शादी के 8 साल बाद भी मैं मां नहीं बन पा रही हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 35 साल की विवाहित महिला हूं. मेरी शादी को 8 साल हो गए हैं, लेकिन मैं मां नहीं बन पा रही हूं. डाक्टर की जांच के अनुसार मेरी रिपोर्ट नौर्मल है और पति के स्पर्म की संख्या भी सही है. बावजूद इस के मेरे साथ यह समस्या हो रही है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की जांच रिपोर्ट नौर्मल है, तो आप को हताश नहीं होना चाहिए. आप दोनों प्रयास करते रहें. कोशिश करें कि आप दोनों पीरियड्स आने से 10-15 दिन पहले शारीरिक संबंध बनाएं. इस से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है. अगर इस से भी लाभ नहीं मिलता तो आप आईवीएफ तकनीक की मदद ले सकती हैं.

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डौ. अर्चना धवन बजाज बांझपन उपचार और आईवीएफ के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी और एमएनएएस की डिग्रियां हासिल करने के बाद उन्होंने यूके स्थित नॉटिंघम विश्वविद्यालय से मेडिकल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलौजी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. वे हैचिंग, वीर्य भू्रण के संरक्षण, ओवरियन कौर्टिकल पैच, क्लीवेज स्टेज भ्रूण पर ब्लास्टमोर बायोप्सी और ब्लास्टक्रिस्ट की अग्रणी विशेषज्ञ हैं. दिल्ली में नर्चर आईवी क्लिनिक की निदेशक के तौर पर काम करते हुए डौ. बजाज ने स्त्रीरोग विशेषज्ञ, एक परामर्शदाता, प्रसूति विशेषज्ञ और फर्टिलिटी एंड आईवीएफ विशेषज्ञ के तौर पर विशेष ख्याति पायी है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- पैंसठ की उम्र में भी मां बनना संभव

जब एक बिल्ली बीमार बच्चे को लेकर अस्पताल जा पहुंची

कोरोना महामारी से जहां पूरे विश्व में दहशत का माहौल है, वहीं कुछ ऐसी खबरें भी वायरल हो जाती हैं जिन्हें देख कर मन खुश हो जाता है. हाल ही में एक वीडियो खूब वायरल हुआ था. इस वीडियो में एक कुत्ता पानी में डूब रहा होता है कि तभी एक अन्य कुत्ता उसे बचाने आ जाता है. वह लकङी के एक डंडे को मुंह से दबा कर डूब रहे कुत्ते की ओर बढ़ाता है, जिसे डूब रहा कुत्ता मुंह से पकङ कर बहते पानी से बाहर आ जाता है. लेकिन हाल ही में एक ऐसी तसवीर सामने आई है जिसे देख करकोई मुसकराए बिना नहीं रह सकता.

वायरल खबर के अनुसार एक बिल्ली का बच्चा बीमार हुआ तो उस की मां उसे मुंह में दबाए अस्पताल पहुंच गई.

पहले तो वहां अस्पताल के स्टाफों को आश्चर्य हुआ लेकिन जल्दी ही वे समझ गए कि माजरा क्या है.

1) फोटो में देखिए कि बिल्ली का बच्चा काफी बीमार और कमजोर नजर आ रहा है और उस की मां उसे अस्पताल ले कर आई हुई है.

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2) जैसे ही बिल्ली उसे अस्पताल ले कर आती है, वहां के स्टाफ पहले बिल्ली को खाना खिलाते हैं और पीने के लिए दूध देते हैं.

3) अस्पताल के स्टाफ उस बीमार बिल्ली के बच्चे को ले कर अस्पताल के अंदर चले जाते हैं और बिल्ली वहीं बैठ जाती है.

सोशल मीडिया पर यह तसवीर खूब वायरल हो रही है और इसे लोग जम कर लाइक्स और कमैंट्स भी कर रहे हैं.

इसे अस्पताल के एक स्टाफ ने ही ट्विट किया और कहा,”आज हम इमरजैंसी में थे कि तभी यह बिल्ली मुंह में अपने बच्चे को दबाए आ गई.”

महज कुछ ही घंटों में इस वायरल खबर को 1 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके थे.

वायरल खबर के अनुसार यह घटना तुर्की के इंस्ताबुल की है जहां हजारों बिल्लियां रहती हैं. अच्छी बात यह है कि यहां के लोग बिल्लियों के साथ ही जीते हैं और कोई इन्हें परेशान नहीं करता.

अब लोग जहां अस्पताल के स्टाफ की प्रशंसा कर रहे हैं, वहीं एक बिल्ली की ममता देख कर बेहद खुश हो रहे हैं. पर यह शुक्र है कि घटना हमारे देश की नहीं है, जहां लोग आज भी बिल्लियों को अंधविश्वास की नजर से ही देखते हैं. कुदरत हर प्राणी को जीने का अधिकार देता है मगर इसे इंसान समझता कहां है?

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https://www.youtube.com/watch?v=48AbFwlXfFI

#coronavirus: PMNRF की मौजूदगी के बावजूद पीएम केयर्स फंड क्यों?

प्राकृतिक आपदाओं की चुनौतियों से निबटने के लिए आजादी के बाद देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय राहत कोष बनाया था. अभी नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से उभरी कोविड-19 आपदा की चुनौतियों से निबटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में 28 मार्च को पीएम केयर्स (प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस ऐंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस) फंड बनाया गया है.

मालूम हो कि ऐसी चुनौतियों से जूझने के लिए आज़ादी के 6 महीने बाद ही जनवरी 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष यानी प्राइम मिनिस्टर नेशनल रिलीफ फंड (पीएमएनआरएफ) बना लिया गया था, जो आज भी मौजूद है. बहरहाल, दोनों राहत फंड्स एकजैसे हैं या यों कहें कि पीएमएनआरएफ की फ़ोटोकौपी है पीएम केयर्स फंड. इसीलिए, यह सवाल लाज़िमी है कि जब बिलकुल हुबहू फंड पहले से मौजूद था तो फिर एक और नया बनाने की क्या ज़रूरत थी?

मोदी सरकार से इस बुनियादी सवाल को कई बार पूछा गया. सरकार की तरफ से बताया गया कि, ‘पीएमएनआरएफ का संबंध सभी तरह की आपदाओं से है, जबकि पीएम केयर्स को ख़ासतौर पर कोरोना संकट को देखते हुए बनाया गया है.’ यह जवाब भ्रामक है क्योंकि पीएमएनआरएफ की वैबसाइट पर साफ़साफ़ लिखा है कि इस फंड का इस्तेमाल किसी भी ‘प्राकृतिक आपदा’ में राहत और बचाव के लिए होगा. अब सवाल यह बचा कि क्या कोरोना की आफ़त को ‘प्राकृतिक आपदा’ का दर्ज़ा हासिल नहीं है? बिल्कुल है. पूरी तरह से है. तालाबंदी के वक़्त से ही मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को लागू कर रखा है.  इसी के मुताबिक़, केंद्र सरकार की हिदायतों का पालन करना राज्यों के लिए अनिवार्य बनाया गया है.

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आयकर क़ानून 1961 के अनुसार, दोनों फंड्स को चैरिटेबल ट्रस्ट का दर्ज़ा हासिल है. दोनों फंड्स में सिर्फ़ दानदाताओं से प्राप्त चंदे को ही रखा जा सकता है. दोनों फंड्स ग़ैरसरकारी श्रेणी के हैं. हालाँकि दोनों के इस्तेमाल की शक्ति प्रधानमंत्री के ही पास है लेकिन दोनों फंड्स में कोई सरकारी धन नहीं डाला जा सकता. दोनों फंड्स को एफसीआरए (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) की रोकटोक से छूट हासिल है. दोनों फंड्स में दी जाने वाली रक़म को आयकर क़ानून की धारा 80-जी से छूट हासिल है. दोनों फंड्स में सीएसआर यानी कौरपोरेट सोशल रिस्पौंसिबिलिटी पौलिसी की रक़म भी डाली जा सकती है. कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अनुसार, हरेक कौरपोरेट कंपनी सीएसआर पौलिसी से बँधी हुई है. इसके तहत, उसके लिए बीते वित्तीय वर्ष के मुनाफ़े में से 2 फ़ीसदी रक़म सामाजिक कार्यों पर ख़र्च करना अनिवार्य है.

क्या ज़बरन है वेतन कटौती?

जनता के लिए पीएम केयर्स और पीएमएनआरएफ दोनों ही फंड्स में दान या अंशदान देना पूरी तरह से स्वैच्छिक है. लेकिन सरकार ने बाद में नीतियों में बदलाव करके इस ‘स्वैच्छिक’ का चरित्र बदल दिया. 17 अप्रैल को केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से जारी हुए सर्कुलर में सरकारी कर्मचारियों से अपील की गई थी कि वे मार्च 2021 तक हर महीने अपनी एक दिन की तनख़्वाह को पीएम केयर्स फंड में दान करें. इसी सर्कुलर में यह भी लिखा था कि, ‘जो कर्मचारी स्वेच्छा से दान करना चाहते हैं वे अपने वेतन विभाग को इसकी लिखित अनुमति दें.’ लेकिन 12 दिनों बाद 29 अप्रैल को राजस्व सचिव ने पिछले सर्कुलर में रद्दोबदल करके यह लिख दिया कि, ‘जो कर्मचारी स्वेच्छा से दान नहीं करना चाहते हैं वे अपने वेतन विभाग को लिखित में सूचना दें.’

साफ़ है कि बहुत चतुराई से और चुटकी बजाकर सरकार ने ‘नहीं’ शब्द का इस्तेमाल करके व्यावहारिक तौर पर पीएम केयर्स फंड को भरने का रास्ता बना लिया. इस सर्कुलर का कमाल यह रहा कि अप्रैल से ही कर्मचारियों के वेतन में एक दिन की कटौती लागू हो गई. अब जिसे अपनी तनख़्वाह नहीं कटवानी, जिसे ‘ज़बरन’ दान देने से ऐतराज़ है वह अपने वेतन विभाग को लिखकर दे और कटौती रुकवाए. इसीलिए, करोड़ों सरकारी कर्मचारियों को लग रहा है कि कोरोना की आफ़त के नाम पर पीएम केयर्स फंड बनाकर सरकार उनसे जबरन वसूली कर रही है. उधर, सरकार ख़ुश है कि उसकी अपील को देखते हुए सभी कर्मचारी कथित ‘स्वेच्छापूर्वक’ क़ुर्बानी दे रहे हैं.

हां, पीएमएनआरएफ के लिए कभी भी ऐसी कोशिश नहीं की गई. हालाँकि, अतीत में भी अनेक आपदाओं के वक़्त सरकारें अपने कर्मचारियों से वेतन का कुछ अंश दान देने की अपील करती रही हैं, लेकिन पिछले दरवाज़े से होने वाली ज़बरन कटौती का खेल पहले कभी नहीं हुआ.

अब सवाल यह है कि पीएम केयर्स और पीएमएनआरएफ में क्या कोई भी अंतर नहीं है? जवाब है, कुछेक फ़र्क़ ज़रूर हैं. मसलन, पीएमएनआरएफ के इस्तेमाल की सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय के पास हैं जबकि पीएम केयर्स फंड के मामले में ये शक्तियां पदेन ट्रस्टियों के समूह को दी गई हैं. दोनों फंड्स के बीच अगला फर्क यह है कि पीएम केयर्स में जहाँ न्यूनतम 10 रुपए जमा किए जा सकते हैं, वहीं पीएमएनआरएफ के लिए यह सीमा 100 रुपए की है. दोनों फंड्स के बीच आख़िरी अंतर यह है कि एक को नेहरू ने बनाया था, तो दूसरे को मोदी ने.

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बहरहाल, यह अब भी समझ से परे ही है कि पीएमएनआरएफ के रहते पीएम केयर्स फंड क्यों बनाया गया. शायद इसी वजह से विपक्षी पार्टियां पीएम केयर्स को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर शक करती हैं. विपक्षी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी कई बार यह शंका जाहिर कर चुके हैं कि भविष्य में फंड का मनमाना इस्तेमाल किया जा सकता है.

Summer में ट्राय करें कसौटी जिंदगी के 2 एक्ट्रेस Aamna Sharif का चिकन कुर्ती फैशन

सीरियल कहीं तो होगा (Kahin toh hoga) से टीवी इंडस्ट्री में डेब्यू करने वाली आमना शरीफ (Aamna Sharif) ने हाल ही सीरियल कसौटी जिंदगी के 2 (Kasautii Zindagii Kay 2) में कौमोलिका के रोल में एंट्री की थी. लेकिन इन दिनों लॉकडाउन बढ़ने के कारण वह शो की शूटिंग नही कर रही हैं, जिसके कारण आमना (Aamna Sharif) अब सोशल मीडिया पर अपने फैशन के जरिए फैंस का दिल जीत रही हैं.

आमना शरीफ(Aamna Sharif) शरारा और चिकन कुर्तियों की शौकीन हैं. अगर आप भी समर फैशन में कुछ नया और कम्फरटेबल लुक ट्राय करना चाहती हैं तो आमना शरीफ (Aamna Sharif) का चिकन कर्ती फैशन ट्राय करना ना भूलें.

1. peach कलर है परफेक्ट

 

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Alhamdulillah..

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टीवी स्टार आमना शरीफ को चिकन की कढ़ाई से जबरदस्त लगाव है. वह अलग-अलग तरह के चिकन की कुर्तियां, इन दिनों रमजान के दिनों में पहन रही हैं. कसौटी जिंदगी के 2 (Kasautii Zindagii Kay 2) स्टार आमना शरीफ ने हाल ही में पीच कलर की इस चिकन कारीगरी की कुर्ती पहनकर अपनी फोटो क्लिक करवाई, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

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2. समर के लिए परफेक्ट है पिंक कलर

 

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RAMADAN KAREEM outfit @inshacreationsnx

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आमना शरीफ (Aamna Sharif) के पास चिकन की कुर्तियों का कलेक्शन है. इनमें से एक है आमना की पिंक कलर में चिकन कुर्ती. अगर आप पिंक कलर की शौकीन हैं तो आमना की ये चिकन कुर्ती आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

3.  काले रंग की कुर्ती में भी हैं शानदार कढ़ाई

 

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Find comfort in the chaos…. @inshacreationsnx

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आमना शरीफ ने काले रंग की कढ़ाईदार कुर्ती को पहनकर भी अपनी फोटो शेयर की थी. ब्लैक कलर आप किसी भी कलर के साथ या जींस के साथ पहन सकती हैं. ये आपके लुक को ट्रैंडी बनाने में मदद करेगा.

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4. रमजान में पहन रही हैं शानदार कुर्तियां

 

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अदाकारा रमजान के दिनों में रोजाना एक से बढ़कर एक शानदार कुर्तियां पहन रही हैं. अगर आप कहीं या घर पर ही रमजान पार्टी का सोच रही हैं तो आमना की ये ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

5. समर के लिए परफेक्ट है ये कलर

 

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Who said you cant wear same bangles everyday 💛 @inshacreationsnx

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अगर आप समर कलेक्शन में नए आउटफिट जोड़ना चाहती हैं तो आमना की यह यैलो कलर की चिकन कुर्ती आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपको समर में कम्फरटेबल और सुकून देगी.

समर में 10 टिप्स से बनाएं स्किन को हेल्दी

टेम्परेचर बढ़ने के साथ ही साथ गर्मियों का आगमन हो गया है. समर्स आने के साथ दिनों दिन ह्यूमिडिटी और गर्मी भी बढ़ती जा रही है. यह चिलचिलाती गर्मी, पल्युशन और ह्यूमिडिटी स्किन की नेचुरल चमक को मिटा सकती है और कभी-कभी अनेक प्रकार के स्किन इन्फेक्शन्स को भी आमंत्रित कर सकते हैं. गर्मियों में ऑयली स्किन और ज्यादा ऑयली और ड्राई स्किन और ज्यादा रफ़ और खुरदरी दिखाई देने लगती हैं.

गर्मियों में हार्श सनलाइट अधिक मेलेनिन पिगमेंट्स का प्रोडक्शन करके स्किन टैनिंग का कारण बन जाती है और अधिक मेलेनिन डार्क स्किन, उम्र के साथ सनबर्नड स्किन और कैंसर का कारण बन जाती है. समर्स के दौरान गर्मी स्किन के छोटे-छोटे पोर्स खोल देती हैं, जिससे ऑयल और गन्दगी उसमे फंस जाती है. इसके कारण स्किन पर पिम्पल्स और एक्ने जैसी अनेक तरह की बीमारियाँ होने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में अपनी स्किन को बीमारियों से बचाने के लिए आप कुछ टिप्स अपना सकते हैं.

गर्मियों में हेल्दी स्किन के लिए टिप्स- डॉ. अजय राणा

विश्व प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन, संस्थापक और निदेशक, आईएलएएमईडी बता रहे 10 हेल्दी टिप्स.

1. फेशिअल स्किनकेयर रूटीन के लिए हमेशा एंटीऑक्सीडेंट्स का इस्तेमाल करें. यह एंटीऑक्सीडेंट सीरम स्किन को हाइड्रेट करता है और अनेक तरह के एनवायर्नमेंटल डैमेज से भी स्किन को बचाता है. ये एंटीऑक्सिडेंट कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा देने में मदद करते है और हानिकारक फ्री रैडिकल्स से स्किन के नुकसान को रोकते हैं.

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2. समर्स वह समय है जब स्किन को ह्यूमिडिटी के साथ-साथ हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है. इसीलिए गर्मियों में खासकर खूब पानी पिए और नियमित रूप से अच्छे हाइड्रेटिंग मास्क का उपयोग करें. इन मास्क का उपयोग स्किन लेयर को रिपेयर, रिहाइड्रेट और शांत करने के लिए किया जाता है.

3. गर्मियों में, समर्स के लिए उपयुक्त प्रोडक्ट्स का उपयोग करें. गर्मियों में, उन उत्पादों का उपयोग करें जो आपकी स्किन को नेचुरल रूप से साँस लेने दें. हल्के लोशन और सीरम का उपयोग करें जो आपकी स्किन को हेल्दी और स्मूद बनाये.

4. समर में, जब भी बाहर जाते हैं तो सूरज की यूवी रेज़ आपकी स्किन के लिए हानिकारक हो सकती है. इसलिए ऐसी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें जो आपकी स्किन में चमक लाए और आसानी से एब्सॉर्ब हो जाए. गर्मियों में उपयोग करने के लिए मिनिमम 30 एसपीएफ़ वाला सनस्क्रीन सबसे अच्छा होता है.

5. नींबू और टमाटर को अपनी स्किन में लगायें. ये आपकी स्किन को फ्रेश बनाए रखने के लिए बहुत अच्छे होते हैं. टमाटर के रस का उपयोग करें और नियमित बर्फ-ट्रे का उपयोग करके रस को फ्रीज करें. इसे सौम्य के स्क्रब रूप में नियमित रूप से इस्तेमाल करें और रस को स्किन की लेयर पर पहले सूखने दें, फिर इसे पानी से धो लें. टमाटर में मौजूद लाइकोपीन हेल्दी स्किन केलिए बहुत अच्छा होता है.

6. गर्मियों के दौरान हेल्दी स्किन के लिए बेसिक स्किनकेयर रूटीन सबसे महत्वपूर्ण रूल है कि अपनी स्किन को एक्सफोलिएट करें. गर्मियों में बॉडी ड्राईनेस के कारण स्किन सेल्स को छोड़ देती है. इसके लिए एक नियमित इंटरवल पर स्किन को एक्सफोलिएट करें इससे स्किन की डलनेस और ड्राई लेयर दूर हो जाती है.

7. समर्स के दौरान कम मेकअप का इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है. हार्श धूप और चिलचिलाती गर्मी के समय नेचुरल लुकऔर नेचुरल स्किन ही सबसे अच्छी होती है. कम से कम मेकअप का इस्तेमाल करें जैसे फाउंडेशन, पैची स्किन से बचने के लिए एसपीएफ़ वाले फेस पाउडर का इस्तेमाल करें. अपने होठों को ड्राई होने से बचाने के लिए ग्लॉस का इस्तेमाल करें.

8. हमेशा एक अच्छे गर्मियों के लोशन के साथ अपनी बॉडी को हाइड्रेट रखें. इससे आपकी स्किन हाइड्रेट होती है और यह स्किन को स्मूद और ग्लोइंग भी बनाता है.

9. गर्मियों के दौरान विटामिन सी बहुत महत्वपूर्ण है, विटामिन सी हाईपरपिगमेंटशन को रोकने में, स्किन की फाइन लाइन्स को इम्प्रूव करने और स्किन लेयर पर कॉलेजन के प्रोडक्शन में मदद करता है. क्लींजिंग और मॉइस्चराइजर के दौरान विटामिन सी की कुछ ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से यह हेल्दी स्किन में काफी मदद कर सकता है.

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10. स्किन के लिए एक अच्छा टोनर इस्तेमाल करें, एक अच्छा टोनर स्किन के सभी पोर्स को खोलने में मदद करता है. गर्मियों के दौरान यह ऑयल एक्युम्युलेशन को रोकने के लिए सबसे जरुरी है. चेहरे की स्किन के टी-ज़ोन में सिबेसियस ग्लैंड्स की सबसे ज्यादा कॉनसेनट्रेशन होती है और यह गर्मियों के दिनों में सबसे अच्छे तौर पर दिखतें है. इसलिए हेल्दी स्किन के लिए एक अच्छा टोनर सबसे अच्छा समाधान है.

Mother’s Day 2020: स्मार्ट फिटनेस के लिए जरूरी हैं शूज

आजकल जबकि अच्छी क्वालिटी के आरामदेह जूते हमारी फिटनेस का जरूरी हिस्सा हो गए हैं,तब यह विश्वास करना भी मुश्किल है कि एक ऐसा भी समय था,जब इंसान बिना जूतों के नंगे पांव घूमता था. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मौसम कैसा है ? भूभाग कैसा है ? दिन है या कि रात है, जंगल है कि रेगिस्तान,नदी है या पहाड़. मगर आज अच्छी क्वालिटी के जूते जहां एक तरफ फिटनेस के लिए जरूरी हैं,वहीं दूसरी तरफ ये हमारी हैसियत, हमारा क्लास और हमारी पसंद को भी जाहिर करते हैं.

यही वजह है कि आज बड़े शहरों में जूतों के एक से बढ़कर एक मशहूर स्टोर मौजूद हैं,जहां न जाने कितनी किस्म और क्वालिटी के जूते मिलते हैं. डिजायनर जूते,ट्रेंडी जूते,अलग-अलग प्रोफेशन की पहचान जाहिर करने वाले व शरीर की संरचना के अनुकूल जूते.

हम कितने आधुनिक व स्मार्ट हैं आज की तारीख में यह भी इस बात से तय होता है कि हमारे जूते कितने स्मार्ट हैं. अगर कहें कि यह स्मार्ट शूज का दौर है तो अतिश्योक्ति न होगी. लेकिन रुकिए स्मार्ट शूज का मतलब कोई चमत्कारिक खूबियों से नहीं है. पाद चिकित्सक यानी  पोडियाट्रिस्ट माइकल रैटक्लिफ के मुताबिक़ स्मार्ट शूज वे हैं जो पूरी तरह से आपके पैरों के अनुकूल हैं.

वास्तव में जो जूते हमारे पैर में ठीक से फिट नहीं होते,उसका मतलब ही यही है कि वे हमारे पैरों के अनुकूल डिजाइन नहीं हैं. ऐसे जूते पहनने से कई छोटी और दीर्घकालिक स्वास्थ्य व फिटनेस संबंधी  समस्याएं पैदा हो सकती हैं,जिनका असर हमारे पैरों तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि ये हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने पैरों पर क्या डाल रहे हैं. देखा जाय तो जूतों के मुख्यतः तीन कार्य होते हैं. हमारे पैरों की सुरक्षा करना, हम जहां चाहें वहां हमें चलने में सक्षम बनाना तथा लंबे समय तक हमारे पैरों पर रहने पर आराम प्रदान करना. जिसे हम स्मार्ट शूज कहते हैं,उसकी बुनियादी कसौटी ही यही है कि वह इन तीनों शर्तों को पूरा करे.

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यह इसलिए जरूरी है क्योंकि एक अच्छी तरह से फिट शूज हमारे स्वास्थ्य पर बहुत कम या कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं डालते. जबकि जो शूज हमारे पैरों के लिए पूरी तरह से फिट नहीं हैं,वह हमारे पैरों पर तमाम नकारात्मक असर डाल सकते हैं. मसलन ऊँची एड़ी के जूते, खराब ग्रिप वाले जूते या हमारी बॉडी के वेट के हिसाब से असंतुलित जूते हमें कई तरह से जख्मी कर सकते हैं. शरीर में स्थाई परेशानी भी पैदा कर सकते हैं. स्मार्ट शूज हमें अपनी अनुकूल कसावट से जहां उर्जा देते हैं,वहीं अनफिट जूते पैर की प्रतिकूल कसावट से पैरों में अस्थायी सुन्नता पैदा कर सकते हैं. अगर फुटवियर अनफिट हैं तो ये हमारी परफोर्मेंस को ही नहीं हमारे आत्मविश्वास को भी प्रभावित करते हैं.

अगर जूते ढीले हों तो हमें पैर घसीटकर चलने की आदत पड़ सकती है. जब कोई शूज अपनी डिजाइन की तंगी के कारण हमारे पैर के अंगूठे के नाखून के इर्दगिर्द की त्वचा को कुरेदता है तो यह बहुत दर्दनाक हो सकता है. यूरोप में बड़े पैमाने पर लोग इस समस्या से पीड़ित होते हैं विशेषकर युवतियां. ऐसे जूते जो मोजों के साथ पहनने में ठीक से फिट नहीं होते हैं और पैर की उंगलियों के किनारों पर बहुत कसे होते हैं वे त्वचा को नेल प्लेट में धकेल सकते हैं. जिससे नाखूनों में  विघटन और भंगुरता की समस्या पैदा हो सकती है. इन्हीं सब समस्याओं से बचे रहने का उपाय हैं स्मार्ट शूज.

अमरीका में स्मार्ट शूज को हाई-परफॉर्मेंस शूज भी कहा जाता है जिसका मतलब है ऐसे जूते,जिसमें सेहत और आराम के लिए स्मार्ट टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया गया हो. ऐसे जूते शारीरिक मेहनत करने वाले कामगारों,रनिंग करने वालों और स्पोर्ट्समेन के लिए खासतौर पर बहुत अच्छे होते हैं. इनमें कुछ ऐसे स्मार्ट शूज भी होते हैं जिनमें हाई-फिडेलिटी सेंसर लगाए गए होते हैं,जो रनिंग को ट्रैक करने वाले ऐप  से डिजिटली कनेक्ट होते हैं. ये ब्लूटूथ लो इनर्जी की मदद से अपने आप ऐप से कनेक्ट हो जाते हैं. ऐसे स्मार्ट शूज बेंचने वाली कम्पनियों का दावा होता है कि सेंसर पूरी तरह प्रटेक्टेड होते हैं और दौड़ने के दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. साथ ही इस तरह के शूज बनाने वाली कम्पनियों का दावा यह भी होता है कि ये सेंसर तब तक बिलकुल ठीक रहते हैं जब तक शूज रहते हैं.

इन स्मार्ट शूज की एक खासियत यह होती है कि आपकी फिटनेस से संबंधित तमाम बेसिक डेटा भी उपलब्ध कराते हैं,जो रनिंग और स्टेपिंग डेटा से अतिरिक्त होता है. यही नहीं इनके अलग-अलग यूजर्स अपनी जरूरत के हिसाब से ऐप पर मिलने वाले डेटा को भी एनालाइज कर सकते हैं. स्मार्ट शूज एथलीट्स को बताते हैं कि उनके लिए दौड़ने का कौन सा तरीका सबसे अच्छा है. इनकी कुशनिंग आमतौर पर ‘जीरो ग्रैविटी फील’ से प्रेरित होती है.

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टिप्स

रनिंग के लिए स्पोर्ट शूज क्यों जरूरी हैं ?

साधारण जूते पहनकर रोजाना की सैर या दौड़ का मतलब है दर्द को दावत देना. इनके चलते आपकी एड़ी,पंजे, तलवों, में अकड़ना या सूजन तक हो सकती है. कई बार तो कमर,नितंब और गरदन में भी दर्द की वजह खराब रनिंग शूज ही पाये गये हैं. इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि रनिंग के लिए स्मार्ट स्पोर्ट्स  शूज इस्तेमाल करने चाहिए. वास्तव में रनिंग शूज ऐसे होने चाहिए जो दौड़ने भागने में सहायक हों. आप एक कदम रखें तो इसका तला मुडकर सीधा होता हुआ दूसरे कदम के लिये आपको स्वतः तैयार कर आगे बढ़ा दे. दौड़ने से न तो आप, न ही आपके पैर, पंजे, एड़ियां थकें. ये सब सुविधाएं स्पोर्ट्स शूज में ही होती हैं.

आजकल वैज्ञानिक स्पोर्ट्स शूज के तलों, अपर तथा दूसरे अवयवों पर तमाम शोध कर रहे हैं. रनिंग शूज से पांच तरह की उम्मीदें आपको रखनी चाहिये. पहला ये पैरों को आगे बढ़ाने में और संतुलन बिठाने में बढ़िया हो, इन्हें न्यूट्रल कहते हैं. दूसरा पैरों को आगे तो बढ़ाते हैं पर इससे ज्यादा ये हर ओर से साधे रखते हैं, इन्हें सपोर्ट कहते हैं. तीसरा हमारी गति को इस तरह नियंत्रित करें कि हम तेज चलने के चक्कर में गिर न पड़ें, क्योंकि तलवों के रोल होने और खुलने की प्रक्रिया बहुत तेज भी हो सकती है, इन्हें मोशन कंट्रोल कहते हैं. चैथा अगर सड़क या पार्क पर बना जॉगिंग ट्रैक बढ़िया न हो थोड़ा ऊबड़ खाबड़ या कंकरीला हो तो भी सुगमता से दौड़ सकें. इन्हें ट्रायल कहते हैं. पांचवां, हल्का और खूब आरामदेह हो, इन्हें लाइटवेट रनिंग शूज कहते हैं.

 

जानें घर पर कैसे जमाएं डेरी जैसा थक्केदार और गाढ़ा दही

दोस्तों ये तो हम सभी जानते है की दही हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद  होता है.इसका उपयोग  हर घर में होता है.लेकिन क्या आपको पता है दही में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जिनको खाने से शरीर को फायदा होता है.

दही में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन पाया जाता है.दूध के मुकाबले दही सेहत के लिए ज्यादा फायदा करता है. दही में दूध की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में कैल्शियम होता है.इसके अलावा दही में प्रोटीन, लैक्टोज, आयरन, फास्फोरस पाया जाता है.

खून के अंदर की वसा की मात्रा घटाने की क्षमता दही में होती है.इसलिये दही के सेवन से दिल के बीमारी  की संभावना कम होती है और  रक्तचाप भी नियंत्रण में रहता है.

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दोस्तों गर्मियां आ गयी है और गर्मियों में दही न खाए ऐसा हो नहीं सकता. आप सोच रहे होंगे की दही जमाना  तो बहुत आसान है .दूध लिया उसमे थोड़ा दही डाला, बस जम गया दही.

नहीं दोस्तों कभी- कभी ऐसा होता है की जब हम दही जमाते है तो वह जमने के बाद पानी सा छोड़ देता है,कभी -कभी ज्यादा परफेक्ट नहीं जमता और कभी कभी तो जमता ही नहीं है.

हम अक्सर यही सोचते हैं कि आखिर डेरी का दही इतना गाढ़ा  क्यों होता है. आखिर हलवाई उसमें ऐसा क्या मिलाते हैं कि वह इतना गाढ़ा जमता है, पर घर पर नहीं जम पाता.

तो चलिए आज मैं आपको वह ट्रिक्स बताऊंगी जिससे आप घर में ही हलवाई जैसा गाढ़ा और थक्केदार दही जमा सकते हैं-

हमें चाहिए-

फुल क्रीम मिल्क -1 लीटर

गाढ़ा दही (जामन )- 1  चम्मच

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ज़माने का तरीका-

1-सबसे पहले किसी भारी  बर्तन जैसे कढाई में सारा दूध डाल कर गैस की तेज़ आचं पर चढ़ा दें .

2-जब दूध में उबाल आ जाये तो तो गैस को धीमा करके 3 से 4 मिनट दूध को और पका लें.

3-अब जस्ते की ट्रे या कैसरोल में कढाई से पूरा गर्म  दूध निकाल लें.और उस दूध को पंखे के नीचे थोड़ा ठंडा होने ले लिए रख दें .याद रखें दूध को ज्यादा ठंडा नहीं करना है.

4-अब स्टील की मथानी (whisker ) या किसी भी कप से दूध को अच्छे से फेंट लें ताकि इसमें झाग आ जाये और मलाई मोटी जमें. याद रखें की ये सबसे जरूरी स्टेप है.

5-अब दूध में ऊँगली डाल कर चेक करें .अगर आपकी ऊँगली दूध की गर्मी को बर्दास्त कर ले रही है तो समझ ले की अब दही ज़माने का परफेक्ट टाइम है.

6-अब  दूध में 1 चम्मच दही डालें.याद रखे की दही एक ही जगह पर नहीं डालना है .दही को दूध वाले बर्तन के चारों साइड में और बीच में थोड़ा -थोड़ा करके डालें.

7 –एक चीज़ का हमेशा ध्यान रखें की दही डालने के बाद उसको बिलकुल भी नहीं चलाना है.अगर आप उसे चला  देंगे तो उससे दूध जल्दी फट जायेगा और दही ज्यादा पानी छोड़ेगा और बिलकुल भी थक्केदार नहीं जम  पायेगा.

8-दही डालने के बाद कैसरोल या जस्ते की ट्रे  को किसी भारी ढक्कन या बर्तन से ढक दें.

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9-फिर कोई टॉवल या छोटा कम्बल बिछाकर दही वाले बर्तन को उस पर रखकर उसे टॉवल या कम्बल से ऊपर से कवर कर दे.

10-गर्मी में दही जमने में 6 से 7 घंटे लगते है जबकि सर्दी में 8 से 9 घंटे में दही जमता है.

11-अब 6 से 7 घंटे में  दही जमकर तैयार हो जायेगा. अब दही वाले बर्तन को टॉवल के अन्दर से निकाल कर 1 से 2 घंटे के लिए फ्रिज में सेट होने को रख दें.

12-1 से 2 घंटे के बाद बर्तन को फ्रिज से बाहर निकाल लें .तैयार है डेरी  जैसा थक्केदार दही.

वर्ल्ड हैंड हाइजीन डे: क्यों जरूरी है हाथ धोना

बहुत कम लोग जानते हैं कि हाथों के एक वर्ग सेंटीमीटर वाले हिस्से में ही लगभग 1 हजार से भी ज्यादा कीटाणु होते हैं , जो व्यक्ति को बीमार बनाने के लिए काफी है. इसलिए किसी भी व्यक्ति को बचपन से ही स्वच्छ रहने और हाथ धोने की शिक्षा दी जाती है, ताकि वो हाथों की स्वचछ्ता का महत्व समझ सके.

क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड हैंड हाइजीन डे

वर्ल्ड हैंड हाइजीन डे हर साल 5 मई को मनाया जाता है. यह दिन विश्व स्वास्थय संगठन (who ) द्वारा घोषित किया गया है. यह रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को हाथों की स्वच्छता का अभ्यास करवाने के लिए  स्वास्थय कार्यकर्ताओं से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है.  विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार, हर साल, दुनिया भर में लाखों लोग स्वास्थय देखभाल से जुड़े संक्रमणों से प्रभावित होते हैं.

इस साल अभियान की थीम ‘ सेव लाइफ, क्लीन योर हैंड्स’ है. हाथ की स्वच्छता विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो भोजन सम्बंधित क्षेत्रों में या फिर चिकित्सा के क्षेत्रों में कार्यरत हैं.  लेकिन यह आम जनता के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण  है  और आज इसकी महत्ता और भी बढ़ गयी है, क्योंकि कोविद 19  पूरी दुनिया में फैल जो चुका  है. अभी फिलहाल हाथों को स्वच्छ रखने के अलावा इससे बचे रहने का कोई दूसरा उपाय नहीं है.

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पी सेफ के संस्थापक विकास बगारिया बताते हैं कि यदि लोग हाथ नहीं धोते हैं तो वह सांस की बीमारियों या फिर सामान्य फ्लू से भी संक्रमित हो सकते हैं. उदाहरण के लिए यदि वे अपनी आंख, नाक , मुंह को छूने से पहले अपने हाथ नहीं धोते, तो इन बीमारियों की गिरफ्त में आने की सम्भावना कहीं अधिक बढ़ जाती है. इसलिए ही लोगों में जागरूकता फेलाने हेतु हर साल वर्ल्ड हैंड हाइजीन डे मनाया जाता है.

हाथों की स्वच्छता का महत्व

पुराने लाइफस्टाइल और कंफर्ट को छोड़कर नई आदतों में खुद को ढालना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन जीवन में कभी कुछ ऐसा घट जाता है जब हमें अपनी आदतों को बदलना ही पड़ता है वार्ना परिणाम बहुत खतरनाक हो सकते हैं. बिलकुल ऐसी ही एक आदत हाथों को साफ न रखने की है.

इस बात से  स्पष्ट अनुमान लगाया गया है कि यदि हाथों को साफ रखा जाए तो डायरिया द्वारा होने वाली मौतों को 50 प्रतिशत तक रोक सकते हैं और केवल यही नहीं बल्कि  और बीमारियों से भी बचाव हो सकता है. बहुत लोग आज भी सैनिटाइजर  की भूमिका को नहीं समझ रहे हैं  और सिर्फ पानी से हाथ धोकर खानापूर्ति कर रहे हैं, जो सही नहीं है.

आपको बता दें कि हाथों में कीटाणु कई तरीकों से दाखिल होते हैं जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल आदि के  जरिए. परंतु हम इन्हें अनदेखा कर देते हैं. इसके अलावा नोट और सिक्कों के द्वारा भी बैक्टीरिया हमारे संपर्क में आ जाते हैं. यदि ऐसे में साबुन या सैनिटाइजर का उपयोग नहीं करते हैं तो बैक्टीरिया हमारे हाथों द्वारा हमारी नाक, आंख और मुँह में चले जाते हैं.

हाथ कब धोएं

– भोजन करने से पहले व बाद में

– किसी रोगी से मिलने से पहले व बाद में

– ऐसी वस्तुओं को छूने से पहले और बाद में, जिसका उपयोग एक से अधिक लोग करते हैं.

– अगर किसी जानवर को छुआ जैसे- कुत्ता, बिल्ली आदि.

– टॉयलेट यूज़ करने के बाद.

हाथ कैसे धोने हैं यह जानना आपके लिए बहुत अहम है.

हाथ कैसे धोएं

– सबसे पहले हाथों को साफ ठंडे या गरम पानी से गीला करें और फिर साबुन या हैंडवाश लगाएं.

– झाग को हाथों के दोनों तरफ रगड़ने के साथ नाखूनों को भी रगड़े.

– हाथों को लगभग 20 सेकंड तक आगे पीछे रगड़ते रहें.

– अब हाथों को साफ पानी से धोएं.

– अंत में किसी टोवेल से पोंछे या फिर हवा से सुखाएं.

हमेशा साफ पानी, साबुन या हैंड वाश का मिलना मुश्किल है, विषेशकर तब जब आप यात्रा पर हो या किसी कारण घर से बहार हो. इसलिए हमेशा सैनिटीज़र अपने पास रखें.

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कोविड 19 से बड़ा हाथ धोने का महत्व

कोरोना वायरस यानि कोविद 19 की जबसे दुनिया में दस्तक हुई  है, तक से लेकर अब तक इसके खिलाफ अगर कोई सबसे बड़ा हथियार माना गया है , तो वह है हाथों की सफाई. दुनिया में इस बात की पुस्टि हो चुकी है कि इस समय दुनिया की ज्यादातर आबादी हाथ धोने को पूरी गंभीरता से ले रही है. हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनवर, भारत में इस समय लगभग 73 प्रतिशत आबादी कोविद 19 से बचाव के लिए हाथ धोने को प्राथमिकता दे रही है. यही नहीं बल्कि बाकी देश भी हाथों  की स्वच्छता को लेकर गंभीर हैं. इसलिए बीमारियों से बचना है तो हाथ धोने की आदत डालें.

चाचा Rishi Kapoor की मौत के बाद फोटो को लेकर ट्रोलिंग का शिकार हुईं Kareena Kapoor

बौलीवुड एक्टर ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के निधन के चलते जहां उनका पूरा कपूर परिवार शोक में है तो वहीं ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) की भतीजी करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) ट्रोलिंग की शिकार हो रही हैं. दरअसल करीना ने हाल ही में एक फोटो शेयर की है, जिसके चलते उनके फैंस उन्हें ट्रोल कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फोटो के कारण हुईं ट्रोल

 

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करीना कपूर खान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उनके पति सैफ अली खान (Saif Ali Khan) बेटे तैमूर अली खान (Taimur Ali Khan) का हेयरकट करते दिख रहे हैं. इसी के साथ करीना ने मजाकिया लहजे में अपने फैंस से हेयरकट करवाने के लिए भी पूछ लिया.

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लोगों ने किया ट्रोल

 

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करीना कपूर खान के इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, ‘करीना कपूर खान लगता है आप भूल गई हैं कि दो दिन पहले ही आपके अंकल की मौत हुई है. ऐसे में आप मजाक कैसे कर सकती हैं.’ तो वहीं, एक दूसरे यूजर ने लिखा कि आपके घर में मौत हुई है और आप सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने में व्यस्त हैं.’ इतना ही नहीं एक यूजर ने तो करीना कपूर खान को फेक तक बता दिया है.

बता दें, करीना कपूर के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों को करीना कपूर खान का ये अंदाज पसंद नही आ रहा और वह उन्हें ट्रोल कर रहे हैं. जिसकी वजह है कि दो दिन पहले ही करीना कपूर खान के चाचा यानी ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) का निधन हुआ है, लेकिन इसके बावजूद करीना कपूर खान का ये पोस्ट फैंस को पसंद नही आया.

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Ramayan में रावण के रोल में नजर आने वाले Arvind Trivedi के निधन की अफवाह, एक्टर ने कही ये बात

बौलीवुड में दिग्गज कलाकार Rishi kapoor और इरफान खान के निधन के बाद बौलीवुड जहां सदमें में है तो वहीं कई सेलेब्स के निधन के अफवाहों की खबरें फैल रही हैं. हाल ही में नसीरुद्धीन शाह के निधन की खबरें फैली थीं, जो झूठी साबित हुई. वहीं अब रामायण में रावण के रोल में नजर आने वाले अरविंद त्रिवेदी के निधन की अफवाहें भी सोशल मीडिया पर छा गई हैं. वहीं अब एक्टर ने इन अफवाहों पर अपना बयान दिया है. आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला….

सोशल मीडिया पर उड़ी अफवाह

रावण का किरदार अदा करने वाले एक्टर अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) के निधन की अफवाह सोशल मीडिया पर आने के बाद यह आग की तरह फैल गई. वहीं जैसे ही इस खबर की भनक अरविंद त्रिवेदी को लगी उन्होंने लोगों को इस अफवाह को दूर करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.

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ट्वीट कर दी जानकारी

अरविंद त्रिवेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रिय सर्वजन, लंकेश पूरी तरह ठीक हैं और सुरक्षित हैं. अनुरोध है कि फर्जी खबरें फैलाना बंद करें और कृपया उनके सकुशल होने की खबर फैलाएं. धन्यवाद.’ इसी के साथ अरविंद त्रिवेदी के साथ ही साथ उनके भतीजे कौस्तुभ बी त्रिवेदी ने ट्वीट किया है कि उनके चाचा बिल्कुल ठीक है और लोगों से गुजारिश की है कि वह इस खबर को जितना हो सके उतना फैलाए. कौस्तुभ बी त्रिवेदी ने ट्वीट में लिखा है कि, ‘प्रिय साधियों…मेरे अंकल अरविंद त्रिवेदी अच्छे और सुरक्षित है…आप सभी से गुजारिश है कि गलत खबरें ना फैलाए. अब इस बात को लोगों को बताए. आप सभी का शुक्रिया.’

माफी मांगते हुए आए थे नजर

 

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83 साल के अरविंद त्रिवेदी जी (रावण) अपने घर पर अपना सीरियल रामायण देखते हुए ।।।।। #arvindtrivedi Who #played #ravan Role in #ramayan Is watching his own show….. 🙏🙏🙏🙏🙏 . जय सिया राम “रामायण” एक ऐसा काव्य जिसकी कीर्ति इस संसार में युग युगांतर तक विद्यमान रहेगी । इससे जुड़ने के लिए फॉलो कीजिये 🙏🙏 @ramayan_world @ramayan_world @ramayan_world @ramayan_world @dipikachikhliatopiwala @sunil_lahri @sagar.world @vindusingh @ddnational @vijaykavish53 #shriram #jayshriram #ramnavmi #ramseeta #ravan #ramayanback #ramayan #ramanandsagar #arungovil #dipikachikhlia #sunillahri #ramayan_world #ramcharitmanas #valmikiramayan #jayshriram #ramayana

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लॉकडाउन के बीच कई लोगो ने ‘रामायण’ को फॉलो किया और सीरियल पर कई मीम्स भी शेयर किए. इसी बीच अरविंद त्रिवेदी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें वह सीता हरण के सीक्वेंस को देखते हुए माफी मांगते हुए नजर आए थे.

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बता दें, लॉकडाउन के चलते दूरदर्शन पर रामायण का दोबारा प्रसारण शुरु किया था, जिसके चलते दुनिया भर के सभी रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर दिया था. वहीं रामानंद सागर द्वारा बनाए गए इस पौराणिक शो ने गेम्स ऑफ थ्रोन्स और दि बिग बैंग थ्योरी जैसे पौपुलर शो को पछाड़ कर ये मुकाम अपने नाम कर लिया है.

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