घर के काम से कैसी शर्म

दूसरी तरफ खुद को फिट रखने के लिए कई तरह के उपाय करती नजर आती हैं और यदि फिटनेस के लिए वक्त नहीं निकाल पाईं तो सौ बीमारियों से घिर जाती हैं.लेकिन क्या आप जानती हैं कि आप हाउसवर्क खुद को फिट रखने का एक बेहतर जरिया है. जी हां अपने हाथों से हाउसवर्क करके  खुद को फिट रखा जा सकता है.  यदि आप समय की कमी की वजह से अगर फिटनेस के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. हाउसवर्क करिए और खुद को फिट रखिए. गौर कीजिए कि घऱ के किन कामों से आप खुद को रख सकती हैं फिट

1. बैड ठीक करना

यदि सुबह उठकर आप बिस्तर को ठीक करने से बचती हैं ,तो सुनकर चौंक जाएंगी कि बेड व्यवस्थित करना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है . बेड सही करने में जो शारीरिक श्रम  होता है वह आपकी दिनचर्या को ऊर्जा वान करेगा.

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2. बर्तनों को साफ करना

बरतनो को साफ करना अधिकांश महिलाओं  को पसंद नहीं. लेकिन शोध के मुताबिक बर्तन साफ करने पर एक बार में लगभग 200 कैलोरी कम होती है. फिर क्यों ना हंसी खुशी बर्तन साफ किए जाए?

3. बाथरूम साफ करना

बाथरूम साफ करना अच्छी एक्सरसाइज है क्योंकि बाथरूम साफ करते समय आपके शरीर की लगभग हर मसल काम करती है. जिससे शरीर को फायदा मिलता है . एक बार अपने हाथों से बाथरूम चमका कर तो देखिए.  बाथरुम रहेगा साफ सुथरा और जर्म फ्री.

4. रसोई में करें काम

रसोई से क्या घबराना जब हो खाना पकाना. घर का बना खाना  सेहत की दृष्टि से  फायदेमंद है. जिससे कहती है कि यदि  रोज रसोई में केवल  एक घंटा काम किया जाए तो 200 -215 कैलोरी बर्न होती हैं.

5. आयरन करना

यदि रोज कुछ कपड़े खुद हो जाए या जरूरत के कपड़ों पर घर पर ही पेश की जाए तो 300 -325 कैलोरी कम करने में मदद मिलती है साथ ही बागवानी का अगर शौक रखते हैं तो वह भी कैलोरी कम करने में सहायक है .

6. पैदल चलना है जरूरी

कम दूरी वाली जगहों पर, अगर संभव हो तो रिक्शे की मदद लेने की जगह पैदल जाए. अगर ऑफिस जाते समय आपको समय नहीं मिलता है तो सुबह थोड़ा़ा जल्दी उठ मॉर्निंग वॉक  पर जाएं या खाने के बाद भी 20 से 30 मिनट तक की वॉक कर सकती हैं. इससे आपकी शारीरिक गतिविधि बढ़ेगी और आप फिट रहेंगी. इसके अलावा ऑफिस में लिफ्ट की जगह  सीढि़यों का इस्‍तेमाल आपकी सेहत के लिए अच्छा रहेगा.

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7. थोड़ा-थोड़ा खाएं सेहत बनाएं

एक ही बार भरपेट खाने से अच्‍छा है कि थोड़ी-थोड़ी देर बाद कुछ न कुछ खाती रहें. लेकिन खाते समय इस बात का जरूर ध्‍यान रखें कि वह पौष्टिक हो. तला-भुना खाना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है. दफ्तर में शाम को अगर भूख लगे तो हेल्‍थी स्‍नैक्‍स का ही सहारा लें जैसे स्प्राउट्स, फल, सूखे चने, नट्स आदि.

इस तरह से बिना जिम जाए घर के कुछ जरूरी काम कर, और छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर आप रोजाना ढाई सौ से 400 कैलोरी आसानी से कम कर सकती है. जो कामकाजी महिलाएं हैं वह यह काम हफ्ते में एक बार छुट्टी होने पर भी कर अपने को फिट रख सकती हैं.

ब्लैक आउटफिट में दिखा ‘मस्तानी’ दीपिका का मस्त और स्टाइलिश अंदाज

बौलीवुड की टेलेंटेड और स्टाइलिश एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का जवाब नहीं आये दिन वो  सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. कभी अपनी फिल्मों को लेकर तो कभी अपने लुक को लेकर.  दीपिका एक बार फिर अपने लुक से सुर्खियां  बटोर रही हैं. दीपिका पादुकोण का नया ब्लैक लुक वायरल हो रहा है.

क्रिस्टल अवौर्ड से हुई सम्मानित

दीपिका इन दिनों स्विटज़रलैंड में हैं. हाल ही में वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की तरफ से दीपिका पादुकोण को 26 वें सालाना क्रिस्टल अवार्ड से सम्मानित किया गया. दीपिका पादुकोण को ये सम्मान मेंटल हेल्थ सेक्टर में उनके सराहनीय काम के लिए दिया गया.

 

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अवौर्ड सेरेमनी में छाया दीपिका का जलवा

दीपिका ने अवॉर्ड सेरेमनी से लेकर मीटिंग में गोशेर पैरिस की डबल-ब्रेस्टेड ब्लेज़र के साथ फॉर्मल पैन्ट्स पहनी थीं. इस ब्लेज़र में बड़ा लेपल कॉलर और फ्लैप पॉकेट डिज़ाइन था. ब्लेज़र के ऊपर एक और डबल ब्रेस्टेड कोट को स्टाइल किया था. दीपिका का ये लॉन्ग कोट पराडा का था. दीपिका को शालीना नैथानी ने स्टाइल किया था. ऑल ब्लैक लुक के साथ क्रिश्चियन लूबोटिन की डिज़ाइन की हुई ब्लैक स्टीलेटोज़ हील्स पहनी थीं और  बॉक्स शेप वाला बैग लिया था.

 

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ज्वैलरी भी है स्टाइलिश

दीपिका ने अपने लुक  को स्टाइलिश बनाने के लिए डायमंड चोकर और डैंगलर्स पहने थे. बालों का स्लीक बन बनाया था. मेकअप में ब्लैक आइ-लाइनर के साथ न्यूड लिप्स रखे थे. फिल्म छपाक के प्रमोशन पर  भी दीपिका काले रंग की ड्रेस में कमाल की  लग रही हैं. लेदर ब्लैक मॉम जींस और टर्टल नेक टॉप के साथ मेसी पोनीटेल और बड़े हूप ईयरिंग्स पहने और लाइट मेकअप न्यूड लिपस्टिक में वो गजब ढा रही थी. इससे पहले दीपिका ने ब्लैक गाउन में अपनी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर भी शेयर कीं जिसे  लोगों ने काफी पसंद किया था.

दीपिका का लुक था खास

दीपिका ने ब्लैक कलर का बॉडी हगिंग वन-शोल्डर फुल स्लीव्स फिश-कट लॉन्ग गाउन पहन रखा था इसकी वन शोल्डर वाली ड्रमैटिक फुल स्लीव्स जो ट्रेल की तरह जमीन को छू रही थी. ये ब्लैक गाउन फेमस ऑस्ट्रेलियन फैशन डिजाइनर ऐलेक्स पेरी द्वारा डिजाइन किया गया था  जिसकी कीमत 2 हजार 250 डॉलर्स यानी करीब 1 लाख 60 हजार रुपये थी. इस गाउन के साथ दीपिका ने डायमंड के बड़े इयररिंग्स पहने थे. इस लुक में दीपिका बेहद खूबसूरत नजर आ रही थीं.

हेयर कट भी है खूबसूरत

 

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GORGEOUS ?? Deepika Padukone visits a Cineplex today in Mumbai #deepikapadukone

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दीपिका का स्टाइल ही खास है कुछ समय पहले दीपिका ने अपने नई हेयर कट की फोटो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की थी शार्ट हेयर कट में दीपिका बहुत सूंदर लग रहीं थी उनका ये नया लुक उनके फैंस को बहुत पसंद आया था और उन्होंने खूब कमैंट्स भी किये थे फैंस के कमैंट्स के साथ दीपिका पादुकोण के पति रणवीर सिंह ने भी दीपिका के लुक पर कमेंट किया और लिखा, मार दो मुझे और फैंस को भी. रणवीर का ये कमैंट्स लोगों को खूब पसंद आया.

 

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ये भी पढ़ें- ‘प्रेरणा’ के ये साड़ी लुक है हर ओकेजन के लिए परफेक्ट

वर्क फ्रंट की बात करें तो दीपिका पादुकोण जल्दी ही फिल्म ’83’ में नजर आएंगी इस फिल्म में वो अपने पति रणवीर सिंह के साथ नजर आएंगी रणवीर इस फिल्म में कपिल देव का रोल निभा रहे है दीपिका फिल्म में उनकी पत्नी का रोल कर रही हैं फिल्म ’83’ अप्रैल में रिलीज होगी.

छपाक के बाद जंग जिंदगी के लिए

सिनेमा समाज का आईना होता है और आज समाज में महिलाओं को जिन ज्यादतियों और वहशियाना हरकतों का सामना करना पड़ रहा है उसे शब्दों में भी बयां करना कठिन है. ऐसा ही एक दरिंदगी भरा अपराध है ऐसिड अटैक यानी तेजाबी हमला. इस हमले की वजह बहुत छोटी सी होती है. किसी पुरुष द्वारा स्त्री को पाने की चाह और इग्नोर किए जाने पर एक झटके में उस स्त्री की जिंदगी तबाह, बस इतनी सी दास्तान होती है ऐसिड अटैक पीडि़ता बनने की. बिना किसी कुसूर लड़की के वजूद को मिटा देने की जिद विकृत पुरुष मानसिकता का जीताजागता उदाहरण होती है.

10 जनवरी, 2020 को रिलीज हुई तेजाबी हमले पर केंद्रित दीपिका पादुकोण द्वारा अभिनीत फिल्म ‘छपाक’ देखने जाते वक्त मेरी आंखों के आगे बारबार तेजाबी हमले की शिकार उस महिला का चेहरा आ रहा था जो 8 साल पहले गृहशोभा के कार्यालय में आई थी. वह अपनी कहानी लोगों के सामने लाना चाहती थी. उस ने अपनी कहानी सुनाते हुए अपने मन की गांठें खोलीं. फिर अपने तन के ढके कपड़े हटाए और साइड में बिखरे बालों को पीछे किया तो उस के साथ हुए हादसे की भयावहता से हमारी रूह कांप उठी. उस की पीठ का लगभग पूरा हिस्सा झुलसा हुआ था. बाईं तरफ चेहरे और गरदन से ले कर बांहें तक झुलसी हुई थीं. यह दृश्य एक दर्दभरी दास्तान बयां कर रहा था.

पढ़ने वालों की आंखें हुईं नम

अपनी कहानी बताते हुए रहरह कर चंडीगढ़ की उस महिला की आंखों से आंसू बहने लगते. आवाज घुट सी जाती और आंखों में दर्द का सागर उमड़ पड़ता. उस ने अपनी कहानी सुना कर जो हिम्मत और दिलेरी दिखाई थी ऐसा करना किसी के लिए इतना आसान नहीं होता. जाहिर था कि उस में जमाने से लड़ने की कूवत अब भी थी. वह नहीं चाहती थी कि कोई और युवती इस तरह की घटना का शिकार हो.

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हम ने उस की तसवीरों के साथ उस की जिंदगी की कहानी के 1-1 दर्दभरे लमहे को शब्दों में पिरोया था.

2012 में गृहशोभा के जून (द्वितीय) और जुलाई (प्रथम) अंक में ‘तेजाबी हमला: दर्द उम्र भर का’ शीर्षक से प्रकाशित वह एक ऐसी कहानी थी, जिसे पढ़ते वक्त चलचित्र की तरह सारे दृश्य लोगों की आंखों के आगे सजीव हो उठे थे. पलपल उस के द्वारा भुगती जा रही पीड़ा को लोगों ने महसूस किया था. उस पर तेजाब डाला गया था जब वह स्कूटी पर जा रही थी.

इस दर्दभरी कहानी को पढ़ कर लोगों का दिल किस कदर भर आया इस बाबत हमारे पास कितने ही पत्र और फोन आए. बहुत सी पीडि़त महिलाओं ने अपने साथ हुए हादसों का दर्द साझा किया तो हजारों लोगों ने इस कुकर्म की कड़े शब्दों में भर्त्सना की और इस महिला के सहयोग के लिए आगे आने की इच्छा जाहिर की. तभी हम ने गृहशोभा में वोआ (विक्टिम औफ ऐसिड अटैक्स) नाम के कैंपेन की शुरुआत की थी और तेजाबी हमला पीडि़ताओं की समस्याओं को सुलझाने की पहल भी की थी.

दीपिका ने जीवंत किया किरदार

8 साल पहले हम ने महिलाओं की जिंदगी की जिस त्रासदी को शब्दों में उकेरा था उसे ही मेघना गुलजार ने लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी के साथ ‘छपाक’ फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया है ताकि लोग ऐसी पीडि़ताओं के जीवन का दर्द महसूस करें. इस फिल्म में यकीनन दीपिका का अभिनय काबिलेतारीफ है. तेजाब पीडि़ता के प्रोस्थेटिक मेकअप के साथ जिस तरह दीपिका ने आगे आने की हिम्मत की और एक बदसूरत चेहरे के साथ जिंदगी जी रहे किरदार को जीवंत किया वह सराहनीय है. फिल्म में उन्होंने अपने मन की खूबसूरती और आत्मविश्वास को आकर्षक ढंग से पेश किया है.

अब जब दीपिका का कैरियर ग्राफ बुलंदियों पर है तब इस तरह की भूमिका स्वीकारना और उसे बेहतरीन ढंग से निभाना और फिर जेएनयू के स्टूडैंट्स तक पहुंच जाना व जेएनयू छात्रों की सपोर्ट करते हुए वहां हो रहे प्रोटैस्ट का हिस्सा बनने की हिम्मत करना केवल दीपिका ही कर सकती हैं. यह दीपिका ही थीं, जिन्होंने अपनी मानसिक बीमारी यानी डिप्रैशन के बारे में खुल कर बातें की थीं.

अकसर हम मानसिक बीमारियों का जिक्र भी करने से घबराते हैं, क्योंकि समाज में आज भी डिप्रैशन को लोग पागलपन की श्रेणी में रखते हैं. मगर दीपिका ऐसी बातों से घबराती नहीं हैं.

वे लोगों के आगे सचाई रखना जानती हैं और यही कदम इस फिल्म में ऐक्टिंग कर के उन्होंने उठाया है.

पीडि़तों की दूश्वारियां

‘छपाक’ फिल्म में दीपिका ने दिखाया है कि कैसे ऐसिड अटैक सरवाइवर्स को अपने चेहरे को देखने लायक बनाने की जद्दोजेहद में अनगिनत सर्जरीज और उन पर होने वाले खर्च के कारण आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है. लोगों की हिकारतभरी नजरों का सामना करते हुए भी जिंदगी की जंग लड़नी पड़ती है. इस के साथ ही न्याय की आस में कोर्टकचहरियों के चक्कर लगातेलगाते अपना सुकून भी खोना पड़ता है. मगर यदि ऐसी लड़कियों को परिवार और समाज की सपोर्ट मिलती है तो वे फिर से दर्द से उबर कर जीना सीख जाती हैं.

दरअसल, अपराधी यही तो चाहता है कि पीडि़ता घर में बंद हो जाए और पलंग पर मुंह फेर कर लेटी रहे. न्याय के लिए लड़ने का जज्बा उसे खुद पैदा करना होगा तभी वह अपराधी के मंसूबों पर पानी फेर सकेगी.

‘छपाक’ फिल्म की कहानी ऐसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है.

फिल्म की शुरुआत ऐसिड सर्वाइवर मालती अग्रवाल (दीपिका पादुकोण) की वर्तमान जिंदगी से होती है, जो ऐसिड अटैक के बाद कई सर्जरी करा चुकी है और अब नौकरी की तलाश में है. उसे बारबार तेजाबी हमले से हुए बदसूरत चेहरे की याद दिलाई जाती है. फिर उस की जिंदगी में छाया नाम के एनजीओ का संस्थापक अमोल (विक्रांत मेसी) आता है, जो ऐसिड सर्वाइवर के लिए काम करता है. मालती इस से जुड़ जाती है.

फिल्म अच्छी पर कुछ कमियां भी

फ्लैशबैक में मालती की कहानी दिखाई जाती है. 19 साल की खूबसूरत और हंसमुख मालती (दीपिका पादुकोण) सिंगर बनने के सपने देख रही, मगर बशीर खान द्वारा किए गए बर्बर ऐसिड अटैक के बाद उस की जिंदगी पहले जैसे कभी नहीं रह पाती. घर में टीवी की बीमारी से ग्रस्त भाई, आर्थिक तंगी से जूझती मां, शराबी पिता और उस पर मालती की सर्जरीज के बीच पुलिस इन्वैस्टिगेशन और कोर्टकचहरी के चक्कर. अपनी वकील की प्रेरणा से मालती ऐसिड को बैन किए जाने की याचिका दायर करती है. इस खौफनाक सफर में मालती का चेहरा भले छीन लिया जाता हो, मगर उस की मुसकान कोई नहीं छीन पाता.

इस फिल्म की कहानी और प्रस्तुतीकरण अच्छा है, मगर कुछ कमियां भी महसूस होती हैं. मसलन, कोर्टकचहरी के दृश्य उतने प्रभावशाली नहीं बन पड़े हैं. इसी तरह मालती की सर्जरी और उस के बाद की पीड़ा को और विस्तार से दिखा कर कहानी की गंभीरता और मार्मिकता बढ़ाई जा सकती थी. मालती की कहानी भी जल्दी में निबटा दी गई है.

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गृहशोभा में प्रकाशित की गई रिपोर्ट तेजाब पीडि़ताओं के दर्द का विस्तृत वर्णन करती है और वे पक्ष भी लेती है, जिन्हें फिल्मी परदे पर दिखाना संभव नहीं होता है.

‘‘2012 में गृहशोभा के जून (द्वितीय) और जुलाई (प्रथम) अंक में ‘तेजाबी हमला: दर्द उम्र भर का’ शीर्षक से प्रकाशित वह एक ऐसी कहानी थी, जिसे पढ़ते वक्त चलचित्र की तरह सारे दृश्य लोगों की आंखों के आगे सजीव हो उठे थे…’’

जानें क्या है हड्डियों और जोड़ों में दर्द के कारण

जाड़े का मौसम शुरू होते ही लोग हड्डियों और जोड़ों के  दर्द से परेशान होने लगते हैं. दरअसल, जब हमारी त्वचा सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आती है तो हमारा शरीर विटामिन डी बनाता है, जिस से हड्डियां मजबूत रहती हैं. लेकिन सर्दियों में धूप कम रहने के कारण शरीर इसे ठीक से नहीं बना पाता. सेहत का पूरा खयाल न रखा जाए तो यह मौसम हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का शिकार बना सकता है. इस संदर्भ में सैंटर फौर नी ऐंड हिप केयर के डा. अखिलेश यादव कहते हैं कि जाड़े के मौसम में आमतौर पर 4 तरह की परेशानियां सिर उठाने लगती हैं:

1. जौइंट पेन

जिन लोगों को रूमैटौइड आर्थ्राइटिस या औस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या होती है उन्हें ठंड के मौसम में दर्द ज्यादा होता है. दरअसल, जोड़ों के अंदर एक  झिल्ली होती है, जिसे साइनोवियल मैंब्रेन कहते हैं. इस में ठंड की वजह से इरिटेशन होती है, जिस से इन्फ्लेमेशन हो जाता है और दर्द होने लगता है.

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2. मस्क्युलर पेन

ठंड में मसल्स में भी ठंड लग जाती है, जिस की वजह से ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो जाता है. इस से मसल्स सिकुड़ और ऐंठ जाती हैं. हड्डियों के लचीलेपन में भी कमी आ जाती है, जिस से दर्द होने लगता है.

3. न्यूरोलौजिकल पेन

हर्निएटेड डिस्क की प्रौब्लम में ठंड के मौसम में इस तरह की समस्याएं और बढ़ जाती हैं, क्योंकि बैक के आसपास की मसल्स ठंड में सिकुड़ती हैं तो नर्व पर प्रैशर बढ़ा देती हैं. इस से दर्द होने लगता है.

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4. पुरानी चोट

हड्डियों की पुरानी चोट जाड़े में बहुत परेशान करती है. उस खास हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन घट जाने से वहां दर्द बढ़ जाता है.

छोटी सरदारनी: क्या परम और मेहर की जान बचा पाएगा सरब?

कलर्स के शो, ‘छोटी सरदारनी’ में परम की बिगड़ती हालत को देखकर पूरा परिवार परेशान है, तो वहीं मेहर ने परम को बचाने का एक रास्ता निकाल लिया है. पर क्या परम की जान बचाने के लिए नया रास्ता बन जाएगा मेहर की जान के लिए खतरा? आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सरब को समझाती है मेहर

अब तक आपने देखा कि मेहर, परम की जान बचाने के लिए अपना लीवर देने का फैसला डौक्टर संजना को बताती है. साथ ही वह सरब को कहती है कि वह परम की मां होने का फर्ज निभा रही है. मेहर से लंबी बहस के बाद सरब, मेहर के फैसले को मानने के लिए तैयार हो जाता है. वहीं कुलवंत कौर और उसका परिवार मेहर के इस फैसले से बिल्कुल राजी नही होते, पर मेहर उन्हें मना लेती है.

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लिफ्ट में फंसी है मेहर

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मेहर, डौक्टर संजना से कहती है कि वह सरब से ये बात छिपाए कि परम को लीवर देने से उसकी जान को खतरा है, लेकिन सरब उन दोनों की बातें सुन लेता है. वहीं डौक्टर, सरब को बताती है कि एक दवा है, जिससे मेहर की जान को बचाया जा सकता है, वहीं सरब दवाई को लाने की जिम्मेदारी ले लेता है. इसी बीच दवाई लेकर आते समय सरब को पता चलता है कि मेहर लिफ्ट में फंस गई है, जबकि औपरेशन के लिए काफी कम समय रह गया है.

क्या बचेगी मेहर की जान?

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आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि लिफ्ट में फंसी मेहर को सरब किसी तरह बचा लेगा, जिसके बाद वह औपरेशन थियेटर जाएगी, लेकिन इसी दौरान एक दुर्घटना होगी और मेहर की जान बचाने वाली दवाई की शीशी फर्श पर गिरकर टूट जाएगी. वहीं मेहर की जान बचाने के लिए सरब दवाई के लिए हर तरह से  ढूंढने की कोशिश करेगा.

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अब देखना ये है कि क्या मेहर की जान बचाने के लिए सरब सही समय पर दवाई का इंतजाम कर पाएगा? क्या परम और मेहर का औपरेशन बिना किसी मुश्किल के सफल हो पाएगा?  जानने के लिए देखते रहिए ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, रात 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘बिग बी’ की फिल्म ‘झुंड’ का टीजर, देखें यहां

बिग बी यानी अमिताभ बच्चन की अपकमिंग फिल्म ‘झुंड’ का टीजर रिलीज हो गया. ‘रिलीज होते ही यह टीजर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. ‘झुंड’ का टीजर दर्शकों को भी खूब पसंद आ रहा है और अब तक इसे 2 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.

इस फिल्म का टीजर अपने ट्विटर हैंडल से बिग बी ने शेयर किया है. 1 मिनट 12 सेकंड के इस वीडियो में 12 सेकंड तक ब्लैक बैकग्राउंड में फिल्म के प्रोड्यूसर्स के नाम बताए गए हैं. 13वें सेकंड से अमिताभ की दमदार आवाज सुनाई देती है, जिसमें वे कहते हैं, ‘झुंड नहीं कहिए सर, टीम कहिए टीम…’.19वें सेकंड से विजुअल्स दिखाई देना शुरू होते हैं. जिसमें कई लड़के हाथ में चैन, डंडे, ईंट, पत्थर और बैट लेकर जाते दिखाई देते हैं. इसके साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक में फिल्म का टाइटल सॉन्ग सुनाई देता है.

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इस फिल्म को सुपरहिट मराठी फिल्मों के डायरेक्टर नागराज मंजुले डायरेक्ट कर रहे हैं. पहली बार मंजुले किसी स्टार के साथ फिल्म बनाने जा रहे हैं. उनके मन में फिल्मस्टार लोगों के साथ काम करने की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन अमिताभ अकेले हैं जिनके साथ वो खुद काम करना चाहते थे. स्क्रिप्ट लिखते समय उनके मन में लीड रोल में बच्चन ही थे. इस फिल्म में संगीतकार अजय-अतुल हैं. झुंड का निर्माण भूषण कुमार की टी-सीरीज, टी-सीरीज फिल्म्स के बैनर तले सविता राज हीरेमठ, मंजुले और तांडव फिल्म एंटरटेंमेंट लिमिटेड कर रही है.

फिल्म की कहानी नागपुर के रहने वाले फुटबॉल कोच विजय बरसे के जिंदगी पर आधारित स्पोर्ट्स मूवी है. ये झुग्गी के कुछ बच्चों से शुरू होती है. वो एक ऐसे आदमी से मिलते हैं जो उनकी जिंदगी बदलकर रख देता है. वो उनके हाथ में फुटबॉल थमा देता है और उनकी बुरी आदतों को दूर कर देता है बच्चों को प्रेरित करते हुए फुटबौल की ट्रेनिंग देता है और ‘स्लम सॉकर’ नाम की टीम बनाकर उनके सपनों को पूरा करता हैं.

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हाल ही में फिल्म ‘झुंड’ का पहला पोस्टर रिलीज हो चुका है. इस पोस्टर को एक्टर ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. पोस्टर में अमिताभ के सामने एक बस्ती नजर आ रही है. इसके अलावा जमीन पर सफेद और लाल रंग की एक फुटबॉल और एक टूटी हुई वैन दिख रही है. इस फिल्म की रिलीज डेट 8 मई 2020 है.

शिवांगी जोशी ने धूमधाम से मनाई मम्मी-पापा की एनिवर्सरी, नहीं दिखे मोहसिन खान

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक शिवांगी जोशी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई हैं. कभी सीरियल को लेकर तो कभी को-स्टार मोहसिन खान के चलते फैंस के बीच वायरल हो रही हैं. हाल ही में शिवांगी जोशी ने अपने पापा-मम्मी की वेडिंग एनिवर्सरी सेलिब्रेट की, जिनमें मोहसिन के अलावा उनके को-स्टार्स नजर आए. आइए आपको दिखाते हैं शिवांगी की पार्टी से जुड़ी वायरल फोटोज….

शिवांगी ने मनाई मम्मी-पापा के शादी की सालगिरह

बीते दिनों ही शिवांगी जोशी के मम्मी-पापा ने अपनी शादी की 23वीं सालगिरह मनाई है, जिसमें शिवांगी बेहद खुश नजर आई. पार्टी के साथ शिवांगी ने अपने मम्मी-पापा संग चौकलेट केक भी काटा.

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कायरव संग डांस करते दिखे शिवांगी जोशी के पापा

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शिवांगी जोशी के पिता ने सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में कायरव के रोल में नजर आने वाले तन्मय शाह के साथ जमकर डांस करते नजर आए, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है.

शिवांगी की मां ने लगाया जश्न में चार चांद

 

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Happy anniversary..♥️ #23yearsofmarriage Location:- @radda.mumbai

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शिवांगी जोशी की मां इस जश्न में चार चांद लगाती हुई नजर आईं. वहीं शिवांगी अपने पापा के बेहद ही करीब है. शिवांगी अपने मम्मी पापा संग काफी वक्त बिताती हैं, जिसका पता शिवांग की इन वायरल फोटोज से लग रहा है.

नानी के साथ दिखें शिवांगी के मम्मी-पापा

nani

शिवांगी जोशी के मम्मी पापा उनकी नानी के साथ फोटोज खिचवातें नजर आए, इसकी साथ शिवांगी की नानी कितनी कूल हैं ये उनकी इन फोटोज से साफ पता चल रहा है.

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‘ये रिश्ता..’ के स्टार्स आए नजर

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शिवांगी के मम्मी-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी में सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सितारे भी नजर आए, जिन्होंने इस पार्टी में चार-चांद लगा दिए, लेकिन खास बात ये रहे कि शिवांगी के रूमर्ड बौयफ्रेंड मोहसिन खान इस पार्टी से नदारद नजर आए. मोहसिन के इस पार्टी में ना होने से उनके फैंस को काफी बुरा भी लगा.

बता दें, मोहसिन और शिवांगी का काफी टाइम से ब्रेकअप होने की खबरें आ रही हैं, जिसके बाद दोनों इन खबरों से बचते नजर आते हैं.

माइक्रोवेव में पका खाना हेल्दी है या नहीं?

आज के इस आधुनिक दौर में समय बचाने के चक्कर में हम चूल्हे की जगह गैस और माइक्रोवेव  ओवन जैसे आधुनिक कुकिंग उपकरणों का इस्तेमाल करने लगे हैं .इन उपकरणों के इस्तेमाल से समय वह मेहनत तो कम लगती है. लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं.

1. प्रैग्नैंट महिला के लिए नुकसानदायक

गर्भवती महिलाओं के लिए माइक्रो वेव का प्रयोग  नुकसानदायक है क्योंकि इससे खतरनाक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलते हैं. जो गर्भ में पल रहे शिशु के ब्रेन ,हार्ट और लिंग को नुकसान पहुंचाते हैं . इसके प्रयोग से मिसकैरेज भी हो सकता है.

2. खाने की पौष्टिकता में कमी

इसमें खाना पकने वाले खाने की पौष्टिकता  60 से 90 परसेंट तक नष्ट हो जाती है और भोजन का संरचनात्मक विघटन तेज हो जाता है .इसी कारण भोजन शरीर को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचाने लगता है.

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3. इम्यूनिटी पर खराब असर

जितना ज्यादा माइक्रोवेव में पका हुआ खाना खाया जाएगा उतना ही हमारी इम्यूनिटी कमजोर होगी .क्योंकि इसमें पके हुए खाना खाने से बैक्टीरिया और विषाणुओं से लड़ने की रोग प्रतिशोधक शक्ति पर असर पड़ता है.

4. लिंफेटिक सिस्टम पर असर

ओवन और माइक्रोवेव में पके हुए खाने में इन से निकलने वाली किरणें कैंसर कारकों को  की रचना करती हैं और  भोजन ग्रहण करने से खून में कैंसर कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है. असल में माइक्रोवेव में पकाए गए भोजन में हुए रासायनिक परिवर्तनों से मानव शरीर के लिंफेटिक सिस्टम का कार्य कमजोर पड़ जाता है.

5. पाचन तंत्र प्रभावित होता है

माइक्रोवेव से निकलने वाली  किरणे खाद्य पदार्थों में कुछ ऐसे परिवर्तन कर देती है, जिससे व्यक्ति को पाचन संबंधी समस्या हो सकती है.

6. स्किन पर असर पड़ता है

बहुत ही कम समय में  खाद्य पदार्थों के पक कर तैयार होने से  खाद्य पदार्थों के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं. जिससे  झुर्रियां पड़ने लगती हैं और समय से पहले बुढ़ापा आने लगता है .साथ ही त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

7. मस्तिष्क पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है

माइक्रोवेव में बना खाना खाने से मस्तिष्क पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है .ऐसा भोजन मस्तिष्क के उतको उसमें दीर्घ अवधि और स्थाई नुकसान पहुंचाता है.

8. हारमोंस के निर्माण पर असर

माइक्रोवेव में बना हुआ खाना खाने से हारमोंस क निर्माण प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है. इस तरह का भोजन स्त्री और पुरुष दोनों के हारमोंस को प्रभावित करता है.

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9. स्मरण शक्ति की कमी

हर रोज इस में बना हुआ भोजन करने से स्मरण शक्ति, बौद्धिक क्षमता, एकाग्रता में कमी और भावनात्मक अस्थिरता में वृद्धि हो जाती हैं.

10. आसान टिप्स

1-महत्वपूर्ण है कि  जरूरत ना हो तो माइक्रोवेव का इस्तेमाल ना करें .

2- खाना पकाने की जगह , गरम करने के लिए इसका इस्तेमाल करें.और  गर्म करते समय से बार-बार खोलने से बचें. वरना इसकी हानिकारक किरणें शरीर को प्रभावित करती हैं.

3-इसका इस्तेमाल करते समय 12-14 सेंटीमीटर  दूरी बनाकर रखें.

4-पुराना हो गया है, तो रेडिएशन मीटर से इसकी नियमित जांच करवाएं.

निजी जिंदगी को तबाह न कर दे वेब सीरीज और टीवी की लत

जरा तुम हटके खड़ी हो जाओं, मैं ट्रेन के अंदर तो घुस जाऊं, नहीं तो मैं गिर जाउंगी’, ऐसे करीब दो बार कहने पर भी वह लड़की टस से मस नहीं हुई, क्योंकि वह छोटी सी जगह में अपने मोबाइल पर वेब सीरीज की किसी शो को देख रही थी और अपने आप मुस्करा रही थी. किसी तरह दूसरी महिला ने उसे सहारा दिया, ट्रेन के अंदर खीच लिया और उसकी जान बच गयी. मुंबई की लोकल ट्रेन में जहाँ पीक ऑवर्स में खड़े होने की भी जगह नहीं होती, ऐसे में वेब सीरीज या टीवी शो या फिल्म देखने के उत्सुक महिलाएं कुछ सुनने और समझने के लिए तैयार नहीं. कई बार तो इसे देखने को लेकर महिलाओं में झगड़े भी शुरू हो जाते है. एक दिन तो ट्रेन की दरवाजे पर खड़ी लड़की की मोबाइल भी किसी ने ट्रैक से गाडी के थोड़ी सी धीमी होने पर खींच लिया. सब कुछ पता होने पर भी इसकी लत इतनी लग चुकी है कि कोई भी इसे देखे बिना नहीं रह सकता.

दरअसल फिल्में और धारावाहिके हमेशा हमारे जीवन में अहम् हिस्सा निभाती रही है. एक्शन, फिक्शन, थ्रिलर, रोमांस आदि सभी फिल्में, शोज और वेब सीरीज हमारे जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है. इसके बिना जिंदगी यूथ से लेकर वयस्क सभी की अधूरी लगती है. मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली दिशा से इस बारें में पूछने पर कहती है कि घर पर समय नहीं मिलता, इसलिए ट्रेन की जर्नी से देखने लगती हूँ और बाद में घर पर जाकर पूरा देख लेती हूँ. ऐसा न करने पर रात को देर से सोना पड़ता है. छात्र अनिषा का कहना है कि दिनभर की थकान के बाद ये वेब सीरीज मुझे अच्छा महसूस करवाती है और मैं हर नयी सीरीज को देखना पसंद करती हूँ. 40 साल की वैशाली तो बिंज वाच शनिवार को करती है, हालांकि परिवार वालों को इससे नाराजगी रहती है, पर वह किसी की सुनती नहीं है.

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इस बारें में मुंबई की डॉ. एल एच हीरानंदानी हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी कहते है कि ये हर शो आज यूथ में लत की तरह शामिल हो चुका है, जिससे निकलना उनके लिए मुश्किल होता है. ख़ासकर टिनएजर्स की बढती उम्र में उनका मन इधर-उधर भटकता है, ऐसे में किसी भी प्रकार की नशा उनके लिए ख़राब होता है. माता-पिता को इससे बच्चे को सम्हालना पड़ता है. वे उन्हें उससे दूर रख भी लेते है, लेकिन इस तरह के वेब सीरीज और शोज से वे उन्हें दूर नहीं रख पाते. ये उनमें कोकीन के नशे से भी अधिक मजबूती से समा चुका है और इसके निर्माता भी जान बुझकर उन्हें परोस रहे है. यही वजह है कि इसे  देखने का प्रचलन दिनोदिन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इसके कांसेप्ट आकर्षक और सबके पसंद के अनुसार होते है. इसे देखते हुए लोग रियलिटी से दूर फेंटासी की दुनिया में चले जाते है. जहाँ उन्हें हर चीज सुंदर और सुहाना लगता है. इससे उनकी आशाएं बढ़ने लगती है और जब वह नहीं मिलता, तो वे चिडचिडे हो जाते है. कुछ सही और गलत बातें इन शोज के साथ जुडी हुई है, जिसे परख लेना उचित है.

बोन्डिंग होती है कम

टीवी शोज और वेब सीरीज में दिखाए गए बोन्डिंग किसी भी रिश्ते को मजबूती दे सकती है, साथ ही उस रिश्ते को दूर भी ले जा सकती है, क्योंकि इसे देखते हुए लोग आपस में बातचीत कम करने लगते है और कई बार ऐसी शो को वे अपने घर पर लाकर उससे अपनी तुलना करने लगते है. आपसी कम्युनिकेशन की क्षमता धीरे-धीरे कम होने की वजह से रिश्तों में कड़वाहट आने लगती है. जिससे मानसिक स्तर ख़राब होने लगता है और रिश्ते टूटते है. इसके अलावा कई बार लोग रील के रिश्तों को अपने रिश्तों से तुलना करने लगते है, जो असंभव होता है., क्योंकि अधिकतर टीवी शो में महिलाओं को असहाय या फेमिनिस्ट दिखाया जाता है, जबकि पुरुषों को इन इमोशन से दूर कठोर दिखाया जाता है, जो रियल वर्ल्ड से कोसों दूर होती है. कुछ व्यक्ति इन फिल्मों की संवाद से इतने प्रभावित हो जाते है कि वे ऐसे संवाद को अपने घर पर भी प्रयोग करने लगते है.

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होती है एडिक्शन

डॉ. हरीश आगे कहते है कि इसका एडिक्शन इतना खातरनाक होता है कि लोग बिना सोये रातभर जागकर इसे देखते है. इससे उनकी नीद ख़राब होती है. सुबह काम ठीक से नहीं हो पाता, जिससे डिप्रेशन और घबराहट बढ़ती है, क्योंकि व्यक्ति बाहर की दुनिया से दूर हो जाता  है. इसके अलावा कई शो व्यक्ति की मानसिक दशा को भी ख़राब कर सकती है, वे इसे देखने के बाद कुछ गलत कदम भी उठा सकते है.

बढती है सेकेंडरी डिप्रेशन

बच्चों में ऐसे शोज लगातार देखने से उनके शिक्षा का स्तर घटने लगता है, पढाई में उनका मन नहीं लगता, गाली- गलौज की भाषा का प्रयोग वे करने लगते है. ऐसे में सेकेंडरी डिप्रेशन और फ्रस्टेशन  होने लगता है. इसके अलावा आँखों में तकलीफ होने लगती है, स्पाइनल कॉड में दर्द और मोमेंटल थकान भी होता है.

बदल सकती है मानसिकता

डॉ शेट्टी कहते है कि वेब सीरीज की कोई सर्टिफिकेशन नहीं होता. कोई भी कभी भी इसे बना सकता है. अधिक समय तक देखने के बाद व्यक्ति के स्वभाव में परिवर्तन, आक्रामकता, झूठ बोलना आदि प्रबल होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि ये सीरीज में चलती रहती है, जो हमारे समाज और पर्यावरण के लिए घातक है. इसलिए इससे दूर हटकर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ समय बिताने पर व्यक्ति  रील और रियल वर्ल्ड के अंतर को आसानी से समझ सकता है

इसके अलावा कुछ शोज ऐसे भी है, जो आपके तनाव को कम करते है, मसलन अच्छी कॉमेडी शो या फिल्में,जो रिश्तों में मजबूती लाती है. निरसता जो आपके जीवन में है, उसे तरोताजा बनाकर खुशियाँ भर देती है.

वेब सीरीज मेकर्स का मत है कि इन्टरनेट पर ऐसी चीजे हमेशा से उपलब्ध है, जिसे कोई भी कभी भी देख सकता है. इसे रोकना संभव नहीं. इस बारें में डॉ. शेट्टी का कहना है कि कई ऐसे माध्यम है जहाँ शोज के सही न होने पर व्यक्ति शिकायत कर सकता है, उनकी एक काउंसल होती है. इसलिए इन्टरनेट और वेब सीरीज की भी काउंसिल होनी चाहिए, ताकि कोई सही चीज न होने पर उसकी शिकायत की जा सकें, अनियंत्रित कोई भी चीज इन्टरनेट पर नहीं दिखाई जानी चाहिए. कई दूसरे देश ने भी इस पर बैन किया हुआ है और ये सही कदम है. कुछ भी बिकाऊं नहीं होनी चाहिए.

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कितना और कैसे देखना है सही

ये सही है कि मनोरंजन की इस शोज को दैनिक जीवन से हटाना मुश्किल है, पर इन्हें देखते हुए कुछ बातों का ध्यान हमेशा रखनी चाहिए, ताकि इसका असर आपके रिश्तों और परिवार पर न पड़े. जो निम्न है,

  • अपने रिश्तों की तुलना कभी भी इन रील वर्ल्ड से न करें, उन्हें सँवारने की कोशिश करें, क्योंकि ऐसे बहुत लोग है, जो आपसे कमतर जिंदगी जीकर भी बेहतर है,
  • आपसी तनाव को फ़िल्मी अंदाज में नहीं अपने अंदाज़ में सुलझाने की कोशिश करें,
  • अपने लिए निकाले समय में वर्कआउट, घूमना, स्क्रीन टाइम आदि को निश्चित करें, दिन में एक से दो घंटे स्क्रीन टाइम काफी होते है. इसके अलावा हर एक का हक है कि वह अपने खाली समय को अपने हिसाब से बिताने का प्रयास करें और खुद सोचे कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं.

सर्दियों में पाएं टैनिंग से राहत 

सर्दियों के मौसम में अधिकतर लोगों को धूप में बैठना पसंद होता है. कई बार ज्यादा समय तक धूप में बैठने से टैनिंग की समस्या भी हो जाती है. सर्दी का मौसम दस्‍तक दे चुका है, ऐसे में हम आपको बता रहे हैं टैन से राहत पाने के कुछ कारगर तरीके.

सर्दियों की धूप आपको कितन सुकून देती है. गर्मियों की कड़ी धूप से अलग यह हमें राहत देती है. लेकिन, शायद ही लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि उनकी यह कयावद उन्‍हें टैनिंग की परेशानी दे सकती है. स्किन टैन या सनबर्न की समस्‍या सर्दियों में भी हो सकती हैं. इसलिए स्किन एक्सपर्ट सर्दियों में भी हमेशा बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन का उपयोग करने की सलाह देते हैं. सूर्य की पराबैंगनी किरणें इस मौमस में भी आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकती हैं. कुछ साधारण घरेलू उपचार सर्दियों के मौसम में स्किन टैन से राहत देने मददगार साबित हो सकते हैं.

1. नहाना

जब टैन आपकी स्किन की बाहरी परत पर हो जाए, तो रोज नहाने से पुरानी स्किन कोशिकाओं को निकालने में मदद करती है. टैन दूर करने के लिए आप नहाते समय सोप का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. गर्म पानी से स्नान करने से टैन जल्दी ठीक होता है. यह ध्यान रखें कि नहाने का पानी ज्यादा गर्म न हो. ज्‍यादा गर्म पानी आपकी स्किन को खुश्क बना सकता है.

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2. शहद-नींबू

स्किन से टैनिंग हटाने के लिए शहद बहुत फायदेमंद है. नींबू के रस में शहद मिलाकर इसे टैन हुई स्किन पर लगाएं, टैनिंग से राहत मिलेगी.

3. दूध-हल्दी

कच्चे दूध में हल्दी व नींबू का रस मिलाकर, उसे स्किन पर लगाकर कुछ समय के लिए छोड़ दें. इसके बाद पानी इसे गुनगुने पानी से धो लें. इससे टैनिंग खत्म हो जाएगी.

4. बेसन पैक

बेसन में नींबू का रस और दही मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे टैन हुई स्किन पर लगाएं. सूखने के बाद इसे पानी से धो लें. कुछ दिन लगातार इस पैक को लगाने से टैनिंग जल्दी दूर होगी.

5. चंदन और गुलाब जल

टैंड स्किन को ठीक करने के लिए चंदन में गुलाब जल और नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे टैन स्किन पर लगाएं और 20 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें. इससे टैनिंग खत्म हो जाएगी.

6. ऐलोवेरा जेल

ऐलोवेरा जेल, आधा चम्‍मच शहद, दही और खीरे का रस मिलाकर पेस्ट बनाएं. इस पेस्‍ट को अपने चेहरे तथा गर्दन पर 15 से 20 मिनट तक लगाएं. इसे धूप से आने के बाद लगा लें, इससे टैनिंग में आराम मिलता है.

7. नारियल पानी

स्किन के काले भाग पर नारियल का पानी लगाना टैनिंग को ठीक करने में मदद करता है. साथ ही यह स्किन को गोरा और मुलायम बनाता है.

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8. बादाम और ओट्स

बादाम और चंदन पाउडर को पीस कर पेस्‍ट बना लें. यह चंदन पाउडर काली स्किन की रंगत को निखारता है और टैनिंग को भी कम करता है. या फिर कच्‍चे दूध, हल्‍दी और थोडा़ सा नींबू का रस मिलाकर एक पेस्‍ट बना लें. इसके ओट्स भी मिलायें और एक गाढा पेस्‍ट बना लें. इस पेस्‍ट को सूखने तक टैनिंग वाली जगह पर लगा रहने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे टैनिंग ठीक हो जाती है

उपरोक्‍त उपायों को अपनाकर आप सर्दियों में होने वाले टैन से बच सकते हैं. लेकिन यदि टैनिंग काफी समय तक ठीक न हो तो किसी स्किन विशेषज्ञ से जल्द ही संपर्क करें, और इसका इलाज कराएं.

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