नानी का प्रेत: भाग-2

अकसर बैडरूम और खिड़की के आसपास डस्टिंग करते हुए एक शलवार कमीज पहने लाल बालों वाली एक डैनिश महिला दिखती. हर बार जब वह दिखती, तो सुषमा सोचती अगर इस वक्त कौसर दिखे तो वह उस से यह पूछने में नहीं चूकेगी कि आखिर यह महिला है कौन.

एक दिन कौसर बाहर निकल कर आ भी गई. वह लाल बालों वाली मैडम इस समय भी डस्टिंग में लगी थी. सुषमा ने दुनियाभर की बातें कर डालीं, तब तक डेजी भी आ गई थी. अचानक कौसर बोल उठी, ‘‘वैसे हसबैंड के बजाय आप ने कपड़े कैसे फैलाने शुरू कर दिए?’’

पहले तो सुषमा थोड़ी सहमी, फिर बोली, ‘‘हमारे यहां हर काम बांट कर करते हैं. इस में क्या खराबी है?’’

उस का इतना कहना  था कि डेजी ने फौरन अपना सुर्रा छोड़ दिया, ‘‘हांहां, आप ने हसबैंड का हाथ बंटाया, इस में क्या खराबी हो सकती है?’’ और दोनों औरतें खिलखिला कर हंसने लगीं.

सुषमा को उन का हंसना अच्छा नहीं लगा. उस की नजर एक बार फिर उस लाल बालों वाली महिला पर पड़ी और वह पूछ बैठी, ‘‘आप के कमरे में कौन सफाई कर रही हैं?’’

खिसियाने की अब इन दोनों की बारी थी. किस मुंह से कहतीं, जब ब्याह कर कौसर कोपनहेगन आई थी तो घर में मियां और देवर के अलावा, इन लाल बालों वाली को भी पाया था. डेजी तो चुप रही. अपनी खनकती आवाज में कौसर ने ही जवाब दिया, ‘‘ये तो मेरी आपा हैं.’’

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एक और सबक जो नानी ने सुषमा को सिखाया, वह था कि सुंदर तो तुम हो लेकिन असली सुंदरी वह है जो अंगअंग से सुंदर हो, हर तौर से सुंदर. जो बात बोले, ऐसे जोर दे कर बोले कि सुनने वाले को उस का परम दरजा महसूस हो. नाक उठा कर बोले, जब बोले, ‘मैं लेडी श्रीराम कालेज का माल हूं,’ तो यह लगे कि सामने मिसेज प्रसाद नहीं वरन शंभु नाम के बंदर के साथ खुद लेडी श्रीराम खड़ी हैं.

‘ज्यादा खुश न दिखा करो. थोड़ा चिड़चिड़ाना सीखो,’ नानी ने उस के दिमाग में यह बात भी डालनी शुरू कर दी. वह पूछेगा, ‘अब क्या हुआ जानी.’

तुम उस को जवाब घूर कर देना. ऐसे घूरना कि वह वहीं का वहीं गड़ा रहे. थोड़ा रुक कर ही कहना, ‘दिनभर खुद तो मटरगश्ती करते हो और मैं घर में पड़ेपड़े सड़ती रहती हूं.’

उस ने ऐसा ही किया. शंभु ने इस पर बड़े प्यार से, जानीजानू कह कर उस से कहा, ‘‘तुम यहां की कम्यून द्वारा चलाई गई डैनिश भाषा की क्लासेस में क्यों नहीं जातीं? कुछ यहां की भाषा भी सीख लोगी और नए लोगों से मिलोगी तो मन बहला रहेगा.’’

इस पर सुषमा ने जो जवाब दिया उस पर गौरव महसूस किया नानी ने, ‘‘क्यों, मुफ्त वाली क्लासें क्यों जौइन करूं मैं? क्या मैं किसी गएगुजरे खानदान से आई हूं कि अनपढ़गंवार इमिग्रेंट लोगों के साथ बैठ कर क्लास में जाऊं? याद रखो, मैं लेडी श्रीराम की पढ़ी हूं.’’

शंभु की इतनी हैसियत नहीं थी कि सुषमा को प्राइवेट क्लास के लिए भेज पाता, सो अपना सा मुंह ले कर औफिस चला गया.

सुषमा ने यह पाठ ठीक से सीख लिया था और अकसर ऐसे ही तुनक कर बोलती थी. शंभु पर भी लगता है इस का असर हुआ. बेहतर, ज्यादा कमाई वाला काम ढूंढ़ने में लग गया. अमेरिका में भी काम की खोज शुरू कर दी. इधर बिना कुछ कहे, सुषमा ने कम्यून की क्लासें लेनी शुरू कर दीं. नए दोस्त बने. जिम भी जाने लगी. जीवन में काफी सुधार आ गया. मगर शंभु के साथ तुनकमिजाजी बरकरार रही.

एक बार तो शंभु के साथ अपने नए डैनिश मित्रों के यहां गई. उन के यहां के कुत्ते को बड़े प्यार से पुचकारने लगी, उस को दुलारने लगी. फिर एक नजर शंभु पर डाली. उसे कुत्तों से डर लगता था. दूर, सीधा सा खड़ा था. डैनिश मित्रों ने कहा कि हम कुत्ते को बाहर कर देते हैं तो जोर से सुषमा बोली, ‘‘अरे, क्या बात कर रहे हैं? यह हमारा घर है या कुत्ते का? कुत्ता क्यों बाहर जाएगा? नहीं, इसे बाहर न करिए,’’ फिर शंभु पर नजर फेंक कर जोर से हंसने लगी, ‘‘वह देखिए, कैसे पथरा गया है शंभु?’’

अब शंभु पिटापिटा सा दिखने लगा था. रोज औफिस जाता, ज्यादा काम करने लगा था, देर से वापस आता, चुप सा, डरा सा रहता. सुषमा को बातबात पर उस का मजाक उड़ाने का चसका लग गया. नानी को वह पलपल की खबर देती. नानी को सुकून मिलता कि उस की सुषमा तैयार हो गई.

नानी ने उसे एक और सीख दी कि ‘‘बेटा, जो भी हो, है तो तेरा पति. तू ने पति को अंगूठे के नीचे रखना सीख लिया. अच्छा है. मगर ऐसा न होने देना, मेरी बेबी, कि वह तुझ से नफरत करने लगे. औरत के जीवन में भावों के थान भरे हैं. प्रेम तो सिर्फ एक कतरन है. इस के लत्ते उड़ जाएं, कुछ ज्यादा नुकसान नहीं होता. मगर इस कतरन में एक डोरा है जो काम का है, वह है वासना वाला डोरा. वह गोश्त के उस रेशे की तरह होता है जो महीन होने के बावजूद, दांत से काटो, नहीं कटता. बस, वह वासना वाला डोरा संभाल के रखना.’’

यह बात सुषमा ने ठीक से नहीं सुनी क्योंकि इस बात पर वह जोर से हंस दी.

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शंभु पर तो सुषमा ने नानी का फार्मूला आजमाया नहीं पर कहीं और चल गया. शंभु के औफिस जाने के बाद वह देर तक कटोरे में परसे कौर्नफ्लैक्स को देखती और मंदमंद मुसकराती रहती. अब वह बहुत बेचैनी से इंतजार करती कि कब जिम जाने का टाइम हो, कपड़े बदले. जिम के लिए निकलते समय लगता मानो वह उड़ रही हो.

हुआ यह कि एक दिन जिम में बड़ी देर से वह साइकिल चला रही थी. किताब जो अब हरदम साथ रखती है, उसे पढ़ रही थी. तभी जिम सहायक 35-40 साल के एक अंधे आदमी को सहारा देते हुए उस ट्रेडमिल पर ले आया जो सुषमा की साइकिल के बगल में थी. उसे थोड़ी हैरानी हुई, सोचा कि एक अंधा आदमी ट्रेडमिल पर चढ़ेगा? थोड़ी देर उस की गति ही देखती रही. अभी 5 मिनट भी नहीं बीते होंगे उसे शुरू हुए, अचानक वह बोला, ‘‘इतनी अच्छी महक, लगता है आज मेरा लकी डे है. मिस वर्ल्ड के निकट रहने को मिल रहा है.’’

आगे पढ़ें- सुषमा ने सिर हिला दिया. फिर…

नानी का प्रेत: भाग-1

सुषमा की शादी हुई थी और वह पहुंच गई थी मानव लोक के डैनमार्क देश की खूबसूरत कोपनहेगन नगरी में. शुरू में इस गजब के शहर में पहुंच कर वह अपना अहोभाग्य ही मानती रही. चारों तरफ लंबे, सुनहरे बालों वाली जलपरियों समान लड़कियां, लंबेतड़ंगे गबरू जवान, हंसों से लदे तालाबों वाले हरेहरे उपवन, मजबूत खड़े मकान, चौड़ी मगर खाली सड़कें. धूप हो, पानी बरसे या बर्फ गिरे, यहां के लोगों को अपनी साइकिलें ऐसी प्यारी हैं जैसे पुराने जमाने के राजपूतों को अपनेअपने चेतक थे. पता चला कि इतनी आराम की जिंदगी बिताते हैं ये डैनिश लोग कि यहां के हर 10वें आदमी को शराब की लत लगी हुई है और हर दूसरा जोड़ा बिना मनमुटाव के शादी तोड़ देता है. मालूम चला कि यहां शादियां इस वजह से टूटती हैं कि यहां की औरतें अपने जीवनकाल में अन्य आदमी भी आजमाना चाहती हैं.

सुषमा सुंदर तो थी ही, जब उस की शादी उस लड़के से तय हुई जो दूसरे देश में इंजीनियर था तो सब ने खुशी जाहिर की थी. पर कोपनहेगन आ कर उसे कुछ ही दिनों में पता चल गया कि वह ऐसे देश में है जहां की बोली उस के लिए गिटपिट है.

पढ़ीलिखी होने के बावजूद वह न काम कर सकती है न बाहर जा कर लोगों से बातें. पति शंभु और उस के परिवार वालों पर सुषमा को बड़ा गुस्सा आया. सुषमा के लिए कई अच्छे रिश्ते आए थे और दोएक अमेरिका के भी थे. उसे लगने लगा कि उन लोगों ने लड़की ले कर ठग लिया था और जो हुआ था वह घाटे का सौदा था.

सुषमा ने नानी को फोन किया. वे थीं तो पुराने जमाने की पर थीं बहुत ही चतुर. उन्होंने सुषमा के पिता को जीवनभर मां की जीहुजूरी के लिए मजबूर किया. उन्हें कम पढे़लिखे होने के बावजूद जिंदगी का पूरा अनुभव था. सुषमा के नाना उन के इशारों पर नाचते थे और पिता ही नहीं सुषमा के दादादादी भी उन के हाथों नाचते रहे. ऊपर से मौसियां भी, जिन्होंने मां को औरत के सब हथियार सिखाए. नानी ने तय कर लिया कि सुषमा को जरूरत है अपनी जिंदगी को पूरी तरह अपने वश में करने की. सो, उन्होंने सोचा कि अपनी बिटिया को खुद्दारी का पाठ सिखाने का वक्त आ गया है.

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‘‘वह मर्द है तो क्या हुआ. तेरे पास औरत वाले हथियार हैं. उन का इस्तेमाल कर,’’ नानी ने कहा.

मर्द को नामर्द कैसे बनाते हैं, यह नानी ने सुषमा को सिखाने की ठान ली.

पहली बात जो सिखाई वह यह कि चाहे कुछ हो जाए, अपने पति की तारीफ कभी न कर. यह पाठ उसे घुट्टी में घोल कर ऐसा पिलाया कि जब कोई इन दोनों से मिलने आता तो बात करतेकरते न जाने कैसे बात को घुमा देती और शुरू हो जाती नानी की लाड़ली अपने पापा की तारीफ के पुल बांधने.

‘‘गाड़ी तो मेरे पापा की तरह कोई चला ही नहीं सकता. कैसी नक्शेबाजी से चलाते हैं.’’

और जब शुरू हो जाती तो वह बोलती चली जाती. मेहमान शालीनता से सुनते रहते और जमाईजी का सिर धीरेधीरे झुकता जाता. सूरजमुखी को पानी यदि मिलना कम हो जाए तो उस का फूल झुकता जाता है, फिर वह फूल ऐसी तेज प्यास से तड़पता है कि अचानक लुढ़क जाता है. ठीक वैसे ही दामादजी भी अपने ससुर की तारीफ सुनतेसुनते एकाएक लुढ़क जाते. सिर को वहीं मेहमान के सामने सुषमा की गोद में टिका कर कहते, ‘‘पापा के लिए इतना कुछ और मुझ में तुम्हें तारीफ लायक एक चीज नहीं दिखती?’’

फिर, ‘‘ग्रो अप शंभु,’’ कह कर नानी की चतुर चेली संभाल कर उस का सिर गोद से हटा देती.

एक सबक और दिया नानी ने, उसे याद दिलाया कि तुम औरत हो, यही तुम्हारा सब से बड़ा हथियार है. कह दो कि इतना काम बिना नौकरचाकर के अकेले कैसे होगा.

एक दिन इतने कपड़े इकट्ठे हो गए कि औफिस जाने से पहले शंभु दूसरे कमरे से चिल्लाया, ‘‘सुषमा, मेरी गुलाबी वाली कमीज नहीं मिल रही है…और अगर अंडरवियर मिल जाता तो…’’

उस दिन सुषमा को नानी का सिखाया हुआ बोलने में थोड़ी दिक्कत हुई. वह मात्र इतना बोल पाई कि वे सब चीजें लौंड्री में होंगी. अभी थोड़ी तबीयत खराब है, जब ठीक हो जाएगी तो वह लौंड्री कर लेगी.

शंभु चुपचाप औफिस चला गया. वापस आया तो पूरी लौंड्री की. फिर अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर पिछवाड़े में अरगनी पर कपड़े फैला दिए. फिर तो रोज औफिस से लौट कर कपड़े धोना, बाहर फैलाना और सूखने पर उन्हें वापस लाना और तह कर के ड्रैसर में सही जगह रखना उस का काम बन गया. बस, कपड़ों की इस्त्री नहीं करता था, यह बात नानी ने सुषमा के जेहन में डालने की बड़ी कोशिश की, मगर वह ऐसी गाय थी कि वह शंभु से इस्त्री करने को न कह सकी.

खिड़की से अकसर सुषमा नीचे देखती थी कि शंभु जब अरगनी से कपड़े उठाता था, तो पड़ोस की और औरतें भी आ कर कपड़े फैलाने या उठाने में लग जातीं, साथ में उस से बतियाती भी थीं. जल्द ही कांप्लैक्स की कई औरतों के साथ शंभु की खासी दोस्ती हो गई.

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जुलाई के महीने में एक दिन बड़ी बढि़या धूप खिली थी. शायद कौंप्लैक्स की डैनिश औरतों को इसी दिन का इंतजार था. तितलियों की तरह अपनेअपने फ्लैटों से बाहर पिछवाड़े में निकल आईं और लगीं उतारने ऊपर के अपने सब कपड़े. बदन पर क्रीम मलने के बाद पूरे 2 या 3 घंटे लेटी रहीं, धूप सेंकती रहीं.

शंभु को बड़ा मजा आया खिड़की से यह नजारा देख कर. इस बात पर सुषमा उत्तेजित हो रही थी. गुस्से में नीचे उतरी और सारे कपड़े उठा कर ले आई. उस दिन के बाद से कपड़ों का काम उस ने फिर अपने जिम्मे ले लिया. किसी हाल में वह शंभु को इन औरतों के पास फटकने नहीं देना चाहती थी. समय के साथ ये औरतें भी सुषमा की सहेलियां बन गईं.

नीचे के फ्लैट में 2 पाकिस्तानी भाइयों के परिवार रहते थे. सुषमा की दोनों भाइयों की बीवियों से दोस्ती भी हो गई. कौसर और डेजी नाम थे उन के. अरगनी कौसर के बैडरूम के एकदम सामने थी.

आगे पढ़ें- हर बार जब वह दिखती, तो सुषमा सोचती…

नानी का प्रेत: भाग-3

सुषमा ने किताब से मुंह उठा कर उस आदमी से डैनिश में पूछा,

‘‘क्या आप ने मुझ से कुछ कहा?’’

‘‘वाह, क्या आवाज है? और वह ऐक्सैंट. क्या आप भारत की रहने वाली हैं?’’

सुषमा ने सिर हिला दिया. फिर यह सोच कर कि भला सिर का हिलाना इसे क्या दिखाई देगा, बोली, ‘‘हां, मैं भारत से हूं,’’ कह कर साइकिल का पैडल तेज चलाने लगी.

‘‘आह,’’ बड़ी लंबी आह ली थी उस ने, ‘‘भारत तो मेरा सब से प्रिय देश है. मेरे लिए भारत साल में एक बार जाना जरूरी है. हर साल जाता हूं.’’

‘‘हैं…’’ विश्वास नहीं हुआ सुषमा को. यह हर साल वहां करता क्या है? एक अंधे आदमी के लिए भारत जाना या चीन जाना तो एक ही बात हुई न. दिखता तो कुछ है नहीं इन लोगों को. तो भला क्यों कोई पैसा बरबाद करे इन दूरदराज देशों में जा कर.

सुषमा इस अचंभे में ही थी. उस ने कई सवाल दाग दिए. इतने सवाल सुन कर वह हंस दिया, बोला, ‘‘अगर आप बुरा न मानें तो कहीं बैठ कर बातें करें. आप को अपने सवालों के जवाब मिल जाएंगे, मुझे यह कहने को मिल जाएगा कि आज मैं ने एक भारतीय राजकुमारी के साथ बैठ कर कौफी पी.’’

उस निगोड़े के बस 3 शब्दों से सुषमा की बाछें खिल गईं. एक अनजान आदमी के साथ वह कौफी पीने को तैयार भी हो गई. सुषमा बोली, ‘‘ठहरिए, मैं जरा क्विक शावर ले लूं. आई ऐम स्ंिटकिंग.’’

वह हलका सा हंसा और कहने लगा, ‘‘पता नहीं, आप समझ पाएं या नहीं, लेकिन जैसे अकसर लोग कहते हैं, नैचुरल ब्यूटी इस द रीयल ब्यूटी, उसी तरह हम ब्लाइंड लोग कहते हैं, नैचुरल स्मैल इस द रीयल स्मैल. इसे आप धोइए नहीं, प्लीज.’’

इस वार्त्तालाप को सुन कर सुषमा सिहर उठी.

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वे दोनों उस दिन मिले. खूब बातें कीं. वह स्कूल में टीचर था. सुषमा को हैरानी हुई कि इस देश में आंखों से गए आदमी के लिए भी काम है, मगर सुषमा जैसी पढ़ीलिखी, अच्छीखासी, भले नाकनक्श वाली के लिए कुछ उपलब्ध नहीं.

उस ने सुषमा को बताया कि हर गरमी व जाड़ों की छुट्टियों में वह दुनिया के किसी न किसी कोने में जाता है. वहां की आवाजें, ‘‘उफ वह बछड़ों का मिमियाना, वह हाथियों की चिंघाड़, वह चिडि़यों की चींचीं, मोरों की चीख, वे आवाजें जब मेरे कानों पर पड़ती हैं, तो निकाल लेता हूं मैं अपनी बांसुरी, और मिला देता हूं उस उन्माद में अपने भी राग. मुझे तो तुम्हारे देश की टिड्डों की चरमराहट, गायों की रंभाहट, कबूतरों की गुटरगूं और आदमियों की अजीब फुसफुसाहट, गीत और वार्त्तालाप सुनते ही जैसे कुछ हो जाता है.’’

सुषमा किसी और ही दुनिया में खो चुकी थी जबकि वह अपनी बात जारी रखे था.

‘‘ओह, एअरपोर्ट पर उतरते ही जब फिनौल में सींची हवा मेरी नाक में घुसती है तो मुझे लगता है पूरा हिंदुस्तान मुझे आलिंगन में भर रहा है. फिर बाहर निकल कर प्लास्टिक और कागज जल कर मेरा भरपूर स्वागत करते हैं, मैं खुश हो जाता हूं. रास्ते चलते पेशाब और पसीने की बू के बीच, अचानक चमेली की सुगंध उड़ के आती है और मैं समझ जाता हूं कि एक भारतीय हसीना नजदीक से गुजरी है. कहीं प्याज भुन रहा है, घर की महिला खाना तैयार करने में लगी है, मांस जलने की बू आती है तो मैं गंगाजी का किनारा ढूंढ़ने लगता हूं. अगरबत्ती की महक आते ही तो मैं हाथ जोड़ कर जिसे भारत में भगवान कहा जाता है, नमस्कार कर लेता हूं. साफस्वच्छ जगह ढूंढ़ कर बैठ जाता हूं. नई कविता लिखने लगता हूं. तुम्हारे देश में कितना जादू है, सुषमा.’’

एक शादीशुदा औरत और अंधे आदमी के बीच बातचीत खुशनुमा माहौल में होती रही. बाद में सुषमा ने नानी को बात बताई तो उन्होंने माथा ऐसे पीटा कि सुषमा को फोन पर ही पता चल गया.

महीना बीत गया, दोनों यों ही मिलते रहते हैं. वह सुषमा को दुनियाभर की बातें बताता रहता है. हांहां, उस ने दुनिया जो खूब देख रखी है. और सुषमा चुपचाप उस की वीरान, पोली आंखों में डूबने की कोशिश करती रहती है.

नानी से यह अधर्मी बात नहीं देखी जाती. कितनी शान से नानी ने अपनी बिरादरी का होनहार लड़का ढूंढ़ कर इसे घर से विदा किया था. अब तो शंभु की शक्ल से ही इसे नफरत हो गई है. वैसे ही देर से लौट कर आता है बेचारा, अगर वह सोती हुई न मिले तो मुंह से सुर्रे छोड़ती है, ‘क्या, तुम फिर वापस आ गए?’ बेचारे शंभु का बुरा हाल हो रहा था.

नानी को अब अफसोस हो रहा था. हालांकि सुषमा का सारा घाघपना उन का ही सिखाया हुआ है.

इधर कुछ दिनों से शंभु, जो बहुत ही भोला है, को सुषमा पर शक होने लगा है. मच्छर से भी छोटी एक आवाजभर थी, उसे भी इस लड़की ने अपनी उंगलियों के बीच मसल कर रख दिया. फिलहाल, शंभु ने समझना चाहाभर ही था कि मामला खुदबखुद सामने आ गया. दरअसल, सुषमा के होश ऐसे गुम हुए हैं कि वह खुलेआम उस अंधे के साथ घूमती है, घर भी ले आती है.

एक दिन शंभु औफिस से दोपहर को ही वापस आ गया. घर में पराए मर्द को देख कर बौखला गया. जब वह आदमी चला गया तो शंभु फूटफूट कर रोने लगा, बोला, ‘‘मैं तुम्हारे पापामम्मी को फोन करने जा रहा हूं.’’

सुषमा ने बड़ी क्रूरता से कहा, ‘‘मेरे सामने बिलखने से मन नहीं भरा, अब दुनिया के सामने गिड़गिड़ाने का जी कर रहा है. फोन करना है तो करो, मुझे क्यों बता रहे हो?’’

पता नहीं उस दिन शंभु ने फोन क्यों नहीं किया? करता, तो शायद बात थोड़ी सुधर जाती.

एक दिन हाथ में हाथ डाल कर जा रहे थे ये लैलामजनूं. सामने से कौसर और डेजी आंख चुरा कर निकल गईं, फिर भी उस बेशर्म लड़की ने जोर से उन दोनों को ‘हाय’ कर दिया. पीछे से शायद डेजी से रहा नहीं गया. चिल्ला कर हिंदी में पूछ बैठीं, ‘‘मुझे तो यह समझ नहीं आता कि आप के हसबैंड यह सब बरदाश्त कैसे कर लेते हैं?’’

यह सुनना भी काफी नहीं था सुषमा के लिए, छूटते ही कह दिया, ‘‘मेरे हसबैंड यह सब वैसे ही बरदाश्त कर लेते हैं जैसे आप की कौसर दीदी उन लाल बालों वाली मैडम को बरदाश्त कर लेती हैं.’’

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एक दिन शंभु बड़ा खुश, धड़ल्ले से घर में घुसा. सुषमा सिगरेट फूंक रही थी. फिर भी, वैसे ही हंसतेहंसते उस भले लड़के ने उसे खींच कर उठाया और कहा, ‘‘चलो, सुषमा. हमारी सारी मुश्किलें खत्म हो गईं. यह देखो, टिकट. हम आज ही अमेरिका जा रहे हैं. मुझे वहां बड़ी अच्छी नौकरी मिल गई है. देखना, अब सब ठीक हो जाएगा.’’

सुषमा की आंखों में घृणाभरी थी. धक्का दे कर चिल्लाई, ‘‘तुम मुझ से दूर ही रहो तो अच्छा होगा. मुझे नहीं जाना अमेरिका. मैं तो यहीं रहूंगी. तुम्हें जाना है तो जाओ.’’

फिर पास की दराज खींच कर कागज निकाला और बोली, ‘‘लेकिन जाने से पहले इस पर अपने साइन कर के जाना.’’

वह कागज तलाकनामे का था. उस में लिखा था कि शंभु प्रसाद और सुषमा प्रसाद खुशीखुशी अपनी शादी रद्द करना चाहते हैं.

कागज देख कर शंभु की आंखें भर आईं. मुंह से सिर्फ ‘नहीं’ ही निकल पाया. नजरें उठा कर जब सुषमा को देखा तो शक्ल देख कर कांप गया. एकदम खूंखार लग रही थी. हाथ में पैन पकड़े हुई थी. आंखें फाड़फाड़ कर सिगनल भेज रही थी कि फौरन साइन करो.

शंभु ने अपने हस्ताक्षर उस कागज पर कर दिए और कागज ले कर व पर्स उठा कर वह बाहर निकल गई. शंभु बिस्तर पर लेट कर देर तक रोता रहा.

शाम को जब वह वापस आई तब शंभु एक छोटे से बक्से में अपनी एक गुलाबी और एक पीली कमीज, 4-5 अंडरवियर, एक स्वेटर और जींस रख घर से निकल रहा था. सुषमा ने एक नजर उस पर डाली पर एक शब्द तक नहीं कहा.

हवाई जहाज में वह रास्तेभर सामने की ट्रे पर सिर टिकाए रोए जा रहा था. पास में बैठा यात्री तक शर्मिंदा हो रहा था.

सुषमा ने नानी को फोन कर पूरी बात बता दी. और यह भी कि नानी अब उस के फोन का इंतजार न करें क्योंकि जिस के साथ वह रहने जा रही है, वह आंखों वाला न हो कर भी बहुत कुछ जान लेता है. उसे वह भरपूर तरह से जीना चाहती है, बिना नानी के प्रेत के साथ.

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Mother’s Day 2020: फैशन के मामले में आलिया भट्ट से कम नहीं हैं उनकी मम्मी

बौलीवुड एक्ट्रेसेस फैशन के मामले में किसी से कम नहीं हैं, चाहे वह दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा हो या आलिया भट्ट. अब बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया की बात करें तो वह किसी फैशन दिवा से कम नही हैं. वह सोशल मीडिया पर अपने अपने फैशन के लेटेस्ट लुक शेयर करती रहती हैं, लेकिन उनकी मां यानी सोनी राजदान भी फैशन के मामले में आलिया से कम नहीं हैं.

सोनी राजदान वैस्टर्न के साथ-साथ इंडियन ड्रैसेस भी कैरी करती हैं, जिसकी फोटोज वह अपने सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं. इसीलिए आज हम आपको सोनी राजदान के सिंपल और इंडियन लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप चाहें तो किसी पार्टी, शादी या कहीं घूमने के लिए ट्राय कर सकती हैं.

1. पिंक कुर्ते के साथ सोनी का ये लुक करें ट्राय

मौनसून में अक्सर लेडीज ब्यूटीफुल ड्रैसेस पहनना पसंद करते हैं. अगर आप कुछ सिंपल, लेकिन कुछ फैशनेबल पहनना चाहती हैं तो आप सोनी राजदान का ये लुक ट्राय कर सकती हैं.

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2. वाइट फ्रिल सूट करें ट्राय

गरमी में लाइट कलर जितना दिल को सुकून देता हैं, उतना ही फैशनेबल लुक भी देता है. अगर आप भी अपने आप को कूल लुक देना चाहतीं हैं तो आप सोनी राजदान का ये वाइट फ्रिल सूट के साथ प्लाजो या लैगिंग का कौम्बिनेशन बना कर ट्राय कर सकती हैं.

3. सोनी राजदान का लौंग फ्लौवर प्रिंट मैक्सी ड्रैस करें ट्राई

अगर आप कहीं मार्केट या घूमने जा रहे हैं तो आप सोनी राजदान की ये फ्लौवर प्रिंट लौंग मैक्सी ड्रैस भी ट्राय कर सकती हैं. ये लुक आपको फैशनेबल के साथ-साथ ट्रैंडी भी बनाएगा.

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4. सोनी राजदान का साड़ी लुक भी करें ट्राय

 

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Ready to step out !

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अगर आप किसी शादी में जा रहीं हैं और आप सिंपल के साथ-साथ एलिगेंट भी दिखना चाहती हैं तो सोनी राजदान का ये ग्रे सिल्क साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा और इसके साथ सिंपल मेकअप आपके लुक को कम्प्लीट भी करेगा.

वहीं सोनी राजदान के फिल्मी करियर की बात करें तो  बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया की मां के रोल में वह फिल्म राजी में भी नजर आ चुकीं हैं.

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#lockdown: घरेलू हिंसा की बढ़ती समस्या

लॉकडाउन के दौरान देश भर में घरेलू हिंसा के मामले 95 फीसदी तक बढ़ गए हैं यानी लगभग दोगुने हो गए हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने लॉकडाउन से पहले और बाद के 25 दिनों में विभिन्न शहरों से मिली शिकायतों के आधार पर यह बात कही है. आयोग ने इस साल 27 फरवरी से 22 मार्च के बीच और लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच मिली शिकायतों की तुलना के बाद आंकड़े जारी किए हैं.

इसके मुताबिक लॉकडाउन से पहले आयोग को घरेलू हिंसा की 123 शिकायतें मिली थीं जबकि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन व अन्य माध्यम से घरेलू हिंसा के 239 मामले दर्ज कराए गए.

अप्रैल के महीने में महिला आयोग को महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की कुल 315 शिकायतें मिली हैं. यह सारी शिकायतें ऑनलाइन और वाट्सऐप से मिली हैं. पिछले साल अगस्त से ले कर अब तक यह घरेलू हिंसा की शिकायतों में यह सब से अधिक इजाफा है.

यही वजह है कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने वाट्सऐप पर एक हेल्पलाइन नंबर (7217735372) जारी किया है. लॉकडाउन के दौरान महिलाएं इस नंबर पर शिकायत कर सकती हैं.

लौकडाउन बना जी का जंजाल

ज्यादातर पुरुष आजकल घर में हैं. बच्चों के भी स्कूलकॉलेज बंद हैं. बाईयों को बुलाना भी अभी खतरे से खाली नहीं. पहले जहां पति और बच्चों के ऑफिस और स्कूल जाने के बाद औरतों को थोड़ी आजादी महसूस होती थी. पूरा दिन वे अपने हिसाब से बिता पाती थीं. घर का काम निपटा कर कभी शॉपिंग के लिए तो कभी किसी सहेली के यहां भी निकल सकती थीं. बहुत सी सोसाइटीज में किटी पार्टीज का भी आयोजन होता रहता था. एकदूसरे से दिल का हाल सुनाना, एकदूसरे की शिकायतें करना और मिलबैठ कर गॉसिप करना उन के जीवन का हिस्सा था. इस बहाने उन्हें भी जीवन में थोड़ा सुकून मिल जाता था.

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यही नहीं ऑफिस जाने वाली महिलाओं को भी पूरा दिन घर से अलग एक खुला माहौल मिलता था. वे 10 औरतों से मिलती थीं. सुखदुख शेयर करती थीं. नई बातें सीखती थीं.

पुरुष भी पहले ऑफिस जा कर अपने यारदोस्तों के बीच बैठ कर हंसीठटठे करते. उन्हें ऑफिस की दूसरी महिला कुलीग के साथ बातें करने का मौका मिलता था. घरपरिवार के तनावों से दूर बाहरी दुनिया में खुल कर सांस लेने का मौका मिलता था.

मगर अभी यह सब बंद है. फिलहाल थोड़ेबहुत ऑफिस खुलने शुरू हुए हैं मगर ज्यादातर अभी भी बंद हैं.

ऐसे में पति हो या पत्नी पूरे दिन घर में रह कर चिड़चिड़े हो जाते हैं. पुरुषों को जहां महिलाओं की छोटीछोटी बातें चुभने लगी हैं वहीं महिलाएं भी सास, ननद या पति के प्रति अपना भड़ास निकालने से नहीं चूकतीं. छोटीछोटी बातों पर बड़ेबड़े झगड़े होने लगे हैं.

इस दौरान औरतों को बाई की तरह सुबह से शाम तक काम करना पड़ रहा है. पुरुषवादी मानसिकता वाले पति हर काम के लिए पत्नी को पुकारने से बाज नहीं आते. उन की देखादेखी बच्चे और सास भी पूरे दिन यही राग अलापते हैं. अपनीअपनी फरमाइशों की लिस्ट बनाते रहते हैं.

औरत बेचारी पूरे दिन किचन में कैद रह जाती हैं. बाकी समय बर्तन, झाड़ूपोंछा और कपड़े धोने में लग जाता है. कब सुबह हुई और कब शाम पता ही नहीं चलता.

नतीजा यह होता है कि उन्हें भी गुस्सा आने लगता है. वे कुछ बोलती हैं तो पति चिल्लाने लगते हैं. दोनों में बहस बढ़ती जाती है. घर में यदि सास, ससुर, ननद जेठ आदि हैं तो वे पुरुष का ही पक्ष लेते हैं और औरतें हिंसा की शिकार बनती हैं.

जब घर में केवल पतिपत्नी हैं तो भी पति पत्नी पर हावी हो जाता है. वह बलशाली भी होता है और पत्नी को आसानी से काबू कर लेता है.

कैसे बचें इस परिस्थिति से

छोटीछोटी बातों को तूल न दें

महिलाओं को इस बात का ख्याल रखना होगा कि उन के पति भी अपनी नौकरी और कमाई को ले कर तनाव में हैं. उन्हें कभी भी घर में रहने की आदत नहीं रही है. ऐसे में घर में कैद रहना एक तरह से उन के लिए पिंजड़े में बंद होने जैसा है. इस समय बातों को तूल देने के बजाय एकदूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए.

फन टाइम भी जरूरी

गृहस्थी में तनाव और जिम्मेदारियां जरूर होती हैं. मगर कभीकभी मस्तीमजाक और फन भी जरूरी है. पतिपत्नी अकेले या परिवार के साथ बैठ कर इस तरह का माहौल बनाएं ताकि घर में रह कर भी आप का मन लगे.

सहयोग दें

पुरुषों को चाहिए कि खुद को नवाब मान कर पत्नियों को दासी न बनाएं बल्कि मिलजुल कर काम करें. कम से कम उतना काम जरूर करें जो आप कर सकते हैं जैसे, सब्जियां काटना, खाना परोसना, कपड़े तह कर के लगाना, सफाई और बच्चों को पढ़ाना आदि.

मधुरता

परिवार के अन्य सदस्य जैसे सासससुर, देवर, ननद आदि को समझना होगा कि रिश्तों में मधुरता रख कर ही इस कठिन समय को आसानी से काटा जा सकता है. इसलिए पतिपत्नी के बीच आग लगाने के बजाय रिश्तों को प्यार से संवारें और ऐसा ही करना सिखाएं. घर की बहू की छोटीमोटी भूलों को नजरअंदाज करते हुए स्वस्थ माहौल बना कर रखें वरना रिश्तों में कड़वाहट फैलती है और पूरे परिवार का जीना दूभर हो जाता है.

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सोच बदलें

एक सरकारी अध्ययन के मुताबिक 51% पुरुष और 54% महिलाओं ने पतियों द्वारा पत्नियों की पिटाई को सही ठहराया. ऐसी मानसिकता उचित नहीं. पतिपत्नी गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं. दोनों में से कोई भी कम महत्वपूर्ण नहीं. सोच बदलेंगे तभी महिलाओं के प्रति रवैया बदलेगा. तभी घरेलू हिंसाओं और प्रताड़नाओं से महिलाओं को मुक्ति मिल सकेगी और परिवार खुशहाल रह सकेगा.

#coronavirus: पाकिस्तान के इमेज बिल्डिंग का हवाई रूट

हवाई रास्ते से हवा के जरिए कोरोना को हवा मिली तो हवा के जरिए छवि सुधारने को भी हवाई रास्ता अख़्तियार किया जा रहा है. मास्क लगाकर काली करतूतों को अंजाम दिया जाता था लेकिन आज इसके जरिए जागरूक होने का परिचय दिया जा रहा है. बता दें कि अमेरिकी संस्था की हालिया रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान दोनों पर उंगली उठाई गई है कि वे अपने देशों में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित कर रहे हैं.

वर्तमान में दुनियावाले जब मास्क पहनकर संवेदनशील होने का सुबूत पेश कर रहे हैं तो पाकिस्तान ने काली करतूतों का मास्क उतार एक अल्पसंख्यक को वायुसेना का पायलट नियुक्त कर अपने ऊपर लगे अमेरिकी संस्था के इलज़ाम को हलका करने की सकारात्मक कोशिश की है.

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक हिंदू को वायुसेना में जी. डी. पायलट यानी जनरल ड्यूटी पायलट के रूप में नियुक्त किया गया है. नवनियुक्त जी. डी. पायलट राहुल देव का संबंध सिंध प्रांत के सबसे बड़े ज़िले थारपारकर से है, जहां हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है.

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जनरल ड्यूटी (जीडी) के जो पायलट होते हैं वे कोई भी एयरक्राफ्ट उड़ा सकते हैं, फिर चाहे वह फाइटर हो या ट्रांसपोर्ट. पाकिस्तान एयरफोर्स में जीडी पायलट अहम होता है और वह ज्यादा ताकतवर एयरक्राफ्ट उड़ाता है.

राहुल देव के पायलट चुने जाने पर पाकिस्‍तानी हिंदू समुदाय में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. पाकिस्तान हिंदू पंचायत के सचिव रवी दवानी ने वायुसेना में एक हिंदू पाकिस्तानी नागरिक के बतौर पायलट भर्ती होने पर ख़ुशी जताई है. उनका कहना है कि पाकिस्तान में कई अल्पसंख्यक सिविल सर्विस और सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. देश के कई डाक्टर और प्रोफैशनल हिंदू समुदाय से आते हैं. अगर सरकार अल्पसंख्यकों पर ध्यान देगी तो राहुल देव जैसे कई काबिल लोग सामने आएंगे.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर अकसर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन मौजूदा इमरान ख़ान सरकार ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर कुछ क़दम उठाए हैं.

मालूम हो कि पाकिस्तान के इतिहास में पहला मौका है जब किसी हिंदू युवा को वायुसेना में पायलट के रूप में चयनित किया गया है. पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों को अब तक सेना में उच्च पदों तक नियुक्त नहीं किया गया. राहुल पाकिस्तान एयरफोर्स में दूसरे हिंदू होंगे, उनसे पहले एयर कमोडोर बलवंत कुमार दास पाकिस्तानी एयरफोर्स में भर्ती हुए थे, लेकिन वह एयर डिफेंस का हिस्सा था, जिसके जिम्मे ग्राउंड ड्यूटी से जुड़े काम होते थे.

वर्ष 2000 तक तो पाकिस्तान में हिंदुओं के सेना में शामिल होने पर भी पाबंदी थी. जनरल परवेज मुशर्रफ के मिलिट्री रूल के वक्त वे पहली बार सेना में शामिल हो पाए. 2006 में कैप्टन दानिश पाकिस्तान सेना के पहले हिंदू औफिसर बने.

गौरतलब है कि हाल ही के दिनों में पाक मिलिट्री में भर्ती होने वाले हिंदुओं और सिखों की संख्या बढ़ गई है. जबकि, पाकिस्तान बनने से लेकर दशकों तक मिलिट्री में सिर्फ मुसलमानों का एकाधिकार रहा है. हां, ईसाइयों को पाकिस्तानी फोर्सेस में जरूर जगह दी गई और ओहदे भी.

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उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में भी अब भाजपाई हुकूमत द्वारा पुलिस के जरिए किया जा रहा अल्पसंख्यकों का सरकारी उत्पीड़न बंद किया जाएगा ताकि सांप्रदायिकता के नाम पर विश्व में लगातार खराब हो रही देश की इमेज कुछ सुधर सके और अगले वर्ष अमेरिकी संस्था भारत पर ऐसा इलज़ाम न लगा सके.

Jasleen Matharu की शादी पर Anup Jalota का रिएक्शन, कही ये बात

बिग बॉस 12 (Bigg Boss 12) में कपल के रूप में धमाकेदार एंट्री मारने वाले अनूप जटोला (Anup Jalota) और जसलीन मथारु (Jasleen Matharu) की जोड़ी ने हर किसी का दिल जीता था, लेकिन शो के बाद दोनों ने अपने रिश्ते को गुरु-शिष्या का रिश्ता बताया था. वहीं हाल ही में लाल चूडा पहने और सिंदूर लगाए जसलीन के वीडियो पर अनूप जटोला (Anup Jalota) का रिएक्शन सामने आया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

जसलीन मथारु वीडियो हुई वायरल

 

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Chupke se ❤️🤫🤫

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दरअसल, जसलीन मथारु (Jasleen Matharu) की सोशल मीडिया पर लाल चूडा पहने और सिंदूर लगाए एक वीडियो वायरल हो रही है, जिस पर फैंस कयास लगाया जा रहा है कि दोनों ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली है. वहीं अब इस मामले में अनूप जलोटा (Anup Jalota) ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि ये सारी खबरें गलत है. ‘नहीं फिर से नहीं! जसलीन के साथ मेरी शादी की खबर नई है. मैं और उसके पिता उसके लिए एक अच्छे लड़के की तलाश में है. मैंने उन्हें कनाडा में रहने वाले एक लड़के का रिश्ता भेजा है. अभी कुछ भी फिक्स नहीं हुआ है.’


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कन्यादान करने की कही थी बात

बिग बॉस से निकलने के बाद अनूप जलोटा और जसलीन मथारु अपने रिश्ते पर कुछ भी बोलने से बचते आए है. वहीं अनूप जलोटा ने कहा है कि, ‘बिग बॉस से निकलने के बाद मैंने कहा था कि मैं ही उसका कन्यादान करुंगा. और मैं ऐसा करुंगा. वो मेरी स्टूडेंट है और हमारा रिश्ता बाप-बेटी की तरह है.’

बता दें,  फैंस के बीच जसलीन मथारु का चूड़ा वाला वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसको लेकर जसलीन मथारु कुछ दिन पहले ही खुलकर बात कर चुकी हैं. वहीं उनका ये लुक नई म्यूजिक वीडियो के लिए है.

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Mother’s Day 2020: प्रैग्नेंसी के बाद खुद को ऐसे फिट रखती हैं सोहा अली खान

मां बनना हर महिला के लिए एक अलग एहसास होता है, जिसके लिए वह हर तरह के दर्द और प्रौब्लम झेल जाती हैं. और जब वह मां बनती हैं तो सारे गम और दर्द भुला देती है, लेकिन अक्सर देखा गया है कि  प्रैग्नेंसी के बाद लेडिज हेल्दी हो जाती है और उनका वजन बढ़ जाता है. जिसके कारण वह डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं. पर बौलीवुड में कुछ ऐसी एक्ट्रैसेस भी हैं जो मां बनने के बाद भी एकदम फिट है. जो महिलाओं को इन्सपीरेशन देती हैं. तो आइए जानते है एक बेटी की मां बनने के बाद भी बौलीवुड एक्ट्रेस सोहा अली खान अपने आप को कैसे फिट रखती हैं. और साथ ही उनका को फिटनेस सीक्रेट भी है…

आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मैं तनाव ज्यादा लेती हूं और बच्चे के पीछे भागती रहती हूं, क्योंकि अभी इनाया चलने फिरने लगी है. इससे मैं अधिक फिट रहती हूं. इसके अलावा थोड़ी वर्कआउट बीच-बीच में कर लेती हूं.

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गर्मी के मौसम में अपनी फिटनेस को कैसे बनाये रखती है?

गर्मी में सनस्क्रीन का प्रयोग करती हूं, क्योंकि एक उम्र के बाद सूर्य की किरणें स्किन के लिए हानिकारक हो जाती है. इसके अलावा स्किन को मौइस्चराइज करना, मेकअप को उतारना और एक अच्छी नींद लेना बहुत जरुरी होता है. लिक्विड यानी तरल पदार्थ का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना गरमी में जरूरी होता है.

 गृहशोभा के जरिये नयी मां बनने वाली महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती है?

हर मां अपने बच्चे के लिए अच्छा करती है. आपके आस-पास रहने वाले आपको हर तरह के निर्देश देंगे,लेकिन आपको अपने ऊपर विश्वास होना जरुरी है कि आप बच्चे के लिए जो करेंगे वह सही करेंगे. साथ ही हर मां को अपने ऊपर भी ध्यान देने की जरुरत है.

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मेरे होंठ काले होने लगे हैं, क्या यह लिपस्टिक की वजह से है?

सवाल-

मैं 22 साल की युवती हूं. मुझे लिपस्टिक लगाना बहुत पसंद है. लेकिन मेरे होंठ अब काले होने लगे हैं. क्या यह लिपस्टिक की वजह से है?

जवाब-

लिपस्टिक लगाने से होंठ काले जरूर होते हैं, लेकिन यह तब होता है जब आप की लिपस्टिक में कोई कमी हो. इस के लिए बेहतर यही होगा कि आप अच्छी गुणवत्ता यानी अच्छी क्वालिटी की लिपस्टिक का इस्तेमाल करें. यदि आप चाहती हैं कि होंठ काले न हों तो रोज रात को सोने से पहले होंठों से लिपस्टिक साफ कर लें और बादाम या नारियल का तेल होंठों पर लगा कर सोएं. होंठों का कालापन दूर करने के लिए आप एलोवेरा जैल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

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चेहरा हमारे व्यक्तित्त्व का आईना होता है. यही कारण है कि हर महिला अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए बहुत से जतन करती है. लेकिन यह भी सच है कि चेहरा तभी खूबसूरत दिखाई देता है जब त्वचा बेदाग व होंठ गुलाबी हों. फटे और टैन होंठ चेहरे की सुंदरता को फीका कर देते हैं.

इस में सब से ज्यादा चिंता की बात यह है कि महिलाएं अपने शरीर के अन्य पार्ट्स की टैनिंग को ले कर तो बहुत जागरूक होती हैं, लेकिन लिप्स की टैनिंग को ले कर बिलकुल भी अवेयर नहीं होती हैं. जानिए, होंठों की देखभाल करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स :

1. कई बार होंठों पर घटिया किस्म का कौस्मैटिक यूज करने से भी होंठ टैन हो जाते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा कौस्मैटिक के प्रयोग से भी होंठों का रंग गहरा पड़ सकता है.

2. धूम्रपान की वजह भी होंठ काले हो जाते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- लिप्स की टैनिंग को कहें बाय-बाय

टीवी सेलेब्स के लिए आफत बना लॉकडाउन, कोई सर्जरी तो कोई बीमारी का हुआ शिकार

बौलीवुड और टीवी की दुनिया में इन दिनों जैसे काले बादल छाए हुए है. हाल ही में रोमेंटिक फिल्मों के हीरो ऋषि कपूर और टैलेंटिड एक्टर की मौत हो गई थी, जिसके कारण उनकी फैमिली से लेकर फैंस और इंडस्ट्री से जुड़े लोग सदमें में हैं. वहीं अब खबर है कि लॉकडाउन में टीवी सेलेब्स के ऊपर खतरा मंडराया हुआ है. जहां किसी की सर्जरी हुई है तो किसी की बीमारियां सामने आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं कौन से हैं वह सितारे….

करिश्मा तन्ना (Karishma Tanna)

खतरों के खिलाड़ी कंटेस्टेंट करिश्मा तन्ना (Karishma Tanna)बीते दिनों गलत योगासन के चलते करिश्मा तन्ना के पैर में गंभीर चोट का शिकार हो गईं थी, जिसके कारण हाल ही में उनके पैर की सर्जरी भी हुई है.

शिविन नारंग (Shivin Narang)

 

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Some pics just gives u motivation out of nowhere 🎩 💪🏻 #shivinnarang #nevergiveup #foundinmycloud

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बेहद 2 फेम एक्टर शिविन नारंग (Shivin Narang) भी हाल ही में हादसे का शिकार हुए थे. दरअसल, अपने घर में रखी हुई कांच की टेबल पर शिविन गिर गए थे और उनके बाएं हाथ में गंभीर चोट लग चुकी है. वहीं इस कारण उनकी 2 घंटे की सर्जरी भी हुई है.

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संभावना सेठ (Sambhavna Seth)

 

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बिग बौस फेम एक्ट्रेस संभावना सेठ को हाल ही में मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन अभी तक उनकी बीमारी का पता नहीं पाया है. वहीं उनकी तबीयत खराब की जानकारी उनके पति ने सोशल मीडिया के जरिए दी है.

शूटिंग के दौरान घायल घावों के कारण परेशान हैं ये एक्टर

 

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The meaning of life is to give life a meaning. Edited by – @mohitrajput2845

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6 महीने पहले सीरियल ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ की शूटिंग के दौरान फैजल के पैरों में गंभीर चोट लगी थी, जिसके चलते वो आज भी इस घाव को भर रहे हैं. वहीं टीवी एक्ट्रेस पूजा बनर्जी को भी ‘नच बलिए’ के दौरान ही गंभीर चोट आई थीं, जिसके कारण वह अभी भी इस घाव का दर्द सह रही हैं.

मां से दूर परेशान हैं मौनी रॉय

नागिन एक्ट्रेस मौनी रॉय की मां हाल ही में मुक्ति (Mukti Roy)कुछ दिन पहले ही मुंबई स्थित अपने घर में गिर गई थी, जिसके बारे में बताते हुए मौनी ने कहा है कि वह लॉकडाउन के चलने भारत नहीं आ पा रही हैं और उन्हें इस बात का अफसोस है कि वो इस मुश्किल घड़ी में अपनी मां के साथ नहीं हैं.

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बता दें, हाल ही में लॉकडाउन के चलते कुछ सेलेब्स को नई-नई बीमारी का सामना करना पड़ रहा है. नच बलिए एक्ट्रेस उर्वशी ढोलकिया (Urvashi Dholkia) के ज्यादा फोन के इस्तेमाल करने से टेनिस एल्बो नाम की बीमारी का शिकार हो गई हैं.

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