#coronavirus: थाली का थप्पड़

ओफ़ ! कैसी विकट परिस्थति सामने आ गयी थी. लग रहा था जैसे प्रकृति स्वयं से छीने गये समय का जवाब मांगने आ गयी थी. स्कूल-कॉलेज सब बंद, सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था. सब अपने-अपने घरों में दुबके हुये थें. आदमी को हमेशा से ही आदमी से खतरा रहा है. स्वार्थ, लालच, घृणा, वासना, महत्वकांक्षा और क्रोध, यह आदमी के वो मित्र है जो उन्हें अपनी ही प्रजाति को नष्ट करने के लिये कारण देते हैं. अधिक पाने की मृगतृष्णा में प्रकृति का दोहन करते हुये, वे यह भूल जाते हैं कि वे खुद अपने लिये मौत तैयार कर रहे हैं. जब मौत सामने नजर आती है, तब भागने और दफ़न होने के लिये जमीन कम पड़ जाती है.

आजकल डॉ आरती के दिमाग में यह सब ही चलता रहता था. वे दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल में कार्यरत थी. वे पिछली कई रातों से घर भी नहीं जा पायी थीं. घर वालों की चिंता तो थी ही, अस्पताल का माहौल भी मन को विचलित कर दे रहा था. उनकी नियुक्ति कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मध्य थी. हर घंटे कोरोना के संदेह में लोगों को लाया जा रहा था. उनकी जांच करना, फिर क्वारंटाइन में भेजना. यदि रिपोर्ट पाज़िटिव आती तो फिर आगे की कार्यवाही करना.

मनुष्य सदा यह सोचता है कि, बुरा उसके साथ नहीं होगा. किसी और घर में, किसी और के साथ होगा. वह तो हर दुःख, हर पीड़ा से प्रतिरक्षित है, यदि उसके पास धन है. जब उसके साथ अनहोनी हो जाती है, वह रोता है, कष्ट झेलता है. लेकिन फिर देश के किसी और कोने में एक दूसरा मनुष्य उसकी खबर पढ़ रहा होता है और वही सब सोच रहा होता है कि, यह सब मेरे साथ थोड़े ही ना होगा ! हम स्थिति की गंभीरता को तब तक नहीं समझते जब तक पीड़ा हमारे घर का दरवाजा नहीं खटखटाती. धर्म, जाति, धन और रंग के झूठे घमंड में दूसरे लोगों के जीवन को पददलित करने से भी नहीं हिचकतें. किंतु जब मौत महामारी की चादर ओढ़कर आती है तो, वह कोई भेद नहीं करती. उसे कोई सीमा रोक नहीं पाती. वह न आदमी की जाति पूछती है और ना उसका धर्म, न उसका देश पूछती है और ना उसका लिंग. मौत निष्पक्ष होती है. जीवन एक कोने में खड़ा मात्र रोता रहता है. जब आदमी विषाणु बोने में व्यस्त था, वह जीवन के महत्व को भूलकर धन जोड़ता रहा. आज धन बैंकों में बंद उसकी मौत पर हंस रहा था.

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जिन कोरोना पाज़िटिव लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया था, उनके कमरों से भिन्न-भिन्न प्रकार की आवाजें आतीं. कोई रो रहा होता, कोई अचानक ही हंसने लगता. वहाँ के अन्य डॉक्टर, नर्स और सफाई कर्मचारी भी अवसाद का शिकार हो रहे थें. आरंभ में डॉ आरती ने वहाँ आ रहे लोगों की आँखों में देखना छोड़ दिया था. उनके पास रोगियों के आँखों में तैरते भय और प्रश्नों के लिये कोई उत्तर नहीं था. परंतु धीरे-धीरे आरती के भीतर कुछ पनपने लगा. अस्पताल को जो दीवार पीड़ा, कष्ट, भय और अनिश्चय के रंगों से रंग गयी थी, उसे उन्होंने कल्पना और आशा के रंगों से रंगना आरंभ कर दिया. यह सब आसान नहीं था. उन सभी को पता था कि वे एकजंग लड़ रहे हैं. आरती ने बस उनके भीतर जंग को जितने का हौसला भर दिया. आपस में मजाक करना, रोगियों को ठीक हो गये मरीजों को कहानियाँ सुनाना, कभी-कभी कुछ गा लेना और रोगियों के साथ एक दूसरे के हौसलें को भी बढ़ाते रहना.

पिछली दसदिनों में कोरोना के संदेह में लाये गये मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी थी. इस कारण उसका घर बात कर पाना भी कम हो गया था. घर पर पति अमोल और उनकी दस साल की बेटी सारा थी. अमोल कमर्शियल पायलट थें. वैसे तो बेटी का ध्यान रखने के लिये हाउस-हेल्प आती थी.किंतु दिल्ली में लॉक डाउन की स्थिति होने के बाद, उसे भी उन्होंने आने से मना कर दिया था. इस वजह से अमोल को छुट्टी लेनी पड़ी थी. वे दिल्ली के एक रिहायशी इलाके में बने एक अपार्टमेंट में किराये पर रहते थें. उनका टू बी एच के बिल्डिंग के चौथे फ्लोर पर था. अथक परिश्रम से पैसे जोड़कर और लोन लेकर पिछले वर्ष ही उन्होंने एक डूप्लेक्स खरीद लिया था. इसका पज़ेशन उन्हें इसी वर्ष मार्च में मिलना था, लेकिन इस वैश्विक महामारी ने सभी के साथ उनकी योजनाओं को भी बेकार कर दिया था.

पिछली रात वीडियो कॉल में भी उनके बीच यह ही बात हो रही थी.

“थक गयी होगी ना !?” अमोल के स्वर में प्रेम भी था और चिंता भी.

“हाँ ! पर थकान से ज्यादा बेचैनी है. आस-पास जैसे दुःख ने डेरा डाल रखा है.”

अमोल की आँखों ने मास्क से छुपे आरती के चेहरे पर चिंता और पीड़ा की लकीरों को देख लिया था. आरती एक भावुक और संवेदनशील स्त्री थी. पहले भी अपने पेसेंटस के दर्द को घर लेकर आ जाया करती थी, और अब तो स्थिति भयावह थी. अपनी पत्नी की पीली पड़ गयी आँखों को देखकर अमोल का हृदय कट के रह गया.

“कल घर आने की कोशिश करो !” उसने झिझकते हुये कहा तो आरती हंस पड़ी.

“सब समझती हूँ, आजकल सभी काम अकेले करने पड़ रहे हैं तो बीवी याद आ रही है. मैं नहीं आने वाली.”

“और नहीं तो क्या ! अरे भाई, इकुवालटी का मतलब काम बांटना होता है. हम तो यहाँ अकेले ही लगे हुये हैं.” अमोल ने भी हँसते हुये जवाब दिया और बड़े लाड से अपनी पत्नी को देखने लगा था. परेशानी में भी मुस्कुराते रहना, कष्ट में रोकर फिर हंस देना और अपने आस-पास सकरात्मकता को जीवित रखना, ऐसी ही थी आरती. उसके इन्ही गुणों पर रीझकर तो अमोल उससे प्यार कर बैठा था.

“क्या देख रहे हो ?” अमोल को अपनी ओर अपलक देखते रहने पर आरती ने पूछा था.

“तुम्हें !”

“और क्या देखा !”

“एक निःस्वार्थ, निडर और जीवंत स्त्री !”

“अमोल, तुम भी ना !”

“तुम भी तो घर बैठ सकती थी, पर तुमने बाहर जाना चुना. तुम बाहर निकली ताकि, लोगों के अपने घर लौट सकें. तुम बाहर निकली ताकि, अन्य लोग घरों में सुरक्षित रह सकें. प्राउड ओफ़ यू !”

आरती ने अमोल को प्रेम से देखा और बोली, “तुम्हें याद है जब तुमने मुझे बताया था कि इटली से भारतीयों को लाने वाली फ्लाइट तुम उड़ाने वाले हो तो मैंने क्या कहा था !”

“हाँ, तुम डर गयी थी !”

“उस समय तुमने कहा था कि अगर सब डरकर घर बैठ गये तो जिंदगी मौत से हार जायेगी ! डरना स्वभाविक है, लेकिन उससे लड़ना ही जीत है ! मैं हर दिन डरती हूँ, पर फिर उसे हराकर जीत लेती हूँ !”

“आरती !”

“अमोल, मुझे भी तुम पर गर्व है. इस संकट के समय जो भी अपना-अपना कर्म पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं उन सभी पर गर्व है.”

अमोल और आरती की आँखें एक दूसरे में डूब गयी. हृदय में चिंता भी थी, प्रेम भी और गर्व भी.

“मम्मा !” पता नहीं कब सारा अपने पापा के कंधे से लगकर खड़ी हो गयी थी.

“मेरा बच्चा !” आरती की पीली आँखें थोड़ी पनीली हो गयी थीं.

“आप कब आओगी !” उस प्रश्न की मासूमियत ने आरती के आँखों पर लगे बांध को तोड़ दिया और वो बहने लगीं.

“बेटा, मैंने आपको कहा था ना कि मम्मा हेल्थ सोल्जर हैं और वो …”

“गंदे वायरस को हराने गयी हैं ! आई नो पापा ! पर आई मिस यू मम्मा !” सारा की आँखें भी बहने लगी थीं.

अमोल कभी सारा के आँसू पोंछता, कभी आरती को समझाता.

“मम्मा, सब कहते हैं कि पापा गंदे वायरस को लाये हैं और सब ये भी कहते हैं कि गंदे वायरस से लड़कर आप भी गंदी हो गयी हो ! ईशान कह रहा था कि गंदे मम्मा-पापा की बेटी भी गंदी !” इतना कहकर वो फिर रोने लगी थी.

आरती के दिल पर जैसे किसी ने तेज मुक्का मारा हो, दर्द का एक सागर उमड़ आया था. मनुष्य अन्य जीवों से श्रेष्ठ माना जाता है, जिसका कारण है, बुद्धि. जानवर हेय हैं, क्योंकि उनके पास सोचने के लिये बुद्धि नहीं होती, मात्र एक भावुक हृदय होता है. लेकिन यह बात क्या सत्य है ! क्या सभी मनुष्यों के पास बुद्धि है ! संवेदना की तो अपेक्षा मूर्खता ही है ! इंसान जब इंसानियत छोड़ दे तो उसे क्या कहना चाहिये ! दानव ! जब वो घर से दूर कोरोना जैसे दानव के संक्रमण को रोकने के प्रयास में लगी हुयी थी. घर के बाहर लोगों के दिमाग पर नफरत का संक्रमण फैल रहा था, जिसने उनसे उनकी मनुष्यता को छीन लिया था. वह यह सोचकर सिहर उठी कि उसका परिवार दानवों से घिर गया था.

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अमोल आरती के मन की उथल-पुथल को समझ रहा था. वह उसे यह सब बताकर परेशान नहीं करना चाहता था. अपार्टमेंट के लोगों की छींटाकशी कुछ अधिक ही बढ़ गयी थी. कल जब अमोल और सारा सब्जियां लेकर आ रहे थें, लिफ्ट में ईशान अपने पापा के साथ मिल गया था. उन्हें देखकर वे दोनों लिफ्ट से निकाल गये. उस समय तो अमोल कुछ समझ नहीं पाया था. उसे लगा, शायद उन्हें कुछ काम याद आ गया होगा. फिर जब रात में ईशान की बॉल उनकी बालकोनी में आ गयी, तो सारा ने आदतन बॉल को उसकी तरफ उछाल दिया था. लेकिन ईशान ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. जब सारा ने इसका कारण पूछा तो वो रुखाई से बोला, “गंदे मम्मी पापा की बेटी गंदी !” इतना सुनते ही सारा की आँखें बरसने लगी थीं. अमोल के लिये उसे चुप कराना मुश्किल हो गया था. अब तो किराने वाला समान देने में भी आनाकानी करने लगा था. डॉक्टर होना जैसे स्वयं एक संक्रमण हो गया था. लेकिन अभी वो आरती को इन परेशानियों से दूर रखना चाहता था. वैसे भी वो अत्यधिक तनाव में काम कर रही थी.

“सारा ! छोड़ो यह सब ! तुमने मम्मा को बताया कि पी एम ने क्या कहा है ?” अमोल ने सफाई से बात बदल दी थी.

यह सारा तो नहीं समझ पायी लेकिन आरती समझ गयी थी. वह गुस्से में थी और कुछ कहने ही वाली थी कि अमोल ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा. सारा सब कुछ भूल कर अपनी मम्मा को प्रधानमंत्री के देश के नाम किये सम्बोधन के बारे में बताने लगी थी. उस समय आरती का मन उचाट हो गया था, लेकिन सारा की खुशी देखकर उसने अपना गुस्सा दबा लिया था.

वह बोल रही थी, “मम्मा, कल शाम पाँच बजे सभी लोग अपने घरों की बालकोनी में या खिड़की में आकर आपको थैंकस बोलने के लिये थाली, ड्रम या शंख बजायेंगे ! सब लोग बाहर नहीं आ सकतें ना इसलिये अपने-अपने घरों में रहकर ही करेंगे ! कितना कूल है ना !”

आरती और अमोल ने एक दूसरे को देखा. उन्होंने कहा कुछ नहीं, पर उनकी नजरों के मध्य संवाद हो गया था. जिन्हें थाली बजाने को कहा गया था, उनमें से कितने वास्तव में मानव रह गये थें और कितने मात्र

आरती अभी पिछली रात के बारे में सोच ही रही थी कि सिस्टर सुनंदा की आवाज उसे वर्तमान में ले आयी थी.

“मैम, मास्क खत्म हो गये हैं !”

“अरे ! कल ही तो फोन किया था !” आरती की आवाज में गुस्सा था.

“जी मैम, पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया !”

“सो रहे हैं क्या वे लोग ! उन्हें पता नहीं कि इन्फेक्शन फैलने में समय नहीं लगता !” आरती का गुस्सा अब बढ़ गया था.

“जी मैम !” सुनंदा ने सर झुका लिया था. वह कर भी क्या सकती थी. आरती ने भी सोचा उस पर गुस्सा करके क्या होगा. वह उठी और मास्क भिजवाने के लिये फोन करने लगी. तभी उसकी नजर सामने लगे टी वी के स्क्रीन पर गयी. लोग अपने=अपने घरों में थालियाँ और शंख बजा रहे थें.

“ये सब क्या हो रहा है !” आरती के होंठों से फिसल गया.

“मैम, सब हमारा धन्यवाद कर रहे हैं ! आज इतना गर्व हो रहा है ! जंग में खड़े सिपाही जैसा लग रहा है !” उसका चेहरा हर्ष और गर्व से दमक रहा था. उसके चेहरे को देखकर आरती ने सोचा “यदि इस सब से  इन सभी का मनोबल बढ़ रहा है तो यह प्रयास भी बुरा नहीं है. इस कठिन समय में हम सभी को मानसिक ताकत की बहुत आवश्यकता है.”

“हैं ना मैम !” आरती को चुप देखकर सुनंदा ने पूछ लिया था.

“हम सब सैनिक ही हैं, जो एक अनदेखे अनजान दुश्मन से लड़ रहे हैं; वो भी बिना किसी हथियार के ! तुम्हें गर्व होना ही चाहिये !” आरती ने प्रत्यक्ष में कहा था. तभी आरती जिसे फोन कर रही थी, उसने फोन उठा लिया था. उसने सुनंदा को चुप रहने का इशारा किया और बात करने लगी थी.

“क्या सर सो रहे थें क्या !?”

“अरे नहीं ! नींद कहाँ !” उधर से उस आदमी ने कहा था.

“मैं तो सोच रही थी कि इस बार अगर आपने फोन नहीं उठाया तो थाली लेकर पहुँच जाऊँगी आपके पास.” इतना कहकर आरती ने सुनंदा की तरफ देखकर आँख मार दी. सुनंदा भी मुस्कुरा दी थी.

“अरे क्या डॉक्टर मैडम आप भी !” वह खिसियानी हंसी हँसते हुये बोल था.

“अब आप हमें मारने पर तुले हैं तो, थाली ही बजानी पड़ेगी !”

“क्या गलती हो गयी डॉक्टर साहब ?”

“हमने मास्क के लिये कल ही फोन कर दिया था और अभी तक कुछ नहीं पता” आरती का स्वर गंभीर हो गया था.

“एक घंटे पहले ही भेज दिया है, पहुँचने वाला ही होगा !”

“आभार आपका !” आरती के स्वर में व्यंग्य था.

“अरे-अरे कैसी बात कर रही हैं ! आप तो बस हुक्म करो !”

“बस आप स्थिति की गंभीरता को समझो और समय पर सब कुछ भेजते रहो. बस इतना करो !” इतना कहकर आरती ने फोन पटक दिया था. सामने खड़ी सुनंदा उसके जवाब का इंतजार कर रही थी.

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“आने वाला है !” आरती की बात सुनकर सुनंदा चली गयी थी.

आरती ने सोचा कि थोड़ी देर में वो व्यस्त हो जायेगी, इसलिये सारा को विडिओ कॉल कर लेना चाहिये. वो कल ड्रम बजाने को लेकर कितनी उत्साहित थी. घर से अपने कुछ कपड़े भी मंगाने थें. आरती ने कॉल लगा लिया. कुछ देर तक फोन बजता रहा. किसी ने फोन नहीं उठाया. दो-तीन बार फोन करने पर भी जब अमोल ने फोन नहीं उठाया, वह परेशान हो गयी. थोड़ी देर बाद अमोल का फोन आ गया था.

“अमोल ! कहाँ थें तुम ! फोन क्यों नहीं उठा रहे थें !” आरती लगातार बोलती जा रही थी.

“आरती, आरती, आरती शांत हो जाओ !” अमोल ने उसे शांत कराया.

“यहाँ एक समस्या हो गयी थी.” अमोल को आवाज के कंपन को आरती ने सुन लिया था.

“कैसी समस्या? क्या हुआ अमोल !” आरती काँप रही थी.

“अपार्टमेंट के कुछ लोग ..” अमोल की आवाज की झिझक ने आरती को और परेशान कर दिया.

“कुछ लोगों ने क्या ?” वो लगभग चीख उठी थी.

“वे हमें घर खाली करने को कह रहे थें !”

“व्हाट ! क्यों ! हाउ डेयर दें !” आरती का क्रोध बढ़ गया था.

“इडियट्स का कहना था कि तुम कोरोना के रोगियों का इलाज कर रही हो तो पूरी बिल्डिंग को संक्रमण का खतरा है. मैं और सारा भी कोरोना को अपने कपड़ों में लिये घूम रहें हैं.”

“मैं आ रही हूँ ! मैं अभी आ रही हूँ ! देखती हूँ कैसे ..”

“अरे यार ! तुम चिंता मत करो. अभी सभी ठीक है. मैंने पुलिस को फोन कर दिया था. उन्होंने इन सभी की खबर ली है. डॉक्टर कह देने भर से, पुलिस वाले काफी मान दे रहे हैं. बिल्डिंग के सभी लोग ऐसे नहीं हैं. तुम चिंता मत करो. बहुत बड़ा काम कर रही हो. इन कीड़ों की वजह से अपने काम पर से ध्यान मत हटाओ.”

“अमोल ! मेरा मन नहीं लगेगा !” आरती की आवाज में डर सुनकर अमोल ने उसे विडिओ कॉल किया.

अमोल के पास बिल्डिंग के कुछ लोग बैठे थें. सारा विमला आंटी की गोद में बैठी दूध पी रही थी. आरती को देखते ही सब एक साथ चिल्लाकर बोलें, “थैंक यू”.

सारा और अमोल से कुछ देर बात करने के बाद, निश्चिंत होकर आरती ने फोन रख दिया था. किसी ने सही कहा था कि इस दुनिया का अंत अनपढ़ लोगों के कारण नहीं बल्कि पढ़े-लिखे मूर्ख अनपढ़ों के कारण होगा.

सामने लगे टी वी स्क्रीन पर सभी चैनलों में लोगों का धन्यवाद करना दिखाया जा रहा था. आरती सोच रही थी कि इन थाली पीटने में लगें लोगों में से कई तो वो भी होंगे जो अपने आस-पास रह रहें डॉक्टरों और अन्य जो इस महामारी से बचाव के काम में लगें हैं, उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते होंगे. आरती का मन वितृष्णा से भर गया.

यह थाली की आवाज थप्पड़ बन कर कान पर लग रही थी. आरती ने आगे बढ़ कर टीवी ऑफ कर दिया.

मजाक: कोरोना ने उतारी, रोमांस की खुमारी

मैंने बर्तन धोते धोते टाइम देखा , एक घंटा हो गया था , मुझे बर्तन धोते हुए. मुझे अचानक  नीतू की पायल की आवाज सुनाई दी, मैं डर गया, आजकल उसकी पायल की आवाज से मैं पहले की  तरह रोमांस से नहीं भर उठता  , डर लगता है कि कोई काम बताने ही आयी होगी , हुआ भी वही , मुझे उन्ही प्यार भरी नजरों से देखा जिनसे मुझे आजकल डर लगता है , बोली ,” सुनो , जरा.”

ये वही दो शब्द हैं जिनसे आजकल मैं वैसे ही घबरा जाता हूँ , जैसे एक आदमी  ,”मित्रों ” सुनकर डर जाता है.

” बर्तन धोकर जरा थोड़ी सी भिंडी काट दोगे?”

मेरे जवाब देने से पहले नीतू  ने मेरे गाल पर किस कर दिया , मझे यह किस आज कांटे की तरह चुभा , बोली ,” काट दोगे न ?”

मैंने हाँ में सर हिला दिया. बर्तन धोकर भिंडी देखी , ये थोड़ी सी भिंडी है ? एक किलो होगी यह !फिर आयी , चार प्याज और लहसुन भी रख गयी , ‘जरा ये भी’, ये इसका ‘जरा’ है न , ‘मित्रों’ जितना खतरनाक है. कौन सी मनहूस घडी थी जब कोरोना के चलते घर में बंद होना पड़ा , घर के कामों और , दोनों बच्चों की धमाचौकड़ी को हैंडल करती नीतू को मैंने प्यार से तसल्ली  दी थी , डरो मत , नीतू , मैं हूँ न ,घर पर ही तो रहूँगा अब , मिलकर काम कर लेंगें , बच्चे तो छोटे हैं , वे तो तुम्हारी हेल्प कर नहीं पायेंगें , तुम्हे जो भी हेल्प चाहिए हो , मुझे बताना ,”कहकर मैंने मौके का फ़ायदा उठाकर उसे बाहों में भर लिया था , पर मुझे उस टाइम यह नहीं पता था कि मैंने अपने पैरों पर कितनी बड़ी कुल्हाड़ी मार ली है.कोरोना के चलते मेरी आँखों के  सामने हर समय छाया रोमांस का पर्दा  हट गया है , मुझे समझ आ गया है कि सेल्स का आदमी होने के बाद भी जैसी बातें करके काम निकलवाना नीतू को आता है , मैं तो कहीं भी नहीं ठहरता उसके आगे.  बंदी घर में रहती है , पर सारे गुण हैं इसमें.और यह जो इसकी भोली शकल देखकर मैं दस सालों से इस पर कुर्बान होता रहा हूँ , यह बिलकुल भी नहीं इतनी सीधी.

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पिंकी , बबलू , हमारे दो बच्चे , जिन्हे इस बात से जरा मतलब नहीं कि क्या बोलना है , क्या नहीं , जो पापा को भारी न पड़े. कल सब्जी काटते हुए मैं फ़ोन देखने लगा , जोर से बोले , ”पापा ,फ़ोन बाद में देख लेना , कहीं आपका हाथ न कट जाए.” पोंछा लगाती नीतू ने झट से हाथ धोकर मेरा फ़ोन उठा कर दूर रख दिया , ” डिअर , बच्चे ठीक कह रहे हैं , तुम्हारा ध्यान इधर उधर होगा तो मुश्किल हो जाएगी ,”कहकर उसने बच्चों से छुपा कर मुझे आँख भी मार दी , मैं घुट कर रह गया , मुझे उसकी ये आँख मारने की अदा कल पहली बार जरा नहीं भाई , चिंता मेरे हाथ की इतनी नहीं है , जितनी इस बात की है कि काम कौन करेगा.

और मैं इसे समझा नहीं पा रहा हूँ कि वर्क फ्रॉम होम का मतलब , घर का काम नहीं होता.मेरी माँ अब तो इस दुनिया  में नहीं है, होती , और देखती कि उनका राज दुलारा प्यार में क्या से क्या बन गया है , रो पड़तीं. नीतू के भोलेपन के कई राज मेरे सामने उजागर हो रहे हैं , वह अक्सर जब यह समझ जाती है कि मैं कोई काम मना कर सकता हूँ , तो वह कुछ इस तरह बच्चों के सामने  थोड़ा दुखी सी होकर बोलती है ,सीमा का फ़ोन आया था ,बता रही थी कि आजकल उसके पति ही बाथरूम धो रहे हैं , उसकी कमर में भी मेरी तरह दर्द रहता है न. ”

बस , दोनों बच्चे मेरे गले लटक जाते हैं कि पापा , आप भी धोओ न बाथरूम .”

फिर मुझे कहाँ मौका मिलता है , खुद ही कहती है ,”बच्चों , पापा को परेशान नहीं करना है , चलो , हटो , पापा अपने आप ही मम्मी की हेल्थ का ध्यान रखते हैं.”

लो , हो गया सब अपने आप तय. मेरे बोलने की गुंजाइश है क्या ?

रात को जब सोने लेटे, हालत ऐसी हो गयी है ,नीतू ने जब मुझे प्यार से देखा , मैंने डर कर करवट बदल ली , और दिन होते तो मैंने उसके ऐसे देखने पर उसे बाहों में भर लिया होता , पर आजकल बहुत सहमा सहमा रहता हूँ कि कहीं कोई काम न बोल दे , मुझे सचमुच डर लगा कि कहीं यह न कह दे कि रात के बर्तन भी अभी कर लोगे , जरा. उसने कहा , सुनो.”

मेरे मुँह से आवाज ही नहीं निकली , वह मेरे पास खिसक आयी तो भी मैंने उसकी तरफ करवट ही किये रखी, बोली , अरे , डिअर , सुनो न.”

मैंने कहा ,”बोलो.”

”नींद आ रही है ?”

मुझे समझ नहीं आया कि क्या बोलूं , कहीं मैं गलत समझ रहा होऊं , और नीतू मेरे पास कहीं रोमांस के मूड से तो नहीं आयी है ,मैंने मन ही मन हिसाब लगाया , नहीं , इस टाइम कोई काम न होगा , बच्चे सो चुके हैं , खाना , बर्तन सब हो तो चुके हैं , अब क्या काम बोल सकती है ! हो सकता है मेरी पत्नी का इरादा नेक हो.

मन में थोड़ी सी आशा लिए मैं उसकी तरफ मुड़ ही गया ,”बोलो.”

उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी ,” सुनो , आज सारा दिन काम करते करते इस समय पैरों में बहुत दर्द हो रहा है , थोड़ा सा दबा दोगे क्या ? नींद आ रही हो तो रहने दो.”

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मेरी हालत अजीब थी , ऐसे में कौन अच्छा पति मना कर सकता है ,मैं उठ कर बैठ गया , नाइटी से झांकते उसके पैर खिड़की से आती मंद मंद रौशनी में  सैक्सी से लगे , मन कितनी ही भावनाओं में डोल डोल गया , पर उसके पैरों में दर्द था , मुझे तो उसके पैर दबाने थे , मन हुआ कल से रोज शाम को पांच बजे बालकनी में थाली , ताली नहीं , चीन और कोरोना को गाली दूंगा. कोरोना , तुम्हे मुझ जैसे शरीफ पतियों की हाय लगेगी , तुमने हमारी रोमांस  की सारी खुमारी उतार दी , तुम नहीं बचोगे. मैंने देखा , नीतू सो चुकी थी , उसके चेहरे की सुंदरता और सरलता मुझे इस समय  अच्छी  लग रही थी , पर नहीं , मैंने खुद को अलर्ट किया , नहीं , इसके चेहरे पर मत जाओ ,आनंद , यह कल सुबह फिर , सुनो जरा , कहकर तुम्हे दिन भर नचाने वाली है.मैं भी उससे कुछ दूरी रख कर लेट गया , रोमांस की कोई खुमारी दूर दूर तक नहीं थी.

#coronavirus: क्या दुनिया के 4 बड़े नेताओं की नासमझी का नतीजा है कोरोना समस्या?

चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में चेतावनी देने वाले आठ व्हिसलब्लोअर में सबसे पहले एक 34 वर्षीय चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग थे, जिन्होंने 30 दिसंबर 2019 को ही अपने साथी डॉक्टरों को कोरोना के बेहद खतरनाक होने से आगाह कर दिया था. चीनी मैसेजिंग ऐप वीचैट पर उन्होंने अपने साथियों को बताया था कि वुहान के स्थानीय सी फूड बाजार से आए सात मरीजों का सार्स जैसे संक्रमण का इलाज किया जा रहा है,जिसके लिए उन्हें अस्पताल के पृथक वार्ड में रखा गया है. डॉ वेनलियांग की यह बातचीत कुछ घंटे में ही वायरल हो गयी,जिस पर पुलिस ने उन्हें अफवाह फैलाने वाला करार देकर प्रताड़ित किया. अंततः 6 फरवरी 2020 को डॉ वेनलियांग खुद भी इसी से मर गए.अगर शी जिनपिंग की सरकार ने  एक योग्य डॉ पर भरोसा किया होता और बीमारी को छिपाने की बजाय इस पर काबू पाने के लिए दुनिया से मदद ली होती तो आज दुनिया की यह स्थिति न होती.

अमरीका में 25 मार्च 2020 की सुबह तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 55000 मामले सामने आ चुके थे और 775 लोगों की मौत हो चुकी थी.डब्लूएचओ ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस का अगला बड़ा पड़ाव अमरीका हो सकता है.तमाम मेडिकल विशेषज्ञ घबराए हुए हैं .बावजूद इस सबके अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका में लॉक डाउन के पक्षधर नहीं हैं.उनका कहना है जल्द ही सब सही हो जाएगा.उन्हीं के शब्दों में, “ईस्टर मेरे लिए बहुत ख़ास दिन होता है. उस दिन आप देखेंगे कि पूरे देश में चर्च पूरी तरह भरे होंगे.” गौरतलब है कि ईस्टर आगामी 12 अप्रैल को है.

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जिस समय यूरोप के नेता कोरोना संकट से निपटने और अलग-थलग रहने पर ध्यान दे रहे हैं,उसी समय राष्ट्रपति पुतिन क्रीमिया जा रहे हैं ताकि यूक्रेन से इसे रूस में शामिल कर लेने के छह सालों का जश्न मनाया जा सके.इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन सोशल डिस्टैंसिंग नहीं करेंगे बल्कि बाहर आएंगे, लोगों से मिलेंगे और हाथ मिलाएंगे ताकि साबित आकर सकें कि रूस में सब कुछ सामान्य है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 27 फरवरी 2020 को दिशानिर्देश जारी कर सभी देशों से कहा कि वे कोरोना संकट से निपटने के लिए अपने यहां भारी मात्रा में स्वास्थ्य सुरक्षा उपकरणों का स्टॉक इकट्ठा कर लें. इसके बावजूद भारत ने मास्क,दस्ताने, वेंटिलेटर जैसे ज़रूरी उपकरणों का निर्यात जारी रखा.जबकि डब्लूएचओ ने कहा था कि दुनिया के देश न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा उपकरणों का स्टॉक इकट्ठा कर लें बल्कि इनके उत्पादन में 40 फीसदी की वृद्धि की जाए.भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ के इन निर्देशों का ध्यान नहीं रखा.

करीब एक महीने बाद 19 मार्च 2020 को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने सर्जिकल मास्क और वेंटिलेटर के निर्यात पर रोक लगाई. जबकि माना जाता है कि भारत सरकार को पहले ही पता था कि अस्पतालों में सुरक्षा स्वास्थ्य उपकरणों की भारी कमी है.विशेषकर एन-95 मास्क और बॉडी कवर करने वाली चीजों की. बाद में भारत सरकार ने 7,25,000 बॉडी कवर,15 लाख एन-95 मास्क और 10 लाख 3-प्लाई मास्क के लिए टेंडर जारी किया है.जिनमें से अभी तक सिर्फ दो लाख मास्क की ही डिलीवरी हुई है और सप्लायर ने इनका रेट भी 266 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है.

भारत में पहली बार 30 जनवरी को कोविड-19 (कोरोना वायरस) के संक्रमण का मामला सामने आया था. इसके अगले ही दिन 31 जनवरी 2020 को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर सभी तरह के निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) जैसे कि सर्जिकल मास्क, दस्ताने, वेंटिलेटर इत्यादि के निर्यात पर तुरंत रोक लगा दी.हालांकि कुछ ही दिन बाद केंद्र सरकार ने अपने फैसले में संशोधन कर दिया. वाणिज्य विभाग ने आठ फरवरी 2020 को एक आदेश जारी कर सर्जिकल मास्क और एनबीआर दस्ताने को छोड़कर सभी तरह के दस्तानों के निर्यात को मंजूरी दे दी. ध्यान रहे कि ये सुरक्षा सामान डॉक्टरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं.

ये वे सार्वजनिक तथ्य हैं जो मीडिया में पहले से ही आये हुए हैं.क्या इन्हें गहराई से देखने पर यह नहीं लगता कि  कोरोना समस्या दुनिया के इन 4 बड़े नेताओं के नेतृत्व वाली सरकारों की लापरवाही का नतीजा है ? आखिर इस ग्लोबल विलेज युग के बावजूद कोरोना को दुनियाभर में फैलने के लिए 4 महीने का वक्त कैसे मिल गया ? शायद इसलिए कि शी चीजों को छिपाते रहे,ट्रम्प हवा हवाई छोड़ते रहे कि हमने कोरोना पर काबू पा लिया है.पुतिन को इसकी जगह अपने कार्यकाल की चिंता रही कि 80 साल में भी वह रूस के माई बाप कैसे बने रहें और हम सिर्फ हवा में विश्व गुरु बनने की सोचते हैं.बढ़कर कभी पहल करने की नहीं सोचते.

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दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह पहला ऐसा मौका है,जब किसी भी देश में आयी किसी भी किस्म की आपदा में, वहां अमरीका से पहले मदद के लिए कोई दूसरा देश पहुंचा हो या कि अमरीका की मदद कर पाने की क्षमता ही संदिग्ध दिखी हो.जी हां,शायद ही कोरोना के विरूद्ध मौजूदा जंग की आपाधापी में चीन की इस ताकत पर तत्क्षण दुनिया ने इस नजरिये से सोचा हो,लेकिन फिलहाल चीन की इस ताकत का पश्चिमी मीडिया में जबर्दस्त विश्लेषण हो रहा है.गौरतलब है कि इटली में मदद के लिए न केवल चीन अमरीका से पहले पहुंचा,बल्कि बाद में पहुंची मोबाइल यूएस एयरफ़ोर्स की मेडिकल मदद वास्तव में ऊंट के मुंह में जीरा से भी कम थी.इस तरह कुल मिलाकर देखें तो कोरोना दुनिया में सबसे पहले चीन के खाते में आफत ही नहीं लाया,उसके सुपर पॉवर होने की स्थितियां और परिस्थितियां भी लाया है.

इकोनॉमिस्ट ने कई साल पहले ही घोषणा कर दी थी की एशिया की सदी यानी चीन की सदी आ गयी है.लगता है कोरोना अब इस घोषणा की पुष्टि कर दी है क्योंकि इस मुश्किल वक्त में चीन दुनिया का लीडर बनकर उभर रहा है और लगता है पिछले 70-75 सालों से दुनिया की बादशाहत का जो तमगा अमरीका के पास था, अब वह उससे छिन रहा है.कोरोना ने दुनियाभर के लोगों को वैयक्तिक तौरपर ही नहीं डराया है बल्कि इसने बड़े करीने से दुनिया के ताकतवर देशों की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं की काबिलियत की भी जांच कर रहा है.उनकी हकीकत और बडबोलेपन इस तरह जांच हो रही है.कोरोना के खिलाफ इस जंग में लीडरशिप ही सबकुछ है.मौजूदा राजनीतिक नेताओं को इस आधार पर आंका जाएगा कि इस संकट की घड़ी में उन्होंने कैसे काम किया और कितने प्रभावी तरीक़े से इसे काबू किया.

#coronavirus: Lockdown में जो ब्लंडर कर गये मोदी जी

मेरे दोस्त और टीवी धारावाहिक लेखक राजेश पटेल उर्फ़ राजूभाई जो कि मुंबई में रहते हैं ने सोशल मीडिया में लिखा है,‘कल मोदीजी ने 21 दिन का लॉक आउट जाहिर किया और प्रजा ने किराने की दुकान में ऐसी भयंकर भीड़ जमा दी की रविवार से जो अलगाव और सुरक्षा मेन्टेन हुआ था वो मिनटों में हवा हो गया. कल रात साढ़े नव बजे मेरे स्थानिक किरानेवाले की दूकान के दो बाय दस के पैसेज में मेला लगा था मेला ! और यह वो लोग नहीं थे जिनके घर अकाल पड़ा है ! यह आप और मेरे जैसे इतने समझदार लोग है जो जानते है की आठ दिन खाए बिना भी रहा जा सकता है …

क्यों ऐसा कर रहे है लोग ?

मुझे शक्कर चाहिए थी जो आज सुबह उसी किराने वाले की दूकान से मैं ले आया – एक भी ग्राहक नहीं था उस वक्त !

क्यों बौखला जाते है लोग ?

कल मोदीजी ने तो ऐसा नहीं कहा था की जाओ भागो दूकान पर – !

मोदीजी ने तो यह कहा था की रात को बारा बजे से 21 दिन का लोक आउट …

यह स्पष्ट करना मोदीजी ने जरुरी नहीं समझा की जिवनावश्यक चीजो की, दूध और सब्जी की दूकान खुली रहेगी ..’

कल यह और इस जैसे पचासों दृश्य अकेले मुंबई में ही देखने को नहीं मिले,दिल्ली में भी यही सब देखने को मिला है…और दिल्ली ,मुंबई की ही क्यों कहें,कल पूरे देश में यही दृश्य देखा गया.क्यों ? वही बात यानी जिसे न करने के लिए मोदी जी कह रहे थे,वही कर बैठे – पैनिक.लेकिन इस लॉक डाउन से अकेले पैनिक ही नहीं हुआ और भी तमाम ब्लंडर हुए हैं,जिन्हें समय रहते सुधारा न गया तो यह लॉक डाउन कोरोना के विरुद्ध जंग के लिए तो पर्याप्त साबित होगा ही नहीं,कई दूसरी बड़ी समस्याएं भी पैदा कर देगा,जिनका न केवल हमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा बल्कि डब्लूएचओ भी निराश होगा जो कोरोना जंग में हिन्दुस्तान की तरफ बहुत उम्मीदों से देख रहा है.

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लॉकडाउन आवश्यक है, इस बात से आज भला कौन इंकार कर सकता है.लेकिन तथ्य यह भी है कि यह लॉकडाउन अपने आपमें पर्याप्त नहीं है.डब्लूएचओ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि लॉकडाउन अकेला कोरोना वायरस को पराजित करने में सक्षम नहीं होगा.क्योंकि जब लॉक डाउन खत्म होगा तो यह वायरस दूनी ताकत से पुन: हमला करेगा.हम लोग जो भारी कीमत देकर फ़िलहाल 21 दिन का लॉक डाउन कर रहे हैं, वह तब तक अधूरा है, जब तक कि इस समय का इस्तेमाल हेल्थकेयर की क्षमता में ज़बरदस्त वृद्धि करने के लिए न किया जाय. एक बात पर और ध्यान देना होगा हर महीने बैंकों में बिजली,पानी,होम लोन से लेकर कार लोन और कई किस्म के बीमा की जो तमाम ईएमआई जमा होती हैं,उनकी समूची कीमत करीब 4 लाख करोड़ की बनती है.जरा सोचिये अगर लोगों को पगार मिलना ही आने वाले दिनों में संदिग्ध है, तो यह सब भुगतान कैसे होगा ?

इसलिए माफ़ भले न हो तो भी कुछ दिन के लिए ईएमआई जैसी देनदारियां टालना तो पड़ेगा ही.यह मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि प्राइवेट बैंकों को छोडिये सरकारी महकमें तक बिल वसूलने को लेकर ज़रा भी संवेदनशीलता का परिचय नहीं दे रहे.यह बात इससे समझ सकते हैं कि  मेरे बिजली के बिल की लास्ट डेट 27 मार्च 2020 है. लेकिन कल यानी 24 मार्च को बीएसईएस की तरफ से एक दो बार नहीं पूरे 4 बार मैसेज आया है कि प्रिय ग्राहक घर में रहें, सुरक्षित रहें और बिजली का कनेक्शन बाधित न हो, इसके लिए अंतिम तारीख से पहले ही बिल ऑनलाइन भर दें.कल्पना करो 4 बार एक ही मैसेज वह भी तब जबकि मैं रोबोटिक हद तक समय पर बिल भरने के अनुशासन का पालन करता हूँ….आज तक अपवाद के लिए भी कभी देर नहीं किया.

जरा सोचिये लॉक डाउन की स्थिति में इस तरह के दबाव कितने विचलित करता हैं.क्योंकि हमें यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि देश का हर उपभोक्ता ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा नहीं रखता और 21 दिनों के लिए सख्त निर्देश है कि कोई घर से न निकले.इसके साथ ही इस लॉक डाउन में यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि रोज़ मज़दूरी करके चूल्हा जलाने वालों के घर पर ही खाने-पीने की चीज़ें पहुंचाई जाएं चाहे मुफ्त या पैसा लेकर.इसके बिना लॉक डाउन ईमानदारी से संभव ही नहीं है.एक जरूरी बात यह भी है कि जो लोग हेल्थकेयर व आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई में अपनी जान खतरे में डालकर लगे हुए हैं,उनके लिए सुरक्षा गियर की व्यवस्था करना लाज़मी है.

गौरतलब है कि स्पेन में कोरोना वायरस से जो 2696 मौतें हुई हैं,उनमें 14 प्रतिशत हेल्थकेयर वर्कर्स हैं.इस मामले में चीन का अनुभव भी बुरा है.पिछले दिनों अमरीका से प्रकाशित न्यू योर्कर पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक़ शुरू में चीन में बड़े पैमाने पर हेल्थ केयर वर्कर्स की जान गयी.तब चीन की समझ में आया और उसने सबसे पहले सबसे ज्यादा इन्हें इक्विप्पड किया.तब जाकर चीजें काबू में आयीं.इस पृष्ठभूमि में जरा सोचिये हमारे यहां क्या स्थिति है ? हमारे 90% हेल्थ वोरकर भगवान भरोसे हैं.अनेक सरकारी डाक्टरों ने शिकायत की है कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) जैसे मास्क, दस्ताने व हैजमत शूट/बॉडी ओवरआल्स की ज़बरदस्त कमी है.

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जबकि डब्लूएचओ अधिक से अधिक लोगों को टेस्ट करने के महत्व पर निरंतर बल दे रहा है. संक्षेप में बात सिर्फ इतनी सी है कि यह लॉकडाउन सरकार की तरफ से युद्धस्तर पर हेल्थ केयर सुविधाओं की तैयारी की मांग करता है.लेकिन कोरोना जांच की सारी ज़िम्मेदारी सरकार आम आदमी पर डालने की कोशिश कर रही है वह भी काफी ज्यादा 4500 रूपये की फीस पर.जबकि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (बेंगलुरु) ने जो कोविड-19 टेस्ट किट विकसित की है वह नयी, अच्छी व सस्ती है.इसके मुताबिक़ मात्र 1000 रूपये में टेस्ट संभव है.ऐसे में इसलिए प्राइवेट लैब्स के लिए जो टेस्ट फ़ीस तय की गयी है यानी 4500 रूपये क्या वह वाजिब है ? वास्तव में यह तो बुरे समय की लूटमार सरीखी है.इन तमाम ब्लंडर के साथ लॉक डाउन की सफलता संदिग्ध है.अतः देर होने के पहले प्रधानमंत्री जी इसमें सुधार करें.तभी देश और दुनिया का भला होगा.

#coronavirus: सब्यसाची मुखर्जी ने उठाया ये कदम, जमकर हो रही है तारीफ

कोरोनावायरस के चलते जहां देश में लौकडाउन हो गया है. वहीं इससे कई लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है. लेकिन इसी बीच देश के फेमस डिजाइनर सब्यसांची का अपने कर्मचारियों के लिए उठाया कदम लोगों को काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सब्यसाची ने उठाया ये कदम

फैशन डिजाइनर सब्यसाची की ओर से इंस्टाग्राम पर अपने फैन्स और कस्टमर्स को बताया है कि उनके सभी स्टोर्स को बंद कर दिया गया है. यह कदम मौजूदा स्थिति को देखते हुए उठाया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई उनसे जानकारी लेना चाहे तो वॉट्सऐप या ईमेल के जरिए कॉन्टैक्ट कर सकता है. वहीं जिनके ऑर्डर पहले से दिए जा चुके हैं वे जरूर पूरे किए जाएंगे.

फैंस ने की तारीफ

 

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#StayHome #SocialDistancing #StayResponsible #Sabyasachi

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सब्यसाची की ओर से इस इंस्टाग्राम पर एक और सूचना दी गई, जिसे पढ़े-लिखे लोगों ने उनकी जमकर तारीफ की. पोस्ट में बताया गया कि उनके लिए अपने ग्राहकों के साथ ही अपने कर्मचारियों की सेहत भी मायने रखती है. वैसे तो इन दोनों चीजों में आमतौर पर बैलेंस रखा जाता है लेकिन मौजूदा स्थिति में वह दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए बाध्य हैं.

कर्मचारियों को मिलेगा वेतन

 

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Mumbai is a city of dreams, and it’s where our next Band Baajaa Bride calls home. Rajshree Mhatre @shree_106 embodies every bit of the Mumbai dream, where hard work, love and sacrifice work together to create a perfect wedding and an exciting future. Rajshree is the daughter of Avdhut Madhav Mhatre, a vegetable vendor, and Sunanda Avdhut Mhatre, who sells fish at the local market in Mumbai’s suburb, Kandivali. Along with her younger sister, the four of them have their own world, taking care of each other. As with most primary earning members in a family, Rajshree has taken it upon herself to provide for her family. Making herself a priority is a privilege she never considered. A humble upbringing, a school sweetheart, and a job in the financial world—surely these are the ingredients for a fairy tale ending? But a Band Baajaa Bride merits all this and more. As integrity and honesty take centre stage, Rajshree is taken on a whirlwind trip, to seal the deal as a bride who deserves all the surprises in store for her, and much, much more. Watch her inspiring story unfold tonight at 8 pm, Tuesday 7 pm, Wednesday 9 pm and Saturday 8 pm on Goodtimes @mygoodtimes @ambikaanand (Tata Sky 762 & Airtel Digital 410) Bridal Room Decor and Production Design by @vandanamohan_wdc @theweddingdesigncompany #Sabyasachi #SabyasachiBride #BridesOfSabyasachi #SabyasachiJewelry #BandBaajaaBrideSeason9 #BandBaajaaBride #BBB #BBBS9 #FaceEntertainment #MoniaPinto #TheWorldOfSabyasachi @sabyasachijewelry , @bridesofsabyasachi , @face.entt

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सब्यसाची की ओर से यह भी बताया गया कि उनके लिए यह पीक सीजन है लेकिन बावजूद इसके वह तत्काल प्रभाव से अपनी सभी फैक्टरीज और शौप्स को बंद कर रहे हैं व वहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जा रहा है. वहीं लीव पर भेजे गए सभी कर्मचारियों को उनकी सैलरी बराबर दी जाएगी. पोस्ट में लिखा गया कि जब तक संभव हो सकेगा वे सभी को सैलरी का भुगतान जारी रखेंगे.

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बता दें, सब्यसांची एक ब्राइडल और इंडियन आउटफिट डिजाइन्स का एक फेमस ब्रैंड है. जिसके कलेक्शन को बौलीवुड भी पहनता है. वहीं ब्राइडल्स के लिए यह सबसे फेमस ब्रांड है.

Lockdown के चलते दादी और सुरेखा इकठ्ठा करने लगी खाने-पीने का सामान तो नायरा-कार्तिक ने ऐसे लगाई क्लास

कोरोनावायरस (Coronavirus Outbreak) के चलते लौक डाउन का असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है, जहां लोग इस बीमारी से बचने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं तो वहीं लोगों के सामने राशन को लेकर भी परेशानी सामने आ रहा है. दूसरी तरफ कुछ लोग इन परेशानी का फायदा उठाकर लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा रहे हैं. इसी बीच सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Ye Rishta Kya Kehlata Hai) की पूरी टीम एपिसोड में अपनी औडियंस को राशना जमा ना करने की सलाह देते हुए नजर आई. आइए आपको दिखाते हैं क्या होगा शो में आगे….

कार्तिक-नायरा की बढ़ी मुसीबत

इन दिनों शो में जहां कार्तिक (Mohsin Khan) -नायरा (Shivangi Joshi) अपनी बेटी कायरा को ढूंढने को लेकर परेशान हैं तो वहीं सुरेखा और दादी लॉकडाउन की खबरें सुनकर परेशान हो गईं और वह घर में खत्म हो चुकी चीजों का स्टॉक मंगवाने लगीं. दादी और सुरेखा आपस में बात करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं किया तो आने वाले दिनों में हमें खाने के लाले पड़ जाएंगे.

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नायरा ने दादी को समझाया

 

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नायरा और कार्तिक, सुरेखा और दादी के बीच में हो रही बातचीत को सुन लेते हैं और कहते हैं कि वह ऐसा ना करें. साथ ही समझाते हैं कि वह ऐसा ना करें क्योंकि ऐसा करना ठीक नहीं है. बात को अनसुना करती दादी को समझाने के लिए नायरा बहुत कोशिश करती है औऱ आखिर में नायरा और कार्तिक दादी को समझाने में कामयाब हो जाते हैं. वहीं इससे नायरा और कार्तिक दर्शकों को भी इशारों-इशारों में समझाती है कि वह इस स्थिति में संयम से काम लें और जरुरत का सामान ही ऑर्डर करें.

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बता दें, जल्द ही शो में दादी का नया ड्रामा देखने को मिलने वाला है , जिसमें वह कायरा को अपनाने से इंकार कर देंगी साथ ही नायरा और कार्तिक को कायरव और कायरा में से किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी.

तकलीफ आनी है और आप उससे उन्हें बचा नहीं सकते – श्रुति सेठ

मॉडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री और वी जे श्रुति सेठ को पहचान टीवी शो ‘शरारत’ से मिली इसके बाद उन्होंने कई धारावाहिकों, फिल्मों और वेब सीरीज में काम किया है. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर फिल्में की और सफल रही. फिल्मों में कम दिखाई पड़ने को वह चूजी नहीं कहती, क्योंकिवह हमेशा कुछ न कुछ अलग काम करना पसंद करती है, इसलिए उन्हें जो भी काम रुचिपूर्ण लगा करती गयी. काम के दौरान उन्होंने फिल्म डायरेक्टर दानिश असलम से शादी की और एक बेटी अलीना की मां बनी. अभी उनकी वेब सीरीज मेंटलहुड रिलीज हो चुकी है, जिसे उसने एक सिंगल मदर की भूमिका निभाई है, हालाँकि उनकी बेटी अभी बहुत छोटी है, पर उन्हें इस भूमिका को करना चुनौतीपूर्ण लगा. इन दिनों श्रुति अपने घर पर पूरी तरह से लॉक डाउन है और अपने परिवार के साथ अच्छा समय गुजार रही है, पेश है, उनसे हुई बातचीत के कुछ खास अंश.

सवाल- इस वेब सीरीज की खास बात क्या रही? इसमें आपकी भूमिका क्या है?

इसकी कांसेप्ट बहुत अच्छी थी, साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में सभी माओं को अपने बच्चे की परवरिश में जो मुश्किलें आती है, उसे दिखने की कोशिश की गयी है, इसमेंउसका कैरियर, बच्चे, शादी को चलाना आदि सब कुछ दिखाया गया है.

इसमें मैं दीक्षा की भूमिका निभा रही हूं, जो सिंगल मदर है, जिसकाडिवोर्स होने वाला है और ये मां अपने बच्चे को हमेशा नैचुरोपैथी पर रखती है, जिसका मजाक आसपास के सभी लोग उठाते है. कई बार ये मां अपनी जिद पर अपने बच्चे की जिंदगी को खतरे में डाल देती है.

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सवाल- आज के माता-पिता अपने बच्चे को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते है, ऐसे में बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है, आपकी सोच इस बारें में क्या है? आप कैसी मां है?

मेरी बेटी साढ़े 5 साल की है और मैं जानती हूं कि आज के माता पिता चाहते है कि वे अपने बच्चे की परवरिश सबसे अच्छी तरह से दें. उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ वे देना नहीं चाहते, पर लाइफ में तकलीफ तो आनी है और आप उससे उन्हें बचा नहीं सकते. इसलिएपहले से अगर बच्चा इन तकलीफों को झेलना सीख लें, तो आगे उन्हें कोई समस्या नहीं आयेगी. हमेशा के लिए आप उनका साया बनकर उसके आसपास घूम फिर नहीं सकते. मैं भी घबराती हूं, जब मेरी बेटी को चोट लगती है, लेकिन मैं थोड़ी बहुत तकलीफों को खुद हैंडल करना उसे सीखाने की कोशिश करती हूं, क्योंकि मैं एक वर्किंग मदर हूं और हमेशा घर पर नहीं रह सकती. उसे अपने आप को मेनेज करना सीखना पड़ेगा और यही सीख सभी माता-पिता के लिए है. मुश्किल है पर करना जरुरी है.

 

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Have you watched #Mentalhood yet? All episodes streaming on @altbalaji & @zee5premium None of us realise the struggles of being a mother till you become one and still there’s so much to learn. We’ve all taken our mothers for granted, not valued(enough) the sacrifices they’ve made, the selfless love they have showered upon us. This show will give you a glimpse of what it’s like to be a mother. And I’m sure you’ll relate to it whether or not you’re a parent. And most of all you’ll really, really be very thankful for all that mothers do, to keep the world spinning. This is a thank you to my mom for helping me become who I am and for loving me even when I did some pretty hateful stuff. For not pushing me hard and yet motivating me. For assuaging my fears and anxiety. For always putting my needs and desires above her own. For supporting me when I became a mom and helping me go back to work by sharing the responsibility of raising my daughter. For always telling me that her love is the only unwavering force in my life. I can never return that kind of love to her but I hope I can pass it on to my little girl. P.S: No one will ever love you like your mother does. Tell me in the comments below what you love most about your mom and please give her a hug from me.

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सवाल- आपके माता-पिता आपको लेकर कितना प्रोटेक्टिव थे?

मैंने अपनी मां को बहुत परेशान किया है,पर इतना सही है कि सबसे अधिक करीबी रिश्ते वाले वही होते है, जिसे बच्चे अपना समझते है और जाने अनजाने में परेशान भी करते है. मेरे माता-पिता ने भी मुझे बहुत धैर्य के साथ बड़ा किया है और मैं हमेशा उनकी शुक्रगुजार रहूंगी.

सवाल- फिल्मों में कम दिखाई पड़ने की खास वजह क्या है? क्या आप चूजी है?

ये सही है कि मुझे फिल्म होने पर भी बेतुके रोल करना पसंद नहीं. अभी मैं टीवी और वेब सीरीज पर काफी व्यस्त हूं. आगे चलकर देखना है कि कुछ अच्छी भूमिका मुझे मिले और काम करूँ.

सवाल- आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है? क्या कोई मलाल रह गया है?

मैं अपनी जर्नी से बहुत संतुष्ट हूं. ये सही है कि हर कोई उम्मीद से अधिक पाने की इच्छा करता है. मैंने अब तक जो भी काम किया है, अपनी इच्छा से किया है. मेरे मुकाबले में दूसरे कलाकार जो अधिक  पोपुलर या अधिक अमीरहै,ऐसे में कई बार उन्हें देखकर लगता है कि काश उस समय मैं कई और शो कर लेती, तो अच्छा होता. उस बात की कभी- कभीमलाल होता है, पर मैंने खुद से सारे निर्णय अपने काम के लिए लिया है. बहुत कम लोगों को 20 साल का कैरियर मिलता है. साथ ही लोगों का प्यार भी मुझे बहुत मिल रहा है और ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है.

सवाल- आज की कहानियों में आये बदलाव को कैसे देखती है?

दर्शक आज के बदले है, उनकी रूचि और सोच बदली है, ऐसे में कहानियों का बदलाव सही है. वक्त के साथ कहानियों का बदलना जरुरी है. आज अच्छी कहानियां और अच्छे कंटेंट बन रही है,दर्शक देख रहे है. ये समय कलाकार, लेखक, निर्माता, निर्देशक के लिए अच्छा है. इससेहमें और अधिक प्रोत्साहन देने की जरुरत है, ताकि और नयी-नयी कहानियां दर्शकों तक पहुंचे.

सवाल- क्या अभिनय के अलावा कुछ और शौक रखती है ?

मैं जब कुछ नया देखती हूं तो लगता है कि ऐसी ही कुछ कहानियां हमारे देश में भी बनायीं जानी चाहिए. मसलन औरतों के बारें में कुछ अच्छी चीजे जो वे कर सकती है. घर पर बैठकर किचन पॉलिटिक्स से हटकर उन्हें आज अलग-अलग काम करने की आवशयकता है. इसके अलावा मैं अपने भाई और पति के साथ मिलकर कुछ प्रोड्यूस करने की इच्छा रखती हूं.

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सवाल- इस समय आप घर पर रहकर क्या कर रही है? क्या मेसेज देना चाहती है?

अभी कोरोना वायरस की वजह से हम सभी घर में कैद है और इस वायरस से हमें निकलना है. इसमें उन्हें साहस देने की जरुरत है, जो लोग दिन रात हमारी सुरक्षा में लगे है और काम कर रहे है. वे हमसे घरों में रहने के लिए कह रहे है और हम सबको इस बात को माननी है, ताकि इससे हमें जल्द से जल्द मुक्ति मिले. मैंइस समय घर का ख्याल रखना, बेटी के साथ खेलना,फिल्में और टीवी देखना, वर्कआउट करना आदि कर रही हूं.

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा: भाग-2

कनिष्क पूरा दिन इंतजार करता रहा. लेकिन उस लड़की ने रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं की. आखिर उसे खुद को रोका नहीं गया और उस ने उसे मैसेज कर दिया, ‘हाय, आई एम कनिष्क. मैं ने तुम्हें मैट्रो में देखा था, आज तुम मेरे बगल में आ कर बैठी भी थीं. मैं तुम से बात करना चाहता था. और हां, मैं ने तुम्हारी कुछ तसवीरें भी ली थीं, तुम इतनी सुंदर लग रही थीं कि

मैं खुद को रोक नहीं पाया,’ कनिष्क ने इतना लिखा और तसवीरें उस लड़की को भेज दीं.

5 मिनट बाद ही उधर से रिप्लाई आ गया, ‘हाय, ये तसवीरें बहुत खूबसूरत हैं, थैंक्यू.’ कनिष्क तो मानो रिप्लाई देख कर उछल पड़ा. उस ने लिखा, ‘ओह वेल, आई एम ग्लैड. बाई द वे तुम्हारा नाम क्या है?’

‘रीतिका,’ रिप्लाई आया.

‘तुम्हारा नाम भी तुम्हारी तरह ही खूबसूरत है,’ कनिष्क ने लिखा और उस की मुसकराहट मानो जाने का नाम ही नहीं ले रही थी.

‘हाहाहा, इतनी तारीफ?’

‘तुम हो ही तारीफ के काबिल, वैसे मेरा नाम कनिष्क है. मैं हंसराज कालेज का स्टूडैंट हूं, और तुम?’

‘गार्गी कालेज, सैकंड ईयर बीकौम,’ रीतिका ने उधर से लिखा.

‘ओहह, इंप्रैसिव.’

‘थैंक्स.’

कनिष्क सोच में पड़ गया कि अब क्या लिखे. उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि अब आगे क्या कहे सो, वह पूछ उठा, ‘तुम ने अपना यूजरनेम टोस्का क्यों रखा?’

‘मुझे इस का अर्थ पसंद है, मैं खुद को इस शब्द से कनैक्ट कर पाती हूं.’

‘मैं ने इस शब्द को गूगल किया था. यह रूसी शब्द है जिस का अर्थ है अनंत दुख, दर्द, पीड़ा. आखिर इतने दुखी शब्द से तुम कनैक्ट कैसे कर लेती हो?’

‘बस, कर लेती हूं, कोई विशेष कारण नहीं है इस के पीछे.’

‘अच्छा, तुम्हें किताबें पढ़ना भी पसंद है न?’

‘हां, बेहद.’

‘अच्छा सुनो?’ कनिष्क ने लिखा.

‘कहो,’ रीतिका ने कहा.

‘तुम ने अब तक मेरी रिक्वैस्ट एक्सैप्ट नहीं की है, मैं तुम्हारी प्रोफाइल नहीं देख पा रहा हूं.’

‘हां, नैटवर्क में कुछ प्रौब्लम है शायद. नैटवर्क ठीक होते ही एक्सैप्ट कर लूंगी.’

‘ओह, कोई बात नहीं. वैसे एक बात कहूं?’

‘कहो.’

‘तुम्हें देखते ही तुम पर क्रश आ गया था मुझे,’ कनिष्क खुद को कहने से रोक नहीं पाया.

‘सचमुच?’

‘हां, सच. तुम ने तो मुझे बिलकुल नोटिस नहीं किया था वैसे.’

‘ऐसा तो कुछ नहीं है. तुम अपना फोन हाथ में ले कर बैठे थे, बारबार मेरी तरफ देख रहे थे. तुम ने ग्रीन शर्ट पहनी थी चैक वाली. ब्लैक स्पोर्ट्स शूज और ब्लू जींस. मैं तुम्हारे बगल में आ कर बैठी थी तो तुम्हारे चेहरे पर मुसकान आ गई थी.’

रीतिका का मैसेज देख कर कनिष्क सातवें आसमान पर पहुंच गया. वे दोनों रातभर एकदूसरे से बातें करते रहे. कौन सा गाना पसंद है, खाने में क्या पसंद है, कालेज की ऐक्टिविटीज, दोस्तयार. लगभग हर टौपिक पर दोनों बातें करते रहे. देखतेदेखते कब सुबह के 4 बज गए, दोनों को पता ही नहीं चला.

‘वैसे किताबें किस तरह की पढ़ती हो तुम, फिक्शन या नौनफिक्शन?’

‘दोनों ही, लेकिन मुझे फिक्शन ज्यादा पसंद है.’

‘ऐसा क्यों? हकीकत से बेहतर कल्पनाएं लगती हैं तुम्हें?’

‘हकीकत मुझे डराती है.’

‘अच्छा, फिर बीकौम क्यों ली तुम ने? उस में तो सब हकीकत ही है, कुछ कल्पना नहीं है.’ कनिष्क ने चुटकी लेने के अंदाज में पूछा.

‘हाहा, टौपर थी मैं स्कूल में और फर्स्ट सैमेस्टर की भी.’

‘तुम तो समझदार भी हो मतलब.’

‘वो तो मैं हूं.’

‘कल मिलोगी?’ कनिष्क ने मैसेज किया. उधर से मैसेज का जवाब आया, ‘सुबह

8:55, सुभाष नगर मैट्रो स्टेशन.’

‘मिलते हैं,’ आखिरी मैसेज में कनिष्क ने छोटा सा दिल भी भेज दिया और उधर से भी रिप्लाई में दिल आया तो उस की खुशी और बढ़ गई.

अगली सुबह कनिष्क 8:40 पर ही मैट्रो पर पहुंच गया. वह इंतजार में था कि कब रीतिका आए और वह उस का चेहरा देखे, उस से हाथ मिलाए, बातें करे. उस ने सुबह से अब तक रीतिका को कोई मैसेज नहीं भेजा. उसे लगा, कहीं वह ज्यादा उत्सुकता दिखाएगा तो रीतिका उसे डैसप्रेट न समझने लगे. वह मैट्रो में नवादा से चढ़ा था और लगभग 5 मिनट में ही सुभाष नगर पहुंच गया था. वह सुभाष नगर मैट्रो स्टेशन के प्लैटफौर्म पर रखी बैंच पर बैठ गया. उस की नजरें बारबार रीतिका के इंतजार में दाईं ओर मुड़ रही थीं.

वह सोच रहा था कि रीतिका से क्या कहेगा, हाय कैसी हो, नहीं यह नहीं. हाय यू लुक ब्यूटीफुल, नहीं यह तो बड़ा फ्लर्टी साउंड कर रहा है. हैलो, आज तो तुम कल से भी ज्यादा सुंदर लग रही हो, हां परफैक्ट, कनिष्क सब सोच ही रहा था कि एक लड़की उस के सामने आ कर रुक गई. वह समझ गया कि यह रीतिका है. आज उस ने पीला टौप पहना हुआ था, बाल खोले हुए थे और चेहरे पर अब भी मास्क था. रीतिका की आंखें खुशी से चमचमाती हुई दिख रही थीं. कनिष्क की आंखों में उस से मिलने की ललक साफसाफ झलक रही थी.

‘‘हाय,’’ रीतिका ने कहा और हाथ आगे बढ़ाया.

‘‘हैलो,’’ कनिष्क ने कहते हुए हाथ मिलाया. वह कुछ और कह पाता उस से पहले ही रीतिका ने अपना मास्क उतारना शुरू कर दिया. कनिष्क का चेहरा अचानक पीला पड़ गया. वह रीतिका का चेहरा देख कर दंग रह गया. रीतिका के होंठों का आकार बिगड़ा हुआ था, वे कटेफटे हुए लग रहे थे. ऐसा लग रहा था मानो कोई हादसा हुआ हो उस के साथ. उस की सारी खूबसूरती उस के होंठों की बदसूरती से धरी की धरी रह गई. कनिष्क की आंखें फटी हुई थीं. कुछ कहने के लिए जैसे उस की जबान पर ताले पड़ गए थे.

रीतिका शायद समझ चुकी थी कनिष्क के मन का हाल. उस ने कहा, ‘‘ओह, मैं अपने नोट्स घर भूल गई हूं आज सबमिट करने थे कालेज में. मैं तुम से बाद में मिलती हूं, तुम जाओ कालेज के लिए लेट हो जाओगे वरना,’’ रीतिका ने बनावटी मुसकराहट के साथ कहा.

कनिष्क ने ओके कहा और मैट्रो उस के सामने आ कर रुकी ही थी कि वह उस में चढ़ गया. पूरे रास्ते वह सोचता रहा कि अब क्या करे. अब उसे रीतिका की खूबसूरती नजर नहीं आ रही थी बल्कि उस के चेहरे का वह दाग बारबार उस की आंखों के सामने आ रहा था. उस ने फोन चैक किया तो रीतिका उस की फौलो रिक्वैस्ट एक्सैप्ट कर चुकी थी. उस ने उस की प्रोफाइल देखी तो एक बार फिर उस के होंठों की जगह मांस के लोथड़े को देख उस का मन खीझ उठा.

आगे पढ़ें- वह कालेज पहुंचा और अपनी…

#coronavirus: कोरोना से घातक है अंधविश्वास का वायरस

पूरा विश्व करोना नाम की महामारी से जूझ रहा है और हम अपने को आधुनिक मानने वाले लोग आज भी अंधविश्वास को छोड़ नहीं पा रहे. कहने को यह 21वीं सदी का वैज्ञानिक दौर है लेकिन सोच अभी भी कुछ लोगों की वही पुरानी और दकियानूसी.

उदाहरण 1

मध्य प्रदेश के जिला भिंड को ही लीजिए. यहां लोग आजकल रात के समय अपने घर के बाहर यमदीप चला रहे हैं और तर्क यह है कि इस दीपक से यमराज प्रसन्न होंगे और मृत्यु उन लोगों से दूर रहेगी. साथ ही अगर घर में कोई रामचरितमानस है व उसके किसी पन्ने पर कोई बाल मिलता है .तो उसे पानी में घोलकर पीने से करोना महामारी से बचे रहेंगे.सबसे हैरानी की बात यह है कि बे पढ़े लिखे तो दूर ,पढ़े लिखे लोग भी यह सब टोटके अपना रहे हैं.

उदाहरण 2

बांकेगंज, गुलरिया और तिकुनियां कस्बे में दो दिन पहले रात को नौ बजे अधिकांश महिलाओं ने नलों से बाल्टियों में पानी भरना शुरू कर दिया. और फिर मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं में यह पानी लौटा .जिस महिला की जितनी संतान थी उसके हिसाब से बाल्टियां भरी. फिर वापिस आकर घरों की देहरी पर दिए जलाए.ताकि उनका घर पति और संतान महामारी से बचे रहें.

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उदाहरण 3

वहीं  कल सुबह बांकेगंज इलाके के कुछ गांवों में सभी औरतों ने मसाला पीसने वाली सिल के बीचोबीच गाय का गोबर रखकर ,इस भारी सिल को सिर पर रखकर पूरे गांव का चक्कर लगाया. उनका मानना था तरह की पूजा से उनके इष्ट प्रसन्न हो जाएंगे और गांव में महामारी कदम नहीं रखेगी.

उदाहरण 4

गुलरिया नामक गांव में तो महिलाएं सब लोगों से दस दस रुपये इकट्ठा करती दिखी. जिसके पीछे उद्देश्य था दूसरे के रुपए से हरी चूड़ियां खरीद कर पहनना. ताकि उनकी संताने जीवित रह सके.

उदाहरण 5

अभी हाल में ही एक हिंदी मूवी आई थी स्त्री .उसी की नकल करते हुए , आजकल काशी की गलियों में ‘ओ कोरोना कल आना’ के पोस्टर लगाए गये हैं.

उदाहरण 6

जमीयत उलेमा हिंद मेरठ ,के शहर काजी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सब लोग पाँच समय नमाज करें. और अल्लाह से रो-रोकर दुआ मांगे . उनके अनुसार दुनिया में लोग जब  अल्लाह की ना फरमानी करते हैं तभी ऐसे प्रकोप होते हैं.

उदाहरण 7

इन दिनों ईरान, तेहरान, चीन, में हर रोज हालात बद से बदतर हो रहे हैं और ऐसे में लोग धार्मिक स्थलों का दरवाजा चाट रहे हैं .ताकि कोरोना का प्रकोप उन पर असर ना करें.

यह सब अंधविश्वास को लेकर कुछ उदाहरण है ,जो इन इन दिनों देश में ही नहीं विदेशों में भी लोगों की मानसिकता पर असर करने लगे हैं.

हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि लोग ऐसे समय में भी दूसरे को ठगने या बेवकूफ बनाने से बाज नहीं आ रहे. डरे हुए लोगों को किस्से कहानियों के जरिए उनकी समस्याओं को दूर करने का विश्वास दिलाकर और सब परेशानियों से बचाने का आश्वासन देकर ठगविद्या जोरो से चालू है. यदि कोई समझदार इन अंधविश्वासों पर प्रकाश डाले तो उसको पूरी तरह से खारिज कर बेवकूफ करार दिया जा रह है. साथ ही अल्लाह, भगवान, वेद पुराण आदि नामों पर इतनी भ्रामक स्थितियां पैदा की जा रही हैं कि इंसान फंसा हुआ महसूस कर आने को मजबूर है.

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यह अंधविश्वास फैलाने वाले लोग वे लोग  हैं जिन्होंने शायद कभी इन पुराणों को हाथ लगाकर ना देखा हो. अब सहीी या गलत का फैसला आपके हाथ में है. अपनी समझ और विवेक को जागृत रख ऐसे समय में अज्ञान की और अंधविश्वास की इस काली मोटी चादर को उतार फेंके.

अब आप खुद ही तय कीजिए क्या यह सोच सही है. क्या कोरोना वायरस पर फैलता अंधविश्वास आपको इस महामारी से बचा पाएगा? जरूरी है कि आप किसी भी प्रकार की अफवाह या अंधविश्वास से बचें. यह अफवाहें और अंधविश्वास आपकी जान को जोखिम में डाल सकती हैं.

#coronavirus: बौडी में घुसकर कोरोना वायरस आखिर कैसे नुकसान पहुंचाता है?

कोरोना वायरस जिसने हम सभी को घरों में रहने पर मजबूर कर दिया है. लेकिन हम सब भी इसका मिलकर मुकाबला कर रहे हैं और यकीकन जल्द ही इस पर काबू भी पा लेगें. इस दौरान हमें घबराने की जरूरत नहीं है और ना ही अफवाहों पर ध्यान देने की जरूर है. जरूरत है तो सावधानी बरतने की और अपना ख्याल रखने की. इसलिए पूरे देश को लौकडाउन कर दिया गया है. कोरोना वायरस को हराने के लिए आज पूरा देश एक साथ है. समय-समय पर  WHO इससे जुड़ी जानकारी हमारे सामने ला रहे हैं. इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि यह वायरस शरीर में जाने के बाद किस तरह बौडी को नुकसान पहुंचाता है.

शुरुआती लक्षण

जब सांसों के जरिए कोरोना वायरस किसी व्यक्ति के शरीर के अंदर पहुंचता है, तो इसके शुरुआती लक्षण बेहद मामूली से नजर आते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह अपना भयानक रूप ले लेता है. जब कोविड-19 बॉडी पर अटैक करता है तो इसके शुरुआती समय को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है. इन्क्यूबेशन पीरियड इंफेक्शन और लक्षण दिखने के बीच का वक़्त होता है. शरीर के अंदर जाने के बाद ये वायरस सबसे पहले इंसान के गले की आसपास की कोशिकाओं पर हमला करता है. इसके बाद सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है. इस स्टेज में आने के बाद ज्यादातर पेशेंट्स को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.

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ऐसे बढ़ती है वायरस की संख्या

सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करने के बाद यह वायरस यहां पर धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाने लगता है. ऐसे में कोरोना वायरस खुद को शक्तिशाली बना लेता है तो यह बाकी कोशिकाओं पर भी तेजी से हमला करने में लग जाता है. इस दौरान पेशेंट खुद को बीमार महसूस करने लगता है. वायरस का असर बढ़ने पर बुखार खांसी, बदन दर्द, गले में खराश और सिर दर्द जैसे संकेत नजर आने लगते हैं. इस दौरान आपके शरीर का इम्युन सिस्टम वायरस से लड़ने की कोशिश करता है. वायरस को ख़त्म करने के लिए शरीर का इम्युन सिस्टम, साइटोकाइन नाम का केमिकल छोड़ना शुरू करता है. शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति पूरे ज़ोर से हमले का जवाब देने में जुट जाती है और इस कारण आपको बदन दर्द और बुखार भी हो सकता है. कोरोना वायरस की वजह होने वाली खांसी ज्यादातर सूखी खांसी होती है जिसमें बलगम नहीं आता. कुछ लोगों को इस दौरान खराश की शिकायत भी देखी जाती है.

सूजने लगती है बौडी

ये स्थिति क़रीब एक सप्ताह तक हो सकती है, लेकिन जिन लोगों का इम्युन सिस्टम वायरस से लड़ने में कामयाब होता है, उनका स्वास्थ्य एक सप्ताह के अंदर ही सुधरने लगता है. लेकिन कुछ मामलों में व्यक्ति का स्वास्थ्य और बिगड़ जाता है और कोविड 19 के गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं. हाल में कुछ रिसर्च सामने आई हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से नाक बहने और सर्दी ज़ुकाम के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं, लेकिन प्रॉब्लम बढ़ने पर यह गंभीर रूप लेने लगता है. इस दौरान शरीर में जो केमिकल बनते हैं उनकी वजह से शरीर सूजने लगता है. कभी-कभी इस सूजन के कारण शरीर को गंभीर नुकसान भी पहुंचता है.

चीन में 56,000 पीड़ित लोगों के बारे में इकट्ठा की गई जानकारी पर आधारित विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिसर्च यह बताती है कि 14 फ़ीसदी लोगों में इंफेक्शन के इस तरह के गंभीर लक्षण देखे गए.

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बौडी के और्गन पर बुरा असर

इस वायरस सीधा असर किडनी पर पड़ सकता है. बता दें कि किडनी खून साफ करने का काम करती है, लेकिन गंभीर स्थिति में आने के बाद किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है. साथ ही इससे शरीर में मौजूद आंतड़ियों पर भी बुरा असर पड़ने लगता है. इस वायरस के कारण शरीर की सूजन इतनी बढ़ जाती है शरीर के कई ऑर्गन फेल हो जाते हैं जिससे इंसान की मौत भी हो सकती है. इसलिए भलाई इसी में है कि इस वायरस को शरीर के अंदर घुसने ही न दिया जाए, सावधानी बरतें और सुरक्षित रहें.

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