शाहिद कपूर- मैं कबीर सिंह बनकर घर नहीं जा सकता था…

फिल्म ‘इश्क-विश्क’ से बौलीवुड कैरियर की शुरुआत करने वाले एक्टर शाहिद कपूर ने कई सफल फिल्में देकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है. हालांकि उनकी फ़िल्मी सफ़र कई उतार-चढ़ाव के बीच रहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जो भी फिल्में मिली, करते गए. उन्होंने हर तरह की फिल्मों में काम किया है. ‘विवाह’, ‘जब वी मेट’, ‘पद्मावत’, ‘उड़ता पंजाब’ आदि उनकी कई ऐसी फिल्में है, जिससे बौक्स औफिस पर काफी सफलता मिली. उन्होंने जिंदगी को जैसे आया वैसे जीने की कोशिश की. काम के दौरान ही उन्होंने मीरा राजपूत से शादी की और दो बच्चों के पिता बने. सुलझे व्यक्तित्व के एक्टर शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ की सफलता पर वे बहुत खुश है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश…

सवाल. इस फिल्म में कबीर सिंह बनना कितना कठिन था?

तेलुगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ सबको अच्छी लगी थी और इसमें कबीर राजधीर सिंह बनना मेरे लिए चुनौती थी. ये हिंदी मेनस्ट्रीम के दर्शकों के लिए बनाया गया है, जिसे लोग पसंद कर रहे है. इसमें बैकड्राप अलग है, क्योंकि ये दिल्ली और मुंबई को बेस बनाकर बनायीं गयी है. बाकी इसमें अधिक बदलाव नहीं किया गया.

सवाल. इतनी इंटेंस भूमिका करने के बाद फिर से नार्मल होना कितना कठिन था?

मुश्किल नहीं था, हर दिन मुझे अपनी भूमिका से निकलना पड़ा और अपनी पत्नी और बच्चों के पास जाना था, ऐसे में कबीर सिंह बनकर घर नहीं जा सकता था. मैं एक प्रैक्टिकल एक्टर हूं. काम और निजी जिंदगी को नहीं मिलाता.

 

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सवाल. आपने अलग-अलग भूमिका की है, क्या कभी आपको ऐसे एक्सपेरिमेंट से डर लगा?

ये सही है कि आज के दर्शकों के मनोभाव को समझना मुश्किल होता है. मैंने हमेशा सोच-समझकर काम करने की कोशिश की और कबीर सिंह पहले से ही एक सफल फिल्म है. इसलिए इसके लिए मुझे कभी भी डर नहीं लगा. चरित्र और कंटेंट दोनों ही फिल्म की सफलता को निर्धारित करते है. इस फिल्म में मैंने एक दिल टूटे आशिक की भूमिका निभाई है, जिससे कई लोग रिलेट कर सकते है. दर्शक अगर फिल्म की कहानी से रिलेट कर पाए, तो फिल्म सफल होती है. फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का सब्जेक्ट बहुत ही डार्क था, इसलिए उससे सबका जुड़ना संभव नहीं था, पर वह सफल रही, क्योंकि कहानी में सच्चाई थी. अलग भूमिका निभाने में मुझे कभी डर नहीं लगा. आज लोग रियलिटी को देखना पसंद करते है और वैसी फिल्में बन भी रही है.

सवाल. क्या आप कभी इस तरह के इंटेंस प्यार के शिकार हुए?

इस फिल्म के साथ मेरी कई पुरानी यादें ताज़ा हो गयी थी. ये एक कैंपस लव स्टोरी है. कौलेज के जमाने में जब प्यार हुआ था, मैंने जब किसी लड़की को पहली नजर में पसंद किया था तो कैसे बातें की थी. जब दिल टूटा तो कैसे अनुभव हुए थे. मसलन अकेले बैठे रहना, किसी से बातें न करना, इमोशनल गाने सुनना आदि बहुत सारे अनुभव हुए थे, जबकि ऐसा रियल में होता नहीं. जिंदगी हमेशा आगे बढती जाती है. अभी मैं 38 साल का हो चुका हूं और मेरे अंदर भी कई सारे परिवर्तन हुए है, जो पहले नहीं था.

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सवाल. आजकल आप फिल्मों के माध्यम से मैसेज देने की कोशिश कर रहे है, क्या फिल्में परिवेश को बदलने में सफल होती है?

आज के दर्शक काफी जागरूक है. वे फिल्मों को फिल्मों के नजरिये से ही देखते है और हर फिल्म में मैसेज नहीं होता. जबरदस्ती इससे डालने की भी जरुरत नहीं होती, क्योंकि फिल्में मनोरंजन का माध्यम है. इस फिल्म में मुझे एक बात अच्छी लगी है कि इसमे डिप्रेशन में जाने वाले को दिखाया गया है और अधिकतर लोग जब डिप्रेशन में होते है, तो उन्हें लगता है कि उन्हें कोई समझ नहीं रहा. वे अकेले इससे दौर से गुजर रहे है, जबकि ऐसा नहीं होता. बहुतों को ऐसा होता है और उससे खुद ही व्यक्ति निकल सकता है. मैंने अलग-अलग इमोशन की फिल्में करने की कोशिश की है. आम जीवन में हर दिन एक जैसे नहीं होता और फिल्में भी उसी की प्रतिबिम्ब होती है.

सवाल. प्यार के बारे में आपकी सोच क्या है?

मैं प्यार को स्ट्रोंगली मानता हूं और इससे जुड़ी शादी को भी अहमियत देता हूं. प्यार को सही नाम देना भी आपके उपर निर्भर करता है. प्यार की जरुरत हमेशा सभी को होती है.

सवाल. आप किस तरह के पिता है और बच्चों को किस तरह की आजादी देते है?

मैंने जरुरत के अनुसार काम किया है. जैसे बच्चों को खाना खिलाना, उनके डायपर बदलना, खेलना, स्कूल जाना, उनकी किताबें पढ़ना, सुलाना आदि सब किया है. मीरा कई बार परेशान हो जाती है ,पर मैं उन्हें सम्हाल लेता हूं. बच्चों को हर काम की आजादी, उनके उम्र के हिसाब से देता हूं. मैं बच्चों के साथ रोज समय बिताने की कोशिश करता हूं और अगर न बिता पाया तो असहज महसूस करता हूं.

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सवाल. क्या अभिनय के अलावा और कुछ करने की इच्छा है?

मैं फिल्मों से जुड़े हुए ही कुछ काम करने की इच्छा रखता हूं, लेकिन वह समय मिलने पर ही करना चाहता हूं.

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मौनसून टिप्स: बारिश में डेयरी प्रौडक्ट्स को ऐसे बचाएं

अक्सर गरमियों या मौनसून में घर में रखीं कईं खाने की चीजें खराब हो जाती है. जिनमें डेयरी प्रौडक्ट भी आते हैं. कई बार ऐसा होता है कि आप बाहर से दूध के पैकेट खरीदकर लाते होंगे और जब उसे रात को या सुबह गर्म करते हैं तो वह फट जाता है या खराब हो जाता है. ये आम बात है, लेकिन इन चीजों का ख्याल रखना जरूरी है. खासकर गरमियों या मौनसून के सीजन में डेयरी प्रौडक्टस खराब हो जाते हैं. इसीलिए आज हम आपको दूध और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट्स को स्टोर करके रख सके.

1. टैम्प्रेचर का हमेशा रखें ख्याल

डेयरी प्रोडक्ट्स को कूल टैम्प्रेचर में ही स्टोर करना चाहिए. हालांकि डेयरी प्रोडक्ट्स को नमी से बचाकर ही रखें. कूल एंड ड्राई जगह पर रखने से डेयरी प्रोडक्ट्स और दूध लंबे समय तक सही रहते हैं. इसी तरह गरम टैम्प्रेचर में भी ये चीजें आसानी से खराब हो जाती हैं. दरअसल, नमी और गर्मी में बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं, जिससे डेयरी प्रोडक्ट खराब हो जाते हैं.

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2. डेयरी प्रौडक्ट का करें उबालकर इस्तेमाल

अगर आप रोजाना दूध पीते हैं तो ये सुनिश्चि‍त करें कि उबाले बिना दूध न पिएं. दूध को उबालकर पीने से इसमें मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. हल्का गुनगुना दूध पीना, ठंडा दूध पीने से कहीं अधि‍क फायदेमंद है.

3. मैन्युफैक्चरिंग डेट देखकर ही खरीदें प्रौडक्ट

दूध ओर डेयरी प्रोडक्ट्स पर ही नही बल्क‍ि हर चीज पर ये बात लागू होती है जो बाहर से खरीदी जाती है. दूध और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट्स खरीदते समय हमेशा उस पर लिखी तारीख देख लें. बेस्ट बीफोर में तारीख चेक कर लें. साथ ही अगर पैकेट कहीं से फटा हो तो उसे गलती से भी न खरीदें.

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4. धूप से रखें बचाकर

दूध को धूप से बचाकर रखें. इससे दूध में मौजूद पौष्ट‍िक तत्व नष्ट हो जाते हैं. विटामिन डी और रिबोफ्लेविन जैसे पोषक तत्व सूरज की रोशनी में नष्ट हो जाते हैं. इसीलिए डेयरी प्रौडक्ट को स्टोर करके रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें धूप से बचाकर रखा जाए.

दिमाग से होती है फिटनेस की शुरुआत- पूजा बनर्जी

पूजा बनर्जी टीवी की लोकप्रिय अभिनेत्री हैं. वे नेशनल की तैराक भी रह चुकी हैं. एम टीवी ‘रोडीज सीजन 8’ की वे फाइनलिस्ट रही हैं. ‘स्विम टीम’, ‘नागार्जुन-एक योद्धा’, ‘चंद्र नंदिनी’, ‘चंद्रकांता’, ‘दिल ही तो है’ जैसे कई शोज में वे नजर आ चुकी हैं. इन दिनों ‘कसौटी जिंदगी की’ और अल्ट बालाजी की वैब सीरीज कहने को हमसफर हैं सीजन-2’ में नजर आ रही हैं. पिछले दिनों वैब सीरीज के प्रमोशन के लिए दिल्ली आई थीं. वहीं पूजा बनर्जी ने अपनी फिटनेस के बारे में विस्तार से बताया. आइए जानें, क्या करती हैं पूजा अपनी फिटनेस के लिए और क्या सलाह देती हैं अपने फैंस को:

1. खुद पर ध्यान देना हा जरूरी

आज हम सभी अपनी जिंदगी में इतने उलझे हुए हैं कि सब से ज्यादा अनदेखा हम खुद को ही करने लगे हैं जोकि बहुत गलत है. हम सभी के पास कम से कम 24 घंटों में से 1 घंटा तो अपनी फिटनेस के लिए होना ही चाहिए. यह हमारी शारीरिक और मानसिक शांति के लिए है. यह 1 घंटा हमें जरूर निकालना चाहिए. मैं खुद से प्यार करती हूं, इसलिए 1 घंटा रोज अपने लिए निकालती ही हूं चाहे कितनी ही व्यस्त क्यों न रहूं. मैं मानती हूं कि फिटनेस सब से पहले खुद के लिए होनी चाहिए तभी हम परिवार में औरों के बारे में सोच पाएंगे, दूसरों की मदद कर पाएंगे. फिट रहने की भावना हमारे दिमाग में होनी चाहिए.

 

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2. मनपसंद करें एक्सरसाइज

जैसा कि मैंने बताया कि 1 घंटा हमारे पास केवल अपनी फिटनेस के लिए जरूर होना चाहिए. तो इस 1 घंटे में हमें करना यह है कि जिसे जो काम पसंद हो वह उसे करे. किसी को स्वीमिंग पसंद हो तो वह स्वीमिंग करे, किसी को डांस पसंद है तो वह डांस करे या अपनी पसंद का कोई और खेल खेले. फिजिकल ऐक्सरसाइज करें यानी अपने शरीर को एक ऐसे जोन में ले जाएं जहां आप का पसीना निकले और शरीर पूरी तरह से एक्टिव रहे. ऐसा हर महिला को जरूर करना चाहिए, क्योंकि हमारे यहां अपनी फिटनेस को ले कर सब से ज्यादा लापरवाह महिलाएं ही रहती हैं. शहरों में तो फिर भी अब जारूकता आने लगी है, लेकिन छोटे शहरों व गांवों में अभी भी महिलाएं इस बात को समझ नहीं पाती हैं कि उन का रोज व्यायाम करना कितना जरूरी है. मेरे दिन की शुरुआत ऐक्सरसाइज से ही होती है.

3. डाइट का भी रखें ध्यान

आज शहरों में ज्यादातर महिलाएं कामकाजी हैं, इसलिए उन्हें बाहर खाने का मौका ज्यादा मिलता है, लेकिन बाहर का खाना सेहत के लिए ठीक नहीं होता है. इसलिए जरूरी है कि रोज घर से टिफिन बना कर ले जाएं. मैं बाहर भी हमेशा घर का बना खाना ही खाती हूं. मैं रोज खुद खाना बनाती हूं.

जितना हो सके घर के बने खाने को प्राथमिकता दें. मैं रोज खाने में देसी घी जरूर शामिल करती हूं. अगर शहर से बाहर होती हूं तो अलग बात है, लेकिन मुंबई में ही हूं तो सैट पर घर से ही खाना ले कर जाती हूं. खाने को ले कर मेरा सब से ज्यादा जोर इस बात पर रहता है कि मैं सही चीज खाऊंगी तो बाकी चीजें अपनेआप ठीक हो जाएंगी.

4. स्वीमिंग है फिटनेस का राज

जैसाकि सब जानते हैं कि मैं अभिनेत्री के साथसाथ राष्ट्रीय स्तर की स्वीमर भी रह चुकी हूं. स्वीमिंग की वजह से मेरा शरीर बहुत फिट है. मैं रोज स्वीमिंग करती हूं और यह सिलसिला बचपन से जारी है. तनाव से मुक्ति दिलाने में भी स्वीमिंग मेरी बहुत मदद करता है. जैसे ही मैं स्वीमिंग पूल में उतरती हूं मेरी थकान, मेरा तनाव पानी के साथ बह जाता है और मैं खुद को बहुत ही तरोताजा महसूस करती हूं.

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मैं ने एक शो किया था जिस का नाम था ‘स्विम टीम’. शो को करते हुए मुझे बहुत मजा आया था, क्योंकि उस में मैं ने खूब स्वीमिंग की. काम के साथ ही मेरी ऐक्सरसाइज भी हो जाती थी. जो लोग स्वीमिंग कर सकते हैं वे जरूर स्वीमिंग करें. जो सीखना चाहते हैं वे भी जरूर सीखें, क्योंकि स्वीमिंग फिटनेस के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद ऐक्सरसाइज है.

 

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कुछ लड़कियां स्वीमिंग से इसलिए दूरी बनाती हैं, क्योंकि उन्हें अपनी स्किन के टैन होने का डर रहता है. उन्हें लगता है कि स्वीमिंग कर के वे काली हो जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं है. आप अगर कुछ बातों को ध्यान में रखें तो टैनिंग की समस्या से बचा जा सकता है जैसे आप सुबहसुबह या फिर देर शाम को स्वीमिंग करें. कोशिश करें कि स्वीमिंग इंडोर पूल में हो. स्वीमिंग से पहले व बाद में अपनी त्वचा पर सनस्क्रीन लोशन या फिर ऐलोवेरा जैल अथवा क्रीम लगा लें. ये सब चीजें टैनिंग से बचाती हैं.

5. नींद पूरी करना है जरूरी

अच्छी नींद अच्छी हेल्थ की निशानी है. इसलिए रोज 8 घंटे की नींद जरूर लें. चैन से सोएं. अगर किसी वजह से नींद पूरी न हो तो दिन में सो लें. चूंकि हमें सुबह जल्दी सैट पर पहुंचना होता है, इसलिए मैं कई बार अपनी नींद रास्ते में यानी गाड़ी में भी पूरी कर लेती हूं. आप को यह जान कर हैरानी होगी कि मैं रात को सोने से पहले स्टै्रचिंग ऐक्सरसाइज करती हूं. इस से दिनभर की थकान मिट जाती है. बौडी लचीली हो जाती है और रात को बहुत अच्छी नींद आती है.

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6. फ्री टाइम में करें डांस करें

मुझे जब भी फ्री टाइम मिलता है मैं म्यूजिक चलाती हूं और डांस करने लगती हूं. डांस के कुछ स्टैप्स मैं ने औनलाइन वीडियो देख कर सीखे और कुछ मैं खुद ही अपने मुताबिक डांस कर लेती हूं. डांस करने से पसीना आता है जोकि फिटनेस के लिए बहुत जरूरी है. जिम जा कर भी तो हम पसीना ही बहाते हैं और खुश होते हैं. ऐसे में अगर आप जिम नहीं भी जा पा रही हैं तो रोज 1 घंटा कोई भी डांस कर के देखिए. खुद को बहुत हलका महसूस करेंगी.

5 होममेड टिप्स: मौनसून में स्किन एलर्जी को रखें ऐसे दूर

मौनसून आते ही हमारे फेस पर मुस्कान आ जाती है क्योंकि हमें गरमी से राहत मिल जाती है. लेकिन मौनसून जितना हमें गरमी से राहत देता है उतना ही कई परेशानियों का कारण भी बनता है. इस मौसम में कईं प्रौब्लम्स जैसे स्किन एलर्जी, इचिंग, रैशेज आदि होने लगती हैं. स्किन प्रौब्लम एक नौर्मल प्रौब्लम है, पर अगर उसका सही इलाज न किया जाए तो ये स्किन को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. इसीलिए स्किन प्रौब्लम्स का इलाज करना जरूरी है. आज हम आपको कुछ होममेड टिप्स बताएंगे, जिससे आप मौनसून में होने वाली स्किन प्रौब्लम से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं.

  1. मौनसून में स्किन प्रौब्लम के लिए सेब के सिरके का करें इस्तेमाल
    एलर्जी का उपचार करने के लिए सेब का सिरका लंबे समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसमें एंटी-बायोटिक और एंटी हिस्टामिन गुण होते हैं जो एलर्जिक रिएक्शन से लड़ने में मदद करते हैं. इसके इस्तेमाल के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिला लें. इसमें एक चम्मच नींबू का रस और शहद मिला लें. इसका दिन में तीन बार सेवन करें.

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2. बेकिंग सोडा का करें इस्तेमाल
एक कप बेकिंग सोडा लेकर इसे एक बाल्टी हल्के गुनगुने पानी में मिला लें. इस पानी में प्रभावित हिस्से को 30 मिनट के लिए भिगो कर रखें. इसके अलावा बेकिंग सोडा का पानी के साथ पेस्ट बनाकर भी आप इसे प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं

3. एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूर है नींबू
नींबू में एंटी सेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कि मौनसून में होने वाली एलर्जी के कारण इचिंग की प्रौब्लम से राहत दिलाते हैं. थोड़ा नींबू का रस लेकर इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं. इससे आपको स्किन प्रौब्लम तुंरत राहत मिलेगी.

4. स्किन प्रौब्लम्स के लिए बेस्ट है एलोवेरा
एलोवेरा का एक पत्ता लेकर इसे बीच से काट लें. अब इसके जेल को प्रभावित हिस्से पर लगाएं और सूखने दें. एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल प्रोपर्टीज होती है जो त्वचा को राहत देती हैं और खुजली को कम करती है.

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5. स्किन के लिए ओटमील का करें इस्तेमाल
मौनसून में होने वाले चिपचिप पसीने से स्किन को बहुत नुकसान पहुंचता है, जिससे खुजली और स्किन इन्‍फेक्‍शन की प्रौब्लम पैदा हो जाती है, लेकिन अगर हम अपने किचन में मौजूद सुपरफूड ओट्स से एक ब्‍यूटी पैक के रूप में इस्तेमाल करें तो ये मौनसून में स्किन प्रौब्लम से दूर रखने के साथ-साथ ग्लो भी देता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए एक कप पिसी ओटमील को हल्के गर्म पानी में मिला लें. इस पेस्ट को प्रभावित हिस्से पर लगाएं.

Web Series Review: स्ट्रेंजर थिंग्स

रिलीज इयर – 2016

क्रिएटर – द डफ्फर ब्रदर्स

कास्ट – विनोना रायडर, डेविड हार्बर, फिन वोल्फर्ड, मिल्ली बॉबी ब्राउन, नतालिया डायर, चार्ली हीटन

जोनर – साइंस फिक्शन, हॉरर, सुपरनेचुरल, टीन ड्रामा

नेटफ्लिक्स ओरिजिनल सीरीज स्ट्रेंजर थिंग्स फनी एंड स्केरी कौम्बिनेशन है. इस सीरीज में एक सेंस ओफ मिस्ट्री है जो आप को बोर नहीं होने देती. इसकी कास्टिंग आउटस्टैंडिंग है, हर केरैक्टर को बारीकी से लिखा गया है और परफेक्ट स्क्रीनटाइम दिया गया है.

कहानी को 80 के दशक में सेट किया गया है जिस में करैक्टर्स का पहनावा, बोलचाल, रिएक्शंस सभी उस समय के मुताबिक़ हैं. सीरीज तीन अलगअलग ऐज ग्रुप के लोगों को दिखाती है जिस में बच्चे, टीनएजर्स और उनके पेरेंट्स हैं.

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इस सीरीज का एसेंस ( विदाउट स्पॉइलेर्स) ये है कि यह इंडिआना के एक स्माल टाउन की कहानी है जहां शहर से दूर एक लेबोरेटरी है जो कुछ ऐसे एक्सपेरिमेंट्स करती है जिस से पूरे शहर की जान खतरे में पड़ जाती है. कहानी एक रहस्यमयी लड़की पर आ कर रूकती है जिस का नाम इलेवन है.

स्ट्रेंजर थिंग्स नेटफ्लिक्स की सब से अमेजिंग सीरीज में से एक है जिसे देखने के बाद ही आप इस में छिपे रहस्यों और थ्रिल को समझ पाएंगे. इस के तीन सीजन हैं. इस के एपिसोड छोटे हैं और जबरस्ती खींचे नहीं गए हैं. मुख्य केरैक्टर्स को मिली बौबी ब्राउन, फिन वोल्फर्ड, विनोना रैडर, डेविड हारबर आदि एक्टर्स ने निभाया है.

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एक और एक्ट्रेस बनीं विदेशी बहू, देखें वेडिंग फोटोज

बौलीवुड से काफी टाइम से दूर चल रहीं एक्ट्रेस आरती छाबड़िया ने बीते दिन शानदार वेडिंग में अपने बौयफ्रेंड विशारद बीडेसी से सात फेरे ले लिए हैं. शादी में आरती ब्राइड के लुक में जलवे बिखेरते हुए कैमरे के सामने पोज देती हुईं नजर आईं. जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं आरती के पति

बौलीवुड के कई स्टार्स के साथ कम कर चुकीं आरती के पति विशारद बीडेसी मौरिशस में रहते हैं. जहां वह चार्टर्ड अकाउंटेंट की पोस्ट पर हैं.

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पति के साथ पोज देती हुई नजर आईं आरती

शादी की रस्मों में विशारद आरती के माथे पर किस करते हुए नजर आए तो वहीं फोटो खिचवाने के दौरान आरती ब्राइडल लुक में पति विशारद के साथ पोज देती नजर आईं.

शादी में आए खास लोग नजर

 

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शादी की रस्मों में शामिल होने कुछ ही सितारे हिस्सा लेने पहुंचे जिनमें टीवी इंडस्ट्री से शीना बजाज और रोहित पुरोहित ने नजर आए. इन दोनों सितारों ने अपनी तस्वारें सोशल मीडिया पर शेयर करके आरती को शादी की बधाई दी.

टीवी रियलिटी शो में रह चुकीं है आरती

 

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& I love that someone…

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भले ही आरती फिल्मों से दूर रहीं हो लेकिन वह टीवी का हिस्सा भी रहीं हैं. आरती टीवी के रियलिटी शो खतरों के खिलाड़ी सीजन 4 की विनर रह चुकी हैं. बता दें, एक्ट्रैस आरती बौलीवुड की कई फिल्मों में एक्टर गोविंदा के साथ स्क्रिन शेयर कर चुकीं हैं, इसके अलावा भी वह कईं फिल्में कर चुकी हैं.

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जेठ की शादी के लिए पेरिस पहुंचीं प्रियंका, पति के साथ यूं किया डांस

बौलीवुड से हौलीवुड तक पहचान बनाने वाली एक्ट्रैस प्रियंका चोपड़ा इन दिनों पेरिस में हैं, जहां वह अपने पति निक जोनास के साथ अपने जेठ की शादी में शामिल होने के लिए पहुंची. शादी से पहले जोनस फैमिली याच पर गैट-टूगैदर करने पहुंची, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. यहां निक और प्रियंका अपने लिए क्वालिटी टाइम भी निकालते दिखें. आइए आपको दिखाते हैं उनकी कुछ रोमेंटिक फोटोज…

ठुमके लगाती दिखीं प्रियंका

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प्रियंका चोपड़ा अपने पति निक के साथ अपने जेठ की शादी में जहां लंच एन्जौय करती दिखाई दी तो वहीं डांस करती भी नजर आई.

जोनस परिवार भी आया नजर

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प्रियंका के जेठ यानी जो जोनस और सोफी टर्नर की शादी में शामिल होने के लिए पूरी जोनस फैमिली पेरिस पहुंच चुकी हैं.

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सेलिब्रेशन से जुड़ी फोटोज हुईं वायरल

खूबसूरत ड्रेस में प्रियंका आईं नजर

सेलिब्रेशन के दौरान प्रियंका चोपड़ा औरेंज कलर की रफल डीप नेक मैक्सी ड्रेस में नजर आईं. जिसके साथ लाइट मेकअप उनको परफेक्ट लुक दे रहा था.

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पति के साथ रोमांटिक अंदाज में नजर आईं प्रियंका

सोशल मीडिया पर वायरल फोटोज में प्रियंका चोपड़ा पति निक के साथ रोमांटिक मूड में नजर आईं.

निक के साथ भी डांस करती दिखीं प्रियंका

सेलिब्रेशन में जहां एक तरफ प्रियंका फैमिली के साथ ठुमके लगाती नजर आईं तो वहीं पति निक के साथ कपल डांस करती हुई भी नजर आईं.

 

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बता दें,  प्रियंका के जेठ जो और सोफी इससे पहले लौस वेगास में शादी कर चुके हैं. जिसमें केवल बेहद करीबी लोग ही शामिल हुए थे. जिसके बाद अब वह पेरिस में सोफी और जो धूमधाम से शादी करेंगे. वहीं शादी से पहले हाल ही में उन्होंने ने एक बैचलरेट पार्टी भी रखी थी.

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जब बहुएं ही देती हैं धमकी…..

अगर एक जगह कोई महिला घरेलू हिंसा का शिकार होती है तो वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो घरेलू हिंसा का शिकार तो नहीं होती लेकिन अपने ही ससुरास वालों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देती हैं और पति के साथ-साथ पूरे परिवार को अपने काबू में रखना चाहतीं हैं. लेकिन जब वो ऐसा नहीं कर पातीं तो घरवालों को धमकी तक दे देती हैं.इतना ही नहीं उस लड़की के अपने माता-पिता भी बेटी के इन कामों में उसका साथ देते हैं.

अक्सर ऐसा होता है कि जब सास चाहती है कि बहु घर के कामों में हाथ बंटाए लेकिन जब बहु कुछ नहीं करती तो सास बेटे से शिकायत कर बैठती है कि तेरी पत्नी घर के काम नहीं करती मैं अकेले कितना करूं.जब यही बात पति कहता तो पत्नी से उसकी कहा-सुनी होती है साथ ही उसकी नजरों में सास गलत हो जाती है. बस बहु सास को अपना दुश्मन मान बैठती है जो सही नहीं है. भले ही कुछ सासें अच्छी नहीं होती हैं लेकिन हर जगह ऐसी नहीं होती है सास बहु को बेटी मानती है लेकिन मामला तब बिगड़ जाता है जब बहु ही सास को अपना नहीं मानती….

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इनके रिश्तों में खटास इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि बहुएं कभी-कभी तो पति को ही उसके मां के खिलाफ भड़काना शुरू कर देंती हैं…मामला इस हद तक आगे आ चुका होता है यदि सास-ससुर कमजोर पड़ते हैं तो बहुएं उन्हें वृध्दाश्रम तक भेज देती हैं…..पति के सामने खुद में और मां-बाप में से किसी एक को चुनने पर मजबूर कर देती हैं. इस बात का उदाहरण आपर अमिताभ बच्चन के बागबान फिल्म या राजेश खन्ना और गोविंदा की फिल्म स्वर्ग से बखूबी समझ सकते हैं.

हमेशा सास ही गलत नहीं होत है…जरा आप सोचिए भला कौन सी सास ये नहीं चाहती कि उसकी बहु उसकी सेवा न करें…जिस तरह बहु अपने माता-पिता की सेवा करती है वैसे ही अगर थोड़ा अपने सास-ससुर की सेवा कर ले तो भला क्यों हो तकरार.बहुएं हमेशा अपना हक मांगती हैं लेकिन क्या वो अपना फर्ज निभाती हैं जो उनके ससुराल के प्रति है? अगर नहीं तो फिर अपने हक की उम्मीद कैसे कर सकती हैं. अक्सर ही घरों में सास-बहु में 36 का आंकड़ा होता है,लेकिन इसमें हमेशा सास ही गलत हो ये जरूरी नहीं हैं.

हम हमेशा ये देखते हैं कि बहुएं दहेज मांगने का आरोप लगाती हैं शिकायत करती हैं…तो पहली बात तो ये आज भी बहुत सी लड़कियों की फैमिली ऐसी होती है जो खुद ही दहेज देती है,इसमें उसकी खुद की मर्जी होती है तो क्या वो दोषी नहीं हैं?क्या उनकों सजा नहीं होनी चाहिए? एक रिपोर्ट पढ़ने पर पता चला कि महिलाएं खुद की मां के द्वार भी हिंसा का शिकार होती हैं पर वे इस पर ध्यान नहीं देती हैं और तो और उन्हें बचपन से ही सास से घृणा करना सिखा दिया जाता है इसलिए वो सास को अपना दुश्मन समझने लगती हैं.  एक सास अपनी बहु को अपना बेटा देती हैं हमेशा के लिए और अगर वही लड़का अपनी बीवी के कहने पर मां को गलत समझे तो क्या ये सही है नहीं बिल्कुल भी नहीं,मेरी नजर में ये कहीं से भी सही नही है इसलिए बहुओं को अपना नजरिया बदला होगा.

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बहु अगर सच में एक अच्छी बहु बनना चाहती है अपने सास की बेटी बनना चाहती है तो उसको कुछ अपनी जिम्मदारियों को निभाना होगा जिससे सास और बहु के रिश्ते को अच्छा बनाया जा सकता है..जैसे..

  • सास को सास नहीं मां समझे
  • सास की मां की तरह सेवा करें
  • ससुराल को सिर्फ ससुराल नहीं अपना घर समझें
  • घर के कामों में हांथ बटाएं
  • अपने मायके में ससुराल की बुराई न करें
  • पति से सास की बुराई न करें

Edited by Rosy

आप हम और ब्रैंड

लेखक-पूजा भारद्वाज 

– सुशील कुमार सीकरिया ( मैनेजिंग डाइरैक्टर, सनकेयर फौरम्यूलेशन)

अब्दुल कलाम ने कहा था कि सपने वे नहीं होते, जो आप सोने के बाद देखते हैं. सपने वे होते हैं, जो आप को सोने नहीं देते. उन की ये पंक्तियां मेहनती, बेहद शांत व बहुमुखी प्रतिभा के धनी सुशील कुमार सीकरिया पर बिलकुल सटीक बैठती हैं, क्योंकि अपनी कंपनी को शुरू करने का सपना उन्हें सोने नहीं देता था और आज वे अपने प्रयत्न से इस मुकाम पर पहुंचे हैं और अपनी कंपनी ‘सनकेयर फौरम्यूलेशन’ का नाम सफल कंपनियों में शुमार करवा चुके हैं.

जानते हैं, सुशील कुमार सीकरिया की सफलता की कहानी उन्हीं की जबानी: कैसे और कहां से हुई सनकेयर की शुरुआत?आज यह कंपनी जिस मुकाम पर है वहां तक इसे पहुंचाने में बहुत मेहनत और कठिनाइयों को पार करना पड़ा. मैं कम उम्र में ही फार्मा व्यवसाय से जुड़ गया था. फिर एक रिटेल काउंटर शुरू किया. उस काउंटर पर मैं दवाएं प्रैस्क्राइब करता था, बस उसी दौरान एक मैडिसिन से मेरा परिचय हुआ, जो कि बिस्मथ बेस्ड मैडिसिन थी. मैं ने कुछ मैडिकल जर्नल्स में इस दवाई के बारे में पढ़ा और पाया कि यह दवा बड़े कमाल की है. बस वहीं से मुझ पर इसे बनाने की धुन सवार हुई.

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मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी कि कैसे भी मुझे यह दवा बनानी है. हालांकि इस बीच काफी मुश्किलों का सामना भी किया. मन में संशय भी था कि कहीं इसे बनाने में कोई कमी न रह जाए. लेकिन जो ठाना था उसे तो पूरा करना ही था. इस के लिए मैं ने एक लोकल कैमिस्ट्री टीचर से सौल्ट के बारे में समझा, फिर कोलकाता गया, वहां भी कुछ लोगों से समझा. फिर मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जो मुझे सौल्ट बना कर देने के लिए तैयार हो गए. उन की मदद से ही मैं ने यह मैडिसिन घर में एक छोटे से कमरे में बनाई. उस के बाद इस का ट्रायल लिया. इस के इस्तेमाल से लोगों को काफी फायदा हुआ. यहीं से दिमाग में आया कि हमें इस का प्रोडक्शन कंस्ट्रक्शन चालू करना चाहिए. अत: हमारी कंपनी ‘सनकेयर’ की शुरुआत हुई.

सवाल- आप ने सनकेयर की स्थापना के बाद क्याक्या बदलाव किए?

मेरा शुरू  से ही फोकस रहा है कि हमें दवा बेहतर क्वालिटी की ही बनानी है. बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम जरूरत पड़ने पर काफी सुधार करते रहते हैं. पहले हमारे प्लांट की क्षमता करीब 50 हजार लिटर माल बनाने की थी जो अब 1 लाख लिटर हो गई है. अब मुझे अपने दोनों बेटों संजय सीकरिया और संदीप सीकरिया का भी सहयोग मिल रहा है. अब नई जैनरेशन है, तो नई सोच और नए विचार भी होंगे. इन्होंने भी कंपनी की एक सकारात्मक इमेज बनाई है और प्लांट में काफी वैरिएशन भी किए. देहरादून में प्लांट की शुरुआत की. यहां प्लांट शुरू करने का कारण यह था कि यहां भरपूर सुविधाएं मुहैया हैं.

फार्मा इंडस्ट्री की चुनौतियां से कैसे निबटते हैं?

सरकारी और बाजारी दोनों ही चुनौतियां हैं. सरकारी नियमकानून हैं, उन की कंप्लाइंस की चुनौतियां हैं. जो नएनए कंप्लाइंस आ रहे हैं उन्हें मीटआउट करना चुनौती है. इस के अलावा जैसेजैसे प्रगति हो रही है वैसेवैसे फार्मा इंडस्ट्री पर चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. इंडस्ट्री के ऊपर इस बात का दबाव बढ़ता जा रहा है कि आप की दवा की क्वालिटी इंटरनैशनल स्टैंडर्ड को मीट करे. इस के लिए सरकार भी बहुत ज्यादा प्रतिबद्ध है. इस में बदलाव आते रहते हैं और इस की वजह से हमें सीखने का मौका मिलता रहता है, हम खुद भी बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं. इस की वजह से हमारे उत्पादों की गुणवत्ता दिनबदिन बेहतर होती जा रही है. मगर इस प्रतिस्पर्धा में हम ने यह महसूस किया कि अगर आप के उत्पाद में गुणवत्ता है और पेशैंट को दवा फायदा कर रही है, तो डाक्टर व पेशैंट खुद ही कम लाभ देने वाली दवा को नजरअंदाज कर उत्तम दर्जे की दवा का रूख करते हैं.

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बाजार में पेट से जुड़े विकारों के लिए कई उत्पाद हैं. ऐसे में स्टोमाफिट को स्थापित ब्रैंड कैसे बनाया?

पेट से जुड़े विकारों के लिए बाजार में जितने भी उत्पाद हैं उन सब उत्पादों में कहीं न कहीं थोड़ीबहुत कमियां हैं, क्योंकि ये उत्पाद आप को कब्ज, गैस, डायरिया से थोड़े समय के लिए तो आराम दिला देंगे, लेकिन इन से आप को परमानेंट फायदा नहीं होता है. दवा खाते रहेंगे, तो आराम रहेगा वरना

फिर परेशानी चालू हो जाएगी. अब यदि स्टोमाफिट की बात करें, तो इस में है बिस्मथ, जो इस का एक खास घटक है. बिस्मथ आतों के अंदर एक लेयरिंग कर देता है, एक पतला सा आवरण बना लेता है, जो काले रंग का होता है.

आवरण बनने के बाद बैक्टीरिया को कुछ खाने के लिए नहीं मिलता है, जिस की वजह से वे पेट में ही मर जाते हैं और इस पूरी प्रक्रिया में 90 मिनट लगते हैं. स्टोमाफिट में एक और खासीयत है कि यह अमोनिया बेस्ड प्रोडक्ट है, जिस की वजह से बैक्टीरिया इसे अपनी फैमिली का समझ कर इस की तरफ आकर्षित हो जाते हैं. इसलिए बिस्मथ के अन्य उत्पादों के मुकाबले स्टोमाफिट इसलिए भी ज्यादा फायदेमंद है और जब ये बैक्टीरिया मर जाते हैं, तो आप सारी परेशानी से मुक्त हो जाते हैं.

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आप खुद ही सोचिए कि जहां आप को कब्ज के लिए अलग, गैस लिए अलग, बदहजमी के लिए अलग दवा खानी है, तो

फिर आप इन सब बीमारियों के लिए एक ही दवा क्यों न खाएं. यह एक साइड इफैक्ट रहित दवा है.

 सवाल- अपने उत्पादों की यूएसपी के बारे में विस्तार से बताएं?

हमारे उत्पादों की सब से मजबूत यूएसपी उच्च गुणवत्ता व प्रदर्शन और दवा का उचित दाम है. दूसरी बात यह कि यह अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरी उतरती है. इस के अलावा ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाना भी हमारी यूएसपी है. वैसे अधिकतर कंपनियां यह सोचती हैं कि दवा का स्वाद ठीकठाक हो. लेबल क्लेम पूरा हो. मगर हमारे प्रोडक्ट की खास बात यह है कि हम ने प्रोडक्ट में न सिर्फ आयरन और फौलिक ऐसिड पर ध्यान दिया, बल्कि दवा के शरीर में अवशोषण पर भी ध्यान दिया. इस के लिए हम ने शुगर को ब्रेकडाउन कर एक आर्टिफिशियल शहद बनाया ताकि दवा का कड़वापन खत्म हो सके.

 सवाल- उत्पादों के डिस्ट्रिब्यूशन में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उन से कैसे निबटते हैं?

डिस्ट्रिब्यूशन में उन रिटेलरों व डाक्टरों से खासा दिक्कत होती है, जिन का लक्ष्य प्रोडक्ट से ज्यादा से ज्यादा मार्जिन कमाना है, क्योंकि उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि मरीज को दवा से कोई फायदा हो रहा है या नहीं. वे क्वालिटी की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं. कम क्वालिटी के माल से ज्यादा मार्जिन मिलने की अपेक्षा रखते हैं. ऐसे लोगों से हमें ज्यादा परेशानी होती है. वैसे हमें कोई और मुश्किल नहीं होती है.

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सवाल- उपभोक्ता औनलाइन उत्पादों की तलाश करते हैं. इस पर आप के क्या विचार हैं?

हमारे कुछ रिटेलरों ने हमारे प्रोडक्ट को औनलाइन बेचने की शुरुआत जरूर की है, लेकिन कंपनी की तरफ से अभी इस प्लेटफौर्म का उपयोग नहीं किया गया है. मगर जैसी आज की डिमांड है यानी डिजिटल दुनिया का जमाना है, तो हम भी इस तरफ जरूर जाना चाहेंगे और इस की जल्द ही शुरुआत करेंगे.

 सवाल- आप का सक्सैस मंत्र क्या है?

जो दवा हम बनाते हैं उस से बेहतर दवा हमें बाजार में न मिले. दूसरा यह कि ग्राहक ने जो रुपए दवा पर खर्च किए हैं उसे अपने पैसे की पूरी कीमत वसूल हो जानी चाहिए.

 सवाल- आपकी मैनेजमैंट फिलौसफी क्या है?

मैनेजमैंट की बात करूं, तो जितना भी हमारा स्टाफ है, हम उसे ऐसा माहौल देते हैं कि वह एक परिवार की तरह काम करे. सब मिल कर पूरी मजबूती से कंपनी के साथ खड़े रहें ताकि कंपनी की निरंतर प्रगति होती रहे. साथ मिल कर काम करने में जो मजा है वह अकेले में नहीं.

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इन 5 होममेड टिप्स से पाएं दोमुंहें बालों से छुटकारा

घर पर ही हम दोमुंहें बालों से छुटकारा पा सकते हैं. कुछ प्रकृतिक प्रदार्थ का इस्तेमाल करके हम फिर से अपने सुंदर, घने, चमकदार बाल वापस पा सकते हैं. यह कुछ ऐसे प्रदार्थ है जिससे बालों में चमक तो आएगी साथ ही दोमुंहें बालों से भी छुटकारा मिलेगा. दूध, दही, शहद, पपीता, अंडा, आदि के प्रयोग से दोमुंहें जैसी समस्या को दूर की जा सकती हैं.

1. अंडा का करें ऐसे इस्तेमाल

अंडा हमारी त्वचा और बाल दोनो के लिए ही फायदेमंद होता है. इसे लगाने से बाल चमकदार और मुलायम तो होते ही हैं साथ ही इसमें मौजूद प्रोटीन और फैटी एसिड लआपको दोमुंहे बा समस्या से मुक्ति दिलाते हैं इसे लगाने के लिए अंडे के पीले भाग को निकाल कर इसमें शहद और  जैतून के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर अच्छे से फेट लें. अब इसे गीले बालों पर लगाएं और कुछ समय बाद धो लें. अंडा आपके बालो में एक कंडीशनर की तरह काम करता हैं.इससे महीने में 2 बार जरूर करें.

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2. दूध और मलाई का भी करें इस्तेमाल

मलाई और दूध आपके बालों की खोई हुई चमक लौटाता है और दो मुहें बालों को हटाता है. इसके लिए आधा कप दूध में मलाई डालकर अच्छे सेमिला ले और बालों परलगा लें,15 मिनट इसे लगा रहने देंऔर फिर शैम्पू करलें.

3. गर्म तेल की चंपी रहेगी फायदेमंद
गर्म तेल से चंपी करने से हमें रिलेक्स तो महसूस होता है साथ ही गर्म तेल की मालिशसे बालों की कई समस्या का समाधाननिकल जाता है. अगर आप के बाल झड़ने लगे हैं या फिर दोमुंहे हो गए हैं तो गर्म तेल की मालिश आपके लिए फायदेमंड हैं. इसके लिए नारियल, बादाम या जैतून का तेल गर्म कर के बालों की अच्छे से मालिश करें और रात भर इसे लगा रहने दें. सुबह शैम्पू करलें. ध्यान रहें तेल ज्यादा गर्म ना हों.

4. केला का ऐसे करें इस्तेमाल

केला हमारे लिए बहुत फायदेमंद हैं.केला आपको स्वस्थ भी बनाता और बालों की कई समस्याओं से मुक्तिभी दिलाता है.केला से दोमुंहे बालों की समस्याआसानी से दूर हो जाती हैं. इसके लिए एक पके हुए केले को दही और गुलाबजल के साथ मिलाकर अच्छे सेपेस्ट बना लें और इसे बालों में लगाएं. करीब एक घंटे तक इसको लगा रहने दे और फिर इसे धोले.

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5. पपीता के इस्तेमाल से पाएं छुटकारा

पपीता हमारे चेहरे और हमरे बालों दोनों के लिए बहुत फायदेमंद हैं. पपीता के एंटी औक्सीडेंट्स बालों को हेल्दी और रूखापन हटाने में मदद करता हैं. पपीता को पीस कर बालों के जड़ और दोमुंहें बालों पर लगाले और 1 घंटे बाद शैम्पू कर लें.

दोमहें बालो से बचने के लिए सही खान-पान का सेवन करें, प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें.

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