सिलाई, कढ़ाई और बुनाई की कला पोस्ट कोरोना युग में जरुरी रहेगी

एक समय था जब सर्दी का मौसम आते ही महिलाएं स्वैटर बुनने लगती थीं. दोपहर में धूप सेंकती हुई वे बुनाई, कढ़ाई या सिलाई आदि करती रहतीं और एकदूसरे से नईनई डिजाइनें सीखती थीं. अब इसे लोगों की व्यस्तता कहें या फिर बाजार में मशीन से बने स्वैटरों, कपड़ों और सामानों की बहार, आधुनिकता के इस दौर में ये कलाएं खोती जा रही हैं. पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हाथ से बने कपड़े और स्वेटर सिर्फ ठंड ही नहीं भगाते बल्कि उन के साथ भावनाओं की गर्माहट भी होती है. इसलिए इन की अहमियत कभी कम नहीं हो सकती.

कोरोना की वजह से आने वाले वक्त में सोशल डिस्टैंशिंग का चलन बना रहेगा. यही वजह है कि वर्क फ्रॉम होम और घर से चलने वाले व्यवसायों में तेजी से इजाफा हो रहा है. इस में कोई शक नहीं कि घर से सामान बनाना और उन्हें बेच कर पैसे कमाना एक बेहतर तरीका है. घर बैठे आप अपने किसी शौक, कला या जुनून को भी बिज़नेस में बदल सकते हैं. सिलाईकढ़ाई और बुनाई इसी तरह की कला है जो इस समय घर बैठे कमाई का अच्छा जरिया बन सकते हैं.

इस समय यों भी लोगों के व्यवसाय छूट रहे हैं. ऐसे में बुनाई, सिलाई और कढ़ाई कुछ ऐसे व्यवसाय हैं जिन्हें आप अब भी शुरू कर सकती हैं. इन के लिए बहुत ज्यादा पूंजी भी नहीं चाहिए. यदि आप के पास कला है तो थोड़ी पूंजी लगा कर भी आप बहुत आसानी से इस व्यवसाय को शुरू कर इसे आगे बढ़ा सकती हैं. आप छोटे से गांव में हों या बड़े शहर में, आप के हाथ में कला है तो इन व्यवसायों को बढ़ने और फलनेफूलने से कोई नहीं रोक सकता. आप इन व्यवसायों से न सिर्फ अपना रोज़गार शुरू कर सकती हैं बल्कि 10 लोगों को रोज़गार भी दे सकती हैं.

ये भी पढ़ें- मोटे हैं तो क्या गम है

आप घर में बैठीबैठी बच्चों और बड़ों के कपड़े सिल सकती हैं. तरहतरह के डिज़ाइन वाले खूबसूरत स्वैटर बना सकती हैं. वैसे भी कोरोना काल में बाहर से जितनी कम चीजें खरीदी जाए उतना अच्छा है. आप घर में बुने स्वैटर बच्चों को पहनाएंगी तो कम से कम एक संतोष रहेगा कि उन्हें सही चीज पहना रही हैं. हाथ से बने होने की वजह से इन में अलग ही आकर्षण होगा.

अगर आप के हाथ सिलाईमशीन पर सधे हुए हैं और आप में फैशन की भी समझ है तो आप एक फैशन डिज़ाइनर बन कर भी कमाई कर सकती हैं. बच्चों के कपड़ों की हमेशा काफी मांग रहती है. आप आसानी से घर पर बच्चों की खूबसूरत ड्रेसेस बना सकती हैं. आज कल इस तरह के काम सोशल मीडिया के जरिये तेजी से आगे बढ़ सकते हैं. पोस्ट कोरोना काल में इस तरह घर से ही आप अपना अच्छाख़ासा बिज़नेस चला सकती हैं.

इसीतरह विभिन्न कपड़ों जैसे टेबलक्लॉथ, बेडशीट, ड्रैसेस आदि पर कढ़ाई कर आप उन्हें खूबसूरत लुक दे सकती हैं. आप घर पर अपना स्वयं का कढ़ाई व्यवसाय शुरू कर सकती हैं.

बुनाई/ कढ़ाई की कला आप को कई तरह की शारीरिक व मानसिक परेशानियों से भी बचाती है. बुनाई /कढ़ाई जैसे काम दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करते हैं. इस से हाथों व आंखों का व्यायाम भी हो जाता है. बुनाई /कढ़ाई करने से उंगलियां व हाथ क्रियाशील रहते हैं और आप को गठिया जैसी बीमारियों से दूर रखती हैं. बुनाई /सिलाई आदि करने से दिमाग भी तेज होता है क्योंकि ऐसा करते वक्त दोनों हाथों के साथसाथ दिमाग के दोनों हिस्से एक साथ काम करते हैं जिस से एकाग्रता बढ़ती है. आप को रचनात्मक संतुष्टि भी मिलती है.

कोरोना काल और पोस्ट कोरोना काल में दिमाग से हर तरह के तनाव कम करने के लिए बुनाईसिलाईकढ़ाई आदि एक बेहतरीन हौबी है.

बुनाई से तनाव और हृदय गति में कमी

हाल ही में एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि बुनाई से तनाव का स्तर और हृदय की गति में आती है. यह सर्वे 2379 मरीजों पर किया गया था. तनाव कम करने के लिए 20 आम हॉबीज को इस में शामिल किया गया था. इस में पैदल यात्रा और खाना पकाना भी शामिल किया गया था. टीम ने सर्वे में भाग लेने वाले लोगों को फिटनेस बैंड पहनने के लिए कहा ताकि सब से कम हृदय गति वाली हौबी को मापा जा सके.

पाया गया कि बुनाई में शामिल लोगों की हृदय गति अन्य हौबी वाले लोगों की तुलना में 19 फीसदी कम थी. हालांकि यह लोगों की व्यक्तिगत पसंद और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. कुछ लोगों को पेंटिंग या ड्राइंग करने से आराम मिलता है.

ये भी पढ़ें- अगर दोस्ती नहीं खोना चाहते तो भूलकर भी अपने यहां दोस्त को न लगवाएं नौकरी

मुख्य बात यह है कि कला कोई भी क्यों न हो यह आप को रिलैक्स रखती है. कोरोना काल काफी मुश्किलों भरा रहा है और इस समय बुनाई,सिलाई या कढ़ाई जैसे काम आप के तनाव को घटाने में मददगार हो सकते हैं.

5 टिप्स: घर पर करें अपने बालों में हाई लाइट कलर

क्या आप को भी अपने बालों में कलर करना पसन्द है. क्या आप भी अपने बालों को ज्यादा खर्च किये बिना स्वयं ही अपने घर पर रंगना चाहती हैं, तो ये खबर आपके लिए है. क्योंकि आज हम आपको कलर करने के तरीके बताने जा रहे हैं.

लेकिन बालों में कलर करने से पहले ध्यान रखिए कि कलर आपकी उम्र, व्यवसाय और जीवनशैली से भी मेल खाए. और हां, आपके बालों में कलर तभी फबेगा जब आप उसे अपनी स्किन को ध्यान में रख कर लगाएंगी.

तो चलिए आपको बताते हैं कि आप कैसे कलर करें :

1. शेड्स को मिलाकर लगाएं

यदि आप बालों में कलर के साथ चमक भी चाहती हैं तो दो शेड्स को मिलाकर लगाएं यानी बेस कलर के साथ हाई लाइट या लो लाइट का मेल बालों में लगाए. बालों की सबसे ऊपर वाली परत के नीचे गहरा लो लाइट कलर कर के आप बालों को घना बना सकती हैं. ये हाई लाइटर और लो लाइटर वाले कलर वास्तव में चेहरे पर रंगत ला देते हैं और बालों को खूबसूरत दिखाने के साथ ट्रेंडी भी दिखाते हैं.

ये भी पढ़ें- अगर ब्लीच के बाद होती है जलन तो ऐसे करें इलाज

2. हाई लाइट करे

हाई लाइट कलर को स्ट्रिक्स भी कहा जाता है. मध्यम भूरे से गहरे भूरे बालों में हाई लाइटर करने के लिए बेस कलर से एक या दो टोन हल्का शेड चुनें. घर पर कलर करने के लिए अपने पसंद के कलर लें. फिर चेहरे के इर्द-गिर्द बालों की पहली परत के आधे इंच को 5 से 8 भागों में बाटें, इनपर हाई लाईट वाले कलर लगाकर फाइल में लपेट कर पिन लगा लें. बाकी बालों पर बेस कलर लगाएं.

3. इस तरह लगाएं कलर

जो बी कलर आपको करना है उसे लेकर एक सिरे से बालों पर लगाना शुरू करें, लेकिन याद रखें कि बालों की जड़ों से कलर न लगाकर एक या दो इंच नीचे से कलर लगाए ताकि इसका असर आपकी जड़ो पर न हो. अगर आपके कुछ बाल सफेद हैं तो आप अपने बालों की जड़ो की ओर से रंग लगाना शुरू करें और बीच की लंबाई तक जाएं. रंग लगाने के कुछ देर बाद कंघी करें ताकि बाकी के बालों पर प्राकृतिक शेड आए. 20 मिनट बाद पानी से सिर को धोए और रंग लगाने के 24 घंटे बाद ही शैंपू का इस्तेमाल करें.

4. कलर से शाइन लाएं

कलर से आपके बाल चमकदार लगे, इसके लिए अपने बालों पर प्री कलर हेयर थेरेपी करवाएं. बाल रंगने से 2 दिन पहले हेयर स्पा ट्रीटमेंट लें. इस से बाल नरम रहेंगे और क्षतिग्रस्त नहीं होंगे.

ये भी पढ़ें- ओवरनाइट मेकअप के बैड इफैक्ट्स

5. कलर्स वाले बालों की देखभाल

आप रंगीन बालों के लिए तैयार किये विशेष तरह का शैंपू को चुनें साथ ही कलर बालों के लिए विशेष तरह का बना कंडीशनर ही इस्तेमाल करें. इसमें सिलिकोन कंपाउंड ज्यादा होते हैं, जो बालों को सुरक्षित रखते हैं. सप्ताह में एक बार डीप कंडीशनिंग ट्रीटमेंट भी लें और विटामिन बी-5 वाला हेयर मास्क लगाएं.

ऐसी जुगुनी: जब जुगुनी का मायका बना उसके ससुराल के लिए मुसीबत

Serial Story: ऐसी जुगुनी (भाग-1)

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

‘‘अगर तुम आजीवन सुखी रहना चाहती हो तो अपनी ससुराल वालों, खासकर अपनी ननदों और देवरों से भरसक दूरी बनाए रखो. मैं उन्हें पहली नजर में ही पहचान गया था कि वे एक नंबर के कंजूस व मक्खीचूस किस्म के लोग हैं. यदि तुम ने मेरा कहना नहीं माना तो वे हरामखोरनिठल्ले एक दिन तुम्हारे सीने पर मूंग दलेंगे. इतना ही नहीं, वे दरिद्रजन तुम्हारा सारा हक भी मार लेंगे. तुम्हारे दकियानूस पति की बेवकूफी का वे पूरा फायदा उठाएंगे,’’ शांताराम ने अपनी नवब्याहता बहन को समझाने और ससुराल वालों के खिलाफ उस के मन में जहर की पहली डोज डालने की कोशिश की.

उस ने फिर कहा, ‘‘तुम्हें गलती से हम ने ऐसे परिवार में ब्याह दिया है जहां एक भाई कमाता है, बाकी तोंद पर हाथ फेरते हुए, बस, डेढ़ सेर खाते हैं. तेजेंद्र के सिवा तो वहां कोई कुछ करता ही नहीं. मां पहले ही कालकवलित हो चुकी है और बाप रिटायर्ड हो चुका है जिस का घर से कुछ भी लेनादेना नहीं है जबकि बड़ा भाई अपने परिवार में बीवीबच्चों के साथ मस्त है. किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है. सब आपस में लड़मर रहे हैं. एक बात मैं कहूं, यह परिवार कई प्रकार से कमजोर है और तुम इस कमजोरी का खूब फायदा उठा सकती हो. आखिर, पढ़ीलिखी लड़की हो. कम से कम अपनी अक्ल का थोड़ा तो इस्तेमाल करो और इस परिवार का बेड़ा गर्क करो.’’

नाम तो उस का ज्योतिंद्रा था पर सब उसे जुगुनी ही कहते थे. जुगुनी भौंहें चढ़ाती हुई मुसकरा उठी, ‘‘भैया, मैं अब कोई दूधपीती बच्ची नहीं हूं. इन 7 दिनों में ही सबकुछ देख चुकी हूं, सब समझ चुकी हूं. अब मुझे क्या करना है, यह भी तय कर चुकी हूं. देखना, मैं ससुराल में इतनी साजिश रचूंगी और इतनी तिकड़म आजमाऊंगी कि तेजेंद्र खुदबखुद उन से दूरी बना कर रहने लगेगा. तेजेंद्र तो मेरी तरेरती निगाहों के आगे कठपुतली की तरह नाचता फिरेगा. और हां, ससुरालियों के मन में भी एकदूसरे के प्रति इतना जहर भरूंगी कि वे एकदूसरे के जानीदुश्मन बन जाएंगे.’’

ये भी पढ़ें- रिहाई: अनवार मियां के जाल में फंसी अजीजा का क्या हुआ?

शांताराम बहन के इस अंदाज में शेखी बघारने पर फख्र करते हुए आश्चर्य से भर उठा, ‘‘ससुराल में कदम रखते ही तुम्हारी छठी इंद्रिय काम करने लगी है. पहले तो तुम गधी थी. तो भी मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं कि तुम्हारा पति कमअक्ल और लकीर का फकीर है. थोड़ाबहुत साहित्य क्या लिख लेता है, वह खुद को तुलसीदास और शेक्सपियर समझने लगा है. पर, वह है पूरा डपोरशंख. खुद को भौतिकवाद से दूर रखने का पाखंड खूब कर लेता है. दरअसल, तुम्हारे सारे ससुराल वाले कंजूस और लीचड़ हैं. तुम्हारा तेजेंद्र भी दांत से पैसा दबाए रखता है. ऐसे लोग कूपमंडूक होते हैं और उन्हें विरासत, परंपरा, तहजीब जैसी गैरजरूरी बातों से ज्यादा लगाव होता है. उसे समझाना होगा कि अब उस का अपना परिवार है और इसी के लिए जीना व मरना है. मांबाप और भाईबहन के लिए जिंदगी तबाह करने की जरूरत नहीं है. वे कमीने तो उस की शादी के बाद से ही पराए हो गए हैं. अब उस के अपने हैं तो केवल हम ससुराल वाले,’’ जुगुनी उस की हर बात पर ध्यान देती हुई संजीदा होती जा रही थी.

बेशक, ससुराल में कदम रखते ही नई बहू के तेवर तीखे हो गए. अभी हफ्ताभर ही तो हुआ है जुगुनी और तेजेंद्र की शादी हुए. तेजेंद्र के भाईबहनों ने उस की शादी में बड़े उत्साह से सभी कामों को अंजाम दिया था और नए रिश्तेदारों के साथ वे बड़ी गंभीरता व शालीनता से पेश भी आ रहे थे.

बहनों में बड़ी, नंदिनी तो इतनी खुश थी कि वह पंख उग आए गौरैये के चूजे की भांति घर से बाहर तक फुदकती फिर रही थी, और जो भी मिलता उस से कहती जा रही थी- ‘अब घर में मां के बाद उन की कमी को मेरी दूसरी भाभी पूरी करेंगी. हम सब उन्हें भाभी नहीं भाभीमां कह कर पुकारेंगे. इतने मिलजुल कर और प्यार से रहेंगे कि अपने मतलबी रिश्तेदारों और जिगरी दोस्तों के मन में भी हमारे लिए बेहद ईर्ष्या पैदा हो जाएगी.’

उस ने तेजेंद्र से कहा, ‘‘भैया, अभी भाभी को मुंबई मत ले जाना. जब महीनेभर बाद अगली बार आना, तो ले जाना. अभी तो हमें इन से दिल से दिल मिला कर मेलजोल बढ़ाना है.’’

पर, जुगुनी को नंदिनी का प्रस्ताव बिलकुल अटपटा सा लगा. उस ने तुरंत तेजेंद्र को बैडरूम में ले जा कर समझाया, ‘‘अभी मैं यहां बिलकुल नहीं रहूंगी. क्या हम हनीमून पर नहीं चलेंगे? अगर हनीमून पर नहीं जाना है तो मुझे मुंबई अपने साथ ले चलो, वरना, मुझे कुछ समय के लिए मायके में ही छोड़ दो. जब दोबारा मुंबई से आना तो मुझे अपने साथ ले जाना. लेकिन, मेरा निर्णय कान खोल कर सुन लो, मैं यहां हरगिज नहीं रहने वाली.’’

तेजेंद्र चिंता में पड़ गया. उसे जुगुनी का स्वभाव एकदम अटपटा सा लग रहा था. बहरहाल, उस ने सोचा कि अभी जुगुनी को ऐसे नाखुश करना उचित नहीं होगा. सो, उस ने नंदिनी को समझाया कि वह अभी जुगुनी को यहां रुकने के लिए न कहे और वह मान भी गई. पर, जुगुनी तो मन ही मन खुश हो रही थी कि तेजेंद्र तो बड़ी सहजता से उस की बात मान लेता है. बेवकूफ है तो क्या हुआ, अपने परिवार वालों के बीच मुझे अहमियत तो देता है, गोबरगणेश कहीं का…

उस के बाद वह मुंबई के लिए अपनी अटैचियां व जरूरी सामान पैक करने लगी.

विवाह के समय मायके से जो उपहार मिले थे, जब तेजेंद्र उन्हें घर पर ही छोड़ कर जुगुनी के साथ मुंबई जाने को तैयार होने लगा तो वह एकदम से बौखला उठी, ‘‘तेजेंद्र, यह तो तुम अच्छा नहीं कर रहे हो. क्या मेरे घर वालों ने इतने ढेर सारा दानदहेज, गिफ्ट वगैरा तुम्हारे निठल्ले भाईबहनों को ऐश करने के लिए दिए हैं? कम से कम टीवी, फ्रिज और बैड तो अपने साथ ले चलो.’’

तेजेंद्र ने जुगुनी से अचानक ऐसे शब्दों की अपेक्षा नहीं की थी. लिहाजा, उस ने ठंडे दिमाग से उसे समझाया, ‘‘जुगुनी, मुझे तुम मिल गई, यह मेरे लिए बहुतकुछ है. सामान को तो गोली मारो. बहरहाल, इतना ढेर सारा सामान लाद कर हम मुंबई जाएंगे तो कैसे जाएंगे? इन्हें यहीं छोड़ दो. वहां हम अपने बलबूते पर सैटल होंगे और ये सारे सामान खुद खरीदेंगे. तुम्हें तो पता ही है, मेरी अच्छी तनख्वाह है. इन से कहीं बेहतर क्वालिटी के सामान वहां किस्तों में खरीद लेंगे.’’

ये भी पढ़ें- कशमकश: महिमा के प्रति रूखा था घर वालों का व्यवहार

जुगुनी इतराने लगी, ‘‘अच्छा, क्या मेरे मायके से आए सामान एवन क्वालिटी के नहीं हैं?’’

तेजेंद्र समझ गया कि जुगुनी और उस के परिवार वाले दुनियादारी व सामान के पीछे जान भी दे सकते हैं. छोटे शहरों के लोगों में विलासिता के साजोसामान खरीदने की ललक तीव्र होती है. उसे एहसास हो गया कि जुगुनी के मन में क्या चल रहा है. वह समझ गया कि जुगुनी के लिए मानवीय रिश्तों की कोई खास अहमियत नहीं है.

लिहाजा, उस पल तेजेंद्र के चेहरे पर आए हावभाव को पढ़ कर जुगुनी को लगा कि अभी उसे ऐसा अडि़यल रुख नहीं अपनाना चाहिए. वह कोई तरकीब सोचने लगी ताकि उस पर कोई दोष भी न आए और उस के मन की मुराद भी पूरी हो जाए. यानी उस के मायके का सारा सामान और उपहार उस के कब्जे में आ जाए. उस ने एकांत में जा कर झट मायके अपनी अम्मा को फोन लगाया तथा उन्हें सारी बात से अवगत कराया और मुंबई रवाना होने से पहले उन्हें और बाबूजी को मिलनेजुलने के बहाने फोन पर ही ठीक एक दिन पहले बुला लिया.

अम्मा ने आते ही कमर कस ली. ‘‘जुगुनी, तुम बिलकुल फिक्र मत करना. देखो, मैं किस तरह से सारा दानदहेज तुम्हारे साथ मुंबई भिजवाती हूं. एक तो इन लीचड़ ससुरालियों ने दहेज की सारी रकम ऐंठ ली, दूसरे, अब वे सारा दानदहेज और गिफ्ट भी हजम कर लेना चाहते हैं.’’

अम्मा ने बाबूजी को बरगलाना शुरू कर दिया, ‘‘अजी सुनते हो, अब कान में रुई डाल कर सोना बंद करो. देखो, तुम्हारी गाढ़े पसीने की कमाई पर गैरों की गिद्धदृष्टि लगी हुई है.’’

बाबूजी के कान खड़े हो गए, ‘‘वह कैसे?’’

‘‘वह ऐसे कि जुगुनी की शादी में जो सामान तुम ने इतने जतन कर के दिए हैं, तेजेंद्र उन्हें अपने भाईबहनों को सौंप कर खाली हाथ ही मुंबई जा रहा है. अब भला, मेरी बिटिया टीवी, फ्रिज के बगैर एक पल को भी कैसे रह पाएगी? तेजेंद्र तो रोज ड्यूटी बजाने औफिस को चला जाया करेगा जबकि मेरी गुडि़या घर में अकेली दीवारों पर रेंगती छिपकलियां देख कर ही सारा समय काटेगी. तेजेंद्र के भाईबहन दहेज के सामान पर जोंक की तरह चिपके हुए हैं. उस ने तो दहेज में मिला स्कूटर पहले ही अपने भाई प्रेमेंद्र के हवाले कर दिया है.’’

बाबूजी अपनी पत्नी के बहकावे में आने से पहले थोड़ीबहुत जो समझदारी दिखा सकते हैं वह उस से बातें करने के बाद पलभर में उड़नछू हो जाती है. उन्होंने अम्मा को समझाने की कोशिश की, ‘‘अभी कुछ ऐसा बखेड़ा खड़ा मत करो क्योंकि अभी शादी को हफ्ताभर ही तो हुआ है. अगर मैं तेजेंद्र के पापा से इस बारे में कुछ कहूंगा तो यह अच्छा लगेगा क्या? आखिर, यह तुम्हारा घर नहीं, बिटिया का ससुराल है.’’

अम्मा तुनक उठी, ‘‘अजी, ऐसा अच्छाभला सोचने लगोगे तो ससुराल में तुम्हारी बिटिया का जीना दूभर हो जाएगा. कल को ये लोग उस का गला भी घोंट सकते हैं. तेजेंद्र के घर वाले कितने कमीने हैं, इस बात का सुबूत देने की जरूरत नहीं है. उन के हौसले को बढ़ने से पहले ही तोड़ना होगा. सांप के फन उठाने से पहले ही उसे कुचल देना होगा. वरना, एक दिन तुम्हारी बेटी को चिथड़ा पहना कर वापस मायके भेज दिया जाएगा. तलाक तक की नौबत आ जाएगी. हो सकता है कि वे उसे जिंदा फूंकने का दुस्साहस भी करें, हां.’’

आगे पढें- उस के शब्द सुन कर तो बाबूजी…

ये भी पढ़ें- जीने की राह: उदास और हताश सोनू के जीवन की कहानी

Serial Story: ऐसी जुगुनी (भाग-2)

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

उस के शब्द सुन कर तो बाबूजी ऐसे चिहुंक उठे जैसे किसी पहाड़ी बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया हो. वे अच्छी तरह समझ रहे थे कि उन की पत्नी उन्हें जुगुनी के ससुराल वालों के खिलाफ बरगला रही है. उन्होंने मांबेटी दोनों को दुनियाभर के चमचमाते सामान के पीछे पागल होते पहले भी देख रखा है. पर, उन्हें यकीन है कि जुगुनी की अम्मा ने जो मन में ठान लिया है, वह उसे पूरा कर के ही दम लेगी. और अगर उन्होंने उस के मनमुताबिक नहीं किया, तो वह उन्हें चैन से जीने न देगी, खानापीनासोना सब हराम हो जाएगा.

वे उधेड़बुन में खो गए. चलो, तेजेंद्र के पापा से बात कर ही लेते हैं. भले ही उन्हें और उन के परिवारजनों के गले से मेरी बात नीचे न उतरे, पर उन्हें तो मनाना ही होगा कि वे दहेज का सारा सामान तेजेंद्र के साथ रवाना कर दें. वरना जुगुनी की अम्मा उन की जान खा जाएगी. उन के परिवार वालों को बुरा लगता है तो लगने दो. जुगुनी को भी इस दो कौड़ी की ससुराल में कहां रहना है? उसे तो मुंबई महानगर में अपनी जिंदगी गुजारनी है तेजेंद्र के साथ.

बाबूजी का मन अभी भी हिचक रहा था. रात को अम्मा ने उन्हें गहरी नींद से जगा कर फिर उन पर दबाव बनाया, ‘‘पौ फटते ही तेजेंद्र के बड़ेबुजुर्गों से बात कर लेना क्योंकि कल शाम की ही ट्रेन से जुगुनी और तेजेंद्र को मुंबई के लिए कूच करना है.’’

सो, सुबह जब बाबूजी उठे तो वे हिम्मत बटोर कर, चाय की चुसकी लेते हुए तेजेंद्र के पापा से मुखातिब हुए, ‘‘भाईसाब अब आप का बेटा तेजेंद्र घरवाला गृहस्थ बन गया है. मुंबई में अपनी बीवी के साथ रहेगा. उस के यहां यारदोस्तों का आनाजाना होगा. इस बार अपनी दुलहन ले कर पहुंचने पर, वे उस से पूछेंगे कि तेजेंद्र, ससुराल से तुम्हें क्या मिला है, तब तेजेंद्र उन से क्या कहेगा कि दहेज तो बाप के घर छोड़ आया हूं. बस, बीवी ले कर आया हूं? वे तो समझेंगे कि बिटिया का बाप तो कंगला है जिस ने उसे एक धेला भी नहीं दिया. मुफ्त में अपनी बेटी उस के गले मढ़ दी.

‘‘सच, यह सोच कर मेरा दिल शर्म से डूबा जा रहा है. बेटी के बाप की तो नाक ही कट जाएगी. सो, मेरी आप से विनती है कि तेजेंद्र को अपने साथ कुछ सामान जैसे टीवी, फ्रिज वगैरा ले जाने की इजाजत जरूर दे दीजिए जिन्हें वह अपने महल्ले वालों और दोस्तों को दिखा सके कि हां, किसी फटीचर खानदान में उस की शादी नहीं हुई है.’’

ये भी पढ़ें- Short Story: यह घर मेरा भी है

बाबूजी ने दोनों हाथ जोड़ कर अपनी बात को इतने सलीके से पेश किया था कि तेजेंद्र के पापा से प्रतिक्रिया में कुछ भी कहते नहीं बना. वे हकला उठे, ‘‘मुझे इस में क्या आपत्ति हो सकती है?’’

वहां उपस्थित तेजेंद्र का छोटा भाई प्रेमेंद्र भी बोल उठा, ‘‘हां हां, अगर भाईसाहब ये सामान खुद ले जाने में सक्षम हों तो इस से अच्छी बात क्या हो सकती है. हम तो सोच रहे थे कि भाभीजी का सामान हम खुद धीरेधीरे मुंबई पहुंचा देंगे. इसी बहाने मुंबई भी आनाजाना बना रहेगा.’’

जुगुनी ने सोचा, ‘अगर दहेज का सामान अभी हमारे साथ चला जाएगा तो इन कमीनों द्वारा फुजूल में मुंबई आ कर मेरा दिमाग खराब करने से छुटकारा भी मिल जाएगा.’

उस वक्त बाबूजी अम्मा का मुंह ताकने लगे जैसे कि कह रहे हों कि तुम तो कह रही थी कि दहेज का सारा सामान तेजेंद्र के घर वाले हड़पना चाहते हैं जबकि वे सभी सारे सामान को तेजेंद्र के साथ सहर्ष भेजने को तैयार हैं.

अम्मा ने उन के हावभाव को कनखियों से देखा और मुंह बिचका लिया. तुम्हें जो मगजमारी करनी है, वह करो. हमें तो दहेज का सामान बस मुंबई रफादफा करना है.

सो, कुछ मामूली उपहारों को छोड़ कर बाकी सामान धीरेधीरे 2-3 खेपों में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया. तेजेंद्र मायूस हो गया, यह सोचते हुए कि मेरे घर वाले सोच रहे होंगे कि तेजेंद्र भौतिकवादी हो गया है. उसे अपने घर वालों से ज्यादा निर्जीव वस्तुओं से प्यार हो गया है.

वैसे तो, वह शादी से पहले ऐसी मानसिकता वाले लोगों की नुक्ताचीनी करने से बाज नहीं आता था. भाइयों में सब से छोटे भाई गजेंद्र ने सभी को समझाया, ‘‘भैया सुलझे हुए विचारों के भले आदमी हैं. वे स्वार्थी कभी नहीं हो सकते. उन्हें तो मर्यादित जीवन और अच्छे संस्कारों से हमेशा प्यार रहा है. स्वार्थपरता से तो उन्हें सख्त नफरत है. इसलिए हमें उन के बारे में कोई अनापशनाप धारणा नहीं बनानी चाहिए.

वे हम से और हमारी पारिवारिक संस्कृतियों से हमेशा जुड़े रहे हैं. हां, भाभीजी के बारे में अभी मैं कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कह सकता कि भविष्य में वे अपने ससुराल में क्या गुल खिलाएंगी. पर, यह तो तय है कि वे भारत में पाकिस्तान बनवा कर ही दम लेंगी.’’

 

तेजेंद्र के विवाह के चिह्न के तौर पर घर में कुछ भी उपलब्ध न रहने के कारण उस की तीनों बहनें नंदिनी, मीठी और रोशनी कुछ समय तक सदमे में थीं. शादी के उल्लास और चहलपहल के बाद अचानक छाए सन्नाटे से घर का कोनाकोना भांयभांय कर रहा था. उन की मां तो डेढ़ साल पहले ही डाक्टर की गलत दवा के कारण मौत का शिकार हो चुकी थीं. मां की असामयिक मौत के बाद, पापा गुमसुम रहने लगे थे.

बड़े भाई कमलेंद्र अपनी एकल पारिवारिक व्यवस्था में ही इस तरह उलझ गए थे जैसे उन का इस के सिवा दुनिया में कुछ और है ही नहीं. ऐसे में, परिवार को तेजेंद्र से ही बड़ी उम्मीदें थीं. उन्हें उन से आर्थिक मदद से अधिक मानसिक संबल की अपेक्षा थी. प्रेमेंद्र कोचिंग इंस्टिट्यूट चला कर अपनी और अपनी बहनों की आर्थिक आवश्यकताएं पूरी कर ही लेता था. पापाजी के पैंशन के रुपए भी काम में आ जाते थे.

इस दरम्यान, जुगुनी की अम्मा का मुंबई आनाजाना अधिक बढ़ गया था. वह जुगुनी को ससुराल से भरसक दूरी बनाए रखने के लिए सचेत करती रहती थी. इस के लिए नएनए तौरतरीके भी वह उसे बताती रहती थी.

एक दिन उस ने जुगुनी से कहा, ‘‘अगर तेजेंद्र के मन में अपने भाईबहनों के प्रति लगाव बना रहेगा तो उसे उन की आर्थिक मदद भी करनी पड़ेगी. सो, तुम्हारी कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि उन के बीच संबंधों में दरार बढ़ती जाए. अभी तो उस की तीनों बहनें अनब्याही हैं. उन की शादी के लिए तेजेंद्र को ही पैसे खर्च करने पड़ेंगे. उस के पापा और कमलेंद्र तो कुछ भी करने से रहे. देखो, कमलेंद्र कितनी होशियारी से उन से कन्नी काट गया है. दरअसल, तुम्हें तो दूल्हा कमलेंद्र जैसा मिलना चाहिए था.’’

अम्मा कमलेंद्र का गुणगान करते हुए तेजेंद्र के नाम पर रोरो कर अपना माथा पीटती. एक दिन उस ने जुगुनी से कहा, ‘‘कुछ ऐसे गंभीर हालात पैदा करो कि तेजेंद्र की बहनें कुंआरी ही बूढ़ी हो जाएं. इस से तुम्हें फायदे होंगे-एक तो तेजेंद्र को उन की शादी पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे, दूसरे, तेजेंद्र के कमीने परिवार की सारे समाज में थूथू हो जाएगी.

‘‘जिस घर में बेटियां और बहनें अविवाहित रह जाती हैं, समाज में उसे बड़ी नीची निगाह से देखा जाता है. उस के बाद तुम अपनी सहेलियों और जानपहचान वालों में भाईबहन के रिश्ते के बारे में कुछ गंदी अफवाहें फैला देना. देखना, सारे के सारे सदमों से न केवल बीमार होंगे बल्कि दुश्ंिचताओं में पड़ कर पीलिया से ग्रस्त हो कर दम भी तोड़ देंगे.’’

ये भी पढ़ें- नई चादर: कोयले को जब मिला कंचन

पर, तेजेंद्र ने तो संकल्प ले रखा था कि वह अपने सहोदरों की जीवननैया पार लगा कर ही दम लेगा. इस बीच, प्रेमेंद्र ने तेजेंद्र को नंदिनी की शादी से संबंधित बातचीत करने और इस बाबत अन्य बंदोबस्त करने के लिए आने का आग्रह किया. जब अम्मा को इस बारे में पता चला तो उस ने जुगुनी को दिनरात बरगलाया, ‘‘बिटिया, तेजेंद्र को किसी भी कीमत पर नंदिनी की शादी के बारे में बातचीत करने के लिए उस के घर मत जाने देना.’’

इस तरह जिस शाम तेजेंद्र को ट्रेन पकड़नी थी, जुगुनी दहेज के मुद्दे पर उस से झगड़ बैठी. उस ने तेजेंद्र से कहा, ‘‘जब तक तुम दहेज में मिला स्कूटर प्रेमेंद्र से छीन कर वापस नहीं लाओगे, तुम्हें तुम्हारे कमबख्त भाईबहनों के पास जाने नहीं दूंगी.’’ फिर, उस ने उस के पर्स से रिजर्वेशन टिकट निकाल कर फाड़ कर चिंदीचिंदी कर दिया. झगड़े पर उतारू औरत के सामने वह बेबस हो गया.

दूसरी और तीसरी बार भी जब वह नंदिनी के लिए लड़का देखने जाने की तैयारी में था तो जुगुनी ने उसे इसी तरह घर न जाने के लिए मजबूर कर दिया. तेजेंद्र तो जुगुनी के जोरजोर से शोर मचाने के कारण ही सहम जाता था, महल्ले वालों में शोर मच जाएगा तो उसी की बदनामी होगी. गलती भले ही औरत की हो, दुनिया पुरुष को ही दोषी ठहराती है.

जुगुनी ने उस की कमजोर नस पहचान ली थी और जबजब वह किसी ऐसे ही निहायत जरूरी काम से अपने पैतृक घर जाने का मन बनाता, जुगुनी शोर मचाने लगती और तेजेंद्र खामोश हो कर बैठ जाता. वह उस की कमजोर नस पर हाथ रख देती.

बहरहाल, हर बात में तूतूमैंमैं उन के दांपत्य जीवन का रोजमर्रा का हिस्सा बन गया था. जुगुनी तो मुंहफट थी ही, लेकिन जब उग्र होती तो गालीगलौज भी करने लगती. ऐसे में, तेजेंद्र अपना माथा पीट कर अपने बुरे समय को कोसता रहता. उस ने तो अपने ही क्षेत्र की लड़की से सिर्फ इसलिए शादी की थी कि उस की आदतें, रहनसहन आदि उसी की तरह होंगे जिस से रिश्तेदारी निभाने में कोई अड़चन नहीं आएगी. वह मुंबई में रह रहा होगा जबकि उस का और उस की पत्नी का परिवार सुखदुख में एकदूसरे के साथ होगा.

मुंबई में ही उस के लिए कितने ही शादी के प्रस्ताव आए थे. पर, उस ने सब से न कर दिया कि शादी करूंगा तो अपने ही क्षेत्र की किसी संस्कारी लड़की से, वरना नहीं करूंगा.

तेजेंद्र के पापा सेहत से और अपने अक्खड़ स्वभाव से इस लायक नहीं थे कि वे अपनी जिम्मेदारियों को निबटाते. कुल मिला कर वे अपने गृहस्थ जीवन के प्रति उदासीन हो गए थे. यह सोच कर कि मेरे सारे बेटे तो इतने बड़े और समझदार हो ही गए हैं कि वे उन की जिम्मेदारियों को भलीभांति निभा सकें.

इस बीच, तेजेंद्र ने मुंबई से फोन कर के अपने हाथ खड़े कर दिए, ‘‘प्रेमेंद्र, तुम्हारी भाभी मुझे तुम लोगों के लिए कुछ भी करने की इजाजत नहीं देतीं. इसलिए मैं तुम लोगों के लिए कुछ भी न कर पाने के लिए मजबूर हूं.’’

थकहार कर प्रेमेंद्र ने खुद नंदिनी के लिए एक रिश्ता तय किया, वह भी बड़ी अफरातफरी में क्योंकि उस की उम्र शादी के लिहाज से ज्यादा हो रही थी. नंदिनी की शादी हुई, पर अफसोस कि सफल नहीं रही. यह सब हताशा में उठाए गए कदमों के कारण हुआ. किसी को क्या पता था कि जिस लड़के के साथ नंदिनी का विवाह हुआ है, उस का पहले से ही किसी औरत के साथ नाजायज संबंध है जिस से उस की एक संतान भी है.

अम्मा को जब जुगुनी से यह बात पता चली तो वह फूली न समाई, ‘‘चलो, उस कमीने परिवार की बरबादी शुरू हो गई है. अब उन की बरबादी का मंजर हम तसल्ली से देखेंगे. कमीने प्रेमेंद्र को खुद पर कितना गरूर था. हमारे दहेज का स्कूटर हथियाने का उसे अब अच्छा दंड मिला है. उस की बहनों ने भी दहेज का सामान कब्जा कर बहती गंगा में खूब हाथ धोया. अब उन की मांग में कभी सिंदूर नहीं सजेगा, यह मेरी साजिश है. उन सब का ऐसा सत्यानाश हो कि वे फिर कभी आबाद न हो सकें और तेजेंद्र का सारा खानदान मटियामेट हो जाए.’’

एक दिन अम्मा ने जुगुनी को फोन पर बतलाया, ‘‘देखना, नंदिनी को जल्दी ही ससुराल से खदेड़ दिया जाएगा और वह घर आ कर बैठेगी. अब उस का दूसरा ब्याह न हो सकेगा क्योंकि यह सब मेरे ही टोनेटोटके का असर है. मैं एक डायन के भी संपर्क में हूं जिस ने अपने कर्मकांडों से तेजेंद्र के परिवार को नेस्तनाबूद करने का मुझ से वादा किया है.’’

जुगुनी खुश थी कि उस की अम्मा उस के रास्ते के सारे कांटे हटा कर उस की जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटी हुई है. वैसे भी, वह अकेले यह सब कैसे कर पाती? टोनेटोटकों और औघड़बाजी के बारे में तो उसे इतना ज्ञान भी नहीं है जितना अम्मा को है. इसी वजह से अम्मा का मुंबई आनाजाना बढ़ गया. उस का मुंबई आने का तो उद्देश्य ही था कि येनकेनप्रकारेण तेजेंद्र का अपने परिवार से मोहभंग करा कर उसे ऐसी हालत में छोड़ा जाए जैसे धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का. आखिरकार, वह अपनी बीवी के ही तलवे चाटेगा.

क्रमश:

ये भी पढ़ें- Short Story: मैं सिर्फ बार्बी डौल नहीं हूं

Serial Story: ऐसी जुगुनी (भाग-3)

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

अब तक आप ने पढ़ा

कि किस तरह जुगुनी ने विवाह के बाद अपनी ससुराल में कलह के बीज बोने शुरू कर दिए. भाई व मां के भड़काने पर जुगुनी ने पति तेजेंद्र को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया. जुगुनी के इस साजिशाने रवैए ने आगे क्या गुल खिलाया,

जानने के लिए पढि़ए कहानी का आखिरी भाग.

इधर कोई 3 वर्षों तक जुगुनी गर्भवती नहीं हुई तो मायके वालों को चिंता हो गई कि कहीं तेजेंद्र नामर्द या नपुंसक तो नहीं है. अम्मा के सिखाने पर जुगुनी ने पड़ोस में ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया कि कमी तेजेंद्र में है.

अम्मा मुंबई आई तो उस ने जुगुनी की आंखों में झांक कर देखा, ‘‘बिटिया, कोई खास बात है क्या?’’ वह आंखें नचाते हुए बोल पड़ी, ‘‘अम्मा, मुझे तो लगता है कि तेजेंद्र का अपने ही औफिस में किसी लड़की के साथ कोई चक्करवक्कर चल रहा है. वरना शादी के 3 वर्षों बाद भी…’’ पर, सचाई यह थी कि तेजेंद्र बड़ी सावधानी बरतता था और कुछ वर्षों तक बालबच्चों की जिम्मेदारियों से दूर रहना चाहता था.

एक दिन तेजेंद्र के औफिस जाते ही अम्मा जुगुनी को खींचती हुई एक मौलवी के पास ले गई. मौलवी ने अम्मा और जुगुनी की सारी समस्याएं सुनने के बाद उन के शक पर सच की मुहर लगा दी, ‘‘आप की बिटिया के पांव इसलिए भारी नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि उस के शौहर के किसी के साथ नाजायज ताल्लुकात हैं और वह जल्दी ही आप की बिटिया को छोड़ कर उस से निकाह करने जा रहा है. पर, उस बदचलन औरत से इस के शौहर का छुटकारा दिलाने का तिलिस्मी नुसखा मेरे पास है. कल तुम दोनों मुझ से पीर बाबा के मजार पर मिलना.’’

अम्मा को मौलवी द्वारा बताई गई एकएक बात पर भरोसा हो गया. मौलवी ने दोनों को नाको चने चबवाए. ऐसेऐसे कर्मकांड करवाए कि अम्मा के सिवा कोई और औरत होती तो भाग खड़ी होती.

अम्मा ने तो मौलवी के नुसखों को खूब आजमाया. बदले में, उसे मुंहमांगा पैसा दिया. इस के अलावा, मौलवी के कर्मकांडों में शिरकत करने के लिए जुगुनी को एक रात उसी के यहां छोड़ कर भी आई और तेजेंद्र से बहाना बना दिया कि जुगुनी अपनी एक सहेली की शादी में गई हुई है और रातभर वहीं रहेगी.

इस तरह उस ने मौलवी द्वारा दिए गए झाड़फूंक वाले कुछ रसायन और राखभभूत भी चोरीछिपे तेजेंद्र को भोजन में मिला कर खिलाई जिस से वह कभीकभी बीमार भी पड़ गया. पर, जब सारे नुसखे बेकार हो गए तो फिर, वह उसे कर्मकांडी ओझाओं और बाबाओं के पास भी ले गई.

ये भी पढे़ं- Serial Story: फटे नोट का शेष हिस्सा

यह सब करते हुए जुगुनी उकता गई, ‘‘अम्मा, हमारी दुर्दशा काहे कर रही हो? अब जब तेजेंद्र ही नालायक और बेपरवाह हो कर गैरों पर अपना सर्वस्व लुटा चुका है तो हमारा कल्याण कभी नहीं हो सकता.’’

इसी दरम्यान, जुगुनी की एक रिश्ते की बहन कल्लो, जिसे टोनेटोटकों में बड़ी महारत हासिल थी, ने अम्मा को फोन कर के बताया, ‘‘मामी, जुगुनी के गर्भवती न होने का एक अहम कारण यह है कि तेजेंद्र के घर वालों ने ओझाओं द्वारा कुछ कर्मकांड करवाए हैं.

‘‘इस बार जब आप वापस घर आना तो जुगुनी को भी ले कर आना. मैं उस कर्मकांड की काट बताऊंगी. जुगुनी निश्चित तौर पर मां बनेगी और तेजेंद्र उस का साया बन कर उस के आगेपीछे डोलता फिरेगा.’’

उस के बाद, जब जुगुनी मायके गई तो उस की रिश्ते की बहन कल्लो समेत उस के जीजा ने भी उस से ढेरों कर्मकांड करवाए. उस ने अपने जीजा के घर में कुछ दिनों रह कर भी बहुतकुछ कर्मकांड किए. उन के साथ श्मशान घाट, पीर बाबा की मजार और शिवाले भी गई.

यों तो उस के जीजा किसी प्राइवेट औफिस में कार्यरत थे, पर वे भी हस्तविद्या, अंकविद्या जैसी ज्योतिष विद्याओं में पारंगत होने का खूब दम भरते थे और ज्योतिष की किताबें भी पढ़ा करते थे.

खुद जुगुनी ने तेजेंद्र को अपने जीजा की इस क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बतलाया था कि उन्होंने कितनों को ही हीरा, पन्ना, नीलम और पुखराज जैसे पत्थरों की अंगूठियां पहना कर उन के समय में चारचांद लगाए हैं और तुम्हें उन से मिल कर अवश्य ही उपकृत-लाभान्वित होना चाहिए.

ऐसी बातों का हमेशा मखौल उड़ाने वाला तेजेंद्र उस की बात ही टाल जाता. बहरहाल, जब वह जीजा के यहां से वापस मायके आई तो तेजेंद्र के बड़े भाई कमलेंद्र उसे अपने शहर लेने आ गए. उन्होंने अम्मा से कहा, ‘‘मम्मीजी, जुगुनी को कुछ दिन मेरे यहां भी रहने के लिए भेज दीजिए, बच्चे अपनी छोटी आंटी से मिलने के लिए बेचैन हैं.’’

अम्मा तो कमलेंद्र की शक्लसूरत और कीरतसीरत पर पहले से ही फिदा थी और कई बार यह भी तमन्ना कर चुकी थी कि काश, जुगुनी को कमलेंद्र जैसा पति मिला होता. सो, उस ने कोई नानुकुर किए बिना, कमलेंद्र के साथ जुगुनी को विदा कर दिया, जहां वह उस के और उस के परिवार के साथ 2 हफ्ते रही.

कुल मिला कर, अम्मा तो इसी बात से बेहद खुश थी कि चलो, अपने पति तेजेंद्र के साथ रह कर जुगुनी भले ही खुश न रह पा रही हो, मायके आ कर कुछ दिन प्रसन्नचित्त तो हो जाती है. यहां वह अपने जीजा और तेजेंद्र के बड़े भाई के साथ कुछ दिन गुजार कर चैनसुकून की सांस ले पाती है.

उस ने उस से कहा भी, ‘‘जुगुनी, कभीकभार मायके आ कर रह जाया करो. मन बहल जाया करेगा. करमजले तेजेंद्र से दूर रह कर थोड़ी सी राहत तो तुम्हें मिल ही जाती है. यहां रहोगी तो हमारे प्रयास से तुम पेट से भी हो सकोगी. हम जल्दी ही मौलवियों, ज्योतिषियों, कर्मकांडियों और तुम्हारे जीजाजी के प्रयास से कुछ न कुछ करने में सफल हो ही जाएंगे. अब तो तुम्हारे जेठ भी तुम में बहुत दिलचस्पी लेने लगे हैं. वे तुम्हारे लिए बड़े चिंतित रहते हैं, कहते हैं कि जुगुनी को तेजेंद्र के रूप में नालायक शौहर मिला है.’’

वापस मुंबई लौट कर जुगुनी बहुत खुश थी. तेजेंद्र ने उस से कईर् बार उस की खुशी का राज जानना चाहा. वह बारबार एक ही बात कहती, ‘‘तुम्हें इतनी जलन क्यों हो रही है?’’

तेजेंद्र मायूस हो जाता, ‘‘मुझे जलन क्यों होने लगी? क्या मुझे तुम्हारी खुशी में शामिल होने का हक नहीं है?’’

तब वह तुनक उठती, ‘‘तुम्हें तो असली खुशी अपने भाईबहनों के साथ मिलती है. तुम्हें तो उन्हीं से शादी कर लेनी चाहिए थी.’’ वह चुप हो जाता, फुजूल में बात का बतंगड़ बनाने से क्या फायदा.

मायके से लौटने के बाद जुगुनी के तेवर बदलेबदले से थे. वह बारबार तेजेंद्र से उस की तनख्वाह और खर्च के बारे में पूछने लगी थी. पहले तो तेजेंद्र झल्ला गया, फिर, उस ने शांत मन से बतलाया, ‘‘मैं तो खर्चे का पैसा यथास्थान डब्बे में डाल ही देता हूं जहां से जिसे जितनी जरूरत हो, निकाल सकता है. कभी मैं ने यह नहीं पूछा कि किस मद में कितना पैसा खर्च हुआ है. तुम्हें भी अपने व्यक्तिगत खर्च के लिए पर्याप्त पैसे दे देता हूं. फिर तुम ये सब क्यों पूछ रही हो?

घर के लिए कमाता हूं और घर पर ही खर्च करता हूं. मेरी कोई ऐसीवैसी नाजायज आदत तो है भी नहीं कि पैसे का दुरुपयोग करूं. हां, तुम जब चाहो, मुझ से हिसाब ले सकती हो.’’ जुगुनी आवेश में आ गई, ‘‘हांहां, मुझे सब पता है. तुम झूठे नंबर वन हो. सारा पैसा अपने घर, अपने भाईबहनों को भेज देते हो. तभी तो हमें इतनी तंगहाली में दिन गुजारने पड़ रहे हैं. उन कमीनों ने तुम्हारे ऊपर जादू कर के तुम्हें अपने वश में कर रखा है.’’

ये भी पढ़ें- दर्द का सफर: जीवन के दर्द पाल कर बैठ जाएं तो..

रोजरोज के ऐसे ताने सुन कर तेजेंद्र गुस्से में आ जाता. वह सोचता कि इतने रुपए खर्च करने और इतने आरामऐश से रखने पर भी जुगुनी की शिकायत बनी रहती है. पर वह कोई जवाब दिए बिना ऊपर छत पर चला जाता.

जुगुनी के मायके से आने के बाद कोई 2 हफ्ते ही गुजरे होंगे कि उस का जी मतलाने और सिरदर्द तथा बुखार आने की वजह से तेजेंद्र उसे डाक्टर के पास ले गया. डाक्टर ने सारे चैकअप करने के बाद बताया कि जुगुनी गर्भवती है. डाक्टर की घोषणा पर तेजेंद्र झूम उठा, ‘‘अरे, मैं ने तो इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि तुम्हारा पति बनने के बाद पिता भी बनना होगा.’’ उस ने डाक्टर के यहां से घर लौटते समय रास्ते में ही मिठाई खरीदी और पड़ोस के हरेक घर में बंटवाई.

अगले दिन, औफिस में दोस्तों का भी मुंह मीठा करवाया. जुगुनी ने अम्मा को फोन कर के यह खुशखबरी दी तो उधर की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी थी, ‘‘देखा न, मेरे कर्मकांडों का असर. अगर यह सब मैं न करती तो तुम्हें जीवनभर बांझ औरत होने का ताना खुद अपने ससुरालियों और पति से सुनना पड़ता. अब तेजेंद्र को उस औफिस वाली रखैल को छोड़ कर वापस तुम्हारे पास आना ही पड़ेगा.’’

जीजा और कमलेंद्र की ओर से भी शुभकामनाएं आईं. पर, जुगुनी इस उधेड़बुन में थी कि वह किस को धन्यवाद दे? मुंबई वाले मौलवी को या अपने मायके वाले कर्मकांडियों को या अपनी रिश्ते की बहन-कल्लो को, या तेजेंद्र के भाई को? सभी ने उसे पेट से होने के लिए क्याक्या उपाय नहीं किए थे.

महीने और साल गुजरते गए. पहला बेटा होने के कोई 5 वर्षों बाद दूसरी संतान बिटिया के रूप में हुई. तेजेंद्र ने एक आदर्श परिवार का निर्माण किया. वह जिस तर्कपूर्ण वैज्ञानिक दौर में जी रहा था, उस में उस ने अपने बलबूते पर एक अच्छे इलाके में अपने लिए एक घर लिया, एक कार खरीदी और जरूरत के अधिकतर सामान इकट्ठे किए.

आगे पढ़ें- कहीं किसी औघड़ द्वारा तावीज पहन कर उसे…

ये भी पढ़ें- इशी: आर्यन ने कौन सी गलती कर दी थी

Serial Story: ऐसी जुगुनी (भाग-4)

लेखक- डा. मनोज श्रीवास्तव

कहीं किसी औघड़ द्वारा तावीज पहन कर उसे ये चीजें मुहैया नहीं हुईं, जबकि सास का यह दावा था कि उस के अमुक पूजापाठ करवाने की वजह से तेजेंद्र एयर कंडीशन और वाशिंग मशीन खरीद सका. मेरे द्वारा फलानी देवी मइया के दर्शन से वह कार और स्कूटर खरीद पाया और प्रयाग में महाकुंभ स्नान करने पर वह अपने मकान में गृहप्रवेश कर सका.

अगर वह इतने ढेर सारे तामझाम और टोनेटोटके न करती तो वह सड़कछाप ही रह गया होता. बहरहाल, घर में कीमती सामान इकट्ठे कर के जुगुनी पूरे महल्ले में इतरा रही थी और पड़ोसवाले दिनेशजी, राय साहब व चौधरी साहब के बराबर अपनी हैसियत होने का वहम पाल रही थी.

पर, उफ्फ, तेजेंद्र के साथ सब से बुरी बात यह हुई कि छोटी बहनों में दूसरे नंबर की बहन मीठी की अचानक मौत हो गई. डाक्टरों ने कभी उसे क्षयरोग की दवा दी तो कभी निमोनिया की. कभी उसे पीलिया से ग्रस्त बताया गया तो कभी थैलीसीमिया से.

दरअसल, उसे तो कोई बीमारी हुई ही नहीं थी. बस, भावुक होने की वजह से सदमे में रहने लगी थी कि अब क्या होगा. 2 बेरोजगार भाइयों और 2 अनब्याही बहनों तथा एक परित्यक्त स्त्री (बहन) के परिवार का बेड़ा पार कैसे होगा? बड़े भाई ने अपनी जिम्मेदारियों से बहुत पहले ही किनारा कर लिया था. तेजेंद्र भी अपनी पत्नी के दबाव में उन के लिए कुछ भी कर पाने में असमर्थ था. यहां तक कि उन से मिलने की युक्ति भी नहीं कर पाता था. जुगुनी उसे बातबात में लांछित करती रहती थी.

ये भी पढ़ें- अब मैं नहीं आऊंगी पापा: पापा ने मेरे साथ ये क्या किया

अपनी मौत से ठीक एक दिन पहले मीठी ने खुद फोन कर के तेजेंद्र से निवेदन किया, ‘‘भैया, आप तुरंत मेरे पास आ जाइए. मेरी तबीयत बहुत खराब चल रही है. आप आ जाएंगे तो मुझे ढाढ़स मिलेगा. मेरा मनोबल बढ़ेगा और मैं ठीक हो जाऊंगी.’’

तेजेंद्र ने उसे दिलासा दिया, ‘‘मैं यहां तुम्हारी भाभी से इजाजत ले कर शीघ्र आने का बंदोबस्त कर रहा हूं.’’ पर उसे तो बेहद डर लग रहा था कि अगर उस ने बीमार मीठी से मिलने जाने के लिए जुगुनी से कुछ कहा तो वह झगड़ाफसाद करने पर उतारू हो जाएगी और उसे किसी कीमत पर वहां नहीं जाने देगी. सारे गड़े मुर्दे उखाड़ने और दहेज के स्कूटर को वापस लेने के मुद्दे पर झगड़ने लगेगी.

लेकिन, अफसोस कि इस के पहले वह जुगुनी से इस बारे में बात करता, अगले ही दिन मीठी की तबीयत बिगड़ गई और उस के दिल की धड़कन रुक गई. तेजेंद्र को फोन पर खबर मिली कि मीठी नहीं रही.

वह बेहद आहत हुआ. मीठी के अंतिम शब्द थे, ‘कोई बड़ा आदमी घर में नहीं है.’ क्योंकि जब वह अंतिम सांसें ले रही थी, न तो पिताजी घर पर थे, न ही गजेंद्र. कमलेंद्र भाईसाहब के उपस्थिति होने की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती थी. बस, उस की बड़ी और छोटी दोनों बहनें नंदिनी और रोशनी तथा तेजेंद्र का छोटा भाई प्रेमेंद्र ही उपस्थित थे. कमलेंद्र और तेजेंद्र तथा छोटा भाई गजेंद्र उस की अंत्येष्टि में मौजूद हुए. कमलेंद्र का परिवार अंत्येष्टि और दूसरे क्रियाकर्म में शामिल होने के लिए बाद में आया जबकि तेजेंद्र की पत्नी जुगुनी मीठी के शव के पास बैठ कर घडि़याली आंसू बहाती रही. जुगुनी के बड़े भाई शांताराम ने अंत्येष्टि के बाद के कर्मकांडों में पहुंचने का नाटक किया जबकि उस के मांबाप ने एक दिन पहुंच कर वहां अपनी मौजूदगी दर्ज की. अम्मा ने जुगुनी को एक कोने में ले जा कर उस के कान से अपना मुंह सटा दिया, ‘‘देखो जुगुनी, आगेआगे होता है क्या? तेरी ससुराल में बचेखुचे लोगों का भी सफाया जल्दी ही होने वाला है. मैं अपने कर्मकांडों के बल से खुद डायन बन कर लोगों के जीवन से खेल सकती हूं, यह मेरा दावा है. सारी दुनिया में उथलपुथल मचा सकती हूं.’’ तब, जुगुनी ने मुसकरा कर अम्मा को शांत रहने की सलाह दी.

जवान और अनब्याही बहन के निधन पर भाईबहन और सगेसंबंधी सभी व्याकुल थे. तेजेंद्र पश्चात्ताप की आग में जलता रहा, ‘काश, मैं मीठी के बुलाने पर समय से पहुंच गया होता तो इस अनिष्ट को रोका जा सकता था.’

बहरहाल, जब वह सारा कर्मकांड पूरा करा कर वहां से वापस मुंबई पहुंचा तो जुगुनी का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ था. उस ने मुंबई पहुंचते ही अपने जवान हो रहे बेटे अनुग्रह के कान भर कर उसे अच्छी तरह पढ़ालिखा दिया था कि तुम्हारे चाचाबूआ तुम्हारे पापा के टुकड़ों पर पल रहे हैं और तुम्हारे पापा अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा उन के खर्चे के लिए हर माह भेज देते हैं. अनुग्रह को लगा कि उस का हक उस के चाचाबूआ मार रहे हैं. सो, वह अपने पिता की न केवल पूरी तरह अवज्ञा करने लगा, बल्कि उन से बदतमीजी से पेश भी आने लगा.

जुगुनी ने पता नहीं किस तरह उसे भड़काया कि एक दिन वह सारी हदें लांघ गया और उस ने अपने पापा पर हाथ उठा दिया. तेजेंद्र अपने बेटे की मार खा कर शर्र्म से जारजार हो गया. उस का जी कर रहा था कि वह खुदकुशी कर ले. पर, उस के सामने तो घर की जिम्मेदारियां थीं, जिन्हें वह पूरा कर के ही इस दुनिया से कूच करेगा.

वह छत पर चला गया और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. वह विषम परिस्थितियों से बेहद डर गया. अब उसे ऐसी स्थिति से बचना चाहिए ताकि वह अपने बेटे की हिंसा का शिकार न हो.

पर, जुगुनी तो उस की हालत देख, मन ही मन खुश हो रही थी. उस ने झट अम्मा को फोन लगा कर इस बारे में जानकारी दी, ‘‘आज तेजेंद्र को हम ने बेबस व लाचार कर दिया है. कितनी अच्छी बात है कि अनुग्रह अब मेरा साथ दे रहा है और उस ने आज अपने बाप की पिटाई भी की है. पर, वह बेहया, अपनी हरकत से बाज आने वाला नहीं है. वह अभी भी अपने भाईबहनों के लिए बेचैन है.’’

अम्मा खुशी से चहक उठी, ‘जुगुनी, अभी कल मैं देवी मइया के दर्शन करने गई थी. मैं ने उन से मांगा था कि वे जल्दी से जल्दी मेरी जुगुनी की जिंदगी संवार दें. अहा, मइया की कृपा तत्काल हो गई है. देखना, अब तू गिनती के कुछ दिनों में आबाद हो जाएगी. कोई भूचाल आएगा जिस में तेजेंद्र और उस के परिवार वाले मीठी की तर्ज पर बिना वजह कुत्ते की मौत मरेंगे और तू तेजेंद्र की मिल्कियत पर राज करेगी. यह तुझ से मेरा वादा है.’’

अम्मा से बातचीत बंद होते ही जुगुनी का भाई शांताराम, जिस ने पड़ोस में ही मकान ले रखा था, आ धमका. दरअसल, तेजेंद्र के किसी पड़ोसी ने उस के घर में होहल्ला सुन कर उसे जा कर बता दिया था कि तेजेंद्र और जुगुनी के बीच आजकल खूब ठनी हुई है और ऐसे मौके का मजा लेने के लिए तुम्हारा वहां मौजूद होना जरूरी है. सो, शांताराम ने आते ही चुटकी ली, ‘‘मेरे इशारे पर सही जा रही हो, जुगुनी. कुछ समय पहले जब तेजेंद्र के भाईबहन भी आए हुए थे, मैं ने देखा था कि अनुग्रह अपने चाचाबूआओं से बड़े प्यार और इज्जत से पेश आ रहा था. मुझे अनुग्रह को उन के इतना करीब पा कर बेहद डाह हो रही थी. तब, मैं ने तुम से कहा था कि जुगुनी, तुम्हें अपने बच्चों के मन में ऐसी ऊलजलूल बातें डालनी होंगी कि वे अपने चाचाबूआओं से घोर नफरत करने लगे.

ये भी पढ़ें- फुरसतिया इश्क: लोकेश के प्यार में पागल थी ममता

‘‘आज मुझे कितनी खुशी हो रही है कि तुम ने मेरे सबक पर अमल किया. अनुग्रह ने अपने बाप की पिटाई कर के मेरे मन को बहुत ठंडक पहुंचाई है. वह तो उस का दुश्मन बन गया है. अब देखना, तुम्हारे अच्छे दिन आने वाले हैं. तुम कुछ ही समय में फलनेफूलने लगोगी.’’

तब जुगुनी ने शांताराम के कान में फुसफुसा कर कहा, ‘‘वो मुआ तेजेंद्र ऊपर कमरे में खुद को बंद कर के शोक मना रहा होगा. दरअसल, वह अपने भाईबहनों से मोबाइल पर बात कर रहा होगा. वह उन से छिपछिप कर बात करने से कभी बाज नहीं आएगा.’’

अत्यंत उपेक्षित और अपमानित हो कर तेजेंद्र छत पर बने अलग कमरे में रहने लगा था. जुगुनी अपनी अम्मा से पाठ पढ़ कर उसे मानसिक रूप से और भी प्रताडि़त करने लगी थी.

जैसे ही वह नीचे की मंजिल पर किसी काम से आता, वह ताने देने लगती, ‘‘अपनी रसोई भी ऊपर ही कर लो. नीचे अपनी मनहूस शक्ल दिखाने क्यों आ जाते हो?’’ तब, अनुग्रह भी व्यंग्य करने से बाज नहीं आता. लेकिन, मन से तनिक भावुक बेटी रचना, जो अपने भाई से 5 साल छोटी थी, बड़ी सहानुभूति से पापा को देखती. पर, मम्मी के डर से उस के पक्ष में कुछ भी न बोल पाती. वह सशंकित होती कि मम्मी उस की शिकायत नानी अर्थात अम्मा से न कर दें.

तेजेंद्र का मन दुनिया से उचटता जा रहा था. पत्नी ने तो उसे औरत का सुख कभी दिया ही नहीं, बेटे ने भी उस का दिल खूब तोड़ा जबकि उस ने अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाई थीं. अपनी पैतृक विरासत और रिश्तों से भी वह दूर होता जा रहा था.

एक दिन शाम को औफिस से लौट कर उसे अचंभा हुआ. उस ने नीचे की मंजिल में झांक कर देखा कि जुगुनी की अम्मा, भाई शांताराम और जीजा दोनों ड्राइंगरूम में आ कर जमे हुए हैं. पता नहीं, वे कब आए और क्यों? उस ने छिप कर उन की बातें सुनी. उसे यह जान कर अत्यधिक क्षोभ हुआ कि वे सारे उसे येनकेनप्रकारेण किनारे लगाने की साजिश रच रहे हैं. वह बेहद रोंआसा और संजीदा हो गया. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उस की ससुराल वाले ही नहीं, खुद उस की पत्नी भी उस से किनारा करना चाहती है.

मानसिक तनाव से उस का सिर फटने लगा. ब्लडप्रैशर से दिल में दर्द भी होने लगा. तब उस ने सिरदर्द की एक गोली ली और छत पर जा कर दरवाजे पर सांकल चढ़ाया और जमीन पर ही लेट गया. लेटे ही लेटे उस ने सीलिंग फैन की ओर देखा, फांसी लगा कर आत्महत्या कर लेने से ही मेरी दैहिकमानसिक अशांति का शमन होगा. पर, उस ने आखिरकार अपने कदम वापस खींच लिए, अभी तो बेटे अनुग्रह को उच्चशिक्षा दिलानी है और जवान हो रही बिटिया की शादी करनी है.

अभी मुझे तो आत्महत्या का खयाल तक नहीं लाना चाहिए, अन्यथा लोग क्या कहेंगे कि इस ने अपनी जरूरी जिम्मेदारियां तक नहीं निभाईं, फिर जैसे ही उस ने सीढि़यां उतरने के लिए जमीन से उठने की कोशिश की, वह संभल नहीं पाया और बैड पर ही निढाल लुढ़क गया. शायद, ब्लडप्रैशर ज्यादा बढ़ गया था.

सुबह जब देर तक तेजेंद्र का दरवाजा नहीं खुला तो जुगुनी ने शांताराम को बुला भेजा, वह मुआ अभी भी नींद के खुमार में ऊपर बैड तोड़ रहा है. उस से पूछो कि उसे औफिस जाना है या नहीं? जुगुनी लगातार भुनभुनाती जा रही थी.

लेकिन, कई बार जोरजोर से आवाज लगाने और दरवाजा पीटने पर भी जब तेजेंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो जुगुनी ने ताना कसा, ‘‘लगता है, उस ने नींद की गोली खा रखी है?’’ आखिरकार, शांताराम ने दरवाजा पड़ोसियों की मदद से तोड़ दिया. अंदर प्रवेश कर जब उस ने बैड पर पड़े तेजेंद्र का बदन हिलाया तो उस में कोई हरकत नहीं हुई. वहां खड़ी जुगुनी ने फिर चुटकी ली, यह तो ऐसे ही घोड़ा बेच कर सोता है.

फिर शांताराम ने उस की नाड़ी टटोली और सीने पर हाथ रखा तो वह एकदम से हड़बड़ा उठा, ‘‘अरे, इस की तो सांस ही नहीं चल रही.’’ तब तक पड़ोस के डाक्टर हितेश भी आ चुके थे, उन्होंने तेजेंद्र की जांच की और सिर झुका लिया, ‘‘ही इज नो मोर. ही डाइड औफ अ सीवियर हार्ट अटैक.’’

ये भी पढ़ें- कंगन: जब सालों से बाद बेटे के सामने खुला वसुधा का राज

जब शांताराम ने जुगुनी को आंख मार कर कुछ गुप्त इशारा किया तो उस ने माहौल के मुताबिक अपनेआप को ढालते हुए रोने का नाटक शुरू कर दिया. जब तक महल्ले वाले शोरगुल सुन कर इकट्ठे होते, जुगुनी झट रूमाल पानी से भिगो कर आंखें पोंछते हुए दहाड़ें मारमार कर रोने लगी. जमीन पर हाथ पटकपटक कर चूडि़यां तोड़ीं, मांग में लगा सिंदूर मिटाया. उस की अम्मा को उस के इस सिद्धहस्त व्यवहार को देख बड़ा अचंभा हो रहा था कि उस की बेटी तो उस से भी बढि़या नौटंकी कर लेती है.

पूरे तेरह दिनों तक चलने वाली तेजेंद्र की अंत्येष्टिक्रिया के समापन के बाद ताजी जानकारी यह है कि जुगुनी के जीजा स्थायी तौर पर मुंबई में बस चुके हैं तेजेंद्र द्वारा जमाई गई गृहस्थी में. अम्मा  ने भी वहां पक्का डेरा जमा लिया है जबकि तेजेंद्र के बड़े भाई कमलेंद्र, जिन की जुगुनी पर विशेष कृपा थी, का आनाजाना लगा रहता है. जुगुनी अपने रचे हुए इस नए संसार में बेहद खुश नजर आ रही थी. ऐसा लग रहा था मानो बुराई ने अच्छाई को निगल लिया हो.

‘अनुपमा’ के वनराज का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का घरवालों के सामने होगा भंडाफोड़, आएगा नया तूफान

सीरियल अनुपमा में आए दिन नया ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. जहां वनराज के हाथ से धीरे-धीरे उसके सभी अधिकार छिनते नजर आ रहे हैं तो वहीं अनुपमा का अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरु करने का इरादा सख्त होता जा रहा है. इसी बीच शो में फैमिली का हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिलने वाला है, जिसका अंदाजा शो के नए प्रोमो से लगाया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या है प्रोमो में खासा…

वनराज का सच आएगा सामने

मेकर्स की ओर से रिलीज किए गए सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) के प्रोमो में दिखाया गया है कि जहां वनराज धूमधाम से काव्या का जन्मदिन मना रहा है. वहीं ऐन मौके पर परिवार के साथ आकर अनुपमा वनराज के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का भंडाफोड़ कर देती है. वहीं खबरों कि मानें तो वनराज के अफेयर का सच सामने आने के बाद उसका पूरा परिवार उससे किनारा करने वाला है, जिसके कारण वनराज के दिल में अनुपमा के लिए नफरत देखने को मिलेगी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by StarPlus (@starplus)

ये भी पढ़ें- वाइफ गिन्नी के साथ ट्रिपल सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहे हैं कपिल शर्मा! पढ़ें खबर

अनुपमा पर हाथ उठाता है वनराज


बीते एपिसोड में आपने देखा कि अनुपमा को दिवाली की पूजा करता देख वनराज गुस्से में उसपर हाथ उठाने की कोशिश करता है. हालांकि जवाब देते हुए अनुपमा उसे रोक लेती है. अनुपमा उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है कि आज के बाद अगर उन्होंने उसपर या उसके परिवार पर आवाज उठाई या हाथ उठाया तो, इसका अंजाम बहुत बुरा होगा. वहीं काव्या भी वनराज से अनुपमा को लेकर गुस्से में नजर आ रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by StarPlus (@starplus)

बता दें, परितोष और किंजल की शादी की बात टालने की कोशिश करती राखी की मां को वनराज और काव्या के अफेयर का सच पता चल चुका है, जिसके बाद वह अनुपमा के पूरे परिवार की धज्जियां उड़ाने के लिए जी जान लगाती नजर आने वाली है.

ये भी पढ़ें- REVIEW: बेहतरीन डॉर्क कॉमेडी और पल्प एक्शन ड्रामा है ‘ए सिंपल मर्डर’

REVIEW: बेहतरीन डॉर्क कॉमेडी और पल्प एक्शन ड्रामा है ‘ए सिंपल मर्डर’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः जार पिक्चर्स

निर्देशकः सचिन पाठक

कलाकारः मोहम्मद जीशान अयूब, प्रिया आनंद, अमित सियाल,  सुशांत सिंह,  यशपाल शर्मा , अय्याज खान.

अवधिः 30 से 36 एपीसोड के सात एपिसोड, कुल अवधि तीन घंटे पैंतालिस मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

वेब सीरीज‘‘रंगबाज फिर से’’से चर्चा में आए निर्देशक सचिन पाठक इस बार क्राइम थ्रिलर के साथ डार्क कॉमेडी वाली वेब सीरीज‘‘ए सिंपल मर्डर’’लेकर आए हैं. जिसमें कई मर्डरों के पीछे लालच ही मूल वजह है. तो वहीं औनर किंलिंग के अलावा ‘लव जिहाद’भी है.

कहानीः

मनीष (मोहम्मद जीशान अयूब)एक स्टार्ट अप उद्यमी है, जो आकंठ कर्ज में डूबा हुआ है, उसे लगता है कि उसकी किस्मत सोयी हुई है. मनीष ने ऋचा (प्रिया आनंद) से शादी की है, जो अब इस शादी से उब चुकी है और अपने विवाहित बॉस राहुल (अयाज खान)के साथ गुप्त संबंध रखती है, पर उसे इस बात का अहसास ही नही है कि राहुल उसे भी धोखा देते हुए मधु संग रंगरेलियां मना रहा है.

मनीष अपने व्यवसाय को गति प्रदान करने के लिए निवेशक की तलाश में है. एक दिन उसे एक निवेशक मिलने के लिए बुलाता है, मगर कुछ गलतफहमी के चलते मनीष पंडित (यशपाल शर्मा) के पास पहुंच जाते हैं, जो कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट किलर मानकर एक युवा लड़की को मारने की सुपारी देते हुए उसे पांच लाख रूपए भी देता है. यह लड़की मंत्री  प्राण की बेटी प्रिया (तेजस्वी सिंह)है, जो कि एक मुस्लिम लड़के उस्मान(अंकुर पांडे)  से प्रेम विवाह करने जा रही है. यह बात मंत्री जी को पसंद नही है, इसलिए पंडित के माध्यम से मंत्री अपनी बेटी से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं. पांच लाख रूपए देखकर मनीष, प्रिया की हत्या करने का मन बना लेते हैं. और इन पांच लाख रूपयों से बैंक की ईएमआई चुका देते हैं. शाम को पृथ्वी बार में शराब की टेबल पर हिटमैन हिम्मत सिंह (सुशांत सिंह)से मनीष की मुलाकात होती है. हिम्मत सिंह उसे सलाह देता है कि जिसकी हत्या करनी हो, उसकी आंखों में मत देखना.

ये भी पढ़े-ं ‘अनुपमा’ का शो नहीं देखता रियल बेटा, कारण जानकर हो जाएंगे Shocked

उधर मधु भी अपने एक अन्य प्रेमी व हिटमैन संतोष (अमित सियाल) को मूर्ख बना रही है. वह संतोष से मिले पांच करोड़ रूपयों के संग राहुल के साथ विदेश भागने की तैयारी में है. प्रिया व उस्मान को पंडित ने मधु के बगल वाले मकान में ठहराया है. मगर मनीष गलती से मधु की हत्या कर पांच करोड़ रूपए लेकर अपने घर जाता है. इन रूपयों को देखकर ऋचा पांच करोड़ रूपए लेकर भाग जाती है. इधर हिम्मत सिंह को पता चलता है कि पंडित जी ने मनीष को उसका आदमी समझकर उसे पांच लाख रूपए दे दिए हैं. तो वह मनीष के घर पहुंच जाता है. अब मनीष व हिम्मत सिंह, ऋचा की तलाश में निकलते हैं.

उधर संतोष को पता चलता है कि किसी ने उसकी प्रेमिका मधु की हत्या कर उसके पांच करोड़ लेकर चला गया. वह अपने तरीके से जांच करता है, तो उसे राहुल पर शक होता है. अब हर कोई पांच करोड़ रूपए की तलाश में हैं. हिम्मत सिंह व संतोष दोनो पंडित के लिए काम करते हैं, पर अब एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. पुलिस और पंडित जी प्रिया व उस्मान को खत्म करना चाहते हैं. अचानक मनीष व हिम्मत सिंह तय करते हैं कि प्रिया व उस्मान को जीवित रखना है. फिर कहानी कई मोड़ों से होकर गुजरती है.

लेखनः

लेखकद्वय अखिलेश जायसवाल और प्रतीक पयोधि समय समय पर धूर्त हास्य व आश्चर्य जनक मोड़ जरुर लेकर आते हैं. मगर कई घटनाक्रमों का दोहराव है. पीठ में छूरा घोपना, विश्वासघात,  हत्याएं वगैरह सब कुछ है. छठे एपीसोड में कथा थोड़ी गंभीर हो जाती है. पर क्लायमेक्स बहुत गड़बड़ है. परिणामतः वह ‘चूहे ’ व ‘बिल्ली’ के खेल में दर्शकों को उतना प्रभावित नही कर पाते, जितना कर सकते थे.

यॅूं तो लेखकों ने जीवन के कुट अनुभवों को ही कहानी का आधार बनाया है. इस वेब सीरीज में हत्याओं के पीछे मूल वजह लालच हैं. यह लालच भी कटु सत्य ही है. इसमें अपने सांसारिक जीवन से तंग हो चुके, कुछ अधिक हासिल करने की कोशिश कर रहे, कुछ अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए व कुछ सिर्फ अपने लालच के कारण इस झमेले में फंसे हैं. ‘‘लव जिहाद’’के एंगल को उठाने से बचा जा सकता था. पर इस पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया गया है. एक जगह पंडित जी मुस्लिम युवक उस्मान पर बंदूक तानते हुए कहते हैं-‘‘हिंदू लड़की को प्यार करेगा. ’’

निर्देशनः

इस बार निर्देशक सचिन पाठक ने पहले कुछ चूक गए हैं. जिसके चलते  कई दृश्यों में दोहराव नजर आता है. इसे एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की भी जरुरत थी.

यह प्यार के सपनों,  आकाक्षाओं,  जरुरतों, लालच, भूख,  विश्वास,  तकदीर, पाप व पुण्य पर व्यंगात्मक मुस्कान वाली फिल्म है. इसमें इस बात का सटीक चित्रण है कि समय समय पर एक इंसान की मानवता व नैतिकता किस तरह बदलती रहती है.

अभिनयः

सुशांत सिंह व अमित सियाल का अभिनय शानदार है. सुशांत सिंह को नजरअंदाज करना आसान नहीं है, वह मानवीय हिटमैन के रूप में शानदार हैं. संतोष के किरदार में अभिनेता अमित सियाल कम प्रतिभावान नही है. शायरियां सुनाते हुए जिस शंात मन के साथ वह हत्याएं करते हैं, उनकी इस अदा पर दर्शक फिदा हो जाता है. यह उनके अभिनय का कमाल है कि जब तक आवश्यक न हो, उनका भयानक रूप सामने नहीं आता है.

मोहम्मद जीशान अय्यूब एक अच्छे अभिनेता हैं, इसमें कोई दो राय नही है. वह अपने मनीष के किरदार के साथ पूर्ण न्याय करते हैं. जब मनीष के किरदार में मो. जीशान अयूब आंसू से भरे चेहरे के साथ अपने  दर्द को चूहे के संग साझा करते हैं, तो यह मोनोलॉग वाला दृश्य कमाल का है. यहां मो. जीशान अयूब का शानदार अभिनय सामने आता है. 2017 में फिल्म‘समीर’में वह नायक हीरो थे, उसके बाद अब उन्हे यह दूसरा मौका मिला है, जिसमें उन्होने साबित कर दिखाया कि वह एक बेहतरीन अभिनेता है.

पंडित जी के किरदार को जिस अंदाज में अभिनेता यशपाल शर्मा ने जीवंत किया है, वह कमाल का है. वैसे लेखक व निर्देशक ने उनके किरदार को ज्यादा विस्तार नहीं दिया है. पर उनके हिस्से कुछ अच्छे संवाद जरुर हैं.

पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार में विक्रम कोचर कमजोर पड़ गए हैं. जबकि गोपाल दत्त हंसाने में कामयाब रहे हैं. भी प्रभावित करते हैं. पृथ्वी बार के वेटर शंकर के किरदार में दुर्गेश कुमार का अभिनय अच्छा ही है, वह जिस दृश्य में आते हैं, वह दृश्य अपने नाम कर ले जाते हैं.

ये भी पढ़ें- गुस्से में अनुपमा पर हाथ उठाएगा वनराज, आएगा नया ट्विस्ट

ऋचा के किरदार में प्रिया आनंद निराश करती हैं. कुछ दृश्यो में वह मासूम जरुर नजर आती हैं. उनके अंदर कलाकार के तौर पर आत्मविश्वास का घोर अभाव नजर आता है. उन्हे काफी कुछ सीखने व मेहनत करने की जरुरत है. इसके अलावा तेजस्वी सिंह, अंकुर पांडे, विनय वर्मा, वेदिका दत्त ने ठीक ठाक अभिनय किया है.

वाइफ गिन्नी के साथ ट्रिपल सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहे हैं कपिल शर्मा! पढ़ें खबर

कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच जहां बौलीवुड और टीवी के सितारों ने शादी कर ली तो वहीं कुछ सितारों की प्रैग्नेंसी की न्यूज से फैंस चौंक गए. वहीं अब इस लिस्ट में पौपुलर कौमेडियन कपिल शर्मा (Kapil Sharma) का नाम भी जुड़ने जा रहा है. खबरों की मानें तो कपिल शर्मा की वाइफ प्रैग्नेंट हैं तो वहीं इसके साथ उनकी जिंदगी में और नई खुशियां आने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

जनवरी में बन सकती हैं मां

रिपोर्ट्स के मुताबिक गिन्नी चतरथ की डिलीवरी डेट जनवरी महीने में हैं. यानी 2 महीने बाद कपिल शर्मा और गिन्नी चतरथ के घर दोबारा किलकारियां गूंजने वाली है. दरअसल, कपिल शर्मा और गिन्नी चतरथ की बेटी अनायरा का दिसबंर में पहला बर्थडे आने वाला है, जिसके बाद दूसरे बच्चे की खुशखबरी से सभी खुश होंगे. वहीं 12 दिसंबर को कपिल शर्मा और गिन्नी चतरथ की दूसरी वेडिंग एनिवर्सिरी भी मनाने वाले है, जिसके चलते इस बार कपिल शर्मा अपनी फैमिली के साथ ट्रिपल सेलिब्रेशन मनाते नजर आने वाले हैं. हालांकि अभी इस प्रैग्नेंसी को लेकर कोई खुलासा नही किया गया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

ये भी पढ़ें- ‘बिग बॉस 12’ फेम जसलीन मथारू बनी मॉर्डन दुल्हन तो लोगों ने किया जमकर ट्रोल

12 किलो घटाया है वजन

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

लौकडाउन के बीच कपिल शर्मा इन दिनों वजर कम करने में ध्यान दे रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने करीब 12 किलो वजन घटा लिया है.  कपिल शर्मा ने अपने शो के दौरान बताया था कि वह वजन घटाने की मुहिम में जुटे हुए हैं. दरअसल, कपिल शर्मा जल्दी ही एक वेब सीरीज में नजर आने वाले हैं. जिसके लिए वो खुद को फिट कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ‘अनुपमा’ का शो नहीं देखता रियल बेटा, कारण जानकर हो जाएंगे Shocked

बता दें कि  ‘किस किस को प्यार करूं’ बौलीवुड फिल्म के साथ कपिल शर्मा लीड रोल में नजर आ चुके हैं, जिसके बाद उनकी वेबसीरीज को देखना दिलचस्प होगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें