जानें क्यों दिल के लिए खतरनाक है हाई ब्लडप्रैशर

बिजी लाइफस्टाइल ने लोगों को मशीन बना दिया है. अपने फैमिली और बिजनेस में व्यक्ति इस कदर खो जाता है कि उसे अपने लिए भी फुरसत नहीं मिलती और इसी जल्दबाजी में व्यक्ति अपनी हेल्थ के प्रति लापरवाह हो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता और वह तरह-तरह के बीमारियों का शिकार हो जाता है.

हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रैशर शहरी जीवन की एक बहुत ही कौमन बीमारियों में से एक है. आप यदि अपने आसपास नजर दौडाएं तो आप को कोई न कोई व्यक्ति हाई ब्लडप्रैशर यानी हाई बीपी से पीडि़त दिख ही जाएगा. एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय शहरों में रहने वाले हर 4 अडल्ट में से एक हाई बीपी का शिकार पाया गया है.

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हमारा दिल लगातार ब्लड वैसेल्स (रक्त वाहिकाओं) के जरिये बौडी के अलग-अलग हिस्सों को खून सप्लाई करता है. खून के बहाव का दबाव वाहिका की दीवार पर पड़ता है. इसी दबाव की माप को ब्लडप्रैशर कहते हैं. जब यह दबाव एक निश्चित मात्रा से बढ़ जाता है तो इसे हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रैशर कहा जाता है.

हाई ब्लडप्रैशर के लक्षण

किसी भी व्यक्ति में हाई ब्लडप्रैशर को हम 3 भागों में बांट सकते हैं , प्रारंभिक, मध्यम व अत्याधिक. इस तरह हाई ब्लडप्रैशर को अलगअलग 3 स्तरों पर रखते हैं. प्रारंभिक और मध्यम स्तर तक बढ़े हुए ब्लडप्रैशर के आमतौर पर कोई खास लक्षण व्यक्ति में नजर नहीं आते. इस कारण इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है.

तकलीफ बढ़ने पर बारबार होने वाला सिर दर्द, धुंधला दिखाई देना, नींद न आना, चक्कर आना आदि हाई ब्लडप्रैशर के संकेत हो सकते हैं. हाई ब्लडप्रैशर के द्वारा स्वास्थ संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती है. इस के कारण हृदय और गुर्दा रोग, मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) आंखों को क्षति पहुंचना जैसे गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं.

जानें ब्लडप्रैशर से जुड़े मिथक

जनसामान्य में फैले कुछ मिथकों के कारण स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है. सब से पहली गलतफहमी यह है कि हाई ब्लडप्रैशर केवल बड़ी उम्र के व्यक्तियों में ही होता है. लेकिन यह धारणा गलत है. आंकड़े बताते हैं कि आजकल युवक और बच्चे भी बड़ी संख्या में हाई ब्लडप्रैशर का शिकार हो रहे हैं.

दूसरा मिथक यह है कि केवल दवांइयां खा कर ही हाई ब्लडप्रैशर को ठीक किया जा सकता है। सच तो यह है कि सिर्फ दवाइयां ही इस का इलाज नहीं है. दवाइयां केवल अस्थाई रूप से ब्लडप्रैशर कम कर देतीं हैं परन्तु इस से पूर्ण रूप से छुटकारा नहीं दिला पातीं. यदि आप हाई ब्लडप्रैशर से निजात पाना चाहते हैं तो आप को अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना होगा. किसी अच्छे डौक्टर की उचित सलाह से नियमित रूप से दवाईयां तो लें ही परन्तु इस के साथ ही व्यायाम करना व रोज 30-45 मिनट पैदल चलना भी आवश्यक है.

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ज्यादा वजन बढ़ाता है खतरा

यदि आप का वजन ज्यादा है तो उसे कम करें. मोटे व्यक्तियों में हाई ब्लडप्रैशर का खतरा 2 से 5 गुना तक ज्यादा होता है. अपने खानपान का समय व्यवस्थित करें. भोजन में चिकनाई कम करें. रेशेदार फल और हरीपत्तेदार सब्जियों का सेवन करें. संतरे जैसे फल, अंकुरित गेहूं, समुद्री भोजन आदि खाएं जिन में एंटीऔक्सीडेंटस भरपूर मात्रा में होते हैं. प्रतिदिन के भोजन में नमक की मात्रा 6 ग्राम से ज्यादा कदापि न हो इस का ध्यान रखें. सिगरेट व शराब को हाई ब्लडप्रैशर के रोगी स्वयं के लिए जहर समान समझें.

क्या है एसीटी प्रक्रिया

दिल के रोगियों के लिए दवाओं के अलावा नए विकल्प के तौर पर एसीटी प्रक्रिया एक वैकल्पिक उपचार है जिस में रक्त धमनियों में हुई ब्लौकेज (रूकावट) खोलने का काम सफलतापूर्वक किया जाता है. इस उपचार में एक रोगी को 30 बार तक ग्लूकोज में दवाएं मिला कर ड्रिप दी जाती है जिस में  हर बार लगभग 3 घंटे का समय लगता है. इस में रोगी की न तो चीरफाड़ होती है और न अस्पताल में ही भरती होना पड़ता है. इस प्रक्रिया को किलेशन थैरपी कहते हैं.

सिबिया मेडिकल सेंटर लुधियाना के डा. एस.एस.सिबिया से की गई बातचीत पर आधारित

Edited by Rosy

द एक्स्ट्रा और्डिनरी जर्नी औफ फकीर फिल्म रिव्यू, पढ़े यहां…

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः लुक बुस्सी, अदिति आनंद, जैम मिटेस व अन्य.

निर्देशकः केन स्टौक

कलाकारः धनुष, अमृता संत, एरिन मोर्टियाटी, बेरेंसी बेंजो, एबल जाफरी व अन्य.

अवधिः एक घंटा 40 मिनट

स्पेन और हिंदुस्तान की सह प्रोडक्शन वाली फिल्म ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’अंग्रेजी भाषा में बनी हौलीवुड फिल्मकार केन स्टौकी की वह फिल्म है, जिसे नार्वे व स्पेन सहित कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कृत किया जा चुका है. फिल्म मुंबई के एक महाराष्ट्यिन गरीब बालक की जीवन यात्रा है जो कि गैर कानूनी तरीके से कई देशो की यात्रा कर वापस भारत लौटकर गरीब बच्चो को शिक्षा देने का काम कर रहा है.

इन दिनों जिस तरह से हौलीवुड फिल्मकार व कलाकारों के बीच अचानक भारत व बौलीवुड प्रेम जागा है, उसी का प्रतीक है फिल्म ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’’ निर्देशक ने इसमें दक्षिण भारत के मशहूर कलाकार धनुष को केंद्रीय भूमिका रखने के साथ ही स्पेन की मशहूर अदाकारा बेरेंसी बेंजो सहित कुछ हौलीवुड कलाकारों को भी जोड़ा है. तो वहीं उन्होने इसमें बौलीवुड का अहसास दिलाने के लिए जिस तरह से गाने पिरोए हैं, उससे वह फिल्म को बेहतर की बजाय बदतर बना देते है.

हौलीवुड निर्देशक केन स्टौक ने इस अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म का कुछ हिस्सा मंबुई व मंबुई के धोबीघाट पर फिल्माने के साथ ही कुछ जगहों पर हिंदी व मराठी भाषा में संवाद भी रखे हैं.

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कहानीः

फिल्म की कहानी शुरू होती है मंबुई से. जब अजातशत्रु लवांश पटेल उर्फ आजा (धनुष) अपराधी किस्म के अबोध बालकों को जेल जाने से बचने के लिए स्कूल आने के लिए बात करेन जाता है,तो वह खुद को गरीब बताते हुए अपनी कहानी सुनाता है.फिर कहानी आजा के बचपन से शुरू होती है. उसकी मां (अमृता संत) धोबीघाट पर कपडे़ धोने का काम करती है. उसकी मां ने उसे पट्टी पढ़ाई है कि उसके पिता नहीं है, वह तो जादू के बल पर धरती पर आया है. बचपन में उसे छह दिन जेल की हवा, खानी पड़ती है. लेकिन जब आजा स्कूल पढ़ने जाता है, तब उसे पता चलता है कि वह गरीब है और इस संसार में उसका कोई न कोई पिता जरुर है. उसकी मां अक्सर उससे पेरिस जाने की बात करती है. बड़ा होकर आजा सड़क पर जादू का खेल दिखाकर लोगों को ठगना शुरू करता है. अब उसका एकमात्र सपना है कि वह अमीर बने और मां को पेरिस ले जाए. मां की मौत के बाद मां के बक्से से मिली एक चिट्ठी व तस्वीर से आजा को पता चलता है कि उसके पिता स्पेनिस हैं और पेरिस में रहते हैं और उसी की तरह सड़क पर जादू का खेल दिखाया करते हैं. अब वह पेरिस जाने के लिए निकल पड़ता है. सबसे पहले वह नकली सौ यूरो की नोट के बल पर पेरिस पहुंचता है, जहां उसकी मुलाकात मरी (एरियन मोरियार्टी) से होती है और उससे वह प्यार कर बैठता है. दूसरे दिन मरी से आयफिल टावर पर मिलने का वादा करता है, पर वादे को पूरा करने से पहले ही हालात ऐसे बनते हैं कि वह एक अलमारी के अंदर बंद होकर अजीबोगरीब तरीके से इंग्लैंड, बर्सिलोना व लीबिया पहुंचता है. उसे पूरे विश्व की कुछ कड़वी सच्चाईयों का भी पता चलता है. इसी यात्रा में उसकी मुलाकात स्पेनिश अभिनेत्री नेली (बेरेंसी बेंजो) से होती है, जो उसकी अपने शर्ट पर लिखी गयी कहानी को हजार ऐरो में बिकवाकर उसे मालामाल कर देती है.पर अंत में वह सारा पैसा रिफ्यूजियों के बीच बांटकर,उनका तारनहार बन सही पासपोर्ट के साथ भारत लौटता है. उसकी यह यात्रा काफी एडचेंरस रहती है. कहानी खत्म होते ही बच्चे स्कूल जाने का ऐलान कर देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

रोमन पुर्तोलस के रोमांचक फैंतसी उपन्यास ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’ पर आधारित यह फिल्म किताब को सिनेमाई परदे पर सही अंदाज में पेश करने में विफल रहती है. रिफ्यूजी यानी कि विस्थापितों के सवाल और उनकी यातना को बहुत सतही स्तर पर पेश किया गया है. फिल्म में मनोरंजन का घोर अभाव है.

‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’ कुछ हद तक फिल्म ‘‘स्लमडौग मिलेनियर’से प्रभावित है. पर सुखद बात यह है कि फिल्मकार ने इसमें भारत की गरीबी को भुनाने की बनिस्बत मानवीय पक्ष को उकेरने का ज्यादा प्रयास किया है. फिल्म में रिफ्यूजियों की समस्याओं के साथ ही प्यार व रिश्ते की भी बात की गयी है.फिल्म आशा,उम्मीद व सकारात्मकता की बात करती है.फिल्म कई देशो की यात्रा के साथ कई रंग लेकर आती है.

बौलीवुड से प्रभावित फिल्मकार ने फिल्म में बेवजह गाने ठूंसकर फिल्म को नुकसान पहुंचाया है. इंग्लैंड में पुलिस अफसर पुलिस स्टेशन में ही नाचने व गाने लगता है.जो कि अजीब सा लगता है. बेरेंसी बेंजो और धनुष के साथ वाले कुछ दृश्य काफी सुंदर बने हैं.

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अभिनयः

दक्षिण के चर्चित अभिनेता धनुष ‘रांझणा’जैसी हिंदी फिल्म में अपनी अभिनय प्रतिभा से हिंदी भाषी दर्शकों को मोहित कर चुके हैं.अब पहली बार वह विश्वस्तर पर दर्शकों का दिल जीतने निकले है. इस फिल्म में उन्होने दिल से इमानदार अभिनय किया है. महज किसी को खुश करने के लिए वह कुछ करते नजर नहीं आते.वह बड़ी सहजता से आजा के किरदार में खुद को समाहित कर ले जाते हैं. स्पैलिनश अभिनेत्री बेरेंस बेंजो भी प्रभावित करती है.

Web Series Review: कोटा फैक्ट्री

रिलीज इयर: 2019
क्रिएटर: सौरभ खन्ना
कास्ट: मयूर मोरे, रंजन राज, जीतेन्द्र कुमार, रेवथी पिल्लई, अहसास चन्ना और उर्वी सिंह
जोनर: कौमेडी ड्रामा

द वायरल फीवर टीवीएफ चैनल की सीरीज कोटा फैक्ट्री एक सटायर है. यह सोसाइटी और कोचिंग सैंटरों का वो चेहरा दिखाती है जिसे देख कर भी लोग अनदेखा कर देते हैं. पूरी सीरीज कोटा में रहने वाले उन स्टूडेंट्स पर आधारित है जो आइआइटी, आईआईएम जैसे बड़े इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं.

सीरीज का मेन फोकस स्टूडेंट्स पर पढ़ाई के नाम पर दिए जा रहे दबाव को दिखाना है. यह दबाव केवल मातापिता की ओर से नहीं है बल्कि शिक्षक, दोस्तों, समाज यहां तक कि खुद की ओर से भी है. यह कोटा में रह रहे स्टूडेंट्स की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्थिति को दिखाती है.

सीरीज में जीतू भैया, वैभव, मीना कुछ ऐसे केरैक्टर्स हैं जिन्हें एक्टर्स ने बखूबी निभाया गया है. हंसी ठहाके के बीच मोनोक्रोम में बनी यह सीरीज स्टूडेंट्स को कई ऐसे मूमेंट्स देती है जहां वह सचमुच खड़े हो कर ताली बजाने से खुद को नहीं रोक पातें.

सीरीज में प्यार का पंचनामा की ही तरह कोटा का पंचनामा मतलब मोनोलोग है जिस की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. इस सीरीज से खासकर ग्यारहवीं, बारहवीं के स्टूडेंट्स सब से ज्यादा कनेक्ट कर पाएंगे. इसके डायलौग्स, स्क्रीनप्ले और स्टोरी सभी इतनी दमदार हैं कि यह सीरीज हफ़्तों तक यू-ट्यूब पर ट्रेंड करती रही.

कबीर सिंह फिल्म रिव्यू: लीक से हटकर लव स्टोरी

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः मुराद खेतानी, अश्विन वर्दे, भूषण कुमार, किशन कुमार

लेखक व निर्देशकः संदीप रेड्डी वांगा

कलाकारः शाहिद कपूर, किआरा अडवाणी,अर्जन बाजवा और सुरेश ओबेराय

अवधिः दो घंटे 55 मिनट

बौलीवुड में प्यार को लेकर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. बेइंतहा प्यार में डूबे प्रेमी अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं. प्यार में कुर्बान हो जाने वाले प्रेमियों की भी कमी नही है. मगर फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ में एक अलग तरह की प्रेम कहानी है. यह कहानी एक बेहतरीन सर्जन डौक्टर की है, जो कि अति गुस्सैल है. उसके गुस्से आगे कोई नहीं ठहर सकता. वह अपने मेडिकल कौलेज की नई छात्रा प्रीति से बिना पूछे ही प्यार कर बैठता है और उसे अपने प्यार में दिवाना भी बना देता है. मगर कबीर सिंह भी दिशा भ्रम का शिकार है. अपने अंदर के गुस्से पर काबू न कर पाने और हालात का सही आकलन न कर पाने वाले युवक की कहानी है कबीर सिंह. माना कि वर्तमान युवा पीढ़़ी में चंद युवक कबीर सिंह की तरह गुस्सैल, दिशा भ्रमित, परिवार व समाज की परवाह न करने वाले, दिन रात ड्रग्स, शराब, सिगरेट आदि में डूबे रहने वाले,परि7स्थितियों का सही आकलन करने की बजाय सब कुछ गंवा देने वाला एक प्रतिशत युवक मौजूद होगा, मगर फिल्म में उसका महिमा मंडनकर पूरी युवा पीढ़ी को एक ही पायदान पर खड़ा कर देने की फिल्मकार की  कोशिश को जायज तो नहीं ठहराया जा सकता.फिल्म में कामुकता को प्यार से जिस तरह फिल्मकार ने जोड़ा है,वह भी कई सवाल खडा करता है. सिनेमा को महज मनोरंजन का साधन मानकर मनोरंजन के नाम पर इस तरह के चरित्रों का महिमा मंडन करना उचित है?मगर फिल्मकार की नजर में यह सारे सवाल बेमानी है क्योंकि हिंदी फिल्म ‘कबीर सिंह’ 2017 की सफल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ का रीमेक है.

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कहानीः

यह कहानी नशे में धुत होनहार सर्जन डौक्टर कबीर सिंह की है,जो कि अपने पिता राजधीर सिंह (सुरेश ओबेराय) द्वारा घर से निकाला गया है. वह एक किराए के मकान में एक कुत्ते के साथ रहता है, जिसे वह प्रीति के नाम से बुलाता है. फिर कहानी अतीत में दिल्ली के एक मेडिकल कौलेज से शुरू होती है. जहां पर डौ.कबीर सिंह (शाहिद कपूर) मास्टर आफ सर्जरी की पढ़ाई कर रहा है. उसका जिगरी दोस्त है शिवा (सोहम मजूमदार). अपने गुस्से पर काबू न रख पाने वाला कबीर सिंह बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी भी है. गुस्से में किसी का भी सिर,हाथ या पैर तोड़ देना उसके लिए बहुत मामूली बात है. दो कौलेज की टीमें जब फुटबाल मैच के लिए मैदान पर उतरती हैं, तो दूसरी टीम के कैप्टन अमित (अमित शर्मा) व दूसरे खिलाड़ियों की कबीर सिंह जबरदस्त पिटाई करता है. जिसके चलते उसे कौलेज के डीन (आदिल हुसेन) कालेज से निकालने का आदेश दे देते हैं. मगर कौलेज में हुए नए प्रवेश में से एक लड़की प्रीति सिंह सिक्का (किआरा अडवाणी) को देखते ही कबीर सिंह उसे अपना दिल दे बैठते हैं. फिर वह डीन से लिखित माफी मांगकर कौलेज में ही बने रह जते हैं और कौलेज की हर कक्षा में जाकर शिक्षक की मौजूदगी में पंजाबी भाषा में हर लड़के व लड़की को धमकी दे आता है कि प्रीति के साथ कोई रैगिंग नहीं होगी, कोई उसे परेशान नहीं करेगा. प्रीति पर सिर्फ उसका हक है. होली के दिन जब अमित, प्रीति पर रंग डाल देता है और प्रीत रोती है, तो प्रीति को साथ ले जाकर जिस तरह से कबीर सिंह, अमित की पिटाई करता है, उससे प्रीति का वह दिल जीत लेता है. उसके बाद कबीर सिंह, प्रीति की परछाई बनकर अपनी सर्जन की पढ़ाई पूरी करता है. प्रीति भी डाक्टर बन जाती है. मगर इस दौरान दोनों के बीच न सिर्फ प्यार परवान चढ़ता है, बल्कि कबीर सिंह व प्रीति के बीच शारीरिक संबंध भी कई बार बनते हैं. मगर फिर प्रीति के रूढ़िवादी परिवार और कबीर सिंह के गुस्से के चलते प्रीति की शादी कहीं और हो जाती है. कबीर सिंह शराब व ड्रग्स के नशे में जो गुस्से में जो हरकत करता है, उसके चलते कबीर के पिता उसे घर से बाहर कर देेते हैं. अब कबीर सिंह खुद को तबाह करने लगता है. इसी बीच एक अभिनेत्री जिया शर्मा (निकिता दत्ता) से भी कबीर सिंह के शारीरिक संबंध बनते हैं. वह आज भी बेहतरीन सर्जन है. उसका एक भी आपरेशन असफल नहीं होता, जबकि वह सारे आपरेशन शराब व ड्रग्स के नशे में धुत होकर ही करता है. पर एक आपरेशन के बाद उसका काम उससे छिन जाता है. अब तो उसकी जिंदगी तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है. तभी कबीर सिंह की दादी (कामिनी कौशल) की मौत हो जाती है और इससे कबीर सिंह विचलित होकर खुद को नशे से दूर करने का वादा कर सुधर जाता है फिर एक दिन नौ माह की गर्भवती प्रीति से कबीर सिंह की मुलाकात एक बगीचे में होती है, पता चलता है कि प्रीति के पेट में कबीर का ही बच्चा पल रहा है. दोनों की शादी हो जाती है.

लेखन व निर्देशनः

एक नकारात्मक चरित्र को हीरो बनाकर पेश करने के लिए फिल्मकार संदीप रेड्डी वांगा ने सिनेमा के सारे क्राफ्ट का बेहतरीन उपयोग किया है. ड्रग्स व शराब के आदी, अति गुस्सैल, अपनी प्रेमिका के प्रति अति संरक्षणात्मक रवैया, सेक्स में डूबा रहने वाला, हिंसक मगर कुशल सर्जन को अपनाना दर्शक के लिए कठिन होता है, मगर फिल्मकार संदीप रेड्डी वंगा के कथा कथन शैली में गुम दर्शक सब कुछ पचा जाता है. कबीर सिंह का प्यार पर फना हो जाने का जज्बा, प्यार व अपने पेशे के प्रति ईमानदारी, काम से हटाए जाने की नौबत आने पर भी झूठ की सच बोलने की कबीर की अदा भी कबीर को दर्शकों का अपना बना देती है. मगर दर्शक सोचता रहता है कि तमाम बुराईयों व नकारात्मक पक्ष के बावजूद कबीर सिंह में कुछ अच्छा निकलकर आएगा, लेकिन अंत तक ऐसा कुछ नहीं होता. कबीर सिंह एक बेहरतीन प्रेमी भी नहीं बन पाता, क्योकि प्रीति से शादी न होने के बाद वह दूसरी शादी नहीं करता, मगर अपनी शारीरिक इच्छा यानी कि महज सेक्स यौन तृप्ति के लिए एक फिल्म अभिनेत्री से संबंध जोड़ता है. फिल्मकार ने जिस तरह से जंगल व कार के अंदर कबीर व अभिनेत्री जिया के बीच सेक्स संबंध दिखाए हैं, वह कबीर को अति छोटा ही बनाते है. जब कबीर सिंह खुद को बर्बादी की तरफ ले जा रहे होते हैं, तो उनके अंदर का जो दर्द है, वह दर्शक महसूस नहीं कर पाता, यह निर्देशक और अभिनेता शाहिद कपूर की कमजोरी ही है.

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डायरेक्शन…

इंटरवल के बाद फिल्म पर से फिल्मकार की पकड़ थोड़ी ढीली हो गयी है. इंटरवल के बाद कहानी में काफी दोहराव है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी. लगभग तीन घंटे की अवधि से फिल्म काफी लंबी हो गयी है. इसे काफी कम किया जा सकता था.

फिल्म के गाने प्रभावित नहीं करते. फिल्म में जिस तरह से एक दो लाइनें बीच बीच में पिरोई गयी हैं, वह कहानी की गति को बाधित करती हैं.

इतना ही नही जिसने मूल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ देखी है, उन्हें ‘कबीर सिंह’ काफी सतही फिल्म नजर आएगी. ‘अर्जुन रेड्डी’के साथ ‘कबीर सिंह’ की तुलना करने वालों को कबीर सिंह से निराशा ही होगी.

अभिनयः

अति जटिल, डार्क, विद्रोही, गुस्से पर काबू न रखने वाले, ड्रग्स व नशे के आदी कबीर सिंह के किरदार को जीवंत कर शाहिद कपूर ने अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता को दर्शाया है, मगर कुछ दृश्यों में ‘उड़ता पंजाब’ वाला देाहराव भी है. कबीर सिंह के दोस्त शिवा के किरदार में सोहम मजूमदार ने खुद को एक बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारा है. मेडिकल कौलेज के डीन के छोटे किरदार में आदिल हुसैन की प्रतिभा को जाया किया गया है. किआरा अडवाणी खूबसूरत लगी हैं. पर कई दृश्यों में वह अपनी आंखों से काफी कुछ कह जाती हैं. दादी के किरदार में कामिनी कौशल याद रह जाती है. सुरेश ओबेराय, निकिता दत्ता, अर्जन बाजवा, कुणाल ठाकुर ने ठीक ठाक काम किया है.

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Edited by Rosy

करण-बिपाशा की गोद में दिखीं बच्ची, तो फैंस ने पूछा ये सवाल

स्टार प्लस के सीरियल कसौटी जिंदगी की 2 में ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में नजर आने वाले करण सिंह ग्रोवर इन दिनों सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. हाल में उनकी ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में एंट्री ने जहां सीरियल को टीआरपी चार्ट में फायदा पहुंचाया हैं. वहीं अब वह फिर अपनी सोशल मीडिया पर एक फोटो के कारण सुर्खिंयों में आ गए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

न्यू बौर्न बेबी के साथ इंस्टाग्राम पर शेयर की फोटो

बौलीवुड एक्ट्रेस बिपाशा बासु के साथ पति करण ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक फोटो शेयर की है. जिसमें खास बात ये है कि इस फोटो में करण के हाथ में एक न्यू बौर्न बेबी है.

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फैन्स ने दिया फोटो पर रिएक्शन

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करण की इसी फोटो की वजह से उनके फैन्स ने सोशल मीडिया पर सवाल करना शुरू कर दिया है कि कहीं ये बच्चा उनका ही तो नही है.

करण की इस फोटो का ये है सच

 

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A moment of peace… #newborn #babygirl #girl #baby #daddy #peace #fatherhood #daddysprincess

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दरअसल फोटो में करण के हाथ में जो बच्ची है वह टीवी और बौलीवुड इंडस्ट्री के फेमस एक्टर विवान भटेना की बेटी निवाया है.

विवान भटेना भी कर चुके हैं बेटी की फोटो शेयर

बीते 9 जून को एक्टर विवान और उनकी पत्नी निखिला के घर नन्ही परी निवाया आईं हैं, जिसकी फोटोज विवान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के साथ शेयर की थी. साथ ही विवान ने ‘गेम औफ थ्रोन्स’ के तर्ज पर निवाया को पूरे वर्ल्ड से मिलवाया था.

 

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Hmmmm Bachke Rehna Re Bajaj Bachke rehna re… Bachke Rehna Re Bajaj Tujh pe Nazar hain… #humarabajaj

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बता दें करण इन दिनों ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में अपनी फैंस का दिल जीत रहे हैं. वहीं हाल ही में उनके रोल को लेकर ट्रोल भी किया गया था, जिसकी फोटोज बिपाशा बसु ने मजाकिया अंदाज में शेयर भी की थी.

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7 टिप्स: वर्कआउट करते समय रखें हेल्थ का खास ख्याल

बिजी लाइफस्टाइल में हर किसी को पसंद होता है खुद को फिट रखना, जिसके लिए वह जिम, योगा और घर में ही एक्सरसाइज करना पसंद करते हैं. लेकिन कभी-कभी एक्सरसाइज करना हमारी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है. इसीलिए आज हम आपको खुद को फिट रखने के लिए एक्ससाइज करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए, इसके बारे में आपको बताएंगे…

1. एक्सरसाइज से पहले वौर्म अप करना है जरूरी

एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वौर्म अप करना सबसे जरूरी होता है. नौर्मली हम वौर्म अप आधे घंटे से 45 मिनट तक करते हैं, लेकिन गरमी में वौर्म अप 15 से 20 मिनट ही करना चाहिए. गरमी में ज्यादा देर तक या बहुत ज्यादा वौर्म अप करने से कैलरी ज्यादा बर्न हो जाएगी, जिससे वर्कआउट करने की क्षमता कम हो सकती है. गर्मियों के मौसम में कूल डाउन भी आवश्यकता के अनुसार 10 से 15 मिनट से ज्यादा नहीं करना चाहिए. देर तक कूल डाउन भी तभी करना चाहिए, अगर आप ज्यादा मोटे हो, नहीं तो वर्कआउट के लास्ट में थोड़ी बहुत स्ट्रेचिंग, कार्डिओ, ट्रेडमिल, साइकलिंग या आसन कर लेने चाहिए.

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2. गरमियों में रखें खास ख्याल

कई बार हम वर्कआउट वाली जगह पर आने-जाने के लिए जौगिंग या ब्रिस्क वौक करते हुए जाते हैं. गरमियों में ऐसा नहीं करना चाहिए. गरमियों में वर्कआउट पर आने-जाने के लिए नौर्मली से टहलते हुए या गाड़ी से ही जाना चाहिए. गरमियों में ब्रिस्क वौक, जौगिंग या रनिंग करते हुए वर्कआउट के लिए आने या जाने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है.

3. वर्कआउट के लिए क्लीन कपड़े होना जरूरी

आजकल वर्कआउट के लिए थोड़े ढीले कपड़े पहनना चाहिए, पर जरूरी है कि मौसम को देखते हुए भी वर्कआउट के कपड़े चुनें. यही नहीं, साथ ही ध्यान रहें कि वर्कआउट के बाद उन कपड़ों को जल्दी ही बदल लें, खासकर गरमी के मौसम में. गर्मियों में वर्कआउट के समय बहुत ज्यादा पसीना आता है. ऐसे में अगर आप वही कौस्ट्यूम बहुत देर तक पहने रखते हैं तो कीटाणु आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही इससे इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए वर्कआउट करने के बाद आधे और एक घंटे के अंदर अपने गीले कपड़े बदल लेने चाहिए.

4. वर्कआउट के लिए नहाकर जाएं

गरमियों में वर्कआउट के लिए हो सके तो नहा कर जाएं. गरमी में वर्कआउट करने के बाद भी शावर लेना जरूरी होता है. इससे पसीने की वजह से जो कीटाणु होंगे, वो पूरी तरह से साफ हो जाएंगे और आपकी हेल्थ को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.

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5. वर्कआउट में तेल की मालिश से बचें

गरमियों में तेल की मालिश करवाने से बचें और वर्कआउट से पहले तो ऐसी मालिश बिल्कुल भी न करवाएं. जरूरी हो तो स्किन की देखभाल के लिए हल्के मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.

6. स्किन का भी रखें खास ख्याल

गरमी में वर्कआउट करते समय पसीना ज्यादा आता है, जिससे स्किन रिलेटिड प्रौब्लम्स बढ़ जाती हैं. जिनकी स्किन सेंसिटिव है, उनको स्किन से जुड़ी कई सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके लिए वर्कआउट करने से पहले और बाद में चेहरे और स्किन को अच्छी तरह से साफ करें. स्किन को साफ रखने के लिए तौलिया भी साथ रखें और स्किन को पोंछते रहें. वर्कआउट के बाद अच्छे क्लींजर का इस्तेमाल करके भी अपनी स्किन को सुरक्षित रख सकते हैं.

7. वर्कआउट से पहले करें ये काम

वर्कआउट करने के तुरंत पहले आधा घंटा या 20 मिनट तक कुछ न खाएं. गरमियों में चाय या ब्लैक कौफी भी जिम जाने से पहले न पिएं. गरमियों में वर्कआउट करने से 20 मिनट पहले प्रोटीन या बादाम शेक जैसी प्रोटीन वाली एनर्जी ड्रिंक और चीजें खानी चाहिए.

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देवरानी-जेठानी के दिलचस्प रिश्ते….

आज हम बात करेंगे उस रिश्ते की जो काफी नाजुक होता है. ऐसा रिश्ता जिसमें समझदारी होना बहुत आवश्यक है…वो रिश्ता है देवरानी और जेठानी का….ये रिश्ता बिल्कुल वैसा ही है जैसा सब्जी में नमक और मिर्च का होता है. इस रिश्ते को निभाना उतना भी आसान नहीं है क्योंकि जब दो अलग-अलग परिवार की लड़की एक ही जगह पर आकर बहू बनती है और उनके बीच देवरानी और जेठानी का रिश्ता बनता है तो अलग-अलग महौल की इन बहुओं को एक साथ ,सामंजस्य बिठाना मुश्किल होता है.

आज लगभग हर धारावाहिकों में इन रिश्तों में मिर्च-मसाला लगाया जाता है और दर्शक यही देखकर काफी इन्जौय भी करते हैं.जेठानी और देवरानी एक दूसरे के खिलाफ साजिशें रचती नजर आती हैं तो कभी एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगी रहती हैं. कभी दोनों में गहनों को लेकर भेदभाव होता है ,तो कभी घर की जिम्मेदारी को लेकर और सबसे ज्यादा तो ये देखकर जलन होती है कि अरे उसके पास मुझसे अच्छी साड़ी कैसे……हालांकि ये तो हुई धारावाहिकों की बात. असल जिंदगी ऐसी नहीं है लेकिन काफी हद तक इससे मिलती है.

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जब एक लड़की शादी करके नए घर में जाती है तो काफी घबराई हुई होती है कि पता नहीं कैसे वो सारे रिश्ते निभाएगी और पता नहीं कैसा परिवार मिलेगा. पता नहीं सास कैसी होंगी,और सबसे ज्यादा तो इस बात से घबराई हुई होतीं हैं कि पता नहीं ननद और जेठानी कैसी होंगी और जेठानी भी सोचती है की देवरानी पता नहीं कैसी होगी?ये सारे सवाल का जवाब तब मिलता है जब वो लड़की उस घर में कुछ दिन बिता लेती है. अगर देवरानी और जेठानी शुरू से ही अपने रिश्ते को अच्छ से निभाती हैं, एक-दूसरे के साथ समन्वय और सामंजस्य बिठा कर चलती हैं तो रिश्ते में खटास नहीं होती है बल्कि मजबूत रिश्ता बनता है.

कभी-कभी जब देवरानी वर्किंग वुमन होती है और जेठानी हाउसवाइफ होती है तो जेठानी के मन में जलन की भावना पैदा होती है कि वो तो घर के काम नहीं करती मैं ही सब करती हूं. दिनभर बाहर मस्ती में रहती है और घर वालों के ताने सहूं,उनके काम करूं.इस तरह की भावना उसके मन में पैदा होती है और तो और वो सास से देवरानी की चुगली भी करती है साथ ही देवरानी के खिलाफ सास के कान भरती है. देवर और भाभी का रिश्ता थोड़ा हंसी-मजाक वाला होता है लेकिन कभी-कभी देवरानी इसको शक के घेरे में खड़ा करके उस रिश्ते को खराब कर देती है.

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आइए आपको बताते हैं कि कैसे इस देवरानी और जेठानी के रिश्ते को अच्छा बना सकते हैं……

  1. देवरानी को छोटी बहन की तरह मानना चाहिए,इससे कभी भी रिश्ते में खटास पैदा नहीं होगी और देवरानी भी जेठानी की इज्जत करेगी.
  2. कभी-कभी भी मन में जलन की भावना पैदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि कुछ चीजें अगर देवरानी के पास अच्छी हैं तो कुछ जेठानी के पास. जो है उसमें खुश रहना चाहिए.
  3. सास से कभी भी एक-दूसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए….अपने मतभेद आपस में ही मिटा लो तो ज्यादा अच्छा होगा.
  4. काम हमेशा मिल बांट कर करना चाहिए.अगर देवरानी या जेठानी में से कोई भी वर्किंग वुमन है तो एक-दूसरे का सर्पोट करना चाहिए.
  5. आपस में कभी मेरा तुम्हारा की भावना नहीं आने देना जो है सब पर सब का अधिकार होना. मिलजुल कर रहना.

ये सभी तरीके एक देवरानी और जेठानी के रिश्ते को अच्छा बनाते हैं….

Edited by Rosy

भीड़ को नहीं है किसी का डर

मामला परशुराम के पिता का पुत्रों को मां का वध करने का हो, अहिल्या का इंद्र के धोखे के कारण अपने पति को छलने का या शंबूक नाम के एक शूद्र द्वारा तपस्या करने पर राम के हाथों वध करने का, हमारे धर्म ग्रंथों में तुरंत न्याय को सही माना गया है और उस पर धार्मिक मुहर लगाई गई है. यह मुहर इतनी गहरी स्याही लिए है कि आज भी मौबलिंचिंग की शक्ल में दिखती है.

असम में तिनसुकिया जिले में भीड़ ने पीटपीट कर एक पति व उस की मां को मार डाला, क्योंकि शक था कि उस ने अपनी 2 साल की बीवी और 2 महीने की बेटी को मार डाला. मजे की बात तो यह है कि जब पड़ोसी और मृतक बीवी के घर वाले मांबेटे की छड़ों से पिटाई कर रहे थे, लोग वीडियो बना कर इस पुण्य काम में अपना साथ दे रहे थे.

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देशभर में इस तरह भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने और भीड़ में खड़े लोगों का वीडियो बनाना अब और ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि शासन उस तुरंत न्याय पर नाकभौं नहीं चढ़ाता. गौरक्षकों की भीड़ों की तो सरकारी तंत्र खास मेहमानी करते हैं. उन्हें लोग समाज और धर्म का रक्षक मानते हैं.तुरंत न्याय कहनेसुनने में अच्छा लगता है पर यह असल में अहंकारी और ताकतवर लोगों का औरतों, कमजोरों और गरीबों पर अपना शासन चलाने का सब से अच्छा और आसान तरीका है.

यह पूरा संदेश देता है कि दबंगों की भीड़ देश के कानूनों और पुलिस से ऊपर है और खुद फैसले कर सकती है. यह घरघर में दहशत फैलाने का काम करता है और इसी दहशत के बल पर औरतों, गरीबों, पिछड़ों और दलितों पर सदियों राज किया गया है और आज फिर चालू हो गया है.जब नई पत्नी की मृत्यु पर शक की निगाह पति पर जाने का कानून बना हुआ है तो भीड़ का कोई काम नहीं था कि वह तिनसुकिया में जवान औरत की लाश एक टैंक से मिलने पर उस के पति व उस की मां को मारना शुरू कर दे.

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यह हक किसी को नहीं. पड़ोसी इस मांबेटे के साथ क्यों नहीं आए, यह सवाल है.लगता है हमारा समाज अब सहीगलत की सोच और समझ खो बैठा है. यहां किसी लड़केलड़की को साथ देख कर पीटने और लड़के के सामने ही लड़की का बलात्कार करने और उसी समय उस का वीडियो बनाने का हक मिल गया है.यहां अब कानून पुलिस और अदालतों के हाथों से फिसल कर समाज में अंगोछा डाले लोगों के हाथों में पहुंच गया है, जो अपनी मनमानी कर सकते हैं.

पिछले100-150 साल के समाज सुधार और कानून के सहारे समाज चलाने की सही समझ का अंतिम संस्कार जगहजगह भीड़भड़क्के में किया जाने लगा है. यह उलटा पड़ेगा पर किसे चिंता है आज. आज तो पुण्य कमा लो.

Edited by Rosy

बेबी शौवर में दिखा समीरा रेड्डी का ट्रेडिशनल लुक

बौलीवुड एक्ट्रेस समीरा रेड्डी भले ही फिल्मों से दूर हों, लेकिन वह सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में लगातार बनी रहती हैं. चाहे वह उनकी प्रैग्नेंसी की फोटोज हो या गोदभराई की फोटोज. आइए आपको दिखाते हैं में समीरा ने अपनी गोदभराई से जुड़ी कुछ फोटोज…

कांजीवरम सिल्क साड़ी में पूजा करती दिखीं समीरा

एक्ट्रेस समीरा अपने बेबी शौवर यानी गोदभराई में ट्रेडिशनल लुक को कैरी करते हुए कांजीवरम सिल्क साड़ी में पूजा करती नजर आईं.

फैमिली के साथ खुश नजर आईं समीरा

समीरा के फेस पर प्रैग्नेंसी की खुशी उनकी गोद भराई की रस्म में साथ नजर आईं, जिसमें पति और बेटे हंस के साथ बांटते हुए दिखे.

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गोदभराई में बालों में गजरा लगाकर नजर आई समीरा

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समीरा अपनी गोदभराई की रस्म के लिए कांजीवरम सिल्क साड़ी के साथ कौम्बिनेशन दिखाते हुए बालों में गजरा लगाती हुईं नजर आईं.

गोदभराई का फोटोशूट करवाती हुईं नजर आईं समीरा

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समीरा अपनी गोदभराई के लिए फोटोशूट करवाती नजर आईं, जिसके लिए समीरा बहुत एक्साइटिड नजर आईं.

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टेस्टी खाने ने गोदभराई को दिया अलग लुक

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समीरा की गोदभराई की रस्म में आए गेस्ट ने खाने का भरपूर मजा लेते हुए नजर आएं.

पहले भी करवा चुकी हैं फोटोशूट

एक्ट्रेस समीरा इससे पहले अपने फोटोशूट करवा चुकी हैं, जिसमें वह बहुत ब्यूटीफुल लुक में नजर आईं.

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सोशल मीडिया पर रहती हैं एक्टिव

समीरा भले ही फिल्मी दुनिया से दूर हों, लेकिन वह अपने इंस्टाग्राम पर अपने फैन्स के लिए आए दिन खास फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिसपर फैन्स भी कमेंट करना नही भूलते.

‘मिस्टर बजाज’ के मीम्स पर बिपाशा ने ऐसे उड़ाया पति करण का मजाक

टीवी की क्वीन कही जाने वाली एकता कपूर का हिट टीवी शो कसौटी ज़िन्दगी की 2 इन दिनों लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. करण सिंह ग्रोवर ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में एंट्री कर चुके हैं, जिससे उनके फैंस  काफी खुश हैं. दूसरी तरफ मिस्टर बजाज की एंट्री के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन पर मीम्स बनाना भी शुरू कर दिया है, जिस पर करण की वाइफ यानी एक्ट्रेस बिपाशा बसु ने भी कमेंट किया है और एक मीम्स शेयर किया है. आइए आपको बताते हैं कैसे बिपाशा ने अपने पति करण का मजाक उड़ाया है.

बिपाशा ने किया मिस्टर बजाज का मीम शेयर

 

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Hmmmm Bachke Rehna Re Bajaj Bachke rehna re… Bachke Rehna Re Bajaj Tujh pe Nazar hain… #humarabajaj

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बिपाशा ने करण को चिढ़ाने के लिए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ये मीम शेयर किया और साथ ही मैसेज में लिखा “हम्मम बचके रहना रे बजाज बचके रहना रे… बचके रहना बजाज, तुझ पे नजर है…”. जिसके बाद फैंस ने भी कईं कमेंट किए.

आपको बता दें, करण सिंह ग्रोवर की मुलाकात एक्ट्रेस बिपासा से फिल्म अलोन के सेट पर हुई थी, जिसके बाद उन्होंने तीन साल एक-दूसरे को डेट करके शादी कर ली.

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करण के और भी मीम्स हो रहें हैं ट्रोल

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हाल ही में करण के ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में आने के बाद कईं मीम्स आ चुके हैं. ‘मिस्टर बजाज’ के एक मीम्स में करण की फोटो के साथ स्कूटर की फोटो जोड़कर मीम बनाया गया.

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बता दें, स्टार प्लस के हिट सीरियल में इन दिनों करण सिंह ग्रोवर ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में नजर आ रहें हैं. जिसमें उनके फैंस को उनकी एक्टिंग बेहद पसंद आ रही है. साथ ही सीरियल की टीआरपी पर भी ‘मिस्टर बजाज’ की एंटी का फर्क पड़ा है. वहीं इससे पहले सीरियल में कौमोलिका के रोल में हिना खान भी काफी सुर्खियां बटोर चुकी हैं.

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