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Serial Story: कमीशन (भाग-2)

अब तक तो सब ठीकठाक चलता रहा, लेकिन अब बेटी के स्कूल आदि शुरू होने को थे, सो शिप पर इधरउधर रहना मुमकिन नहीं था. इस बार यह घर अभिमन्यु ने हमारे लिए खरीद दिया था ताकि मम्मीपापा का भी साथ मिलता रहे. वे लोग भी यहीं मुंबई में थे. हीरामणि की पढ़ाई बेरोकटोक चलती रहे, ऐसा प्रयास था. अब अभिमन्यु तो सिर्फ छुट्टियों में ही घर आ सकते थे न. अब की जब 9 महीने का शिपिंग कंपनी का अपना कांट्रेक्ट पूरा कर के हम लोग आए तो 3 महीने की पूरी छुट्टियां घर तलाशने और उसे सेट करने में ही निकल गई थीं. घर वाकई बहुत खूबसूरत मिल गया था. मकान मालिक की पत्नी का देहांत कुछ समय पहले हो गया था. उन के एक बेटा था, जो अमेरिका में ही शादी कर के बस गया था. उन्हें अब इतने बड़े घर की जरूरत ही नहीं थी सो इसे हमें सेल कर दिया.

अपने लिए सिर्फ एक कमरा रखा, जिस में अटैच्ड बाथरूम वगैरह था. इस से ज्यादा उन्हें चाहिए ही नहीं था. थोड़े ही दिनों में वे हम से खुल गए थे. हम भी उन्हें घर के एक बुजुर्ग सा ही मान देने लगे थे. हीरामणि का दाखिला भी अच्छे स्कूल में हो गया था. अभिमन्यु सब तरह से संतुष्ट हो कर अपनी ड्यूटी पर चले गए. उन के जाने के बाद तो अंकल और अपने लगने लगे थे. वे मुझे और हीरामणि को अपना बच्चा ही समझते थे. हीरामणि तो उन्हें दादाजी भी कहने लगी थी. बच्चे तो वैसे भी कोमल मन और कोमल भावनाओं वाले होते हैं, जहां प्यार और स्नेह देखा, बस वहीं के हो कर रह गए.

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पहले अंकल ने टिफिन भेजने वाली लेडी से कांट्रेक्ट कर रखा था. दोनों समय का खानापीना वह ही पैक कर के भेज देती थी. नाश्ते में अंकल सिर्फ फल और टोस्ट लेते थे. उन की बेरंग सी जिंदगी देख कर कभीकभी बुढ़ापे से डर लगने लगता था. कितना भयानक होता है न बुढ़ापे का यह अकेलापन. थोड़े दिनों में जब दिल से दिल जुड़े और अपनत्व की एक डोर बंधी तो मैं ने उन का बाहर से वह टिफिन बंद करवा कर अपने साथ ही उन का भी खाना बनाने लगी. अब हम एकदूसरे के पूरक से हो गए थे. बिना अभिमन्यु के हमें भी उन से एक बड़े के साथ होने की फीलिंग होती थी और उन्हें भी हम से एक परिवार का बोध होता.

इसी बीच बातोंबातों में एक दिन पता चला कि अंकल कभी आकाशवाणी केंद्र में एक अच्छे ओहदे पर हुआ करते थे. पता नहीं क्यों उन्होंने समय से पहले ही वहां से रिटायरमेंट ले लिया था. शायद उन्हें नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं थी या फिर वहां के काम से बोर हो गए थे. खैर, जो भी हो, मैं तो बस तब से ही उन के पीछे पड़ गई थी कि मेरा भी कभीकभी कुछ आकाशवाणी में प्रोग्राम वगैरह करवा दें. उन की तो काफी लोगों से जानपहचान होगी. तब उन्होंने बताया कि वह यू.पी. के एक छोटे से आकाशवाणी केंद्र में थे. अब तो छोड़े हुए भी उन्हें काफी समय हो गया, कोई जानपहचान वाला मिलेगा भी या नहीं, लेकिन मैं थी कि बस लगी ही रही उन के पीछे. उन्होंने मुझे बहुत समझाया कि इन जगहों पर असली टैलेंट की कोई कद्र नहीं होती. बस, सब अपनेअपने सगेसंबंधियों और जानपहचान वालों को मौका देते रहते हैं और कमीशन के नाम पर उन्हें भी नहीं बख्शते. वे अपनी कहते रहे तो मैं भी बस उन से यही कहती रही, ‘‘अंकल, आज के समय में यह कोई बड़ी बात थोड़े ही है और कमीशन बताइए अंकल कि कहां नहीं है. मकान खरीदो तो प्रोपर्टी डीलर कमीशन लेता है, सरकारी आफिस में कोई टेंडर निकलवाना हो तो अफसरों को कमीशन देना पड़ता है, यहां तक कि पोस्टआफिस में भी किसी एजेंट के द्वारा कोई पालिसी खरीदो तो जहां उसे सरकार कमीशन देती है, तो उस से कुछ कमीशन पालिसीधारक को भी मिलता है. और भी क्याक्या गिनाऊं, हर जगह यही हाल है अंकल, जिस को जहां जरा सा भी मौका मिलता है वह उसे हर हाल में कैश करता ही है, तो अगर यहां भी यही हाल है तो उस में बुरा ही क्या है.

‘‘ठीक है, वह आप को, आप के टैलेंट को, आप के हुनर को बाहर निकलने का मौका दे कर बदले में अगर कुछ ले रहे हैं तो ठीक है न, फिर इस में इतना हाईपर होने की क्या बात है. उन का हक बनता है भई. गिव एंड टेक का जमाना है सीधा- सीधा. इस हाथ दो तो उस हाथ लो. इन सब से बड़ी बात तो यह है अंकल कि आप की आवाज इतने लोग सुन रहे हैं, इस से बड़ी बात और क्या हो सकती है.’’

मेरी बात सुन कर अंकल हैरत से मुझे देखते हुए बोले, ‘‘काफी प्रैक्टिकल और सुलझी हुई हो बेटी तुम. काश, उस वक्त भी तुम्हारे जैसी सोच वाले लोग होते…’’ इतना कह कर अंकल उदास हो गए तो मैं ने पूछ ही लिया, ‘‘अंकल, बुरा न मानें तो मुझे बताइए कि आप ने आकाशवाणी की इतनी मजेदार नौकरी क्यों छोड़ दी?’’ कुछ पल वे यों ही सोचते रहे, फिर खोएखोए से बोले, ‘‘बस, बेटी, इसी लेनदेन को ले कर एक स्कैंडल खड़ा हो गया था, फिर मन ही नहीं लगा पाया वहां. आ गया सब छोड़ कर.’’

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इस से ज्यादा न उन्होंने कुछ बताया और न ही मैं ने पूछा. पता नहीं क्यों दिल में ऐसा आभास हो रहा था कि कहीं मम्मी और अंकल एक ही इश्यू से जुड़े तो नहीं हैं. मम्मी भी न…बस, अरे, उस डायरेक्टर के मुंह पर चेक फेंकने का क्या फायदा हुआ आखिर. उन का ही तो नुकसान हुआ न. इस घटना के बाद उन की रचनात्मक प्रवृत्तियां खत्म सी हो गई थीं. उन का मन ही नहीं करता था कुछ. उन की अपनी एक खास पहचान बन गई थी. सब खत्म कर दिया अपनी ऐंठ और नासमझी में. मैं तो इसे नासमझी ही कहूंगी.

कांट्रेक्ट लेटर हाथ में आते ही कल जब उन्हें फोन पर बताया तो सब से पहले वे बिगड़ने लगीं कि दीया, तुम ने मेरी बात नहीं मानी आखिर. कहा था न कि इन सब झंझटों से दूर रहना, मगर…खैर, अब जा ही रही हो तो ध्यान रखना, कोई तुम्हें जरा सा भी बेवकूफ बनाने की कोशिश करे तुम उलटे पैर लौट आना. मैं ने तो सुना था कि मुझे परेशान करने वाले उस डायरेक्टर ने तो नौकरी ही छोड़ दी थी.’’ अब मुझे बिलकुल भी शक नहीं था कि अंकल ही वह शख्स थे जिन्होंने मम्मी की वजह से नौकरी छोड़ दी थी.

खैर, अब उन से भी क्या कहती. मम्मी थीं वह मेरी. यही कहा बस, ‘‘मम्मी, मैं आप की बात का ध्यान रखूंगी. आप परेशान मत होइए.’’ मगर मन ही मन मैं ने सोच लिया था कि किसी की भी नहीं सुनूंगी. समय की जो डिमांड होगी वही करूंगी और फिर मैं कोई पैसा कमाने या कोई इश्यू खड़ा करने नहीं जा रही हूं वहां. पैसा तो अभिमन्यु ही मर्चेंट नेवी में खूब कमा लेते हैं. मुझे तो उन के पीछे बस अपना थोड़ा सा समय रचनात्मक कार्यों में लगाना है. हीरामणि के साथ मैं कहीं नौकरी कर नहीं सकती, अभिमन्यु के पीछे वह मेरी जिम्मेदारी है. बस, कभीकभी आकाश- वाणी पर कार्यक्रम मिलते रहें, लेखन चलता रहे…और इस से ज्यादा चाहिए भी क्या. समय इधरउधर क्लब, किट्टी पार्टी में गंवाने से क्या हासिल.

आगे पढें- आकाशवाणी पहुंची तो सब…

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Serial Story: कमीशन (भाग-1)

अंकल की कोशिशों से आखिर मुझे आकाशवाणी के कार्यक्रमों में जगह मिल ही गई. एक वार्ता के लिए कांट्रेक्ट लेटर मिलते ही सब से पहले अंकल के पास दौड़ीदौड़ी पहुंची तो मुझे बधाई देने के बाद पुन: अपनी बात दोहराते हुए उन्होंने मुझ से कहा, ‘‘बेटी, तुम्हारे इतना जिद करने पर मैं ने तुम्हारे लिए जुगाड़ तो कर दिया है, लेकिन जरा संभल कर रहना. किसी की भी बातों में मत आना, अपनी रिकार्डिंग के बाद अपना पारिश्रमिक ले कर सीधे घर आ जाना.’’ ‘‘अंकल, आप बिलकुल चिंता मत कीजिए. कोई भी मुझे बेवकूफ नहीं बना सकता. मजाल है, जो प्रोग्राम देने के बदले किसी को जरा सा भी कोई कमीशन दूं. मम्मी ही थीं, जो उन लोगों के हाथों बेवकूफ बन कर हर कार्य- क्रम में जाने का कमीशन देती रहीं और फिर एक दिन बुरा मान कर पूरा का पूरा पारिश्रमिक का चेक उस डायरेक्टर के मुंह पर मार आईं. शुरू में ही मना कर देतीं तो इतनी हिम्मत न होती किसी की कि कोई उन से कुछ उलटासीधा कहता.’’

मेरे द्वारा मम्मी का जिक्र करते ही अंकल के चेहरे पर टेंशन साफ झलकने लगा था लेकिन अपने कांट्रेक्ट लेटर को ले कर मैं इतनी उत्साहित थी कि बस उन्हें तसल्ली सी दे कर अपने कमरे में आ कर रिकार्डिंग के लिए तैयारी करने लगी. उस में अभी पूरे 8 दिन बाकी थे, सो ऐसी चिंता की कोई बात नहीं थी. हां, कुछ अंकल की बातों से और कुछ मम्मी के अनुभव से मैं डरी हुई जरूर थी. दरअसल, मेरी मम्मी भी अपने समय में आकाशवाणी पर प्रोग्राम देती रहती थीं. उस समय वहां का कुछ यह चलन सा बन गया था कि कलाकार प्रोग्राम के बदले अपने पारिश्रमिक का कुछ हिस्सा उस स्टेशन डायरेक्टर के हाथों पर रखे. मम्मी को यह कभी अच्छा नहीं लगा था. उन का कहना था कि अपने टैलेंट के बलबूते हम वहां जाते हैं, किसी भी कार्यक्रम की इतनी तैयारी करते हैं फिर यह सब ‘हिस्सा’ या ‘कमीशन’ आदि क्यों दें भला. इस से तो एक कलाकार की कला का अपमान होता है न. ऐसा लगता है कि जैसे कमीशन दे कर उस के बदले में हमें अपनी कला के प्रदर्शन का मौका मिला है. मम्मी उस चलन को ज्यादा दिन झेल नहीं पाईं.

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उन दिनों उन्हें एक कार्यक्रम के 250 रुपए मिलते थे, जिस में से 70 रुपए उन्हें अपना पारिश्रमिक पाने के बदले देने पड़ जाते थे. बात पैसे देने की नहीं थी, लेकिन इस तरह रिश्वत दे कर प्रोग्राम लेना मम्मी को अच्छा नहीं लगता था जबकि वहां पर इस तरह कार्यक्रम में आने वाले सभी को अपनी इच्छा या अनिच्छा से यह सब करना ही पड़ता था. मम्मी की कितने ही ऐसे लोगों से बात होती थी, जो उस डायरेक्टर की इच्छा के भुक्तभोगी थे. बस, अपनीअपनी सोच है. उन में से कुछ ऐसा भी सोचते थे कि आकाशवाणी जैसी जगह पर उन की आवाज और उन के हुनर को पहचान मिल रही है, फिर इन छोटीछोटी बातों पर क्या सोचना, इस छोटे से अमाउंट को पाने या न पाने से कुछ फर्क थोड़े ही पड़ जाएगा. प्रोग्राम मिल जाए और क्या चाहिए.

पता नहीं मुझे कि उस समय उस डायरेक्टर ने ही यह गंदगी फैला रखी थी या हर कोई ही ऐसा करता था. कहते हैं न कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है. मम्मी तो बस फिर वहां जाने के नाम से ही चिढ़ गईं. आखिरी बार जब वे अपने कार्यक्रम की रिकार्डिंग से लौटीं तो पारिश्रमिक के लिए उन्हें डायरेक्टर के केबिन में जाना था. चेक देते हुए डायरेक्टर ने उन से कहा, ‘अब अमाउंट कुछ और बढ़ाना होगा मैडम. इधर अब आप लोगों के भी 250 से 350 रुपए हो गए हैं, तो हमारा कमीशन भी तो बढ़ना चाहिए न.’ मम्मी को उस की बात पर इतना गुस्सा आया और खुद को इतना अपमानित महसूस किया कि बस चेक उस के मुंह पर मारती, यह कहते हुए गुस्से में बाहर आ गईं कि लो, यह लो अपना पैसा, न मुझे यह चेक चाहिए और न ही तुम्हारा कार्यक्रम. मैं तो अपनी कहानियां, लेख पत्रपत्रिकाओं में ही भेज कर खुश हूं. सेलेक्ट हो जाते हैं तो घरबैठे ही समय पर पारिश्रमिक आ जाता है.

उस के बाद मम्मी फिर किसी आकाशवाणी या दूरदर्शन केंद्र पर नहीं गईं. मैं उन दिनों यही कोई 10-11 साल की थी. उस वक्त तो ज्यादा कुछ समझ नहीं पाई थी लेकिन जैसेजैसे बड़ी होती गई, बात समझ में आती गई. मम्मी के लिए मेरे मन में बहुत दुख था. मम्मी कितनी अच्छी वक्ता थीं कि बता नहीं सकती. एक तो कुछ उन की जल्दबाजी और दूसरे वहां के ऐसे माहौल के कारण एक प्रतिभा अंदर ही अंदर दब कर रह गई.

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कहते हैं न कि एक कलाकार की कला को यदि बाहर निकलने का मौका न मिले तो वह दिल ही दिल में जिस तरह दम तोड़ती है, उस का अवसाद, उस की कुंठा कलाकार को कहीं का नहीं छोड़ती. मम्मी ने भी उस घटना को दिल से लगा लिया था. कुछ दिन तो वह काफी बीमार रहीं फिर पापा के अपनत्व और स्नेह से किसी तरह जिंदगी में लौट पाईं और पुन: लेखन में लग गईं. मम्मी के ये गुण मुझ में भी आ गए थे. मेरा भी लेखन वगैरह के प्रति झुकाव समय के साथ बढ़ता ही चला गया. साथ ही एक अच्छे वक्ता के गुणों से भी स्कूल के दिनों से ही मालामाल थी. वादविवाद प्रतियोगिता हो, गु्रप डिस्कशंस हों या कुछ और, सदा जीत कर ही आती थी. मगर इस से पहले कि मैं इस फील्ड में अपना कैरियर तलाशती, गे्रजुएशन के साथ ही पापा के ही एक खास मित्र के लड़के, जोकि मर्चेंट नेवी में था, ने एक पार्टी में मुझे पसंद कर लिया और बस चट मंगनी, पट ब्याह हो कर बात दिल की दिल में ही रह गई. इस के बाद अभिमन्यु के साथ 4-5 साल मैं शिप पर ही रहती रही. वहीं मेरी बेटी हीरामणि का भी जन्म हुआ. यों तो डिलीवरी के लिए मैं मम्मीपापा के पास मुंबई आ गई थी, मगर हीरामणि के कुछ बड़ा होने के बाद पुन: अभिमन्यु के पास शिप पर ही चली गई थी.

आगे पढ़ें- अब तक तो सब ठीकठाक चलता रहा, लेकिन….

कार ड्राइविंग के दौरान इन नियमों का करें पालन

इन दिनों ड्राइविंग करते वक्त कौन सी ऐसी चीज है जो आपको सबसे ज्यादा परेशान करती है? लॉकडाउन के बाद बहुत सारे लोग हर दिन सड़क पर बेसिक ट्रैफिक नियमों का उल्लंधन कर रहे हैं, लोग छोटी सी ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं कर पा रहे हैं.

चाहे सिग्नल तोड़ना हो या ट्रैफिक में गलत तरीके से कार को निकालना हो वह अपने साथ- साथ लोगों का दिन भी खराब कर रहे है. ऐसे ही लोगों के साथ बड़ी दुर्घटना हो जाती है. तो क्यों ना इस हफ्ते हम ट्रैफिक नियमों का पालन करने का संकल्प लें. जिससे हम खुद भी दुर्घटना से बचेंगे और लोगों को भी एक्सीडेंट होने से बचाएंगे. #BeTheBetterGuy!

क्रिकेटर युजवेंद्र ने मंगेतर धनश्री वर्मा से रचाई शादी, Photos Viral

साल 2020 में शादियों का सिलसिला जारी है. जहां एक्ट्रेस गौहर खान मंगेतर जैद दरबार संग निकाह करने वाली हैं तो वहीं अब क्रिकेटर युजवेंद्र चहल ने अपनी मंगेतर धनश्री वर्मा के साथ शादी कर ली है. वहीं फोटोज शेयर होते ही शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर भी छा गई हैं, जिसमें दुल्हा दुल्हन बेहद खुश नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा की वेडिंग फोटोज…

13वें IPL के सीजन से पहले की थी सगाई

 

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क्रिकेटर युजवेंद्र चहल ने IPL के 13वें सीजन से पहले धनश्री संग सगाई की थी. वहीं इसके बाद कई बार युजवेंद्र की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) का मैच देखने यूएई में नजर आईं थीं, जिसे देखकर फैंस भी काफी तारीफें करते हुए नजर आए थे. दरअसल, धनश्री एक यूट्यूबर और कोरियोग्राफर, जो अपने डांस के वीडियो शेयर करती रहती हैं. वहीं उनकी खुद की डांस कंपनी भी है.

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फोटोज हुई वायरल

शादी होते ही क्रिकेटर युजवेंद्र चहल ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट से फैंस के लिए शादी की कुछ फोटोज शेयर की थीं, जिसके बाद फैंस के साथ-साथ सेलेब्स भी उन्हें बधाई दे रहे हैं. वहीं फोटोज की बात करें तो जहां क्रीम कलर की शेरवानी में युजवेंद्र हैंडसम लग रहे हैं तो वहीं धनश्री का लुक बेहद खूबसूरत लग रहा है. इसी के साथ दोनों की खुश फोटोज में साफ देखने को मिल रही है.

 

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दोस्तों ने दी बधाई

 

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क्रिकेटर युजवेंद्र चहल  को शादी की बधाइयां देने वालों में BCCI और RCB बधाई देते नजर आए तो वहीं शादी के दौरान भी कुछ सितारों ने महफिल में चार चांद लगा दिए, जिनमें रोहित रेड्डी और क्रिकेट की दुनिया के सितारे शामिल होते नजर आए.

 

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शादी के 10 साल बाद पापा बनने वाले हैं ‘लॉकडाउन की लव स्टोरी’ एक्टर, पढ़ें खबर

टीवी की दुनिया में साल 2020 में कई घटनाओं ने जहां लोगों को निराश किया तो वहीं कुछ खुशखबरी ने फैंस का दिल जीत लिया. इस साल कई सेलेब्स ने अपने माता-पिता बनने की खुशी को जाहिर किया है, जिनमें करीना कपूर, अनुष्का शर्मा जैसे सितारे शामिल हैं. वहीं अब इस लिस्ट में एक और टीवी सितारे का नाम शामिल होने जा रहा है, जो शादी के 10 साल बाद पेरेंट्स बनने जा रहा है. दरअसल, लॉकडाउन की लव स्टोरी सीरियल के एक्‍टर मोहित मलिक जल्द ही पापा बनने वाले हैं.

10 साल बाद बनेंगे माता-पिता

नया साल की शुरुआत होने से पहले ही एक्टर मोहित मलिक और अदिति ने फैंस को खुश कर दिया है. दरअसल, शादी के 10 साल बाद ये कपल अगले साल 2021 के मई महीने में पैरेंट्स बनने वाला है. वहीं इस खुशी की खबर से जहां फैंस खुश हैं तो वहीं मोहित इन दिनों सातवें आसमान पर हैं.

 

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ऐसे मिली थी गुडन्यूज

 

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एक इंटरव्यू में मोहित ने बताया है कि जब उन्‍होंने यह खुशखबरी सुनी थी तो वह सातवें आसमान पर पहुंच गए थे. उनका कहना है कि ‘मैं लॉकडाउन की लव स्टोरी की शूटिंग कर रहा था. अदिति का अचानक फोन आया और उसने यह खुशखबरी दी. हालांकि उसने जो कहा वह सुनकर मैं टेंशन में आ गया. दरअसल, अदिति ने कहा कि रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. चारों ओर कोरोना का माहौल है तो मुझे लगा कि वो कोविड-19 टेस्ट के बारे में बता रही है. लेकिन फिर वह हंस पड़ी और बताया कि हम पैरेंट्स बनने वाले हैं. मुझे यकीन नहीं हो रहा था और मैंने मैं दो-दिन तक उसे बार-बार यही कहा कि फिर से चेक करो.’

फैंस के साथ शेयर की थी खुशखबरी

 

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फैंस के साथ खुशी जाहिर करते हुए मोहित ने सोशल मीडिया पर वाइफ अदिति संग एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘जिस तरह मैंने तुम्हारे ऊपर हाथ रखा है… मैं शुक्रिया कहना चाहता हूं… हमें चुनने के लिए. जिस एक्‍सपीरियंस से हम अभी गुजर रहे हैं, उसके लिए थैंक्यू भगवान. थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू. हम अब दो से तीन होने जा रहे हैं. यह मेरे विश्वास को और मजबूत करता है कि हम एक हैं.’

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सीरियल के सेट पर मिला था ये कपल

 

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पहली मुलाकात की बात करें तो टीवी सीरियल ‘मिली’ के सेट पर मोहित और अदिति मिले थे. वहीं 4 साल तक डेट करने के बाद दोनों ने 1 दिसंबर 2010 में शादी कर ली थी, जिसके बाद अब वह पेरेंट्स बनने जा रहे हैं.

Winter Special: घर पर बनाएं अंजीर ड्राईफ्रूट बर्फी

सर्दियों में गर्म और मीठी चीज खाने का अलग ही मजा है. तो इस सर्दी ट्राय करें अंजीर ड्राईफ्रूट बर्फी. वहीं आप अंजीर ड्रायफ्रूट बर्फी को फेस्टिवल में भी घर पर बनाकर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को परोस सकते हैं. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी है.

हमें चाहिए

100 ग्राम सूखे अंजीर

50 ग्राम चीनी

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1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

2 बड़े चम्मच छोटे टुकड़ों में कटे काजू व बादाम

1 बड़ा चम्मच देशी घी

बनाने का तरीका

अंजीर को 3 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. बीच में पलट दें ताकि दोनों तरफ से फूल जाएं. इन्हें मिक्सी में पीस लें.

एक नौनस्टिक कड़ाही में गरम कर के अंजीर का मिश्रण और चीनी अच्छी तरह चलाती रहें ताकि मिश्रण एकदम सूखा सा हो जाए.

इसमें काजू व बादाम हलका सा रोस्ट कर के मिला दें. साथ ही इलायची पाउडर भी. एक घी लगी थाली में जमा दें. और फिर मनपसंद आकार के टुकड़े काट लें.

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फ़्लर्ट करिए जिंदगी में रंग भरिए

“हाय कैसी हो पूजा,” प्रभात पूजा के पास आ कर बैठता हुआ बोला.

“गुड. आप बताओ, ” पूजा ने भी पहचानी हुई नजरों से देखते हुए जवाब दिया.

“याद है न पिछली दफा हम रोहित की बर्थडे पार्टी में मिले थे, ” प्रभात ने याद दिलाने की कोशिश की.

“हां याद है मुझे. आप विहान के दोस्त हो न? ”

” हां. ”

“मेरा नाम याद रह गया आप को ?” पूजा ने शरारत से कहा.

“बिलकुल. दरअसल उस पार्टी में मिला तो बहुतों से से था मगर याद केवल आप रहीं,” प्रभात ने अपने दिल की बात कही
.
“अच्छा पर ऐसा क्यों ? “हंस कर पूजा ने पूछा.

“कुछ तो है आप में जो दूसरों में नहीं. शायद यह आप की बोलती हुई सी आँखें या फिर आप की यह मुसकान जो बस दिल पर असर करती है. ”

“रियली? यानी मेरी मुसकान ने पहली ही बार में इतना असर कर दिया,” पूजा प्रभात की आंखों में देखती हुई बोली.

“ऑफकोर्स, तभी तो महफ़िल में मेरी नजरें बस आप को ढूंढ रही थीं. ”

“बहुत दिलचस्प हैं आप. हमारी काफी जमेगी पर अभी निकलना होगा मुझे. दरअसल मेरा भाई नीचे वेट कर रहा है. फिर मिलेंगे, ” पूजा उठने लगी तो प्रभात ने अपना कार्ड देते हुए कहा, “श्योर. यह है मेरा नंबर कभी भी फ़ोन कर सकती हैं. ”

“जरूर. थैंक्स. बाय. ”

फ्लर्टिंग का यह एक छोटा सा उदाहरण है. प्रभात ने एक मामूली सी मुलाक़ात को दोस्ती में बदलने की पूरी कोशिश की थी और कामयाब भी हुआ.

जिंदगी बहुत खूबसूरत है मगर कई बार हम सही अर्थों में इस जिंदगी का आनंद नहीं ले पाते. कभी ऑफिस और घर की जिम्मेदारियां, कभी बीमारी हारी, कभी बोरियत भरी एकसार सी नीरस जिंदगी और कभी अकेलापन यानी किसी ऐसे साथी का अभाव जो बिल्कुल अपने जैसा हो और जो आप की रंगहीन जिंदगी में रंग भर जाए.

कई दफा आप जिंदगी में ऐसे लोगों से टकराए होंगे जिन के व्यक्तित्व ने आप को चुंबक की तरह आकर्षित किया होगा. आप के दिल ने कहा होगा कि काश यह मेरा होता. मगर आप जानते हैं कि वह आप का नहीं. आप या वो शादीशुदा है या फिर आप एकदूसरे से अनजान हैं. संकोचवश आप उस से बात तक नहीं कर पाए होंगे. मगर सोचिए क्या होता यदि आप ने उस से हल्के रोमांटिक मूड में बातें कर ली होतीं. उस की आंखों की शरारत भरी मुस्कान पर दोचार शायरियां सुना दी होतीं. जाहिर है आप दोनों के बीच एक प्यारा सा रिश्ता बन जाता. दोस्ती का रिश्ता कहिए या आकर्षण का रिश्ता. इस से किसी को परेशानी नहीं होती मगर आप का दिन बन जाता. आप घर आने के बाद भी बेवजह खुश रहते. कुछ सोचते, कुछ कल्पना करते और कुछ गीत गुनगुनाते. इसी को तो फ़्लर्ट करना कहते हैं.

चंद लम्हों की मुलाकात हो या लंबे समय तक एक साथ रहना हो, किसी भी हाल में अपने दिल की बात थोड़ी शराफत और थोड़ी शरारत के साथ जुबां पर लाने की कला ही फ्लर्टिंग है. कई बार फ्लर्टिंग की आदत के कारण आप को मनपसंद जीवनसाथी भी मिल जाता है.

कैसे करें शुरुआत फ्लर्टिंग की

आई कांटेक्ट बनाएं

जब आप किसी के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश करना शुरू करते हैं तो सब से पहले आई कांटेक्ट बनाएं. उस व्यक्ति की आँखों में गहराई से झांकें. ऐसा तब तक करते रहें जब तक वह आप को ऐसा करते पकड़ नहीं ले . इस के बाद भी कुछ पल के लिए उसे देखते रहें फिर मुस्कुराएं और नज़रें फेर लें. जब आप उस से बात कर रहे हों तब भी उस की आँखों में देखें.

मुस्कुराएं

जब आप किसी ऐसे शख्स से बात करते हैं जिसे आप पसंद करते हैं तो मुस्कान खुद ब खुद आप के चेहरे पर आ जाती है. आप तब भी मुस्कुरा सकते हैं जब आप हॉल में उस के पास से गुजरें या फिर कमरे के आर पार खड़े हों. अपने जज्बात जाहिर करने के लिए एक छोटी सी मुस्कराहट काफी होती है.
अपने मुंह के बजाय अपनी आँखों से मुस्कुराने की कोशिश करें. जब आप दिल से मुस्कुराते हैं तो आप का पूरा चेहरा चमक जाता है और इस बात का अहसास सामने वाले को भी होता है.

बात करें

आप जिस के साथ फ़्लर्ट करना चाह रहे हैं यदि उसे पहले से नहीं जानते तो एक सिंपल सा इंट्रोडक्शन फ्लर्टिंग शुरू करने का अच्छा तरीका है. आप ऐसे कह सकते हैं, “Hi, मैं मयंक गोस्वामी और आप…..? ”
जब वह अपना नाम बताये तो आप उस के नाम की तारीफ करते हुए बात आगे बढ़ा सकते हैं. बातचीत की शुरुआत आप मौसम, कोई करंट इशू या फिर अपनी हॉबी के बारे बताते हुए कर सकते हैं. बातचीत शुरू करने का सब से आसान तरीका है कि आप ऐसी कोई बात बोलें जिस का अंत सवाल से ही हो जैसे, ‘मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की इस हफ्ते इतनी बारिश हुई है’ या ‘इस जगह काफी भीड़ है, है न?’
आप क्या कह रहे हैं वह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि आप उस से बातें करना चाहते हैं और सामने वाले को इस के लिए न्यौता दे रहे हैं .

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अगर आप उस से पहले मिले हुए हैं तो आप दोनों के बीच किसी आम रूचि या अनुभव पर बात करें. जवाब देने के तरीके को को समझें. अगर दूसरा व्यक्ति इंट्रेस्ट ले कर बात का जवाब देता है तो ही बात को आगे बढ़ाएं. अगर वह जवाब नहीं देता या फिर उलझा हुआ सा लग रहा है तो शायद वह आप के साथ फ्लर्टिंग करने में इंटरेस्टेड नहीं है.

जब आप हलके विषयों पर बात करे रहे होते हैं जैसे, पेट्स, रियलिटी शोज या आप के पसंदीदा वेकेशन स्पॉट्स आदि तो फ़्लर्ट करना आसान होता है . इस का मतलब है की आप को शुरुआत में कभी भी गहराई वाली बातों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए. हंसीमज़ाक करना चाहिए क्यों कि आप का साथ एंजॉय करने पर ही वह आप में इंट्रेस्ट लेगा और आप से मिलने के बहाने ढूंढेगा.

कॉम्प्लीमेंट दें

फ्लर्टिँग का आनंद लेना है और रिश्ते में मजबूती लानी है तो इस की शुरुआत कॉम्प्लीमेंट देने से करें. कॉम्प्लीमेंट देते समय आई कांटेक्ट बनाएं रखें. यदि आप ने नजरें हटाईं तो आप की नीयत पर भरोसा करना कठिन होगा. जिस लड़की को आप पसंद करते हैं यदि वह किसी बात पर दुखी है तो आप कह सकते हैं, “ मुझे आप जैसी खूबसूरत लड़की को दुखी देखना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा. मैं इन आँखों में वही चमक देखना चाहता हूं जिसे देख मेरे जैसे लोग अपना दिल खो देते हैं. ”
इस तरह के प्यारे मगर हैल्दी कमैंट्स दूसरों की नजरों में आप के व्यक्तित्व को भी आकर्षक बनाते हैं. लुक्स पर कॉम्प्लीमेंट देने से पहले थोड़ा ध्यान रखें . अगर आप किसी लड़की की आँखों की तारीफ करेंगे तो उसे अच्छा लगेगा लेकिन अगर आप छूटते ही उस के फिगर की तारीफ करेंगे तो संभव है उसे यह बात पसंद न आए. इसलिए कोशिश करें कि आप उन की आंखों, मुस्कराहट, जुल्फों या फिर स्मार्ट लुक से जुड़े कमैंट्स करें.

अपने बारे में ज्यादा बात नहीं करें

अक्सर लोग अपने बारे में ज्यादा बात करना पसंद करते हैं मगर बेहतर होगा कि ऐसा करने के बजाय दूसरे व्यक्ति को अपने बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें . आप बीच में उस व्यक्ति को अपने बारे कुछ ऐसी बातें बता सकते हैं जिस से उस को आप के बारे में सवाल पूछने में आसानी हो. उस के बाद उन्हें यह मौका मिल जायेगा की वह ऐसी चीज़ों के बारे में बात करें जिन में आप दोनों की रूचि है इस से न सिर्फ आप की बातचीत आगे बढ़ेगी बल्कि आप को अपने क्रश के बारे में और बातें जानने को मिलेंगी.
अगर आप उस व्यक्ति को बिलकुल नहीं जानते तो उस की ऐसी किसी रूचि या शौक की बात करें जिस के बारे में आप को पता हो . मसलन वह बास्केटबाल खेलता है या किताबें पढ़ने का शौक़ीन है तो आप उस की पसंदीदा किताब या उस के द्वारा खेले गए बास्केटबॉल मैच के बारे में बात शुरू कर सकते हैं.

ज्यादा संजीदा नहीं हों

याद रहे की फ्लर्टिंग मस्ती का दूसरा नाम है और अगर आप की कोशिश सफल नहीं होती तो हिम्मत नहीं हारें. पॉजिटिव रहें. यह ज़रूरी नहीं की हर फ्लर्टिंग का अंत खूबसूरत ही हो. फ्लर्टिंग से आप नए लोगों से घुलनामिलना और खुश रहना सीख सकते हैं. इसे ले कर अपने आप पर प्रेशर डालने की ज़रुरत नहीं है.

फ्लर्टिंग हर जगह उचित नहीं. मसलन किसी के अंतिम संस्कार में आप फ्लर्ट नहीं कर सकते . वर्कप्लेस में भी आप फ्लर्टिंग नहीं कर सकते . स्थान के मुताबिक फ्लर्टिंग करें . किसी लाइब्रेरी या सेमिनार जैसी जगहों में मिलने से ज्यादा बातचीत नहीं हो पाती. ऐसी स्थिति में मुस्कुराएं, रूचि दिखाएं और उस के बाद कहीं मिलने का कार्यक्रम तय कर लें लेकिन किसी भी सूरत में उन के पीछे इसलिए नहीं घूमें की आप उन से बात करने में सकुचाते हैं. जो पहला मौका मिले उन से बात कर लें.

फ़्लर्ट करने के फायदे

आप को जान कर हैरानी होगी कि फ्लर्ट करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. फ्लर्ट करना एक कला है और अगर आप इसे सही प्रकार से करें तो इस से आप को कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ मिल सकते हैं. आइये जानते हैं फ्लर्टिंग के फायदे;

शरीर की ऊर्जा बढ़ाए

खुद को ऊर्जा से भरपूर और चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए फ्लर्ट कीजिए. फ्लर्ट करने से जहां आप का एनर्जी लेवल बढ़ता है वहीँ मूड भी अच्छा होता है. अपने साथी के साथ फ्लर्ट करने से आप के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है और रिश्ते में मिठास भी आती है.

अकेलापन दूर करे

अगर आप अपने अकेलेपन से छुटकारा पाना चाहते हैं तो फ्लर्ट करना आप के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इस से आप नए दोस्त बना सकेंगे. अपने मनपसंद लोगों का साथ पा सकेंगे. फ्लर्टिंग अंतर्मुखी व्यक्ति को भी बाहरी दुनिया से जोड़ने का काम करती है. वह एक्सट्रोवर्ट हो कर नयी खुशी से रूबरू होता है. इस से आप के भीतर नया आत्मविश्वास पैदा होता है.

ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाए

फ्लर्ट करने से शरीर में एंड्रनालाइन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है. इस हार्मोन के स्तर में बढोत्तरी होने से आप ज्यादा एकाग्र हो कर काम कर पाते हैं.

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बोरियत दूर भगाए

यदि आप अपनी जिंदगी की एकरसता से परेशान हैं और लाइफ में कुछ इंटरेस्टिंग चाहते हैं तो फ़्लर्ट कीजिए. इस से मानसिक तनाव में कमी आती है और आप फ्रेश महसूस करते हैं.

रिश्ता बनाए मजबूत

अक्सर देखा जाता है कि लड़के किसी खूबसूरत लड़की को देख कर फ्लर्ट करना शुरु कर देते हैं. आजकल लड़कियां भी लड़कों के साथ फ्लर्टिंग करने से गुरेज नहीं करतीं. अपने साथी के साथ भी लोग फ्लर्ट करने का मजा लेते हैं. दरअसल फ्लर्टिंग रिश्ते को मजबूत बनाने में भी मदद करती है. अपने पार्टनर के साथ फ़्लर्ट करने के अपने फायदे हैं. प्यार और रोमांस से भरी यह फ्लर्टिंग आप के रिश्ते को नया आयाम दे सकती है. लेकिन फ्लर्टिंग के दौरान ऐसी बात कहने से बचें जिस से झगड़े की नौबत आ जाए.यह रिश्ते में आई दूरियों को दूर करने में सहायक है. मगर ध्यान रखें, अगर फ्लर्ट‍िंग अच्छी तरह की जाए तो यह सभी को पसंद आती है मगर सीमा लांघते ही यह अश्लीलता में बदल सकती है. फ्लर्टिंग को हेल्दी तरीके से एन्जॉय करें और अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं.

कंफर्ट जोन

आप दोनों एक कंफर्ट जोन में आ जाते हैं. माना आप अपने बॉस/ कुलीग /पड़ोसी /रिश्तेदार /सहयात्री के साथ फ्लर्ट करते हैं. इस से आप के बीच फॉर्मल रिश्ते के बजाय फ्रेंडली रिलेशनशिप डिवेलप होने लगती है. आप दोनों के बीच एक कंफर्ट जोन आ जाता है और आप अपने काम ज्यादा बेहतर ढंग से कर पाते हैं. आप के अंदर पॉजिटिव उर्जा का संचार होता है.

एकदूसरे को जानने समझने का मौका मिलता है. फ़्लर्ट के बहाने सामने वाले से आप की बातचीत होती है. एकदूसरे का साथ पसंद आए तो दोनों काफी समय साथ बिताने लगते हैं. एकदूसरे को समझने और दुखसुख शेयर करने का मौका मिलता है. फ़्लर्ट करतेकरते आप उस के प्रति सीरियस भी हो सकते हैं. जिंदगी को नया तजुर्बा मिलता है.

तोहफा नयी खुशि‍यों का

जब भी कोई किसी से फ़्लर्ट करता है तो उन के चेहरे पर ख़ुशी की लकीरें खिंच जाती हैं. जब हम फ़्लर्ट करते हैं तो हमारे शरीर में सेरोटोनिन नाम के हारमोंस का श्राव होता है. इसे हैपी हारमोंस भी कहते हैं. इस के सक्रिय होने से हमारे मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम अंदर से खुश रहने लगते हैं. इस से हमारे स्वस्थ पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता हैं. चेहरे पर भी एक अलग सा निखार आ जाता है.

नया ट्रेंड ऑनलाइन डेटिंग

डेटिंग या फ्लर्टिंग के लिए इन दिनों सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है. इस के लिए यंगस्टर्स अपना काफी समय ऑनलाइन बिता रहे हैं.मार्केटिंग एजेंसी यूरो आरएससीजी के सर्वे के मुताबिक किसी से रिलेशनशिप शुरू करने आगे बढ़ाने और खत्म करने तक में भी सोशल साइट्स का यूज़ हो रहा है. इस सर्वे में 34 फीसदी लोगों ने माना कि ऑनलाइन फ्लर्टिंग में कोई बुराई नहीं जबकि बाकी लोगों ने इसे गलत बताया.

कॉन्फिडेंस बूस्टर

अगर आप किसी को इंप्रेस करने की कोशिश कर हैं तो इस के लिए कॉन्फिडेंस होना बहुत जरूरी है. अगर आप इंप्रेस करने में कामयाब हो जाते हैं तो यह आप के लिए कॉन्फिडेंस बूस्टर का काम करता है. इस से आप अपनी प्रोफेशनल लाइफ में भी अच्छा महसूस करते हैं. एक सर्वे के मुताबिक मात्र 5 मिनट की ऑनलाइन फ्लर्टिंग आप को अपने काम में संतुष्टि की भावना देती है.

तारीफ करना आ जाता है

फ़्लर्ट करते हुए आप सामने वाली की तारीफ करते हैं. धीरेधीरे तारीफ करना आप की आदत में शुमार हो जाता है. आदत बनने पर आप अपने दूसरे दोस्तों की भी तारीफ करने से नहीं चूकते. इस से आप की गिनती पॉजिटिव लोगों में होने लगती है और आप का साथ लोगों को पसंद आता है.

खुशनुमा सेक्स लाइफ

हॉलैंड में 76 कपल्स पर हुई एक स्टडी से यह बात सामने आई कि जो लोग रोजाना फ्लर्टिंग करते हैं वे अपनी सेक्स लाइफ को खूब इंजॉय करते हैं. उन की जिंदगी में सेक्स और रोमांस जैसी चीजें खासतौर पर जगह बना लेती हैं.

अक्सर लोग फ्लर्टिंग को गलत अर्थ में लेते हैं. फ़्लर्ट करने वाले भी कई बार अपनी सीमा भूल जाते हैं. यह गलत है. फ्लर्टिंग कीजिए मगर उतना ही जो आप को और उसे खुशी दे. आप एकदूसरे को जानसमझ सकें, दोनों के बीच एक प्यारा सा रिश्ता बन सके. मगर फ्लर्टिंग की आड़ में गलत हरकतें करना या समाज को रुसवा करना उचित नहीं. यदि आप की बातें उस की परेशानी का सबब बनने लगे तो उसी वक्त यह रोक दें.

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ऐसा नहीं है कि फ्लर्ट का मतलब हमेशा चंद पलों का रिश्ता ही होता है. कई बार फ़्लर्ट करतेकरते इंसान को सामने वाले से सच्चा प्यार भी हो जाता है. सामने वाला भी आप के बगैर खालीखाली सा महसूस करने लगे तो समझिए आप दोनों इस रिश्ते के प्रति सीरियस होने लगे हैं. ऐसे में रिश्ते को आगे बढ़ाना संभव है तो ठीक है वरना इस रिश्ते को दोस्ती का रिश्ता बना कर जिंदगी के खालीपन को दूर कीजिए. आप सिर्फ दूसरे लोगों से ही फ्लर्ट करें यह जरूरी नहीं. आप अपने जीवनसाथी या बॉयफ्रेंड /गर्लफ्रेंड के साथभी फ़्लर्ट कर सकते हैं. इस से आप के रिश्ते में रोचकता और नवीनता आएगी.

कई दफा ऐसा भी होता है कि जिसे आप बहुत पसंद करते हैं उसे ही अपने इंट्रोवर्ट नेचर के कारण कुछ कह नहीं पाते. ऐसे में अगर आप ने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और फ्लर्ट के बहाने उस के आगे अपने दिल की बात हल्केफुल्के ढंग से रखने की कोशिश की तो संभव है आप कामयाब हो जाएँ और आप को आप का प्यार मिल जाए.

अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

उबासी लेने हार्ट अटैक के बीच का सम्बन्ध

आम तौर पर हम उबासी लेने को नींद आने का एक लक्षण मानते हैं या जब हम बहुत अधिक थक जाते हैं और हमें सोने की जरूरत होती है तब हमें उबासी आती है. परन्तु यदि आप ने नींद भी ले ली और आप थके हुए भी नहीं है तो भी अगर आप को उबासियां आ रही हैं तो यह एक गंभीर लक्षण हो सकता है. आप को इसे हल्के में नहीं टाल देना चाहिए.

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उबासी लेना मेडिकल जगत के लिए एक रहस्य से कम नहीं है. इस के पीछे के कारण पता करने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की है. परन्तु अभी तक उन्हे ज्यादा सफलता नहीं मिली है. कुछ अध्ययन यह बताते हैं कि उबासी लेने से आप का ब्रेन रिलैक्स होता है और आप के खून में ऑक्सिजनेशन बढ़ती है. यह भी माना जाता है कि अधिक उबासी लेना वागस नर्व से जुड़ा होता है जोकि ब्रेन से नीचे होकर हृदय व पेट तक जाती है.

कुछ केस में बहुत से लोगो को जब उबासी आती हैं जब उनके हृदय के आस पास ब्लीडिंग होने लगती है. यह स्थिति स्ट्रोक से भी जुड़ी होती है. बहुत से लोग तब बहुत ज्यादा उबासी लेते हैं जब उन्हें स्ट्रोक आता है. इसके कुछ अन्य लक्षण बाजुओं में कमजोरी होना, बोलने में दिक्कत महसूस होना आदि भी शामिल हैं.  यदि आप दिन में एक्सरसाइज करते समय बहुत ज्यादा उबासी लेते हैं तो यह हार्ट अटैक का भी एक लक्षण हो सकता है.

बहुत ज्यादा उबासी लेने के कुछ अन्य संकेत

अधिक उबासी लेना केवल हार्ट अटैक या स्ट्रोक से ही नहीं जुड़ा है बल्कि अन्य गंभीर स्थितियों से भी जुड़ा हुआ है जो निम्नलिखित दी गई है.

  • ब्रेन ट्यूमर
  • एपिलेप्सी
  • मल्टीपल सेलरोसोस
  • लीवर फेल होना
  • शरीर द्वारा तापमान नियंत्रण करना विफल हो जाना.

इस स्थिति में आप को क्या करना चाहिए?

यदि आप बिना किसी कारण के बहुत अधिक उबासी ले रहे हैं तो आप को सबसे पहले अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए. जितनी जल्दी आप मेडिकल सहायता लेंगे उतना ही आप की सेहत के लिए अच्छा होगा. डॉक्टर इसके पीछे का कारण पता लगा कर आप को कुछ दवाई दे देंगे. यदि ऐसा आप को नींद न आने के कारण होता है तो डॉक्टर्स आप को एक चैन की नींद सोने के लिए कुछ तकनीक सुझा देंगे. जैसे कुछ प्रकार के ब्रीदिंग यन्त्र जिस से आप को सांस लेने में किसी प्रकार की तकलीफ महसूस न हो. स्लीप रूटीन में बदलाव करना व स्ट्रेस कम लेने से भी आप की मदद हो सकती है.

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निष्कर्ष

यदि आप को लगता है कि आप आजकल बहुत ज्यादा उबासियां ले रहे हैं और वह भी बिना किसी कारण के तो आप को यह स्थिति हल्के में लेकर उसे इग्नोर नहीं करना चाहिए बल्कि तुरन्त डॉक्टर को दिखाना चाहिए. पहले से ही बरती गई सावधानी आप को एक बड़े खतरे से टाल सकती है.

ऐसे करें ऊनी कपड़ों की केयर

सर्दियों के सुहावने मौसम का मजा लेने के लिए हम कई बार पहाड़ी स्थानों पर भी जाते हैं. लेकिन इस मस्ती के बीच शरीर को ठंड से बचाने के लिए हमारी जैकेट्स कोट्स, स्टाइलिश स्वैटर व स्टोल्स बड़े काम के साबित होते हैं. क्योंकि ये जहां शरीर को गरम रखने का काम करते हैं वहीं ये स्टाइल स्टेटमैंट भी होते हैं. ऐसे में इन नाजुक व महंगे ऊनी कपड़ों की खास केयर करना बहुत जरूरी है ताकि इन की चमक बरकरार रहे और ये सालोंसाल नए जैसे ही लगें.

इन्हें सालोंसाल नए जैसे बनाए रखने के लिए इन टिप्स को अपनाना न भूलें:

– जब भी ऊनी कपड़ों को धोएं तो उन पर लिखे निर्देशों को जरूर पढ़ें. जैसे अगर किसी गरम कपड़े पर लिखा हो कि

औनली ड्राईक्लीन तो आप उसे हैंड वौश करने की गलती न करें.

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– धोने के बाद ऊनी कपड़ों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए उसे निचोड़ने के बजाय उसे आराम से टौवेल से लपेटें.

इस से कपड़ा जल्दी सूखता भी है और उस के ढीले होने का भी डर नहीं रहता.

– ऊनी कपड़ों पर परफ्यूम न डालें, क्योंकि इस से उन में कीड़ा लगने का डर रहता है.

– यात्रा के दौरान ऊनी कपड़ों के आकार को बनाए रखने व उन्हें सिकुड़ने से बचाने के लिए कपड़ों को हलका सा फोल्ड कर टिशू पेपर में लपेटें.

– हमेशा माइल्ड लिक्विड डिटर्जैंट का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि इस से उन के खराब होने व कलर के फेड होने के चांसेज कम रहते हैं.

– ऊनी कपड़ों को हमेशा ब्रश से  झाड़ते रहें. इस से उन पर धूलमिट्टी नहीं जमती और वे लंबे समय तक नए जैसे दिखते हैं.

– अलमारी, बौक्स, जिस में भी आप वूलन कपड़ों को रखें, उस में नीम की पत्तियां, फिनाइल की गोलियां जरूर डालें,

क्योंकि इन की खुशबू कपड़ों से कीड़ों को दूर रखती है.

– ऊनी कपड़ों को ड्रायर करने से बचें.

– स्वैटर की उम्र को बढ़ाने के लिए उसे उलटा कर रखें.

– पूरी तरह सूख चुके ऊनी कपड़ों को प्रैस करने से उन की सिलवटें नहीं निकलतीं और फिर रेशों के जलने का भी डर रहता है.  इसलिए उन्हें भी स्टीम प्रैस ही करें.

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– स्वैटर को कभी खूंटी से न टांगें, बल्कि फोल्ड कर के सही जगह रखें, क्योंकि टांगने से खिंचने का डर रहता है,

जिस से उस का आकार चेंज होने से उस का लुक खराब हो सकता है.

– ऊनी कपड़ों को बदबू से बचाने के लिए नमी वाली जगह से दूर रखें.

औफिस गर्ल: मेकअप और हैल्दी डाइट

महिलाओं को 2 चीजें सब से ज्यादा प्यारी होती हैं, हैल्दी बौडी और मेकअप. इस से न केवल उन में निखार आता है, बल्कि वे स्मार्ट और ऐक्टिव भी नजर आती हैं. और अगर वे औफिस में काम करती हैं तो अपनी ब्यूटी को ले कर ज्यादा ही सतर्क रहती हैं.

इस सतर्कता में अच्छा खाना और सही मेकअप बहुत ज्यादा माने रखता है, वरना स्वाति जैसा हाल भी हो सकता है. स्वाति एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती है, पर औफिस में किस तरह का मेकअप करना है या क्या खानापीना है, इसे ले कर वह बेपरवाह हो जाती है. एक तो वह अपने आकार में कुछ ज्यादा ही हैल्दी है और उस पर मेकअप भी हैवी कर लेती है, इसलिए पीठ पीछे उस का बहुत ज्यादा मजाक बनता है.

पर इस का हल क्या है? क्या औफिस के लिए कोई खास तरह का मेकअप होता है? क्या सही खानपान किसी औफिस गर्ल को सब की चहेती बना सकता है? ऐसा क्या किया जाए कि कोई महिला अपने औफिस में हंसी का पात्र न बने?

इन सब सवालों का जवाब देते हुए डाइटीशियन और मेकअप आर्टिस्ट नेहा सागर ने बताया, “किसी लड़की खासकर औफिस गर्ल के लिए अच्छे खानपान और मेकअप में बैलेंस बनाना कोई रौकेट साइंस नहीं है. औफिस में काम का तनाव होने की वजह से अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देना चाहिए. कुछ छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर कोई भी औफिस गर्ल खुद को सेहतमंद रख सकती है.

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“जहां तक मेकअप की बात है तो औफिस में ज्यादा हैवी मेकअप जरूरी नहीं है. अपने रंगरूप और बौडी शेप के हिसाब से मेकअप करने से भी बात बन सकती है.”

किसी औफिस गर्ल को अपनी डाइट और मेकअप का कैसे खयाल रखना चाहिए, इस के लिए नेहा सागर ने कुछ टिप्स दिए हैं, जो इस तरह हैं :

डाइट टिप्स

-औफिस जाने से पहले नाश्ता जरूर करें.

-ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलावा पूरे दिन में फ्रूट मील जरूर लें. सीजन का हर फ्रूट खाएं. इस से हमारी बौडी में मिनरल्स और विटामिन्स की मात्रा पूरी होती है. फ्रूट्स को नाश्ता, लंच और डिनर से अलग समय पर ही खाने की कोशिश करें.

-कोशिश करें कि औफिस के लिए रेडी टू ईट मील साथ रखें जैसे फ्रूट्स में केला, सेब, अमरूद, नाशपाती आदि. ज्यादा देर से कटे फल न खाएं.

-फ्रूट्स के अलावा रेडी टू ईट मील में भुने मखाने, चने और सूखे मेवे भी शामिल किए जा सकते हैं.

-रोजाना खूब पानी पीएं. बाहर से खुला पानी न पीएं, क्योंकि उस से बीमार होने का खतरा बना रहता है.

-खाना खाने के लिए कम से कम 15 मिनट का समय जरूर निकालें. चबा चबा कर खाएं. हमेशा हैल्दी फूड खाएं. इस से बौडी में ऐनर्जी बनी रहेगी.

ब्यूटी टिप्स

-औफिस के लिए हमेशा लाइट और न्यूड मेकअप ही किया जाना चाहिए, जिस में लाइट कलर के आईशैडो और लाइट कलर की लिपस्टिक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

-औफिस में फाउंडेशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन फेस पर हाईलाइटर का इस्तेमाल न करें.

-औफिस में लिपस्टिक या लिप गलौस का खास खयाल रखें कि वह बिलकुल भी अलग कलर की न हो. औफिस के लिए पिंक, पीच, मौव और न्यूड ब्राउन कलर इस्तेमाल करें.

-औफिस के लिए फेस पर फाउंडेशन को स्किन के कलर के हिसाब से इस्तेमाल करें. कोशिश करें कि दिन में लिक्विड फाउंडेशन इस्तेमाल करें.

-अगर स्किन औयली है तो फेस को 3-4 घंटे में ड्राई टिशू पेपर से हलके हाथ से साफ करें.

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डाइटीशियन और मेकअप आर्टिस्ट नेहा सागर

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