Web Series Review- थिंकिस्तान

रिलीज इयर – 2019

क्रिएटर- रजनीश लाल

कास्ट–  नवीन कस्तूरिया, श्रवण रेड्डी, मंदिरा बेदी, सहाना गोस्वामी

जोनर– ड्रामा, कौमेडी

एमएक्स प्लेयर की ओरिजिनल सीरीज थिंकिस्तान दो लड़कों हेमा और अमित के इर्दगिर्द घूमती है जो कौपी राइटर बनने के लिए अपने-अपने शहर से बौम्बे आए हैं. स्टोरी 1996 के बौम्बे को दिखाती है जिस मे एक विज्ञापन एजेंसी एमएमटीसी किस तरह उस समय में एड क्रिएट करती है और किस तरह हेमा और अमित खुद को इस में फिट बैठा पाते हैं की कहानी है.

प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ का तड़का बहुत अच्छा है. यह एक फ्रेश कंटेंट है जो हर युवा को एक ताजगी भरे कंटेंट का मजा दिलाती है. एक तरफ जहां हेमा अपनी इंग्लिश, पर्सनैलिटी और चार्म से सभी के दिलों में जगह बना लेता है वहीँ दूसरी तरफ शांत और हिंदीभाषी झिझक भरे अमित को दिखाया गया है जो इस चमचमाती दुनिया का हिस्सा बनने में मुश्किलों का सामना करता है.

हेमा और अमित की दोस्ती और औफिस में होने वाले भेदभाव को क्रिएटिव तरीके से दिखाया गया है. हालांकि, सीजन की शुरुआत करियर ओरिएंटेड है तो एंडिंग थोड़ी अब्रप्ट भी लगती है. फिर भी इसे देखना तो बनता है.

जाह्नवी को इस हाल में देख हैरान हुए फैंस, कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी का इन दिनों ट्रोलिंग होना आम बात बन गई है. हाल ही में उनकी अपकमिंग फिल्म ‘रुही आफ्जा’ के सेट से फिल्म में उनके लुक की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर रिलीज हो गई, जिसके बाद कईं फैन्स ने जाह्नवी की तारीफ की तो वहीं कुछ ने उनकी तुलना मेड से करके ट्रोल कर दिया. आइए आपको दिखाते हैं उनके लुक की कुछ खास फोटोज…

दूसरी फिल्म में राजकुमार के साथ आएंगी नजर

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जाह्नवी अपनी अपकमिंग फिल्म ‘रुही आफ्जा’ में राजकुमार राव के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करती हुई नजर आने वाली है.

लुक की फोटोज को लेकर फैन ने किया ये कमेंट

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जहां एक तरफ फिल्म में राजकुमार राव के संग काम करने को लेकर जाह्नवी बेहद खुश है. वहीं फैंस ने उनके लुक की तुलना मेड से करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि उनकी मेड भी उनसे सुंदर दिखती हैं.

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पहले भी कपड़ों पर हुईं थी ट्रोल

 

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“Tone down the drama or leave” Me: PC: @viralbhayani

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इससे पहले भी जाह्नवी अपने सिंपल कपड़ों को लेकर ट्रोल कर चुके हैं, जिसको लेकर जाह्नवी भी जवाब दे चुकी हैं.

राजकुमार राव के साथ काम करने की जताई थी तमन्ना

 

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जाह्नवी राजकुमार राव पर अपने क्रश का खुलासा मीडिया के सामने कर चुकी हैं. ऐसे में दूसरी ही फिल्म में राजकुमार के साथ काम करना जाह्नवी के लिए बेहद खास एक्सपीरियंस होने वाला है.

उत्तराखंड में हो रही है फिल्म की शूटिंग

 

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Janhvi Kapoor gets a warm welcome from fans while shooting for Roohiafza in Roorkee. #instalove #manavmanglani

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जाह्नवी कपूर की इस फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड की रुड़की में हो रही है. वायरल हुई फोटो में जाह्नवी कपूर सिंपल सलवार कमीज और ग्रे जैकेट पहने हुए नजर आ रही है. जिसमें उन्हें पहचान पाना मुश्किल है.

बता दें, ‘धड़क’ के बाद जाह्नवी कपूर का राजकुमार के साथ स्क्रीन शेयर करना जहां लोगों का ध्यान खींच रहा है, वहीं फैंस के बीच उनकी ये लुक सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है.

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हिमाचल की वादियों में दिखा कार्तिक-सारा का रोमांटिक अंदाज

बौलीवुड में फिल्म केदारनाथ से डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस सारा अली खान इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म के को-स्टार कार्तिक आर्यन के साथ शूटिंग के बीच हिमाचल की वादियों का मजा ले रहीं हैं. सारा और कार्तिक की ये जोड़ी बहुत जल्द फिल्म ‘लव आज कल 2’ में नजर आएगी. आइए आपको दिखाते हैं सारा और कार्तिक के फुरसत के पल की कुछ फोटोज…

सारा और कार्तिक की फोटोज हुईं वायरल

सारा इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म शूटिंग हिमाचल प्रदेश में कर रहीं हैं, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

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फिल्म के आखिरी शेड्यूल को इन्जौय कर रहे सारा-आर्यन

हिमाचल प्रदेश में ‘लव आज कल 2’ का ये आखिरी शेड्यूल है, जिसके चलते ये दोनों एक्टर्स यानी सारा और आर्यन हिमाचल की वादियों को काफी एन्जौय कर रहे हैं.

हिमाचली टोपी में नजर आए सारा-कार्तिक

 

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the way he look at Sara?❤️ #saraalikhan #kartikaaryan #sartik

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हाल ही वायरल हुई फोटोज में कार्तिक और सारा हिमाचली टोपी फोटो खिचवाते नजर आ रहे हैं.

खूबसूरत घाटियों का मजा ले रहे कार्तिक और सारा

 

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Faces covered once again ☺️♥️ such cuties!? SarTik ki Luka Chuppi? . . . . Follow me @kartiksarafanclub for all updates on Kartik & Sara!♥️ . . . Tags : { #SaraAliKhan #KartikAaryan #SarTik #Kartik #Sara #KartikSara #SaraKartik #kareenakapoor #saifalikhan #deepikapadukone #aliabhatt #beautiful #jhanvikapoor #ranveersingh #ranbirkapoor #sonuketitukisweety #simmba #bollywood #actors #love #kedarnath #loveaajkal #loveaajkal2 #lukkachuppi #instadaily #instagood #instalove #kalank #varundhawan #janhvikapoor} @kartikaaryan @saraalikhan95 . . . . Follow me @kartiksarafanclub for all updates on Kartik & Sara!♥️ . . . Tags : { #SaraAliKhan #KartikAaryan #SarTik #Kartik #Sara #KartikSara #SaraKartik #kareenakapoor #saifalikhan #deepikapadukone #aliabhatt #beautiful #jhanvikapoor #ranveersingh #ranbirkapoor #sonuketitukisweety #simmba #bollywood #actors #love #kedarnath #loveaajkal #loveaajkal2 #lukkachuppi #instadaily #instagood #instalove #kalank #varundhawan #janhvikapoor} @kartikaaryan @saraalikhan95

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फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले कार्तिक और सारा एक-दूसरे के साथ कुछ समय खूबसूरत घाटी के जंगल में बिताया और साथ ही खूब फोटोज भी खिचवाते हुए नजर आए.

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फैंस के साथ नकाब में खिचवाईं तस्वीरें

फिल्म की शूटिंग के दौरान मिले फुरसत के पलों में सारा और कार्तिक मुंह पर नकाब लगाए घूम रहे थे. वहीं जब उनके फैंस ने उन्हें पहचाना तो दोनों ने अपने फैंस के साथ नकाब में फोटो खिचवाते नजर आए.

सारा का हाथ पकड़े घूमते नजर आए कार्तिक

शूटिंग के दौरान कार्तिक सारा का हाथ पकड़े घूमते नजर आए, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

बता दें, आजकल सारा और कार्तिक इन दिनों अक्सर साथ में क्वौलिटी टाइम बिताते हुए नजर आ रहे हैं, जिसके बाद फैंस ने कयास लगाना शुरु कर दिया है कि कहीं ये दोनों एक दूसरे को डेट तो नहीं कर रहें हैं.

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दीपिका-रणवीर से सीखें परफेक्ट रिलेशनशिप टिप्स

बौलीवुड में कईं ऐसी कपल्स हैं जो एक अच्छे रिलेशनशिप की निशानी है. उन्हीं जोड़ियों में लोगों के बीच पौपुलर जोड़ी दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की है. दोनों की कुछ महीनों पहले ही शादी हुई है. दीपिका-रणवीर की जोड़ी इंडिया में ही नही विदेशों में भी पौपुलर है. दोनों की मुलाकात 6 साल पहले फिल्म रामलीला के सेट पर हुई थी, जिसके बाद भी दीपिका और रणवीर दोनों की बौंडिग कायम है. अगर आप भी दीपिका-रणवीर की तरह अपने रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो ये टिप्स आपके काम आएंगी.

एक-दूसरे की फैमिली में इंटरेस्ट रखना है जरूरी

दीपिका और रणवीर के रिलेशन की बात करें तो दोनों एक दूसरे की फैमिली में इटरेस्ट दिखाते हैं. वक्त निकाल कर अपने पार्टनर के दोस्तों और परिवार वालों से मिलते हैं और अगर आप भी अपने रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे की फैमिली को अपने घर पर इनवाइट करते रहें. इससे आपके सोशल और फैमिली रिलेशन भी मजबूत होंगे. साथ ही, रिश्ते में एक नया विश्वास भी आएगा.

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टाइम बीतने के बाद भी करें पार्टनर की केयर

अगर आप भी शादी या रिलेशनशिप के कईं साल बीत जाने के बाद अपने पार्टनर की केयर करना कम कर देतें हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें. यह न भूलें कि प्यार की बुनियाद अट्रेक्शन है. इसलिए दीपिका और रणवीर की तरह अपना अट्रेक्शन पार्टनर के लिए हमेशा बनाए रखें. अक्सर जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं तो उसकी कोई आदत आपको बहुत अच्छी लगी होती है. लेकिन कुछ वक्त बाद रिश्ते की पेचीदगियों में आपके पार्टनर की वो आदत खो जाती है. ऐसी ही कोई पुरानी आदत अपने पार्टनर को याद दिलाएं. यकीन मानिये उस आदत के साथ आपका पुराना प्यार भी वापस आ जाएगा.

पार्टनर को दें टाइम

आमतौर पर लोग सफल शादी के लिए फाइंनेशल कंडीशन का सही होना मानते हैं और ऐसा कहीं हद तक ठीक है, लेकिन पार्टनर को टाइम देना भी एक अच्छे रिलेशनशिप को कायम करने में मदद करता है.  पार्टनर यदि एक-दूसरे के साथ समय बिताएंगे तो ही वे अधिक से अधिक खुश रह पाएंगे. रिलेशनशिप में आ जाने के बाद आपकी जिम्मेदारियां समाप्त नहीं हो जाती, बल्कि और बढ़ जाती हैं. ऐसे में आप दोनों के बीच का प्यार कहीं खो न जाए, इसके लिए प्रयास करते रहें. कभी कोई फिल्म तो कभी कैंडल लाइट डिनर को अपनी दिनचर्या में जगह में दें. अपने पार्टनर को कोई तोहफा लाकर दें. कभी कोई लेटर लिखें या फिर कार्ड भिजवाएं.

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एक-दूसरे की सोच का करें सम्मान

कई बार किन्ही कारणों से पार्टनर एक-दूसरे के विपरीत होने और अलग विचार होने के कारण आपस में सौहार्द नहीं बना पाते.  शादी के बंधन में बंधने से पहले ऐसी बातों पर उनका ध्यान नहीं जा पाता. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि दोनों को एक-दूसरे की सोच और विचारों का सम्मान करते हुए एक दूसरे को समझना. कुछ लोगों की अपने पार्टनर से शिकायत होती है कि वो उनकी बात ठीक से नहीं सुनते. या उनके पास उनकी बात सुनने के लिए वक्त नहीं होता. आपका पार्टनर जो भी कहे, उसे ध्यान से सुनें. अगर आपके पास उस समस्या का कोई हल ना भी हो तो उन्हें अहसास दिलाए की आप उन्हें समझ सकते हैं.

कईं बार अपने पार्टनर की नापसंद और पसंद का ख्याल रखना भी जरूरी होता है. इसीलिए अगर आपको कोई चीज न पसंद हो और आपके पार्टनर को वो चीज पसंद है तो उनकी च्वौइस का सम्मान करें. इससे आपके रिलेशनशिप में फ्रैशनेस बनी रहेगी.

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खाने को ऐसे बनाएं हेल्दी

रैडी टु कुक स्नैक्स व भोजन का चलन आजकल काफी बढ़ गया है. ब्रेकफास्ट, स्नैक्स या किसी भी समय खाने वाले स्नैक्स की बात करें जैसे इडली, डोसा, बड़ा, उपमा, ढोकला, पकौड़ी, थेपला आदि के सील्ड पैकेट बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. पैकेट पर लिखे निर्देशानुसार पानी या दही मिलाएं और मनचाहा स्नैक्स बना लें. इसी तरह पोरिज आदि बनाने के लिए ओट्स, कौर्नफ्लैक्स, म्यूसली आदि में दूध डाला और झटपट तैयार. कहने का मतलब है कि बाजार में मुख्यतया 2 प्रकार की चीजें उपलब्ध हैं. एक वे जिन में दूध या दही आदि मिला कर कुछ मिनट पकाने के बाद तैयार हो जाती हैं तो दूसरी वे जिन में दूध आदि मिलाया और खाने के लिए तैयार. आइए जानें, इन दोनों ही चीजों की पौष्टिकता कैसे बढ़ाएं:

मूंग भजिया आटा, थालीपीट आटा को अलग तरीके से करें इस्तेमाल

वैसे तो नाम के अनुसार मूंग भजिया आटा में प्याज, आलू डाल कर भजिए बनाए जाते हैं, पर ऐसी सब्जियां जैसे पालक, कटहल आदि जो घर में नहीं खाई जाती है उन्हें भी इस में डाल कर पकौड़े बनाएं, बोंडा बनाएं, भजिए के आटे से चीला बनाएं. कई सब्जियों को बारीक काट कर या पीस कर इस के घोल में मिलाएं. ऊपर से धनियापत्ती बुरकें. कद्दूकस किया पनीर डालें. बढि़या व पौष्टिक चीला तैयार है.

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यदि फ्राइड पकौड़े या बोंडा नहीं खाना है तो अप्पे बना लें. बहुत कम तेल में अप्पे तैयार हो जाएंगे. इसी तरह थालीपीठ के आटे में कद्दूकस कर के लौकी, शिमलामिर्च, बारीक कटी पुदीनापत्ती, पालक आदि मिला कर थेपले बना लें.

ओट्स

आजकल लोग हेल्थ के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं. अत: ओट्स जिसे हिंदी में जई के नाम से जाना जाता है का प्रयोग काफी बढ़ गया है. मगर ज्यादातर लोग ओट्स को दूध में डाल कर ही खाते हैं.

पौष्टिकता ऐसे बढ़ाएं

दूध डालने से पहले ओट्स को हलका सा रोस्ट कर लें. छोटेछोटे क्यूब्स में काट कर मौसमी फल डालें. ऊपर से अनार के दानों से सजाएं. चीनी की जगह शहद डालें. आयरन से भरपूर शहद के साथसाथ फल भी डालने से ओट्स की पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है.

ओट्स उत्तपम, पैनकेक, इडली डोसा

ओट्स का उत्तपम, इडली, पैनकेक, डोसा आदि कुछ भी बनाना हो तो ओट्स को हलका सा रोस्ट कर के ठंडा कर मिक्सी में पाउडर बना लें. इडली बनानी हो तो इस में थोड़ी सूजी मिलाएं. उत्तपम बनाना हो तो चावल का आटा मिलाएं. बढि़या स्वादिष्ठ और पौष्टिक ब्रेकफास्ट तैयार है.

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रैडी टु कुक वाला उपमा बनाना हो तो भी उस में ओट्स का पाउडर मिला दें, साथ ही बारीक कटी शिमलामिर्च, गाजर, प्याज आदि. इस से उपमा भी पौष्टिक हो जाएगा. इसी तरह बाजार में मसाला ओट्स के पैकेट भी मिलते हैं. इस में पनीर मिलाएं और परांठों में भर कर सेंक लें. बच्चों को पता भी नहीं चलेगा और उन्हें पूरी पौष्टिकता भी मिल जाएगी.

आजकल ओट्स के साथ कौर्नफ्लैक्स ड्राईफ्रूट्स, चोकर आदि मिली म्यूसली भी बाजार में उपलब्ध है. इस में बारीक कटा सेब मिलाने से भरपूर पौष्टिकता मिलेगी.

कौर्नफ्लैक्स के साथ फ्रूट्स को भी मिलाएं

कौर्नफ्लैक्स भी रैडी टु ईट की श्रेणी में आता है. इस में दूध डालने के साथ-साथ मौसमी फल मिला लें तो जायका भी बढ़ेगा और पौष्टिकता भी. केला और अनार डालें तो क्या कहने. केले में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, तो अनार आयरन से भरपूर होता है और यह पेट की  समस्याओं से छुटकारा दिलाता है.

कौर्नफ्लैक्स का प्रयोग सिर्फ मीठी चीज के लिए ही नहीं किया जाता है वरन कटलेट पर कोटिंग के लिए भी किया जाता है. इस के अलावा कौर्नफ्लैक्स में थोड़ा सा प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च, दही व चटनी डाल कर चाट बना कर भी सर्व करें.

क्रंची टैक्स्चर वाले कौर्नफ्लैक्स में शुगर, आयरन, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. डाइटीशियन का मानना है कि इस में फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ध्यान रहे दिनभर में एक ही बार इस का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इस में मौजूद शुगर की मात्रा वजन बढ़ा सकती है.

म्यूसली का करें इस तरह इस्तेमाल

म्यूसली के बाजार में कई प्रकार के फ्लेवर उपलब्ध हैं. दूध में डालने के साथसाथ इस का प्रयोग ऐनर्जी बार बनाने में भी करें. किसी भी स्वीट डिश में थोड़ी सी म्यूसली डाल दें. स्वाद बढ़ जाएगा. ऐनर्जी बार में चीनी की जगह शहद या पाम शुगर मिलाएं तो आयरन भी मिल जाएगा.

ढोकला बड़ा पाउडर के साथ वेजीटेबल का कौम्बिनेशन भी करें ट्राय

ढोकले का मिश्रण बाजार में आसानी से उपलब्ध है. इस की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इस में गोभी, गाजर, बींस आदि सब्जियों को बारीक काट कर सौते करें और फिर ढोकले के मिश्रण में डाल कर पकाएं. बच्चे पालक या अन्य कोई भी हरी सब्जी खाना पसंद नहीं करते. अत: थोड़े से पालक के पत्ते, मूंगफली, आंवला, लहसुन आदि पीस कर चटनी तैयार करें. तैयार ढोकले के बीच में पालक की चटनी लगा कर उस की पौष्टिकता बढ़ाएं.

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प्रोटीन और हेल्दी चीजें मिलाएं

आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. बड़ा पाउडर से सिर्फ बड़े ही नहीं बनते, बड़े के आटे में दाल भी होती है, जो प्रोटीन से भरपूर होती है. सभी सब्जियों को हलका सा ब्लांच कर के उबले आलू के साथ मिलाएं व छोटेछोटे गोले बना लें. बड़े के आटे के घोल में डिप कर डीप फ्राई करें. स्वादिष्ठ व पौष्टिक पकौड़े तैयार हैं.

वेजीटेबल को हर खाने में मिलाने की करें कोशिश

हर चीज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए बारीक कटी ताजा सब्जियां व फल आदि मिलाएं. डाइटीशियन शिल्पा जैन कहती हैं कि झटपट तैयार होने वाली हर चीज को पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इन में प्रिजर्वेटिव पड़े होते हैं. अत: हर चीज की अधिकता से बचें. हफ्ते में 2-3 बार ही इस्तेमाल करें. अच्छा हो कुछ चीजें घर में ही बना कर रखें, जिन्हें हम प्री मिक्स कहते हैं. उदाहरण के लिए सूजी को भून कर उस में तड़का लगा कर रखें. सेंवईं, दलिया को घर में भून कर रखें ताकि कम समय में पौष्टिकता प्राप्त हो सके.

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Edited by- Rosy

किसी मुहिम को लोगों तक पहुंचाने के लिए करती हूं बाइकिंग: डा. सारिका मेहता

कुछ अलग करने का जज्बा ही आपको मंजिल तक पहुंचाती है और ऐसा ही कुछ काम कर रही है बाइकिंग क्वीन डा. सारिका मेहता, जिन्होंने बिहैवियर साइंस में पीएचडी कर प्रोफेशनली एक मनोवैज्ञानिक बनी, लेकिन उनका पैशन एक पर्वतारोही और बाइकर क्वीन बनना भी रहा, जिसे मंजिल तक पहुंचाने में उसके पिता और पति का बहुत बड़ा सहयोग रहा है. उनके इस काम के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है. एडवेंचर प्रिय और हंसमुख स्वभाव की डा. सारिका अभी विमेंस प्राइड के लिए 25 देशों से गुजर रही हैं, जिसमें उनके साथ उनकी दो साथी जिनल शाह और रुताली पटेल भी है. सारिका से इस एडवेंचर पूर्ण जर्नी के बारें बात करना बहुत रोचक था.आइये जाने उन्हीं से उनकी कहानी.

प्र. बाइकिंग क्वीन बनने की प्रेरणा कैसे मिली?

डाक्टर होने के साथ-साथ मेरा पैशन माउंटेनियरिंग है, माउंटेन से जब मैं घर आई, तो उस समय मेरे एक दोस्त स्पोर्ट्स बाइक को दिखाने मेरे पास ले आये. मैं उसे देखकर उत्साहित हुई और ज्योंही बैठने गयी, तो उन्होंने बैठने से मना कर दिया, क्योंकि ये हैवी बाइक है और मैं इस पर नहीं बैठ सकती. उनका कहना था कि पहाड़ चढ़ने और बाइक चलाने में बहुत अंतर होता है. यही बात मेरे मेरे मन में बैठ गयी और मेरे अंदर जुनून सवार हो गया कि मुझे बाइक चलानी है. फिर मैंने पहले पति जिग्नेश मेहता की बाइक से सीखना शुरू किया. पति ने ही मुझे पहले बाइक चलाना सिखाया, लेकिन उन्हें भी नहीं लगा कि मैं बाइक चलाने को इतना सीरियसली ले लूंगी, पर बचपन से मुझे किसी भी काम को सौ प्रतिशत करने की इच्छा रही है. इसके लिए मैं उस बारें में सारी बातें जानकारी इकठ्ठा भी करती हूं. यहां मैंने बाइक की सारी तकनीक सीखी. उस समय हेलमेट न पहनने की वजह से दुर्घटनाएं खूब होती थी. इसलिए ‘साइकोलोजी बिहाइंड राइडिंग’ एक मुद्दा लेकर पुलिस डिपार्टमेंट के पास गयी और पूरी मुहीम चलायी. इसमें ‘सेफ्टी फर्स्ट’ मेरा मुख्य कैम्पेन था, जिसमें बच्चों को बाइक की पूरी जानकारी के साथ उन्हें हेलमेट पहनना भी अनिवार्य किया गया, क्योंकि अधिकतर बच्चों को जान गलत बाइक चलाने से होती है, जिसमें उनके जान के अलावा दूसरे की भी जान जाती है. ये अभियान सभी को बहुत पसंद आई और वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने मुझे विदेश में भी इसे फ़ैलाने की मुहीम में शामिल किया.

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सवाल- कितने साल से आप बाइक चला रही है? इसमें किस प्रकार की चुनौती होती है?

मैंने 38 साल की उम्र में बाइक चलाना सीखना शुरू किया और पिछले 6 साल से चला रही हूं इसमें महिला होकर बाइक चलाना सबसे बड़ी चुनौती होती है.लोग स्वीकार नहीं कर पाते और सम्मान भी नहीं देतें. इसके अलावा मेल ईगो सामने आता है. महिला को अन्तर्राष्ट्रीय पर जाना भी किसी को अच्छा नहीं लगता.इसके अलावा परिवार और प्रोफेशन के साथ इसकी प्लानिंग करना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. लड़कियों को प्रेरणा आजकल उनके माता-पिता भी देते है और ये अच्छी बात है. इसके अलावा भारत में बाइक चलाना कोई मुश्किल नहीं, यहां सुरक्षा बहुत है. जहां भी मैं गयी, लोगों ने बहुत उत्साह के साथ सहयोग दिया.

एक बार मैं बिहार के नक्सली एरिया में फंस गयी थी. वहां हमें एक जगह रोक दिया गया,पर जैसे ही हमने हेलमेट खोला वे चौक गए कि मैं लड़की हूं. फिर वहां काफी भीड़ हमें देखने पहुंची. हमारे साथ में एक सामाजिक मुद्दा होता है,जिसके साथ हम बाइक चलाते हैं, मौज-मस्ती के लिए बाइक नहीं चलाते, जो सबको आकर्षित करती है.

सवाल- परिवार में स्वीकार न होने की बावजूद आपने कैसे बाइक सीखा ?

मैं एक ट्रेडिशनल गुजराती परिवार से हूं, जहां इस तरह के काम को कभी वे प्रोत्साहित नहीं करते, पर मेरे पति ने साथ दिया. पति से सीखने के बाद मैंने बाहर जाकर भी सीखा, क्योंकि हाईवे पर बाइक चलाना बहुत मुश्किल होता है. इसके अलावा विदेश में बाइक चलाना और भी मुश्किल होता है, क्योंकि वहां के नियम यहां से अलग होता है. मैं स्पोर्ट्स बाइक चलाती हूं, जो बहुत ही भारी होता है. हाई स्पीड में बाइक चलाना और उसके पार्ट्स के तकनीक को जानना भी एक बड़ी बात होती है. पहली राइड मैंने 200 किलोमीटर का सूरत से किया था. मुझे देखकर बहुत सारी महिलाएं मुझसे जुडी और सीखना चाही, फिर मैंने ‘बाइकिंग क्वीन’ के नाम से एक संस्था खोली. जिसमें 45 महिलाएं सीख रही है. ये एक चैरिटेबल ट्रस्ट है और इसके द्वारा गावों में मैंने बहुत सारे कैम्पेन किये है. मसलन गर्ल्स एजुकेशन, उनकी सेफ्टी आदि. पूरे भारत में मैं इन सभी 45 महिलाओं को लेकर घूम चुकी हूं.

सवाल- माउंटेनियरिंग की कई दर्दनाक घटनाएं हमेशा होती है और इस साल तो कई लोगों ने अपनी जान गवां दी, आपके हिसाब से गलतियां कहां हुई है? किस प्रकार की सुरक्षा पर्वतारोही को लेनी चाहिए?

मैं साल 2015 में एवरेस्ट के एवलौंच की एक सरवाईवर हूं. मैं उस समय बेस कैंप में थी. असल में ये प्राकृतिक आपदा होती है, जिससे खुद को संभालना बहुत कठिन होता है. तब इतने लोग वहां नहीं जाते थे. आगे कोई हादसा न हो, नेपाल सरकार को निश्चित लोगों की संख्या कर देनी चाहिए, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग से मौसम में बदलाव काफी है, जिसका अंदाजा लगाना आज किसी के बस में नहीं रह गया है. एवरेस्ट की अंतिम चढ़ाई बहुत मुश्किल होती है और वहां इस तरह की भीड़भाड़ दुर्घटना को आमंत्रित करती है. 28 हजार फीट की ऊंचाई पर ट्रैफिक जाम होना, जहां आप औक्सिजन सिलिंडर पर होते हैं, वहां खड़े-खड़े लोग मर जाते हैं. लोगों को वहां पर जाना एक बड़ी एडवेंचर लगता है, लेकिन वे उसका ख्याल एकदम नहीं करते, वहां पर प्लास्टिक की बोतलें, खाने पीने की सामान को फैंकना ,पेशाब करने जैसे कई गलत काम हो रहे है. इसलिए ये दर्दनाक घटना हुई है. मेरी बेटी धनश्री मेहता और जनम मेहता भी माउंटेनियरिंग कर रहे है. वे एवरेस्ट चढ़ने वाले सबसे यंगेस्ट बच्चे हैं.

सवाल- रोड सेफ्टी की हमारे यहां बहुत कमी है, इसे कैसे दूर किया जा सकता है?

केवल पुलिस ही नहीं, हमारी पूरी टीम अलग-अलग कौलेजों में जाकर सेफ्टी के नियम को बताते है. इसके अलावा हर किसी को इसके बारें में सोचने की जरुरत होती है. सारे नियम हमारे लिए ही होता है.

सवाल- आगे की प्लानिंग क्या है?

पर्यावरण के उपर मुझे काम करने की इच्छा है. पर्यावरण प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है. बारिश कम हो रहे है, नदियां सूख रही है. जिससे पानी की समस्या दिनोंदिन बढती जा रही है. पानी बचाना अब मेरा मुख्य उद्देश्य है.

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सवाल- समय मिलने पर क्या करती है?

समय मिलने पर मैं परिवार के साथ बिताना पसंद करती हूं.

सवाल- गृहशोभा के जरिये महिलाओं को क्या मैसेज देना चाहती है?

जो भी आप जीवन में करना चाहे उसे अवश्य करें,अपने उद्देश्य को निर्धारित कर खुद उसे पूरी करने की कोशिश करें.

भंसाली की भांजी का बड़ा बयान, जानें क्या बोलीं शर्मिन

मशहूर निर्माता-निर्देशक मोहन सहगल की पोती, बौलीवुड की मशहूर एडिटर और फिल्म ‘‘शीरीन फरहाद की तो निकल पड़ी’’ की निर्देशक बेला सहगल की बेटी तथा मशहूर फिल्मकार संजय लीला भंसाली की भांजी शर्मिन सहगल की बतौर हीरोईन पहली फिल्म ‘‘मलाल’’ 5 जुलाई को प्रदर्शित होने वाली है, जिसका निर्माण संजय लीला भंसाली तथा लेखन व निर्देशन मंगेश हडवले ने किया है. हाल ही में हमने उनसे एक खास मुलाकात की जिसमें उनसे सिनेमा की को लेकर भी खास चर्चा हुई.

मामा भंसाली से ही सीखा सब…

शर्मिन सहगल ने विदेश जाकर अभिनय का प्रशिक्षण हासिल नहीं किया. उन्हे अभिनय व फिल्म विधा आदि की विस्तृत जानकारी उनके मामा व फिल्मकार संजय लीला भंसाली से ही मिली है. शर्मिन सहगल ने उमंग कुमार के साथ फिल्म ‘‘मैरी कौम’’ और संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म ‘‘बाजीराव मस्तानी’’ में बतौर सहायक काम किया.

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अभिनय को निखारने में निर्देशक का बहुत बड़ा…

जब हमने शर्मिन से पूछा कि इन फिल्मों में बतौर सहायक काम करते हुए किसी भी किरदार में कलाकार को ढालने में कलाकार व निर्देशक में से किसकी अहमियत ज्यादा होती हैं? इस पर शर्मिन ने कहा- ‘‘मुझे पता है कि आपने यह दोनों फिल्में देखी हैं. आप खुद इतना अनुभव रखते हैं कि आपने महसूस किया होगा कि दोनों फिल्मों में निर्देशक हावी रहे हैं. मैं लिखकर दे रही हूं कि उमंग कुमार और संजय सर कभी एक नही हो सकते. दोनों एक दूसरे की बराबरी नहीं कर सकते. उमंग कुमार ने प्रियंका चोपड़ा से जिस तरह का अभिनय करवाया,  उससे कई गुना अलग संजय सर ने अपने एक्टर्स से करवाया. अब फिल्म ‘मलाल’ में मंगेश हडवले सर ने जिस तरह से मुझसे काम करवाया है, वह इन दोनों से अलग है. तो मैं मानती हूं कि कलाकार के अभिनय को निखारने में निर्देशक का बहुत बड़ा योगदान रहता है.’’

निर्देशक जितना कम जाने, उतना बेहतर होगा…

शर्मिन ने आगे कहा- ‘‘देखिए, मैने पांच साल के दौरान सिनेमा को लेकर काफी अध्ययन किया. कुछ दिन पहले मैं रणवीर सिंह का इंटरव्यू पढ़ रही थी. जिसमें उसने कलाकार व निर्देशक के संबंधों पर कहा है- ‘‘कलाकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसकी निजी जिंदगी के बारे में निर्देशक जितना कम जाने, उतना बेहतर होगा.’’

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अपने आपको निर्देशक के हाथों सौप दें…

वह बिना रूके आगे कहती हैं- ‘‘अब मैं मंगेश सर की फिल्म ‘मलाल’ के निर्देशक के तौर पर बात करना चाहूंगी. मंगेश मेरी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जानते हैं. इसी के चलते फिल्म ‘मलाल’ में मेरे आस्था के किरदार में कई बार शर्मिन की झलक नजर आती है. सेट पर अक्सर यह हुआ कि मंगेश सर ने आस्था में मेरी निजी जिंदगी का अंश डाल दिया. फिल्म में कलाकार का मकसद निर्देशक के विजन पर काम करना होता है. इसलिए कलाकार के तौर पर आप अपने आपको निर्देशक के हाथों सौप दें. लेकिन ‘मलाल’ के सेट पर हुआ यह कि मंगेश सर मुझे व मेरी निजी जिंदगी के बारे में सब कुछ जानते थे, सेट पर मैं क्या महसूस करती हू, वह भी जानते थे, तो कई बार वह सारी चीजों आस्था के किरदार में जा जाती थीं. एक तरीके से यह अच्छा भी है और बुरा भी.

फायदा और नुकसान दोनों…

जब हमने शर्मिन से कहा कि आपको नहीं लगता निर्देशक का इस तरह का रवैया फिल्म के लिए नुकसानदायक हो जाता है? इस पर शर्मिन ने कहा- ‘‘फायदा और नुकसान दोनों हो सकता है. आप आलिया भट्ट और प्रियंका चोपड़ा को जानते है, तो आपकी समझ में आता होगा कि उनके किरदारों में उनका व्यक्तित्व मिल जाता है.

यही बात किरदार को रियल बनाती है. पर यह निर्देशक पर निर्भर करता है कि वह कलाकार के व्यक्तित्व को किस हद तक किरदार में डालने दे. मैंने‘मलाल’ की शूटिंग के दौरान महसूस किया कि मेरी निजी जिंदगी में कुछ गुजर रहा है, जो कि मंगेश को पता है, हमने उनके साथ काफी लंबा समय गुजारा है, तो कई बार वह खुद टोकते थे कि, ‘शर्मिन तूने अपनी जिंदगी की इस बात को पकड़ कर रखा है, इसे छोड़कर आगे निकलो. ’तो यहां पर निर्देशक का कलाकार की जिंदगी के बारे में पता होना फायदेमंद साबित हुआ.

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मगर कई बार मंगेश सर ने आस्था के किरदार में मेरे जिंदगी का हिस्सा डाला, इसे आप नुकसानदायक भी कह सकते हैं. पर सेट पर निर्देशक जो भी निर्णय लेता है, वह उसके अनुसार फिल्म की बेहतरी के लिए होता है. तो यह बात कई बार कलाकार की परफार्मेंस को निखार सकता है, हालांकि कभी कभी नुकसान भी कर सकता है.’’

अब तो फिल्म ‘‘मलाल’’ देखने के बाद ही इस बात का अहसास हो पाएगा कि शर्मिन की निजी जिंदगी को जानते हुए निर्देशक मंगेश हड़वले ने आस्था के किरदार में शर्मिनके व्यक्तित्व को जो पिरोया है, उससे फिल्म बेहतर हुई है या नहीं… मगर शर्मिन सहगल के इस बयान के बाद बौलीवुड में कलाकार व निर्देशक के बीच के रिश्तों को लेकर एक नई बहस जरुर शुरू हो सकती है.

एडिट बाय- निशा राय

‘लाल सिंह चड्ढा’ में तीसरी बार साथ होगें आमिर खान और करीना

‘थ्री इडियट्स’’और ‘तलाश’’ के बाद अब करीना कपूर खान तीसरी बार आमिर खान के साथ फिल्म ‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ करने जा रही हैं. ‘‘लाल सिंह चड्ढा’’ कोई मौलिक फिल्म नहीं है, बल्कि हौलीवुड स्टूडियो ‘‘पैरामांउट पिक्चर्स’’ की औस्कर विजेता फिल्म ‘‘फौरेस्ट गम्प’’ से प्रेरित फिल्म है. जिसमें हौलीवुड स्टार टौम हैंक्स लीड रोल में थे.

इस फिल्म का निर्माण खुद आमिर खान अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘‘आमिर खान प्रोडक्शन’’ के तहत ‘‘वायकौम 18 मोशन पिक्चर्स’’ के साथ मिलकर कर रहे हैं, जबकि फिल्म के निर्देशक होंगे ‘‘सीक्रेट सुपरस्टार’’ फेम निर्देशक अद्वैत चंदन. 2020 में क्रिसमस के मौके पर प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म के लेखक अतुल कुलकर्णी हैं.

इसलिए खास है ये फिल्म…

रौबर्ट जेमेकिंस निर्देशत 1994 की सर्वाधिक सफल अमरीकन फिल्म ‘‘फौरेस्ट गम्प’’ मूलतः उपन्यासकार विंस्टन ग्रूम के 1986 में प्रकाशित इसी नाम के उपन्यास पर बनायी गयी थी. इस फिल्म में फौरेस्ट गम्प के कई सालों की जिंदगी का चित्रण है. जो अलबामा के दयालु इंसान है. वह संयुक्त राज्य अमरीका में बीसवीं शताब्दी के कई ऐतिहासिक घटनाक्रमों को प्रभावित करते हैं. इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए टौम हैंक्स को 1995 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का औस्कर अवार्ड मिला था. 55 मिलियन डौलर में बनी इस फिल्म ने उस वक्त लगभग 678 मिलियन डौलर की कमाई की थी.

‘‘वौयकौम 18 स्टूडियो’’ के सी ओ ओ अजीत अंधारे कहते हैं- ‘‘आमिर खान के साथ फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा शुरू करते हुए हम बेहद खुश हैं. अमरीकन फिल्म ‘‘फौरेस्ट गम्प’’के जिक्र के बिना विश्व सिनेमा की बात करना ही अधूरी है. भारतीय दर्शकों के लिए इस क्लासिकल फिल्म पर फिल्म बनाने का प्रयास हम लंबे समय से कर रहे थे.

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आमिर खान कर रहे थे इंतजार…

इस विषय पर बनी फिल्म करने के जुनून को आमिर खान कई सालों से जीते आए हैं. हमें जिम गियानोपुलोस, एंड्यू गैम्पर और पैरामाउंट की टीम का जिस तरह से हमें सहयोग मिलता रहा है, उसके लिए हम उनके आभारी है.’’ जबकि पैरामाउंट पिक्चर्स के सी ओ ओ एंड्यू गैम्पर ने कहा- ‘‘हम आमिर खान प्रोडक्शन और ‘वौयकौम 18’ साथ जुड़कर उत्साहित हैं.’’

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प्यार और तकरार की वो पहली बारिश…

लेखिका- गीतांजलि चे

सानिया की सुबह का आलम अक्सर बाकी के पहर से अलहदा जुदा होता है. जहां घड़ी की सुईयों और सानिया के काम की रफ़्तार में एक रेस लगी होती है. समय की पाबंद सानिया ने जैसा तालमेल घड़ी की सुईयों के साथ कर रखा है वैसा इस संसार में उसका और किसी के साथ नहीं है. आज भी अपना सारा काम निपटा कर वो अपनी फेवरेट लाल साड़ी पहन कर कालेज के लिए तैयार हो गयी थी कि अचानक बड़े जोरों की बरसात होने लगी.

अजीब इत्तेफाक था जब भी वो अपनी फेवरेट लाल साड़ी पहनती तो बिना मौसम बारिश होने लगती. अचानक आयी इस बारिश ने आज उसे बिना किसी छुट्टी के छुट्टी मनाने को बेबस कर दिया था क्योंकि बारिश कम होने के बजाय और प्रचंड होती जा रही थी.  कुछ ही मिनटों पहले से शुरू हुयी बारिश से सारा कैम्पस तालाब के मानिंद भर गया था. बिजली और बादल में भी मानो होड़ लगी थी कि कौन कितना विकराल स्वरूप दर्शा सकता है. जब कालेज जाने का कोई उपाय सानिया को नज़र नहीं आया तो वो अपने लिए काफी का मग लेकर झूले पर बैठ गयी. घर में उसके सिवा कोई नहीं था. राहुल आफिस के काम के सिलसिले में शहर से बाहर गया था और बच्चे स्कूल. अत: सानिया अकेले-अकेले ही प्रकृति के इस सबसे खूबसूरत अवतार का आनंद ले रही थी.

जैसे जैसे बारिश की बूंदें धरा के पेड़ पौधों से गंदगी की परत को धुलकर माटी की सौंधी-सौंधी खुशबू को बिखेर रही थी. वैसे वैसे वो सानिया के यादों की सिलवटें को भी साफ कर रही थी.

यादों के झरोखे में खोयी सानिया सोच रही थी कि फाल्गुन की मनभावन सुबह किसी भी नवविवाहित जोड़ी के लिए कितनी रोमांचक होती है. उस दिन भी सानिया ने अपनी फेवरेट लाल साड़ी पहन कर हल्का सा मेकअप लगा लिया था और राहुल को छेड़ रही थी. दोनों अपने अपने ड्यूटी के लिए तैयार हो रहे थे. सानिया हमेशा की तरह हद से ज्यादा सुंदर दिख रही थी और अपने पति को छेड़ रही थी. दरअसल राहुल ने इस दिलकश मौसम में भी एक अजीब सा जैकेट चढ़ा रखा था जो सानिया को बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था. सानिया चाहती थी कि राहुल कुछ और पहन ले पर वो तैयार नहीं हो रहा था.

पति पत्नी की हलकी सी नोकझोंक कब पहली बार अलाव की तरह सुलग गयी इसका अहसास तक उन दोनों को नहीं हुआ. उन दोनों की तू तू मैं मैं से बेखबर घड़ी की सुईयां अपनी रफ्तार से घंटे बजा रही थी. दोनों की नटखट तकरार उग्र हो गयी थी और उसमें राहुल का यह कहना कि “सानिया को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड है और वो उसके साथ मजबूरी में रह रही है”, ने आग में घी डाल दिया था.

मन ही मन कुढ़ती, चिड़चिड़ाती सानिया कालेज चली गई. न एक बार पीछे मुड़ कर देखा और न ही राहुल को कुछ कहा. चली तो गयी पर रह रह कर उसे सुबह की लड़ाई याद आ रही थी. सोच रही थी कि आखिर उसकी क्या गलती थी जो राहुल इतना कुछ सुना गया. जरा सा ड्रेसिंग सेंस ही तो सुधार रही थी वो. पर बात कहां से कहां पहुंच गयी. अगर वो राहुल की तरह सारा दिन अपने प्यार का इजहार नहीं करती तो इसका मतलब ये तो नहीं की वो राहुल को प्यार नहीं करती है और ये भ्रम राहुल के मन में आया कैसे कि वो उसे पसंद नहीं करती. कितना रस्क था उसे अपनी जोड़ी पर. हर कोई उसे छेड़ता रहता था कि भगवान ने बहुत फुर्सत तुम दोनों की जोड़ी बनाई है. पर आज……

आंखों से आंसू तो नहीं आ रहे थे पर दिल भरा हुआ था. उसके कालेज की सारी अध्यापिकाओं ने बारी बारी उससे पूछा कि क्या हुआ पर उसने किसी से कुछ नहीं कहा. सबको लगा कि तबियत कुछ नासाज होगी तो सब उसे घर जाने की सलाह देने लगे. पर क्या कहती वो कि घर ही जाने का मन तो नहीं है. खैर फिर वो अपने दिमाग की खुजलाहट को कम करने के लिए बच्चों को पढ़ाने में लग गयी. उसके बाद अपने बदलते मिजाज में ऐसा उलझ गई कि  मौसम के बदलते मिजाज को पढ़ नहीं पायी.

मौसम ने अंगड़ाई ली और अचानक झमाझम बारिश होने लगी. वैसे तो सानिया को बारिश बहुत पसंद थी पर आज वो रोमानी होने के बजाय परेशान हो रही थी. मौसम भले फाल्गुन का हो पर गुलाबी ठंड का अहसास हो रहा था. सुबह गुस्से में राहुल को जैकेट चढ़ाते देख उसने स्टोल तक नहीं लिया था. पर अब वो क्या करे ठंड भी लग रही थी और घर जाने का कोई उपाय भी न थी. बारिश इतने जोरों से हो रही थी मानों मेघा भी मेघदूत से लड़ कर आयी हो और उससे दूर जाना चाहती हो. गुस्से से अलमस्त मेघा गरज भी रही थी और बरस भी रही थी. बीच बीच में दांत किटकिटाती हुयी चमक भी रही थी. मानों अपने क्रोध को प्रदर्शित करने के लिए विकरालतम रूप में उपस्थित मेघा सबको सबक सिखाना चाह रही थी .

आंसू भरा दिल अब सानिया के सम्भाले नहीं सम्भल रहा था. लग रहा था जैसे अब वो स्वयं को न रोक पाएगी. उसके नैना उसे धोखा दे ही देंगे. हर तरफ पानी ही पानी था. बादल की गर्जना और बिजली की चमक मानों एक कदम नहीं बढ़ाने दे रहे थे. मोबाइल पर बारिश के बाद सड़कों की बदहाली के मंजर की तस्वीरें मुंह चिड़ा रही थी. सड़कों और नालों में फर्क नजर नहीं आ रहा था. जगह जगह गाड़ियां सड़कों के पानी में डूब कर बंद पड़ी थी. क्या करे क्या न करे समझ नहीं पा रही थी. जिनके घर आस पास थे वे भी निकलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे तो सानिया क्या करती. वैसे सानिया और राहुल के कार्य स्थल में 36 का आंकड़ा था पर अंत में  उसने अपनी सारी ईगो को छोड़ कर राहुल को मैसेज किया कि वो उसे आकर ले जाए पर राहुल का कोई रिस्पांस नहीं आया तो वो और घबरा गयी.

जब इंसान डरा हुआ होता है तो हमेशा बुरे ख्याल ही आते हैं. पर सानिया अपने सम्भाले रखने की पूरी कोशिश कर रही थी.

इतने में उसकी एक सहेली उसे छेड़ती हुई कहने लगी कि आज यहीं रहना है क्या? नम आंखों से सानिया ने कहा ऐसे मौसम में घर कैसे जाऊं? तो उसके दोस्त उसे और परेशान करते हुए कहने लगे तुम्हारे लिए ही तो ये मौसम है. एक तो मौसम की खुमारी, तिस पर से बाइक की सवारी और उस पर से पिया का साथ  अब क्या चाहिए तुझे?

जब सानिया ने बाहर झांक कर देखा तो राहुल बाइक से उसे लेने के लिए बाहर खड़ा था. वो भी सुबह वाले जैकेट के बगैर. सानिया का मन प्रसन्न हो गया. पर कमरे से बाहर निकलने से साथ ठंडी हवा के झोकों ने उसे बेहाल कर दिया. बाहर खड़े राहुल ने सानिया को जब वही जैकेट सानिया को पहनने को दिया तो वो सोच में पड़ गयी कि सारी फसाद की जड़ इस जैकेट को मुझे ही पहनना था. इससे तो अच्छा थोड़ा और लड़कर कुछ और ही पहना दिया होता.

मुस्कुरा कर राहुल ने कहा अगर नहीं पहनोगी तो बारिश और ठंड घर पहुंचते-पहुंचते तुम्हें बीमार कर देगी. मरती क्या न करती मौसम और पति के मिजाज को देखते हुए उसने उस जैकेट को चढ़ा लिया. जिस जैकेट को वो सुबह से कोस रही थी उसे पहने देख राहुल की आंखों में तो आंनद नजर आया ही. पर उसकी ढेरों प्रसंशा सहेलियों ने भी की. सानिया को छेड़ते हुए कहा कि देख तेरे पति तुझे कितना चाहते हैं जो इस समय अपने बारे में न सोच कर तुझे अपना जैकेट दे दिया है.

जो मौसम अब तक सानिया को खतरनाक दिख रहा था वो अब उसे खुशगवार लग रहा था. ठंडी हवा के झोंके उसकी सांसों के साथ लयबद्ध हो रहे थे. सारे दिन की मस्तिष्क की झुंझलाहट बारिश की बूंदों में धुल रही थी. बमुश्किल से कुछ मिनटों की दूरी का सफर मौसम की मार की वजह से काफी लम्बा हो गया  था. पर जो मजा सानिया को आ रहा था उसे वह लब्जों में बयां नहीं कर सकती थी. सफर में जैसा नशा आया वैसा फिर कभी नहीं आया.

आज भी सानिया ने उस जैकेट बहुत सम्भाल कर रखा है. आखिर जिसकी वजह से पहली पहली तकरार हुयी हो और फिर उस तकरार का इतना खूबसूरत अंजाम हुआ हो वो तो सम्भल कर रखा ही जाना चाहिए.

यादों के झरोखे से निकले इस खुशनुमा अहसास से सानिया अकेले अकेले ही मुस्कुराने लगी.

सतर्क रहना युवती का पहला काम

शराब बलात्कारों का दरवाजा खोलती है, क्योंकि शराब के नशे में न तो लड़कियों को सुध रहती है कि उन के साथ क्या हो रहा है न बलात्कारियों को. देशी एयरलाइनों में काम करने वाली एअरहोस्टेसें अपनेआप में खासी मजबूत होती हैं और यात्रियों से डील करतेकरते उन्हें दिलफेंक लोगों को झिड़कना आता है. उन की ट्रेनिंग ऐसी होती है कि वे छुईमुई नहीं होतीं और उन के मसल्स मजबूत होते हैं.

ऐसे में कोई एअरहोस्टेस पुलिस में शिकायत करे कि उस के साथ बलात्कार हुआ तो यह काफी जोरजबरदस्ती और शराब के साथ नशीली दवा के कारण ही हुआ होगा. हैदराबाद में रहने वाली इस युवती की शिकायत है कि वह कुछ ड्रिंक्स लेने अपने सहयोगी के साथ गई थी और फिर उस के साथ उस के घर चली गई. वहां सहयोगी और 2 अन्य ने उसे बेहोश कर के उस के साथ बलात्कार किया.

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इस दौरान उस का मंगेतर और पिता लगातार फोन से संपर्क करने की कोशिश करते रहे और जब सुबह उस के होश आने पर उस ने फोन उठाया और पिता व मंगेतर से बात की तो पुलिस कंप्लेंट फाइल की.

बलात्कार के बारे में अकसर यह कह दिया जाता है कि उस में लड़की की सहमति होगी जो बाद में मुकर गई पर इस पर प्रतिप्रश्न यही है कि यदि उस ने पहले सहमति से अपने सुख के लिए संबंध बनाया तो वह आगे भी संबंध बनाएगी न कि शिकायतें करेगी. वह शिकायत तो तभी करेगी जब उस से जबरदस्ती करी जाए.

यह कुछ ऐसा ही है कि यदि दोनों में से एक दोस्त दूसरे की लंबे दिनों तक आर्थिक सहायता करता रहे पर एक दिन जब वह मना कर दे तो क्या सहायता मांगने वाले के पास देने वाले का पर्स चोरी करने का अधिकार है? हां, शराब के नशे में दोस्त दोस्त का पर्स साफ कर जाए तो संभव है पर यह भी अपराध ही है. पैसे का अपराध छोटा है, शारीरिक अपराध बड़ा है. एक घूंसा मारने पर लोग बदले में दूसरे पर गोली तक चला देते हैं. यह अपने अधिकारों का इस्तेमाल है.

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अपने बारे में सतर्क रहना हर युवती का पहला काम है. यदि उसे किसी से सैक्स संबंध बनाने पर एतराज नहीं है तो उसे खुली छूट है कि वह रात उस के घर जाए, उस के साथ नशा करे. पर यदि किसी कारण उसे किसी युवक दोस्त के साथ रहना पड़े तो शराब का रिस्क तो वह ले ही नहीं सकती. अपनी सुरक्षा पहले अपने हाथ में है. छुईमुई न बनें, पर बेमतलब रिस्क भी न लें. रात अंधेरे में आदमी भी जेब में पर्स और मोबाइल लिए चलने में घबराते हैं, यह न भूलें.

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