समर ड्रिंक: घर पर ऐसे बनाएं मोहितो

मोहितो गर्मी के मौसम में पीने वाला सबसे हेल्दी ड्रिंक्स है. जिसे पीने के बाद आप ठंडा महसूस करती हैं. यह बनाने में भी काफी आसान हैं. तो चलिए शुरू करते हैं मोहितो बनाना.

सामग्री 

– नींबू  (1)

काला नमक ( 1/2 चम्मच)

चीनी (आवश्यकतानुसार)

पुदीना ( 12 से 15 पत्तियां)

लिमका या स्प्राइट (कोल्ड ड्रिंक)

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बनाने की विधी

– सबसे पहले पुदीने की पत्तियों को साफ करके डंडियो को अलग कर लें.

– अब आप इन्हें अच्छे से धो लें.

– नींबू को भी धोकर उसके चार टुकड़े कर लें.

– अब बड़ा सा एक गिलास लीजिये और उसमें पुदीने की पत्तियों को और नींबू के टुकड़े डालकर इनको   पीस लें.

– अब इसमें आधा चम्मच काला नमक, 4 चम्मच चीनी का घोल और अंत में इसमें स्प्राइट या लिमका   डालकर फटाफट सिल्वर फोईल से चारों तरफ से ढक दीजिये ताकि इसकी गैस जल्दी से बाहर ना   निकाल  सकें.

– अब आपका मोजिटो ड्रिंक तैयार है.

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जेएनयू के दोस्तों के साथ बेगूसराय में बर्थडे मनाएंगी स्वरा भास्कर, जानें वजह

‘निल बटे सन्नाटा’ और ‘अनारकली आफ आरा’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं बौलीवुड की टैलेंटेड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर 9 अप्रैल को अपना 31 वां जन्मदिन मुंबई में फिल्मी सितारों की बजाय बेगूसराय में कन्हैया कुमार और जेएनयू के अपने पुराने दोस्तों के साथ मनाने वाली हैं.

चुनाव प्रचार के बाद रात में करूंगी पार्टी…

खुद स्वरा भास्कर कहती हैं-‘‘मुझे तो जश्न मनाना पसंद है. मैं सिर्फ जश्न मनाने का बहाना ढूढ़ती रहती हूं. बर्थडे तो हमेशा मजेदार होता है,मैं तो उन दोस्तो व परिवार की शुक्रगुजार हूं, जो मेरे जन्मदिन को खास बनाते हैं. इस बार में अपना जन्मदन बहुत ही अलग अंदाज में मनाने वाली हूं. मैं अपना जन्मदिन बेगूसराय में ही अपने पुराने जेएनयू के दोस्तों और कन्हैया कुमार का चुनाव प्रचार करते हुए मनाने वाली हूं. दिन भर चुनाव प्रचार करने के बाद रात में पार्टी करुंगी.’’

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आपको याद दिला दें कि रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर की बेटी और अभिनेत्री स्वरा भास्कर इन दिनों एक्टिंग को भुलाकर बिहार के बेगूसराय में पूर्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष व कम्यूनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कन्हैया  कुमार के प्रचार के लिए डेरा डाले हुए हैं. ‘निल बटे सन्नाटा’ और ‘अनारकली आफ आरा’ जैसी पौपुलर फिल्मों में काम कर चुकी स्वरा भास्कर का जेएनयू से बहुत पुराना रिश्ता है.स्वरा भास्कर की मां इरा भास्कर भी जेएनयू में प्रोफेेसर हैं. वह सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के खिलाफ जमकर बयानबाजी करती रहती हैं और ट्रोल भी होती रहती हैं.

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पुदीना छाछ बनाने की विधि

पुदीना छाछ आपके शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इसे आप खाना के साथ भी ले सकती है. इसे भूख न लगना, पीने से पेट का भारीपन,  आफरा, अपच व पेट की जलन जैसी समस्याएं दूर होती है. तो चलिए बताते हैं पुदीना छाछ की रेसिपी.

 सामग्री :

पुदीना पत्तियां  (02 बड़े चम्मच)

भुना जीरा  (01 छोटा चम्मच)

भुना जीरा पाउडर  (1/2 छोटा चम्मच)

काला नमक  (1/2 छोटा चम्मच)

काली मिर्च पाउडर  (1/2 छोटा चम्मच)

मट्ठा  (02 कप)

दही (1/2 कप)

कुटी हुयी बर्फ  (01 कटोरी)

नमक  (स्वादानुसार)

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मसाला छाछ बनाने की विधि :

सबसे पहले पुदीना की पत्तियों को अच्छी तरह से साफ करके धो लें.

इसके बाद मिक्सर में पुदीना पत्तियां, मट्ठा, दही, भुना जीरा, काली मिर्च, काला नमक और नमक डालें और महीन पीस लें.

अब इसे किसी बर्तन में निकालें और उसमें एक गिलास पानी डालकर अच्छी तरह से मिला लें.

अब आपकी स्‍वादिष्‍ट मसाला छाछ या पुदीना छाछ  तैयार है.

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प्रेग्नेंसी के अलावा पीरियड्स ना आने के हैं ये 4 कारण

हर महीने में 3-4 दिन हर लड़की के लिए मुश्किल भरा होता है. पीरियड्स में ना सिर्फ महिलाओं के आम दिनचर्या को प्रभावित करते हैं, बल्कि इस दौरान होने वाला दर्द उन्हें सबसे अधिक परेशान करता है. अगर पीरियड्स समय पर ना आए तो महिलाएं परेशान हो उठती हैं. आमतौर पर धारणा है कि प्रेग्नेंसी के वक्त ही पीरियड्स मिस होते हैं पर इस खबर में हम आपको ऐसे तमाम कारणों के बारे में बताएंगे जिससे महिलाओं के पीरियड्स मिस होते हैं या देरी से आते हैं.

तो आइए शुरू करें.

शरीर का कम वजन

अगर आपका वजन कम है तो आपका पीरियड साइकल प्रभावित होता है. कम वजन से आपका पीरियड में अनियमितताएं आती हैं.

तनाव

तनाव महिलाओं के पीरियड्स को बुरी तरह से प्रभावित होता है. अधिक तनाव आपके हार्मोंस को बुरी तरह से प्रभावित करता है. इस कारण कई बार पीरियड्स में देरी हो जाती है.

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पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

आजकल की जैसी जीवनशैली हो चुकी है, महिलाओं में पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या आम हो गई है. इस बीमरी के कारण महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की शिकायत हो रही है. ना सिर्फ पीरियड्स बल्कि इस बीमारी के कारण महिलाओं में वजन बढ़ने, बाल झड़ने, चेहरे पर दाग:धब्बे जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

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अधिक एक्सरसाइज

एक्सरसाइज शरीर के लिए बेहद जरूरी है. इससे हमारी सेहत पर काफी सकारात्मक असर पड़ता है. पर अत्यधिक एक्सरसाइज आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसका सीधा असर आपके हार्मोंस पर पड़ता है, और आपके पीरियड्स ठीक समय पर नहीं आते हैं.

गाय का दूध हो सकता है आपके लिए ‘बहुत खतरनाक’

गाय के दूध को लेकर लोगों के मन में धारणा है कि वो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. हड्डियों के लिए दूर काफी फायदेमंद होता है. ये कैल्शियम का प्रमुख स्रोत है. पर इस खबर में हम आपको कुछ ऐसा बताने वाले हैं जो आपकी इस धारणा को बदल कर रख देगी. हम आपको बताएंगे कि दूध पीने से क्या नुकसान होते हैं.

कैल्शियम का प्रमुख स्रोत है दूध

केवल दूध ही कैल्शियम का प्रमुख स्रोत नहीं है. कैल्शियम फल, मेवे, हरी पत्ते्दार सब्जि यां, बींस और अनाजों से भी प्राप्त  हो सकता है.

धारणा है कि मजबूत होती हैं हड्डियां

लोगों का मानना है कि गाय का दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं. हम आपको बता दें कि ये धारणा बिल्कुल गलत है. जानकारों की माने तो अधिक मात्रा में दूध पीने से कुल्हों के टूटने का खतरा रहता है.

होते हैं त्वचा पर दाग धब्बे

ज्यादा दूध पीने वालों को त्वचा पर दाग, धब्बों की शिकायतें आती है. इससे अक्सर लोगों में एक्जिामा और अन्य  तव्चा संबंधी बीमारियां होती हैं. इन परेशानियों से दूर रहना है तो अपनी डाइट से दूध को हटा दें.

होती हैं पेट की बीमारियां

बहुत से लोगों को दूध पीने से पेट की परेशानियां होती हैं. ऐसा इसलिये होता है क्यों कि उन्हें  लैक्टोसज इंटौलरेंस होता है. ऐसे में अगर आप दूध पीना बंद कर देंगे तो आपका पेट हमेशा अच्छा रहेगा.

तेजी से बढ़ता है वजन

दूध में प्रचूर मात्रा में कैलोरीज होती हैं. अगर आप नियमित रूप से दूध पीते हैं तो पका वजन बढ़ने का खतरा बना रहता है. ऐसे में आप लोफैट मिल्क पी सकती हैं. इसमें केवल 2 फीसदी कैलोरी होती है.

 

घर को क्लासी लुक देने में मदद करेंगे ये 5 आसान टिप्स…

गरमियों में घर को सजाने में एक अलग ही मजा है. हल्के कलर और डेकोरेशन से घर को अलग तरह से सजाकर गरमी कम महसूस की जा सकती है. गरमियों में आप बस कुछ सामान और चीजों में बदलाव करके अपने घर को अपडेट या बड़ा दिखा सकते हैं. आज हम आपको ऐसे ही 5 टिप्स देंगे, जिससे आप गरमी में भी घर को एक नया लुक और ठंडक महसूस करा पाएंगे.

  1. गरमी में सजावट का मतलब आउटडोर एंटरटेनमेंट

हम गर्मियों में घर के बाहर या छत पर एंटरटेनमेंट करना पसंद करते हैं, खासकर जब पार्टी करनी हो. जिसके लिए अगर आप अपने घर के बाहर या छत पर लाइटिंग और एक आरामदायक आउटडोर सिटिंग सेट चुनें तो वह आपकी पार्टियों को और मजेदार बनाएगा.

  1. अपने बेडरूम को Duvet कवर से स्विच करें

नया duvet कवर आपके बेडरूम को एक पल में बदल सकता है. गरमी होने पर भी आरामदायक बेड के लिए लिनन और कपास जैसे हल्के कपड़े वाला बैडशीट चुनें. जिसका प्रिंट पैटर्न और रंग समुद्र जैसे नीला और एक्वा हो.

इन टिप्स को अपनाकर अपने घर का माहौल बनाएं पौजिटिव Continue reading घर को क्लासी लुक देने में मदद करेंगे ये 5 आसान टिप्स…

गरमी में स्कैल्प प्रौब्लम से छुटकारा दिलाएंगे ये 5 नेचुरल टिप्स

बिजी लाइफस्टाइल में हम अपनी बौडी का ख्याल तो रखते हैं, लेकिन कई बार अपने बालों और सिर का ख्याल रखना भूल जाते हैं. तेज धूप में शरीर से बहने वाले पसीने को हम साफ करते है, पर जब बात सिर की आती है तो हम उसे सुखा लेते हैं, जिससे हमारे सिर में गंदगी और बदबू आने लगती है. इसीलिए गरमियों में हम जितना अपनी बौडी का ख्याल रखते हैं, उतना ही अपने सिर का ख्याल भी रखना चाहिए. इसलिए आज हम आपको ऐसे 5 टिप्स देंगे जिससे आपको कई प्रौब्लम्स से छुटकारा मिलेगा…

  1. एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल से भरपूर बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल दोनों गुण होते हैं जो इची स्कैल्प के बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं.

ऐसे करें इस्तेमाल

बेकिंग सोडा और पानी के 2-3 बड़े चम्मच एक बाउल में लें और दोनों को मिलाएं. इसे तब तक मिलाएं जब तक कि गाढ़ा पेस्ट न बन जाए. उसके बाद पेस्ट को अपने सिर पर 10 से 15 मिनट तक लगाएं और रोजाना इस्तेमाल होने वाले शैम्पू से धो दें.

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2. औलिव औयल

औलिव औयल में एंटी इनफ्लेमेंटरी और स्किन प्रोटेक्टिंग एंजेट्स होते है जो गरमियों में स्किन की इंचिंग की और इंफेक्शन को खत्म करने में मदद करता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

माइक्रोवेव में कम से कम 7 सेकेंड के लिए और्गेनिक औलिव औयल गरम करें और इसे अपने सिर पर लगाएं. और इसे रात भर छोड़ दें और सुबह धों दें. बेहतर परिणाम के लिए इसमें हफ्ते में दो बार लगाएं.

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3. टी ट्री औइल

चाय के पेड़ के तेल में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो स्कैल्प को मौइस्चराइजिंग और पोषण करके इचिंग की प्रौब्लम को खत्म करने में मदद करते हैं.

ऐसे करें इस्तेमाल

तेल की 5-7 बूंदें लें और इसे सीधे सिर पर लगाएं. कुछ मिनट के लिए इससे अच्छी तरह मालिश करें और इसे रात भर छोड़ दें. जिसके बाद सिर को धो लें.

4. नारियल का तेल

नारियल एंटी-फंगल गुणों से भरा हुआ है जो खुजली और फंगल इन्फेक्शन का काफी हद तक इलाज कर सकता है. नारियल के तेल से बालों को लगाने से नमी को बैलेंस करने में मदद मिलती है.

ऐसे करें इस्तेमाल

नारियल का तेल लेकर इसे 10 सेकंड के लिए गर्म करें. इसे अपने सिर पर लगाएं और इसे 15 मिनट तक रहने दें. और बाद में सिर को शैम्पू से धो दें.

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5. एलोवेरा जेल

एलोवेरा जेल एक नेचुरल मौइस्चराइज़र है और इसके एंटी-माइक्रोबियल गुणों के कारण सिर में इचिंग की प्रौब्लम का  इलाज करने में मदद करता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

और्गेनिक एलोवेरा जेल लें और इसे सीधे अपने स्कैल्प पर लगाएं. और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें, जिसके बाद गुनगुने पानी से सिर को धो लें. अच्छे रिजल्ट के लिए इसे हफ्ते में दो बार लगाएं.

समर ड्रिंक: बेल का शरबत

बेल  के फल में आयरन, कार्बोहाइड्रेट,  प्रोटीन, फौस्फोरस, फाइबर , कैल्शियम,  विटामिन बी होता है. और यह पेट के लिये फायदेमंद होता है. बेल के शरबत से शरीर को ठंडक मिलती है और आपको बता दें, यह लू से बचाता है. तो फिर झटपट बेल का शरबत बनाने की रेसिपी ट्राई करें.

 सामग्री :

भुना जीरा  (01 छोटा चम्मच)

सेंधा नमक ( 01 छोटा चम्मच)

बेल के फल ( 02 नग)

शक्कर (05 बड़े चम्मच)

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बनाने की विधि :

सबसे पहले बेल को धो कर काट लें और एक बाउल में उसका गूदा निकाल लें.

इसके बाद गूदे से लगभग 2 गुना पानी डालें और अच्छी तरह मसलें, जिससे पूरा गूदा पानी में घुल जाए.

इसके बाद बेल के घोल को एक मोटे छेद वाली चलनी से छान कर फल के रेशे वगैरह निकाल दें.

अब छने हुए रस में चीनी डालें और उसे घोल लें.

उसके बाद सेंधा नमक/नमक और भुना जीरा मिलाएं और अच्छी तरह से चला दें.

अब आपका बेल शरबत तैयार है और इसे सर्विंग गिलास में निकालें और आइस क्यूब डाल कर सर्व करें.

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तांत्रिक बाबा से यूं बढ़ीं नजदीकियां और फिर…

सवाल:

मैं 34 वर्षीय पढ़ी-लिखी महिला हूं. पति बिजनैस करते हैं. वे सरल स्वभाव के हैं. ससुराल में कभी किसी चीज की कमी नहीं रही. पर मेरी समस्या थोड़ी अलग है. मेरी शादी 21 साल की उम्र में ही हो गई थी. शादी के 10 सालों तक संतानसुख से वंचित रही थी. दर्जनों डाक्टरों को दिखाया और सासूमां के कहने पर न जाने कहां-कहां मन्नतें भी मांगी थीं. अंत में पता चला दोष पति में है. सासूमां के दबाव में उन के दूर के एक रिश्तेदार, जिन्हें ये लोग गुणी तांत्रिक बताते हैं, से हमारी मुलाकात करवाई गई. तांत्रिक ने बताया कि इन में मां बनने के पर्याप्त अवसर हैं पर ग्रहों की स्थिति सही नहीं है. सासूमां के आग्रह पर तांत्रिक बराबर घर आने लगा. 2-4 दिन रहता फिर चला जाता. इस दौरान मैं तांत्रिक के बहकावे में आ गई और हमारे बीच जिस्मानी संबंध बन गए. धीरे-धीरे मुझे खुद भी आनंद आने लगा. तांत्रिक हमउम्र है और जिस्मानी सुख देने में काफी माहिर भी. उस का आनाजाना बेरोकटोक जारी रहा. सासूमां सहित किसी को भी कोई शक नहीं होता. हमारे संबंध और भी मजबूत होते गए. इस बीच मैं गर्भवती हो गई तो ससुराल और मायके वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सब उस तांत्रिक रिश्तेदार की ही कृपा बताते और उस के गुणगान में लगे रहते.

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संतानप्राप्ति के कुछ महीनों बाद तांत्रिक ने घर आना कम कर दिया. मैं बराबर फोन करती रही. उस के सामीप्य के लिए तरसती रही. बार-बार बुलाने पर वह 2-3 बार आया तो मन को शांति मिली. हमारे फिर से जिस्मानी संबंध बने. इधर 1-2 सालों से वह हमारे घर नहीं आ रहा. मेरे फोन का जवाब भी नहीं देता. मैं चाहती कि घर से बाहर इस रिश्ते को ताउम्र निभाऊंगी पर उस की बेरुखी से मन आहत रहता है. उस ने सिर्फ इतना कहा कि तुम अब अपनी जिंदगी जिओ. इस राज को मैं कभी जाहिर नहीं करूंगा. मैं पति को नहीं छोड़ सकती, क्योंकि वे मुझे बेहद प्यार करते हैं. उन्होंने कभी मुझ पर शक नहीं किया. पर डरती हूं कि जब बेटा बड़ा होगा और यह राज अगर पति जान लेंगे तो फिर मैं क्या करूंगी? बड़ी उलझन में हूं. क्या पति को सबकुछ सचसच बता दूं? कृपया सलाह दें?

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जवाब…

शादी के बाद पति से संतान न होना एक बड़ी समस्या है पर आप के पास संतानसुख के लिए और भी बेहतर विकल्प थे. आजकल विज्ञान की तरक्की के चलते तकनीक द्वारा बांझता का दंश झेलने वाली औरतें भी मांएं बन रही हैं. आप किसी बेसहारे बच्चे को गोद ले कर भी संतानसुख प्राप्त कर सकती थीं. बेहतर होता कि आप खुद व अपनी सासूमां को अंधविश्वास से दूर रखतीं. क्योंकि इस तरह के संबंधों में रिस्क बहुत होता है. वह तांत्रिक आप को कभी भी ब्लैकमेल कर सकती है. खैर जो होना था वह हो गया. जरूरत है इस गलती के लिए आप को महसूस हो कि आप ने गलती की है और भविष्य में दोबारा ऐसी नादानी नहीं करेंगी. फिलहाल तो उचित यही होगा कि इस राज से परदा न उठने दें. पति और ससुराल वालों की नजरों में कोई ऐब नहीं है तो दांपत्य को बचाने के लिए इस राज को आप अपने अंदर ही दफन रहने दें.

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हो सकता है वे इस बारे में जानते हों पर बात मुंह पर न लाते हों पर कुछ को तो यह राज मालूम होगा और कभी भी लीक कर सकता है. दोषी आप ही नहीं आप की सासूमां और ससुराल के लोग भी हैं जिन्होंने 21वीं सदी में भी अंधविश्वास का लबादा ओढ़े रखा है. उन की सोच आदिम जमाने की है तभी तो वैज्ञानिक युग में भी पूजापाठ, तंत्रमंत्र पर यकीन करते हैं. यह अच्छी बात है कि तांत्रिक आप की ससुराल वालों का दूर का रिश्तेदार है. शायद इसीलिए वह इस रिश्ते को उजागर नहीं करना चाहता होगा या फिर उस की दुकानदारी बंद न हो जाए, यह सोच कर वह नहीं चाहता होगा कि उस की बदनामी हो. अन्यथा ऐसे धोखेबाज पाखंडी ब्लैकमेल तक करने से गुरेज नहीं करते. आप को दिल पर पत्थर रख कर इस बात को अब हमेशा के लिए दफन करना चाहिए.

जानलेवा बनता अंधविश्वास

इला पेशे से इंजीनियर है. सुबह पेपर की हैडलाइन पर सरसरी निगरह डालने के बाद राशिफल देखना नहीं भूलती और फिर राशिफल के अनुसार ही उस का मूड बनता-बिगड़ता रहता है. राशिफल में प्रियजन से तनाव लिखा होने पर कभी पति तो कभी मातहतों पर बरस पड़ती है. आप के सितारे शुभ फल देने वाले हैं, लिखा होने पर वह दिनभर बेसब्री से अच्छी खबर सुनने का इंतजार करती हुई, हर बात को उस के साथ जोड़ती रहती है.

जीवन पर आफत

21वीं सदी में अंधविश्वास वैज्ञानिक सोच वाले लोगों के लिए चुनौती है. अंधविश्वास के चलते बुराड़ी कांड में 11 लोगों का हंसताखेलता परिवार काल के गाल में समा गया था. इस के पहले महाराष्ट्र के हसनैन वरेकर कांड में एक ही परिवार के 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. अंधविश्वास का मूल कारण पंडे-पुजारियों का प्रचार है जो अब अंगरेजी में साइंस को मिला कर भविष्य का डर दिखा कर वर्तमान को ठीक करने का दावा नेताओं की तरह करते हैं. कल क्या होगा, यह कोई नहीं जानता है. अपने मनमुताबिक नतीजे पाने के लिए लोग सुनीसुनाई बातों पर विश्वास कर के उन पर गौर करने को तैयार हो जाते हैं.

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अंधविश्वास हमारी अज्ञानता, भय, निराशा और अफसोस की बात है कि पढ़े-लिखे लोग भी तर्क को ताक पर रख कर अंधविश्वास में जकड़े होते हैं. अंधविश्वास का प्रचार पंडों से ज्यादा उन के भक्त करते हैं. टीवी चैनल और सोशल मीडिया दोनों अंधविश्वास की जड़ें मजबूत करने में लगे हुए हैं. ये अंधविश्वास फैलाने के सशक्त माध्यम बन गए हैं. यह संदेश 10 लोगों को फौरवर्ड करें… मनचाही मुराद पूरी होगी, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी साइटों पर ऐसे संदेशों की बाढ़ आई हुई है. कभी गणेश के दूध पीने की खबर तो कभी चोटी कटवा की खबर विश्व में हमारे देश की छवि को घूमिल करती हैं. तो कभी दिन के अनुसार कपड़ों के रंग पहनने का आदेश दिया जाता है. हम चांद पर पहुंच चुके हैं, लेकिन महिलाएं करवा चौथ पर चांद का दीदार करने के लिए सज-संवर कर दिनभर उपवास करती हैं.

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कुछ दिनों पहले 13 साल की लड़की से 68 दिन तक इसलिए उपवास रखवाया गया कि उस के पिता का बिजनैस अच्छा चले. बिजनैस का तो पता नहीं, लेकिन लड़की जरूर मौत पा गई. कानूनी अपराध हमारे देश में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण को ले कर भी अंधविश्वास प्रचलित है. खाना बनाना, खाना खाना, पूजा करना आदि आज भी वर्जित माना जाता है. सूर्यग्रहण पर वाराणसी, हरिद्वार आदि स्थानों पर स्नान के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. एलडस हक्सले ने ऐसी ही भीड़ देख कर कहा था, ‘‘भारतवासी इतनी बड़ी संख्या में भारत को शत्रु के चंगुल से छुड़ाने के लिए इकट्ठे नहीं हो सकते, जितने कि वे सूर्य को राहु से मुक्त कराने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं.’’ यद्यपि यह टिप्पणी हमें आहत करती हैं परंतु सचाई यही है और इस की वजह पंडों के प्रचार की हदें पार करना है.

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बच्चा पैदा हो, शादी हो, गृहप्रवेश या भूमि पूजन हो लोग शुभमुहर्त के लिए पंडित के पास दौड़ते हैं. पंडित सब से पहले अपनी सुविधा देख कर ही आप को शुभमुहूर्त बताएगा. विशेष धातु या रंगबिरंगे पत्थरों की अंगूठी पहनना, विशेष मंत्र वाला ताबीज पहनना, जादू, टोना, मकान बनाते समय काली हंडि़या टांगना जैसे अनेक अंधविश्वास हमारे बीच पहले की तरह जड़ें जमाएं हुए हैं. टीवी चैनलों पर आने वाले विज्ञापन जनता में अंधविश्वास फैलाने का काम कर रहे हैं. जैसे गोरा बनाने की क्रीम.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि तंत्रमंत्र, झाड़फूंक, ताबीज, प्रार्थना एवं धार्मिक विश्वास के द्वारा इलाज करवाना कानूनी अपराध है, पर न्यायालय की सुन कौन रहा है. पंडितों का बनाया प्रपंच अंधविश्वास राष्ट्र के विकास में बाधक है. इस के चक्कर में पड़ कर लोग आर्थिक और सामाजिक शोषण का शिकार हो रहे हैं. यह विज्ञान का युग है. ऐसे समय में टीवी चैनलों पर ‘नजर सुरक्षा कवच’, ‘सिद्धमाला’, ‘सिद्ध अंगूठी’, ‘धनप्राप्ति यंत्रों’ आदि का व्यापार अंधविश्वास के नाम पर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है.

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ये टोटके, जादूटोना, भूतप्रेत, डायन, तंत्रमंत्र केवल कमजोर दिमाग की उपज है. हर घटना के पीछे कोई कारण होता है. कुछ अंधविश्वासों के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी दिए जाने लगे हैं, जो पढ़ेलिखों को मूर्खतापूर्ण काम करने में बल देते हैं. वैसे वह पूर्वनियोजित व्यापार का हिस्सा है. दरवाजे पर नीबूमिर्च टांगना, नीबू में सिट्रिक ऐसिड कीटनाशक का काम करता है, जो कीड़ेमकौड़ों को अंदर आने से रोकता है. कुंडली मिलाना मात्र पंडितों का बनाया प्रपंच है. मांगलिक दोष के निवारण का उपाय भी अंधविश्वास ही है. फिल्म जगत के नायक अमिताभ बच्चन ने ऐश्वर्या राय जैसी विश्व सुंदरी के साथ अपने बेटे अभिषेक बच्चन से शादी कराने से पहले बरगद के पेड़ से फेरे कराना अंधविश्वास का ही ज्वलंत उदाहरण था. ये अंधविश्वास व्यापार का हिस्सा हैं जैसे. पुराणों में होता था अब नैट और टीवी में होने लगा है. माध्यम बदल गया हर दृश्य ऋषियोंमुनियों को दान देना, उन की रक्षा करना रह गया है.

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धर्म के नाम पर अवैज्ञानिकता

50 साल की एमबीए ग्रैजुएट धाराप्रवाह अंगरेजी बोलने वाली फरजाना हैदराबाद की एक दरगाह में रह रही है ताकि उस पर आने वाला हार्टअटैक रुक जाए. उस का विश्वास है कि उस के परिवार वाले उस पर काला जादू कर रहे हैं, इसलिए वह दरगाह में जादू से बची रहेगी. मल्टी नैशनल कंपनी में काम करने वाली 28 साल की अंजलि एक लड़के को प्यार करती थी, लेकिन उन की मां को यह रिश्ता पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने एक तांत्रिक की शरण ली. तांत्रिक हर बार कलाई में धागा बांधने के एवज में उस की मां से 5 हजार लेता था. उस का कहना था कि यदि वह अपने पसंद के लड़के के साथ शादी करेगी तो भविष्य में उस के साथ बहुत बड़ा अनिष्ट होगा. इस धागे के प्रभाव से वह मनपसंद लड़के से शादी नहीं कर पाएगी. कुछ दिन बाद अंजलि ने धागा खोल कर फेंक दिया और अपने पसंद के लड़के के साथ शादी कर ली और आज वह बहुत खुश भी है.

‘वशीकरण’ वैबसाइट चलाने वाले किसी भी समस्या का समाधान करने का दावा करते हैं. वहां के तथाकथित ज्योतिषी से फोन पर मेरे संपर्क करने पर वह बोला, ‘‘पहले आप हमारे अकाउंट में पैसे जमा करिए, फिर उस के बाद ई मेल के द्वारा अपनी समस्या बता कर अपौइटमैंट ले सकते हैं.’’ जैसे ही मैं ने कहा कि मैं प्रैस में काम करती हूं. उन्होंने झट से फोन काट दिया. प्रशासन में मौजूद लोग ही धर्म के नाम पर अवैज्ञानिक नीतियोंरीतियों में शामिल हैं, तो समाज में बदलाव की प्रक्रिया धीमी होना तय ही है. उत्पीड़न और हत्या बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आज भी ‘डायन’ आदि के नाम पर महिलाओं के उत्पीड़न और हत्या की खबरें आती रहती हैं.

रायपुर के डा. दिनेश मिश्र पेशे से नेत्र विशेषज्ञ हैं. ग्रामीणों के संपर्क से उन्हें मालूम हुआ कि छत्तीसगढ़ में कुछ लोग जिन्हें ओझा कहते हैं, भोलेभाले ग्रामीणों को अपने शब्दजाल में फंसा कर उन से पैसा ऐंठते हैं, उन्हें ठगते हैं. उन्होंने बताया कि लगातार उन्हें शिकायत मिलती कि गांव में किसी महिला को डायन कह कर न सिर्फ प्रताडि़त किया जाता है वरन उस का हुक्कापानी बंद कर के उसे समाज और गांव से बाहर कर दिया जाता था. इस कारण गांव में कई बार तनाव का माहौल भी बन जाता था. डा. मिश्र के प्रयासों और सिफारिश पर झाड़फूंक, जंतरमंतर, टोनाटोटका और अंधविश्वास फैला कर किसी को प्रताडि़त करने को अपराध माना गया.

डा. दिनेश मिश्र अंधविश्वास के खिलाफ ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के द्वारा गांवगांव जा कर लोगों जागरूकता फैलाने का महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं. वे अब तक करीब 1350 सभाएं कर चुके हैं. उन्हीं के अथक प्रयास से 2005 में ‘छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम’ बनाया गया, जिस के अंतर्गत ऐसे मामलों में 3 साल की सजा और जुरमाने का प्रावधान है. 2007 में उन के सामाजिक योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. अंध विश्वासों के व्यापार की भूमि पर राजनैतिक उर्वरक पा कर वह फलताफूलता है. इन दोनों के गठजोड़ से उत्पन्न फसल को राजनीतिज्ञ और मीडिया अपनेअपने लाभ के लिए अपनीअपनी तरह से इस्तेमाल करते हैं.

‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के संस्थापक नरेंद्र दामोलकर, गोविंद पानसारे, गौरी लंकेश की हत्या के बाद यह सवाल गंभीर हो गया है कि आखिर सरकारें अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कानून क्यों नहीं बनातीं. विज्ञान को ईश्वर की तरह पेश करने वाले यूरोपीय देश, अमेरिका, ब्रिटेन आदि हों या जादू, तंत्रमंत्र को कुफ्र की संज्ञा देने वाले अरब देश अथवा अपना ही मुल्क हर जगह टोटकों, चमत्कारों और मनचाही मुराद पूरी करने वालों की लंबी जमात नजर आती है. ये कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने से ले कर शादी, प्रेम, व्यापार में तरक्की, किसी को वश में करना, दुश्मन का नाश आदि करने के लिए अपना नैटवर्क न सिर्फ देश के हर राज्य, शहर और गांव में चला रहे हैं. अब तो ये अपना यह धंधा औनलाइन भी चला रहे हैं.

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