रात का खाना खा कर मलय अपने कमरे में सोने चला गया. मोहक को सुला कर तृषा भी उस के पास आ कर लेट गई और अनुराग भरी दृष्टि से मलय को देखने लगी. मलय उसे अपनी बांहों में जकड़ कर उस के होंठों पर चुंबनों की बारिश करने लगा. तृषा का शरीर भी पिघलता जा रहा था. उस ने भी उस के सीने में अपना मुंह छिपा लिया. तभी मलय एक झटके से अलग हो गया, ‘‘सो जाओ तृषा, रात बहुत हो गई है,’’ कह करवट बदल कर सोने का प्रयास करने लगा.
तृषा हैरान सी मलय को निहारने लगी कि क्या हो गया है इसे. क्यों मुझ से दूर जाना चाहता है? अवश्य इस के जीवन में कोई और आ गई है तभी यह मुझ से इतना बेजार हो गया है और वह मन ही मन सिसक उठी. प्रात:कालीन दिनचर्या आरंभ हो गई. मलय को चाय बना कर दी. मोहक को स्कूल भेजा. फिर नहाधो कर नाश्ते की तैयारी करने लगी. रात के विषय में न उस ने ही कुछ पूछा न ही मलय ने कुछ कहा. एक अपराधभाव अवश्य ही उस के चेहरे पर झलक रहा था. ऐसा लग रहा था वह कुछ कहना चाहता है, लेकिन कोई अदृश्य शक्ति जैसे उसे रोक रही थी.
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तृषा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी कि क्या करूं कैसे पता करूं कि कौन सी ऐसी परेशानी है जो बारबार तलाक की ही बात करता है… पता तो करना ही होगा. उस ने मलय के औफिस जाने के बाद उस के सामान को चैक करना शुरू किया कि शायद कोई सुबूत मिल ही जाए. उस की डायरी मिल गई, उसे ही पढ़ने लगी, तृषा के विषय में ही हर पन्ने पर लिखा था, ‘‘मैं तृषा से दूर नहीं रह सकता. वह मेरी जिंदगी है, लेकिन क्या करूं मजबूरी है. मुझे उस से दूर जाना ही होगा. मैं उसे अब और धोखे में नहीं रख सकता.’’ तृषा ये पंक्तियां पढ़ कर चौंक गई कि क्या मजबूरी हो सकती है. इन पंक्तियों को पढ़ कर पता चल जाता है कि किसी और का उस की जिंदगी में होने का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता है, फिर क्यों वह तलाक की बात करता है?
उस के मन में विचारों का झंझावात चल ही रहा था कि तभी उस की नजर मलय के मोबाइल पर पड़ी, ‘‘अरे, यह तो अपना मोबाइल भूल कर औफिस चला गया है. चलो, इसी को देखती हूं. शायद कोई सुराग मिल जाए, फिर उस ने मलय के कौंटैक्ट्स को खंगालना शुरू कर दिया. तभी डाक्टर धीरज का नाम पढ़ कर चौंक उठी. 1 हफ्ते से लगातार उस से मलय की बात हो रही थी. डाक्टर धीरज से मलय को क्या काम हो सकता है, वह सोचने लगी, ‘‘कौल करूं… शायद कुछ पता चल जाए, और फिर कौल का बटन दबा दिया. ‘‘हैलो, मलयजी आप को अपना बहुत ध्यान रखना होगा, जैसाकि आप को पता है, आप को एचआईवी पौजिटिव है. इलाज संभव है पर बहुत खर्चीला है. कब तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन आप परेशान न हों. कुदरत ने चाहा तो सब ठीक होगा,’’ डाक्टर धीरज ने समझा कि मलय ही कौल कर रहा है. उन्होंने सब कुछ बता दिया.
तृषा को अब अपने सवाल का जवाब मिल गया था. उस की आंखें छलछला उठीं कि तो यह बात है जो मलय मुझ से छिपा रहा था. लेकिन यह संक्रमण हुआ कैसे. वह तो सदा मेरे पास ही रहता था. फिर चूक कहां हो गई? क्या किसी और से भी मलय ने संबंध बना लिए हैं… आज सारी बातों का खुलासा हो कर ही रहेगा, उस ने मन ही मन प्रण किया. मोहक स्कूल से आ गया था. उसे खाना खिला कर सुला दिया और स्वयं परिस्थितियों की मीमांसा करने लगी कि नहींनहीं इस बीमारी के कारण मैं मलय को तलाक नहीं दे सकती. जब इलाज संभव है तब दोनों के पृथक होने का कोई औचित्य ही नहीं है.
शाम को उस ने मलय का पहले की ही तरह हंस कर स्वागत किया. उस की पसंद का नाश्ता कराया. जब वह थोड़ा फ्री हो गया तब उस ने बात छेड़ी, ‘‘मलय, डाक्टर धीरज से तुम किस बीमारी का इलाज करवा रहे हो?’’ मलय चौंक उठा, ‘‘कौन धीरज चोपड़ा? मैं इस नाम के किसी डाक्टर को नहीं जानता… न जाने तुम यह कौन सा राग ले बैठी, खीज उस के स्वर में स्पष्ट थी.
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‘‘नहीं मलय यह कोई राग नहीं… मुझ से कुछ छिपाओ नहीं, मुझे सब पता चल चुका है. तुम अपना फोन घर भूल गए थे. मैं ने उस में डाक्टर चोपड़ा की कई कौल्स देखीं तो मन में शंका हुई और मैं ने उन्हें फोन मिला दिया. उन्होंने समझा कि तुम बोल रहे हो और सारा सच उगल दिया, साथ ही यह भी कहा कि इस का उपचार महंगा है, पर संभव है. हां, समय की कोई सीमा निर्धारित नहीं. इसीलिए तुम तलाक पर जोर दे रहे थे न… पहले ही बता दिया होता… छिपाने की जरूरत ही क्या थी.’’ अब मलय टूट सा गया. उस ने तृषा को अपने गले से लगा लिया और फिर धीरेधीरे सब कुछ बताने लगा, ‘‘तुम्हें तो पता ही है तृषा पिछले महीने मैं औफिस के एक सेमिनार में भाग लेने के लिए सिंगापुर गया था. मेरे 2-3 सहयोगी और भी थे. हम लोगों को एक बड़े होटल में ठहराया गया था. हमें 1 सप्ताह वहां रहना था और मेरा तुम से इतने दिन दूर रहना मुश्किल लग रहा था, फिर भी मैं अपने मन को समझाता रहा. दिन तो कट जाता था, किंतु रात में तुम्हारी बांहों का बंधन मुझे सोने नहीं देता था और मैं तुम्हारी याद में तड़प कर रह जाता था.
‘‘एक दिन बहुत बारिश हो रही थी. मेरे सभी साथी होटल में नीचे बार में बैठे ड्रिंक ले रहे थे. मैं भी वहीं था, वहां मन बहलाने के और भी साधन थे, मसलन, रात बिताने के लिए वहां लड़कियां भी सप्लाई की जाती थीं. अलगअलग कमरों में सारी व्यवस्था रहती थी. तुम्हारी कमी मुझे बहुत खल रही थी. मैं ने भी एक कमरा बुक कर लिया और फिर मैं पतन के गर्त में गिरता चला गया. ‘‘यह संक्रमण उसी की देन है. बाद में मुझे बड़ा पश्चाताप हुआ कि यह क्या कर दिया मैं ने. नहींनहीं मेरे इस जघन्य अपराध की जितनी भी सजा दी जाए कम है. मैं ने दोबारा उस से कोई संपर्क नहीं किया. साथियों ने मेरी उदासीनता का मजाक भी बनाया, उन का कहना था पत्नी तो अपने घर की चीज है वह कहां जाएगी. हम तो थोड़े मजे ले रहे हैं. लेकिन मैं उस गलती को दोहराना नहीं चाहता था. बस तुम्हारे पास चला आया.
‘‘एक दिन मैं औफिस में बेहोश हो गया. बड़ी मुश्किल से मुझे होश आया. मेरे सहयोगी मुझे डाक्टर चोपड़ा के पास ले गए. उन्होंने मेरा ब्लड टैस्ट कराया. तब मुझे इस बीमारी का पता लगा. मैं समझ गया कि यह सौगात सिंगापुर की ही देन है. मैं अपराधबोध से ग्रस्त हो गया. हर पल मुझे यही खयाल आता रहा कि मुझे तुम्हारे जीवन से दूर चले जाना चाहिए. इसीलिए मैं तलाक की बात करता रहा. यह जानते हुए भी कि मेरेतुम्हारे प्यार की डोर इतनी मजबूत है कि आसानी से टूट नहीं सकती,’’ कहते हुए मलय फफक कर रो पड़ा. तृषा हतप्रभ रह गई कि इतना बड़ा धोखा? वह मेरी जगह किसी और की बांहों में चला गया. क्या उस की आंखों पर वासना की पट्टी बंधी हुई थी. फिर तत्काल उस ने अपना कर्तव्य निर्धारित कर लिया कि नहीं वह मलय का साथ नहीं छोड़ेगी, उसे टूटने नहीं देगी, पतिपत्नी का रिश्ता इतना कच्चा थोड़े ही होता है कि जरा सा झटका लगा और टूट गया.
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उस ने मलय को पूरी शिद्दत से प्यार किया है. वह इस प्यार को खोने नहीं देगी. इंसान है गलती हो गई तो क्या उस की सजा उसे उम्र भर देनी चाहिए… नहीं कदापि नहीं. वह मलय की एचआईवी पौजिटिव को नैगेटिव कर देगी. क्या हुआ यदि इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है… इस कारण वह अपने प्यार को मरने नहीं देगी. उस ने मलय का सिर अपने सीने पर टिका लिया. उस का ब्लाउज मलय के आंसुओं से तर हो रहा था.