#coronavirus: Work From Home का लड्डू

कल रात औफ़िस से ‘वर्क फ़्रौम होम’ का  मेल मिला तो खुशी से मेरा दिल यूं बाग-बाग हो गया, मानो सुबह दफ़्तर जाते हुए मैट्रो में चढ़ते ही खाली सीट मिल गयी हो. एक तो पिछले कुछ दिनों से धर्मपत्नी, दिव्या का कोरोना पर कर्णभेदी भाषण और फिर हाल-चाल पूछने के बहाने मेरे औफ़िस पहुंचने से पहले ही लगातार कौल करने का नया ड्रामा ! उस पर आलम यह कि मुझे हल्की सी खांसी हुई नहीं कि क्वारंटिन का हवाला दे मेरी सांसों को अटका देना ! मेरी हालत किसी बौलीवुड हीरोइन की ज़ीरो फ़िगर से भी पतली हो गयी थी. वैसे वर्क फ़्रौम होम मेरे लिए भी उस गुलाबजामुन की तरह था, जिसे किसी दूसरे की प्लेट में देखकर मैं हमेशा लार टपकाता रहता था. इस और्डर से मेरे भीतर की प्रसन्नता उछल-उछल कर बाहर आ रही थी.

सुबह की बैड-टी के बाद आज के काम पर विचार कर ही रहा था कि “प्लीज़ आज ब्रैकफ़ास्ट आप बनाओ न!” कहते हुए दिव्या ने मधुर मुस्कान के साथ एक फ्लाइंग किस मेरी ओर उछाल दिया. यह बात अलग है कि मुझे वह चुम्मा ज़हर बुझे तीर सा लगा और घनी पीड़ा देता हुआ सीने में चुभ गया. अच्छा बहाना कि रोज़ एक वर्षीय बेटे नोनू की नींद टूट जाने के डर से पांच मिनट में नहाकर आ जाती हूं, आज फुल बौडी एक्सफोलिएशन करते हुए नहाऊंगी तो कम से कम आधा घंटा तो लग ही जायेगा.

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औफ़िस में बौस के आगे सिर झुकाने की आदत का लाभ हुआ और मैं बिना किसी ना-नुकुर के नाश्ता बनाने को राज़ी हो गया. मैंने औफ़िस में हर काम शोर्टकट में निपटा डालने वाला अपना दिमाग यहां भी लगाया और कम से कम परिश्रम और समय में तैयार रेसिपीज़ खोजने के लिए इंटरनैट खंगालना शुरू कर दिया. मेरी मेहनत रंग ले ही आयी और पोहा बनाने की विधि देख मेरी आंखें ऐसे चमक उठीं जैसे किसी छात्र के प्रश्न-पत्र में वही प्रश्न आये हों, जिसकी चिट बनाते हुए उसने पूरी रात नैनों में काट दी हो.

नाश्ते के बाद लैपटौप लेकर दूसरे कमरे में बैठा ही था कि मेरे बौस का फ़ोन आ गया. आवाज़ सुन दिव्या उस कमरे में चली आई और कुछ देर वहां ठहरने के बाद माथे पर त्योरियां चढ़ा मुझे घूरती हुई वापिस निकल ली. ढेर सारा काम देकर बौस ने फ़ोन काट दिया. मुझे मदद के लिए अपने असिस्टेंट को फ़ोन करना था. बेग़म डिस्टर्ब न हों इसलिए मैंने दरवाज़े को आधा बंद कर दिया, लेकिन वह भी अपने कान मेरे कमरे में लगाये थी. फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा खोल भीतर झांकती हुई बोली, “काम कर लो न ! क्यों गप्पें मारकर अपना समय ख़राब कर रहे हो?”

“अरे, काम की ही बात कर रहा हूं.” मोबाइल को अपने मुंह से दूर करते हुए मैं बोला.

तिरछी नज़रों से मेरी और देखते हुए अपनी हथेली मुंह पर रख खी-खी करती हुई वह कमरे से चली गयी. उसकी भाव-भंगिमाएं कह रही थीं कि ‘आज पता लगा आप औफ़िस में भी कुछ काम नहीं करते !’

फ़ोन पर असिस्टेंट को काम समझाते हुए अपना दिमाग आधा खाली करवाने के बाद मैं लैपटौप में खो गया. दोपहर हुई और पेट में चूहे मटरगश्ती करने लगे. दिव्या को पुकारा तो वह गोदी में नोनू को लिए अन्दर घुसी. न जाने क्यों नोनू मुझे देख ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा. मैंने पुचकारते हुए अपने हाथ उसकी और बढ़ाये तो दिव्या बोल उठी, “आपको इस समय घर पर देख नोनू डर गया है.”

“क्यों सन्डे को भी तो होता हूं घर पर.”

“इस समय आप कुछ ज़्यादा ही टैंशन में हो, शक्ल तो बिल्कुल ऐसी लग रही है जैसे डेली सोप की किसी संस्कारी बहू की सास के चिल्लाने पर हो जाती है. ऐसा करो, या तो लंच आप तैयार करो या फिर मैं जब तक खाना बनाती हूं आप नोनू के खिलौनों में से किसी कार्टून करैक्टर का मास्क लेकर लगा लो. तभी खुश होकर खेलेगा यह आपके साथ !”

मरता क्या न करता ! दौड़कर बैडरूम में गया और दरवाज़े के पीछे लगे खूंटों से शिनचैन का मास्क उतराकर चेहरे पर लगा लिया.

खाना खाकर जितनी देर दिव्या किचन समेटती रही मैं मास्क पहनकर शिनचैन की आवाज़ में नोनू को हंसाता रहा. नोनू को मैंने अपने असली चेहरे की ओर इतने अपनेपन से ताकते हुए कभी नहीं देखा था. उसकी खिलखिलाहट देख जी चाह रहा था कि अब से मैं शिनचैनी पापा ही बनकर रहूं.

घड़ी की सुई तीन पर आने ही वाली थी. याद आया कि मैनेजर ने वीडियो-कौनफ्रैंस रखी थी, जिसमें मुझे अपनी प्रेज़ेन्टेशन दिखानी थी. किचन में जाकर नोनू को दिव्या की गोद में दे मैं हांफते हुए कमरे में आ गया और लैपटौप खोल मीटिंग के लिए लौग-इन कर लिया. मैनेजर और बाकी दो साथी पहले ही आ चुके थे. मेरे जौइन करते ही सब ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे. ‘यह औफ़िस की मीटिंग है या लौफ्टर क्लब की?’ सोचकर सिर खुजलाते हुए हंसी के इस सैशन में मैं उनका साथ देने ही वाला था कि मैनेजर बोल पड़ा, “राहुल, बाज़ार से मास्क खरीद लाते. वैसे घर में रहते हुए मास्क लगाना इतना ज़रूरी भी नहीं कि तुम शिनचैन का मास्क लगाकर बैठ गये!” सब लोगों का मुझ पर हंसना जारी था. पूरी मीटिंग में मैं खिसियानी सूरत लेकर बैठा रहा.

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मीटिंग ख़त्म होने पर आते-जाते बैडरूम में झांक बैड को ललचाई दृष्टि से देखता रहा, लेकिन मजाल कि दो घड़ी भी चैन से लेटने को मिले हों.

रात को सोते हुए जहां रोज़ अगले दिन की प्रेज़ेन्टेशन के विषय में सोचा करता था, आज सोच रहा हूं कि कल नाश्ते में क्या बनाऊंगा? यह वर्क फ़्रौम होम का लड्डू भी शादी जैसा ही है, जिसने खाया वह भी पछताया और नहीं खाने वाले को इसने ख़ूब तरसाया !

#coronavirus: प्रेग्नेंट महिला का रखें खास ख्याल

कोरोनावायरस को लेकर सुझाव और सावधानी की बातें रोज अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियों में है, लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को कोविड-19 के इन्फेक्शन के बारें में अभी तक कुछ सावधानी नहीं बताया गया है, हालांकि हेल्थ केयर सेंटर्स इस बारें में अधिक से अधिक जानकारी हमेशा देती है ताकि मोर्बिडीटीकी रेट कम हो. ये सही है कि स्वस्थ बच्चे के लिए स्वस्थ माँ का होना बहुत जरुरी है, ताकि किसी भी प्रकार की इन्फेक्शन नवजात बच्चे और माँ को न पहुंचे.

इस बारें में पुणे की मदरहुड हॉस्पिटल की स्त्री एवम् प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश्वरी पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में कुछ बातें हमेशा याद रखने की जरुरत होती है, ताकिमाँ एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें. क्याप्रेग्नेंट महिला को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है? पूछे जाने पर डॉ. पवार कहती है कि प्रेगनेंसी में एक महिला की इम्युनिटी कम हो जाती है, इसलिए उनके लिए खास ध्यान देने की जरुरत घर पर रहकर करने की होती है, ताकि किसी भी प्रकार से वह संक्रमित न हो.इसके लिए उचित खान-पान, साफ-सफाई आदि की जरुरत पड़ती है. जब तक बच्चा गर्भ में रहता है,उसे किसी प्रकार के वायरस एटैक नहीं कर सकते. जन्म के बाद ही उसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होता है.

चीन से प्रसारित मेडिकल लिटरेचर में ये देखा गया है कि जिस प्रेग्नेंट महिला का कोविड-19 ब्लड टेस्ट पॉजिटिव था, उनकेएम्नियोटिक फ्लूइडमें कोविड -19 पॉजिटिव नहीं था, इसके अलावा बेबी के जन्म के बाद भी उनके थ्रोट स्वाब भीनिगेटिव था.

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ये सही है कि प्रेग्नेंट महिला अपनी देखभाल अच्छी तरह से करती है, इसलिए उनकी संख्या बाकियों से कम मिली.रिपोर्टेड केस के बारें में पूछने पर डॉ. पवार आगे कहती है कि लिटरेचर में मिली जानकारी के अनुसार केवल एक महिला ही कोरोना की पोजिटिव चीन में पायी गयी, जिसकोसीवियर रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स 30 सप्ताह की प्रेगनेंसी में देखने को मिली और उन्हें वेंटिलेशन पर रखना पड़ा. ऐसे में सीजेरियन सेक्शन से बच्चे और माँ को बचा लिया गया.

क्या प्रेग्नेंट महिला में कोरोना के लक्षण अलग होते है? पूछे जाने पर डॉक्टर कहती है कि ऐसा कुछ अलग लक्षण उनमें नहीं होता. वैसे ही कफ,फीवर सांस लेने में तकलीफ होती है. सीवियर होने पर निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर और अंत में वेंटिलेशन की जरुरत पड़ती है. कोविड-19 की वजह से मिसकैरिज की कोई घटना अभी तक सामने नहीं आई है. इसके अलावा जन्मजात दोष कोई बच्चे में होगी या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है, क्योंकि ये वायरस नया है और अधिक रिसर्च इस पर हुआ नहीं है. अगर ये फिटस (fetus) याप्लेसेंटा(placenta) कोक्रॉसकरतीहैतोक्याहोगाअभीइसेबतानामुश्किलहै. ऐसे में आज के माहौल को देखते हुए कुछ सावधानियां प्रेग्नेंट महिलाओं को अवश्य रखने की जरुरत है,जो निम्न है,

  • अगर आप कही बाहर गए हो तो, अपने डॉक्टर की ऑब्जरवेशन में रहे,
  • खुद को 2 सप्ताह के लिए आइसोलेशन में रखें,अर्थात इस दौरान न तो किसी से मिले और न ही किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, किसी के साथ घुलने मिलने से बचे, अच्छी तरह से वेंटीलेटेड कमरे में रहे,किसी के साथ टॉवेल, साबुन, प्लेट्स, कप्स, स्पूंस आदि को किसी परिवार के सदस्यों के साथ शेयर न करें,
  • अर्जेंट मेडिकल केयर की अगर जरुरत पड़े, तो हॉस्पिटल में जाएँ और अपनी हिस्ट्री पूरी तरह से डॉक्टर को बताएं, ताकि अस्पताल आपका केयर अच्छी तरह से कर सकें,
  • अगर किसी भी प्रकार के जांच की सलाह डॉक्टर देती है, तो उसे जरुरत के अनुसार अवश्य करवाएं.

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#coronavirus: घर पर इन 7 बातों का भी रहें खयाल

कोरोना का कहर पूरे संसार पर ढह रहा है. लगभग हर देश इसकी चपेट में आ चुका है. लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हैं. क्या करें, इससे बचाव भी ज़रूरी है. भीड़ भरे इलाकों में नहीं जाना है, साफ सफाई का ध्यान रखना है और संक्रमण से बचना है. पर इन सारी बातों का असर हमारी जीवन शैली के साथ हमारी ज़िंदगियों पर भी पड़ रहा है क्यूंकी इन दिनों जो क्वारेंटाइन में रहना पड़ रहा है उसमें न केवल अपनी जरूरतों, चिंताओं और व्याकुलताओं का ध्यान रखना होगा बल्कि अपने साथी की भी जो आपके साथ एक ही घर में बंद रहने को विवश है. क्या होगा जब पति पत्नी या लिव-इन जोड़े एक घर में हर समय रहने को बाध्य हों? कैसी होगी वो स्थिति जब रात-दिन पति पत्नी एक दूसरे के सामने रहने को मजबूर हों? और याद रहे, ये कोई हनीमून  नहीं चल रहा. शोध से पता चलता है कि ऐसे हालात में लोगों को अमूमन हताशा, ऊब, एकाकीपन, गुस्सा व तनाव जैसी भावनाओं का सामना करना पड़ सकता है.

दुनिया भर में पति-पत्नी पर बने चुटकुलों की कमी नहीं है. सब जानते हैं कि भले ही ये रिश्ता जीवन भर का होता है पर फिर भी थोड़ा ब्रीदिंग स्पेस सबको चाहिए. इसलिए अच्छा रहता है कि पति सुबह ऑफिस जाए, पत्नी हाउसवाइफ हो या अपने ऑफिस जाती हो, और देर शाम ही दोनों की मुलाक़ात हो. इस तरह से दोनों को अपनी-अपनी अलग ज़िंदगी जीने को मिलती रहती है. फिर मिलने पर कई नई बातों का पिटारा भी होता है जो इस रिश्ते में एक फ्रेशनेस लाता है. पर कोरोना के चक्कर में ये ताज़ी हवा का झोंका भी बंद हो गया है. जिस जोड़ों के घरों में बच्चे हैं, वहाँ ध्यान बाँटने वाले और भी सदस्य हैं, पर जो जोड़े बिन बच्चों के हैं, वहाँ घरेलू सीन में एक-दूसरे के सिवा और है ही कौन.

1. रूटीन न बिगड़ने दें

जब हम सभी अपने घरों में रहने को बाध्य हैं तो ऐसे हालातों में आलसी बनकर हर काम को टालते न रहें. अपने रूटीन को बिगड़ने न दें. जैसे सुबह उठा करते थे, वैसे ही उठें. नहा कर तैयार हो जाएँ. फिर घर के कामों को निबटाएँ. और जब ऑफिस का टाइम हो तब वर्क फ्रोम होम के लिए एक निर्धारित जगह पर टेबल और चेयर लेकर बैठ जाएँ. ध्यान रखें, कोरोना के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था पर बेहद बुरा असर हो रहा है. अपना काम ईमानदारी से करते रहें.

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2. घर के कामों को आपस में बाँट लें

इस माहौल में सभी कामवालियों, ड्राइवरों, कार की सफाई करने वालों, खाना बनाने वालों को छुट्टी दे दी गयी है. लिहाज़ा सारे घर का काम अब हमें खुद ही करना है. तो ऐसे में अगर किसी एक पर काम का बोझ आन पड़ेगा तो उसका चिड़चिड़ा हो जाना स्वाभाविक है. ये नौबत न आए इसके लिए घर के कामों की एक सूची बनाएँ और अपनी क्षमता और रुचि के हिसाब से आपस में बाँट लें. मसलन, बर्तन पति धो दे तो झाड़ू-पोंछा पत्नी के हिस्से में आए. खाना पत्नी बनाए तो डस्टिंग और वॉशिंग मशीन का काम पति संभाल ले.

3. पास नहीं आना, दूर नहीं जाना

आज स्थिति कुछ ऐसी है कि न तो अधिक पास आ सकते हैं, और न ही बहुत दूर जा पा रहे हैं. एक ही घर में एक साथ बंद होने की वजह से युवा जोड़ों में एक दूसरे के प्रति शारीरिक आकर्षण उपजना स्वाभाविक है. जब युवा पति या जवान पत्नी सामने हो तो मन को काबू में रखना मुश्किल तो होगा ही. पर साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि कोरोना वाइरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे को पास होता है. इसलिए यदि करीब आयें तो फिर उसके बाद खुद की साफ-सफाई ज़रूर कर लें. नहा लें. वैसे अच्छा तो ये रहेगा कि शावर में ही आप दोनों एक दूसरे के करीब आने के मौके का फायदा उठाएँ – प्यार का प्यार और सफाई की सफाई!

लेकिन ज़रूरी नहीं है कि आसपास रहने से स्थिति केवल प्यार को जन्म दे. इसके दूसरे आयाम भी हो सकते हैं.

4. ओवर-एक्स्पोज़र का खतरा

हर समय साथ रहने से युवा जोड़ों में केवल प्यार नहीं होगा, बल्कि उनमें आपसी झगड़े बढ़ जाना तय है. इस बात की पुष्टि आँकड़े करते हैं जो बताते हैं कि चीन में कोरोना के चलते एक साथ रहने को मजबूर जोड़ों में तलाक की नौबत कितनी बढ़ गयी है. चीन के दक्षिण-पश्चिमी भाग सिशुआन में फरवरी 24 के बाद 300 से अधिक तलाक की अर्ज़ियाँ सामने आई हैं. दक्षिण चीन के फुजीआन प्रांत ने तो एक दिन में तलाक की केवल 10 अर्ज़ियों की सुनवाई तय की है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि युवा जोड़े ज़रूरत से अधिक समय एक दूसरे के साथ बिताने को बाध्य हैं. जब उन्हें घरों से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है तब ऐसे में वो एक-दूसरे के साथ रह-रहकर कितनी बार लड़ाई-झगड़े की स्थिति में पहुंच जाते हैं. और फिर अपने अहम में, क्रोधवश या ज़िद में आकर तलाक लेने चल देते हैं.

5. घर में रहकर भी डिस्टेन्स है पॉसिबल

सबको अपने लिए थोड़े निजी समय की चाहत होती है. अपनी स्पेस, अपना टाइम – मी टाइम. परन्तु हर वक्त साथ रहने से दोनों साथियों को एक-दूसरे की हर पल पीछा करती नज़रें मुश्किल में डाल सकती हैं. इससे डील करने के लिए आपको दोनों का समय और जगह बाँट लेनी चाहिए. अगर आप दोनों वर्किंग हैं तो अपने ऑफिस का काम करने के लिए अपनी टेबल चेयर कुछ इस तरह लगाएं कि हो सके तो दोनों अलग-अलग कमरों में बैठें, या कम से कम अलग-अलग कोनों में एक-दूसरे की तरफ पीठ करके बैठें. जब बीच में चाय या लंच ब्रेक लें तभी साथ बैठें. और वो भी दूसरे कमरे में या डाइनिंग टेबल पर बैठें. एक कमरे को ऑफिस की तरह रखें ताकि इस जगह आपका मन केवल काम में लगे. और जब ब्रेक लें तब एक दूसरे से ऑफिस कलीग, काम आदि की बातें करें. इसी बहाने आप साथ होते हुए भी एक-दूसरे से थोड़ा डिस्टेन्स रख पाएँगे और एक-दूसरे से बोर नहीं होंगे.

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6. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से

कितनी बार आपकी भावना कुछ और होगी किन्तु आपको उत्तेजित करने के कारण अलग होंगे. जैसे, आपको गुस्सा आया क्योंकि आपके पार्टनर ने अपने बर्तन नहीं धोए जबकि आप अभी-अभी सारा किचन साफ करके चुकी हैं. लेकिन आपके गुस्से का असली कारण है कि आपके पार्टनर ने आपकी तकलीफ और मेहनत की ओर ध्यान नहीं दिया. ऐसे में मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रियंका कहती हैं कि आपको अपने पार्टनर से बात करनी चाहिए और जो असली कारण है वो कह देना चाहिए.

जब आपको लगे कि आप दोनों में किसी बात पर बहस या झगड़ा होना वाला है तब कमरे से बाहर निकल जाएँ. उस समय आपको केवल एक विकर्षण की आवश्यकता है. कोई दूसरा काम करने लगें ताकि झगड़े के विषय से आपका ध्यान भटक सके. हर वक्त साथ रहने से हो सकता है कि आपको अपने पार्टनर में कुछ ज़्यादा ही कमियाँ नज़र आने लगें. लेकिन आपको अपना खयाल रखना है, पोसिटिव रहना है. आप अपने साथी के साथ बिताए अच्छे पलों, अच्छी यादों को याद करें. प्रयास करें कि आप उनमें केवल अच्छी बातें देखने की कोशिश करें. चाहे इसके लिए आपको उनकी कुछ तकलीफदेह आदतों को दरगुजर करना पड़े.

7. क्वारंटीन के लाभ

ऐसा नहीं है कि ये समय केवल मुश्किलों का है. इस समय को आप दोनों मिलकर सुनहरा समय बिताने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. अपने पार्टनर के साथ पसंदीदा किताबें पढ़ें, पुरानी फिल्में देखें, बोर्ड गेम खेलें, पेंट करें, साथ में एक्सरसाइज़ कर अपनी हेल्थ बनाए रखें… ये लिस्ट लंबी है! हाँ, लेकिन इतना ध्यान ज़रूर रखें कि एक-दूसरे में इतना भी न उतर जाएँ कि सामनेवाले को कोफ्त होने लगे. थोड़ा कनेक्षन बाहरी दुनिया से भी रखें. आप घर से बाहर नहीं निकल सकते तो क्या, वर्चुअल वर्ल्ड तो है. उसी के जरिये अपने दोस्तों, सहेलियों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से बातचीत कायम रखें. सोशल मीडिया पर भी थोड़ा समय बिताया जा सकता है.

#coronavirus: कोरोना से जंग के लिए हमारे उद्योगपतियों की जेब आखिर इतनी छोटी क्यों?

[@आनंद महिंद्रा….मैं अपने परिवार के साथ अपनी बालकनी पर रहूंगा और हम लोग पूरे 5 मिनट तक बिना रुके ताली बजाकर अपने नायाब नायकों की सराहना करेंगे- एक राष्ट्र, एक आवाज…] महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने 20 मार्च 2020 को यह ट्वीट तब किया था,जब 19 मार्च की शाम 8 बजे गहराते कोरोना संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार देश को संबोधित किया.लेकिन अपने इस ट्वीट के बाद आनंद महिंद्रा लोगों की तारीफ पाने की जगह काफी ट्रोल हो गए.लोगों ने न सिर्फ उन्हें ट्रोल किया बल्कि उनके बहाने तमाम दूसरे भारतीय उद्योगपतियों की भी जमकर खबर ली.नान्थमिंह नामक एक तमिल नाम वाले ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इटली के अरबपतियों ने जहां 28 मिलियन डॉलर का दान दिया है,वहीं भारत के उद्योगपति सिर्फ बालकनी से ताली बजायेंगे.’

यह उलाहना हिंदुस्तान में पैसेवालों के प्रति आम लोगों में अक्सर रहने वाली किसी जलन का नतीजाभर नहीं है.वास्तव में आनंद महिंद्रा के ट्वीट के बाद अगर बहुत सारे लोगों ने हिन्दुस्तान के उद्योगपतियों की कड़ी आलोचना करते ट्वीट किये तो इसके लिए कहीं न कहीं हमारे उद्योगपतियों का बेहद स्वार्थी चरित्र ही जिम्मेदार है.यह बात इसलिए भी बिना किसी पूर्वाग्रह के कही जा सकती है ; क्योंकि इस भयानक मानवीय आपदा से निपटने के लिए जहां दुनियाभर के उद्योगपतियों ने दिल खोलकर, आम लोगों और अपनी सरकारों की मदद की है,वहीं भारतीय उद्योगपतियों और सेलिब्रिटीज ने अभी तक तो महज ट्वीट करके अच्छी अच्छी बातों का ही योगदान दिया है.कुछ ने अगर थोड़ी बहुत आर्थिक मदद की बात की भी है तो वह अमूर्त किस्म की मदद है या भविष्य में हो सकने वाली मदद की बात है.

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मसलन ट्रोल होने के बाद आनंद महिंद्रा ने एक और ट्वीट करके बताया कि वह अगले कुछ महीनों तक अपनी हर महीने की पूरी तनख्वाह दान दे देंगे.गो कि महिंद्रा साब को करीब 6 करोड़ रूपये तनख्वाह के मिलते हैं,लेकिन तनख्वाह से मदद करने का मतलब है कि उनकी तीसरे महीने की तनख्वाह तो तीन महीने बाद आयेगी.मतलब यह कि देश उनकी मदद पाने के लिए इंतजार करे.जबकि विशेषज्ञ जो कुछ बता रहे हैं और चीन तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों का जो अनुभव रहा है उससे तो यही लगता है कि तब तक या तो देश इस महामारी से बच चुका होगा या खत्म हो चुका होगा.तब उस मदद का क्या फायदा होगा ? महीने की तनख्वाह के योगदान का मतलब यह भी है कि अब तक के अपने इकट्ठे धन से तो कुछ नहीं दूंगा,अगर इन बेहद खतरनाक परिस्थितियों में भी तनख्वाह आयी तो दे दूंगा.

क्या यह दिल से दी गयी कोई आत्मीय या देश के प्रति जिम्मेदारी महसूस की जाने वाली मदद होगी ? यह मदद तो कारपोरेट रणनीति का ही एक पेचीदा विस्तार लगती है.विदेशी उद्योगपतियों ने न तो मदद देने के लिए अपनी आने वाली तनख्वाहों का सहारा लिया और न ही यह कहा कि सरकार के लिए हम अपने फलां फलां उत्पादों का उत्पादन दिन-रात एक करके बढ़ा देंगे.चीनी उद्योगपति जैक मा ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए चीन में जो आँख मूंदकर मदद की वह तो की ही,उन्होंने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, लाओस, मालदीव, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के लोगों को इस संकट से निपटने के लिए 18 लाख मास्क, 2 लाख 10 हजार परीक्षण किट, 36 हजार बॉडी सूट  वेंटिलेटर और थर्मामीटर का दान किया है. जबकि हम सब जानते हैं कि भारत में 86,000 व्यक्तियों के पीछे भी एक अस्पताल बेड नहीं है.वेंटीलेटर की तो पूछिए ही नहीं. बावजूद इसके अभी तक कोई उद्योगपति आगे बढ़कर सामने नहीं आया कि हम यह करेंगे.

जहां दुनिया के दूसरे नंबर के सबसे बड़े उद्योगपति बिल गेट्स ने कोरोना  वायरस से निपटने के लिए वैश्विक अनुसंधान और उपचार में सहायता हेतु 10 करोड़ अमरीकी डॉलर की मदद दी है,वहीं भारत के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी ने अभी तक मदद का कोई स्पष्ट वायदा नहीं किया है.उन्होंने दोहरे अर्थ वाले एक जुमले का इस्तेमाल जरूर किया है,जिसके मुताबिक़ वह दिन रात एक करके मास्क का उत्पादन बढ़ाएंगे.लेकिन इस बढ़ाएंगे से कोई स्पष्ट मतलब नहीं निकलता कि बढाकर सरकार को बेंचेंगे या देश के आम लोगों के लिए मुफ्त में देंगे. जैसे कि दुनिया के दूसरे देशों के उद्योगपतियों ने किया है विशेषकर इटली,चीन,अमरीका,स्पेन,दक्षिण कोरिया और फ्रांस के उद्योगपतियों ने. अरमानी सहित 17 इतालवी अरबपतियों ने इस संकट की घड़ी से निपटने के लिए इटली सरकार को 28 मिलियन का दान दिया है.

जैक मा ने मास्क और टेस्ट किट के अलावा 14 मिलियन अमरीकी डॉलर नकद का योगदान भी दिया है ताकि कोरोना के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन विकसित की जा सके.सिर्फ अपने देश के लिए ही नहीं जैक मा ने तो 500,000 परीक्षण किट और एक मिलियन फेस मास्क अमेरिका भी भेजा है.वैसे बात यह भी है कि हम अकेले उद्योगपतियों की ही बात क्यों करें हमारे सेलेब्रिटीज ने भी तो अभी तक अपनी जेब ढीली नहीं की है.जबकि हमारे तमाम सेलेब्रिटीज दुनिया के सबसे रहीस सेलेब्रिटीज में से हैं. मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन को ही लें,साल 2018 में उन्होंने अपनी वसीयत का खुद खुलासा किया था,तब देश को पता चला था कि वह 1000 करोड़ रूपये से ज्यादा की सम्पत्ति के मालिक हैं.क्या ऐसी मानवीय त्रासदी के समय में वह 10-5 करोड़ रूपये की मदद करके अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते थे ? गौरतलब है कि पॉपस्टार रिहाना ने बारबोडास के लिए वेंटिलेटर की खरीद हेतु 14 लाख अमरीकी डॉलर की मदद दी है.

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इसी तरह नेटफ्लिक्स ने भी अमरीका को इस आपदा से निपटने के लिए 10 करोड़ अमरीकी डॉलर की मदद दी है.सवाल है क्या आदित्य चोपड़ा ने 2 करोड़ रूपये की भी मदद की घोषणा की है,जबकि उनके पास विरासत के रूप में एस चोपड़ा का जो साम्राज्य है, वह नेटफ्लिक्स से बहुत बड़ा बताया जा रहा है.यह वाकई हैरान करने वाली बात है कि जहां दुनिया के कुछ सबसे धनी लोग वैश्विककारण के चलते दुनिया की जिम्मेदारी भी बांटने के लिए तैयार हैं,वहीं उनके भारतीय समकक्षों ने तो कम से कम अब तक अपनी ऐतिहासिक  चुप्पी या कहें बहरेपन से ही दुनिया ध्यान अपनी तरफ खींचा है.

#coronavirus: Mohena Kumari Singh ने शेयर किया VIDEO, फैंस को दी ये सलाह

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस मोहेना सिंह शादी के बाद सुर्खियों में रहने लगी हैं. टीवी की दुनिया से दूर मोहेना अपनी शादीशुदा की जिंदगी को खुलकर एन्जौय कर रही हैं. वहीं दूसरी तरफ कोरोनावायरस से देश लौकडाउन के चलते मोहेना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं मोहेना की वायरल वीडियो…

मोहेना ने ब्लौग पर शेयर की फैंस के लिए वीडियो

सोशल मीडिया ब्लॉग के जरिए मोहेना कुमारी सिंह ने अपने फैंस के लिए एक वीडियो शेयर किया है. वीडियो के जरिए मोहिना कुमारी सिंह ने फैंस को बताया है कि आखिर कोरोनावायरस आउटब्रेक के चलते क्या करना है और क्या नहीं करना है?

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पहाड़ों के बीच वेकेशन मनाने पहुंची मोहेना

बता दें, मोहेना कुमारी सिंह (Mohena Kumari Singh) हाल ही में मसूरी की सैर पर निकलीं थीं. जहां मोहेना पहाड़ों के बीच पति संग फोटोज खिंचवाती हुई नजर आईं. वहीं वेकेशन के हर पल को कैद करते हुए मोहेना ने ट्रैवलिंग के दौरान भी कई वीडियो बनाई, जिसे उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया था.

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सिंपल लाइफ जी रही हैं मोहेना

रीवा की राजकुमारी मोहेना कुमारी सिंह (Mohena Kumari Singh) की शादी के लाइफ बेहद ही सिंपल हो गई है. वह पति और अपनी फैमिली संग अक्सर मस्ती करते हुए फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. इसी के साथ वह उत्तराखंड के हसीन वादियों में एक्सरसाइज और सेहत का ख्याल भी रखती हैं.

#coronavirus: क्या हवा में फैल रहा कोरोना वायरस है? जानें क्या है सच

कोरोना वायरस से जुड़ी कई अफवाहें इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही हैं, जिनके कारण लोगों में दहशत का माहौल बन रहा है. इस बीच सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही है कि, एक समय के बाद कोरोना वायरस, हवा के जरिये भी फैल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो दुनियाभर में भारी तबाही मचेगी. तो आपको बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानि WHO की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें who ने इस खबर का खंडन किया है.

बता दें कि, who ने हवा में कोरोना वायरस फैलने वाली अफवाह को पूरी तरह गलत बताया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया की प्रमुख डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि,कोरोना वायरस के अभी तक हवा में फैलने की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है. सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाह फैलने के बाद सिंह ने कहा,कि ज्यादातर कोविड-19, बीमार व्यक्ति के छींकने पर उससे निकलने वाली छोटी बूंदों और उसके नजदीकी संपर्क में आने से फैलता है.

अब आपको बता दें कि कोरोना वायरस से बचने के लिए क्या करना चाहिए-

बार-बार साबुन से हाथ धोने की आदत डालें या अल्कोहल युक्त सैनेटाइजर का उपयोग करें.

छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढकें.

फ्लू के लक्षण दिखने वाले व्यक्ति से एक मीटर की दूरी बनाए रखें.

खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ होने पर डौक्टर से संपर्क करें और अस्पताल में मास्क का प्रयोग करें.

दरअसल, चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस अब महामारी का रूप ले चुका है. जो कि अबतक 16 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. साथ ही दुनिया के 195 देशों के साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हैं. यह आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है. अगर बात करें भारत की तो,यहां अबतक मरीजों की संख्या बढ़कर 499 हो चुकी है, वहीं 10 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

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कायरा को अपनाने से इंकार करेगी दादी, कार्तिक-नायरा के सामने रखेंगी ये बड़ी शर्त

एक तरफ जहां देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते 21 दिन के लिए कर्फ्यू (Curfew) लग गया है तो वहीं सीरियल्स की दुनिया में नए-नए ट्विस्ट फैंस को एंटरटेन करने के लिए तैयार हैं. सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Ye Rishta Kya Kehlata Hai) में नायरा (Shivangi Joshi) और कार्तिक (Mohsin Khan) की जिंदगी में नई-नई मुसीबतें आ रही हैं. हाल ही में हमने आपको बताया था कि शो में जल्द ही कायरा की एंट्री होने वाली है. इसी बीच दादी का नया धमाका देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

बेटी कायरा के जिंदा होने की खबर से जगी कार्तिक की आस

सीरियल में एक तरफ जहां कार्तिक की दादी ने वंश को वापस ले जाने की कसम खा रखी है तो वहीं नायरा और कार्तिक को पता चल चुका है कि उनकी बेटी कायरा जिंदा है.

 

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Show is on break, kal se koi episode nhi ayega due to COVID-19. Stay safe at your home #yrkkh #kaira

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कायरव और कायरा में से एक को चुनने के लिए कहेगी दादी

 

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लेटेस्ट रिपोर्ट्स की मानें तो दादी को नायरा (Shivangi Joshi) और कार्तिक (Mohsin Khan) की बेटी कायरा के जिंदा होने की खबर मिलेगी तो वह चौंक जाएगी, जिसके बाद दादी तुरंत ही नायरा और कार्तिक को ये कहेंगी कि उन्हें कायरव और कायरा में से किसी एक को ही चुनना होगा. साथ ही दादी अपनी जिद पर अड़ जाएगी. दरअसल दादी के इस फैसले के पीछे की वजह ये है कि उन्हें लगता है कि कायरा किसी और का खून है, जिसके कारण वह कायरा को अपनाने से इंकार कर देगी.

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Kaira baby mil gayi but isme bhi koi Twist hoga #yrkkh #kaira

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बता दें, अपकमिंग एपिसोड में गोयनका हाउस में खुशी का माहौल भी देखने को मिलने वाला है. नायरा और कार्तिक पूरे परिवार के साथ मिलकर दादी के जन्मदिन को धूमधाम से सेलीब्रेट करने वाले है. इसी बीच दादी के जन्मदिन के सेलिब्रेशन के दिन कार्तिक को कायरा से जुड़ा बड़ा सुराग पता चलेगा. डिटेक्टिव दादी के जन्मदिन पर कार्तिक को फोन करेगा और उससे कहेगा कि उसे कायरा से जुड़ी कई बातें पता चली है. अब देखना ये है कि कायरव और कायरा में से किसे चुनेंगे नायरा-कार्तिक.

#coronavirus: अब कोरोना के बाद हंता वायरस की दस्तक से दहली दुनिया, जानें क्या है

कोरोना वायरस की दहशत और डर का साया हर समय हम सब के आसपास मंडरा रहा है. ऐसे में एक नए वायरस हंटावायरस की दस्तक ने लोगों में दहशत और बढ़ा दी . जैसे ही ग्लोबल न्यूज़ में यह समाचार दिया तब से सोशल मीडिया पर यह खबर खूब वायरल हो रही है. दहशत की एक वजह और है कारण यह वायरस भी चीन से ही सामने आया है.  इस खतरनाक वायरस के कारण चीन में अब तक एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.

जब से यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है तब से हंटा वायरस भी चर्चा का विषय बन गया है. इस वायरस की भी कोई दवा नहीं है.

डॉक्टर अभी इस वायरस के विषय में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक यह बीमारी यानी वायरस गिलहरी छोटे कीटों और चूहों से फैलता है.

कोरोना का कहर भी चीन से ही शुरू हुआ था और धीरे-धीरे पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ गई. इसी प्रकार हंटा का प्रकोप भी चीन से ही शुरू हआ है और इस वजह से पूरी दुनिया डरी हुई है.

सूत्रों के मुताबिक अगर यह वायरस चीन से बाहर निकला तो यह कोरोना से भी खतरनाक साबित हो सकता है.

अब तो हर आदमी के मुंह पर एक ही बात है कि चाइना को इस तरह के जीव जंतु और कीटाणुओं को खाना बंद करना पड़ेगा. वरना पूरी दुनिया इसी प्रकार खत्म हो जाएगी. कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया है कि चाइना को पूरी तरह से आइसोलेट कर देना चाहिए.भारत में तो पहले से ही स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू के वायरस हर साल अपना प्रकोप दिखाते थे. ऐसे में पहले क़रोना और अब हंटा वायरस. आइए बताते हैं कि हंटा वायरस क्या है और कैसे फैलता है

हंटा वायरस आखिर क्या बला है  ?

चूहों की वजह से फैलने वाला वायरस जोकि वायरस फैमिली का ही एक मेंबर है . बहुत सी खतरनाक बीमारियों को जन्म दे सकता है . जब किसी चूहे का मूत्र या मल या फिर लार किसी व्यक्ति के संपर्क में आती है ,तो यह वायरस फैलता है. मतलब कोरोना के जैसे यह भी हवा से नहीं फैलता और इसकी वजह से हंटा वायरस पलमोनरी सिंड्रोम (HPS)और इमो हेमोरेजिक फीवर विद रीनल सिंड्रोम(HFRS) होता है. कहना है सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवशन(CDC).

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हंटा वायरस के क्या है लक्षण?

सिर दर्द

पेट दर्द

सांस लेने में दिक्कत

बलगम

मांसपेशियों में दर्द

थकान

बुखार

ठंड लगना

उल्टी आना

जी मिचलाना

इलाज ना मिलने पर मृत्यु

38 % मॉरटैलिटी रेट

खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उपाय

चूहों की संख्या कम करें .घर से चूहों की आवाजाही बंद हो. ताकि कोई भी व्यक्ति उसके मल मूत्र या लार के संपर्क में ना सके. चूहों के बिल बंद करें.

यह वायरस भी प्लास्टिक के धातु पर काफी समय तक जीवित रहता है इसलिए ऐसे किसी प्रयोग से बचें और कचरा जमा करने या पानी इकट्ठा  करने से बचें.

घरों में लकड़ी या कबाड़ इकट्ठा ना होने दें क्योंकि चूहे इनमें अपना बिल बनाकर घुस जाते हैं.

यदि घर में या आसपास कोई चूहा मर गया हो तो दस्ताने पहनकर उस जगह को साफ करें और बाद में दस्ताने भी फेकने हाथों को अच्छी प्रकार से गर्म पानी में 20 सेकंड तक एंटीसेप्टिक साबुन से साफ करें.

घर के आस-पास के नालों या नालियों को ढके और डीडीटी पाउडर छिड़क कर रखें.

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#coronavirus: भारत ने निकाली पहली कोविड 19 टेस्ट किट, पढ़ें पूरी खबर

कोरोनावायरस के पूरे देश में फैलने से रोकने की दिशा में तुरंत जांच की सुविधा मुहैय्या करवाने के उद्देश्य से पुणे की फर्म माय लैब ने भारत में बनी पहलीकोविड 19 टेस्ट किट बनाने में सफलता हासिल की है, जिसे भारत सरकार की ऍफ़डीए/ सेंट्रल ड्रग्सस्टैण्डर्डकंट्रोलऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के तहत कमर्शियल एप्रूव्ड मिला है. ये अभी की टेस्ट किट से करीब एक चौथाई दाम में बाज़ार में उपलब्ध होगी. ये टेस्टिंग टाइम को 65 प्रतिशत कम कर देगी. इस बारें में ‘माय लैब’ के मेडिकल अफेयरडायरेक्टर डॉ. गौतम वानखेड़े का कहना है कि इस बीमारी की चुनौती को देखते हुए केवल6 महीने में इस टेस्ट किट को लाया गया है, क्योंकि अभी जो किट उपलब्ध है वह महंगे है और उसकी पर्याप्त मात्रा हमारे देश में नहीं है, ऐसे में अगर कम समय में जल्दी इस बीमारी की जांच कर लिया जाता है तो इसके संक्रमण से बचा जा सकता है और इलाज जल्दी होकर ठीक होने की भी संभावना बढ़ जाती है.

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इसके आगे डॉ. गौतम कहते है कि माय लैब पैथो डिटेक्ट कोविड 19 क्वालिटेटिव PCR किट,100 प्रतिशत सेंसिविटी और 100 प्रतिशत स्पेसिफिसिटी हैऔर इवैल्यूएशन आईसीएम्आर के तहत है. बेसिक क्वालिटी कंट्रोल चेक होने के बाद ये किटएक दिन में मुंबई और पूणे की सभी अस्पतालों में भेजना शुरू कर दिया जायेगा. इसकी उत्पादन की क्षमता को भी बढाकर दोगुनी कर दी जाएगी, ताकि सबकी जांच हो सकें. इस किट का काम आज से करीब ढाई महीने पहले शुरू किया गया था, इसमें पर्टिकुलर जीनपर टारगेट किया गया है, जिसकी वजह से वायरस शरीर में आया है, फिरइसमें कुछ बदलाव किये गएऔर wHO बर्लिन प्रोटोकॉल को फोलो किया गया. इसमें पूरी टीम 12 से 16 घंटे लगातार काम कियाहै. लैब में करीब 20 लोगों की इंटरनल टीम ने काम किया है.

इस किट में ब्लड या बलगम के द्वारा टेस्ट किया जा सकता है. इसका टर्न अराउंड टाइम ढाई से तीन घंटे का है और ये टेस्टिंग पीरियड है. इसमें पूरा प्रोसीजर हो जाता है और रिजल्ट सामने आ जाता है.  इसमें दो तरह के टेस्ट होते है, एक स्क्रीनिंग दूसरा कन्फर्मेशन. दोनों ही इस समय में पूरा हो सकता है. ये महंगा नहीं है औरअभी इसका दाम आज के किट के मूल्य का एक तिहाई या एक चौथाई रखने की उम्मीद है. धीरे-धीरे इसे और भी कम करने की कोशिश है. इंडियन मेडिकल रिसर्च ने भी इसकी जांच को सही माना है. लाल पैथोलॉजी, मेट्रोपोलिस, थाईरोकेयर आदि सभी दिल्ली और मुंबई के जांच करने वालेलैब्स को ये किट भेजा जा रहा है. हमें अप्रूवल की जरुरत थी जो आज मुझे मिला है और हम जल्दी से जल्दी इसे लोगों तक पहुंचाने में जुटे है. सभी टेस्ट के बाद इसे मार्किट में उतारा जायेगा. ये विश्व का सबसे सेंसीटिव किट है, जो वायरस के जेनिटिक मटेरियल को टारगेट करती है, उसे ढूंढती है. साथ ही थोड़े से इन्फेक्शन को पता लगाने में समर्थ होती है.

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इसे बनाना आसान नहीं था,क्योंकि शुरू में इसके सैंपल का मिलना कठिन था, क्योंकि यहां कोरोना के मरीज कम थे और एक्सेस भी नहीं था,ऐसे में हम लोगों ने सिंथेटिक RNA  का प्रयोग किया. फिर पूणे और मुंबई की कस्तूरबा हॉस्पिटल को दिया उन्होंने रिपोर्ट ड्रग्स अथोरिटी को दिया और ये किट बन पायी है. उम्मीद है इससे हमारे देश के नागरिकों को इस रोग से लड़ने की दिशा में बल मिलेगा.

पिंजरे वाली मुनिया: भाग-1

लेखक- उषा रानी 

मरा हुआ मन भी कभीकभी कुलबुलाने लगता है. आखिर मन ही तो है, सो पति के आने पर उन्होंने हिम्मत कर ही डाली.

‘‘आज चलिए ‘मन मंदिर’ में चल कर परिणीता देख आते हैं. नई ऐक्ट्रेस का लाजवाब काम है. अच्छी ‘रीमेक’ है. मैं ने टिकट मंगवा लिया है.’’

‘‘टिकट मंगवा लिया? यह तुम्हारा अच्छाखासा ठहरा हुआ दिमाग अचानक छलांगें क्यों लगाने लगता है? पता है न कि पिक्चर हाल की भीड़भाड़ में मेरा दम घुटता है. मंगा लो सीडी, देख लो. इतना बड़ा ‘प्लाज्मा स्क्रीन’ वाला टीवी किस लिए लिया है? हाल के परदे से कम है क्या? तुम भी न तरंग, अपने ‘मिडिल क्लास टेस्ट’ से ऊपर ही नहीं उठ पातीं.’’

वह चुप हो गईं. पति से बहस करना, उन की किसी बात को काटना तो उन्होंने सीखा ही नहीं है. बात चाहे कितनी भी कष्टकारी हो, वह चुप ही लगा जाती हैं. वैसे यह भी सही है कि जितनी सुखसुविधा, आराम का, मनोरंजन का हर साधन यहां उपलब्ध है, इस की तो वह कभी कल्पना कर ही नहीं सकती थीं.

वह स्वयं से कई बार पूछती हैं कि इतना सबकुछ पा कर भी वह प्रसन्न क्यों नहीं? तब उन का अंतर्मन चीत्कार कर उठता है.

‘तरंग, क्या जीवन जीने के लिए, खुश रहने के लिए शारीरिक सुख- सुविधाएं ही पर्याप्त हैं? क्या इनसान केवल एक शरीर है? तो फिर मनुष्य और पशुपक्षी में क्या अंतर हुआ? तुम तो स्वच्छंद विचरती चिडि़या से भी बदतर हो. पिंजरे वाली मुनिया में और तुम में अंतर क्या है? तुम भी तो अपना मुंह तभी खोलती हो जब कहा जाए. ठीक वही बोलती हो जो सिखाया गया हो, न एक शब्द कम, न एक शब्द अधिक.’

और अपने अंतर्मन की इस आवाज को सुन कर उन का मन हाहाकार कर उठा. लेकिन घर आने वाला हर मेहमान, रिश्तेदार उन की तारीफ करते नहीं थकता कि तरंग अपनी बातों में शहद घोल देती हैं, सब का मन मोह लेती हैं.’’

वह सोचने लगीं कि सब का मन वह मोह लेती है, तो कोई कभी उन का मन मोहने की कोशिश क्यों नहीं करता?

एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार की असाधारण लड़की. तीखे नाकनक्श, गोरा रंग, लंबा छरहरा शरीर. पढ़ने में जहीन, क्लास में हमेशा फर्स्ट. कभी पापा की सीमित आय में उसे सेंध नहीं लगानी पड़ी. फेलोशिप, स्कालरशिप, बुकग्रांट, बचपन से खुशमिजाज, हमेशा गुनगुनाती, लहराती, बलखाती लड़की को दादी कहतीं, ‘यह लड़की आखिर है क्या? कभी इसे रोते नहीं देखा, चोट लग जाए तो भी खिलखिला कर हंसना, दूसरों को हंसाना. इस का नाम तो तरंग होना चाहिए.’

और पापा ने सचमुच उन का नाम विजया से बदल कर तरंग कर दिया. वह ऐसी ही थीं. पूरी गंभीरता से पढ़ाई करते हुए गाने गुनगुनाना. चलतीं तो लगता दौड़ रही हैं, सीढि़यां उतरतीं तो लगता छलांगें लगा रही हैं. स्कूलकालिज में सब कहते, ‘तुम्हारा नाम बड़ा सोच कर रखा गया है. हमेशा तुम तरंग में ही रहती हो.’

और उस दिन उन की ननद कह रही थीं, ‘समझ में नहीं आता भाभी, आप का नाम आप के स्वभाव से एकदम उलटा क्यों रखा अंकलआंटी ने? आप इतनी शांत, दबीदबी और नाम तरंग.’

क्या कहतीं वह? कैसे कहतीं कि यहां, इस घर में आ कर तरंग ने हिलोरें लेना बंद कर दिया है.

बी.काम. के पहले साल में वह बहुत बीमार हो गई थीं. सब के मुंह यह सोच कर लटक गए थे कि तरंग का क्या हाल होगा, लेकिन वह सामान्य थीं बल्कि उन्होंने पापा को धीरज बंधाया, ‘पापा, क्या हो गया? यह सब तो चलता रहता है. मेरे पास 2 वर्ष हैं अभी तो, आप देखिएगा, गोल्ड मेडल मैं ही लूंगी.’

पापा आत्मविश्वास से ओतप्रोत उस नन्हे से चेहरे को निहारते ही रह गए थे. उन की बेटी थी ही अलग. उन्हें गर्व था उन पर. ड्रामा, डांस सब में आगे और पढ़ाई तो उन की मिल्कीयत, कालिज की शान थीं, प्रिंसिपल की जान थीं वह.

आई.आई.एम. कोलकाता के सालाना जलसे में स्टेज पर उर्वशी बनी तरंग सीधी सिद्धांत के दिल में उतर गईं. सारा अतापता ले कर सिद्धांत घर लौटे और रट लगा दी कि जीवनसंगिनी बनाएंगे तो उसी को.

मां ने समझाया, ‘देख बेटा, इतने साधारण परिवार की लड़की भला हमारे ऊंचे खानदान में कहां निभेगी? इन लोगों में ठहराव नहीं होता.’

जवाब जीभ पर था. ‘सब हो जाता है मां. आएगी तो हमारे तौरतरीकों में रम जाएगी. तेज लड़की है, बुद्धिमती है, सब सीख जाएगी.’

‘यह भी एक चिंता की ही बात है बेटा. इतनी पढ़ीलिखी, इतनी लायक है तो महत्त्वाकांक्षिणी भी होगी. आगे बढ़ने की, कुछ करने की ललक होगी. कहां टिक पाएगी हमारे घर में?’ पापा ने दबाव डालना चाहा.

‘पापा, आप भी…जब उसे घर बैठे सारा कुछ मिलेगा, हर सुखसुविधा उस के कदमों में होगी तो वह रानीमहारानी की गद्दी छोड़ कर भला चेरी बनने बाहर क्यों जाएगी?’

हर तर्क का जवाब हाजिर कर के सिद्धांत ने सब का मुंह ही बंद नहीं किया, उन्हें समझा भी दिया.

तरंग ब्याह कर आ गईं. तरंग के घर वालों की तो जैसे लाटरी खुल गई. भला कभी सपने में सोच सकते थे, बेटी के लिए ऐसा घर जुटाना तो दूर की बात थी. घर बैठे मांग कर ले गए लड़की.

तरंग भी बहुत खुश थी. सिद्धांत कद में उस के बराबर और जरा गोलमटोल हैं तो क्या हुआ. इतने बड़े ‘बिजनेस हाउस’ की वह अब मालकिन बन गई थीं.

मेहमानों के जाने, लोगों का आतिथ्य ग्रहण करने और मधुयामिनी से लौटते 2 महीने निकल गए. ऐसे खुशगवार दिन तो इसी तरह पंख लगा कर उड़ते हैं. माउंट टिटलस पर बर्फ के गोले एकदूसरे पर मारतेमरवाते स्विट्जरलैंड की सैर, तो कभी रोशनी से जगमगाते सुनहरे ‘एफिल टावर’ को निहारता पेरिस का कू्रज. वेनिस के जलपथ में अठखेलियां करते वे दोनों कब एकदूसरे के दिलों में ही नहीं शरीर में भी समा गए, पता ही नहीं चला. वे दो बदन एक जान बन चुके थे. ऐसे में कोई छोटीमोटी बात चुभी भी तो तरंग ने उसे गुलाब का कांटा समझ कर झटक दिया.

उस दिन पेरिस का मशहूर ‘लीडो शो’ देखने के लिए तरंग अपनी वह सुनहरी बेल वाली काली साड़ी ‘मैचिंग ज्वेलरी’ के साथ पहन कर इठलाती निकली तो सिद्धांत ने एकदम टोक दिया, ‘बदलो जा कर, यह क्या पहन लिया है? वह आसमानी रंग वाली शिफान पहनो, मोती वाले सेट के साथ.’

आगे पढ़ें- चुपचाप तरंग ने गुलाबी सिल्क पहन ली, लेकिन…

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