लाइलाज नहीं हैं Irritable Bowel Syndrome

40 वर्षीय वर्किंग वुमन सुनीता पिछले कई महीनों से अपने पेट की बिमारी से पीड़ित थी, उसने कई महीनों तक इलाज करवाया, पर कुछ फायदा नहीं था, उसे प्राय: पेट में दर्द और लूज मोशन हुआ करता था, बार-बार उसे हौस्पिटल में एडमिट करवा दिया जाता था. सारे टेस्ट करवा डाले फिर भी ठीक नहीं हुई. जितने दिनों तक एंटीबायोटिक लेती थी, ठीक रहती थी. कुछ दिनों बाद फिर से शुरू हो जाता था, अंत में वह पेट के डौक्टर के पास गयी और पता चला कि उसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम है. जिसका इलाज कर आज वह इस बीमारी से निजात पा चुकी है.

remedies of irritable bowel syndrome

असल में  इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) पेट की एक आम बीमारी है. यह बीमारी बड़ी आंत को प्रभावित करती है. कुछ लोगों में ये लगातार बाउल मूवमेंट की वजह से डायरिया का रूप लेती है तो कुछ लोगों में बाउल मूवमेंट कम होने की वजह से कब्ज की शिकायत हो जाती है. जिससे पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द, मरोड़ होना, सूजन ,गैस ,कब्ज, डायरिया आदि समस्या हो जाती है. इस बारें में मुंबई के संजीवनी हौस्पिटल और सुश्रुषा हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डौ.समित जैन कहते है कि पेट की ये बीमारी 20 साल से लेकर 45 साल तक की महिलाओं और पुरुषों दोनों में कqमन है, इसकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. खासकर वर्किंग यंग लोगों में आजकाल 100 लोगों में से करीब 30 या 40 लोगों को ये बीमारी है. ये बीमारी तीन तरह की होती है.

  • आईबीएस डी
  • आईबीएस सी
  • आईबीएसएम

आई बी एस डी में डायरिया के लक्षण प्रमुखता से पाए जाते है ,जबकि आई बी एस सी में कब्ज के लक्षण होते है और आई बी एस एम् में दोनों के लक्षण कॉमन होते है. आम तौर पर रोगी पेट के दर्द की शिकायत करता है. उसके बाद डायरिया या कब्ज के अनुसार दवा दी जाती है. ऐसे रोगी की सारे रिपोर्ट नार्मल होते है. जैसे कि सी बी सी,सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, एंडोस्कोपी, स्टूल टेस्ट सब नार्मल होते है. ये समस्या लम्बे समय तक चलती है, मसलन 3 महीने से लेकर 6 महीना सालभर तक होती रहती है,लेकिन समय से इलाज़ करवाने और अपने जीवनशैली पर ध्यान रखकर इससे निजात पाया जा सकता है.

ये बीमारी अनुवांशिक नहीं है. ये अधिकतर उन्हें होती है जो अधिक स्ट्रेस या तनाव में जीते है, जिन्हें सही तरह से रात को नींद नहीं आती या किसी भी प्रकार के मानसिक बीमारी से पीड़ित है.

इसके जांच की कोई खास विधि नहीं है, इसे क्लिनीकल डायग्नोसिस के द्वारा ही पता लगाया जाता है. बाकी जांच इसलिए किया जाता है,ताकि कोई दूसरी बीमारी व्यक्ति को न हो. आजकल अधिकतर इस बीमारी से पीड़ित होने की वजह हमारी जीवन शैली है. जिसकी वजह से खान-पान सही मात्रा में नहीं हो पाता और व्यक्ति इससे पीड़ित हो जाता है, लेकिन सही इलाज और सही जीवन शैली से इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है. इसके लक्षण निम्न है,

  • पेट में दर्द या मरोड़ का होना,
  • कब्ज या डायरिया की शिकायत का होना,
  • पेट में गैस का बनना
  • पेट फूलना आदि

इस तरह के लक्षण अगर एक दो महीने तक चलता है, तो गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट के पास जल्द से जल्द जायें,ताकि इसका इलाज सही तरह से हो सके.इसका इलाज़ अधिकतर दवा से की जाती है. जिसमें व्यक्ति के एंग्जायटी के स्तर को भी कम करने के लिए दवा दी जाती है और उसकी काउन्सलिंग भी की जाती है. इसके अलावा खान-पान में सावधानियां बरतने के लिए कहा जाता है, जो निम्न है,

  • जिस भोजन से पेट में अधिक गैस बनती हो या जुलाप हो, उसे न खाएं
  • नियमित समय पर आहार लें
  • इसमें डेयरी प्रोडक्ट, बेकरी प्रोडक्ट जिसमें मैदा हो, उससे परहेज करें,अगर व्यक्ति को कब्ज की शिकायत हो तो फाइबरयुक्त भोजन लें
  • समय से अपनी नींद पूरी करें
  • जीवनशैली में बदलाव लायें
  • नियमित व्यायाम, जौगिंग या किसी स्पोर्ट्स को अपने जीवन में शामिल करें, इसे नियमित 20 से 60 मिनट, सप्ताह में 3 से 5 दिन करें, ताकि व्यक्ति का मानसिक संतुलन बना रहे
  • बाहर का खाना न खाएं, क्योंकि कई बार बाहर का खाना खाने के बाद इन्फेक्शन होने के बाद भी आई बी एस हो सकता है
  • किसी प्रकार के धूम्रपान, शराब या नशे से दूर रहें

इसके आगे डौक्टर समित जैन कहते है कि इस बीमारी से न तो वजन कम होता है और न ही हिमोग्लोबिन कम होता है और न ही स्टूल में ब्लड निकलता है. अगर इनमें से कुछ भी मरीज को हो, तो आई बी एस नहीं, बल्कि कोई और बीमारी हो सकती है. आई बी एस का इलाज़ कुछ महीनों तक ही चलता है और अगर रोगी ने अपनी जीवनशैली और खान-पान पर ध्यान रखा है, तो जल्दी ठीक होने की उम्मीद होती है. इसके मिथ ये है, ये जानलेवा नहीं, बल्कि कौमन बीमारी है इसमें कैंसर का खतरा नहीं होता, इसका इलाज संभव है.

मोटे हैं तो क्या गम है

हिंदी फ़िल्म का एक मशहूर गीत है – जिसकी बीवी मोटी उसका भी बड़ा नाम है…….  जी हाँ, मोटा या मोटी होना कोई अवगुण नहीं है, बल्कि इसके भी प्लस पॉइंट हैं. अब दक्षिण भारतीय फिल्मों की हेरोइनों को देखें या भोजपुरी फिल्मों की, कैसे मोटे और गठे शरीर की होने के बावजूद खूबसूरत और आकर्षक नज़र आती हैं. पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में भी हीरोइने कोई जीरो फिगर वाली नहीं, बल्कि तदरूस्त भरे-भरे शरीर वाली होती थीं, फिर चाहे वो पुरानी रेखा हो या हेमा मालिनी. जीरो फिगर के चलन ने तो बॉलीवुड में कोई दो दशक से ही ज़ोर पकड़ा है, वरना भोजपुरी, पंजाबी या दक्षिण भारतीय फिल्मों में तो आज भी गठे शरीर की अदाकाराओं की धमक है. वहां दुबली-पतली हीरोइनें मुश्किल से ही नज़र आती हैं.

भोजपुरी फिल्मों की तो दस टॉप हीरोइनें मोटी और गठे हुए शरीर की हैं. लेकिन वे बेहद आकर्षक और लोकप्रिय हैं. रानी चटर्जी, स्वीटी छाबड़ा, अंजना सिंह, चांदनी सिंह, काजल राघवानी, नेहा श्री सिंह, आम्रपाली दुबे, मोनालीसा, सीमा सिंह, शिखा मिश्रा, शुभी शर्मा, तन्नू चटर्जी, ये सभी भोजपुरी फिल्मों की नामचीन अदाकारा हैं और भरे-भरे जिस्मों की मालकिनें हैं. हरियाणा की सपना चौधरी को ही देख लीजिये. आप उनको दुबली-पतली तो हरगिज़ नहीं कह सकते, लेकिन वो कमाल की गायिका और नर्तकी हैं. उनके शो में इतनी ठसाठस भीड़ उमड़ती है कि तिल रखने की जगह नहीं होती. उनका आकर्षण ऐसा गज़ब का है कि लोग उनकी एक झलक पाने के लिए मरने-कटने को तैयार रहते हैं. अपने ज़माने में टुनटुन यानी उमा देवी के चाहने वालों की भी लम्बी कतार हुआ करती थी. टुनटुन ने तो अपने मोटापे को ही अपना फ़िल्मी करियर बना लिया था और खूब-खूब मशहूर हुईं.

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19वीं सदी में मोटापे को ही खूबसूरत समझा जाता था. ईरान की राजकुमारी ताज अल कजर सुल्ताना के बारे में कहा जाता है कि उसके भारी-भरकम शरीर ने सुंदरता के सभी मानकों को तोड़ दिया था. यहाँ तक कि उसके चेहरे पर मूंछे और घनी भौहें भी थीं, बावजूद इसके उन्हें काफी सुंदर माना जाता था. कहा तो यह भी जाता है कि उसके प्यार में बहुतेरे नौजवान पागल थे और 13 नौजवानों ने तो उनकों ना पाने के गम में खुदकुशी कर ली थी. ये सभी उसके दीवाने थे और उससे विवाह करने के इच्छुक थे, लेकिन राजकुमारी चूंकि पहले ही शादीशुदा थीं, इसलिए उन्होंने इनके प्रस्तावों को ठुकरा दिया जिससे बेचारों का दिल टूट गया. दरअसल राजकुमारी उस दौर की आधुनिक महिलाओं में से एक थी. वो पश्चिमी सभ्यता से काफी प्रेरित थी और वेस्टर्न कपड़े पहनती थीं. राजकुमारी कजर हिजाब उतारने वाली उस दौर की पहली महिला मानी जाती हैं. राजकुमारी का ये किस्सा पढ़कर आपको इस बात को समझ लेना चाहिए की मोटापा अभिशाप नही है लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा हर चीज़ बुरी होती है इसलिए फिट रहना बेहद ज़रूरी है.

अगर आपको अपने मोटे और गठे शरीर से कोई दिक्कत नहीं है, आपको कोई रोग नहीं है, आप चुस्त-दुरुस्त फील करते हैं तो यकीन मानिये मोटापा अच्छा है. जीरो फिगर या दुबलेपन को सौंदर्य का पैमाना बनाने वाले दरअसल उन कंपनियों के इशारे पर अपनी राय जनता पर थोपते हैं जो दुबलेपन की जेल, क्रीम, दवाएं, जिम  जैसे कारोबारों से जुडी हुई हैं और लोगों को बेवक़ूफ़ बना कर अपना उल्लू सीधा कर रही हैं.

इनके विज्ञापनों के भंवरजाल में उलझ कर सुबह उठते ही लोग न जाने क्या-क्या करते हैं, अखबार देखने और दुनिया का हाल जानने का समय मिले न मिले लेकिन जिम जाने का वक़्त तो निकालना ही है. जिम तो जैसे नौजवानों की जान बन चुका है. लड़की हो या लड़का सबको दुबला दिखना है. मोटापा तो कोई भूत सा लगता है जो जिस पर आ गया तो लोग उस इंसान को पसंद करना ही छोड़ देंगें.

लोगों को दुबला करने के लिए दुनिया भर में बड़े-बड़े योगा इंस्टीटूट्स चल रहे हैं, बड़े-बड़े जिम में लोग भारी भरकम धन खर्च करके घंटों पसीना बहा रहे हैं कि किसी तरह सौंदर्य के पैमाने में फिट हो जाएँ. दुबलेपन की क्रीम-जेल से बाज़ार भरे पड़े हैं. दवा कंपनियां दुबलेपन की दवाओं से प्रतिदिन लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा कर रही हैं. और अब तो बाजार में आपको दुबला करने के लिए मसाजर आ गए हैं. आपको कमर की चर्बी घटानी हो या जाँघों की बस मसाजर उठाइये और दो तीन घंटे मसाज कर डालिये. लेकिन ये तमाम कंपनियां अपने उत्पादों से होने वाले साइड इफेक्ट आपको हरगिज़ नहीं बताएंगी. टीवी शोज़ के बीच में आपको दुबला करने के दर्जनों विज्ञापन और शार्ट फ़िल्में दिखेंगी. दरअसल दुबलेपन को सौंदर्य का पैमाना बनाने वाले कारोबारियों को आपके स्वास्थ्य से कोई सरोकार नहीं है, उन्हें तो बस अपने बिज़नेस और पैसे से मतलब है.

अवंतिका ने टीवी पर मसाजर की विशेषताएं देख कर ऑनलाइन सात हज़ार रूपए का मसाजर ऑर्डर किया. अवंतिका को लगने लगा था कि उसकी टाँगे और कमर के हिस्से में ज़्यादा चर्बी जमा हो गयी है जिसके कारण उसका फिगर ठीक नहीं है. अवंतिका ने तीन दिन टांगों की मसाज की. पहले दिन तो उसको बहुत अच्छा लगा लेकिन तीसरे दिन रातों में उसकी टांगों में क्रैम्प्स उठने लगे. क्रैम्प्स के कारण दोनों टाँगे इसकदर खिंचाव महसूस करने लगीं कि अलगे पूरे हफ्ते वो ठीकसे चल फिर भी नहीं पायी. पैरों को ठीक होने में बीस-पच्चीस दिन लग गए और वो भी तब ठीक हुए जब फिज़ियोथैरिपिस्ट ने उसको चार सिटिंग्स दीं. सात हज़ार का मसाजर और दस हज़ार फिज़ियोथैरिपिस्ट को देने के बाद अवंतिका का ध्यान अब अपनी मोटी कमर या टांगों पर नहीं जाता है.

इसलिए बिना सोचे समझे बाजार के इशारे पर चल पड़ना ठीक नहीं है. अगर आपको मोटापे की वजह से कोई रोग नहीं है तो इसका मतलब है कि आपका शरीर बिलकुल फिट है. अपने मोटापे को लेकर तनावग्रस्त रहना या हीनता को पोसना ठीक नहीं है. सुंदरता का पैमाना कभी भी मोटा या दुबला होना नहीं हो सकता. आप मोटे होते हुए भी बेहद खूबसूरत हो सकते हैं. सुंदरता के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, मगर सुंदरता वास्तव में खुद को स्वीकार करने और आपकी सहजता से उभरती है. जिस पल आप खुद को लेकर सहज होते हैं, आप सुंदर महसूस करते हैं. जब आप खुद को स्वीकार करते हैं, तो आपका आत्मविश्वास दूसरे लोगों को आपकी ओर आकृष्ट करता है और असली सुंदरता दरअसल यही है.

आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ इस मकसद में बहुत कामयाब फिल्म है जिसने साबित किया है कि सौंदर्य का पैमाना बाजार द्वारा तय मानकों से बिलकुल अलग है. तो अगर आप मोटी हैं और पार्टी-पिकनिक पर दोस्तों संग जाने में आपको झिझक महसूस होती है तो आज ही इस फीलिंग को अपने दिल से निकाल फेंकिए क्योंकि असली सौंदर्य तो आपका आत्मविश्वास और आपका व्यवहार है. इसके अलावा मोटापे के और बहुत सारे फायदे हैं.

–  मोटे लोग कपड़ों को लेकर सेलेक्टिव नहीं होते. उन्हें पता होता है कि उन पर क्या सूट करेगा. उनकी रेंज सीमित होती है, इसलिए उनकी शॉपिंग और खर्च कम ही होते हैं.

–  अगर आपके पति फूडी हैं तो आपका मोटापा उनके लिए प्लस पॉइंट है. वो आपको सिर्फ इसलिए भी बहुत सारा प्यार देंगे कि आप उनको हर वक़्त खाने को लेकर टोकती नहीं हैं बल्कि खुद अच्छी अच्छी चीज़ें बना कर प्यार से परोसती हैं.

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–  फिगर कॉन्श‍ियस लड़कियों के लिए शीशा ही सबसे प्यारा दोस्त होता है. वो अपने पति से ज्यादा शीशे के साथ समय बिताती हैं. लेकिन मोटी बीवी के साथ ये प्रॉब्लम कभी नहीं होती. मोटी बीवी पति को भरपूर प्यार और टाइम देती है.

–  कहते हैं गर्लफ्रेंड हो या बीवी, लड़के हमेशा उनके लिए बॉडीगार्ड का काम भी करते हैं. लेकिन मोटी बीवी तो खुद अपने पति के लिए बॉडीगार्ड होती है. उसको लेकर पतियों की चिंता बहुत कम हो जाती है.

–  अपने पार्टनर को लेकर पोजेसिवनेस या उसे खो देने का डर मर्दों को काफी तनाव और तकलीफ देता है. लेकिन बीवी मोटी होगी तो वो इस तनाव और डर से हमेशा दूर रहेंगे.

–  कहते हैं मोटे लोग ज़्यादा संवेदनशील भी होते हैं इसलिए उनकी दोस्ती में स्थायित्व होता है और उनपर भरोसा किया जा सकता है.

– और आपके मोटे होने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपके घर में आने वाला सारा फर्नीचर काफी मजबूत और अच्छी क्वालिटी का आएगा. आपके वजन को देखते हुए पति हल्का या कमजोर सामान लाने की गलती कभी नहीं करेंगे. यही नहीं अगर घर में कोई व्हीकल लाने पर विचार चल रहा है तो निसंदेह चारपहिया वाहन ही आएगा, क्योंकि दोपहिया पर तो आप समा नहीं पाएंगी. इससे आपकी और आपके परिवार की शान में ही इजाफा होगा.

शादी की रस्में चढ़ावे का फेरा

शादी की रस्मों में चढ़ावे की शुरुआत लड़कालड़की की कुंडली मिलान से शुरू होती है. पहले लड़कालड़की तलाशने का काम पंडित करते थे. अब यह काम घर वालों को खुद करना होता है. चढ़ावे की रकम जजमान की हैसियत से तय होती है. इस के बाद भी हर रस्म में कम से कम चढ़ावा अब ₹11 सौ से शुरू होता है.

औसतन यह ₹51 सौ होता है. कुंडली मिलाने के बाद शादी की तारीख निकाली जाती है. इस में भी ₹11 से ₹51 सौ का चढ़ावा चढ़ता है. गोदभराई, इंगेजमेंट में ₹51 सौ से कम कोई पंडित चढ़ावा नहीं लेता है. इस के बाद तिलक और जनेऊ संस्कार होता है. यहां भी ₹51 सौ से कम चढ़ावा नहीं चढ़ता है. कथा में तमाम दूसरे लोग भी पैसे चढ़ाते हैं. ये पैसे भी पंडित के खाते में ही जाते हैं.

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शादी के दिन द्वारपूजा की रस्म में कम से कम ₹51 सौ के चड़ावा से शुरुआत होती है. इस के बाद फेरे कराने की सब से प्रमुख रस्म होती है. यहां मामला ₹11 हजार पर पहुंच जाता है. शादी के बाद विदाई के समय भी ₹51 सौ से विदाई होती है.

शादी में चढ़ावे की रस्म में सब से प्रमुख बात यह होती है कि चढ़ावा लड़का और लड़की दोनों पक्षों के पंडित लेते हैं. इस में भी लड़के वाले को दोगुना देना होता है. इस का अर्थ यह है कि अगर लड़की वाला किसी रस्म में ₹सौ दक्षिणा चढ़ाता है तो लड़के वाले को 2 सौ रुपए चढ़ाने होते हैं.

ऐसे में अगर लड़के वाले पर चढ़ावे का बो झ डबल हो जाता है. एक शादी में औसतन ₹20 हजार का चढ़ावा एक पंडित को देना पड़ता है. शादी के बाद लड़की के पहली बार गर्भवती होने और बच्चे के जन्म संस्कार के साथ दूसरे रीतिरिवाज फिर से शुरू हो जाते हैं.

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तलाक के बाद सवालों के घेरे में

एक सफल शादी का सपना किसका नहीं होता, समय बदल रहा है और इस बदलते हुए समय में शादी टूटना कोई बड़ी बात नहीं है. यह सच है कि डाइवोर्स दोनो ही तरफ से एक दुखभरा समय होता है. परंतु यह और भी दुखभरा तब होता है जब आप को पता नहीं होता है कि आप के रिश्ते में क्या गलत हो रहा है और आप का पार्टनर या आप तलाक दे देते हैं. हालांकि यह समय आप के लिए बहुत कठिन समय होता है. पर  यह दुख हमेशा के लिए नहीं रहता है. हो सकता है आप उस समय बिल्कुल टूट जायें और अकेला महसूस करें.

वैसे भी पहले के मुकाबले अब तलाक के ग्राफ ज्यादा बढ़ गये हैं. जहां तलाक तो आसानी से हो जाते हैं, लेकिन मुश्किलें खड़ी होती हैं,तलाक के बाद. तलाक के बाद भी अक्सर लोग अपने पति-या पत्नी या अपने निजी कारणों को लेकर परेशानियां व सवालों के घरों में रहते हैं जैसे- अब क्या करें? कैसे सामना करें इन सवालों का? स्वयं को कैसे सम्भालें?  और इस दुख से कैसे खुद को बाहर लायें? आदि.

उदाहरण-

वाराणसी की रहने वाली 38 साल की रेनू तलाक शुदा हैं, और वो अपने माता-पिता के साथ रहती हैं. उनका कहना है कि, मैं मेरे परिवार में खुलकर नहीं रह पा रही हूं, क्योंकि मेरे सगे सम्बंधी ही मुझे बेवजह की सलाह देते हैं या अजीब अजीब से सवाल करते हैं. जिससे मुझे सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ये परिवार और रिश्तेदार ही मुझे तलाकशुदा महिला होने का बार-बार एहसास करवाते हैं, परेशान हो जाते हो समझ नहीं आता कि मैं, मेरी इस समस्या से कैसे निपटूंगी?

जवाब-

तलाक के बाद सबसे ज्यादा जरूरत होती है एक परिवार की, जो आपको आपको उस भयानक स्थिति से बाहर निकालने में मदद करता है. लेकिन रिश्तेदारों के ताने भी आम बात होते हैं. जो सपोर्ट के बाद भी कहीं न कहीं सामाजिक रूप से झुकाने का प्रयास करते हैं. इन सब से बचने के लिए आपको सबसे ज्यादा खुद की स्थिति समझने की जरूरत है, और वो कैसे समझेंगे जानिए.

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पहले अपनी स्थिति को समझें

आप अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं और तलाकशुदा हैं. आपके कोई बच्चे नहीं हैं, लेकिन आप उनके बच्चे हैं. वे समाज के प्रति जवाबदेह हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने स्वतंत्र या अग्रगामी सोच वाले व्यक्ति हैं. यह कलंक भारत में एक वास्तविकता है. इन लोगों से आपको बचने की कोई सलाह नहीं है. आपको इसका सामना करना सीखना होगा.

अपने आप पर कुछ दया कीजिए

आप को यह जानना चाहिए कि एक न एक दिन सभी के रिश्ते खत्म हो ही जाते हैं, चाहे उनके पीछे किसी की मौत हो या कोई गलत फहमी. परंतु यदि डाइवोर्स आप की वजह से हुआ है और अब आप स्वयं को दोषी मानते हैं तो आप को अपने आप पर थोड़ा प्यार दिखाना चाहिए. स्वयं को दोषी भरी निगाहों से न देखें. आपने जो भी फैसला लिया है वह आप के लिए सही है. अब आप उस स्ट्रेस भरे रिश्ते से निकल चुके हैं, अतः अपने आप पर फोकस करें, स्वयं को प्यार करें.

स्वयं को शोक जताने दे

किसी से बिछड़ने का दर्द बहुत दुखभरा होता है और यह ऐसा महसूस होता है मानो हमने किसी अपने को इस दुनिया से खो दिया है. किसी एक इंसान का आप की जिंदगी से पूरी तरह चले जाना जो आप की जिंदगी का कभी अहम हिस्सा हुआ करते थे, दुख तो देता है. इसलिए बेशक आप  बहुत ही मजबूत  हों, लेकिन आप को कभी कभार अपना दिल हल्का कर लेना चाहिए. यदि आप को उनकी याद आती है या डाइवोर्स के कारण बुरा लगता है तो आप को यह अनुभव दबा कर नहीं रखना चाहिए. आप को इसे बाहर निकालना चाहिए. अपने शोक को जाहिर करना कोई बुरी बात नहीं है. अतः स्वयं को शोक जताने दे.

कुछ अन्य आकांक्षाओं पर ध्यान दें

यदि आप उन्हे या इस समय को भूल ही नहीं पा रहे हैं तो ऐसा होता है कि जब आप की नई नई शादी होती है तो आप अपनी शादी व अपने पार्टनर के लिए अपनी कुछ आदतें व अपनी कुछ इच्छाएं छोड़ देतीं हैं. अधिकांश महिलाएं ऐसा ही करतीं हैं. वह शादी के समय अपनी शिक्षा, अपना कैरियर व अपने सपने छोड़ देती हैं. परंतु अब स्वयं को व्यस्त रखने व उन पुरानी यादों को भुलाने के लिए आप को अपने वह सपने पूरे करने का समय है, जो आपने किसी और के लिए अधूरे छोड़ दिए थे.

खुद को अपने पैरों पर खड़ा करें

तलाक के बाद इंसान पूरी तरह टूट जाता है. एक महिला के लिए ये सब सहन करना आसान नहीं है. लेकिन समय के साथ-साथ खुद को मजबूत भी आपको ही करना होगा. इसके लिए कुछ समय अपना मन शांत करने के बाद आप किसी व्यवसाय या नौकरी से जुड़िये, क्योंकि यही एक मात्र ऐसा विकल्प है जो आपको सामाजिक और आर्थिक नजरिये से उठने में मदद करता है. और अगर आप व्यस्त रहेंगी तो तनाव भी कम होगा.

जीवन में तय कीजिये दिशा

आपको सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो पहले खुद को जानने और समझने की. इसके लिए आप खुद से एक सवाल कीजिये कि आखिर आप अपने जीवन से क्या चाहती हैं. जिस दिन आपने अपने जीवन में एक सकारात्मक दिशा निर्धारित कर ली, उस दिन आपके व्यक्तिव पर सवाल उठाने वालों के हाथ झुक जाएंगे.

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कुछ समय बाद किसी दूसरे को डेट करना चाहिए

यदि आप भी मूव ऑन करके किसी अन्य व्यक्ति को डेट करने की सोच रहीं हैं तो लगभग आप को एक साल का इंतजार करना चाहिए. क्योंकि इस दौरान आप स्वयं को अपने साथ, खुश रखना सीख लेंगी. फिर आपको एक नए रिश्ते के लिए तैयार होने में किचन नहीं होगी. यदि आप डाइवोर्स के तुरन्त बाद किसी अन्य को केवल अपने अकेलेपन व बोरियत के लिए डेट कर रहीं हैं तो फिर आप उन के साथ भी वैसा ही कर रहीं हैं जैसा आप के साथ हो चुका है.

तलाक शब्द कहने में जितना छोटा होता है, उसकी चोट उतनी ही गहरी होती है. जब भी आप नया काम शुरू करते हैं, या फिर आप अपने पैरों पर खड़े होते हैं. तो आप अपने माता-पिता का आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं, और आप खुद को सामाजिक रूप से सक्रिय भी हो जाते हैं. इस लिए आप अपने जीवन में एक अच्छी पकड़ जरुर प्राप्त करें, जिसके बाद आप अपने व्यक्तित्व के जरिये शांत रह कर भी कुछ लोगों के मुंह पर ताला जड़ सकते हैं.

उचित आहार ना लेने के कारण मेरा वजन बढ़ गया है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 35 साल की गृहिणी हूं. मैं एक संयुक्त परिवार में रहती हूं और मुझे उचित आहार लेने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता है. इस वजह से मेरा वजन काफी बढ़ना शुरू हो गया है. फिट रहने का सब से अच्छा तरीका क्या है?

जवाब-

कामकाजी जीवन और पारिवारिक कर्तव्यों को निभाना एक कठिन काम है लेकिन महिलाएं ये सब गर्व से करती आई हैं. 30 की उम्र पार कर चुकी महिलाओं का मेटाबालिज्म अच्छा रखना होगा ताकि यह स्वभाविक थकावट का मुकाबला करने में मदद कर सके. इस उम्र में मेटाबोलिज्म गिरने लगता है जिस से वजन बढ़ता है.

आप के 30 के लिए महत्त्वपूर्ण 3 प्रमुख तत्त्वों में कार्ब, प्रोटीन और फैट शामिल है. मेटाबोलिज्म रेट और कैलोरी बर्न की क्षमता को बढ़ाने के लिए आप को अपने प्रोटीन का सेवन बढ़ाना होगा. इस के अलावा कौंप्लैक्स कार्ब्स का सेवन बढ़ाए. आप के संपूर्ण भोजन का 60 से 70% कार्ब्स होना चाहिए. बाकी 15-20% में प्रोटीन और फैट शामिल हैं.

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घी को लेकर लोगों के मन में एक आम धारणा है कि इसका सेवन करने से इंसान मोटा होता है. पर असल बात ये है कि इससे ना सिर्फ मोटापा कम होता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है.

इस खबर में हम आपको घी से होने वाले स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताने वाले हैं.

दूर रहता है कब्ज

कब्ज की समस्या में देशी घी काफी असरदार होता है. इससे कब्ज जैसी बीमारियां दूर होती हैं. घी का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति को कब्ज की शिकायत नहीं रहती है.

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मजबूत रहती हैं हड्डियां

घी में विटामिन के2 की मात्रा होती है, जिसकी मदद से आपकी हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचता है. जानकारों की माने तो इसमें कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो हड्डियों के लिए जरूरी तरल पदार्थ का निर्माण करते हैं, जिससे जोड़ मजबूत होते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- वजन कम करने के लिए करें घी का सेवन

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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क्या आपका पालतू है सेहतमंद

आजकल लोगों को घर में पालतू रखने का शौक है. आमतौर पर लोग डौग पालना ही पसंद करते हैं. हां, कुछ लोग बिल्ली भी पालते हैं. आप का पालतू आप के घरपरिवार का ही एक सदस्य है, इसलिए उस की सुखसुविधा, खानपान और परेशानियों के प्रति भी आप को सचेत रहना चाहिए.

पालतू कुत्ते अपनी बौडी लैंग्वेज से अपनी परेशानियां व्यक्त करते हैं. उन पर भी मौसम का असर पड़ता है. उन्हें भी ठंड और गरमी लगती है. इस से वे विचलित होने लगते हैं. उन की सर्दीगरमी से हिफाजत करना मालिक का कर्तव्य है. पालतू अकारण ही नहीं भूंकता और न ही रोता है. इस के पीछे कोई न कोई वजह होती है. मालिक को उस के रोने या भूंकने के तरीके से संकेतों को समझना चाहिए.

पटाखे करते हैं परेशान

दीवाली आने पर जम कर आतिशबाजी की जाती है. तेज धमाके वाले पटाखे फोड़े जाते हैं, जिन से पालतू को परेशानी हो सकती है. आतिशबाजी के धुएं से पालतू को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार जलते पटाखे उस के शरीर पर आ कर लग जाते हैं. पटाखों के धुंए से उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है. वह डर भी जाता है.

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पालतू को खुजली की बीमारी भी लग सकती है. इस से वह बेचैन और परेशान रहता है तथा हमेशा शरीर को खुजलाते रहता है. ऐसे में पशु चिकित्सक से उस का उपचार कराना चाहिए.

पालतू को भी उस का पसंदीदा भोजन निर्धारित समय पर देना चाहिए. गरमी में उसे प्यास अधिक लगती है. अत: पर्याप्त मात्रा में पानी रखना चाहिए.

यदि पालतू घर में है तो उसे बांध कर रखना जरूरी नहीं. यदि उसे बांध कर रखते हैं, तो वह परेशान होगा. हां, जब बाहर घुमाने ले जाएं तो गले में पट्टा तथा जंजीर होनी चाहिए ताकि वह किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान न पहुंचा सके.

पालतू को भी सैक्स की आवश्यकता होती है. उस का अपना एक सीजन होता है, तब वह प्रजनन के लिए उतावला होता है. ऐसे में नर और मादा का मिलन कराया जाना चाहिए. अन्यथा पालतू परेशान रहने लगता है. यदि पालतू मादा है और गर्भवती है तो उस के खानपान की विशेष देखभाल करनी चाहिए.

यदि आप को लगता है कि आप का पालतू सुस्त, उदास है अथवा उस की सक्रियता, भागदौड़ में कमी आ रही है, तो उस की वजह जानने की कोशिश करें. क्या उसे समुचित मात्रा में भोजनपानी मिल रहा है? क्या आप उस के साथ खेल या बतिया रहे हैं? कहीं वह अपनेआप को अकेला तो महसूस नहीं कर रहा है?

फिटनैस

पालतू को समयसमय पर जरूरी टीके लगवाते रहना चाहिए ताकि वह बीमारियों से बचा रहे. उस की सेहत के प्रति मालिक को फिक्रमंद होना चाहिए. पालतू में मोटापा बढ़ना एक आम समस्या है, इसलिए लोग पैट्स के लिए बौडी शेपिंग के बारे में गंभीर हो चले हैं. अमेरिका में तो अब डौगी भी ट्रेडमिल पर देखे जा सकते हैं. डौगी के लिए खासतौर पर मिनी ट्रेडमिल डिजाइन की गई है. अमेरिका में अनेक फिटनैस कंपनियां डौगी के लिए खासतौर पर मिनी ट्रेडमिल बना रही हैं.

मिस्र की राजधानी काहिरा में कुत्तों के लिए आउटडोर जिम भी खोला गया है. यहां पर लोग अपने पालतू को ले कर आते हैं और उस की कसरत कराते है.

अगर आप के घर में डौग है और आप को उस की हैल्थ की फिक्र होती है, तो अब निश्ंिचत रह सकते हैं. पालतू की हैल्थ की जानकारी देने के लिए वौयस जैसे फिटनैस ट्रैकर उपलब्ध हैं. अमेरिका में ह्यूमन सोसाइटी वैटरनरी मैडिकल ऐसोसिएशन के वीएमडी बेरी केलौग कहते हैं, ‘‘जब आप दफ्तर में हों, तब भी यह जान सकते हैं कि आप का डौग मोटापे का शिकार है या नहीं, उस की पल्स रेट क्या है, उस की गतिविधियां सामान्य हैं या नहीं. यह फिटनैस ट्रैकर वियरेबल डिवाइस है, जो विशेषतौर पर श्वान के लिए डिजाइन किया गया है. इसे स्मार्टफोन से कनैक्ट कर सकते हैं.’’

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अच्छी सेहत के लिए कुत्तों को न केवल ऐक्सरसाइज कराने की जरूरत होती है, अपितु नहलाना भी जरूरी है. जापान में तो डौगी के लिए औटोमैटिक वाशिंग मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. टोक्यो में पैट वर्ल्ड जांचफल होंडा नामक पैट शौप पर डौगी की क्लीनिंग के लिए वौशिंग मशीन उपलब्ध है. इस मशीन से आधे घंटे में डौगी को शैंपू शावर दिया जाता है. उस के बाद ब्लो ड्रायर से सुखाया जाता है. पालतू की सेहत के प्रति मालिक की जागरुकता बेहद जरूरी है. इसलिए उस की देखभाल घर के सदस्य की तरह करें.

-डा. विनोद कुमार गुप्ता

अगर ब्लीच के बाद होती है जलन तो ऐसे करें इलाज

गरमियों में कईं बार स्किन में गंदगी जमा हो जाती है, जिसके कारण स्किन काली पड़ने लग जाती है. स्किन काली पड़ने के कारण पार्लर वाले ब्लीच करवाने की टिप्स देते हैं, लेकिन कईं बार ब्लीच हमारी स्किन को नुकसान पहुंचाती है. ब्लीच का इस्तेमाल करने से कईं स्किन प्रौब्लम्स का सामना करना पड़ता है, जैसे स्किन पर जलन, लाल चकते और खुजली जो कि आम बात है. इसके कईं कारण होते हैं जैसे ब्लीच में किसी कैमिकल, जो हमारी स्किन को सूट नही करते. पर आज हम आपको बताएंगे कि कैसे ब्लीच के बाद होने वाली जलन और दूसरी प्रौब्लम से छुटकारा पाया जाए.

1. ब्लीच के बाद साबुन या लोशन का न करें इस्तेमाल

जब भी आप ब्‍लीच करके आईं हों तो अपना मुंह ताजे पानी से धोएं. यह जलन को धीरे धीरे कम कर देगा. और ध्‍यान रखे की उस दिन कभी भी साबुन या लोशन का प्रयोग न करें.

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2. बर्फ का करें इस्तेमाल

स्किन पर जलन को कम करने के लिए उस पर बर्फ से मसाज करें इससे जलन कम हो जाएगी. आप चाहें तो एलो वेरा जेल को आइस्‍ क्‍यूब ट्रे में जमा कर उससे मसाज करें.

3. ब्लीच के बाद धूप से बचने की करें कोशिश

कभी भी ब्‍लीच करवाने के बाद सूरज की रोशनी में सीधे नहीं आना चाहिए वरना स्किन मे जलन और खुजली बढ़ सकती है. इससे स्किन और खराब हो सकती है. आपको ठंडे दूध में रुई भिगों कर अपने चेहरे को साफ करना चाहिए इससे राहत मिलती है.

4. नारियल पानी से धोएं फेस

अपने चेहरे को नारियल पानी से धोएं क्‍योंकि यह एक नेचुरल ब्‍लीच बर्न उपचार है. इसका पानी चेहरे पर पड़े लाल दाग को तुरंत ठीक करता है.

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5. स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए लिक्विड पीएं

अगर आपको अपनी स्किन अंदर से साफ और हाइड्रेट रखनी है तो पर्याप्‍त कद्दू का जूस या फिर खीरे का जूस पीएं. इन उपायों को आजमाने के बाद आपकी स्किन में कोई परेशानी नहीं आएगी.

जानें क्या हैं ऑनलाइन शॉपिंग के नुस्खे, सावधानियां और नुकसान

लेखिका- पम्मी सिंह ‘तृप्ति’

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और मौजूदा करोना काल की अवधि में ऑनलाइन शॉपिंग हम सभी के लिए जरूरत बन पड़ी है. करोना के खतरे को देख यह प्रक्रिया सुविधाजनक से जादा आवश्यकता बन गई है. घर बैठे सेवा प्रदान करते ऑनलाइन शॉपिंग अपने वैश्विक आकार के कारण गहरी पैंठ बना रही है जिसके कारण हमारी खरीदारी करने का तरीका भी बदल गया है. मौजूदा वैश्विक बाजार के समतुल्य कदम बढ़ाने के लिए खास एहतियात बरतने की जरूरी है।

दिल्ली के 25 वर्षीय आमोल बहुत खुश था अपनी नई बाईक लेकर उसके के लिए कुछ एसेसरीज ऑनलाइन शॉपिंग से मंगाई, समय पर डिलीवरी और पेमेंट भी हो गई पर समान स्तरीय न होने के कारण वह पुनः लौटने की आवेदन फार्म को भरा और पिक अप ऐजेंट के मेसेज की भी प्राप्ति हुई पर कोई डिलीवरी, पिक अप के लिए नहीं आया पर मोबाइल पर attempt to do but there is no one to receive की मैसेज आयी अब समय सीमा समाप्त होने की वजह से वो समान बेकार साबित हो गई.
भोपाल की रीता को इस बात का भरोसा था कि माँ को जन्मदिन पर ऑनलाइन शॉपिंग द्वारा एयर फ्रायर गीफ्ट कर सरप्राइज देगीं पर डिलीवरी तय समय पर नहीं हो सकी जिससे उसके उत्साह पर पानी फिर गया।
कई मामलों में  ऐसा भी समाचार सामने आया कि ग्राहकों से लौटाए जाने वाले समान को बुक कराने तक सब कुछ सही होता  रहा पर संबंधित कम्पनी, विक्रेता तक पहुंचने में गड़बड़ी हो गई या सामान नहीं पहुंच पाया. इस तरह के घटनाओं व नफा नुकसान से बचने के लिए  आवश्यकता है बदलते समय के बढ़ने के साथ कुछ सावधानियों की जिससे धोखाधड़ी से बचा जा सकें.

1. सर्वप्रथम बेबसाइट के URL को जांच परख ल़े. इसके लिए URL फील्ड के कोने में लॉक आइकॉन को देखें. यह लॉक ऑइकन  उस पेज़ की गोपनीयता और सुरक्षा के प्रति सजगता दिखाती हैं.

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2. URL   के प्रारंभ में ‘https’ – ‘http’ को देखें. https सुरक्षा गोपनीयता के मापदंडों पर खरा उतरतीं हैं

3. विक्रेताओं के विश्वसनीयता को परखें।

4. ऑनलाइन शॉपिंग के लिए सार्वजनिक वाई – फाई के उपयोग से बचें.

5. वी पी एन का प्रयोग करें.  यह सार्वजनिक वाई-फाई के दौरान आपके पास ऑनलाइन खरीदारी करने का एक सुरक्षित तरीका है.

6. एक मजबूत पासवर्ड के साथ लॉक करके अपने खाते को सुरक्षित रखें. व्यक्तिगत जानकारी जन्मदिन, सालगिरह, साधारण शब्दकोश से पासवर्ड न बनाए.

7.अज्ञात प्रेषकों और गैर-मान्यता प्राप्त विक्रेताओं के ईमेल पर क्लिक करने से बचें. इस प्रकार के आकर्षक प्रस्ताव व विज्ञापन, कंप्यूटर वायरस और मैलवेयर से संक्रमित हो सकता है.

8.वर्चुअल क्रेडिट कार्ड को अपनाएं.

9.अपने पासवर्ड और पिन को शेयर न करें. कैस ऑन डिलीवरी अपनाएं

10. बैंक खाता से संबंधित मामलों पर नोटिफिकेशन सेट करें.

11. अगर शॉपिंग वेबसाइट पर आपसे बहुत व्यक्तिगत जानकारी या सहमति मांगे जाते हैं, तो ग्राहक सेवा लाइन पर कॉल करें और जाने कि उपर्युक्त देय जानकारी की क्या उपयोगिता है या बिना इसके भरे भी क्रेता, विक्रेता पर क्या असर होगा. ध्यान रहें प्रश्न करने में न हिचकिचाएं. यह कस्टमर का हक है.

12. सामान सलेक्ट करने में रिव्यू अर्थात कस्टम व्यूज को जरूर देख लें.

13. बेबसाइट के टर्म एंड कंडिशन के साथ   रिटर्न पॉलिसी को ध्यान  पूर्वक देखें.

14. ऑर्डर से पहले एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें.

15. विभिन्न वेबसाइटों पर समानों की  कीमतों का तुलनात्मक अध्ययन कर लें.

16. भारी डिस्काउंट और छूट या मुफ्त के प्रलोभन से दूर रहें.

17. वेबसाइटों पर आ रहें आकर्षक विज्ञापनों लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले टिप्पणियों और विज्ञापनों से सावधान रहें.

18. शॉपिंग के बाद चेकआउट में आवश्यक फ़ील्ड भरने की आवश्यकता होतीं हैं तो  अपनी भुगतान जानकारी को अपनी प्रोफ़ाइल में सहेजना सेव न करें.

19.संवेदनशील जानकारियों को शेयर करने से बचें. किसी प्रकार के अनुरोध को सत्यापित अवश्य करें.

20. अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सॉफ्टवेयर को सदैव अपडेट रखें.

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कई बार ऑर्डर किये समान उम्मीदों पर खरा नहीं उतरती है. ऐसी स्थिति में समान के रिटर्न पॉलिसी को भी जानना आवश्यक है ताकि धोखाधड़ी के साथ पैसों की बर्बादियों से बचा जा सकें.

किसी भी समान को उसकी डिलिवरी होने के बाद ही  लौटाया जा सकता है या निश्चित समयावधि में किसी ऑर्डर को रद्द किया जा सकता है या एक्सचेंज किया जा सकता है. समान को वापस करने की एक समय सीमा होती है जो प्रोडक्ट पर निर्भर करती है. किसी समान पर दस दिन तो किसी पर एक महीना तक की समयसीमा होती है. यह वेबसाइट पॉर्टल के नियमों पर भी निर्भर करती है. तयशुदा नियमानुसार रिफंड करते ही आपके खाते में कुछ दो चार दिन या सप्ताह में पैसे की वापसी हो जाती है. अतः इसकी जांच पुष्टि ऑर्डर करनें से पहले अवश्य कर लें. ऑनलाइन शॉपिंग सुरक्षित और सावधानी बरतने के लिए समय समय पर ग्राहक जागरूकता अभियान से जुड़े.  दरअसल ऑनलाइन शॉपिंग में ऑर्डर से डिलिवरी तक के साथ रिटर्न, एक्सचेंज  की पूरी प्रक्रिया में तकनीकी के साथ  जुड़े रहने की आवश्यकता है.

बेबसी एक मकान की: सब उसे लूटते रहे लेकिन आखिर क्यों

एक ट्रंक, एक अटैची और एक बिस्तर, बस, यही संपत्ति समेट कर वे अंधेरी रात में घर छोड़ कर चले गए थे. 6 लोग. वह, उस की पत्नी, 2 अबोध बच्चे और 2 असहाय वृद्ध जिन का बोझ उसे जीवन में पहली बार महसूस हो रहा था. ‘‘अम्मी, हम इस अंधेरे में कहां जा रहे हैं?’’ जाते समय 7 साल की बच्ची ने मां से पूछा था.

‘‘नरक में…बिंदिया, तुम चुपचाप नहीं बैठ सकतीं,’’ मां ने खीझते हुए उत्तर दिया था. बच्ची का मुंह बंद करने के लिए ये शब्द पर्याप्त थे. वे कहां जा रहे थे उन्हें स्वयं मालूम न था. कांपते हाथों से पत्नी ने मुख्यद्वार पर सांकल चढ़ा दी और फिर कुंडी में ताला लगा कर उस को 2-3 बार झटका दे कर अपनी ओर खींचा. जब ताला खुला नहीं तो उस ने संतुष्ट हो कर गहरी सांस ली कि चलो, अब मकान सुरक्षित है.

धीरेधीरे सारा परिवार न जाने रात के अंधेरे में कहां खो गया. ताला कोई भी तोड़ सकता था. अब वहां कौन किस को रोकने वाला था. ताला स्वयं में सुरक्षा की गारंटी नहीं होता. सुरक्षा करते हैं आसपास के लोग, जो स्वेच्छा से पड़ोसियों के जानमाल की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझते हैं. लेकिन यहां पर परिस्थितियों ने ऐसी करवट बदली थी कि पड़ोसियों पर भरोसा करना भी निरर्थक था. उन्हें अपनी जान के लाले पड़े हुए थे, दूसरों की रखवाली क्या करते. अगर वे किसी को ताला तोड़ते देख भी लेते तो उन की भलाई इसी में थी कि वे अपनी खिड़कियां बंद कर के चुपचाप अंदर बैठे रहते जैसे कुछ देखा ही न हो. फिर ऐसा खतरा उठाने से लाभ भी क्या था. तालाब में रह कर मगरमच्छ से बैर. कई महीने ताला अपने स्थान पर यों ही लटकता रहा. समय बीतने के साथसाथ उस निर्वासित परिवार के वापस आने की आशा धूमिल पड़ती गई. मकान के पास से गुजरने वाला हर व्यक्ति लालची नजरों से ताले को देखता रहता और फिर अपने मन में सोचता कि काश, यह ताला स्वयं ही टूट कर गिर जाता और दोनों कपाट स्वयं ही खुल जाते.

फिर एक दिन धायं की आवाज के साथ लोहा लोहे से टकराया, महीनों से लटके ताले की अंतडि़यां बाहर आ गईं. किसी अज्ञात व्यक्ति ने अमावस के अंधेरे की आड़ ले कर ताला तोड़ दिया. सभी ने राहत की सांस ली. वे आश्वस्त थे कि कम से कम उन में से कोई इस अपराध में शामिल नहीं है.

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ताला जिस आदमी ने तोड़ा था वह एक खूंखार आतंकवादी था, जो सुरक्षाकर्मियों से छिपताछिपाता इस घर में घुस गया था. खाली मकान ने रात भर उस को अपने आंचल में पनाह दी थी. अंदर आते ही अपने कंधे से एके-47 राइफल उतार कर कुरसी पर ऐसे फेंक दी जैसे वर्षों की बोझिल और घृणित जिंदगी का बोझ हलका कर रहा हो. उस के बाद उस ने अपने भारीभरकम शरीर को भी उसी घृणा से नरम बिस्तर पर गिरा दिया और कुछ ही मिनटों में अपनी सुधबुध खो बैठा. आधी रात को वह भूख और प्यास से तड़प कर उठ बैठा. सामने कुरसी पर रखी एके-47 न तो उस की भूख मिटा सकती थी और न ही प्यास. साहस बटोर कर उस ने सिगरेट सुलगाई और उसी धीमी रोशनी के सहारे किचन में जा कर पानी ढूंढ़ने लगा. जैसेतैसे उस ने मटके में से कई माह पहले भरा हुआ पानी निकाल कर गटागट पी लिया. फिर एक के बाद एक कई माचिस की तीलियां जला कर खाने का सामान ढूंढ़ने लगा. किचन पूरी तरह से खाली था. कहीं पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.

‘‘कुछ भी नहीं छोड़ा है घर में. सब ले कर भाग गए हैं,’’ उस के मुंह से सहसा निकल पड़ा. तभी उस की नजर एक छोटी सी अलमारी पर पड़ी जिस में कई चेहरों की बहुत सारी तसवीरें सजी हुई थीं. उन पर चढ़ी हुई फूलमालाएं सूख चुकी थीं. तसवीरों के सामने एक थाली थी जिस में 5 मोटे और मीठे रोट पड़े थे जो भूखे, खतरनाक आतंकवादी की भूख मिटाने के काम आए. पेट की भूख शांत कर वह निश्चिन्त हो कर सो गया.

सुबह होने से पहले उस ने मकान में रखे हुए ट्रंकों, संदूकों और अलमारियों की तलाशी ली. भारीभरकम सामान उठाना खतरे से खाली न था. वह तो केवल रुपए और गहनों की तलाश में था मगर उस के हाथ कुछ भी न लगा. निराश हो कर उस ने फिर घर वालों को एक मोटी सी गाली दी और अपने मिशन पर चल पड़ा. दूसरे दिन सुरक्षाबलों को सूचना मिली कि एक खूंखार आतंकवादी ने इस मकान में पनाह ली है. उन का संदेह विश्वास में उस समय बदला जब उन्होंने कुंडे में टूटा हुआ ताला देखा. उन्होंने मकान को घेर लिया, गोलियां चलाईं, गोले बरसाए, आतंकवादियों को बारबार ललकारा और जब कोई जवाबी काररवाई नहीं हुई तो 4 सिपाही अपनी जान पर खेलते हुए अंदर घुस गए. बेबस मकान गोलीबारी से छलनी हो गया मगर बेजबानी के कारण कुछ भी बोल न पाया.

खैर, वहां तो कोई भी न था. सिपाहियों को आश्चर्य भी हुआ और बहुत क्रोध भी आया. ‘‘सर, यहां तो कोई भी नहीं,’’ एक जवान ने सूबेदार को रिपोर्ट दी.

‘‘कहीं छिप गया होगा. पूरा चेक करो. भागने न पाए,’’ सूबेदार कड़क कर बोला. उन्होंने सारे मकान की तलाशी ली. सभी ट्रंकों, संदूकों को उलटापलटा. उन में से साडि़यां ऐसे निकल रही थीं जैसे कटे हुए बकरे के पेट से अंतडि़यां निकल कर बाहर आ रही हों. कमरे में चारों ओर गरम कपड़े, स्वेटर, बच्चों की यूनिफार्म, बरतन और अन्य वस्तुएं जगहजगह बिखर गईं. जब कहीं कुछ न मिला तो क्रोध में आ कर उन्होंने फर्नीचर और टीन के ट्रंकों पर ताबड़तोड़ डंडे बरसा कर अपने गुस्से को ठंडा किया और फिर निराश हो कर चले गए.

उस दिन के बाद मकान में घुसने के सारे रास्ते खुल गए. लोग एकदूसरे से नजरें बचा कर एक के बाद एक अंदर घुस जाते और माल लूट कर चले आते. पहली किस्त में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी, फिलिप्स का ट्रांजिस्टर, स्टील के बरतन और कपड़े निकाले गए. फिर फर्नीचर की बारी आई. सोफा, मेज, बेड, अलमारी और कुरसियां. यह लूट का क्रम तब तक चलता रहा जब तक कि सारा घर खाली न हो गया. उस समय मकान की हालत ऐसी अबला नारी की सी लग रही थी जिस का कई गुंडों ने मिल कर बलात्कार किया हो और फिर खून से लथपथ उस की अधमरी देह को बीच सड़क पर छोड़ कर भाग गए हों.

मकान में अब कुछ भी न बचा था. फिर भी एक पड़ोसी की नजर देवदार की लकड़ी से बनी हुई खिड़कियों और दरवाजों पर पड़ी. रात को बापबेटे इन खिड़कियों और दरवाजों को उखाड़ने में ऐसे लग गए कि किसी को कानोंकान खबर न हुई. सूरज की किरणें निकलने से पहले ही उन्होंने मकान को आग के हवाले कर दिया ताकि लोगों को यह शक भी न हो कि मकान के दरवाजे और खिड़कियां पहले से ही निकाली जा चुकी हैं और शक की सुई सुरक्षाबलों की तरफ इशारा करे क्योंकि मकान की तलाशी उन्होंने ली थी. आसपास रहने वालों को ज्यों ही पता चला कि मकान जल रहा है और आग की लपटें अनियंत्रित होती जा रही हैं, उन्हें अपनेअपने घरों की चिंता सताने लगी. वे जल्दीजल्दी पानी से भरी बाल्टियां लेले कर अपने घरों से बाहर निकल आए और आग पर पानी छिड़कने लगे. किसी ने फायर ब्रिगेड को भी सूचना दे दी. उन की घबराहट यह सोच कर बढ़ने लगी कि कहीं आग की ये लपटें उन के घरों को राख न कर दें.

मकान जो पहले से ही असहाय और बेबस था, मूक खड़ा घंटों आग के शोलों के साथ जूझता रहा. …शोले, धुआं, कोयला. दिल फिर भी मानने को तैयार न था कि इस मलबे में अब कुछ भी शेष नहीं बचा है. ‘कुछ न कुछ, कहीं न कहीं जरूर होगा. आखिर इतने बड़े मकान में कहीं कोई चीज तो होगी जो किसी के काम आएगी,’ दिल गवाही देता.

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एक अधेड़ उम्र की औरत ने मलबे में धंसी हुई टिन की जली हुई चादरों को देख लिया. उस ने अपने 2 जवान बेटों को आवाज दी. देखते ही देखते उन से सारी चादरें उठवा लीं और स्वयं सजदे में लीन हो गई. टीन की चादरें, गोशाला की मरम्मत के काम आ गईं. एक और पड़ोसी ने बचीखुची ईंटें और पत्थर उठवा कर अपने आंगन में छोटा सा शौचालय बनवा लिया. जो दीवारें आग और पानी के थपेड़ों के बावजूद अब तक खड़ी थीं, हथौड़ों की चोट न सह सकीं और आंख झपकते ही ढेर हो गईं. कुछ दिन बाद एक गरीब विधवा वहां से गुजरी. उस की निगाहें मलबे के उस ढेर पर पड़ीं. यहांवहां अधजली लकडि़यां और कोयले दिखाई दे रहे थे. उसे बीते हुए वर्ष की सर्दी याद आ गई. सोचते ही सारे बदन में कंपकंपी सी महसूस हुई. उस ने आने वाले जाड़े के लिए अधजली लकडि़यां और कोयले बोरे में भर लिए और वापस अपने रास्ते पर चली गई.

मकान की जगह अब केवल राख का ढेर ही रह गया था. पासपड़ोस के बच्चों ने उसे खेल का मैदान बना लिया. हर रोज स्कूल से वापस आ कर बैट और विकेटें उठाए बच्चे चले आते और फिर क्रिकेट का मैच शुरू हो जाता.

हमेशा की तरह उस दिन भी 4 लड़के आए. एक लड़का विकेटें गाड़ने लगा. विकेट जमीन में घुस नहीं रहे थे. अंदर कोई चीज अटक रही थी. उस ने छेद को और चौड़ा किया. फिर अपना सिर झुका कर अंदर झांका. सूर्य की रोशनी में कोई चमकीली चीज नजर आ रही थी. वह बहुत खुश हुआ. इस बीच शेष तीनों लड़के भी उस के इर्दगिर्द एकत्रित हो गए. उन्होंने भी बारीबारी से छेद के अंदर देखने की कोशिश की और उस चमकती वस्तु को देखते ही उन की आंखों में चमक आ गई और मन में लालच ने पहली अंगड़ाई ली. ‘हो न हो सोने का कोई जेवर होगा.’ हरेक के मन में यही विचार आया लेकिन कोई भी इस बात को जबान पर लाना नहीं चाहता था.

पहले लड़के ने विकेट की नोक से वस्तु के इर्दगिर्द खोदना शुरू कर दिया. दूसरा लड़का दौड़ कर अपने घर से लोहे की कुदालनुमा एक वस्तु ले कर आ गया और उस को पहले लड़के को सौंप दिया. पहला लड़का अब कुदाल से लगातार खोदने लगा जबकि बाकी तीनों लड़के उत्सुकता और बेचैनी से मन ही मन यह दुआ मांगते रहे कि काश, कोई जेवर निकल आए और उन को खूब सारा पैसा मिल जाए.

खुदाई पूरी हो गई. इस से पहले कि पहला लड़का अपना हाथ सुराख में डालता और गुप्त खजाने को बाहर निकालता, दूसरे लड़के ने कश्मीरी भाषा में आवाज दी : ‘‘अड़स…अड़स…’’ अर्थात मैं भी बराबर का हिस्सेदार हूं.

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