नरेश ने बेटी को एकाध बार समझाने की कोशिश की थी पर वह ध्यान ही नहीं देती थी.
‘‘देखा नेहा, आर्यन को तुम्हारी कोई फिक्र नहीं. उसे तो बस अर्पिता से ही मतलब है. सचमुच उन दोनों में संबंध न होता तो वह तुम्हें इस तरह इग्नोर न करता. इतने दिनों से तुम्हारी खोजखबर लेने की भी जरूरत न समझी उस ने,’’ सीमा उसे और भड़कातीं.
‘‘मम्मी, मैं क्या करूं, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा,’’ नेहा बोली.
‘‘बेटी, उस ने तुम्हें बहुत दुख पहुंचाया है. आर्यन को इस का मजा जरूर चखाना चाहिए. मैं किसी अच्छे वकील से बात करती हूं. तलाक का नोटिस पहुंचेगा तो उस का दिमाग ठिकाने आ जाएगा. उस पर दहेज के लिए तुम्हें प्रताडि़त करने और दूसरी स्त्री से संबंध रखने का आरोप लगेगा तब पता चलेगा.’’
‘‘मम्मी, यह सब करने की क्या जरूरत है? कोई आसान सी तरकीब निकालो न, जिस में ज्यादा परेशानी न हो. कोर्टकचहरी का चक्कर बहुत खराब होता है,’’ नेहा ने घबरा कर कहा.
‘‘नेहा, तुम बहुत भोली हो, जब तक वह खूब परेशान नहीं होगा तब तक सुधरेगा नहीं. देखना तुम कैसे मजबूर हो जाएगा तुम्हारे सामने गिड़गिड़ा कर माफी मांगने के लिए… फिर कभी जिंदगी भर किसी दूसरी लड़की की तरफ आंख उठा कर देखने की हिम्मत नहीं करेगा.’’
‘‘हां, आप ठीक कहती हैं मम्मी,’’ नेहा ने इस सब का परिणाम सोचे बिना कहा.
कुरियर वाले ने औफिस में आर्यन के पर्सनल नाम का लिफाफा पकड़ाया तो सोचने लगा क्या है इस में? उतावलेपन से पैकेट खोला, पर उस में से निकले पेपर को पढ़ते ही होश उड़ गए. तलाक के पेपर्स थे. उस पर ऐसे इलजाम लगाए गए थे वह उन के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता था. उस ने तुरंत नेहा का नंबर डायल किया, पर उधर से फोन काट दिया गया. आर्यन ने फिर लैंडलाइन पर मिलाया. रिसीवर सीमा ने ही उठाया.
‘‘मम्मीजी, नेहा कहां है मुझे उस से जरूरी बात करनी है,’’ आर्यन ने कहा.
‘‘वह घर में नहीं है,’’ सीमा ने झूठ बोल कर फोन काट दिया.
‘‘आर्यन परेशान हो उठा. जरा सी बात का इतना बड़ा बखेड़ा हो जाएगा, उस ने कभी सोचा भी न था. और नेहा को क्या हो गया, जो उस से बात भी नहीं कर रही. जाने किस के बहकावे में आ कर इतना बड़ा कदम उठा लिया. जरूर मम्मी के इशारे पर चल रही है, जो बददिमाग हैं. आर्यन शुरू से जानता था उन्हें. तभी तो नरेश अंकल हमेशा उन के सामने चुप रहते थे. किंतु यह नहीं पता था कि पूरी बात जाने बिना ही अपनी बेटी का घर उजाड़ने को तैयार हो जाएंगी.’’
‘‘क्या हुआ आर्यन, बहुत परेशान हो?’’ उस के सहयोगी व मित्र निशांत ने पूछा.
‘‘कुछ नहीं यार,’’ आर्यन ने कहा.
‘‘कुछ तो जरूर है, पर मुझे नहीं बताना चाहते हो तो मत बताओ. बता देते तो हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाता,’’ निशांत ने कहा तो आर्यन ने चुपचाप पेपर्स उसे थमा दिए.
‘‘अरे यार, यह तो सरासर अन्याय है तुम्हारे प्रति. बिना कुछ किए इतना बड़ा इलजाम लगाया गया है तुम पर. लेकिन एक बात बताओ यह अर्पिता का चक्कर क्या है… वह तो केवल तुम्हारी दोस्त है न?’’ निशांत बोला.
‘‘है कहां, थी. उस से तो उसी दिन से मुलाकात या फोन पर बात नहीं हुई जिस दिन से नेहा मायके गई है,’’ आर्यन ने बताया.
‘‘खैर, तुम परेशान मत हो कोई न कोई रास्ता निकल ही आएगा,’’ निशांत ने उसे आश्वासन दिया.
शाम को आर्यन औफिस से जल्दी निकल आया. सोचा किसी अच्छे वकील से मिल कर इस समस्या का समाधान निकाला जाए. वह मानसिक रूप से बहुत परेशान था, उसे तो उस गुनाह की सजा मिल रही थी, जो उस ने किया ही नहीं था. विचारों का ज्वारभाटा उठ रहा था. मन में इतनी उथलपुथल मची थी कि सामने से आती कार भी न दिखाई दी और उस की बाइक उस से टकरा गई.
लंचटाइम में अर्पिता सहयोगियों के साथ बैठी लंच कर रही थी. तभी उस के फोन की घंटी बजी. स्क्रीन पर नंबर देखा तो आर्यन का फोन था.
इतने दिनों बाद आर्यन उसे क्यों फोन कर रहा है? अब उन के बीच कोई संबंध नहीं रहा. फिर उसे फोन करने का मतलब?
अर्पिता ने फोन रिसीव न किया, पर जब लगातार घंटी बजती रही तो अटैंड कर ही लिया.
‘‘हैलो?’’ वह धीरे से बोली.
‘‘अर्पिता, मैं यहां नवजीवन हौस्पिटल में हूं. औफिस से लौटते वक्त मेरा ऐक्सीडैंट हो गया. यदि तुम आ सको तो आ जाओ,’’ आर्यन ने कहा.
‘‘ठीक है, मैं आती हूं,’’ अर्पिता बोली व फोन बंद कर दिया. ऐक्सीडैंट की खबर सुन कर वह स्तब्ध रह गई. भले ही आर्यन से उस ने संबंध खत्म कर लिया था, किंतु इस दुर्घटना की सूचना ने उसे असहज कर दिया. बौस को बता वह तुरंत औफिस से निकल अस्पताल पहुंच गई. आर्यन बैड पर लेटा था. उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया था. हाथों व सिर में भी चोटें आई थीं.
‘‘नेहा कहां है आर्यन?’’ अर्पिता ने आर्यन के आसपास किसी को न देख कर पूछा तो आर्यन ने उसे सब कुछ सचसच बता दिया.
अर्पिता सारी बातें जान आश्चर्यचकित रह गई. आर्यन और नेहा के बीच आज तलाक की बातें शुरू हो गईं और वे भी उस की वजह से और तब जब ऐसा कुछ है भी नहीं. फिलहाल उस ने आर्यन की देखभाल शुरू कर दी.
‘‘अर्पिता, अगर मैं जानता कि नेहा इतने संकीर्ण विचारों की है तो मैं उसे तुम्हारे बारे में बताता ही नहीं,’’ आर्यन ने कहा.
आर्यन दवा ले कर सो गया तो अर्पिता बाहर निकल आई. उस ने कुछ सोचा फिर आर्यन के फोन से नेहा का नंबर ले कर उसे फोन किया व आर्यन के दुर्घटना की सूचना दी. कुछ भी हो नेहा पत्नी थी आर्यन की. अत: घटना की सूचना ने उसे भी दुखी कर दिया. मम्मी किसी रिश्तेदार के घर थीं. अत: वह तनु को ले कर तुरंत दिल्ली रवाना हो गई.
सुबह 9 बजे वह अस्पताल पहुंच गई. अर्पिता को देख उस के तनबदन में आग लग गई. पर फिर आर्यन की स्थिति देख कर परेशान हो उठी.
नेहा के आ जाने पर अर्पिता चली गई. 2 दिन अस्पताल में रहने व सो न पाने के कारण वह बुरी तरह थक गई थी. अत: बिस्तर पर पड़ते ही नींद के आगोश में समा गई. उस दिन संडे था. अर्पिता घर में ही थी कि मोबाइल की घंटी बजी.
‘‘अर्पिता, मैं नेहा, क्या आज घर आ सकती हो?’’ उधर से आवाज आई तो अर्पिता हैरान रह गई कि नेहा ने उसे क्यों बुलाया? शायद आर्यन और उसे ले कर कोई बातचीत करना चाहती हो? कहीं बेवजह लड़ाईझगड़ा तो नहीं करने वाली… कई विचार मस्तिष्क में आनेजाने लगे. फिर भी संयत स्वर में पूछा, ‘‘नेहाजी, क्या मुझ से कोई काम है आप को?’’
‘‘हां, मैं शाम को तुम्हारा इंतजार करूंगी,’’ नेहा ने कहा व फोन काट दिया.
शाम को अर्पिता आर्यन के घर पहुंची.
‘‘अर्पिता, आर्यन अंदर हैं, तुम वहीं चलो मैं आती हूं,’’ नेहा ने कहा.
‘‘कैसे हैं आप?’’ अर्पिता ने अंदर आ कर आर्यन से पूछा.
‘‘अब ठीक हूं,’’ आर्यन ने मुसकरा कर कहा.
‘‘अर्पिता, तुम सोच रही होगी कि मैं ने तुम्हें यहां क्यों बुलाया है?’’ नेहा नाश्ते की ट्रे ले कर अंदर आते हुए बोली.
अर्पिता ने पहले आर्यन, फिर नेहा की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा. उस की कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
‘‘अर्पिता, मैं ने तुम्हें व आर्यन को गलत समझा था, तुम्हें उन लड़कियों की तरह समझा था, जो अपने स्वार्थ व मौजमस्ती के लिए युवकों को अपने जाल में फंसाती हैं. फिर वे युवक चाहे शादीशुदा ही क्यों न हों, पर बुरे वक्त में तुम ने इतनी मदद की अस्पताल में आर्यन की देखभाल की, मैं उस से जान गई हूं कि तुम वैसी नहीं हो. तुम तो आर्यन की सच्ची दोस्त हो क्योंकि वे स्वार्थी लड़कियां तुम्हारी तरह बिना स्वार्थ किसी की मदद कर ही नहीं सकतीं.
‘‘मैं ने तुम्हारी डायरी भी पढ़ ली है, जो तुम अस्पताल में भूल आई थीं. उस में लिखी बातें पढ़ कर मैं जान गई हूं कि तुम्हारे और आर्यन के बीच सिर्फ दोस्ती का रिश्ता था और कुछ नहीं और वह भी तुम ने इस वजह से खत्म कर लिया ताकि मुझे बुरा न लगे और मैं बेवकूफ गलतफहमी में तलाक ले कर अपना बसाबसाया घर उजाड़ने की तैयारी कर बैठी थी,’’ कहतेकहते फफक पड़ी नेहा.
‘‘नेहाजी, आप की जगह कोई भी होता तो शायद यही करता,’’ अर्पिता बोली.
‘‘अर्पिता, यदि तुम्हारी डायरी न पढ़ी होती तो जाने क्या होता…’’ नेहा ने सुबकते हुए कहा.
‘‘वक्त रहते सब ठीक हो गया नेहाजी अब तो आप को खुश होना चाहिए.’’
‘‘ठीक कहती हो अर्पिता तुम. आज इतने दिनों बाद मन का बोझ खत्म हुआ है,’’ नेहा ने अर्पिता का हाथ पकड़ते हुए कहा.
‘‘आर्यन की आंखों में खुशी के भाव साफ नजर आ रहे थे. पत्नी के मन से गलतफहमी जो दूर हो गई थी. महीनों से सूने पड़े घर में नन्ही तनु की चहचहाहट फिर से गूंजने लगी थी. उस का टूटने के कगार पर पहुंच चुका वैवाहिक जीवन बच गया था. साथ ही फिर मिल गई थी उसे अपनी दोस्त अर्पिता.’’