जानें क्या है सर्दियों में आवंले के 10 फायदे

आंवला काफी गुणकारी है और हर मौसम में इस का सेवन किया जाता है. लेकिन सर्दियों में आंवले के कुछ खास फायदे हैं. आंवले का सब से बड़ा गुण है कि इसे पकाने के बाद भी इस में मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता. आंवले में क्रोमियम अधिक मात्रा में होता है. आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ हो लेकिन इस के गुण कभी भी खत्म नहीं होते. यह खांसीजुकाम, त्वचा, नेत्र रोग और बालों के लिए काफी उपयोगी टौनिक है.

आंवले के फायदे

1. अगर आप मोटापा कम करना चाहती हैं तो सुबह खाली पेट शहद के साथ 5 आंवलों का रस एक गिलास कुनकुने पानी के साथ लें.

2. आप अगर एसीडिटी की समस्या से ग्रस्त हैं तो एक ग्राम आंवला पावडर और थोड़ी सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिला कर लें.

3. आंवला खाने से सर्दी के कारण होने वाली खांसीजुकाम से भी नजात पाई जा सकती है.

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4. आंवले के जूस में शहद मिला कर पीने से मोतियाबिंद की परेशानी में फायदा होता है.

5. आंवला हमारे पाचनतंत्र और किडनी को स्वस्थ रखता है.

6. आंवले के सेवन से बालों का झड़ना काफी हद तक रुक जाता है, यह बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है.

7. कब्ज दूर करने में भी आंवले का सेवन हितकर है. यह डायरिया जैसी बीमारी को दूर करने में काफी फायदेमंद है.

8. दिल को सेहतमंद बनाने के लिए सर्दियों में रोजाना आंवला खाने की आदत डालें. इस से आप के दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिस से दिल शरीर को साफ खून सप्लाई कर पाएगा और आप स्वस्थ रहेंगी.

9. आंवला डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है. दरअसल, यह क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सैल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हार्मोंस का काम शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है.

10. सर्दियों में सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा लेने से आप सालभर तंदुरुस्त बनी रहेंगी.

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कोरियोग्राफर पुनीत पाठक की शादी में छाए मौनी रॉय से लेकर शक्ति मोहन के लुक्स, फोटोज वायरल

बौलीवुड कोरियोग्राफर पुनीत पाठक ने बीते दिनों अपनी मंगेतर निधि मूनी संग शादी कर ली है, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर धूम मचा रही है. वहीं शादी के मेहंदी से लेकर रिसेप्शन की बात करें तो सेलेब्स ने इस शादी में अपने फैशन और डांस से सभी का दिल जीत लिया है. मौनी हो या शक्ति मोहन हर कोई अपने लुक्स से फैंस को दीवाना बना रहा है. वहीं पुनीत और उनकी वाइफ निधि की बात करें तो उनका लुक भी पार्टी में चार चांद लगा रहा है. इसीलिए आज हम आपको पुनीत पाठक की शादी में पहुंचे सितारों के कुछ लुक्स दिखाने वाले हैं, जिसे आप किसी वेडिंग या पार्टी में ट्राय कर सकती हैं.

1. दुल्हन का लुक था खास

पुनीत पाठक की वाइफ निधि के लुक की बात करें तो वह सिंपल लुक में भी जहां एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं तो वहीं शादी के रिसेप्शन में वह हैवी कारीगरी वाले पीच कलर के लहंगे में  बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं उनका लुक और बेहद खास लग रहा था. वहीं उनके साथ भारती सिंह भी नजर आईं, जो औरेंज कलर के अनारकली सूट में बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

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2. मौनी रौय का लुक था स्टाइलिश

 

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अगर आप ये जानना चाहती हैं कि सिंपल साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज को कैसे कैरी करें तो मौनी रौय का लुक आपके लिए एक उदाहरण साबित कर सकता है. ये लुक आपके लिए कम्फरटेबल के साथ-साथ स्टाइलिश भी साबित होगा.

3. शक्ति का ये साड़ी लुक करें ट्राय

 

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अगर आप धोती साड़ी ट्राय करना चाहती हैं तो शक्ति का धोती साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. शाइनी शिमरी साड़ी के साथ कड़ाईदार ब्लाउज आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

4.  मुक्ति की रफ्फल साड़ी करें ट्राय

 

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अगर आप भी किसी वेडिंग में रफ्फल साड़ी ट्राय करना चाहती हैं तो मुक्ति का रफ्फल साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. हैवी ब्लाउज के साथ रफ्फल ग्रीन साड़ी आपके लुक को और भी खूबसूरत बना देगा.

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5. मुक्ति और शक्ति का लहंगा औप्शन करें ट्राय

 

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वेडिंग फंक्शन में अपने लुक से धमाल मचाने वाली शक्ति और मुक्ति के ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन हैं.

ब्राइडल मेकअप के नए टिप्स को अपनाकर अपने लुक को दें खास अद़ाज

शादी के हर एक फंक्शन को खास बनाने या फिर अलग नजर आने के लिए कपड़ों की कपडों की तो खरीदारी आपने बेशक कर ली होगी लेकिन आपने उसके साथ किस तरह का मेकअप जंचेगा साथ ही किस तरह की ज्वैलरी जायेगा इसके बारे में सोचा है? नहीं…तो अभी भी समय है आप पूरी तरह से पॉर्लर डिपेंड रहने की जगह थोड़ी मेहनत खुद कर लें, जिससे की आपका समय भी बच जाएगा और पैसे भी वैसे इन दिनों शिमरिंग बोल्ड आई कलर्स, फ्लॉलेस और क्लीन लुक काफी पसंद किया जा रहा है.

सगाई

शादी का सबसे पहला और अहम फंक्शन, सगाई होता है, इसलिए इस दिन ऐसा मेकअप होना चाहिए, जिसमें आपकी खूबसूरती ही नहीं सौम्यता भी नजर आए. इस लिये आप लाइट और सॉफ्ट मेकअप के लिए पिंक, पीच या गोल्डन मेकअप आपके लिये परफेक्ट रहेगा साथ ही मेकअप जितना नेचुरल होगा उतना ही अच्छा लगेगा. नेचुरल शेड वाली लिपस्टिक, लाइट पिंक शैडो और लॉन्ग लास्टिंग मिनरल बेस इस मौके के लिए परफेक्ट हैं, इसके साथ हेयरस्टाइल सिंपल रखें या फिर ओपन हेयरस्टाइल का भी ऑप्शन सही रहेगा.

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हल्दी मेंहदी

हल्दी और मेहंदी का फंक्शन शादी से एक दिन पहले ही होता है तो ऐसे में आप मेकअप का लाइट और नेचुरल रखें क्योंकि शादी वाले दिन आपको वैसे भी हैवी मेकअप वो भी लंबे समय तक के लिए कैरी करना होता है. ऐसे में चेहरे पर पिंपल्स या अन्य दूसरी परेशानियां न हो जाएं, तो मेकअप लाइट ही रखें जिसके लिए आप मिनरल फेस पाउडर, हल्का काजल, लिप ग्लॉस लगाएं और हेयरस्टाइल में साइड ब्रेड बनाए.

संगीत

शादी हो और नाच गाना हो ये कैसे हो सकता है संगीत के फंक्शन के लिए आप हेयरस्टाइल ऐसी रखें, जिससे आप हेयर एक्सेसरीज भी यूज़ कर सकें जिसके लिये आप ढीला जूडा (लूज बन) या क्रिंपिंग से बालों को संवारें. लाइट मेकअप के साथ ट्रेडिशनल लुक के लिए मेकअप प्राइमर के बाद वॉटर प्रूफ बेस लगाएं और उसे अच्छी तरह ब्लेंड करें अब काजल और वॉल्यूमाइिजंग मस्कारा से आंखों को हाइलाइट करें व होंठों पर ब्राइट पिंक या ऑरेंज लिपस्टिक लगाएं साथ ही पीच या बेबी पिंक ब्लशर का हल्का टच जरूर दें.

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शादी

दुल्हन के लिए सबसे खास दिन शादी होता है. इस दिनो ग्लिटरी, डीप व डार्क पिंक मेकअप ट्रेंड में है. शादी में अपने लुक को खास बनाने के लिये मेकअप प्राइमर और लॉन्ग लास्टिंग वॉटरप्रूफ बेस, ग्लिटर के साथ हेवी आई मेकअप, विंग्ड आई लाइनर, ग्लॉसी लिप्स व गहरा ब्लशर लगाएं जो आपके लुक को वैराइटी देगा एवं आईलिड्स कर्ल करने के बाद वॉटर प्रूफ मस्कारा का 2-3 कोट लगाएं साथ ही आखों व होंठों के मेकअप को थोड़ा हाइलाइट रखें जो आपके खुबसूरती में चार चादं लगाएगा.

लड़की: वीणा की जिंदगी में कैसे आ गई उलझनें

Serial Story: लड़की (भाग-1)

मुंबई स्थित जसलोक अस्पताल के आईसीयू में वीणा बिस्तर पर निस्पंद पड़ी थी. उसे इस हालत में देख कर उस की मां अहल्या का कलेजा मुंह को आ रहा था. उस के कंठ में रुलाई उमड़ रही थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे एक दिन ऐसे दुखदायी दृश्य का सामना करना पड़ेगा. वह वीणा के पास बैठ कर उस के सिर पर हाथ फेरने लगी. ‘मेरी बेटी,’ वह बुदबुदाई, ‘तू एक बार आंखें खोल दे, तू होश में आ जा तो मैं तुझे बता सकूं कि मैं तुझे कितना चाहती हूं, तू मेरे दिल के कितने करीब है. तू मुझे छोड़ कर न जा मेरी लाड़ो. तेरे बिना मेरा संसार सूना हो जाएगा.’

बेटी को खो देने की आशंका से वह परेशान थी. वह व्यग्रता से डाक्टर और नर्सों का आनाजाना ताक रही थी, उन से वीणा की हालत के बारे में जानना चाह रही थी, पर हर कोई उसे किसी तरह का संतोषजनक उत्तर देने में असमर्थ था. जैसे ही उसे वीणा के बारे में सूचना मिली वह पागलों की तरह बदहवास अस्पताल दौड़ी थी. वीणा को बेसुध देख कर वह चीख पड़ी थी. ‘यह सब कैसे हुआ, क्यों हुआ?’ उस के होंठों पर हजारों सवाल आए थे.

‘‘मैं आप को सारी बात बाद में विस्तार से बताऊंगा,’’ उस के दामाद भास्कर ने कहा था, ‘‘आप को तो पता ही है कि वीणा ड्रग्स की आदी थी. लगता है कि इस बार उस ने ओवरडोज ले ली और बेहोश हो गई. कामवाली बाई की नजर उस पर पड़ी तो उस ने दफ्तर में फोन किया. मैं दौड़ा आया, उसे अस्पताल लाया और आप को खबर कर दी.’’ ‘‘हायहाय, वीणा ठीक तो हो जाएगी न?’’ अहल्या ने चिंतित हो कर सवाल किया.

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‘‘डाक्टर्स पूरी कोशिश कर रहे हैं,’’ भास्कर ने उम्मीद जताई. भास्कर से कोई आश्वासन न पा कर अहल्या ने चुप्पी साध ली. और वह कर भी क्या सकती थी? उस ने अपने को इतना लाचार कभी महसूस नहीं किया था. वह जानती थी कि वीणा ड्रग्स लेती थी. ड्रग्स की यह आदत उसे अमेरिका में ही पड़ चुकी थी. मानसिक तनाव के चलते वह कभीकभी गोलियां फांक लेती थी. उस ने ओवरडोज गलती से ली या आत्महत्या करने का प्रयत्न किया था?

उस का मन एकबारगी अतीत में जा पहुंचा. उसे वह दिन याद आया जब वीणा पैदा हुई थी. लड़की के जन्म से घर में किसी प्रकार की हलचल नहीं हुई थी. कोई उत्साहित नहीं हुआ था. अहल्या व उस का पति सुधाकर ऐसे परिवेश में पलेबढ़े थे जहां लड़कों को प्रश्रय दिया जाता था. लड़कियों की कोई अहमियत नहीं थी. लड़कों के जन्म पर थालियां बजाई जातीं, लड्डू बांटे जाते, खुशियां मनाई जाती थीं. बेटी हुई तो सब के मुंह लटक जाते.

बेटी सिर का बोझ थी. वह घाटे का सौदा थी. एक बड़ी जिम्मेदारी थी. उसे पालपोस कर, बड़ा कर दूसरे को सौंप देना होता था. उस के लिए वर खोज कर, दानदहेज दे कर उस की शादी करने की प्रक्रिया में उस के मांबाप हलकान हो जाते और अकसर आकंठ कर्ज में डूब जाते थे. अहल्या और सुधाकर भी अपनी संकीर्ण मानसिकता व पिछड़ी विचारधारा को ले कर जी रहे थे. वे समाज के घिसेपिटे नियमों का हूबहू पालन कर रहे थे. वे हद दर्जे के पुरातनपंथी थे, लकीर के फकीर.

देश में बदलाव की बयार आई थी, औरतें अपने हकों के लिए संघर्ष कर रही थीं, स्त्री सशक्तीकरण की मांग कर रही थीं. पर अहल्या और उस के पति को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा था. अहल्या को याद आया कि बच्ची को देख कर उस की सास ने कहा था, ‘बच्ची जरा दुबलीपतली और मरियल सी है. रंग भी थोड़ा सांवला है, पर कोई बात नहीं.

2-2 बेटों के जन्म के बाद इस परिवार में एक बेटी की कमी थी, सो वह भी पूरी हो गई.’ जब भी अहल्या को उस की सास अपनी बेटी को ममता के वशीभूत हो कर गोद में लेते या उसे प्यार करते देखतीं तो उसे टोके बिना न रहतीं, ‘अरी, लड़कियां पराया धन होती हैं, दूसरे के घर की शोभा. इन से ज्यादा मोह मत बढ़ा. तेरी असली पूंजी तो तेरे बेटे हैं. वही तेरी नैया पार लगाएंगे. तेरे वंश की बेल वही आगे बढ़ाएंगे. तेरे बुढ़ापे का सहारा वही तो बनेंगे.’

सासूमां जबतब हिदायत देती रहतीं, ‘अरी बहू, बेटी को ज्यादा सिर पे मत चढ़ाओ. इस की आदतें न बिगाड़ो. एक दिन इसे पराए घर जाना है. पता नहीं कैसी ससुराल मिलेगी. कैसे लोगों से पाला पड़ेगा. कैसे निभेगी. बेटियों को विनम्र रहना चाहिए. दब कर रहना चाहिए. सहनशील बनना चाहिए. इन्हें अपनी हद में रहना चाहिए.’ देखते ही देखते वीणा बड़ी हो गई. एक दिन अहल्या के पति सुधाकर ने आ कर कहा, ‘वीणा के लिए एक बड़ा अच्छा रिश्ता आया है.’

‘अरे,’ अहल्या अचकचाई, ‘अभी तो वह केवल 18 साल की है.’ ‘तो क्या हुआ. शादी की उम्र तो हो गई है उस की, जितनी जल्दी अपने सिर से बोझ उतरे उतना ही अच्छा है. लड़के ने खुद आगे बढ़ कर उस का हाथ मांगा है. लड़का भी ऐसावैसा नहीं है. प्रशासनिक अधिकारी है. ऊंची तनख्वाह पाता है. ठाठ से रहता है. हमारी बेटी राज करेगी.’

‘लेकिन उस की पढ़ाई…’ ‘ओहो, पढ़ाई का क्या है, उस के पति की मरजी हुई तो बाद में भी प्राइवेट पढ़ सकती है. जरा सोचो, हमारी हैसियत एक आईएएस दामाद पाने की थी क्या? घराना भी अमीर है. यों समझो कि प्रकृति ने छप्पर फाड़ कर धन बरसा दिया हम पर. ‘लेकिन अगर उस के मातापिता ने दहेज के लिए मुंह फाड़ा तो…’

‘तो कह देंगे कि हम आप के द्वारे लड़का मांगने नहीं गए थे. वही हमारी बेटी पर लार टपकाए हुए हैं…’

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जब वीणा को पता चला कि उस के ब्याह की बात चल रही है तो वह बहुत रोईधोई. ‘मेरी शादी की इतनी जल्दी क्या है, मां. अभी तो मैं और पढ़ना चाहती हूं. कालेज लाइफ एंजौय करना चाहती हूं. कुछ दिन बेफिक्री से रहना चाहती हूं. फिर थोड़े दिन नौकरी भी करना चाहती हूं.’ पर उस की किसी ने नहीं सुनी. उस का कालेज छुड़ा दिया गया. शादी की जोरशोर से तैयारियां होने लगीं.

वर के मातापिता ने एक अडं़गा लगाया, ‘‘हमारे बेटे के लिए एक से बढ़ कर एक रिश्ते आ रहे हैं. लाखों का दहेज मिल रहा है. माना कि हमारा बेटा आप की बेटी से ब्याह करने पर तुला हुआ है पर इस का यह मतलब तो नहीं कि आप हमें सस्ते में टरका दें. नकद न सही, उस की हैसियत के अनुसार एक कार, फर्नीचर, फ्रिज, एसी वगैरह देना ही होगा.’’ सुधाकर सिर थाम कर बैठ गए. ‘मैं अपनेआप को बेच दूं तो भी इतना सबकुछ जुटा नहीं सकता,’ वे हताश स्वर में बोले.

‘मैं कहती थी न कि वरपक्ष वाले दहेज के लिए मुंह फाड़ेंगे. आखिर, बात दहेज के मुद्दे पर आ कर अटक गई न,’ अहल्या ने उलाहना दिया. ‘आंटीजी, आप लोग फिक्र न करें,’ उन के भावी दामाद उदय ने उन्हें दिलासा दिया, ‘मैं सब संभाल लूंगा. मैं अपने मांबाप को समझा लूंगा. आखिर मैं उन का इकलौता पुत्र हूं वे मेरी बात टाल नहीं सकेंगे.’

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Serial Story: लड़की (भाग-2)

पर उस के मातापिता भी अड़ कर बैठे थे. दोनों में तनातनी थी. आखिर, उदय के मांबाप की ही चली. वे शादी के मंडप से उदय को जबरन उठा कर ले गए और सुधाकर व अहल्या कुछ न कर सके. देखते ही देखते शादी का माहौल मातम में बदल गया. घराती व बराती चुपचाप खिसक लिए. अहल्या और वीणा ने रोरो कर घर में कुहराम मचा दिया.

‘अब इस तरह मातम मनाने से क्या हासिल होगा?’ सुधाकर ने लताड़ा, ‘इतना निराश होने की जरूरत नहीं है. हमारी लायक बेटी के लिए बहुतेरे वर जुट जाएंगे.’ वीणा मन ही मन आहत हुई पर उस ने इस अप्रिय घटना को भूल कर पढ़ाई में अपना मन लगाया. वह पढ़ने में तेज थी. उस ने परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की. इधर, उस के मांबाप भी निठल्ले नहीं बैठे थे. वे जीजान से एक अच्छे वर की तलाश कर रहे थे. तभी वीणा ने एक दिन अपनी मां को बताया कि वह अपने एक सहपाठी से प्यार करती है और उसी से शादी करना चाहती है.

जब अहल्या ने यह बात पति को बताई तो उन्होंने नाकभौं सिकोड़ कर कहा, ‘बहुत खूब. यह लड़की कालेज पढ़ने जाती थी या कुछ और ही गुल खिला रही थी? कौन लड़का है, किस जाति का है, कैसा खानदान है कुछ पता तो चले?’ और जब उन्हें पता चला कि प्रवीण दलित है तो उन की भृकुटी तन गई, ‘यह लड़की जो भी काम करेगी वह अनोखा होगा. अपनी बिरादरी में योग्य लड़कों की कमी है क्या? भई, हम से तो जानबूझ कर मक्खी निगली नहीं जाएगी. समाज में क्या मुंह दिखाएंगे? हमें किसी तरह से इस लड़के से पीछा छुड़ाना होगा. तुम वीणा को समझाओ.’

‘मैं उसे समझा कर हार चुकी हूं पर वह जिद पकड़े हुए है. कुछ सुनने को तैयार नहीं है.’ ‘पागल है वह, नादान है. हमें कोई तरकीब भिड़ानी होगी.’

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सुधाकर ने एक तरीका खोज निकाला. वे वीणा को एक ज्योतिषी के पास ले गए.

‘हम ने इन के बारे में बहुतकुछ सुना है. तेरा विदेश जा कर पढ़ने का बहुत मन है न, चलो, इन से रायमशवरा करते हैं और पता लगाते हैं कि तुम्हारे भविष्य में क्या है.’ सुधाकर पहले ही ज्योतिषी से मिल चुके थे और उस की मुट्ठी गरम कर दी थी. ‘महाराज, कन्या एक गलत सोहबत में पड़ गई है और उस से शादी करने का हठ कर रही है. कुछ ऐसा कीजिए कि उस का मन उस लड़के की ओर से फिर जाए.

‘आप चिंता न करें यजमान,’ ज्योतिषाचार्य ने कहा. ज्योतिषी ने वीणा की जन्मपत्री देख कर बताया कि उस का विदेश जाना अवश्यंभावी है. ‘तुम्हारी कुंडली अति उत्तम है. तुम पढ़लिख कर अच्छा नाम कमाओगी. रही तुम्हारी शादी की बात, सो, कुंडली के अनुसार तुम मांगलिक हो और यह तुम्हारे भावी पति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. तुम्हारी शादी एक मांगलिक लड़के से ही होनी चाहिए वरना जोड़ी फलेगीफूलेगी नहीं. एक बात और, तुम्हारे ग्रह बताते हैं कि तुम्हारी एक शादी ऐनवक्त पर टूट गई थी?’

‘जी, हां.’ ‘भविष्य में इस तरह की बाधा को टालने के लिए एक अनुष्ठान कराना होगा, ग्रहशांति करानी होगी, तभी कुछ बात बनेगी.’ ज्योतिषी ने अपनी गोलमोल बातों से वीणा के मन में ऐसी दुविधा पैदा कर दी कि वह भारी असमंजस में पड़ गई. वह अपनी शादी के बारे में कोई निर्णय न ले सकी.

शीघ्र ही उसे अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी से वजीफे के साथ वहां दाखिला मिल गया. उसे अमेरिका के लिए रवाना कर के उस के मातापिता ने सुकून की सांस ली. ‘अब सब ठीक हो जाएगा,’ सुधाकर ने कहा, ‘लड़की का पढ़ाई में मन लगेगा और उस की प्रवीण से भी दूरी बन जाएगी. बाद की बाद में देखी जाएगी.’

इत्तफाक से वीणा के दोनों भाई भी अपनेअपने परिवार समेत अमेरिका जा बसे थे और वहीं के हो कर रह गए थे. उन का अपने मातापिता के साथ नाममात्र का संपर्क रह गया था. शुरूशुरू में वे हर हफ्ते फोन कर के मांबाप की खोजखबर लेते रहते थे, लेकिन धीरेधीरे उन का फोन आना कम होता गया. वे दोनों अपने कामकाज और घरसंसार में इतने व्यस्त हो गए कि महीनों बीत जाते, उन का फोन न आता. मांबाप ने उन से जो आस लगाई थी वह धूलधूसरित होती जा रही थी. समय बीतता रहा. वीणा ने पढ़ाई पूरी कर अमेरिका में ही नौकरी कर ली थी. पूरे 8 वर्षों बाद वह भारत लौट कर आई. उस में भारी परिवर्तन हो गया था. उस का बदन भर गया था. आंखों पर चश्मा लग गया था. बालों में दोचार रुपहले तार झांकने लगे थे. उसे देख कर सुधाकर व अहल्या धक से रह गए. पर कुछ बोल न सके.

‘अब तुम्हारा क्या करने का इरादा है, बेटी?’ उन्होंने पूछा. ‘मेरा नौकरी कर के जी भर गया है. मैं अब शादी करना चाहती हूं. यदि मेरे लायक कोई लड़का है तो आप लोग बात चलाइए,’ उस ने कहा.

अहल्या और सुधाकर फिर से वर खोजने के काम में लग गए. पर अब स्थिति बदल चुकी थी. वीणा अब उतनी आकर्षक नहीं थी. समय ने उस पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी थी. उस ने समय से पहले ही प्रौढ़ता का जामा ओढ़ लिया था. वह अब नटखट, चुलबुली नहीं, धीरगंभीर हो गई थी.

उस के मातापिता जहां भी बात चलाते, उन्हें मायूसी ही हासिल होती थी. तभी एक दिन एक मित्र ने उन्हें भास्कर के बारे में बताया, ‘है तो वह विधुर. उस की पहली पत्नी की अचानक असमय मृत्यु हो गई. भास्कर नाम है उस का. वह इंजीनियर है. अच्छा कमाता है. खातेपीते घर का है.’ मांबाप ने वीणा पर दबाव डाल कर उसे शादी के लिए मना लिया. नवविवाहिता वीणा की सुप्त भावनाएं जाग उठीं. उस के दिल में हिलोरें उठने लगीं. वह दिवास्वप्नों में खो गई. वह अपने हिस्से की खुशियां बटोरने के लिए लालायित हो गई.

लेकिन भास्कर से उस का जरा भी तालमेल नहीं बैठा. उन में शुरू से ही पटती नहीं थी. दोनों के स्वभाव में जमीनआसमान का अंतर था. भास्कर बहुत ही मितभाषी लेकिन हमेशा गुमसुम रहता. अपने में सीमित रहता. वीणा ने बहुत कोशिश की कि उन में नजदीकियां बढ़ें पर यह इकतरफा प्रयास था. भास्कर का हृदय मानो एक दुर्भेध्य किला था. वह उस के मन की थाह न पा सकी थी. उसे समझ पाना मुश्किल था. पति और पत्नी में जो अंतरंगता व आत्मीयता होनी चाहिए, वह उन दोनों में नहीं थी. दोनों में दैहिक संबंध भी नाममात्र का था. दोनों एक ही घर में रहते पर अजनबियों की तरह. दोनों अपनीअपनी दुनिया में मस्त रहते, अपनीअपनी राह चलते.

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दिनोंदिन वीणा और उस के बीच खाई बढ़ती गई. कभीकभी वीणा भविष्य के बारे में सोच कर चिंतित हो उठती. इस शुष्क स्वभाव वाले मनुष्य के साथ सारी जिंदगी कैसे कटेगी. इस ऊबभरे जीवन से वह कैसे नजात पाएगी, यह सोच निरंतर उस के मन को मथते रहती. एक दिन वह अपने मातापिता के पास जा पहुंची. ‘मांपिताजी, मुझे इस आदमी से छुटकारा चाहिए,’ उस ने दोटूक कहा. अहल्या और सुधाकर स्तंभित रह गए, ‘यह क्या कह रही है तू? अचानक यह कैसा फैसला ले लिया तू ने? आखिर भास्कर में क्या बुराई है. अच्छे चालचलन का है. अच्छा कमाताधमाता है. तुझ से अच्छी तरह पेश आता है. कोई दहेजवहेज का लफड़ा तो नहीं है न?’

‘नहीं. सौ बात की एक बात है, मेरी उन से नहीं पटती. हमारे विचार नहीं मिलते. मैं अब एक दिन भी उन के साथ नहीं बिताना चाहती. हमारा अलग हो जाना ही बेहतर है.’ ‘पागल न बन, बेटी. जराजरा सी बातों के लिए क्या शादी के बंधन को तोड़ना उचित है? बेटी शादी में समझौता करना पड़ता है. तालमेल बिठाना पड़ता है. अपने अहं को त्यागना पड़ता है.’

‘वह सब मैं जानती हूं. मैं ने अपनी तरफ से पूरा प्रयत्न कर के देख लिया पर हमेशा नाकाम रही. बस, मैं ने फैसला कर लिया है. आप लोगों को बताना जरूरी समझा, सो बता दिया.’ ‘जल्दबाजी में कोई निर्णय न ले, वीणा. मैं तो सोचती हूं कि एक बच्चा हो जाएगा तो तेरी मुश्किलें दूर हो जाएंगी,’ मां अहल्या ने कहा.

वीणा विद्रूपता से हंसी. ‘जहां परस्पर चाहत और आकर्षण न हो, जहां मन न मिले वहां एक बच्चा कैसे पतिपत्नी के बीच की कड़ी बन सकता है? वह कैसे उन दोनों को एकदूसरे के करीब ला सकता है?’ अहल्या और सुधाकर गहरी सोच में पड़ गए. ‘इस लड़की ने तो एक भारी समस्या खड़ी कर दी,’ अहल्या बोली, ‘जरा सोचो, इतनी कोशिश से तो लड़की को पार लगाया. अब यह पति को छोड़छाड़ कर वापस घर आ बैठी, तो हम इसे सारा जीवन कैसे संभाल पाएंगे? हमारी भी तो उम्र हो रही है. इस लड़की ने तो बैठेबिठाए एक मुसीबत खड़ी कर दी.’

‘उसे किसी तरह समझाबुझा कर ऐसा पागलपन करने से रोको. हमारे परिवार में कभी किसी का तलाक नहीं हुआ. यह हमारे लिए डूब मरने की बात होगी. शादीब्याह कोई हंसीखेल है क्या. और फिर इसे यह भी तो सोचना चाहिए कि इस उम्र में एक तलाकशुदा लड़की की दोबारा शादी कैसे हो पाएगी. लड़के क्या सड़कों पर पड़े मिलते हैं? और इस में कौन से सुरखाब के पर लगे हैं जो इसे कोई मांग कर ले जाएगा,’ सुधाकर बोले. ‘देखो, मैं कोशिश कर के देखती हूं. पर मुझे नहीं लगता कि वीणा मानेगी. वह बड़ी जिद्दी होती जा रही है,’ अहल्या ने कहा.

‘‘तभी तो भुगत रही है. हमारा बस चलता तो इस की शादी कभी की हो गई होती. हमारे बेटों ने हमारी पसंद की लड़कियों से शादी की और अपनेअपने घर में खुश हैं, पर इस लड़की के ढंग ही निराले हैं. पहले प्रेमविवाह का खुमार सिर पर सवार हुआ, फिर विदेश जा कर पढ़ने का शौक चर्राया. खैर छोड़ो, जो होना है सो हो कर रहेगा.’’ बूढ़े दंपती ने बेटी को समझाबुझा कर वापस उस के घर भेज दिया. एक दिन अचानक हृदयगति रुक जाने से सुधाकर की मौत हो गई. दोनों बेटे विदेश से आए और औपचारिक दुख प्रकट कर वापस चले गए. वे मां को साथ ले जाना चाहते थे पर अहल्या इस के लिए तैयार नहीं हुई.

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Serial Story: लड़की (भाग-3)

अहल्या किसी तरह अकेली अपने दिन काट रही थी कि सहसा बेटी के हादसे के बारे में सुन कर उस के हाथों के तोते उड़ गए. वह अपना सिर धुनने लगी. इस लड़की को यह क्या सूझी? अरे, शादी से खुश नहीं थी तो पति को तलाक दे देती और अकेले चैन से रहती. भला अपनी जान देने की क्या जरूरत थी? अब देखो, जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. अपनी मां को इस बुढ़ापे में ऐसा गम दे दिया.

हर मांबाप अपनी संतान का भला चाहते हैं, अहल्या ने सोचा. हम ने भी वीणा का भला ही चाहा था. पर समय को कुछ और ही मंजूर था. आज उसे लग रहा था कि उस ने व उस के पति ने बेटी के प्रति न्याय नहीं किया. क्या हमारी सोच गलत थी? उस ने अपनेआप से सवाल किया. शायद हां, उस के मन ने कहा. हम जमाने के साथ नहीं चले. हम अपनी परिपाटी से चिपके रहे. पहली गलती हम से यह हुई कि बेटी के परिपक्व होने के पहले ही उस की शादी कर देनी चाही. अल्हड़ अवस्था में उस के कंधों पर गृहस्थी का बोझ डालना चाहा. हम जल्द से जल्द अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. और दूसरी भूल हम से तब हुई जब वीणा ने अपनी पसंद का लड़का चुना और हम ने उस की मरजी को नकार कर उस की शादी में हजार रोडे़ अटकाए. अब जब वह अपनी शादी से खुश नहीं थी और पति से तलाक लेना चाह रही थी तो हम दोनों पतिपत्नी ने इस बात का जम कर विरोध किया.

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बेटी की खुशी से ज्यादा उन्हें समाज की चिंता थी. लोग क्या कहेंगे, यही बात उन्हें दिनरात खाए जाती थी. उन्हें अपनी मानमर्यादा का खयाल ज्यादा था. वे समाज में अपनी साख बनाए रखना चाहते थे, पर बेटी पर क्या बीत रही है, इस बात की उन्हें फिक्र नहीं थी. बेटी के प्रति वे तनिक भी संवेदनशील न थे. उस के दर्द का उन्हें जरा भी एहसास न था. उन्होंने कभी अपनी बेटी के मन में पैठने की कोशिश नहीं की. कभी उस की अंतरंग भावनाओें को नहीं जानना चाहा. उस के जन्मदाता हो कर भी वे उस के प्रति निष्ठुर रहे, उदासीन रहे.

अहल्या को पिछली बीसियों घटनाएं याद आ गईं जब उस ने वीणा को परे कर बेटों को कलेजे से लगाया था. उस ने हमेशा बेटों को अहमियत दी जबकि बेटी की अवहेलना की. बेटों को परवान चढ़ाया पर बेटी जैसेतैसे पल गई. बेटों को अपनी मनमानी करने की छूट दी पर बेटी पर हजार अंकुश लगाए. बेटों की उपलब्धियों पर हर्षित हुई पर बेटी की खूबियों को नजरअंदाज किया. बेटों की हर इच्छा पूरी की पर बेटी की हर अभिलाषा पर तुषारापात किया. बेटे उस की गोद में चढ़े रहते या उस की बांहों में झूलते पर वीणा के लिए न उस की गोद में जगह थी न उस के हृदय में. बेटे और बेटी में उस ने पक्षपात क्यों किया था? एक औरत हो कर उस ने औरत का मर्म क्यों नहीं जाना? वह क्यों इतनी हृदयहीन हो गई थी? बेटी के विवर्ण मुख को याद कर उस के आंसू बह चले. वह मन ही मन रो कर बोली, ‘बेटी, तू जल्दी होश में आ जा. मुझे तुझ से बहुतकुछ कहनासुनना है. तुझ से क्षमा मांगनी है. मैं ने तेरे साथ घोर अन्याय किया. तेरी सारी खुशियां तुझ से छीन लीं. मुझे अपनी गलतियों का पश्चात्ताप करने दे.’

आज उसे इस बात का शिद्दत से एहसास हो रहा था कि जानेअनजाने उस ने और उस के पति ने बेटी के प्रति पक्षपात किया. उस के हिस्से के प्यार में कटौती की. उस की खुशियों के आड़े आए. उस से जरूरत से ज्यादा सख्ती की. उस पर बचपन से बंदिशें लगाईं. उस पर अपनी मरजी लादी. वीणा ने भी कठपुतली के समान अपने पिता के सामंती फरमानों का पालन किया. अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं का दमन कर उन के इशारों पर चली. ढकोसलों, कुरीतियों और कुसंस्कारों से जकड़े समाज के नियमों के प्रति सिर झुकाया. फिर एक पुरुष के अधीन हो कर उस के आगे घुटने टेक दिए. अपने अस्तित्व को मिटा कर अपना तनमन उसे सौंप दिया. फिर भी उस की पूछ नहीं थी. उस की कद्र नहीं थी. उस की कोई मान्यता न थी.

प्रतीक्षाकक्ष में बैठेबैठे अहल्या की आंख लग गई थी. तभी भास्कर आया. वह उस के लिए घर से चायनाश्ता ले कर आया था. ‘‘मांजी, आप जरा रैस्टरूम में जा कर फ्रैश हो लो, तब तक मैं यहां बैठता हूं.’’

अहल्या नीचे की मंजिल पर गई. वह बाथरूम से हाथमुंह धो कर निकली थी कि एक अनजान औरत उस के पास आई और बोली, ‘‘बहनजी, अंदर जो आईसीयू में मरीज भरती है, क्या वह आप की बेटी है और क्या वह भास्करजी की पत्नी है?’’ ‘‘हां, लेकिन आप यह बात क्यों पूछ रही हैं?’’

‘‘एक जमाना था जब मेरी बेटी शोभा भी इसी भास्कर से ब्याही थी.’’ ‘‘अरे?’’ अहल्या मुंहबाए उसे एकटक ताकने लगी.

‘‘हां, बहनजी, मेरी बेटी इसी शख्स की पत्नी थी. वह इस के साथ कालेज में पढ़ती थी. दोनों ने भाग कर प्रेमविवाह किया, पर शादी के 2 वर्षों बाद ही उस की मौत हो गई.’’ ‘‘ओह, यह सुन कर बहुत अफसोस हुआ.’’

‘‘हां, अगर उस की मौत किसी बीमारी की वजह से होती तो हम अपने कलेजे पर पत्थर रख कर उस का वियोग सह लेते. उस की मौत किसी हादसे में भी नहीं हुई कि हम इसे आकस्मिक दुर्घटना समझ कर मन को समझा लेते. उस ने आत्महत्या की थी. ‘‘अब आप से क्या बताऊं. यह एक अबूझ पहेली है. मेरी हंसतीखेलती बेटी जो जिजीविषा से भरी थी, जो अपनी जिंदगी भरपूर जीना चाहती थी, जिस के जीवन में कोई गम नहीं था उस ने अचानक अपनी जान क्यों देनी चाही, यह हम मांबाप कभी जान नहीं पाएंगे. मरने के पहले दिन वह हम से फोन पर बातें कर रही थी, खूब हंसबोल रही थी और दूसरे दिन हमें खबर मिली कि वह इस दुनिया से जा चुकी है. उस के बिस्तर पर नींद की गोलियों की खाली शीशी मिली. न कोई चिट्ठी न पत्री, न सुसाइड नोट.’’

‘‘और भास्कर का इस बारे में क्या कहना था?’’ ‘‘यही तो रोना है कि भास्कर इस बारे में कुछ भी बता न सका. ‘हम में कोई झगड़ा नहीं हुआ,’ उस ने कहा, ‘छोटीमोटी खिटपिट तो मियांबीवी में होती रहती है पर हमारे बीच ऐसी कोई भीषण समस्या नहीं थी कि जिस की वजह से शोभा को जान देने की नौबत आ पड़े.’ लेकिन हमारे मन में हमेशा यह शक बना रहा कि शोभा को आत्महत्या करने को उकसाया गया.

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‘‘बहनजी, हम ने तो पुलिस में भी शिकायत की कि हमें भास्कर पर या उस के घर वालों पर शक है पर कोई नतीजा नहीं निकला. हम ने बहुत भागदौड़ की कि मामले की तह तक पहुंचें पर फिर हार कर, रोधो कर चुप बैठ गए. पतिपत्नी के बीच क्या गुजरती थी, यह कौन जाने. उन के बीच क्या घटा, यह किसी को नहीं पता. ‘‘हमारी बेटी को कौन सा गम खाए जा रहा था, यह भी हम जान न पाए. हम जवान बेटी की असमय मौत के दुख को सहते हुए जीने को बाध्य हैं. पता नहीं वह कौन सी कुघड़ी थी जब भास्कर से मेरी बेटी की मित्रता हुई.’’

अहल्या के मन में खलबली मच गई. कितना अजीब संयोग था कि भास्कर की पहली पत्नी ने आत्महत्या की. और अब उस की दूसरी पत्नी ने भी अपने प्राण देने चाहे. क्या यह महज इत्तफाक था या भास्कर वास्तव में एक खलनायक था? अहल्या ने मन ही मन तय किया कि अगर वीणा की जान बच गई तो पहला काम वह यह करेगी कि अपनी बेटी को फौरन तलाक दिला कर उसे इस दरिंदे के चंगुल से छुड़ाएगी.

वह अपनी साख बचाने के लिए अपनी बेटी की आहुति नहीं देगी. वीणा अपनी शादी को ले कर जो भी कदम उठाए, उसे मान्य होगा. इस कठिन घड़ी में उस की बेटी को उस का साथ चाहिए. उस का संबल चाहिए. देरसवेर ही सही, वह अपनी बेटी का सहारा बनेगी. उस की ढाल बनेगी. हर तरह की आपदा से उस की रक्षा करेगी. एक मां होने के नाते वह अपना फर्ज निभाएगी. और वह इस अनजान महिला के साथ मिल कर उस की बेटी की मौत की गुत्थी भी सुलझाने का प्रयास करेगी.

भास्कर जैसे कई भेडि़ये सज्जनता का मुखौटा ओढ़े अपनी पत्नी को प्रताडि़त करते रहते हैं, उसे तिलतिल कर जलाते हैं और उसे अपने प्राण त्यागने को मजबूर करते हैं. लेकिन वे खुद बेदाग बच जाते हैं क्योंकि बाहर से वे भले बने रहते हैं. घर की चारदीवारी के भीतर उन की करतूतें छिपीढकी रहती हैं. वह वापस प्रतीक्षाकक्ष में पहुंची तो उस ने देखा कि एक डाक्टर आईसीयू से निकल कर सीधा उस की तरफ आ रहा था. अहल्या के हृदय में धुकधुकी होने लगी. उस की आशान्वित नजरें उस डाक्टर पर टिक गईं.

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हुंडई i20 हैं एक सुरक्षित कार

हम हाई-परफॉर्मेंस हैचबैक को पसंद करते हैं लेकिन हम सुरक्षित हाई-परफॉर्मेस हैचबैक को और भी अधिक पसंद करते हैं. और इस मामले में हुंडई i20 ने सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा है.

हुंडई अपने नए कार के साथ लेटेस्ट फीचर लेकर आय़ा है जिसमें 6 एयरबैग दिए गए हैं. इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ईएससी), वेहिक्ल स्टेबिलिटी मैनेजमेंट(वीएसएम) और यहां तक कि आपातकालीन स्टॉप सिग्नल जैसी नवीनतम सुरक्षा सुविधाओं के साथ आया है.

इसके साथ ही i20 को नीचे से ऊपर तक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसके बॉडी को टॉप क्लास के स्टील से डिजाइन किया गया है. टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी सभी छोटी- छोटी चीजों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसलिए इसे कहते हैं #BringsTheRevolution

नशे में चूर होकर ना करें ड्राइविंग

हमारे सड़क के आंकड़ों में यह पता चला है कि हर साल लगभग 3 लाख से ज्यादा एक्टिडेंट से लोगों की मौत होती है. जिसमें आधे से अधिक मामले शराब पीकर गाड़ी चलाने से होते हैं.

हमारी सड़के पहले से ही खराब है और उस पर नशे की हालत में गाड़ी चलाने की वजह से बुरी खबर आती ही रहती है. अगर आपको कभी भी लगता है कि आप एक या दो ड्रिंक पीने के बाद गाड़ी चलाने के लिए सक्षम हो तो, रुकिए और एक बार सोचिए कि आप कितने लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं. इसका परिणाम सिर्फ आप और आपके परिवार तक सिमित नहीं रहता बल्कि सड़कों पर चलने वाले निर्दोष व्यक्तियों को भी इसकी किमत चुकानी पड़ती है.

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एक अध्ययन में पता चला है कि जब आप शराब पीते हैं तो आपकी प्रतिक्रिया करने का समय बढ़ जाता है और आपके शरीर पर आपका कंट्रोल नहीं रहता है जिससे आप गलतियां करने पर मजबूर हो जाते हैं. जब भी आप शराब पीकर गाड़ी चलाने का सोचें तो आपके लिए विकल्प मौजूद हैं.

जब भी आप शराब पीने जाए तो आप खुद की कार ले जाने की बजाए आप टैक्सी लेकर घर से निकले. आप एक अच्छे ड्राइवर का चयन कर सकते हैं जो पूरी रात आपके साथ रहे और आपको घर तक वापस पहुंचा दें. इसके अलावा ऐसी और भी कंपनिया हैं जो रात में कैब की सर्विस प्रॉवाइड कराती हैं आप उनसे भी कैब बुक कर सकते हैं.

अगर हम प्रतिज्ञा करें की शराब पीकर ड्राइव नहीं करेंगे तो हम अपनी सड़कों को सभी के लिए सुरक्षित बना सकते हैं. बनिए #BeTheBetterGuy

बेटे परितोष के कारण क्या जेल जाएगा अनुपमा का परिवार? पढ़ें खबर

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों अनुपमा की परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं. जहां एक तरफ शो में वनराज के बिना परिवार की जिम्मेदारियां संभालने की पूरी कोशिश करती नजर आ रही है तो वहीं काव्या पूरी कोशिश कर रही है कि उसके परिवार को वह किसी तरह अनुपमा से अलग कर पाए. लेकिन इन मुसीबतों के बीच आने वाले एपिसोड में अनुपमा की जिंदगी में नई परेशानियां आने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

राखी कहती है ये बात

लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो किंजल का पारितोष से मिलना उसकी मां राखी को पसन्द नहीं आ रहा, जिसके कारण वह सोचती है कि अब उसे कुछ बड़ा करना होगा, ताकि दोनों हमेशा के लिए अलग हो जाए. इसीलिए वह शाह परिवार को धमकी देते हुए कहती है कि अगर किंजल के करीब कोई भी आया तो वह पुलिस कम्पलेन कर देगी. वहीं परितोष, किंजल को खुद से दूर जाता देख गुस्से में चीजें फेंकने औऱ रोने लगता है, जिसके कारण पारितोष को फिर से दौरा आने लगता है. वहीं बा, अनुपमा को वनराज को यह सब बताने के लिए कहती नजर आती है.

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अनुपमा को जिम्मेदार ठहराता है परितोष

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा, परितोष को किंजल के बारे में चिंता ना करने के लिए कहेगी. लेकिन परितोष गुस्से में अनुपमा को ही उसकी इस हालत का जिम्मेदार मानेगा और कहेगा की पिता वनराज के अफेयर ने उसकी जिंदगी और प्यार दोनों बर्बाद कर दिया. हालांकि समर, परितोष को समझाने की पूरी कोशिश करता नजर आएगा कि इस मामले में उसकी मां अनुपमा की कोई गलती नही है.

 

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घर से भागेंगे किंजल और परितोष

किंजल को खुद से दूर जाने से रोकने के लिए परितोष उसके साथ घर से भाग जाएगा. वहीं राखी गुस्से में अनुपमा को धमकी देगी कि अगर वह वापिस नही लौटे तो उनका पूरा परिवार जेल की चक्की पीसेगा. अब देखना होगा कि क्या होगा अनुपमा का अगला कदम.

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