Cargo Film Review: बेहतरीन कांसेप्ट पर घटिया फिल्म

रेटिंग : 2 स्टार

निर्माता : नवीन शेट्टी ,श्लोक शर्मा, आरती काडव और अनुराग कश्यप

निर्देशक व लेखक : आरती काडव

कलाकार : विक्रांत मैसे, श्वेता त्रिपाठी, नंदू माधव, हंसल मेहता व अन्य

अवधि: एक घंटा 53 मिनट

ओटीटी प्लेटफॉर्म : नेटफ्लिक्स

इन दिनों साइंस फिक्शन को लेकर काफी लोग फिल्में बना रहे हैं. कुछ लोग साइंस फिक्शन के साथ उसमें दर्शनशास्त्र भी जोड़ रहे हैं .कुछ ऐसा ही प्रयास कई लघु फिल्मों के लिए पुरस्कृत फिल्मकार आरती काडव ने किया है. अफसोस वह बेहतरीन विषय वस्तु/कांसेप्ट को कहानी और पटकथा में सही ढंग से पेश करने में पूरी तरह से असफल रही है.

कहानी:

-फिल्म‘‘कार्गो’’की कहानी पृथ्वी पर हर सुबह आने वाले पुष्कर नामक ‘प्रे शिप’’की है. प्रे शिप पर मौत के बाद आने वाले इंसानो के साथ जो कुछ किया जाता है उसकी कहानी है.यह कहानी प्रहस्त( विक्रांत मैसे)नामक इंसान की है,जो कि  साठ साल से ‘पुष्कर 634 ए’’पर कार्यरत है.तो वह बहुत ही मेकेनिकल हो गया है.कार्गो से मृत लोग आते हैं और प्रहस्त के पास वह अपने पास मौजूद सारी चीजें जमा कराने के बाद एक नए प्रोसेेस के साथ गुजरते हैं. प्रहस्त भी सारा काम मेकेनिकल तरीके से करता रहता है.अचानक प्रहस्त को एक सहायक युविश्का(श्वेता त्रिपाठी) मिलती है,जो कि इस नौकरी को लेकर बहुत उत्साहित है.उसे यह पहली नौकरी मिली है.यह लड़की अहसास करती है कि यह मस्ती वाला नहीं,बल्कि लार्जर आॅस्पेक्ट वाला काम है.वह यह जानने का प्रयास करती है कि आखिर जिंदगी का मतलब क्या है,यदि हर इंसान आकर सब कुछ देेने लगेे, तो उसके इस संसार में रहने का क्या मतलब है.इंटरवल के बाद फिल्म पूरी तरह से फिलाॅसाफिकल हो जाती है. इसमें कई छोटी-छोटी कहानियां है इसी के साथ एक कहानी प्रहस्त और मंदाकिनी की प्रेम कहानी भी है ,जोकि प्रहस्त की मृत्यु से पहले की है. एक दिन वह आता है, जब प्रहस्त को पुष्कर प्रेशिप से कार मुक्त कर दिया जाता है.

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लेखन व निर्देशन:

फिल्मकार आरती काडव ने एक बेहतरीन कॉन्सेप्ट/कथानक को चुना, मगर इस कॉन्सेप्ट को वह बेहतरीन कहानी और पटकथा में बदलने में पूरी तरह से असफल रही. इस तरह की विषय वस्तु वाली फिल्मों में हयूमर भी रखा जाना चाहिए, पर इस फिल्म में कहीं कोई ह्यूमर नहीं है. फिल्म बहुत ही ज्यादा धीमी गति से आगे बढ़ती है. जब फिल्म शुरू होती है ,तो लोगों को अहसास होता है कि इसमें स्वर्ग या नरक की कोई बात होगी. पर ऐसा कुछ नहीं है. फिल्म देखते देखते दर्शक बोर हो जाता है.

अभिनय:

यूं तो विक्रांत मैसे व श्वेता त्रिपाठी दोनों ही बेहतरीन अभिनेता है, पर अफसोस पटकथा की कमजोरियों और चरित्र चित्रण सही ढंग से ना होने के चलते दोनों अपनी अभिनय क्षमता का परिचय नहीं दे पाए. पूरी फिल्म में विक्रांत और श्वेता  के बीच कोई केमिस्ट्री भी नजर नहीं आती है.

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प्रोड्यूसर होना एक बच्चे को जन्म देने जैसा है– नेहा धूपिया

 साल 2002 में मिस युनिवर्स इंडिया की ताज पहन चुकी नेहा धूपिया को बचपन से ही कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण काम करने की इच्छा थी. जिसमें साथ दिया उसकी माता पिता ने. साल 2003 में उसने फिल्म ‘क़यामत’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखी, पर इस फिल्म को अधिक सफलता नहीं मिली. उसे असल कामयाबी फिल्म जुली, शीशा, क्या कूल है हम, शूट आउट ऐट लोखंडवाला आदि फिल्मों से मिली.

नेहा ने फिल्मों के अलावा टीवी पर भी कई शो की एंकरिंग की है. वह एक अभिनेत्री ही नहीं, एक जानी-मानी मॉडल और एक बेटी मेहर धूपिया बेदी की माँ भी है. काम के दौरान उन्होंने अभिनेता अंगद बेदी से शादी की. नेहा स्पष्टभाषी है और इसका प्रभाव उसके कैरियर पर भी पड़ा, पर वह इसे अधिक महत्व नहीं देती. जियो सावन और बिग गर्ल प्रोडक्शन के साथ वर्क फ्रॉम होम एडिशन की शो ‘नो फ़िल्टर नेहा सीजन 5’ शुरू हो चुका है, जिसे लेकर नेहा बहुत खुश है,कैसे उन्होंने बच्चे के साथ इस शो को बनायीं है, आइये जाने उन्ही से.

सवाल-इस शो का 5वा सीजन कर रही है, कितनी उत्सुक है?

मुझे ये शो बहुत अच्छा लगता है, इसमें छोटी-छोटी बातें जिसे आज तक किसी ने जाना नहीं है उसके बारें में बात की जाती है, थोड़ी हंसी, थोड़ी मस्ती और कई विषयों पर बातें की जाती है, इसके अलावा इस शो के ज़रिये हम लोगों को डोनेट करने के लिए भी कहते है,ताकि गरीब बच्चियों की पढ़ाना,चाइल्ड मैरिज को रोकना, उनके सपनों को पूरा करना आदि कई विषयों का समाधान किया जा सकें.

सवाल-एक्ट्रेस होकर एक पत्रकार की तरह एंकरिंग करना कितना सहज और मुश्किल होता है?

मैं ऐसी शो पहले भी होस्ट कर चुकी हूं. किसी भी काम को करने से पहले उस पर रिसर्च करना हमेशा जरुरी होता है. पत्रकार भी किसी बात को लिखने से पहले शोध करते है. इसमें ह्युमन साइड को अधिक बताने की कोशिश की जाती है, फिर चाहे वह सौरभ गांगुली, सैफ अली खान, कबीर खान या सोनू सूद कोई भी हो उसकी जर्नी में जो सफलता मिली है उसकी छोटी-छोटी जानकारियाँ देने की कोशिश की जाती है. ये बातचीत होती है, न्यूज़ नहीं, लेकिन ये भी ध्यान रखा जाता है कि बातचीत रोचक और रियल हो.यही वजह है कि इसे लोग पसंद कर रहे है. अभी घर से सब हो रहा है, इसलिए खुद को ही सबकुछ करना पड़ता है, इसलिए मेहनत इतनी होती है कि एक रिकॉर्डिंग के बाद मैं थक जाती हूं, जबकि एक्टिंग में अपनी भूमिका निभाकर घर आ जाना पड़ता है जो आसान होता है.

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सवाल-आपके जीवन पर इस शो का प्रभाव क्या रहा और इस शो की यू एस पी क्या है?

इस शो के प्रोड्यूसर होने के नाते मुझे बहुत उत्साह मिला है. जिससे मुझे नई-नई चीजों को ट्राय करने का हौसला मिला. हमरे पास एक अच्छी टीम है. सारे यंग है और उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है. इसके अलावा अगर मैं गेस्ट की बात करूँ तो वही इस शो की यू एस पी है, क्योंकि जब मैं उनके साथ बात करती हूं तो बहुत सारे शोध उनपर करने पड़ते है, जिससे मैं उनके बारें में छोटी-छोटी जानकारियाँ पाती हूं, जिसे मैं पहले नहीं जानती थी. इससे मुझे अनुशासन, दूसरों के लिए काम करने की इच्छा, नए लोगों से जुड़ना आदि सब मेरे अंदर आ गया  है. क्रिकेटर हरभजन सिंह के साथ मैंने बात की थी और आज भी उसके साथ जुडी हूं. नए लोगों के साथ जुड़ने का यह एक अच्छा मौका मुझे मिल जाता है. ये एक तरह से मेरे लिए एडवेंचर होता है, जो मुझे बहुत पसंद है.

सवाल-किसके साथ आपको बात करने में बहुत अच्छा लगा?

सभी के साथ बातचीत करने में अच्छा लगता है. सौरभ गांगुली की अगर बात करूँ तो मैं उसकी बहुत बड़ी फैन हूं. वह एक टीम के कैप्टेन रहे है. वे बहुत ही सुलझे हुए इंसान है. उन्होंने क्रिकेट को गोल्डन इरा में ले जाने में सफल हुए थे. उनके बारें में जानना मुझे बहुत अच्छा लगा. उनका क्रिकेट के अलावा फूटबाल को पसंद करना, शो को होस्ट करना आदि कई बातें है, जिसे हम सब नहीं जानते, यही वजह है कि इस शो को मैं बहुत एन्जॉय करती हूं.

सवाल-किस सेलेब्रिटी के लिए सबसे अधिक रिसर्च करना पड़ा? क्या प्रश्न पूछते समय ये भी ध्यान रखना पड़ता है कि सेलेब्रिटी आपके प्रश्न का उत्तर देने में असहज न हो?

सबके लिए बहुत रिसर्च करनी पड़ती है. राणा दूगुबाती के लिए काफी शोध करने पड़े, क्योंकि उनके बारें में जानकारियाँ कम थी. रणवीर सिंह, विद्या बालन और सोनाक्षी सिन्हा के लिए भी बहुत रिसर्च करने पड़े थे, क्योंकि कुछ लोग खुलकर बात करते है कुछ नहीं. कुछ तो जानकारी कहाँ से मिली इस बारें में भी पूछते है. इसलिए हर चीज को बहुत सावधानीपूर्वक करनी पड़ती है. ये ध्यान रखना पड़ता है और उसकी रुपरेखा पहले से ही तैयार कर ली जाती है और उन्हें शो का फॉर्मेट भी बता दिया जाता है. उनकी सहजता का ध्यान हमेशा रखा जाता है.

 

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सवाल-बच्चे के साथ काम करना कितना कितना मुश्किल था?

बहुत अधिक मुश्किल था, क्योंकि वह दो साल की होने वाली है, वह बार-बार शूट के फ्रेम में आ जाती है. ऑडियो, विडियो, एडिटिंग, मेकअप आदि सब बहुत मुश्किल था, लेकिन मैंने ये सब करते हुए ये जाना कि अगर आप किसी काम को करना चाहती है, तो कोई आपको रोक नहीं सकता. मैंने इस शो को करने से पहले भी 3 दिन तक सोचा था और अंत में करने को ठानी. इस शो को घर से करना आसान नहीं था, क्योंकि आप ऑफिस को घर पर ला रहे है, ऐसे में पूरा परिवार घर पर होता है. बेटी का बार-बार घूमना, मेरी बातों को बच्चे द्वारा नक़ल करना, बर्तनों की आवाज, अंगद का इधर-उधर जाना आदि कई समस्याएं आई, पर मैंने इन सबके बीच काम किया. मैं सुस्मिता सेन, शाहरुख़ खान और दिलजीत दोसांज को अपने शो में लाना चाहती हूं.

सवाल-क्या इस शो को करते हुए आपने अपने पुराने दिनों को याद किया?

मुझे पिक्चर खिचवाना बहुत पसंद था. इसके बाद मैं जब मिस इंडिया बनी तो तस्वीरों के खीचने की झड़ी लग गयी थी. वह दौर मेरे लिए सबसे अधिक सुनहरा था. ये सब मेरी यादगार पहलू है.

आज मेरे लिए उम्र कोई बड़ी बात नहीं होती. आप कैसे अपनी जिंदगी बिता रहे है वह अधिक मायने रखती है. जब आपको किसी काम को करने की इच्छा हो आप कर सकती है. इस शो के दौरान मैं नीना गुप्ता से बहुत प्रभावित हुई. उनकी कॉन्फिडेंस मुझे आगे बढ़ने में सहायता करती है.


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सवाल-प्रोड्यूसर होने का प्रेशर कितना रहता है?

एक्ट्रेस से प्रोड्यूसर होने का प्रेशर बहुत अधिक रहता है. प्रोड्यूसर होने का अर्थ एक बच्चे को जन्म देने की तरह होता है. मैं एक माँ भी हूं और जानती हूं कि एक बच्चे को जन्म देना कितना कठिन होता है. एक शो को लाने के लिए बहुत अधिक मेहनत और लगन की जरुरत होती है, क्योंकि आप दर्शकों से सीधे जुड़ते है और आप उस शो के जवाबदेही होते है. पूरे प्रोडक्ट का दायित्व आप पर होता है. एक्ट्रेस होने पर आपको इतना अधिक प्रेशर लेना नहीं पड़ता. सारी चीजे कई लोगों में बाँट दी जाती है. प्रोड्यूसर होने पर बहुत सारे चीजे आप सीखते है.

सवाल-इंडस्ट्री बहुत ख़राब दौर से गुजर रही है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

ओटीटी या सिनेमा कही जाने वाली नहीं है. कई बड़ी फिल्में आने वाली है, जिसका दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे है. कुछ दिनों बाद ये अवश्य ठीक होगा. कंटेंट किसी भी फॉर्म में अडॉप्ट किया जा सकता है. दर्शकों को क्या पसंद है, ये उन्हें ही तय करना होता है.

समाजिक दूरी से ‘एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर’ में तनाव

सामाजिक दूरी और कोराना का संक्रमण एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में तनाव का कारण बन रहा है. जिसके कारण नजदीकियां दूरियों में बदल गई है. नजदीकियों दूरियों में बदलने से आपस में तनाव बढ रहा है. शादीशुदा जोडों में तनाव घरेलू हिंसा को जन्म दे रहा है तो युवा कपल्स में बढने वाला तनाव मन पर असर डाल रहा है. जिसके चलते लोग बडी संख्या में मेंटल हेल्थ को लेकर परेशान हो रहे है. भारत में मेंटल हेल्थ कभी मुद्दा नहीं रहा इस कारण यहां कपल्स के बीच दिक्कते अधिक बढ रही है.

सरला एक बडी अधिकारी है. उनके पति भी बडे अफसर है. दोनो के बीच कई सालों से पतिपत्नी के बीच वाले स्वाभाविक रिश्ते नहीं चल रहे. 2 साल से दोनो अलग रह रहे है. दोनो को ही एक दूसरे से शिकायत है कि वह अलग रिश्ते रखे हुये है. यह बात सच है कि सरला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बन गया था. दोनो ही आपस में खुश थे. सरला पूरी तरह से अपने संबंधों को समाज से दूर रखकर चल रही थी. लोगों में सरला के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की चर्चा भर थी पर किसी को भी पुख्ता जानकारी नहीं थी. यह सरला की समझदारी ही थी. सरला अपना वीकएंड ही उसके साथ गुजारती थी और बाकी सप्ताह अपने घर और औफिस के काम में व्यतीत करती थी. सरला ने अपनी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर वाली लाइफ को सोशल लाइफ से दूर ही रखा था.

सब कुछ अच्छा चल रहा था. अचानक कोविड 19 का संकट आ गया. जहां आपस में मिलना मुश्किल होने लगा. पार्क, होटल, सिनेमाघर तो बंद हो ही गये साथ ही साथ अपने शहर से दूर जाकर मिलना भी बद हो गया. यह तनाव सरला को परेशान करने लगा. सरला अपने साथी से मिल नहीं पा रही थी तो उसका तनाव उसके व्यवहार पर झलकने लगा था. इस बीच लौकडाउन तो खुल गया पर इसके बाद भी माहौल सहज नहीं हो सका. कोविड 19 का संक्रमण बढने लगा. इससे होने वाली मौंतें डराने लगी. सरला को कभी मिलना भी होता तो वह डरने लगी. कोविड के दौरान अकेलापन दूर करने के लिये कपल्स के बीच डेटिंग शुरू हो गई. कपल्स में इसमें पहले वाली फीलिंग्स नहीं मिल रही.

कोरोना का डरः

सरला कहती है ‘लौकडाउन खुलने के बाद हमने मिलने का प्लान बनाया. हम अपनी प्रिय जगह पर मिलने गये तो वहां पहुंचते ही डर लगने लगा. यह डर केवल मेरे मन में ही नहीं था उसके मन में भी था. हमें यह पता था कि हममे से किसी को कोरोना नहीं है. इसके बाद भी हम एक दूसरे के करीब जाने से डर रहे थे. हमने आपसी बातचीत में यह स्वीकार किया किया कि मिलने के लिये हम अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते है. हमने यह तय किया कि मिलने से पहले कोरोना टेस्ट करा लेगे. इसके बाद फिर लगा कि कोरोना टेस्ट कराकर मिलना भी कोई सहज बात नहीं है.

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असल में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर लोग इसलिये ही बनाते है जिससे वह अपनी जिदंगी खुल कर जी सके. कोरोना सकंट के दौर में इस जिंदगी पर पहरा सा लग गया. यह पहरा ऐसा है जिसका तोडने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. ऐसे में कपल्स को लग रहा कि दूरदूर बैठ कर बात करने से अच्छा है कि मिले ही ना. इससे किसी के देखने और जानने का खतरा भी नहीं होगा और कोरोना का डर भी नहीं रहेगा. सरला कहती है ‘इस बात समझना और इस पर अमल करना दो अलग बातें होती है. जो संबंध आपकी आदत बन गये हो अगर अचानक बंद हो जाये जो लाइफ में तनाव बढ जाता है. इस तनाव के बढने से तमाम तरह से खतरे भी बढ जाते है. मुझे सिरदर्द और सुस्ती का अनुभव होने लगा. मुझे लगने लगा कि यह रिश्ते अब कैसे चलेगे ? ’

ओवर पजेसिव होने से बिगड रही बातः

चेतना को अचानक नींद ना आने की शिकायत रहने लगी. इससे उसका दिन खराब रहने लगा. चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन गया. कई दिनों तक परेशान रहने के बाद वह अपने पति के साथ डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने उनको साइक्लोजिस्ट के पास जाने सलाह दी. चेतना पहले दिन पति के साथ गई. कांउसलर ने जब खुलकर बात करना शुरू किया तो वह ठीक तरह से सवालों के जवाब देने में हिचकने लगी. डाक्टर ने अगले दिन उसे अकेले आने को कहा. अगले दिन चेतना अकेले गई. तब उसने खुलकर बातचीत करते काउंसलर से कहा कि उसकी एक्स्ट्रा मैरिटल लाइफ सहीं नहीं चल रही. जिसकी वजह से वह तनाव में रहती है. रात में नींद नहीं आती. हम लोग लौकडाउन में एक दूसरे से औन लाइन बातचीत करते थे. किसी तरह से वह समय कट गया पर 5 महीने से आपस में ना मिल पाने का तनाव अब सहन नहीं हो रहा है. हमें यह भी लग रहा कि कहीं इस दूरी की वजह से उसके संंबंध कही और किसी से ना हो जाये. जिससे वह हमें छोडकर चला जाये.‘

साइक्लौजिस्ट सुप्रीती बाली कहती है ‘एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के मामलों में यह डर सामान्य बात होती है. एक दूसरे को लेकर यह चिंता बनी रहती है कि कहीं हमारा ब्रेकअप किसी और की वजह से ना हा जाये. यह चिंता अपने पार्टनर को लेकर ओवर पजेसिव होने की हद तक चली जाती है. शंका बढने के साथ साथ यह हालात और भी खराब होते जाते है. ऐसे में मानसिक रोग बढने लगता है. अगर सही समय पर लोग अपनी बात नहीं बताते तो हालात अपने को नुकसान पहंुचाने तक के लेवल पर पहंुच जाते है. ऐसे लोग को कोविड और कोरोना के दौरान बिगडे हालातों को देखकर समझदारी से काम लेना चाहिये.‘

सुप्रीती बाली कहती है ‘कई बार कपल्स मिलने का प्लान करते है. डर के कारण मिल नहीं पाते. ऐसा अगर दो-तीन बार हो गया तो शकंा होने लगती है कि कहीं अगला संबंधों को खत्म करने के लिये बहाने तो नहीं बना रहा. यह शंका करने से पहले अपने संबंधों को समझना चाहिये. उसके भरोसे और विश्वास को सामने रखकर सोचना चाहिये. तभी तनाव को दूर किया जा सकता है.‘

चेतना ने बताया कि एक-दो बार जब हम मिले भी तो ना हाथ मिलाया, ना गले मिले और ना ही करीब बैठे ऐसे में हमें लग रहा था जैसे हमारे रिश्ते सामान्य नहीं है. उसको हमसे मिलकर पहले जैसी खुशी का अनुभव नहीं हो रहा था. यह बात हमें और भी परेशान करने वाली लग रही थी. इस तरह रिश्तों में दूरी और ठंडापन अनुभव हो रहा था. हमारे बीच रिश्तों की पहले जैसी गर्माहट का अभाव दिख रहा था. डाक्टर के समझाने पर मुझे लगा कि हम बेकार ही अपने बीच दूरी को लेकर चिंता कर रही थी.

मार्केटिंग विभाग में काम करने वाली शोभा कहती है ‘पहले जब मिलने जाना होता था तो मेकअप, ड्रेसअप, सेंट आदि लगाकर खुश्बू बिखेरते जाना होता मन में खुशी होती थी. लगता था कि कुछ समय के ही लिये सही पर अपनी दुनियां बदल जाती थी. अब मिलने से पहले सेनेटाइजर, मास्क लगाना पडता है. मिलने के लिये खुली जगह देखनी पडती है. कई बार घूमते फिरते बात करनी होती है. जिससे पता ही नहीं चलता कि हम मिलने आये है. ऐसी मुलाकातों में अजनबीपन का अनुभव होता है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में जो क्लोजनेस आती थी उसका एहसास अब खत्म हो गया है.

कपल्स के आपस में मिलने जुलने की बात करें तो अब लोगों की प्राथमिकताएं बदली है. वह एक दूसरे के करीब जाने और छूने को लेकर सहज अनुभव नहीं कर रहे है. ऐसे में कपल्स के बीच प्यार मोहब्बत की जगह गुस्सा बढने लगा है. लोग चाहते है यह दूरी ना हो पर कपल्स में यह भरोसा नहीं हो रहा कि सामने वाले से कोई खतरा नहीं है. कपल्स के रिश्ते के बीच कोरोना आ गया है. कोराना पति पत्नी और वह जैसी हालत में पहुंच कर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के रिश्ते बिगाडने का काम कर रहा है. इसी कारण से आपस में तनाव खतरनाक हालत तक पहुंच रहा है. इससे बचने के लिये मेंटल हेल्थ पर काम करने की बहुत जरूरत है.‘

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जानलेवा हो रहा तनावः

नेशनल क्राइम ब्यूरों के आंकडे बताते है कि पिछले 5 माह में उत्तर प्रदेश ही राजधानी लखनऊ में 250 लोगों से अधिक ले सुसाइड किया. सुसाइड के मामलों में उत्तर प्रदेश देश का 8 सबसे बडा राज्य है. इन सुसाइड में अधिकतर की वजह पारिवारिेक तनाव रहा है. इन तनाव में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के कारण का अलग से कोई विवेचना नही की गई है. इसकी वजह यह है कि हमारे समाज में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर छिपाने का चलन है. ऐसे में सुसाइड के मामलों में जो मुकदमें कायम भी होते है उनमें इन वजहों को छिपा लिया जाता है. जानकार मानते है कि लौकडाउन का असर पारिवारिक संबंधों खासकर  एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर भी पडा है. इस तनाव के भी बहुत लोग शिकार हुये है.

सुसाइड करने वालों में 33 फीसदी लोग पारिवारिक कारणों यह कर रहे है. इनमें 30 फीसदी महिलाये और 70 फीसदी पुरूष है. साइक्लोजिस्ट सुपीती बाली कहती है कि खराब हालात हर किसी के जीवन में आता है. जिन लोगो की मेंटल हेल्थ अच्छी होती है वह हालात को संभाल लेते है पर जिनकी मेंटल हेल्थ खराब होती है वह मेंटल बीमारियों का शिकार हो जाते है. आत्महत्या करने के पीछे की सबसे बडी वजह मेंटल हेल्थ का सही ना होना होता है.‘

मेंटल हेल्थ जागरूकताकी जरूरतः

मानसिक बीमारियों से समाज को बचाने के लिये जरूरी है कि मेंटल हेल्थ की तरफ अधिक से अधिक ध्यान दिया जाये. मानसिक बीमारियो को रोकने के लिये यह बेहद जरूरी है. लौकडाउन के दौरान सबसे पहले इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है. कोविड 19 महामारी के दौरान बडी संख्या में ऐसे लोग सामने आये जो किसी ना किसी वजह से मानसिक बीमारी से ग्रसित थे. मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता, समाज की सोंच और डाक्टरों की कमी से हालत और भी बिगड गये. सुसाइड प्रिविंशन इन इंडिया फाउडेशन के एक सर्वे में यह बात सामने आई कि मरीजो में खुद को हानि पहुंचाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ रही है. इस सर्वे में यह भी पाया गया कि 40 फीसदी लोग किसी ना किसी वजह से अवसाद से जूझ रहे थे.

यह बात भी मानी जा रही कि मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता लोगों में आई है पर बाकी दुनिया के मुकाबले भारत बहुत पीछे है. अब पहले के मुकाबले मेंटल हेल्थ के मामले अस्पताल पहुचने लगे है. मानसिक रोगों के डाक्टरों और काउसलरों की देश में कमी का ही कारण है कि केाविड के दौरान मेंटल केस के मामले बढने से डाक्टर खुद काम की अधिकता से प्रभावित हो रहे है. यह हमारे देश की त्रासदी है कि मेंटल हेल्थ को पागलपन से जोडा दिया जाता है. परिवारों में मेंटल हेल्थ पर बात करना अभी भी सामान्य बात नहीं है. ऐसे में मेंटल हेल्थ के मामलों को रोकना मुश्किल होगा.

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मेरा 10 साल का बेटा सब्जियां बिलकुल नहीं खाता?

सवाल

मेरा बेटा 10 साल का है. वह सब्जियां बिलकुल नहीं खाता. उस का पेट साफ  नहीं रहता है. क्या सब्जियां न खाना इस का कारण है?

जवाब

बच्चों को सब्जियां खिलाना बहुत जरूरी है क्योंकि पोषक तत्त्वों से भरपूर सब्जियों में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. कब्ज बड़ी आंत की समस्या है और फाइबर हमारी आंतों के लिए ब्रश का काम कर उन्हें साफ  रखती है और कब्ज नहीं होने देता. आप अपने बच्चे के डाइट चार्ट में सब्जियों के साथसाथ फ लों और साबूत अनाज भी शामिल करें. उसे पानी और दूसरे  तरल पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में दें.

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हृदयरोगियों के लिए कब्ज कितनी खतरनाक हो सकती है? किन बातों पर ध्यान रखना जरूरी है?

हृदयरोगियों को अगर मल त्यागने में जोर लगाना पड़े, तो यह उन के लिए ठीक नहीं है. वैसे तो कब्ज के कारण हृदयरोगों के गंभीर होने का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, लेकिन मल त्यागने में अत्यधिक प्रैशर लगाने से रक्तदाब बढ़ सकता है, जिस से हार्ट फे ल्योर, हृदय की धड़कनें अनियंत्रित हो जाना और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. कई हृदयरोगियों में दवा के साइड इफै क्ट्स के कारण भी कब्ज की समस्या हो जाती है.

फाइबर युक्त भोजन का सेवन अधिक करें. पानी और दूसरे तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें. कब्ज की समस्या गंभीर है तो अपने डाक्टर से बात करें.

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शिक्षित बेरोजगार-न कमाई न सुकून

राहुल एक एंड्रॉयड डेवलपर है और एक अमेरिका की कंपनी में काम करता है, जिसका हेड ऑफिस सेन फ्रांसिस्को में है. साल में तीन-चार बार वहां उसका चक्कर लगता ही था, क्योंकि वह उनके अच्छे एंप्लाई में से एक है और 15 लोगों की एक टीम भी भारत से हेड करता है. बैंगलुरू में कंपनी का ऑफिस है. 4 मार्च को ही वह वहां से भारत लौटा था. 1 अप्रैल को कंपनी के सीईओ की मेल आई कि उसकी टीम के सारे लोगों को जो अमेरिका में हैं, निकाल दिया गया है. वजह कोरोना के इस संकटग्रस्त समय में मंदी ही थी. राहुल परेशान है, क्योंकि उसे नहीं पता कि उसे भी कब नौकरी से हाथ धोना पड़े.

कोरोना वायरस के कारण करने पड़े लॉकडाउन का असर हर क्षेत्र में पड़ा है, जिसकी वजह बेरोजगारी की समस्या और उससे जुड़ी आर्थिक मंदी ने युवाओं के जीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है. उनके पास डिग्रियां हैं, योग्यता है, पर नौकरी नहीं है. प्राइवेट संस्थानों से महंगी शिक्षा प्राप्त करने के पीछे युवाओं का उद्देश्य केवल मोटे वेतन वाली नौकरियां पाना होता है, जिसके लिए वे कर्ज लेते हैं. लेकिन लॉकडाउन से सारी स्थिति ही उलट गई. वे घर बैठे हैं और कर्ज चुकाना तो दूर, उस पर लगने वाला ब्याज देना भी भारी हो गया है.

बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े

वायरस के लगातार बढ़ते मामले किस ऊंचाई पर पहुंचकर कम होंगे,  इसका अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन लॉकडाउन ने  नौकरियों का कितना नुकसान किया है. यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है. नौकरियों के नुकसान के आंकड़े बड़े भयावह हैं. रोजगार के मोर्चे पर अनिश्चितता झेल रहे लोगों की तादाद आज भारत में रुस की आबादी जितनी हो सकती है.लॉकडाउन से पहले 3.4 करोड़ लोग बेरोजगार थे. लॉकडाउन के बाद नौकरी गंवाने वाले 12 करोड़ लोगों में इस संख्या को जोड़ दीजिए तो आंकड़ा 15 करोड़ तक पहुंच जाता है. लेकिन इन युवाओं का आंकड़ा अभी स्पष्ट नहीं है, जो पढ़ाई करने के बाद नौकरी पाने की ओर अग्रसर थे ही कि लॉकडाउन हो गया और अर्थव्यवस्था ठप्प हो गई.

एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि देश में 2.70 करोड़ युवा जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच हैं, वे अप्रैल महीने में बेरोजगार हो गए हैं. बड़े शहरों में लॉकडाउन के कारण कई कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए या फिर वहां वर्क फ्रॉम होम का नियम अपनाया जा रहा है.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में मासिक बेरोजगारी दर 24 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि यह मार्च में 8.74 प्रतिशत थी. 3 मई को समाप्त हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर 27 फीसदी थी. आंकड़े बताते हैं कि देश में फिलहाल 11 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं. सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वे के डाटा के मुताबिक नौकरियां गंवाने वाले लोगों में 20 से 24 साल की उम्र के युवाओं की संख्या 11 फीसदी है. सीएमआईई के मुताबिक 2019-20 में देश में कुल 3.42 करोड़ युवा काम कर रहे थे जो अप्रैल में 2.9 करोड़ रह गए. इसी तरह से 25 से 29 साल की उम्र वाले 1.4 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई. 2019-20 में इस वर्ग के पास कुल रोजगार का 11.1 फीसदी हिस्सा था लेकिन नौकरी जाने का प्रतिशत 11.5 फीसदी रहा. अप्रैल में 3.3 करोड़ पुरुष और महिलाओं की नौकरी चली गई. इसमें से 86 फीसदी नौकरियां पुरुषों की गईं.

एक खबर के मुताबिक बेरोजगारी दर, भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर देखने को मिल रही है. अप्रैल के महीने में अमेरिका में करीब 1 करोड़ लोग बेरोजगार हुए. पढ़ाई पूरी कर निकले युवा तो नौकरी पाने की बात सोच भी नहीं रहे हैं.

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महंगी पढ़ाई और ऊंचे सपने

लेकिन ये तो उन युवाओं की बात है जो नौकरी कर रहे थे, और लॉकडाउन के कारण जिनकी नौकरियां चली गईं, पर उनका क्या जिन्होंनेअच्छे प्राइवेट कॉलेजों से पढ़ाई करने के लिए ऊंची रकम इस आशा से चुकाई थी कि वहां से निकलते ही उन्हें मोटे वेतन वाली नौकरियां मिल जाएंगी. दिल्ली,मुंबई,चेन्नई,कोलकाता जैसे महानगरों में कई ऐसे सेक्टर में नौकरी पाने के लिए डिप्लोमा कोर्स कराने वाली संस्थाएं मौजूद हैं,जो एक साल से लेकर दो साल तक का कोर्स कराकर नौकरी देने का ऑफर करती हैं.

एमबीए, इंजीनियरिंग और कानून की महंगी पढ़ाई जहां एक तरफ ऊंचे सपने दिखाती है, वहीं उसके लिए लोन भी इसी उम्मीद से लिया जाता है कि नौकरी मिलने के बाद उसे चुकाना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन उनकी उम्मीद पर तब पानी फिर गया जब नौकरी मिलने के बजाय अचानक लॉकडाउन हो जाने से वे बेरोजगारों की कतार में आ खड़े हुए और लोन पर चढ़ने वाले ब्याज को चुकाने की चिंता उन पर सवार हो गई। अपनी महंगी पढ़ाई उन्हें आज चुभ रही है और कहीं न कहीं उन्हें लग रहा है कि अशिक्षित होते तो कम से कम उन्हें सरकार या गैर-सरकारी संगठनों से आर्थिक मदद तो मिल ही जाती। नौकरी जाना ना केवल युवाओं के लिए इस समय चिंता की बात है, बल्कि नई नौकरी तलाशना भी चुनौती भरा काम है.

भारत में इस साल मार्च में नौकरी पर रखने के आंकड़ों में 18 फीसदी की गिरावट आई. नौकरी डॉट डॉम के मुताबिक ट्रैवेल,एविएशन, रिटेल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में नौकरी पर रखने के मामलों में सबसे ज्यादा 56 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.भारतीय अर्थव्यवस्था का जायजा लेने वाली एजेंसी सीएमआईई की भी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च,2020 में भारत में बेरोजगारी दर 8.7% रही,जो कि पिछले 43 महीनों में सबसे अधिक है. और इस समय भारत में बेरोजगारी की दर 23 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है.

कहां से जुटाए धन

जयपुर में रहने वाले मयंक ने कानून की पढ़ाई करने के लिए बैंक से करीब 5 लाख का एजुकेशन लोन लिया. अच्छे अंकों से पास होकर वह इस क्षेत्र में कदम रखने ही वाला था कि लॉकडाउन हो गया और उसे घर पर ही बैठना पड़ा. उसे समझ नहीं आ रहा कि वह बैंक का कर्ज कैसे चुकाएगा, क्योंकि निकट भविष्य में लॉकडाउन के खुलने के बाद भी तुरंत नौकरी मिल पाना उसे सपना ही लग रहा है. उसे अपनी डिग्री मुंह चिढ़ाती प्रतीत होती है और वह कुछ भी काम करने को तैयार है, जिससे कुछ तो कमाई हो सके.

दिल्ली की दीपा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए जब कर्ज लिया था तो उसे यकीन था कि वह नौकरी मिलते ही उसे चुकाना शुरू कर देगी. लेकिन आज वह घर में बैठी है. निराशा उस पर हावी है और अगर यही हाल रहा तो मां के गहने बेचकर उसे कर्ज चुकाना पड़ेगा.

बिहार में मधुबनी के अश्विनी कुमार ने पंजाब नेशनल बैंक से साढ़े करीब 10 लाख रुपये का लोन लेकर जयपुर के एक निजी संस्‍थान से एमबीए किया। उसने सोचा था कि दिल्ली में अपने कैरियर की शुरुआत करेगा और मोटा वेतन लेकर सारे सपने पूरे करेगा. उसके पिता के खेत हैं. वह नहीं जानता कि आज के हालातों में उसे कब नौकरी मिलेगी और वह कैसे कर्ज चुकाएगा.

यह उच्च शिक्षित प्राप्त युवा अब क्या करे? एक तरफ तो उसके पास कमाई का कोई साधन नहीं है, दूसरी तरफ पढ़ाई के लिए लिया लोन भी उसे चुकाना ही है. बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी पाने का सपना तो चूर-चूर हो गया है, उस पर से उनके लिए करने को कोई काम नहीं है, क्योंकि सारे ही क्षेत्रों के हालात बुरे हैं और व्यापार से लेकर हर काम ठप्प हो चुके हैं. सरकार लोन चुकाने के लिए बेशक कुछ मोहलत दे रही है, पर वह स्थायी समाधान नहीं है, क्योंकि नौकरी तो जरूरी है. शिक्षित युवा हताश है क्योंकि उनकी डिग्रियां आज रद्दी हो गई हैं.

देश में तकनीकी शिक्षा में 70 फीसदी हिस्सेदारी इंजीनि‌यरिंग कॉलेजों की हैं. बाकी 30 फीसदी में एमबीए,फार्मा,आर्किटेक्चर जैसे सारे कोर्स आते हैं. इंजीनियरिंग और एमबीए का क्रेज हमेशा से युवाओं में रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है अच्छी नौकरी और बेहतर भविष्य की गारंटी यही दे सकते हैं. फिर चाहे इनकी पढ़ाई करने के लिए कर्ज ही क्यों न लेना पड़े. महंगी शिक्षा के कारण लोन लेना भी एक आम बात हो गई है. कर्ज लो, और अपनी कमाई से उसे चुकाते रहो, ताकि मां-बाप भी बोझ न पड़े.

अवसाद घेर रहा है

इस समय इस उच्च शिक्षित पीढ़ी के सामने अगर एक तरफ बेरोजगारी सिर उठाए खड़ी है तो दूसरी ओर कर्ज चुकाने की समस्या इन्हें आत्महत्या व अवसाद की ओर धकेल रही है. गौरव ने तकरीबन छह महीने पहले अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. 10 लाख रुपए कर्ज लिया, इस उम्मीद से कि डिग्री मिलने के बाद वह इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में करियर बना लेगा, लेकिन वह सपना पूरा नहीं हुआ तो उसने एक दुकान में मिक्सर, पंखे जैसी घरेलू चीजों को सुधारने का काम करने की नौकरी कर ली, जो इस समय बंद पड़ी है. जो लोन लिया था, उसे चुकाना तो उसने शुरू नहीं किया है और पता भी नहीं कि कब वह इसे चुका भी पाएगा कि नहीं.

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इस समय हजारों ऐसे युवा हैं तो महंगी शिक्षा की डिग्री थामे नौकरियों के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सिविल इंजीनियरिंग से लेकर कंप्यूटर कोडिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को न केवल नौकरी की चिंता है. लोन चुकाना भी किसी मानसिक तनाव से कम नहीं है. यह चिंता उन्हें किस ओर ले जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, पर यह तो तय है कि इस कोरोना वायरस की वजह से न सिर्फ मंदी का दौर दुबारा लौट आया है, वरन तनाव, अवसाद, आशंका और भय भी हर चेहरे पर दिख रहा है.

घर से जुड़ी इन 10 प्रौबल्मस के लिए बेस्ट है बर्फ

अक्सर लोग बर्फ का इस्तेमाल हेल्थ से जुड़ी प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए करते हैं. वहीं बर्फ का इस्तेमाल गरमी से राहत पाने के लिए कोल्ड ड्रिंक के लिए करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी बर्फ का इस्तेमाल अपने घर से जुड़ी प्रौब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए किया है. आज हम आपको घर से जुड़े बर्फ के कुछ ट्रिक्स बताएंगे, जिसे आप अपने घर की क्लीनिंग के लिए ट्राय कर सकते हैं.

1. हाउस प्लांट्स को दें राहत

हाउस प्लांट्स आपके घर की खूबसूरती बढ़ाने के साथ ही आपके घर की हवा को भी शुद्ध करते हैं. पर हाउस प्लांट्स को भी देखभाल की जरूरत होती है. आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है आपका ये काम आइस क्यूब ही कर देंगे. आप पौधों पर आइस क्यूब रख सकती हैं. बाकि काम रूम टेमप्रेचर से हो जाएगा. ये टिप आजमा कर अपने पौधों को फ्रेश फील दें.

2. बोतल और वास चमकायें

छोटे मुंह वाले बोतल या वास को साफ करने में मेहनत लगती है. अगर आपके पास भी ऐसी कोई बोतल या वास है तो इसे बर्फ से आसानी से साफ किया जा सकता है. बोतल में नमक, नींबू और आइस क्यूब डालें. वास या बोतल को हिलाएं. अब आप बोतल या वास को आसानी से साफ कर सकती हैं.

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3. कपड़ों से chewing गम हटाएं ऐसे

कपड़ों से च्युइंग गम हटाना किसी जंग को जीतने से कम नहीं है. आपने chewing गम हटाने के कई उपाय सुने होंगे. कपड़े को केरोसिन में डूबो कर रखने से लेकर कपड़े पर टूथपेस्ट लगाने तक जैसे आईडिया दिए जाते हैं. पर आइस क्यूब से ये काम आप आसानी से कर सकती हैं. जहां च्युइंग गम लगा हुआ हो, उस पर आइस क्यूब लगाएं, थोड़ी देर के लिए छोड़ दें. फिर च्युइंग गम को किसी चम्मच की मदद से आसानी से निकाल लें.

4. कपड़ों की सिलवटें हटाए

कपड़ों पर सिलवटें हटाने के लिए भी अच्छी खासी मेहनत लगती है. मुलायम कपड़ों में सिलवटें पड़ना अलग ही प्रौब्लम है. ऐसे कपड़ों को बड़ी ही सावधानी से इस्त्री करना पड़ता है. क्योंकि जरा सी हड़बड़ाहट और आपका कपड़ा जल सकता है. पर आइस क्यूब से ये काम भी आसानी से हो सकता है. एक कपड़े में आइस क्यूब को लपेटें और सिलवटों पर लगाएं. अब इस पर आराम से आयरन करें. सिलवटें भी सही हो जाएंगी और आपका कपड़ा भी नहीं जलेगा.

5. मिनटों में हटाये दाग

अगर आपके कपड़ों पर कौफी, चटनी या जूस गिर जाता है तो आप उस पर पानी लगाती हैं. पर स्टेन पर आइस क्यूब लगाना ज्यादा कारगर होता है. दाग पर तुरंत आइस क्यूब लगाएं और बाद में होने वाली झंझट से आसानी से बचें.

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6. चावल को आसानी से गर्म करें

माइक्रोवेव में चावल गर्म करने से चावल सूख जाते हैं और हल्के कड़े लगने लगते हैं. पर अगर आप राइस के बाउल में 3-4 आइस क्यूब डाल कर गर्म करेंगी तो चावल कड़े नहीं होंगे.

7. कार्पेट डेन्ट्स

कार्पेट डेन्ट्स, कार्पेट की रंगत बिगाड़ देते हैं. पर आइस क्यूब से आप अपने कार्पेट को ब्रैंड न्यू लुक दे सकती हैं. जहां डेन्ट बन गए हैं वहां आइस क्यूब रगड़ें. जब आइस मेल्ट हो जाए, तब ब्रश से झाड़ लें. आपका ब्रैंड न्यू कार्पेट हाजिर है.

8. कौफी पौट को चमकाएं

ग्लास कौफी पौट में कौफी जितनी रिफ्रेशिंग बनती है, कौफी स्टेन उतने ही गंदे लगते हैं. स्क्रब करने पर भी ये दाग नहीं छूटते. आइस क्यूब की मदद से आप अपने कौफी पौट को नए जैसी चमक दे सकती हैं.

9. होम मेड एसी का इस्तेमाल करें ऐसे

आप आइस क्यूब की मदद से घर पर ही एसी का मजा ले सकती हैं, और वो भी बिना एसी के. एक बाउल में आइस क्यूब लें और उसे टेबल फैन के सामने रख दें. टेबल फैन औन करें और एसी का मजा लें.

10. दवाई की कड़वाहट को करें दूर

कड़वी दवाइयां असरदायक तो होती हैं, पर कुछ दवाइयां इतनी ज्यादा कड़वी होती है कि पीने वाले को उलटियां आने लगती है. नाक बंद कर के भी आप दवाई पी सकते हैं. पर इसके अलावा भी एक तरीका है जिससे दवाई की कड़वाहट कम की जा सकती है. दवाई खाने से पहले आप एक आइस क्यूब चूस लें. इससे दवाई की कड़वाहट कम हो जाएगी.

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ऐसे ही बर्फ का इस्तेमाल घर से जुड़ी प्रौब्लम्स को दूर करने के लिए आप आसानी से कर सकते हैं. ये आपके घर पर आसानी से मौजूद होती है और इसका कोई खर्चा भी नही होता.

तेजी से आपका वजन कम करेंगे ये 5 मसाले

वजन कम करने के लिये हम अक्‍सर अपने आहार और फिटनेस पर ध्‍यान देते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह कसक रह जाती है कि शायद हम पूरी तरह से अपनी डाइट पर ध्‍यान नहीं दे रहे हैं. जिसका रिजल्‍ट होता है कि आप सही से आहार लेने के बावजूद भी अपना वजन कम नहीं कर पाते.

लेकिन अब आपको किसी नए डाइट प्‍लैन की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि आपके किचन में रखे कुछ मसाले वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे.

1 सरसों : सरसों का दाना शरीर का मैटाबौलिज्म बढाता है. यह शरीर में चर्बी को बड़ी ही तेजी से गलाता है. यह ना केवल टेस्‍टी ही होता है बल्कि हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिये भी बहुत अच्‍छा माना जाता है. बाजार से मसटर्ड सौस लाइये और फिर इसे अपने भोजन के साथ रोजाना मिला कर खाइये, फिर देखिये वजन कैसे कम होगा.

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2 हल्‍दी : भारतीय मसालों में हल्‍दी सबसे स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मसाला माना जाता है. यह हर्बल उपचार के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता आ रहा है. यह शरीर में कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करती है और पाचन में सुधार करती है. इसमें करक्‍यूमिन नामक तत्‍व पाया जाता है जो वसा ऊतकों को दूर रखता है. यह शरीर से सभी टौक्‍सिन को बाहर निकाल देती है.

3 लहसुन : यह ना केवल भोजन का ही स्‍वाद बढाता है बल्कि वजन पर भी काबू पाने में मदद करता है. इसमें एक तत्‍व पाया जाता है, जिसका नाम एलिसिन होता है. यह तत्‍व कोलेस्‍ट्रौल से लगड़ा है और ब्‍लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है.

4 दालचीनी : आप चीनी की जगह पर दालचीनी का प्रयोग कर सकती हैं. पर क्‍या आप को पता है कि दालचीनी के सेवन से मोटापा भी कम होता है. यह शरीर में ब्‍लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है. डाइट में शामिल कार्बोहाइड्रेट को यह आसानी से पचने में मदद करती है.

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5 अदकर : अदरक लगभग पूरी दुनिया में इस्‍तमाल किया जाने वाला मसाला है. इसको अपनी डाइट में लेने से भूख कंट्रोल होती है, शरीर से गंदगी साफ होती है, रोग-प्रतिरोधक शक्‍ति बढ़ती है और पाचन में सुधार आता है.

रोटी के साथ सर्व करें पंजाब की टेस्टी दाल मखनी

हर शादी में चाहे गाने हो या खाना पंजाबी हर जगह फेमस है. आपने हर इंडियन शादी में दाल मखनी तो जरूर खाई होगी. इसीलिए आज हम आपको पंजाब की फेमस दाल मखनी की रेसिपी बताएंगे, जिसे आप खाने में अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

साबुत उड़द– 01 कप,

चना दाल – 1/4 कप,

राजमा – 1/4 कप,

टमाटर – 02 नग

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प्याज – 01 नग,

लहसुन – 02 कलियां,

अदरक – बड़ा टुकड़ा,

फ्रेश क्रीम– 02 बड़े चम्मच,

धनिया पाउडर – 2 छोटे चम्मच,

जीरा – 02 छोटा चम्मच,

बटर– 02 छोटे चम्मच,

तेल– 02 बड़ा चम्मच,

गरम मसाला– 1 छोटा चम्मच,

हल्दी पाउडर– 01 छोटाचम्मच,

लाल मिर्च पाउडर– 1/2 चम्मच,

हरी धनिया -1 छोटा चममच,

नमक – स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

-सबसे पहले उड़द की दाल, चना दाल और राजमा को कुकर में उबाल लें.

-जब तक दालें उबल रही हैं, हरी मिर्च, टमाटर और प्याज को बारीक काट लें. लहसुन और अदरक को कूट लें और क्रीम को फेंट लें.

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-अब एक फ्राई पैन में तेल गर्म करें. तेल गरम होने पर उसमें जीरे का छौंक लगाएं. इसके बाद प्याज, अदरक, लहसुन डालें और सुनहरा होने तक भूनें.

-अब कटे हुए टमाटर डालें और उनके गलने तक पकाएं. टमाटर के गल जाने पर सारे पाउडर मसाले डाल दें और तेल छोड़ने तक भूनें. पैन को आंच से उतारकर नीचे रख लें.

-अब पैन में उबली हुई दाल व राजमा मिला दें. साथ में फ्रेश क्रीम, बटर मिलाकर अच्छे से चला दें. बस इसे हरी धनिया से गार्निश करें और गरमागरम रोटियों के साथ फैमिली और फ्रैन्ड्स को सर्व करें.

घर पर बना सकती हैं फेसवाश, जानें कैसे

चेहरा साफ करने के लिए आप फेसवाश का इस्तेमाल करती हैं. ये फेसवाश आप मार्केट से खरीद कर लाती हैं. इसमे केमिकल भी मिला होता है. ये आपके चेहरे के लिए नुकसानदायक भी होता है. लेकिन  आप खुद से भी घर पर फेसवाश बना सकती हैं. तो आइए जानते हैं, घर पर आप कैसे फेसवाश बनाएं.

  1. शहद से

आप शहद को रोजाना क्लींजर की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं. ये एक बहुत अच्छा मौइश्चराइजर होने के साथ ही त्वचा को हाइड्रेटेड भी रखता है. इसे लगाना भी काफी आसान है. अपनी हथेलियों पर कुछ बूंद शहद की लेकर इससे पूरे चेहरे पर मसाज करें. कुछ देर मसाज करने के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें.

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2. पुदीने की पत्ती और खीरे से

दही और खीरा चेहरे को पोषण देने और साफ करने के लिए सबसे बेहतर होते हैं. पुदीने की पत्ती से इसकी इस खूबी में इजाफा हो जाता है और साथ ही इसकी खुशबू बढ़ जाती है. दही में खीरे को अच्छी तरह से मिला दें. खीरा, दही में अच्छी तरह से मिल जाना चाहिए. इसी में पुदीने की पत्ती भी मिला दें. इससे चेहरे पर पांच मिनट तक मसाज करें. प्रतिदिन एकबार ऐसा करने से चेहरा चमक उठेगा.

3. अननास

अगर आपकी त्वचा औयली है तो आनानस में मौजूद एंजाइम त्वचा से डेड सेल्स को हटाने का काम करते हैं. अनानस को एक बाउल में अच्छी तरह से मैश कर लें. इसमें लेमन वाटर या गुलाब जल मिला लें. इसे चेहरे पर 10 मिनट तक लगाकर छोड़ दें. इसके बाद आप चेहरा धो लें.

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4. ओट्स और नींबू से

अगर आपकी त्वचा ज्यादा ही औयली है तो आप ओट्स को नींबू के रस के साथ मिलाकर चेहरे पर लगा सकती हैं. इससे त्वचा की डेड सेल्स तो साफ हो ही जाती हैं साथ ही त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया भी दूर हो जाते हैं. ओट्स को नींबू के साथ मिलाकर रख लें. इसे हल्के हाथों से चेहरे पर लगाएं. मसाज करने के बाद गुनगुने पानी से चेहरे को साफ कर लें.

5. स्ट्रौबेरी के इस्तेमाल से

अगर आपकी त्वचा औयली है तो ये काफी कारगर उपाय हो सकता है. स्ट्रौबेरी में मौजूद एंजाइम्स त्वचा से डेड सेल्स को हटाने का काम करते हैं. स्ट्रौबेरी को एक बाउल में अच्छी तरह से मैश कर लें. इसमें लेमन वाटर या गुलाब जल मिला लें. इसे चेहरे पर 10 मिनट तक लगाकर छोड़ दें. इसके बाद चेहरा धो लें.

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