Father’s Day Special: दीपिका-आलिया से जानें क्यों खास हैं पापा

फादर्स डे हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है इसके मनाने का उद्देश्य पिता को मान देना है. हालांकि यह परंपरा विदेशों से आया है, जहां अधिकतर वैवाहिक रिश्ते टूटने पर पिता बच्चे की परवरिश करते है, लेकिन आजकल हमारे देश में भी इसकी संख्या बढ़ी है. फादर्स डे को सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि बौलीवुड सेलेब्स भी सेलिब्रेट करते हैं. तो चलिए इस मौके पर इन सेलेब्स से ही जानते हैं उनके पिता के बारे में कुछ खास बातें…

  1. दीपिका पादुकोण…

एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण अपने पिता प्रकाश पादुकोण के बहुत करीब है. जब उन्होंने अभिनय क्षेत्र में कदम रखा था तो उन्होंने सबसे पहले अपनी राय पिता को बताई थी और उन्होंने उसे उसकी परमिशन दी थी. वह कहती है कि मेरे पिता ने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया है और आज किसी भी सेलिब्रेशन को मैं उनके साथ साझा करना पसंद करती हूं, उन्होंने मुझे हमेशा किसी भी काम को सौ प्रतिशत कमिटमेंट करने की सलाह दी है. मेरी जिंदगी में उनकी बहुत अहमियत है.

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  1. आलिया भट्ट…

आलिया भट्ट अपने पिता महेश भट्ट के बहुत नजदीक है. वह कहती है कि फिल्मों में आने के बाद उनके और मेरे रिश्ते काफी गहरे हुए है. मेरे पिता बहुत ही साधारण जिंदगी जीना पसंद करते है. उन्हें मैंने हमेशा चप्पलों के साथ चलते हुए देखा है. मैंने उन्हें सबसे पहले एक शू प्रेजेंट किया था,जिसे उन्होंने सम्हाल कर रखा है. मैं हर दिन उनके साथ बिताना पसंद करती हूँ. वे मेरे आदर्श हैं.

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  1. अक्षय कुमार…

अक्षय कुमार के पिता हरि ओम भाटिया आर्मी औफिसर थे. उनके साथ उन्होंने बहुत अच्छा समय बिताया. वे कहते है कि मेरे अनुशासित जीवन का राज मेरे पिता है, जिन्होंने बचपन से मुझे इसकी ट्रेनिंग दी. वे मेरे आदर्श है. उन्हें हर तरह के मनोरंजक फिल्में पसंद थी. वे स्ट्रिक्ट पिता थे ,पर हर तरह के काम को प्रोत्साहन देते थे. मुझे याद आता है कि मेरी फिल्म ‘वक्त- द रेस अगेंस्ट टाइम’ के समय शूटिंग करना मेरे लिए बहुत कठिन था ,क्योंकि अभिनय और रियल लाइफ दोनों एक साथ चल रहे थे. फिल्म में अमिताभ बच्चन को कैंसर से लड़ते हुए दिखाया गया था जब कि रियल लाइफ में भी मेरे पिता भी कैंसर से जूझ रहे थे. ये फिल्म मैंने उनको समर्पित की है.

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  1. शाहिद कपूर

शाहिद कपूर की मां एक्ट्रेस नीलिमा अज़ीम, एक्टर पंकज कपूर से तब अलग हुए जब वह बहुत छोटे थे. वे कहते है कि मेरे पिता बहुत ही अच्छे पिता है. ये मैंने तब जाना जब मैं पिता बना. ये सही है कि जब मैं सिर्फ 2 साल का था, तब मेरे माता-पिता अलग हो गए थे. मुझे उस समय की कोई बात याद नहीं. जब मैं 17-18 साल का हुआ, तब मेरे और पिता के बीच में नजदीकियां बढ़ी. वह मेरे जीवन में बहुत अहमियत रखते है. मैं अपने पिता और मेरे बच्चों को साथ देखना पसंद करता हूं. वह मुझे बहुत ख़ुशी देती है.

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  1. कृष्णा भारद्वाज

कृष्णा कहते है कि मैं रांची से हूं और मेरे पिता का नाम डौ. अनिकेत भारद्वाज है. मेरे अंदर अभिनय की प्रतिभा को मैंने अपने पिता में भी देखा है. वे एक एक्टर,राइटर और डायरेक्टर है. हिंदी की ट्रेनिंग मुझे बचपन से ही मिली है, इसलिए मैं तेनाली राम की भूमिका अच्छी तरह से निभा पा रहा हूं, क्योंकि इसमें शुद्ध हिंदी बोलना पड़ रहा है. इस बार मैं पिता से दूर हूं,पर हमेशा उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है.

एडिट बाय- निशा राय

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सुष्मिता सेन के भाई ने गोवा में की रस्मों रिवाज से सगाई, देखें फोटोज

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन भले ही फिल्मों से दूर चल रही हों, लेकिन अपने भाई के कारण वह फिर सुर्खिंयों में छा गईं हैं. हाल ही में सुष्मिता सेन के भाई राजीव सेन ने टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा से कोर्ट मैरिज की खबरें आईं थी. वहीं अब उनकी शादी से जुड़ी रस्मों की फोटोज सोशल मीडिया पर छा गईं हैं. आइए दिखाते हैं राजीव और टीवी एक्ट्रेस चारू की शादी की रस्मों की कुछ खास फोटोज…

गोवा में शादी की रस्मों में सिंपल लुक में नजर आईं चारू

 

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Truly madly deeply yours ❤️ @asopacharu #engagementday #rajakibittu pic credit @chintanasopa

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गोवा में शादी से जुड़ी रस्मों में हिस्सा लेने के लिए चारू लाइट कलर की आसमानी साड़ी में नजर आईं, जिसमें वह सिंपल नजर आईं.

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क्रिश्चयन लुक में नजर आए चारू और राजीव

 

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#Repost @rajeevsen9 with @get_repost ・・・ i love you for a 1000 years & beyond ❤️? #rajakibittu #engagement

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चारु और राजीव क्रिश्चयन लुक में शादी को अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ सेलिब्रेट किया. जहां शैम्पेन खोलते हुए राजीव सोशल मीडिया पर फोटोज भी शेयर की.

इंगेजमेंट में हाथ थामे नजर आए राजीव

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राजीव इंगेजमेंट से पहले काफी एक्साइटेड नजर आए. वहीं इंगेजमेंट में चारू का हाथ थामें फोटोज के लिए पोज देते हुए नजर आए.

फैमिली के साथ भी खिचवाईं फोटोज

 

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चारु और राजीव जहां अकेले फोटोज खिचवाते नजर आएं वहीं उनकी फैमिली भी फोटोज खिचवाने से पीछे नही रहे.

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मेहंदी में अलग लुक में नजर आईं चारू

 

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अपने सिंपल लुक से सीरियल्स में लोगों का दिल जीतने वाली चारू अपनी मेहंदी में खूबसूरत लुक में नजर आईं. लाइट पिंक कलर उनके लुक को परफेक्ट बना रहा था.

कोर्ट में कर चुके हैं शादी

 

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Mr & Mrs Sen ❤️ #lifeline #rajakibittu

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चारु और राजीव इससे पहले 10 जून को कोर्ट में शादी कर चुके हैं, लेकिन अब वह पूरे रस्मों रिवाज से अपने परिवार के साथ गोवा में शादी की रस्में पूरी कर रहे हैं.

सुष्मिता ने दिया भाई को प्यारा मैसेज

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चारू और राजीव की शादी पर बहन सुष्मिता सेन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दोनों के लिए एक प्यारा सा मैसेज शेयर किया था.

Father’s Day 2019: जीवन की पाठशाला के प्रधानाचार्य हैं पापा

गीतांजलि चे

मेरे पिता…

मां, अगर किसी बच्चे के जीवन की पहली पाठशाला है तो पिता पाठशाला के प्रधानाचार्य हैं. उनकी समूची जिंदगी का एक ही मकसद होता है बच्चे को इंसान बनाना. कभी बोल कर तो, कभी बिना बोले वो अपनी संतान को कोई न कोई शिक्षा देते हैं.

हम बच्चे की तरह मेरे आदर्श मेरे पापा हैं. जिन्होंने हम सभी भाई-बहनों को जीना सिखाया. अनुशासन हो या समय का प्रबंधन ये गुण हमें पापा से विरासत में मिला है. वक्त या पैसे की कीमत क्या होती है ये हम सब ने पापा को देख कर ही सीखा है. काम के प्रति इमानदारी और समर्पण का जो बीज बचपन से हमारे दिमाग में बोया गया वो आज भी संस्कार बन कर हमारे साथ है. संस्कार देकर भी कभी उसके नाम पर दब्बू बनना नहीं सिखाया.

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जब कभी पापा गुस्सा होकर भी कुछ कहतें हैं तो उसमें जीवन का सार छिपा होता है. जीवन में किस चीज़ की कीमत क्या होती है, किस बात को कितना महत्व दिया जाना चाहिए यह सब बोलते बतियाते हमें समझा देते हैं. अपनी जिंदगी को हमें अपने शर्तों पर जीने की शिक्षा दी.

भले ही कोई आसमान की बुलंदियों को क्यों न छू ले पर जमीन पर कैसे बिलकुल सामान्य हो कर चलना चाहिए. यह बचपन से पापा को देख देख कर ही सिखा है. हमें स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर तो बनाया पर कभी अहंकारी नहीं बनने दिया.

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Father’s Day 2019: दुनिया का सबसे मजबूत रिश्ता होता है वो…

कंचन…

मेरे पापा…..

मेरे हर कदम को अपने हाथों से थाम लिया
मेरी आंखों से गिरने वाले हर एक आंसू को अपने नाम किया
दुनिया का सबसे मजबूत रिश्ता होता है वो
इस धरती में पिता कहते हैं जिनको

मेरी हर जरूरत को पूरा किया मेरे कहने से पहले,
मेरी हर तकलीफ को दूर किया मुझ तक आने से पहले,
मेरी सफलता के लिए हमेशा ढाल बनकर खड़े रहे
फिर भी मेरी हर जीत को सिर्फ मेरा नाम दिया

इस दुनिया में रिश्ते तो कई होते हैं
मगर पिता रिश्ता का सबसे अनमोल कहलाता है
जो जीता है सिर्फ अपने बच्चों की ख़ुशी के लिए
और उनकी ख्वाहिशों को पूरा करने में बूढ़ा हो जाता है…..

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Father’s Day 2019: “थैंक्यू डैडू”

सुनीता पवार, (रोहिणी-नई दिल्ली)

अपने डैडू (पापा) को मैंने हमेशा अपना प्रेरक समझा है, अपना खुदा समझा है क्योंकि उन्होंने हम दोनों भाई-बहन के पालन पोषण में अपने सामर्थ्य से कहीं अधिक मेहनत और काम किया पर उफ्फ तक नहीं करी. दफ्तर से सीधे वह ट्यूशन पढ़ाने चले जाते थे, इतवार को भी वह घर नहीं रहते थे, रविवार को भी वह इनशोरेंस के काम में व्यस्त रहते.

मैं अपने डैडू को जब इतनी मेहनत करते देखती तो सोचती “डैडू एक दिन मैं आपको कुछ बन कर दिखाऊंगी, मैं कमाऊंगी और आपको सारे आराम दूंगी, आपको हवाई यात्रा पर लेकर जाऊंगी” पता नहीं मैं कितने ही सपने बुनती.

पढ़ाई में करते थे मदद…

स्कूल में मैं हमेशा प्रथम स्थान पर रहती, खेल-कूद में भी मैने बहुत इनाम जीते. मेरे डैडू की अंग्रेजी बहुत अच्छी थी, चाहे कितनी ही देर रात डैडू घर लौटें लेकिन वह मेरे कहने से मुझे अंग्रेज़ी का पाठ जरूर समझाते और अगले दिन जब वह पाठ मैं पूरी कक्षा के सामने अर्थ सहित पढ़ती तो अध्यापिका भी मेरी तारीफ किये बिना न रहती.

एक दिन स्कूल में अंग्रेज़ी कविता बोलने की प्रतियोगिता थी, मेरे पिताजी ने मेरे लिए एक बहुत ही प्रेरणादायी अंग्रेज़ी कविता लिखी जिसका शीर्षक था ” How should students be happy (विद्यार्थियों को कैसे प्रसन्न रहना चाहिए)?”

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जिस दिन अंग्रेज़ी कविता की प्रतियोगिता थी उस दिन मेरे डैडू भी स्कूल में उपस्थित थे, मेरी कविता को प्रथम स्थान ही नहीं मिला बल्कि स्कूल की वार्षिक पत्रिका में भी शामिल करने की घोषणा हुई. मेरे डैडू बहुत खुश थे, दूर खड़े तालियों से अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रहे थे. मुझे जो इतनी वाह-वाही मिल रही थी वो तो केवल मैं ही जानती थी कि ये सारी मेहनत तो मेरे डैडू की थी, मैं चिल्ला-चिल्ला कर कहना चाहती “थैंक्यू डैडू” पर ऐसा चाह भी न कर पाई.

हर मोड़ पर की मदद…

जीवन में ऐसे कितने ही मुकाम आये जिसका श्रेय डैडू को मिलना चाहिए था पर वो मुझे मिला, फिर चाहे फैशन शो प्रतियोगिता के लिए कपड़ों की व्यवस्था करना हो, चाहे डांस शो प्रतियोगिता अभ्यास के लिए अच्छी अकेडमी चुनना हो, मेरी हर जीत के पहले हक़दार मेरे डैडू ही तो थे.

जब नौकरी के लिए मेरा पहला इंटरव्यू था तब देर रात तक मेरे डैडू मुझे हर सवाल का जवाब देने के तरीके समझाते रहे, उन्होने ये भी समझाया कि यदि कोई सवाल समझ न आये या उसका जवाब न आता हो तब निःसंकोच माफी मांगते हुए कह देना “सर! आई एम सौरी”, डरना बिल्कुल नहीं और निडरता से इंटरव्यू में अपने आप को प्रेजेंट करना .

नौकरी मिलने की खुशखबरी सबसे पहले मैंने डैडू को ही दी थी, डैडू उस दिन घर लौटते समय लड्डुओं का डिब्बा साथ लाये, पहले भगवान को भोग लगाया और फिर सबको बांटने लगे, मैंने फटाफट डैडू के मुंह में लड्डू डाल दिया, इससे पहले मैं डैडू को थैंक्यू कहती उन्होंने मुझे ही अपना गौरव, अपना अभिमान घोषित कर दिया.

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जब पहली सैलरी से खरीदा तोहफा… 

मेरी पहली कमाई का पहला चेक मैंने अपने डैडू के हाथों में सौंपा और आदतानुसार उन्होंने भगवान के चरणों में. मेरी बरसों की ख्वाहिश थी कि मैं अपनी पहली कमाई से डैडू के लिए कोई उपहार लूं, मैंने उनके और मां के लिए हाथ-घड़ी का जोड़ा खरीदा. उपहार उनको बहुत पसंद आया पर साथ ही मुझे खूब डांट भी पिलाई, वो जानते थे कि मुझे घड़ी पहनने का बहुत शौक है और उनके पास पहले से ही घड़ी है, मैने भी उनको कह दिया “डैडू ! आपके पास स्ट्रेप वाली घड़ी है और उपहार में जो घड़ी है वह चेन वाली घड़ी है” क्योंकि मैं भी अच्छी तरह से जानती थी कि उनको गोल्डन चेन वाली घड़ी पहनने की बड़ी चाह थी.

ऐसे पूरा किया पापा का सपना…

मेरी शादी भी उन्होंने पूरे धूम-धाम से की जैसे हर पिता अपनी सामर्थ्य से थोड़ा ज्यादा अपनी बेटी के लिए करता है..बस बिल्कुल वैसे ही.. भाग्यवश मेरे पतिदेव भी बहुत सरल और सवेंदनशील स्वभाव के निकले. मेरे पुत्र के जन्म के बाद हम सबने मिलकर शिरडी जाने का प्लान बनाया, हम मुंबई तक हवाई जहाज से गये और वहां से आगे टैक्सी द्वारा. डैडू पहली बार हवाई यात्रा कर रहे थे, वह बहुत ही खुश और उत्साहित थे, मां को तरह-तरह के निर्देश दे रहे थे, डैडू को हवाई यात्रा करवाने का मेरा सपना भी पूरा हो गया था

रिटायरमेंट के बाद शुरू की नई पहल…

समय बीतते देर न लगी, मेरे डैडू अब सरकारी नौकरी से रिटायर हो गए हैं. अब तो दांत भी असली नहीं और आंखें भी कमजोर हो गईं थी. लेकिन जिंदादिली की मिसाल मेरे डैडू और अन्य सीनियर सिटीजन्स ने मिलकर एक संगठन बनाया, वह रोज सुबह पार्क में मिलते हैं, योगा करते हैं, गीत गाते हैं, छोटी छोटी पार्टीज करते हैं. जल्द ही एक पब्लिशर ने इस सीनियर सिटीजन्स एसोसिएशन की एक हिंदी किताब छपवाने का फैसला किया. सभी बुजुर्गों को अपने अनुभव लिखने को कहा.

सालों बाद ऐसे की पापा की मदद…

देर रात डैडू का फोन मेरे पास आया, उन्होंने किताब वाली सारी बात मुझे बताई. उन्होंने मुझे कहा “बेटू ! तेरे तो हिंदी लेख और कहानियां अखबारों में छपती रहती हैं, तेरी हिंदी बहुत अच्छी भी है इसलिए सीनियर सिटीजन वाला हिंदी लेख भी तुझको ही लिखना है, मुझे तो अब अच्छे से दिखाई भी नही देता और न ही लिख पाता हूं”.

मुझे भी अपने बचपन का वह दिन याद आया, जिस दिन अंग्रेज़ी कविता की प्रतियोगिता थी और मैंने भी डैडू को ऐसे ही कहा था और उन्होंने स्वयं ही शीर्षक चुना था और प्रेरणादायी कविता लिख कर मुझे विजेता बनाया था. मैंने देर रात जाग कर उनके लिए लेख लिखा और सुबह की पहली किरण के साथ उनको व्हाट्स अप पर भेज दिया.

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डैडू का फोन आया, वह बोले “बेटू, मुझसे पढ़ा नहीं जा रहा है पर मैं ऐसे ही पब्लिशर को भेज देता हूं, वैसे शीर्षक क्या दिया है तूने?”

मैंने कहा “डैडू, बेफिक्र हो कर भेज दीजिये और शीर्षक वो ही है जो आपने मेरी कविता के लिए चुना था बस विद्यार्थीयों की जगह सीनियर सिटीजन्स हो गया है, मतलब ‘सीनियर सिटीजन्स को कैसे प्रसन्न रहना चाहिए?” . शीर्षक सुनते ही वह बोले “अरे वाह ! मैं ये ही शीर्षक कहने वाला था”.

जो हूं आपकी वजह से हूं…

किताब के पहले पन्ने पर उनके फोटो और उनके नाम के साथ यह लेख छपा तो वह खुशी से फूले न समाये. वह बोले “बेटू ये सारी तेरी मेहनत थी, और देखो तो, मैं ऐसे ही हीरो बन गया” मैने कहा “डैडू, ये मेरी नहीं सब आपकी मेहनत है, आपकी मेहनत ने ही आज मुझे इस लायक बनाया है, मेरी हर जीत के पीछे आपकी मेहनत थी डैडू, मेहनत आप करते थे और सुपर हिरोइन मैं बन जाती थी , मेरी हर तरक्की और उन्नति के लिए ‘थैंक्यू डैडू”.

हमारी फैमिली ने हर डांस फौर्म को है अपनाया– करीना कपूर खान

हिंदी फिल्म ‘रिफ्यूजी’ से कैरियर को शुरुआत करने वाली अभिनेत्री करीना कपूर खान की पहली फिल्म सफल नहीं थी, पर आलोचकों ने उसके काम की प्रसंशा की और उसे बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला. स्ट्रेट फौर्वर्ड नेचर की करीना किसी भी काम को चुनते वक्त खुशी को ढूढ़ती है. फिल्में फ्लौप हो या सफल उस पर वह ज्यादा ध्यान नहीं देती. 5 साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद करीना ने सैफ अली खान से शादी की, जिससे उनका बेटा तैमूर अली खान है. जी टीवी के रियलिटी शो ‘डांस इंडिया डांस 7’ में पहली बार करीना टीवी पर जज के रूप में डेब्यू कर रही हैं, इस शो में वह डांस के साथ एक्टिंग पर ज्यादा फोकस कर रही है. उनसे मिलकर रोचक बातचीत हुई, आइये जाने उन्ही से.

सवाल- इतने सालों बाद टीवी पर आने की खास वजह क्या है?

मुझे पहले भी कई बार औफर मिले थे, पर मैंने मना किया था. मैं इस माध्यम में काम करने से घबराती थी, क्योंकि इसकी पहुंच बड़े पैमाने पर होती है. इस शो का कांसेप्ट मुझे बहुत पसंद आया और मैंने हां कर दी. मेरा टीवी पर डेब्यू करने में समय लगने की एक वजह यह भी है कि शो उस लेवल का होना जरुरी था,जो मुझे चाहिए था. आज सैफ भी मेरे काम को लेकर उत्साहित है और रोज शूट से आने पर मेरी प्रतिक्रियां जानना चाहते है. मेरे माता-पिता भी इस शो को हमेशा पसंद करते है.

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सवाल- डांस आपको कितना पसंद है?

डांस एक प्रकार की एनर्जी, सकारात्मकता और खुशी देती है. मेरे काफी फिल्मों में गाने ऐसे थे, जिसमें डांस करने में बहुत मज़ा आया. असल में नृत्य प्रकृति से लेकर जानवर और मनुष्य हर कोई करना पसंद करता है.

सवाल- आपको नृत्य की कौन सी शैली पसंद है और क्या डांस को मजबूत बनाने के लिए शास्त्रीय नृत्य को सीखना जरुरी है? कोई ऐसा डांस फॉर्म जिसे आप सीखना चाहती थी?

मुझे क्लासिकल डांस बहुत पसंद है, लेकिन आज हर तरह के डांस लोग करते है. इस शो में भी हर तरह के डांस लोग परफौर्म कर रहे है. असल में डांस भावनाओं को दिखाने का एक जरिया है, फिर चाहे वह कथकली, ओडिसी, कथक या वेस्टर्न कुछ भी हो, सभी को देखना अच्छा लगता है. आज के यूथ एक्रोबेटिक को डांस में शामिल करते है, जिसे देखने में मजा आता है. मेरा हमेशा रिग्रेट रहा है कि मैं पंडित बिरजू महाराज के साथ डांस नहीं कर पायी,क्योंकि मैंने कभी शास्त्रीय नृत्य नहीं सीखा. अभी भी मैं शास्त्रीय नृत्य कही भी हो, देखना पसंद करती हूं.

सवाल- आपके परिवार के सभी लोग सालों से अच्छा डांस करते है, आप किसके डांस से अधिक प्रभावित हुई?

हमारे पूरे खानदान के रगों में डांस दौर रहा है फिर चाहे वह मेरे दादाजी राजकपूर ही क्यों न हो उनके डांस की एक अलग शैली थी. इसके अलावा शम्मीकपूर, रणवीर कपूर, करिश्मा कपूर आदि सबकी नृत्य शैली अलग है और एक दूसरे से तुलना भी नहीं की जा सकती. हमारे परिवार ने हर तरह के डांस फौर्म को अपनाया है.

सवाल- डांस के फायदे क्या है, क्या कभी स्ट्रेस होने पर डांस कर उसे भगाया ?

डांस एक भाव है जो दिल से निकलती है. खुशी, दुःख प्यार आदि सभी को नृत्य के सहारे आप बता सकते है. इसके अलावा इससे आप फिट रह सकते है, क्योंकि ये व्यायाम का भी काम करती है.

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सवाल- इंडस्ट्री की किस एक्ट्रेस के डांस को देखकर आप बड़ी हुई?

मुझे श्री देवी की डांस बहुत पसंद है. उनके गाने देख-देखकर ही मैं हिरोइन बनी हूं. मुझे स्कूल जाना कभी पसंद नहीं था. मैं बचपन में आईने के सामने खड़ी होकर बहुत डांस किया करती थी.

Edited by Rosy

गरमी में औयली बालों से छुटकारा दिलाएंगे ये 4 शैम्पू, कीमत 200 से भी कम

गरमी मे जितना ख्याल हम स्किन का रखते हैं उतना ही ख्याल हम बालों का भी रखना पड़ता है. क्योंकि आजकल के पौल्यूशन और धूप से स्किन की शाइन जाने लगती है वहीं बालों की बात करें तो गरमी से सिर में पसीना होने लगता है, जिससे बाल औयली हो जाते हैं. पर आज हम आपको कुछ ऐसे शैम्पू के बार में बताएंगे जो बालों से औयल निकालने का साथ शाइन भी देगा. जिसे आप 200 रूपए की कीमत के अंदर आसानी से खरीद सकते हैं.

1. वासु ट्रीचप हर्बल शैम्पू (Vasu Trichup Herbal Shampoo)

आजकल हम मार्केट के प्रौडक्ट खरीदने से पहले ये देखना नही भूलते की ये हर्बल है कि नही. हर्बल शैम्पू हमारे बालों को बिना किसी साइड इफेक्ट के शाइनी और खूबसूरत बनाता है. वासु ट्रीचप हर्बल शैम्पू को आप मार्केट से 200ml 152 रूपए में खरीद सकते हैं.

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2. काया नरीशिंग शैम्पू (Kaya Nourishing Shampoo)

अगर बालों को गरमी में सौफ्ट रखना चाहती हैं तो ये शैम्पू आपके लिए परफेक्ट रहेगा. काया अपने ब्यटी प्रौडक्टस के लिए जाना चाहता है. काया नरीशिंग शैम्पू को आप मार्केट से 200ml 192 रूपए में खरीद सकते हैं.

3. हिमालया डैमेज रिपेयर प्रोटीन शैम्पू (Himalaya Damage Repair Protein Shampoo)

अगर आपके बाल भी गरमी में डैमेज हो गए हैं तो ये शैम्पू आपके लिए सही औप्शन है. हिमालया डैमेज रिपेयर प्रोटीन शैम्पू आपके डैमेज बालों को रिपेयर करने के साथ-साथ सौफ्ट बनाएगा. इसे आप 400ml 181 में खरीद सकते हैं.

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4. खादी प्योर हर्बल एलोवेरा शैम्पू (Khadi Pure Herbal Aloevera Shampoo)

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जेंडर इक्वैलिटी का हल्ला ज्यादा तथ्य कम

वस्तुतः हमेशा इस बात का हल्ला मचता रहता है कि हमारे समाज के विकास के लिए लैंगिक समानता बहुत जरूरी है. मन जाता है कि स्त्रीपुरुष के बीच में भेदभाव की सोचसमझ कर एक खाई बनाई गई है. स्त्रियों को सामान अधिकार और पोजीशन नहीं मिलता जिस की वे हकदार हैं. वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा 2017 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की बात करें तो भारत 144 देशों की सूची में 108 नंबर पर आता  हैं. देखा जाए तो स्त्रीपुरुष समानता की हम भले ही कितनी भी बातें कर लें मगर इस सच से इंकार नहीं कर सकते कि ऐसे कई तथ्य हैं, बातें हैं जो स्त्रियों को कमजोर बनाती हैं या फिर जिन की वजह से वे औफिस को कम समय दे पाती हैं और उन के ओवरआल परफॉरमेंस पर असर पड़ता है.  प्रकृति द्वारा किये गए इस भेदभाव को हम चाह कर भी नकार नहीं सकते. जिन महिलाओं ने इन्हे नकारा वे आगे बढ़ीं. उन्हें बढ़ने से रोका नहीं गया. मगर उन्हें अपवाद ही कहा जा सकता है. सामान्य जीवन में स्त्रियों को आगे बढ़ने में काफी अड़चनों का सामना करना पड़ता है.

1. प्रेगनेंसी और चाइल्ड केयर

प्रकृति ने स्त्री को मातृत्व का सुख दिया है तो साथ में 9 महीने बच्चे को कोख में रखने और फिर दूध पिला कर उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी भी दी है. इस दौर से सामान्यतया हर स्त्री को गुजरना होता है. कम से कम जीवन में 2 बार प्रेगनेंसी और 3- 4 दफा अबॉर्शन का दौर तो हर शादीशुदा महिला की जिंदगी में आता ही है. इस दौरान वह कितना भी प्रयास कर ले ऑफिसियल काम के बजाय उस के लिए अपने शरीर और घरपरिवार के प्रति जिम्मेदारियां निभाना ज्यादा जरूरी हो जाता है.

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बच्चा जबतक छोटा होता है उस की नैपी बदलने से ले कर दूध पिलाने तक का सारा काम मां को ही करना होता है. पिता भले ही बच्चे को ऊपर का दूध पिला कर पाल ले मगर यह एक समझौता ही होगा. बच्चे की अच्छी सेहत और बेहतर पोषण मां के दूध से ही मिलती है. इसीतरह नैपी बदलने का काम मां जितना बेहतर निभा सकती है पिता या घर के दूसरे सदस्य नहीं कर सकते. ये चीजें ऐसी हैं जिन से कोई इनकार नहीं कर सकता.

जाहिर है बच्चे के जन्म से ले कर उस के थोड़े बड़े हो जाने तक मां को पूरी सावधानी से अपने कर्तव्य निभाने होते हैं. इस दौरान स्वाभाविक है कि वह औफिस में ज्यादा बेहतर परफौर्मेंस नहीं दे पाती. वह बच्चे के छोड़ कर औफिस मीटिंगस के लिए आउट ऑफ टाउन नहीं जा सकती या फिर लेट नाईट तक औफिस में रुक नहीं सकती जब कि उस के पति यानी पुरुष इस दौरान भी हर जगह जा सकता है और हर तरह के काम कर सकता है.

2. पीरियड्स के दौरान महिलाओं की तकलीफ

महिलाओं और लड़कियों के जीवन में महीने के 4 दिन पीरियडस के नाम होते हैं. इस दौरान उन्हें दर्द और तकलीफ का सामना तो करना ही होता है बारबार पेड्स बदलने और सफाई रखने के झंझट से भी गुजरना पड़ता है.

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यही नहीं पीरियड से 7 दिन पहले से उन्हें पीएमएस (प्रीमैंसट्रुअल सिंड्रोम) की परेशानी भी हो जाती है. जिस के तहत फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन और फीलगुड ब्रेन कैमिकल सिरोटिन का स्तर कम होने से मूड खराब और चिड़चिड़ाहट रहने लगती है. न चाहते हुए भी इन दिनों उन के काम पर थोड़ा असर तो पड़ता ही है.

3. मसल्स और हड्डियों की मजबूती

कुछ स्त्रियां भले ही अच्छे खानपान और व्यायाम द्वारा अपने शरीर को स्ट्रांग बना लें या पहलवान और स्पोर्ट्सवुमन बन जाएं. मगर सामान्य रूप से देखा जाए तो स्त्री के देखे पुरुष का शरीर स्वभाविक रूप से मजबूत और ताकतवर होता है.

पुरुष भारी से भारी काम एक झटके में कर सकते है. इसीतरह दौड़भाग और धूप, धूलमिट्टी में घूमना या सुनसान सड़कों से गुजरना जैसे काम भी स्त्रियों के देखे पुरुष ही बेहतर निभा सकते हैं. एक स्त्री को आधी रात में सुनसान सड़क से हो कर भेजने में एंप्लॉई को हजार बार सोचना पड़ेगा जब कि पुरुष के लिए उसे सोचने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी.

4. घरवालों की सेवासुश्रुषा

यदि परिवार में कोई बीमार है तो हम स्त्री की ओर ही देखते हैं. बीमार व्यक्ति को खाना खिलाना, देखभाल करना ,नैपी बदलना जैसे काम औरत ही बेहतर कर सकती है. इसी तरह जब ऑफिस में है किसी के साथ लड़ाईझगड़े करने या दम दिखाने की नौबत आती है तो पुरुष को आगे किया जाता है. क्यों कि पुरुष स्वभाव और शरीर से रफ एंड टफ होते हैं जब कि स्त्रियां कोमल होती है.

5. मेकअप और फैशन

चाहें हम जितनी भी बात कर ले मगर इस हकीकत से इंकार नहीं कर सकते हैं कि महिलाओं को अपने मेकअप , ड्रेस और दूसरे फैशन करने , बाल संवारने , नाखून संभालने या फिर एक्सेसरीज पहनने में पुरुषों के देखे बहुत ज्यादा समय लगाना पड़ता है. इसी तरह औफिस जाना हो या मीटिंग के लिए तैयार होना हो स्त्रियों को स्वाभाविक रूप से अधिक समय लगता है.

6. सफाई का ज्यादा ख्याल

महिलाओं का स्वाभाव ही ऐसा होता है कि वे अपनी साफ़सफाई का ज्यादा ख्याल रखती हैं. प्राकृतिक रूप से भी उन के लिए ऐसा करना जरुरी होता है. पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को यूरिन इंफैक्शन ज्यादा होता है. वे किसी भी जगह शौच या यूरिन के लिए नहीं जा सकती. उन के शरीर की बनावट ऐसी होती है कि उन्हें इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है. ट्यूब यूरेथ्रा की बनावट स्त्रियों में पुरूषों की तुलना में छोटी होती है. इस से बैक्टीरिया आसानी से ब्लैडर तक पहुंच जाते हैं, जिस से इंफैक्शन होता है. इस वजह से वे हर तरह के प्रोजेक्ट्स में फिट नहीं हो पाती.

महिलाओं और पुरुषों में न सिर्फ शरीर की बनावट का अंतर होता है बल्कि उनकी शारीरिक जरूरतों में भी फर्क होता है. एक महिला के शरीर में समयसमय पर हार्मोन संबंधी कई बदलाव होते हैं.

7. हार्मोनल परिवर्तन

महिलाओं और पुरुषों में न सिर्फ शरीर की बनावट का अंतर होता है बल्कि उन की शारीरिक जरूरतों में भी फर्क होता है. एक महिला के शरीर में समयसमय पर हार्मोन संबंधी कई बदलाव होते हैं.

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महिलाओं में मेनोपौज शुरू होने से पहले की अवस्था को पैरिमेनोपौज कहते है.यह 35 साल की उम्र से भी शुरू हो सकती है. इस समय स्त्री का हारमोन लैवल बहुत ऊपरनीचे होता है, जिस से अनिद्रा, मूड स्विंग्स औैर चिंता की शिकायत हो सकती है. इस के बाद जब अधेड़ावस्था में मेनोपौज का पीरियड आता है तो महिलाओं को और भी ज्यादा हार्मोनल समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

Edited by Rosy

10 टिप्स: डायबिटीज में ऐसे रखें पैरों का ख्याल

आजकल लोग अपने आपको फिट रखने की भरपूर कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी किसी न किसी बिमारी का शिकार हो जाते हैं. जिनमें डायबिटीज सबसे आम है. डायबिटीज आजकल आम बिमारी हो गयी हैं. भारत में डायबिटीज के मरीजों के पैर कटने की प्रतिवर्ष की औसत दर अब 10% है यानी 100 डायबिटीज के मरीजों में से 10 मरीज हर साल अपने पैर खोते हैं. लोग यह नहीं जानते कि डायबिटीज के मरीजों को पैर कटने का खतरा बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा होता है. लंबे समय से चल रही डायबिटीज, खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा, पेशाब में एल्ब्यूमिन का होना, आंखों की रोशनी का कम होना, पैरों में झनझनाहट की शिकायत रहना व खून की सप्लाई कम होना डायबिटीज का शिकार होने की निशानी है.

1. डायबिटीज में लापरवाही बरतने से बचें

डायबिटीज के मरीज यह नहीं समझते कि डायबिटीज पैरों का सब से बड़ा दुश्मन है. और तो और लोग भ्रमवश यह भी समझते हैं कि डायबिटीज के मरीज के घास पर नंगे पैर चलने से शरीर के सभी अंगों, विशेषकर पैरों को बड़ा लाभ मिलता है. चलने से पैरों में अगर दर्द व झनझनाहट होती है, तो उस को नजरअंदाज कर दिया जाता है. लोग नहीं समझते कि डायबिटीज के मरीज द्वारा बरती गई लापरवाही उस के विकलांग होने का सीधा कारण बन सकती है. पैर की तो छोड़ो, लोग अपने खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने को ले कर ही गंभीर नहीं होते. इस का परिणाम यह होता है कि खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा दिनोंदिन बढ़ती चली जाती है.

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2. पैरों पर होने वाले नुकसान के बारे में जानें

अगर चलने से पैरों में दर्द होता है और ज्यादा चलने से पीड़ा असहनीय हो जाती है तो डायबिटीज के मरीज को समझ लेना चाहिए कि उस के पैरों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. डायबिटीज में पैरों को सब से ज्यादा नुकसान 2 चीजें पहुंचाती हैं. एक तो न्यूरोपैथी और दूसरी टांगों की रक्त नली में जाने वाली शुद्ध खून की मात्रा में कमी होना. पैरों में शुद्ध खून की सप्लाई में कमी होने के 2 कारण होते हैं. एक तो टांगों की खून की नली के अंदर निरंतर चरबी व कैल्सियम जमा होना, जिस के कारण नली में सिकुड़न आ जाती है. इस का परिणाम यह होता है कि पैरों में जाने वाली शुद्ध खून की सप्लाई में बाधा पहुंचती है और अगर समय रहते रोकथाम न की गई तो खून की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है. यह एक गंभीर अवस्था है.

3. न्यूरोपैथी के बारे में जानें

दूसरा कारण एक विशेष किस्म की न्यूरोपैथी का होना होता है, जिसे मैडिकल भाषा में ए.एस.एन. (औटोनौमिक सिंपैथेटिक न्यूरोपैथी) कहते हैं. इस विशेष न्यूरोपैथी के कारण शुद्ध खून स्किन में स्थित अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाता है. इस की वजह शुद्ध खून की शौर्ट सर्किटिंग होना होता है. ठीक उसी तरह जैसे कोई रेल यात्री निर्धारित स्टेशन तक न पहुंच कर बीच रास्ते में ही वापसी की ट्रेन पकड़ने लगे.

4. टांगों में असहनीय पीड़ा

इस तरह से खून की सप्लाई में महत्त्वपूर्ण कमी आने पर टांगों में असहनीय दर्द होता है व स्किन का रंग बदलने लगता है. डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह ऐसी दशा में तुरंत किसी वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श ले. डायबिटीज के मरीज के पैरों को एक दूसरी न्यूरोपैथी (सेंसरी व मोटर) भी अपनी चपेट में ले लेती है, जिस के कारण पैरों में विशेषकर पैर के तलुओं व एड़ी में दर्द व झनझनाहट की समस्या खड़ी हो जाती है. होता यह है कि पैर की मांसपेशियां, न्यूरोपैथी की वजह से हलके फालिज का शिकार हो जाती हैं, जिस से पैर की हड्डियों को आवश्यक आधार न मिलने के कारण उन पर अनावश्यक दबाव पड़ने लगता है. इस के साथ ही जोड़ों की क्रियाशीलता में भी कमी आ जाती है. इन सब समस्याओं का असर यह होता है कि पैरों में दर्द व झनझनाहट की शिकायत हमेशा बनी रहती है और चलने से और बढ़ जाती है.

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5. डायबिटीज से पैरों की स्किन पर होता है नुकसान

डायबिटीज में पैर की स्किन में कभी-कभी जरूरत से ज्यादा खुश्की पैदा हो जाती है. इस खुश्की की वजह से स्किन में फटन व चटकन होने लगती है और गड्ढे बन जाते हैं, जो पैरों में इन्फैक्शन पैदा होने का सबब बन जाते हैं.

डायबिटीज में स्किन के खुश्क होने का बहुत बड़ा कारण डायबेटिक ओटौनौमिक न्यूरोपैथी का होना है, जिस की वजह से पसीने को पैदा करने वाली और स्किन को चिकना बनाने वाली ग्रंथियां सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती हैं. इसी खुश्की व फटन के कारण डायबिटीज के मरीजों के पैरों में जल्दी घाव बनते हैं और इन्फैक्शन अंदर तक पहुंच जाता है. इन्फैक्शन को नियंत्रण में लाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. कभीकभी तो इस में औपरेशन की जरूरत पड़ती है.

6. हड्डियां भी होती हैं कमजोर

डायबिटीज में पैर की हड्डियों पर मांसपेशियों के कमजोर हो जाने से दबाव बढ़ जाता है. इस निरंतर पड़ने वाले दबाव के कारण स्किन में दबाव वाले स्थानों पर गोखरू का निर्माण हो जाता है. इस गोखरू के कारण डायबिटीज के मरीज को ऐसा लगता है जैसे जूते के अंदर कोई कंकड़ रखा हुआ है. इस गोखरू की वजह से पैरों में दर्द और असहनीय हो जाता है और इन्फैक्शन होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

7. वैस्क्युलर सर्जन की लें सलाह

अगर डायबिटीज के मरीज को चलने से पैरों में दर्द होता है या रात में बिस्तर पर लेटने पर झनझनाहट की शिकायत रहती है तो वह किसी वैस्क्युलर सर्जन की सलाह ले. दर्द का कारण जानना बहुत जरूरी है. अकसर लोग इस तरह के रोग को गठिया या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और हड्डी विशेषज्ञ से परामर्श लेने पहुंच जाते हैं. दर्द का कारण जानने के लिए कुछ विशेष जांचें. जैसे डाप्लर स्टडी व मल्टी स्लाइस सी.टी. ऐंजियोग्राफी का सहारा लेना पड़ता है. किसी ऐसे अस्पताल में जाएं जहां इन सब जांचों की सुविधा हो. इन विशेष जांचों के परिणाम के आधार पर ही आगे इलाज की दिशा का निर्धारण होता है.

8. बाईपास सर्जरी का लिया जा सकता है सहारा

डायबिटीज में पैरों को कटने से बचाने के लिए टांगों की बाईपास सर्जरी का सहारा लिया जाता है, जिस से पैरों को जाने वाली खून की सप्लाई को बढ़ाया जा सके. इस से घाव को भरने में मदद मिलती है. कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐंजियोप्लास्टी का भी सहारा लेना पड़ता है.

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जांघ के नीचे की जाने वाली ऐंजियोप्लास्टी व इंस्टैंटिंग ज्यादा सफल नहीं रहती, क्योंकि इस के परिणाम शुरुआती दिनों में लुभावने लगते हैं पर ज्यादा दिनों तक इस से मिलने वाला लाभ टिकाऊ नहीं रहता. इसलिए इलाज की दिशा निर्धारण करने में बहुत सोचसमझ कर काम करना पड़ता है. हमेशा ऐसे अस्पताल में जाएं जहां किसी अनुभवी वैस्क्युलर सर्जन की उपलब्धता हो और पैरों की बाईपास सर्जरी नियमित रूप से होती हो. पैरों की रक्त सप्लाई को बढ़ाने के लिए कुछ विशेष जरूरी दवाओं का भी सहारा लेना पड़ता है.

9. धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करें बंद

पैर को बचाने की दिशा में किए गए सारे प्रयास असफल हो जाते हैं, अगर डायबिटीज के मरीज ने धूम्रपान व तंबाकू का सेवन पूर्णतया बंद नहीं किया. यह बात अच्छी तरह समझ लें कि सिगरेट की संख्या व तंबाकू की मात्रा कम कर देने से पैरों के स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए सिगरेट या तंबाकू मैं ने कम कर दी हैं की दलील दे कर अपनेआप को झुठलाएं नहीं. इस बात को समझें कि अगर धूम्रपान व तंबाकू से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ा तो टांगों की बाईपास सर्जरी फेल हो जाएगी. इलाज को असफल करने में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप ने 5-6 किलोमीटर चलने का नियम बरकरार नहीं रखा और कोलैस्ट्रौल, शुगर व वजन पर अंकुश नहीं लगाया तो देरसवेर पैर खोने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. चाहे कितनी भी अच्छी सर्जरी व इलाज हुआ हो.

10. घर के अंदर व बाहर नंगे पांव चलने से बचें

डायबिटीज का मरीज कभी भी घर के अंदर व बाहर नंगे पांव न चले और जूते कभी भी बगैर मोजों के न पहने. डायबिटीज के मरीजों के लिए विशेष किस्म के जुराब व जूते आजकल उपलब्ध हैं, जिन का चुनाव अपने वैस्क्युलर सर्जन की सलाह पर करना चाहिए. इस के अलावा डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वह प्रतिदिन 5 से 6 किलोमीटर पैदल चले. नियमित चलना पैरों की शुद्ध खून की सप्लाई को बढ़ाने व न्यूरोपैथी का पैरों पर प्रभाव कम करने का सब से उत्तम उपाय है. पैरों को स्वच्छ व नमीरहित रखें और रक्त में हमेशा ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रण में रखें. रक्त में अनियंत्रित शुगर का होना भविष्य में पैर खोने का साफ संकेत है. इस के साथ ही टांगों की स्किन को खुश्की व सूखेपन से बचाएं और गोखरू को पनपने न दें. हर 3 महीने में अपने पैरों की जांच किसी वैस्क्युलर सर्जन से जरूर कराएं. अगर किसी भी अवस्था में पैरों में फफोले व लाल चकत्ते दिखें तो बगैर लापरवाही किए किसी वैस्क्युलर सर्जन से तुरंत परामर्श लें.

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‘कसौटी’ में हुई ‘मिस्टर बजाज’ की एंट्री, फैंस ने किए ऐसे कमेंट

स्टार प्लस का सीरियल ‘कसौटी जिंदगी 2’ औडियंस का दिल जीत रहा है. चाहे वह हिना खान का ‘कौमोलिका’ का रोल हो या अब मिस्टर बजाज के रोल में करण सिंह ग्रोवर हो… हाल ही में सीरियल के निर्माताओं ने नया प्रोमो दिखाया है. जिसमें करण ‘मिस्टर बजाज’ के लुक में नजर आ रहे हैं. वहीं करण के फैंस भी उनके इस लुक से सीरियल में उनकी एंट्री का इंतजार कर रहे हैं.

कूल लुक में नजर आए करण

हाल ही में प्रोमो में ‘मिस्टर बजाज’ के लुक में करण काफी कूल लुक में देखने को मिले. जिसमें करण यानी ‘मिस्टर बजाज’ अपनी कम्पनी की छत से कूदकर नीचे आते हुए दिखाई देते हैं और इसके बाद वह मीडिया से बात करने लगते हैं.

30 सेकंड के प्रोमो ने धड़काया फैंस का दिल

 

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? Time to fly! #kasautiizindagiikay

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‘कसौटी जिंदगी 2’  के 30 सेकंड के प्रोमो में जहां करण हैंडसम लगे तो वहीं उनके इस अंदाज को देखने के बाद फैंस का दिल जोरों से धड़कने लगा है. साथ ही कुछ लोगों ने इस प्रोमो को देखकर करण के लुक्स की तारीफ करना शुरू कर दिया है. कुछ लोगों का मानना है कि ‘मिस्टर बजाज’ के रोल के लिए करण से बेहतर तो कई भी नहीं हो सकता है.

टीआरपी लिस्ट में तबाही मचा सकता है ये सीरियल

 

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Some pics of the last day shoot of #komolika on the sets of #kausatizindagiki2 ❤. @realhinakhan you will be highly missed ???

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हिना खान के आते ही जहां सीरियल की रेटिंग्स में जबरदस्त उछाल आया था. वहीं हिना के जाते ही रेटिंग्स में गिरावट भी देखने को मिली. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि करण की एंट्री होते ही इस सीरियल को जबरदस्त फायदा हो सकता है.

लोगों ने की करण की रौनित से तुलना

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जहां प्रोमों के आते ही फैंस ने करण के लुक की तारीफें की है, वहीं लोगों ने करण की तुलना पुराने ‘मिस्टर बजाज’ यानी रौनित रौय से कर दी है. हाल ही में हमने भी फेसबुक पर एक पोल स्टार्ट किया है, जिसमें करण और रौनित में से किसे ‘मिस्टर बजाज’ के लुक में देखना चाहते हैं. के बारे में पूछा गया है. और लोगों ने रौनित रौय के लुक ‘मिस्टर बजाज’ के लुक में परफेक्ट बताया है.

बता दें, इन दिनों ”कसौटी जिंदगी 2′ ‘ के सीरियल में अनुराग और प्रेरणा की सगाई होने वाली है. दोनों की सगाई सेरेमनी में पहुंचकर मिस्टर बजाज बखेड़ा खड़ा करने वाला है. दरअसल ‘मिस्टर बजाज’ प्रेरणा से शादी करने की ठान लेगा. अब देखना ये होगा कि ‘मिस्टर बजाज’ के रोल में रौनित रौय की तरह क्या करण फैंस का दिल जीत पाते हैं या नही?

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