जानिए कैसे स्मार्टफोन्स बर्बाद कर रहे हैं नींद

तकनीक ने हमारे जीवन को बदल कर रख दिया है. इसने सबको काफी प्रभावित किया है. इसी क्रम में स्मार्टफोन्स और कंप्यूटर जैसी चीजों ने इंसानी जीवन में काफी बदलाव लाया है. जिस हिसाब से लोगों ने इन तकनीक को  हाथो हाथ लिया,  आलम है कि अब ये हमारे जीवन को नकारात्मक ढंग से प्रभावित कर रहे हैं.

हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि कंप्यूटर और स्मार्टफोन से निकलने वाली किरणें हमारी सेहत पर बुरा असर डालती हैं. इनसे निकलने वाली आर्टिफीशियल लाइट हमारी नींद पर बुरा असर करती हैं.  जिसके कारण लोगों में अनिद्रा, माइग्रेन जैसी परेशानियां होने लगी हैं. वैज्ञानिकों के इस शोध से इन समस्याओं का इलाज भी संभव है.

शरीर को कैसे प्रभावित करती है आर्टिफीशियल लाइट

शोधकर्ताओं ने इस शोध में पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं हमारे आसपास की रोशनी को प्रोसेस कर हमारे बौडी क्लौक को फिर से फिर से तय करती हैं. आंखों की ये कोशिकाएं जब देर रात को इन किरणों के संपर्क में आती हैं, हमारा आंतरिक समय चक्र प्रभावित हो जाता है. जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा होने लगती हैं.

इस अनुसंधान की मदद से माइग्रेन, अनिद्रा और बौडी क्लौक संबंधी शिकायतों का इलाज किया जा सकता है.

गरमी में कोल्डड्रिंक की बजाय पीयें हेल्दी सत्तू का शर्बत

गरमी में प्यास बुझाने के लिए लोग कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें पीतें हैं जो बौडी को बहुत नुकसान पहुंचाता है, जबकि चने के सत्तू का शर्बत उतना ही बौडी के लिए फायदेमंद होता है. गरमी में भुने हुए चने, जोऊं और गेहूं पीस कर सत्तू का शर्बत बनाया जाता है. सत्तू पेट की गर्मी कम करता है.  कुछ लोग इसमें चीनी मिला कर तो कुछ लोग नमक और मसाले मिला कर खाते हैं. यह गरमी में काफी फायदेमंद होता है. आज हम आपको घर पर कुछ ही मिनटों में बनने वाला चने की शर्बत बनाना सिखाएंगे, जो आपको गरमी से राहत देगा.

सामग्री

सत्तू – 1 कटोरी

पुदीना की पत्तियां बारीक़ कटी – 4 चम्मच

नींबू का रस – 3 छोटे चम्मच

हरी मिर्च बारीक़ कटी – 1

यह भी पढ़ें- शाम के नाश्ते में ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना रोल

भुना जीरा पाउडर – 1 छोटा चम्मच

काला नमक – 1/2 छोटा चम्मच

बर्फ का चूरा – आवश्यकतानुसार

बनाने का तरीका

-पहले चने के सत्तू में थोड़ा सा पानी डालकर घोल लें.

यह भी पढ़ें- टेस्टी कौलीफ्लौवर सिगार्स के साथ शाम बनाएं मजेदार

-घोल बनाते समय यह ध्यान रखें कि इसमें कोई गुलथी न रह जाए. ताकि पीने में स्वाद बराबर बना रहें।

-अब इसमें कटी हुई पुदीना की पत्तियां, बारीक़ कटी हरी मिर्च, नींबू का रस, भुना जीरा पाउडर, काला नमक डाल कर अच्छे से मिक्स कर लें.

– सत्तू हेल्थ ड्रिंक को 4 गिलास में डालें और इन गिलासों में बर्फ़ के स्लाइस डालकर सर्व करें.

गरीबी बनी एजेंडा

राहुल गांधी का नया चुनावी शिगूफा कि यदि वे जीते तो देश के सब से गरीब 20 फीसदी लोगों को 72,000 रुपए साल यानी 6,000 रुपए प्रति माह हर घर को दिए जाएंगे, कहने को तो नारा ही है पर कम से कम यह राम मंदिर से तो ज्यादा अच्छा है. भारतीय जनता पार्टी का राम मंदिर का नारा देश की जनता को, कट्टर हिंदू जनता को भी क्या देता? सिर्फ यही साबित करता न कि मुसलमानों की देश में कोई जगह नहीं है. इस से हिंदू को क्या मिलेगा?

यह भी पढ़ें- जानलेवा बनता अंधविश्वास

लोगों को अपने घर चलाने के लिए धर्म का झुनझुना नहीं चाहिए चाहे यह सही हो कि पिछले 5,000 सालों में अरबों लोगों को सिर्फ और सिर्फ धर्म की खातिर मौत की नींद सुलाया गया हो. लोगों को तो अपने पेट भरने के लिए पैसे चाहिए.

यह कहना कि सरकार इस तरह का पैसा जमा नहीं कर सकती, अभी तक साबित नहीं हुआ है. 6,000 रुपए महीने की सहायता देना सरकार के लिए मुश्किल नहीं है. अगर सरकार अपने सरकारी मुलाजिमों पर लाखों करोड़ रुपए खर्च कर सकती है, उस के मुकाबले यह रकम तो कुछ भी नहीं है. यह कहना कि इस तरह का वादा हवाहवाई है तो गलत है, पर सवाल दूसरा है.

यह भी पढ़ें-  बेरोजगारी जिंदाबाद

सवाल है कि देश की 20 फीसदी जनता को इतनी कम आमदनी पर जीना ही क्यों पड़ रहा है? इस में जितने नेता जिम्मेदार उस से ज्यादा वह जाति प्रथा जिम्मेदार है जिस की वजह से देश की एक बड़ी आबादी को पैदा होते ही समझा दिया जाता है कि उस का तो जन्म ही नाली में कीड़े की तरह से रहने के लिए हुआ है. उन लोगों के पास न घर है, न खेती की जमीन, न हुनर, न पढ़ाई, न सामाजिक रुतबा. वे तो सिर्फ ऊंची जातियों के लिए इतने में काम करने को मजबूर हैं कि जिंदा रह सकें.

देश का ढांचा ही ऐसा है कि इन गरीबों की न आवाज है, न इन के नेता हैं जो इन की बात सुना सकें. उन को समझाने वाला कोई नहीं. गनीमत बस यही है कि 1947 के बाद बने संविधान में इन्हें जानवर नहीं माना गया.

यह भी पढ़ें- राजनीति में महिलाएं आज भी हाशिए पर

1947 से पहले तो ये जानवर से भी बदतर थे. अमेरिका के गोरे मालिक अपने नीग्रो काले गुलामों की ज्यादा देखभाल करते थे, क्योंकि वे उन के लिए काम करते थे और बीमार हो जाएं या मर जाएं तो मालिक को नुकसान होता था. हमारे ये गरीब तो किसी के नहीं हैं, खेतों के बीच बनी पगडंडी हैं जिस की कोई सफाई नहीं करता. हर कोई इस्तेमाल कर के भूल जाता है.

इन को 72,000 रुपए सालाना दिया जा सकता है. कैसे दिया जाएगा, पैसा कहां से आएगा यह पूछा जाएगा, पर कम से कम इन की बात तो होगी. ऊंची जातियों के लिए यह झकझोरने वाली बात है कि 25 करोड़ लोग ऐसे हैं जो आज इस से भी कम में जी रहे हैं. क्यों, यह सवाल तो उठा है. असली राष्ट्रवाद यही है, मंदिर की रक्षा नहीं.

औरत और नौकरियां

शहरी हों या गांवों की औरतों की नौकरियां कम होती जा रही हैं. सरकारी आंकड़ें, जिन्हें मोदी सरकार चुनावी दिनों में रोक रही थी, बताते हैं कि पिछले 15 सालों में औरतों की काम में भागीदारी आधी रह गई है. गांवों में पिछले 6 सालों में 2 से 8 करोड़ औरतों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.

यह भी पढ़ें- बोल्ड अवतार कहां तक सही

यह तब है जब घरों में बच्चे कम हैं और औरतों को अब बच्चे पालने में मुसीबत कम होती है. घरों में अब सास या मां भी काफी तंदुरुस्त रहती हैं कि वह पोतेनाती को पालने में हाथ बंटा सके, पर फिर भी औरतें काम पर नहीं जा पा रहीं.

इस की एक वजह तो यह है कि पिछले सालों में नौकरियों में एकदम कमी आई है. सरकार की नीतियां ही ऐसी हैं कि न कारखाना लगाना आसान है, न दुकान. खेती में फसल अच्छी हो तो दाम नहीं मिलता और जब दाम बढ़ते हैं तो उपज कम होती है, इसलिए नई नौकरियां ही नहीं निकल रहीं. घर का मर्द खाली हो तो औरतों की हिम्मत नहीं होती कि वे नौकरी पर निकलें.

यह भी पढ़ें- खूबसूरत दिखने की होड़ क्यों?

अगर देश का काम चल रहा है तो इसलिए कि सरकारी नौकरियों में लोग भरपूर कमा रहे हैं. वहां वेतन भी है, रिश्वत भी. वहां पैसा जम कर बंटता है और खैरात में कुछ बेकार बैठे लोगों के हाथों में आ जाता है. भगवा गमछेधारी आजकल पैदल नहीं चलते, शानदार मोटरबाइक पर चलते हैं, पर हैं बेरोजगार. उन की कमाई का एक बड़ा हिस्सा जबरन चंदे से आता है पर इसे नौकरी तो नहीं कह सकते. देशभर में जो झगड़े बढ़ रहे हैं उस के पीछे बेरोजगारी है क्योंकि निकम्मे लोग हर तरह के काम करने लगते हैं और चूंकि आजकल पुलिस कुछ कहती नहीं तो मुसलिमों, दलितों, गरीबों, किसानों को पीटपाट कर कमाई की जाती है. घरों की औरतें भी इस कमाई पर काम चला लेती हैं.

जबकि लड़कियों की पढ़ाई अब लड़कों के बराबर सी होने लगी है, 2011-12 से 2017-18 तक गिनती बढ़ी है पर उतनी नहीं जितनी ज्यादा लड़कियां पढ़ कर आ गई हैं. आज हर घर में 2-3 बच्चे ही हैं और लड़कियां भी बराबर का काम कर सकती हैं पर न तो उन्हें घर से बाहर काम मिलता है और न ही अपने बदन के बचाव का भरोसा है.

लड़कियों का काम देश की माली हालत में बढ़ोतरी के लिए बहुत जरूरी है. जो देश लड़कियों को बराबर का काम का मौका नहीं देगा, वह पिछड़ जाएगा. वहां औरतें फिर धर्म के नाम पर समय और पैसा बरबाद करेंगी या फिर ह्वाट्सएप जैसे फालतू कामों पर बेकार करेंगी. सब का साथ सब का विकास में औरतों का विकास कहां है, ढूंढ़ना होगा.

इस गरमी बौडी को ठंडक देने के लिए बनाएं गुलकंद

गर्मियों में गुलकंद खाने से बौडी को ठंडक मिलती है. बौडी को गुलकंद डीहाइड्रेशन से बचाता है और स्किन को भी तरोताजा रखने के साथ यह पेट को भी ठंडक पहुंचाता है. गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें एंटीऔक्सीडेंट्स भरपूर होते है, जो बौडी की इम्यूनिटी पावर को बढ़ाता है और थकान दूर भी करता हैं. खाने के बाद गुलंकद माउथ फ्रेशनर का काम करने के साथ पाचन से जुड़ी प्रौब्लम्स को भी दूर करता है.

सामग्री

चौड़े मुंह वाला कांच का जार

गुलाब की पत्तियां

दानेदार चीनी

यह भी पढ़ें- शाम के स्नैक्स में ऐसे बनाएं कौलीफ्लौवर अराचीनी

इलायची के दाने

पर्ल पाउडर आवश्यक्तानुसार

बनाने का तरीका

-गुलकंद बनाने के लिए गुलाब की पत्तियों को साफ करें, ध्यान रहे कि इस पर कीड़े बिल्कुल नहीं होने चाहिए. पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें.

-जार में गुलाब की पत्तियों को डालकर इसकी परत बनाएं.

-गुलाब की परत के ऊपर दानेदार चीनी की एक परत बनाएं.

यह भी पढ़ेंटेस्टी चौकलेट मूस बाइट से आपकी शाम बनेगी मजेदार

-अब जार में आधे से ऊपर तक गुलाब की पत्तियों और चीनी की परत बना लें और जार को ढ़क्कन से कसकर ढ़क दें.

-4 हफ्ते तक लगभग हर रोज 7 घंटे तक जार को धूप में रखें.

-हर दूसरे दिन एक लकड़ी की चम्मच से जार में गुलाब और चीनी के पेस्ट को अच्छी तरह मिला लिया करें.

-4 हफ्ते के बाद गुलकंद तैयार हो जाएगा, अब गुलाब का जैम यानी गुलकंद आपके खाने के लिए तैयार है.

जानें 51 साल की उम्र में भी कैसे खूबसूरत लगती हैं माधुरी

माधुरी दीक्षित की फिल्म कलंक 17 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. माधुरी इस फिल्म में बहार बेगम के रोल में नजर आएंगी. फिल्म के जरिए माधुरी और संजय दत्त करीब 22 साल बाद साथ नजर आने वाले हैं. हाल ही में हमने माधुरी से इस फिल्म को लेकर खास बातचीत की. जहां माधुरी ने कई दिलचस्प खुलासे किए….

आलिया के डांस से हुईं इंप्रैस…

फिल्म ‘कलंक’ में आलिया भट्ट ने कथक डांस किया है. इस बारें में माधुरी का कहना है कि इस फिल्म में मेरा डांस करना संभव नहीं था, क्योंकि कहानी के हिसाब से ही डांस और संगीत होते है. गाना इतना खुबसूरत था कि डांस करने की इच्छा हो रही थी, लेकिन आलिया को देखकर खुशी भी हो रही थी. कभी कथक की ट्रेनिंग न लेने के बावजूद उसकी प्रस्तुति बहुत अच्छी थी. इस फिल्म में मैंने एक गाना भी गाया है और नयी कोशिश की है. मेरा एक धीमा डांस है, जो फिल्म में एक इमोशनल ट्रैक पर आता है. जिसकी कोरियोग्राफी सरोज खान ने की है.

ये भी पढ़ें- असल जिंदगी में भी मिट सकता है ‘कलंक’- माधुरी दीक्षित

इस क्रिकेटर के लिए धड़कता था ‘धक-धक गर्ल’ का दिल

सरोज खान के साथ स्पेशल बौन्डिंग…

सरोज खान के साथ एक अच्छी बौन्डिंग की वजह के बारें में पूछे जाने पर माधुरी कहती है कि उनके और मेरे मन में एक ही बात किसी गाने को लेकर चलती है, जिससे काम अच्छा होता है. उनकी स्टाइल मुझे बहुत पसंद है.

ये भी पढ़ें- ‘कलंक’ का ‘जफर’ बनने के लिए करनी पड़ी कड़ी मेहनत: वरुण धवन

कथक डांस है खूबसूरती का राज…

51 साल की उम्र में भी माधुरी बेहद खूबसूरत और फिट हैं. आखिर क्या है इसका राज. इस बारे में माधुरी ने खुलासा करते हुए बताया- मेरी फिटनेस और खूबसूरती का सारा क्रेडिट कथक डांस को जाता है, मैं आज भी वैसे ही प्रैक्टिस करती रहूं, जैसे पहले करती थीं.

beauty

ये भी पढ़ें- ‘कलंक’ के लिए आलिया ने ली इस फेमस एक्ट्रेस से प्रेरणा

नए जेनरेशन के साथ काम करना अच्छा लगा…

इसके अलावा आज के नए जेनेरेशन के साथ काम करने में बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वे उम्र के हिसाब से काफी मेच्योर है. जिसमें आलिया भट्ट,वरुण धवन, आदित्य रौय कपूर सभी है, क्योंकि आप उनके रिएक्शन को नहीं जान सकते, उनके काम करने के तरीका पता नहीं होता, ऐसे में आपको उसे खोजना पड़ता है. स्पेस की कमी नहीं होती, क्योंकि सबको काम करने का मौका मिलता है और वे उसी में कुछ कर सकते है.

 ‘कलंक’ का ‘जफर’ बनने के लिए करनी पड़ी कड़ी मेहनत: वरुण धवन

बौलीवुड एक्टर वरूण धवन ने अपनी आने वाली फिल्म कलंक को पर्सनल लाइफ को लेकर इंंटरव्यू के दौरान कई खुलासे किए, आइए जानते है उनसे हुई मुलाकात के कुछ अंश…

आजकल आप बहुत ही इंटेंस भूमिका निभा रहे है, जबकि आपकी फिल्म अक्टूबरनहीं चली, फिल्म कलंक में खास क्या है, जिससे आप उत्साहित हुए?

इस फिल्म में मैंने बहुत अलग काम किया है. इस जोनर में मैंने कभी काम नहीं किया है. थिएटर करते वक़्त मैंने हमेशा ड्रामेटिक अभिनय किये है, जिसे करने का मौका अभी तक मुझे नहीं मिला था. जब मैंने अक्टूबर जैसी फिल्म की थी, तो शुरू में ही पता लग गया था कि ये फिल्म कितनी चलेगी. जितनी भी चली ठीक थी. मैं जब इस तरह की फिल्में करता हूं तो सोचता हूं कि फिल्म में लगाये पैसे का लौस न हो, लेकिन अगर ‘कलंक’ जैसी फिल्म न चले, तो दुःख होता है. आर्ट फिल्म से आप सौ करोड़ के बिजनेस की उम्मीद नहीं कर सकते. मुझे एक्टिंग में प्रयोग करते रहना पसंद है.

क्या आपको एक्सपेरिमेंट से डर नहीं लगता ?

हर कोई एक्सपेरिमेंट करता है. अमिताभ बच्चन आज भी एक्सपेरिमेंट करते है. इसके अलावा जो कहानी मुझे आकर्षित करें, उसे ही करना चाहता हूं. फिल्म ‘कलंक’ में अगर मैं कामयाब हुआ, तो एक अलग जोनर मेरे लिए तैयार हो जायेगा. इसमें डर होता है, पर मुझे अब ये करते रहना चाहिए.

इसमें आपका एक अलग लुक है, जिसके लिए आपने काफी मेहनत भी की है, कैसे किया ये सब?

इस फिल्म के लिए मुझे बहुत काम करना पड़ा. इसके लिए पहले तो मैंने अपने बाल लम्बे किये है. आंखों में सूरमा लगाया है, क्योंकि मैं साल 1940 का एक लोहार हूं और उस समय सूरमा ज्यादा लगाया जाता था. इसमें मुझे बहुत ही एग्रेसिव दिखाया गया है. जिसकी जिंदगी, ‘रूप’ (आलिया भट्ट) के आने से पहले बहुत ही अलग थी.

यह भी पढ़ें- मुंबई की इस फेमस जगह पर लौन्च होगा ‘कलंक’ का नया गाना

इसके अलावा शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियां इसमें बहुत अधिक थी. मुझे बड़े दिखने के साथ-साथ एक मजबूत आदमी के रूप में दिखना था. जो घमंडी भी है. इसमें एक बुल फाइट पर भी सीन है, जिसमें मैंने बौडी डबल नहीं किया, जिससे मुझे काफी चोटें आई थी. इतना ही नहीं सेट पर जाने के बाद लगता था कि मैं एक अलग दुनिया में आ गया हूं. इसके अलावा डायलौग पर काफी काम करना पड़ा. ये फिल्म मुझे कम्पलीट करती है, जो मुझे किसी फिल्म ने नहीं किया.

इसमें आपने संजय दत्त के साथ काम किया है, कोई पुरानी बचपन की यादें, जिसे आप शेयर करना चाहे?

बचपन के बहुत सारे यादगार पल है. मेरे पिता संजय दत्त की वजह से ही निर्देशक बने थे. उनकी पहली पिक्चर ‘ताकतवर’ थी, जिसमें संजय दत्त और गोविंदा साथ थे. हमारे साथ उनका एक अच्छा सम्बन्ध है, लेकिन अभिनय करते वक्त वे एक कलाकार के रूप में सामने आये और अच्छा लगा.

वरुण, आपका क्रेज यूथ और बच्चों में बहुत है, सोशल मीडिया पर भी आपकी काफी फैन फोलोविंग है, लेकिन आपकी फिल्में उतनी नहीं आ रही हैइसकी वजह क्या है?

ये सही है कि लोग मुझे बच्चों की फिल्म में देखना चाहते है, लेकिन वैसी बहुत अच्छी कोई स्क्रिप्ट नहीं मिली है. अगर मिलेगी तो जरूर करूंगा. आगे मेरी कई फिल्में आ रही है.

यह भी पढ़ें- फिल्म समीक्षा: ‘प्रधानमंत्री’ की मौत का वो सच जो कोई नहीं जानता

इस फिल्म में इटरनल लव दिखाया गया है, लव या रिलेशनशिप आपकी नजर में क्या है?

प्यार एक अच्छा एहसास है, जिसमें आप किसी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते है. कई बार इंसान बुरा नहीं होता, पर हादसे बुरे हो जाते है, जिससे उसका गलत इस्तेमाल हो जाता है. मैंने रियल लाइफ में ऐसा अनुभव अभी तक नहीं किया है. आजकल लव ऐसा नहीं रहा, पर होना चाहिए.

आगे कौन-कौन सी फिल्में है?

फिल्म ‘कुली नंबर वन’ का रीमेक अपने पिता के साथ कर रहा हूं. इसके अलावा फिल्म ‘स्ट्रीट डांसर थ्री डी’ और ‘रणभूमि’ है.

मुंबई की इस फेमस जगह पर लौन्च होगा ‘कलंक’ का नया गाना

वरूण धवन जब भी किसी फिल्म में मुस्लिम किरदार निभाते हैं, तो उस फिल्म का एक गाना वह मुंबई के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करते हैं. जब 2016 में वरूण धवन ने फिल्म ‘ढिशुम’ में जुनैद अंसारी का किरदार निभाया था, तब फिल्म ‘ढिशुम’ का एक गाना उन्होंने वहीं रिलीज किया था. अब करण जौहर निर्मित अभिषेक वर्मन की फिल्म ‘कलंक’ में भी वरूण धवन ने जफर नामक मुस्लिम लोहार का किरदार निभाया है.

कलंक’ का नया गाना ‘ऐरा-गैरा’

बौलीवुड में चर्चाएं है कि 13 अप्रैल को वरूण धवन ‘कलंक’ के नए गाने ‘ऐरा-गैरा’ को मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करेंगे. इस गाने में उनके साथ कृति सैनन भी हैं. पर वरूण धवन इस पर गोल मोल जवाब देते हैं. हाल ही में उनसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए हमने वरूण धवन से पूछा-

‘‘सुना है आप ‘कलंक’के गीत ‘ऐरा गैरा’ को लांच करने के लिए मुंबई में मोहम्मद अली रोड पर जाने वाले हैं? तो वरूण धवन ने कहा-

‘‘अरे..आपको कैसे पता चला. अभी तक तो मैं मन में सोच रहा था. अभी तक कुछ भी तय नहीं है. हम लोगो ने एक गाना गेटी ग्लैक्सी सिनेमाघर में जाकर लौन्च किया. दूसरा गाना हम मोहम्मद अली रोड पर लौन्च करना चाहते हैं. या फिर हैदराबाद में चार मिनार पर. इस तरह से मैं लोगों के करीब पहुंचता हूं. मुझे उनकी प्रतिक्रिया मिलती है.

ये भी पढ़ें- ‘कलंक’ के लिए आलिया ने ली इस फेमस एक्ट्रेस से प्रेरणा

लोंगो से जुड़ने का मौका…

इस तरह मुझे खुशी मिलती है, लोगों को मुफ्त में मनोरंजन मिलता है. क्योंकि इसके लिए कोई टिकट नहीं लगती. देखिए, एसी रूम में बैठकर पता नहीं चलता कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं? पर जब हम इस तरह उनके करीब पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि वह हमें कितना पसंद करते हैं. इसलिए जमीन पर, सड़क पर उतरना जरुरी है. देश में घूमना जरुरी है.’’

ये भी पढ़ें- ‘‘प्यार की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती..’’-आलिया भट्ट

बता दें कि करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी फिल्म कलंक को अभिषेक वर्मन ने निर्देशित किया है. फिल्म में माधुरी के अलावा संजय दत्त, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर व वरूण धवन भी नजर आएंगे.

इन आसान तरीकों से चमकाएं बर्तन और ज्वेलरी को

टोमेटो कैचप,  इसमे सिरका मिले होने के कारण यह और भी अम्लीय हो जाते हैं. सौस की मदद से दाग हटाना सबसे सस्ता तरीका है. इसके अलावा, बाज़ार में कई ऐसे ब्लीचिंग एजेंट उपलब्ध हैं, जिनकी तुलना में ये अधिक कारगर है.

यह दागों से निपटने के लिये एक जैविक तरीका भी है. अकसर चीज़ों में जब गंदगी लग जाती है तो इन्हें साफ करने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसलिये अपने घर और बगीचे में टमाटर के कैचप का उपयोग करने के कुछ और तरीकों को जानें.

तांबे के ज़िद्दी दाग को खत्म करने के लिए तांबा से बनी हुई चीज़ें काफी डेकोरेटिव और पुराने ज़माने की लगती हैं. तांबे के बर्तनों में खाना बनाना स्वास्थ्य के लिये अच्छा है, लेकिन आप रखरखाव के बारे में सोचने के लिए मजबूर हो सकती हैं. यदि आप इन बर्तनों को टमाटर कैचप से साफ करते हैं तो ये चमकने लगते हैं.

शू रैक को रखें क्लीन

बस आपको उसके लिये तांबे के बर्तन पर कैचप लगाकर 15 से 20 मिनट तक छोड़ देना है. फिर मुलायम सूती कपड़े के साथ पौलिश और चमक लाने के लिये गर्म पानी से उसको साफ करना होगा. ज़िद्दी दाग के लिए, कैचप में थोड़ा सा नमक और डाल लें और वही प्रक्रिया दोहराएं. यह तांबे के आभूषणों के लिये भी कारगर उपाय है. पीतल को काला पड़ने से बचाने के लिए आप पीतल के डोरहैंडल, शोपीस और यहां तक कि कुकवेयर में भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

जब केचप को पीतल के सामान पर लगाया जाता है तो ये उनकी गंदगी को हटाता है. आप चाहें तो एक कटोरे में कैचप ले लें और उसमें पीतल की छोटी चीजों को डुबो दें और उसे 15 से 20 मिनट तक रहने दें. बाद में उन्हें मुलायम कपड़े से पोंछें और फिर अच्छी तरह से धो लें.

चांदी की चमक वापस लाने के लिए यदि आपके पास चांदी का सामान है और आप उसे सही से नहीं रखती हैं तो वे हवा के संपर्क में आने पर काले पड़ जाते हैं क्योंकि ये हवा से संपर्क करके कौपर औक्साइड बनाते हैं, जो इसकी चमक को फीका कर देता है. आप 5 से 10 मिनट तक सिल्वर औब्जेक्ट को कैचप के बर्तन में डुबो दें और बाद में आप देखेंगे कि उनकी चमक वापस आ जाती है.

एक बात ध्यान रखें कि इन्हें ज़्यादा वक्त के लिये केचप में न रहने दें क्योंकि एसिड चांदी के बने सामान को नुकसान पहुंचा सकता है.

उत्सवी माहौल में यों बिखेरें खुशबू

इन टिप्स से बनाएं घर पर स्वीट पोटैटो बाइट

बिजी लाइफस्टाइल में आजकल अपनी हेल्थ का ख्याल रखना मुश्किल हो गया है. वहीं बाहर का औयली और हैवी फूड से लोगों की हेल्थ खराब होती जा रही है. लोग बाहर के खाने को टेस्टी समझकर अपनी हेल्थ के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं. इसलिए आज हम आपको घर पर हेल्दी और टेस्टी रेसिपी के बारे में बताएंगे, जो न आपकी हेल्थ पर बुरा असर डालेगी और न ही आपके टेस्ट पर इसका कोई असर होगा.

सामग्री

1 शकरकंदी

3/4 कप मैदा

3 छोटे चम्मच चीनी

शाम के नाश्ते में ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना रोल

8-10 किशमिश

तलने के लिए तेल.

ऐसे बनाएं…

मैदे में चीनी मिला कर पानी के साथ बैटर बना लें. शकरकंदी को धो कर छील लें. फिर पतले स्लाइस काट लें. किशमिश को भी छोटे टुकड़ों में काट लें. अब शकरकंदी और किशमिश को मैदे में मिलाएं. कड़ाई में तेल गरम करके शकरकंदी की स्लाइसेज को मैदे के घोल में लपेट कर सुनहरा होने तक तलें. और गरमगरम हेल्दी और टेस्टी डिश को सर्व करें.

खूबसूरत दिखने की होड़ क्यों?

प्रिया मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट में लगे मिरर में खुद को निहार रही थी. बड़ीबड़ी आंखें ,लंबे ,काले ,लहराते बाल, चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मीठी सी मुस्कान। आज उस ने गुलाबी रंग का सूट पहना था जो बहुत सुंदर लग रहा था। प्रिया को अपना व्यक्तित्व काफी आकर्षक लग रहा था. वह अपनी खूबसूरती
पर इतरा ही रही थी कि फर्स्ट फ्लोर पर लिफ्ट रुकी और एक खूबसूरत सी लड़की ने प्रवेश किया।
वह लड़की प्रिया से कहीं अधिक गोरी ,लंबी और तीखे नैन नक्श वाली थी। प्रिया ने एक बार फिर मिरर देखा। उस लड़की के आगे वह काफी सांवली, नाटी और साधारण सी लग रही थी. प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई. अब उसे अपना चेहरा बहुत फीका लगने लगा।वह  यह सोच कर दुखी हो गईकि उस का रंगरूप कितना साधारण सा है. वह बिल्कुल भी खूबसूरत नहीं।

बस एक लमहा गुजरा था. कहां प्रिया अपनी खूबसूरती पर इतरा रही थी को और कहां अब उस के चेहरे पर उदासी के बादल घनीभूत हो चुके थे. वजह साफ़ है , उस एक पल में प्रिया ने दूसरे से खुद की तुलना की थी और इस चक्कर में अपना नजरिया बदल लिया था। खुद को देखने और महसूस करने का नजरिया, जमाने की भीड़ में अपने वजूद को पहचानने का नजरिया , सब बदल गया था. बहुत साधारण सी बात थी मगर प्रियाकी जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया. उस के चेहरे की मुस्कान छिन गई. जीवन के प्रति सकारात्मकता खो गई.एक पल के अंतर ने प्रिया को आसमान से जमीन पर ला पटका.

तुलना क्यों

प्रिया की तरह सामान्य जिंदगी में हम अक्सर अनजाने खुद के साथ ऐसा करते रहते हैं. दूसरों से तुलना कर अपनी कमियां देखते हैं और फिर जो है उस की खुशी भूल कर जो नहीं है उस का गम मनाने लगते हैं. इस से चेहरे की मुस्कान खो जाती है और पूरा व्यक्तित्व फीका लगने लगता है. इस के बाद हम शुरू करते हैं जो नहीं है उसे पाने की जंग। काले हैं तो गोरा होने की मशक्कत।
नाटे हैं तो लम्बा होने की चाहत। मोटे हैं तो पतले होने की कसरत। समय के साथ हम खुद को बदलने की जद्दोजहद में कुछ इस कदर मशरूफ हो जाते हैं कि अपने  असली किरदार से रूबरू ही नहीं हो पाते। दिमाग में तनाव और मन में निराशा लिए घूमते रहते हैं.

नजरिये का भेद

हम यदि खुद को देखने का सकारात्मक नजरिया अपनाते हैं तो हम जैसे हैं उसे अच्छा समझते हुए अपने गुणों को उभारने का काम कर सकते हैं. पर यदि नकारात्मक  नजरिया अपनाते हैं तो हमेशा अपनी खामियों को ही हाईलाइट करते रहेंगे। इस से हमारा आत्मविश्वास तो टूटेगा ही दिमाग भी खुद को बेहतर
दिखाने की उलझनों में ही डूबा रहेगा और हम हर काम में पिछड़ते  जाएंगे। पैसे बरबाद करेंगे सो अलग. इस से अच्छा है कि सकारात्मक नजरिया अपनाऐं। जैसे हैं उसे कुबूल करते हुए दूसरी खूबियों को उभारने का प्रयास करें।

मोटी हैं तो बातूनी बनें

यदि आप मोटी हैं तो पतले होने की जद्दोजहद के बजाय बातूनी बनिए और लोगों का दिल जीतने का प्रयास कीजिए।बातूनी का मतलब बेवजह बोलते रहना नहीं बल्कि लोगों को बोर न होने देना है. आप अपने अंदर ऐसी क्वालिटी पैदा कीजिए कि लोग आप का साथ चाहें. अपने दिल में कोई बात दबा कर न रखें. वैसे भी कहा जाता है कि मोटे लोग हंसाने में माहिर होते हैं। तो फिर क्यों न आप भी मस्ती भरे पल चुराने का प्रयास करें। जिस महफिल में जाएं वहां हंसी और ठहाकों की मजलिस जमा दें. गुदगुदी की फुलझड़ियां छोड़े। लोग आप के पास आने और आप को अपना हमराही बनाने को बेताब हो उठेंगे. अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना जरूरी है न कि परफेक्ट फिगर की चाह में तनमन खराब कर लेना।

सांवली है तो कौन्फिडेंस लाइए

यदि आप का रंग सांवला है तो इस बात पर अफसोस करते रहने और रंग फेयर करने के प्रयास में लाखों रुपए खर्च करने से बेहतर है आप अपनी रंगत को स्वीकार
करें और रंग निखारने के बजाय खूबियों को उभारने का प्रयास करें अपना व्यवहार खूबसूरत बनाए ताकि लोग आप की कद्र करें और आप को सम्मान दे। गोरी रंगत तो 4 दिन की चांदनी होती है. मगर अच्छी सीरत हमेशा लोगों के दिलों पर राज करती है.स्टाइलिश कपड़े पहने। स्मार्ट हेयर कटिंग करवाऐं और सधी
हुई कॉन्फिडेंस से भरी चाल से अपना व्यक्तित्व आकर्षक बनाएं। त्वचा की रंगत सुधारने के बजाए चेहरे पर ग्लो और आंखों में विश्वास की चमक लाएं।

नाटी है तो नौटी बनें और फैशन सेंस के जलवे बिखेरे

आप का कद छोटा है तो निराश होने की जरूरत नहीं। नाटी लड़कियां यदि चुलबुली और शोख हो तो यह स्वभाव उन पर काफी सूट करता है। कपड़े ऐसे पहने जो आप को लंबा दिखाएं। मगर इस के पीछे अपने फैशन सेंस का दिवालिया न निकाले। स्टाइलिश कपड़े पहने। वैसे कपड़े जो आप को अच्छे लगते हो। जिन्हे पहन कर आप फैशन की दृष्टि से अपडेट नजर आए. इस से आप दूर से ही लोगों की
निगाहों पर छा जाएंगी. आप के अंदर की हीन भावना को पनपने के लिए धरातल नहीं मिलेगा।

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें