Lockdown में Yeh Rishta की नायरा के लिए आया शादी का रिश्ता! देखिए फिर क्या हुआ

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) की नायरा यानी एक्ट्रेस शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) लॉकडाउन के दिनों में सोशलमीडिया पर एक्टिव हैं. वह लगातार फैंस के लिए नई-नई वीडियो पोस्ट कर रहे हैं. वहीं अपने होमटाउन उत्तराखंड में शिवांगी (Shivangi Joshi) काफी मस्ती भी कर रही हैं, इसी बीच उनके लिए शादी का एक रिश्ता भी आ गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

Tik-Tok पर वीडियो कर रही हैं शेयर

शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) इन दिनों टिकटॉक पर छाई हुई है. इसी बीच  शिवांगी ने शादी के लिए आए रिश्ते पर रिएक्ट  करते हुए एक वीडियो शेयर की है, जिसमें शिवांगी जोशी की होने वाली सास उनसे पूछ रही है कि वह क्या-क्या बना लेती हैं, तो इस हसीना ने काफी अच्छा रिएक्शन दिया है.

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शो की शूटिंग पर लौटेंगी शिवांगी जोशी

शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) ने हाल ही में कहा है कि लॉकडाउन के चलते वह अपने परिवार के साथ जमकर क्वालिटी टाइम बिता रही हैं. लेकिन वह इसमें अपने शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सेट को काफी मिस भी कर रही हैं. साथ ही शिवांगी ने यह भी कहा था कि वह लॉकडाउन खत्म होने के बाद सबसे पहले चाइनीज फूड खाना चाहती हैं. वहीं खबरों की मानें तो 4 मई से टीवी सीरियल्स की शूटिंग्स शुरु हो सकती हैं.

बता दें, सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कार्तिक और नायरा की रील लाइफ जोड़ी को औफस्क्रीन भी देखना चाहते हैं, जिसके लिए वह शिवांगी जोशी से उनसे मोहसिन खान को लेकर सवाल पूछती रहता है. वहीं शिवांगी जोशी और मोहसिन खान के लिंकअप और ब्रेकअप की खबरों के कारण फैंस उन्हें साथ देखने की तमन्ना रखते हैं.

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जब प्यार होने लगे गहरा

प्यारकरना तो आसान है मगर उसे निभाना और कायम रखना बहुत मुश्किल होता है. प्यार तभी सफल हो पाता है जब दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह समझनेजानने लगते हैं. एकदूसरे के प्रति पूरा विश्वास बना कर रखते हैं और छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं. प्यार जब गहरा होने लगे तो कुछ बातों का खयाल जरूर रखें.

1. सीक्रेट करें जाहिर

जब आप एकदूसरे के साथ गहराई से जुड़ जाते हैं तब आप दोनों के बीच कोई राज नहीं रहना चाहिए. आप वास्तव में किसी के करीब हैं तो अपनी खूबियों के साथसाथ अपने व्यक्तित्व के नकारात्मक पहलू को उजागर करने से न घबराएं. भले ही एकसाथ अपनी सारी नैगेटिव बातें न बताएं मगर धीरेधीरे हर राज खोलने शुरू करें. शुरुआत में आप इस बात पर भी गौर करें कि जब आप अपने साथी को अपनी कुछ नैगेटिव बातें बताते हैं तो उस का क्या रिऐक्शन होता है. यदि वह आप से सचमुच प्यार करता होगा तो आप के  व्यक्तित्व के अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को स्वीकार करेगा और उस के प्यार में कोई कमी नहीं आएगी.

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2. दिल की बातें

कई बार जिसे हम चाहते हैं, उस से अपनी अपेक्षाओं और मन में चल रही उलझन को शेयर नहीं कर पाते. संभव है कि आप का पार्टनर कुछ समय से आप को औफिस के बाद फोन नहीं कर रहा है, जबकि पहले वह हरदिन एक घंटे बात करता था. ऐसे में आप महसूस करेंगी कि जैसे अब उस का प्यार कम हो गया है. वह आप से बोर हो गया है और आप इस रिश्ते को ले कर इनसिक्योर फील करती हैं. यह सोच गलत है. आप साफतौर पर उसे अपनी इच्छा से अवगत कराएं कि औफिस के बाद आप उस के फोन का इंतजार करती हैं. हो सकता है कि वह अपने किसी प्रोजैक्ट में व्यस्त होने से ऐसा नहीं कर पा रहा. इस तरह बेवजह दूरी बनाने से अच्छा है कि बात स्पष्ट रूप से कर ली जाए.

3. पार्टनर पर हक न जताएं

अकसर हम सोचते हैं कि जिसे हम प्यार करते हैं उस का सारा वक्त सिर्फ हमारे लिए है, पर ऐसा नहीं होता. यह समझना बहुत जरूरी है कि आप का पार्टनर भी इंसान है और उस की अपनी अलग जिंदगी है. अपनी पसंद, अपने शौक और रिश्तेनाते भी हैं. हर समय अपने पल्लू से बांध कर रखने या अपनी इच्छानुसार उसे चलाने के बजाय उसे भी थोड़ी स्वतंत्रता और स्पेस दें, ताकि वह खुद को बंधा महसूस न करे और खुल कर आप के साथ एंजौय करे.

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4. झगड़ा प्यार से सुलझाएं

रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप उस झगड़े को कैसे सुलझाते हैं. यह नियम बनाएं कि जब भी झगड़ा हो, दोनों में से एक शांत रहे, चुप हो जाए. कुछ देर के लिए एकदूसरे से दूर हो जाएं. 24 घंटे के अंदर उस मुद्दे पर फिर दोबारा डिस्कशन जरूर करें. क्रोध के समय झगड़ा सुलझाने का प्रयास उलटा असर दिखाता है, इसलिए कुछ घंटे बाद जब दोनों का दिमाग शांत हो जाए तब उस बात पर विचार करें.

#lockdown: Whatsapp में 4 से ज्यादा लोग कर सकेंगे ग्रुप Call, पढ़ें क्या है नए features

दोस्तों व्हाट्सएप तो हम सभी use करते हैं या यूं कहे की ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है. 2019 से फेसबुक हो या व्हाट्सएप , ये कंपनी अपने users  के अनुभव को बढ़ाने के लिए लगातार इंपॉर्टेंट फीचर्स लॉन्च कर रही है.

व्हाट्सएप दुनिया भर में दो बिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ सबसे लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप में से एक है. व्हाट्सएप हमेशा एक ऐसा प्लेटफॉर्म रहा है, जो यूजर की जरूरतों को समझता है और समय के साथ अपने प्लेटफॉर्म को उन फीचर्स से अपडेट करता है जो उनके ऐप को आसान बनाते हैं.

व्हाट्सएप कई नए फीचर्स पर काम कर रहा है, जिनके बहुत जल्द लॉन्च होने की उम्मीद है. आज के इस लेख में हम  ‘व्हाट्सएप’ के upcoming features  के बारे में जानेंगे-

1-व्हाट्सएप ग्रुप कॉल की limit

चूंकि लोग COVID-19 लॉकडाउन के दौरान घर पर रह रहे हैं, इसलिए group  वीडियो कॉल का उपयोग अधिक बार किया जाता है  और अब तक  व्हाट्सएप के ज़रिये केवल चार लोगों ही एक group  कॉल का हिस्सा बन सकते है.

इसलिए लोग अन्य वीडियो कॉलिंग प्लेटफार्मों जैसे हाउसपार्टी, जूम, गूगल ,हैंगआउट आदि ऐप पर स्थानांतरित हो रहे हैं. क्योंकि वे वीडियो कॉल पर 4 से अधिक लोगों को होस्ट करते हैं.

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लेकिन ऐसा लगता है कि इन्ही सबको देखते हुए  व्हाट्सएप इस सीमा को बढ़ाने की योजना बना रही है. इस नए फीचर के तहत व्हाट्सएप के android और ios  यूजर अब ग्रुप में एक साथ आठ लोगों से ऑडियो या विडियो कॉल के जरिए कनेक्ट हो सकेंगे.

यह जानकारी व्हाट्सएप अपडेट को ट्रैक करने वाली एक लोकप्रिय साइट ‘WABetaInfo’  के ट्विटर अकाउंट से मिली है. WABetaInfo ने ट्वीट कर कहा , “व्हाट्सएप ios और android  बीटा यूजर्स के लिए ग्रुप कॉल में प्रतिभागियों की नई सीमा को शुरू करने जा रहा है”.

व्हाट्सएप बीटा अपडेट से पता चला है कि कंपनी जल्द ही अपने दो अरब यूजर्स के लिए एक ऑडियो या वीडियो समूह कॉल में प्रतिभागियों की सीमा का विस्तार करने के लिए तैयार है, जिसमें भारत के 40 करोड़ से अधिक लोग भी शामिल हैं.

इसके लिए सभी 8 लोग जो वीडियो या ऑडियो कॉल से कनेक्ट हो रहे है ,को  टेस्टफ्लाइट से 2.20.50.25 ios बीटा अपडेट करने की जरूरत है, वहीं google play store  से 2.20.133 बीटा इंस्टॉल करने की भी आवश्यकता है. यानी ग्रुप के आठ सदस्यों से एक साथ कनेक्ट होने के लिए जरूरी है कि सभी लेटेस्ट बीटा अपडेट का प्रयोग कर रहे हों.

2-मल्टीपल डिवाइस सपोर्ट

वर्तमान में, व्हाट्सएप users  एक बार में केवल एक डिवाइस पर अपने व्हाट्सएप account का उपयोग कर सकते हैं. जैसे ही ये user किसी अन्य डिवाइस में लॉग इन करते हैं, पहले वाला अपने आप लॉग आउट हो जाता है. मैसेजिंग प्लेटफॉर्म अब एक ऐसे फीचर पर काम कर रहा  है जो व्हाट्सएप अकाउंट के लिए कई डिवाइस सपोर्ट कर सकेगा.

WABetaInfo ने बताया कि ,” मल्टी-डिवाइस सपोर्ट फ़ीचर उन लोगों के लिए काम आने की उम्मीद है जो एक से अधिक फोन का इस्तेमाल करते हैं या वे अपने डिवाइस पर अपने व्हाट्सएप अकाउंट को एक्सेस करना चाहते हैं”.

3- बिना फोन के व्हाट्सएप वेब

व्हाट्सएप वेब , व्हाट्सएप का एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट features  है जिसके  ज़रिये आप अपने messages और chats को अपने कंप्यूटर या लैपटॉप की डेस्कटॉप  पर पहुंचा सकते है.जिससे आपके mobile पर कम लोड पड़ता है. हालाँकि, आप इसे तभी एक्सेस कर सकते हैं जब आपका फोन चल रहा हो और इंटरनेट से जुड़ा हो.

WABetaInfo के अनुसार, मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म एक यूनिवर्सल विंडोज प्लेटफ़ॉर्म (UWP) का निर्माण कर रहा है, जो फ़ोन बंद होने पर भी काम करेगा.

4- ऑटोमेटिकली unwanted messages  डिलीट  होना

व्हाट्सएप users  के पास वर्तमान में निश्चित  समय सीमा के भीतर भेजे गए संदेशों को हटाने का option  है.

मैसेजिंग प्लेटफार्म अब  ‘Disappearing Messages’ फीचर पर काम कर रही है जो भेजे गए संदेशों को व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट की तरह स्वचालित रूप से डिलीट कर देगा. एक बार सुविधा सक्षम हो जाने के बाद, users अपने messages के लिए एक time-limit  निर्धारित कर पाएंगे, जिसके बाद वे messages अपने आप ही डिलीट हो जायेंगे.

5-search image(इमेज verification )

दोस्तों जो यह फीचर्स है यह बहुत ही ज्यादा यूज़फुल है .फेक न्यूज सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए लगातार चिंता का विषय रहा है और व्हाट्सएप भी इससे अछूता नहीं रहा है.

इस फीचर्स से जो फेक न्यूज़ व्हाट्सएप पर फैलती है वह थोड़ी कम हो जाएगी. इस फीचर्स के अंतर्गत अगर कोई भी आपको कोई इमेज फॉरवर्ड करता है तो आप उस इमेज को google की सहायता से  verify  कर सकते हैं.आप ये जान सकते हैं की यह real image है या नहीं ,ये कहाँ से आई ,कब originate हुई? दोस्तों ऐसा कई बार लगता है की  यह बिल्कुल न्यू इमेज है पर वो होती है पिछले 10 साल पहले की. अब आप इस फीचर के ज़रिये आसानी से वेरीफाई कर पाओगे .

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6-in –app  ब्राउज़िंग

व्हाट्सएप के एंड्रॉइड बीटा feature को in –app  ब्राउज़िंग की सुविधा के लिए देखा गया है जो users को एप्लिकेशन के भीतर वेब पेज खोलने की सुविधा देता है.जैसे अगर आप व्हाट्सएप में कोई youtube वीडियो देख रहे है तो आपको व्हाट्सएप  को बन्द नहीं करना पड़ता.

‘WABetaInfo’ के अनुसार, unsafe pages  का पता लगाने के लिए in –app   ब्राउज़र सुविधा विकसित की जा रही है.

19 दिन 19 टिप्स: फेस पर वैक्स करने से पहले जरूर जान लें ये बातें

चेहरे पर अत्यधिक बाल होना कुछ महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या होती है. कुछ पार्लर इस से छुटकारा पाने के लिए वैक्सिंग कराने की सलाह देते हैं परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि चेहरे पर वैक्सिंग कराना नुकसानदायक हो सकता है. चेहरे की स्किन बहुत मुलायम होती है तथा इसे कराने से समय से पहले झुर्रियां पड़ सकती हैं. यदि बाल मोटे हैं तो लेजर हेयर रिमूवल सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. आप ब्लीचिंग का विकल्प भी चुन सकती हैं. वैक्सिंग से हेयर फॉलिकल्स को बहुत नुकसान पहुंचता है जिससे संक्रमण और सूजन हो सकती है. इसके कारण दाग भी पड़ सकते हैं, जिनका उपचार करना कठिन होता है.

वैक्सिंग से पहले ध्यान रखें

-वैक्सिंग करने वाले के हाथ बिल्कुल साफ होने चाहिएं.

-जिस हिस्से की वैक्सिंग करनी है, वह भी पूरी तरह साफ होना चाहिए.

-वैक्सिंग किसी अच्छे पार्लर में ही करानी चाहिए.

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-वैक्स और पट्टियां अच्छे ब्रांड की हों.

-वैक्सिंग कराने से एक दिन पहले स्किन की स्क्रबिंग करें. यह मृत स्किन को बाहर निकाल देती है.

वैक्सिंग के बाद

वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद स्किन लाल हो सकती है और उस पर रैशेज दिखाई दे सकते हैं.

– वैक्सिंग कराने के 24 घंटे बाद तक धूप में न निकलें.

– 12 घंटे तक कोई सन बाथ न लें.

– 24 घंटे तक क्लोरीन युक्त स्विमिंग पूल में स्विमिंग न करें.

– स्पा और सोना बाथ भी न लें.

– कोई भी खुशबू वाली क्रीम न लगाएं, नहीं तो जलन हो सकती है.

– स्किन पर बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए टी-ट्री युक्त उत्पाद लगाएं.

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– यदि वैक्सिंग के बाद जलन हो रही है तो एलोवेरा युक्त क्रीम लगाएं. जलन को कम करने के लिए बर्फ भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

– वैक्सिंग कराने के तुरंत बाद जिम न जाएं क्योंकि इससे चिकनी स्किन पर बैक्टीरिया फैलने का खतरा अधिक होता है.

– वैक्सिंग कराने के कुछ घंटों बाद तक टाइट कपड़े न पहनें क्योंकि इस से स्किन पर रगड़ लग सकती है और उस में जलन हो सकती है.

#lockdown: घर पर बनाएं veg ऑमलेट 

वैसे  तो आपने बहुत प्रकार के ऑमलेट  खाए होंगे.पर क्या आपने कभी बिना अंडे के ऑमलेट  के बारे में सुना है? जी हां आज हम बनाएंगे बिना अंडे का ऑमलेट.

यह ऑमलेट  बच्चे और बड़े बहुत ही मन से खाएंगे.  इसको बनाने के लिए हम white ब्रेड भी यूज कर सकते हैं लेकिन वाइट ब्रेड के कंपैरिजन में ब्राउन ब्रेड ज्यादा बैटर है. इसको बनाना बहुत ही आसान है और घर पर बनाया गया यह नाश्ता आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं होगा. चलिए बनाते हैं veg -ऑमलेट  –

हमें चाहिए-

8  स्लाइस ब्राउन ब्रेड

2 टेबलस्पून सूजी

1 कप मलाई

1 शिमला मिर्च बारीक कटी हुई

2 मीडियम प्याज बारीक कटे हुए

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1 बड़ा टमाटर बारीक कटा हुआ

1 से 2 हरी मिर्च बारीक कटी हुई

1 टेबल स्पून हरा धनिया बारीक कटा हुआ

1 टेबल स्पून रिफाइंड आयल

नमक स्वादानुसार

1 टेबल स्पून grated cheese (ऑप्शनल)

बनाने का तरीका-

1-एक बड़े बाउल में मलाई और सूजी को लेकर अच्छे से फेंट  ले ताकि उस में गांठ ना रह जाए.

2- इसके बाद उसमें कटा हुआ शिमला मिर्च ,प्याज, टमाटर ,हरी मिर्च , बारीक कटा हुआ हरा धनिया और स्वादानुसार नमक डालें और इस मिश्रण को अच्छे से तैयार कर लें.

3- मिश्रण को थोड़ा गाढ़ा रखें ज्यादा पतला ना करें. इसके बाद ब्रेड के एक साइड में करीब 2 चम्मच मिश्रण ले करके अच्छे से पूरी ब्रेड पर फैला लें.

4-अब नॉन-स्टिक पैन को हल्का गर्म होने के लिए गैस पर रख दें .

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5-इसके बाद उस पर थोड़ा सा तेल लगा ले .जब तेल हल्का सा गर्म हो जाए तो ब्रेड का मिश्रण वाला भाग उस पर रखें और उसको करीब 2 से 3 मिनट तक सेंके.

6- 2 से 3 मिनट तक सकने के बाद इसे पलट कर दूसरे हिस्से को भी सुनहरा होने तक सेक लें .

7-तैयार है बिना अंडे की ऑमलेट . यदि आप चाहें तो इसके ऊपर चीज grate करके भी डाल सकते हैं .

8-इससे एक प्लेट में निकाल लें और केचप या चाय के साथ गरमागरम परोसें.

क्या कोरोनावायरस से लड़ने  के लिए कोई दवा बनी है?

सवाल-

आजकल चारों तरफ कोरोना वायरस का दबदबा बना हुआ है और उसे ले कर लोग काफी डरे हुए हैं. मेरे पति की जौब ऐसी है कि उन्हें काफी ट्रैवल करना पड़ता है, इसलिए मैं उन के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहती हूं. कृपया बताएं कि यह कोरोना वायरस है क्या, इस के होने पर क्या लक्षण प्रकट होते हैं, क्या ऐसी कोई दवा बनी है, जो इस का इलाज कर पाने में सफल है? इस के प्रकोप से बचे रहने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर क्याक्या युक्तियां अपनाई जा सकती हैं? क्या बाहर जातेआते समय मुंह और नाक पर मास्क लगाए रखने से वायरस से बचा जा सकता है?

जवाब-

कोरोना वायरस प्राणि जगत में पाई जाने वाली खास किस्म की बड़ी वायरस फैमिली है, जो मामूली खांसीजुकाम से ले कर गंभीर ‘सब ऐक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (सार्स) और ‘मीडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (मार्स) को उत्प्रेरित कर पूरी दुनिया में समयसमय पर गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न करने के लिए जानी जाती रही है. समझा जाता है कि इस की कुछ नस्लें (स्ट्रेंस) खास पशुओं में बिना उन के स्वास्थ्य पर धावा बोले पलतीपनपती रहती हैं, लेकिन संयोगवश जब ये नस्लें पशु से मनुष्य में प्रविष्ट कर जाती हैं तो श्वसन प्रणाली में गंभीर इन्फैक्शन उत्पन्न कर जान पर बन आती है.

दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान शहर के लोगों में शुरू हो कर आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में फैला नया कोरोना वायरस इसी वायरस फैमिली की नई पैदाइश है. इसे ‘कोविड 19’ का नाम दिया गया है. यह नया वायरस अपने उन पूर्वज कोरोना वायरसों से बिलकुल जुदा है, जिन्होंने बीते सालों में सार्स और मार्स उपजा कर दुनिया के कुछ देशों में मृत्यु का तांडव मचाया था. उन की तुलना में यह नया वायरस फैलने में कहीं अधिक तेज है, लेकिन इस की घातकता उन के मुकाबले कहीं कम है. अब तक मिले आंकड़ों से यह पाया गया है कि इस से प्रभावित हुए कुल 20% से कुछ कम लोगों में इन्फैक्शन गंभीर किस्म का होता है और कुल 2% लोगों में यह जानलेवा साबित हो रहा है. अधिक उम्रदराज लोगों, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रैशर और हार्ट डिजीज से पीडि़त लोगों में रोग की घातकता अधिक पाई गई है.

बुखार, सूखी खांसी, थकान, बदन में दर्द, सर्दीजुकाम नए कोरोना वायरस से उपजे रोग के मामूली लक्षण हैं और इस से पीडि़त 80% रोग इस के असर से कुछ ही दिनों में छुटकारा पा लेते हैं. बाकी 20% में इन लक्षणों के साथसाथ जब सांस भी उखड़ने लगे तो समझ लेना चाहिए कि मामला गंभीर है और अस्पताल में भरती होने की नौबत आ सकती है. इन गंभीर रोगियों में निमोनिया होने के साथसाथ गुरदे फेल होने से जान पर बन सकती है.

नए कोरोना वायरस से बचे रहने के लिए कई छोटेछोटे उपाय अपनाने उपयोगी हैं. ?भीड़ वाले सार्वजनिक स्थलों में जाने से बचने में भलाई है. जाना आवश्यक ही हो तो समयसमय पर अपने हाथ साबुन और पानी से या सैनिटाइजर से साफ रखने से इन्फैक्शन से बचा जा सकता है. यदि किसी जानने वाले को बुखार, सूखी खांसी, थकान के लक्षण हों, सर्दीजुकाम हो तो उस से दूर रह कर अपना बचाव करने में भलाई है.

कोरोना वायरस से बीमार व्यक्ति के खांसनेछींकने से यह हवा में पहुंचता है और फिर दूसरे के शरीर में प्रवेश पा उसे भी इंफैक्ट कर देता है. हवा में उड़ कर आए इस के कण आसपास के फर्नीचर, डौर हैंडल व अन्य चीजों की सतह पर कई घंटों और दिनों तक जिंदा रह सकते हैं. यह उस जगह के तापमान, नमी और सतह के भौतिक गुणों से तय होता है कि वायरस कितने दिन तक जिंदा रह कर दूसरों को इंफैक्ट कर सकता है.

मास्क लगाने में कोई हरज नहीं है, लेकिन उस की जरूरत तभी है जब घरपरिवार में किसी को रोग होने का अंदेशा हो, खुद को बुखार, सूखी खांसी, थकान के लक्षण हों या कोई डाक्टर, नर्स हो जिस का सामना कभी भी नए कोरोना वायरस के रोगी से हो सकता है.

जहां तक प्रभावी दवाओं का प्रश्न है, तो अब तक ऐसी कोई दवा नहीं बनी है, जो इस वायरस को मात दे सकती हो. गंभीर रोगियों को अस्पताल में रख कर लाइफ सपोर्ट थेरैपी ही दी जाती है ताकि शरीर वायरस के दुष्प्रभावी चक्रव्यूह से सुरक्षित बाहर आ सके.

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#coronavirus: निशाने पर वायरस लैब, क्या कहते हैं वैज्ञानिक

दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन के हुबेई प्रांत के शहर वुहान के बाहरी इलाके में तालाब के पास टीले पर एक लैबोरेट्री यानी प्रयोगशाला है जो वायरसों के बारे में रिसर्च करती है. इसका निर्माण फ्रांस व अमेरिका की मदद से किया गया. बहुत से वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस जानवर से इंसान में ट्रांस्मिट हुआ और इस लैब पर संदेह जताया जा रहा है कि वायरस का प्रसार यहीं से हुआ.

फ्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लूक मांटेग्नर कहते हैं कि कोविड-19 महामारी फैलाने वाले नोवल कोरोना वायरस की उत्पत्ति एक लैब में की गई है और यह मैनमेड यानी मानव निर्मित है. उन्होंने यह भी कहा कि एड्स बीमारी को फैलाने वाले एचआईवी की वैक्सीन बनाने की कोशिश में यह बेहद संक्रामक और घातक वायरस तैयार किया गया है.

एचआईवी (ह्यूमन इमोनोडेफिशिएंसी वायरस) के सह-खोजकर्ता फ्रांसीसी वैज्ञानिक लूक मांटेग्नर ने बताया कि इसीलिए नोवल कोरोना वायरस के जीनोम में एचआईवी के तत्वों और यहां तक कि मलेरिया के भी कुछ तत्व होने की आशंका है.

यह लैब क्या है?

विश्वप्रसिद्ध इंग्लिश डेली न्यूजपेपर वाशिंग्टन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन की राजधानी बीजिंग में अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधियों ने वुहान की लैब का कई बार दौरा किया और 2018 में उन्होंने अमेरिकी प्रशासन को सूचित किया था कि इस प्रयोगशाला में सेफ़्टी के मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है.

वहीं, अमेरिका के फ़ाक्स न्यूज़ चैनल ने कई ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी कि कोरोना वायरस के फैलने की शुरुआत वुहान की इसी लैब से हुई है.

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गौरतलब है कि वुहान इंस्टीट्यूट औफ वायरोलौजी के कैंपस में स्थित इस लैब को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है क्योंकि वहां इबोला जैसे बहुत से ख़तरनाक वायरसों पर रिसर्च होती है. इस लैब में संक्रामक रोगों की रोकथाम के सटीक उपायों के बारे में शोध किया जाता है.

मेडिसिन में वायरस की पहचान करने के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए वैज्ञानिक लुक मांटेग्नर का मानना है कि वुहान इंस्टीट्यूट औफ वायरोलौजी ऐसे वायरस बनाने में एक्सपर्ट है. वहां वर्ष 2000 से इस तरह के वायरसों पर रिसर्च चल रही है.

लैब के निर्माण में 40 मिलियन यूरो ख़र्च हुए.  यह बी-4 ग्रेड की लैब है. दुनिया में इस ग्रेड की लगभग 30 लैब्स हैं. वुहान लैब में अलगअलग वायरसों के 1,500 नमूने मौजूद हैं और इसे एशिया की सबसे महत्वपूर्ण वायरोलोजी लैब माना जाता है. अमेरिकी मीडिया में बी-4 लैब की बात हो रही है लेकिन कोरोना वायरस जैसे शोध, जिसमें बहुत अधिक रिस्क नहीं होता, बी-3 ग्रेड की लैब्स में किए जाते हैं.  वुहान की लैब में, बहरहाल, यह भाग भी मौजूद है.

क्या वाक़ई कोरोना वायरस यहीं से फैला है?

इस बारे में कोई ठोस साक्ष्य नहीं है. वाशिंग्टन पोस्ट और फ़ाक्स न्यूज़ ने जानकार सूत्रों के हवाले से ही सारे दावे किए हैं. फ़ाक्स न्यूज़ का दावा है कि जिस पहले मरीज़ पर प्रयोगशाला के भीतर शोध किया गया वही अपने साथ यह वायरस लेकर बाहर आ गया.

बहरहाल, लैब के डायरेक्टर ने आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है.

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

बहुत से वैज्ञानिक यह मानते हैं कि कोरोना वायरस निकला तो चमगादड़ से ही है लेकिन वह इंसान तक पहुंचने से पहले किसी और प्राणी के भीतर ट्रांसमिट हुआ है. चीनी विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बीच वाला प्राणी ऐसा है जो चींटियां खाता है. यह स्तनधारी प्राणी है जो विलुप्त होने की कगार पर है. जबकि,

कुछ दूसरे चीनी वैज्ञानिक कहते हैं कि कोरोना वायरस का जो पहला मरीज़ है वह वुहान के उस बाज़ार में नहीं गया था जहां अलगअलग प्रकार के जानवर बिकते हैं जिसे वेट मार्केट के नाम से जाना जाता है.

लंदन के किंग्ज़ कालेज की बायोसेफ़्टी रिसर्चर फ़िलिपा लिन्ज़ोस का कहना है कि अब तक यह सवाल अपनी जगह मौजूद है कि कोरोना वायरस की शुरुआत कहां से हुई. उन्होंने कहा कि कोई भी साक्ष्य नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि वायरस वुहान की लैब से फैला है और इसी तरह इस का भी साक्ष्य नहीं है कि यह वायरस वुहान के जानवरों के बाज़ार से निकला है.

विशेष सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर फौक्स न्यूज ने अपनी एक एक्स्क्लूसिव रिपोर्ट में यह दावा किया है कि यह चमगादड़ के बीच स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाला वायरस है, यह कोई बायो वेपन यानी जैविक हथियार नहीं है, जिसका वुहान की लैब में अध्ययन किया जा रहा है.

चमगादड़ से मानव में वायरस का ट्रांसमिशन :

न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वायरस का सबसे पहला ट्रांसमिशन चमगादड़ से मानव में हुआ और पहली संक्रमित रोगी इसी लैब में काम करती थी. वुहान शहर में आम लोगों में यह वायरस फैलने से पहले लैब की एक इंटर्न महिला कर्मचारी गलती से संक्रमित हो गई. वुहान वेट बाजार को शुरुआत में इस वायरस के उत्पत्ति स्थल के रूप में पहचाना गया, मगर वहां चमगादड़ कभी नहीं बेचे गए. हालांकि, चीन ने लैबोरेट्री के बजाय वेट मार्केट को वायरस फैलाने के लिए दोषी माना है.

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न्यूज ने कई सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि चीन की सरकार यह दिखाने के लिए वायरस पर अध्ययन कर रही थी कि किसी वायरस को पहचानने या उससे लड़ने में वह अमेरिका के बराबर या ज्यादा सक्षम है या नहीं. बहरहाल, नोवल कोरोना वायरस का केंद्र वुहान ही है.

उधर, चीन का कहना है कि वुहान इंस्टीट्यूट औफ वायरोलौजी की पी4 लैब में घातक वायरसों पर रिसर्च जरूर होती है लेकिन यह कोरी अफवाह है कि कोविड-19 का जन्म इसी लैब में हुआ है. चीन के मुताबिक, वुहान लैब में काम करने के कायदे-कानून बेहद सख्त हैं और वहां से वायरस का बाहर आना लगभग असंभव है.

पृथ्वी के सुरक्षा के लिए माना जाता है – “पृथ्वी दिवस” 

आज विश्व आज पृथ्वी दिवस है. पृथ्वी के  पर्यावरण और प्राकृतिक सौन्दर्य  कों बरक़रार रखने एवं पृथ्वी पर मवजूदा सम्पदा के सरक्षण के उद्देश्य से प्रति वर्ष 22 अप्रैल कों पृथ्वी दिवस  मनाया जाता है. इस दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटरजेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है.  पृथ्वी  के बारे में प्रशंसा करने  और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया गया है.

1. विश्व के 195 देशों में मनाया जाता है

यह दिवस अपने स्थापना काल से ही पुरे दुनिया में सबसे लोकप्रिय दिवस साबित हुआ है. पहले पृथ्वी दिवस में दो हज़ार काँलेजो  और विश्वविद्यालयों में , दस हज़ार प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में और संयुक्त राज्य अमेरिका में सैंकडों संस्थाओं में उपस्थित 20 लाख प्रशंसक ने  पर्यावरण सुधार के पक्ष में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेते हुए  पृथ्वी दिवस का नीव रखा था. संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू होने वाला यह दिवस आज विश्व के 195  देशों  में 760 करोड़ से अधिक लोगों के द्वारा में मनाया जाता है.

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2. 50वां पृथ्वी दिवस है कुछ खास

पूरा पृथ्वी के निवासी कोरोना के कहर से कहर रहे है , पृथ्वी के अधिकतर हिस्से में लोग लॉकडाउन के चलते अपने-अपने घरों में कैद हैं. सड़के सुनी है आवागमन के सभी साधन बंद है , कल कारखाने बंद पड़े है, सारे औद्योगिक इकाइयां, सभी तरह के उपक्रम बंद हैं.

यह समय पृथ्वी के वातावरण के लिए अच्छा समय है , वर्षों से नहीं रुकने वाला प्रदुषण इस समय थम सा गया है . औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से केमिकल युक्त दूषित पदार्थ नदियों में प्रवाहित ना होने से गंगा, यमुना सहित विश्व की अधिकांश नदियों का जल स्वच्छ हो चुका है. झीलों का पानी भी मनोहारी व पारदर्शी हो चुका है. नदियों में जल जीव दिखाई देने लगे हैं जबकि लाखों रुपये खर्च करके भी स्वच्छता कार्यक्रम के बावजूद ऐसा परिणाम नहीं निकला. आसमान एकदम साफ है.

3. 2020 एक ऐसा अहम मोड़ है

पृथ्वी दिवस 2020 एक ऐसा अहम मोड़ है जहां से हम जलवायु नीति, ऊर्जा कार्यकुशलता, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण हितैषी रोजगार की ओर तरफ बढ सकते हैं. पृथ्वी दिवस व्यक्तियों,निगमों और सरकारों को वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए आपस में हाथ मिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. कोरोना संकट के कारण पृथ्वी के पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु में जो सकारात्मक परिवर्तन आया है , उसे हम सभी मिल कर बरकरा रख सकते है.

4. हम एक अनोखे ग्रह के वासी हैं

पृथ्वी दिवस दुनिया में व्यपाक रूप से मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय समारोह है और यह हमें इस बात की याद दिलाता है  कि हम एक अनोखे ग्रह के वासी हैं. पृथ्वी सौरमंडल का ऐसा एक मात्र ग्रह है जहां अतुल्य जैव विविधता है. प्रथम पृथ्वी दिवस के 50 वर्ष बाद भी हम कई क्षेत्रों में जागरूपता नहीं ला सके है,दुनिया अब तक की सबसे अधिक खतरनाक स्थिति में पहुंच गयी है. जलवायु परिवर्तन हमारे समय की एक बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन यह हमारे सम्मुख बहुत बड़ा अवसर अर्थात वर्तमान और भविष्य के लिए स्वस्थ, समृध्दशाली  और स्वच्छ ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण का अप्रत्याशित अवसर लेकर आया है.

5. खतरे की अनदेखी भारी पड़ेगा

आज के समय में जलवायु परिवर्तन एक मुख्य समस्या बन चुकी है. पर्यावरण का सवाल जब तक तापमान में बढ़ोतरी से मानवता के भविष्य पर आने वाले खतरों तक सीमित रहा, तब तक विकासशील देशों का इसकी ओर उतना ध्यान नहीं गया. अब जलवायु चक्र का खतरा खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ रहा है- किसान यह तय नहीं कर पा रहे कि कब बुवाई करें और कब फसल काटें. ऐसे में कुछ ही देश इस खतरे की अनदेखी करने का साहस कर सकते हैं.

6. जागरूकता लेकर पृथ्वी को बचा सकते है

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है. सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है. कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए. सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी. हमें  सभी मतभेदों को भूलकर जागरूकता लाना होगा , यह पृथ्वी हमारी है , हमें इसे हर हाल में  पृथ्वी को बचाना होगा है.

7. प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा

हम पृथ्वीवासी समय पर नहीं सुधरेंगे, तो प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा. अगर वसुधरा को बचाए रखना है तो सभी तरह के हमें बदला होगा, पर्यावरण संरक्षण के दिशा में काम करना होगा, साथ ही उस वृक्ष को कटने से रोकना होगा . अगर तय समय पर हम नही जगे तो हम पृथ्वी वासियों को प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा .

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8. वृक्ष है अनमोल

पृथ्वी के सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य का  जन्म के करोड़ों वर्ष हुआ. वैज्ञानिक मतों के अनुसार पृथ्वी का निर्माण  सूर्य के  एक टुकड़ा से हुआ ,जो धधकता हुआ आग का गोला था. लाखों वर्षों में पृथ्वी ठंडी हुई फिर पृथ्वी पर पानी उत्पन्न हुआ और पानी के आने के बाद पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की संख्या बढ़ती गई. पृथ्वी के स्थल भाग पर जंगल ही छा गया और खाली जगहों पर जल स्त्रोतों के छोटे -बड़े कई भाग  नदी , सागार एवं महासगार के रूप में निर्मित हुए.

पृथ्वी के शुरूआती काल से आज तक वृक्ष काफी महत्वपूर्ण रहा है और आने वाले समय में भी वृक्ष की महता कम नही होगी. वृक्ष ने मनुष्य को प्राण वायु, जल, छाया, रोटी – कपड़ा, मकान, फर्नीचर, दवा,कागज, स्याही, रंग, कॉस्मेटिक्स, शराब, औजार, सुगंधित पदार्थ आदि सैकड़ों तरह के अनुदान तो दिए ही हैं. साथ ही साथ वृक्ष ने शोर और वायु प्रदूषण से होने वाले जहर को स्वयं पी जाते हुए सृष्टि के सुन्दरता बरकरार रखती हैं. वृक्ष बरसात के पानी को अपनी जड़ों के माध्यम से धरती के भीतर तक पहुँचाते हैं ताकि गर्मी में मनुष्य को नलकूप जल देते रहें. वृक्ष का कार्य क्षेत्र विकराल होते हुए भी मानव एवं सृष्टि के हित में है , तभी तो वृक्ष अनमोल है. इस सृष्टि में वृक्षों के अनुदान यहीं समाप्त नहीं होता हैं. इसी वृक्ष के नीचे कई महापुरुषो को ज्ञान प्राप्त हुआ. इसके नीचे ज्ञान पा कर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध हो गए.  भगवान महावीर सहित जैनियों के सभी तीर्थंकरों ने इसी वृक्ष की छाया में परम ज्ञान को पा कर आम आदमी से महा पुरुष बन गए.

महाभारत कल से रामायण कल तक वृक्ष का अहम रोल सबके सामने आता रहा. आदि कल से इस अनमोल कारक ने पृथ्वी और सृष्टि के रंग रूप एवं सौन्दर्य को सजाने में कोई कसर नही छोड़ी. आज भौतिक सुखो को लिए नित्य हजारो की संख्या में इनकी कटाई होती है. तो आप ही सोचिए इस अनमोल वृक्ष के बिना पृथ्वी का सौन्दर्य वापस कैसे लाया जा सकता है. अगर हमें पृथ्वी को बचाना है तो हमें वृक्ष कटाव कों रोकना होगा एवं अत्यधिक संख्या में वृक्ष लगाना होगा.

9.  घटती भूमि बढ़ती चिंता

आधुनिकता और बाजारवाद के आपाधापी में हमने बहुत कुछ खोया है, उन्ही में से कृषि योग्य भूमि भी है, जिसकी कमी कई देशो के लिए चिंता का विषय बन गया है. भारत सहित कई देश के भविष्य को खतरा पैदा हो गया है. हमारे देश में करीब 75 प्रतिशत कृषि भूमि की उत्पादकता में कमी स्थिति की भयावहता का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में देश में भूमि की हालत खतरनाक है. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी ‘स्टेट ऑफ एन्वायरोनमेंट’ रिपोर्ट के अनुसार 14.7 करोड़ हेक्टेयर यानि लगभग 45 प्रतिशत भूमि जलभराव, अम्लीयता व कटाव आदि कारणों से बेकार हो गई है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा अपनी रिपोर्ट विजन – 2030 में दी गई जानकारी के अनुसार देश की कुल 15 करोड़ हेक्टेयर खेती योग्य भूमि से 12 करोड़ हेक्टेयर की उत्पादकता काफी घट गई है. 84 लाख हेक्टेयर भूमि जल भराव व खारेपन की समस्या से ग्रसित है. पिछले दो दशक में ही देश की कुल खेती योग्य भूमि में विभिन्न कारणों से 28 लाख हेक्टेयर की कमी आंकी गई है. खनन, उद्योग, ऊर्जा उत्पादन एवं शहरीकरण भी तेजी से भूमि लील रहे हैं. इस पृथ्वी दिवस पर हम सभी को इस ओर भी ध्यान देना होगा, ताकि आने वाले दिनों में हमें खादय पदार्थो के भरी आयत का दिन ना देखना पड़े.

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19 दिन 19 टिप्स: फैशन के मामले में बौलीवुड एक्ट्रेसेस से कम नहीं बिग बौस की ये कंटेस्टेंट

कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बौस 13’ में एक बार फिर पंजाब की ‘ऐश्वर्या राय’ हिमांशी खुराना की एंट्री हो गई है. हाल में हिमांशी ने घर के अंदर जाने के लिए अपना नया मेकओवर करवाया, जिसमें वह बेहद खूबसूरत नजर आईं, लेकिन उससे भी ज्यादा उनकी ड्रेस खूबसूरत दिखीं जब उन्होंने घर के अंदर एंट्री की. उनके लुक की तारीफें फैंस से लेकर आसिम तक करते नजर आए. आइए आपको दिखाते हैं हिमांशी के कुछ लुक, जिसे आप पार्टी से लेकर शादी तक ट्राय कर सकते हैं…

1. बिग बौस में इस लुक में नजर आईं हिमांशी

बिग बौस 13 में दोबारा एंट्री करते हुए हिमांशी फ्लावर प्रिंट पिंक और ब्लैक कौम्बिनेशन वाले औफ शोल्डर गाउन में नजर आईं. इस आउटफिट में हिमांशी का लुक सिंपल के साथ साथ ट्रैंडी भी था.

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2. पिंक कलर है हमेशा परफेक्ट 

 

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पिंक कलर चाहे कोई भी पहने और किसी भी फंक्शन में पहने तो वह खूबसूरत लगेगा. पिंक कलर के एम्ब्रायडरी वाले सूट के साथ लूज पैंट ट्राय कर सकते हैं. इसके दुपट्टा अगर सूट हल्का है तो हैवी रखें.

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3. अनारकली सूट करें ट्राय

वेडिंग में अक्सर अनारकली सूट देखने को मिलते हैं अगर आप भी वेडिंग फंक्शन में अनारकली सूट ट्राय करना चाहते हैं तो हिमांशी का डार्क स्काई ब्लू कलर का सूट ट्राय करना न भूलें. ये आपके लिए परफेक्ट लुक रहेगा.

4. मौडर्न लुक भी है कमाल

 

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हाल ही में सोशल मीडिया पर हिमांशी का मौडर्न लुक नजर आया, जिसमें ब्राउन कलर के फुल स्लीव टौप के साथ फुल स्कर्ट लुक सिंपल के साथ-साथ हौट लुक कमाल था.

5. शरारा लुक है परफेक्ट

 

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आजकल शरारा लुक काफी पौपुलर है. शरारा के साथ सूट ग्रीन सूट और दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट लुक है ये आपके लुक पर चार चांद लगा देगा. आप इसके साथ गोल्डन इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं ये आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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“द बाईसिकल डायरी”- जीवन की राहों पर

 जोश, जूनून और होश की अगर कहीं मिशाल होगी तो विश्व में दो नाम सबसे पहले लिए जाएंगे. एक, चे गुएरा और दूसरा, भगत सिंह. दोनों ने अपने अपने समय में वो कर के दिखाया जो आज की भावी पीढ़ी मन ही मन सोच कर प्रेरित तो होती है लेकिन उस राह चलने पर पावं फटने लगते है. लेकिन बात यहाँ न तो भगत सिंह की है, न चे ग्वेरा की. यह कहानी है प्रवासी मजदूर महेश जेना की. जिस की उम्र मात्र 20 साल की है. एक ऐसा माइग्रेंट मजदूर जिस ने 1700 किलोमीटर की लम्बी यात्रा एक साइकिल में महज 7 दिन में पूरी की.

महेश महाराष्ट्र के सांगली जिले के इंडस्ट्रियल बेल्ट में काम करता था. सिर्फ 6000 रूपए की तनख्वाह में काम करने वाले महेश को जब पता चला की प्रधानमंत्री ने पूरे देश को ठप कर दिया है तो वह 1 अप्रैल को अपना झोला उठा चल दिया. जिस फैक्ट्री में वह काम करता था वह फैक्ट्री देश में लाकडाउन के चलते बंद कर दी गई. न काम न सरकारी राहत. वैसे भी सरकार ने कभी राहत दी भी तो नहीं थी. सरकार पर भरोसा करना मतलब खुद को भूखे मारने जैसा था. इसलिए दिमाग को एकाग्र कर उस ने अपने साइकिल में एक जोड़ी कपडा, कुछ बिस्किट के पैकेट और पानी की बोतल की गठरी बांधी. महाराष्ट्र से अपने अदम्य साहस से 1 अप्रैल को वह निकल पड़ा और सिर्फ 7 दिनों के भीतर अपने जिला राज्य उडीसा पहुंच गया.

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यह अपने आप में अदभुत कार्य है. एक 20 साल का नवयुवक साइकिल के सहारे मात्र 3000 रूपए ले कर मीलों का सफ़र तय करने अकेले निकल जाता है. न खाने का ठिकाना, न रहने का, अंजान रास्तों में बेझिझक निकलना यह मिशाल है उसके ऊँचे होंसलों की. खासकर एक ऐसे समय में जब संभावना है कि कई मीलों तक इंसान के होने की उम्मीद न हो. कितना धैर्य और एकाग्रता समेटा होगा उस युवक ने.

खबर के मुताबिक उस ने अपनी यात्रा को शुरू करने से पहले 4-5 दिन इस पर गहराई से सोचा, प्रतिदिन किलोमीटर का हिसाब बनाया. रात को इस मारे नींद भी नहीं आई कि इतना लम्बा सफ़र न जाने कब तक पूरा हो. जिस दिन महेश ने अपनी पहले दिन की यात्रा शुरू की तो एक दिन में 150 किलोमीटर का सफ़र तय किया. उस के बाद रात में किसी सार्वजनिक स्थल में शरण लेना फिर मोका लगते आगे की यात्रा की शुरुआत करना. दिन में दो बार साइकिल के टायर की ट्यूब फट जाया करती थी. फिर वह उसे पैदल तब तक ले जाता जब तक पास कोई गांव में कोई ठीक करने वाला न मिल जाता. दूकान में ज्यादातर दुकानदार मानवता के नाते सिर्फ ट्यूब का पैसा लेते मेहनताना का नहीं. कही मददगार लोग रास्ते में मिलते गए और साथ देते गए. इस दौरान कुछ पुलिस वालों ने भी उसे बैठा कर खाना खिलाया. बीच बीच में वह रास्ता भटका लेकिन उस ने अपनी साइकिल घुमाई और अपनी मंजिल की तरफ चल दिया.

आसान तो नहीं होता यह सब. हम ने भी हिमांचल के खीर गंगा और पार्वती वेली जा कर काफी ट्रेकिंग की है, इसलिए हमें पता है एडवेंचर क्या होता है. पहाड़ों पर वुडलैंड के जूते, आँखों में रेबेन का चश्मा और रोकिंग ब्रांडेड कपड़े. अगर दसों मील चलते थक जाओ तो तरह तरह के जूस साथ में ले कर चलना पड़ता है. और तो और कंधे पर सामान ज्यादा हो तो एक टट्टू(गधे) का खर्चा अलग से जुड़ जाता है.

लेकिन साहब यह एडवेंचर नहीं है. रबड़ की चप्पलों और दुबला पतला शरीर वाला यह बालपन वाली शकल का युवक जीने का संघर्ष कर रहा था. उस के लिए यह आरपार का मसला था. एडवेंचर तो मन को खुश करने के लिए अमीर लोग करते हैं. वे करते है जो पेट भर खाना खा चुके हैं. वे जो शहरी मानसिक थकान की पीड़ा महसूस कर रहे हों. महेश जेसे कई मजदूर जो पैदल अपने गांव निकले हैं उन के लिए यह जिन्दा रहने का संघर्ष था.

महेश सिर्फ हिम्मत की मिशाल नहीं बल्कि इस व्यवस्था के मुह पर करार तमाचा भी है. यही लाकडाउन है जिस ने पूरे सिस्टम का कुरूप चेहरा सामने ला खड़ा किया है. क्या समाज, क्या मीडिया, क्या नेता सब को निर्वस्त्र कर दिया है. सरकार कहती है कि 15 लाख भारतीय(अमीर) प्रवासियों को विदेश से रेस्क्यू किया गया. बस चिंता इस बात की लगी थी कि कहीं देश के मजदूर प्रवासियों की तरह उन पर लाठियां न बरसाई हों. मेरी इस उम्मीद पर सरकार एकदम खरी उतरी.

अभी कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा से आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल के दाखले की तैयारी कर रहे छात्रों का रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. हजारों फंसे छात्रों को कोटा से यूपी लाया गया. मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा सरकार की इस दरियादिली से खुश हुआ. यह वही मध्यम वर्ग है जो प्रवासी मजदूरों द्वारा लाकडाउन तोड़ पैदल अपने घर निकल जाने को ले कर पूरा दिन घर बैठे गरिया रहा था और कोटा रेस्क्यू को ले कर यह दलील दे रहा था कि यह मात्र 19-20 साल के स्टूडेंट्स हैं इन्हें घर से दूर रह कर मेंटल स्ट्रेस झेलना पड़ रहा है. लेकिन महेश जैसे हजारों उसी उम्र के प्रवासी मजदूरों की न तो मेंटल स्ट्रेस की उन्हें परवाह होती है न ही भूख की.

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बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जो कुछ दिन पहले केंद्र सरकार से इसी कोटा प्रकरण पर एक्शन लेने की मांग कर रहे थे पता चला कि यह सिर्फ दिखावा था. उन्ही के सरकार में भाजपा विधायक अनिल सिंह द्वारा कोटा में फंसी अपनी बेटी को बिहार वापस लाया गया. भाजपा विधायक को 16 से 25 अप्रैल तक नितीश सरकार द्वारा ही स्पेशल पास दिया गया. यह प्रकरण यह बताने के लिए काफी है कि यह लाकडाउन सिर्फ कमजोर और बेबसों के लिए ही है, बाकी अमीरों की जेब ने तो लाकडाउन तोड़ ही दिया है.

लाकडाउन में जिस समय उच्च मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग अपने घरों में बैठ कर हिन्दू मुस्लिम की बहस में फंसे हुए थे, मध्यम वर्ग वर्क फ्रॉम होम कर रहा था और उच्च तबका अपने घरों के बालकनियों, बैठकों के कमरे में सितार-गिटार बजा अन्ताक्षरी खेल कर अपनी छुट्टियां मना रहा था उस समय एक 20 साल का प्रवासी मजदूर मीलों दूर का जीवन मरण का सफ़र बिस्किट-पानी के सहारे काट रहा था. यही असली भारत है जिसे हमेशा से सरकारें छुपाती आई हैं.

भगत सिंह और चे ग्वेरा जैसे युवा क्रांतिकारी ने अपने युवावस्था में इसी मजदूर तबके के लिए अपना बलिदान दिया. लेकिन यह भी सच है कि इस बलिदान की प्रेरणा इसी तबके से उन्हें मिली. जिस साहस का परिचय उन्होंने दिया वह साहस यही तबका उन्हें दे सकता था. इसका एक बड़ा उदाहरण युवा महेश है. हमारे लिए यह लाकडाउन महज घरों में बैठ कर अपनी खट्टेमीठे यादों को डायरी में संजोने का जरिया बनेगा. लेकिन यह लाकडाउन इतिहास में गरीबगुरबों की यातनाओं के लिए भी जाना जाएगा. आज कई युवा महेश जीवन की परवाह किये बगैर सैकड़ों किलोमीटर जीवन की राहों पर निकल चुके हैं. इन की यह अनेक यात्राएं बताती है कि समाज अभी सभ्य नहीं हुआ है बल्कि सभ्य होना बाकी है.

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