Serial Story: परख (भाग-1)

मुग्धा कैंटीन में कोल्डड्रिंक और सैंडविच लेने के लिए लाइन में खड़ी थी कि अचानक कंधे पर किसी का स्पर्श पा कर यह चौंक कर पलटी तो पीछे प्रसाद खड़ा मुसकरा रहा था. ‘‘तुम?’’ मुग्धा के मुख से अनायास ही निकला.

‘‘हां मैं, तुम्हारा प्रसाद. पर तुम यहां क्या कर रही हो?’’ प्रसाद ने मुसकराते हुए प्रश्न किया. ‘‘जोर से भूख लगी थी, सोचा एक सैंडविच ले कर कैब में बैठ कर खाऊंगी,’’ मुग्धा हिचकिचाते हुए बोली.

‘‘चलो, मेरे साथ, कहीं बैठ कर चैन से कुछ खाएंगे,’’ प्रसाद ने बड़े अपनेपन से उस का हाथ पकड़ कर खींचा. ‘‘नहीं, मेरी कैब चली जाएगी. फिर कभी,’’ मुग्धा ने पीछा छुड़ाना चाहा.

‘‘कैब चली भी गई तो क्या? मैं छोड़ दूंगा तुम्हें,’’ प्रसाद हंसा. ‘‘नहीं, आज नहीं. मैं जरा जल्दी में हूं. मां के साथ जरूरी काम से जाना है,’’ मुग्धा अपनी बारी आने पर सैंडविच और कोल्डड्रिंक लेते हुए बोली. उसे अचानक ही कुछ याद आ गया था.

‘‘क्या समझूं मैं? अभी तक नाराज हो?’’ प्रसाद ने उलाहना दिया. ‘‘नाराज? इतने लंबे अंतराल के बाद तुम्हें देख कर कैसा लग रहा है, कह नहीं सकती मैं. वैसे हमारी भावनाएं भी सदा एकजैसी कहां रहती हैं. वे भी तो परिवर्तित होती रहती हैं. ठीक है, फिर मिलेंगे. पर इतने समय बाद तुम से मिल कर अच्छा लगा,’’ मुग्धा पार्किंग में खड़ी कैब की तरफ भागी.\

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कैब में वह आंखें मूंदे स्तब्ध बैठी रही. समझ में नहीं आया कि यह सच था या सपना. 3 वर्ष बाद प्रसाद कहां से अचानक प्रकट हो गया और ऐसा व्यवहार कर रहा था मानो कुछ हुआ ही नहीं. हर एक घटना उस की आंखों के सामने जीवंत हो उठी थी. कितना जीजान से उस ने प्रसाद को चाहा था. उस का पूरा जीवन प्रसादमय हो गया था. उस के जीवन पर मानो प्रसाद का ही अधिकार हो गया था. कोई भी काम करने से पहले उस की अनुमति जरूरी थी. घरबाहर सभी मानते थे कि वे दोनों एकदूजे के लिए ही बने थे. उस ने भी प्रसाद के साथ अपने भावी जीवन की मोहक छवि बना रखी थी. पर एक दिन अचानक उस के सपनों का महल भरभरा कर गिर गया था. उस के कालेज के दिनों का मित्र शुभम उसे एक पार्टी में मिल गया था. दोनों पुरानी बातों को याद कर के आनंदविभोर हुए जा रहे थे. तभी प्रसाद वहां आ पहुंचा था. उस की भावभंगिमा से उस की अप्रसन्नता साफ झलक रही थी. उस की नाराजगी देख कर शुभम भी परेशान हो गया था.

‘‘प्रसाद, यह शुभम है, कालेज में हम दोनों साथ पढ़ते थे,’’ हड़बड़ाहट में उस के मुंह से निकला था. ‘‘वह तो मैं देखते ही समझ गया था. बड़ी पुरानी घनिष्ठता लगती है,’’ प्रसाद व्यंग्य से बोला था.

बात बढ़ते देख कर शुभम ने विदा ली थी पर प्रसाद का क्रोध शांत नहीं हुआ था. ‘‘तुम्हें शुभम से इस तरह पेश नहीं आना चाहिए था. वह न जाने क्या सोचता होगा,’’ मुग्धा ने अपनी अप्रसन्नता प्रकट की थी.

‘‘ओह, उस की बड़ी चिंता है तुम्हें. पर तुम्हारा मंगेतर क्या सोचेगा, इस की चिंता न के बराबर है तुम्हें?’’ ‘‘माफ करना अभी मंगनी हुई नहीं है हमारी. और यह भी मत भूलो कि भविष्य में होने वाली हमारी मंगनी टूट भी सकती है.’’

‘‘मंगनी तोड़ने की धमकी देती हो? तुम क्या तोड़ोगी मंगनी, मैं ही तोड़ देता हूं,’’ प्रसाद ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया था. क्रोध और अपमान से मुग्धा की आंखें छलछला आई थीं. ‘‘मैं भी ईंट का जवाब पत्थर से दे सकती हूं, पर मैं व्यर्थ ही कोई तमाशा खड़ा नहीं करना चाहती.’’ मुग्धा पार्टी छोड़ कर चली गई थी.

कु छ दिनों तक दोनों में तनातनी चली थी.दोनों एकदूसरे को देखते ही मुंह फेर लेते. मुग्धा प्रतीक्षा करती रही कि कभी तो प्रसाद उस से क्षमा मांग कर उसे मना लेगा

पर वह दिन कभी नहीं आया. फिर अचानक ही प्रसाद गायब हो गया. मुग्धा ने उसे ढूंढ़ने में दिनरात एक कर दिए पर कुछ पता नहीं चला. दोनों के सांझा मित्र उसे दिलासा देते कि स्वयं ही लौट आएगा. पर मुग्धा को भला कहां चैन था.

धीरेधीरे मुग्धा सब समझ गई थी. प्रसाद केवल प्यार का दिखावा करता था. सच तो यह था कि प्रसाद के लिए अपने अहं के आगे किसी की भावना का कोई महत्त्व था ही नहीं. पर धीरेधीरे परतें खुलने लगी थीं. वह अपनी नौकरी छोड़ गया था. सुना है अपने किसी मित्र के साथ मिल कर उस ने कंपनी बना ली थी. लंबे समय तक वह विक्षिप्त सी रही थी. उसे न खानेपीने का होश था न ही पहननेओढ़ने का. यंत्रवत वह औफिस जाती और लौट कर अपनी ही दुनिया में खो जाती. उस के परिवार ने संभाल लिया था उसे. ‘कब तक उस का नाम ले कर रोती रहेगी बेटे? जीवन के संघर्ष के लिए स्वयं को तैयार कर. यहां कोई किसी का नहीं होता. सभी संबंध स्वार्थ पर आधारित हैं,’ उस की मां चंदा गहरी सांस ले कर बोली थीं.

‘मैं तो कहता हूं कि अच्छा ही हुआ जो वह स्वयं ही भाग गया वरना तेरा जीवन दुखमय बना देता,’ पापा अपने चिरपरिचित अंदाज में बोले थे. ‘जी पापा.’ वह केवल स्वीकृति में सिर हिलाने के अतिरिक्त कुछ नहीं बोल पाई थी.

‘तो ठीक है. तुम ने अपने मन की कर के देख ली. एक बार हमारी बात मान कर तो देख लो. तुम्हारे सपनों का राजकुमार ला कर सामने खड़ा कर देंगे.’ ‘उस की आवश्यकता नहीं है, पापा. मुझे शादी की कोई जल्दी भी नहीं है. कोई अपनी पसंद का मिल गया तो ठीक है वरना मैं जैसी हूं, ठीक हूं.’

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‘सुना तुम ने? यह है इस का इरादा. अरे, समझाओ इसे. हम सदा नहीं बैठे रहेंगे,’ उस की मां चंदा बदहवास सी बोलीं. ‘मां, इतना परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. मेरे घर आते ही आप दोनों एक ही राग ले कर बैठ जाते हो. मैं तो सोचती हूं, कहीं और जा कर रहने लगूं.’

‘बस, यही कमी रह गई है. रिश्तेदारी में सब मजाक उड़ाते हैं पर तुम इस की चिंता क्यों करने लगीं,’ मां रो पड़ी थीं. ‘मां, क्यों बात का बतंगड़ बनाती हो. जीवन में समस्याएं आती रहती हैं. समय आने पर उन का हल भी निकल आता है,’ मुग्धा ने धीरज बंधाया.

पता नहीं हमारी समस्या का हल कब निकलेगा. मुझे तो लगता है तुम्हें उच्चशिक्षा दिला कर ही हम ने गलती की है. तुम्हारी बड़ी बहनों रिंकी और विभा के विवाह इतनी सरलता से हो गए पर तुम्हारे लिए हमें नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. विभा कल ही आई थी, तुम औफिस में थीं, इसलिए मुझ से ही बात कर के चली गई. उस का देवर परख इंगलैंड से लौट आया है. अर्थशास्त्र में पीएचडी कर के किसी बैंक में बड़ा अफसर बन गया है. तुम्हारे बारे में पूछताछ कर रहा था. तुम कहो तो बात चलाएं.’\

आगे पढ़ें- जानापहचाना परिवार है और परख के…

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Serial Story: परख (भाग-2)

‘परख?’ मुग्धा चौंक गई थी, ‘क्या कह रही हो मां? विभा दीदी ने ही तो इस बात का सब से अधिक विरोध किया था. कहती थीं कि एक ही घर में 2 बहनों का विवाह ठीक नहीं लगता. बाद में समस्या हो सकती है. अब तो इस बात को 4 वर्ष होने को आए. अब अचानक उन के विचार कैसे बदल गए,’ अचानक मुग्धा को पुरानी एकएक बात याद आ गई थी. ‘अब बात दूसरी है. विभा की सास की रुचि है इस विवाह में. कहती हैं दोनों बहनों के एक घर में आने से भाइयों में प्यार बना रहेगा.’

‘अजीब बात है. मेरे विवाह के लिए सब के अपनेअपने कारण हैं. मुझे तो समझ में नहीं आता कि क्या कहूं,’ मुग्धा ने व्यंग्य किया. ‘होता है. ऐसा ही होता है. सब अपने फायदे की सोचते हैं, पर मैं तो केवल तेरे लाभ की बात सोच रही हूं. जानापहचाना परिवार है और परख के स्वभाव से तो हम सब परिचित हैं. वह जहां पहुंच जाता है, बहार आ जाती है. तुझे खूब खुश रखेगा,’ मां किसी प्रकार अपनी बेटी को राजी करने में जुटी थीं.

‘नहीं मां, मैं ने तो हथियार डाल दिए हैं. सच पूछो तो मेरी विवाह में रुचि रही ही नहीं है,’ मुग्धा आहत स्वर में बोली. सच तो यह था कि प्रेम के नाम पर उसे धोखा मिला था. ‘तेरी रुचि नहीं है, तो न सही. मेरे लिए हां कर दे. तू नहीं जानती तेरी सुखी गृहस्थी देखने की मेरी कितनी तमन्ना है. वैसे भी मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती. तेरा विवाह किए बिना इस दुनिया से जाना नहीं चाहती,’ मां दयनीय स्वर में बोलीं तो मुग्धा हंस पड़ी.

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‘क्या कह रही हो, मां. मैं अपने किसी कार्य से तुम्हें दुखी नहीं करना चाहती. पर कुछ भी निर्णय लेने से पहले मैं परख से अवश्य मिलना चाहूंगी,’ मुग्धा अनमने भाव से बोली. मां के गठिया से अकड़े हाथपैर में नई जान आ गई थी. वे सीधे विभा के ससुराल जा पहुंचीं. विभा की सास की आंखों में उन्हें देखते ही चमक आ गई थी.

‘मैं ने तो विभा के हाथों संदेशा भेजा था. बहुत दिनों बाद परख ने अपने मन की बात बताई. मैं तो सुन कर हैरान रह गई. विभा से पूछा तो उस ने ही बताया कि परख तो सदा से मुग्धा का दीवाना था. पर विभा को लगा कि एक ही परिवार में दोनों बहनों का विवाह ठीक नहीं लगता. मैं ने ही उसे समझाया, इस से अच्छा, भला क्या होगा. दोनों भाइयों के बीच प्यार बना रहेगा. आशा है आप ने मुग्धा के मन की थाह ले ली होगी.’ ‘मेरा वश चले तो मैं आज ही हां कह दूं पर हमारे चाहने से क्या होता है. वह तो परख से मिले बिना कोई निर्णय लेना ही नहीं चाहती. आप तो आजकल के बच्चों को जानती ही हैं. आप का हमारा जमाना तो रहा नहीं जब मातापिता के सामने बच्चे ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे.’

‘जमाना सदा एक सा नहीं रहता. सच तो यह है कि हम लोग तो घुटघुट कर जी लिए, कभी अपने मन की की ही नहीं. अगली पीढ़ी को देख कर इतना संतोष तो होता है कि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी रहे हैं.’

अगले सप्ताह ही परख आ रहा है. तभी दोनों मिल कर कोई निर्णय ले लें तो दोनों की मंगनी कर देंगे और शीघ्र ही शादी. हम लोग भी जितनी जल्दी मुक्त हो जाएं अच्छा है. परख और मुग्धा मिले तो काफी देर तक दोनों के बीच मौन पसरा रहा. हैप्पी कौफी हाउस की जिस मेज के दोनों ओर वे एकदूसरे के आमनेसामने बैठे थे, 4 वर्ष पहले भी दोनों ठीक वहीं बैठा करते थे. इतने अंतराल के बाद भी उन के मनपसंद रैस्टोरैंट में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ था. परख ने अपने लिए कोल्ड कौफी और उस के लिए ब्लैकी कौफी विद क्रीम का और्डर दिया तो मुग्धा मुसकरा दी.

‘तुम्हें अभी तक याद है.’ ‘कुछ चीजों को भूल पाना कितना कठिन होता है. सच पूछो तो तुम्हें कभी भुला ही नहीं पाया. ऐसा नहीं है कि मैं ने प्रयत्न नहीं किया पर तुम तो मेरे मनमस्तिष्क पर छाई हुई थीं. तुम्हें भुलाने के सभी प्रयत्न व्यर्थ सिद्ध हुए.’

‘कहते रहो, सुन कर अच्छा लग रहा है चाहे सबकुछ झूठ ही क्यों न हो,’ मुग्धा उदासी के बीच भी मुसकरा दी. ‘तुम्हें लगता है मैं झूठ बोल रहा हूं?’

‘यदि यह सच नहीं है तो इतने वर्षों में न कोई फोन, न कोई सूचना. परख, आजकल के स्मार्ट फोन के जमाने में कौन विश्वास करेगा तुम्हारी बातों पर. ऐसी क्या विवशता थी कि तुम सबकुछ छोड़ कर भाग खड़े हुए थे.’ ‘मैं कहीं भागा नहीं था. मैं तो स्वयं को तुम्हारे योग्य बनाना चाहता था. इसलिए उच्चशिक्षा प्राप्त करने का प्रयत्न कर रहा था, पर मेरे भी अपने सूत्र थे और तुम्हारे संबंध में सूचनाएं मुझे लगातार मिलती रहती थीं.’

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‘ओह, तो तुम जासूसी का काम भी कुशलता से कर रहे थे. पता नहीं तुम्हें मेरे संबंध में किस ने कब और कितना बताया है. पर मैं सबकुछ बता देना चाहती हूं. अब जब फिर से हमारे विवाह की बात उठी है तो मैं नहीं चाहती कि कोई भी भ्रम की स्थिति रहे,’ मुग्धा सीधे सपाट स्वर में बोली. मुग्धा ने जब बात प्रारंभ की तो रुकी नहीं. समीर से अपनी मित्रता और प्रसाद से अपने अंतरंग संबंधों व अलगाव का उस ने विस्तार से वर्णन किया. ‘अब तुम अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र हो. मेरे में कोई दुविधा शेष नहीं है.’

कुछ देर दोनों के बीच मौन पसरा रहा. फिर अचानक परख दिल खोल कर हंसा. ‘तो यही बताना था तुम्हें. यह सब तो मैं पहले से जानता था. सच कहूं तो मेरे पास ऐसी अनेक कहानियां हैं. अपने लगाव और अलगाव की पर उन्हें कभी फुरसत में सुनाऊंगा तुम्हें. इस समय तो बस जीवनभर के लिए तुम्हारा हाथ मांगता हूं. आशा है, तुम निराश नहीं करोगी.’

दोनों ने आननफानन विवाहबंधन में बंधने का निर्णय ले लिया. सबकुछ इतनी शीघ्रता से हो जाएगा, इस की कल्पना तो चंदा ने स्वप्न में भी नहीं की थी. दोनों की धूमधाम से सगाई हुई और 2 महीने बाद ही विवाह की तिथि निश्चित कर दी गई. सारा परिवार जोश के साथ विवाह की तैयारी में जुटा था कि अचानक प्रसाद ने एकाएक प्रकट हो कर मुग्धा को बुरी तरह झकझोर दिया था. उस ने प्रसाद को पूरी तरह अनदेखा करने का निर्णय लिया पर वह जब भी औफिस से निकलती, प्रसाद उसे वहीं प्रतीक्षारत मिलता. वह प्रतिदिन आग्रह करता कि कहीं बैठ कर उस से बात करना चाहता है, पर मुग्धा कैब चली जाने का बहाना बना कर टाल देती.

पर एक दिन वह अड़ गया कि कैब का बहाना अब नहीं चलने वाला. ‘‘कहा न, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा. फिर क्यों भाव खा रही हो. इतने लंबे अंतराल के बाद तुम्हारा प्रेमी लौटा है, मुझे तो लगा तुम फूलमालाओं से मेरा स्वागत करोगी पर तुम्हारे पास तो मेरे लिए समय ही नहीं है.’’ ‘‘किस प्रेमी की बात कर रहे हो तुम? प्रेम का अर्थ भी समझते हो. मुझे कोई रुचि नहीं है तुम में. मेरी मंगनी हो चुकी है और अगले माह मेरी शादी है. मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी परछाई भी मुझ पर पड़े.’’

आगे पढ़ें- बदहवास सी मुग्धा को कैब में…

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Good News: विराट-अनुष्का बने मम्मी पापा, घर आई बेटी

बौलीवुड की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक अनुष्का शर्मा (Anushka Sharma) और क्रिकेटर ने साल 2020 में अपने पेरेंट्स बनने की न्यूज को शेयर करके फैंस को चौंका दिया था. वहीं आए दिए अनुष्का की प्रैग्नेंसी फोटोज और वीडियो को शेयर करके जहां अनुष्का सुर्खियां बटोरती नजर आईं तो वहीं कई बार उन्हें ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा. इसी बीच विराट और अनुष्का ने अपनी फैमिली में नए मैंबर के शामिल होने की खबर फैंस को दे दी है. आइए आपको दिखाते हैं विराट का पिता बनने को लेकर शियर किया गया खास पोस्ट…

बेटी के पिता बने विराट कोहली

सोशलमीडिया पर पिता बनने की खुशी को जाहिर करते हुए क्रिकेटर विराट कोहली ने एक पोस्ट शेयर किया है. दरअसल, पोस्ट में विराट ने लिखा, हम दोनो को ”हम दोनों को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आज दोपहर हमारे यहां बेटी हुई है. हम आपके प्यार और मंगलकामनाओं के लिए दिल से आभारी हैं. अनुष्का और हमारी बेटी, दोनों बिल्कुल ठीक हैं और यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस जिंदगी का यह चैप्टर अनुभव करने को मिला. हम जानते हैं कि आप यह जरुर समझेंगे कि इस समय हम सब को थोड़ी प्राइवसी चाहिए होगी.”

 

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फोटोशूट को लेकर हो चुकीं हैं ट्रोल

 

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हाल ही में अनुष्का ने एक फोटोशूट करवाया था, जिसमें वह बेबी बंप फ्लॉन्ट करते हुए नजर आई थीं. दरअसल, अनुष्का ने एक मैगजीन के लिए फोटोशूट करवाया और अपने बेबी बंप को बेहद ग्रेस के साथ फ्लॉन्ट किया. वहीं अनुष्का के इस खूबसूरत प्रेग्नेंसी फोटोशूट को उनके फैंस काफी पसंद किया तो कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल भी किया.

बिकिनी में बेबी बंप दिखाती नजर आईं थीं अनुष्का

 

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अनुष्का पिछले दिनों अपनी प्रेग्नेंसी टाइम को काफी एंजॉय करती नजर आईं थीं, जिसको लेकर अनुष्का ने इंस्टाग्राम पर एक और फोटो शेयर की थी, जिसमें वो मस्ती के मूड में नज़र आईं थीं. फोटो में अनुष्का लंबी से मुस्कुराहट के साथ स्वीमिंग पूल के अंदर ब्लैक कलर की मोनोकनी पहने बेहद खूबसूरत लग रही थीं,  जिसमें उनका बेबी बंप साफ नज़र आ रहा थी.

बता दें, कोरोनाकाल के बीच कप्तान विराट कोहली ने ट्विटर के जरिए फैंस को खुशखबरी देते हुए बताया है था कि जनवरी 2021 में उनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है.

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हुंडई i20 के साथ पाएं खास ऑफर

न्यू हुंडई i20 बहुत ही शानदार वारंटी चुनने का ऑप्शन देता है, जिसका फायदा ग्राहक अपनी जरुरत अनुसार उठा सकते हैं. इसमें कई तरह के अलग- अलग ऑफर दिए हुए हैं, जैसे कि अगर आप 3 साल के लिए वारंटी लेना चाहती हैं तो उसमें आपको / 1 लाख किमी तक की वौरंटी मिलेगी, आप अगर 4 साल के लिए वारंटी लेना चाहते हैं तो आपको / 50,000 इतने का मिलेगा और अगर आप 5 साल की वारंटी लेंगे तो / 40,000  का ऑफर चुन सकते हैं.

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Bigg Boss 14: Jasmin Bhasin के इविक्शन से टूटे Aly Goni, आया अस्थमा अटैक

बिग बॉस 14 (Bigg Boss 14) के वीकेंड के वार में इस बार जैस्मिन भसीन का इविक्शन हो गया है. हालांकि खबरें थीं कि एक्ट्रेस सीक्रेट रुम में रहेंगी. हालांकि शो में जैस्मिन के इविक्शन के वक्त होस्ट सलमान खान ने साफ तौर पर कहा है कि जैस्मीन अब शो में कभी दिखाई नही देंगी. वहीं जैस्मिन के इविक्शन का सबसे ज्यादा असर अली गोनी पर देखने को मिला है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

अली गोनी को आया अस्थमा अटैक

 

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बिग बॉस 14 की सबसे मजबूत प्रतियोगियों में से एक जैस्मिन भसीन के अचानक बाहर निकलने से दर्शक जहां हैरान रह गए तो वहीं अली गोनी (Aly Goni) को गहरा धक्का लगा. दरअसल, जैसे ही जैस्मिन भसीन शो से बाहर गईं, वैसे ही अली गोनी को अस्थमा का अटैक आ गया और उनकी हालत गंभीर हो गई. बताया जा रहा है कि इस समय अली गोनी की हालत ठीक है लेकिन वो जैस्मिन भसीन की याद में अब भी उदास हैं.

 

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होस्ट सलमान खान भी हुए इमोशनल

 

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शो से बाहर हुई जैस्मीन के जाने से अभिनव शुक्ला और रुबीना दिलैक भी जहां इमोशनल हो गए तो वहीं होस्ट सलमान खान की आंखों में भी आंसू आ गए. इसी के साथ सभी घरवाले भी रोते हुए नजर आए. वहीं शो से बाहर आते ही जैस्मिन को वापस लाने की मांग कर रहे फैंस को शुक्रिया अदा किया. साथ ही लोगों को अली का सपोर्ट करने की बात भी कही.

 

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बता दें, बिग बौस 14 के कंट्स्टेंट अली गोनी और जैस्मिन भसीन काफी अच्छे दोस्त हैं, जो कि शो से पहले से ही खास दोस्त थे. हालांकि शो में दोनों को अपने प्यार का एहसास हुआ, जिसके बाद दोनों ने एक साथ जिंदगी बिताने का फैसला लिया.

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REVIEW: सनी लियोन और करिश्मा तन्ना की बेसिर पैर की कहानी ‘बुलेट’

रेटिंग : एक स्टार

निर्माता: हरदीप रंधावा और विनय जोकर

लेखक और निर्देशक: देवांग ढोलकिया

कलाकार: सनी लियोन, करिश्मा तन्ना, विवेक वासवानी, अमान खान, दीपक तिजोरी,श्वान अरहान, मोहन कपूर, ताहा शाह व अन्य

अवधि: 2 घंटे 12 मिनट

ओटीटी प्लेटफॉर्म: एम एक्स प्लेयर

फिल्मकार देवांग ढोलकिया ने कुछ वर्ष पहले सनी लियोन और करिश्मा तन्ना को लेकर “टीना और लो लो” नामक एक फिल्म का निर्माण किया था ,जो कि सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो पा रही थी. पर अब इसे थे एपिसोड की वेब सीरीज ग्रुप में एम एक्स प्लेयर मुफ्त में देखा जा सकता है.

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कहानी:

गृह मंत्री हेमंत कोराडे( विवेक वासवानी) ने एक विदेशी कंपनी के साथ 400 मिलियन डॉलर का हथियारों का गैरकानूनी तरीके से अनुबंध करते देशद्रोह का काम किया है. इसका सबूत अविनाश को मिल जाता है, जो कि गृह मंत्रालय में आईटी डिपार्टमेंट में काम कर रहा था. तो कोराडे ने उसे सजा दे दी. इससे अविनाश की पत्नी लो लो (करिश्मा तन्ना)अब कोराडे को सजा दिलाने और बेनकाब करने के लिए प्रयासरत है.

उधर मशहूर मॉडल टीना( सनी लियोन) कनाडा से आई है, जिसे अपने पैसे के बल पर ग्रह मंत्री हेमंत का बेटा सुनील कोराडे अपनी जायदाद समझता है. पर टीना ऐसी लड़की नहीं है .क्लब अम्नेसिया में एक समारोह होने वाला है जिसके लिए टीना तैयार हो रही होती है. तभी सुनील उसके साथ हमबिस्तर होना चाहता है. प्रतिमा ऐसा करने से इंकार कर देती है. कार्यक्रम खत्म होने के बाद सुनील गुस्से में टीना का गला घोटना चाहता है, पर लो लो आकर उसे बचाती है. इस बीच सुनील की हत्या टीना के हाथों हो जाती है. हेमंत कोराडे को पता चल चुका है कि अविनाश की पत्नी लक्ष्मी उर्फ लोलो ने उनके कारनामों का सारा डेटा चुरा लिया है. गृहमंत्री के आदेश पर पुलिस टीना और लोलो को पकड़ने के लिए कमर कस लेती है. उधर गृह मंत्री हेमंत अपने खास गुंडे केतु (दीपक तिजोरी)को लोगों से डाटा हासिल करने के लिए लगा देता है.

यहां से कहानी कई मोड़ो से होकर गुजरती है. इस बीच टीना और लोलो रास्ते में कई हत्याएं करती हैं. कई लोगों को लूट थी हैं. पेट्रोल पंप से पैसे चुराती हैं. मुंबई से गोवा, गोवा से पंचगनी और फिर मलेशिया तक कहानी जाती है. अंततः मलेशिया में टीना व लोलो मंत्री को एक मकान में बम ह मौत के घाट उतार देती हैं.
लेखन व निर्देशन

6 भाग की वेब सीरीज में बेसिर पैर की कहानी है. पुलिस और मंत्री के गुंडों से बचती फिर रही टीना और लोगों आराम वह मसलती करते हुए मुंबई से गोवा ,गोवा से पंचगनी और फिर मलेशिया तक पहुंच जाती है. इस बीच वह लोगों को ठग रही हैं. कहीं स्विमिंग पूल में मौज मस्ती हो रही है. सेक्स संबंध स्थापित हो रहे हैं. कुछ भी हो रहा है जिसकी कोई वजह नहीं है. बहुत ही अजीब सी चीजें घटित होती है. इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके लिए इसे देखा जा सके.

करिश्मा तन्ना और सनी लियोन को लीड किरदार में लेकर या वेबसिरीज बनाने का ख्याल ही गलत था. दोनों कहीं से भी किरदारों में फिट नहीं बैठती हैं .एडिटिंग भी गड़बड़ है .निर्देशन भी कुछ खास नहीं है.

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अभिनय

करिश्मा तन्ना या सनी लियोन दोनों में से किसी का भी अभिनय प्रभावित नहीं करता है. दोनों महक कपड़े उतारने और सेक्स करती नजर आती है. दीपक तिजोरी का किरदार तो बहुत ही अजीबोगरीब है. बहराल कोई भी प्रकार प्रभावित नहीं कर पा रहा है.

वनराज को होगा गलती का एहसास तो अनुपमा की लाइफ में होगी पहले प्यार की एंट्री

इन दिनों स्टार प्लस का फैमिली ड्रामा बेस्ड सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) फैंस के बीच काफी पौपुलर हो रहा है. इसी के चलते सीरियल की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. इसी बीच सीरियल के ट्रैक की बात करें तो जहां किंजल, वनराज के शाह हाउस में आने से नाराज है तो वहीं काव्या पूरी कोशिश कर रही है कि वह वनराज को दोबारा अपने पास ला सके. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

राखी के सवालों से परेशान होती है अनुपमा

अब तक आपने देखा कि काव्या, वनराज से मिलने आती है. दोनों एक कमरे में जाकर कुछ बातें करते है. वहीं राखी भी किंजल और पारितोष से मिलने आती है. जहां राखी, अनुपमा से कहती है कि वो दोनों अभी तक कमरे से बाहर क्यों नहीं आए, जिसका जवाब देते हुए अनुपमा कहती है कि आप ही जाकर अंदर देख लीजिए. वहीं दूसरी तरफ वनराज, काव्या से सोचने के लिए थोड़ा समय मांगता नजर आता है.

 

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काव्या के आने से नाराज होगी अनुपमा

जहां किंजल अपनी सास अनुपमा का हर कदम पर साथ दे रही है तो अनुपमा, काव्या के शाह निवास में होने से परेशान होती नजर आ रही है. वहीं अब इसका असर आने वाले एपिसोड में दिखेगा. दरअसल, आगे आप देखेंगे कि जहां काव्या पूरी कोशिश कर रही है अनुपमा को वनराज से दूर रखने की तो वहीं वनराज को अपनी गलतियों का एहसास होता नजर आ रहा है. अनुपमा की देखभाल से वनराज धीरे-धीरे उसके करीब आ रहा है. हालांकि अनुपमा का कहना है कि वह कभी उसे माफ नही करेगी.

अनुपमा की जिंदगी में आएगा उसका पहला प्यार

 

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अपकमिंग एपिसोड्स में आप देखेंगे कि अनुपमा ने स्कूल में नौकरी की शुरुआत करके अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाना शुरु कर दिया है. वहीं मेकर्स ने अनुपमा की लाइफ को औऱ मनोरंजक बनाने के लिए नए शख्स की एंट्री करवाने वाले हैं. दरअसल, खबरें हैं कि शो में जल्द ही अनुपमा के पहले प्यार की एंट्री होगी, जो कि उससे स्कूल में मिलेगा.

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कोविड 19 के लिए वैक्सीन लगाना कितना जरुरी, जानें यहां

कोरोना वैक्सीन को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है. इतना ही नहीं 2 कोरोना वैक्सीन को स्वीकृति देने के बाद राजनेताओं के बीच में भी कहासुनी शुरू हो गयी है. कोई इसे लगाना नहीं चाहता, तो कोई इसकी प्रभावकारिता, तो कोई इसके साइड इफ़ेक्ट के बारें मेंचिंतित है, ऐसे में आम इंसान के लिए येसमझना मुश्किल हो गया है कि कोरोना की वैक्सीन अगर लगाये, तो कौन सीलगाये और इसे लगाना कितना जरुरी है.हालाँकि पूरे विश्व में कोरोना संकरण के बढ़ते हुए मरीजों और अधिक मृत्यु दर को देखते हुए इन सभी वैक्सीन के निर्माण में रिसर्चर्स और साइंटिस्ट ने दिन-रात एक कर दिया है, ऐसे में इनकी गुणवत्ता के बारें में संदेह करना उचित नहीं.

इस बारें में रिजनेरेटिव मेडिसिन रिसर्चर Stem Rx बायोसाइंस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. प्रदीपमहाजन कहते है कि वायरल डिसीज हमेशा संक्रामक होते है, लेकिन कोविड 19 का रूप हर देश में अलग-अलग देखा जा रहा है. ये बीमारी कितने दिनों तक चलेगी, किसी को पता नहीं है, ऐसे में वैक्सीन लगाने से कुछ हद तक इस बीमारी से सुरक्षा लोगों को मिल सकती है. हर्ड इम्युनिटी के लिए 80 प्रतिशत लोगों में इम्युनिटी का विकास होना जरुरी है. इतनी बड़ी जनसँख्या में हर्ड इम्युनिटी तक देश पहुंचा है या नहीं, इसे समझ पाना भी मुश्किल है. अभी एक नया स्ट्रेन यूके से आया है, जो जल्दी फैलता है, पर उसमे मृत्यु दर कम है. इसलिए बीमारी को जल्दी कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन ही एक विकल्प है, इसमें पहले हेल्थ वर्कर्स, जिसमे मेडिक्स, पैरामेडिक्स, पब्लिक सर्वेन्ट्स जो अधिकतर कॉमन लोगों के साथ जुड़े होते है, उन्हें पहले वैक्सीन के द्वारा सुरक्षा देने की जरुरत है.

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हालाँकि कई वैक्सीन्स को मंजूरी मिली है, लेकिन कौन सी वैक्सीन सही है, पूछे जाने पर डॉ, प्रदीप कहते है कि कई प्रकार के मिथ मिडिया और सोशल मीडिया ने वैक्सीन को लेकर फैलाये है,जो दुखदायी है. वैक्सीन कंपनियों से लेकर राजनेता सभी कुछ न कुछ हर दिन वैक्सीन को लेकर कह रहे है, जो इस महामारी और चरमराती अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं. हम सभी को स्पाइक प्रोटीन के विरुद्ध एंटी बॉडी चाहिए, ये एंटी बॉडी, जानवर, प्लांट या ह्यूमन बॉडी में प्रोड्यूस करके या किसी और तकनीक से लेने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इस समय एंटी बॉडी की खास जरुरत है. सही वैक्सीन समझने के लिए 3 बातों पर ध्यान देना जरुरी है,

  • इसकी कार्यक्षमता,
  • रोग से सुरक्षा,
  • और वैक्सीनके काम करने की अवधि.

अगर किसी को इन्फेक्शन हो चुका हो, तो उसके शरीर में एंटी बॉडी तैयार होती है. इसी तरह किसी कंपनी की वैक्सीन भी इन्फेक्शन को हटाकर इम्युनिटी बढ़ाने की दिशा में काम करती है. ये नेचुरल पद्यति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का है. इसी तरह दूसरी कंपनी बेक्टेरिया से वैसी ही एंटी बॉडी तैयार करती है. इसमें कोई भी गलत काम नहीं कर रहा है. केवल तकनीक का अलग प्रयोग किया गया है. ऐसे में उसकी कार्यक्षमता और साइड इफ़ेक्ट देखने की आवश्यकता है. इसके अलावा वायरस लाइक प्रोटीन(VLP) जो प्लान्ट से ही तैयार किया जाता है. इसमें प्रोटीन को प्लांट के सेल्स का प्रयोग कर बनाया जाता है और उसमें जीनोम नहीं रहेगा, सिर्फ प्रोटीन होगा. एंटीबाडी के लिए जीनोम की जरुरत नहीं , क्योंकि जीनोम संक्रामक होता है और प्रोटीन संक्रामक नहीं होता. VLPके द्वारा बड़ी संख्या में एंटी बॉडी तैयार करवैक्सीनेशन किया जा सकता है. इसके अलावा किसी भी वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले ह्युमन ट्रायल 25 हजार से उपर और 6 महीने तक इसका प्रभाव देखने के बाद ही इसकी गुणवत्ता को मापा जा सकता है. अभी इस वायरस के फैलाव को देखते हुए इमरजेंसी तीसरे फेज में लाइसेंस के अंतर्गत यानि रोगी की इच्छा के अनुसार मंजूरी दी गयी है. इस ग्राउंड पर वैक्सीन को अप्रूव किया गया है. भारत के दोनों वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन अच्छे है.

इसके आगे डॉ. बताते है कि बुजुर्ग और हाई रिस्क पोपुलेशन को भी वैक्सीन की बहुत जरुरत है, क्योंकि ये लोग अपने आसपास के लोगों को संक्रमित कर सकते है, साथ ही अधिक बीमार होकर मृत्यु दर को बढ़ा सकते है, ये डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ऑटो इम्यून आदि बीमारी के रोगी हो सकते है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए वैक्सीन देना जरुरी है. जिनको कोविड 19 हो चुका है, उन्हें भी वैक्सीन लेना है, क्योंकि वैक्सीन न लेने वाले अपने आसपास के लिए खतरा बन सकते है. वैक्सीन के लिए जाने से पहले जाने कुछ बातें, जो निम्न है,

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  • इसके साइड इफ़ेक्ट के बारें में जानें
  • सुरक्षा के पैमाने को देखें
  • वैक्सीन लगाने के बाद जो भी गाइडलाइन्स दिया जाय उसे फोलो करें, जिसमे एंटी बॉडी की स्टेटस को पता किया जायेगा.

वैक्सीन उन लोगों को नहीं लगाया जाना चाहिए, जिन्हें सेंसिटिविटी अर्थात एलर्जी अधिक हो, बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाओं को भी नहीं लगाया जायेगा, क्योंकि उन पर ट्रायल अभी नहीं हुआ है. किसी भी वैक्सीन लेने के बाद खान-पान में किसी प्रकार की एहतियात बरतने की कोई जरुरत नहीं होती.

अंत में डॉ. प्रदीप का कहना है कि वैक्सीन एक बड़ी सफलता कोविड 19 बीमारी को कम करने की दिशा में है. महामारी ने पूरे विश्व की स्थिति को बदल कर रख दिया है. हर किसी को वैक्सीन लगाना है, ताकि आप अपने आसपास के प्रियजनों, दोस्तों और परिवार को सुरक्षित वातावरण दे सके. साथ ही इसमें किसी भी प्रकार की राजनीति करने की जरुरत नहीं.

खामोशियां: क्यों पति को इग्नोर कर रही थी रोमा?

देखने में तो घर में सब सामान्य लग रहा था पर ऐसा था नहीं. रोमा के दिल में एक तूफ़ान सा उठा था. वह कैसे बाहर जाए, सारा दिन तो घर में नहीं बैठ सकती थी, वह भी वन बैडरूम के इस फ्लैट में.

सुजय से बात करने के लिए रोमा को कोई कोना नहीं मिल रहा था. पति रवि कोरोना के टाइम में पूरा दिन घर में रहता, सारा दिन वर्क फ्रौम होम करता. 2 साल का बेटा सोनू खूब खुश था कि मम्मीपापा सारा दिन सामने हैं. पर मां के दिल में उठते तूफ़ान को वह 2 साल का बच्चा कैसे जान पाता.

जैसे ही औफिस के काम से कुछ छुट्टी मिलती, रवि घर के कामों में रोमा का खूब हाथ बंटाता. पर फिर भी रोमा के चेहरे पर चिढ़ और गुस्से के भाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो उस ने कहा, “रोमा, घर के काम जो भी मुश्किल लग रहे हैं, मुझे बता दिया करो, तुम्हारे चेहरे से तो हंसी जैसे गायब हो गई है.”

रोमा फट पड़ी, “नहीं रहा जाता मुझ से पूरा दिन घर में बंद हो कर.”

“पर डिअर, तुम तो पहले भी घर पर ही रहती थीं न, मैं ही तो औफिस जाता था और मैं तो चुपचाप हूं घर पर, कोई शिकायत भी नहीं करता. तुम्हें और सोनू को देख कर ही खुश हो जाता हूं.”

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रोमा मन ही मन फुंफकारती रह गई. कैसे कहे किसी से कि सुजय से प्यार हो गया है उसे और वह रोज उस से मिलती थी. शाम को जब वह सोनू को ले कर पार्क में जाती, तो वह भी वहीं दौड़ रहा होता. आंखों ही आंखों में उस के सुगठित शरीर को देख कर तारीफ़ कर उठती तो सुजय भी समझ जाता और उसे देख एक स्माइल करता पास से निकल जाता. धीरेधीरे हायहैलो से शुरू हुई बातचीत अब एक अच्छाख़ासा अफेयर बन चुकी थी. सुजय अविवाहित था. वह पास की ही एक बिल्डिंग में अपने पेरैंट्स और एक छोटी बहन के साथ रहता था.

रवि की अनुपस्थिति में रोमा ने एकदो बार सुजय को घर भी बुलाया था. ज्यादातर बातें मिलने पर या फोन पर ही होतीं. रोज मिलना एक नियम बन गया था. अच्छी तरह सजसंवर कर रोज सोनू को ले कर पार्क में जाना और सुजय से बातें करना जैसे रोमा को एक नए उत्साह से भर जाता.

अब लौकडाउन में सबकुछ बंद था. पार्क को बंद कर दिया गया था. सामान लेने के बहाने भी वह बाहर नहीं जा सकती थी. शौप्स बंद थीं. सब सामान औनलाइन आ रहा था. सुजय भी बाहर नहीं निकल रहा था.

सुजय के कभीकभी एकदो मैसेज आते जिन्हें रोमा फौरन डिलीट इसलिए करती कि कहीं रवि देख न ले. रवि रोमा को खुश रखने की बहुत कोशिश कर रहा था. पर रोमा की चिड़चिड़ाहट कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी. रात के अंतरंग पलों में जब रोमा का मन होता तो

रवि का साथ देती, जब सुजय की तरफ मन खिंच रहा होता तो रवि का हाथ झटक देती.

रोमा जानती थी कि रवि एक सादा इंसान है जिस की ख़ुशी पत्नी और बच्चे को खुश देखने में ही है. न रवि में कोई ऐब था, न कोई और बुराई. कमाल की सादगी थी उस में. पर रोमा अलग स्वभाव की लड़की थी जिस ने पेरैंट्स के दबाव में आ कर रवि से शादी कर तो ली थी पर शादी के बाद सुजय से संबंध रखने में जरा भी नहीं हिचकिचाई थी. वह हमेशा रवि पर हावी

रहने की कोशिश करती.

एक दिन रवि ने पूछा, “रोमा, तुम मुझ से शादी कर के खुश तो हो न? आजकल जब से मैं घर

पर हूं, तुम बहुत गुस्से में दिखती हो.”

“शादी तो हो ही गई, अब खुश रहूं या दुखी, क्या फर्क पड़ता है, रोमा ने अनमनी हो कर जवाब दिया तो रवि ने उसे बांहों में भर कर कहा, “मुझे बताओ तो, आजकल क्यों इतना मूड खराब रहता है तुम्हारा?”

“मुझे घर में घुटन हो रही है, मुझे बाहर जाना है.”

“अच्छा,बताओ, कहां जाना है, मैं घुमा कर लाता हूं. पर, सब तो बंद है.”

“तुम्हारे साथ नहीं, अकेले जाने का मन है,” रोमा ने सपाट स्वर में कहा तो रवि उस का मुंह देखता रह गया. रोमा ने उस का बढ़ा हुआ हाथ झटका और बेरुखी से वहां से चली गई.

रवि की कुछ जरूरी मीटिंग थी, वह लैपटौप पर बैठ तो गया पर उस का दिल आज बहुत उदास था. वह सोचने लगा, क्या मिल रहा है उसे अपने पेरैंट्स की पसंद से शादी कर के. रोमा उसे पसंद नहीं करती, यह एहसास उसे होने लगा था. उस के पेरैंट्स रोमा से कुंडली मिलने पर बहुत

खुश हुए थे कि खूब अच्छी जोड़ी रहेगी. पर आज वह अपने मन का दुख किसी से भी शेयर नहीं कर सकता था.

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रोमा से रुका नहीं गया तो रवि जब एक दिन नहाने गया, उस ने सुजय को फोन मिला दिया. सुजय मीटिंग में था. वह भी घर से काम कर रहा था. वह फोन नहीं उठा पाया. रोमा का दिल बुझ गया. सुजय ने जब वापस उसे फोन किया तो रवि आसपास था. वह फोन नहीं उठा पाई और उसे रवि पर इतनी जोर से गुस्सा आया कि उस ने रवि को नाश्ते की प्लेट इतनी जोर से पटक कर दी कि रवि को गुस्सा आ गया, बोला, “दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा? यह खाना देने की तमीज है तुम्हारी?”

रोमा पर सुजय का भूत सवार था, आवारागर्दियां याद आ रही थीं, चिल्ला कर बोली, “खाना है, तो खाओ वरना मेरी बला से.”

रोमा के इतनी जोर से चिल्लाने पर सोनू डर कर जोर से रो उठा. रवि ने उसे सीने से लगा लिया और चुप करवाने लगा. अभी जो भी हुआ था, रवि को यकीन ही नहीं आ रहा था कि कभी रोमा ऐसे भी बात कर सकती है. वह हैरान था, खामोश था. यह खामोशी अब उसे अंदरअंदर जलाने लगी थी. क्या हुआ है रोमा को, कुछ समझ नहीं आ रहा था.

रोमा का फोन कभी रवि ने चैक नहीं किया था. उस ने रोमा के पर्सनल स्पेस में कभी हस्तक्षेप नहीं किया था. उस ने हमेशा उसे पूरी आज़ादी दी थी. गलती कहां हो रही है जो घर का माहौल इतना खराब होता जा रहा था, यह सोचसोच कर रवि का दिमाग परेशान हो चुका था.

एक दिन लंच कर के रोमा सोनू के साथ सोने के लिए लेटी. रवि लिविंगरूम में काम कर रहा था. रोमा ने सुजय को मैसेज किए. उधर से भी फौरन रोमांस शुरू हो गया. सुजय की बेचैनी देख रोमा को अच्छा लगा पर मिलने की मजबूरी ने रोमा का फिर मूड खराब कर दिया और उसे रवि पर फिर गुस्सा आने लगा कि पता नहीं कितने दिनों तक रवि घर में बैठा रहेगा, कब जाएगा औफिस. थोड़ी देर में फोन रख वह बिना बात के किचन में जा कर खटपट करने लगी. रवि ने इशारा किया कि वह जरूरी मीटिंग में है, शोर न हो. पर रोमा जानबूझ कर और शोर करने लगी. यहां तक कि लिविंगरूम में रखा टी वी भी चला कर बैठ गई. मीटिंग से

उठते ही रवि ने रोमा को डांटा, “यह क्या बदतमीजी है, टीवी अभी देखना जरूरी था?”

“तो कब देखूं? सारा दिन तो घर में डटे हो, कहीं जाते भी नहीं जो थोड़ी देर चैन से जी लूं. सारी प्राइवेसी ख़त्म हो गई मेरी. अपनी मरजी से जी भी नहीं सकती,” यह कहतेकहते रोमा ने रिमोट जोर से सोफे पर पटका तो रवि ने यह सोच कर कि सोनू फिर न रोने लगे, अपनी आवाज धीरे की और समझाया, “क्यों इतनी परेशान हो रही हो, अच्छा, तुम देख लो टीवी, मैं अंदर ही बैठ कर काम कर लूंगा.” यह कह कर रवि अपना लैपटौप उठा कर अंदर जाने लगा तो रोमा ने अंदर जाते हुए कहा, “नहीं, अब मैं आराम करने जा रही हूं.”

हैरानपरेशान रवि सिर पकड़ कर बैठ गया. क्या हो गया है रोमा को, कैसे चलेगा ऐसे. फिर सोचा, शायद घर में रहरह कर सभी को ऐसी ही परेशानी है, वह खुद एडजस्ट कर लेता है हर चीज तो जरूरी तो नहीं कि कोई और परेशान न हो. छोटा बच्चा है, उस के भी काम आदि करने में वह थक जाती होगी. मेड आ नहीं रही है, लखनऊ में केसेस भी काफी हो गए हैं.

कहां इस सोसाइटी में रोमा कितनी ख़ुशी से घूमतीफिरती थी, कहां उस का सबकुछ बंद हो गया. किस पर गुस्सा निकलेगा, मुझ पर ही न, सब रिश्तेदार भी जब फोन पर बातें करते हैं, यही कोरोना की बातें तो रह गई हैं. इंसान खुश भी हो तो किस बात पर. कहीं तो चिढ़ निकलेगी ही न रोमा की. नहीं, ये हालात की ही बात है.

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सबकुछ रोमा के पक्ष में ही सोच कर रवि फिर रोमा के पास जा कर बैठ गया और उस का सिर सहलाने लगा. सोनू सोया हुआ था. सुजय ने अभी चैट शुरू ही की थी कि रवि के आने से उस में विघ्न पड़ गया. रोमा आगबबूला हो गई, गुर्राई, “तुम चैन से मत जीने देना मुझे.”

रवि का चेहरा अपमान से लाल हो गया. क्याक्या सोच कर वह रोमा के पास आया था. चुपचाप उठ कर सोफे पर आ कर लेट गया. आंखों की कोरों से नमी सी बह निकली.

सोसाइटी की हर बिल्डिंग में पार्किंग के एरिया में थोड़ी खुली जगह थी. वहां रात को इक्कादुक्का लोग टहलने के लिए आ जाते. सुजय ने प्रोग्राम बनाया कि रात 9 बजे डिनर के बाद वहां टहलते हुए, दूर से ही सही, एकदूसरे को देखा जा सकता है. और कोई न रहा, तो बातें भी हो सकती हैं. रोमा को यही सब तो चाहिए था. वह चहक उठी. उस दिन रवि से भी कुछ बदतमीजी नहीं की.

रवि ने भी अब खामोशी ओढ़ ली थी. हर समय रोमा का मूड देख कर ही बात करना मुश्किल था. अब वह सिर्फ काम की ही बात करता, सोनू से खेलता और घर के कई काम चुपचाप करता रहता. रोमा डिनर के बाद अकेली टहलने जाने लगी. यह एक नियम सा बन गया. कहां रवि और सोनू को घर से निकलते हुए लंबा टाइम हो जाता, वहां रोमा रोज अब चहकती सी जाने लगी.

रवि ने यह सोच कर तसल्ली कर ली कि चलो, इतने से ही रोमा खुश है, तो अच्छा है. इस का मतलब, यह बस घर में ही परेशान हो रही थी. इस का बाहर जाना बंद हो गया था, इसलिए यह गुस्से में रहती थी. ऐसा तो कोरोना के टाइम में बहुत से लोगों के साथ हुआ

है. चलो, कोई बात नहीं.

सुजय के पेरैंट्स कुछ बीमार चल रहे थे, इसलिए उस ने रोमा को मैसेज किया, “रोमा, कुछ दिन अब फिर नहीं मिलेंगे, मम्मीपापा का ध्यान रखना है. नीचे काफी लोग आने लगे हैं. मैं कहीं कोई इंफैक्शन न ले आऊं, मम्मीपापा को कोई प्रौब्लम न हो जाए, इसलिए घर पर ही रहूंगा अभी. फिर कभी मिलेंगे.”

रोमा को फिर एक झटका सा लगा. उस का मूड खराब हो गया. उसे तो यही लगने लगा था कि लाइफ में जो भी उत्साह है, सब सुजय से है. रवि तो घर में रहरह कर उस की प्राइवेसी को ही भंग करता है. रवि के कारण ही वह फोन पर सुजय से बात भी नहीं कर पाती है. रवि पर वह फिर खूब बरसने लगी. रवि परेशान था. वह कितना चुप रहे, क्या करे, लड़नाझगड़ना उस की फितरत ही नहीं थी. बेहद शांत स्वभाव का इंसान ऐसी स्थिति में खामोश रहना ही हल

समझने लगता है. रवि भी वही कर रहा था.

कुछ दिन ऐसे ही खराब, अनमने से बीते. फिर एक दिन सुजय का मैसेज आया, “रोमा, बहुत बढ़िया मौका है. यहां से थोड़ी दूर की सोसाइटी में हमारा जो फ्लैट किराए पर था, वह किराएदार अपने घर चला गया है. अब वह फ्लैट खाली है. फुली फर्निश्ड है. वहां मिल सकते हैं. कितने दिन हो गए, तुम्हें जीभर देखा भी नहीं, आओगी?”

रोमा ने टाइप किया, “आना है तो बहुत मुश्किल, पर कोशिश करूंगी.”

“अरे, यह मौका जाने दोगी?”

“रवि से क्या कहूंगी? वह वर्क फ्रौम होम करता है, सोनू को भी देखना होता है.”

“यार, ये सब अब तुम देखो, आओ किसी तरह.”

रोमा ने सारा दिमाग लगा दिया कि कैसे निकले घर से, कोई बहाना काम करता नहीं दिख रहा था. बात नहीं बनी तो सारे कोप का भाजन रवि ही बनता चला गया. उस दिन रवि लंच लगाने में हैल्प करने उठा तो रोमा ने कहा, “रहने दो, मैं कर लूंगी.”

 

रवि कुछ बोला नहीं, चुपचाप प्लेट्स रखता रहा. आजकल वह खामोश होता जा रहा था. कुकर गरम था. जैसे ही वह राइस का कुकर उठा कर लाने लगा, रोमा के दिल में सुजय से न मिल पाने की कसक उस पर इतनी हावी थी कि उस ने चिढ़ कर उसे धक्का सा दे दिया. गरम कुकर रवि के हाथ से छूट कर उस के पैर पर गिरा. वह दर्द से तड़प उठा. रोमा ने एक जलती निगाह उस पर डाली, फिर कुकर उठा टेबल पर जा कर रखा और सोनू को पास रखी चेयर पर बिठाया व अपनी प्लेट में खाना निकाल कर खुद भी खाने लगी और उसे भी खिलाने लगी.

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रवि अब तक अपने पैर पर लगाने के लिए फ्रिज से आइस पैक निकाल कर सोफे पर आ कर बैठ गया. रोमा पर नजर डाली, वह आराम से रवि को अनदेखा कर खाना खाने में बिजी थी. जलन से रवि का बुरा हाल था. बहने को तैयार आंसुओं को बड़ी मुश्किल से रोक रखा था रवि ने. कौन कहता है पुरुष को रोना नहीं आता, आता है जबजब रोमा जैसी पत्नियां इस पर उतर आती हैं कि उन्हें अपनी मौजमस्ती के आगे घर, पति बंधन लगने लगें तब यही होता है. पुरुष के सीने में ऐसी खामोशियों का सागर तूफ़ान मचा रहा होता है जिन की आवाज भी बाहर नहीं आ पाती. इन खामोशियों का शोर बहुत जानलेवा होता है.

बहुत ही बेबस रवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह आराम से खाना खाती रोमा को देखता रह गया. उसे किस बात की सजा मिल रही है, यह वह समझ ही नहीं पा रहा था.

डैमेज बाल को कैसे मुलायम बनाएं?

सवाल-

मेरे बाल रफ और डैमेज होने के कारण सुंदर नहीं दिखाई देते जबकि मैं अपनी रोके की रस्म में खुले बाल रखना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

जवाब- 

आज की इस फास्ट लाइफ में बालों का डैमेज हो जाना आम बात है, ऐसे में अगर आप के पास अभी समय है तो आप हर 15 दिन पर हेयर स्पा ले सकती हैं. इस से शादी तक आप के बालों में शाइन आ जाएगी. साथ ही स्पा में यूज होने वाले प्रोडक्ट्स से बालों को पोषण मिलेगा और वे स्वस्थ भी हो जाएंगे.

अगर आप के पास समय नहीं है तो आप अस्थाई हेयर ऐक्सटैंशन से अपने बालों को खूबसूरत दिखा सकती हैं. अगर आप केवल रोके वाले दिन के लिए अपना हेयरस्टाइल बदलवाना चाहती हैं तो आप स्ट्रेट बाल वाला क्लिप औन ऐक्सटैंशन ले सकती हैं. उस के बाद आप शादी तक हेयर स्पा करवाती रहें.

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सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है, जिस का बालों पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है. मगर आप घबराएं नहीं, क्योंकि इन सर्दियों में बालों की सेहत बनाए रखने के लिए हम कुछ आसान तरीके जो बता रहे हैं:

मां के नुस्खें

– बाल रूखे होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं. आप जितना ज्यादा पानी पीएंगी आप का शरीर उतना ही हाइड्रेट बना रहेगा.

– एक बरतन में 2 नीबुओं के रस में थोड़ा पानी मिला कर घोल बना लें. अब इस घोल को स्कैल्प में लगाएं और उंगलियों से हलकीहलकी मसाज करें. कुछ देर लगाए रखने के बाद बालों को ठंडे पानी से धो लें. इस से बालों की नमी बनी रहेगी.

– अंडा बालों के लिए एक नैचुरल कंडीशनर होता है, इसलिए एक बरतन में 2 अंडे फोड़ कर उन में नीबू का रस और थोड़ा सा औलिव औयल डाल कर घोल बना कर उसे स्कैल्प में लगाएं. सूख जाने पर माइल्ड शैंपू की मदद से धो लें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- तो सर्दियों में भी बाल रहेंगे मुलायम

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