कियारा आडवाणी से जानें उनकी ब्यूटी का राज

बौलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म कबीर सिंह के लिए प्रमोशन में डुटी हुई हैं. कियारा की एक्टिंग जितनी अच्छी है उतनी ही वह खूबसूरत हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कियारा ने अपनी खूबसूरती और फिटनेस से जुड़े कुछ खास टिप्स बताएं. जिसे आप अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए मौनसून में अपनी सकती हैं. आइए जानते हैं उनकी खूबसूरती के कुछ खास टिप्स-

सवाल- गर्मी और मानसून में अपने ब्यूटी का ख्याल कैसे रखती है?

मेरी जींस ऐसी है कि मुझे बहुत ज्यादा ब्यूटी का ख्याल नहीं रखना पड़ता, लेकिन कुछ चीजों को मैं हमेशा फौलो करती हूं. मसलन बालों के लिए सही शैम्पू का इस्तेमाल करना, बालों को अच्छी तरह से धोना, तेल लगाना आदि करती हूं.

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मेकअप उतारना नहीं भूलती

ज्यादा मेकअप करना फेस हैल्थ के लिए सही नही होता, लेकिन एक्ट्रेस और बिजी लाइफस्टाइल के कारण हमें मेकअप करना पड़ता है. इसलिए कितनी भी देर हो, लेकिन मैं अपना मेकअप उतारना नहीं भूलती.

स्किन के लिए नींद है जरूरी

लेट नाइट पार्टी और देर से सोने से मैं बचना पसंद करती हूं, क्योंकि टाइम से सोने से हमारी स्किन अच्छी रहती है और स्किन के लिए ये भी जरूरी है कि अपनी नींद पूरी करना न भूलें. अगर आपकी नींद पूरी नहीं होगी तो आपका फेस डल लगेगा.

लिक्विड ज्यादा पीना

मौनसून हो या समर स्किन को हाइड्रेट रखना जरूरी होता है, इसलिए जरूरी है कि आप ज्यादा से ज्यादा लिक्विड पीयें. चाहे वह जूस हो या पानी.

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स्किन को हेल्दी रखने के लिए डेली वर्कआउट

डेली वर्कआउट स्किन की स्किन हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है. ये स्किन को नेचुरली टोन करने का काम करता है. साथ ही बौडी को भी फिट बनाए रखता है. ये मेरे ये मेरी ब्यूटी रिजीम में से एक है.

सास करती हैं बहुओं में भेदभाव…..

शायद ये सुन कर आपको हैरानी हो और थोड़ा अजीब लगे लेकिन आज भी समाज में ससुराल में बहुओं के साथ भेदभाव होता है.इसमें कोई दोराय नहीं कि सास और बहू के बीच में नोक-झोंक न हो. कहीं पढ़ा था मैंने कि बेटी अगर चीनी है जिसके बिना जिंदगी में कोई मिठास नहीं,तो बहू नमक है जिसके बिना जीवन में कोई स्वाद नहीं. अक्सर सास और बहू के रिश्तों में खटास सी पैदा हो जाती है….इसका एक सबसे बड़ा कारण हैं सासों का यह मानना कि बहू तो बहू होती है और बेटी…बेटी होती है..हालांकि कुछ प्रतिशत ऐसी सासें हैं जो बहू को केवल बेटी का दर्जा देते ही नहीं हैं बल्कि उसको बेटी मानती  भी हैं. सास बहू के रिश्तों में और भेदभाव के कुछ कारण हैं…..

1. बहू को सिर्फ एक बहू के नजरिये से देखना

सास का ये मानना की बहू कभी बेटी नहीं बन सकती है. बहू को सिर्फ एक बहू के नजरिये से देखना. कभी उसके साथ बेटी जैसा बर्ताव न करना. बहुएं घर का सारा काम करती हैं साथ अपने पति के जरूरतों का भी खयाल रखती हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि सास अपने बहू को बेटी के समान रखें ताकि बहू भी उतनी ही इज्जत दें सास को जितनी वो अपनी मां को देती हैं.

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2. दूसरा भेदभाव का सबसे बड़ा कारण है दहेज.. 

दूसरा भेदभाव का सबसे बड़ा कारण है दहेज.. अगर कई बहुएं होती हैं तो अक्सर सास उस बहू को ज्यादा तवज्जों देती हैं जो ज्यादा दहेज लाती है और अपने सास की चकचागिरी करती हैं. सास को लगता है कि उसके लिए ज्यादा दहेज वाली बहू ही अच्छी होती है. इसलिए बाकी बहुओं को ज्यादा तवज्जों न देकर भेदभाव करती हैं.

3. अक्सर सासें ये सोचती हैं कि उनका बेटा कितना बदल गया है

अक्सर सासें ये सोचती हैं कि उनका बेटा कितना बदल गया है. शादी के बाद सिर्फ अपनी पत्नी पर ध्यान देता है और उसी के बारे में सोचता है मेरी तो सुनता ही नहीं है. एक ये सोच भी सास को भेदभाव की दहलीज तक ला ही देता है जब सास बेटी और बहू में भेदभाव करती हैं.

4.अगर बहू वर्किंग वुमन है तो 

अगर बहू वर्किंग वुमन है तो वो शादी के बाद भी अपना काम जारी रखती है जिसके चलते वो घर के कामों में ज्यादा योगदान नहीं दे पाती तो बाकी की बहुओं को सास से उसकी चुगली करने और कान भरने का मौका मिल जाता है. आजकल सास,बहु और सस्पेंस जैसी कहानी केवल धारावाहिकों में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी दिखती है.

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हम एक उदाहरण से ये समझ सकते हैं कि इंदिरा गांधी को  पूरब और पश्चिम का मिश्रण बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने अपने एक बहू को मानेकशौ से कार्डन ब्लू बनाना सीखने के लिए भेजा तो दूसरी बहू सोनिया गांधी को हिंदुस्तानी सीखने के लिए भेजा.लेकिन कहा जाता है कि इंदिरा गांधी मेनका से ज्यादा सोनिया गांधी को चाहती थी. मतलब उस वक्त भी भेदभाव था और आज तो है ही. अगर बहू सेवा न करे तो बूरी बन जाती है सास के नजरों में भले ही घर के सारे काम करती हो और सास को आराम देती हो,  लेकिन आज समाज को आइना देखने की जरूरत है. सासों को बदलने की जरूरत है…जब तक वो अपनी बहू को बेटी नहीं मानेंगी और बाकी बहुओं से तुलना करना बंद नहीं करेंगी तब तक उनको भी वो प्यार और अपनापन नहीं मिल पाएगा जो एक बहू से मिलना चाहिए…क्योंकि वक्त है बदलाव का….

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जाति की राजनीति में किस को फायदा

इस देश में शादीब्याह में जिस तरह जाति का बोलबाला है वैसा ही राजनीति में भी है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ मिल यादवोंपिछड़ों को दलितों के साथ जोड़ने की कोशिश की थी पर चल नहीं पाई. दूल्हे को शायद दुलहन पसंद नहीं आई और वह भाजपा के घर जा कर बैठ गया. अब दोनों समधी तूतू मैंमैं कर रहे हैं कि तुम ने अपनी संतान को काबू में नहीं रखा.

इस की एक बड़ी वजह यह रही कि दोनों समधियों ने शादी तय कर के मेहनत नहीं की कि दूल्हेदुलहन को समझाना और पटाना भी जरूरी है. दूसरी तरफ गली के दूसरी ओर रह रही भाजपा ने अपनी संतान को दूल्हे के घर के आगे जमा दिया और आतेजाते उस के आगे फूल बरसाने का इंतजाम कर दिया, रोज प्रेम पत्र लिखे जाने लगे, बड़ेबड़े वायदे करे जाने लगे कि चांदतारे तोड़ कर कदमों में बिछा दिए जाएंगे. वे दोनों समधी अपने घर को तो लीपनेपोतने में लगे थे और होने वाले दूल्हेदुलहन पर उन का खयाल ही न था कि ये तो हमारे बच्चे हैं, कहना क्यों नहीं मानेंगे?

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अब दूल्हा भाग गया तो दोष एकदूसरे पर मढ़ा जा रहा है. यह सांप के गुजर जाने पर लकीर पीटना है. मायावती बेवकूफी के बाद महाबेवकूफी कर रही हैं. यह हो सकता है कि पिछड़ों ने दलितों को वोट देने की जगह भाजपा को वोट दे दिया जो पिछड़ों को दलितों पर हावी बने रहने का संदेश दे रही थी.

इस देश की राजनीति में जाति अहम है और रहेगी. यह कहना कि अचानक देशभक्ति का उबाल उबलने लगा, गलत है. जाति के कारण हमारे घरों, पड़ोसियों, दफ्तरों, स्कूलों में हर समय लकीरें खिंचती रहती हैं. देश का जर्राजर्रा अलगअलग है. ब्राह्मण व बनियों में भी ऊंचनीच है. कुंडलियों को देख कर जो शादियां होती हैं उन में न जाने कौन सी जाति और गोत्र टपकने लगते हैं.

जाति का कहर इतना है कि पड़ोसिनें एकदूसरे से मेलजोल करने से पहले 10 बार सोचती हैं. प्रेम करने से पहले अगर साथी का इतिहास न खंगाला गया हो तो आधे प्रेम प्रसंग अपनेआप समाप्त हो जाते हैं. अगर जाति की दीवारें युवकयुवती लांघ लें तो घर वाले विरोध में खड़े हो जाते हैं. घरघर में फैला यह महारोग है जिस का महागठबंधन एक छोटा सा इलाज था पर यह नहीं चल पाया. इसका मतलब यह नहीं कि उसे छोड़ दिया जाए.

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देश को जाति की दलदल से निकालने के लिए जरूरी है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अपना अहंकार छोड़ें और पिछड़े और दलित अपनी हीनभावना को. अखिलेश यादव और मायावती ने प्रयोग किया था जो अभी निशाने पर नहीं बैठा पर उन्होंने बहुत देर से और आधाअधूरा कदम उठाया. इस के विपरीत जाति को हवा देते हुए भाजपा पिछले 100 सालों से इसे हिंदू धर्म की मूल भावना मान कर अपना ही नहीं रही, हर वर्ग को सहर्ष अपनाने को तैयार भी कर पा रही है.

अखिलेश यादव और मायावती ने एक सही कदम उठाया था पर दोनों के सलाहकार और आसपास के नेता यह बदलाव लाने को तैयार नहीं हैं.

अब पेट भी रहेगा फिट

रिया एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत युवा, उत्साही सौफ्टवेयर इंजीनियर है. अभी हाल तक सब कुछ ठीक-ठाक था. फिर एक दिन उसे सीने में जलन होने लगी. लंच के बाद पेट जैसे फूलने लगा. उस के बार-बार टौयलेट के चक्कर लगने लगे. इस सब से परेशान रिया के जहन में बस एक ही बात आ रही थी कि मैं ने ऐसा क्या खाया है.

यह सच है कि हमारे पेट में जब भी कोई प्रौब्लम होती है हम उसे अपने खानपान से जोड़ कर देखते हैं, जबकि पेट की हर बीमारी सिर्फ खाने की वजह से हो ऐसा बिल्कुल नहीं है. बल्कि इस के लिए बैक्टीरिया कारण हो सकता है. आस्ट्रेलियाई डाक्टर बैरी जे. मार्शल ने यह पाया कि पेट में जितने भी विकार होते हैं उस का कारण एक बैक्टीरिया है, जिसे हेलिकोबैक्टर पायलोरी कहते हैं. यह सच है कि पूरी दुनिया की आबादी के 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग हेलिकोबैक्टर पायलोरी से संक्रमित हैं और पेट से जुड़ी जितनी भी बीमारियों होती हैं उन सब के लिए यह अकेला ही जिम्मेदार है. अगर इस बैक्टीरिया का सफाया हो जाए, तो आप पेट की किसी भी बीमारी से पीडि़त नहीं होंगे.

1. नौर्मल प्रौब्लम है पेट में एसिड

हमारे पेट में एसिड भोजन को पचाने का काम करता है, लेकिन कई बार पेट में एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है. अब पेट में भोजन कम और एसिड ज्यादा हो जाता है, जिस से एसिडिटी की प्रौब्लम हो जाती है. मसालेदार और वसायुक्त भोजन करने से एसिडिटी होने लगती है. इसके अलावा समय पर भोजन न करने से भी एसिडिटी हो जाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि एसिडिटी का एक कारण तनाव लेना भी है.

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ऐसे करें इलाज

एसिडिटी की प्रौब्लम से परेशान लोग सुबह उठने के बाद पानी पीएं. इस के अलावा रोज खाने के साथ केला, तरबूज, पपीता और खीरा खाएं. एसिडिटी के उपचार में तरबूज का रस फायदा करता है. नारियल पानी पीने से भी एसिडिटी से निजात मिलती है.

2. गैस की प्रौब्लम को करें दूर

अधिक समय तक खाना न मिलने से पेट में गैस की प्रौब्लम हो जाती है. पेट में आवश्यकता से अधिक गैस बनने से वह शरीर के बाकी अंगों के लिए खतरनाक होने लगती है. इसलिए गैस की प्रौब्लम होते ही इस पर ध्यान देना चाहिए.

ऐसे करें इलाज

गैस की शिकायत होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. वहीं गैस को ठीक करने के लिए एक नीबू के रस में दो चम्मच पानी और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर चुटकीभर खाने का सोडा मिलाकर पीएं. इस के अलावा गैस से राहत पाने के लिए पवन मुक्त आसन करना बहुत लाभदायक है.

3. पानी कम पीने से भी होता है कब्ज

कब्ज पानी कम पीने से भी होती है. कब्ज की प्रौब्लम होने पर भूख नहीं लगती और शौच में प्रौब्लम होती है.

ऐसे करें इलाज

कब्ज की प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए हरी सब्जियां खाएं क्योंकि इन में रेशे की मात्रा अधिक होती है. इसके अलावा आप फल और चोकर युक्त आटा खा सकते हैं.

4. पेट की प्रौब्लम में से एक है उल्टी होना

बार-बार उल्टी आना और जी मिचलाना पेट में रोग का कारण हो सकता है. ऐसा होने पर रोग का पता लगाना और इलाज करना जरूरी हो जाता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ताकि आगे चल कर कोई बड़ा रोग न हो जाए.

ऐसे करें इलाज

उल्टी आने या जी मिचलाने पर हल्का भोजन करना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए इस दौरान अधिक से अधिक दही का सेवन किया जाए. पुदीने का शरबत भी काफी असरदार हो सकता है.

5. मौसम बदलने पर लूज मोशन है नौर्मल

अकसर देखा जाता है कि मौसम बदलने पर लूज मोशन की शिकायत हो जाती है. इस के अलावा खराब भोजन खाने पर भी कई बार लूज मोशन का शिकार हो जाते हैं. इस के बाद शारीरिक कमजोरी होने लगती है.

 ऐसे करें इलाज

लूज मोशन की शिकायत होने पर मूंग दाल की खिचड़ी और दलिया ही खाना चाहिए. इस के साथ आप दही का सेवन भी कर सकते हैं. वहीं केला और कब्ज वाली भूसी खाने से भी लूज मोशन ठीक करने में सहायता मिलती है.

6. बेहतरीन सेहत के लिए अपनाएं ये मंत्र

– दही, तरबूज, खरबूज, पालक, गाजर, सेब समेत अन्य फाइबरयुक्त खानपान लें. इस से आंतों की गति संतुलित रहती है.

– मानसिक तनाव से भी अपच, गैस व दस्त हो सकते हैं. योग व साधना करें.

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– बेवजह दवाएं न खाएं. इस से ड्रग इंड्यूज्ड डायरिया होने का रिस्क रहता है.

घरेलू उपचार के अलावा एक और विकल्प है

दशकों से विश्वसनीय एवं विश्वस्तरीय स्टोमाफिट अपनाएं और पेट की बीमारियों को कहें बाय-बाय. यह दवा आप के स्टमक को एकदम फिट रखती है. साथ ही गैस्ट्राइटिस के लिए यह किसी अमृत से कम नहीं है. एसिडिटी, पेट फूलना, गैस, बदहजमी, पेट दर्द, डायरिया, कब्ज़, उल्टी, आंव यह एक दवा आपको इतनी सारी बीमारियों से मुक्ति दिलाती है और पहली ही खुराक में फायदा करती है. इस दवा की एक खास बात यह है कि मधुमेह से पीडि़त लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं, क्योंकि यह दवा शुगर फ्री है.

अगर प्यार टूटे तो अपनी आइडेंटिटी को कभी न भूलें- कियारा आडवाणी

बचपन से एक्टिंग की इच्छा रखने वाली एक्ट्रेस कियारा आडवाणी की बौलीवुड में एंट्री ‘फगली’ से हुई, लेकिन वह फिल्म बौक्स औफिस पर नहीं चली और फिर ढाई साल की कोशिश और मेहनत के बाद उन्हें फिल्म ‘एम एस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’ मिली.  जिसमें उनका रोल औडियंस को बेहद पसंद आया. वहीं अब कियारा अपनी नई फिल्म ‘कबीर खान’ में नजर आने वाली हैं. पेश है उनसे खास बातचीत के अंश.

सवाल- आपने इस फिल्म में बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की की भूमिका निभाई है, असल जिंदगी में आप कैसी है?

ऐसी में बिल्कुल भी नहीं हूं. मैं बहुत ही चुलबुली स्वभाव की हूं. मेरी भूमिका एक ऐसे शांत लड़की की है, जिसकी जिंदगी में ठहराव है. इस किरदार को निभाना मेरे लिए चुनौती रही है. इसमें मुझे अधिकतर भाव आंखों से कहने पड़े है. शाहिद कपूर जैसे साथी कलाकार के होने की वजह से मुझे मेरी भूमिका निभाने में सहजता महसूस हुई. यह मेरी जर्नी की पहली लव स्टोरी वाली फिल्म है. उम्मीद है दर्शकों को पसंद आयेगी. इतना जरुर है कि इस चरित्र से कुछ-कुछ मेल है. मैं अपने प्यार के प्रति हमेशा निष्ठावान रहन पसंद करती हूं. मैं किसी भी रिलेशनशिप को महत्व देती हूं. मेरे लिए एक पुरुष और महिला के सम्बन्ध को शादी का रूप देना जरुरी है और विवाह जैसी संस्था को मैं सही मानती हूं.

 

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फैशन

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सवाल- आपको कभी प्यार हुआ या प्यार टूटने का एहसास हुआ?

जब मैं कौलेज में थी मुझे प्यार हुआ और वह बहुत अच्छा एहसास था, लेकिन जब आप ग्रो करते है, तो उसकी बारीकियां समझ में आती है. प्यार टूटने का दुःख हुआ, पर मैंने अपने परिवार के साथ उसे बाटने की कोशिश की, पहले मैं थोड़े दिन रोई, पर बाद में सब ठीक हो गया. किसी का भी अगर प्यार टूटता है, तो अपनी आइडेंटिटी को कभी नहीं भूलना चाहिए. आप जो है, उसे कायम रखे, काम पर फोकस करें और आगे बढे. अभी अगर फिर से मैंने किसी को प्यार किया, तो मुझे सबके सामने कहने में कोई एतराज नहीं होगी.

सवाल- आप अपनी फिल्मों की जर्नी को कैसे लेती हैं?

अभिनेत्री बनना मेरा एक सपना था. साल 2014 में मैंने फिल्म ‘फगली’ की थी. तब मुझे लगा थ कि पहली फिल्म मिलने के बाद मेरी जर्नी आसान होगी,लेकिन पहली फिल्म के बाद दूसरी फिल्म का मिलना और अधिक कठिन था. मेरी पहली फिल्म नहीं चली ,इससे ढाई साल तक मुझे कोई काम नहीं मिल रहा था. इससे मुझे बहुत निराशा हाथ लगी थी. उस समय मेरी परिवार ने बहुत सहयोग दिया. उन्होंने मुझे और अधिक मेहनत करने और औडिशन देते रहने की सलाह दी. मुझे पता नहीं चल रहा था कि कहां मुझे काम मिलेगा. फिर एम एस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी फिल्म मेरे पास आई. उस फिल्म ने मेरी पहचान बनायी. फिर मुझे काम मिलना शुरू हुआ. आज मुझे खुशी इस बात से है कि तब जो निर्देशक मुझसे मिलना नहीं चाहते थे, आज वह मुझे मेसेज कर मिलने की इच्छा जताते है. मेरे काम की तारीफ करते है. इस प्रोसेस को मैं मेहनत के साथ एन्जौय करना चाहती हूं.

सवाल- किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती है?

मैं अपने सूझ-बूझ से इसका चुनाव करती हूं. कई बार ये समझना मुश्किल होता है कि फिल्म चलेगी या नहीं. इसके अलावा मेरी एजेंसी और निर्माता निर्देशक करण जौहर से सलाह लेती हूं.

 

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सवाल- आपका सम्बन्ध कलाकार परिवार से रहा है, ऐसे में उन लोगों से क्या सीख मिली ?

जब मैं बहुत छोटी थी, जब अभिनेता अशोक कुमार का निधन हुआ था. मैं उनसे कभी नहीं मिली थी. मेरी मां और पिता व्यवसाय और शिक्षा के क्षेत्र से है. मुझे उनसे मिलने का अवसर नहीं था. जो भी मैंने किया है वह मेरी अपनी जर्नी है. मैं अभी सबकुछ सीख रही हूं.

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सवाल- परिवार का सहयोग आपके काम में कितना रहा?

मेरे माता-पता ने हमेशा सहयोग दिया है. किसी भी बात की चर्चा मैं उन दोनों से कर सकती हूं. वे मेरे आदर्श है.

सवाल- सोशल मीडिया पर आप कितनी एक्टिव हैं?

मैं खुद सोशल मीडिया को हैंडल करती हूं. मुझे अपने फैन से मिलना अच्छा लगता है और मैं समय-समय पर अपनी तस्वीरें शेयर करती रहती हूं. ये अच्छा मंच है. इसमें आप अपनी बात कह सकते है.

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झील में मिली ‘इंडियाज गौट टैलेंट 7’ के पोस्ट प्रौड्यूसर की डेड बौडी

कलर्स के फेमस शो ‘इंडियाज गौट टैलेंट 7’ के सीनियर पोस्ट प्रोड्यूसर रह चुके सोहन चौहान की डेड बौडी रविवार को मुंबई के आरे कौलोनी में रौयल पाम्स सोसाइटी के एक तालाब में मिली. जिसके बाद टीवी इंडस्ट्री में सनसनी फैल गई.

झील में मिली बौडी

खबर के अनुसार, मुंबई के आरे कौलोनी में जब रविवार सुबह करीब 7.30 बजे उनका शव झील में तैरते हुआ दिखा तो स्थानीय लोगों ने पुलिस को संपर्क किया. इसके बाद शव को बाहर निकला गया और शव की पहचान सोहन चौहान के रूप में हुई.

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सबूत न मिलने पर पुलिस ने बताया सुसाइड

मिली जानकारी के अनुसार, सोहन चौहान की बौडी रविवार को बरामद हुई थी. पुलिस ने छानबीन के बाद आगे की करवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. वहीं कोई सबूत न मिलने के कारण पुलिस ने सोहन की मौत को फिलहाल आत्महत्या बताया है.

आखिरी बार सोहन को मेड ने देखा था…

सोहन चौहान मुंबई में अपने घर पर अकेले रह रहे थे. जबकि उनकी पत्नी इस समय दिल्ली में थीं. वहीं कहा जा रहा है कि सोहन चौहान को आखिरी बार उनकी मेड ने देखा था. वो शनिवार शाम सोहन चौहान के घर काम करने आई थी.

सोशल मीडिया पर 13 जून तक एक्टिव थे सोहन

बता दें, सोशल मीडिया पर सोहन चौहान 13 जून तक एक्‍टिव थे. अगर आप उनका सोशल मीडिया पेज देखें तो सोहन चौहान ने 9 जून को सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स के फिनाले के बारे पोस्ट किया था. इसके बाद जब सोहन चौहान के भाई ने उस दौरान उनको संपर्क करना चाहा तो वह बात नही कर पाए.

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मौनसून में ऐसे रखें डाइट का ख्याल

लेखक- अनु जायसवाल (फाउंडर डाइरैक्टर वैदिक सूत्र वैलनैस सैंटर)

मौनसून सीजन में अगर आप का खानपान सही है तो आप डिहाइड्रेशन, डायरिया, पसीना, थकान, भूख न लगना, उलटियां, हीट स्ट्रोक, फूड पौइजनिंग जैसी समस्याओं से दूर रहेंगी. इस मौसम में इन परेशानियों से बचने के लिए आप अपने डाइट चार्ट में निम्न चीजों को शामिल कर सकती हैं:

1. सलाद को करें डाइट में शामिल

टमाटर में विटामिन ए, विटामिन सी और लाइकोपीन होने से पोषक तत्त्वों का यह पावरहाउस फलों और सब्जियों दोनों में गिना जाता है. एक टमाटर में सिर्फ 35 से 40 कैलोरी होती है, लेकिन यह एक दिन में विटामिन सी की 40% और विटामिन ए की 20% जरूरत को पूरा कर सकता है.

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टमाटर के और भी कई फायदे हैं. लाइकोपीन जैसे ऐंटीऔक्सीडैंट के कारण यह कई तरह के कैंसर से लड़ने में सहायक होता है. शोध बताते हैं कि लाइकोपीन एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल से बचाता है, जिस से हृदय रोगों की आशंका कम होती है.

खीरा सलाद के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इस में पोटैशियम होता है जो हाई ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में मददगार होता है. अल्सर के इलाज में भी खीरे का सेवन राहत पहुंचाता है. पैपर या कालीमिर्च में भी बीटा कैरोटिन जैसा ऐंटीऔक्सीडैंट होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत  बनाता है और फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है. रोज एक बाउल टमाटर का सलाद जरूर खाएं. लेकिन कुछ बीमारियों जैसे पथरी में टमाटर का सेवन डाक्टर से पूछ कर ही करें.

2. लो कैलेरी फ्रूटस को मौनसून में करें ट्राई

इस मौसम में कई लो कैलोरी फ्रूट्स उपलब्ध होते हैं, जिन में फाइबर, कैल्सियम एवं अन्य महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पर्याप्त मात्रा होती है. ये शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखते हैं. इस मौसम में मौसमी फलों जैसे तरबूज, लीची, खीरा, खरबूजा, संतरा, अंगूर आदि का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है. सोडियम, पोटैशियम और विटामिन बी से भरपूर तरबूज शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अत: इन सब मौसमी फलों को अपने डाइट चार्ट में शामिल करना न भूलें.

3. बौडी को रखें जूस से हाइड्रेटिड

चिपचिपी गरमी के मौसम में बौडी को पानी की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए पेयपदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त पानी मिले और आप को मिले उमस भरी दोपहरी में चुस्तीफुरती. अत: डाइट चार्ट में जूस को भी शामिल करें. नीबू पानी से बेहतर कोई जूस नहीं. संतरा, मौसमी जैसे फलों जूस भी ले सकती हैं. नारियल पानी में कई जरूरी मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेट रखते हैं. यह पोटैशियम का अच्छा स्रोत है.

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4. मौसमी सब्जियों को करें डाइट में शामिल

डाइट में मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, भिंडी, करेला, सीताफल, टमाटर, खीरा और मिर्च को जरूर शामिल करें. लौकी में कैलोरी कम, लेकिन फाइबर और पानी अधिक होता है. लो कैलोरी होने की वजह से इन सब्जियों को खाने से मोटापे का भी खतरा नहीं होता. करेले में कौपर, आयरन और पोटैशियम होता है. इसे खाने से शरीर की ब्लड शुगर और इंसुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है. करेला शरीर में क्षारीय प्रभाव डालता है, जिस से शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं. ऐसिडिटी और अपच की परेशानी में भिंडी बहुत फायदेमंद होती है. जिन्हें यूरिन से जुड़ी समस्याएं होती हैं उन के लिए भिंडी बहुत लाभकारी होती है.

सीताफल यानी कद्दू में आयरन, फास्फोरस, मैगनीशियम जैसे तत्त्व होते हैं. कच्चे सीताफल का रस शरीर से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालता है. ऐसिडिटी दूर करने और वजन कम करने में भी यह बहुत फायदेमंद होता है.

Edited by- Rosy

मौनसून में स्किन के लिए क्यों जरूरी है एंटीफंगल पाउडर

मौनसून में कई बार गरमी के साथ-साथ एनवायरमेंट में नमी ज्यादा होने से बहुत लोगों को बैक्टीरियल और फंगल इन्फैक्शन होने का खतरा रहता है. इसके अलावा जिन की स्किन औयली होती है उन्हें खुजली, रैशेज, संक्रमण या स्किन संबंधी प्रौब्लम करीब 10 गुना ज्यादा हो सकती हैं. बारिश में स्किन की सही देखभाल करना बेहद जरूरी है खासकर पैरों की उंगलियों के बीच, आर्म पिट, ब्रैस्ट के नीचे, गरदन, पीठ आदि जगहों की जहां पसीने की वजह से नमी ज्यादा मात्रा में जमा होती है और बाद में फंगल इन्फैक्शन को जन्म देती है.

  1. मौनसून में कौमन है फंगल इंफैक्शन

डा. सोमा सरकार कहती हैं कि बारिश के मौसम में ऐंटीफंगल पाउडर सभी के लिए जरूरी होता है, क्योंकि बारिश के मौसम में शरीर और पैर गीले हो जाते हैं. अत: नमी भरे वातावरण में फंगस आसानी से ग्रो कर जाता है. इसलिए इस मौसम में खुद को सूखा रखना बहुत जरूरी है. ऐसे में ऐंटीफंगल पाउडर बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि यह स्किन को सूखा रखने में मदद करता है. इस के प्रयोग से किसी भी प्रकार के फंगल इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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  1. पैरों में कौमन है फंगल इन्फैक्शन

पैरों की उंगलियों के बीच होने वाला फंगल इन्फैक्शन कौमन है. इस में उंगलियों के बीच पपड़ी जमा हो जाती है या कुछ गीलागीला चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिस में बदबू भी होती है. सही समय पर इलाज न करने पर यह परेशानी बढ़ जाती है.

  1. आर्मपिट या छाती के नीचे फंगल इंफैक्शन

टिनिया कौरपोरिस और टिनिया क्रूरिस इन्फैक्शन ज्यादातर आर्मपिट या छाती के नीचे होते हैं. ये ज्यादातर गीले कपड़े पहनने से होते हैं. इन्हें फंगल पाउडर लगा कर आसानी से दूर कर सकते हैं. हां, अगर यह इन्फैक्शन ज्यादा बढ़ जाए तो डाक्टर की सलाह लें.

  1. मोटापे के शिकार लोगों में फंगल इंफैक्शन

फंगल इन्फैक्शन ज्यादातर मोटापे के शिकार, साफ-सफाई पर कम ध्यान देने वालों, मधुमेह के शिकार लोगों को होता है. उन्हें खासतौर पर यह पाउडर रखने की जरूरत होती है.

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  1. रोज इस्तेमाल करना है जरूरी फंगल पाउडर

डा. सोमा कहती हैं, ‘‘मेरे पास कई ऐसे रोगी आते हैं जो फंगल इन्फैक्शन को नहीं समझ पाते और दाद समझ कर दुकान से दवा लेते रहते हैं. कई बार दोनों जांघों के घर्षण से भी खुजली या रैशेज हो जाते हैं, जिस का वे ध्यान नहीं रखते और फिर आगे चल कर यह परेशानी बढ़ जाती है. ऐसे लोग बारिश में रोज फंगल पाउडर का इस्तेमाल करें तो इस परेशानी से बच सकते हैं. कई महिलाएं तो पूरे बदन में फंगल इन्फैक्शन होने पर मेरे पास आती हैं.

‘‘फंगल इन्फैक्शन आजकल बच्चों में भी देखने को मिल रहा है. इस से परेशान लोगों को मैं यही सलाह देती हूं कि अपने कपड़ों को रोज और अलग धोएं, उन्हें प्रैस करें, गीले कपड़े पहनने से बचें.’’

6. कब करें फंगल पाउडर का प्रयोग

फंगल इन्फैक्शन होने पर, योनि में संक्रमण होने पर, पैरों की उंगलियों के  बीच खुजली होने पर, कमर पर फंगल इन्फैक्शन होने पर, ऐथलीट्स फुट के इलाज के लिए, स्किन में खुजली आदि होने पर फंगल पाउडर का दिन में 2-3 बार प्रयोग किया जा सकता है.

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सुबह नहाने के बाद अंडरआर्म्स, जांघों के किनारों, छाती के नीचे, गरदन, पैरों की उंगलियों के बीच आदि जगहों पर जहां पसीना ज्यादा आता हो वहां फंगल पाउडर का इस्तेमाल करें. इस के अलावा जब भी गरमी से खुजली महसूस हो वहां इसे लगा सकती हैं. मैडिकेटेड साबुन से हाथपैरों को अच्छी तरह धो व सुखा कर ही फंगल पाउडर लगाएं. फंगल इन्फैक्शन कईं तरह के होते हैं-

Edited by Rosy

प्रेमिका के लिए जुर्म का जाल

लेखक- अशोक शर्मा  

घटना 31 जनवरी, 2019 की है. सुबह के यही कोई 11 बज रहे थे. महानगर मुंबई के उपनगर माहीम धारावी (पूर्व) के जस्मिन मिल रोड पर स्थित है डायमंड

अपार्टमेंट. इस अपार्टमेंट के लोगों में उस समय अफरातफरी मच गई, जब अपार्टमेंट की 13वीं मंजिल पर रहने वाले मेहराज हुसैन ने 10वीं मंजिल के एक फ्लैट से उठते हुए धुएं के

बारे में लोगों को बताया. आग पूरी इमारत में न फैल जाए इसलिए उस ने यह जानकारी तुरंत फायरब्रिगेड और पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

यह इलाका थाना शाहूनगर क्षेत्र में आता है इसलिए खबर मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना शाहूनगर थाने को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुभाष सूर्यवंशी इंसपेक्टर मंदार लाड, हनुमान बैताल, सहायक इंसपेक्टर विशाल आरोसकर, एसआई तुकाराम दिघे, वसीम शेख, कांस्टेबल जंगम को साथ ले कर डायमंडअपार्टमेंट की ओर रवाना हो गए.

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पुलिस टीम के वहां पहुंचने के पहले ही वहां काफी लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. फायरब्रिगेड की टीम तत्काल वहां पहुंच कर आग पर काबू पा चुकी थी. पता चला कि आग 10वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 1010 में लगी थी.

थानाप्रभारी सुभाष सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ लिफ्ट से सीधे फ्लैट नंबर 1010 में पहुंचे तो फ्लैट के अंदर की स्थिति देख कर स्तब्ध रह गए. वहां किचन में एक महिला तहसीन और एक 3 साल की बच्ची आलिया जली हुई अवस्था में पड़ी थी. शव और उस के आसपास काफी मात्रा में खाने वाला तेल फैला था.

बैडरूम में बैठा एक व्यक्ति अपनी छाती पीटपीट कर रो रहा था. पड़ोसियों ने बताया कि वह मृतका तहसीन का पति इलियास सैयद है.

पुलिस टीम ने जब मृतक महिला और बच्ची के शव का निरीक्षण किया तो पाया कि पहले किसी तेज धारदार हथियार से उन का गला काटा गया था. फिर उन के शरीर पर खाने वाला तेल डाल कर उन्हें जलाने की कोशिश की थी. यह सब स्पष्ट तौर पर हत्या की तरफ इशारा कर रहा था.

मामला काफी संदिग्ध था. थानाप्रभारी और उन की टीम अभी घटनास्थल की जांच पड़ताल और लोगों से पूछताछ कर ही रही थी कि तभी डीसीपी विक्रम देशमाने,

एसीपी अजीनाथ सातपूते मौका ए वारदात पर आ गए थे. उन के साथ ही फोरैंसिक और क्राइम ब्रांच की टीम भी वहां पहुंच गईं. उन्होंने घटनास्थल और दोनों शवों का बारीकी से मुआयना किया.

फोरैंसिक टीम और क्राइम ब्रांच की टीम का काम खत्म होने के बाद थानाप्रभारी ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए माटुंगा सायन अस्पताल भिजवा दिए. फिर थाने लौट कर उन्होंने मृतक तहसीन के पति इलियास सैयद के बयान के आधार पर रिपोेर्ट दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी.

इलियास सैयद ने अपने बयान में बताया कि पिछले 6 महीने से पत्नी तहसीन के साथ उस का रिश्ता ठीक नहीं था. कुछ फरमाइशें पूरी न होने के कारण वह

तनाव में रहती थी, जिस की वजह से उस ने बेटी आलिया के साथ आत्महत्या कर ली. इलियास ने पुलिस को आत्महत्या करने से पहले उसे भेजा गया वाट्सएप मैसेज भी दिखाया.

उस ने कहा कि जिस समय उस की पत्नी का आत्महत्या का मैसेज उस के मोबाइल पर आया था, उस समय वह अपनी दुकान पर था. जब तक वह दुकान बंद कर घर पहुंचा तब तक उस का संसार उजड़ चुका था. उस की बड़ी बेटी सायना इसलिए बच गई क्योंकि उस समय वह अपने स्कूल गई हुई थी.

जहां एक तरफ उस की पत्नी तहसीन का मैसेज आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ एक प्रश्न भी खड़ा हो रहा था. वो यह कि अगर मान लिया जाए कि तहसीन ने बेटी के साथ अपना गला काट कर आत्महत्या की कोशिश की थी तो फिर उन दोनों के ऊपर तेल कहां से आया. वहां आग किस ने लगाई.

ये बातें एकदूसरे के विपरीत थीं, जिन से किसी गहरी साजिश की गंध आ रही थी. इस साजिश पर थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ गंभीरता से विचार किया.

फिर मामले की तफ्तीश इंसपेक्टर मंदार लाड को सौंप दी.

इंसपेक्टर मंदार लाड ने अपनी तफ्तीश शुरू करने के पहले मृतक तहसीन और आलिया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन किया. जिस से यह साफ हो गया था कि मामला आत्महत्या का नहीं, हत्या का है. इस हत्या का रहस्य क्या था. इस का परदाफाश करने के लिए मंदार लाड ने अपनी टीम के साथ पुन: घटनास्थल का निरीक्षण किया.

मंदार लाड ने आसपास के लोगों से भी पूछताछ की. जब उन्होंने इमारत में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को ध्यान से देखा तो उन की नजर एक संदिग्ध बुरकाधारी महिला पर जा कर ठहर गई, जो इमारत की लिफ्ट के बजाए सीढि़यों से आ रही थी. वह इलियास सैयद के फ्लैट तक गई थी. जबकि इमारत के अंदर 2-2 लिफ्ट लगी हुई थीं.

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पुलिस हैरान थी कि वह महिला लिफ्ट के बजाए 10वीं मंजिल तक सीढि़यों से क्यों गई? आखिर वह बुर्काधारी कौन थी और उस समय वह इस फ्लैट में क्या करने गई थी. पुलिस टीम ने वह फुटेज इमारत में रहने वालों को दिखाई तो उन्होंने संदेह उसी इमारत की रहने वाली आफरीन बानो पर जाहिर किया, जो अकसर इलियास सैयद के साथ देखी जाती थी.

इलियास सैयद पहले से ही पुलिस के शक के दायरे में था. आफरीन बानो का नाम जुड़ने से शक पूरी तरह यकीन में बदल गया. इस के पहले कि पुलिस टीम इलियास सैयद को गिरफ्तार कर उस से पूछताछ करती, वह और आफरीन दोनों फरार हो गए. यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने उन दोनों की सरगर्मी से तलाश शुरू कर दी.

एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने उन दोनों को सीएसटी रेलवे स्टेशन पर उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह शहर छोड़ कर गांव जाने की तैयारी में थे. थाने में जब उन से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपने आप को तहसीन और आलिया हत्याकांड से अनभिज्ञ बताया. मगर थोड़ी ही देर में वह टूट गए और अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

पुलिस तफ्तीश और उन दोनों के बयानों के आधार पर डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार से थी— 34 वर्षीय इलियास सैयद मूलरूप से जनपद झांसी का रहने वाला था. लगभग 20 साल पहले रोजीरोटी की तलाश में उस ने मुंबई का रुख किया था. गांव में जो

थोड़ीबहुत काश्तकारी थी उसे उस के मातापिता के साथ उस के भाई संभालते थे. परिवार बड़ा होने के कारण घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी.

मुंबई उपनगर धारावी माहीम में उस के गांव के कुछ लोग रहते थे, जो रेडीमेड कपड़ों का कारोबार करते थे. इलियास भी उन्हीं के साथ काम पर लग गया. धीरेधीरे

जब वह रेडीमेड कपड़ों के काम में माहिर हो गया तो उस ने पहले किराए पर एक दुकान ली. उस के बाद वह स्वयं की एक दुकान ले कर उसे चलाने लगा. दुकान चली तो उस के परिवार की आर्थिक गाड़ी भी पटरी पर लौटने लगी.

इस के बाद घर वालों ने उस की शादी अपने एक पुराने रिश्तेदार की बेटी तहसीन से कर दी.

तहसीन सैयद देखने में जितनी सुंदर शोख चंचल थी, उतनी ही वह हसीन भी थी. उस से शादी कर के वह खुश था. उस ने पत्नी को अपने मांबाप की सेवा करने के

लिए कुछ दिनों अपने गांव में छोड़ दिया. लेकिन मुंबई में अकेले रहने पर इलियास का मन नहीं लग रहा था. लिहाजा वह पत्नी तहसीन को अपने साथ मुंबई ले आया.

मुंबई में वह माहीम धारावी के जस्मिन मिल रोड पर एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगा. बाद में जब झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (स्लम रिहैबिलिटेशन अथारिटी) की मुफ्त घर देने की स्कीम आई तो उसे भी एक फ्लैट मिल गया. वह फ्लैट उसे वहीं पर बनाए गए डायमंड अपार्टमेंट की 10वीं मंजिल पर मिला था. वह अपने परिवार के साथ आवंटित फ्लैट नंबर 1010 में रहने लगा.

समय अपनी गति से चल रहा था. इलियास अपनी दुकान में व्यस्त रहता था और तहसीन अपने घर के कामों में मग्न रहती थी. समय के साथ इलियास 2 बेटियों का बाप बन गया था.

उस की बड़ी बेटी सायना 7 साल की थी, जो पास ही के स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ती थी. जबकि छोटी बेटी आलिया 3 साल की थी. इलियास की घरगृहस्थी

ठीक चल रही थी. उस की शादी हुए 10 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला.

एक कहावत है कि इंसान का वक्त कब और कैसे बदलेगा, कोई नहीं जानता. जो परिवार उस इमारत के अच्छे लोगों में गिना जाता था वही परिवार पिछले 6 महीनों से आसपड़ोस वालों के लिए सिरदर्द बन गया था. इस का कारण 22 वर्षीय आफरीन बानो थी, जो इलियास सैयद की जिंदगी में अचानक ही आ गई थी.

इलियास सैयद से उम्र में 10 साल छोटी आफरीन बानो की निगाहों में वह कशिश थी, जिस ने इलियास सैयद को अपनी पहली झलक में ही दीवाना बना लिया था.

हुस्न और यौवन में आफरीन उस की पत्नी तहसीन से कई गुना ज्यादा आकर्षक थी. आफरीन बानो अपने मातापिता और भाईबहनों के साथ उसी इमारत में रहती थी और माटुंगा में खालसा कालेज के पास स्थित एक प्राइवेट कंपनी में सेल्सगर्ल की नौकरी करती थी.

इलियास की आफरीन से उस समय मुलाकात हुई थी जिस समय वह अपने परिवार के साथ ईद के कपड़े लेने के लिए उस की दुकान पर गई थी. आफरीन को देख कर इलियास के चेहरे पर चमक आ गई थी. वैसे तो एक ही इमारत में रहने के कारण इलियास ने आफरीन को कई बार देखा था लेकिन गौर से देखने का मौका उसे उस दिन मिला था.

चूंकि उस दिन वह कपड़े खरीदने अपने घर वालों के साथ आई थी इसलिए उसे उस से साथ बात करने का मौका तो मिला लेकिन वह उस से खुल कर बात नहीं कर सका. उस दिन आफरीन और इलियास में काफी बातें हुई थीं. आफरीन ने अपने परिवार वालों के काफी कपड़े उस की दुकान से खरीदे.

आफरीन से नजदीकियां बढ़ाने के लिए इलियास ने उसे पैसों में भी काफी छूट दी थी, जिस से आफरीन काफी प्रभावित हुई थी. जब तक आफरीन इलियास सैयद की दुकान में रही, तब तक वह इलियास की आंखों की केंद्रबिंदु बनी रही.

कई बार इलियास और आफरीन बानो की नजरें कुछ इस प्रकार टकराई थीं कि दोनों के चेहरे सुर्ख हो गए थे. आफरीन एक सेल्सगर्ल थी, इसलिए अपने अनुभव से वह इलियास की नजरों और बातों से उस की भावनाओं को समझ गई थी.

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खरीदारी करने के बाद आफरीन जब उस की दुकान से बाहर निकली तो इलियास उसे छोड़ने के लिए बाहर तक आया. आफरीन ने एक हलकी मुसकराहट के साथ इलियास को बाय कहा और वहां से चली गई. लेकिन आग दोनों तरफ लग चुकी थी. उस रात दोनों एकदूसरे के खयालों में खोए रहे.

एक सप्ताह के बाद आफरीन अपने कुछ सूट बदलने के बहाने से इलियास की दुकान पर फिर पहुंची. उस दिन दुकान पर सिर्फ आफरीन और इलियास ही थे. इस का फायदा उठाते हुए उस दिन दोनों में खुल कर बातें हुईं और दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो फिर बढ़ता ही गया. इस के बाद तो जब भी दोनों को मौका मिलता, उस का पूरापूरा लाभ उठाते थे.

पहले तो यह सिलसिला सिर्फ दुकान तक ही सीमित था, लेकिन फिर यह मौल, पार्क और मल्टीप्लेक्स तक पहुंच गया. इलियास की दुकान अच्छी चलती थी, जिस से

उस की कमाई भी अच्छी होती थी, इसलिए वह आफरीन पर दिल खोल कर खर्च करता था. इतना ही नहीं, वह आफरीन का पूरी तरह खयाल रखता था. स्थिति यह

हो गई कि जब तक दोनों एकदूसरे को दिन में एक बार देख नहीं लेते थे, उन्हें चैन नहीं आता था.

इलियास आफरीन से कहता था कि जिस दिन वह उस की दुकान पर आ जाती है, उस दिन उस का धंधा दोगुना होता है. इस पर आफरीन हर दिन अपने औफिस

जाने के पहले एक बार उस की दुकान पर जाने लगी. दोनों कुछ समय तक एकदूसरे के साथ हंसीमजाक करते और फिर आफरीन चली जाती और इलियास अपने

काम में लग जाता था.

ऐसे में एक दिन जब आफरीन इलियास की दुकान पर पहुंची तो उस का चेहरा उतरा हुआ था. उदास चेहरे को देखते ही इलियास ने पूछा, ‘‘क्या बात है आफरीन,

आज तुम्हारा मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा?’’

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ आफरीन ने लापरवाही से कहा.

‘‘देखो, कुछ बात तो है, जो तुम मुझ से छिपा रही हो. बताओ, क्या बात है?’’ इलियास ने जोर दे कर कहा.

‘‘इलियास, मैं यह सोच रही हूं कि इस तरह कितने दिनों तक चलेगा. हमारेतुम्हारे परिवार को जब हमारे प्यार की बातें पता चलेंगी तो क्या होगा. तुम्हारा तो

मुझे पता नहीं लेकिन मेरा तो घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. फिर मैं क्या करूंगी?’’ वह गंभीर होते हुए बोली.

‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा. मैं इस से पहले ही तुम्हारे घर वालों से तुम्हारा हाथ मांग लूंगा.’’ इलियास बोला.

‘‘नहीं नहीं, ऐसा मत करना. अगर मेरे परिवार वालों को यह बात पता चली कि मैं एक निकाहशुदा इंसान से प्यार करती हूं तो मेरी आफत ही आ जाएगी.

इसलिए तुम पहले अपनी बीवीबच्चों के बारे में सोचो, फिर मेरा हाथ मांगना.’’ आफरीन ने इलियास को समझाया.

‘‘इस की चिंता तुम छोड़ो, मैं अपनी बीवी को समझा लूंगा.’’ इलियास सैयद ने आफरीन को भरोसा दिलाया.

फिर एक दिन इलियास ने इस बारे में अपनी पत्नी तहसीन से बात की. कोई भी औरत भले ही कैसी ही हो, वह यह नहीं चाहेगी कि उस का मर्द किसी दूसरी

औरत से प्यार करे. वह अपने प्यार को बांटने के लिए हरगिज तैयार नहीं होगी.

तहसीन को जब पता चला कि उस के शौहर का इसी बिल्डिंग में रहने वाली आफरीन से चक्कर चल रहा है तो उस के पैरों तले से जमीन जैसे खिसक गई.

उस ने यह बात कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उस का पति ऐसा करेगा. यानी तहसीन ने सौतन को स्वीकारने से मना कर दिया और वह इस का विरोध

करने लगी.

यह बात जब इलियास के परिवार और उस के नातेरिश्तेदारों को मालूम पड़ी तो उन्होंने भी इलियास को आड़े हाथों लिया. उसे समझायाबुझाया. लेकिन इलियास

आफरीन बानो के प्यार में कुछ इस तरह पागल था कि वह अपनी पत्नी और दोनों मासूम बच्चियों को भी भूल गया था.

उस का व्यवहार अपने परिवार के प्रति बदल चुका था. जिस की वजह से घर का माहौल बिगड़ गया था. पतिपत्नी में आए दिन लड़ाईझगड़े होने लगे. ऐसे माहौल में बच्चे भी डरेसहमे से रहते थे.

31 जनवरी, 2019 को करीब 10 बजे दोनों पतिपत्नी में आफरीन को ले कर जब बात चली तो उस का अंत भयानक हुआ. उस दिन इलियास अपने आपे से बाहर हो

गया था. इलियास किचन में काम कर रही तहसीन के पास गया. उस समय बड़ी बेटी सायना स्कूल गई हुई थी. छोटी बेटी आलिया सो रही थी.

गुस्से में सुलग रहे इलियास ने किचन में रखा चाकू उठाया. इस से पहले कि तहसीन कुछ समझ पाती, उस ने तहसीन का गला रेत दिया. एक चीख के साथ

तहसीन किचन में फर्श पर गिर गई. तहसीन की चीख सुन कर 3 साल की बेटी आलिया जागी तो वह मां की तरफ भागी.

इलियास ने उस मासूम को भी इस डर से नहीं छोड़ा कि कहीं वह पुलिस की गवाह न बन जाए. यानी उस ने बेटी की भी हत्या कर दी.

अपनी पत्नी और बेटी की हत्या करने के बाद वह बाथरूम में गया. खून सने कपड़े उस ने वहां उतार कर दूसरे कपड़े पहन लिए. फिर अपनी स्कूटी उठाई और सीधे

माटुंगा में आफरीन के पास गया. वह उस समय अपनी ड्यूटी पर थी. इलियास ने आफरीन को पत्नी तहसीन और बेटी आलिया की हत्या करने की जानकारी दे दी,

जिसे सुन कर आफरीन के होश उड़ गए थे.

कुछ देर बैठ कर दोनों ने शवों को ठिकाने लगाने के बारे में विचारविमर्श किया. दिन में उन के लिए शवों को बाहर ले जाना मुमकिन नहीं था. आखिर में उन्होंने

दोनों शवों को आत्महत्या का रूप देने की योजना बनाई.

फिर योजना के अनुसार वे उसे अंजाम देने के लिए चल दिए. इलियास डायमंड अपार्टमेंट से कुछ दूरी पर रुक गया. उस ने आफरीन को अपने घर भेज दिया. वहां जा कर आफरीन को क्या करना था, यह पहले ही तय हो गया था.

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आफरीन इमारत की सीढि़यों से चढ़ कर सीधे इलियास के फ्लैट के अंदर गई. उस ने बच्ची आलिया की लाश उठा कर तहसीन के पास डाल दी. फिर किचन में रखा 5 लीटर मूंगफली का तेल दोनों शवों पर डाल दिया.

इस के बाद आफरीन ने तहसीन का मोबाइल फोन उठा कर उस से इलियास सैयद के मोबाइल पर एक मार्मिक मैसेज भेजा, जिस में लिखा था, ‘आप को मुझ से

प्यार नहीं है इसलिए मैं आप को आजाद कर रही हूं. मैं अपनी बच्ची के साथ आत्महत्या कर इस दुनिया से जा रही हूं. आप जैसे भी रहें, खुश रहें. खुदा

हाफिज…आई लव यू.’

यह मैसेज भेजने के बाद आफरीन ने मोबाइल फोन तहसीन और आलिया के शवों के पास फेंक कर उन के शवों को आग के हवाले कर दिया. इस के बाद वह वहां

से निकल कर सीधे टैक्सी पकड़ कर माटुंगा अपने औफिस चली गई.

जबकि इलियास सैयद डायमंड अपार्टमेंट के आसपास ही रहा. जब आग का धुआं फ्लैट से निकलने लगा तो इलियास अपने फ्लैट में गया और रोने का ड्रामा करने लगा.

हत्या और आत्महत्या की यह साजिश दोनों ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ रची थी, लेकिन पुलिस जांच के सामने उन की साजिश धरी रह गई.

दोनों अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने इलियास सैयद और आफरीन बानो के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया जाए, जहां से उन्हें भायखला जेल भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक दोनों जेल की सलाखों के पीछे थे. आगे की जांच इंसपेक्टर मंदार लाड और उन के सहायक कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

(कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां) 

इस हौलीवुड फिल्म से होगा शाहरुख खान के बेटे आर्यन का डेब्यू

2016 में ‘द जंगल बुक’ के साथ दिलों को जीतने के बाद, डिज्नी अपनी लेजेंडरी फ्रेंचाइजी और क्राउन ज्वेल- ‘द लायन किंग’ के लाइव एक्शन संस्करण को पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ग्राउंड-ब्रेकिंग तकनीक के साथ इस कहानी को फिर से कल्पना में लाया जाएगा. फिल्म की भव्यता को हिंदी में जीवंत करने के लिए बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान से बेहतर और कौन हो सकता है. जी हां, खबरों की माने तो किंग खान और उनके बेटे आर्यन खान फिल्म द लायन किंग में जंगल के राजा मुफासा और उसके बेटे सिम्बा के लिए आवाज देंगे. ये आर्यन का पहला औफिशियल डेब्यू होगा. जिसके लिए सभी काफी एक्साइटेड हैं.

शाहरुख हुए इमोशनल…

इस बारे में शाहरुख खान का कहना है- “द लायन किंग वह फिल्म है जिसे मेरा पूरा परिवार बहुत ही पसंद करता है और हमारे दिलों में इसके लिए एक खास जगह है. एक पिता के रूप में, मैं मुफासा को पूरी तरह समझ सकता हूं और उसके अपने बेटे-सिम्बा के साथ के प्यारे रिश्ते को भी. लायन किंग की विरासत वक्त से परे है और अपने बेटे आर्यन के साथ इस प्रतिष्ठित पुनर्कल्पना का एक हिस्सा होना मेरे लिए और भी खास है. सबसे ज्यादा अच्छी बात यह है कि अबराम भी इसे देखेंगे.”

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शाहरुख और आर्यन से बेहतर और कोई नहीं…

इस बारे में डिज्नी इंडिया स्टूडियो एंटरटेनमेंट के प्रमुख बिक्रम दुग्गल कहते हैं- “लायन किंग एक क्लासिक है जो डिज़नी की ऐसी दिल को छू लेने वाली साहस से भरपूर कहानियों को लाने की उस कुशलता को दर्शाती है जो समय की सीमाओं से परे है. इस री-इमैजिन्ड संस्करण के साथ हमारा उद्देश्य व्यापक दर्शकों तक पहुंच बनाना है. साथ ही मौजूदा प्रशंसकों के साथ मजबूत रिश्ता बनाते हुए, दर्शकों की एक नई पीढ़ी को शेरों के गौरव की कहानी सुनाना है. हम मुफासा और सिम्बा के किरदारों को हिंदी में जीवंत करने के लिए शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन से बेहतर वौइस कास्ट की कल्पना ही नहीं कर सकते.”

‘आयरन मैन’ और ‘द जंगल बुक’ फेम डायरेक्टर, जौन फेवरो द्वारा निर्देशित डिज्नी की द लायन किंग वर्तमान की सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में से एक है.

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एक सदाबहार पौप कल्चर क्लासिक के रूप में, एनिमेटेड संस्करण अपनी मजबूत औरभावनात्मक स्टोरी टेलिंग और यादगार पात्रों के लिए जानी जाती है. और अब ये एक बड़े पैमाने पर और कमाल की फोटो-रियल एनीमेशन तकनीक के साथ जिसमें म्युजिकल ड्रामा को और जीवंत बनाने के लिए कटिंग एज टूल का उपयोग किया गया है, साहसिक व कमिंग औफ एज जर्नी बन गई है.

डिज्नी की द लायन किंग 19 जुलाई 2019 को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में रिलीज होगी.

एडिट बाय- निशा राय

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