जानें क्या है घर पर हेयर कलर करने का सही तरीका

हेयर कलर करना कई महिलाओं के लिए फैशन होता है. लेकिन, कुछ महिलाएं हेयर कलर का इस्तेमाल फैशन के लिए नहीं बल्कि अपने सफेद बालों को छुपाने के लिए करती हैं. हेयर कलर फैशन के लिए करना हो या सफेद बालों को छुपाने के लिए, कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, खासकर तब जब आप घर पर हेयर कलर कर रही हैं.

आइए, जानते हैं हेयर कलर कैसे करते है और इसे करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है:

कलर करने का सही तरीका

पैच टेस्ट: अगर आप पहली बार हेयर कलर करने जा रही हैं तो कोई भी कलर करने से पहले विग पर या गर्दन वाले बालों पर टेस्ट जरूर कर लें. दरअसल, हेयर कलर में अमोनिया जैसे कई तरह के हानिकारक केमिकल्स होते हैं जो आप की स्किन में इरिटेशन और जलन पैदा कर सकते हैं. इसलिए हेयर कलर को पूरे बालों में पहले न लगाएं. हो सके तो हमेशा अमोनिया फ्री कलर ही चुनें.

त्वचा की सुरक्षा: कलर करते समय कई बार त्वचा पर भी कलर लग जाता है जिस से त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए हेयर कलर करते समय हाथों में ग्लव्ज का इस्तेमाल करें और त्वचा पर नारियल का तेल जरूर लगाएं. नारियल तेल लगाने से त्वचा पर हेयर कलर नहीं लगेगा.

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कलर अप्लाई करते समय

अगर आप को अच्छा रिजल्ट पाना है तो बालों को कभी भी एक साथ कलर नहीं करें. इस से कभी भी रिजल्ट अच्छा नहीं आएगा और आप के बाल बहुत अजीब दिखने लगेंगे.

बालों में कलर लगाते समय सब से पहले बालों को कई हिस्सों में डिवाइड कर लें. बालों को डिवाइड करने के बाद इन पर अपना मनपसंद कलर लगाएं. हेयर कलर हमेशा अच्छे ब्रांड का इस्तेमाल करें. कलर को सेट होने के लिए आप फोइल पेपर का भी इस्तेमाल कर सकतीं हैं. लगभग 20 मिनट तक इसे ऐसे ही रहने दें. 20 मिनट बाद आप इसे नोर्मल पानी से वौश कर लें. शैंपू का इस्तेमाल 2 दिन बाद ही करें.

जब सफेद बालों को करना हो कलर

उम्र के साथ हम खुद में कई बदलाव देखते हैं. बालों का सफेद होना भी बढ़ती उम्र की निशानी हैं. हालांकि, कई लोगों को कम उम्र में ही सफेद बालों की समस्या शुरू हो जाती है, जिसे छुपाने के लिए लोग हेयर कलर का सहारा लेते हैं. अगर आप अपने सफेद बालों को कलर करना चाहती हैं तो यह टिप्स अपना सकती हैं:

अधिकतर महिलाएं सफेद बालों को कलर करना नहीं जानतीं. सफेद बालों को कलर करते समय वह बाकी बालों को भी कलर कर लेती हैं. जब भी सफेद बालों को कलर करें तो सफेद बालों वाले सेक्शन को अलग कर लें. अब सिर्फ इन की जड़ों में ही कलर का इस्तेमाल करें. कलर ज्यादा दिन तक बालों में टिके रहे इस के लिए कलर डिस्पोसिटिंग कंडीशनर का इस्तेमाल करें.

कलर करने के बाद

बालों को न बांधे: हेयर कलर के बाद बालों को बिलकुल न बांधे. कलर लगाने के बाद अधिकतर महिलाएं जुड़ा बांध लेती हैं. लेकिन ऐसा करने से आप के हेयर कलर का इफैक्ट कम हो सकता है. बालों को बांधने से हेयर कलर पैची और अनइवन हो सकता है इसलिए बालों को कलर करने के बाद उन्हें खुला ही रखें.

हीटिंग ट्रीटमेंट को कहें बाए: आप चाहे घर में हेयर कलर करवाएं या सैलून में, ध्यान रहे हेयर कलर के बाद बालों में हीट का कम इस्तेमाल करें. हेयर कलर करते समय बालों में कई तरह के कैमिक्ल्स का इस्तेमाल किया जाता है अगर इस के ऊपर आप हीटिंग टूल्स या हेयर स्टाइलिंग इक्वीप्मेंट्स का इस्तेमाल करेंगी तो आप के बाल कमजोर होने के साथ बेजान और रूखे नजर आएंगे.

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इन बातों का भी रखें ध्यान:

• कलर के बाद बालों को गरम पानी से वौश न करें.

• बालों में हेयर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

• धूप में निकलने से पहले बालों को कवर कर के निकलें.

• हेयर कलर के बाद तेल न लगाना एक मिथक है. आप कुछ दिनों बाद बालों में ओयलिंग कर सकती हैं.

सावधान- कोविड-19 के नियमों का करेंगे उल्लंघन तो देना पड़ेगा जुर्माना

दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है इसे रोकने में सरकार की हर कोशिश नाकाम होती नजर आ रही है लॉकडाउन के बावजूद भी केस दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. स्थिति सामान्य होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. इसलिए दिल्ली में कोविड- 19 के जो भी नियम लागू किए गए हैं उनका उल्लंघन करने पर अब होगा जुर्माना.

जी हां दिल्ली के उपराज्यपाल ने कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कुछ प्रावधान लाए हैं और उन मानदंडों का उल्लंघन करने वालों को भारी जुर्माना लगाने का निर्देश दिया गया है, उपराज्यपाल ने कई अधिकारियों को जुर्माने का अधिकार दिया है कि यदि व्यक्ति पहली बार कोविड- 19 के नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसे 500 रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा.

दूसरी बार गलती उल्लंघन करने पर 1000 रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा और यदि फिर भी कोविड 19 का उल्लंघन करना नहीं बंद किया जो इसका और भी भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.आइए अब आपको बताते हैं कि गृह मंत्रालय ने कौन- कौन से नियम बनाए हैं जिनका उल्लंघन करने से बचना है.

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केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर थूकता है तो राज्य सरकार के नियमों के मुताबिक उस पर जुर्माना लगाया जाएगा.शराब, पान, मसाला, गुटखा, तंबाकू
इन सभी चीजों का सार्वजनिक स्थानों पर सेवन करने पर प्रतिबंध रहेगा, सोशल डिस्टैंसिंग लोगों को एक दूसरे के बीच 6 फीट यानी करीब दो गज की दूरी बनाए रखने की हिदायत दी गई है. दुकानों पर एक साथ 5 से ज्यादा ग्राहकों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं होगी.यदि ऐसा हुआ तो भारी जुर्माना लगेगा.

भीड़ जुटाने पर रोक है इसलिए गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि मास गैदरिंग पर पहले की ही तरह प्रतिबंधों को जारी रखा है.कहीं भी भीड़ नहीं लगनी चाहिए. ज्यादा लोगों को एक जगह पर इकट्ठा होना और समारोह करने की परमिशन नहीं होगी शादी के लिए भी 50 मेहमानों को अनुमति दी गई है वहीं अंतिम यात्रा में 20 लोग से ज्यादा शामिल नहीं हो सकते हैं. फेस कवर करना बहुत जरूरी है.

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सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थलों और सफर के दौरान सभी को फेस कवर करना जरूरी होगा यानी की मास्क लगाना जरूरी होगा.पीएम मोदी पहले भी कह चुके हैं कि लोग घर में बने मास्क या गमछे का प्रयोग करें.ये गाइडलाइन पहले भी जारी थीं. लेकिन तब सिर्फ लोगों से रिक्वेस्ट की जा रही थी कि आप लोग इन नियमों का पालन करिए तभी सुरक्षित रहेंगे,लेकिन अब जब सरकार को लगता है कि कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं या सबकुछ जानते हुए भी लापरवाही कर रहे हैं तो सरकार ने साफ कर दिया है कि इन नियमों का उल्लंघन यदि किया तो जुर्माना लगेगा.

सुसाइड के कुछ महीनों पहले सुशांत ने एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता को लेकर कही थी ये बात

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के दुखद और अचानक निधन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. जहां एक तरफ उनका परिवार और पूरा बॉलीवुड जगत इस सदमे से उबार नहीं पा रहा है वहीं दूसरी तरफ उनके सुसाइड के पीछे के सही कारण की अब तक पुष्टि नहीं हुई है.

फ़िल्मी जगत के सितारों का तो श्रधांजलि देने का तो जैसे तांता ही लगा गया था. हर किसी को इस बात पर विश्वास नहीं है की एक हँसता ,मुस्कुराता चेहरा अब उनके बीच नहीं है.

सुशांत के सुसाइड की खबर सुनते ही ,सुशांत की करीबी मित्र सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट लेपाक्षी ने एक वेब पोर्टल से बात के दौरान अपना दुःख साझा किया. उन्होंने सुशांत के व्यक्तित्व बारे में कई चीजों का खुलासा किया. “जब मुझे यह खबर मिली तो मुझे विश्वास नहीं हुआ की यह सच है.मुझे नहीं पता की उसके साथ क्या गलत हुआ.”

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इस बारे में बात करते हुए कि वह अभिनेता को कैसे जानती है, उन्होंने कहा, “सुशांत और मैंने कुछ विज्ञापनों में एक साथ काम किया था तभी से हम एक-दूसरे को जानते थे. हमने केंडल जेनर के साथ भी शूट किया. वह बहुत भावुक इंसान था . हम शूट के बाद घंटों बात करते थे.वह बहुत कुछ लिखता था. वह अपनी कविता मुझे सुनाता था.आप उससे किसी भी टॉपिक पर बात कर सकते थे .कभी कभी तो मुझे लगता था की वो इतना सब कुछ कैसे जानता है.वह बहुत ही आशावादी था.वो उड़ना चाहता था.
मैंने महसूस किया कि हम वास्तव में बहुत सरल लोग थे. उसने अपनी माँ को खो दिया था और मैंने भी अपनी माँ को खो दिया है, इसलिए हम एक दूसरे से काफी emotionaly कनेक्टेड थे.”

एक घटना का वर्णन करते हुए, उन्होंने कहा, “सुशांत ने एक बार मुझसे पूछा कि क्या मैंने उनकी फिल्म एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी ‘देखी है?

मैंने उसे बताया कि मैं देश में नहीं थी जब यह रिलीज हुई थी और मैं उन लोगों में से एक हूं, जिन्हें केवल बड़े पर्दे पर फिल्में देखना पसंद है. तो वह तुरंत उछल पड़ा और बोला, ‘तू घर आजा’ (मेरे घर पर आओ). मै तुम्हे प्रोजेक्टर के थ्रू अपनी फिल्म को बड़े पर्दे पर दिखाऊंगा. मैं उनके घर गयी और फिल्म देखी. वह बहुत उत्साहित था और उसने मुझे फिल्म के बारे में बहुत सारे इंसिडेंट बताये.

वह इतनी बात करता था कि मुझे उसे कहना पड़ता था की’अब चुप हो जाओ बस’ अब बहुत हो गया. ऐसा नहीं था कि हम लंबे समय से दोस्त थे लेकिन मै उसके साथ काफी comfortable feel करती थी.
“वह मेरे साथ काफी सालों संपर्क में था , मैं उनसे पूछती थी की वो किसी अवार्ड फंक्शन में भाग क्यूँ नहीं लेता?

तो उसने बोला की मै इन function में जाने से कतराता हूँ.मुझे ये फ़ालतू लगता है.
यह सुनकर हम दोनों खूब हंसते.

जहां तक मुझे पता है, उसके ऐसे दोस्त थे जो एक साधारण पृष्ठभूमि से थे और वे फिल्म के लोग नहीं थे.
उन्होंने मुझे बताया कि ”मेरे फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा दोस्त नहीं हैं. मेरे ज्यादातर दोस्त स्कूल और कॉलेज से हैं, लेकिन थोड़ी बहुत दोस्ती यहाँ भी करनी पड़ती है “.

अंकिता के बारे में कही ये बात

लेपाक्षी ने कहा एक बार जब हम बात कर रहे थे तो उसने मुझे बताया कि वह अपनी पूर्व प्रेमिका अंकिता लोखंडे के प्रति कितना ऋणी था. अंकिता ने टेलीविजन पर और उनके संघर्ष के दिनों में उनका बहुत साथ दिया.

मुझे यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ की अब तो वह एक बड़ा स्टार बन गयाथा.लेकिन अभी भी वो किसी के अहसानों को नहीं भूला था.किसी के लिए ये बहुत बड़ी बात है .

भले ही वो अंकिता के साथ नहीं थे पर फिर भी वो उनकी सराहना करते थे.भले ही उनके रिश्ते में खटास आ गई, लेकिन उसके पास केवल उनके बारे में कहने के लिए अच्छी चीजें थीं.

वो वास्तव में बहुत ही भावुक इंसान था ,उसके पास कहने के लिए हमेशा बहुत कुछ होता था.जब मैंने यह खबर सुनी तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ और मैं अन्दर तक हिल गयी.

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जब उनसे पूछा गया कि क्या वह उनके संपर्क में थी और आखिरी बार उनसे कब बात की थी, तो उन्होंने कहा, “मैंने उनसे करीब ढाई या तीन महीने पहले बात की थी. वह कोई ऐसा व्यक्ति था जिसके पास बात करने के लिए बहुत कुछ था. वह एक ऐसा इन्सान था जो कभी अपने सामने वाले को उदास नहीं होने देता था.भले ही उसके अन्दर कितना ही दुःख क्यूँ न छिपा हो.उसने कभी भी मुझसे अपनी परेशानियों के बारे में नहीं बताया.मैं नहीं जानती थी की इस इंसान के अन्दर इतना दुःख छिपा हुआ है.और वो ऐसा भी कुछ कर सकता है.सुशांत सिर्फ एक अभिनेता नहीं था वो इससे कहीं ज्यादा था.”

Father’s day Special: फैमिली को खिलाएं टेस्टी पनीर कोल्हापुरी

पनीर से बनी चीजें हर किसी को पसंद आती है चाहे वो खीर हो या सब्जी. पनीर हेल्थ के लिए अच्छा होता है, जो बहुत फायदा पहुंचाता है. आझ हम आपको हेल्दी और टेस्टी पनीर कोल्हापुरी के बारे में बताएंगे, जिसे आप आसानी से बनाकर अपनी फैमिली और बच्चों को डिनर में खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

– 200 ग्राम पनीर टुकड़ों में कटा

– 2 टमाटर

– 1-2 हरीमिर्चें

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– 8-10 काजू

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– 1/4 कप सूखा नारियल कद्दूकस किया

– 1 छोटा चम्मच तिल

– 1 टुकड़ा अदरक

– 1 टुकड़ा दालचीनी

– 1-2 हरी इलायची

– 4-5 कालीमिर्चें

– 1-2 लौंग

– 2 बड़े चम्मच घी

– 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– चुटकीभर हींग

– 1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– 1 छोटा चम्मच सौंफ

– नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

जीरा, सौंफ, तिल, दालचीनी, लौंग, कालीमिर्चें, इलायची, सूखा नारियल ड्राई रोस्ट कर पीस लें. टमाटर, अदरक, हरीमिर्चें और काजू पीस कर पेस्ट बना लें.

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एक पैन में घी गरम कर हींग, हल्दी, मिर्चपाउडर, धनिया पाउडर व सूखे मसालों का पाउडर, टमाटर व काजू का पेस्ट डाल कर भूनें. मसाला घी छोड़ने तक धीमी आंच पर भूनें. पानी डालें व सिमर होने दें. उबाल आने पर नमक व पनीर के टुकड़े डाल धीमी आंच पर पकाएं और सर्व करें.

विज्ञान और अनुसंधान के मामलों में क्यों पीछे हैं भारतीय महिलाएं

भारत समेत पूरी दुनिया के लिए 2020 बेहद डरावने वर्ष के रूप में गुजर रहा है. अर्थव्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. कोरोना कहर के बीच मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं और इस के साथ ही अपनों के लिए लोगों की चिंता भी बढ़ रही है. वस्तुतः कोविड-19 संकट ने समाज में विज्ञान और शोध की महत्ता साबित की है. विज्ञान हमें इस महामारी से निकलने का एग्जिट प्लान बताएगा जब दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित कर ली जाएगी. मगर तब तक वैज्ञानिक और शोधकर्ता यह पता लगाने में जुटे हुए हैं कि वायरस कहां से आया, कैसे फैला और किस तरह का इलाज इस पर असरदार साबित हो सकता है.

जब भी दुनिया में इस तरह के खतरे आते हैं भले ही वह महामारी हो, भूकंप हो, पर्यावरणीय संकट हो या कुछ और इंसान को विज्ञान का आसरा होता है. दुनिया विज्ञान की राह जाती है पर ज्यादातर भारतीय ऐसे संकट के समय में भी अंधविश्वास की राह पकड़ते हैं. धार्मिक रीतिरिवाजों, अनुष्ठानों और व्रतउपवासों के जरिए संकट दूर करने के उपाय ढूंढते हैं.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 2008 में यंग साइंटिस्ट्स कम्युनिटी की शुरुआत की थी. अब 2020 में दुनिया के 14 देशों के कुल 25 यंग वैंज्ञानिकों के चेहरे सामने लाए गए हैं जो अनुसंधानों और खोजों के जरिए विश्व परिदृश्य बदलने का काम करेंगे. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि इन 25 युवा वैज्ञानिकों में 14 महिलाएं हैं. यानी दुनिया में महिलाएं तेजी से विज्ञान और अनुसंधान के फील्ड में आगे बढ़ रही हैं मगर भारतीय महिलाएं इस दृष्टि से काफी पीछे हैं.

अंधविश्वास और भारतीय महिलाएं

बात करें भारतीय महिलाओं की तो यह जगजाहिर है कि भारतीय महिलाओं को हमेशा से धर्म, पाखंड और अंधविश्वास के लपेटे में बांध कर रखा गया है. उन के बढ़ते कदमों पर हमेशा ही धर्म की पाबंदियां रही हैं. इस सन्दर्भ में क्रिमिनल साइकोलोजिस्ट और सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं कि जरा सोचिए इन पाबंदियों की वजह से क्या महिलाओं ने खुद का अस्तित्व नहीं खोया है ? खुद को रेप, किडनैपिंग या मर्डर का विक्टिम नहीं बनाया है ? शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान नहीं उठाया है ? अंधविश्वास की वजह से ही राम रहीम, चिन्मयानन्द और आसाराम जैसे लोग आगे आए. जिन्होंने महिलाओं के अंधविश्वास की प्रवृत्ति का फायदा उठा कर अपने बैंकबैलेंस बढ़ाए और उन की जिंदगी के साथ खेला.

भारतीय महिलाएं अधिक पढ़ीलिखी नहीं होतीं इसलिए उन का दिमाग ज्यादा खुला हुआ नहीं है. यदि महिला पढ़ीलिखी है तो भी वह जिस समाज में रह रही है वहां उसे अपने दिमाग और ज्ञान का पूरा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाती. घर में सासससुर हैं, आसपास अड़ोसीपड़ोसी भी हैं. सब उस से अंधविश्वास मानने की बातें करेंगे. उस के पास न तो इतना वक्त होता है और न पेशेंस कि सब से लड़े और अपनी बात रखे. नतीजा उसे सब की बात माननी पड़ती है.

वैसे भी महिलाएं जल्दी झांसे में आ जाती हैं और इस की वजह उन का इमोशनल होना है. उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है. भले ही वे पढ़ीलिखी हों तो भी पाखंडबाजी में जल्दी आ जाती हैं. आप देखिए मार्केट महिलाओं के कपड़ों और गहनों से सजा मिलेगा. पुरुषों के सामान काफी कम बिकते हैं. महिलाएं मोस्ट कंपल्सिव बायर्स हैं. इस की वजह है उन के अंदर बड़ी मात्रा में एक्सेप्टैंस की चाह का होना. कहीं न कहीं गहने, जेवर जैसी चीजें खरीद कर और मेकअप करवा कर वे अच्छा दिखना चाहती हैं. उन्हें लगता है कि इस तरह उन्हें एक्सेप्टैंस मिलेगा. वे यह भूल जाती हैं कि यह एक्सेप्टैंस अपने अंदर से आती है. कपड़े, पढ़ाई या फैशन से नहीं. इसी तरह कस्टम और रिचुअल्स निभा कर भी वे समाज में अपनी एक्सेप्टैंस बढ़ाना चाहती हैं. मगर इस का नतीजा बहुत बुरा निकलता है.

भय पैदा करता है अंधविश्वास

हमें समझना होगा कि जिंदगी को बेहतर ढंग से कैसे जीया जाए. अंधविश्वास और उस से उपजे भय से आजादी कैसे पाई जाए. अंधविश्वास ने हमारे समाज में रीतिरिवाजों के तौर पर अपनी जड़ें गहरी जमा रखी हैं. स्त्री बीमार है, उस के शरीर में जान नहीं है, फिर भी उसे भूखा रहना है. उपवास करना पड़ता है. क्योंकि करवाचौथ एक ऐसा रिवाज है जिस के मुताबिक़ महिला अपने मुंह में दिन भर अन्न का एक दाना नहीं डाल सकती. इस रिवाज के पीछे छिपे अंधविश्वास ने लोगों के मन में यह भय भर रखा है कि यदि स्त्री ने उपवास तोड़ा तो उस का सुहाग उजड़ जाएगा. अंधविश्वास का यह भय अक्सर औरतों की जिंदगी पर भारी पड़ता है. जरूरी है कि हम किसी भी रिवाज को दिमाग से समझें. अपनी पढ़ाईलिखाई से प्राप्त किए ज्ञान का भी मनन करें. तभी दिमाग खुलेगा और हमें इस भय से मुक्ति मिलेगी.

इसी तरह किसी भी समस्या का प्रैक्टिकल सॉल्यूशन खोजा जाए. परिवार की खुशी के लिए कुछ कल्चरल कस्टम निभाएं. मगर इन से जुड़े भय को मन में बैठने मत दीजिये. खुद पर विश्वास पैदा करने के लिए प्रयास करें. नए रास्ते तलाशें. ऐसी कोई समस्या नहीं जिस का समाधान उपलब्ध न हो. दिल के झांसे में न आएं. दिल हमें अंधविश्वास मानने को प्रेरित करता है. जबकि दिमाग सही रास्ता दिखाता है. खोज करने और रास्ता ढूंढने का मार्ग बताता है. दिमाग ही दिल को हरा सकता है. जो सही लगे समाज की उन्हीं बातों को मानें. उदाहरण के लिए कोविड-19 को ही लें. जरुरी है कि इस समय सकारात्मक सोच रखी जाए. एहतियात बरती जाए. मगर इस के पीछे पागल न हो जाएं. विल पावर से रिकवरी आसान हो जाती है. खुद पर विश्वास होना चाहिए अंधविश्वास नहीं.

भेड़चाल है अंधविश्वास

अनुजा कपूर कहती हैं कि हम डेमोक्रेटिक समाज में रहते हैं और हर किसी को अपने मन की बात बोलने का हक है. लोग अपने इस हक का फायदा उठाते हैं और बोलते हैं. मगर यह नहीं सोचते कि यह बात रिसर्च बेस्ड है भी या नहीं. हम अपनी बात स्टीरियोटाइप कर देते हैं. यह कहना भूल जाते हैं कि यह साइंटिफिक बातें नहीं वरन हमारी सोच है या दूसरे लोगों से सुनीसुनाई बात है. हम चाहते हैं कि लोग हमें सुनें और ज्ञानी समझें. यही हाल हमारे समाज और राजनीति का भी है. आज आधे से ज्यादा वैसे लोग देश चला रहे हैं जो पढ़ेलिखे नहीं हैं.

वैसे सोचने वाली बात यह भी है कि आखिर पढ़ाई हमें कितना समझदार बना पाती है. हम पढ़ कर ज्ञान ले तो लेते हैं पर तब तक उस की कोई अहमियत नहीं जब तक हम उसे सही अर्थों में ग्रहण न कर लें. उसे दिल से स्वीकार न कर लें. ज्ञान हमारी आँखें न खोल दें और जीवन में विकट परिस्थितियां आने पर हम उस ज्ञान का प्रयोग न करें. जबकि होता यह है कि हम ज्ञान इसलिए लेते हैं ताकि समाज हमें स्वीकार करे. हम 10 लोगों के बीच खुद को अलगथलग महसूस न करें. इसलिए अपना दिमाग बंद कर हम भी भेड़चाल में चलने लगते हैं.

रिस्क उठाना नहीं चाहते

लोग रिस्क फैक्टर्स उठाना नहीं चाहते. वे खतरा मोल लेने से डरते हैं. जाहिर है कि जहां आशंका है वहां अंधविश्वास होता है. पढ़ेलिखे होने पर भी आप अंधविश्वासी हो सकते हैं क्योंकि आप ऐसे समाज में रहते हैं जहाँ लोग अंधविश्वासी हैं. वे आप को भी अंधविश्वासी बनाने के प्रयास में रहते हैं. आप बीमार हैं, बच्चा नहीं हो रहा है या पति के साथ झगड़े चल रहे हैं तो लोगों की सलाहें मिलनी शुरू हो जाती है,’ उस बाबा के पास जाओ और झाड़फूंक करवाओ.’ ‘सोलह सोमवार का व्रत करो.’ ‘मंदिर में 51,000 का चढ़ावा चढ़ाओ, अनुष्ठान करवाओ.’ आदि. लोगों के पास हजारों कहानियां होती हैं सुनाने के लिए कि कहां और कैसे समस्या का समाधान हुआ या कृपा बरसी.

जरूरी है कि हम यह समझें कि शिक्षित हों तो अपने लिए हों. केवल बिजनेस चलाने या पैसे कमाने के लिए नहीं. शिक्षा का असर हमारी सोच और व्यवहार में भी दिखे. महिलाएं खुद को एमपावर करें पर केवल दिखावे के लिए नहीं. अंधविश्वासी होना आप के व्यक्तित्व को या परिवार को नुकसान पहुंचा रहा है तो यह गलत है. अपने ज्ञान का उपयोग करें. आंखें बंद कर पाखंडबाजी और झाड़फूंक पर विश्वास करना निंदनीय है. अंधविश्वासी व्यक्ति वास्तव में पैरानॉइड पर्सनैलिटी हो जाता है जो सिर्फ एक ही चीज पर विश्वास करने लगता है. ऐसा बनने से बचें.

बाबाओं के पाखंडों की असलियत पहचानें. लोगों से बातें करें. गूगल का सहयोग ले. नई खोज करें और अपनी समस्या से बचने का उपाय निकालें. हमारे पास कोविड जैसी समस्याओं से निबटने को बहुत से रास्ते हैं. आज भारत में भी कुछ महिलाएं हैं जो इस दिशा में हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं.

भारत की ये 5 महिलाएं (डॉक्टर, आईएएस, वैज्ञानिक) जो कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं और सप्ताह के सातों दिन चौबीसों घंटे काम कर रही हैं ताकि हम इस लड़ाई में जीत सकें ———

प्रीति सुदान

आंध्र प्रदेश कैडर के 1983 बैच की आईएएस अधिकारी सुदान को आमतौर पर देर रात को अपने कार्यालय से बाहर निकलते देखा जाता है. वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव हैं जो बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार की नीतियों को लागू करने के लिए सभी विभागों के साथ समन्वय करने का काम कर रही हैं. वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ तैयारियों की नियमित समीक्षा में भी शामिल है.

डॉ निवेदिता गुप्ता

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ निवेदिता गुप्ता देश के लिए उपचार और परीक्षण प्रोटोकॉल तैयार करने में व्यस्त हैं.

रेणु स्वरूप

स्वरूप पिछले 30 वर्षों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) में काम कर रही हैं. अप्रैल 2018 तक उन को वैज्ञानिक ’एच’ का पद मिला हुआ था जो एक अच्छे वैज्ञानिक को दर्शाता है. उस के बाद उन्हें सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त किया गया था. वह अब कोरोनोवायरस वैक्सीन विकसित करने के शोध में शामिल है.

प्रिया अब्राहम

प्रिया अब्राहम अभी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे का नेतृत्व रही हैं – जो कि आईसीएमआर से संबद्ध है. एनआईवी शुरुआत में कोविड-19 के लिए देश का एकमात्र परीक्षण केंद्र था.

बीला राजेश

तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव के रूप में राजेश अपने राज्य में चुनौती से निपटने में सब से आगे रहीं. उन्होंने हाल ही में पोस्ट किया था कि वायरस किसी को भी प्रभावित कर सकता है, चलो एक दूसरे के प्रति संवेदनशील रहें और कोविड-19 के खिलाफ एक समन्वित लड़ाई छेड़ें. वैसे तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में डॉ. बीला राजेश को राज्य के स्वास्थ्य सचिव के पद से हटा कर वाणिज्य कर और पंजीकर विभाग का सचिव बना दिया है.

मार्केट में आए ये 9 नए इनोवेटिव प्रोडक्ट, कोरोनावायरस से होगी हमारी सुरक्षा

कोरोना तो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा लेकिन भारत में उससे बचने के सारे तरीके अपनाए जा रहे हैं. कोविड-19 ने मात्र 4- 5 महीने में ही पूरी दुनिया को ही बदल डाला है लोगों की जिंदगी हर पल दहशत में है.लोग डर के साए में जी रहे हैं. और इसी वजह से जिंदगी में जीने का, सोचने का, काम करने का, रहने का, खाने का, बाहर आने-जाने का, मिलने-जुलने का, कपड़े पहनने का, साथ ही साथ फैशन का भी हर एक तरीका बदल चुका ह.

अब इसके कारण लोगों की जरूरतें भी बदल गई हैं. ऐसी सिचुएशन में कुछ ऐसी नई चीजें मार्केट में आई हैं जो लोगों के जीने का तरीका बदल देंगी. हमारी जिंदगी को आसान बनाएंगी और कोरोना से सुरक्षा भी प्रदान करेंगी.ये जो नए प्रोडक्ट इनोवेट हुए हैं वो आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में बहुत मददगार साबित होंगे.

1. कोविड क्वारैंटाइन बेड

कोविड क्वारैंटाइन बेड नार्मल बेड से थोड़ा सा अलग होगा ताकि जैसे की हॉस्पिटल मे होता है अब तो लोग अपने घर के लिए भी लाने लगे हैं.

2. हैंड फ्री डोर ओपनर

हैंड फ्री डोर ओपनर की मदद से आपको दरवाजा खोलने के लिए हांथ की उंगलियों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा बल्कि आप हांथ के बाकी हिस्से या कोहनी का इस्तेमाल करके दरवाजे को आसानी से खोल सकते हैं.

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3. सिलिकॉन स्क्रबिंग गलव्ज

ये गलव्ज ऐसे हैं कि आप इसे हांथ में लगा कर घर के सारे काम कर सकते हैं.यहां तक की बर्तन भी धो सकते हैं और इस गलव्स को धो कर सुखाना बड़ा आसान है.

4. एंटी फॉग फेस शील्ड

इसकी मदद से आप अपना पूरा फेस अच्छे से कवर कर सकते हैं और इस वक्त तो हर ऑफिस में ये इस्तेमाल किया जा रहा है और ये देखने में आगे से हेलमेट की तरह लगता है लकिन ये आपको सुरक्षा प्रदान करेगा.

5. कॉटन फेस मास्क

वैसे तो नार्मल बहुत से मॉस्क आ रहे हैं आजकल डेली यूज़ एंड थ्रो वाले भी मास्क हैं लेकिन आप यदि कॉटन फेस मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इसे रोज-रोज फेंकने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप इसे आसानी से रोज धो सकते हैं.अब तो कई डिजाइन में भी ये मार्केट में उपलब्ध है.

6. सैनिटाइजर स्प्रे मशीन

इसकी मदद से आपको अपने घर में गाड़ियों में अलग से कपड़े लगाकर पोंछने की जरूरत नहीं है बल्कि स्प्रे की मदद से आप फटाफट स्प्रे करके सैनिटाइज कर सकते हैं.

7. जीरो टच स्टैंड

बिना टच किए इस मशीन से पानी और साबुन दोनों से हाथ आसानी से धूला जा सकता है, जो कोरोना से बचाव के लिए बहुत कारगर है,आपको हांथ लगाने की बिल्कुल जरूरत नहीं होगा.यानी की आप अपने पैर से इसपर टच करेंगे और साबुन पानी या सैनिटाइजर आपके हांथ में.

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8. सैनिटाइजिंग टनल

ये एक ऐसा टनल होता है जो आजकल हर ऑफिस के बाहर, मंदिर ,शॉपिंग मॉल, बस स्टैंड, रेलवे हर जगह पर बनाया जा रहा है जिसके अंदर से होकर गुजरने पर व्यक्ति पूरी तरह से सैनिटाइज हो जाता है.

9. थर्मल स्क्रीनिंग मशीन

इस मशीन की मदद से व्यक्ति का टैंपरेचल नापा जाता है.ये देखने थोड़ा – थोड़ा गन की तरह होता है.ये आजकल हर ऑफिस में इस्तेमाल किया जा रहा है चेक करने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है.और थर्मल गन के अलावा ऐसी मशीन भी है जो आपकी पूरी बॉडी को स्कैन करेगी और रेलवे एयरर्पोट पर ज्यादा मिलेंगे.

पटना में नहीं मुंबई में ही होगा सुशांत सिंह राजपूत का अंतिम संस्कार, ये है वजह

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून को बांद्रा स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. एक रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत सिंह राजपूत का अंतिम संस्कार पटना में नहीं बल्कि मुंबई में ही किया जाएगा.

बहन चाहती थीं पटना में हो फ्यूनरल, इस वजह से लगी रोक

सुशांत की बहनें चाहती थी कि उनका अंतिम संस्कार पटना में हो. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मुंबई पुलिस ने अभिनेता के शव को मुंबई से पटना ले लाने की परमिशन पर रोक लगा दी. इस वजह से पटना की बजाय उनका अंतिम संस्कार मुंबई में होगा.

 

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😞 #sushantsinghrajput

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मुंबई पहुंचा परिवार…

सुशांत सिंह राजपूत की फैमिली अंतिम विदाई देने के लिए मुंबई पहुंच चुकी हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो अभिनेता का अंतिम संस्कार सोमवार को ही 3 बजे होने वाला है और उनके शव को कूपर अस्पताल में रखा गया है.

(फोटो क्रेडिट- मानव मंगलानी)

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अमेरिका में फंसी है एक बहन…

सुशांत सिंह राजपूत की एक बहन श्वेता सिंह कीर्ति, जो अमेरिका में रहती हैं. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए टिकट की व्यवस्था करने में मदद मांगी थी क्योंकि कोरोनवायरस वायरस के कारण यह अमेरिका से एकदम इंडिया के लिए फ्लाइट मिलना थोड़ा मुश्किल था. श्वेता ने लिखा था कि, ‘मुझे जल्द से जल्द इंडिया जाना है…लेकिन मुझे फ्लाइट टिकट्स नहीं मिल रही हैं…कोई मेरी मदद करो और मुझे बताओ.’

बता दें कि अभिनेता के निधन की खबर सुनने के बाद पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री शॉक रह गई. अभिनेता के निधन की खबर पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है, खबरों की माने तो वो काफी लंबे समय  डिप्रेशन से जूझ रहे थे. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक अभिनेता के मौत का कारण फांसी का फंदा लगने की वजह से हुई है. हालांकि अभिनेता के ऑर्गन जे.जे. हॉस्पिटल में भेजे गए हैं, जिससे यह पता लगाया जा सकतें कि उनके शारीर में ड्रग्स और जहर तो नहीं है.

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Hyundai #AllRoundAura: राइड क्वालिटी भी है मजेदार

हुंडई Aura को एक सिटी कार की तरह डिज़ाइन किया गया है. यही वो पहलू है जहां इसका कॉम्पैक्ट रूप और आसान कंट्रोल उभर कर सामने आते हैं. शहर में ड्राइविंग का मतलब है गड्ढों वाली सड़कों से निपटना. हुंडई Aura का सस्पेंशन बड़े से बड़े गड्ढों के झटकों को भी सोख लेता हैजिस से आपको एक शानदार और आरामदायक राइड मिलती है.

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इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि हुंडई Aura यह सब बहुत ही कम बॉडी रोल के साथ कर लेती हैताकि आपको अंदर पूरा आराम मिले. इसके बाद भी आप चाहें तो Aura को खुल कर चला सकते हैं. #AllRoundAura.

पतन की ओर जाता अमेरिका

कभी सर्वशक्तिमान रहा अमेरिका अब पहले जैसा नहीं रहा. वह कोरोना महामारी से जंग हार चुका है. वह नस्लवाद के ख़िलाफ़ पूरे देश में जारी प्रदर्शनों के सामने नाकाम हो चुका है. हालत यह है कि अमेरिका एक पराजय पर कराह रहा होता है कि इसी बीच दूसरी पराजय उस पर सवार हो जाती है. अब तो नस्लवाद व दूसरी कई समस्याओं के कारण अमेरिका की अखंडता तक ख़तरे में पड़ गई है. यह कहना ग़लत नहीं होगा कि अमेरिका उस गड्ढे में जा गिरा है जो उस ने अब तक दूसरों के लिए खोदा था.

पसोपेश में दुनिया का दादा :

यह खुला सत्य है कि अमेरिका ने हमेशा ही साम्राज्यवाद से मुक़ाबले को प्राथमिकता दी है. लेकिन, आज अमेरिकी जनता ने अपने ही देश की सरकार के नस्लभेद होने के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प ले लिया है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सकते में आ गए हैं. उन्हीं की सरकार के रक्षा विभाग तक ने उन की मनमानी का साथ देने से इनकार कर दिया है. दुनिया के देशों का रवैया बदल रहा है. हर वह प्रतीक, जिस के ज़रिए अमेरिका अपनेआप को सुपरपावर बताता था व दुनिया के सामने अपना ग़लत चित्र पेश करता था, ढहता जा रहा है.

गौर हो कि अमेरिका अच्छीअच्छी बातों के माध्यम से अपना परिचय कराता था, लेकिन अमेरिकी समाज की पीड़ादायक वास्तविकताएं, जिन्हें दबा कर रखा गया था, अब सामने आती जा रही हैं. अमेरिका अपनेआप को आज़ादी और मानवाधिकार का केंद्र बताया करता था, लेकिन अब उस की हक़ीक़त सामने आ गई है और उस के सभी दावे खोखले सिद्ध हो रहे हैं.

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धर्म की धर्मांधता

दुनिया को धार्मिक स्वतंत्रता व मानवता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका के गर्त की ओर जाने में धर्म की भी भूमिका है. हालांकि, अमेरिका में कोई राजकीय धर्म नहीं है. जैसे, हमारा भारत संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष देश है और कोई राजकीय धर्म नहीं है. लेकिन, हमारे देश की राजनीति में राजनेता धर्म को खूब घसीटते हैं. कोई राजकीय धर्म न होने के बावजूद अमेरिका में भी राजनेता धर्म की आड़ ले कर अपने निकम्मेपन व अपनी करतूतों पर परदा डाल लेते हैं. ऐसे में राजनेताओं को देश की तरक्की की चिंता नहीं बल्कि धर्म आधारित वोटों की रहती है.

डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले चुनाव में वादा किया था कि वे जीते तो इसराईल को स्वतंत्र देश की मान्यता देंगे. दरअसल, इस के पीछे धर्म छिपा था. पूरे अमेरिका के सारे यहूदियों के वोट ही नहीं, बल्कि वहां रह रहे इसराईली मूल के 9 करोड़ इवैंजलिस्ट ईसाइयों के वोटों पर भी नजर थी. इवैंजलिस्ट्स को इवैंजलिकल्स भी कहा जाता है.

ईसाईबहुल अमेरिका में कैथोलिकों और प्रोटेस्टैंटों की तादाद सबसे ज्यादा है. कैथोलिक या रोमन कैथोलिक रोम के वैटिकन सिटी में रहने वाले पोप को अपना धर्माध्यक्ष मानते हैं, जबकि प्रोटेस्टैंट उन्हें ऐसा नहीं मानते. मंथन करने लायक यह है कि तीनों मुख्य शाखें – कैथोलिक, प्रोटेस्टैंट, इवैंजलिस्ट – अमेरिका में व अमेरिका से तकरीबन पूरी दुनिया में धर्म के नाम पर कट्टरपंथ की अपनीअपनी दुकानें चला रही हैं. इन्हें अपने देश की प्रगति से कोई लेनादेना नहीं है.

अमेरिकी ईसाई, भारतीयों की तरह, धर्मांधता के शिकार हैं. वे पोप, पादरी, फादर, नन, चर्च के चक्कर में फंसे हुए हैं. वहीं, यह किसी से छिपा नहीं है कि तकरीबन नहीं बल्कि सभी ईसाई धर्मगुरु अपने को सर्वश्रेष्ठ कहते हैं और दूसरे धर्मों के मानने वालों को ईसाई धर्म में शामिल कराने की फिराक में लगे रहते हैं. इस सब से देश की प्रोडक्टिविटी पर बुरा असर पड़ता है.

काले- गोरों ( श्वेत-अश्वेत) में नफरत फ़ैलाने में भी धर्मगुरु और भिन्नभिन्न पंथों के भिन्न चर्चों की अकसर भूमिका रहती है. वहीं, कैथोलिकों को प्रोटेस्टैंट फूटी आंख नहीं सुहाते, और प्रोटेस्टैंट भी कैथोलिकों को भाव नहीं देते. उधर, इवैंजलिस्ट इस अंधभीरुता में डूबे रहते हैं कि ईसा किसी भी पल अवतार लेने वाले हैं, सब चंगा हो जाएगा. यानी, कैथोलिकों, प्रोटेस्टैंटों और इवैंजलिस्टों की धर्मभीरुता के चलते भी अमेरिका भीतर से खोखला होता जा रहा है. अब वह पहले जैसा नहीं रहा.

तेवर कम नहीं :

इस बीच, अमेरिका को पतन की ओर ले जा रहे उस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खब्तीपन का एक और सुबूत देते हुए 13 जून को फौक्स न्यूज़ चैनल से बातचीत में अपनी पुलिस की बर्बरता का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि मुमकिन है कुछ हालात में पुलिस के लिए मुलजिमों के ख़िलाफ़ गरदन दबाने की शैली अपनानी ज़रूरी पड़ जाए.

हवा होती ताकत :

आज अमेरिका में जो कुछ हो रहा है वह वास्तव में उस के कमज़ोर होने का संकेत है. दुनिया के बहुत से देशों  में अमेरिका के पतन की ओर जाने की बात की जा रही है. एक विश्व नेता का कहना है कि अमेरिका आज 40 साल पहले की तुलना में बहुत ज्यादा कमज़ोर है.

यह तो सब के सामने है कि दूसरे देशों से अपनी बात मनवाने की अमेरिकी शक्ति इस समय बेहद कमज़ोर है, विशेषकर, वर्तमान राष्ट्रपति के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका की जनता ही नहीं, सरकारें भी, जैसे चीन, रूस, भारत, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका भी अमेरिकी फैसलों का खुल कर विरोध करती हैं. इस समय न केवल यह कि अमेरिका की शक्ति पतन  की ओर बढ़ रही है बल्कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति के विचित्र क़दमों की वजह से लिबरल डेमोक्रेसी का सम्मान खत्म भी हो गया है जो वास्तव में पश्चिमी सभ्यता की नींव है.

यही नहीं, सैन्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी अमेरिका की शक्ति का पतन हो रहा है. उस के पास सामरिक साधन हैं, लेकिन अपने सैनिकों में अवसाद, निराशा, बौखलाहट व असमंजस की वजह से अन्य देशों में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसे ‘ब्लैक वाटर’ जैसी संस्थाओं की मदद लेनी पड़ती है.

खिलाफ होते विश्व के देश :

अमेरिका में हालिया जो अशांति फैली है उस से यह सिद्ध हो गया कि अमेरिका मुर्दाबाद का ईरानी राष्ट्र का नारा अब केवल ईरान, इराक, फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान, यमन और वेनेज़ोएला की जनता का ही नारा नहीं है बल्कि अब दुनिया के मानवतापसंद हर देश व दुनिया के मानवतापसंद हर नागरिक का नारा हो गया है.

वास्तविकता यह भी है कि अमेरिकी सरकार अब  किसी भी देश में या किसी भी राष्ट्र के निकट अच्छी छवि नहीं रखती. अत्याचार, युद्ध, हथियारों के भंडारण, दूसरे राष्ट्रों पर वर्चस्व, धौंस, हर जगह  हस्तक्षेप की समर्थक अमेरिकी सरकार पूरी तरह बेनकाब और बदनाम हो गई है, यह भी इस के पतन की राह पर होने का एक संकेत है.

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विश्व पर नजर रखने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि  जिस तरह से प्रसिद्ध जहाज़ टाइटेनिक को उस का वैभव उसे डूबने से नहीं बचा पाया, उसी तरह सामने से दिखने वाला अमेरिकी वैभव भी उसे डूबने से नहीं रोक पाएगा.

दुनिया के बहुत से विशेषज्ञ वर्तमान हालात के मद्देनज़र अमेरिका के पतन की भविष्यवाणी कर रहे हैं. वहीं, ट्रंप की खब्ती बातें व उन की सरकार के विदेश मंत्री पोम्पियो की मूर्खता पतन की प्रक्रिया को और तेज़ कर रही हैं. अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ जो आग लगी है वह हो सकता है कुछ समय में बुझ जाए, लेकिन इस की चिनगारी सुलगती रहेगी, जिस में अमेरिका धीरेधीरे झुलसता रहेगा.

क्या सुशांत के Twitter कवर पिक का सुसाइड से है कोई कनेक्शन? जानें यहां

‘हम हार जीत, सक्सेस फेलियोर में इतना उलझ गए हैं कि जिंदगी जीना भूल गए हैं. जिंदगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा इंपॉर्टेन्ट है तो वो है खुद की जिंदगी’ ज़िन्दगी को जीने का अंदाज़ बताने वाला आज क्यूं इतना मजबूर था की वो खुद की ज़िन्दगी से हार गया.

एक और सितारा जाकर सितारों में मिल गया.शायद कभी कभी मौत ज़िन्दगी से आसान लगने लगती है. शायद ऐसा ही कुछ हुआ होगा सुशांत के साथ. ‘महेंद्र सिंह धोनी the untold story ’, ‘काई पो चे’, छिछोरे जैसी हिट फिल्मों के मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई में अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वे 34 साल के थे. सुशांत बॉलीवुड के बेहद लोकप्रिय एक्टर थे. वैसे तो अब तक सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की वज़ह साफ़ नहीं हुई है. लेकिन अभी तक डिप्रेशन को ही उनकी आत्महत्या की वजह माना जा रही है. लेकिन यह कितना सच है फिलहाल कहा नहीं जा सकता. लेकिन सुशांत की सोशल मीडिया प्रोफाइल से उनकी मौत का संबंध स्थापित किया जा रहा है.

ट्विटर पर कवर पिक का क्या है राज

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दरअसल सुशांत ने ट्विटर पर जो अपनी कवर पिक लगाई थी , वह मशहूर पेंटर ‘विंसेट वैन गॉग’ ने बनाई थी. ‘स्टारी नाइट’ नाम की इस पेंटिंग को विंसेट ने 1889 में डिप्रेशन के इलाज के दौरान बनाया था. विंसेट खुद डिप्रेशन से जूझ रहे थे. एक साल बाद 1890 में विंसेट ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. विंसेट खुद डिप्रेशन से जूझ रहे थे.

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अपनी मां को बहुत याद कर रहे थे सुशांत

सुशांत अपने सोशल मीडिया पर अक्सर कविताएं भी शेयर करते थे, मगर इस बार उन्होंने अपनी मां की याद में अपनी लिखी एक कविता शेयर की थी. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लास्ट पोस्ट अपनी मां के लिए डाला था, उस पोस्ट को देखकर ऐसा लगा की जैसे किसी वजह से उन्हें अपनी मां की याद आ रही हो. सुशांत ने अपनी और अपनी मां की फोटो का एक ब्लैक एंड व्हाइट कोलाज शेयर किया और उसके साथ कैप्शन में एक बेहद इमोशनल कविता भी लिखी थी.

सुशांत ने अपने पोस्ट में लिखा, ”आंसुओं से धुंधलाता अतीत धुंधलाता हुआ, मुस्कुराते हुए और एक क्षणभंगुर जीवन को संजोने वाले सपनों में, दोनों के बीच बातचीत #माँ”
सुशांत के इस पोस्ट पर इंडस्ट्री से उनके काफी दोस्तों ने कमेंट किया, जिसमें उनकी कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती भी शामिल थीं. यह पोस्ट उन्होंने 3 जून को किया. सुशांत 3 जून के बाद से नहीं दिखे. इसे बाद उनकी कोई पोस्ट नहीं आई.

बहन ने पिता को बताई सुसाइड की खबर

 

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Sunday💥 with some mild tennis 🎾 and some hardcore horror flicks ☠️ ❤️

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सुशांत सिंह राजपूत के पिता एमके सिंह पटना के राजीव नगर स्थित घर पर अकेले रहते हैं. सुशांत सिंह राजपूत की चार बहनें हैं, जिसमें से एक की मौत हो चुकी है. पटना स्थित घर की नौकरानी लक्ष्मी ने बताया कि बहन रूबी हाल ही में मुंबई गई थी और सुशांत के साथ ही रहती थीं. सुशांत की तबियत खराब होने के चलते ही बहन मुंबई शिफ्ट हुई थीं. बहन रूबी ने ही फोन करके पिता को बताया कि सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड कर लिया है. इकलौते बेटे की मौत की खबर सुनकर पिता कुछ बोल नहीं पा रहे हैं.

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डिप्रेशन के कारण की आत्महत्या!

दोस्तों का कहना है कि सुशांत पिछले काफी समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे. डिप्रेशन के क्या कारण थे इसकी अभी तक जानकारी नहीं है. सुशांत के दोस्तों ने बताया है कि पिछले काफी महीनों से वह डिप्रेशन में थे और 6 महीने से लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहने के बाद दवाएं भी ले रहे थे. इतना तो साफ है कि जब सुशांत ने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया है तो निश्चित तौर पर वह मानसिक रूप से काफी अशांत रहे होंगे. सुशांत जल्द ही मुकेश छाबड़ा की फिल्म ”दिल बेचारा” में नई एक्ट्रेस संजना संघी के साथ नज़र आने वाले थे. ये हॉलीवुड फिल्म फॉल्ट इन आवर स्टार्स की ऑफिशियल रीमेक है.

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