मार्केट में आए ये 9 नए इनोवेटिव प्रोडक्ट, कोरोनावायरस से होगी हमारी सुरक्षा

कोरोना तो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा लेकिन भारत में उससे बचने के सारे तरीके अपनाए जा रहे हैं. कोविड-19 ने मात्र 4- 5 महीने में ही पूरी दुनिया को ही बदल डाला है लोगों की जिंदगी हर पल दहशत में है.लोग डर के साए में जी रहे हैं. और इसी वजह से जिंदगी में जीने का, सोचने का, काम करने का, रहने का, खाने का, बाहर आने-जाने का, मिलने-जुलने का, कपड़े पहनने का, साथ ही साथ फैशन का भी हर एक तरीका बदल चुका ह.

अब इसके कारण लोगों की जरूरतें भी बदल गई हैं. ऐसी सिचुएशन में कुछ ऐसी नई चीजें मार्केट में आई हैं जो लोगों के जीने का तरीका बदल देंगी. हमारी जिंदगी को आसान बनाएंगी और कोरोना से सुरक्षा भी प्रदान करेंगी.ये जो नए प्रोडक्ट इनोवेट हुए हैं वो आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में बहुत मददगार साबित होंगे.

1. कोविड क्वारैंटाइन बेड

कोविड क्वारैंटाइन बेड नार्मल बेड से थोड़ा सा अलग होगा ताकि जैसे की हॉस्पिटल मे होता है अब तो लोग अपने घर के लिए भी लाने लगे हैं.

2. हैंड फ्री डोर ओपनर

हैंड फ्री डोर ओपनर की मदद से आपको दरवाजा खोलने के लिए हांथ की उंगलियों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा बल्कि आप हांथ के बाकी हिस्से या कोहनी का इस्तेमाल करके दरवाजे को आसानी से खोल सकते हैं.

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3. सिलिकॉन स्क्रबिंग गलव्ज

ये गलव्ज ऐसे हैं कि आप इसे हांथ में लगा कर घर के सारे काम कर सकते हैं.यहां तक की बर्तन भी धो सकते हैं और इस गलव्स को धो कर सुखाना बड़ा आसान है.

4. एंटी फॉग फेस शील्ड

इसकी मदद से आप अपना पूरा फेस अच्छे से कवर कर सकते हैं और इस वक्त तो हर ऑफिस में ये इस्तेमाल किया जा रहा है और ये देखने में आगे से हेलमेट की तरह लगता है लकिन ये आपको सुरक्षा प्रदान करेगा.

5. कॉटन फेस मास्क

वैसे तो नार्मल बहुत से मॉस्क आ रहे हैं आजकल डेली यूज़ एंड थ्रो वाले भी मास्क हैं लेकिन आप यदि कॉटन फेस मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इसे रोज-रोज फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप इसे आसानी से रोज धो सकते हैं.अब तो कई डिजाइन में भी ये मार्केट में उपलब्ध है.

6. सैनिटाइजर स्प्रे मशीन

इसकी मदद से आपको अपने घर में गाड़ियों में अलग से कपड़े लगाकर पोंछने की जरूरत नहीं है बल्कि स्प्रे की मदद से आप फटाफट स्प्रे करके सैनिटाइज कर सकते हैं.

7. जीरो टच स्टैंड

बिना टच किए इस मशीन से पानी और साबुन दोनों से हाथ आसानी से धूला जा सकता है, जो कोरोना से बचाव के लिए बहुत कारगर है,आपको हांथ लगाने की बिल्कुल जरूरत नहीं होगा.यानी की आप अपने पैर से इसपर टच करेंगे और साबुन पानी या सैनिटाइजर आपके हांथ में.

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8. सैनिटाइजिंग टनल

ये एक ऐसा टनल होता है जो आजकल हर ऑफिस के बाहर, मंदिर ,शॉपिंग मॉल, बस स्टैंड, रेलवे हर जगह पर बनाया जा रहा है जिसके अंदर से होकर गुजरने पर व्यक्ति पूरी तरह से सैनिटाइज हो जाता है.

9. थर्मल स्क्रीनिंग मशीन

इस मशीन की मदद से व्यक्ति का टैंपरेचल नापा जाता है.ये देखने थोड़ा – थोड़ा गन की तरह होता है.ये आजकल हर ऑफिस में इस्तेमाल किया जा रहा है चेक करने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है.और थर्मल गन के अलावा ऐसी मशीन भी है जो आपकी पूरी बॉडी को स्कैन करेगी और रेलवे एयरर्पोट पर ज्यादा मिलेंगे.

पटना में नहीं मुंबई में ही होगा सुशांत सिंह राजपूत का अंतिम संस्कार, ये है वजह

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को बांद्रा स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. एक रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत सिंह राजपूत का अंतिम संस्कार पटना में नहीं बल्कि मुंबई में ही किया जाएगा.

बहन चाहती थीं पटना में हो फ्यूनरल, इस वजह से लगी रोक

सुशांत की बहनें चाहती थी कि उनका अंतिम संस्कार पटना में हो. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मुंबई पुलिस ने अभिनेता के शव को मुंबई से पटना ले लाने की परमिशन पर रोक लगा दी. इस वजह से पटना की बजाय उनका अंतिम संस्कार मुंबई में होगा.

 

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मुंबई पहुंचा परिवार…

सुशांत सिंह राजपूत की फैमिली अंतिम विदाई देने के लिए मुंबई पहुंच चुकी हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो अभिनेता का अंतिम संस्कार सोमवार को ही 3 बजे होने वाला है और उनके शव को कूपर अस्पताल में रखा गया है.

(फोटो क्रेडिट- मानव मंगलानी)

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अमेरिका में फंसी है एक बहन…

सुशांत सिंह राजपूत की एक बहन श्वेता सिंह कीर्ति, जो अमेरिका में रहती हैं. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए टिकट की व्यवस्था करने में मदद मांगी थी क्योंकि कोरोनवायरस वायरस के कारण यह अमेरिका से एकदम इंडिया के लिए फ्लाइट मिलना थोड़ा मुश्किल था. श्वेता ने लिखा था कि, ‘मुझे जल्द से जल्द इंडिया जाना है…लेकिन मुझे फ्लाइट टिकट्स नहीं मिल रही हैं…कोई मेरी मदद करो और मुझे बताओ.’

बता दें कि अभिनेता के निधन की खबर सुनने के बाद पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री शॉक रह गई. अभिनेता के निधन की खबर पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है, खबरों की माने तो वो काफी लंबे समय  डिप्रेशन से जूझ रहे थे. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक अभिनेता के मौत का कारण फांसी का फंदा लगने की वजह से हुई है. हालांकि अभिनेता के ऑर्गन जे.जे. हॉस्पिटल में भेजे गए हैं, जिससे यह पता लगाया जा सकतें कि उनके शारीर में ड्रग्स और जहर तो नहीं है.

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Hyundai #AllRoundAura: राइड क्वालिटी भी है मजेदार

हुंडई Aura को एक सिटी कार की तरह डिज़ाइन किया गया है. यही वो पहलू है जहां इसका कॉम्पैक्ट रूप और आसान कंट्रोल उभर कर सामने आते हैं. शहर में ड्राइविंग का मतलब है गड्ढों वाली सड़कों से निपटना. हुंडई Aura का सस्पेंशन बड़े से बड़े गड्ढों के झटकों को भी सोख लेता हैजिस से आपको एक शानदार और आरामदायक राइड मिलती है.

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इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि हुंडई Aura यह सब बहुत ही कम बॉडी रोल के साथ कर लेती हैताकि आपको अंदर पूरा आराम मिले. इसके बाद भी आप चाहें तो Aura को खुल कर चला सकते हैं. #AllRoundAura.

पतन की ओर जाता अमेरिका

कभी सर्वशक्तिमान रहा अमेरिका अब पहले जैसा नहीं रहा. वह कोरोना महामारी से जंग हार चुका है. वह नस्लवाद के ख़िलाफ़ पूरे देश में जारी प्रदर्शनों के सामने नाकाम हो चुका है. हालत यह है कि अमेरिका एक पराजय पर कराह रहा होता है कि इसी बीच दूसरी पराजय उस पर सवार हो जाती है. अब तो नस्लवाद व दूसरी कई समस्याओं के कारण अमेरिका की अखंडता तक ख़तरे में पड़ गई है. यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अमेरिका उस गड्ढे में जा गिरा है जो उस ने अब तक दूसरों के लिए खोदा था.

पसोपेश में दुनिया का दादा :

यह खुला सत्य है कि अमेरिका ने हमेशा ही साम्राज्यवाद से मुक़ाबले को प्राथमिकता दी है. लेकिन, आज अमेरिकी जनता ने अपने ही देश की सरकार के नस्लभेद होने के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प ले लिया है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सकते में आ गए हैं. उन्हीं की सरकार के रक्षा विभाग तक ने उन की मनमानी का साथ देने से इनकार कर दिया है. दुनिया के देशों का रवैया बदल रहा है. हर वह प्रतीक, जिस के ज़रिए अमेरिका अपनेआप को सुपरपावर बताता था व दुनिया के सामने अपना ग़लत चित्र पेश करता था, ढहता जा रहा है.

गौर हो कि अमेरिका अच्छीअच्छी बातों के माध्यम से अपना परिचय कराता था, लेकिन अमेरिकी समाज की पीड़ादायक वास्तविकताएं, जिन्हें दबा कर रखा गया था, अब सामने आती जा रही हैं. अमेरिका अपनेआप को आज़ादी और मानवाधिकार का केंद्र बताया करता था, लेकिन अब उस की हक़ीक़त सामने आ गई है और उस के सभी दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं.

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धर्म की धर्मांधता

दुनिया को धार्मिक स्वतंत्रता व मानवता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका के गर्त की ओर जाने में धर्म की भी भूमिका है. हालांकि, अमेरिका में कोई राजकीय धर्म नहीं है. जैसे, हमारा भारत संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष देश है और कोई राजकीय धर्म नहीं है. लेकिन, हमारे देश की राजनीति में राजनेता धर्म को खूब घसीटते हैं. कोई राजकीय धर्म न होने के बावजूद अमेरिका में भी राजनेता धर्म की आड़ ले कर अपने निकम्मेपन व अपनी करतूतों पर परदा डाल लेते हैं. ऐसे में राजनेताओं को देश की तरक्की की चिंता नहीं बल्कि धर्म आधारित वोटों की रहती है.

डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले चुनाव में वादा किया था कि वे जीते तो इसराईल को स्वतंत्र देश की मान्यता देंगे. दरअसल, इस के पीछे धर्म छिपा था. पूरे अमेरिका के सारे यहूदियों के वोट ही नहीं, बल्कि वहां रह रहे इसराईली मूल के 9 करोड़ इवैंजलिस्ट ईसाइयों के वोटों पर भी नजर थी. इवैंजलिस्ट्स को इवैंजलिकल्स भी कहा जाता है.

ईसाईबहुल अमेरिका में कैथोलिकों और प्रोटेस्टैंटों की तादाद सबसे ज्यादा है. कैथोलिक या रोमन कैथोलिक रोम के वैटिकन सिटी में रहने वाले पोप को अपना धर्माध्यक्ष मानते हैं, जबकि प्रोटेस्टैंट उन्हें ऐसा नहीं मानते. मंथन करने लायक यह है कि तीनों मुख्य शाखें – कैथोलिक, प्रोटेस्टैंट, इवैंजलिस्ट – अमेरिका में व अमेरिका से तकरीबन पूरी दुनिया में धर्म के नाम पर कट्टरपंथ की अपनीअपनी दुकानें चला रही हैं. इन्हें अपने देश की प्रगति से कोई लेनादेना नहीं है.

अमेरिकी ईसाई, भारतीयों की तरह, धर्मांधता के शिकार हैं. वे पोप, पादरी, फादर, नन, चर्च के चक्कर में फंसे हुए हैं. वहीं, यह किसी से छिपा नहीं है कि तकरीबन नहीं बल्कि सभी ईसाई धर्मगुरु अपने को सर्वश्रेष्ठ कहते हैं और दूसरे धर्मों के मानने वालों को ईसाई धर्म में शामिल कराने की फिराक में लगे रहते हैं. इस सब से देश की प्रोडक्टिविटी पर बुरा असर पड़ता है.

काले- गोरों ( श्वेत-अश्वेत) में नफरत फ़ैलाने में भी धर्मगुरु और भिन्नभिन्न पंथों के भिन्न चर्चों की अकसर भूमिका रहती है. वहीं, कैथोलिकों को प्रोटेस्टैंट फूटी आंख नहीं सुहाते, और प्रोटेस्टैंट भी कैथोलिकों को भाव नहीं देते. उधर, इवैंजलिस्ट इस अंधभीरुता में डूबे रहते हैं कि ईसा किसी भी पल अवतार लेने वाले हैं, सब चंगा हो जाएगा. यानी, कैथोलिकों, प्रोटेस्टैंटों और इवैंजलिस्टों की धर्मभीरुता के चलते भी अमेरिका भीतर से खोखला होता जा रहा है. अब वह पहले जैसा नहीं रहा.

तेवर कम नहीं :

इस बीच, अमेरिका को पतन की ओर ले जा रहे उस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खब्तीपन का एक और सुबूत देते हुए 13 जून को फौक्स न्यूज़ चैनल से बातचीत में अपनी पुलिस की बर्बरता का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मुमकिन है कुछ हालात में पुलिस के लिए मुलजिमों के ख़िलाफ़ गरदन दबाने की शैली अपनानी ज़रूरी पड़ जाए.

हवा होती ताकत :

आज अमेरिका में जो कुछ हो रहा है वह वास्तव में उस के कमज़ोर होने का संकेत है. दुनिया के बहुत से देशों  में अमेरिका के पतन की ओर जाने की बात की जा रही है. एक विश्व नेता का कहना है कि अमेरिका आज 40 साल पहले की तुलना में बहुत ज्यादा कमज़ोर है.

यह तो सब के सामने है कि दूसरे देशों से अपनी बात मनवाने की अमेरिकी शक्ति इस समय बेहद कमज़ोर है, विशेषकर, वर्तमान राष्ट्रपति के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका की जनता ही नहीं, सरकारें भी, जैसे चीन, रूस, भारत, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका भी अमेरिकी फैसलों का खुल कर विरोध करती हैं. इस समय न केवल यह कि अमेरिका की शक्ति पतन  की ओर बढ़ रही है बल्कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति के विचित्र क़दमों की वजह से लिबरल डेमोक्रेसी का सम्मान खत्म भी हो गया है जो वास्तव में पश्चिमी सभ्यता की नींव है.

यही नहीं, सैन्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी अमेरिका की शक्ति का पतन हो रहा है. उस के पास सामरिक साधन हैं, लेकिन अपने सैनिकों में अवसाद, निराशा, बौखलाहट व असमंजस की वजह से अन्य देशों में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसे ‘ब्लैक वाटर’ जैसी संस्थाओं की मदद लेनी पड़ती है.

खिलाफ होते विश्व के देश :

अमेरिका में हालिया जो अशांति फैली है उस से यह सिद्ध हो गया कि अमेरिका मुर्दाबाद का ईरानी राष्ट्र का नारा अब केवल ईरान, इराक, फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान, यमन और वेनेज़ोएला की जनता का ही नारा नहीं है बल्कि अब दुनिया के मानवतापसंद हर देश व दुनिया के मानवतापसंद हर नागरिक का नारा हो गया है.

वास्तविकता यह भी है कि अमेरिकी सरकार अब  किसी भी देश में या किसी भी राष्ट्र के निकट अच्छी छवि नहीं रखती. अत्याचार, युद्ध, हथियारों के भंडारण, दूसरे राष्ट्रों पर वर्चस्व, धौंस, हर जगह  हस्तक्षेप की समर्थक अमेरिकी सरकार पूरी तरह बेनकाब और बदनाम हो गई है, यह भी इस के पतन की राह पर होने का एक संकेत है.

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विश्व पर नजर रखने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि  जिस तरह से प्रसिद्ध जहाज़ टाइटेनिक को उस का वैभव उसे डूबने से नहीं बचा पाया, उसी तरह सामने से दिखने वाला अमेरिकी वैभव भी उसे डूबने से नहीं रोक पाएगा.

दुनिया के बहुत से विशेषज्ञ वर्तमान हालात के मद्देनज़र अमेरिका के पतन की भविष्यवाणी कर रहे हैं. वहीं, ट्रंप की खब्ती बातें व उन की सरकार के विदेश मंत्री पोम्पियो की मूर्खता पतन की प्रक्रिया को और तेज़ कर रही हैं. अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ जो आग लगी है वह हो सकता है कुछ समय में बुझ जाए, लेकिन इस की चिनगारी सुलगती रहेगी, जिस में अमेरिका धीरेधीरे झुलसता रहेगा.

क्या सुशांत के Twitter कवर पिक का सुसाइड से है कोई कनेक्शन? जानें यहां

‘हम हार जीत, सक्सेस फेलियोर में इतना उलझ गए हैं कि जिंदगी जीना भूल गए हैं. जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा इंपॉर्टेन्ट है तो वो है खुद की जिंदगी’ ज़िन्दगी को जीने का अंदाज़ बताने वाला आज क्यूं इतना मजबूर था की वो खुद की ज़िन्दगी से हार गया.

एक और सितारा जाकर सितारों में मिल गया.शायद कभी कभी मौत ज़िन्दगी से आसान लगने लगती है. शायद ऐसा ही कुछ हुआ होगा सुशांत के साथ. ‘महेंद्र सिंह धोनी the untold story ’, ‘काई पो चे’, छिछोरे जैसी हिट फिल्मों के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई में अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वे 34 साल के थे. सुशांत बॉलीवुड के बेहद लोकप्रिय एक्टर थे. वैसे तो अब तक सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की वज़ह साफ़ नहीं हुई है. लेकिन अभी तक डिप्रेशन को ही उनकी आत्महत्या की वजह माना जा रही है. लेकिन यह कितना सच है फिलहाल कहा नहीं जा सकता. लेकिन सुशांत की सोशल मीडिया प्रोफाइल से उनकी मौत का संबंध स्थापित किया जा रहा है.

ट्विटर पर कवर पिक का क्या है राज

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दरअसल सुशांत ने ट्विटर पर जो अपनी कवर पिक लगाई थी , वह मशहूर पेंटर ‘विंसेट वैन गॉग’ ने बनाई थी. ‘स्टारी नाइट’ नाम की इस पेंटिंग को विंसेट ने 1889 में डिप्रेशन के इलाज के दौरान बनाया था. विंसेट खुद डिप्रेशन से जूझ रहे थे. एक साल बाद 1890 में विंसेट ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. विंसेट खुद डिप्रेशन से जूझ रहे थे.

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अपनी मां को बहुत याद कर रहे थे सुशांत

सुशांत अपने सोशल मीडिया पर अक्सर कविताएं भी शेयर करते थे, मगर इस बार उन्होंने अपनी मां की याद में अपनी लिखी एक कविता शेयर की थी. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लास्ट पोस्ट अपनी मां के लिए डाला था, उस पोस्ट को देखकर ऐसा लगा की जैसे किसी वजह से उन्हें अपनी मां की याद आ रही हो. सुशांत ने अपनी और अपनी मां की फोटो का एक ब्लैक एंड व्हाइट कोलाज शेयर किया और उसके साथ कैप्शन में एक बेहद इमोशनल कविता भी लिखी थी.

सुशांत ने अपने पोस्ट में लिखा, ”आंसुओं से धुंधलाता अतीत धुंधलाता हुआ, मुस्कुराते हुए और एक क्षणभंगुर जीवन को संजोने वाले सपनों में, दोनों के बीच बातचीत #माँ”
सुशांत के इस पोस्ट पर इंडस्ट्री से उनके काफी दोस्तों ने कमेंट किया, जिसमें उनकी कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती भी शामिल थीं. यह पोस्ट उन्होंने 3 जून को किया. सुशांत 3 जून के बाद से नहीं दिखे. इसे बाद उनकी कोई पोस्ट नहीं आई.

बहन ने पिता को बताई सुसाइड की खबर

 

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Sunday💥 with some mild tennis 🎾 and some hardcore horror flicks ☠️ ❤️

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सुशांत सिंह राजपूत के पिता एमके सिंह पटना के राजीव नगर स्थित घर पर अकेले रहते हैं. सुशांत सिंह राजपूत की चार बहनें हैं, जिसमें से एक की मौत हो चुकी है. पटना स्थित घर की नौकरानी लक्ष्मी ने बताया कि बहन रूबी हाल ही में मुंबई गई थी और सुशांत के साथ ही रहती थीं. सुशांत की तबियत खराब होने के चलते ही बहन मुंबई शिफ्ट हुई थीं. बहन रूबी ने ही फोन करके पिता को बताया कि सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड कर लिया है. इकलौते बेटे की मौत की खबर सुनकर पिता कुछ बोल नहीं पा रहे हैं.

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डिप्रेशन के कारण की आत्महत्या!

दोस्तों का कहना है कि सुशांत पिछले काफी समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे. डिप्रेशन के क्या कारण थे इसकी अभी तक जानकारी नहीं है. सुशांत के दोस्तों ने बताया है कि पिछले काफी महीनों से वह डिप्रेशन में थे और 6 महीने से लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहने के बाद दवाएं भी ले रहे थे. इतना तो साफ है कि जब सुशांत ने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया है तो निश्चित तौर पर वह मानसिक रूप से काफी अशांत रहे होंगे. सुशांत जल्द ही मुकेश छाबड़ा की फिल्म ”दिल बेचारा” में नई एक्ट्रेस संजना संघी के साथ नज़र आने वाले थे. ये हॉलीवुड फिल्म फॉल्ट इन आवर स्टार्स की ऑफिशियल रीमेक है.

अलविदा: बॉलीवुड ने खोया होनहार कलाकार सुशांत सिंह राजपूत 

फिल्म एम एस धोनी से चर्चित होने वाले 34 वर्षीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का मुंबई के बांदरा स्थित फ्लैट में सुसाइड कर लेना सबको चौकाने वाला था. सुशांत सिंह स्वभाव से बहुत स्ट्रोंग थे. उन्होंने जब भी इंटरव्यू दिया हमेशा हंसते हुए और अपनी कामयाबी से खुश और गर्वित नजर आते थे. पटना के रहने वाले सुशांत सिंह इंजीनियरिंग की पढाई करते हुए अभिनय की ओर रुख किया, क्योंकि उन्हें बचपन से अभिनय का शौक था. इंजिनीरिंग की पढाई के दौरान ही उन्होंने अभिनय में आने का मन बनाया था. 

सीरियल पवित्र रिश्ता से उन्हें छोटे पर्दे पर सफलता मिली इसके बाद वे बड़े पर्दे की ओर मुड़े थे और फिल्म ‘काय पो चे’ से डेब्यू किया, जिसमें उनके काम को बहुत सराहना मिली. फिल्म एम् एस धोनी उनकी सबसे सफल फिल्म थी, जिसमें उन्होंने अपनी छाप इंडस्ट्री पर छोड़ी थी. इसके बाद कई सफल फिल्में देकर वे एक नामचीन कलाकार बन चुके थे, जिसे हर निर्माता ,निर्देशक अपनी फिल्मों में लेना पसंद करते थे. उन्होंने हर फिल्म के लिए अपनी इमेज बदली, मेहनत किया और एक अच्छा परफ़ॉर्मर बने थे. अभी फिलहाल में भी आनंद एल राय भी उन्हें अपनी एक साइंस फिक्शन कहानी, जो नोबेल पेंड़ेमिक कोरोना वायरस पर आधारित है, उसमें सुशांत सिंह राजपूत को एप्रोच करने वाले थे, उन्होंने सुशांत को एक अच्छा कलाकार और दोस्त माना है, ऐसे में एक सफल कलाकार का अचानक ऐसा कदम उठाना विश्वास योग्य नहीं था. 

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पवित्र रिश्ता फेम को स्टार अंकिता लोखंडे के साथ उनका रिश्ता टूटने के बाद भी वे स्ट्रोंग थे, उनके हिसाब से जिंदगी में जब भी कोई समस्या बार-बार आने लगे, तो उससे दूर रहना ही सही होता है. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत में बहुत संघर्ष किया, क्योंकि वे आउटसाइडर थे और उन्हें अपने आप को प्रूव करना था. उस समय भी वे टूटे नहीं. अभिनय की बारीकियों को सीखने के लिए उन्होंने एक्टिंग क्लासेस ज्वाइन किया और डांस भी सीखा था. उनकी मां उनके बहुत करीब थी, जिसे उन्होंने 16 साल की उम्र में खो दिया था, जिसे वे हमेशा मिस करते थे. वे अपनी कामयाबी को उनके साथ शेयर नहीं कर पाए इसका मलाल उन्हें था. उन्होंने कहा था कि मैं अगर इंजिनियर बनता, तो शायद इतना सफल होकर इतने लोगों के बीच अपने आपको स्टाब्लिश नहीं कर पाता. इतने लोगों का प्यार मुझे नहीं मिल पाता. उन्हें नयी और चुनौतीपूर्ण कहानियां प्रेरित करती थी. वे अपने काम से बेहद खुश थे ऐसे में इस कदम ने सबको सकते में डाल दिया है, पूरा बॉलीवुड इंडस्ट्री अचंभित है, क्योंकि लॉक डाउन के दौरान भी वे सोशल मीडिया पर एक्टिव थे. उनकी मौत की असली वजह पुलिस तलाश कर रही है, पर इतना सही है कि बॉलीवुड ने एक होनहार यंग कलाकार को खो दिया है, जो हर तरीके की फिल्मों के लिए फिट थे और एक सफल मंजिल की ओर बढ़ रहे थे. 

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ट्रेंडी आईशैडो से सजाएं आंखों को

आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए आप कुछ अलग ट्राई करना चाहती हैं, तो आईशैडो का कई तरह से इस्तेमाल कर सकती हैं. लेक्मे अकेडमी की मैकअप आर्टिस्ट कनिष्का कुशवाहा ने बताया, “आईशैडो का इस्तेमाल हम सिंपल से ले कर बोल्ड लुक के लिए कर सकते हैं. आईशैडो के इस्तेमाल से हम अपनी आंखों को कई तरह से कलर कर सकते हैं. अभी के ट्रेंड में ग्लिटरी, स्मोकी, डबलशेड आईशैडो लुक ज्यादा ट्रेंडी है. हम इन्हीं से कई अलगअलग लुक क्रिएट कर सकते हैं.”

आइए, जानते हैं ट्रेंड के अनुसार आंखों को खूबसूरत कैसे दिखाएं.

स्मोकी आई लुक

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स्मोकी आई बहुत क्लासी लुक देती है. ज्यादातर स्मोकी लुक के लिए ब्लैक आईशैडो का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आप किसी भी डार्क शैड का इस्तेमाल कर स्मोकी लुक दे सकती हैं. यह लुक आप की आंखों को बहुत खूबसूरत बना देता है. अगर आप को समझ नहीं आ रहा कौन सा शैड बेहतर होगा, तो आप ब्लैक और ग्रे कलर भी चुन सकती हैं. इस के अलावा ब्राउन और ब्रोंज का कौम्बीनेशन भी अच्छा लगता है.
आईशैडो इस्तेमाल करने से पहले आईलिड पर प्राइमर का इस्तेमाल जरूर करें. प्राइमर के इस्तेमाल से आई मेकअप सेट रहता है. अब कंसीलर का इस्तेमाल करें.

स्मोकी लुक के लिए ड्रेस के कलर से मैच करता मैट आईशैडो लगाएं. बड़े आईब्रश से इसे अच्छी तरह स्मज करें. अब डार्क शैड से एक शैड लाइट आई शैडो को आंखों की ऊपरी आईलिड पर लगाएं.

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इसे लगाने के बाद ब्लैंडिंग ब्रश से अच्छे से ब्लैंड करें. ज्यादा स्मोकी लुक देने के लिए आईलिड के कौर्नर में ब्लैक आईशैडो का इस्तेमाल करें.
आंखों को और भी अट्रेक्टिव दिखाने के लिए लाइनर और मसकारा जरूर लागाएं.

सौफ्ट पर्पल स्मोकी लुक

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पर्पल शैड बहुत ही खूबसूरत शैड होता है. अगर आप ने कुछ फ्लोरल या लाइट कलर की ड्रेस पहनी है तो यह लुक आप पर बहुत फबेगा. यह बहुत आसान लुक है. आप इस लुक को और भी आईशैड के साथ ट्राई कर सकती हैं. बस ध्यान रहे दोनों शैड एक ही कलर के हों, वो भी एक डार्क और लाइट.

सौफ्ट पर्पल लुक के लिए सब से पहले आईशैडो बेस लगा लें. अब लाइट पर्पल आई शैडो को आईलिड पर लागाएं और इसे शेप में ब्लैंड करें. आई शैडो जितनी अच्छी तरीके से ब्लैंड होगा आप की आंखें उतनी ही खूबसूरत दिखेंगी.

ब्लैंड करने के बाद आप डार्क पर्पल शैड को लाइनर की तरह आंखों पर लगाएं. मसकारा या आईलैश लगा कर आप अपनी आंखों को और भी खूबसूरत और बड़ी दिखा सकती हैं.

सनसेट आई मेकअप

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सनसेट आई मेकअप बहुत ही फ्रेश लुक देता है. सनसेट लुक के लिए आंखों पर प्राइमर का इस्तेमाल कर लें. जब प्राइमर सेट हो जाए तो लाइट गोल्डन शैड को अपने आईलिड पर लगा लें. अब औरेंज आईशैडो से आधी आईलिड कवर करें. यानी गोल्डन और औरेंज दोनों ही शैड आप की आईलिड पर दिखनी चाहिए. इसे अच्छे से ब्लैंड करें. अब आउटर कौर्नर पर पर्पल शैड से ब्लैंड करें. अब क्रीज लाइन पर ब्राउन और रेड शैडो का इस्तेमाल करें. सनसेट आई मेकअप में लोअर लैशलाइन को भी कवर करना जरूरी है. लोअर लैशलाइन को कवर करने के लिए औरेंज और गोल्डन शैड का इस्तेमाल करें.

मैटेलिक आईशैडो लुक

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मैटेलिक आई मेकअप लुक बहुत ही बोल्ड लुक देता है. मैटेलिक लुक के लिए मैटेलिक आईशैडो का इस्तेमाल किया जाता है. इस के लिए ब्लैक, ग्रे, पीच, पिंक और ब्राउन शैड का इस्तेमाल किया जाता है. यह सभी शैड शिमरी होते हैं.

मैटेलिक लुक के लिए भी आंखों पर प्राइमर लगाएं. उस के बाद पूरे आईलिड और क्रीज को पीच शिमरी पिंक से कवर करें और अच्छे से ब्लैंड कर लें. यहां आप ब्लैंडिंग के लिए अपनी उंगलियों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. शिमरी आईशैडो उंगलियों से अच्छे से ब्लैंड होते हैं.

अब आईलीड पर ग्रे शैडो का इस्तेमाल करें. ब्लैक आई शैडो को अपर लैश लाइन पर अच्छे से ब्लैंड करें. आईशैडो के ऊपर आप स्पार्कल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह आप की आंखों को ग्लिटरी मैटेलिक लुक देगा.

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लोअर लैश लाइन पर भी आईशैडो का इस्तेमाल करें.

आई मेकअप करते समय इन बातों का रखें ध्यान

• शैडो लगाने से पहले प्राइमर का इस्तेमाल करें.

• प्राइमर नहीं है तो कंसीलार या फाउंडेशन से बैस बनाएं.

• आइब्रो को जरूर सेट करें.

• आईशैडो शेप में लगे इस के लिए आईकौर्नर पर टैप का इस्तेमाल करें.

• आईशैडो हमेशा लाइट शैड से लगाना शुरू करें. पहले डार्क शैड का इस्तेमाल न करें.

 

क्या आप भी अपने बच्चे को लोरी गाकर सुलाती हैं?

दोस्तों एक औरत के लिए माँ बनने के एहसास से बड़ा कोई दूसरा सुख नहीं हो सकता .बच्चा अपनी मां के सबसे करीब होता है इसलिए वह बिना बोले भी अपनी बात को सबसे पहले अपनी मां के दिल तक पहुंचा सकता है. माँ अपने बच्चे के बिना कहे उसकी दिल की बात समझती है .

चंदनियां छिप जाना रे…….यशोदा का नन्द लाला……………,लल्ला –लल्ला लोरी………………..,और भी न जाने कितने तरीके से एक माँ अपने बच्चे को अपना प्यार दिखाती है ,उसे लोरी गा के सुलाती है .जी हाँ दोस्तों माँ और बच्चे का रिश्ता ही ऐसा होता है जिसमे शब्दों की जरुरत ही नहीं होती . दोस्तों माँ की लोरी एक जादू की तरह काम करती हैं. मां के द्वारा गाई गई लोरी बच्चे को मां के और करीब लाती है. कभी आपने भी गौर किया होगा कि बच्चा सबसे पहले आवाज अपनी मां की पहचानता है. विशेषज्ञ कहते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोरी के रूप में जो आवाज वो लगातार सुनता है धीरे-धीरे बच्चा उससे जुडाव महसूस करने लगता है और उनके बीच का रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है.

पर क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी लोरी का बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है कि वो सो जाते हैं या रोना बंद कर देते हैं? तो वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की सही वजह पता कर ली हैं. एक अध्ययन की मानें, संगीत का बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव होता है इससे बच्चों में दर्द और चिंता कम हो जाती है. ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल में किया गया हालिया शोध में इस बात का जवाब तलाशने का प्रयास किया गया है कि लोरी का बच्चों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ता .तो चलिए जानते है जानें, बच्चे को लोरी सुनाने के ढेरों फायदों के बारे में….

1- सोते समय लोरी सुनने से होता है बच्चे का दिमागी विकास

लोरी गाकर बच्चों को सुलाने का तरीका सदियों पुराना है. बच्चों पर लोरी का बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यह न केवल माँ और बच्चे के बीच एक मजबूत भावनात्मक बंधन को बढ़ावा देने में मदद करता हैं, बल्कि बच्चे के मस्तिष्क को सक्रिय करने में भी योगदान करते हैं. जब एक बच्चा अपनी मां की आवाज सुनता है, तो वह अलग-अलग आवाजों के बीच फर्क करना भी सीख जाता है. दरअसल, मां की लोरी बच्चे के ब्रेन के कई हिस्सों को एक साथ उत्तेजित करती है जिससे बच्चे का दिमागी विकास होता है. इसे मेडिकल की भाषा में ‘म्यूजिकल लर्निंग’ भी कहते हैं.
लोरी सुनने से मस्तिष्क की नसों को भी आराम मिलता है और बच्चे को नींद भी गहरी आती है.

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2-लोरी सुनकर सोने से बच्चे का चिडचिडापन होता है दूर और बढ़ता है आत्मविश्वास

कभी-कभार ऐसा होता है की बच्चा बहुत ज्यादा चिडचिडाता है या डरा हुआ होता है और बहुत ज्यादा रोता है .वो घर में खिलौने से नहीं खेलता वो बाहर जाकर भी रोना बंद नहीं करता पर वो मां की गोद में जाते ही शांत हो जाता है .और जब माँ उसे प्यार से थपकी देकर और लोरी गाकर सुनाती है तो उसे लगता है की वो अपनी माँ के लिए दुनिया का एकमात्र व्यक्ति है और वो चैन की नींद सो जाता है.ये एक माँ ही जानती है की उसकी आवाज में गाया हुआ गाना उसके बच्चे को कितना सुकून देता है .
दोस्तों एक्सपर्ट्स की मानें तो मां से लोरी सुनकर बच्चे के अंदर डर और किसी भी तरह के खतरे की भावना विकसित नहीं होती है. इससे बच्चे का बौद्धिक और भावनात्मक विकास भी होता है. लोरी सुनने पर बच्चे को मां के साथ होने का एहसास होता है और यही एहसास उसे निडर बनाता है और वह धीरे-धीरे खतरों का सामना करना सीखने लगता है. इस तरह लोरी बच्चे का आत्मविश्वास बढाने में मदद करती है.

3-मां और बच्चे के बीच के रिश्ते में मजबूती आती है-ं

बांड-निर्माण के पीछे तंत्रिका विज्ञान काम करती है और इसे ऑक्सीटोसिन के रूप में जाना जाने वाले हार्मोन के साथ जोड़कर भी देखा जाता है. यही होर्मोन लोरी-टाइम के दौरान भी पॉप अप करता है और मां और बच्चे में एक खास संबंध बनाता है. जब मां गाती है, तो ऑक्सीटोसिन हारमोंस बनना जारी होता है. ऑक्सीटोसिन को प्यार के हार्मोन और कडल हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है. यही कारण है कि यह एक रिश्ते में मजबूत बंधन बनाने में मदद करता है. वहीं अगर लोरी पूरे मन से नहीं गाई गयी तो ऑक्सीटोसिन हारमोंस कम बनते है लोरी जब भी गाएं मन से गाएं.

4-बच्चे के अन्दर भाषा समझने की छमता को मजबूत बनाती है लोरी

दोस्तों जब एक माँ अपने बच्चे को लोरी गाकर सुलाती है तो लोरी के उन शब्दों में माँ के प्यार और इच्छाओं का समावेश होता है .भले ही बच्चों को शुरुआती चरणों में भाषा समझ में नहीं आती है, लेकिन उनके दिम्माग में उन शब्दों के द्रश्य चलते रहते है,उनकी कल्पना करने की शक्ति बहुत तेज़ होती जाती है.और धीरे धीरे बच्चे की भाषा सीखने की छमता बढती जाती है. लोरी में इस्तेमाल किए गए शब्द बच्चे को धीरे-धीरे याद होने लगते हैं और वो बाद में उन शब्दों का सही इस्तेमाल भी करना सीख जाता है.
दोस्तों लोरी बच्चो के व्यक्तित्व को शांत बनाने में भी सहायता करती है.

5-बच्चों में दिनचर्या स्थापित करने में मदद करती है लोरी

दोस्तों लोरी बच्चे के सोने की दिनचर्या स्थापित करने में मदद करती है. ये बच्चे के मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं कि सोने का समय आ रहा है. जब बच्चा लोरी सुनता है, तो बच्चा सोने वाले समय को बहुत आसानी से स्वीकार कर पाता है. इस तरह बच्चे के सोने और उठने का पैटर्न तैयार हो जाता है.

6-मां के लिए भी फायदेमंद है लोरी

अमेरिका स्थित मियामी के फ्रॉस्ट स्कूल ऑफ म्यूजिक के अनुसंधानकर्ताओं की ओर से की गई एक स्टडी की मानें तो बच्चों को लोरी सुनाने से सिर्फ उनकी सेहत ही नहीं बल्कि मां की सेहत भी अच्छी रहती है. डिलिवरी के बाद न्यू मॉम्स जिस तरह के तनाव, पोस्टपार्टम डिप्रेशन और नेगेटिव बातों से जूझ रही होती हैं, लोरी की मदद से इन चीजों से ध्यान हटाने में मदद मिलती है. मां की लोरी सुनकर जब बच्चे मुस्कुराते हैं जो मां के अंदर पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है.

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7. बच्चे ही नहीं बुजुर्गों के लिए भी लोरी है फायदेमंद

म्यूजिक या लोरी किस तरह से छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद है इस बारे में तो काफी रिसर्च हुई है. लेकिन अब वैज्ञानिक इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि किस तरह लोरी और म्यूजिक बुजुर्गों के लिए फायदेमंद हो सकता है. दरअसल, बड़ी संख्या में बुजुर्ग नींद की कमी की समस्या से परेशान रहते हैं. ऐसे में चेन्नई में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि लोरी या फिर इसी तरह का कोई रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनने से स्ट्रेस हॉर्मोन्स कम होते हैं जिससे नींद अच्छी आती है.

खेल इवेंट्स के सूखे में खुद को कैसे फिट रख रही हैं महिला खिलाड़ी

हालांकि अब लॉकडाउन खत्म हो चुका है. लेकिन खेल इवेंट्स का सूखा अब तक बरकरार है. तमाम जगहों पर अभी भी प्रैक्टिस के लिए स्टेडियमों और दूसरे मैदानों में प्रतिबंध है. सवाल है ऐसे में खुद को फिट रखने के लिए महिला खिलाड़ी क्या कर रही हैं? महिला खिलाड़ियों को खुद को फिट रखना इसलिए ज्यादा जरूरी होता है; क्योंकि उनका शरीर पुरुष खिलाड़ियों के मुकाबले बहुत जल्दी शेप से बाहर चला जाता है और वर्कआउट को रिस्पोंड करना छोड़ देता है. इसलिए तमाम मशहूर महिला खिलाड़ी हर दिन खुद को फिट रखने वाले वर्कआउट से जरा भी परहेज नहीं करतीं; क्योंकि उन्हें मालूम है एक बार आलस किया तो अपने कॅरियर तक से उन्हें हाथ धोना पड़ सकता है.

यही वजह है कि हर महिला खिलाड़ी पहले लाॅकडाउन और अब अघोषित सन्नाटे के दौर में अपने आपको फिट रखने के लिए जितना जरूरी है, उससे थोड़े ज्यादा ही वर्कआउट कर रही हैं. बैडमिंटन कोर्ट पर अपने स्मैस और ड्राॅप शाॅट के जरिये प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों के छक्के छुड़ा देने वाली साइना नेहवाल इन दिनों घर में ही खोखो खेल रही हैं. यही नहीं वे घर के कई छोटे मोटे काम भी करती नजर आ रही हैं, जिन्हें आमतौर पर करने की उनके पास पहले फुर्सत नहीं होती थी. लेकिन इस सबके बीच वो अपने घर के आंगन में ही नेट लगाकर हर दिन कम से कम दो से ढाई घंटे तक बैडमिंटन की प्रैक्टिस भी करती हैं. इसके बाद उन्हें उनके घर में घंटों तक वर्कआउट करते भी देखा जा सकता है.

 

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💪💪💪 #pushupseveryday #lockdownfitness ✌🏻

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कुछ ऐसी ही दिनचर्या इन दिनों लेडी सचिन तेंदुलकर उर्फ मिताली राज की भी है. जैसा कि उनके फैन जानते हैं कि मिताली राज को सोने का जबरदस्त रोग है. उन्हें देर तक सोने में बड़ा मजा आता है. अगर उन्हें लगातार होने वाली सीरीज के बीच कुछ दिनों की छुट्टी मिली होती तो इन दिनों वे जरूर सुबह देर तक सोया करतीं. लेकिन उन्हें मालूम है कि ये कोई चाही गई छुट्टी नहीं है बल्कि मजबूरी ने कोरोना के भय से सबको घरों में कैद कर दिया है. इसलिए वह हर सुबह सामान्य दिनों से भी पहले जगकर कई घंटे तक अपनी छत में वर्कआउट करती हैं. मालूम हो कि उन्होंने अपने घर में शानदार जिम बनवा रखा है. छत के खुल हिस्से में जब वह सूर्य नमस्कार करती हैं तो उनके कई फैन दूर अपनी छतों से दूरबीन के जरिये उन्हें देख रहे होते हैं. लेकिन इससे उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता. वो सूर्य नमस्कार के बाद हार्ड वर्कआउट शुरू करती हैं और करीब एक घंटे के वर्कआउट के बाद सूर्य नमकस्कार करते हुए इसे समाप्त करती हैं.

इसके बाद वह करीब आधे घंटे तक अपनी छत में खुले आसमान के नीचे लेटी होती हैं ताकि वर्कआउट की थकान उतार सकें. फिर वह छत में मौजूद ढेर सारे पौधों को पानी देती हैं. फिर नीचे आती हैं, अपना मनपसंद नाश्ता करती हैं और नेटफ्लिक्स पर पसंदीदा कार्यक्रम देखती हैं. लेकिन हर शाम कम से कम दो घंटे वह अपनी पार्किंग में बल्लेबाजी का अभ्यास करना नहीं भूलतीं. महिला हाॅकी खिलाड़ी सुशीला चानू कोविड-19 की आपदा के चलते मिली छुट्टियों का इस्तेमाल अपनी कमियों को सुधारने में लगातार कर रही हैं ताकि ओलंपिक खेलों के लिए चुनी गईं 24 संभावित हॉकी खिलाड़ियों से उनका चुना जाना सुनिश्चित हो. चानू हर दिन कई घंटे तक न सिर्फ अपने घर में स्टिक लेकर दौड़ते हुए मैच का अभ्यास करती हैं बल्कि वे अपने ही पिछले मैचों के तमाम वीडियो बार बार देखती हैं, जिससे कि उन्हें यह पता चले कि आखिर वो मैदान में गलतियां क्या करती हैं और उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है?

चानू यह तो नहीं कहतीं कि उन्हें अपनी तैयारियों के लिए लॉकडाउन और फिर पोस्ट लाॅकडाउन जैसे फुर्सत के पल मिले, लेकिन उनका यह कहना है कि जब हम किसी भी वजह से घरों में कैद हैं तो क्यों न इस समय का सदुपयोग अपनी चुस्ती फुर्ती को बढ़ाने में किया जाए. चानू ने अपने को फिट रखने के लिए अपने वैज्ञानिक सलाहकार वेन लोबार्ड से शारीरिक अभ्यास का चार्ट बनवाया है, जिस पर वह बेहद अनुशासन से अमल कर रही हैं.

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यह बात हम सब जानते हैं कि भले हमारे पास समय का बेहद अभाव हो, लेकिन अगर किसी भी वजह से हमें यह पता चल जाये कि हमारे पास करने के लिए काम नहीं हैं तो हमारी स्थिति उस स्थिति के मुकाबले कहीं ज्यादा खराब होती है, जब हमें सांस लेने तक की फुर्सत नहीं मिलती. इस मनोविज्ञान का असर हरके व्यक्ति पर पड़ता है. लेकिन अगर कहा जाए खिलाड़ियों पर इसका असर कुछ ज्यादा ही होता है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगा. यह भी वजह है कि इन दिनों महिला खिलाड़ी बिना एक दिन भी नागा किये लगातार अभ्यास और वर्कआउट कर रही हैं ताकि उन्हें जंग न लगे और कोई पुरुष प्रशिक्षक उन पर यह व्यंग्य न कर सके कि थोड़े दिनों की फुर्सत में आपको हमेशा के लिए फुर्सत में बिठा दिया है.

Interview: पति रवि दुबे के साथ कुछ समय बिता रही हैं सरगुन मेहता

 कॉलेज के दिनों में अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री सरगुन मेहता चंडीगढ़ की है. उन्हें बचपन से ही अभिनय में रूचि थी. हिंदी टीवी शो के अलावा उसने कई पंजाबी फिल्में भी की और अवार्ड जीते. हिंदी धारावाहिक 12/24 करोलबाग से वह चर्चित हुई और कई धारावाहिकों में सफलता पूर्वक काम किया. उसने अभिनय के अलावा एंकरिंग और कई रियलिटी शो में भी भाग लिया है.

पहली हिंदी सीरियल 12/24 करोलबाग के दौरान सरगुन अपने कोस्टार रविदूबे से मिली प्यार हुआ और शादी की. अभी लॉकडाउन के समय दोनों पति पत्नी घर पर है और व्यस्त जिंदगी की वजह से टाले गए काम कर रहे है. साथ ही दोनों ने सोनी म्यूजिक के लिए एक वीडियो सोंग ‘टॉक्सिक’ बनायीं है, जो पति-पत्नी के रिश्ते के अलग-अलग अनूभूतियों को दिखाते हुए, तकरार और प्यार की एहसास को बताने की कोशिश की गयी है. सरगुन से उसकी अभिनय कैरियर के बारें में बात हुई, पेश है खास अंश.  

सवाल-म्यूजिक वीडियो में काम करने की खास वजह क्या है?

कांसेप्ट से भी अधिक बादशाह का गाना पसंद आया.नये तरीके से एक रिश्ते को देखने का नजरिया जो बहुत अलग था, वह बहुत अच्छा लगा. दुनिया में बहुत सारे रिश्ते होते है और हर किसी की सोच और रिश्तों को निभाने का तरीका अलग होता है, जो बहुत प्रभावशाली है, इसके अलावा अभी लॉक डाउन चल रहा है इसमें इसे शूट करना भी घर से ही था, जो एक अच्छा आप्शन हम दोनों के लिए था. 

सवाल-ऐसे माहौल में खुद शूट करना कितना मुश्किल था?

बहुत मुश्किल था, क्योंकि नार्मल समय में शूट होता तो 80 या 90 लोगों की टीम होती है. मेकअप करने वाला, कस्ट्युम तैयार करने वाला, शूट करने वाला, डायरेक्टर, कोरियोग्राफर आदि सब लोग होते है. इसमें घर पर शूट करना था, इसलिए रवि लिख रहा था, डायरेक्ट भी कर रहा था. शूटिंग की पूरी बारीकियों को भी देख रहा था. सौ चीजे ध्यान में रखनी पड़ती थी. हमारे पास लाइट्स नहीं थी, इसलिए जब रौशनी ठीक हो, तभी शूट करना पड़ता था. उसके लिए भी कई बार इंतजार करना पड़ा.

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सवाल-आप बादशाह के गीतों से कितनी प्रभावित है?

मुझे बादशाह के सभी गाने अच्छे लगते है. ये उन्होंने अलग तरह के गीत लिखे है. उन्होंने अधिकतर पार्टी गीत कंपोज किये है. मैंने उनकी कई गानों पर डांस भी किया है. 

सवाल-लॉक डाउन में आपकी दिनचर्या क्या रहती है?

अभी हम खा रहे है, सो रहे है, कुछ फिल्में देख रहे है और जब कभी कुछ नया खाना बनाना हो तो ऑनलाइन जाकर उसकी रेसिपी देख लेते है. जो पहली वीडियो सामने आती है उसी को देखकर बना लेते है. पनीर मखानी, अंडा भुर्जी आदि सब मैंने बनाया है.  

सवाल-आप अपनी जर्नी को कैसे लेती है, कितना संतुष्ट है?

मुझे लोगों का प्यार बहुत मिला है, कभी किसी प्रोजेक्ट में कम तो कभी अधिक भी इसमें हुआ है, पर मैंने हर प्रोजेक्ट में मेहनत किया है. अभी मेरी एक फिल्म रिलीज होने वाली थी, जो क्वारेंटिन की वजह से बंद पड़ी है, लॉक डाउन के बाद उसे रिलीज किया जायेगा. उम्मीद है दर्शकों को ये फिल्म पसंद आएगी. 

सवाल-एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को सभी खोलना चाह रहे है, लेकिन कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में अगर इंडस्ट्री खुले भी तो क्या एहतियात बरतने की जरुरत है?

कोरोना वायरस ख़त्म इतनी जल्दी होने वाली नहीं है, सबको इसके साथ ही चलना पड़ेगा, सबको इससे लड़ना भी पड़ेगा. इस हालात में सबको रहना सीखना होगा, लेकिन सबको एहतियात बहुत अधिक बरतने की जरुरत है. हायजिन और अपने आसपास का बहुत ख्याल रखना पड़ेगा. कहानियां अधिकतर आसपास के माहौल के हिसाब से ही बनती है. उसमें भी बदलाव परिवेश के हिसाब से ही होगी. कहानी कहने के तरीकों में भी बदलाव आएगा. पहले अधिक लोग शूटिंग पर होते थे अब कम होंगे. एक इंसान को दो का काम करना पड़े, क्योंकि समय की मांग ही यही है. मुश्किल अवश्य होगी, पर समय के अनुसार ही सबको चलने की जरुरत है.  

सवाल-पंजाबी फिल्मों में बहुत अधिक काम किया है और आवर्ड भी जीते है, क्या किसी और भाषा की फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती है?

मेरे लिए मीडियम कोई माइने नहीं रखती. मुझे मराठी नहीं आती है, पर मुझे मराठी फिल्में बहुत पसंद है और देखती भी हूँ. साउथ की फिल्में और हिंदी फिल्मों में काम करने की भी मेरी इच्छा है और कांसेप्ट अच्छी होने पर अवश्य करुँगी.

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