच्छा होगा.’’ इस के साथ ही डाक्टर ने हमें यह हिदायत विशेषरूप से दी कि जिस स्तन का औपरेशन हुआ है उस तरफ के हाथ पर किसी तरह का कोई कट नहीं लगने पाए. डाक्टर से सारी हिदायतें और जानकारी ले कर हम घर आ गए. अब हर 6 महीने के अंतराल में मां की पूरी जांच करवाते रहना जरूरी था ताकि उन का स्वास्थ्य ठीक रहे और भविष्य में इस तरह की कोई परेशानी सामने न आए. एक महीने आराम के बाद मम्मीजी वापस बीकानेर लौट गई थीं.

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6 साल हो गए हैं. अब तो डाक्टर ने जांच भी साल में एक बार कराने के लिए कह दिया. मम्मीजी का जीवन दोबारा उसी रफ्तार और क्रियाशीलता के साथ शुरू हो गया. आज मम्मीजी अपने स्कूल और महल्ले में सब की प्रेरणास्रोत हैं. आज वे पहले से भी अधिक ऐक्टिव हो गई हैं. अब वे 2 स्तरों पर अध्यापन करवाती हैं- एक अपने स्कूल में और दूसरे कैंसर के प्रति सभी को जागरूक व सजग रहने के लिए प्रेरित करती हैं. उन्हें स्वस्थ और प्रसन्न देख कर मेरे साथ पूरा परिवार और रिश्तेदार सभी फिर से उन के स्नेह की छत्रछाया में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं.

वर्कप्लेस को ऐसे बनाएं खास

पहला भाग पढ़ें- जौब से करेंगे प्यार तो सक्सेस मिलेगी बेशुमार

औफिस में काम करने के लिए जरूरी है कि हम अपने बर्ताव पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारी लाइफ स्मूदली चलती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप औफिस में अपने मूड स्विंग्स को कंट्रोल करते हुए एक अच्छा वर्कप्लेस बनाएंगे. तो आइए जानते हैं वर्क स्पेस से जुड़ी बातें…

1. सबसे पहले पसंदीदा काम करें

सुबह की शुरुआत 15 मिनट पहले करें. इस समय का इस्तेमाल उन कामों के लिए करें जो आप को ऊर्जावान बनाते हों. सुबह की शुरुआत सही होगी, तो पूरा दिन अच्छा गुजरेगा.

2. नापसंद काम लंच से पहले करें

कई काम पसंद तो नहीं होते, लेकिन उन्हें करना आप की जिम्मेदारी होती है. जैसे, किसी चिड़चिड़े ग्राहक से बात करना, किसी घिसीपिटी, असफल फाइल पर पत्राचार करना या उलझा हुआ हिसाबकिताब फिर से जांचना आदि. इन कामों को लंच से पहले कर डालें, ताकि लंच करने के बाद आप फ्रैश मूड में काम कर सकें.

 3. किसी के लिए अच्छा करें

दिन का ऐसा समय चुनें जब आप सब से ज्यादा थके हुए या नाखुश हों. इस समय औफिस में किसी कलीग की बिना अपेक्षा के मदद करें. इस का पौजिटिव असर होगा. मदद करने से जीवन में खुशियां आती हैं, साथ ही उन में आप के प्रति अच्छी भावना भी आएगी.

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4. कृतज्ञता जताना सीखें

आप को जो काम करने का मौका मिला है, उस के लिए धन्यवाद कहें. किसी भी काम को इस तरह से पूरा करें कि वह आप को अपने मकसद के थोड़ा और करीब ले जाए. खुद को मिली आजादी और मौके के लिए कृतज्ञ रहें. आप गौर करें कि आभार जताते समय दुखी नहीं रहा जा सकता. जीवन को महसूस करने की कोशिश करें.

वर्कप्लेस पर खुशियां ढूंढ़ें ताकि आप खुश रहें. बौस के गलत व्यवहार और विफलताओं को भुला कर आगे बढ़ें. नैगेटिव खयाल आप को कुछ नहीं देते. आप को जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है उन्हें खुशीखुशी पूरा करें.

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