द वायरल फीवर टीवीएफ चैनल की सीरीज कोटा फैक्ट्री एक सटायर है. यह सोसाइटी और कोचिंग सैंटरों का वो चेहरा दिखाती है जिसे देख कर भी लोग अनदेखा कर देते हैं. पूरी सीरीज कोटा में रहने वाले उन स्टूडेंट्स पर आधारित है जो आइआइटी, आईआईएम जैसे बड़े इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
सीरीज का मेन फोकस स्टूडेंट्स पर पढ़ाई के नाम पर दिए जा रहे दबाव को दिखाना है. यह दबाव केवल मातापिता की ओर से नहीं है बल्कि शिक्षक, दोस्तों, समाज यहां तक कि खुद की ओर से भी है. यह कोटा में रह रहे स्टूडेंट्स की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्थिति को दिखाती है.
सीरीज में जीतू भैया, वैभव, मीना कुछ ऐसे केरैक्टर्स हैं जिन्हें एक्टर्स ने बखूबी निभाया गया है. हंसी ठहाके के बीच मोनोक्रोम में बनी यह सीरीज स्टूडेंट्स को कई ऐसे मूमेंट्स देती है जहां वह सचमुच खड़े हो कर ताली बजाने से खुद को नहीं रोक पातें.
सीरीज में प्यार का पंचनामा की ही तरह कोटा का पंचनामा मतलब मोनोलोग है जिस की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. इस सीरीज से खासकर ग्यारहवीं, बारहवीं के स्टूडेंट्स सब से ज्यादा कनेक्ट कर पाएंगे. इसके डायलौग्स, स्क्रीनप्ले और स्टोरी सभी इतनी दमदार हैं कि यह सीरीज हफ़्तों तक यू-ट्यूब पर ट्रेंड करती रही.
निर्माताः मुराद खेतानी, अश्विन वर्दे, भूषण कुमार, किशन कुमार
लेखक व निर्देशकः संदीप रेड्डी वांगा
कलाकारः शाहिद कपूर, किआरा अडवाणी,अर्जन बाजवा और सुरेश ओबेराय
अवधिः दो घंटे 55 मिनट
बौलीवुड में प्यार को लेकर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. बेइंतहा प्यार में डूबे प्रेमी अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं. प्यार में कुर्बान हो जाने वाले प्रेमियों की भी कमी नही है. मगर फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ में एक अलग तरह की प्रेम कहानी है. यह कहानी एक बेहतरीन सर्जन डौक्टर की है, जो कि अति गुस्सैल है. उसके गुस्से आगे कोई नहीं ठहर सकता. वह अपने मेडिकल कौलेज की नई छात्रा प्रीति से बिना पूछे ही प्यार कर बैठता है और उसे अपने प्यार में दिवाना भी बना देता है. मगर कबीर सिंह भी दिशा भ्रम का शिकार है. अपने अंदर के गुस्से पर काबू न कर पाने और हालात का सही आकलन न कर पाने वाले युवक की कहानी है कबीर सिंह. माना कि वर्तमान युवा पीढ़़ी में चंद युवक कबीर सिंह की तरह गुस्सैल, दिशा भ्रमित, परिवार व समाज की परवाह न करने वाले, दिन रात ड्रग्स, शराब, सिगरेट आदि में डूबे रहने वाले,परि7स्थितियों का सही आकलन करने की बजाय सब कुछ गंवा देने वाला एक प्रतिशत युवक मौजूद होगा, मगर फिल्म में उसका महिमा मंडनकर पूरी युवा पीढ़ी को एक ही पायदान पर खड़ा कर देने की फिल्मकार की कोशिश को जायज तो नहीं ठहराया जा सकता.फिल्म में कामुकता को प्यार से जिस तरह फिल्मकार ने जोड़ा है,वह भी कई सवाल खडा करता है. सिनेमा को महज मनोरंजन का साधन मानकर मनोरंजन के नाम पर इस तरह के चरित्रों का महिमा मंडन करना उचित है?मगर फिल्मकार की नजर में यह सारे सवाल बेमानी है क्योंकि हिंदी फिल्म ‘कबीर सिंह’ 2017 की सफल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ का रीमेक है.
यह कहानी नशे में धुत होनहार सर्जन डौक्टर कबीर सिंह की है,जो कि अपने पिता राजधीर सिंह (सुरेश ओबेराय) द्वारा घर से निकाला गया है. वह एक किराए के मकान में एक कुत्ते के साथ रहता है, जिसे वह प्रीति के नाम से बुलाता है. फिर कहानी अतीत में दिल्ली के एक मेडिकल कौलेज से शुरू होती है. जहां पर डौ.कबीर सिंह (शाहिद कपूर) मास्टर आफ सर्जरी की पढ़ाई कर रहा है. उसका जिगरी दोस्त है शिवा (सोहम मजूमदार). अपने गुस्से पर काबू न रख पाने वाला कबीर सिंह बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी भी है. गुस्से में किसी का भी सिर,हाथ या पैर तोड़ देना उसके लिए बहुत मामूली बात है. दो कौलेज की टीमें जब फुटबाल मैच के लिए मैदान पर उतरती हैं, तो दूसरी टीम के कैप्टन अमित (अमित शर्मा) व दूसरे खिलाड़ियों की कबीर सिंह जबरदस्त पिटाई करता है. जिसके चलते उसे कौलेज के डीन (आदिल हुसेन) कालेज से निकालने का आदेश दे देते हैं. मगर कौलेज में हुए नए प्रवेश में से एक लड़की प्रीति सिंह सिक्का (किआरा अडवाणी) को देखते ही कबीर सिंह उसे अपना दिल दे बैठते हैं. फिर वह डीन से लिखित माफी मांगकर कौलेज में ही बने रह जते हैं और कौलेज की हर कक्षा में जाकर शिक्षक की मौजूदगी में पंजाबी भाषा में हर लड़के व लड़की को धमकी दे आता है कि प्रीति के साथ कोई रैगिंग नहीं होगी, कोई उसे परेशान नहीं करेगा. प्रीति पर सिर्फ उसका हक है. होली के दिन जब अमित, प्रीति पर रंग डाल देता है और प्रीत रोती है, तो प्रीति को साथ ले जाकर जिस तरह से कबीर सिंह, अमित की पिटाई करता है, उससे प्रीति का वह दिल जीत लेता है. उसके बाद कबीर सिंह, प्रीति की परछाई बनकर अपनी सर्जन की पढ़ाई पूरी करता है. प्रीति भी डाक्टर बन जाती है. मगर इस दौरान दोनों के बीच न सिर्फ प्यार परवान चढ़ता है, बल्कि कबीर सिंह व प्रीति के बीच शारीरिक संबंध भी कई बार बनते हैं. मगर फिर प्रीति के रूढ़िवादी परिवार और कबीर सिंह के गुस्से के चलते प्रीति की शादी कहीं और हो जाती है. कबीर सिंह शराब व ड्रग्स के नशे में जो गुस्से में जो हरकत करता है, उसके चलते कबीर के पिता उसे घर से बाहर कर देेते हैं. अब कबीर सिंह खुद को तबाह करने लगता है. इसी बीच एक अभिनेत्री जिया शर्मा (निकिता दत्ता) से भी कबीर सिंह के शारीरिक संबंध बनते हैं. वह आज भी बेहतरीन सर्जन है. उसका एक भी आपरेशन असफल नहीं होता, जबकि वह सारे आपरेशन शराब व ड्रग्स के नशे में धुत होकर ही करता है. पर एक आपरेशन के बाद उसका काम उससे छिन जाता है. अब तो उसकी जिंदगी तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है. तभी कबीर सिंह की दादी (कामिनी कौशल) की मौत हो जाती है और इससे कबीर सिंह विचलित होकर खुद को नशे से दूर करने का वादा कर सुधर जाता है फिर एक दिन नौ माह की गर्भवती प्रीति से कबीर सिंह की मुलाकात एक बगीचे में होती है, पता चलता है कि प्रीति के पेट में कबीर का ही बच्चा पल रहा है. दोनों की शादी हो जाती है.
लेखन व निर्देशनः
एक नकारात्मक चरित्र को हीरो बनाकर पेश करने के लिए फिल्मकार संदीप रेड्डी वांगा ने सिनेमा के सारे क्राफ्ट का बेहतरीन उपयोग किया है. ड्रग्स व शराब के आदी, अति गुस्सैल, अपनी प्रेमिका के प्रति अति संरक्षणात्मक रवैया, सेक्स में डूबा रहने वाला, हिंसक मगर कुशल सर्जन को अपनाना दर्शक के लिए कठिन होता है, मगर फिल्मकार संदीप रेड्डी वंगा के कथा कथन शैली में गुम दर्शक सब कुछ पचा जाता है. कबीर सिंह का प्यार पर फना हो जाने का जज्बा, प्यार व अपने पेशे के प्रति ईमानदारी, काम से हटाए जाने की नौबत आने पर भी झूठ की सच बोलने की कबीर की अदा भी कबीर को दर्शकों का अपना बना देती है. मगर दर्शक सोचता रहता है कि तमाम बुराईयों व नकारात्मक पक्ष के बावजूद कबीर सिंह में कुछ अच्छा निकलकर आएगा, लेकिन अंत तक ऐसा कुछ नहीं होता. कबीर सिंह एक बेहरतीन प्रेमी भी नहीं बन पाता, क्योकि प्रीति से शादी न होने के बाद वह दूसरी शादी नहीं करता, मगर अपनी शारीरिक इच्छा यानी कि महज सेक्स यौन तृप्ति के लिए एक फिल्म अभिनेत्री से संबंध जोड़ता है. फिल्मकार ने जिस तरह से जंगल व कार के अंदर कबीर व अभिनेत्री जिया के बीच सेक्स संबंध दिखाए हैं, वह कबीर को अति छोटा ही बनाते है. जब कबीर सिंह खुद को बर्बादी की तरफ ले जा रहे होते हैं, तो उनके अंदर का जो दर्द है, वह दर्शक महसूस नहीं कर पाता, यह निर्देशक और अभिनेता शाहिद कपूर की कमजोरी ही है.
इंटरवल के बाद फिल्म पर से फिल्मकार की पकड़ थोड़ी ढीली हो गयी है. इंटरवल के बाद कहानी में काफी दोहराव है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी. लगभग तीन घंटे की अवधि से फिल्म काफी लंबी हो गयी है. इसे काफी कम किया जा सकता था.
फिल्म के गाने प्रभावित नहीं करते. फिल्म में जिस तरह से एक दो लाइनें बीच बीच में पिरोई गयी हैं, वह कहानी की गति को बाधित करती हैं.
इतना ही नही जिसने मूल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ देखी है, उन्हें ‘कबीर सिंह’ काफी सतही फिल्म नजर आएगी. ‘अर्जुन रेड्डी’के साथ ‘कबीर सिंह’ की तुलना करने वालों को कबीर सिंह से निराशा ही होगी.
अभिनयः
अति जटिल, डार्क, विद्रोही, गुस्से पर काबू न रखने वाले, ड्रग्स व नशे के आदी कबीर सिंह के किरदार को जीवंत कर शाहिद कपूर ने अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता को दर्शाया है, मगर कुछ दृश्यों में ‘उड़ता पंजाब’ वाला देाहराव भी है. कबीर सिंह के दोस्त शिवा के किरदार में सोहम मजूमदार ने खुद को एक बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारा है. मेडिकल कौलेज के डीन के छोटे किरदार में आदिल हुसैन की प्रतिभा को जाया किया गया है. किआरा अडवाणी खूबसूरत लगी हैं. पर कई दृश्यों में वह अपनी आंखों से काफी कुछ कह जाती हैं. दादी के किरदार में कामिनी कौशल याद रह जाती है. सुरेश ओबेराय, निकिता दत्ता, अर्जन बाजवा, कुणाल ठाकुर ने ठीक ठाक काम किया है.
स्टार प्लस के सीरियल कसौटी जिंदगी की 2 में ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में नजर आने वाले करण सिंह ग्रोवर इन दिनों सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. हाल में उनकी ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में एंट्री ने जहां सीरियल को टीआरपी चार्ट में फायदा पहुंचाया हैं. वहीं अब वह फिर अपनी सोशल मीडिया पर एक फोटो के कारण सुर्खिंयों में आ गए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…
न्यू बौर्न बेबी के साथ इंस्टाग्राम पर शेयर की फोटो
बौलीवुड एक्ट्रेस बिपाशा बासु के साथ पति करण ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक फोटो शेयर की है. जिसमें खास बात ये है कि इस फोटो में करण के हाथ में एक न्यू बौर्न बेबी है.
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बीते 9 जून को एक्टर विवान और उनकी पत्नी निखिला के घर नन्ही परी निवाया आईं हैं, जिसकी फोटोज विवान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के साथ शेयर की थी. साथ ही विवान ने ‘गेम औफ थ्रोन्स’ के तर्ज पर निवाया को पूरे वर्ल्ड से मिलवाया था.
बता दें करण इन दिनों ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में अपनी फैंस का दिल जीत रहे हैं. वहीं हाल ही में उनके रोल को लेकर ट्रोल भी किया गया था, जिसकी फोटोज बिपाशा बसु ने मजाकिया अंदाज में शेयर भी की थी.
बिजी लाइफस्टाइल में हर किसी को पसंद होता है खुद को फिट रखना, जिसके लिए वह जिम, योगा और घर में ही एक्सरसाइज करना पसंद करते हैं. लेकिन कभी-कभी एक्सरसाइज करना हमारी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है. इसीलिए आज हम आपको खुद को फिट रखने के लिए एक्ससाइज करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए, इसके बारे में आपको बताएंगे…
1. एक्सरसाइज से पहले वौर्म अप करना है जरूरी
एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वौर्म अप करना सबसे जरूरी होता है. नौर्मली हम वौर्म अप आधे घंटे से 45 मिनट तक करते हैं, लेकिन गरमी में वौर्म अप 15 से 20 मिनट ही करना चाहिए. गरमी में ज्यादा देर तक या बहुत ज्यादा वौर्म अप करने से कैलरी ज्यादा बर्न हो जाएगी, जिससे वर्कआउट करने की क्षमता कम हो सकती है. गर्मियों के मौसम में कूल डाउन भी आवश्यकता के अनुसार 10 से 15 मिनट से ज्यादा नहीं करना चाहिए. देर तक कूल डाउन भी तभी करना चाहिए, अगर आप ज्यादा मोटे हो, नहीं तो वर्कआउट के लास्ट में थोड़ी बहुत स्ट्रेचिंग, कार्डिओ, ट्रेडमिल, साइकलिंग या आसन कर लेने चाहिए.
कई बार हम वर्कआउट वाली जगह पर आने-जाने के लिए जौगिंग या ब्रिस्क वौक करते हुए जाते हैं. गरमियों में ऐसा नहीं करना चाहिए. गरमियों में वर्कआउट पर आने-जाने के लिए नौर्मली से टहलते हुए या गाड़ी से ही जाना चाहिए. गरमियों में ब्रिस्क वौक, जौगिंग या रनिंग करते हुए वर्कआउट के लिए आने या जाने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है.
3. वर्कआउट के लिए क्लीन कपड़े होना जरूरी
आजकल वर्कआउट के लिए थोड़े ढीले कपड़े पहनना चाहिए, पर जरूरी है कि मौसम को देखते हुए भी वर्कआउट के कपड़े चुनें. यही नहीं, साथ ही ध्यान रहें कि वर्कआउट के बाद उन कपड़ों को जल्दी ही बदल लें, खासकर गरमी के मौसम में. गर्मियों में वर्कआउट के समय बहुत ज्यादा पसीना आता है. ऐसे में अगर आप वही कौस्ट्यूम बहुत देर तक पहने रखते हैं तो कीटाणु आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही इससे इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए वर्कआउट करने के बाद आधे और एक घंटे के अंदर अपने गीले कपड़े बदल लेने चाहिए.
4. वर्कआउट के लिए नहाकर जाएं
गरमियों में वर्कआउट के लिए हो सके तो नहा कर जाएं. गरमी में वर्कआउट करने के बाद भी शावर लेना जरूरी होता है. इससे पसीने की वजह से जो कीटाणु होंगे, वो पूरी तरह से साफ हो जाएंगे और आपकी हेल्थ को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.
गरमियों में तेल की मालिश करवाने से बचें और वर्कआउट से पहले तो ऐसी मालिश बिल्कुल भी न करवाएं. जरूरी हो तो स्किन की देखभाल के लिए हल्के मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.
6. स्किन का भी रखें खास ख्याल
गरमी में वर्कआउट करते समय पसीना ज्यादा आता है, जिससे स्किन रिलेटिड प्रौब्लम्स बढ़ जाती हैं. जिनकी स्किन सेंसिटिव है, उनको स्किन से जुड़ी कई सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके लिए वर्कआउट करने से पहले और बाद में चेहरे और स्किन को अच्छी तरह से साफ करें. स्किन को साफ रखने के लिए तौलिया भी साथ रखें और स्किन को पोंछते रहें. वर्कआउट के बाद अच्छे क्लींजर का इस्तेमाल करके भी अपनी स्किन को सुरक्षित रख सकते हैं.
7. वर्कआउट से पहले करें ये काम
वर्कआउट करने के तुरंत पहले आधा घंटा या 20 मिनट तक कुछ न खाएं. गरमियों में चाय या ब्लैक कौफी भी जिम जाने से पहले न पिएं. गरमियों में वर्कआउट करने से 20 मिनट पहले प्रोटीन या बादाम शेक जैसी प्रोटीन वाली एनर्जी ड्रिंक और चीजें खानी चाहिए.
आज हम बात करेंगे उस रिश्ते की जो काफी नाजुक होता है. ऐसा रिश्ता जिसमें समझदारी होना बहुत आवश्यक है…वो रिश्ता है देवरानी और जेठानी का….ये रिश्ता बिल्कुल वैसा ही है जैसा सब्जी में नमक और मिर्च का होता है. इस रिश्ते को निभाना उतना भी आसान नहीं है क्योंकि जब दो अलग-अलग परिवार की लड़की एक ही जगह पर आकर बहू बनती है और उनके बीच देवरानी और जेठानी का रिश्ता बनता है तो अलग-अलग महौल की इन बहुओं को एक साथ ,सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है.
आज लगभग हर धारावाहिकों में इन रिश्तों में मिर्च-मसाला लगाया जाता है और दर्शक यही देखकर काफी इन्जौय भी करते हैं.जेठानी और देवरानी एक दूसरे के खिलाफ साजिशें रचती नजर आती हैं तो कभी एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगी रहती हैं. कभी दोनों में गहनों को लेकर भेदभाव होता है ,तो कभी घर की जिम्मेदारी को लेकर और सबसे ज्यादा तो ये देखकर जलन होती है कि अरे उसके पास मुझसे अच्छी साड़ी कैसे……हालांकि ये तो हुई धारावाहिकों की बात. असल जिंदगी ऐसी नहीं है लेकिन काफी हद तक इससे मिलती है.
जब एक लड़की शादी करके नए घर में जाती है तो काफी घबराई हुई होती है कि पता नहीं कैसे वो सारे रिश्ते निभाएगी और पता नहीं कैसा परिवार मिलेगा. पता नहीं सास कैसी होंगी,और सबसे ज्यादा तो इस बात से घबराई हुई होतीं हैं कि पता नहीं ननद और जेठानी कैसी होंगी और जेठानी भी सोचती है की देवरानी पता नहीं कैसी होगी?ये सारे सवाल का जवाब तब मिलता है जब वो लड़की उस घर में कुछ दिन बिता लेती है. अगर देवरानी और जेठानी शुरू से ही अपने रिश्ते को अच्छ से निभाती हैं, एक-दूसरे के साथ समन्वय और सामंजस्य बिठा कर चलती हैं तो रिश्ते में खटास नहीं होती है बल्कि मजबूत रिश्ता बनता है.
कभी-कभी जब देवरानी वर्किंग वुमन होती है और जेठानी हाउसवाइफ होती है तो जेठानी के मन में जलन की भावना पैदा होती है कि वो तो घर के काम नहीं करती मैं ही सब करती हूं. दिनभर बाहर मस्ती में रहती है और घर वालों के ताने सहूं,उनके काम करूं.इस तरह की भावना उसके मन में पैदा होती है और तो और वो सास से देवरानी की चुगली भी करती है साथ ही देवरानी के खिलाफ सास के कान भरती है. देवर और भाभी का रिश्ता थोड़ा हंसी-मजाक वाला होता है लेकिन कभी-कभी देवरानी इसको शक के घेरे में खड़ा करके उस रिश्ते को खराब कर देती है.
मामला परशुराम के पिता का पुत्रों को मां का वध करने का हो, अहिल्या का इंद्र के धोखे के कारण अपने पति को छलने का या शंबूक नाम के एक शूद्र द्वारा तपस्या करने पर राम के हाथों वध करने का, हमारे धर्म ग्रंथों में तुरंत न्याय को सही माना गया है और उस पर धार्मिक मुहर लगाई गई है. यह मुहर इतनी गहरी स्याही लिए है कि आज भी मौबलिंचिंग की शक्ल में दिखती है.
असम में तिनसुकिया जिले में भीड़ ने पीटपीट कर एक पति व उस की मां को मार डाला, क्योंकि शक था कि उस ने अपनी 2 साल की बीवी और 2 महीने की बेटी को मार डाला. मजे की बात तो यह है कि जब पड़ोसी और मृतक बीवी के घर वाले मांबेटे की छड़ों से पिटाई कर रहे थे, लोग वीडियो बना कर इस पुण्य काम में अपना साथ दे रहे थे.
देशभर में इस तरह भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने और भीड़ में खड़े लोगों का वीडियो बनाना अब और ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि शासन उस तुरंत न्याय पर नाकभौं नहीं चढ़ाता. गौरक्षकों की भीड़ों की तो सरकारी तंत्र खास मेहमानी करते हैं. उन्हें लोग समाज और धर्म का रक्षक मानते हैं.तुरंत न्याय कहनेसुनने में अच्छा लगता है पर यह असल में अहंकारी और ताकतवर लोगों का औरतों, कमजोरों और गरीबों पर अपना शासन चलाने का सब से अच्छा और आसान तरीका है.
यह पूरा संदेश देता है कि दबंगों की भीड़ देश के कानूनों और पुलिस से ऊपर है और खुद फैसले कर सकती है. यह घरघर में दहशत फैलाने का काम करता है और इसी दहशत के बल पर औरतों, गरीबों, पिछड़ों और दलितों पर सदियों राज किया गया है और आज फिर चालू हो गया है.जब नई पत्नी की मृत्यु पर शक की निगाह पति पर जाने का कानून बना हुआ है तो भीड़ का कोई काम नहीं था कि वह तिनसुकिया में जवान औरत की लाश एक टैंक से मिलने पर उस के पति व उस की मां को मारना शुरू कर दे.
यह हक किसी को नहीं. पड़ोसी इस मांबेटे के साथ क्यों नहीं आए, यह सवाल है.लगता है हमारा समाज अब सहीगलत की सोच और समझ खो बैठा है. यहां किसी लड़केलड़की को साथ देख कर पीटने और लड़के के सामने ही लड़की का बलात्कार करने और उसी समय उस का वीडियो बनाने का हक मिल गया है.यहां अब कानून पुलिस और अदालतों के हाथों से फिसल कर समाज में अंगोछा डाले लोगों के हाथों में पहुंच गया है, जो अपनी मनमानी कर सकते हैं.
पिछले100-150 साल के समाज सुधार और कानून के सहारे समाज चलाने की सही समझ का अंतिम संस्कार जगहजगह भीड़भड़क्के में किया जाने लगा है. यह उलटा पड़ेगा पर किसे चिंता है आज. आज तो पुण्य कमा लो.
बौलीवुड एक्ट्रेस समीरा रेड्डी भले ही फिल्मों से दूर हों, लेकिन वह सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में लगातार बनी रहती हैं. चाहे वह उनकी प्रैग्नेंसी की फोटोज हो या गोदभराई की फोटोज. आइए आपको दिखाते हैं में समीरा ने अपनी गोदभराई से जुड़ी कुछ फोटोज…
समीरा भले ही फिल्मी दुनिया से दूर हों, लेकिन वह अपने इंस्टाग्राम पर अपने फैन्स के लिए आए दिन खास फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिसपर फैन्स भी कमेंट करना नही भूलते.
टीवी की क्वीन कही जाने वाली एकता कपूर का हिट टीवी शो कसौटी ज़िन्दगी की 2 इन दिनों लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. करण सिंह ग्रोवर ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में एंट्री कर चुके हैं, जिससे उनके फैंस काफी खुश हैं. दूसरी तरफ मिस्टर बजाज की एंट्री के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन पर मीम्स बनाना भी शुरू कर दिया है, जिस पर करण की वाइफ यानी एक्ट्रेस बिपाशा बसु ने भी कमेंट किया है और एक मीम्स शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं कैसे बिपाशा ने अपने पति करण का मजाक उड़ाया है.
बिपाशा ने करण को चिढ़ाने के लिए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ये मीम शेयर किया और साथ ही मैसेज में लिखा “हम्मम बचके रहना रे बजाज बचके रहना रे… बचके रहना बजाज, तुझ पे नजर है…”. जिसके बाद फैंस ने भी कईं कमेंट किए.
आपको बता दें, करण सिंह ग्रोवर की मुलाकात एक्ट्रेस बिपासा से फिल्म अलोन के सेट पर हुई थी, जिसके बाद उन्होंने तीन साल एक-दूसरे को डेट करके शादी कर ली.
हाल ही में करण के ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में आने के बाद कईं मीम्स आ चुके हैं. ‘मिस्टर बजाज’ के एक मीम्स में करण की फोटो के साथ स्कूटर की फोटो जोड़कर मीम बनाया गया.
बता दें, स्टार प्लस के हिट सीरियल में इन दिनों करण सिंह ग्रोवर ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में नजर आ रहें हैं. जिसमें उनके फैंस को उनकी एक्टिंग बेहद पसंद आ रही है. साथ ही सीरियल की टीआरपी पर भी ‘मिस्टर बजाज’ की एंटी का फर्क पड़ा है. वहीं इससे पहले सीरियल में कौमोलिका के रोल में हिना खान भी काफी सुर्खियां बटोर चुकी हैं.
बौलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म कबीर सिंह के लिए प्रमोशन में डुटी हुई हैं. कियारा की एक्टिंग जितनी अच्छी है उतनी ही वह खूबसूरत हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कियारा ने अपनी खूबसूरती और फिटनेस से जुड़े कुछ खास टिप्स बताएं. जिसे आप अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए मौनसून में अपनी सकती हैं. आइए जानते हैं उनकी खूबसूरती के कुछ खास टिप्स-
सवाल- गर्मी और मानसून में अपने ब्यूटी का ख्याल कैसे रखती है?
मेरी जींस ऐसी है कि मुझे बहुत ज्यादा ब्यूटी का ख्याल नहीं रखना पड़ता, लेकिन कुछ चीजों को मैं हमेशा फौलो करती हूं. मसलन बालों के लिए सही शैम्पू का इस्तेमाल करना, बालों को अच्छी तरह से धोना, तेल लगाना आदि करती हूं.
ज्यादा मेकअप करना फेस हैल्थ के लिए सही नही होता, लेकिन एक्ट्रेस और बिजी लाइफस्टाइल के कारण हमें मेकअप करना पड़ता है. इसलिए कितनी भी देर हो, लेकिन मैं अपना मेकअप उतारना नहीं भूलती.
स्किन के लिए नींद है जरूरी
लेट नाइट पार्टी और देर से सोने से मैं बचना पसंद करती हूं, क्योंकि टाइम से सोने से हमारी स्किन अच्छी रहती है और स्किन के लिए ये भी जरूरी है कि अपनी नींद पूरी करना न भूलें. अगर आपकी नींद पूरी नहीं होगी तो आपका फेस डल लगेगा.
लिक्विड ज्यादा पीना
मौनसून हो या समर स्किन को हाइड्रेट रखना जरूरी होता है, इसलिए जरूरी है कि आप ज्यादा से ज्यादा लिक्विड पीयें. चाहे वह जूस हो या पानी.
डेली वर्कआउट स्किन की स्किन हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है. ये स्किन को नेचुरली टोन करने का काम करता है. साथ ही बौडी को भी फिट बनाए रखता है. ये मेरे ये मेरी ब्यूटी रिजीम में से एक है.
शायद ये सुन कर आपको हैरानी हो और थोड़ा अजीब लगे लेकिन आज भी समाज में ससुराल में बहुओं के साथ भेदभाव होता है.इसमें कोई दोराय नहीं कि सास और बहू के बीच में नोक-झोंक न हो. कहीं पढ़ा था मैंने कि बेटी अगर चीनी है जिसके बिना जिंदगी में कोई मिठास नहीं,तो बहू नमक है जिसके बिना जीवन में कोई स्वाद नहीं. अक्सर सास और बहू के रिश्तों में खटास सी पैदा हो जाती है….इसका एक सबसे बड़ा कारण हैं सासों का यह मानना कि बहू तो बहू होती है और बेटी…बेटी होती है..हालांकि कुछ प्रतिशत ऐसी सासें हैं जो बहू को केवल बेटी का दर्जा देते ही नहीं हैं बल्कि उसको बेटी मानती भी हैं. सास बहू के रिश्तों में और भेदभाव के कुछ कारण हैं…..
1. बहू को सिर्फ एक बहू के नजरिये से देखना
सास का ये मानना की बहू कभी बेटी नहीं बन सकती है. बहू को सिर्फ एक बहू के नजरिये से देखना. कभी उसके साथ बेटी जैसा बर्ताव न करना. बहुएं घर का सारा काम करती हैं साथ अपने पति के जरूरतों का भी खयाल रखती हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि सास अपने बहू को बेटी के समान रखें ताकि बहू भी उतनी ही इज्जत दें सास को जितनी वो अपनी मां को देती हैं.
दूसरा भेदभाव का सबसे बड़ा कारण है दहेज.. अगर कई बहुएं होती हैं तो अक्सर सास उस बहू को ज्यादा तवज्जों देती हैं जो ज्यादा दहेज लाती है और अपने सास की चकचागिरी करती हैं. सास को लगता है कि उसके लिए ज्यादा दहेज वाली बहू ही अच्छी होती है. इसलिए बाकी बहुओं को ज्यादा तवज्जों न देकर भेदभाव करती हैं.
3. अक्सर सासें ये सोचती हैं कि उनका बेटा कितना बदल गया है
अक्सर सासें ये सोचती हैं कि उनका बेटा कितना बदल गया है. शादी के बाद सिर्फ अपनी पत्नी पर ध्यान देता है और उसी के बारे में सोचता है मेरी तो सुनता ही नहीं है. एक ये सोच भी सास को भेदभाव की दहलीज तक ला ही देता है जब सास बेटी और बहू में भेदभाव करती हैं.
4.अगर बहू वर्किंग वुमन है तो
अगर बहू वर्किंग वुमन है तो वो शादी के बाद भी अपना काम जारी रखती है जिसके चलते वो घर के कामों में ज्यादा योगदान नहीं दे पाती तो बाकी की बहुओं को सास से उसकी चुगली करने और कान भरने का मौका मिल जाता है. आजकल सास,बहु और सस्पेंस जैसी कहानी केवल धारावाहिकों में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी दिखती है.
हम एक उदाहरण से ये समझ सकते हैं कि इंदिरा गांधी को पूरब और पश्चिम का मिश्रण बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने अपने एक बहू को मानेकशौ से कार्डन ब्लू बनाना सीखने के लिए भेजा तो दूसरी बहू सोनिया गांधी को हिंदुस्तानी सीखने के लिए भेजा.लेकिन कहा जाता है कि इंदिरा गांधी मेनका से ज्यादा सोनिया गांधी को चाहती थी. मतलब उस वक्त भी भेदभाव था और आज तो है ही. अगर बहू सेवा न करे तो बूरी बन जाती है सास के नजरों में भले ही घर के सारे काम करती हो और सास को आराम देती हो, लेकिन आज समाज को आइना देखने की जरूरत है. सासों को बदलने की जरूरत है…जब तक वो अपनी बहू को बेटी नहीं मानेंगी और बाकी बहुओं से तुलना करना बंद नहीं करेंगी तब तक उनको भी वो प्यार और अपनापन नहीं मिल पाएगा जो एक बहू से मिलना चाहिए…क्योंकि वक्त है बदलाव का….