मौनसून में ऐसे रखें डाइट का ख्याल

लेखक- अनु जायसवाल (फाउंडर डाइरैक्टर वैदिक सूत्र वैलनैस सैंटर)

मौनसून सीजन में अगर आप का खानपान सही है तो आप डिहाइड्रेशन, डायरिया, पसीना, थकान, भूख न लगना, उलटियां, हीट स्ट्रोक, फूड पौइजनिंग जैसी समस्याओं से दूर रहेंगी. इस मौसम में इन परेशानियों से बचने के लिए आप अपने डाइट चार्ट में निम्न चीजों को शामिल कर सकती हैं:

1. सलाद को करें डाइट में शामिल

टमाटर में विटामिन ए, विटामिन सी और लाइकोपीन होने से पोषक तत्त्वों का यह पावरहाउस फलों और सब्जियों दोनों में गिना जाता है. एक टमाटर में सिर्फ 35 से 40 कैलोरी होती है, लेकिन यह एक दिन में विटामिन सी की 40% और विटामिन ए की 20% जरूरत को पूरा कर सकता है.

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टमाटर के और भी कई फायदे हैं. लाइकोपीन जैसे ऐंटीऔक्सीडैंट के कारण यह कई तरह के कैंसर से लड़ने में सहायक होता है. शोध बताते हैं कि लाइकोपीन एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल से बचाता है, जिस से हृदय रोगों की आशंका कम होती है.

खीरा सलाद के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इस में पोटैशियम होता है जो हाई ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में मददगार होता है. अल्सर के इलाज में भी खीरे का सेवन राहत पहुंचाता है. पैपर या कालीमिर्च में भी बीटा कैरोटिन जैसा ऐंटीऔक्सीडैंट होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत  बनाता है और फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है. रोज एक बाउल टमाटर का सलाद जरूर खाएं. लेकिन कुछ बीमारियों जैसे पथरी में टमाटर का सेवन डाक्टर से पूछ कर ही करें.

2. लो कैलेरी फ्रूटस को मौनसून में करें ट्राई

इस मौसम में कई लो कैलोरी फ्रूट्स उपलब्ध होते हैं, जिन में फाइबर, कैल्सियम एवं अन्य महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पर्याप्त मात्रा होती है. ये शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखते हैं. इस मौसम में मौसमी फलों जैसे तरबूज, लीची, खीरा, खरबूजा, संतरा, अंगूर आदि का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है. सोडियम, पोटैशियम और विटामिन बी से भरपूर तरबूज शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अत: इन सब मौसमी फलों को अपने डाइट चार्ट में शामिल करना न भूलें.

3. बौडी को रखें जूस से हाइड्रेटिड

चिपचिपी गरमी के मौसम में बौडी को पानी की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए पेयपदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त पानी मिले और आप को मिले उमस भरी दोपहरी में चुस्तीफुरती. अत: डाइट चार्ट में जूस को भी शामिल करें. नीबू पानी से बेहतर कोई जूस नहीं. संतरा, मौसमी जैसे फलों जूस भी ले सकती हैं. नारियल पानी में कई जरूरी मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेट रखते हैं. यह पोटैशियम का अच्छा स्रोत है.

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4. मौसमी सब्जियों को करें डाइट में शामिल

डाइट में मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, भिंडी, करेला, सीताफल, टमाटर, खीरा और मिर्च को जरूर शामिल करें. लौकी में कैलोरी कम, लेकिन फाइबर और पानी अधिक होता है. लो कैलोरी होने की वजह से इन सब्जियों को खाने से मोटापे का भी खतरा नहीं होता. करेले में कौपर, आयरन और पोटैशियम होता है. इसे खाने से शरीर की ब्लड शुगर और इंसुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है. करेला शरीर में क्षारीय प्रभाव डालता है, जिस से शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं. ऐसिडिटी और अपच की परेशानी में भिंडी बहुत फायदेमंद होती है. जिन्हें यूरिन से जुड़ी समस्याएं होती हैं उन के लिए भिंडी बहुत लाभकारी होती है.

सीताफल यानी कद्दू में आयरन, फास्फोरस, मैगनीशियम जैसे तत्त्व होते हैं. कच्चे सीताफल का रस शरीर से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालता है. ऐसिडिटी दूर करने और वजन कम करने में भी यह बहुत फायदेमंद होता है.

Edited by- Rosy

मौनसून में स्किन के लिए क्यों जरूरी है एंटीफंगल पाउडर

मौनसून में कई बार गरमी के साथ-साथ एनवायरमेंट में नमी ज्यादा होने से बहुत लोगों को बैक्टीरियल और फंगल इन्फैक्शन होने का खतरा रहता है. इसके अलावा जिन की स्किन औयली होती है उन्हें खुजली, रैशेज, संक्रमण या स्किन संबंधी प्रौब्लम करीब 10 गुना ज्यादा हो सकती हैं. बारिश में स्किन की सही देखभाल करना बेहद जरूरी है खासकर पैरों की उंगलियों के बीच, आर्म पिट, ब्रैस्ट के नीचे, गरदन, पीठ आदि जगहों की जहां पसीने की वजह से नमी ज्यादा मात्रा में जमा होती है और बाद में फंगल इन्फैक्शन को जन्म देती है.

  1. मौनसून में कौमन है फंगल इंफैक्शन

डा. सोमा सरकार कहती हैं कि बारिश के मौसम में ऐंटीफंगल पाउडर सभी के लिए जरूरी होता है, क्योंकि बारिश के मौसम में शरीर और पैर गीले हो जाते हैं. अत: नमी भरे वातावरण में फंगस आसानी से ग्रो कर जाता है. इसलिए इस मौसम में खुद को सूखा रखना बहुत जरूरी है. ऐसे में ऐंटीफंगल पाउडर बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि यह स्किन को सूखा रखने में मदद करता है. इस के प्रयोग से किसी भी प्रकार के फंगल इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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  1. पैरों में कौमन है फंगल इन्फैक्शन

पैरों की उंगलियों के बीच होने वाला फंगल इन्फैक्शन कौमन है. इस में उंगलियों के बीच पपड़ी जमा हो जाती है या कुछ गीलागीला चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिस में बदबू भी होती है. सही समय पर इलाज न करने पर यह परेशानी बढ़ जाती है.

  1. आर्मपिट या छाती के नीचे फंगल इंफैक्शन

टिनिया कौरपोरिस और टिनिया क्रूरिस इन्फैक्शन ज्यादातर आर्मपिट या छाती के नीचे होते हैं. ये ज्यादातर गीले कपड़े पहनने से होते हैं. इन्हें फंगल पाउडर लगा कर आसानी से दूर कर सकते हैं. हां, अगर यह इन्फैक्शन ज्यादा बढ़ जाए तो डाक्टर की सलाह लें.

  1. मोटापे के शिकार लोगों में फंगल इंफैक्शन

फंगल इन्फैक्शन ज्यादातर मोटापे के शिकार, साफ-सफाई पर कम ध्यान देने वालों, मधुमेह के शिकार लोगों को होता है. उन्हें खासतौर पर यह पाउडर रखने की जरूरत होती है.

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  1. रोज इस्तेमाल करना है जरूरी फंगल पाउडर

डा. सोमा कहती हैं, ‘‘मेरे पास कई ऐसे रोगी आते हैं जो फंगल इन्फैक्शन को नहीं समझ पाते और दाद समझ कर दुकान से दवा लेते रहते हैं. कई बार दोनों जांघों के घर्षण से भी खुजली या रैशेज हो जाते हैं, जिस का वे ध्यान नहीं रखते और फिर आगे चल कर यह परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे लोग बारिश में रोज फंगल पाउडर का इस्तेमाल करें तो इस परेशानी से बच सकते हैं. कई महिलाएं तो पूरे बदन में फंगल इन्फैक्शन होने पर मेरे पास आती हैं.

‘‘फंगल इन्फैक्शन आजकल बच्चों में भी देखने को मिल रहा है. इस से परेशान लोगों को मैं यही सलाह देती हूं कि अपने कपड़ों को रोज और अलग धोएं, उन्हें प्रैस करें, गीले कपड़े पहनने से बचें.’’

6. कब करें फंगल पाउडर का प्रयोग

फंगल इन्फैक्शन होने पर, योनि में संक्रमण होने पर, पैरों की उंगलियों के  बीच खुजली होने पर, कमर पर फंगल इन्फैक्शन होने पर, ऐथलीट्स फुट के इलाज के लिए, स्किन में खुजली आदि होने पर फंगल पाउडर का दिन में 2-3 बार प्रयोग किया जा सकता है.

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सुबह नहाने के बाद अंडरआर्म्स, जांघों के किनारों, छाती के नीचे, गरदन, पैरों की उंगलियों के बीच आदि जगहों पर जहां पसीना ज्यादा आता हो वहां फंगल पाउडर का इस्तेमाल करें. इस के अलावा जब भी गरमी से खुजली महसूस हो वहां इसे लगा सकती हैं. मैडिकेटेड साबुन से हाथपैरों को अच्छी तरह धो व सुखा कर ही फंगल पाउडर लगाएं. फंगल इन्फैक्शन कईं तरह के होते हैं-

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प्रेमिका के लिए जुर्म का जाल

लेखक- अशोक शर्मा  

घटना 31 जनवरी, 2019 की है. सुबह के यही कोई 11 बज रहे थे. महानगर मुंबई के उपनगर माहीम धारावी (पूर्व) के जस्मिन मिल रोड पर स्थित है डायमंड

अपार्टमेंट. इस अपार्टमेंट के लोगों में उस समय अफरातफरी मच गई, जब अपार्टमेंट की 13वीं मंजिल पर रहने वाले मेहराज हुसैन ने 10वीं मंजिल के एक फ्लैट से उठते हुए धुएं के

बारे में लोगों को बताया. आग पूरी इमारत में न फैल जाए इसलिए उस ने यह जानकारी तुरंत फायरब्रिगेड और पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

यह इलाका थाना शाहूनगर क्षेत्र में आता है इसलिए खबर मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना शाहूनगर थाने को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुभाष सूर्यवंशी इंसपेक्टर मंदार लाड, हनुमान बैताल, सहायक इंसपेक्टर विशाल आरोसकर, एसआई तुकाराम दिघे, वसीम शेख, कांस्टेबल जंगम को साथ ले कर डायमंडअपार्टमेंट की ओर रवाना हो गए.

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पुलिस टीम के वहां पहुंचने के पहले ही वहां काफी लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. फायरब्रिगेड की टीम तत्काल वहां पहुंच कर आग पर काबू पा चुकी थी. पता चला कि आग 10वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 1010 में लगी थी.

थानाप्रभारी सुभाष सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ लिफ्ट से सीधे फ्लैट नंबर 1010 में पहुंचे तो फ्लैट के अंदर की स्थिति देख कर स्तब्ध रह गए. वहां किचन में एक महिला तहसीन और एक 3 साल की बच्ची आलिया जली हुई अवस्था में पड़ी थी. शव और उस के आसपास काफी मात्रा में खाने वाला तेल फैला था.

बैडरूम में बैठा एक व्यक्ति अपनी छाती पीटपीट कर रो रहा था. पड़ोसियों ने बताया कि वह मृतका तहसीन का पति इलियास सैयद है.

पुलिस टीम ने जब मृतक महिला और बच्ची के शव का निरीक्षण किया तो पाया कि पहले किसी तेज धारदार हथियार से उन का गला काटा गया था. फिर उन के शरीर पर खाने वाला तेल डाल कर उन्हें जलाने की कोशिश की थी. यह सब स्पष्ट तौर पर हत्या की तरफ इशारा कर रहा था.

मामला काफी संदिग्ध था. थानाप्रभारी और उन की टीम अभी घटनास्थल की जांच पड़ताल और लोगों से पूछताछ कर ही रही थी कि तभी डीसीपी विक्रम देशमाने,

एसीपी अजीनाथ सातपूते मौका ए वारदात पर आ गए थे. उन के साथ ही फोरैंसिक और क्राइम ब्रांच की टीम भी वहां पहुंच गईं. उन्होंने घटनास्थल और दोनों शवों का बारीकी से मुआयना किया.

फोरैंसिक टीम और क्राइम ब्रांच की टीम का काम खत्म होने के बाद थानाप्रभारी ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए माटुंगा सायन अस्पताल भिजवा दिए. फिर थाने लौट कर उन्होंने मृतक तहसीन के पति इलियास सैयद के बयान के आधार पर रिपोेर्ट दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी.

इलियास सैयद ने अपने बयान में बताया कि पिछले 6 महीने से पत्नी तहसीन के साथ उस का रिश्ता ठीक नहीं था. कुछ फरमाइशें पूरी न होने के कारण वह

तनाव में रहती थी, जिस की वजह से उस ने बेटी आलिया के साथ आत्महत्या कर ली. इलियास ने पुलिस को आत्महत्या करने से पहले उसे भेजा गया वाट्सएप मैसेज भी दिखाया.

उस ने कहा कि जिस समय उस की पत्नी का आत्महत्या का मैसेज उस के मोबाइल पर आया था, उस समय वह अपनी दुकान पर था. जब तक वह दुकान बंद कर घर पहुंचा तब तक उस का संसार उजड़ चुका था. उस की बड़ी बेटी सायना इसलिए बच गई क्योंकि उस समय वह अपने स्कूल गई हुई थी.

जहां एक तरफ उस की पत्नी तहसीन का मैसेज आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक प्रश्न भी खड़ा हो रहा था. वो यह कि अगर मान लिया जाए कि तहसीन ने बेटी के साथ अपना गला काट कर आत्महत्या की कोशिश की थी तो फिर उन दोनों के ऊपर तेल कहां से आया. वहां आग किस ने लगाई.

ये बातें एकदूसरे के विपरीत थीं, जिन से किसी गहरी साजिश की गंध आ रही थी. इस साजिश पर थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ गंभीरता से विचार किया.

फिर मामले की तफ्तीश इंसपेक्टर मंदार लाड को सौंप दी.

इंसपेक्टर मंदार लाड ने अपनी तफ्तीश शुरू करने के पहले मृतक तहसीन और आलिया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन किया. जिस से यह साफ हो गया था कि मामला आत्महत्या का नहीं, हत्या का है. इस हत्या का रहस्य क्या था. इस का परदाफाश करने के लिए मंदार लाड ने अपनी टीम के साथ पुन: घटनास्थल का निरीक्षण किया.

मंदार लाड ने आसपास के लोगों से भी पूछताछ की. जब उन्होंने इमारत में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को ध्यान से देखा तो उन की नजर एक संदिग्ध बुरकाधारी महिला पर जा कर ठहर गई, जो इमारत की लिफ्ट के बजाए सीढि़यों से आ रही थी. वह इलियास सैयद के फ्लैट तक गई थी. जबकि इमारत के अंदर 2-2 लिफ्ट लगी हुई थीं.

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पुलिस हैरान थी कि वह महिला लिफ्ट के बजाए 10वीं मंजिल तक सीढि़यों से क्यों गई? आखिर वह बुर्काधारी कौन थी और उस समय वह इस फ्लैट में क्या करने गई थी. पुलिस टीम ने वह फुटेज इमारत में रहने वालों को दिखाई तो उन्होंने संदेह उसी इमारत की रहने वाली आफरीन बानो पर जाहिर किया, जो अकसर इलियास सैयद के साथ देखी जाती थी.

इलियास सैयद पहले से ही पुलिस के शक के दायरे में था. आफरीन बानो का नाम जुड़ने से शक पूरी तरह यकीन में बदल गया. इस के पहले कि पुलिस टीम इलियास सैयद को गिरफ्तार कर उस से पूछताछ करती, वह और आफरीन दोनों फरार हो गए. यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने उन दोनों की सरगर्मी से तलाश शुरू कर दी.

एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने उन दोनों को सीएसटी रेलवे स्टेशन पर उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह शहर छोड़ कर गांव जाने की तैयारी में थे. थाने में जब उन से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपने आप को तहसीन और आलिया हत्याकांड से अनभिज्ञ बताया. मगर थोड़ी ही देर में वह टूट गए और अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

पुलिस तफ्तीश और उन दोनों के बयानों के आधार पर डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार से थी— 34 वर्षीय इलियास सैयद मूलरूप से जनपद झांसी का रहने वाला था. लगभग 20 साल पहले रोजीरोटी की तलाश में उस ने मुंबई का रुख किया था. गांव में जो

थोड़ीबहुत काश्तकारी थी उसे उस के मातापिता के साथ उस के भाई संभालते थे. परिवार बड़ा होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी.

मुंबई उपनगर धारावी माहीम में उस के गांव के कुछ लोग रहते थे, जो रेडीमेड कपड़ों का कारोबार करते थे. इलियास भी उन्हीं के साथ काम पर लग गया. धीरेधीरे

जब वह रेडीमेड कपड़ों के काम में माहिर हो गया तो उस ने पहले किराए पर एक दुकान ली. उस के बाद वह स्वयं की एक दुकान ले कर उसे चलाने लगा. दुकान चली तो उस के परिवार की आर्थिक गाड़ी भी पटरी पर लौटने लगी.

इस के बाद घर वालों ने उस की शादी अपने एक पुराने रिश्तेदार की बेटी तहसीन से कर दी.

तहसीन सैयद देखने में जितनी सुंदर शोख चंचल थी, उतनी ही वह हसीन भी थी. उस से शादी कर के वह खुश था. उस ने पत्नी को अपने मांबाप की सेवा करने के

लिए कुछ दिनों अपने गांव में छोड़ दिया. लेकिन मुंबई में अकेले रहने पर इलियास का मन नहीं लग रहा था. लिहाजा वह पत्नी तहसीन को अपने साथ मुंबई ले आया.

मुंबई में वह माहीम धारावी के जस्मिन मिल रोड पर एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगा. बाद में जब झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (स्लम रिहैबिलिटेशन अथारिटी) की मुफ्त घर देने की स्कीम आई तो उसे भी एक फ्लैट मिल गया. वह फ्लैट उसे वहीं पर बनाए गए डायमंड अपार्टमेंट की 10वीं मंजिल पर मिला था. वह अपने परिवार के साथ आवंटित फ्लैट नंबर 1010 में रहने लगा.

समय अपनी गति से चल रहा था. इलियास अपनी दुकान में व्यस्त रहता था और तहसीन अपने घर के कामों में मग्न रहती थी. समय के साथ इलियास 2 बेटियों का बाप बन गया था.

उस की बड़ी बेटी सायना 7 साल की थी, जो पास ही के स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ती थी. जबकि छोटी बेटी आलिया 3 साल की थी. इलियास की घरगृहस्थी

ठीक चल रही थी. उस की शादी हुए 10 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला.

एक कहावत है कि इंसान का वक्त कब और कैसे बदलेगा, कोई नहीं जानता. जो परिवार उस इमारत के अच्छे लोगों में गिना जाता था वही परिवार पिछले 6 महीनों से आसपड़ोस वालों के लिए सिरदर्द बन गया था. इस का कारण 22 वर्षीय आफरीन बानो थी, जो इलियास सैयद की जिंदगी में अचानक ही आ गई थी.

इलियास सैयद से उम्र में 10 साल छोटी आफरीन बानो की निगाहों में वह कशिश थी, जिस ने इलियास सैयद को अपनी पहली झलक में ही दीवाना बना लिया था.

हुस्न और यौवन में आफरीन उस की पत्नी तहसीन से कई गुना ज्यादा आकर्षक थी. आफरीन बानो अपने मातापिता और भाईबहनों के साथ उसी इमारत में रहती थी और माटुंगा में खालसा कालेज के पास स्थित एक प्राइवेट कंपनी में सेल्सगर्ल की नौकरी करती थी.

इलियास की आफरीन से उस समय मुलाकात हुई थी जिस समय वह अपने परिवार के साथ ईद के कपड़े लेने के लिए उस की दुकान पर गई थी. आफरीन को देख कर इलियास के चेहरे पर चमक आ गई थी. वैसे तो एक ही इमारत में रहने के कारण इलियास ने आफरीन को कई बार देखा था लेकिन गौर से देखने का मौका उसे उस दिन मिला था.

चूंकि उस दिन वह कपड़े खरीदने अपने घर वालों के साथ आई थी इसलिए उसे उस से साथ बात करने का मौका तो मिला लेकिन वह उस से खुल कर बात नहीं कर सका. उस दिन आफरीन और इलियास में काफी बातें हुई थीं. आफरीन ने अपने परिवार वालों के काफी कपड़े उस की दुकान से खरीदे.

आफरीन से नजदीकियां बढ़ाने के लिए इलियास ने उसे पैसों में भी काफी छूट दी थी, जिस से आफरीन काफी प्रभावित हुई थी. जब तक आफरीन इलियास सैयद की दुकान में रही, तब तक वह इलियास की आंखों की केंद्रबिंदु बनी रही.

कई बार इलियास और आफरीन बानो की नजरें कुछ इस प्रकार टकराई थीं कि दोनों के चेहरे सुर्ख हो गए थे. आफरीन एक सेल्सगर्ल थी, इसलिए अपने अनुभव से वह इलियास की नजरों और बातों से उस की भावनाओं को समझ गई थी.

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खरीदारी करने के बाद आफरीन जब उस की दुकान से बाहर निकली तो इलियास उसे छोड़ने के लिए बाहर तक आया. आफरीन ने एक हलकी मुसकराहट के साथ इलियास को बाय कहा और वहां से चली गई. लेकिन आग दोनों तरफ लग चुकी थी. उस रात दोनों एकदूसरे के खयालों में खोए रहे.

एक सप्ताह के बाद आफरीन अपने कुछ सूट बदलने के बहाने से इलियास की दुकान पर फिर पहुंची. उस दिन दुकान पर सिर्फ आफरीन और इलियास ही थे. इस का फायदा उठाते हुए उस दिन दोनों में खुल कर बातें हुईं और दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर बढ़ता ही गया. इस के बाद तो जब भी दोनों को मौका मिलता, उस का पूरापूरा लाभ उठाते थे.

पहले तो यह सिलसिला सिर्फ दुकान तक ही सीमित था, लेकिन फिर यह मौल, पार्क और मल्टीप्लेक्स तक पहुंच गया. इलियास की दुकान अच्छी चलती थी, जिस से

उस की कमाई भी अच्छी होती थी, इसलिए वह आफरीन पर दिल खोल कर खर्च करता था. इतना ही नहीं, वह आफरीन का पूरी तरह खयाल रखता था. स्थिति यह

हो गई कि जब तक दोनों एकदूसरे को दिन में एक बार देख नहीं लेते थे, उन्हें चैन नहीं आता था.

इलियास आफरीन से कहता था कि जिस दिन वह उस की दुकान पर आ जाती है, उस दिन उस का धंधा दोगुना होता है. इस पर आफरीन हर दिन अपने औफिस

जाने के पहले एक बार उस की दुकान पर जाने लगी. दोनों कुछ समय तक एकदूसरे के साथ हंसीमजाक करते और फिर आफरीन चली जाती और इलियास अपने

काम में लग जाता था.

ऐसे में एक दिन जब आफरीन इलियास की दुकान पर पहुंची तो उस का चेहरा उतरा हुआ था. उदास चेहरे को देखते ही इलियास ने पूछा, ‘‘क्या बात है आफरीन,

आज तुम्हारा मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा?’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ आफरीन ने लापरवाही से कहा.

‘‘देखो, कुछ बात तो है, जो तुम मुझ से छिपा रही हो. बताओ, क्या बात है?’’ इलियास ने जोर दे कर कहा.

‘‘इलियास, मैं यह सोच रही हूं कि इस तरह कितने दिनों तक चलेगा. हमारेतुम्हारे परिवार को जब हमारे प्यार की बातें पता चलेंगी तो क्या होगा. तुम्हारा तो

मुझे पता नहीं लेकिन मेरा तो घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. फिर मैं क्या करूंगी?’’ वह गंभीर होते हुए बोली.

‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा. मैं इस से पहले ही तुम्हारे घर वालों से तुम्हारा हाथ मांग लूंगा.’’ इलियास बोला.

‘‘नहीं नहीं, ऐसा मत करना. अगर मेरे परिवार वालों को यह बात पता चली कि मैं एक निकाहशुदा इंसान से प्यार करती हूं तो मेरी आफत ही आ जाएगी.

इसलिए तुम पहले अपनी बीवीबच्चों के बारे में सोचो, फिर मेरा हाथ मांगना.’’ आफरीन ने इलियास को समझाया.

‘‘इस की चिंता तुम छोड़ो, मैं अपनी बीवी को समझा लूंगा.’’ इलियास सैयद ने आफरीन को भरोसा दिलाया.

फिर एक दिन इलियास ने इस बारे में अपनी पत्नी तहसीन से बात की. कोई भी औरत भले ही कैसी ही हो, वह यह नहीं चाहेगी कि उस का मर्द किसी दूसरी

औरत से प्यार करे. वह अपने प्यार को बांटने के लिए हरगिज तैयार नहीं होगी.

तहसीन को जब पता चला कि उस के शौहर का इसी बिल्डिंग में रहने वाली आफरीन से चक्कर चल रहा है तो उस के पैरों तले से जमीन जैसे खिसक गई.

उस ने यह बात कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उस का पति ऐसा करेगा. यानी तहसीन ने सौतन को स्वीकारने से मना कर दिया और वह इस का विरोध

करने लगी.

यह बात जब इलियास के परिवार और उस के नातेरिश्तेदारों को मालूम पड़ी तो उन्होंने भी इलियास को आड़े हाथों लिया. उसे समझायाबुझाया. लेकिन इलियास

आफरीन बानो के प्यार में कुछ इस तरह पागल था कि वह अपनी पत्नी और दोनों मासूम बच्चियों को भी भूल गया था.

उस का व्यवहार अपने परिवार के प्रति बदल चुका था. जिस की वजह से घर का माहौल बिगड़ गया था. पतिपत्नी में आए दिन लड़ाईझगड़े होने लगे. ऐसे माहौल में बच्चे भी डरेसहमे से रहते थे.

31 जनवरी, 2019 को करीब 10 बजे दोनों पतिपत्नी में आफरीन को ले कर जब बात चली तो उस का अंत भयानक हुआ. उस दिन इलियास अपने आपे से बाहर हो

गया था. इलियास किचन में काम कर रही तहसीन के पास गया. उस समय बड़ी बेटी सायना स्कूल गई हुई थी. छोटी बेटी आलिया सो रही थी.

गुस्से में सुलग रहे इलियास ने किचन में रखा चाकू उठाया. इस से पहले कि तहसीन कुछ समझ पाती, उस ने तहसीन का गला रेत दिया. एक चीख के साथ

तहसीन किचन में फर्श पर गिर गई. तहसीन की चीख सुन कर 3 साल की बेटी आलिया जागी तो वह मां की तरफ भागी.

इलियास ने उस मासूम को भी इस डर से नहीं छोड़ा कि कहीं वह पुलिस की गवाह न बन जाए. यानी उस ने बेटी की भी हत्या कर दी.

अपनी पत्नी और बेटी की हत्या करने के बाद वह बाथरूम में गया. खून सने कपड़े उस ने वहां उतार कर दूसरे कपड़े पहन लिए. फिर अपनी स्कूटी उठाई और सीधे

माटुंगा में आफरीन के पास गया. वह उस समय अपनी ड्यूटी पर थी. इलियास ने आफरीन को पत्नी तहसीन और बेटी आलिया की हत्या करने की जानकारी दे दी,

जिसे सुन कर आफरीन के होश उड़ गए थे.

कुछ देर बैठ कर दोनों ने शवों को ठिकाने लगाने के बारे में विचारविमर्श किया. दिन में उन के लिए शवों को बाहर ले जाना मुमकिन नहीं था. आखिर में उन्होंने

दोनों शवों को आत्महत्या का रूप देने की योजना बनाई.

फिर योजना के अनुसार वे उसे अंजाम देने के लिए चल दिए. इलियास डायमंड अपार्टमेंट से कुछ दूरी पर रुक गया. उस ने आफरीन को अपने घर भेज दिया. वहां जा कर आफरीन को क्या करना था, यह पहले ही तय हो गया था.

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आफरीन इमारत की सीढि़यों से चढ़ कर सीधे इलियास के फ्लैट के अंदर गई. उस ने बच्ची आलिया की लाश उठा कर तहसीन के पास डाल दी. फिर किचन में रखा 5 लीटर मूंगफली का तेल दोनों शवों पर डाल दिया.

इस के बाद आफरीन ने तहसीन का मोबाइल फोन उठा कर उस से इलियास सैयद के मोबाइल पर एक मार्मिक मैसेज भेजा, जिस में लिखा था, ‘आप को मुझ से

प्यार नहीं है इसलिए मैं आप को आजाद कर रही हूं. मैं अपनी बच्ची के साथ आत्महत्या कर इस दुनिया से जा रही हूं. आप जैसे भी रहें, खुश रहें. खुदा

हाफिज…आई लव यू.’

यह मैसेज भेजने के बाद आफरीन ने मोबाइल फोन तहसीन और आलिया के शवों के पास फेंक कर उन के शवों को आग के हवाले कर दिया. इस के बाद वह वहां

से निकल कर सीधे टैक्सी पकड़ कर माटुंगा अपने औफिस चली गई.

जबकि इलियास सैयद डायमंड अपार्टमेंट के आसपास ही रहा. जब आग का धुआं फ्लैट से निकलने लगा तो इलियास अपने फ्लैट में गया और रोने का ड्रामा करने लगा.

हत्या और आत्महत्या की यह साजिश दोनों ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ रची थी, लेकिन पुलिस जांच के सामने उन की साजिश धरी रह गई.

दोनों अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने इलियास सैयद और आफरीन बानो के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया जाए, जहां से उन्हें भायखला जेल भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक दोनों जेल की सलाखों के पीछे थे. आगे की जांच इंसपेक्टर मंदार लाड और उन के सहायक कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां) 

इस हौलीवुड फिल्म से होगा शाहरुख खान के बेटे आर्यन का डेब्यू

2016 में ‘द जंगल बुक’ के साथ दिलों को जीतने के बाद, डिज्नी अपनी लेजेंडरी फ्रेंचाइजी और क्राउन ज्वेल- ‘द लायन किंग’ के लाइव एक्शन संस्करण को पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ग्राउंड-ब्रेकिंग तकनीक के साथ इस कहानी को फिर से कल्पना में लाया जाएगा. फिल्म की भव्यता को हिंदी में जीवंत करने के लिए बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान से बेहतर और कौन हो सकता है. जी हां, खबरों की माने तो किंग खान और उनके बेटे आर्यन खान फिल्म द लायन किंग में जंगल के राजा मुफासा और उसके बेटे सिम्बा के लिए आवाज देंगे. ये आर्यन का पहला औफिशियल डेब्यू होगा. जिसके लिए सभी काफी एक्साइटेड हैं.

शाहरुख हुए इमोशनल…

इस बारे में शाहरुख खान का कहना है- “द लायन किंग वह फिल्म है जिसे मेरा पूरा परिवार बहुत ही पसंद करता है और हमारे दिलों में इसके लिए एक खास जगह है. एक पिता के रूप में, मैं मुफासा को पूरी तरह समझ सकता हूं और उसके अपने बेटे-सिम्बा के साथ के प्यारे रिश्ते को भी. लायन किंग की विरासत वक्त से परे है और अपने बेटे आर्यन के साथ इस प्रतिष्ठित पुनर्कल्पना का एक हिस्सा होना मेरे लिए और भी खास है. सबसे ज्यादा अच्छी बात यह है कि अबराम भी इसे देखेंगे.”

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शाहरुख और आर्यन से बेहतर और कोई नहीं…

इस बारे में डिज्नी इंडिया स्टूडियो एंटरटेनमेंट के प्रमुख बिक्रम दुग्गल कहते हैं- “लायन किंग एक क्लासिक है जो डिज़नी की ऐसी दिल को छू लेने वाली साहस से भरपूर कहानियों को लाने की उस कुशलता को दर्शाती है जो समय की सीमाओं से परे है. इस री-इमैजिन्ड संस्करण के साथ हमारा उद्देश्य व्यापक दर्शकों तक पहुंच बनाना है. साथ ही मौजूदा प्रशंसकों के साथ मजबूत रिश्ता बनाते हुए, दर्शकों की एक नई पीढ़ी को शेरों के गौरव की कहानी सुनाना है. हम मुफासा और सिम्बा के किरदारों को हिंदी में जीवंत करने के लिए शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन से बेहतर वौइस कास्ट की कल्पना ही नहीं कर सकते.”

‘आयरन मैन’ और ‘द जंगल बुक’ फेम डायरेक्टर, जौन फेवरो द्वारा निर्देशित डिज्नी की द लायन किंग वर्तमान की सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में से एक है.

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एक सदाबहार पौप कल्चर क्लासिक के रूप में, एनिमेटेड संस्करण अपनी मजबूत औरभावनात्मक स्टोरी टेलिंग और यादगार पात्रों के लिए जानी जाती है. और अब ये एक बड़े पैमाने पर और कमाल की फोटो-रियल एनीमेशन तकनीक के साथ जिसमें म्युजिकल ड्रामा को और जीवंत बनाने के लिए कटिंग एज टूल का उपयोग किया गया है, साहसिक व कमिंग औफ एज जर्नी बन गई है.

डिज्नी की द लायन किंग 19 जुलाई 2019 को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में रिलीज होगी.

एडिट बाय- निशा राय

फैमिली एंटरटेनमेंट फिल्म है ‘छड़ा’: नीरु बाजवा

पंजाबी एक्ट्रैस नीरु बाजवा ने अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत 18 साल की उम्र में 1998 में हिंदी फिल्म‘‘मैं सोलह बरस की’’से की थी. उसके बाद उन्होंने 2003 में हिंदी सीरियल ‘‘अस्तित्वःएक प्रेम कथा’’ और ‘जीत’ जैसे सीरियल किए. इसी बीच उन्होंने 2004 में पंजाबी फिल्म‘अस नु मान वतन दा’ की.2005 में नीरू बाजवा ने राकेश चैधरी निर्मित सीरियल ‘‘हरी मिर्च लाल मिर्च’’में लीड किरदार निभाया. इसके साथ ही वह फिल्म निर्माण में भी भी अपना हाथ आजमा चुकी हैं. फैमिली के साथ-साथ वह फिल्मी करियर से अभी तक जुड़ी हुई हैं. और अब 21 जून को उनकी नई पंजाबी फिल्म ‘‘छड़ा’’ रिलीज होने वाली है. जिसमें चार साल बाद नीरू बाजवा ने दिलजीत दोशांझ के साथ एक्टिंग की है. पेश है नीरू बाजवा के साथ हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश…

आप पंजाबी फिल्मों की स्टार हैं. जबकि हिंदी फिल्मों में आपने बहुत कम सफलता पायी है. आपको कहां क्या कमी नजर आती है?

-कमी कहीं नही है. मुझे पंजाबी फिल्में करने में मजा आता है. मैं वहीं ज्यादा व्यस्त रहती हूं.मैंने हिंदी में टीवी सीरियल ‘हरी मिर्ची लाल मिर्ची’’ में मेन लीड किरदार निभाने के साथ साथ कुछ हिंदी फिल्मों में छोटे किरदार भी निभाए थे. पर बाद में मेरा ध्यान पंजाबी फिल्मों की तरफ ही हो गया. मैं पंजाबी फिल्मों में अभिनय करने के अलावा अब तक ‘चन्नोःकमली यार दी’’, ‘‘सरगी’’ और ‘‘लौंग लाची’’जैसी तीन पंजाबी फिल्मों का निर्माण कर चुकी हूं. एक फिल्म ‘‘सरगी’’का निर्देशन भी किया है. फिल्म‘‘सरगी’’ में मेरी बहन रूबीना बाजवा के साथ बब्बल राय और जस्सी गिल ने अभिनय किया था. इसी के चलते मेरा पूरा ध्यान पंजाबी सिनेमा में ही लगा रहता है.

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अभिनय व निर्माण के साथ साथ निर्देशन में उतरने की कोई खास वजह रही?

-सबसे बड़ी वजह यह रही कि मुझे अपनी छोटी बहन रूबीना बाजवा को फिल्मों में लांच करना था. इसके अलावा इसकी कहानी भी ऐसी थी कि मुझे लगा कि मैं ही इसका निर्देशन करूं, तो बेहतर होगा. मैं अपनी बहन के टैलेंट को बहुत बेहतर तरीके से जानती थी. मुझे लगा कि मैं ही उसे सही ढंग से परदे पर ढाल सकती हूं. इसलिए मैंने इस फिल्म का निर्देशन किया. फिल्म को जबदस्त सफलता मिली. अब मेरी बहन पंजाबी फिल्मों में कई फिल्में कर रही है.

आपने कब महसूस किया कि आपकी बहन को भी फिल्मों में आना चाहिए?

-देखिए,बचपन में तो मैं और मेरी बहन दोनों ही एक साथ डांस व थिएटर किया करते थे. इसलिए मैं उसकी प्रतिभा को बचपन से देखती आ रही हूं.फिर जब मैं मुंबई रह रही थी,तो मैंने उसे अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल में भेजकर अभिनय का विधिवत प्रशिक्षण भी दिलाया. जब मुझे लगा कि अब वह फिल्मों में हीरोइन के रूप में बेहतर काम कर सकती है,तो मैंने उसे हीरोईन लेकर पंजाबी फिल्म ‘‘सरगी’’ निर्माण व निर्देशन किया.इस त्रिकोणी पे्रम कहानी वाली फिल्म में रूबीना के साथ जस्सी गिल व बब्बर रॉय ने अभिनय किया है.

इन दिनों पंजाबी सिनेमा किस दिशा में जा रहा है.क्या नए बदलाव आ रहे हैं?

-देखिए,पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री लंबे समय समय पहले बंद हो गयी थी. लगभग दस साल पहले इसकी दोबारा शुरूआत हुई.इस तरह देखा जाए तो हमारी फिल्म इंडस्ट्री बहुत पुरानी नही है. जब पंजाबी सिनेमा की दोबारा शुरूआत हुई, तो एक ही लेखक निर्माता निर्देशक अभिनेता काम कर रहा था. धीरे-धीरे कुछ नए लोग आए. पिछले पांच छह वर्षों के दौरान पंजाबी सिनेमा के साथ काफी लोग जुडे़ हैं. अब यह काफी बड़ा सिनेमा हो गया है. हमें पंजाबी सिनेमा पर गर्व है, क्योंकि हमारा पंजाबी सिनेमा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है.आप यकीन करें या ना करें, लेकिन विदेशों में हिंदी फिल्मों के मुकाबले पंजाबी फिल्में ज्यादा कमायी कर रही हैं. पंजाबी सिनेमा में हीरोइनों के लिए भी काफी अच्छे किरदार लिखे जा रहे हैं. नारी प्रधान किरदार लिखे जा रहे हैं. पारिवारीक फिल्में भी बन रही हैं. अब पंजाबी सिनेमा की पहचान सिर्फ कौमेडी फिल्मों वाली नही रही. गंभीर विषयों पर आधारित फिल्मों ने भी सफलता के परचम लहराए हैं.

विदेशों में हिंदी फिल्में कमायी नही कर पा रही हैं. जबकि पंजाबी फिल्में अच्छी कमायी कर रही हैं. इसकी क्या वजह आपकी समझ में आती है?

-पहली बात तो इंग्लैड, कनाडा, जापान, अमरीका सहित कई देशों में पंजाबी भारतीय बहुत रह रहे हैं. इस वजह से वह पंजाबी सिनेमा देखते हुए रिलेट करते हैं.यह उनकी अपनी बोली का सिनेमा होता है. उसके साथ खुद को जुड़ा हुआ पाते हैं.दूसरी वजह यह है कि तमाम हिंदी फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें आप पूरे परिवार के साथ देखने नही जा सकते. जबकि हम पंजाबीयों की खासियत है कि हम पूरे परिवार के साथ फिल्में देखने जाते हैं. पूरे परिवार का मतलब नाना नानी दादा दादी बच्चे सब होते हैं. शायद इन्ही वजहों के चलते विेदश में पंजाबी सिनेमा ज्यादा देखा जाता है. आप यदि देखेंगे तो हर पंजाबी फिल्म ऐसी ही होती हैं जिन्हें बच्चे से बूढे तक परिवार का हर सदस्य इकट्ठा देख सकें. जबकि हिंदी फिल्मों में समस्या आती है.

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पर आम धारणा यह है कि पंजाबी दर्शक कॉमेडी फिल्में ही देखना पसंद करता है?

-ऐसा नही है. कुछ लोग इस तरह की गलत धारणाएं बना रखी हैं. मैंने पहले ही कहा कि अब पंजाबी में हर तरह का सिनेमा देखा जाता है. पंजाब का दर्शक अलग तरह के कौंसेप्ट वाली फिल्म देखने के लिए पूरी तरह से तैयार है. हमारा पंजाबी का दर्शक काफी मैच्योर है.

दिलजीत दोसांझ के साथ आपकी सफल जोड़ी रही है.आप लोगों ने तीन फिल्में एक साथ की थी.अब छड़ा आपकी चौथी फिल्म है. पर यह चार साल का गैप क्यों हो गया?

-मैं और दिलजीत दोनों ही हमेशा स्क्रिप्ट को प्रधानता देते हैं.काफी लंबे समय से ऐसी कोई स्क्रिप्ट नहीं आ रही थी, जो हम दोनों को पसंद आ सके.हम हमेशा एक साथ काम करने के लिए तैयार थे.पर अच्छी स्क्रिप्ट नही आ रही थी.जैसे ही अच्छी स्क्रिप्ट आयी, ‘छड़ा’ के साथ हम दोनों दर्शकों के सामने आने जा रहे हैं.

फिल्म छड़ा’’में ऐसी क्या बात है कि आपको लगा कि यह फिल्म की जानी चाहिए?

-इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस फिल्म के हीरो दिलजीत दोसांझ के साथ साथ इसके निर्माता लेखक निर्देशक सभी से अच्छी तरह से परिचित थी. मैं निर्देशक के साथ पहले भी एक फिल्म कर चुकी हूं. इसकी कहानी भी रिलेट कर रही हैं.

चार साल के दौरान दिलजीत में क्या बदलाव आया?

-कोई बदलाव नहीं आया.वह उसी तरह के इंसान हैं. कलाकार के तौर पर उन्होंने ग्रो किया है.अब हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने अपनीअच्छी पहचान बना ली है.हां!चार साल में वह बडे़ स्टार हो गए है.

फिल्म‘‘छड़़ा’’के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-मेरे किरदार का नाम अंजली है. वह भी छेड़ी है.30 से अधिक की उम्र हो गयी है, पर शादी नहीं हुई है. पर वह आत्मनिर्भर है.वेडिंग प्लानर है.जबकि दिलजीत का किरदार भी छड़ा है.वह शादियों में फोटोग्राफी करते हैं. हम दोनों के बीच रोमांटिक कौमेडी है. इसमें कहीं कोई रोना धोना नही है. सिर्फ रोमांस और हास्य है. यह फिल्म लोगों को शुद्ध मनोरंजन देगी.

आपने काफी फिल्में कर लीं. अब किस तरह की फिल्में या किरदार करना चाहती हैं?

-खुद को सीमाओं में बांधना मुझे पसंद नहीं है.मैं हर तरह का किरदार निभाना चाहती हूं.मुझे हर जौनर की फिल्मों में अभिनय करना है. मैं अपने आपको लक्की मानती हूं कि मुझे हर फिल्म में अलग तरह का किरदार निभाने का मौका मिलता रहता है. मेरी दूसरी खुशनसीबी यह है कि रोने धाने वाले किरदार मेरे पास नहीं आते. मैं ना तो लोगों को रोते हुए देखना चाहती हूं ना खुद रोना चाहती हूं.

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तो दूसरी फिल्म भी निर्देशित करना चाहेंगी?

-जी हां!! फिल्म निर्देशित करना है. एक अच्छी स्क्रिप्ट की तलाश जारी है. स्क्रिप्ट को लेकर मैं बहुत सोचती नही हूं. पढ़ते पढ़ते मेरे अंतर्मन ने कह दिया कि अच्छी है,तो फिर अच्छी है.

कोई बायोपिक फिल्म नही करना चाहती?

-जी नहीं.. बायोपिक फिल्म नही करनी है. क्योंकि मुझे नही लगता कि मैं किसी भी बायोपिक के साथ न्याय कर पाउंगी.

हिंदी फिल्में करनी हैं या नहीं?

-हिंदी फिल्में न करने की मैंने कोई कसम नही खायी है.यदि कोई रोचक विषय वाली फिल्म में रोचक किरदार होगा, तो कर लूंगी.किरदार ऐसा हो जो मुझे अंदर से इंस्पायर करे.

टीवी करना चाहेंगी या नहीं?

-टीवी के लिए मेरे पास बिलकुल समय नही है. टीवी में बहुत समय देना पड़ता है. मेरे वश का नहीं है.

आप ज्यादातर समय कनाडा में रहती हैं. कनाडा और भारत के बीच कैसे सामंजस्य बैठाती हैं?

-जी हां! शादी के बाद मैं कनाडा रहने लगी हूं. मेरी तीन साल की बेटी भी है.पर कनाडा और पंजाब के बीच मुझे बहुत ज्यादा दूरी कभी नहीं लगी. हम हवाई जहाज पकड़कर महज 14 घंटे में कनाडा से मुंबई पहुंच जाते हैं. अब तो कनाडा में भी शूटिंग होने लगी है. मेरे द्वारा निर्मिज पहली पंजाबी फिल्म ‘‘चन्नोःकमली यार दी’’ की 95 प्रतिशत शूटिंग कनाडा में हुई थी. सच यह है कि शादी के बाद मेरे करियर को पंख लग गए.शादी के बाद ही मैने तीन फिल्मों का निर्माण किया.एक फिल्म का निर्देशन भी किया. अभिनय भी लगातार कर रही हूं.

इन दिनों आप क्या देखती हैं?

-बेटी की वजह से टीवी देख नही पाती. पर नेटफिलिक्स पर बहुत अच्छे कार्यक्रम आ रहे हैं, जो देख रही हूं. कुछ बहुत बेहतरीन वेबसीरीज भी मैंने देखी हैं. अब नेटफिलिक्स पर भारत से भी बेहतरीन कार्यक्रम ही जा रहे हैं, यह सुखद बात है.

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क्या वेब सीरीज करना चाहेंगी?

-बहुत जल्द आप मुझे किसी वेब सीरीज में देख सकेंगे. तीन चार वेब सीरीज के औफर आए हैं, जिनसे जुड़ने के बारे में सोच रही हूं. हो सकता है कि मैं खुद भी एक वेब सीरीज निर्देशित करूं.

कनाडा में लोग किस तरह की फिल्में देखना पसंद करते हैं?

-अब दर्शक काफी मैच्योर हो गया है. वह उल जलूल फिल्में नही देखना चाहता. सभी को अच्छी फिल्में देखना हैं. लोगों को स्टार नहीं कंटेट चाहिए.

आपके शौक क्या हैं?

-जिम जाना, पढ़ना,फिल्में देखना, यात्राएं करना. मुझे पंजाबी संगीत सुनना पसंद है. खासकर पुराने पंजाबी गाने सुनती हूं.

अब तक आपने जितनी भी फिल्में की हैं, उनमें से किस फिल्म के किस किरदार ने आपकी जिंदगी पर असर डाला?

-किसी भी फिल्म के किसी भी किरदार ने मेरी जिंदगी पर असर नही डाला.क्योंकि मैं काम को घर तक नही ले जाती. मैं खुद को औन औफ आर्टिस्ट मानती हूं.

कोई ऐसा किरदार है, जिसे आप करना चाहती हैं?

-नहीं.. मेरा एक ही सपना था हीर का किरदार निभाने का.तो मैंने फिल्म‘‘हीरा रांझा’’में अभिनय कर लिया.अब मैं योजना नहीं बनाती.

Edited by Rosy

सुष्मिता सेन के भाई ने की तीसरी बार शादी, फोटोज वायरल

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन और टीवी एक्ट्रेस चारु असोपा के साथ बंगाली रीति रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए हैं. वहीं इससे पहले दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी हैं और इसके बाद इस कपल ने गोवा में क्रिश्चियन वेडिंग भी की.  चलिए आपको दिखाते हैं इनकी बंगाली शादी की कुछ खास फोटोज…

बंगाली रीति-रिवाज से हुई राजीव-चारू की शादी

 

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Just got married to the person i love & respect from my heart .. Sen family ❤️ #lifeline #rajakibittu forever

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सुष्मिता सेन का परिवार बंगाली हैं इसीलिए राजीव और चारू की शादी की रस्में बंगाली रीति रिवाजों से पूरी हुई. जिसकी फोटोज दोनों ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की.

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राजस्थानी रीति रिवाज से भी हुई शादी

 

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My soul mate for life ❤️ #rajakibittu . . . . . . Photography – @amolkamatphotography #sangeetnight

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राजीव बंगाली हैं तो वहीं चारू राजस्थान से ताल्लुक रखती हैं. ऐसे में उनकी शादी बंगाली के अलावा राजस्थानी रीति-रिवाजों से भी हुई.

बंगाली और राजस्थानी दोनों लुक में ब्राइड चारू दिखीं खूबसूरत

 

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Family❤️ @asopacharu @chintanasopa @chetanasopa @subhra51 @neelam_asopa @sushmitasen47 ?? #rajakibittu

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चारु असोपा बंगाली दुल्हन के लिबास में जहां चांद के टुकड़े से कम नहीं लगी तो वहीं राजस्थानी लुक में वो गजब ढा रही थीं.

फैमिली के साथ सुष्मिता सेन भी नजर आईं

sushmita-sen's-brother-wedding

मिस यूनिवर्स रह चुकी सुष्मिता सेन अपने भाई राजीव सेन की शादी में सुष्मिता पूरे परिवार के साथ नजर आईं. इस दौरान सुष्मिता की दोनों बेटियां भी मामा-मामी के साथ पोज देती दिखी. तो वहीं, सुष्मिता के बौयफ्रेंड रोहमन शौल भी फैमिली फोटो का हिस्सा बनते नजर आए.

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सोशल मीडिया पर हुई दोनों की फोटोज वायरल

 

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❤️ @asopacharu #rajakibittu

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चारु और राजीव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की, जिसके बाद उनकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

डांस करते नजर आए चारू और राजीव

 

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We danced our way to a beautiful dream wedding ❤️? Charu sen with Rajeev sen . Beyond blessed #rajakibittu

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राजीव और चारू अपने संगीत पर जहां फोटोज करते दिखे, वहीं अपनी शादी के इन खास पलों को इन्जौय करते हुए डांस करते भी नजर आए.

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सेल्फी क्लिक करवाने से भी नहीं रहे पीछे

 

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Romancing with the haldi ? #rajakibittu. . . . . . Photo credit – @amolkamatphotography

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चारु और राजीव अपनी शादी को लेकर बेहद खुश थे. जिसमें वह सेल्फी खीचते भी नजर आए.

 

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She never gave up on me , i never let go of her .. ?? #Rajakibittu . . . . . . . Photography by @amolkamatphotography

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पीरियड्स: लोगों की घटिया सोच…..

शर्म आती है ऐसी नीची सोच रखने वाले लोगों पर. एक स्त्री के मासिक धर्म(पीरियड्स) को अपवित्र मानने वाले लोगों ने ही इस तरह की परंपरा बनाई है. अरे अपनी आंखों को खोल कर देखो की जिस पीरियड्स को तुम अपवित्र मानते हो असल मे उसी वक्त एक स्त्री सबसे ज्यादा पवित्र होती है.

मासिक धर्म तो एक प्रक्रिया है जिससे एक स्त्री हर महीने गुजरती है. दर्द सहन करती है,  तकलीफ सहन करती है. अरे जिस वक्त स्त्री को परिवार के सहयोग की आवश्यकता होती है उस वक्त लोग उसके साथ ऐसा बर्ताव करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये कुरीति आयी कहां से? ये कुरीति समाज में उन पुर्खों ने उन पंडितों ने फैलाया जो खुद को भगवान का का बहुत बड़ा भक्त मानते हैं.

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भला ऐसी भक्ति का क्या फायदा जो समाज के लिए ज़हर बन जाये. एक स्त्री के परिवार वाले भी खुश नहीं होते हैं उसके साथ ऐसा बर्ताव करके क्योंकि वो उसके करीबी हैं, लेकिन इन पंडितों ने जो पवित्र -अपवित्र की बातें लोगों के दिमाग मे डाली हैं उससे मजबूर हैं.  एक स्त्री पीरियड्स के दिनों को कैसे काटती है , शायद इन पुरुषों को ये पता नहीं क्योंकि वो खुद इन सबसे नहीं गुज़रते हैं. मानती हूं पुरुष और स्त्री दोनों में अंतर है लेकिन इन रूढ़िवादी स्त्रियों को क्या कहें?

जो खुद सब जानते हुए भी सही और गलत में फर्क नहीं करतीं.  जानकारी के लिए बता दू कि महिला का शरीर हर महीने गर्भ की तैयारी करता है, जो गर्भाशय की नलिका में चला जाता है. इसी समय महिला के गर्भाशय की परत में रक्त जमा होता रहता है ताकि गर्भ के बैठने पर उस रक्त से बच्चा विकसित हो सके. गर्भ के न बैठने पर ये परत टूट जाती है और जमा रक्त पीरियड्स में योनि के माध्यम से निकल जाता है. इस रक्त के द्वारा शरीर के बैक्टीरिया भी निकल जाते हैं. तो अब आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि पीरियड्स क्यों जरूरी है और इसमें कितनी पवित्रता है.

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अभी हाल ही में माहवारी पर आधारित एक फ़िल्म “पिरियड:एंड द सेंटेंस ” को ऑस्कर अवार्ड मिला है. ये फिल्म पवित्र-अपवित्र माने जाने वाली कुरीतियों पर नज़र डालती हैं. इस फिल्म में वो सच है जो एक स्त्री की सच्चाई को बयां करती है. जो लड़कियां पहली बार माहवारी का सामना करती हैं वो डर जाती हैं. कई बार तो मौत के मुंह में चली जाती हैं. स्नेह भी उन लड़कियों में से एक हैं जिनपर ये फिल्म बनी है. समाज को आइना दिखाती है ये फिल्म. फिल्म में उस लड़की की कहानी को बयां किया जिसनें पैड बनाने वाली कंपनी एक्शन इंडिया को ज्वाइन किया, जबकि उसका सपना दिल्ली शहर में काम करने का था.

अभी हाल ही में एक खबर छपी थी कि एक महिला को माहवारी के दौरान ठंड में घर से बाहर कर दिया गया और फिर वो दूसरे दिन अपने दो बच्चों के साथ एक कंबल में मृत पायी गई. आखिर जब पीरियड ‘एंड औफ सेन्टेंस’ जैसी फिल्मों को अवौर्ड देते हैं तो फिर ऐसी कुरीतिंयों को हटाने की कोशिश क्यों नहीं करते हैं? यह फिल्म एक ऐसी लड़की पर बनी है जिसनें अपनी जिंदगी में काफी लंबा सफर तय किया है.

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स्नेह 15 साल की थी, जब पहली बार उनका सामना माहवारी से हुआ था. उन्हें उस वक़्त समझ नहीं आया कि उनके साथ क्या हो रहा है किन्तु समझ आने पर उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया. स्नेह अब 22 साल की हैं, वह अपने गांव की एक छोटी फैक्ट्री में काम करती हैं, जहां सैनेटरी पैड बनाया जाता है.  पीरियडः एंड औफ सेन्टेंस, एक डौक्यूमेंट्री फिल्म है, जिसे औस्कर में बेस्ट डौक्यूमेंट्री शौर्ट सब्जेक्ट कैटेगरी में अवौर्ड मिला है. पैड बनाने का काम करना एक लड़की के लिए बहुत बड़ी बात है.

स्नेह हापुड़ जिले के काठीखेड़ा गांव में स्थित एक्शन इंडिया नाम की कंपनी में काम करती हैं. जान कर हैरानी होगी कि इस गांव में आज भी लोगों के बीच माहवारी पर बात नहीं होती लोगों को शर्मिंदगी महसूस होती है. इस फिल्म में इन्हीं कुरीतियों पर नज़र डाली गई है. अगर समाज से इन कुरीतियों को हटाना है तो इसके लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. उन्हें बताने की आवश्यकता है कि माहवारी में कोई अपवित्रता नहीं है बल्कि ये तो एक प्रक्रिया है शरीर की जो हर महीने होती है. पवित्रता – अपवित्रा तो बस पंडितों की दिमाग में बैठाई हुई सोच है, जिससे हर किसी को बाहर निकलना ही होगा.

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Edited by Rosy

घर पर बनाएं गुजरात का फेमस ढोकला

गुजरात की जितना अपने गाने और घूमने के लिए मशहूर है उतना ही वह अपने खाने के लिए भी फेमस है. आप चाहे देश के किसी भी हिस्से में रह रहें होंगे पर आपने ढोकले के बारे में तो सुना ही होगा. ढ़ोकला गुजरात की मेन डिशेज में से एक है. इसे आप आसानी से घर पर बना सकते हैं. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी होता है.

हमें चाहिए

बेसन – 200 ग्राम (2 कप)

हल्दी – 1/6 छोटी चम्मच (यदि आप चाहैं )

नमक – स्वादानुसार ( 1 छोटी चम्मच से कम)

हरी मिर्च का पेस्ट – 1 छोटी चम्मच (यदि आप चाहें)

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अदरक का पेस्ट – 1 छोटी चम्मच

नीबू का रस – 2 टेबल स्पून (2 मीडियम आकार के नीबू)

ईनो साल्ट – 3/4 छोटी चम्मच से थोड़ा कम

तड़का लगाने के लिये हमें चाहिए

तेल – 1 टेबल स्पून

राई –  आधा छोटी चम्मच

हरी मिर्च – 2 – 3 (2 टुकड़े करते हुये लम्बाई में काट लीजिये)

नमक – 1/4 छोटी चम्मच(स्वादानुसार)

चीनी – 1 छोटी चम्मच

नीबू का रस – 1 छोटी चम्मच (यदि आप चाहें)

हरा धनियां – 1 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)

बनाने का तरीका

-बेसन को छान कर किसी बर्तन में निकाल लीजिये. थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुये, चमचे से चलाते हुये गाड़ा घोलिये, घोल में गांठे नहीं रहनी चाहिये, घोल में ह्ल्दी पाउडर डाल कर मिला दीजिये.

-बेसन के घोल को 20 मिनट के लिये ढककर रख दीजिये ताकि बेसन के कड़ फूल सके.

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-बर्तन जिसमें आप ढोकला बनाना चाहते हैं, 2 छोटे गिलास पानी (500 ग्राम पानी) डालिये और गैस फ्लेम पर गरम होने के लिये रख दीजिये, एक स्टैन्ड भी इसी बर्तन में रखिये जिसके ऊपर हम बेसन का घोल भर कर थाली रखेंगे. थाली को तेल लगाकर चिकना कर लीजिये.

-बेसन के घोल में नीबू का रस, नमक, हरी मिर्च पेस्ट, अदरक पेस्ट डाल कर अच्छी तरह मिलाइये, . अब इस मिश्रण में ईनो साल्ट डालिये और चमचे से मिश्रण को चलाइये जैसे ही मिश्रण में एअर बबल आ जाय तुरन्त मिश्रण को थाली में डालिये और थाली को बर्तन के अन्दर स्टैन्ड पर रखिये. बर्तन में डाला गया पानी भी गरम हो गया है, उसमें भाप आ रही है. इस बर्तन को ढककर ढोकला लगभग 20 मिनट मीडियम गैस फ्लेम पर पकाइये.

– ढोकला पक चुका है, (टेस्ट के लिये पके हुये ढोकला में चाकू की नोक गढ़ा कर देखिये, मिश्रण चाकू की नोक से नहीं चिपकता है). बेसन का ढोकला बन गया है, गैस बन्द कर दीजिये, ढोकला को थाली बर्तन से निकालिये, ठंडा कीजिये और चाकू को किनारे पर चला कर किनारे से ढोकला अलग कीजिये.  ढोकला की थाली को किसी दूसरी थाली या प्लेट में पलट कर बेसन का ढोकला निकालिये. चाकू से अपने मन पसन्द आकार में ढोकला काट लीजिये.

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इस तरह लगाएं तड़का

– छोटी कढ़ाई में तेल डालिये, तेल गरम होने के बाद, राई डालिये, राई तड़कने के बाद हरी मिर्च डाल कर हल्का सा तलिये, अब इस मसाले में आधा कप पानी (100 ग्राम पानी) डाल दीजिये, नमक और चीनी भी डाल दीजिये.  उबाल आने पर गैस बन्द कर दीजिये, और नीबू का रस मिला दीजिये. इस तड़के को चम्मच से ढोकले के ऊपर सभी जगह डालिये.  हरा धनियां या कद्दूकस किये हुये नारियल को ऊपर से डाल कर सजाइये. गरमा गरम गुजरात का फेमस ढोकला अपनी फैमिली और फ्रैंड्स को सर्व करें.

5 टिप्स: मौनसून में ऐसे रखें स्किन का ख्याल

देश के कईं हिस्सों में मौनसून की शुरूआत हो चुकी है, लेकिन क्या आपने मौनसून में स्किन का ख्याल रखने की तैयारी की है. आजकल पौल्यूशन इतना बढ़ गया है कि ये मौनसून में ज्यादा प्रौब्लम पैदा करता है. बारिश जितना हमें गरमी से राहत दिलाती है उतना ही स्किन के लिए बीमारियां पैदा करती है. इसीलिए आज हम आपको मौनसून की शुरूआत में ही बताएंगे कि स्किन का ख्याल कैसे रखें.

1. मौनसून में क्लीनिंग का रखें ख्याल

बारिश के मौसम में गंदगी के कारण ज्यादातर बीमारियां फैलती हैं. इसलिए जरूरी है कि आप बरसात में भी सफाई का ख्याल रखें. बारिश में आप अपने हाथ, फेस और पैरों को टाइम से क्लीन करते रहें. फेस के लिए कोशिश करें कि दिन में दो बार स्किन के हिसाब से फेस वौश से फेस क्लीन करें. इसके लिए आप चाहें तो वाटरप्रूफ क्लींजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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2. मौनसून में स्किन टोनिंग भी है जरूरी

बारिश के मौसम में आसपास नमी ज्यादा रहती है. ऐसे में स्क‍िन पोर्स भी ब्लौक हो जाते हैं. जिसके कारण अक्सर पिंपल हो जाते हैं. आप चाहें तो कोई अच्छा एंटी-बैक्टीरियल टोनर का इस्तेमाल कर सकती हैं. और अगर आप टोनर मार्केट का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं तो रोज वौटर का इस्तेमाल कर सकती हैं.

3. मौनसून में ड्राई रहना है जरूरी

मौनसून में गीला होना आम बात है, लेकिन भीगे रहने से कई बार इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. मौनसून में कोशि‍श कीजिए कि आपकी स्किन ज्यादा देर तक गीली न रहे. वरना फंगल इंफेक्शन हो सकता है.

4. मौनसून की धूप हो सकती है स्किन के लिए नुकसानदायक

बारिश के बाद जब धूप होती है तो बहुत ही कड़क होती है और अगर धूप में निकलना हो तो बिना सनस्क्रीन लगाए नहीं निकलें. सनस्क्रीन से स्किन अल्ट्रा वायलेट किरणों से बची रहती है.

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5. मौनसून में स्किन को मौइश्चराइज करना है जरूरी

लोगों का कहना है कि मौनसून में मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करने से स्किन चिपचिपी हो जाती है, लेकिन मौनसून में ही स्किन को पोषण की जरूरत होती ही है. बारिश में बार-बार पानी से भीगने से स्किन ड्राई हो जाती है. जिससे इचिंग और रैशेज हो जाते हैं. ऐसे में मौइश्चराइजर लगाना छोड़े नहीं. आप चाहें तो औयल-फ्री मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करना स्किन के लिए अच्छा होगा.

6 टिप्स: मौनसून में बीमारियों से ऐसे रहें दूर

मौनसून की सीजन आते ही हम घरों से बाहर निकलना शुरू करते हैं, लेकिन घर से बाहन निकलते ही हम कईं बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. गरमी में बीमारियों से बचना आसान होता है, लेकिन बारिश में पानी जगह-जगह इकट्ठा होने से कईं बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, डायरिया आदि बीमारियों के हम शिकार हो जाते हैं. इसीलिए आज हम आपको कैसे मौनसून में भी बिमारियों से बचें रहें इसके कुछ टिप्स बताएंगे…

1. स्ट्रीट फूड से बनाएं दूरी

अगर आप स्ट्रीट फूड के शौकीन हैं, तो बारिश में बाहर का खाना खाने से बचें. मौनसून के दौरान गंदे पानी में उगने वाली सब्जियां आम होती है, इसीलिए घर पर सब्जी बनाने से पहले सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर बनाएं.

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2.मच्छरों से बचने की करें कोशिश

मौनसून में मच्छरों का होना आम बात है. इसीलिए मच्छरों से खुद को दूर रखने के लिए मच्छरों से काटने वाली क्रीम जरूर लगाएं. साथ ही इस दौरान मलेरिया से बचने वाली मेडिसिन खाना भी आपके लिए अच्छा होगा.

3. गंदे पानी से रहें बचकर 

गंदे पानी से चलने से बचने की कोशिश करें. गंदे पानी से पैरों में लेप्टोस्पायरोसिस के अलावा कई फंगल इंफेक्शन हो सकते हैं. साथ ही जब भी आपके पैर भीग जायें तो तो अपने पैरों को सूखा लें. गीले सौक्स या गीले जूते पहनने से भी बचें.

4. बारिश में भीगने के बाद भी रखें स्किन का ख्याल

अगर आप बारिश में भीग जाते हैं, तो स्किन की प्रौब्लम्स से बचने के लिए एंटीबैक्टीरिया वाली बिटाडिन को नहाने का पानी में मिलाना न भूलें. दिन में दो बार इससे नहाने से आपकी स्किन क्लीन रहेगी. नमी वाली स्किन कईं प्रौब्लम की शुरूआत कर सकती है.

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5. मौनसून में एसी से बचने की करें कोशिश

मौनसून में अपनी बौडी को गर्म और सूखा रखकर सर्दी और खांसी से बचने की कोशिश करें. गीले बालों और नमी वाले कपड़ों के साथ एसी वाले कमरों में न जाएं. सिंथेटिक कपड़े से बने टाइट कपड़ों को पहनने से बचें.

6. मौनसून में एक्सरसाइज करना न भूलें

अगर आप मौनसून में भी अपनी हेल्थ बनाए रखना चाहते हैं तो जिम जाना या एक्सरसाइज करना न भूलें. अक्सर लोग बारिश में बाहर नही निकलते. इसीलिए अगर आप मौनसून में बाहर नही निकलना चाहते तो घर पर ही एक्सरसाइज करें, इससे आपकी हेल्थ भी अच्छी रहेगी और आप बीमारियों से भी दूर रहेंगे.

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