Coronovirus Effect: सनी लियोनी ने बच्चों को पहनाया मास्क, कही ये बात

इन दिनों पूरी दुनिया कोरोना वायरस के डर में है. सभी इस वायरस से बचने के लिए पूरी सावधानी बरत रहे हैं. सनी लियोनी (Sunny Leone) ने अपने बच्चों को भी इस वायरस से बचाने की पूरी तैयारी कर दी है. उन्होंने अपने दोनों बच्चों और पति के साथ फोटो शेयर की है. आइए आपको दिखाते हैं कोरोना से लड़ने के लिए सनी लियोनी (Sunny Leone) की तैयारी…

सनी शेयर की फोटो

सनी लियोनी (Sunny Leone) की शेयर की गई फोटो में उनके पूरे परिवार ने मास्क पहना हुआ है. सनी ने इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा, ‘बहुत बुरा लग रहा है की मेरे बच्चों को ऐसा रहना होगा, लेकिन ये बहुत ज़रूरी है. बच्चों को मास्क पहनने की ट्रेनिंग देने का पहला दिन.’ सनी ने इस पोस्ट के ज़रिए लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी है.

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अनूप जलोटा को आइसोलेशन में रखा गया


अनूप जलोटा हाल ही में यूरोप से लौटे हैं. दरअसल, यूरोप के होलैंड, जर्मनी, लेस्टर और लंदन‌‌ जैसे 4 शहरों में अपने शोज करने‌ के बाद अनूप आज ‪सुबह 4 बजे मुंबई के एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. फिर वहां से उन्हें सीधे मिराज होटल ले जाया गया. उन्हें अभी आइसोलेशन में रखा गया है.

बाकी लोगों से की ये अपील…

 

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Consider Home Quarantine as Quality time with yourself and family. Play your part to stop #covid19 from spreading further.

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अनूप ने बाकी पैसेंजर्स को कहा, मैं सभी पैसेंजर्स से अपील करता हूँ कि वे लोग जैसे ही भारत में लैंड करें, वैसा ही अपना चेकअप कराएं.

रुकी फिल्म और टीवी शोज की शूटिंग…

कोरोना वायरस के चलते कई फ़िल्मों और टीवी शोज़ की शूटिंग रोक दी गई है. सभी ने घर में रहकर इस वायरस से बचने का फ़ैसला लिया है. इसके साथ ही फ़िल्मों की रिलीज़ डेट भी पोस्टपोन कर दी गई है. वैसे भी वायरस के चलते सभी थिएटर्स भी बंद कर दिए गए हैं.

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बता दें, कोरोना वायरस की वजह से मंगलवार की सुबह तक भारत में तीसरी मौत हो चुकी है. मंगलवार को मुंबई के 64 साल के मरीज ने दम तोड़ दिया. वहीं कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 128 हो गई है.

महिलाओं के लिए बातें बहुत और नौकरियां होती हैं कम

मेकिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट का एक अध्ययन बताता है कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं को पुरुषों के बराबर की भागीदारी दी जाए तो साल 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं के श्रम की भूमिका 60 फीसदी तक हो सकती है. गौरतलब है कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक सवा अरब से ज्यादा की आबादी में महिलाओं की तादाद 60 करोड़ है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि देश के 55 करोड़ की श्रमशक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 5 करोड़ कामगारों की है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज भी हिंदुस्तान में नौकरियों के क्षेत्र में महिलाओं के साथ किस तरह का भेदभाव किया जाता है. दो साल पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये गये 188 देशों के महिला श्रमिकों के एक अध्ययन में भारत का स्थान 170वां आया था यानी हम 188 देशों में से नीचे से ऊपर की तरफ 18वें स्थान पर थे. हमसे 17 देश ही ऐसे थे, जहां महिला कामगारों की तादाद प्रतिशत में हमारे यहां से भी कम थी. लेकिन इनमें से कोई भी ऐसा देश नहीं था, जो भारत का एक चैथाई भी हो, अर्थव्यवस्था तो छोड़िये किसी भी मामले में.

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इससे पता चलता है कि भारत में महिलाओं को या तो नौकरियां मिल नहीं रही हैं या आज भी भारतीय समाज उन्हें नौकरी कराने से हिचकता है. तमाम अध्ययन और विशेषज्ञ बार-बार कहते हैं कि अगर अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बराबरी की हो जाती है तो कोई भी अर्थव्यवस्था कहीं ज्यादा मजबूत हो जाती है. भारत के संबंध में तो तमाम विश्व संगठन लगातार कह रहे हैं कि अगर भारत को वाकई आर्थिक महाशक्ति बनना है तो महिलाओं को बड़ी भूमिका देना होगा. लेकिन हाल के सालों में काफी उलट पुलट स्थितियां देखने को मिली हैं. यह तो तय है कि दक्षिण एशिया में अकेला भारत ही नहीं पाकिस्तान भी उन देशों में शामिल हैं, जहां महिलाओं को बड़ी आर्थिक भागीदारी नहीं दी गई.

हद तो यह है कि भारत में नेपाल, वियतनाम और कंबोडिया जैसे छोटे देशों से भी प्रतिशत में कम महिलाएं श्रम में भागीदारी निभा रही हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 185देशों में हाल के सालों में जहां महिला कामगारों की संख्या बढ़ी है, वहीं 41 देशों में यह कम हुई है और जिन देशों में कम हुई है उनमें भारत सबसे ऊपर है. आखिर क्या वजह है कि भारत में नौकरियों के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या घट रही है? हाल के सालों में जब भारत पूरी दुनिया के विकास के इंजन के रूप में चीन के साथ आगे बढ़कर आया है, उस स्थिति में भारत में महिलाओं की श्रम में भागीदारी की कमी का पहलू क्या है?

इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि हाल के सालों में भारतीय पुरुषों की औसत आय में काफी वृद्धि हुई है जिससे घरों में महिलाओं को खासकर खेतों और निर्माण के क्षेत्र में काम कराने से रोका गया है. देखा जाए तो यह एक सकारात्मक पक्ष है क्योंकि भारत में असंगठित मजदूरों के लिए काम की परिस्थितियां बेहद अमानवीय होती हैं, चाहे फिर वे महिलाएं ही क्यों न हो या बाल श्रमिक ही क्यों न हों? पिछले एक दशक में भारतीय पुरुषों की आय में हुई बढ़ोत्तरी के कारण महिलाओं को घर की देखरेख में ज्यादा फोकस करने के लिए प्रेरित किया गया है. हालांकि यहीं पर एक विरोधाभासी आंकड़ा यह भी है कि मनरेगा जैसे रोजनदारी वाले काम के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या न सिर्फ बढ़ी है बल्कि मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्र में बेहद गरीब लोगों की सामाजिक स्थिति में काफी सुधार आया है.

इस सुधार के पीछे महिलाओं की आय का बड़ा योगदान है. चूंकि मनरेगा में मजदूरों को नकद और त्वरित भुगतान किया जाता है, इस वजह से मनरेगा की आय ने देश के सबसे कमजोर तबकों में दिखने वाला सुधार किया है. लेकिन जहां यह बात समझ में आती है कि पारिवारिक आय में हुई बढ़ोत्तरी के कारण महिलाओं को भारी, जटिल और कठिन श्रम क्षेत्रों से काफी हद तक मुक्ति मिली है, जो उनकी सेहत और सुरक्षा के लिहाज से अच्छी बात है. लेकिन संगठित क्षेत्र में जहां श्रम की स्थितियां कठिन या अमनावीय नहीं हैं, वहां महिलाओं की भागीदारी में कमी क्यों आयी है? इस कमी के दो कारण हंै, एक कारण में महिलाएं खुद जिम्मेदार हैं और दूसरे कारण में अप्रत्यक्ष रूप से इम्प्लायर ही महिलाओं की भागीदारी को हतोत्साहित करता है.

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दरअसल हमारे यहां महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून कितने भी बन गये हांे, लेकिन आज भी महिलाएं न सिर्फ कार्यस्थल पर बल्कि कार्यस्थल से घर तक की दूरी में भी काफी ज्यादा असुरक्षित हैं. प्राइवेट नौकरियों में जिन कामगारों की सबसे ज्यादा तनख्वाहें इम्प्लाॅयर द्वारा मारी जाती हैं, उनमें महिलाओं की संख्या 90 फीसदी होती है. अगर किसी कंपनी के बंद होने की स्थिति बनती है तो सबसे पहले महिलाओं के आर्थिक हितों का नुकसान होता है. इसका मनोविज्ञान यह है कि आज भी भारतीय समाज में यह माना जाता है कि महिलाओं को आसानी से दबाया जा सकता है, फिर चाहे वो कामगार ही क्यों न हों? लेकिन तमाम खामियां अपनी जगह है. मगर यदि भारत को वाकई आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आना है, तो महिलाओं के साथ आर्थिक भागीदारी के मामले में होने वाले भेदभाव को जल्द से जल्द खत्म करना होगा.

महिलाओं के लिए ड्राइविंग हुई आसान

कई लोगों का मानना है कि महिलाओं को गाडि़यों में कोईर् खास दिलचस्पी नहीं होती. वे न तो गाड़ी चलाने में और न ही खरीदने में उत्साह दिखाती हैं.

महिला अगर ड्राइविंग कर रही होती है तो लोग उस पर कमैंट्स करने से भी नहीं चूकते. दरअसल, लोगों के दिमाग में यह बात बैठी रहती है कि महिलाएं अच्छी ड्राइवर नहीं हो सकतीं. उन्हें गाडि़यों की समझ नहीं होती. लेकिन वहीं दूसरी तरफ औटोऐक्सपो के पवैलियन में उमड़ी महिलाओं की भीड़ इस बात को नकार रही थी. शायद लोग यह भूल जाते हैं कि महिलाएं सिर्फ गाडि़यां ही नहीं, बल्कि हवाईजहाज भी चला सकती हैं. महिला कैब ड्राइवर इस बात की सब से बड़ी उदाहरण हैं. यकीनन अब समय बदल गया है कि महिलाएं गाडि़यां खरीदती भी हैं और बखूबी चलाती भी हैं.

गाडि़यां सिर्फ वर्किंग वूमन ही नहीं, बल्कि हाउसवाइफ की भी जिंदगी का हिस्सा हैं. चाहे औफिस जाना हो या फिर बच्चों को स्कूल छोड़ने, महिलाएं किसी पर डिपैंट न हो कर अपना काम खुद करना जानती हैं.

इधर कुछ सालों से महिला चालकों की संख्या भी बढ़ी है और इस बात को कार निर्माता कंपनियां भी समझती हैं. इसीलिए कंपनियों ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए वूमन फ्रैंडली गाडि़यों का निर्माण किया है.

आइए, उन कारों के बारे में जानिए जो महिलाओं के लिहाज से बनाई गई हैं और जिन की चर्चा औटो ऐक्सपो में भी खूब रही:

1. औटोमैटिक गियर बौक्स पर फोकस

मारुति सेलेरियो, हुंडई की क्रेटा, वरना और टोयोटा की इनोवा में औटोमैटिक गियर बौक्स सिस्टम दिया गया है जो ड्राइविंग को काफी आसान बना देता है. महिलाओं के बीच यह गियर बौक्स सिस्टम खासा प्रचलित हो रहा है. खासतौर पर कामकाजी महिलाओं के लिए जिन्हें अब डेली औफिस राइड को इस सिस्टम ने काफी आसान बना दिया है. वहीं, मैट्रो सिटीज में कार के शौकीन लोग औटोमैटिक गियर बौक्स वाली गाड़ी अब खासा पसंद कर रहे हैं.

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2. ब्लूट्रूथ स्टीरियो सिस्टम

राइड के साथ म्यूजिक का आनंद न मिले यह कैसे हो सकता है. ब्लूटूथ स्टीरियो सिस्टम को महिलाएं काफी पसंद करती हैं. शुरुआती श्रेणी की मारुति आल्टो और इग्निस में आप को ब्लूटूथ के साथसाथ स्टीरियो सिस्टम की सुविधा मिल जाएगी. मनपसंद संगीत के साथ आप का सफर और भी सुहाना हो जाएगा.

3. रियर पार्किंग कैमरा और औटोमैटिक वाइपर्स

जब बारिश होती है और बारिश की बूंदें विंड स्क्रीन पर गिरती हैं तो वाइपर्स खुद चलने लगते हैं. साथ ही रियर पार्किंग कैमरा आज लगभग हर महिला ड्राइवर की जरूरत है. ड्राइविंग जितनी ईजी हो ड्राइव में उतना ही मजा आता है. बारिश के मौसम में विंड स्क्रीन क्लीयर करने के लिए बारबार वाइपर्स को मैनुअली औन और औफ करना किसी झंझट से कम नहीं. औटोमैटिक वाइपर्स ऐसे में काफी सुविधाजनक हैं.

4. क्रूज कंट्रोल तकनीक

आजकल कारों में क्रूज कंट्रोल तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. इस तकनीक की वजह से इंजन स्पीड पर खुद कंट्रोल रखता है. इस वजह से ऐक्सेलरेटर और क्लच के बीच संयोजन बना रहता है. अब सी सैगमैंट कारों में भी क्रूज कंट्रोल आ गया है. यह फैसिलिटी टाटा की अल्ट्रोस, नैक्सन, एचबीएक्स, किआ की सैल्टोस, हुंडई की ओरा, क्रेटा और मारुति इग्निस में भी है.

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इन गाडि़यों ने महिलाओं की ड्राइविंग को काफी आसान बना दिया है. महिलाएं अब कार खरीदने और चलाने में रूचि दिखाने लगी हैं. ‘औटो ऐक्सपो-2020’ के पवैलियन में महिलाएं और इन के लिहाज से बनाई गई गाडि़यां खुद इस बात की गवाही दे रही थीं.

फैशन टिप्स: समर में दिखें हौट और कूल

सर्दियों के कपडे कब के पैक हो चुके है,अब मौसम भी अपना स्वरूप गर्म करने लग रहा है, साथ ही फैशन भी गर्म होने लगा है. गर्मी का मौसम अपने खुमार पर अभी नही है लेकिन युवाओ में फैशन का पारा उच्च स्तर पर चढ़ चुका है. इस मामले में लडक़े-लड़कियों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ सी मची हुई है. साथ ही बाजार भी तैयार है. यूं भी इसी मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइनर्स सबसे ज्यादा कपड़े डिजाइन करते हैं.  इस हॉट हॉट मौसम में हॉट में कूल फैशन के बारे में बता रहे है – विनय सिंह .

गर्मी है और अपने लुक को लेकर परेशान है तो उसे कहो नो प्रॉब्लम. क्योकि मौसम चाहे कोई भी हो पर आपके फैशनपरस्ती में कहीं कोई कमी नही होनी चाहिए. आज कल के इस दौर हर कोई अपने लुक से एक -दुसरे कों पछाड़ता हुआ आगे की ओर बढ़ता चला जा रहा है और इनमे बात हो युवा पीढ़ी की तों वह अपने पहनावों से ही मौसम कों मात देने में जुट जाते हैं, चाहे वह गर्मी हो या ठंढा .

युवाओं के लिए मौसम चाहे कोई भी हो वह अपने कपड़ो से लेकर खुद को अलग-अलग स्टाइल में कैरी कर मौसम को भी मात देने में जुटे हैं. डिजाइनर कहते है कि कपड़ों के लिहाज से गर्मी से अच्छा मौसम और कोई हो ही नहीं सकता. इस मौसम में आप खुलकर जो जी में आए वैसे पहन सकते हैं. बेशक गर्मी इतनी हो चली है कि घर से बाहर निकलने का मन ही नहीं करता लेकिन फैशन के दीवाने युवाओं के लिए यह गर्मी किसी भी तरह से आड़े नहीं आ रही. उनकी फैशनपरस्ती में कोई कमी नहीं है बल्कि उन्होंने गर्मी से लडऩे के लिए नए से नए तरीके ईजाद कर लिए हैं, जिससे गर्मी से भी बचा जाए और खुद को स्मार्ट भी बना लिया जाए. वहीं फैशन  डिजाइनर भी यही कहते है कि गर्मी बेशक अपने तूल पर है लेकिन युवाओं के लिए यह फैशनेबल दिखने का मौसम है. और हमारे लिए  नये ट्रेंड की डिजाईन की हुए ड्रेस्सेस को प्रुस्तुत करने का मौसम भी है.

1. चिल चिलाती गर्मी मे  सेक्सी  लुक

बात करते हैं,इस सीजन में लड़कियों के फैशन के बारे में . इनके लिए तो आप जहाँ नजर घुमाकर देख लीजिए बाजार, मॉल सब कपड़ो से अटे हुए हैं. कहीं स्कार्फ है, तो कहीं गॉगल्स की बहार है, कहीं शॉर्ट निकर है तो कहीं केपरी या फिर रंग-बिरंगी स्कर्ट. गर्मी जितनी ज्यादा बढ़ती जा रही है, उसी तरह लड़कियों के कपड़ो बदलते जा रहे हैं.

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2. शोट्र्स का है जमाना

पहले वे जहाँ नीलेंथ केपरी कैरी करती थीं, वहीं अब शॉर्ट निकर, हॉट पैंट्स उनकी पहली पसंद बन गई हैं. टॉप में अब बैकलेस, हॉल्टर, डीप नेक खूब पहने जा रहे हैं. जो उन्हे गर्मी के साथ साथ नया लुक भी दे रहे है, चाहे ये बहाना हो मौसम का लेकिन वो मौसम का लुफ्त बहुत मजे से उठा रही है . इसे कैरी करने का दीवानापन कुछ इस कदर है कि टैनिंग से भी लड़कियों को कोई परेशानी नहीं . वही स्पेगिटी को भी नए अंदाज में खूब कैरी किया जा रहा है . एक ओर इसे किसी टॉप के साथ मैचिंग कर पहना जा रहा है, तो खाली स्पेगिटी को भी पहनना लड़कियों को खूब रास आ रहा है .

3. प्रभावशाली ओवरसाइज्ड टॉप

आजकल स्किनी जींस ट्रेंड में है, जिसके साथ ओवरसाइज्ड टॉप अच्छा लगता है. आप इस टॉप को वाइब्रेंट शेड और कट्स में लें. वहीं स्ट्रेट कट लाइनेन पैंट्स हर ओकेजन पर खूब पसंद की जा रही है. आजकल स्किनी जींस ट्रेंड में है, जिसके साथ ओवरसाइज्ड टॉप अच्छा लगता है. इस सीजन में अपने वॉर्डरोब में फ्लेयर वालीपैंट जरूर रखें. वही ये लॉन्ग टॉप के रूप मे भी आ रहे है, जो  जींस के  साथ साथ लगेंस पर भी पहने जा रहे है या अफगानी पर भी पहने जा सकते है.  इस तरह क टॉप गर्मी से तो निजात दिलाते ही है, बल्कि ये उन लडकियों क लिए  भी अच्छे है, जो या तो हद  से ज्यादा पतली होती है या जो ज्यादा मोटी होती है .

4. लंबे कुर्ते का है फैशन

शॉर्ट कुर्ती अब ट्रेंड में नहीं है. आजकल लंबे कुर्ते ही फैशन में है, लेकिन इसमें भी कढ़ाई वाली कुर्ती न खरीदें. ढीली ड्रेसेज न पहनें. बलून टाइप ड्रेसेज से दूर रहें. आजकल स्लिम लुक ट्रेंड में है. एंटी फिट्स ड्रेसेज अवॉइड करें.

5. स्कार्फ का फैशन आपको रखे सबसे अलग 

धूप से बचने के लिए स्टॉल या स्कॉर्फ का भी इस्तेमाल फैशनपरस्त ढंग से हो रहा है. इसे कुछ इस तरह कैरी किया जाता है, कि फैशन का फैशन हो जाए और धूप से भी बच लिया जाए. इसके साथ कॉटन या फिर लेनिन के टॉप का इस्तेमाल भी जोरों पर है. इस फैब्रिक से आपको पसीना कम आता है और हवा आसानी से पास होती रहती है.

6. आकर्षित करती है बेल्ट

लडकियों  के मन को सबसे ज्यादा मोहती है, बेल्ट. आजकल छोटे टॉप पर  बकल वाली चौड़ी बेल्ट ज्यादा पसंद की जा रही है. इसे ब्लैक, ब्राउन, गोल्ड और सिल्वर जैसे बेसिक कलर्स में लें. ड्रेस के मुताबिक वर्क वाली, लेदर, कपड़े और किसी स्टफ से बनी हुई एंब्रायडिड बेल्ट भी खासी डिमांड में है.बेल्ट आपके लुक को कही ज्यादा सेक्सी बना देते है और यह देखने मे भी कही ज्यादा आकर्षित करती हैं . बेल्ट चाहे जींस पर पहनी हुई हो या मिनी पर यह आपके लुक को चार चाँद लगा देती है .

7. पायल/ब्रेसलेट/ पैंडेट्स/ नथ का करे इस्तेमाल

अपने ढीले ढाले कपड़ो के लुक मे चार चाँद लगाने के लिए  आप डिजाइनदार ज्वेलरी का इस्तेमाल कर  सकती है.  डिफरेंट कलर के स्टोन से सजी डिजाइनदार पायल आज लोगों की पसंदीदा बनी हुई है. ब्रेसलेट और ईयररिंग्स में आजकल राइमस्टोन के साथ-साथ स्नेक स्किन भी बहुत पसंद की जा रही है. वही कानों में डैंगलर्स का फैशन जोरों पर है. नथ और बाली का चलन हालांकि बहुत पुराना है लेकिन अब ये नए तरीके से पहनी जाने लगी है. अब छोटी नोजरिंग या नथ सिर्फ नाक में ही नहीं पहनी जाती है, बल्कि यह नाभि, आइब्रो, लिप्स, टीथ, नाखूनों और ढोडी पर भी लटकने लगी है.

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8. हेयर बैंड  का  ट्रेंड

पिछले सीजन में हेयर बैंड खूब ट्रेंड में था. खासतौर से टीनेजर इसे हर ड्रेस से मैच करके लगाते थे, लेकिन इस सीजन में यह पूरी तरह ट्रेंड से बाहर है. इसलिए गलती से भी इसे न लगाएं. स्टाइलिश बनने के लिए डिजाइनर हेयर क्लिप्स लगाये डिजाइनर हेयर क्लिप्स चाहें बच्चे लगायें या बड़े यह बहुत ही आकर्षित दिखता है. आपके बालो को बहुत ही अच्चे  से सवार  कर बालो को सुंदर बना देती है. इन के साथ-साथ छोटे छोटे क्ल्लेच्र लगे हो, तो ये आपको सुपर सेक्सी लुक देती है. आपको गर्मी से भी बचाते है.

9. गॉगल्स बनाये आपको कूल

गॉगल्स बनाते है आपको कूल. जो की आपको सौरज की तेज रौशनी से तो बचते ही है, बल्कि आपकी आँखों को भी सौरक्षित रखते है. वही फैशन के  नाम पर तो गॉगल्स का  खूब दब दबा है.

10. मैचिंग का फुटवेयर्स

आपकी ड्रेस और एक्सेसरीज के साथ अगर आपका फुटवेयर भी मैचिंग का हो, तो कहना ही क्या. अब कंपनियां ऐसे फुटवेयर तैयार करने लगी हैं, तो फेमिनन के साथ-साथ महिलाओं की पर्सनैलिटी को भी रिफ्लेक्ट करे. फ्लिप फ्लॉप और पॉइनटेड हील्स जोकि बहुत फेमिनन है, बहुत फैशनेबल लगते हैं. ब्लाक हील की सैंडलों के बजाय स्लीक से पतली हील वाली सैंडल आजकल ज्यादा पसंद की जा रही है, वो भी कई तरह के कलर्स में. आपके पास सिल्वर, गोल्ड, वाइट और ब्लैक जैसे बेसिक रंगों की सैंडल होनी जरूरी है. जींस या शोट्र्स पर रंगीन जुते पहने जाये तो लुक में और निखार आता है, लेकिन गर्मी मे ट्रेंड है डिजाइनर स्लीपर्स का. जींस की स्लीपर्स या जुट की चपलें बहुत ही अच्छी  लगती है और गर्मी मे आराम देय भी होती है.

लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-1)

भोर में गरज चमक के साथ सारे बादल एकसाथ बरस पड़े मानो धरती पर फिर से सुनामी लाने का इरादा हो.

शिखा की नींद भी खुली थी मेघों की गड़गड़ाहट से. उसे रात के अंधेरे में प्रकृति का ऐसा तांडव आनंद देता है और लड़कियों की तरह डराता नहीं है. ऐसे में उसे बड़ी अच्छी नींद आती है. आज भी पैरों के पास से मोटी चादर खींच वो दोबारा सो गई, बरखा की लोरी सुनतेसुनते.

दिल्ली की धरती पर ऐसी वर्षा बहुत कम ही होती है. अब हो रही है तो शिखा उस का पूरा लाभ उठाएगी. नींद में डूबने से पहले ही उस ने निर्णय ले लिया कि आज कुछ भी हो आफिस नहीं जाएगी. घर में रह कर मौसी से पकौड़े, चीले, कचौड़ी बनवा कर दिन भर चाटती रहेगी. पर वह जो चाहती है वो भला हुआ है आज तक?

घड़ी की सूई और लच्छो मौसी का मजबूत गठबंधन है. ठीक 6 बजे पहली चाय ले कर हाजिर, ‘‘ उठो बेबी रानी, आज आफिस जल्दी जाना है न?’’

झुंझला कर आंख खोली तो मौसी सामने खड़ी नजर आईं. उन्होंने खिड़की के सारे परदे हटा दिए. बादल जाने कहां भाग गए थे. हवा में नमी तो है पर नीला आकाश, सूरज की सुनहरी किरण धरती को चूमने उतर पड़ी है. वह झुंझलाई, ‘क्या है मौसी. सोने दो. आज मुझे कहीं नहीं जाना.’ वो धम्म से फिर लेट गई.

लच्छो ने दुलारा, ‘‘बेबी बिटिया, बाबूजी ने कहा है आज जरूरी काम है.’’

बाबूजी अर्थात दादू उन के नाम से ही जरूरी काम याद आ गया शिखा को. एक विदेशी कंपनी से गठबंधन की बात चल रही थी. बहुत दिनों से अब जा कर दोनों पक्षों की सहमति हुई है. उन के प्रतिनिधि आए हैं अमेरिका से. थोड़ा सा मतभेद अभी भी है वो अगर आज की मीटिंग में दूर हो जाए तो साईन हो जाएंगे. करोड़ों का लाभ होगा शिखा की कंपनी को अर्थात् शिखा को क्योंकि कंपनी की मालकिन शिखा है, दादू हैं जीएम. हड़बड़ा कर उठ बैठी. चाय गटकने लगी.

‘‘गुड मौर्निंग, मालकिन साहिबा.’’

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दरवाजे पर दादू, सैर कर के, नहाधो कर आए हैं. 6 फुट लंबा शरीर साठ के पार कर भी ना टूटा है, ना झुका है. गोरा रंग, सौम्य दर्शन. पापा भी ऐसे ही सुदर्शन और सौम्य स्वभाव के थे पर कितनी जल्दी सब को छोड़ कर चले गए. दादू शिखा को ‘मालकिन साहिब’ कहते हैं. कभी चिड़ा कर कभी मजाक में. वो उठ खड़ी हुई.

‘‘दादू, मीटिंग का टाइम क्या है?’’

‘‘लंबी चलेगी लगता है. ग्यारह बजे का समय दिया है तो बीच में लंच ब्रेक… विदेशी लोगों में पंकचुएलिटी होती है. 10 बजे आफिस पहुंच डौक्यूमेंट देख लेना है.’’

‘‘दादू, बात बनेगी क्या?’’

‘‘लगता तो है. एक वर्ष हो गए बात करते दो चक्कर तो हम भी लगा कर आए हैं उन के यहां.’’

‘‘बात बन गई तो पैसा ही नहीं अपने क्षेत्र में नाम भी बढ़ेगा.’’

‘‘वो तो है ही पर बेटा अब जल्दी करो.’’

‘‘जी दादू.’’

वैसे शिखा सभी प्रकार की ड्रैस पहनती है, साड़ी छोड़. मम्मा की साडि़यों का अंबार है उस के पास. वे साड़ी छोड़ और कुछ नहीं पहनती थीं. देशविदेश में बिजनैस टूअर पर जाते समय भी साड़ी ही पहनती. पहले शिखा मां की इस भारतीय रुचि के आगे मन ही मन नतमस्तक होती थी, गर्व भी अनुभव करती थी पर फिर उस के समझ में आया कि मां की यह रुचि भारतीय स्त्री की पोशाक के प्रति आदर न था, आकर्षण भी नहीं था, यह भी एक लाभ का सौदा था. साड़ी का रिवाज देशविदेशों में आज भी है.

इस साड़ी के कारण उन को हर क्षेत्र में कुछ विशेष सुविधा मिल जाती. पक्की बिजनैस लेडी थीं मम्मा, एक सूई का साथ मिल जाए तो भी लेने से नहीं चूकती थी. तभी तो अपने साधारण से व्यापार को बढ़ा कर विशाल व्यापार साम्राज्य गढ़ लिया था. उन के छोड़े व्यापार का टर्न ओवर 50 करोड़ को पार कर चुका है पर हां दादू ने भी इस को मजबूत हाथों से थाम कर इसे और फैलाया है. मम्मा को गए तीन वर्ष हो गए. इन तीन वर्षों में कंपनी का टर्नओवर कई करोड़ बढ़ गया है. कुछ नई योजनाएं भी हैं जिन में से एक पर आज मीटिंग है अमेरिकन पार्टी के साथ. उन के यहां से तीन सदस्यों की टीम आई थी.

नहाधो कर आज शिखा ने पूरी तरह से वेस्टर्न ड्रेस उठाया, शर्ट, सूट के साथ बालों का टाइट जूड़ा शीशे के सामने खड़ी हो फिनिशिंग टच देतेदेते अचानक ही पापा का चेहरा सामने आ गया. 6 वर्ष हो गए उन के देहांत को पर आज भी उन का स्पर्श, उन का दुलार, उन के प्यार की गुनगुनाहट को वह अनुभव करती हैं. इतनी बड़ी ‘सोनी एंड कंपनी’ की मालकिन कर्णधार शिखा सोनी तब वही छोटी सी बच्ची बन जाती है इस 26 वर्ष की उम्र में. पापा और मम्मा की बेमेल जोड़ी थी. मम्मा पूरी तरह मनप्राण से बिजनैस को समर्पित लोहे जैसी कठोर एक ऐसी स्त्री थी जो स्वार्थ और सफलता के लिए सबकुछ बलि चढ़ा सकती थी. उन के अंदर कोमल भावनाओं के लिए तिलमात्र स्थान नहीं था, जो रास्ते में सामने आए उसे दोनों पैरों से रौंद कर आगे बढ़ो चाहे वो कोई हो. कोई भी संतान या पति.

पापा एकदम विपरीत थे भावुक, कोमल हृदय, कविता व प्रकृति प्रेमी, संवेदनशील एक उदार हृदय पुरुष. वह कभी नहीं चाहते थे कि फूल सी बेटी को बिजनैस के दलदल में धकेला जाए. वो एक राजकुमार खोज रहे थे जो उन की लाड़ली को सपनों की दुनिया में ले जाए, वो मिल भी गया था पर नियति के मन में कुछ और ही होगा.

सजग हुई शिखा…सामने… जल्दीजल्दी सीढि़यों को पार कर नीचे उतर आई और देखा प्रत्येक बार की तरह दादू ने इस बार भी उसे हरा दिया. वह तैयार हो उस की प्रतीक्षा पहले से ही कर रहे हैं.

मीटिंग सफल रही. 6 हजार लैदर जैकेट सप्लाई देना है उन की समयसीमा है 3 महीने. मम्मा के जाने के बाद ही गारमैंट फैक्टरी डाली गई है. ठीकठाक चल रही है पर इतना बड़ा आर्डर पहली बार मिला वह भी विदेश से. हस्ताक्षर हो गए. बढि़या लंच करा उन को एअरपोर्ट छुड़वा कर दोनों ने जब चैन की सांस ली तब 4 बज रहे थे.

‘‘दादू, आप ने 3 महीने का समय ले ही लिया अब तो सप्लाई देने की कोई चिंता नहीं.’’

जानकीदास ने सिर हिलाया, ‘‘चिंता है मालकिन साहिबा.’’

शिखा अवाक, ‘‘क्यों दादू, तीन महीने तो बहुत हैं.’’

‘‘6 हजार की संख्या भी बहुत बड़ी है, मतलब महीने में दो हजार. बेबी काम में हजारों अड़चनें आ सकती हैं जैसे बिजली, लेबर और भी दिक्कतें हैं…’’

‘‘और भी…वो क्या?’’

‘‘मशीन में गड़बड़ी या विरोधी पक्षों का उपद्रव.’’

‘‘विरोधी पक्ष… पर दादू इस कौंट्रैक्ट के विषय में किसी को क्या पता.’’

‘‘बातों के पर होते हैं उड़ जाते हैं सही ठिकानों पर क्योंकि पैसा सब का ईमान खरीद लेता है बड़ी ताकत है उस में.’’

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सोनी कंपनी अब दूसरी कंपनियों की सिरदर्द बन गई है. मम्मी थी पक्की व्यापारी. हीरे की परख की अनुभवी जौहरी. पापा के साथ उन्होंने विवाह किया था किसी कोमल भावना या आकर्षण के कारण नहीं बल्कि पापा की जांचपरख कर उन को कच्चा हीरा पा कर. नाना उस समय हार्ट अटैक के बाद पूरे बैड रैस्ट पर थे. पापा तभी नएनए उन की कंपनी में एकाउंटैंट हो कर आए थे. उन को पहचानते देर नहीं लगी थी बापबेटी को. उम्र कम, इतने बड़े कंपनी की अकेली वारिस इस समय उन्हें ऐसा कोई चाहिए था जो ईमानदार हो, भरोसे का हो साथ ही साथ अपना भी हो जो उन्हें छोड़ कर जा न सके. संयोगवश पापा भी अविवाहित थे तो विवाह हो गया. दादू को भी बुला लिया क्योंकि वे योजना आयोग में बड़ी कुशलता से काम कर रहे थे. पापा के साथ बंधन को मजबूत करने के लिए मम्मा ने एक खेल और खेला विवाह के वर्ष भर के अंदर ही उस को जन्म दे बंधन को अटूट कर दिया. पापा के प्राण अटक गए शिखा में, शायद दादू के भी.

‘‘वैसे घबराने की कोई बात नहीं. मैं हूं. बेबी तुम चिंता मत करो.’’

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हेल्थ टिप्स: खाने में करें इन 7 फल और सब्जियों का इस्तेमाल

1. लालमिर्च

लालमिर्च में विटामिन ए, सी तथा बी 6 भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ये सभी ऐंटीऔक्सीडैंट को कायम रखने, मस्तिष्क को तेज करने के साथ ही उस की गतिशीलता को बढ़ाने, त्वचा, नेत्रों तथा मांसपेशियों को ताकत देने का कार्य करते हैं. मिर्च रेशा, पोटैशियम, मैगनीज जैसे तत्त्वों को काया में पहुंचाने का भी अच्छा साधन है. ये वजन पर अंकुश रखने के साथसाथ कोलैस्ट्रौल लैवल को भी कम करते हैं.

 2. तरबूज

रंगीन, रसीले फल तरबूज का 80% भाग पानी होता है. यह आयरन, गंधक, तांबा, कैल्सियम, फास्फोरस, विटामिन ए, थायमिन, रिबोफ्लेविन व एस्कोर्बिक ऐसिड का बेहतर स्रोत है. तरबूज का हलका लाल वाला भाग विटामिन का अच्छा स्रोत है तथा बीटा कैरोटिन से दोगुना ताकतवर होता है. यह विटामिन ई की सामर्थ्य को भी 10 गुना बढ़ा देता है, जिस से त्वचा को हानि पहुंचाने वाले फ्रीरैडिकल्स निष्क्रिय हो जाते हैं.

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3. टमाटर

पका टमाटर, जिस का रंग खून से मिलताजुलता होता है, खून बढ़ाने में बेजोड़ है. टमाटर निरोगता के लिए अधिक लाभकारी होता है. टमाटर में विटामिंस भरपूर मात्रा में मिलते हैं. इस में पाए जाने वाले विटामिंस में यह विशेषता होती है कि जहां दूसरे पदार्थों में मौजूद विटामिंस थोड़ी सी आंच लगने से खत्म हो जाते हैं वहीं इस में मौजूद विटामिंस साधारण आंच में खत्म नहीं होते. आयरन की मात्रा इस में दूध की अपेक्षा दोगुनी व अंडे की अपेक्षा 5 गुना ज्यादा मिलती है.

4. शलगम:

शलगम क्रूसी फेरी कुल का सदस्य है. इस के अन्य सदस्य मूली, गाजर हैं. इस में भरपूर पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्सियम व विटामिंस की वजह से यह अनेक बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखता है. इस में मौजूद ग्लूकोसाइनोलेट्स के कारण ही इस में तीखापन होता है. यह अचार, सब्जी, सलाद, मुरब्बे के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है.

5. चुकंदर:

इस में पानी तथा रेशों की अधिक मात्रा होने से यह पाचन में सहायक होता है. चुकंदर के पोषक तत्त्वों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्र, कैल्सियम, फास्फोरस, नमी, लोहा, वसा, विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, डी, सोडियम, क्लोरीन, फौलिक ऐसिड, आयोडीन खास हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार बीटासियानिन (वह रंग जो चुकंदर को रंगयुक्त करता है) ट्यूमर आदि को नष्ट करने वाला एक समृद्धशाली घटक है. चुकंदर खून की मात्रा में वृद्धि करता है और चेहरे की कांति बरकरार रखता है. समस्त पोषक तत्त्वों के गाढ़े लाल रंग के रस को पाने के लिए तरोताजा चुकंदर ही प्रयोग करें ताकि उस का छिलका सही रह सके. कभी चुकंदर का छिलका न हटाएं.

6. सेब:

यह जायकेदार होने के साथ ही ज्यादा ऊर्जादायक व स्वास्थ्यवर्द्धक भी है. इस में पेक्टिन नामक घुलनशील रेशा होता है, इसलिए यह भोजन के पाचन व विसाक्त तत्त्वों को अवशोषित करने में आंतों की सहायता करता है. इसे खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं. सेब में ऐंटीऔक्सीडैंट्स और विटामिन सी होता है. ये खून में कोलैस्ट्रौल का लैवल कम करते हैं. एक सेब में करीब  8 एमएल विटामिन सी और भरपूर विटामिन ए होता है. सेब के गूदे की अपेक्षा छिलके में विटामिन ए 5 गुना ज्यादा होता है, इसलिए सेब को छिलके सहित खाना चाहिए.

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7. स्ट्राबेरी:

लाल रंग से भरी स्ट्राबेरी का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है. सुर्ख रंग से पूर्ण स्ट्राबेरी खट्टेमीठे स्वाद और अपने खास गुणों के कारण जानीपहचानी जाती है. आड़ू, सेब तथा स्ट्राबेरी एक ही समूह के हैं. स्ट्राबेरी में मैगनीज व पोटैशियम होता है. इस में पेक्टिन यानी फल का रेशा पाया जाता है. जो ब्लडप्रैशर तथा कोलैस्ट्रौल को संयमित करने में सहायक होते हैं.

Beauty Tips: बेजान बालों के लिए ट्राय करें ये 5 हेयर पैक

सिर पर बाल होना ही काफी नहीं होता वरन उन का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी है. बालों से व्यक्तित्व पर बहुत फर्क पड़ता है. सिर में रूसी हो तो बालों की क्वालिटी भी खराब होने लगती है. लेकिन केला, संतरा, ऐवोकाडो या फिर पपीते आदि का पेस्ट अगर सिर पर लगाया जाए तो बालों की सभी समस्याएं हल हो जाती हैं. इसलिए अगर आप को भी लंबे, काले, घने और खूबसूरत बाल चाहिए तो अपनाएं ये फू्रट हेयर पैक:

1. कैमिकल से खराब हुए बालों के लिए

केले के टुकड़ों में 1 चम्मच नीबू का रस और 1 अंडे का पीला भाग मिला कर पेस्ट बना कर सिर पर लगाएं. 15-20 मिनट के बाद पानी से बालों को धो लें. सप्ताह में एक बार इस पैक का इस्तेमाल करने से बालों की रौनक बढ़ने लगेगी.

2. रंगहीन बालों के लिए

मान लीजिए कि आप ने बालों में बहुत ज्यादा कलरिंग की है और बालों के आखिरी सिरों पर उस का रंग उड़ने लगा है, तो आप केले से बना पैक लगाएं. केले के साथ 2 चम्मच नीम पाउडर, 2 कप पपीते का गूदा और कुनकुना पानी मिलाएं. इस पैक को बालों में लगाने से उन की शाइन वापस आ जाएगी. इस दौरान बालों को धोने के लिए रीठा, शिकाकाई युक्त शैंपू का ही प्रयोग करें.

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3. औयली बालों के लिए

संतरे का रस, 1 चम्मच तुलसी पाउडर, 1 कप दही और थोड़ा सा आमला पाउडर एकसाथ मिलाएं. इस पैक को लगाने से सिर के पोर्स बंद हो जाएंगे और बाल औयली नहीं होंगे. यदि बाल ज्यादा तैलीय हों तो महीने में 3 से 4 बार इस पैक का इस्तेमाल करें.

4. झड़ते बालों के लिए

अगर बाल झड़ने लगे हैं तो मेथी को पीस कर ग्रीन टी या हलके गरम पानी के साथ मिला कर सिर पर लगाएं. इस दौरान बाजार में मिलने वाली मेहंदी का इस्तेमाल न करें. आजकल कैमिकलयुक्त मेहंदी बाजारों में ज्यादा बिकती है जो बालों की जड़ों को कमजोर बनाती है.

5. खुजलीदार सिर के लिए

अगर रूसी की वजह से सिर में खुजली होती रहती है तो आमले के रस के साथ नीबू का रस और 1 कप दही मिला कर पेस्ट बनाएं और बालों में लगाएं. इस से रूसी भी गायब हो जाएगी और खुजली से भी राहत मिलेगी. सिर में खुजली या खुश्की पेट की गड़बड़ी की वजह से भी होती है. इसलिए खानपान सही रखें यानी फाइबर रिच डाइट लें.

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6. बेजान बालों के लिए

पैक बनाने के लिए 1 कप नारियल के दूध में 3 चम्मच गुड़हल पाउडर, 1/2 कप नीबू का रस और 1/2 कप बीयर मिलाएं. इस पैक से मुरझाए बाल एकदम शाइन करने लगेंगे.

इन हेयर पैक्स के इस्तेमाल के साथसाथ अपनी जीवनशैली को भी संतुलित रखने का प्रयास करें, क्योंकि हैल्दी लाइफस्टाइल का सुंदरता से सीधा नाता है.

सोशल मीडिया से क्यों दूर रहना चाहते हैं हैप्पी कपल्स

हर किसी को सोशल मीडिया पर अपने लाइफ के खास पल, अपना ओपिनियन, फोटोज शेयर करना अच्छा लगता है. इसके साथ ही कई लोग अपने रिलेशनशिप के बारे में भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. वे लोगों से अपने रिश्ते के बारे में बताते हैं. जिसकी वजह से वे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हैप्पी कपल अपने रिश्ते के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत नहीं करते हैं. वे सोशल मीडिया की जगह एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करते हैं. तो आइए कुछ कारण जानते हैं कि क्यों हैप्पी कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय स्पेंड नहीं करते हैं.

1. उन्हें सोशल मीडिया पर लाइक से फर्क नहीं पड़ता है

बहुत से कपल अपनी इंटीमेसी की फोटो या कहीं जाने का पोस्ट सोशल मीडिया पर डालते हैं. ऐसे कपल को अपनी फोटो पर कितने लाइक या कमेंट आए इसकी बहुत चिंता होती है. मगर हैप्पी कपल अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हर एक चीज अपडेट नहीं करते हैं. ना ही उन्हें किसी के लाइक या कमेंट से फर्क पड़ता है. वह नहीं चाहते हैं कि उनके बारे में सोशल मीडिया पर लोग बाते करें.

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2. किसी से तुलना नहीं करते हैं

अपनी जिंदगी की लोगों से तुलना नहीं करनी चाहिए. यह सोचना बहुत आसान होता है कि दूसरा अपनी लाइफ में कितना खुश है. लेकिन आपको उनके बारे में कुछ पता नहीं होता है. इसलिए कभी भी किसी कपल की सोशल मीडिया पर फोटो देखकर ये नहीं सोचना चाहिए कि वह बहुत खुश हैं. किसी कपल से अपने रिश्ते की तुलना करना गलत होता है. हैप्पी कपल अपने रिलेशनशिप से खुश होते हैं. वह किसी और के रिश्ते से तुलना करना पसंद नहीं करते हैं.

3. अकेले में लड़ते हैं

हैप्पी कपल अगर लड़ाई करते हैं तो वह पब्लिक में लड़ने की बजाय अकेले में लड़ना पसंद करते हैं ताकि उन्हें कोई देख ना सके या किसी को उनकी लड़ाई के बारे में पता ना चले. वह लोगों को अपनी लड़ाई के बारे में बताना पसंद नहीं करते हैं. वह सोशल मीडिया पर लड़ाई वाली कोट या रोने वाले गाने पोस्ट करने की बजाय एक जगह बैठकर अपनी समस्या को दूर करने में विश्वास करते हैं.

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4. वो खास पलों को जीने में विश्वास रखते हैं

हैप्पी कपल अपने साथी के साथ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने की बजाय उनके साथ उन खास पलों को जीने में विश्वास करते हैं. कहीं जाने का चेक-इन करना इन्हें अच्छा नहीं लगता है. वह इसे समय बर्बाद करना समझते हैं. वह अपने खास पलों को कैमरे में कैद करने की बजाय उन्हें जीना पसंद करते हैं.

नेहा धूपिया के सपोर्ट में आए पति अंगद बेदी, शेयर की 5 गर्लफ्रेंड्स के साथ फोटो

नेहा धूपिया को इन दिनों शो रोडीज में अपने 5 गर्लफ्रेंड्स के बयान को लेकर ट्रोलिंग का सामना कर पड़ रहा है. इतना ही नहीं, नेहा को अपने बयान की वजह से काफी बातें सुननी पड़ रही है. अब नेहा के इस बयान पर पति अंगद बेदी का रिएक्शन सामने आया है.

अंगद ने अपनी 5 गर्लफ़्रेंड्स की फोटो शेयर की है. अंगद ने दरअसल नेहा के साथ अपनी 5 फोटोज शेयर की हैं. अंगद ने फोटोज को शेयर करते हुए लिखा, सुन ये हैं मेरी 5 गर्लफ्रेंड्स. उखाड़ लो जो उखाड़ना है. अंगद की इस फोटो पर यूज़र्स के मिक्स रिस्पॉन्स आ रहे हैं.

क्या था मामला…

हाल ही में शो में एक कंटेस्टेंट आया था जिसने कहा कि  उसकी गर्लफ़्रेंड 5 लड़कों के साथ रिलेशनशिप में थीं और वह सबको धोका दे रही थीं. उस कंटेस्टेंट ने आगे बताया था कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड को बुलाया और उसके सभी पांच बॉयफ्रेंड को भी वहीं बुलाया. इसके बाद उसने सभी लड़कों के सबके सामने अपनी गर्लफ्रेंड को जोरदारा थप्पड़ मारा. वीडियो में देखा गया कि नेहा ये बात सुनकर ग़ुस्सा में आ जाती हैं और उस कंटेस्टेंट को कहती हैं कि उसे किसी भी लड़की पर हाथ उठाने का कोई हक नहीं और वो उसकी चॉइस है कि वह किसे डेट करे.

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नेहा ने दी थी ये सफाई…

 

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नेहा ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘मैं पिछले 5 साल से रोडीज का हिस्सा हूं. इसने मुझे देश के सभी हिस्सों से एक टीम बनाने का मौका दिया. लेकिन पिछले 2 हफ्तों से जो कुछ ही हो रहा है उसे मैं एक्सेप्ट नहीं करती हूं. हाल ही में एक एपिसोड में मैंने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई. एक लड़के ने बताया कि उसकी पार्टनर ने उसे धोखा दिया था. इसके बदले में लड़के ने लड़की के साथ मारपीट की. ये बात मुझे गलत लगी. मैं चीटिंग  का सपोर्ट नहीं करती हूं लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मेरी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया.’

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नेहा ने आगे लिखा था, ‘हर शख्स की अपनी पसंद है. उसे इसका पूरा हक है कि वो अपनी पसंद-नापसंद के मुताबिक चले. मगर किसी के साथ मारपीट करना सही नहीं है. पिछले दो हफ्ते से मेरे पेज पर ही नहीं बल्कि मेरे परिवार, दोस्तों और टीम मेट्स को भी गाली वाले मैसेज आ रहे हैं. मेरे पिता का व्हाट्सएप भी गालियों से भरा पड़ा है. यहां तक कि मेरी बेटी के पेज पर लोग गालियां लिख रहे हैं और ये मुझे मंजूर नहीं है.’

Coronavirus से हुआ ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को बड़ा फायदा, पढ़ें पूरी खबर

देश में कोरोनावायरस के मरीज धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं. वहीं इसके असर से काफी लोगों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें टीवी और फिल्मी दुनिया भी शामिल है. हाल ही में कोरोना के बढ़ते असर को देखते हुए टीवी सीरियल, वेब सीरीज और फिल्मों की शूटिंग पर रोक लगा दी गई है. इसी बीच ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के फैंस के लिए अच्छी खबर सामने आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

नए शो के लौंच रोका जाएगा

स्टार प्लस के नया शो अनुपमा 16 मार्च 2020 तक ऑनएयर होना था, लेकिन अब खबर है कि कोरोना के असर के चलते एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupaly Ganguly) के अपकमिंग टीवी सीरियल को लॉन्च नहीं किया जाएगा. मेकर्स का कहना है कि उनके सीरियल की क्रू और कास्ट कोरोनावायरस से बची रहे और इसके चलते ही उन्होंने इस सीरियल के लौंच डेट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है.

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एक घंटे आएगा ये रिश्ता क्या कहलाता है

सीरियल अनुपमा की लौंच डेट आगे बढ़ने से स्टार प्लस की ओर से शो को जो टाइमस्लॉट मिल गया था, वह अब ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) को दे दिया गया है, जिसके कारण शो में नायरा-कार्तिक की जोड़ी फैंस को अब एक घंटे को देखने को मिलेगी.

बता दें, रुपाली गागुंली (Rupaly Ganguly)7 साल बाद छोटे पर्दे पर सीरियल अनुपमा के जरिए कमबैक कर रही हैं, जिसे टीवी सीरियल ये रिश्ते है प्यार के और ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के प्रोड्यूसर राजन शाही ने प्रोड्यूस किया है. वहीं ये रिश्ता क्या कहलाता है की बात करें तो फैंस को सीरियल के एक घंटे तक आने से बेहद खुशी मिलने वाली है.

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