#coronavirus: जिस्म के भीतर अब ऐसे मारा जाएगा वायरस

चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस से उभरी कोविड-19 बीमारी का क्लियर इलाज उपलब्ध नहीं है. इस बीमारी का अब तक न तो टीका बना है और न ही इलाज के लिए कोई दवा. ऐसे में  इलाज कैसे हो? इसी उलझन में कई तरह के उपचारों में लोगों को उम्मीद दिख रही है.  मरीजों को मलेरिया वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देना भी ऐसी ही एक उम्मीदभर है. एक उम्मीद की किरण अब प्लाजमा थेरैपी में दिख रही है.

कोविड-19 का पक्के तौर पर इलाज फ़िलहाल नहीं है. अभी तक जो पक्का है वह यह है कि आदमी का शरीर ही उस दुश्मन वायरस कोरोना से लड़ रहा है. शरीर में इम्यून सिस्टम होता है और यही उस दुश्मन वायरस से लड़ता है. इम्यून सिस्टम यानी बीमारियों से लड़ने की जिस्म की क्षमता. जिस्म के ख़ून में यह क्षमता यानी रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित होती है. आसान शब्दों में कहें तो जिस्म एक देश है तो इम्यून सिस्टम उसका सैनिक. जब वायरस, बैक्टीरिया या कोई फंगस जैसा कोई दुश्मन बाहर से हमला करता है तो जिस्म का यह सैनिक बचाव में उतर आता है. कोरोना वायरस से लड़ाई में अधिकतर मरीज़ों में मौजूद यह मजबूत सैनिक वायरस को ख़त्म कर दे रहा है और कुछ मामलों में, जिनमें यह सैनिक कमजोर है, जिस्म हार जा रहा है और मौत हो जा रही है.

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जानें थेरैपी को :

मरीज़ों में वायरस को ख़त्म करने यानी मार डालने का मतलब है कि जिस्म का इम्यून सिस्टम उस वायरस से लड़ना अच्छी तरह जान जाता है और उस को ख़त्म करने के लिए ख़ुद को तैयार कर लेता है. यहीं पर हम सबको को उम्मीद की किरण दिखती है. यदि इस वायरस से लड़ने में सक्षम इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस से संक्रमित दूसरे मरीज़ को दे दिया जाए तो? अब दूसरे व्यक्ति में जिस प्रक्रिया से इस रोग प्रतिरोधी क्षमता को दिया जाता है उसे ही प्लाजमा थेरैपी कहते हैं.

दरअसल, प्लाजमा एक गैस की तरह की चीज होती है. ख़ून से उसके मूल पदार्थ निचोड़ कर उसे प्लाजमा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस प्लाजमा में ठीक हो चुके कोरोना वायरस मरीज के ख़ून में से निचोड़ी गई रोग प्रतिरोधी क्षमता भी शामिल होती है. इसी प्लाजमा को दूसरे कोरोना पीड़ित मरीज़ के जिस्म में डाला जाता है.

थेरैपी की प्रक्रिया को ऐसे समझें, यह ठीक उस तरह से है जिसमें एक देश के सैनिक अगर तीर-भाले से ही लड़ने में सक्षम हों और दुश्मन गोला-बारूद से हमला कर दे तो वे सैनिक देश को सुरक्षा देने में असफल हो सकते हैं. लेकिन, यदि गोला-बारूद से हमले का मुक़ाबला करने वाले सैनिकों को भी गोला-बारूद दे दिया जाए तो वे सैनिक बेहतर तरीक़े से निपट सकते हैं और दुश्मन को हराने की उम्मीद ज़्यादा हो जाती है. प्लाजमा भी ठीक उसी तरह से है जिसमें कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम रोग प्रतिरोधी क्षमता को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में डाल दिया जाता है.

दिल्ली के एक निजी मैक्स हौस्पिटल में 2 मरीज़ों-पिता और पुत्र पर प्लाज्मा थेरैपी का इस्तेमाल किया गया. दोनों की हालत गंभीर थी और दोनों वेंटिलेटर पर थे. डाक्टरों का कहना है कि इलाज के दौरान 70 वर्षीय पिता की तो मौत हो गई है, लेकिन पुत्र की सेहत में सुधार है. कोरोना से ठीक हो चुकी एक महिला ने इन्हें प्लाजमा डोनेट किया था. डाक्टर का कहना है कि एक व्यक्ति के डोनेट करने पर 2 लोगों को इस प्लाजमा से इलाज किया जा सकता है.

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अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकारी अस्पतालों में इसका ट्रायल कर रहे हैं. दिल्ली सरकार को इस बाबत केंद्र सरकार के अधीन इंडियन काउंसिल औफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर से हरी झंडी मिल गई है. अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि उनको उम्मीद है कि इससे इलाज संभव हो सकेगा और मरीज़ ठीक होंगे. मालूम हो कि केंद्र सरकार के प्रोटोकाल के आधार पर दिल्ली सरकार इस तकनीक पर काम करेगी. इसके लिए सभी जरूरी मंजूरियां मिल गई हैं.

19 दिन 19 टिप्स: फैशन के मामले में नायरा से कम नहीं उनकी ‘चाची सास’

टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में नए-नए ट्विस्ट के कारण फैंस की दिलचस्पी बढती जा रही है. शो में इन दिनों कार्तिक की चाची (Shilpa S Raizada) कार्तिक और नायरा के कारण परेशान हैं. औफस्क्रीन की बात करें तो कार्तिक की चाची शिल्पा एस रायजादा (Shilpa S Raizada) अक्सर नायरा यानी शिवांगी जोशी संग मस्ती करती हुईं नजर आती हैं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लगता है. आज हम आपको कार्तिक की चाची यानी शिल्पा एस रायजादा के फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप भी ट्राय कर सकते हैं.

1. सिंपल लुक है परफेक्ट

अगर आप सिंपल लुक रखना चाहती हैं तो शिल्पा एस रायजादा की तरह ब्लैक जीन्स के साथ शौर्ट टौप और फ्लावर प्रिंट जैकेट ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ ट्रैंडी दिखाने में मदद करेगा.

 

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? . . . #blessed #shootlife #yrkkh #?

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2. पार्टी के लिए परफेक्ट है ये ड्रैस

 

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Shivangi so happy for you dear @shivangijoshi18 and proud of you keep it up ?????????????????????????

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अगर आप किसी पार्टी में सिंपल के साथ-साथ ट्रैंड दिखना चाहती हैं तो रेड कलर की शर्ट ड्रेस के साथ हिल्स कौम्बिनेशन परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ आप ज्वैलरी के तौर पर सिंपल स्टड इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं.

3. साड़ी लुक है परफेक्ट

 

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अगर आप साड़ी के लिए कोई नया पैटर्न ढूंढ रही हैं तो सिंपल पिंक साड़ी के साथ क्रौप टौप पैटर्न वाला ब्लाउज ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को परफेक्ट बनाने में मदद करेगा.

4. शरारा लुक है परफेक्ट

 

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Lamhe……? #yrkkh #yehrishtakyakehlatahai #thankstocreativeteam

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आजकल शरारा लुक काफी पौपुलर है. टीवी हो फिल्म हर किसी की जबान पर शरारा लुक है. अगर आप भी वेडिंग सीजन में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो कार्तिक की चाची का ये लुक जरूर ट्राय करें.

5. वेकेशन के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

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??☘️ PEACE #peace #peaceful #journey #vacation #goa #me #myself #happiness #blessed #godisgreat#naturelovers

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अगर आप वेकेशन के लिए कोई नया लुक सोच रही हैं तो क्राप टौप लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपके सिंपल लुक को ट्रैंडी दिखाने में मदद करेगा.

#lockdown: कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में पुलिस की आंख और दाहिनी बांह बने ड्रोन

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला स्थित धामपुर तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों द्वारा लॉकडाउन का लगातार किया जा रहा उल्लंघन तथा बार बार समझाने के बाद भी ग्रामीणों द्वारा मास्क न पहने जाने के कारण पुलिस एंव प्रशासन ने जैतरा और उसके आसपास के गाँवों के ऊपर आसमान में कैमरायुक्त ड्रोन तैनात किये ताकि ग्रामीणों पर हर समय नजर रखी जा सके. इसका असर तुरंत प्रभाव से देखने को मिला. तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की तरह रांची नगर निगम ने भी शहर के हिंदपीढी इलाके को ड्रोन द्वारा सेनिटाइज करने की योजना बनाई. गौरतलब है कि झारखंड की राजधानी रांची में हिंदपीढी इलाका कोरोना हॉटस्पॉट बनकर उभरा है.

ये तमाम तथ्य यह बताने के लिए काफी हैं कि मौजूदा विश्वव्यापी कोरोना संकट में ‘ड्रोन’ किस कदर इंसान के नजदीकी सहायक बनकर उभरे हैं.किसी जगह जल्द से जल्द दवा पहुंचाना हो,हर समय लोगों पर नजर रखनी हो या पूरे इलाके में दवाओं से फौवारा करना हो यानी सैनिटाईज करना हो अथवा ड्यूटी में तैनात पुलिसवालों से लेकर मेडिकल स्टाफ आदि तक खाना पहुंचाना हो,इन दिनों ड्रोन ऐसी हर समस्या का हल बन गए हैं.शायद ही 2-3 साल पहले कभी ड्रोन के इस तरह उपयोगी बनकर सामने आने की कल्पना की गयी हो.एक जमाने में जहां ड्रोन कई तरह की खुराफातों और बाद में आतंकियों के खतरनाक हथियार बनकर उभरने के लिए चर्चा में रहते थे,वहीं आज की तारीख में ड्रोन सब पर नजर रखने वाली आंख,मदद करने वाली मजबूत बांह और वफादार सेवक के रूप में सामने आये हैं.

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इन दिनों जबकि दुनिया कोरोना के कहर से कराह रही है,तब डॉक्टरों,नर्सों,और आपातकालिक वालंटियरों के साथ ड्रोन ही वह डिवाइस है,जो कोरोना के विरुद्ध जंग के अग्रिम मोर्चे में तैनात है.पूरी दुनिया में इन दिनों कोई 10,000,00 ड्रोन तमाम तरह के कामों में लगे हैं.यह करीब करीब उतनी ही बड़ी संख्या है,जितनी संख्या में आर्मी के जवान दुनिया के अलग अलग हिस्सों में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं. हिन्दुस्तान में तो इस कोरोना काल में ही ड्रोन की जबर्दस्त उपयोगिता उभरकर सामने आयी है.यही कारण है कि ड्रोन में तमाम तकनीकी सुधार भी इन्हीं दिनों में हो रहे हैं.गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी [जीटीयू] के स्टार्टअप ‘ड्रोन लेब’ ने हाल ही में देशभर में ड्रोन स्क्वाड बनाकर टेक्नालॉजी के माध्यम से कोरोना के खिलाफ जंग शुरू की है.इसके तहत अब तक 12 राज्यों में 302 ड्रोन भेजे जा चुके हैं.मई के अंत तक भारत में कोई 5000 ड्रोन कोरोना के विरुद्ध जंग में इंसान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटे होंगे.

जीटीयू स्टार्टअप इनोवेशन काउंसिल के रिसर्च और ड्रोन लेब के फाउंडर निखिल मेठिया तथा केवल केलावाला ने इंडियन ड्रोन एसोसिएशन के सहयोग से मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत देश के 12 राज्यों में 302 ड्रोन भेजे हैं.गुजरात में अहमदाबाद समेत राज्य के 15 जिलों-तहसीलों में पुलिस विभाग को 32 ड्रोन की सप्लाई पहले चरण में की गयी थी,पुलिस को उनसे अपने कामकाज में इतनी मदद मिली,जितनी मदद 500 से 1000 इंसानी बल कर पाते.इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस को अगर ड्रोन का स्मार्ट इस्तेमाल आ जाए तो ये उसके कितने काम के हैं.

देश के हर हिस्से में इन दिनों ड्रोन की मदद से पुलिस लॉकडाउन तोड़ने वालों की निगरानी करती है.मध्यप्रदेश-राजस्थान,यूपी,दिल्ली,जम्मू-कश्मीर सहित देश के हर हिस्से में ड्रोन ने खुद को सौंपे गए हर टार्गेट को सफलतापूर्वक अंजाम तक पंहुचाया है. नोयडा के 5,दिल्ली के 8 इंदौर के 2, जबलपुर के 3, भोपाल-2 इलाकों में जब स्थानीय प्रशासन ने ड्रोन को मानिटरिंग और दवाओं के छिड़काव में लगाया तब उसे तेजी से कामयाबी मिली.इसके बाद ही पूरे देश के लिए बहुत तेजी से बहुत ज्यादा ड्रोन की आवश्यकता महसूस हुई. ड्रोन स्क्वाड के फाउंडर निखिल मेठिया तो यहां तक कहते हैं कि कोरोना के खिलाफ सही मायनों में ड्रोन से ही जंग लड़ी जा रही है.उनके मुताबिक अगर ड्रोन न होते तो लॉकडाउन का सख्ती से अमल सुनिश्चित किया जाना संभव नहीं था.

शायद यही वजह है कि उनके स्टार्टअप के लिए 10 लाख रुपए की ग्रांट गुजरात सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है.कोरोना के साथ हो रही जंग में अप्रैल के पहले हफ्ते में विभिन्न राज्यों में तैनात ड्रोन स्क्वाड में ड्रोनों की संख्या कुछ इस प्रकार थी- गुजरात   32,मध्यप्रदेश 10,राजस्थान 22, महाराष्ट्र 29,हरियाणा 8,कर्नाटक 68,ओड़िशा 13, केरल 9,तमिलनाडु 37, मणिपुर-असम 2 तथा तेलंगाना में 7 ड्रोन तैनात थे.ड्रोन हासिल करने बाद ही ज्यादातर राज्यों की पुलिस ने कहना शुरू किया है कि लॉकडाउन तोड़ने वालों की अब खैर नहीं होगी. क्योंकि अब वे आसमान से ऐसे लापरवाहों पर नजर रख रही हैं.

लॉकडाउन की निगरानी के लिए दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में जब पुलिस ने पहली बार ड्रोन उड़ाया तो जो तस्वीर आसमान से सामने आई उसे देखकर पुलिस के आला अफसर हैरान रह गए.पता चला जामा मस्जिद के पास बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं. लॉकडाउन का इस तरह से सरासर उल्लंघन हो रहा होगा इसकी कल्पना तक नहीं की गयी थी. यह देखने और समझने के बाद ही जामा मस्जिद इलाके में शब-ए-बारात के दौरान ड्रोन से की जा रही निगरानी को और मजबूत तथा सख्त बनाया गया. पूरी रात पुलिस ने ड्रोन से नजर रखा. यूपी और पंजाब में ड्रोन से निगरानी के बाद पहले कुछ दिनों में ही 15  एफआईआर दर्ज हुईं तथा 25 से ज्यादा वाहन जब्त हुए.सचमुच ड्रोन से निगरानी कर्फ्यू को प्रभावी तरीके से लागू करने में काफी असरदार पाया गया है.

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यूपी पुलिस को गाजियाबाद की तंग गलियों में लॉकडाउन को लागू करवा पाना कभी संभव नहीं होता अगर ड्रोन न होते. कैमरेयुक्त ड्रोन की तैनाती के बाद ही लोगों में डर पैदा हुआ है और वे अपने घरों में घुसे वर्ना तो पुलिस कहती रहती थी,लोग एक कान से सुनते थे,दूसरे से निकाल देते थे.गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी की ड्रोन के इस्तेमाल की मजबूत शुरुआत तथा लॉकडाउन तोड़ने वालों के प्रति सख्ती से ही मुकदमा दर्ज कराने के आदेश के बाद ही लोगों में इसके प्रति थोड़ा डर पैदा हुआ,नहीं तो लोगों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता था.इस तरह देखें तो कोरोना के खिलाफ जंग में ड्रोन पुलिस के लिए कहीं उसकी आंख तो कहीं मददकारी बांह बन गए हैं.

यादों का अक्स: भाग 3

इत्र की भीनीभीनी खुशबू और धीमाधीमा संगीत, बस, सब कुछ मुझे मदहोश करने के लिए काफी था.
बस, फिर वह सब हो गया, जो शायद बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
जब वर्षों पुरानी चाहत पूरी हुई तो ऐसा लगा मानो आज बिन बादल बरसात हो गई, जिस में हम दोनों भीग कर उस चरम सुख को पा गए, जिस से अब तक हम अछूते रहे थे.
उस रात होटल के उस कमरे में रवि से लिपटी मैं उस तृप्ति को महसूस कर रही थी जो मुझे अब तक नहीं मिली थी.

‘‘रवि, आज तो मजा आ गया,’’ मैं भावावेश में उस के होंठों पर किस करते हुए बोली.
‘‘अरे मैडम, यह तो कुछ भी नहीं. आगेआगे देखो, मैं तुम्हें कैसे जन्नत का मजा दिलाता हूं,’’ कह कर रवि फिर से मुझ से लिपट गया. ‘‘मुझे बहुत दुख है जो समय रहते मैं तुम्हें अपनी नहीं बना पाया,’’ रवि मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए बोला, ‘‘समीर बहुत खुशहाल इनसान है तभी तो यह हुस्न का प्याला उस की झोली में जा गिरा,’’ कह रवि मुझे पागलों की तरह चूमने लगा.
‘‘रवि इतना प्यार न करो, मुझे वरना…’’

‘‘वरना क्या?’’

‘‘अगर तुम मुझ से यों टूट कर प्यार करते रहोगे, तो तुम से अलग कैसे हो पाऊंगी?’’ और मैं अचानक रो पड़ी, ‘‘रवि, इस दिल पर तो तुम्हारा शुरू से अधिकार रहा है और आज तन पर भी हो गया,’’ मैं तड़पते हुए बोली.

मेरी तड़प देख कर रवि ने मुझे अपनी मजबूत बांहों के घेरे में कस लिया और मैं उस की पकड़ से खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी.

‘‘अच्छा, अब मैं चलती हूं,’’ सुबह की लौ देख मैं ने तुरंत कपड़े बदले और अपने घर आ गई.

रवि से शारीरिक संपर्क के बाद मेरे अंदर एक सुखद सा परिवर्तन आया. अब मैं हर समय खिलीखिली सी रहती थी.

‘‘इतना खुश तो मैं ने पहले तुम्हें कभी नहीें देखा,’’ उस दिन मुझे एक फिल्मी गाना गुनगुनाते देख समीर ने मुझे टोका.

‘‘वह क्या है कि आजकल नए दोस्त बन रहे हैं न,’’ मैं ने बात बदलते हुए कहा.

‘‘अच्छा लगता है तुम्हें यों खुश देख कर,’’ कह समीर ने भावातिरेक में मेरा माथा चूम लिया.सच, उस समय मुझे रवि की बहुत याद आई. आज रवि के कारण ही तो मेरे मन का सूनापन कम हो पाया था. उस के प्यार में पागल मैं आज दूसरी बार उस से मिलने उसी होटल में जाने वाली थी. पर उस समय बंटू स्कूल गया हुआ था, इसलिए दुविधा में थी कि कैसे जाऊं?

तब मेरी सास जो मेरे पास रहने आई हुई थीं, तुरंत बोलीं, ‘‘अरे बहू, परेशानी क्या है? अब जब मैं घर पर हूं तो बंटू को देख लूंगी, तुम अभी निकल जाओ वरना तुम्हें सामने देख कर ज्यादा परेशान होगा.’’

मांजी के इतना कहते ही मैं तुरंत निकल पड़ी. इधर मेरा औटोरिकशा होटल की तरफ बढ़ रहा था तो उधर मेरी बेचैनी. सब कुछ अपनी चरसीमा पर था…उस दिन का चरमसुख और आज फिर.

फिर अचानक मेरे विचारों पर विराम लग गया, क्योंकि मेरा होटल जो आ गया था. तेज कदमों से लौबी का रास्ता पार कर मैं होटल के कमरे के पास पहुंच गई.

कमरे का दरवाजा आधा खुला था और मैं जल्दी से उसे धकेल कर अंदर जाना चाहती थी कि अचानक रवि के मुंह से अपना नाम सुन कर मेरे बढ़ते कदम ठिठक गए.

जब मैं ने दरवाजे की ओट में खड़े हो कर अंदर झांका तो हैरान रह गई.

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रवि किसी और के साथ बैठा ड्रिंक कर रहा था. पूरे कमरे में सिगरेट का धुआं फैला हुआ था.
‘‘तेरी वह मुरगी कब तक आएगी, मेरा मन बेचैन हो रहा है?’’ रवि के सामने वह आदमी शराब का खाली गिलास रखते हुए बोला.

‘‘बस सर आने ही वाली होगी,’’ रवि उस के खाली गिलास में शराब डालते हुए बोला.
‘‘पर यार वह तो तेरी गर्लफ्रैंड है, ऐसे में वह मेरे साथ…’’

‘‘आप उस की फिक्र न करो, सरजी…अरे, वह तो मेरे प्यार में इतनी पागल है कि मेरे एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाएगी,’’ रवि ठठा कर हंस पड़ा, ‘‘अरे मैं ने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं, जो हाथ आया मौका यों जाने दूं,’’ नशे में धुत्त रवि बोला, ‘‘आप आज सिर्फ मेरे अभिनय का कमाल देखना…मैं आज उसे इतना बेचैन कर दूंगा कि वह मेरे साथसाथ आप को भी पूरा मजा देगी. बड़ी गरमी भरी पड़ी है उस के अंदर,’’ और फिर उस ने सिगरेट सुलगा ली.

‘‘अच्छा, मैं चलता हूं. बाहर लौबी में तुम्हारे फोन का इंतजार करता हूं. जब मामला पट जाए तब आ जाऊंगा,’’ कह कर वह आदमी पागलों की तरह हंसने लगा.

‘‘आप मजे की फिक्र न करो. वह तो मैं आप को पूरा दिलवाऊंगा पर मेरा आप की आने वाली फिल्म में हीरो का रोल तो पक्का है न?’’ कह रवि ने वही गुलाबी नाइटी बैड पर फैला दी.

‘‘अरे यार मैं जुबान का पक्का हूं. इधर वह लड़की गई तो उधर तेरा हीरो का रोल पक्का.’’
यह सब सुन कर मेरे तो होश उड़ गए. मेरी तो उस समय ऐसी स्थिति थी कि काटो तो खून नहीं. पहले तो मेरे मन में आया कि अंदर जा कर उन दोनों मुंह नोच लूं पर फिर मैं तुंरत संभल गई कि नीचता पर उतर आए ये दोनों मेरे साथ कुछ भी गलत कर सकते हैं.

फिर मैं ने समय न गंवाते हुए बाहर का रुख किया ताकि उन की पकड़ से बाहर निकल जाऊं. वैसे भी वह आदमी कभी भी बाहर आ सकता था.

उस समय मेरा तनमन गुस्से से उबल रहा था और मेरी आंखें लगातार बह रही थीं. रवि के प्यार का यह वीभत्स रूप देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे.

मैं औटोरिकशा में अपने घर जा रही थी. रवि के कई फोन मेरे मोबाइल पर आए, मेरा मन उस समय इतना बेचैन था कि उस से बात करना तो दूर मैं उस की आवाज भी नहीं सुनना चाहती थी. इसलिए मैं ने अपना मोबाइल औफ कर दिया और बीती बातें भुला कर अपने घर चली गई.

‘‘अरे समीर, तुम कब आए?’’ समीर को बंटू के साथ खेलते देख कर मुझे सुकून सा मिला.
‘‘चलो, आज पिक्चर देखने चलते हैं, खाना भी बाहर ही खा लेंगे,’’ समीर ने अचानक मुझ से कहा तो मैं अचकचा सी गई, ‘‘पर बंटू का तो सुबह स्कूल है,’’ मैं ने बात बदलते हुए कहा. अब समीर से कैसे कहती कि मेरा मूड खराब है.

‘‘बंटू को तो मैं देख लूंगी. समय से खाना खिला कर सुला दूंगी,’’ सासूमां कमरे में प्रवेश करते हुए बोलीं.
‘‘क्यों बंटू, दादी के साथ खेलेगा न? और फिर वह दिन वाली स्टोरी भी तो पूरी करनी है न,’’ सासूमां के इतना कहते ही बंटू उन से लिपट गया.

‘‘चलो, अब तो तुम्हारी समस्या हल हो गई. अब जल्दी से तैयार हो जाओ,’’ समीर ने मेरा कंधा थपथपाते हुए कहा.

फिर हम तैयार हो कर मूवी देखने चले गए. जब पिक्चर देख कर बाहर निकले तो बाहर काले बादल घिर आए थे. देखते ही देखते तेज बारिश शुरू हो गई.

समीर कार का दरवाजा खोल कर अंदर बैठने लगा तो मैं ने अचानक उस का हाथ पकड़ कर बाहर खींच लिया.

‘‘मैडम, बारिश शुरू हो गई है और तुम्हें बारिश में भीगने से ऐलर्जी है,’’ उस के स्वर में व्यंग्य था.

‘‘अब मुझे बारिश में भीगना अच्छा लगता है,’’ कह कर में ने समीर को हाथ से पकड़ बाहर खींच लिया और फिर दोनों देर तक बारिश में भीगने का मजा लेते रहे.

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जब बारिश की ठंडी फुहारें मेरे तनमन की तपिश निकालने में कामयाब हुईं तब मैं समीर के कंधे से जा लगी.

मेरे अंदर आए अचानक इस बदलाव को देख कर समीर को इतना अच्छा लगा कि उस ने एक चुंबन मेरे होंठों पर अंकित कर दिया.

जब समीर की मजबूत बांहों ने मेरे तन को कसा तो ऐसा लगा मानो अब मेरे मन पर सिर्फ और सिर्फ समीर का ही अधिकार है और तब ऐसा लगने लगा मानो रवि की यादों का अक्स धुंधला पड़ने लगा है.

#coronavirus: Lockdown के बीच L’Oréal India ने राहत कार्यों में दिया सहयोग

जनस्वास्थ्य अधिकारियों, पुलिस एवं एनजीओ को 60,000 लीटर हैंड सैनिटाईज़र दिया. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को पर्सनल प्रोटेक्टिव ईक्विपमेंट (पीपीई) वितरित किए. प्रवासियों एवं उनके परिवारों खाद्य व आवश्यक सामग्री वितरित की. अग्रिम कतार में रहकर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को केयर पैकेज वितरित किए. पीएम केयर्स फंड में कर्मचारियों द्वारा योगदान दिया गया.

आल इंडिया ने कोविड-19 की महामारी के दौरान देश का सहयोग करने के अपने प्रयासों की घोषणा की. यह योगदान लॉरिआल ग्लोबल सॉलिडरिटी प्रोग्राम के अतिरिक्त दिया गया है, जिसमें लॉन-प्रॉफिट संगठनों को योगदान दिया जाता है.

लॉरिआल इंडिया (L’Oréal India) कोविड-19 की महामारी से लड़ाई लड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकारो स्वास्थ्यकर्मियों एवं कार्यकर्ताओं के कामों में सहयोग करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है.

  1. स्वास्थ्यकर्मियों एवं कमजोर वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा में योगदान देना.

लॉरिआल इंडिया की ऑपरेशंस टीम सैनिटाईज़र्स की कमी को पूरा करने के लिए 100 मिली., 340 मिली. और 640 मिली. की बोतलों में 60,000 लीटर एल्कोहल-बेस्ड हैंड सैनिटाईज़र वितरित करेगी. ये सैनिटाईज़र स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस बल एवं एनजीओ को वितरित किए जाएंगे, जो अग्रिम कतार में रहकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

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इसके अलावा कंपनी हिमाचल प्रदेश के बद्दी और महाराष्ट्र के चाकन में अपने निर्माण संयंत्रों के आसपास स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ सहयोग करके मेडिकल समुदाय को पर्सनल प्रोटेक्टिव ईक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध करा रही है.

  1. सबसे ज्यादा समुदायों का सहयोग

लॉरिआल इंडिया बद्दी, चाकन, मुंबई, गुरुग्राम और बैंगलुरू में एनजीओ एक्शनएड एवं निर्मला निकेतन के सहयोग से प्रवासियों एवं उनके परिवारों को खाद्य एवं आवश्यक सामग्री वितरित कर रहा है.

  1. हमारी सराहना का प्रदर्शन

सराहनास्वरूप, लॉरिआल इंडिया स्वास्थ्यकर्मियों को केयर पैकेज वितरित करेगा, जो कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए बिना थके निरंतर काम कर रहे हैं.

लॉरिआल इंडिया पीएम केयर्स फंड में डोनेशन अभियान द्वारा अपने कर्मचारियों का सहयोग देगा तथा एकत्रित किए गए संपूर्ण योगदान के बराबर कॉर्पोरेट योगदान भी देगा.

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लॉरिआल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, अमित जैन ने कहा, ‘‘लॉरिआल इंडिया कोविड-19 के खिलाफ राहत कार्यों में सहयोग करने के लिए स्वास्थ्य समुदाय एवं सरकार के साथ खड़ा है. यह हमारा दायित्व है कि हम अपने संसाधनों का उपयोग देश में चल रहे सामूहिक प्रयासों में योगदान देने के लिए करें. हमारे प्रयास उन लोगों को सम्मानित करते हैं, जो अग्रिम कतार में रहकर काम कर रहे हैं, इस महामारी को रोकने का प्रयास कर रहे हैं तथा इससे पीडि़त लोगों की मदद कर रहे हैं.

इनफर्टिलिटी, आईवीएफ से लेकर सेक्सुअल लाइफ तक, यहां मिलेगा हर प्रौब्लम का सोल्यूशन

आज की भागम भाग वाली जिंदगी और खराब किस्‍म के खान पान के चलते हमें ऐसी कई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं जिसका असर हमारी सेक्सुअल लाइफ पर पड़ता है. इनफर्टिलिटी, संतान होने में देरी, सेक्स की कमी या फिर यौन दुर्बलता ऐसी ही कई समस्याओं से लोगों को सामना होता है जिसका इलाज करवाने के लिए वो अलग-अलग जगह जाते हैं लेकिन अगर आपको एक ही जगह इन सभी समस्याओं का समाधान एक ही डॉक्टर के पास मिल जाए तो.

ऐसे ही एक डॉक्टर है लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. ए. के. जैन द्वारां.

आइए जानते हैं डॉक्टर ए. के. जैन के चुनिंदा कामों के बारे में…

  1. इनफर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी एक बहुत गंभीर समस्‍या है. जिसके कारण बहुत से कपल्‍स की गोद सूनी ही रह जाती है. मौजूदा लाइफस्टाइल की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्‍या आम बात हो गई है. इनफर्टिलिटी का मुख्य लक्षण प्रेग्नेंट न हो पाना है. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

  1. आईवीएफ

निःसंतानता एक दम्पती के लिए अभिशाप के समान है. संतान न होने से एक दम्पती न सिर्फ निजी तनाव महसूस करता है बल्कि उसके ऊपर सामाजिक व पारिवारिक दबाव भी रहते हैं. निःसंतान दम्पतियों को भारतीय समाज में हमेशा से दोयम दर्जे का समझा जाता है, बावजूद इसके कि संतान न होने में उन दम्पतियों की कोई गलती नहीं होती, फिर भी उन्हें हमेशा इसकी सजा मिलती रहती है. खासतौर से महिलाओं को इसका अत्यधिक नुकसान भुगतना पड़ता है.

संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की आनुवांशिक कारण, जीवनशैली, महिला के गर्भधारण में समस्या या फिर पुरुष के शरीर में कोई समस्या लेकिन वर्तमान समय में आईवीएफ जैसे उपाय से आप बिना किसी खतरे के संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं.

  1. सेक्सुअल प्रॉब्ल्म

हम सभी एक ऐसा समाज में रहते हैं जहां शारीरिक संबंध बनाने, संभोग करने या फिर सेक्‍स को लेकर बात ही नहीं की जाती. यहीं वजह है कि अक्‍सर लोग यौन जीवन (Sex Life) का सुख पूरी तरह ले ही नहीं पाते. क्‍योंकि जब इस विषय पर खुलकर बात ही नहीं कि जाती तो यौन समस्‍याओं (Sex Problems) पर भी लोगों को अधिक जानकारी नहीं होती. अगर आपको भी ऐसी ही किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर जैन आपके सभी सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही व्यक्ति होंगे.

  1. मैरिड लाइफ प्रॉब्लम

प्यार करते हैं तो सेक्स से परहेज क्यों? क्या आप सेक्स से दूरियाँ बना रहे हैं? यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाये क्योकि ये आपके और आपकी पत्नी के बीच के प्यारे रिश्ते के लिए अच्छा नहीं. एक सर्वे रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में 70 फीसदी तलाक, अच्छी सेक्सुअल लाइफ ना होने के कारण होते हैं.

अगर आप भी इनमें से किसी गंभीर समस्या से घिरे हैं, तो आज ही कीजिये बातें भारत के जाने-मानें सेक्सोलॉजिस्ट से. डॉ० ए० के० जैन, 40 वर्षो का अनुभव. 

#lockdown: होममेड तरीकों से बनाएं ब्यूटी केयर प्रोडक्ट

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण पूरा देश लॉकडाउन कर दिया गया है. आप घरों से बाहर नहींं जा सकतीं. समस्या घर में रहने में नहीं है बल्कि घर में खत्म होते ब्यूटी केयर प्रोडक्ट. जब तक बाजार में खुलेगा यह ब्यूटी प्रोडक्ट्स घर में आना मुश्किल है.  अब क्या किया जाए ? मैं लाई हूं आपके लिए कुछ आसान से उपाय जिन्हें अपनाकर आप अपनी खूबसूरती बरकरार रख सकतीी हैं इन प्रोडक्ट्स के बिना भी.

1. बनायें फेसवॉश

फेसवॉश खत्म हो गया है तो परेशान क्यों हो रही हैं? घर पर ही बनाइए एक नेचुरल फेस वाश.कुछ आसान से टिप्स अपनाएं और फेस की रौनक बढ़ाएं. एक बड़ा चम्मच कच्चा दूध लीजिए और उसे साफ सी काॅटन बाॅल से पूरे फेस पर थपथपाते हुए लगाएं. आपकी फेस की स्किन साफ ही नहीं बल्कि टोन भी हो जाएगी. आप चाहें तो इसमें दो बूंद गुलाब जल की भी मिला सकती हैं.

2. बचे हुए साबुन की बार से

यही नहीं आप बची हुई साबुन की बार को पानी में घोल लें और एक बोतल में भर लें अब इसे फेसवॉश की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं.

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3. उड़द की दाल का स्क्रब

यदि इन दिनों में आपके पास आपका फेस स्क्रब खत्म हो रहा है तो घबराए नहीं.आप घर पर भी फेस स्क्रब तैयार कर सकती हैं . इसके लिए एक बड़ा चम्मच उड़द की दाल पाउडर ले लीजिए और उसमें एक चम्मच मलाई मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और इस पेस्ट से फेस को स्क्रब करें. आपको मिलेगी स्मूद और शायनिंग स्किन.

4. कॉफी से बना स्क्रब

यह स्क्रब भी फेस के लिए काफी उपयोगी है. इसके लिए आपको एक बड़ा चम्मच कॉफी लेनी है. इस कॉफी में 10 से 15 बूंदें शहद की मिलाइए और फेस स्क्रब कीजिए.आप कॉफी की जगह क्रश्ड शुगर और नींबू भी ले सकती हैं. इस तरफ से आसानी से डैड स्किन हट जाती है और आपको मिलती बेदाग मुलायम स्किन.

5. एलोवेरा जैल का टोनर

आपको यदि समझ में नहीं आ रहा कि इन दिनों में टोनर कैसे खरीद कर लाए तो आप इसे घर पर ही तैयार कीजिए. अधिकांश घरों में एलोवेरा प्लांट होता है आप 1-2 एलोवेरा तोड़ लें. चम्मच की सहायता से उसका जैल निकाल कर और गुलाब जल मिलाकर अच्छे से मैश करें चाहे तो मिक्सी में चला ले और फिर इस मिश्रण को छान लें और एक स्प्रे बॉटल मे भर लें. याद रखें यह मिश्रण 2 दिन से ज्यादा नहीं चलाना.रात को सोने से पहले स्प्रे बॉटल की सहायता से फेस पर लगाएं.

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6. मॉइश्चराइजर

इन दिनों में मौसम की वजह से घर पर रहते हुए भी स्किन फटी फटी रहती है अब समस्या यह है कि लोग डाउन की वजह से घर से बाहर जाया नहीं जा सकता और मॉइश्चराइजर खत्म हो गया है क्या करें आप घर पर ही आसान तरीके से मॉइश्चराइजरका प्रयोग कर सकती हैं. मॉइश्चराइजर के लिए आप घर में आसानी से अवेलेबल ऑयल जैसे कि ऑलिव ऑयल कोकोनट ऑयल जैसमिन ऑयल जो भी हो उसको एलोवेरा और गुलाब जल के साथ मिक्सस कर फेस पर लगाएं. यदि यह एसेंशियल ऑयल नहीं है तो ताजी मलाई (नहाने से पहले) प्रयोग कर सकती हैं. एसेंशियल ऑयल ना सिर्फ स्किन को नमी प्रदान करते हैं ,बल्कि यह मेकअप रिमूवर का भी काम करेंगे.

#lockdown: Students कैसे करें समय का सदुपयोग

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आज देश ही नहीं लगभग पूरी दुनिया लॉकडाउन का पालन कर रही है. इस वजह से स्कूल, कॉलेज, संस्थान और सभी एजुकेशनल एक्टिविटीज बंद हो गई हैं. इस स्थिति से निबटने के ऐसें छात्रों को चाहिए कि वे खुद का ध्यान रखने के साथसाथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखें.

1. अपनी स्किल्स रिकवर करें

लॉकडाउन के समय जब सबकुछ थम सा गया है, तब स्टूडेंट्स के पास यह अच्छा मौका है अपनी स्किल्स को रिकवर करने का. तो आइए, आप को बताते हैं कुछ टिप्स  जिन से आप बोर हुए बिना अपने कोर्स और सिलेबस के साथ ही अपनी बाकी स्किल्स को भी रिकवर कर सकते हैं.

2. ऑनलाइन कोर्सेस का सहारा लें

लॉकडाउन के दौरान  जब स्टूडेंट्स और टीचर्स के बीच दूरियां बढ़ी हैं, इस समय इंटरनेट काफी सहायक सिद्ध हुआ है. टीचर्स को सलाह दी गई है कि वे वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग के जरिए छात्रों से जुड़े और उन की मदद करें. लेकिन ऐसे में हो सकता है कि छात्रों को टीचर्स से इतना सहयोग न मिल पाए तो वो ऑनलाइन एजुकेशनल एप्स जैसे बाईजूज लर्निंग एप, अनअकैडमी, यूट्यूब चैनल्स या साइट्स का सहारा ले सकते हैं.

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3. छात्र ऑनलाइन कोर्सेज पर न करें फालतू खर्च

युवाओं को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बढ़ते लॉकडाउन के कारण पेरेंट्स को आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है, इसलिए ऑनलाइन कोर्स में ज्यादा रुपए खर्च न करें. यदि लॉकडाउन आगे बढ़ा तो  परिवार के सामने 1-2 महीने में आर्थिक संकट आ सकता है.

हां, यदि आप को इस दौरान कहीं वालंटियर बनने का मौका मिले तो इसमें हिस्सा ले सकते हैं. वॉलंटियर बनने में खतरा तो है, लेकिन लाभ भी काफी होगा.

4. मानव संसाधन मंत्रालय कर रहा मदद

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी ने अपने समय का सदुपयोग करने के लिए छात्रों और शिक्षकों के लिए दस ऑनलाइन शिक्षण पाठ्यक्रम जारी किए हैं. एमएचआरडी, यूजीसी और इस के अंतर-विश्वविद्यालय केंद्रों (आईयूसी) की अन्य पहलों के साथ सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (इनफ्लिबनेट) और कंसोर्टियम फॉर एजुकेशनल कम्युनिकेशन (सीईसी) ने अपने ऑनलाइन पाठ्यक्रम जारी किए हैं. ये चैनल हैं : SWAYAM, e-PG Pathshala, National Digital Library. इन सभी पोर्टल पर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज की डिजिटल सामग्री उपलब्ध है. इस पोर्टल पर यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त कई कोर्स भी मिल जाएंगे.

5. समय का सदुपयोग करें

अपनी कमजोर स्किल्स को रिकवर कर

इस लॉकडाउन में आप के पास समय ही समय है, बस, जरूरत है  समय का सदुपयोग करने की. ऐसे में छात्र अपने ऐसे पहलुओं पर ध्यान दें, जो उन्हें कमजोर लगते हैं. छात्र ऐसी किसी भाषा पर अपनी पकड़ को इस दौरान मजबूतबना सकते हैं, जिस में वे अपने आप को कमजोर समझते हैं या फिर वे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, अपनी मेथ्स, इंगलिश, रीजनिंग, करंट अफेयर्स आदि विषयों पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकते हैं.

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6. विषय से हट कर पढ़ने का मौका

स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे स्टूडेंट्स पर सिलेबस को पूरा करने का ही बोझ इतना होता है कि वे बाकी विषय के बारे में जान ही नहीं पाते. ऐसे में ये लॉकडाउन छात्रों को उन के विषय से हट कर पढ़ने का भी मौका दे रहा है. छात्रों को चाहिए कि वे समय का सदुपयोग करें और किसी ऐसे विषय के बारे में पढ़ें जिनसे अब तक वो अछूते रहे हों. जैसे किसी ऐसे साहित्यकार या शख्शियत के बारे में जाने जो आप के कोर्स में न हो. ऐसी ही कोई नई भाषा को सीखने का विचार बनाएं या कोई कहानी कविता की किताब पढ़ें.

#lockdown: हे प्रभु! इस लॉकडाउन से बचाओ

लेखक- अनिता तोमर ‘अनुपमा

जब-जब पति को वर्क फ्रॉम होम करते देखती तो जलन होने लगती थी. एक बार कुढ़कर ताना मारकर ज़रूर कहती, “अरे! ऐश है भई घर से काम करने वाले लोगों की, जब मन करे काम करो और जब मन करे आराम.

पति घूरकर मेरी ओर देखते और कहते, “तुम्हें जैसा लगता है वैसा बिलकुल भी नहीं है. हमें भी बँधकर काम करना पड़ता है. पता चलेगा जिस दिन खुद वर्क फ्रॉम होम करोगी.

मैं तुनुककर जवाब देती- “वे दिन मेरी ज़िंदगी के सबसे सुहावने दिन होंगे. ना सुबह-सुबह तैयार होने का झंझट होगा, ना खाना पैक करने का. जब मन करेगा उठेंगे और जब मन होगा काम करने लगेंगे. अंधे को क्या चाहिए दो नैन. परंतु हम अध्यापकों की ऐसी किस्मत कहाँ? भई! तुमने पिछले जन्म में मोती दान किए थे जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हो. एक हम हैं लगता है गधे दान किए थे, जो जिंदगी बिल्कुल वैसी ही बन गई है.”

पतिदेव मुस्कुराकर कहते, “तुम लोगों का काम कम से कम स्कूल के घंटों में अनुशासन में रहकर तो हो जाता है. हमें देखो! एक टारगेट मिलता है, उसे पूरा करने में दिन-रात, जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है. केवल नाम ही है कि हम घर से काम करते है, जबकि देखा जाए तो कहीं ज्यादा मेहनत हो जाती है.”

मैं अधीर होकर बीच में ही बात काटते हुए कहती, “कुछ भी कहो, मैं नहीं मानती. स्कूल की नौकरी में सुबह उठना, भागदौड़ करके नाश्ता-लंच तैयार करना, फिर पूरा दिन स्कूल में बच्चों के साथ माथापच्ची करना. क्या जिंदगी बन गई है, ऐसा लगता है हम अध्यापक नहीं आज भी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र हैं. घंटी के साथ दिन शुरू होता है और हर घंटे के साथ भागदौड़ चलती रहती है. कभी-कभी तो अनुशासन भी दुश्मन लगने लगता है.”

हमारी इस तरह की नोंकझोंक अकसर चलती रहती थी. कितनी बार स्कूल में भी हँसी-मज़ाक  में सहेलियों के सामने मुँह से निकल जाता – “काश! इन मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वालों की तरह हम लोग भी वर्क फ्रॉम होम कर पाते. अपनी इच्छानुसार जब मन करता काम करते. पर यार! हम अध्यापकों के जीवन में तो ऐसा कभी नहीं हो सकता, इसलिए  सोचना ही बेकार है.”

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जाने कहाँ बैठे श्रीहरि यह सब सुन रहे थे. कुछ सोचकर वे मंद-मंद मुस्काए और बोले, “हे शिक्षकों! चिंता मत करो. तुम्हारे जीवन में कोरोना काल आएगा तब तुम्हारी यह इच्छा भी अवश्य पूर्ण होगी और तथास्तु कहकर हाथ उठाया.

किसी ने सोचा भी नहीं था कि कोविड-19 की वजह से सारे स्कूल, ऑफिस, कारखानें बसें, ट्रेनें आदि सब कुछ अचानक ही बंद हो जाएँगे. परीक्षाएँ लिए बिना ही पूरे देश में सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए. अब तो बस छुट्टियाँ ही छुट्टियाँ थी. घर ही घर में रहना, दिनभर घर के काम करना अखर ज़रूर रहा था परंतु फिर भी मन ही मन खुश थी. सबसे ज्यादा खुश तो यह देखकर थी कि पतिदेव को तो अब भी वर्क फ्रॉम होम करना पड़ रहा है और हम अब बिलकुल फ्री थे.

पर वाह री किस्मत! मेरी खुशियों को तो मानो ‘ऑनलाइन क्लास माता’ की नज़र लग गई. हमारे विद्यालय ने भी ऑनलाइन क्लास शुरू करने का निश्चय किया. अब भाई जितनी चीनी डालोगे उतनी ही चाय मीठी होगी ना. तो बड़े जोरो-शोरों से हमारे वर्क फ्रॉम होम का भी श्रीगणेश हो ही गया.

अब समस्या यह थी कि हम अपना आसन कहाँ जमाए, जिससे क्लास लेते समय बच्चे भी बीच में बाधा ना डालें. पतिदेव ने साफ़ इंकार कर दिया कि हमारी वजह से वो अपना स्थायी आसन नहीं छोड़ेंगे. हमारे हिस्से में गेस्ट रूम का बेड आया जिस पर हमने अपनी पुस्तकों के साथ आसन जमाया.

विद्यालय द्वारा कक्षाओं का समय निर्धारित कर दिया गया. कभी बी.एड में पढ़ा था कि किसी भी विषय को पढ़ाते समय हमेशा सरल से कठिनाई के स्तर की ओर बढ़ना चाहिए, जिससे छात्रों पर मनोवैज्ञानिक दबाव नहीं पड़ता. कभी सोचा ना था कि यही फ़ॉर्मूला हम अध्यापकों पर भी अपनाया जा सकता है.

शुरू में लगा ऑनलाइन कक्षाएँ लेना उतना कठिन भी ना होगा, इतने सालों का पढ़ाने का अनुभव है. जैसे स्कूल में लेते हैं, बस वैसे ही ले लेंगे. जीवन में सोचे अनुसार कब काम होते हैं? हमारी ऑनलाइन पिक्चर तो अभी शुरू ही हुई थी, सस्पेंस तो अभी बाकी था.

हर रोज़ कक्षाएँ लेने से पहले हमें काफ़ी तैयारी करनी पड़ती, जैसे विषय से संबंधित नोट्स बनाकर स्लाइड तैयार करना, वर्क शीट बनाना, चित्र डाउनलोड करने आदि.

स्कूल द्वारा नियमों की लंबी-चौड़ी लिस्ट जारी कर दी गई. स्कूल के निर्धारित समय पर सभी को ऑनलाइन रहना पड़ता. इस बीच मजाल है हम इधर से उधर हो पाएँ. ऑनलाइन ही कुछ चमचों द्वारा हम पर पैनी नज़र रखी जाती.

अगर कभी नेटवर्क प्रॉब्लम का बहाना बनाते तो स्कूल से तुरंत मैसेज आ जाता कि अगर कोई भी ऑफलाइन है तो उसकी एक दिन की सैलरी काट दी जाएगी. अब भाई, सैलरी काटने वाली तलवार जब सिर पर लटक गई तो मरे क्या ना करें वाली स्थिति खड़ी हो गई. किसी तरह क्लास खत्म होती तो फिर कुछ विराम के बाद फीडबैक सेशन शुरू हो जाता. यह अल्पविराम का समय हमारे क़दमों को खींचकर रसोईघर की ओर ले जाता.

फीडबैक सेशन में करीब-करीब दस  टीचर अपने-अपने विचार रखती. यही वो सही समय था जहाँ सबको सच्ची दुश्मनी निभाने का अवसर मिल रहा था. कमियों की इतनी लंबी फेहरिस्त निकल आती कि उस पल ऐसा महसूस होता मानो चीरहरण हो रहा है.

एक कहती- “मैडम आप शुरू में बहुत स्लो जा रही थी. पाठ उबाऊ हो रहा था.”

दूसरी कहती- “सेशन ठीक-ठाक ही था, लेकिन बीच-बीच में आपकी आवाज कट रही थी.”

नहले पे दहला मारते हुए मेरी को-आर्डिनेटर कहती- “पाठ का अंत जब हमें समझ नहीं आया तो बच्चे क्या खाक समझेंगे. देखना, कल ही पेरेंट्स से शिकायतें आनी शुरू हो जाएँगी.”

मैं मन ही मन सोचती – कोई नहीं बच्चू, हर कुत्ते का एक दिन होता है. चिंता मत करो  तुम्हें भी ऑनलाइन आना है, फिर देखना मैं भी कैसे तुम्हारी धज्जियाँ उड़ाती हूँ. सबसे माफ़ी माँगकर अगले सेशन में गलतियाँ ना दोहराने का आश्वासन देने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं होता था.

इस सेशन के बाद सिर में जो दर्द होता तो चाय की तलब उठती. गैस पर चाय चढ़ाकर अपने दिल के दुखड़े को हल्का करने के लिए अपनी प्रिय सहेली को फोन लगा देती. कभी-कभी तो बातों-बातों में पता भी नहीं चल पाता और बेचारी चाय जल-भुनकर खाक हो जाती.  आराम हराम है- गाँधी जी के नारे पर अमल करते हुए अगले दिन की ऑनलाइन क्लास की तैयारी में जुट जाती. बीच-बीच में लैपटॉप से उठकर रात के खाने की तैयारी भी करती रहती. प्रतिदिन रात आठ से नौ बजे अगले दिन की क्लास का डेमो सेशन होता, जिसमें प्रधानाचार्य के साथ मीटिंग में सभी अध्यापक ऑनलाइन रहते और अपने-अपने टॉपिक डिस्कस करते.  हर बार सख्त हिदायतों या यूँ कहिए अगले साल कोई भी इन्क्रीमेंट ना होने की धमकी के साथ इस कार्यक्रम का समापन होता.

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किसने कहा लॉकडाउन में दिन काटे नहीं कटते? हमसे पूछो दिन कब शुरू होता है और कब खत्म, पता ही नहीं चलता. जिस तन लागै, सोई जाने. आज अहसास हो रहा है कि वर्क फ्रॉम होम कितना कठिन होता है.

बहुत पहले एक कहावत सुनी थी – जिसका काम उसी को साजै और करे तो डंडा बाजे. आज यह कहावत हम पर सटीक बैठ रही है. अब हम तो यही कह सकते हैं कि जहाँ का काम वही पर साजै और कहीं करो तो डंडा बाजे.

एक बार फिर प्रभु के सामने हाथ खुद-ब-खुद जुड़ गए. उनसे क्षमा माँगी और कहा, “हे प्रभु!  ये वर्क फ्रॉम होम तो किसी दुश्मन को भी ना दीजो. वर्क फ्रॉम होम मृगमरीचिका है, केवल मोहमाया है. कहते हैं ना दूर के ढोल सुहाने लगते हैं……इस माया से हमें बचाओ प्रभु!!!

19 दिन 19 टिप्स: मोना सिंह से लेकर अदिति तक, इन 4 दुल्हनों ने कॉपी किया प्रियंका चोपड़ा का ब्राइडल लुक

बौलीवुड और हौलीवुड में अपना नाम कमाने वाली एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा हर किसी की प्रेरणा है. हर कोई प्रियंका के फैशन को ट्राय करना चाहता है, लेकिन हाल ही में कुछ हसीनाएं प्रियंका के शादी के लहंगे को कौपी करती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं प्रियंका के वेडिंग लुक को कौपी करने वाली हसीनाओं की फोटोज…

1. प्रियंका का शादी लुक था खास

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी हिंदू और क्रिश्चियन रीति-रिवाजों से हुई. वहीं हिंदू वेडिंग में प्रियंका ने लाल रंग का लहंगा पहना था. अपने लुक को पूरा करने के लिए उन्होंने गोल्डन डायमंड ज्वैलरी पहनी थी. उनका यह खूबसूरत लहंगा मशहूर डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है. इसके साथ प्रियंका ने मुगल ज्वैलरी कैरी की थी.

2. मोना सिंह ने किया प्रियंका ने कौपी

टीवी सीरियल ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ फेम एक्ट्रेस मोना सिंह 27 दिसंबर को शादी के बंधन में बंधी थी. मोना सिंह का शादी का लहंगा भी बौलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के वेडिंग लुक से इंस्पायर्ड था, रेड कलर के लहंगे में बेहद खूबसूरत था.

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3. बबीता फोगाट का लुक भी था प्रियंका जैसा

जानी मानी इंटरनेशनल रेसलर बबीता फोगाट की शादी 1 दिसंबर को भारत केसरी पहलवान विवेक सुहाग के साथ हुई थी, जिसमें वह सीक्वीन रेड कलर के लहंगे से लेकर ज्वेलरी तक सबकुछ हुबहू प्रियंका चोपड़ा के वेडिंग लहंगे और उनकी ज्वेलरी से मैच करते हुए नजर आईं थी.

4. टीवी एक्ट्रेस भी नही रही पीछे

प्रियंका चोपड़ा को कौपी करने में टीवी एक्ट्रेस भी पीछे नही हैं. हाल ही में एक्ट्रेस और मौडल अदिति शर्मा ने अपने शो ‘ये जादू है जिन्न का’ में रोशनी के किरदार में वेडिंग सेगमेंट शूट किया. इस शूट में अदिती प्रियंका के वेडिंग में पहने रेड कलर के सिक्वीन लुक को कौपी करती हुई नजर आईं थी.

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5. सोनिया अयोध्या ने किया प्रियंका का वेडिंग लुक कौपी

 

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3 levels of hotness ! ? Which mirchi do u like ? ? ? @harshofficial21

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कसौटी जिंदगी की-2 फेम एक्ट्रेस सोनिया अयोध्या और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हर्षवर्धन सामोये ने शादी कर ली, इस दौरान सोनिया प्रियंका के वेडिंग लुक को कौपी करती हुई नजर आईं.

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