तकलीफ आनी है और आप उससे उन्हें बचा नहीं सकते – श्रुति सेठ

मॉडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री और वी जे श्रुति सेठ को पहचान टीवी शो ‘शरारत’ से मिली इसके बाद उन्होंने कई धारावाहिकों, फिल्मों और वेब सीरीज में काम किया है. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर फिल्में की और सफल रही. फिल्मों में कम दिखाई पड़ने को वह चूजी नहीं कहती, क्योंकिवह हमेशा कुछ न कुछ अलग काम करना पसंद करती है, इसलिए उन्हें जो भी काम रुचिपूर्ण लगा करती गयी. काम के दौरान उन्होंने फिल्म डायरेक्टर दानिश असलम से शादी की और एक बेटी अलीना की मां बनी. अभी उनकी वेब सीरीज मेंटलहुड रिलीज हो चुकी है, जिसे उसने एक सिंगल मदर की भूमिका निभाई है, हालाँकि उनकी बेटी अभी बहुत छोटी है, पर उन्हें इस भूमिका को करना चुनौतीपूर्ण लगा. इन दिनों श्रुति अपने घर पर पूरी तरह से लॉक डाउन है और अपने परिवार के साथ अच्छा समय गुजार रही है, पेश है, उनसे हुई बातचीत के कुछ खास अंश.

सवाल- इस वेब सीरीज की खास बात क्या रही? इसमें आपकी भूमिका क्या है?

इसकी कांसेप्ट बहुत अच्छी थी, साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में सभी माओं को अपने बच्चे की परवरिश में जो मुश्किलें आती है, उसे दिखने की कोशिश की गयी है, इसमेंउसका कैरियर, बच्चे, शादी को चलाना आदि सब कुछ दिखाया गया है.

इसमें मैं दीक्षा की भूमिका निभा रही हूं, जो सिंगल मदर है, जिसकाडिवोर्स होने वाला है और ये मां अपने बच्चे को हमेशा नैचुरोपैथी पर रखती है, जिसका मजाक आसपास के सभी लोग उठाते है. कई बार ये मां अपनी जिद पर अपने बच्चे की जिंदगी को खतरे में डाल देती है.

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सवाल- आज के माता-पिता अपने बच्चे को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते है, ऐसे में बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है, आपकी सोच इस बारें में क्या है? आप कैसी मां है?

मेरी बेटी साढ़े 5 साल की है और मैं जानती हूं कि आज के माता पिता चाहते है कि वे अपने बच्चे की परवरिश सबसे अच्छी तरह से दें. उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ वे देना नहीं चाहते, पर लाइफ में तकलीफ तो आनी है और आप उससे उन्हें बचा नहीं सकते. इसलिएपहले से अगर बच्चा इन तकलीफों को झेलना सीख लें, तो आगे उन्हें कोई समस्या नहीं आयेगी. हमेशा के लिए आप उनका साया बनकर उसके आसपास घूम फिर नहीं सकते. मैं भी घबराती हूं, जब मेरी बेटी को चोट लगती है, लेकिन मैं थोड़ी बहुत तकलीफों को खुद हैंडल करना उसे सीखाने की कोशिश करती हूं, क्योंकि मैं एक वर्किंग मदर हूं और हमेशा घर पर नहीं रह सकती. उसे अपने आप को मेनेज करना सीखना पड़ेगा और यही सीख सभी माता-पिता के लिए है. मुश्किल है पर करना जरुरी है.

 

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Have you watched #Mentalhood yet? All episodes streaming on @altbalaji & @zee5premium None of us realise the struggles of being a mother till you become one and still there’s so much to learn. We’ve all taken our mothers for granted, not valued(enough) the sacrifices they’ve made, the selfless love they have showered upon us. This show will give you a glimpse of what it’s like to be a mother. And I’m sure you’ll relate to it whether or not you’re a parent. And most of all you’ll really, really be very thankful for all that mothers do, to keep the world spinning. This is a thank you to my mom for helping me become who I am and for loving me even when I did some pretty hateful stuff. For not pushing me hard and yet motivating me. For assuaging my fears and anxiety. For always putting my needs and desires above her own. For supporting me when I became a mom and helping me go back to work by sharing the responsibility of raising my daughter. For always telling me that her love is the only unwavering force in my life. I can never return that kind of love to her but I hope I can pass it on to my little girl. P.S: No one will ever love you like your mother does. Tell me in the comments below what you love most about your mom and please give her a hug from me.

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सवाल- आपके माता-पिता आपको लेकर कितना प्रोटेक्टिव थे?

मैंने अपनी मां को बहुत परेशान किया है,पर इतना सही है कि सबसे अधिक करीबी रिश्ते वाले वही होते है, जिसे बच्चे अपना समझते है और जाने अनजाने में परेशान भी करते है. मेरे माता-पिता ने भी मुझे बहुत धैर्य के साथ बड़ा किया है और मैं हमेशा उनकी शुक्रगुजार रहूंगी.

सवाल- फिल्मों में कम दिखाई पड़ने की खास वजह क्या है? क्या आप चूजी है?

ये सही है कि मुझे फिल्म होने पर भी बेतुके रोल करना पसंद नहीं. अभी मैं टीवी और वेब सीरीज पर काफी व्यस्त हूं. आगे चलकर देखना है कि कुछ अच्छी भूमिका मुझे मिले और काम करूँ.

सवाल- आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है? क्या कोई मलाल रह गया है?

मैं अपनी जर्नी से बहुत संतुष्ट हूं. ये सही है कि हर कोई उम्मीद से अधिक पाने की इच्छा करता है. मैंने अब तक जो भी काम किया है, अपनी इच्छा से किया है. मेरे मुकाबले में दूसरे कलाकार जो अधिक  पोपुलर या अधिक अमीरहै,ऐसे में कई बार उन्हें देखकर लगता है कि काश उस समय मैं कई और शो कर लेती, तो अच्छा होता. उस बात की कभी- कभीमलाल होता है, पर मैंने खुद से सारे निर्णय अपने काम के लिए लिया है. बहुत कम लोगों को 20 साल का कैरियर मिलता है. साथ ही लोगों का प्यार भी मुझे बहुत मिल रहा है और ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है.

सवाल- आज की कहानियों में आये बदलाव को कैसे देखती है?

दर्शक आज के बदले है, उनकी रूचि और सोच बदली है, ऐसे में कहानियों का बदलाव सही है. वक्त के साथ कहानियों का बदलना जरुरी है. आज अच्छी कहानियां और अच्छे कंटेंट बन रही है,दर्शक देख रहे है. ये समय कलाकार, लेखक, निर्माता, निर्देशक के लिए अच्छा है. इससेहमें और अधिक प्रोत्साहन देने की जरुरत है, ताकि और नयी-नयी कहानियां दर्शकों तक पहुंचे.

सवाल- क्या अभिनय के अलावा कुछ और शौक रखती है ?

मैं जब कुछ नया देखती हूं तो लगता है कि ऐसी ही कुछ कहानियां हमारे देश में भी बनायीं जानी चाहिए. मसलन औरतों के बारें में कुछ अच्छी चीजे जो वे कर सकती है. घर पर बैठकर किचन पॉलिटिक्स से हटकर उन्हें आज अलग-अलग काम करने की आवशयकता है. इसके अलावा मैं अपने भाई और पति के साथ मिलकर कुछ प्रोड्यूस करने की इच्छा रखती हूं.

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सवाल- इस समय आप घर पर रहकर क्या कर रही है? क्या मेसेज देना चाहती है?

अभी कोरोना वायरस की वजह से हम सभी घर में कैद है और इस वायरस से हमें निकलना है. इसमें उन्हें साहस देने की जरुरत है, जो लोग दिन रात हमारी सुरक्षा में लगे है और काम कर रहे है. वे हमसे घरों में रहने के लिए कह रहे है और हम सबको इस बात को माननी है, ताकि इससे हमें जल्द से जल्द मुक्ति मिले. मैंइस समय घर का ख्याल रखना, बेटी के साथ खेलना,फिल्में और टीवी देखना, वर्कआउट करना आदि कर रही हूं.

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा: भाग-2

कनिष्क पूरा दिन इंतजार करता रहा. लेकिन उस लड़की ने रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं की. आखिर उसे खुद को रोका नहीं गया और उस ने उसे मैसेज कर दिया, ‘हाय, आई एम कनिष्क. मैं ने तुम्हें मैट्रो में देखा था, आज तुम मेरे बगल में आ कर बैठी भी थीं. मैं तुम से बात करना चाहता था. और हां, मैं ने तुम्हारी कुछ तसवीरें भी ली थीं, तुम इतनी सुंदर लग रही थीं कि

मैं खुद को रोक नहीं पाया,’ कनिष्क ने इतना लिखा और तसवीरें उस लड़की को भेज दीं.

5 मिनट बाद ही उधर से रिप्लाई आ गया, ‘हाय, ये तसवीरें बहुत खूबसूरत हैं, थैंक्यू.’ कनिष्क तो मानो रिप्लाई देख कर उछल पड़ा. उस ने लिखा, ‘ओह वेल, आई एम ग्लैड. बाई द वे तुम्हारा नाम क्या है?’

‘रीतिका,’ रिप्लाई आया.

‘तुम्हारा नाम भी तुम्हारी तरह ही खूबसूरत है,’ कनिष्क ने लिखा और उस की मुसकराहट मानो जाने का नाम ही नहीं ले रही थी.

‘हाहाहा, इतनी तारीफ?’

‘तुम हो ही तारीफ के काबिल, वैसे मेरा नाम कनिष्क है. मैं हंसराज कालेज का स्टूडैंट हूं, और तुम?’

‘गार्गी कालेज, सैकंड ईयर बीकौम,’ रीतिका ने उधर से लिखा.

‘ओहह, इंप्रैसिव.’

‘थैंक्स.’

कनिष्क सोच में पड़ गया कि अब क्या लिखे. उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि अब आगे क्या कहे सो, वह पूछ उठा, ‘तुम ने अपना यूजरनेम टोस्का क्यों रखा?’

‘मुझे इस का अर्थ पसंद है, मैं खुद को इस शब्द से कनैक्ट कर पाती हूं.’

‘मैं ने इस शब्द को गूगल किया था. यह रूसी शब्द है जिस का अर्थ है अनंत दुख, दर्द, पीड़ा. आखिर इतने दुखी शब्द से तुम कनैक्ट कैसे कर लेती हो?’

‘बस, कर लेती हूं, कोई विशेष कारण नहीं है इस के पीछे.’

‘अच्छा, तुम्हें किताबें पढ़ना भी पसंद है न?’

‘हां, बेहद.’

‘अच्छा सुनो?’ कनिष्क ने लिखा.

‘कहो,’ रीतिका ने कहा.

‘तुम ने अब तक मेरी रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं की है, मैं तुम्हारी प्रोफाइल नहीं देख पा रहा हूं.’

‘हां, नैटवर्क में कुछ प्रौब्लम है शायद. नैटवर्क ठीक होते ही एक्सैप्ट कर लूंगी.’

‘ओह, कोई बात नहीं. वैसे एक बात कहूं?’

‘कहो.’

‘तुम्हें देखते ही तुम पर क्रश आ गया था मुझे,’ कनिष्क खुद को कहने से रोक नहीं पाया.

‘सचमुच?’

‘हां, सच. तुम ने तो मुझे बिलकुल नोटिस नहीं किया था वैसे.’

‘ऐसा तो कुछ नहीं है. तुम अपना फोन हाथ में ले कर बैठे थे, बारबार मेरी तरफ देख रहे थे. तुम ने ग्रीन शर्ट पहनी थी चैक वाली. ब्लैक स्पोर्ट्स शूज और ब्लू जींस. मैं तुम्हारे बगल में आ कर बैठी थी तो तुम्हारे चेहरे पर मुसकान आ गई थी.’

रीतिका का मैसेज देख कर कनिष्क सातवें आसमान पर पहुंच गया. वे दोनों रातभर एकदूसरे से बातें करते रहे. कौन सा गाना पसंद है, खाने में क्या पसंद है, कालेज की ऐक्टिविटीज, दोस्तयार. लगभग हर टौपिक पर दोनों बातें करते रहे. देखतेदेखते कब सुबह के 4 बज गए, दोनों को पता ही नहीं चला.

‘वैसे किताबें किस तरह की पढ़ती हो तुम, फिक्शन या नौनफिक्शन?’

‘दोनों ही, लेकिन मुझे फिक्शन ज्यादा पसंद है.’

‘ऐसा क्यों? हकीकत से बेहतर कल्पनाएं लगती हैं तुम्हें?’

‘हकीकत मुझे डराती है.’

‘अच्छा, फिर बीकौम क्यों ली तुम ने? उस में तो सब हकीकत ही है, कुछ कल्पना नहीं है.’ कनिष्क ने चुटकी लेने के अंदाज में पूछा.

‘हाहा, टौपर थी मैं स्कूल में और फर्स्ट सैमेस्टर की भी.’

‘तुम तो समझदार भी हो मतलब.’

‘वो तो मैं हूं.’

‘कल मिलोगी?’ कनिष्क ने मैसेज किया. उधर से मैसेज का जवाब आया, ‘सुबह

8:55, सुभाष नगर मैट्रो स्टेशन.’

‘मिलते हैं,’ आखिरी मैसेज में कनिष्क ने छोटा सा दिल भी भेज दिया और उधर से भी रिप्लाई में दिल आया तो उस की खुशी और बढ़ गई.

अगली सुबह कनिष्क 8:40 पर ही मैट्रो पर पहुंच गया. वह इंतजार में था कि कब रीतिका आए और वह उस का चेहरा देखे, उस से हाथ मिलाए, बातें करे. उस ने सुबह से अब तक रीतिका को कोई मैसेज नहीं भेजा. उसे लगा, कहीं वह ज्यादा उत्सुकता दिखाएगा तो रीतिका उसे डैसप्रेट न समझने लगे. वह मैट्रो में नवादा से चढ़ा था और लगभग 5 मिनट में ही सुभाष नगर पहुंच गया था. वह सुभाष नगर मैट्रो स्टेशन के प्लैटफौर्म पर रखी बैंच पर बैठ गया. उस की नजरें बारबार रीतिका के इंतजार में दाईं ओर मुड़ रही थीं.

वह सोच रहा था कि रीतिका से क्या कहेगा, हाय कैसी हो, नहीं यह नहीं. हाय यू लुक ब्यूटीफुल, नहीं यह तो बड़ा फ्लर्टी साउंड कर रहा है. हैलो, आज तो तुम कल से भी ज्यादा सुंदर लग रही हो, हां परफैक्ट, कनिष्क सब सोच ही रहा था कि एक लड़की उस के सामने आ कर रुक गई. वह समझ गया कि यह रीतिका है. आज उस ने पीला टौप पहना हुआ था, बाल खोले हुए थे और चेहरे पर अब भी मास्क था. रीतिका की आंखें खुशी से चमचमाती हुई दिख रही थीं. कनिष्क की आंखों में उस से मिलने की ललक साफसाफ झलक रही थी.

‘‘हाय,’’ रीतिका ने कहा और हाथ आगे बढ़ाया.

‘‘हैलो,’’ कनिष्क ने कहते हुए हाथ मिलाया. वह कुछ और कह पाता उस से पहले ही रीतिका ने अपना मास्क उतारना शुरू कर दिया. कनिष्क का चेहरा अचानक पीला पड़ गया. वह रीतिका का चेहरा देख कर दंग रह गया. रीतिका के होंठों का आकार बिगड़ा हुआ था, वे कटेफटे हुए लग रहे थे. ऐसा लग रहा था मानो कोई हादसा हुआ हो उस के साथ. उस की सारी खूबसूरती उस के होंठों की बदसूरती से धरी की धरी रह गई. कनिष्क की आंखें फटी हुई थीं. कुछ कहने के लिए जैसे उस की जबान पर ताले पड़ गए थे.

रीतिका शायद समझ चुकी थी कनिष्क के मन का हाल. उस ने कहा, ‘‘ओह, मैं अपने नोट्स घर भूल गई हूं आज सबमिट करने थे कालेज में. मैं तुम से बाद में मिलती हूं, तुम जाओ कालेज के लिए लेट हो जाओगे वरना,’’ रीतिका ने बनावटी मुसकराहट के साथ कहा.

कनिष्क ने ओके कहा और मैट्रो उस के सामने आ कर रुकी ही थी कि वह उस में चढ़ गया. पूरे रास्ते वह सोचता रहा कि अब क्या करे. अब उसे रीतिका की खूबसूरती नजर नहीं आ रही थी बल्कि उस के चेहरे का वह दाग बारबार उस की आंखों के सामने आ रहा था. उस ने फोन चैक किया तो रीतिका उस की फौलो रिक्वैस्ट एक्सैप्ट कर चुकी थी. उस ने उस की प्रोफाइल देखी तो एक बार फिर उस के होंठों की जगह मांस के लोथड़े को देख उस का मन खीझ उठा.

आगे पढ़ें- वह कालेज पहुंचा और अपनी…

#coronavirus: कोरोना से घातक है अंधविश्वास का वायरस

पूरा विश्व करोना नाम की महामारी से जूझ रहा है और हम अपने को आधुनिक मानने वाले लोग आज भी अंधविश्वास को छोड़ नहीं पा रहे. कहने को यह 21वीं सदी का वैज्ञानिक दौर है लेकिन सोच अभी भी कुछ लोगों की वही पुरानी और दकियानूसी.

उदाहरण 1

मध्य प्रदेश के जिला भिंड को ही लीजिए. यहां लोग आजकल रात के समय अपने घर के बाहर यमदीप चला रहे हैं और तर्क यह है कि इस दीपक से यमराज प्रसन्न होंगे और मृत्यु उन लोगों से दूर रहेगी. साथ ही अगर घर में कोई रामचरितमानस है व उसके किसी पन्ने पर कोई बाल मिलता है .तो उसे पानी में घोलकर पीने से करोना महामारी से बचे रहेंगे.सबसे हैरानी की बात यह है कि बे पढ़े लिखे तो दूर ,पढ़े लिखे लोग भी यह सब टोटके अपना रहे हैं.

उदाहरण 2

बांकेगंज, गुलरिया और तिकुनियां कस्बे में दो दिन पहले रात को नौ बजे अधिकांश महिलाओं ने नलों से बाल्टियों में पानी भरना शुरू कर दिया. और फिर मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं में यह पानी लौटा .जिस महिला की जितनी संतान थी उसके हिसाब से बाल्टियां भरी. फिर वापिस आकर घरों की देहरी पर दिए जलाए.ताकि उनका घर पति और संतान महामारी से बचे रहें.

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उदाहरण 3

वहीं  कल सुबह बांकेगंज इलाके के कुछ गांवों में सभी औरतों ने मसाला पीसने वाली सिल के बीचोबीच गाय का गोबर रखकर ,इस भारी सिल को सिर पर रखकर पूरे गांव का चक्कर लगाया. उनका मानना था तरह की पूजा से उनके इष्ट प्रसन्न हो जाएंगे और गांव में महामारी कदम नहीं रखेगी.

उदाहरण 4

गुलरिया नामक गांव में तो महिलाएं सब लोगों से दस दस रुपये इकट्ठा करती दिखी. जिसके पीछे उद्देश्य था दूसरे के रुपए से हरी चूड़ियां खरीद कर पहनना. ताकि उनकी संताने जीवित रह सके.

उदाहरण 5

अभी हाल में ही एक हिंदी मूवी आई थी स्त्री .उसी की नकल करते हुए , आजकल काशी की गलियों में ‘ओ कोरोना कल आना’ के पोस्टर लगाए गये हैं.

उदाहरण 6

जमीयत उलेमा हिंद मेरठ ,के शहर काजी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सब लोग पाँच समय नमाज करें. और अल्लाह से रो-रोकर दुआ मांगे . उनके अनुसार दुनिया में लोग जब  अल्लाह की ना फरमानी करते हैं तभी ऐसे प्रकोप होते हैं.

उदाहरण 7

इन दिनों ईरान, तेहरान, चीन, में हर रोज हालात बद से बदतर हो रहे हैं और ऐसे में लोग धार्मिक स्थलों का दरवाजा चाट रहे हैं .ताकि कोरोना का प्रकोप उन पर असर ना करें.

यह सब अंधविश्वास को लेकर कुछ उदाहरण है ,जो इन इन दिनों देश में ही नहीं विदेशों में भी लोगों की मानसिकता पर असर करने लगे हैं.

हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि लोग ऐसे समय में भी दूसरे को ठगने या बेवकूफ बनाने से बाज नहीं आ रहे. डरे हुए लोगों को किस्से कहानियों के जरिए उनकी समस्याओं को दूर करने का विश्वास दिलाकर और सब परेशानियों से बचाने का आश्वासन देकर ठगविद्या जोरो से चालू है. यदि कोई समझदार इन अंधविश्वासों पर प्रकाश डाले तो उसको पूरी तरह से खारिज कर बेवकूफ करार दिया जा रह है. साथ ही अल्लाह, भगवान, वेद पुराण आदि नामों पर इतनी भ्रामक स्थितियां पैदा की जा रही हैं कि इंसान फंसा हुआ महसूस कर आने को मजबूर है.

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यह अंधविश्वास फैलाने वाले लोग वे लोग  हैं जिन्होंने शायद कभी इन पुराणों को हाथ लगाकर ना देखा हो. अब सहीी या गलत का फैसला आपके हाथ में है. अपनी समझ और विवेक को जागृत रख ऐसे समय में अज्ञान की और अंधविश्वास की इस काली मोटी चादर को उतार फेंके.

अब आप खुद ही तय कीजिए क्या यह सोच सही है. क्या कोरोना वायरस पर फैलता अंधविश्वास आपको इस महामारी से बचा पाएगा? जरूरी है कि आप किसी भी प्रकार की अफवाह या अंधविश्वास से बचें. यह अफवाहें और अंधविश्वास आपकी जान को जोखिम में डाल सकती हैं.

#coronavirus: बौडी में घुसकर कोरोना वायरस आखिर कैसे नुकसान पहुंचाता है?

कोरोना वायरस जिसने हम सभी को घरों में रहने पर मजबूर कर दिया है. लेकिन हम सब भी इसका मिलकर मुकाबला कर रहे हैं और यकीकन जल्द ही इस पर काबू भी पा लेगें. इस दौरान हमें घबराने की जरूरत नहीं है और ना ही अफवाहों पर ध्यान देने की जरूर है. जरूरत है तो सावधानी बरतने की और अपना ख्याल रखने की. इसलिए पूरे देश को लौकडाउन कर दिया गया है. कोरोना वायरस को हराने के लिए आज पूरा देश एक साथ है. समय-समय पर  WHO इससे जुड़ी जानकारी हमारे सामने ला रहे हैं. इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि यह वायरस शरीर में जाने के बाद किस तरह बौडी को नुकसान पहुंचाता है.

शुरुआती लक्षण

जब सांसों के जरिए कोरोना वायरस किसी व्यक्ति के शरीर के अंदर पहुंचता है, तो इसके शुरुआती लक्षण बेहद मामूली से नजर आते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह अपना भयानक रूप ले लेता है. जब कोविड-19 बॉडी पर अटैक करता है तो इसके शुरुआती समय को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है. इन्क्यूबेशन पीरियड इंफेक्शन और लक्षण दिखने के बीच का वक़्त होता है. शरीर के अंदर जाने के बाद ये वायरस सबसे पहले इंसान के गले की आसपास की कोशिकाओं पर हमला करता है. इसके बाद सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है. इस स्टेज में आने के बाद ज्यादातर पेशेंट्स को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.

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ऐसे बढ़ती है वायरस की संख्या

सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करने के बाद यह वायरस यहां पर धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाने लगता है. ऐसे में कोरोना वायरस खुद को शक्तिशाली बना लेता है तो यह बाकी कोशिकाओं पर भी तेजी से हमला करने में लग जाता है. इस दौरान पेशेंट खुद को बीमार महसूस करने लगता है. वायरस का असर बढ़ने पर बुखार खांसी, बदन दर्द, गले में खराश और सिर दर्द जैसे संकेत नजर आने लगते हैं. इस दौरान आपके शरीर का इम्युन सिस्टम वायरस से लड़ने की कोशिश करता है. वायरस को ख़त्म करने के लिए शरीर का इम्युन सिस्टम, साइटोकाइन नाम का केमिकल छोड़ना शुरू करता है. शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति पूरे ज़ोर से हमले का जवाब देने में जुट जाती है और इस कारण आपको बदन दर्द और बुखार भी हो सकता है. कोरोना वायरस की वजह होने वाली खांसी ज्यादातर सूखी खांसी होती है जिसमें बलगम नहीं आता. कुछ लोगों को इस दौरान खराश की शिकायत भी देखी जाती है.

सूजने लगती है बौडी

ये स्थिति क़रीब एक सप्ताह तक हो सकती है, लेकिन जिन लोगों का इम्युन सिस्टम वायरस से लड़ने में कामयाब होता है, उनका स्वास्थ्य एक सप्ताह के अंदर ही सुधरने लगता है. लेकिन कुछ मामलों में व्यक्ति का स्वास्थ्य और बिगड़ जाता है और कोविड 19 के गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं. हाल में कुछ रिसर्च सामने आई हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से नाक बहने और सर्दी ज़ुकाम के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं, लेकिन प्रॉब्लम बढ़ने पर यह गंभीर रूप लेने लगता है. इस दौरान शरीर में जो केमिकल बनते हैं उनकी वजह से शरीर सूजने लगता है. कभी-कभी इस सूजन के कारण शरीर को गंभीर नुकसान भी पहुंचता है.

चीन में 56,000 पीड़ित लोगों के बारे में इकट्ठा की गई जानकारी पर आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिसर्च यह बताती है कि 14 फ़ीसदी लोगों में इंफेक्शन के इस तरह के गंभीर लक्षण देखे गए.

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बौडी के और्गन पर बुरा असर

इस वायरस सीधा असर किडनी पर पड़ सकता है. बता दें कि किडनी खून साफ करने का काम करती है, लेकिन गंभीर स्थिति में आने के बाद किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है. साथ ही इससे शरीर में मौजूद आंतड़ियों पर भी बुरा असर पड़ने लगता है. इस वायरस के कारण शरीर की सूजन इतनी बढ़ जाती है शरीर के कई ऑर्गन फेल हो जाते हैं जिससे इंसान की मौत भी हो सकती है. इसलिए भलाई इसी में है कि इस वायरस को शरीर के अंदर घुसने ही न दिया जाए, सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें.

#coronavirus: फिजिकली डिसेबल्ड लोगों को इस तरह दें कोरोना की जानकारी

हर मुमकिन तरीके से लोगों को कोरोना वाइरस के विषय में जानकारी दी जा रही है लेकिन जनसंख्या का एक हिस्सा उन लोगों का भी है जो विकलांग हैं और उन तक इस जानलेवा वाइरस की जानकारी साधारण तरीकों से हट कर पहुंचाने की जरूरत है. विकलांगता दो प्रकार की होती है, शारीरिक और मानसिक. दोनों ही रूपों में यह व्यक्ति को सामान्य लोगों से किसी न किसी तरह से अलग बनाती है जिस के कारण उन्हें इस महामारी में अत्यधिक सावधानी बरतनी की आवश्यकता है. उन्हें विभिन्न तरीकों से समझाया जा सकता है कि हाथ धोना, खुद को सब से अलग रखना, मास्क पहनना और वाइरस की चपेट में आने से बचने के लिए क्याक्या किया जा सकता है.

विकलांग व्यक्तियों को कोरोना वाइरस की जानकारी निम्न तरीकों से दी जा सकती है:

जो व्यक्ति देखने में असमर्थ हों उन्हें कोरोना के बारे में औडियो अवेयरनेस प्रोग्राम सुना कर सतर्क किया जा सकता है या ब्रेल लिपि द्वारा समझाया जा सकता है.

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वे व्यक्ति जो सुन नहीं सकते उन्हें पोस्टर्स और हाथों के मूवमेंट्स द्वारा कोरोना की जानकारी देनी चाहिए.

मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए कोविड-19 को समझना मुश्किल हो सकता है. ऐसे में पारिवारिक सहयोग की बेहद आवश्यकता होती है. परिवार के लोग उन्हें वाइरस के बारे में बताएं, वे न भी समझें तो बारबार हाथ धोने के लिए कहें और बाहर निकलने से रोकें.

उन्हें बताएं कि उन्हें किसी से भी खाना या बर्तन शेयर नहीं करने हैं. किसी से कम से कम 3 फुट की दूरी पर खड़े हो कर बात करनी है.

अगर ग्लव्स नहीं पहनें हैं तो हाथ से दरवाजा या दरवाजे के बाहर की किसी चीज को नहीं छूना है बल्कि कोहनी से छूने की कोशिश करना है.

अपने फोन और किसी भी डिजिटल यूज के उपकरण को सेनीटाइज करते रहना है.

यदि मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को हाथ धोने की समयसीमा बतानी है तो उसे 20 सेकंड का कोई गाना या हैप्पी बर्थडे दो बार गाने को कहें और बताएं कि उन्हें इतनी ही देर हाथ धोने हैं.

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यदि अतिआवश्यक न हो तो डाक्टर के पास रूटीन चेकअप के लिए जाना स्किप करें.

विकलांग व्यक्तियों के लिए यह समय मुश्किल हो सकता है क्योंकि बिना किसी के संपर्क में आए ऐसे बहुत से काम है जो उन के लिए करने मुमकिन नहीं हैं. इस स्थिति में बेहद जरूरी है कि वे घर में ही रहें और अपने परिवार के सदस्यों से ही मदद लें. खुद को ज्यादा से ज्यादा स्वच्छ रखें और वाइरस की चपेट में आने से बचे रहें.

ज़िन्दगी-एक पहेली: भाग-6

पिछला भाग- ज़िन्दगी–एक पहेली:  भाग-5

अनु की मम्मी हॉस्पिटल के बाहर खड़ी रो रहीं थी लेकिन उन्हें पता नहीं था कि एमरजेन्सी वार्ड में क्या चल रहा है.अनु के पापा बाहर आए और अपने ड्राइवर से कहा कि अनु की  मम्मी को लेकर घर चले जाओ और अपनी पत्नी  से बोले,”  अनु कि तबियत  ज्यादा खराब है तो दिल्ली ले जाने की  तैयारी करो”.अनु कि मम्मी उनका चेहरा देखकर समझ तो गयी थी कि कुछ गलत है उन्होने जिद की तो उन्होने डांटकर वापस घर भेज दिया. अविरल दरवाजे पर खड़ा अपनी दीदी का इंतज़ार  कर रहा था. जैसे ही गाड़ी दिखाई दी उसे लगा अनु आ गयी है पर जब मम्मी को रोकर गाड़ी से उतरते हुए देखा तो उसे डर  लगा उसने तुरंत पूंछा… “मम्मी दीदी कहाँ है?” लेकिन उन्होने कहा कि उसे लेकर दिल्ली जाना है, तैयारी करो.फिर ड्राईवर गाड़ी लेकर हॉस्पिटल चला गया.अंदर अनु की  मम्मी रो रही थी और बाहर अविरल एकटक गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था.

अब आसपास के लोग भी घर में जुटने शुरू हो गए थे.अविरल को बहुत डर लग रहा था.थोड़ी देर बाद गाड़ी फिर दिखाई दी.अविरल वही खड़ा हो गया.अविरल के पापा ने कहा कि बेटा अनु बेहोश है दिल्ली लेकर चलना है.अविरल वहीं खड़ा रहा .आसपास के कुछ लोग आए और अनु को उठाकर अंदर ले आए और जमीन में चादर बिछाने को बोले तो अविरल तुरंत लड़ गया कि दीदी को जमीन में क्यूँ लिटा रहे हो, ऊपर बेड पर लिटाओ न.लेकिन अनु को जमीन में लिटा दिया गया.आसपास के लोगो ने अविरलको चिपका लिया और बोले कि अनु तुम्हें छोड़कर बहुत दूर चली गयी.अविरल ने अनु को देखा और तेजी से भागकर अंदर भागा और सारी रात बाहर नहीं आया.

अविरल के पापा के तो जैसे सारे आँसू सूख से गए थे. वो एकदम पत्थर के बुत कि तरह अनु को एकटक देखते रहे .उनके मुंह से बस एक ही शब्द निकला “अब मेरा इलाज़ कौन करेगा ‘बिट्टी’ “.

अविरल की  माँ भी एकदम बेसुध हो चुकी थी.कुछ ही समय में अविरल की  मौसी जो दिल्ली में रहती थी अपने पूरे परिवार के साथ आ गयी थी.सब एकदम सदमे में थे .

सुबह हो चुकी थी.जैसे- जैसे लोगों को पता चला लोग भागते हुए पहुंचे.आसू  और अमित भी अविरल के घर पहुंचे.सुमि को जब पता चला तो वह अविरल के घर जाने को हुई लेकिन सामाजिक बंधनों के कारण वह तड़प कर रह गयी और अपने भाई को संभालने नहीं आ पाई.

अब अनु की बॉडी ले जाने का समय आ चुका था.अविरल अपनी  दीदी से चिपक गया .बोला,” दीदी ठीक हो जाएगी ,इसको कहाँ ले जा रहे हो? सबने गाड़ी में उसकी बॉडी रख ली.सब लोग गाड़ी में बैठ गए.लेकिन अविरल के पापा उनके साथ नहीं गए.उन्होने कहा,” मैंने अपनी बिट्टी को अपनी गोद में खिलाया है.मै उसे पानी में कैसे बहा सकता हूँ? (एक माँ बाप के लिए इससे बड़ा कोई दुःख नहीं होता की उसकी संतान उनके आँखों के सामने ही दम तोड़ दे )

अविरल अपनी दीदी की बॉडी के पास गाड़ी में बैठ गया था.वो बार- बार कह रहा था की ..”दीदी को इतनी कसके क्यों बांध रखा है ?इसका दम घुट रहा होगा”.

अब सब लोग नदी के किनारे पहुँच गए थे .अब अविरल को अनु को अंतिम विदाई देनी थी.जब अनु को पानी में बहाया जा रहा था तो अविरल ज़ोर-ज़ोर से रो रहा था .वह बार- बार कह रहा था की,”दीदी को पानी  से बहुत डर लगता है ,ये मत करो.ये सुन कर वहाँ मौजूद सब लोगों की आंखे भर आई.अविरल के चचेरे भाइयों ने उसको संभाला और कहा,” अब दीदी को जाने दो“.

शायद ही इस दिन से ज्यादा मनहूस दिन किसी के जीवन में कभी आता होगा.सब लोग अनु को  हमेशा के लिए  विदा करके घर आ गए .

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उसी रात अविरल की मौसी लोगों को वापस दिल्ली भी जाना था .अविरल रो-रोकर उन सबसे मिन्नते कर रहा था की आप लोग मत जाओ ,लेकिन उन्होने किसी जरूरी काम का कहकर उसे समझा दिया.वो उससे बोले अभी 4-5 दिन में हम फिर आ जाएंगे.और फिर वो सब उसी रात वापस दिल्ली लौट गए.

अविरल और उसका परिवार बहुत अकेला हो चुका था.उसे अपने साथ साथ अपने माँ-बाप का ख्याल भी रखना था.अनु की कही हुई बाते उसे रह-रहकर याद आ रही थी .उसके आँसू तो जैसे सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

कुछ समय बाद शुद्धि का दिन आ गया.घर में पूजा थी.दिल्ली से भी मौसी लोग देहारादून आ गईं.जब अविरल की मौसी ने उनकी हालत देखी  तो उन्होने अविरल के परिवार को अपने साथ दिल्ली ले जाने का निश्चय किया.

और अगले ही दिन अविरल की मौसी उन सबको अपने साथ  दिल्ली ले आई.मौसी के 6 लड़के थे जिसमें बड़े लड़के का नाम कार्तिक था और छोटे का नाम अमन था.दोनों ही अविरल और अनु से उम्रमें काफी बड़े थे.उन चारों में आपस में सगे भाई – बहनों सा प्यार था.अविरल, कार्तिक आपस में काफी घुले मिले थे और अमन और अनु आपस में.बचपन से ही हर गर्मियों की छुट्टियों में अविरल और अनु घूमने के लिए मौसी के घर जरूर आते थे.

कार्तिक और अमन अनु के कॉलेज गए इन्फॉर्म करने के लिए तो किसी को भी अनु के छोड़ जाने का विश्वास नहीं हुआ.उसकी रूममेट्स रोने लगीं.थोड़ी देर बाद वो अनु का सारा समान लेकर आई जिसमे अनु का कॉलेज वाला बैग  और कुछ कपड़े थे.

अनु का सारा सामान लेकर अमन और कार्तिक घर वापस आ गए  और सारा समान अनु के मम्मी-पापा को दे दिया.अविरल अनु का बैग  लेकर अलग कमरे में चला गया और बैग  से चिपककर फूट- फूट कर रोने लगा.तभी कार्तिक ने आकर अविरल को संभाला और साथ बाहर ले आए.1-6 दिनों बाद अविरल ने अनु का बैग  खोलकर देखा तो उसमे अविरल को एक  डायरी मिली.जब उसने डायरी पढ़ना शुरू किया तो उसे अपनी आँखों पर  विशवास ही नहीं हुआ.

अगले पार्ट में हम जानेंगे कि अनु ने डायरी में ऐसा क्या लिखा था जिसे पढ़कर अविरल के चेहरे का रंग ही उड़ गया?

#coronavirus: घर पर ऐसे बनाएं बाजार में मिलने वाले महंगे फेस मास्क शीट

बिजी लाइफस्टाइल में रोजाना फेस के लिए टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है. औफिस से घर पहुंचकर हमारे पास अपने लिए वक्त नही मिल पाता. और अगर टाइम मिल भी जाए तो हम आलस में नही कर पाते. लेकिन आजकल कोरोना वायरस की बढ़ती महामारी के चलते हम घर पर रह रहे हैं.

इसीलिए हम आपके लिए एक ऐसा आइडिया लेकर आएं है जिससे आप घर बैठे बिना ज्यादा मे मेहनत के सुंदर स्किन पा लेंगे. स्किन का हाइड्रेट होना बहुत जरूरी है, जिसके लिए हम फेस के लिए मास्क बनाते हैं पर अगर हम मास्क को बार-बार बनाने की जगह मास्क शीट का इस्तेमाल करें तो हम टाइम के साथ-साथ मेहनत भी बचा सकते हैं. साथ ही हम इसे स्टोर करके भी रख सकतें हैं. आज हम आपको ऐसे ही ग्रीन टी से बनने वाले फेस मास्क शीट के बारे में बताएंगे.

  1. ग्रीन टी

ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो आपकी स्किन को हेल्दी ग्लो देने में मदद करता है.

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घर पर ऐसे बनाएं फेस मास्क शीट…

गर्म पानी में लगभग 5-6 ग्रीन टी बैग्स मिलाएं और इसे 15-20 मिनट के लिए भिगो दें. टी बैग्स निकालने के बाद, इसे टैम्प्रेचर पर ठंडा करें. और ज्यादा फायदे के लिए आप इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें डाल सकते हैं. इस मिश्रण में कौटन वाइप्स / ड्राई शीट मास्क को भिगोकर लगभग 30 मिनट के लिए ठंडा करें और फिर यूज करें.

  1. खीरे का रस

अगर आपकी सेनसिटिव स्किन है, तो खीरे के रस से बनी शीट मास्क बेहद फायदेमंद साबित होगा. खीरा विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें कैफिक एसिड होता है जो सूजन, इचिंग स्किन से लड़ने में मदद करता है और स्किन को कोमल बनाने में मदद करता है.

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ऐसे बनाएं खीरे के रस से मास्क शीट

3-4 खीरे का रस निकालें जो सिर्फ शीट मास्क को पूरी तरह से भिगोने के लिए पर्याप्त है. इसमें अपने सूती का कपड़ा या सूखा शीट मास्क डुबोएं और लगभग 30 मिनट के लिए ठंडा करने के लिए फ्रिज में रखने के बाद आप कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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शीट मास्क को किया जा सकता है स्टोर

गीले शीट मास्क को मोड़कर एक जिप लौक बैग में रखकर उन्हें फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है. ये होममेड शीट मास्क किसी भी हानिकारक केमिकल से बने नही होते, जबकि बाजार में मिलने वाले ज्यादातर शीट मास्क में खुशबू आदि जैसे एडिटिव्स मिले होते हैं. लेकिन जरूरी है कि 10 दिनों के अंदर इन शीट मास्क का इस्तेमाल कर लें.

काली लिपस्टिक में Devoleena ने लगाया ग्लैमर का तड़का, आप भी कर सकती हैं ट्राय

बौलीवुड हो या टीवी एक्ट्रेस फैशन के मामले में कोई किसी से कम नहीं है. हाल ही में बिग बौस 13 (Bigg Boss 13) से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्या (Devoleena Bhattacharjee) हाल ही में अपनी कुछ फोटोज को लेकर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं, जिसका कारण उनका डार्क लिपस्टिक फैशन है. देवोलिना (Devoleena Bhattacharjee) का डार्क लिपस्टिक फैशन (Dark Lipstick) आप भी किसी पार्टी या वेडिंग सीजन में ट्राय कर सकती हैं. साथ ही आज हम आपको देवोलीना (Devoleena Bhattacharjee) के साथ बौलीवुड की टौप एक्ट्रेसेस के डार्क लिपस्टिक फैशन के बारे में बताएंगे.

1. काली लिपस्टिक में Devoleena Bhattacharjee  के ग्लैमर का तड़का

एक फोटोशूट में ‘साथ निभाना साथिया’ फेम गोपी वहू यानी देवोलीना ने काली लिपस्टिक लगाकर अपने ग्लैमर का तड़का लगाया है. काली लिपस्टिक के साथ देवोलीना (Devoleena Bhattacharjee) ने पैरेट ग्रीन कलर के आई शैडो और व्हाइट कलर की पैटर्न ड्रेस पहनी, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया.

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2. दीपिका का लुक भी नहीं है किसी से कम

 

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it’s the time to disco!?

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दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) हर तरह के फैशन को अपने ऊपर ढाल लेती हैं. वहीं डार्क लिपस्टिक की बात की जाए तो दीपिका का फैशन हर किस को पसंद आता है, जिसमें डार्क लिपस्टिक फैशन भी शामिल है.

3. जैकलिन फर्नांडिज़  का लुक भी है परफेक्ट

 

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It’s @lovecolorbar day!! Gonna be discussing lots on @lovecolorbar new makeup collection all day on my IG stories! See ya there!

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जैकलिन फर्नांडिज़ को एक्सपेरिमेंट करने से डर नहीं लगता. डार्क लिपस्टिक हर किसी के लुक पर नहीं फबती, लेकिन जैकलिक का ये डार्क लिपस्टिक लुक उनके लिए परफेक्ट है. ये उनके फैशन पर चार चांद लगा रहा है.

4. करीना कपूर का लुक भी करें ट्राय

 

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Such a beautiful @kareenakapoorkhan ? Yay or Nay? ❤

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करीना कपूर किसी भी गहरे रंग जैसे गहरे बेर या शराब को आसानी से अपनी गहरी आँखों और पोर्सिलेन के साथ जंच सकती हैं. इस गहरे वाइन रंग की लिपस्टिक शेड के साथ मोटी आईलाइनर और कॉपर गोल्ड शैडो में उनका लुक देखने लायक है. करीना का यह लुक इंडियन ट्रेडिशनल वियर जैसे lehenga या साड़ी के साथ पेयर करना बेस्ट औप्शन रहेगा.

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5. प्रियंका चोपड़ा का लुक भी करें ट्राय

प्रियंका चोपड़ा बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी पहचान बना चुकीं हैं. वहीं फैशन की बात करें तो वह हर किसी कलर को अपने हिसाब से ढाल लेती हैं. हाल ही में होली पार्टी के मौके पर प्रियंक वाइट कलर के कौम्बिनेशन के साथ डार्क लिपस्टिक लगाकर पहुंची, जो उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

#Lockdown: घर पर बनाएं क्रिस्पी क्रंची राइस बौल 

लेखक- अंजलि खेर

कोरोना की महामारी से बचाव के चलते हम सभी अपने-अपने घरों में बने रहने को मज़बूर हैं. घर पर किराने का सामान भी या तो खत्‍म होने की कगार पर हैं, या खत्‍म हो गया.  ऐसी स्थिति में जबकि हमारे छोटे बच्‍चे भी पूरे समय घर पर ही हैं, उन्‍हें तो हर पहर कुछ नया, कुछ चटपटा खाने को चाहिए.  मां के सामने बड़ी दुविधा होती है कि आखिर क्‍या बनाये ? जो बच्‍चों को भाये और किचन में उपलब्‍ध थोड़े से सामान में ही आसानी से बन जाये?  तो आइये जानें चावल से बनी क्रिस्पी -क्रन्चि बाल बनाने की विधी  जो कम कवायद में भी बन सकते हैं –

हमें चाहिए

यदि रात के बचे पके चावल हो या फिर ताजे चावल-2 कटोरी (दो सीटीं ज्‍यादा देकर बनाया मुलायम चावल)

नमक-मिर्च(स्‍वादानुसार)

कॉर्न फ्लोर 1/2 चम्मच

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अजवाइन

जीरा

तलने के लिए तेल-घी( घर पर जो भी उपलब्‍ध हो) हरी धनिया मिर्च(यदि उपलब्‍ध हो तो, वैसे जरूरी नहीं)

एक चम्‍मच बेसन.

बनाने का तरीका

** चावल को बड़े कटोरे में निकालकर चम्‍मच से अच्‍छी तरह मैश करें.

** फिर उसमें कॉर्न फ्लोर, नमक, मिर्च, जीरा अजवाइन, हरी धनिया-मिर्च और बेसन मिलाकर गाढ़ा पेस्‍ट तैयार करें.

** फ्राई पेन में तेल गर्म करके चावल के पेस्‍ट की छोटी-छोटी गोल  पकौडि़यां धीमीं आंच पर तलें.

** तैयार पकौडि़यां हरी चटनी, सॉस या दही से साथ परोसें.

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#coronavirus: कोरोना मुक्ति दवाई बनाने में जुटे वैज्ञानिक!

लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

जानलेवा कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में दहशत के बीच इस संक्रमण की दवा को लेकर नई उम्मीद जगी है. भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला  6 मास में इस लाइलाज कोरोना वायरस के उपचार के लिए दवा का बना लेगी. यदि ऐसा हो पाया तो  सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने वाली  सिप्ला भारत की पहली कंपनी हो जाएगी, जिसे कोविड-19 की दवा बनाने का श्रेय भारत मे हासिल होगा. यह  दवा कंपनी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ मिलकर कोविड-19 के उपचार की दवा बनाने में जुटी है.यह कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस संक्रमण से सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली एंटी वायरल दवाओं और एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी अनुसंधान कर रही है. इसके लिए इस कंपनी ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से सक्रिय फार्मा अवयवों (एपीआई) को बनाने के लिए मदद मांगी है.

आईआईसीटी के निदेशक एस चंद्रशेखर और प्रमुख वैज्ञानिक प्रथम एस मेनकर के अनुसार सिप्ला के अध्यक्ष वाईके हामिद ने उनसे एंटी वायरल कंपाउंड – फेविपिरावीर, रेमेडिसविर और बोलैक्सेविर तैयार करने के संबंध में संपर्क किया है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में कई एंटी-वायरल दवाओं की खोज की गई थी, लेकिन मांग में कमी के कारण क्लिनिकल ट्रायल के बाद इसे रोक दिया गया था.

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यूसुफ हामिद का कहना है कि वे अपने सभी संसाधनों को देश के फायदे के लिए लगाना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं.’  कंपनी  इन दवाओं का दोगुना उत्पादन कर रही है.  अगर भारतीय चिकित्सा फैटरनिटी निर्णय करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जा सकता है.

हामिद का कहना है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटी वायरल कंपाउंड जैसे -फेविपिराविर, रेमिडेसिविर तथा बोलैक्सेविर का जल्दी ही उत्पादन शुरू किया जाएगा. हालांकि कोविड-19 अब तक एक लाइलाज बीमारी है और अब तक इससे दुनियाभर में करीब 11 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. कई देश इसके उपचार पर शोध कार्य भी कर रहे हैं.अमेरिका समेत दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. अमेरिका ने भी कोरोना की वैक्सीन का परीक्षण किया है. सिएटल शहर में कोविड-19 की वैक्सीन सबसे पहले एक महिला को लगाई गई है. इस महिला का नाम जेनिफर हॉलर बताया गया है.

43 वर्षीय जेनिफर हॉलर एक टेक कंपनी में बतौर ऑपरेशन मैनेजर काम करती हैं. कोरोना के कारण जब सभी बहुत असहाय महसूस कर रहे हो. ऐसे में उनके लिए कुछ करने का शानदार अवसर है.  उनकी दो बेटियां भी मानती हैं कि कोरोना दवा स्टडी में भाग लेना काफी शांति देने वाला है. वही अन्य कई देशों में वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च सहित कई स्वास्थ्य संगठन संभावित कोविड-19 के टीके विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं.

अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, कोरोना वायरस से बचाने के लिए बनाए गए वैक्सीन का परीक्षण शुरू हो चुका है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) इस परीक्षण के लिए धन मुहैया करा रहा है, यह कार्य सिएटल में कैसर परमानेंट वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में हो रहा है. जन स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संभावित टीके की पुष्टि में एक साल से 18 महीने तक का वक्त लगेगा. यह परीक्षण 45 युवा एवं स्वस्थ स्वेच्छाकर्मियों के साथ शुरू हुआ है.

ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने में कारगर दो दवाओं – एचआईवी और मलेरिया रोधी- का पता लगा लिया है. क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के क्लिनिकल शोध केंद्र के निदेशक डेविड पैटर्सन ने बताया कि दो दवाओं को टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह कारगर है और इंसानों पर परीक्षण के लिए तैयार है.

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पूरी दुनिया में लगभग तीन लाख चालीस हजार लोग इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में हैं. दुनिया के कई देश और भारत के कई राज्यो भी इससे बचाव के लिए लॉकडाउन किये जा चुके हैं.

वही कोरोना वायरस की मार झेलने वाले चीन ने भी इसकी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का पहला फेज शुरू कर दिया है. यह वैक्सीन चीन के मिलिटरी साइंटिस्ट ने तैयार की है. अमेरिका ने ऐलान किया  कि उसने mRNA-1273 नाम की वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है.

हाल ही में 17 मार्च को चीन की क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में की गई एक एंट्री के अनुसार ट्रायल इस साल के अंत तक जारी रहेगा.

लेकिन फिलहाल कोई भी अप्रूव्ड वैक्सीन COVID19 को रोकने के लिए कारगर नहीं है.इसके लिए सावधानी ही बचाव है.

हालांकि चीन और अमेरिका कोरोनारोधी  वैक्सीन बनाने की दौड़ में लगे हैं. जबकि सच यह भी है कि एक सुरक्षित और कारगर दवा बनाने में समय लग सकता है. अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ और मैसचूसिट्स की बायोटेक्नॉलजी कंपनी मॉडर्ना इंक की बनाई वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए आने में भी डेढ़ साल का समय लग सकता है. वहीं, एशिया में ऐंटीवायरल ट्रीटमेंट रेमडेसिविर अपने लक्ष्य के आखिरी चरण में है. चीन के डॉक्टरों ने इसे कोरोना के खिलाफ कारगर बताया है.जबकि अभी यह देखा जाना है कि यह दवा सुरक्षित भी है अथवा नहीं.

एक अन्य उपलब्धि में कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से एंटीबॉडीज लेकर एक जापानी कम्पनी दवा बना रही है.कम्पनी टाकेडा का दावा है यह दवा कोरोना के मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होगी. उसका तर्क है कि रिकवर मरीजों से निकली एंटीबॉडी नए कोरोनामरीजों में पहुंचेगी और उनके इम्यून सिस्टम में तेजी से सुधार करेगी और मरीज कोरोना से रिकवर होगा.

ऐसे मरीज जो हाल ही में कोरोना बीमारी से उबरे हैं उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं. ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं. इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीजनिकाली जाती हैं. ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में खास थैरेपी की मदद से इंजेक्ट की जाती हैं इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं. यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है जब तक उसका शरीर खुद  तैयार करने के लायक न बन जाए.

डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम हेड माइक रियान के मुताबिक, कोरोनावायरस से इलाज का यह बेहतर तरीका है. परन्तु यह मरीजों को सही समय पर दिया जाना चाहिए ताकि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके. लेकिन ऐसा करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है क्योंकि यह थैरेपी हर बार सफल नहीं होती.

चीन के शंघाई में डॉक्टरों की टीम ने कोरोनावायरस से नए मरीजों को चिन्हित किया गया है. मेयो क्लीनिक के संक्रमण रोगविशेषज्ञ ग्रेग पोलैंड के अनुसार चीन में इसकी शुरुआत की जानकारी मिली है लेकिन अब तक कोई रिसर्च जर्नल में प्रकाशित नहीं हुई है.लेकिन उनकी कोशिश जारी है.

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जापानी दवा कंपनी टाकेडा पहले भी इम्युनिटी को बढ़ाने वाली दवा बना चुकी है, जिसका नाम इंटरवेनस इम्युनोग्लोबिन है. इसका इस्तेमाल इम्यून डिसऑर्डर का इलाज करने में किया जाता है. इसे तैयार करने में स्वस्थ लोगों की एंटीबॉडीज का इस्तेमाल किया गया है. कंपनी का दावा है कि यह सुरक्षित और कारगर है, साथ ही इससे वायरस फैलने का खतरा नहीं है.कंपनी कोरोनावायरस की जो नई दवा बना रही है उसमें कोरोनावायरस से ठीक हो चुके मरीजों की एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाना है. कंपनीने दवा का नाम TAK-888 रखा है, जो खासतौर पर कोरोना को खत्म करने का काम करेगी.कंपनी के प्रेसिडेंट जूली किम के अनुसार सिंगर डोनर से कोरोना के मरीज को ठीक किया जा सकेगा. जो कोरोना से पीड़ित दुनिया के प्रभावित देशो के लिए एक शुभ संकेत है.

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