ट्रैंडी लुक के लिए ट्राय करें ये 9 ट्रिकी टिप्स

हर महिला की तमन्ना होती है कि वह दूसरों से अलग, खूबसूरत और फ्रैश दिखे, सभी का अट्रेक्शन उस पर ही टिकें और वह इतराती हुई आगे बढ़े. मौनसून में खुद को रिफ्रैश करने और अपनी अलग पहचान बनाने के लिए आइए जानते हैं मोंटे कार्लो की ऐग्जीक्यूटिव डाइरैक्टर मोनिका ओसवाल से के कुछ स्टाइल स्टेटमैंट्स के बारे में जिन्हें हर महिला/लड़की फौलो कर फैशन गेम में खुद को सब से आगे रख सकती है:

1. कैजुअल लुक के लिए ये करें ट्राई

किसी पार्टी में जाना हो, मूवी नाइट का प्लान हो अथवा दोस्तों से मुलाकात करनी हो, आप अपना खुद का स्टाइल स्टेटमैंट बनाने के लिए कुछ वाइल्ड और बोल्ड ट्राई कर सकती हैं. इस के लिए आप नए प्रिंट्स, ऐक्सैसरीज फैब्रिक और कलर ट्राई कर सकती हैं.

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2. पफ शोल्डर है ट्रैंडी

विंटेज पफ शोल्डर फिर से ट्रैंड में आ गया है. टौप ड्रैस व ब्लाउज आदि में पफ्ड स्लीव ट्राई कर सकती हैं. किसी भी पार्टी में पफ्ड स्लीव वाली ब्लैक पैंसिल ड्रैस पहनें और फिर देखें कैसे आप हर किसी के आकर्षण का केंद्र बनती हैं. अगर आप कूल गर्ल वाला लुक पाना चाहती हैं तो ओवरसाइज्ड शोल्डर वाली लंबी शर्ट ऐंकल लैंथ बूट के साथ पहनें और परफैक्ट कूल लुक पाएं.

3. फैशन के नए फंडे हैं जरूरी

ब्रीजी व्हाइट ड्रैस, स्ट्रैपी सैंडल, सिल्की मिडी स्कर्ट, स्मोक्ड टौप, चैक्ड पैंट और ऐसिमैट्रिक नैकलाइंस आजकल फैशन में हैं. पंख/फर वाली ड्रैसेज फिर से चलन में आ रही हैं. लाइलैक फैशन में है और रैड व पिंक का कौंबिनेशन सब से अधिक फौलो किया जा रहा है.

4. व्हाइट टैंक टौप करें ट्राई

एक बेहतरीन फिटिंग वाला सफेद टैंक टौप चौड़ी मुहरी वाली पैंट या प्लाजो या जींस, सेलर पैंट या फिर जोधपुरी पाजामे के साथ पहनें और एक प्रिंटेड स्कार्फ के साथ इसे ऐक्सैसराइज करें, साथ में बालों को मेसी अप डू लुक दे कर आप परफैक्ट लेडी लुक पा सकती हैं.

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5. प्रोफैशनल लुक के लिए

हमें फैशन के साथ खेलते हुए स्टाइल को अपने औफिस के आउटफिट के साथ फिट करना होता है. औफिस के फैशन में एक संतुलन और सादगी वाले ग्लैमर की जरूरत होती है. हालांकि अधिकतर कौरपोरेट कंपनियों में बटन वाली ड्रैस पहनने का नियम है, मगर आप इस में भी स्टाइल और फैशन का संयोजन बखूबी ला सकती हैं.

6. फौर्मल ड्रैसिंग के साथ परफैक्ट लुक के टिप्स

प्रोफैशनल इमेज में रंग बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. न्यूट्रल कलर जैसेकि काला, मैरून, सफेद, नेवी, क्रीम, चारकोल, ग्रे आदि रंगों को प्राथमिकता दें. इन में से अधिकतर रंग पैंटसूट, स्कर्ट और शूज में अच्छे लगते हैं. इन रंगों को सौफ्ट फैमिनाइन रंगों जैसेकि आइस ब्लू, लाइलैक, सौफ्ट पिंक और आइवरी के साथ मैच करें.

7. कौंप्लिकेडेट हेयरस्टाइल और ऐक्सैसरीज के इस्तेमाल से बचें

याद रहे प्रिंट ऐक्सैसरीज की कमी को पूरा कर देते हैं. अपने लुक को अधिक प्रोफैशनल दिखाने के लिए बड़े-बड़े इयररिंग्स, चटक रंगों वाले हैंडबैग और ब्राइट ग्लासेज के इस्तेमाल से बचें. अपनी ऐक्सैसरीज में बहुत सारे रंगों के इस्तेमाल से बचें. बालों में फ्रैश ब्रैड, साइड चोटी, फ्रैंच रोल आदि ट्राई करें. स्लीक हेयरस्टाइल इन दिनों फैशन में है. इस के लिए एक साफ रैप अराउंड पोनीटेल ट्राई कर सकती हैं.

8. छोटे प्रिंट्स लगते हैं बेहतर

अगर आप अपने औफिस में अनावश्यक आकर्षण का केंद्र नहीं बनना चाहती हैं तो अपने कपड़ों के प्रिंट्स को कम से कम भड़कीला रखें. लाउड प्रिंट्स के बजाय थौटफुल प्रिंट्स बेहतर रहते हैं. फ्लोरल प्रिंट्स फैशन में हैं. आप सफेद अथवा पिस्ता कलर के बेस पर छोटे गुलाब वाले प्रिंट्स का ब्लाउज ट्राई कर सकती हैं.

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9. फैशन में करें माइंडफुल पेयरिंग

बौटमवियर और टौप के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. फ्लौवर कैट्स अथवा हार्ट प्रिंट वाले ब्लाउज परंपरागत बौटमवियर के साथ पहनें.

Edited by Rosy

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं लंग कैंसर के मरीज

पिछले कुछ सालों से लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले इसे ‘स्मोकर्स डिसीज’ कहा जाता था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. अब युवा, महिलाएं और धूम्रपान न करने वाले भी तेजी से इस की चपेट में आ रहे हैं. लंग केयर फाउंडेशन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लंग कैंसर के शिकार 21% लोग 50 से कम उम्र के हैं. इन में से कुछ की उम्र तो 30 वर्ष से भी कम है. युवा पुरुषों के साथसाथ युवा महिलाएं भी अब इस की चपेट में अधिक आ रही हैं.

ये होता है लंग कैंसर

फेफड़ों में असामान्य कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास होने पर लंग कैंसर होता है. ये कोशिकाएं फेफड़ों के किसी भी भाग से हो सकती हैं या फिर वायुमार्ग में भी हो सकती हैं. लंग कैंसर की कोशिकाएं बहुत तेजी से विभाजित होती हैं और बड़ा ट्यूमर बना लेती हैं. इन के कारण फेफड़ों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल विश्वभर में 76 लाख लोगों की मौत फेफड़ों के कैंसर के कारण होती है, जो विश्वभर में होने वाली मौतों का 13% है.

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पहले 10 पुरुषों पर 1 महिला को लंग कैंसर होता था जो अब बढ़ कर 4 हो गया है. यह चिंता का विषय है. लंग कैंसर द्वारा महिलाओं की मृत्यु में हर साल बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है. यूटराइन कैंसर और ओवेरियन कैंसर की तुलना में ब्रैस्ट कैंसर कहीं ज्यादा है.

ये हैं लंग कैंसर के कारण

–  लंग कैंसर के 10 में से 5 मामलों में इस का सब से प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन होता है, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल रही है, क्योंकि अब लंग कैंसर के मामले धूम्रपान न करने वालों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं.

–  जो लोग धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं. सैकंड हैंड स्मोकिंग के कारण उन में भी लंग कैंसर होने की आशंका 24% तक बढ़ जाती है.

–  सीओपीडी से पीडि़त लोगों में लंग कैंसर का खतरा 4 से 6 गुना बढ़ जाता है.

–  लंग कैंसर का एक कारण आनुवंशिक भी है.

–  वायुप्रदूषण के कारण भी लंग कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.

लंग कैंसर के लक्षण

–  लगातार बहुत ज्यादा खांसी रहना.

–  बलगम में खून आना.

–  सांस लेने और कुछ निगलने में परेशानी होना.

–  आवाज कर्कश हो जाना.

–  सांस लेते समय तेज आवाज आना.

–  निमोनिया होना इत्यादि.

लगातार खांसी रहना और खांसी के साथ खून आना लंग कैंसर का प्रमुख लक्षण है, जो पुरुषों व महिलाओं दोनों में होता है. बाकी लक्षण ऐसे हैं जो दूसरी बीमारियों में भी हो सकते हैं. कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत उपचार कराना बेहद जरूरी है.

फेफड़ों के कैंसर का ऐसे करें इलाज

कैंसर का उपचार इस पर निर्भर करता है कि कैंसर का प्रकार क्या है और यह किस चरण में है. लंग कैंसर के इलाज के कई तरीके हैं-सर्जरी, कीमोथेरैपी, टारगेट थेरैपी, रैडिएशन थेरैपी एवं इम्यूनोथेरैपी.

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फेफड़ों के कैंसर की सर्जरी

पहले और दूसरे चरण में सर्जरी कारगर रहती है, क्योंकि तब तक बीमारी फेफड़ों तक ही सीमित होती है. सर्जरी थर्ड ए स्टेज में भी की जा सकती है, लेकिन जब कैंसर फेफड़ों के अलावा छाती की झिल्ली से बाहर निकल या दूसरे अंगों तक फैल जाता है तब सर्जरी से इस का उपचार नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में कीमोथेरैपी, टारगेट थेरैपी और रैडिएशन थेरैपी की मदद ली जाती है.

कीमोथेरैपी भी है एक इलाज

कीमोथेरैपी में साइटोटौक्सिक दवा को नस में इंजैक्शन के द्वारा शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है, जो कोशिकाओं के लिए घातक होती है. इस से अनियंत्रित रूप से बढ़ती कोशिकाएं तो नष्ट होती ही हैं, साथ ही यह कई स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है.

टारगेट थेरैपी: कीमोथेरैपी के दुष्प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया. इस में सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है. इस के साइड इफैक्ट्स भी कम होते हैं.

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क्लीनअप के लिए की जाती है रैडिएशन थेरैपी

रैडिएशन थेरैपी में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए अत्यधिक शक्ति वाली ऊर्जा की किरणों का उपयोग किया जाता है. इन का उपयोग कई कारणों से किया जाता है. कई बार इन्हें सर्जरी के बाद बची हुई कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को क्लीनअप करने के लिए किया जाता है तो कई बार सर्जरी के पहले कीमोथेरैपी के साथ किया जाता है ताकि सर्जरी के द्वारा निकाले जाने वाले ट्यूमर के आकार को छोटा किया जा सके. उसे सर्जरी के द्वारा निकाला जा सके.

कैंसर रोकने के लिए इम्यूनोथेरैपी

बायोलौजिकल उपचार के तहत कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए इम्यून तंत्र को स्टिम्युलेट किया जाता है. पिछले 2-3 सालों से ही इस का इस्तेमाल लंग कैंसर के उपचार के लिए किया जा रहा है. कई रोगियों में इसे मूल इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

फेफड़ों के कैंसर में इन चीजों का भी रखें ध्यान

–  धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें.

–  प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचें.

–  विषैले पदार्थों के संपर्क से बचें. कोयला व मार्बल की खदानों से दूर रहें.

–  अगर मातापिता या परिवार के अन्य सदस्य को लंग कैंसर है तो विस्तृत जांच कराएं.

–  घर में वायु साफ करने वाले पौधे जैसे कि एरिका पौम, ऐलोवेरा, स्नैक प्लांट इत्यादि लगाएं.

–  शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. नियमित एक्सरसाइज करें.

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Edited by Rosy

मौनसून में छाता खरीदते समय रखें इन 6 बातों का ध्यान

मौनसून की शुरूआत होते ही हमें गरमी से राहत मिल जाती है, लेकिन घर से जुड़ी कईं चीजों की जरूरत हमें होने लगती है. बारिश में हमारे लिए सबसे जरूरी होता है छाता.  भीगने से बचने के लिए छाता खरीदना जरूरी होती है. कई लोग छाता सिर्फ उसका कलर और वो सही काम कर रहा है कि नहीं ये देखकर खरीद लेते हैं, लेकिन कई ऐसी चीजें हैं जो छाता खरीदते समय ध्यान रखना जरूरी है.

1. टू इन वन खरीदे छाता

छाता खरीदने से पहले भी उसकी खूबियों को देख लेना चाहिए. छाता खरीदते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि छाता ऐसा हो जो बारिश और गरमियों दोनों मौसम में हमारे काम आ सके.

2. छतरी की गोलाई का भी रखें ध्यान

छतरी की गोलाई अच्छी होनी चाहिए. अगर हमें एक छाते के नीचे दो लोगों को जाना पड़े तो वह भीगने से बच जायें या कभी आपके पास कोई बैग हो तो वह भी बारिश से बच जाये.

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3. छाते का हैंडल भी देखना न भूलें

छाते की गोलाई के साथ-साथ उसका हैंडल भी चेक कर लें क्योंकि सबसे ज्यादा हमें उसे ही पकड़ना पड़ता है. इसलिए छाते का हैंडल आरामदायक होना चाहिए ताकि बहुत देर तक हैंडल पकड़ने पर भी हाथों में दर्द न हो.

4. छाते की लंबाई का भी रखें ध्यान

ध्यान रहे आपके छाते की लंबाई कम से कम 10 या 11 इंच हो तो होनी ही चाहिए और दाम देखकर कभी भी छाता नहीं खरीदें, छाते की क्वालिटी का विशेष ध्यान दें.

5. छाते का शाफ्ट भी हो मजबूत

छाते का शाफ्ट मजबूत होना चाहिए. छाता खरीदते समय उसके कपड़े पर विशेष ध्‍यान दें क्योंकि तेज बरसात के दौरान वहीं आपको भीगने से बचाता है अक्‍सर तेज बारिश में कुछ छाते टपकने लगते हैं या पानी को बौछारों को रोक नहीं पाते हैं तो इसका ध्‍यान रखें.

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6. बच्चों के लिए अलग खरीदें छतरी

छोटे बच्चों के लिए बाजार में कई तरह की छाते मिलते हैं छाते की शक्ल की हैट और टोपियां मिलती है जो कि और हैंड-फ्री होने के साथ-साथ बारिश से भी बचाने का काम करती हैं तो बच्चों के लिए हो सके तो वही छाते खरीदें.

मौनसून में छाता खरीदते समय जितना आप ख्याल रख रहें हैं, ध्यान रखें मौनसून में भी छाते की केयर करना न भूलें.

रिलेशनशिप से जुड़ी इन 5 बातों का रखें ध्यान

अक्सर ही जिंदगी में उम्र का एक ऐसा मोड़ आता है जब आप किसी से प्यार कर बैठते हैं. आपने सभी सोचा नहीं होता है कि आपके साथ ऐसा कुछ होगा,लेकिन जब आपको वो इंसान अच्छा लगने लगता है और आप उसके प्यार में पड़ जाते हैं. आपको उसकी हर हरकत अच्छी लगने लगती है, आप हर वक्त उससे बात करना चाहते हैं, खाली वक्त में आपको उसकी तस्वीर देखना अच्छा लगता है, उसकी हर पसंद-नापसंद आपको जानने की इच्छा होती है. आप फोन करके पूछते हो कि आपने खाना खाया या नहीं, तबीयत खराब हो तो आप परेशान हो जाते हो उसने दवा ली या नहीं…लेकिन इन सबके बीच कुछ चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में आप सोचे और उस पर अमल करें तो शायद आपकी लाइप में टेंशन कम होगी.

अगर आप रिलेशन में हैं तो ध्यान रखें ये पांच बातें…

1.कभी भी अपने पार्टनर पर डिपेंड न हो

कभी भी अपने पार्टनर के ऊपर निर्भर नहीं होना चाहिए. क्योंकि इससे कारण फिर आपको वो कमजोर समझ सकता है या समझ सकती है. आप पर दबाव बनाकर कुछ भी अपनी मर्जी का करवा सकता है. आपको खुद के पैर पर खड़ा होना होगा ताकि वो आप पर अपना हुकुम न चला सके.

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2. पार्टनर पर एक हद तक भरोसा करें

आप अपने पार्टनर पर भरोसा कर सकती हैं लेकिन अपने माता-पिता की बात को नकार कर कभी हद से ज्यादा भरोसा भी नहीं करना चाहिए. जिंदगी कब क्या मोड़ ले ले ये किसको पता होता है. क्योंकि सुना तो होगा ही की सारे रिलेशनशिप सफल नहीं होते हैं…कुछ प्रतिशत रिलेशन ही ऐसे होते हैं आगे चलकर सफल हो पाते हैं.

3. अपनी लाइफ के डिसीजन खुद लें

बहुत से रिलेशन में ऐसा होता है जब आपका पार्टनर आपके लाइफ के डिसीजन लेता है. कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आप करना चाहते हैं, लेकिन आपके पार्टनर के नापसंदगी की वजह से नहीं करते या फीर वो आप पर वो चीजें न करने के लिए दबाव बनाता है. कभी-कभी ऐसा होता है कि पार्टनर बोलता है ये ड्रेस मत पहनो ये पहनो यहां जाओ वहां मत जाओ…इस तरह चीजें लाइफ को बोझिल बना देती हैं.जब आप अपनी जिंदगी खुद से खुलकर जीना चाहते हैं तो ये बहुत जरूरी है की खुद की सोच कायम करें.

 4. पार्टनर के आगे फैमिली को न भूलें

जब आप प्यार में होते हैं तो आप कभी-कभी अपनी फैमिली को नहीं समझते हैं. आपको ऐसा लगता है अब जो है वो मेरा पार्टनर ही है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए आपकी फैमिली आपकी फर्स्ट प्रौयोरिटी होनी चाहिए. चंद दिनों के प्यार के लिए फैमिली के महत्व को न भूलें.

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5. लाइफ को आसान बनाकर रखें

रिलेशन में अक्सर इंसान टेंशन में हो जाता है कभी लड़ाई हो गई तो कभी इस बात की टेंशन की अरे पार्टनर को कौल नहीं किया वो नाराज हो जाएगा या जाएगी. इन सभी बातों से परें होकर अपनी लाइफ खुलकर जिएं. कभी भी बंधन में न रहें.

कैसे शुरू हुआ अंधविश्वास का सिलसिला

लेखक -डा. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’

कहीं दिखावे का स्वांग, कहीं डर से श्रद्धा, तो कहीं लकीर की फकीरी, कुल मिला कर यही हैं हम, हमारा समाज. जहां धर्मांधता के कारण पंडों, पुजारियों, पुरोहितों द्वारा पर्व, उत्सवों को भी नाना प्रकार के कर्मकांडों से जोड़ कर सत्य तथ्यों को नकारते हुए उन का मूलभूत आनंदमय स्वरूप नष्ट कर दिया गया, वहीं शुभ की लालसा और अनिष्ट की आशंका से उन के पालन को विवश साधारण जनमानस का भयभीत मन अंधविश्वासों में घिरता चला गया, क्योंकि हमारे धार्मिक ग्रंथ भी इसी बात की पुरजोर वकालत करते हैं कि ईश्वर के बारे में धार्मिक कार्यों पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगाना, बात नहीं मानी तो नष्ट हो जाओगे. ‘…अथचेत्त्वमहंकारात्त् नश्रोष्यसि विनंगक्ष्यसि.’ (भा. गीता श्लोक 18/58), बस चुपचाप पालन करते जाना है. किसी अधर्मी के आगे बोलना नहीं. ‘…न च मां यो अभ्यसूयति.’ (भा. गीता श्लोक 18/67) सब धर्मों को छोड़ कर हमारी शरण आ जाओ. अपने धर्म की ओर खींचने की रट कि मैं सब पापों से तुम्हारा उद्धार कर दूंगा.

सर्वधर्मान् परित्यज्य, माम एकं शरणं व्रज:।अहं त्वां सर्वपापेभ्योमोक्षयिष्यामि मा शुच:॥ (भा. गीताश्लोक 18/66).

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ये सब क्या है? भगवान है तो सर्वशक्तिमान होगा न? उसे सब से बताने की क्या आवश्यकता थी. फिर उन्होंने अपना वचन सारी भाषाओं में क्यों नहीं लिखवा दिया? कंप्यूटर सौफ्टवेयर के जैसे उन के पास तो सारा ज्ञानविज्ञान तो हमेशा से ही है, पत्रों, पत्थरों पर क्यों लिखवाया? जो उन्हें नहीं मानते उन के आगे ये गीता के भगवान वचन कहनेपढ़ने को क्यों मना किया, उन के वचन तो कानों में पड़ते ही उन्हें पवित्र बन जाना था. फिर मना क्यों किया गया? सीधी सी बात है, वे तर्क मांगते और इन के पास कोई जवाब न होता और ढोल की पोल खुल जाती, सत्य सामने आ जाता. सत्य तथ्यों को नकारना, बिना कारण जाने कुछ भी मान लेना, मनवाना यहीं से शुरू हो गया.

इस डर में नएनए अंधविश्वास जन्म लेते गए और अंधविश्वासी बढ़ते गए. एक ही बात मन की गहराई में बैठ गई कि यदि अकारण, बिना तर्क ऐसा करने से अच्छा और न करने से बुरा हो सकता है, तो हमारे व दूसरों के और क्रियाकलापों से भी बिना कारण अच्छाबुरा घट सकता है. बस शुरू हो गया अंधविश्वासों का सिलसिला. कभी क्रिकेट टीम की जीत के लिए, तो कभी ओलिंपिक मैडल के लिए अथवा नेताओं की चुनाव में जीत के लिए हवन कराए जाने लगते हैं. यदि इस सब से कुछ हो सकता तो बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं रोकने के लिए धार्मिक भारत महान में कोई हवन क्यों नहीं होते? यह सोचने की बात है.

दिखाने का स्वांग

बिल्ली ने एक बार रास्ता काटा जैसी छोटी बात को अंधविश्वास बना डाला गया. डर इतना मन में बैठाया गया कि रास्ता ही बदल लिया या किसी और के गुजरने का इंतजार कर लेने में ही भलाई समझी. आगे आजमाने की हिम्मत ही नहीं दिखाई गई. डर इतना घर कर गया कि कभी ध्यान भी न गया कि अच्छा भी हुआ था कभी. अपना डर दूसरों में भी डालते चले गए. एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे, माउथ टु माउथ सब जगह बात फैला दी गई.

जितनी धर्मभीरुओं की संख्या बढ़ती है अंधविश्वास और अंधविश्वासियों की संख्या में उस से कहीं ज्यादा वृद्धि होती है. इसलिए सर्वप्रथम धर्म, दूसरे व्यक्ति का भीरु मन और दुर्बल हृदय मुख्य कारण हैं, जिस के फलस्वरूप अंधविश्वासी इस बहाने सत्य तथ्यों को सरलता से नकारने लगे.

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एक और कारण है दिखावे का स्वांग जैसे कुछ जनधार्मिक कर्मकांडों में लिप्त रह कर जताते हैं कि वे बहुत ही धार्मिक हैं, इसलिए अधिक अच्छे, सच्चे और विश्वास के योग्य एक पवित्र आत्मा हैं. फिर भले ही वे लंगर, दान, पुण्य की आड़ में गोरखधंधा या काला धंधा खूब चलाते हों. दुनिया व कानून की आंख में धूल झोंकते हुए बेशुमार धनदौलत, नाम, सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त कर लेते हैं.

भ्रष्ट बड़ेबड़े नेता, टैक्स की चोरी करने वाली बड़ीबड़ी फिल्मी हस्तियां, बड़ी शान से अपने लावलश्कर और मीडिया की चकाचौंध के साथ मंदिरों में वीवीवीआईपी ट्रीटमैंट के मध्य, देवीदेवताओं का दर्शन, भारी दान, चैरिटी कर अपने को धार्मिक, पवित्र और नेक दिखाने का ढोंग करते हैं. क्या यह आंखें खोलने के लिए पर्याप्त नहीं? सच तो यह है कि हम सो नहीं रहे, सब जानतेबूझते आंखें बंद कर के पड़े हैं. सही तो है कि सोए हुए को जगाया जा सकता है जागे हुए को नहीं.

खुल चुकी है बाबाओं की असलियत

लकीर की फकीरी व परंपरा की दुहाई भी इस झूठ को अपनाने की वजह है. हमारे पूर्वज, बड़ेबूढ़े जो करते चले आ रहे हैं, आंख मूंद कर लकीर के फकीर बने हम भी उन का अनुसरण करते जा रहे हैं. ऐसा करना हम अपना कर्तव्य मानते हैं. उन के प्रति प्यारआदर दिखाने का एक तरीका समझते हैं. उन से कोई तर्क नहीं करते. बस मानते चले जाते हैं. कुछ संतुष्टि मिली, कुछ अच्छा लगने लगा, करतेकरते फिर विश्वास भी होने लगा, वैसे ही जैसे ताला बंद कर घूमने आराम से निकल जाते हैं कि अब घर सुरक्षित है. उन कर्मकांडों, अंधविश्वासों को मान कर, पालन कर हम अपनेआप को भविष्य के प्रति सुरक्षित सा अनुभव करने लगे. बस जैसा अपने बड़ों को देखा है वैसा बिना सोचेसमझे करते चले जा रहे हैं.

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अशिक्षा, अज्ञानता और तर्क को नकारना भी एक बहुत बड़ा कारण है. ठीक है आज शिक्षा का बहुत तेजी से प्रसार हो रहा है. कुछ मस्तिष्क में क्यों, कैसे प्रश्न अंकुरित भी होने लगे हैं. व्यक्ति हर बात का पहले कारण जानना फिर मानना चाहता है. परंतु अभी भी हमारे देश की जनसंख्या 100% शिक्षित नहीं हो पाई है. मोबाइल, गाड़ी का प्रयोग तो करते हैं पर बाबाओं से चमत्कार की आशा में उन के पास जाना नहीं छोड़ते, उन के चंगुल में फंसते जाते हैं, सत्य साईं बाबा, आसाराम बाबू जैसे लोग कहां गए? उन की असलियत आज किसी से छिपी नहीं.

अशिक्षा है बड़ी वजह

दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिस का कारण न हो, तर्क न हो. नहीं जानते तो हमारी अशिक्षा, अज्ञानता ही है. दो और दो चार ही होंगे या तीन व एक चार ही होंगे यदि हम नहीं जानते तो हमारी अज्ञानता ही कही जाएगी. रातदिन कैसे होते हैं? नहीं मालूम तो कुछ भी मनगढं़त अटकलें लगा लें, जैसे कोई राक्षस रोज सूर्य को निगल जाता है या कुछ भी बेसिरपैर की कोई और कल्पना परंतु उन के पीछे का कारण.

एक सच तो हमेशा से रहा है. हम ने ही देर से जाना. मोबाइल, टीवी डिश, गाड़ी का हो चाहे जहाज उड़ने का विज्ञान पहले भी था, हम ने ही देर से जाना. आज भी जाने कितनी कला, कितना विज्ञान दुनियाजहान में छिपा पड़ा है. हमें उस ओर अपना मस्तिष्क दौड़ाना है. मनगढ़ंत बातों से बचना है, जिस के लिए शिक्षा के साथसाथ ज्ञान का होना नितांत आवश्यक है.

अनपढ़ों की तो बात ही छोडि़ए पढ़ेलिखे भी अपनी बुद्धि तर्कविहीन बनाए बैठे हैं. बुद्धि लगा कर कुछ सोचनासमझना ही नहीं चाहते. पढ़ाई ढंग से की नहीं, घर से दही खा कर मंदिर में भगवान के दर्शन कर परीक्षा दे आए. परिणाम स्वयं ही बता देता है कि उन्हें यही मिलना चाहिए था.

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अंधविश्वासों से घिरे वे पूर्णतया प्रसन्न भी नहीं रह पाते हैं. अतएव शिक्षा के साथसाथ जनजन को ज्ञान का प्रकाश सब से पहले अपने भीतर फैलाना होगा. सत्य जाने बिना कुछ नहीं मानना. कुछ है तो वास्तविकता क्या है? कैसे है? क्यों है? प्रयास करना है, इन के उत्तर जानने हैं, फिर कुछ मानना है. हमारा वास्तविक विकास और उत्थान वहीं से शुरू होगा.

Web Series Review- थिंकिस्तान

रिलीज इयर – 2019

क्रिएटर- रजनीश लाल

कास्ट–  नवीन कस्तूरिया, श्रवण रेड्डी, मंदिरा बेदी, सहाना गोस्वामी

जोनर– ड्रामा, कौमेडी

एमएक्स प्लेयर की ओरिजिनल सीरीज थिंकिस्तान दो लड़कों हेमा और अमित के इर्दगिर्द घूमती है जो कौपी राइटर बनने के लिए अपने-अपने शहर से बौम्बे आए हैं. स्टोरी 1996 के बौम्बे को दिखाती है जिस मे एक विज्ञापन एजेंसी एमएमटीसी किस तरह उस समय में एड क्रिएट करती है और किस तरह हेमा और अमित खुद को इस में फिट बैठा पाते हैं की कहानी है.

प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ का तड़का बहुत अच्छा है. यह एक फ्रेश कंटेंट है जो हर युवा को एक ताजगी भरे कंटेंट का मजा दिलाती है. एक तरफ जहां हेमा अपनी इंग्लिश, पर्सनैलिटी और चार्म से सभी के दिलों में जगह बना लेता है वहीँ दूसरी तरफ शांत और हिंदीभाषी झिझक भरे अमित को दिखाया गया है जो इस चमचमाती दुनिया का हिस्सा बनने में मुश्किलों का सामना करता है.

हेमा और अमित की दोस्ती और औफिस में होने वाले भेदभाव को क्रिएटिव तरीके से दिखाया गया है. हालांकि, सीजन की शुरुआत करियर ओरिएंटेड है तो एंडिंग थोड़ी अब्रप्ट भी लगती है. फिर भी इसे देखना तो बनता है.

जाह्नवी को इस हाल में देख हैरान हुए फैंस, कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी का इन दिनों ट्रोलिंग होना आम बात बन गई है. हाल ही में उनकी अपकमिंग फिल्म ‘रुही आफ्जा’ के सेट से फिल्म में उनके लुक की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर रिलीज हो गई, जिसके बाद कईं फैन्स ने जाह्नवी की तारीफ की तो वहीं कुछ ने उनकी तुलना मेड से करके ट्रोल कर दिया. आइए आपको दिखाते हैं उनके लुक की कुछ खास फोटोज…

दूसरी फिल्म में राजकुमार के साथ आएंगी नजर

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जाह्नवी अपनी अपकमिंग फिल्म ‘रुही आफ्जा’ में राजकुमार राव के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करती हुई नजर आने वाली है.

लुक की फोटोज को लेकर फैन ने किया ये कमेंट

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जहां एक तरफ फिल्म में राजकुमार राव के संग काम करने को लेकर जाह्नवी बेहद खुश है. वहीं फैंस ने उनके लुक की तुलना मेड से करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि उनकी मेड भी उनसे सुंदर दिखती हैं.

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पहले भी कपड़ों पर हुईं थी ट्रोल

 

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“Tone down the drama or leave” Me: PC: @viralbhayani

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इससे पहले भी जाह्नवी अपने सिंपल कपड़ों को लेकर ट्रोल कर चुके हैं, जिसको लेकर जाह्नवी भी जवाब दे चुकी हैं.

राजकुमार राव के साथ काम करने की जताई थी तमन्ना

 

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जाह्नवी राजकुमार राव पर अपने क्रश का खुलासा मीडिया के सामने कर चुकी हैं. ऐसे में दूसरी ही फिल्म में राजकुमार के साथ काम करना जाह्नवी के लिए बेहद खास एक्सपीरियंस होने वाला है.

उत्तराखंड में हो रही है फिल्म की शूटिंग

 

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Janhvi Kapoor gets a warm welcome from fans while shooting for Roohiafza in Roorkee. #instalove #manavmanglani

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जाह्नवी कपूर की इस फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड की रुड़की में हो रही है. वायरल हुई फोटो में जाह्नवी कपूर सिंपल सलवार कमीज और ग्रे जैकेट पहने हुए नजर आ रही है. जिसमें उन्हें पहचान पाना मुश्किल है.

बता दें, ‘धड़क’ के बाद जाह्नवी कपूर का राजकुमार के साथ स्क्रीन शेयर करना जहां लोगों का ध्यान खींच रहा है, वहीं फैंस के बीच उनकी ये लुक सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है.

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हिमाचल की वादियों में दिखा कार्तिक-सारा का रोमांटिक अंदाज

बौलीवुड में फिल्म केदारनाथ से डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस सारा अली खान इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म के को-स्टार कार्तिक आर्यन के साथ शूटिंग के बीच हिमाचल की वादियों का मजा ले रहीं हैं. सारा और कार्तिक की ये जोड़ी बहुत जल्द फिल्म ‘लव आज कल 2’ में नजर आएगी. आइए आपको दिखाते हैं सारा और कार्तिक के फुरसत के पल की कुछ फोटोज…

सारा और कार्तिक की फोटोज हुईं वायरल

सारा इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म शूटिंग हिमाचल प्रदेश में कर रहीं हैं, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

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फिल्म के आखिरी शेड्यूल को इन्जौय कर रहे सारा-आर्यन

हिमाचल प्रदेश में ‘लव आज कल 2’ का ये आखिरी शेड्यूल है, जिसके चलते ये दोनों एक्टर्स यानी सारा और आर्यन हिमाचल की वादियों को काफी एन्जौय कर रहे हैं.

हिमाचली टोपी में नजर आए सारा-कार्तिक

 

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the way he look at Sara?❤️ #saraalikhan #kartikaaryan #sartik

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हाल ही वायरल हुई फोटोज में कार्तिक और सारा हिमाचली टोपी फोटो खिचवाते नजर आ रहे हैं.

खूबसूरत घाटियों का मजा ले रहे कार्तिक और सारा

 

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Faces covered once again ☺️♥️ such cuties!? SarTik ki Luka Chuppi? . . . . Follow me @kartiksarafanclub for all updates on Kartik & Sara!♥️ . . . Tags : { #SaraAliKhan #KartikAaryan #SarTik #Kartik #Sara #KartikSara #SaraKartik #kareenakapoor #saifalikhan #deepikapadukone #aliabhatt #beautiful #jhanvikapoor #ranveersingh #ranbirkapoor #sonuketitukisweety #simmba #bollywood #actors #love #kedarnath #loveaajkal #loveaajkal2 #lukkachuppi #instadaily #instagood #instalove #kalank #varundhawan #janhvikapoor} @kartikaaryan @saraalikhan95 . . . . Follow me @kartiksarafanclub for all updates on Kartik & Sara!♥️ . . . Tags : { #SaraAliKhan #KartikAaryan #SarTik #Kartik #Sara #KartikSara #SaraKartik #kareenakapoor #saifalikhan #deepikapadukone #aliabhatt #beautiful #jhanvikapoor #ranveersingh #ranbirkapoor #sonuketitukisweety #simmba #bollywood #actors #love #kedarnath #loveaajkal #loveaajkal2 #lukkachuppi #instadaily #instagood #instalove #kalank #varundhawan #janhvikapoor} @kartikaaryan @saraalikhan95

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फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले कार्तिक और सारा एक-दूसरे के साथ कुछ समय खूबसूरत घाटी के जंगल में बिताया और साथ ही खूब फोटोज भी खिचवाते हुए नजर आए.

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फैंस के साथ नकाब में खिचवाईं तस्वीरें

फिल्म की शूटिंग के दौरान मिले फुरसत के पलों में सारा और कार्तिक मुंह पर नकाब लगाए घूम रहे थे. वहीं जब उनके फैंस ने उन्हें पहचाना तो दोनों ने अपने फैंस के साथ नकाब में फोटो खिचवाते नजर आए.

सारा का हाथ पकड़े घूमते नजर आए कार्तिक

शूटिंग के दौरान कार्तिक सारा का हाथ पकड़े घूमते नजर आए, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

बता दें, आजकल सारा और कार्तिक इन दिनों अक्सर साथ में क्वौलिटी टाइम बिताते हुए नजर आ रहे हैं, जिसके बाद फैंस ने कयास लगाना शुरु कर दिया है कि कहीं ये दोनों एक दूसरे को डेट तो नहीं कर रहें हैं.

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दीपिका-रणवीर से सीखें परफेक्ट रिलेशनशिप टिप्स

बौलीवुड में कईं ऐसी कपल्स हैं जो एक अच्छे रिलेशनशिप की निशानी है. उन्हीं जोड़ियों में लोगों के बीच पौपुलर जोड़ी दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की है. दोनों की कुछ महीनों पहले ही शादी हुई है. दीपिका-रणवीर की जोड़ी इंडिया में ही नही विदेशों में भी पौपुलर है. दोनों की मुलाकात 6 साल पहले फिल्म रामलीला के सेट पर हुई थी, जिसके बाद भी दीपिका और रणवीर दोनों की बौंडिग कायम है. अगर आप भी दीपिका-रणवीर की तरह अपने रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो ये टिप्स आपके काम आएंगी.

एक-दूसरे की फैमिली में इंटरेस्ट रखना है जरूरी

दीपिका और रणवीर के रिलेशन की बात करें तो दोनों एक दूसरे की फैमिली में इटरेस्ट दिखाते हैं. वक्त निकाल कर अपने पार्टनर के दोस्तों और परिवार वालों से मिलते हैं और अगर आप भी अपने रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे की फैमिली को अपने घर पर इनवाइट करते रहें. इससे आपके सोशल और फैमिली रिलेशन भी मजबूत होंगे. साथ ही, रिश्ते में एक नया विश्वास भी आएगा.

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टाइम बीतने के बाद भी करें पार्टनर की केयर

अगर आप भी शादी या रिलेशनशिप के कईं साल बीत जाने के बाद अपने पार्टनर की केयर करना कम कर देतें हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें. यह न भूलें कि प्यार की बुनियाद अट्रेक्शन है. इसलिए दीपिका और रणवीर की तरह अपना अट्रेक्शन पार्टनर के लिए हमेशा बनाए रखें. अक्सर जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं तो उसकी कोई आदत आपको बहुत अच्छी लगी होती है. लेकिन कुछ वक्त बाद रिश्ते की पेचीदगियों में आपके पार्टनर की वो आदत खो जाती है. ऐसी ही कोई पुरानी आदत अपने पार्टनर को याद दिलाएं. यकीन मानिये उस आदत के साथ आपका पुराना प्यार भी वापस आ जाएगा.

पार्टनर को दें टाइम

आमतौर पर लोग सफल शादी के लिए फाइंनेशल कंडीशन का सही होना मानते हैं और ऐसा कहीं हद तक ठीक है, लेकिन पार्टनर को टाइम देना भी एक अच्छे रिलेशनशिप को कायम करने में मदद करता है.  पार्टनर यदि एक-दूसरे के साथ समय बिताएंगे तो ही वे अधिक से अधिक खुश रह पाएंगे. रिलेशनशिप में आ जाने के बाद आपकी जिम्मेदारियां समाप्त नहीं हो जाती, बल्कि और बढ़ जाती हैं. ऐसे में आप दोनों के बीच का प्यार कहीं खो न जाए, इसके लिए प्रयास करते रहें. कभी कोई फिल्म तो कभी कैंडल लाइट डिनर को अपनी दिनचर्या में जगह में दें. अपने पार्टनर को कोई तोहफा लाकर दें. कभी कोई लेटर लिखें या फिर कार्ड भिजवाएं.

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एक-दूसरे की सोच का करें सम्मान

कई बार किन्ही कारणों से पार्टनर एक-दूसरे के विपरीत होने और अलग विचार होने के कारण आपस में सौहार्द नहीं बना पाते.  शादी के बंधन में बंधने से पहले ऐसी बातों पर उनका ध्यान नहीं जा पाता. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि दोनों को एक-दूसरे की सोच और विचारों का सम्मान करते हुए एक दूसरे को समझना. कुछ लोगों की अपने पार्टनर से शिकायत होती है कि वो उनकी बात ठीक से नहीं सुनते. या उनके पास उनकी बात सुनने के लिए वक्त नहीं होता. आपका पार्टनर जो भी कहे, उसे ध्यान से सुनें. अगर आपके पास उस समस्या का कोई हल ना भी हो तो उन्हें अहसास दिलाए की आप उन्हें समझ सकते हैं.

कईं बार अपने पार्टनर की नापसंद और पसंद का ख्याल रखना भी जरूरी होता है. इसीलिए अगर आपको कोई चीज न पसंद हो और आपके पार्टनर को वो चीज पसंद है तो उनकी च्वौइस का सम्मान करें. इससे आपके रिलेशनशिप में फ्रैशनेस बनी रहेगी.

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खाने को ऐसे बनाएं हेल्दी

रैडी टु कुक स्नैक्स व भोजन का चलन आजकल काफी बढ़ गया है. ब्रेकफास्ट, स्नैक्स या किसी भी समय खाने वाले स्नैक्स की बात करें जैसे इडली, डोसा, बड़ा, उपमा, ढोकला, पकौड़ी, थेपला आदि के सील्ड पैकेट बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. पैकेट पर लिखे निर्देशानुसार पानी या दही मिलाएं और मनचाहा स्नैक्स बना लें. इसी तरह पोरिज आदि बनाने के लिए ओट्स, कौर्नफ्लैक्स, म्यूसली आदि में दूध डाला और झटपट तैयार. कहने का मतलब है कि बाजार में मुख्यतया 2 प्रकार की चीजें उपलब्ध हैं. एक वे जिन में दूध या दही आदि मिला कर कुछ मिनट पकाने के बाद तैयार हो जाती हैं तो दूसरी वे जिन में दूध आदि मिलाया और खाने के लिए तैयार. आइए जानें, इन दोनों ही चीजों की पौष्टिकता कैसे बढ़ाएं:

मूंग भजिया आटा, थालीपीट आटा को अलग तरीके से करें इस्तेमाल

वैसे तो नाम के अनुसार मूंग भजिया आटा में प्याज, आलू डाल कर भजिए बनाए जाते हैं, पर ऐसी सब्जियां जैसे पालक, कटहल आदि जो घर में नहीं खाई जाती है उन्हें भी इस में डाल कर पकौड़े बनाएं, बोंडा बनाएं, भजिए के आटे से चीला बनाएं. कई सब्जियों को बारीक काट कर या पीस कर इस के घोल में मिलाएं. ऊपर से धनियापत्ती बुरकें. कद्दूकस किया पनीर डालें. बढि़या व पौष्टिक चीला तैयार है.

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यदि फ्राइड पकौड़े या बोंडा नहीं खाना है तो अप्पे बना लें. बहुत कम तेल में अप्पे तैयार हो जाएंगे. इसी तरह थालीपीठ के आटे में कद्दूकस कर के लौकी, शिमलामिर्च, बारीक कटी पुदीनापत्ती, पालक आदि मिला कर थेपले बना लें.

ओट्स

आजकल लोग हेल्थ के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं. अत: ओट्स जिसे हिंदी में जई के नाम से जाना जाता है का प्रयोग काफी बढ़ गया है. मगर ज्यादातर लोग ओट्स को दूध में डाल कर ही खाते हैं.

पौष्टिकता ऐसे बढ़ाएं

दूध डालने से पहले ओट्स को हलका सा रोस्ट कर लें. छोटेछोटे क्यूब्स में काट कर मौसमी फल डालें. ऊपर से अनार के दानों से सजाएं. चीनी की जगह शहद डालें. आयरन से भरपूर शहद के साथसाथ फल भी डालने से ओट्स की पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है.

ओट्स उत्तपम, पैनकेक, इडली डोसा

ओट्स का उत्तपम, इडली, पैनकेक, डोसा आदि कुछ भी बनाना हो तो ओट्स को हलका सा रोस्ट कर के ठंडा कर मिक्सी में पाउडर बना लें. इडली बनानी हो तो इस में थोड़ी सूजी मिलाएं. उत्तपम बनाना हो तो चावल का आटा मिलाएं. बढि़या स्वादिष्ठ और पौष्टिक ब्रेकफास्ट तैयार है.

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रैडी टु कुक वाला उपमा बनाना हो तो भी उस में ओट्स का पाउडर मिला दें, साथ ही बारीक कटी शिमलामिर्च, गाजर, प्याज आदि. इस से उपमा भी पौष्टिक हो जाएगा. इसी तरह बाजार में मसाला ओट्स के पैकेट भी मिलते हैं. इस में पनीर मिलाएं और परांठों में भर कर सेंक लें. बच्चों को पता भी नहीं चलेगा और उन्हें पूरी पौष्टिकता भी मिल जाएगी.

आजकल ओट्स के साथ कौर्नफ्लैक्स ड्राईफ्रूट्स, चोकर आदि मिली म्यूसली भी बाजार में उपलब्ध है. इस में बारीक कटा सेब मिलाने से भरपूर पौष्टिकता मिलेगी.

कौर्नफ्लैक्स के साथ फ्रूट्स को भी मिलाएं

कौर्नफ्लैक्स भी रैडी टु ईट की श्रेणी में आता है. इस में दूध डालने के साथ-साथ मौसमी फल मिला लें तो जायका भी बढ़ेगा और पौष्टिकता भी. केला और अनार डालें तो क्या कहने. केले में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, तो अनार आयरन से भरपूर होता है और यह पेट की  समस्याओं से छुटकारा दिलाता है.

कौर्नफ्लैक्स का प्रयोग सिर्फ मीठी चीज के लिए ही नहीं किया जाता है वरन कटलेट पर कोटिंग के लिए भी किया जाता है. इस के अलावा कौर्नफ्लैक्स में थोड़ा सा प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च, दही व चटनी डाल कर चाट बना कर भी सर्व करें.

क्रंची टैक्स्चर वाले कौर्नफ्लैक्स में शुगर, आयरन, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. डाइटीशियन का मानना है कि इस में फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ध्यान रहे दिनभर में एक ही बार इस का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इस में मौजूद शुगर की मात्रा वजन बढ़ा सकती है.

म्यूसली का करें इस तरह इस्तेमाल

म्यूसली के बाजार में कई प्रकार के फ्लेवर उपलब्ध हैं. दूध में डालने के साथसाथ इस का प्रयोग ऐनर्जी बार बनाने में भी करें. किसी भी स्वीट डिश में थोड़ी सी म्यूसली डाल दें. स्वाद बढ़ जाएगा. ऐनर्जी बार में चीनी की जगह शहद या पाम शुगर मिलाएं तो आयरन भी मिल जाएगा.

ढोकला बड़ा पाउडर के साथ वेजीटेबल का कौम्बिनेशन भी करें ट्राय

ढोकले का मिश्रण बाजार में आसानी से उपलब्ध है. इस की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इस में गोभी, गाजर, बींस आदि सब्जियों को बारीक काट कर सौते करें और फिर ढोकले के मिश्रण में डाल कर पकाएं. बच्चे पालक या अन्य कोई भी हरी सब्जी खाना पसंद नहीं करते. अत: थोड़े से पालक के पत्ते, मूंगफली, आंवला, लहसुन आदि पीस कर चटनी तैयार करें. तैयार ढोकले के बीच में पालक की चटनी लगा कर उस की पौष्टिकता बढ़ाएं.

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प्रोटीन और हेल्दी चीजें मिलाएं

आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. बड़ा पाउडर से सिर्फ बड़े ही नहीं बनते, बड़े के आटे में दाल भी होती है, जो प्रोटीन से भरपूर होती है. सभी सब्जियों को हलका सा ब्लांच कर के उबले आलू के साथ मिलाएं व छोटेछोटे गोले बना लें. बड़े के आटे के घोल में डिप कर डीप फ्राई करें. स्वादिष्ठ व पौष्टिक पकौड़े तैयार हैं.

वेजीटेबल को हर खाने में मिलाने की करें कोशिश

हर चीज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए बारीक कटी ताजा सब्जियां व फल आदि मिलाएं. डाइटीशियन शिल्पा जैन कहती हैं कि झटपट तैयार होने वाली हर चीज को पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इन में प्रिजर्वेटिव पड़े होते हैं. अत: हर चीज की अधिकता से बचें. हफ्ते में 2-3 बार ही इस्तेमाल करें. अच्छा हो कुछ चीजें घर में ही बना कर रखें, जिन्हें हम प्री मिक्स कहते हैं. उदाहरण के लिए सूजी को भून कर उस में तड़का लगा कर रखें. सेंवईं, दलिया को घर में भून कर रखें ताकि कम समय में पौष्टिकता प्राप्त हो सके.

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Edited by- Rosy

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