मुंबई की इस फेमस जगह पर लौन्च होगा ‘कलंक’ का नया गाना

वरूण धवन जब भी किसी फिल्म में मुस्लिम किरदार निभाते हैं, तो उस फिल्म का एक गाना वह मुंबई के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करते हैं. जब 2016 में वरूण धवन ने फिल्म ‘ढिशुम’ में जुनैद अंसारी का किरदार निभाया था, तब फिल्म ‘ढिशुम’ का एक गाना उन्होंने वहीं रिलीज किया था. अब करण जौहर निर्मित अभिषेक वर्मन की फिल्म ‘कलंक’ में भी वरूण धवन ने जफर नामक मुस्लिम लोहार का किरदार निभाया है.

कलंक’ का नया गाना ‘ऐरा-गैरा’

बौलीवुड में चर्चाएं है कि 13 अप्रैल को वरूण धवन ‘कलंक’ के नए गाने ‘ऐरा-गैरा’ को मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करेंगे. इस गाने में उनके साथ कृति सैनन भी हैं. पर वरूण धवन इस पर गोल मोल जवाब देते हैं. हाल ही में उनसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए हमने वरूण धवन से पूछा-

‘‘सुना है आप ‘कलंक’के गीत ‘ऐरा गैरा’ को लांच करने के लिए मुंबई में मोहम्मद अली रोड पर जाने वाले हैं? तो वरूण धवन ने कहा-

‘‘अरे..आपको कैसे पता चला. अभी तक तो मैं मन में सोच रहा था. अभी तक कुछ भी तय नहीं है. हम लोगो ने एक गाना गेटी ग्लैक्सी सिनेमाघर में जाकर लौन्च किया. दूसरा गाना हम मोहम्मद अली रोड पर लौन्च करना चाहते हैं. या फिर हैदराबाद में चार मिनार पर. इस तरह से मैं लोगों के करीब पहुंचता हूं. मुझे उनकी प्रतिक्रिया मिलती है.

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लोंगो से जुड़ने का मौका…

इस तरह मुझे खुशी मिलती है, लोगों को मुफ्त में मनोरंजन मिलता है. क्योंकि इसके लिए कोई टिकट नहीं लगती. देखिए, एसी रूम में बैठकर पता नहीं चलता कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं? पर जब हम इस तरह उनके करीब पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि वह हमें कितना पसंद करते हैं. इसलिए जमीन पर, सड़क पर उतरना जरुरी है. देश में घूमना जरुरी है.’’

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बता दें कि करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी फिल्म कलंक को अभिषेक वर्मन ने निर्देशित किया है. फिल्म में माधुरी के अलावा संजय दत्त, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर व वरूण धवन भी नजर आएंगे.

इन आसान तरीकों से चमकाएं बर्तन और ज्वेलरी को

टोमेटो कैचप,  इसमे सिरका मिले होने के कारण यह और भी अम्लीय हो जाते हैं. सौस की मदद से दाग हटाना सबसे सस्ता तरीका है. इसके अलावा, बाज़ार में कई ऐसे ब्लीचिंग एजेंट उपलब्ध हैं, जिनकी तुलना में ये अधिक कारगर है.

यह दागों से निपटने के लिये एक जैविक तरीका भी है. अकसर चीज़ों में जब गंदगी लग जाती है तो इन्हें साफ करने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसलिये अपने घर और बगीचे में टमाटर के कैचप का उपयोग करने के कुछ और तरीकों को जानें.

तांबे के ज़िद्दी दाग को खत्म करने के लिए तांबा से बनी हुई चीज़ें काफी डेकोरेटिव और पुराने ज़माने की लगती हैं. तांबे के बर्तनों में खाना बनाना स्वास्थ्य के लिये अच्छा है, लेकिन आप रखरखाव के बारे में सोचने के लिए मजबूर हो सकती हैं. यदि आप इन बर्तनों को टमाटर कैचप से साफ करते हैं तो ये चमकने लगते हैं.

शू रैक को रखें क्लीन

बस आपको उसके लिये तांबे के बर्तन पर कैचप लगाकर 15 से 20 मिनट तक छोड़ देना है. फिर मुलायम सूती कपड़े के साथ पौलिश और चमक लाने के लिये गर्म पानी से उसको साफ करना होगा. ज़िद्दी दाग के लिए, कैचप में थोड़ा सा नमक और डाल लें और वही प्रक्रिया दोहराएं. यह तांबे के आभूषणों के लिये भी कारगर उपाय है. पीतल को काला पड़ने से बचाने के लिए आप पीतल के डोरहैंडल, शोपीस और यहां तक कि कुकवेयर में भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

जब केचप को पीतल के सामान पर लगाया जाता है तो ये उनकी गंदगी को हटाता है. आप चाहें तो एक कटोरे में कैचप ले लें और उसमें पीतल की छोटी चीजों को डुबो दें और उसे 15 से 20 मिनट तक रहने दें. बाद में उन्हें मुलायम कपड़े से पोंछें और फिर अच्छी तरह से धो लें.

चांदी की चमक वापस लाने के लिए यदि आपके पास चांदी का सामान है और आप उसे सही से नहीं रखती हैं तो वे हवा के संपर्क में आने पर काले पड़ जाते हैं क्योंकि ये हवा से संपर्क करके कौपर औक्साइड बनाते हैं, जो इसकी चमक को फीका कर देता है. आप 5 से 10 मिनट तक सिल्वर औब्जेक्ट को कैचप के बर्तन में डुबो दें और बाद में आप देखेंगे कि उनकी चमक वापस आ जाती है.

एक बात ध्यान रखें कि इन्हें ज़्यादा वक्त के लिये केचप में न रहने दें क्योंकि एसिड चांदी के बने सामान को नुकसान पहुंचा सकता है.

उत्सवी माहौल में यों बिखेरें खुशबू

इन टिप्स से बनाएं घर पर स्वीट पोटैटो बाइट

बिजी लाइफस्टाइल में आजकल अपनी हेल्थ का ख्याल रखना मुश्किल हो गया है. वहीं बाहर का औयली और हैवी फूड से लोगों की हेल्थ खराब होती जा रही है. लोग बाहर के खाने को टेस्टी समझकर अपनी हेल्थ के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं. इसलिए आज हम आपको घर पर हेल्दी और टेस्टी रेसिपी के बारे में बताएंगे, जो न आपकी हेल्थ पर बुरा असर डालेगी और न ही आपके टेस्ट पर इसका कोई असर होगा.

सामग्री

1 शकरकंदी

3/4 कप मैदा

3 छोटे चम्मच चीनी

शाम के नाश्ते में ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना रोल

8-10 किशमिश

तलने के लिए तेल.

ऐसे बनाएं…

मैदे में चीनी मिला कर पानी के साथ बैटर बना लें. शकरकंदी को धो कर छील लें. फिर पतले स्लाइस काट लें. किशमिश को भी छोटे टुकड़ों में काट लें. अब शकरकंदी और किशमिश को मैदे में मिलाएं. कड़ाई में तेल गरम करके शकरकंदी की स्लाइसेज को मैदे के घोल में लपेट कर सुनहरा होने तक तलें. और गरमगरम हेल्दी और टेस्टी डिश को सर्व करें.

खूबसूरत दिखने की होड़ क्यों?

प्रिया मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट में लगे मिरर में खुद को निहार रही थी. बड़ीबड़ी आंखें ,लंबे ,काले ,लहराते बाल, चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मीठी सी मुस्कान। आज उस ने गुलाबी रंग का सूट पहना था जो बहुत सुंदर लग रहा था। प्रिया को अपना व्यक्तित्व काफी आकर्षक लग रहा था. वह अपनी खूबसूरती
पर इतरा ही रही थी कि फर्स्ट फ्लोर पर लिफ्ट रुकी और एक खूबसूरत सी लड़की ने प्रवेश किया।
वह लड़की प्रिया से कहीं अधिक गोरी ,लंबी और तीखे नैन नक्श वाली थी। प्रिया ने एक बार फिर मिरर देखा। उस लड़की के आगे वह काफी सांवली, नाटी और साधारण सी लग रही थी. प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई. अब उसे अपना चेहरा बहुत फीका लगने लगा।वह  यह सोच कर दुखी हो गईकि उस का रंगरूप कितना साधारण सा है. वह बिल्कुल भी खूबसूरत नहीं।

बस एक लमहा गुजरा था. कहां प्रिया अपनी खूबसूरती पर इतरा रही थी को और कहां अब उस के चेहरे पर उदासी के बादल घनीभूत हो चुके थे. वजह साफ़ है , उस एक पल में प्रिया ने दूसरे से खुद की तुलना की थी और इस चक्कर में अपना नजरिया बदल लिया था। खुद को देखने और महसूस करने का नजरिया, जमाने की भीड़ में अपने वजूद को पहचानने का नजरिया , सब बदल गया था. बहुत साधारण सी बात थी मगर प्रियाकी जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया. उस के चेहरे की मुस्कान छिन गई. जीवन के प्रति सकारात्मकता खो गई.एक पल के अंतर ने प्रिया को आसमान से जमीन पर ला पटका.

तुलना क्यों

प्रिया की तरह सामान्य जिंदगी में हम अक्सर अनजाने खुद के साथ ऐसा करते रहते हैं. दूसरों से तुलना कर अपनी कमियां देखते हैं और फिर जो है उस की खुशी भूल कर जो नहीं है उस का गम मनाने लगते हैं. इस से चेहरे की मुस्कान खो जाती है और पूरा व्यक्तित्व फीका लगने लगता है. इस के बाद हम शुरू करते हैं जो नहीं है उसे पाने की जंग। काले हैं तो गोरा होने की मशक्कत।
नाटे हैं तो लम्बा होने की चाहत। मोटे हैं तो पतले होने की कसरत। समय के साथ हम खुद को बदलने की जद्दोजहद में कुछ इस कदर मशरूफ हो जाते हैं कि अपने  असली किरदार से रूबरू ही नहीं हो पाते। दिमाग में तनाव और मन में निराशा लिए घूमते रहते हैं.

नजरिये का भेद

हम यदि खुद को देखने का सकारात्मक नजरिया अपनाते हैं तो हम जैसे हैं उसे अच्छा समझते हुए अपने गुणों को उभारने का काम कर सकते हैं. पर यदि नकारात्मक  नजरिया अपनाते हैं तो हमेशा अपनी खामियों को ही हाईलाइट करते रहेंगे। इस से हमारा आत्मविश्वास तो टूटेगा ही दिमाग भी खुद को बेहतर
दिखाने की उलझनों में ही डूबा रहेगा और हम हर काम में पिछड़ते  जाएंगे। पैसे बरबाद करेंगे सो अलग. इस से अच्छा है कि सकारात्मक नजरिया अपनाऐं। जैसे हैं उसे कुबूल करते हुए दूसरी खूबियों को उभारने का प्रयास करें।

मोटी हैं तो बातूनी बनें

यदि आप मोटी हैं तो पतले होने की जद्दोजहद के बजाय बातूनी बनिए और लोगों का दिल जीतने का प्रयास कीजिए।बातूनी का मतलब बेवजह बोलते रहना नहीं बल्कि लोगों को बोर न होने देना है. आप अपने अंदर ऐसी क्वालिटी पैदा कीजिए कि लोग आप का साथ चाहें. अपने दिल में कोई बात दबा कर न रखें. वैसे भी कहा जाता है कि मोटे लोग हंसाने में माहिर होते हैं। तो फिर क्यों न आप भी मस्ती भरे पल चुराने का प्रयास करें। जिस महफिल में जाएं वहां हंसी और ठहाकों की मजलिस जमा दें. गुदगुदी की फुलझड़ियां छोड़े। लोग आप के पास आने और आप को अपना हमराही बनाने को बेताब हो उठेंगे. अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना जरूरी है न कि परफेक्ट फिगर की चाह में तनमन खराब कर लेना।

सांवली है तो कौन्फिडेंस लाइए

यदि आप का रंग सांवला है तो इस बात पर अफसोस करते रहने और रंग फेयर करने के प्रयास में लाखों रुपए खर्च करने से बेहतर है आप अपनी रंगत को स्वीकार
करें और रंग निखारने के बजाय खूबियों को उभारने का प्रयास करें अपना व्यवहार खूबसूरत बनाए ताकि लोग आप की कद्र करें और आप को सम्मान दे। गोरी रंगत तो 4 दिन की चांदनी होती है. मगर अच्छी सीरत हमेशा लोगों के दिलों पर राज करती है.स्टाइलिश कपड़े पहने। स्मार्ट हेयर कटिंग करवाऐं और सधी
हुई कॉन्फिडेंस से भरी चाल से अपना व्यक्तित्व आकर्षक बनाएं। त्वचा की रंगत सुधारने के बजाए चेहरे पर ग्लो और आंखों में विश्वास की चमक लाएं।

नाटी है तो नौटी बनें और फैशन सेंस के जलवे बिखेरे

आप का कद छोटा है तो निराश होने की जरूरत नहीं। नाटी लड़कियां यदि चुलबुली और शोख हो तो यह स्वभाव उन पर काफी सूट करता है। कपड़े ऐसे पहने जो आप को लंबा दिखाएं। मगर इस के पीछे अपने फैशन सेंस का दिवालिया न निकाले। स्टाइलिश कपड़े पहने। वैसे कपड़े जो आप को अच्छे लगते हो। जिन्हे पहन कर आप फैशन की दृष्टि से अपडेट नजर आए. इस से आप दूर से ही लोगों की
निगाहों पर छा जाएंगी. आप के अंदर की हीन भावना को पनपने के लिए धरातल नहीं मिलेगा।

फिल्म समीक्षा: ‘प्रधानमंत्री’ की मौत का वो सच जो कोई नहीं जानता

रेटिंग: साढ़े 3 स्टार

11 जनवरी 1966 की रात सोवियत संघ के ताशकंद शहर में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु पर सवाल उठाने वाली फिल्म है-‘‘द ताशकंद फाइल्स’. जिसे लेखक व निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के अब तक के करियर की बेस्ट फिल्म कहा जा सकता है. फिल्मकार ने इतिहास के किसी भी विवादास्पद पहलू को दिखाने की अपनी रचनात्मक आजादी का बाखूबी उपयोग इस फिल्म में किया है.

लेकिन फिल्मकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि फिल्म के आखिरी से पहले कृछ तथ्य एकतरफा नजर आते हैं. एक सीन में एक मसले पर हाथ उठाने के लिए कहे जाने पर इतिहासकार आयशा कहती हैं कि कौन सा हाथ लेफ्ट या राइट?

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कहानी…

फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ की कहानी के केंद्र में एक युवा राजनीतिक पत्रकार रागिनी फुले (श्वेता बसु प्रसाद)हैं. उसे अपने अखबार के लिए स्कूप वाली स्टोरी देनी होती है. जिस दिन उसका जन्मदिन होता है, उसी दिन उसके संपादक उसे दस दिन के अंदर बड़ी स्कूप वाली स्टोरी न देने पर उसे नौकरी से बाहर करने की बात कह देता है. अब रागिनी परेशान है. तभी उसके पास एक अनजान नंबर से फोन आता है,जो कि उससे कुछ सवाल करता है और शास्त्री जी को लेकर भी सवाल करता है. फिर कहता है कि उसके जन्मदिन के उपहार के तौर पर उसके टेबल की दराज में एक लिफाफा है. इस लिफाफे में उसे ढेरी सारी जानकारी मिलती हैं, जिसके आधार पर वह अपने अखबार को स्टोरी देती है कि शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई थी और वह इसके लिए जांच कमेटी गठित करने की मांग करती है.

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पूरे देश में हंगामा मच जाता है. तब गृहमंत्री पी के आर नटराजन (नसीरूद्दीन शाह) पहले रागिनी फुले से बात करते हैं और फिर एक जांच कमेटी गठित करने का निर्णय लेते हुए विपक्ष के नेता श्याम सुंदर त्रिपाठी (मिथुन चक्रवर्ती) से मिलते हैं तथा उन्हे इस कमेटी का अध्यक्ष बना देते हैं. श्याम सुंदर त्रिपाठी इस जांच कमेटी में अपने साथ रागिनी फुले, समाज सेविका इंदिरा जय सिंह रौय (मंदिरा बेदी), ओंकार कश्यप (राजेश शर्मा), वैज्ञानिक गंगाराम झा (पंकज त्रिपाठी), जस्टिस कूरियन (विश्व मोहन बडोला), पूर्व रा प्रमुख जी के अनंता सुरेश (प्रशांत बेलावड़ी), युवा नेता वीरेंद्र प्रताप सिंह राना (प्रशांत गुप्ता) के साथ-साथ इतिहासकार आयशा  (पल्लवी जोशी) को भी रखते हैं. आयशा ने शास्त्री जी की मौत पर लिखी अपनी किताब में शास्त्री जी की मौत की वजह हार्ट अटैक लिखी है और उन्हे यह मंजूर नही कि कोई उन्हे व उनकी किताब को गलत ठहराए.

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डायरेक्शन…

फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने इस बार अपनी फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ में अतीत के बहुत ही ज्यादा विवादास्पद मुद्दे को उठाया है. फिल्म देखते वक्त अहसास होता है कि उन्होने इस राजनीतिक ड्रामा वाली फिल्म के लिए गहन शोधकार्य किया है. बेहतरीन पटकथा व उत्कृष्ट निर्देशन के चलते फिल्म दर्शकों को अंत तक बांधकर रखती है. फिल्म रोमांचक यात्रा है. इंटरवल से पहले कहानी बेवजह खींची गयी लगती है, मगर इंटरवल के बाद जबरदस्त नाटकीयता है. विवेक अग्निहोत्री व फिल्म एडीटर की कमजोरी के चलते फिल्म में सुनील शास्त्री, अनिल शास्त्री, कुलदीप नय्यर आदि के इंटरव्यू ठीक से कहानी का हिस्सा नहीं बन पाते.

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अभिनय…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो पत्रकार रागिनी फुले का किरदार निभाने वाली अदाकारा श्वेतता बसु प्रसाद के अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. एक दो सीन को नजरंदाज कर दें, तो वह पूरी फिल्म में अपनी परफार्मेंस की वजह से हावी रहती है. पंकज त्रिपाठी,पल्लवी जोशी, मंदिरा बेदी, मिथुन चक्रवर्ती ने भी बेहतरीन परफार्मेंस दी है. नसीरूद्दीन शाह के हिस्से कुछ खास करने को रहा नही. कैमरामैन उदयसिंह मोहिते भी बधाई के पात्र हैं. इस फिल्म की कमजोर कड़ी इसका बैकग्राउंड साउंड है.

देखें या नहीं…

कुल मिलाकर अगर आप एक गंभीर मुद्दे पर कोई अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं तो एक बार इसे जरूर देख सकते हैं. लेकिन बौलीवुड की टिपिकल मसाला फिल्में देखने वाले दर्शकों के लिए ये फिल्म नहीं है.

सेंटर टेबल से दें अपने घर को न्यू लुक

सेंटर टेबल आपके घर को सजाने में एक अलग सा ही लुक देता है. एक सजा हुआ सेंटर टेबल ना केवल खाली जगहों को भरता है बल्कि सोफा सेट को भी एक अलग सा लुक प्रदान करने में मदद करता है.

अपके घर में सेंटर टेबल का उपयोग अक्‍सर टीवी रिमोट, किताबें और समाचार पत्र रखने के लिए ही होता है, पर अगर आप इसे खूबसूरती के साथ सजाएगीं तो यह आपके घर को एक नया लुक देगा. चलिए जानते हैं, सेंटर टेबल को सजाने के टिप्‍स.

कपड़ों के अलावा ये 5 चीजें भी वाशिंग मशीन में धो सकती हैं आप

  1. खूबसूरत फूल, बोंसाई, मोमबत्तियां,  क्रिस्‍टल आदि आपकी टेबल का रुप रंग दोनों ही निखार सकती हैं. इनका इस्तेमाल टेबल सजाने में जरुर करना चाहिए.
  2. अगर आप सेंटर टेबल को सजाने के लिए ज्‍यादा कुछ नहीं कर सकतीं तो उसपर फूलों के पत्‍तों से भरा हुआ एक बड़ा सा कटोरा पानी डाल कर रख दें. साथ ही बीच में तैरती हुई मोमबत्‍तियां डालना न भूलें.
  3. सेंटर टेबल केवल देखने भर के लिए ही नहीं होता पर आप चाहें तो उसको महका भी सकती हैं। आप केवल खूब सारी सुगंधित मोमबत्तियों को एक साथ बांध कर रख दें और जब शाम हो तो उन्‍हें जला दें. आपका कमरा महक उठेगा.
  4. आप चाहें तो सेंटर में कोई भी शो पीस या फिर केंडर स्‍टैंड सजा सकती हैं. इससे टेबल थोडी भरी हुई दिखेगी.

नमक भी लाता है चमक

‘कलंक’ के लिए आलिया ने ली इस फेमस एक्ट्रेस से प्रेरणा

बौलीवुड में चाइल्ड एक्ट्रेस के तौर पर करियर शुरू करने वाली आलिया भट्ट आज इंडस्ट्री की सक्सेसफुल एक्ट्रेसेस में से एक है. उनकी फिल्म ‘कलंक’ रिलीज़ पर है, जिसमें उन्होंने हैवी लहंगे, बड़े-बड़े हैवी गहने और घूंघट के साथ रूप की भूमिका निभाई है, आइये उनसे ही जानते हैं इस फिल्म के बारे में और उनके अब तक के सफर के बारे में…

फिल्म कलंक में आपने पहली बार अलग भूमिका निभाई हैं, कितनी तैयारियां करनी पड़ी?

इसमें पूरा लुक निर्देशक अभिषेक बर्मन ने दिया है और पहली बार डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा ने पीरियड फिल्म की है, जिसमें उनकी सोच है. इसके अलावा टीम के सारे लोगों ने इसे अच्छा बनाने के लिए मेहनत की है. मैंने अपने कैरेक्टर को अच्छा बनाने के लिए ध्यान दिया है. ये कठिन होने के साथ-साथ मुश्किल भी था, क्योंकि मैं पहली बार इतनी ज्वैलरी और घाघरा पहन रही हूं. मैंने इसमें 25 किलो और 12 किलो का घाघरा पहना है. मोटे-मोटे शाल जो घूंघट के रूप में था. इसे लेकर अभिनय करना मेरे लिए एक चुनौती थी. मैं ऐसी लड़की हूं, जो हर काम जल्दी-जल्दी करना पसंद करती हूं, ऐसे में मुझे एक महिला की तरह व्यवहार करने में समय लगा और इतना कह सकती हूं कि मैंने इस चरित्र के साथ बहुत कुछ सीखा है.

फिल्म समीक्षा : ब्लैकबोर्ड वर्सेस व्हाइटबोर्ड

एक्टिंग के लिए मैंने पुरानी फिल्में देखी है. शालीनता और शांत दिखना ये सब जो आज हमारे पास नहीं है, इसे करने के लिए मैंने मुगलेआज़म, उमरावजान, सिलसिला, कभी-कभी आदि जैसी फिल्में देखी हैं. अभिनेत्री रेखा मेरे लिए प्रेरणा है, जिन्होंने आंखों से सौफ्टनेस और एनर्जी को कई फिल्मों में दिखाया है, उसे मैंने अडैप्ट किया. इसके अलावा सेट पर आने के बाद माहौल ही आपको सब कुछ सीखा देती है.

इस चरित्र को परिवार से कितना प्रोत्साहन मिला?

मेरी मां मेरी तारीफ थोड़ी कम करती हैं. पिता को मैंने अपनी भूमिका का कुछ हिस्सा भेजकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही थी. उन्होंने मुझे बहुत लम्बा मेसेज मेरी तारीफ में भेजा था, जो मुझे बहुत अच्छा लगा. इस चरित्र से आज की पीढ़ी तो जुड़ेगी ही, साथ में वे भी जुड़ सकेंगे जो इस दौर से गुजर चुकी है.

असल जिंदगी में भी मिट सकता है ‘कलंक’- माधुरी दीक्षित

रियल लाइफ में इटरनल लव को कितना फील करती है?

मैं फील कर रही हूं और जानती हूं कि ये मुश्किल से मिलता है. इसे खो देना सही नहीं है.

माधुरी दीक्षित के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

माधुरी बहुत शांत, सकारात्मक और पूरी एनर्जी के साथ काम करती है. मुझे पहले बहुत डर लगा था, पर अभिनय करते वक़्त बहुत सहजता महसूस हुई. हम दोनों एक ही डाइट ‘कीटो’ पर है, इसलिए उस विषय पर अधिकतर बातें होती थी.

आप अपनी मां के बहुत क्लोज है, लेकिन अभी आप अलग रह रही है, मां को कितना समय दे पाती हैं?

मैंने अपनी मां के साथ हमेशा अच्छा समय बिताया है. अभी मैं व्यस्त रहने और अलग रहने की वजह से उन्हें काफी मिस करती हूं. इसलिए अब मैं अधिकतर वीडियो काल करती हूं, ताकि एक दूसरे को हम देखकर बात कर सकें.

कपड़ों पर जाह्नवी का ट्रोलर्स को करारा जवाब, इतनी अमीर नहीं हूं…

आपको कामयाबी के लिए बहुत सारे अवार्ड मिले, इसे कैसे देखती हैं?

मैं खुश हूं कि मेरी फिल्मों को दर्शक पसंद कर रहे है, जिससे मुझे अवार्ड के साथ-साथ अच्छे काम भी मिल रहे हैं. मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी प्रोसेस है, जिसमें सेट पर जाना, निर्देशक के साथ काम करना, संवाद बोलना आदि होता है. इसके बाद जो हो, उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देती. मेरे हिसाब से दर्शकों को प्यार देने का एक ही तरीका, अच्छी और मनोरंजक फिल्मों को उनतक पहुंचाने का है. इसमें मुझे अच्छी फिल्मों का सही चयन करना भी बहुत जरूरी है ताकि उन्हें मेरी फिल्म देखकर मायूसी न हो.

आपने इस फिल्म में आपने बहुत हैवी ज्वेलरी पहनी हैं, रियल लाइफ में इसकी कितनी शौक़ीन हैं?

मुझे ज्वेलरी इंडियन ड्रेस में पहनना पसंद है. मुझे हैवी इयर रिंग्स बहुत पसंद है. मैं बहुत अधिक गहने पहनना या खरीदना पसंद नहीं करती.

‘‘प्यार की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती..’’-आलिया भट्ट

अभी आप फिल्म सड़क-2 में अपने पिता के साथ काम कर रही है, कितनी उत्साहित हैं?

मैं बहुत नर्वस और खुश हूं. अच्छा अभिनय करने के लिए बहुत मेहनत कर रही हूं.

आपका नाम रनबीर कपूर के साथ शादी के लिए जोड़ा जा रहा है?

अभी मैं शादी नहीं कर रही हूं और अगर करुंगी भी, तो मुझे कहने में कोई शर्म नहीं, क्योंकि ये कोई गलत काम नहीं है. जब मैं शादी करुंगी,तब मैं इसे मुंबई के खास जगह से ऐलान करुंगी.

5 टिप्स: छिले फिंगर टिप्स को ऐसे कहें बाय-बाय…

बौडी के हर पार्ट की सफाई और केयर करना जरूरी होता है, लेकिन केयर करने के बाद भी आपकी स्किन डैमेज हो जाती है जैसे आपके नाखूनों के आसपास की स्किन. जो आपके लिए नाखूनों की तरह ही जरूरी होती हैं, जिससे आपके हाथ सुंदर दिखते हैं. उंगलियों के आसपास की स्किन काफी सेंसिटिव होती है, जिससे स्किन फट जाती है. जिस पर दवा लगाना आसान नहीं होता, क्योंकि बिना उंगलियों के तो हम कोई काम भी नहीं कर सकते.

इसलिए आज हम आपको ऐसे होममेड टिप्स देंगे, जिससे आप उंगलियों की स्किन को फटने से बचाने के साथ-साथ हाथों को और भी सुंदर बना सकती है…

5 टिप्स: गरमी में कच्चे दूध से स्किन को बनाएं और भी खूबसूरत

1.फिंगरटिप्स को एलोवेरा से करें कूल… 
उंगलियों के आसपास की स्किन छिलने से जलन और इरिटेशन हो सकती है, जिसके लिए एलोवेरा जैल सबसे अच्छा औप्शन है. इसलिए ऐलोवेरा का जैल निकाल कर प्रभावित हिस्सों पर इसे सूखने तक रहने दें. एलोवेरा जैल दिन में कम से कम दो बार लगाएं.

2. कोकोनट औयल से फिंगरटिप्स को दें आराम
पुराने टाइम में जब हमारे पास मौइस्चराइज़र जैसी क्रीम्स नहीं थीं, तब कोकोनट औयल स्किन की हर तरह की प्रौब्लम का अकेला औप्शन था. जो ड्राई और पैची स्किन अच्छा सौल्यूशन है. फिंगरटिप्स पर कोकोनट औयल को दिन में दो बार और रात में एक बार लगाए. जिससे आपको कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगेगा.

स्मार्ट मेकअप टिप्स: गरमी में करें सीसी क्रीम से दोस्तीं

3. हनी से लाए हाथों में नमी…
स्किन के लिए हनी एक अच्छा और बेहतरीन मौइस्चराइजर है. इसे आप केवल प्रभावित हिस्सों पर लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें. जिससे आपको साफ और सुंदर हाथों का एहसास होगा.

4. फिंगर टिप्स पर दूध और ओट्स…
दूध मौइस्चराइज और ओट्स स्किन की परतदार चर्बी को दूर करने में मदद करता है जो इरिटेशन और जलन का कारण हो सकता है. ओट्स और दूध का एक गाढ़ा पेस्ट बनाएं और इसे अपनी उंगलियों पर लगाएं.

5. गले हुए केलों का करें इस्तेमाल…
गले हुए केलों को फेंकनें की बजाय, उसे मैश करने के बाद इसमें थोड़ा-सा शहद और दूध मिलाएं और इसे अपनी उंगलियों पर लगाएं. इसे रोजाना लगाएं और देखें कि आपकी स्किन कैसे न्यूट्रीएंटस को औब्जर्ब करती है स्किन को सौफ्ट बनाती है.

टेस्टी चौकलेट मूस बाइट से आपकी शाम बनेगी मजेदार

चौकलेट एक ऐसी स्वीट है जो बच्चों से लेकर बूढ़े सभी को पसंद आती है. जिसे लोग कभी भी और किसी भी टीइम खाना पसंद करते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिससे आम चौकलेट को एक नया रूप देकर अपने दोस्तों और फैमिली से तारीफें बटोर पाएंगी…

सामग्री

50 ग्राम कुकिंग चौकलेट

11/2 बड़े चम्मच क्रीम

10-12 काजू के टुकड़े

5-6 मीठे बिस्कुट.

बनाने का तरीका

डबल बौयलर में चौकलेट को पिघलाकर इसमें काजू के टुकड़े व फ्रैश क्रीम डाल कर अच्छी तरह मिलाकर पाइपिंग बैग में भर लें. बिस्कुटों के ऊपर चौकलेट की परत लगाएं. उसके ऊपर काजू के टुकड़े लगा कर अपनी फैमिली और दोस्तों को खिलाएं.

बच्चों के लिए ऐसे बनाएं चौकलेट एप्पल वैजेस…

आजकल बच्चों को चौकलेट आइस्क्रीम जैसी चीजें खाना ज्यादा पसंद आता है, इसलिए अगर उन्हें फ्रूट को चौकलेट के साथ दिया जाए तो वह मजे से खाते हैं. इसलिए आज हम आपको फ्रूट और चौकलेट का कांबिनेशन बताएंगे, जिससे आप अपने बच्चों का टेस्टी और हेल्दी स्नैक्स से दिल जीत पाएंगी…

टेस्टी कौलीफ्लौवर सिगार्स के साथ शाम बनाएं मजेदार

सामग्री

1 सेब

50 ग्राम कुकिंग चौकलेट

1 बड़ा चम्मच सफेद मक्खन

2 बूंदें वैनिला ऐसेंस

थोड़े से अनार के दाने

7-8 भीगे बादाम

शाम के नाश्ते में ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना रोल

बनाने का तरीका

चौकलेट को बौयलर में पिघला लें. फिर मिक्सी में भीगे बादाम पीस लें. पिघले हुए चौकलेट में बादाम, बटर और वैनिला ऐसेंस मिलाकर पाइपिंग बैग में भर कर एप्पल स्लाइसेज पर लगाएं. ऊपर अनार के दाने सजा कर बच्चों को टेस्टी सनैक्स सर्व करें.

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