फेसप्रिंट मास्क: सेफ्टी भी स्टाइल भी

चाहे बात हो कपड़ों की या फिर मेकअप की , महिलाएं खुद को हमेशा परफेक्ट ही रखना पसंद करती हैं, ताकि सेंटर ओफ अट्रैक्शन बन सकें. लेकिन कोविड – 19 ने हमारे जीने का स्टाइल काफी बदल दिया है. अब हम खुद के हिसाब से नहीं बल्कि उस हिसाब से चीजें खरीद रहे हैं , जो हमें सेफ रखे. इसी में एक है फेस मास्क , जो आज के समय में सबसे जरूरी हो गया है. इसके बिना घर से बाहर निकलना अब मुमकिन नहीं है. ऐसे में जब ये हमारी जिंदगी का अनिवार्य हिस्सा बन गया है, तो फिर इसमें सेफ्टी के साथ साथ स्टाइल को क्यों न महत्व दिया जाए.

इसी बात को ध्यान में रखकर केरल और तमिलनाडु के कई फोटो स्टूडियो ने कस्टम मेड फेसमास्क बनांना शुरू किया है. ये चलन धीरे धीरे और कई जगह भी शुरू होता जा रहा है. आखिर हो भी क्यों न, क्योंकि स्टाइल से समझौता जो पसंद नहीं.

1. क्या है कस्टम मेड फेसमास्क

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ये एक ऐसा फेसमास्क है, जिस पर आपके चेहरे का नीचे वाला हिस्सा, यानी वह भाग जो मास्क से कवर होता है उस पर आपके चेहरे के उस भाग को प्रिंट किया जाता है. इससे आप सेफ रहते हुए खुद के चेहरे से दूसरों को रूबरू भी करा सकती हैं. और आप भी तो यही चाहती हैं कि आपका चेहरा लोग देख पाएं. तो हुआ न कमाल का फेसमास्क .

2. बनाना भी आसान

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अब आप सोच रहे होंगे कि इसे बनाने में काफी झंझट और समय लगता होगा. तो आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है. इसे बनाना काफी आसान है. बस आप फोटो स्टूडियो में पहुंच जाएं फिर फोटोग्राफर आपकी फोटो क्लिक करके उसे फोटोशोप वगैरा की मदद से उसे डबल लेयर मास्क पर उतारता है या फिर आप अपनी क्लोज उप फोटो को भी मेल कर सकती हैं. इस पूरी प्रक्रिया में 20 – 30 मिनट का समय लगता है. लेकिन जब आप अपना चेहरा अपने हाथ में देखती हैं तो आपकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता. अपने क्रिएटिव वर्क को देखकर फोटोग्राफर का भी हौंसला बढ़ता है.

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3. आपकी लिपस्टिक को भी हाईलाइट करे

महिलाओं को सजने सवारने का बहुत शौक होता है. अब महिलाओं को यही चिंता सताती है कि जो लिपस्टिक उन्होंने लगाई है , वो मास्क में छिप कर रह जाती है. ऐसे में ये मास्क उनकी लिपस्टिक को भी हाईलाइट करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके फेस के निचले हिस्से को हूबहू कैमरे में कैद किया जाता है. ऐसे में उनकी लगाई लिपस्टिक भी मास्क पर हाईलाइट हो जाती है.

4. मनमुताबिक और प्रिंट्स भी

सिर्फ आपका चेहरा ही नहीं बल्कि अगर आप चाहें तो आप उस पर कोलाज, अपने पार्टनर के साथ फोटो, वर्ड्स, पैटर्न्स कुछ भी प्रिंट करवा सकती हैं. जैसे आजकल मार्किट में मास्क की बाढ़ सी आ गई है. उसमें सिर्फ सेफ्टी ही नहीं देखी जा रही बल्कि लोगों की डिमांड को देखते हुए स्टाइलिश मास्क बनाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. जिससे आप उसके स्टाइलिश होने के कारण से ही उसे पहने लेकिन पहने जरूर. ये आईडिया काफी यूनिक है.

5. कम्फर्ट का जवाब नहीं

जहां ये पौकेट फ्रैंडली हैं वहीं ये काफी कम्फर्टेबल भी हैं . इसे डबल लेयर कॉटन फैब्रिक पर डिज़ाइन किया जाता है. साथ ही इसमें इलास्टिक और स्ट्रैप दोनों की सुविधा उपलब्ध है. आपको जो भी सही लगे आप उसे चूज कर सकती हैं. इसकी खास बात यह है कि ये वाशऐबल और रीयूज़ऐबल है. तो फिर इसे अपनी फैशन एक्सेसरीज में शामिल करना न भूलें.

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6. स्टाइल के चक्कर में न भूलें सोशल डिस्टैन्सिंग

स्टाइल के साथ साथ आपको सोशल डिस्टैन्सिंग का भी ध्यान रखना होगा. आप कैमरामैन द्वारा दिखाई फोटो को दूर से ही देखें. न की बार बार खुद को देखने के लिए कैमरे को टच करें या फिर वहां मौजूद दूसरे लोगों के बहुत नजदीक जाकर उनसे बातें करें. क्योंकि स्टाइल अपनी जगह , लेकिन सावधानी हटने पर दुर्घटना घटित होने में देर नहीं लगती.

जानें क्यों आप अपने रिश्ते में हर तर्क खो देते हैं

हमारे सभी रिश्तों में प्यार और स्नेह होता है लेकिन जहां प्यार होता है वहा मतभेद भी हो सकता है. हमारे साथी के साथ हमारी बहस हो जाती है दोनों अपने विचार रखते हैं.और हमारा साथी हर बार अपनी बात पर विजय पाने में सफल हो जाता है.लेकिन हर बार अपने साथी को विचार पर विजय पाना आपके दिल मे शक पैदा कर देता है. जिस से आपको अपने खुद के विचारों पर संदेह हो जाता है.

1. आपने अपनी गलती स्वीकार की है

जब आपकी गलती होती है और आप स्वीकार कर लेते हैं तो ये बहुत अच्छी बात है ये विनम्रता की निशानी है. लेकिन आपकी गलती नही होती है और आप बहस से बचने के लिए हर बार उस गलती को स्वीकार कर लेते हैं तो यह आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है .क्योंकि कभी कभी जब आपकी गलती नही होगी तो भी आपको ही गलत बताया जाएगा. इसलिए बिना गलती के अपनी गलती स्वीकार नही करे.

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2. आप सिर्फ जीतना चाहते हैं

अगर आप अपने साथी के साथ हमेशा बहस करके जीतना चाहते हैं और अपने साथी को गलत साबित करना चाहते हैं तो यह आपके रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर आपके रिश्ते में कोई भी दिक्कत है तो आप अपने साथी को गलत साबित करने की जगह उस बात को सुलझाने की कोशिश करें. इस से आपके रिश्ते में प्यार बना रहता है.

3. आप अपनी गलतियों को टालना चाहते हैं

यदि आप अपनी साथी की गलती पर गलती गिनवाए जाते हैं और आप अपनी गलती को स्वीकार नही करते हैं तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है. ऐसा करने से आपकी समस्याएं बढ़ सकतीं हैं और आपके रिश्ते में दरार पैदा हो सकती है. इसलिए आपको ऐसा नही करना चाहिए.

4. आप जिद्द करते हैं और गलती स्वीकार नही करना चाहते

यदि आप जिद्दी है और रिश्ते में किसी तरह का समझौता नही करना चाहते. तो आपका रिश्ता खराब हो सकता है. आपकी जिद्द रिश्ते से बड़ी नहीं होती है. अगर आप बार बार जिद्द करके जीतने की कोशिश करेंगे तो आप खुद को हारा हुआ इंसान महसूस करेंगे. इसलिए अपनी जिद्द को साइड रखकर बात को सुलझाने की कोशिश करें. इस से आपका रिश्ता बना रहेगा.

शादी रे शादी, तेरे कितने रूप

5. आप अपनी भावनाओं से अधिक शक्तिशाली है

कभी कभी आप अपने साथी से बहस कर रहे होते हैं और अपनी भावनाओं के कारण अपना नियंत्रण खो देते हैं. जिनका आपको बाद में बहुत पछतावा होता है. अगर आप भावनाओं में बहने वाले व्यक्ति है तो आपको शांत रहना चाहिए. और प्यार से ही मामले को सुलझाना चाहिए.

कई बार मेरी धड़कन अचानक तेज हो जाती है, ऐसा क्यों होता है?

सवाल-

मेरा नाम सुभाष है. मेरी समस्या यह है कि कई बार मेरी धड़कन अचानक तेज हो जाती है और कई बार सामान्य से धीमी हो जाती है. ऐसा होने पर मुझे सीने में भारीपन महसूस होता है. ऐसा क्यों होता है और इस का समाधान क्या है?

जवाब-

जिस समस्या का आप ने जिक्र किया है इसे एरिथमिया कहते हैं. यह एक ऐसी बीमारी है जिस में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है. एरिथमिया तब होता है जब दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली इलेक्ट्रिक वेव्स ठीक से काम करना बंद कर देती हैं. इसी के कारण आप को सीने में भारीपन महसूस होता है. सीने में तेज दर्द, बोलने में समस्या, सांस लेने में मुश्किल, थकान आदि इस बीमारी के आम लक्षण हैं. धड़कनों में गड़बड़ी के चलते दिल की गतिविधि में कठिनाई आ जाती है, जिस के कारण व्यक्ति में दिल के दौरे, स्ट्रोक, दिल के फैल होने और दिल से जुड़ी कई अन्य गंभीर समस्याओं की संभावनाएं बढ़ जाती है. स्वस्थ जीवनशैली और सही आहार की मदद से इस बीमारी से राहत पाई जा सकती है. हालांकि, पहले इस की जांच कराना आवश्यक है. कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलौजी दिल की धड़कनों की गड़बड़ी का पता लगाने के लिए दिल की गतिविधियों को रिकौर्ड करती है. बीमारी की पहचान के बाद डाक्टर आप को उचित दवाइयां लिख देगा.

 

खूबसूरत स्किन के लिए जानें खीरे के फेस मास्क के इन 5 फायदे के बारें में

खीरा त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद है. खीरे में भरपूर मात्रा में विटामिन सी , फोलिक एसिड और पोषक तत्व होते हैं, जिनके सेवन से चेहरे को सुंदर बनाया जा सकते हैं. इसका  मास्क  चेहरे को अच्छा और सुंदर बनाता हैं. लोग सलाद के रुप में खीरे का सेवन ज्यादा करते हैं. सिर्फ पानी की कमी ही नहीं बल्कि इससे कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से भी बचा जा सकता है.  चलिए आज मैं आपको बताने जा रही हूं खीरे के फेस मास्क के फायदे.

1. चेहरे पर सूजन कम कर देता है:-

खीरे के इस्तेमाल से होने वाले फायदे बहुत ज्यादा है हमारे चेहरे पर हल्की हल्की सूजन हो तो हम खीरे का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह हमारे चेहरे की सूजन को कम कर देता है. और हमारी आँखों के नीचे काले घेरे बन जाते हैं यह बहुत आम समस्या है यह घेरे अच्छे से नही सोने और कम सोने की वजह से बनते हैं.खीरे का रस चेहरे पर लगाने से या खीरे को गोल काट कर आँखों पर रखने से काले घेरे ठीक हो जाते हैं. और सूजन भी खत्म हो जाती है.

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2. जलन को ठीक कर देता है:-

किसी भी किट ,मक्खी ,मच्छर के काटने से चेहरे पे जलन होने लगती है तो उस समय अगर हम खीरे का इस्तेमाल करते हैं तो यह हमारी जलन और खाज खुजली को भी ठीक कर देता है . इस से हमे बहुत आराम मिलता है.

3. चेहरे को कोमल बना देता है:-

खीरे में पानी की मात्रा भरपूर होती है यह हमारे चेहरे को कोमल बना देता है और यदि इसके जूस शहद या एलोवेरा में मिलाकर लगाया जाता है तो ये और भी ज्यादा फायदा देता है. हमारी त्वचा को कोमल बना देता है जिस से चेहरा एक दम फ्रेश दिखाई देता है.

4. कील मुँहासे ठीक कर देता है:-

हमारे चेहरे की त्वचा चिकनी हो जाती है और हल्के हल्के छिद्र से दिखाई देते हैं. उनके कारण हमारे चेहरे पर कील मुँहासे हो जाते हैं.खीरा हमारे उन छिद्रों को बंद करके कील मुँहासे ठीक कर देता है.खीरे में हल्के एस्ट्रिंजेंट होते हैं जो हमारी त्वचा को साफ रखते हैं.जो हमारे चेहरे पर कील मुँहासे ठीक करने में मदद करते हैं.

5. खीरे से चेहरे का मास्क कैसे बनाएं:-

खीरे को मिक्सी में डाल कर उसको पीस ले फिर उसको छलनी में अच्छे से छान लें और जूस को अलग कर ले. फिर उसको अपने चेहरे पर अच्छी तरह से लगा ले. और 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें उसके बाद गुनगुने पानी से अच्छे से मुँह धो ले और साफ और मुलायम कपड़े से हल्के हाथ से पूछ लें.

खीरे का मास्क इस्तेमाल करने से चेहरे को बहुत लाभ मिलता है.और यह प्राकृतिक चीज ह इसका कोई नुकसान भी नही है.

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प्रेग्‍नेंसी के दौरान नाश्‍ता जरूर करें वरना बच्चा होगा अस्वस्थ

नाश्‍ता दिन का सब से अहम भोजन होता है. कहते हैं कि नाश्‍ता शरीर के लिए सब से ज्‍यादा जरूरी होता है. अधिकतर महिलाएं काम की व्यस्तता के कारण नाश्‍ता समय पर नहीं कर पाती. अगर आप ऐसा प्रेग्‍नेंसी में करती हैं तो इस का असर आप के साथसाथ आप के गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है.

यदि प्रेगनेंट महिला सुबह के समय नाश्‍ता नहीं करती है तो शिशु पर इस का कुप्रभाव पड़ता है. आइए, जानते हैं कि गर्भवती महिला के नाश्‍ता न करने पर शिशु कैसा महसूस करता है.

​शिशु के विकास पर पड़ सकता है असर

मां जो कुछ भी खाती है उस का सीधा असर उस के गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है. प्रेगनेंट महिला द्वारा किए गए भोजन से ही बच्‍चे को पोषण मिलता है. वहीं पूरी रात के बाद सुबह भी यदि प्रेगनेंट महिला नाश्‍ता नहीं करती है तो उस का बच्‍चा भूखा रह जाता है. उसे पोषक तत्‍वों की कमी हो सकती है, जिस का सीधा असर बच्‍चे के विकास पर पड़ेगा.

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गर्भस्थ ​शिशु सुस्‍त महसूस करता है

सुबह का पहला आहार हमें दिनभर काम करने के लिए ऐनर्जी देता है. इस आहार से गर्भस्‍थ शिशु को भी ऐनर्जी मिलती है. वहीं अगर गर्भवती महिला समय पर नाश्‍ता न करे तो मां के साथसाथ शिशु को भी लो ऐनर्जी महसूस हो सकती है.

नाश्‍ता न करने से मां को पूरी ऐनर्जी नहीं मिल पाती, इसलिए उन्‍हें दिनभर सुस्‍ती रह सकती है. जब मां सुस्‍त महसूस करेगी तो बच्‍चे को भी सुस्‍ती रहेगी. इस वजह से बच्‍चे की मूवमेंट में भी कमी आ सकती है.

​प्रीमैच्‍योर डिलीवरी का रहता है खतरा

समय पर नाश्‍ता न करने या ब्रेकफास्‍ट स्किप करने से बच्‍चे को कई स्‍वास्‍थ्‍य सम्बंधी कई परेशानियां हो सकती हैं. इस की वजह से शिशु नौ महीने से पहले ही जन्‍म ले सकता है. रात के खाने से सुबह के नाश्‍ते के बीच 10 से 12 घंटे का गैप होता है और इतनी देर तक भूखा रहने के बाद भी समय पर नाश्‍ता न करना मां और बच्‍चे की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.

ओवरईटिंग हो सकती है

प्रेग्‍नेंसी के दौरान नाश्‍ता न करने पर बाद में ज्‍यादा भूख लगती है, जिस से ब्‍लडशुगर लैवल कम हो सकता है. ज्‍यादा भूख लगने पर महिलाएं ज्यादा खाना खाने लगती हैं और उन के भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों की मात्रा भी कम हो जाती है. ओवरईटिंग से बेहतर होगा कि आप समय पर नाश्‍ता करें.

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​शिशु की सेहत का रखें खयाल

यदि आप चाहती हैं कि आप का शिशु स्‍वस्‍थ रहे और उस का विकास भी ठीक तरह से हो तो समय पर नाश्‍ता जरूर करें. अपने नाश्‍ते में पौष्टिक चीजों को शामिल करें. इस के बाद दिनभर थोड़ाथोड़ा कर के खाएं ताकि शरीर को एनर्जी को मिलती रहे और एक बार में ही ज्‍यादा खाने की वजह से बढ़ते वजन से भी बचा जा सकता है.

डिनर के बाद सुबह नाश्‍ते के बीच बहुत लंबा गैप हो जाता है इसलिए नाश्‍ते को स्किप करने की गलती न करें और चाहे कुछ भी हो नाश्‍ता समय पर करने की कोशिश करें। इससे मां भी स्‍वस्‍थ रहेगी और गर्भस्‍थ शिशु का विकास भी अच्‍छा होगा.

कोविड और जिंदगी के बीच कुछ इस तरह बनाएं संतुलन

कोविड महामारी की वजह से नए तरीके की जिंदगी को कई महीने हो गए हैं. हम मास्क पहनने को मजबूर हैं, हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज कर रहे हैं, हर कुछ धो रहे और सैनिटाइज कर रहे हैं, मूवी/माॅल/जिम और सार्वजनिक स्थानों पर भी नहीं जा रहे हैं, लेकिन फिर भी हम टीवी तथा सोशल मीडिया पर कोविड से संबंधित खबरें सुनने तक ही सीमित न रहें, क्योंकि यह एक ऐसा बैकग्राउंड म्यूजिक है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है.

इस दुनिया में रहना मुश्किल हो गया है और हम सभी कोविड-19 के गहरा रहे खतरे से छुटकारा पाने और फिर से अपनी जिंदगी आजादी के साथ जीने का इंतजार कर रहे हैं. तनाव और असुरक्षा की इस अवधि से जूझने के प्रयास में हमें सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी, हमें मध्य मार्ग तलाशने की जरूरत होगी जहां हमें समूहीकरण की अपनी कोशिशों से कभी नहीं रोका जाए और हम व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण पर फोकस कर सकें. इस बारे में बता रहीं है  Dr. Jyoti Kapoor – Psychiatrist at Paras Hospital, Gurugram.

1.डर से छुटकारा पाएंः

डर और सतर्कता के बीच अंतर है. हर समय डरकर रहने से स्ट्रेस केमिकल में इजाफा होता है जिससे चिंता, उदासी, चिड़चिड़ापन और अवसाद को बढ़ावा मिलता है. डर से मुकाबले का सबसे अच्छा तरीका वास्तविकता से संबंधित है. हम कोविड के बारे में सुन रहे हैं और यह आश्वस्त कर सकते हैं कि इसकी संक्रामकता तीव्र है, लेकिन मृत्यु दर कम है. मुख्य सुरक्षा मानकों पर अमल करें, लेकिन फिर से जिंदगी जीना शुरू करें, बाहर मास्क लगाकर जाएं, लोगों से मुलाकात के समय दूरी बनाए रखें, और इस महामारी के प्रभाव के अलावा अन्य विषयों पर चर्चा का आनंद उठाएं.

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2.नियंत्रण की भावना बनाए रखेंः

नियंत्रण में नहीं रहने की भावना हमें बंदी रहने का अहसास कराती है. हमारे मार्गदर्शन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं, इसलिए उन पर अमल के लिए तर्कसंगत सोच का इस्तेमाल करें या संदेह होने पर सलाह मांगें. मनोवैज्ञानिक रूप से, नियंत्रण को लेकर जितना ज्यादा समस्या आएगी, उतना ही शक्तिहीन महसूस करेंगे. इसलिए यह जरूरी है कि मैं स्वयं से यह कहूं कि हम संदेह करने के बजाय स्थिति का प्रबंधन करने पर ज्यादा जोर देंगे.

3.इंतजार करना बंद करें, जीना शुरू करेंः

हमने विराम दिया, हमने प्रतिबिंबित किया और अब हमें आगे बढ़ना है, यदि हम अभी भी इसे लेकर आशंकित हैं कि आगे कैसे बढ़ना है तो हमें दिन में एक बार इसके बारे में बात शुरू करने की जरूरत है. स्वास्थ्य की अनदेखी न करें, क्योंकि संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है, ज्यादातर अस्पतालों ने अब संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी सतर्कताएं बरती हैं. इसी तरह, जिम खुलने, व्यायाम करने, बर्थडे और एनीवर्सरी सेलेब्रेट करने का इंतजार नहीं करें. भले ही रेस्टोरेंट बंद हैं, लेकिन छत पर डांस कर सकते हैं, क्योंकि पार्टियां सिर्फ पब में ही नहीं होती हैं.

4.संयम बरतेंः

यह हमेशा जरूरी है और कोविड ने हमें यह सबूत दिया है कि किस तरह से संयम ने प्रकृति को फिर से कायाकल्प में मदद की है. इस बदलाव ने न सिर्फ पौधों और पशुओं को राहत दी है बल्कि कम प्रदूशण स्तर और लाइफस्टाइल में सुधार के साथ इंसान पर सकारात्मक असर पैदा किया है. जिंदगी के पिछले तौर तरीकों को अपनाने की जल्दबाजी करने के लिए अनलाॅक के उपायों का इंतजार न करें, धीरे और मजबूती के साथ आगे बढ़ना सीखें, यह याद रखें कि कछुआ किस तरह से दौड़ जीत लेता है!

5. जिम्मेदारी और निरंतरताः

हमें से ज्यादातर लोग उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते वक्त घर पर शायद जिम्मेदार व्यवहार विकसित किया है. यदि हम इन तरीकों को थोपे जाने वाले उपायों के तौर पर देखें तो हम मौका मिलते ही उन्हें छोड़ देना चाहते हैं, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सबक है. समय के श्रेष्ठ प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन के साथ हम एक ऐसी जिंदगी बना सकते हैं जिसका जीविका पर दीर्घावधि सकारात्मक प्रभाव पड़े, जैसे कि बच्चे अपनी अलमारी ठीक रखना सीखता है और ऑनलाइन क्लास के वक्त आत्म-नियंत्रण विकसित करता है, और वयस्क घरेलू कार्यों में एक-दूसरे की मदद करते हैं. ये बेहद उपयोगी सबक हैं और बेहतर कल के लिए इन पर अमल बरकरार रखें.

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कोविड महामारी ने हमें यह दिखा दिया है कि यदि हम सुरक्षित जिंदगी चाहते हैं तो हमें सहिष्णुता, अनुशासन, सभी जीवन रूपों और कृतज्ञता के संबंध में सकारात्मक चीजों को समायोजित करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए, क्योंकि ये हमें जिंदगी संपूर्ण बनाने की राह में सुरक्षित रखने के तरीके हैं. संतुलन बनाए रखना जरूरी है, हम हाशिये  पर बने हुए थे और अब केंद्र की ओर बढ़ना चाहिए.

सुष्मिता सेन के भाई-भाभी के रिश्ते में आई दरार! चारु असोपा ने डिलीट की शादी की सारी फोटोज

कोरोनावायरस कहर के बीच जहां कुछ सितारे सिंपल वेडिंग सेलिब्रेशन के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध रहे हैं तो वहीं कुछ सेलेब्स के रिश्ते टूटने की खबरें आ रही हैं. पिछले कुछ माह से बाॅलीवुड और सोशल मीडिया में चर्चा गर्म रही है कि बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन Sushmita Sen) के भाई राजीव सेन (Rajeev Sen) और टीवी एक्ट्रेस चारु असोपा (Charu Asopa sen) की शादी में दरार आ गई हैं. वैसे चारू आसापा सोशल मीडिया पर जिस तरह की फोटो शेअर कर रही थी, उससे भी वह ट्रोलिंग की शिकार थी और इससे सुष्मिता सेन भी खुश नही थीं. हालांकि दोनों इस बात से नकारते रहे हैं. लेकिन दोनों के सोशलमीडिया को देखकर तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है. दरअसल हाल ही में एक्ट्रेस चारु असोपा ने एक कदम उठाया है, जिससे उनकी शादी को लेकर फैंस के बीच सवाल खड़े हो गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

शादी की फोटोज की डिलीट

पिछले साल 7 जून को कोर्ट मैरिज करने वाले चारु और राजीव की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई थी, जिसमें उनकी खुशी देखते ही बन रही थी. वहीं दोनों ने फोटोज सोशलमीडिया पर शेयर भी की थीं. वहीं अब राजीव सेन के बाद चारु असोपा अपने सोशल मीडिया पर अकाउंट से शादी की सभी फोटोज भी डिलीट कर दी हैं.

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हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी शादी

चारु असोपा और राजीव सेन ने 7 जून के बाद, हिंदू रीति-रिवाजों के साथ 16 जून को गोवा में शादी की थी, जिसमें सुष्मिता सेन भी नजर आई थीं. वहीं दोनों की जोड़ी फोटोज में बेहद प्यारी लग रही थीं. एक दूसरे के साथ खड़े होकर शादी के जोड़े में चारु असोपा ने कई फोटोज क्लिक कराई थीं.

ट्रोलिंग का शिकार होती रहती हैं चारु

बीते दिनों लॉकडाउन के दौरान चारु असोपा अक्सर अपनी फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिसमें कपल की इंटिमेट फोटोज भी शामिल होती थीं. वहीं इन फोटोज के कारण अक्सर वह सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी होती रहती थीं.

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श्वेता तिवारी पर निशाना साधते हुए पति अभिनव कोहली ने शेयर की बेटे की फोटो, कही ये बात

पिछले दिनों से कसौटी जिंदगी के फेम एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) पर्सनल लाइफ के कारण सुर्खियों में बनी हुई है. श्वेता तिवारी और उनके पति अभिनव कोहली (Abhinav Kohli) के बीच लॉकडाउन के बीच मनमुटाव बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते दोनों के बीच सोशलमीडिया पर तकरार चल रही है.

जहां दोनों की शादी टूटने के कगार पर है तो वहीं अभिनव कोहली बेटे रेयांश (Son Reyansh) के लिए श्वेता तिवारी पर लगातार निशाना साध रहे हैं. हाल ही में अभिनव कोहली का एक और बयान श्वेता तिवारी के गुस्से का कारण बन गया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहना है अभिनव कोहली का….

बेटे की फोटो शेयर कर लिखी ये बात

टीवी एक्टर अभिनव कोहली ने रेयांश की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा ‘मैं तुम्हें काफी मिस कर रहा हूं. तकरीबन 1 महीना 23 दिन हो गए हैं मैं तुमसे नहीं मिला हूं. तुम्हारी मम्मी ने मुझे तुमसे अलग कर दिया है. मैं तुम्हें शब्दों में नहीं बता सकता कि मैं मुझे कितना प्यार करता हूं. भगवान की मर्जी होगी तो हम जल्द फिर से मिलेंगे और मैं तुम्हें अपने सीने से लगाउंगा.‘

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बच्चों से दूर करने के लिए श्वेता ने उठाया था कदम

बीते दिनों इस पोस्ट से पहले अभिनव कोहली (Abhinav Kohli) ने कुछ दिनों पहले एक और पोस्ट करते हुए श्वेता तिवारी पर आरोप लगाया कि वो बेटे रियांश से उन्हें मिलने नहीं देती हैं. श्वेता ने लॉकडाउन के दौरान मौका देखते हुए बेटे रेयांश को मुझसे दूर रखा और जब मैं बेटे रेयांश से मिलने घर पहुंचा तो उन्होंने पुलिस बुलाकर मुझे घर से बाहर कर दिया.

बता दें, श्वेता तिवारी की अभिनेता अभिनव कोहली से दूसरी शादी है, जबकि वह इससे पहले राजा चौधरी से सात फेरे लिए थे. श्वेता तिवारी ने अपने पहले पति राजा पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए उनसे तलाक लिया था जिससे उनकी पहली बेटी पलक है.

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हल नहीं आत्महत्या

सिनेऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने झटका दिया है. डिप्रैशन में हजारों लोगों को अभी झटके लगने हैं. पर एक चमकते सितारे को इस तरह अपनी जान देनी पड़ेगी, इस की उम्मीद नहीं थी. सुशांत सिंह राजपूत कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ गया, इसलिए उस की दुखद मृत्यु का असल कारण नहीं पता चल पाएगा. पर यह सब को मालूम है कि उस का कैरियर डांवांडोल ही था. वह टीवी स्क्रीन से निकल कर बड़ी स्क्रीन पर छा जाने के सपने देख रहा था, पर हर रोज मौके उस के हाथ से निकल रहे थे.

खुद से जबरन से ज्यादा उम्मीद कर लेने वालों के साथ कुछ ऐसा ही होता है. डिप्रैशन सदा ही एक भयंकर बीमारी रही है. घर, पैसे या दिल के कारणों से युवा ही नहीं, बुजुर्ग व वृद्ध भी आत्महत्या कर लेते हैं. जो चर्चित होते हैं उन की आत्महत्या ज्यादा सुर्खियां बन जाती हैं, बाकी गुमनामी में भुला दिए जाते हैं.

डिप्रैशन से बचने के कोई खास उपाय नहीं हैं. मोटिवेशनल गुरु हजार बातें कहते रहें पर असल यह है कि जब किसी को लगता है कि उस के बंद दरवाजे पक्के बंद हैं जिन से वह निकलना चाहता है तो डिप्रैशन होगा ही. कोई भी चाहे जितनी पट्टी पढ़ा ले कि जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए, एक लक्ष्य नहीं मिल पाया तो दूसरा ढूंढ़ा जा सकता है. जीवन तो संघर्ष का नाम है, भागने का नहीं आदि उपदेश सुननेसुनाने में अच्छे लगते हैं पर जो अपनी राह नहीं पा पाता वह इन शब्दों को सुन ही नहीं सकता. उस के सिर्फ कान ही नहीं बंद होते बल्कि मन की खिड़कियां भी बंद हो जाती हैं.

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कठिनाई यह है कि समाज उन के साथ चलता है जो सफल हैं. जो पिछड़ गया वह रह गया. 2-3 साथी कुछ कदम उस का साथ देंगे, पर फिर छोड़ कर चल देंगे. डिप्रैशन का शिकार अपनों से भी दुत्कारा जाता है, परायों से भी. समाज इसे व्यक्ति की अपनी बीमारी मानता है, समाज का दोष नहीं. किसी भी सूरत में उस को सहानुभूति के दो शब्दों के अलावा कोई दूसरी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. हालांकि, यह सहानुभूति डिप्रैशन को और उग्र कर देती है.

आज डिप्रैशन से लड़ने के लिए बहुत दवाइयां आ गई हैं. पर आज चुनौतियां भी बहुत हो गई हैं. सुशांत सिंह की आत्महत्या उस के अकेलेपन, उस की असफलता और कुछ अनजाने कारणों से हुई पर आसपास का माहौल, जिम्मेदार लोग इस से कुछ नहीं सीखेंगे और एक झटका दे कर आगे बढ़ जाएंगे. कोरोना से पीडि़त टीवी  मीडिया को कुछ नया विषय मिला था, इसलिए इस घटना की चर्चा ज्यादा हो गई.

आत्महत्या किसी समस्या का कोई हल नहीं है पर यह पक्का है कि इस स्थिति का उपाय भी नहीं है. डिप्रैशन तभी होता है जब व्यक्ति को लगता है कि उस के लिए कुछ ऐसा हो रहा है जिस से निबटना उस के बस का नहीं. इस पर कोई कुछ नहीं कर सकता.

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पति को निर्भर बनाएं अपने ऊपर

‘नाम मानसी मल्होत्रा, उम्र 30 वर्ष, विवाहित, शिक्षा बी.ए., एम.ए. घरेलू कार्यों में सुघड़. पति का गारमेंट्स का अच्छा व्यापार, छोटा परिवार, 2 बच्चे, 8 वर्षीय बेटी, 5 वर्षीय बेटा. दिल्ली के पौश इलाके में अपना घर, घर में नौकरचाकर, गाड़ी, सुखसुविधाओं की कोई कमी नहीं.’ फिर भी मानसी परेशान रहती है. आप हैरान हो गए न, अरे भई, सुखी जीवन के लिए और क्या चाहिए, इतना सब कुछ होते हुए भी कोई कैसे परेशान रह सकता है? लेकिन मानसी खुश नहीं है. घरपरिवार, प्यार करने वाला पति, बच्चे, आर्थिक संपन्नता सब कुछ होते हुए भी मानसी तनावग्रस्त रहती है. उसे लगता है कि उस की पढ़ाईलिखाई सब व्यर्थ हो गई. उस का सदुपयोग नहीं हो रहा है. वह बच्चों को तैयार कर के, लंच पैक कर के स्कूल भेजने, नौकरों पर हुक्म चलाने, शौपिंग करने, फोन पर गप्पें लड़ाने के अलावा और कुछ नहीं करती.

क्या ये सब करने के लिए उस के मातापिता ने उसे उच्च शिक्षा दिलाई थी? सब उसे एक हाउस वाइफ का दर्जा देते हैं. पति की कमाई पर ऐश करना मानसी को खुशी नहीं देता. वह चाहती है कि अपने दम पर कुछ करे, पति के काम में सहयोगी बने, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करे  क्या घर से बाहर जा कर नौकरी करना ही शिक्षा का सदुपयोग है? क्या यही नारीमुक्ति व नारी की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, नहीं यह केवल स्वैच्छिक सुख है, जिस के जरिए महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता का दम भरती हैं और घर में महायुद्ध मचता है. क्या किसी महिला के नौकरी भर कर लेने से उसे सुकून और शांति मिल सकती है? इस का जवाब आप सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक बसों में धक्के खा कर, भागतेभागते घर की जिम्मेदारियों को निबटा कर नौकरी करने वाली महिलाओं से पूछिए.

28 वर्षीय आंचल अग्रवाल पीतमपुरा में रहती हैं, जनकपुरी में नौकरी करती हैं. सुबह 10 बजे के आफिस के लिए उन्हें 9 बजे घर से निकलना पड़ता है. रात को 7 बजे बसों में धक्के खा कर घर पहुंचती हैं. घर पहुंचते ही घर का काम उन का स्वागत करता है. अपनी सेहत, स्वास्थ्य, परिवार के लिए उन के पास कोई समय नहीं है. नौकरी की आधी कमाई तो आनेजाने व कपड़ों पर खर्च हो जाती है, ऊपर से तनाव अलग होता है. जब पतिपत्नी दोनों नौकरी करते हैं तब इस बात पर बहस होती है कि यह काम मेरा नहीं, तुम्हारा है. जबकि अगर पति घर से बाहर कमाता है और पत्नी घर में रह कर घर और बच्चे संभालती है तो काम का दायरा बंट जाता है और गृहक्लेश की संभावना कम हो जाती है. घर पर रह कर महिलाएं न केवल पति की मदद कर सकती हैं बल्कि उन्हें पूरी तरह अपने पर निर्भर बना कर पंगु बना सकती हैं. उस स्थिति में आप के पति आप की मदद के बिना एक कदम भी नहीं चल पाएंगे. कैसे, खुद ही जानिए :

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घर की मेंटेनेंस में योगदान

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर की टूटफूट मसलन, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिसिटी वर्क, घर के पेंट पौलिश बिना पति की मदद के बखूबी करा सकती है. कुछ महिलाएं चाहे घर के नल से पानी बह रहा हो, बिजली का फ्यूज उड़ जाए, दीवारों से पेंट उखड़ रहा हो, वे चुपचाप बैठी रहती हैं, पति की छुट्टी का इंतजार करती हैं कि कब वे घर पर होंगे और घर की मेंटेनेंस कराएंगे. वे घर की इन टूटफूट के कामों के लिए पति की जिम्मेदारी मानती हैं. बेचारे पति एक छुट्टी में इन सभी कामों में लगे रहते हैं और झुंझलाते रहते हैं, ‘‘क्या ये काम तुम घर पर रह कर करा नहीं सकती हो?’’

स्वाति घर पर ही रहती है. पढ़ीलिखी है. वह घर की इन छोटीमोटी जरूरतों का खुद ध्यान रखती है. जब भी कोई परेशानी हुई, मिस्त्री को फोन कर के बुलाती है और स्वयं अपनी निगरानी में ये सभी काम कराती है. स्वाति के इस नजरिए से उस के पति मेहुल बहुत खुश रहते हैं.

बच्चों की शिक्षा में मदद

अगर आप पढ़ीलिखी हैं और हाउस वाइफ हैं तो बच्चों की शिक्षा में आप अपनी पढ़ाईलिखाई का सदुपयोग कर सकती हैं. बच्चों को घर से बाहर ट्यूशन पढ़ाने भेजने के बजाय आप स्वयं अपने बच्चों को पढ़ा सकती हैं. इस से व्यर्थ के खर्च में तो बचत होगी ही, साथ ही बच्चे पढ़ाई में कैसा कर रहे हैं, आप की उन पर नजर भी रहेगी. बच्चों की स्कूली गतिविधियों में आप भाग ले सकती हैं. मेहुल अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई उन की पी.टी.एम., उन की फीस जमा कराना इन सभी के लिए स्वाति पर निर्भर रहता है, क्योंकि उसे तो आफिस से समय मिलता नहीं और उस की गैरहाजिरी में स्वाति इन सभी कार्यों को बखूबी निभाती है. इस से स्वाति के समय का तो सदुपयोग होता ही है, साथ ही उसे संतुष्टि भी होती है कि उस की शिक्षा का सही माने में उपयोग हो रहा है. बच्चों का अच्छा परीक्षा परिणाम देख कर मेहुल स्वाति की तारीफ करते नहीं थकता. बच्चों की शिक्षा को ले कर वह पूरी तरह से स्वाति पर निर्भर है.

परिवार की सेहत में मददगार

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर के स्वास्थ्य व सेहत के मसले पर भी पति को बेफिक्र कर सकती है. अभी पिछले दिनों की बात है, स्वाति की सास को अचानक दिल का दौरा पड़ा, तब मेहुल की आफिस में कोई महत्त्वपूर्ण मीटिंग चल रही थी. वह आफिस छोड़ कर आ नहीं सकता था, तब स्वाति ने ही पहले डाक्टर को घर पर बुलाया और जब डाक्टर ने कहा कि इन्हें फौरन अस्पताल ले जाइए, तब स्वाति एक पल का भी इंतजार किए बिना सास को स्वयं ड्राइव कर के अस्पताल ले कर गई. वहां अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर के सास को अस्पताल में दाखिल कराया.

डाक्टरों से सारी बातचीत, उन का इलाज, सारी भागदौड़ स्वयं स्वाति ने पूरी जिम्मेदारी से निभाई. इसी का परिणाम है कि आज स्वाति की सास पूरी तरह ठीक हो कर घर पर हैं. अगर उस दिन स्वाति ने फुर्ती व सजगता न दिखाई होती तो कुछ भी हो सकता था. मेहुल की अनुपस्थिति में उस ने अपनी शिक्षा व आत्मविश्वास का पूरा सदुपयोग और मेहुल के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. जब पति घर से बाहर होते हैं और पत्नी घर पर होती है तो वह बच्चों, घरपरिवार की सेहत का पूरा ध्यान रख सकती है और पति को बेफिक्र कर के अपने ऊपर निर्भर बना सकती है.

हर क्षेत्र में भागीदार

पढ़ीलिखी पत्नियां घर पर रह क र पति की गैरहाजिरी में घर की सारी जिम्मेदारियां निभा कर पति को पंगु बना सकती हैं. घर के जरूरी सामानों की खरीदारी, घर की साफसफाई, बच्चों की शिक्षा, सेहत, घर का आर्थिक मैनेजमेंट, कानूनी दांवपेच, घर की मेंटेनेंस, गाड़ी की सर्विसिंग ये सभी काम, जिन के लिए अधिकांश पत्नियां पतियों के खाली समय होने का इंतजार करती हैं और कामकाजी पति के समयाभाव के कारण जरूरी कार्य टलते रहते हैं और घर में क्लेश होता है.

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एक सुघड़ पत्नी अपने गुणों से पति को अपने काबू में कर सकती है. अगर आप घर की ए टू जेड जिम्मेदारियां संभाल लेंगी तो पति स्वयंमेव आप के बस में हो जाएंगे, वे आप के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. नौकरी से केवल आप पति की आर्थिकमददगार बनती हैं लेकिन घर संभाल कर आप उन के हर क्षेत्र में भागीदार बनती हैं. जब पत्नियां पति की सभी जिम्मेदारियां निभाती हैं तो पति भी उस से खुश रहते हैं, उन की हर संभव मदद करते हैं न कि जिम्मेदारियों को ले कर तूतू मैंमैं करते हैं. सलिए अगर पति के दिल पर राज करना है, अपने खाली समय का सदुपयोग करना है, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करना है, व्यर्थ के तनाव से बचना है तो घर की हर जिम्मेदारी संभालिए. स्वयं को पूरी तरह व्यस्त कर लीजिए. पति को पूरी तरह अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए. अगर वह घर पर हों तो बिना आप की मदद के कुछ भी न कर सकें, इतना अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए उन को. फिर देखिए, वे कैसे दिनरात आप के नाम की माला जपेंगे और घर में हर तरफ खुशियों की बहार आ जाएगी.

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