ऐसे करें बालों का ट्रीटमेंट

महिलाओं में हेयरफौल की समस्या बेहद आम है. इसका ट्रीटमेंट कराने में काफी पैसा बर्बाद हो जाता है. इन आर्टिफीशियल तरीकों से बेहतर है कि आप प्राकृतिक उपायों की ओर बढ़ें. इस खबर में हम आपको कुछ आसान तरीकों के बारे में बताएंगे, जिससे आप अपनी इस समस्या का इलाज कर सकेंगी.

करें हौट आयल ट्रीटमेंट

जैतून, नारियल या कनोला जैसे प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल करें. प्रयोग करने से पहले इसे थोड़ा गर्म कर लें. ध्यान रखें कि तेल ज्यादा गर्म ना हो. इसे बालों की जड़ों तक मसाज करें. एक बार लगा कर इसे घंटे, दो घंटे के लिए छोड़ दें. इसके बाद बालों को शैंपू से धो लें.

एंटीऔक्सिडेंट

एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी के दो बैग डालकर उसका अर्क निकाल लें. इसके बाद पानी को बालों की जड़ों तक लगा लें. करीब एक घंटे तक ऐसे रहने दें. फिर धो लें. आपको बता दें कि ग्रीन टी में एंटीऔक्सिडेंट होते हैं, जिससे हेयरफौल की समस्या कम होती है. बालों को बढने में भी ये काफी ज्यादा सहायक होते हैं.

कराएं हेड मसाज

अक्सर हेड मसाज लिया करें. इससे सिर में खून का बहाव सही रहता है. रक्त का सही बहाव होने से बाल मजबूत होते हैं. प्राकृतिक तेल से मसाज लेना आपकी बालों के लिए काफी लाभकारी है. ये आपके तनाव में भी काफी लाभकारी है.

प्राकृतिक जूस

लहसुन, प्याज या अदरक के जूस से मालिश हेयरफौल में काफी लाभकारी है. रात में इसे लगाएं और सुबह में धो लें. इससे आपके बाल मजबूत होंगे.

 

हनीमून के लिए बेस्ट हैं ये डेस्टिनेशन

सिंगापुर भारतीयों का पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. कुछ लोग यहां छोटे ब्रेक के लिए आते हैं तो कुछ लोग हनीमून के लिए भी इस जगह को चुनते हैं. वजह कोई भी हो लेकिन यहां आने वालों के लिए ट्रिप यादगार जरूर रहती है. इसकी भी कई वजहें हैं. साफ गलियां, अलग-अलग कल्चर के रंग और यहां के खूबसूरत गार्डन्स. अगर आप ग्रीनरी या नेचर लवर हैं तो सिंगापुर आपके लिए स्वर्ग के समान है.

गार्डन बाई द वे- सिंगापुर को सिटी औफ गार्डन्स भी कहते हैं. ‘सिंगापुर बोटैनिक गार्डन्स’ और ‘गार्डन्स बाई द वे’ यहां के वर्ल्ड क्लास अट्रैक्शंस हैं. खासतौर पर आप अगर हनीमून पर हैं तो आपको ‘गार्डन्स बाई द वे’ जरूर घूमना चाहिए. यहां लोग प्री-वेडिंग शूट के लिए भी आते हैं. दिन के अलग-अलग वक्त पर आपको यहां अलग रंग दिखाई देंगे.

बोटैनिक गार्डेन – सिंगापुर का बोटैनिक गार्डन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है और यह बेहद खूबसूरत है. यह 52 हेक्टेयर में बना है. इसके अंदर आपको स्वान लेक,  इको गार्डन,  इवोल्युशन गार्डन और नैशनल और्किड गार्डन जैसी कई खूबसूरत लोकेशंस मिल जाएंगी.

सेंटोसा आइलैंड- सिंगापुर का सेंटोसा आइलैंड बेहद पौपुलर रिसैर्ट है. यहां बीच, सी सपोर्ट्स, गोल्फ और म्यूजियम के अलावा कई ऐसी ऐक्टिविटीज हैं जो आपको बोर नहीं होने देंगी. अगर यहां के बीच पर फोटोशूट करवाना चाहती हैं तो सुबह जल्दी या सनसेट का वक्त चुनें. हनीमून सेल्फीज के लिए भी यही टाइम सूटेबल है.

नैशनल म्यूजियम – सिंगापुर का नैशनल म्यूजियम इतना खूबसूरत है कि यहां आकर आप दोबारा जरूर आना चाहेंगी. सफेद रंग का म्यूजियम बेहद सुकून देता है और आप यहां यादगार समय बिता सकती हैं.

तो होंठ दिखेंगे मुलायम

सर्दियों में आमतौर पर होंठों की नमी खत्म हो जाती है जिस से होंठ खिंचेखिंचे से लगते हैं. कई बार तो होंठ इतने ड्राई हो जाते हैं कि उन की ऊपर त्वचा निकलने के कारण उन में दर्द होने लगता है. ऐसे में होंठों की मुसकान तो गायब होती है साथ ही इस का हमारी सुंदरता पर भी असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि होंठों की प्रोपर केयर हो और वो तभी संभव है जब आप स्ट्रोबैरी एैक्सट्रैक्ट वाले लिप बाम का उपयोग करें.

यहां तक कि स्ट्रोबैरी एैक्सट्रैक्ट के फायदों को देखते हुए आजकल बाजार में इस से बने प्रोडक्ट्स की बड़ी रेंज उपलब्ध हैं, जिन का उपयोग कर आप अपने होंठों को ड्राई होने से बचा पाएंगे.

हिमालया स्ट्रोबैरी शाइन लिप केयर

– इस का मौइश्चर फार्मूला आप के होंठों को सौफ्ट रखने का काम करता है.

– नमी प्रदान करने के साथसाथ यह लिप्स के लिए नैचुरल ग्लोस का भी काम करता है. हिमालया स्ट्रोबैरी शाइन लिप बाम में किसी तरह के प्रिजर्वेटिव, सिलिकौंस या मिनरल औयल्स का प्रयोग नहीं किया जाता. इस में 100% प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल है.

– हिमालय लिप बाम में ऐंटीऔक्सीडैंट्स और नैचुरल ऐक्टिव्स प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह होंठों पर वातावरण का प्रतिकूल असर नहीं पड़ने देता.

– इस में मौजूद स्ट्रोबैरी सीड औयल जो फैटी ऐसिड का अच्छा स्रोत होने के कारण यह स्किन के मौइश्चर को बैलेंस रखने का काम करते हैं.

– विटामिन ई की भरपूर मात्रा होंठों की प्राकृतिक चमक को बरकरार रखने का काम करती है.

पाएं सर्दियों में भी सौफ्ट स्किन

सर्दियों का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता. क्योंकि ठंडीठंडी हवाओं में घूमने, गरम कपड़े पहनने का मजा ही कुछ और होता है. लेकिन ये मजा तब फीका पड़ जाता है जब सर्द हवाओं के कारण हमारी स्किन रूखी हो जाती है, होंठ ड्राई व खिंचेखिंचे से रहते हैं जिस से हमारा कौंफिडैंस लूज होने लगता है.

लेकिन कहते हैं न कि हर समस्या का समाधान होता है. तो ऐसे में आप को जरूरत है स्किन को मौइश्चर देने के साथ उसे ग्लोइंग बनाने की.

इफैक्टिड बौडी लोशन की जरूरत

‘ये लोशन स्किन को 100% मौइश्चर देने का काम करेगा,’ ऐसे विज्ञापन आप को टीवी पर ढेरों दिख जाएंगे, लेकिन जरूरी नहीं कि ये दावों जैसा काम भी करे. इस के लिए जरूरत है कि आप ऐसा बौडी लोशन पिक करें जो कोको बटर व पीट जर्म जैसे प्राकृतिक गुणों से भरपूर हो क्योंकि इस से स्किन को पर्याप्त मौइश्चर जो मिल जाता है.

कोको बटर के फायदे

कोको बटर में नैचुरल फैट होता है. जो कोको वींस से बनता है. यह न केवल त्वचा को नमी देता है बल्कि त्वचा में भीतर से कसाव लाने में भी मदद करता है. यह ऐंटीऔक्सीडैंट का बहुत बड़ा स्रोत है. इस के साथसाथ इस में विटामिन ए व ई भरपूर मात्रा में होते हैं. कोको बटर युक्त लोशन के इस्तेमाल से आप की त्वचा मुलायम हो जाती है.

व्हीट जर्म भी बड़ा लाभकारी

व्हीट जर्म औयल में विटामिन ई की अच्छी मात्रा होती है जोकि त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी है. व्हीट जर्म युक्त बौडी लोशन को अपनी रोजाना बौडी केयर का हिस्सा बनाने के साथसाथ आप व्हीट जर्म औयल का इस्तेमाल चेहरे की साफ करने के लिए भी कर सकती हैं, क्योंकि यह त्वचा को हाईड्रेट रखने में मदद करता है?

कैसे करें बौडी लोशन का इस्तेमाल

-स्किन को पर्याप्त मात्रा में मौइश्चर मिले इस के लिए बैस्ट है कि आप नहाने के तुरंत बाद बौडी लोशन अप्लाई करें.

– अगर त्वचा शुष्क रहती है तो आप रात को भी बौडी लोशन लगाएं.

– सर्दियों में स्किन को ड्राई करने वाले पैकेज अवोइड करें. उस की जगह बादाम के तेल वगैरा से चेहरे पर मसाज करें.

कादर खान के निधन की खबरों पर बोले उनके बेटे सरफराज

पिछले कुछ समय से बौलीवुड के दिग्गज अभिनेता और डायलौग रायटर कादर खान बीमार चल रहे हैं और उनका इलाज कनाडा में चल रहा है. पिछले दिनों खबर आई कि उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. इस बीच सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का सिलसिला चल पड़ा. रविवार रात सोशल मीडिया पर अफवाह फैल गई थी कि कादर खान नहीं रहे. निधन की खबर से उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई. लेकिन उनके प्रशंसकों के लिए अच्छी खबर यह है कि उनके निधन की खबर सिर्फ एक अफवाह है. खुद उनके बेटे सरफराज खान ने निधन की खबर को कोरी अफवाह बताया है.

सरफराज ने कहा, ‘ये खबरें गलत हैं और ये केवल अफवाहें हैं…मेरे पिताजी हौस्पिटल में हैं.’ सरफराज का यह बयान कादर खान के फैन्स के लिए एक बड़ी राहत है. खबरों के अनुसार 81 वर्षीय अभिनेता को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. बताया जा रहा है कि वह अभी तक रेग्यूलर वेंटिलेटर पर थे और अब उन्हें BiPAP वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है. कादर खान की देखरेख के लिए उनके बेटा सरफराज खान और बहू कनाडा में ही हैं.

कादर खान की तबीयत को लेकर चल रही खबरों के बाद बौलीवुड सिलेब्रिटीज भी उनके अच्छे स्वास्थ्य की दुआएं करने लगे हैं. कादर खान की सेहत को लेकर चिंतित अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, ‘कादर खान, बेहद प्रतिभाशाली ऐक्टर और राइटर अस्पताल में हैं. उनकी सेहत के लिए दुआ करता हूं.’ बताना चाहेंगे कि अमिताभ बच्चन और कादर खान ने ‘दो और दो पांच’, ‘मुकद्दर का सिंकदर’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सुहाग’, ‘कुली’ और ‘शहंशाह’ जैसी यादगार फिल्मों में साथ काम किया है.

बहुत कुछ तकदीर पर निर्भर करता है : सिद्धार्थ जाधव

हिंदी भाषी सिनेमा के विशाल दर्शक वर्ग को देखते हुए हर भाषा का कलाकार हिंदी फिल्मों से जुड़ना चाहता है. मराठी, गुजराती, मलयालम, तमिल, बंगला, पंजाबी सहित हर भाषा के स्टार कलाकार हिंदी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाते आए हैं, कुछ सफल हुए तो कुछ अपनी भाषा के सिनेमा में वापस लौट गए. मराठी और हिंदी भाषी सिनेमा का गढ़ मुंबई में होने की वजह से इन दोनों भाषाओं के कलाकार एक दूसरे की भाषा में अक्सर काम करते आए हैं और कर रहे हैं. डा. श्री राम लागू, सचिन खेड़ेकर, सदाशिव अमरापुरकर सहित कई ऐसे मराठी भाषी कलाकार हैं, जिनकी पहचान हिंदी सिनेमा से ही है. कुछ कलाकार मराठी सिनेमा में अच्छा नाम कमाने के बावजूद बीच बीच में हिंदी सिनेमा में भी अपनी प्रतिभा दिखाते रहते हैं. इसी कड़ी में एक मराठी फिल्मों के व्यस्ततम कलाकार हैं- सिद्धार्थ जाधव, जो कि ‘गोलमाल’, ‘सिटी आफ गोल्ड’ सहित कई हिंदी फिल्मों व कौमेडी सर्कस’’ जैसे टीवी र्कायक्रम का हिस्सा रह चुके हैं. इन दिनों सिद्धार्थ जाधव 28 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘सिंबा’’ में सब इंस्पक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाकर चर्चा में हैं.

आप अपनी सफलता से खुश हैं?

2018 मेरे लिए बहुत ही बेहतर वर्ष रहा. इस वर्ष ‘सिंबा’ मेरी तीसरी फिल्म प्रदर्शित हो रही है. इससे पहले मेरी दो मराठी फिल्में ‘ए रे ए रे पैसा’ व ‘माउली’ प्रदर्शित हुई हैं. ‘ये रे ये रे पैसा’ और ‘माउली’ सुपर डुपर हिट थी. उम्मीद है कि ‘सिंबा’ भी सुपर डुटर हिट होगी. फिलहाल तो मैं 2018 की सफलता का आनंद उठा रहा हूं. सच यह है कि यहां मेरा कोई गौड फादर नही है. मैंने अभिनय की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. पर मेरे अंदर जो ठहराव है, वह मुझे मेरे परिवार ने दिया है.

18 साल के अभिनय करियर में आप हास्य किरदारों तक ही सीमित होकर रह गए हैं. इसकी क्या वजह है?

ऐसा नही है. आप मुझे देख रहे हैं. मेरे चेहरे की बनावट कैसी है? मैं खूबसूरत नही हूं. दांत भी बाहर रहते हैं. ऐसे में मैं जब किसी हास्य किरदार को निभाता हूं, तो वह लोगों को ज्यादा पसंद आता है. मैंने अपनी पहली फिल्म में तो सिर्फ एक सीन का किरदार निभाया था. पर मेरी हमेशा कोशिश रही कि एक सीन भी यादगार बन जाए. उन दिनों मुझे टीवी सीरियल मिल नहीं रहे थे. टीवी सीरियलों के लिए सुंदर चेहरे ढूंढ़े जाते थे. वास्तव में थिएटर पर मेरे अभिनय को देखकर लोगों को लगा कि यह देखने में भले खराब हो, पर अभिनेता बहुत अच्छा है. तो शुरूआत में मुझे कौमेडी किरदार ही मिले. दर्शकों का बहुत प्यार मिला. मैंने केदार शिंदे की फिल्मों में हीरो का किरदार भी निभाया है. पहली बार महेश मांजरेकर ने मुझे समझाया कि मैं एक अभिनेता हूं, कौमेडियन नहीं. उन्होंने मुझे फिल्म ‘मी शिवाजी राजे भोसले बोलते.’ में एकदम अलग तरह का किरदार निभाने को दिया. उसके बाद उन्होंने मुझे एक फिल्म में विलेन का किरदार दिया. हिंदी फिल्म ‘सिटी औफ गोल्ड’ में हकला का किरदार दिया, जो कि हास्य किरदार नही है. महेश मांजरेकर ने मुझसे अपनी किसी भी फिल्म में कौमेडी नहीं करवायी. मैंने एक फिल्म ‘डीमोल्ड’ में बलात्कारी का किरदार निभाया. इसके लिए 2016 में मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था. मराठी में मैं सिर्फ हास्य कलाकार नही हूं. हर तरह के किरदार निभाए है. मैंने कुछ बहुत ही संजीदा किरदार भी निभाए हैं. मैं अपने आपको खुशनसीब समझता हूं कि मराठी फिल्मों में जिस लड़के को पहले रिजेक्ट किया जाता था, आज उसी को बुलाकर फिल्में दी जा रही हैं. इतना ही नही यदि आप हिंदी फिल्म ‘सिंबा का ट्रेलर देखेंगे, उसमें मेरे किरदार में ह्यूमरस के साथ साथ कुछ अलग अंदाज भी मिलेगा. इसका संवाद है- ‘जब तक रेपिस्ट को पुलिस ठोकती नही है, तब तक कुछ नहीं बदलता.’ तो इसमें एक संजीदगी भी है. मेरा मानना है कि कलाकार के अंदर की संजीदगी को पहचानना एक निर्देशक का काम है. फिल्म ‘सिंबा’ में निर्देशक रोहित शेट्टी ने मेरे अंदर की प्रतिभा को पहचाना, जो कि अब फिल्म में नजर आएगी. तो मैं कौमेडी के परे जाकर भी बहुत काम कर रहा हूं. यह सब निर्देशकों की वजह से संभव हो पा रहा है.

रोहित शेट्टी के साथ आपने 12 साल बाद फिल्म सिंबा की. बीच में कोई फिल्म नहीं की?

रोहित शेट्टी ने ‘गोलमाल’ के बाद अपनी हर फिल्म के लिए याद किया. लेकिन तारीखों की समस्या के चलते मैं कर नहीं पाया. क्योंकि मैं मराठी फिल्मों में बहुत व्यस्त हूं. मुझे मजबूरन उन्हें ‘सिंघम’ व ‘दिलवाले’ के लिए भी मना करना पड़ा था.

फिल्म सिंबा के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

इस फिल्म में मैंने सब पुलिस इंस्पेक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाया है, जो कि सिंबा यानी कि रणवीर सिंह की टीम का हिस्सा है. पूरी फिल्म में वह सिंबा के साथ है और जो कुछ होता है, उसका एकमात्र गवाह संतोष तावड़े ही है. इससे अधिक जानकारी देकर दर्शकों की उत्सुकता खत्म नहीं करना चाहता. मेरा किरदार इस बात को रेखांकित करता है कि जब तक पुलिस के लोग कुछ ठोस कदम नही उठाएंगे, तब तक समाज में बदलाव नही आएगा. ट्रेलर देखकर लोगों ने मुझे बहुत अच्छे संदेश भेजे हैं. पूरी फिल्म में मेरा यह संजीदा किरदार सरप्राइज फैक्टर है.

मराठी की तरह हिंदी फिल्मों में आप कम नजर आते हैं?

देखिए, बहुत कुछ तकदीर पर निर्भर करता है. मैंने कुछ हिंदी की फिल्में की हैं, जो कि अब तक सिनेमाघरो में नहीं पहुंच पायी. मसलन, विश्राम सावंत निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘शूटर’’ की है, जिसमें रणदीप हुड्डा भी हैं. पर यह फिल्म अब तक प्रदर्शित नहीं हुई. मैंने भाषा की बजाय कहानी और किरदारों को ही महत्व दिया है. मैं मराठी में तो बहुत विविध तरह के किरदार निभा रहा हूं और बहुत व्यस्त हूं. मैं मराठी में हीरो भी बन रहा हूं. आइटम नंबर भी कर रहा हूं. तो वहीं ‘माउली’ जैसी फिल्म में हीरो का दोस्त बन जाता हूं.

हिंदी फिल्मों में यदि आप हीरो के दोस्त बनते हैं, तो फिर हीरो के किरदार मिलने मुश्किल हो जाते हैं ?

मैं यह सब नहीं मानता. मेरे लिए काम काम होता है. मैंने किरदार की लंबाई के बजाय किरदार की ताकत पर भरोसा किया. मैंने फिल्म ‘फास्टर फैनी’ में तीन सीन का किरदार निभाया था, जिसके लिए मुझे सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार का पुरस्कार मिला था. मैं तो अच्छा काम करने में यकीन करता हूं. कलाकार के तौर पर मैं दूसरे कलाकारों के साथ भी अपनी तुलना नहीं करता.

इन दिनों मराठी फिल्मों की जो स्थिति है, उसको लेकर क्या कहना चाहेंगे?

बहुत अच्छा दौर चल रहा है. अच्छी कहानी पर फिल्में बन रही हैं. ‘श्वास’ के बाद मराठी फिल्मों में जो परिवर्तन का दौर शुरू हुआ, वह कमाल का रहा. अब तो मराठी सिनेमा कंटेंट प्रधान हो गया है. इस तरह का बेहतरीन सिनेमा हिंदी में भी नही बन रहा है. मराठी सिनेमा की प्रतिस्पर्धा विश्व सिनेमा के साथ है. मराठी सिनेमा में बहुत अच्छे प्रयोग हो रहे हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मैं ऐसे सिनेमा का हिस्सा हूं. इन दिनों हिंदी से ज्यादा सफलता मराठी भाषा की फिल्में बटोर रही हैं.

2019 में आपकी कौन सी फिल्म आने वाली हैं?

मेरी मराठी की तीन फिल्में लगभग पूरी हैं. 2019 में ‘सर्व लाइन व्यस्त आहे’ सहित मेरी तीन फिल्में रिलीज होंगी. इसके अलावा मैं हिंदी के बहुत बड़े निर्देशक की मराठी फिल्म कर रहा हूं, जिसके बारे में अभी कुछ बता नहीं सकता. इस फिल्म की शूटिंग 20 जनवरी से शुरू होगी.

बिना दवा खाए करें अस्थमा का इलाज

अस्थमा एक गंभीर बीमारी बनती जा रही है. प्रदूषण के कारण बच्चों से लिए बुजुर्गों में ये बीमारी आम हो गई है. ऐसे में डाक्टरों और दवाइयों पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मछली का इस्तेमाल कर आप कैसे इस रोग से छुटकारा पा सकती हैं.

बच्चों में बढ़ रही अस्थमा की बीमारी के बाबत एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है. एक शोध में या बात सामने आई कि सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को अपने आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है.

औस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में ये पता चला है कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब 6 महीने तक वसा युक्त मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार पाया गया.

इस अध्ययन को ‘ह्यूमन न्यूट्रिशन ऐंड डायटेटिक्स’ में हाल ही में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया कि पौष्टिक आहार, बच्चों में अस्थमा का संभावित इलाज हो सकता है.

कई जानकारों का मानना है कि जाहिरतौर पर वसा, चीनी, नमक बच्चों में अस्थमा के बढ़ने को प्रभावित करता है. पर पौष्टिक भोजन से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है.

आपको बता दें कि वसा युक्त मछलियों में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं. सप्ताह में दो बार या ज्यादा मछली खाने से अस्थमा से पीड़ित बच्चों के फेफड़े के सूजन में कमी आ सकती है.

हेयर टूल्स के बेहतरीन उपयोग

बालों की स्टाइलिंग करने के लिए हम जिन टूल्स का इस्तेमाल करते हैं उन का और बेहतरीन उपयोग कर के अपनी ब्यूटी को इनहैंस तभी कर सकते हैं जब आप को यह पता हो कि इन का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.

आइए, जानते हैं हेयर टूल्स के इस्तेमाल का बेहतर तरीका:

हेयर कौंब्स

कंघियां न सिर्फ लकड़ी की, बल्कि प्लास्टिक, मैटल इत्यादि से भी बनती हैं. बेहतर रिजल्ट के लिए अलगअलग स्कैल्प, हेयरस्टाइल और बालों की शैली के हिसाब से कंघी का प्रयोग किया जाता है

फाइन टूथ टेल कौंब: यह कंघी नौर्मल कंघी के जैसी ही लगती है. लेकिन इस के पौइंट लंबे और सौफ्ट होते हैं. ऐसी कंघियों का इस्तेमाल बालों को अलग लुक देने और बालों को 2 भागों में विभाजित करने के लिए भी किया जाता है.

बड़े दांतों वाली कंघी: यह उलझे बालों को सुलझाने में मदद करती है, जिस से बाल टूटने और गिरने से बचते हैं.

Comb

रेक कंघी: अगर आप के बाल उलझे और घुंघराले हैं तो इस के लिए आप इस हेयर ब्रश का इस्तेमाल कर सकती हैं.

टीजिंग कौंब: अगर आप अपने बालों में बैककौंबिंग करती हैं तो इस के लिए यह काफी फायदेमंद है. इस कौंब के इस्तेमाल से आप अपने बालों में बैककौंबिंग कर सकती हैं जोकि आप के बालों को एक नया स्टालिश लुक देगी.

कटिंग कौंब: कटिंग के लिए प्रयोग किए जाने वाले कौंब को कटिंग कौंब के नाम से जाना जाता है. डिफरैंट कट्स के लिए कटिंग कौंब की जरूरत होती है. छोटे बालों की स्टाइलिंग के लिए भी इस कौंब का इस्तेमाल किया जाता है.

पैडल ब्रश: इस कंघी में बड़े पैडल होते हैं जोकि हमारे बालों को कोमल बनाने में मदद करते हैं. यह हेयरब्रश उन के लिए काफी फायदेमंद है जिन के बाल काफी उलझे और कमजोर होते हैं. यह बालों के घुंघरालेपन को कम करती है और बालों को सिल्की बनाने में मदद करता है.

Comb

लेजर कौंब: लेजर कंघी कम पावर की लेजर किरणें पैदा करने वाली डिवाइस है जो बालों के रूप को संवारती है. इस से निकलने वाली कम पावर की लाल किरणें स्कैल्प तक जा कर त्वचा और बालों को खूबसूरत बनाती हैं. लेजर कंघी पतले बालों वाली या गर्भावस्था के दौरान बाल झड़ने की समस्या से परेशान महिलाओं के लिए एक कारगर विकल्प है. बेहतर परिणाम के लिए इस का उपयोग नियमित तौर पर किया जाना चाहिए.

हेयर पिन

बालों को अलग व खास स्टाइल देना हो, तो इस के लिए हेयर पिंस और क्लिप्स की आवश्यकता होती है. हेयर पिन और क्लिप सामान्यत: मेटल से बने होते हैं और इन की संरचना घुमावदार होती है. ये बालों को होल्ड कर के रखते हैं और सुंदरता को भी बढ़ाते हैं.

बौबी पिन: किसी भी हेयरस्टाइल के लिए बौबी पिन की जरूरत सब से ज्यादा महसूस होती है. चाहे कोई जूड़ा बनाना हो या सिर्फ आगे की लटों को पीछे कर के होल्ड करना हो, बिना बौबी पिन के कुछ भी नहीं हो सकता. अलगअलग केशविन्यास के हिसाब से बौबी पिन भी कई तरह के आते हैं.

bobby-pins

सामान्य बौबी पिन: ये हर तरह की चोटी को सैट करने और अलग हेयरस्टाइल के लिए उपयुक्त होते हैं.

छोटी बौबी पिन: यह पतले बालों के लिए उपयुक्त हैं. बालों को होल्ड करने के लिए अगर रबर बैंड इलास्टिक का प्रयोग किया जाए तो इलास्टिक के आसपास इन्हें लगाने से बाल अच्छी तरह सैट हो जाते हैं.

जंबो पिन: मोटे, घुंघराले बालों के लिए इस प्रकार के बौबी पिन सही होते हैं.

यू पिन: इन्हें वी पिन या सिर्फ हेयर पिन भी कहा जाता है. इन का इस्तेमाल इधरउधर बिखरी लटों को जूड़े में सैट करने के लिए किया जाता है.

बारेट: बारेट पिंस महिलाओं को काफी पसंद होती हैं. इन्हें इस्तेमाल करना आसान होता है और ये बालों को अच्छी तरह होल्ड करती हैं. ये पोनीटेल, अप डू और कई तरह के हेयर डू के लिए परफैक्ट हेयर पिन हैं. ये कई तरह के आकर्षक डिजाइंस में आती हैं.

Uhairpin

बंपिट: यह नई तरह के पिन हैं, जिन का इस्तेमाल मुख्य रूप से पफ बनाने के लिए किया जाता है.

डबल इनसैट हेयर पिन: डबल इनसैट हेयर पिन की मदद से आप अपने बालों को अच्छे से पिनअप कर सकती हैं. यह बालों को बेहतर और आकर्षक लुक देती है.

ब्रोच या ज्वैल पिन: इस का इस्तेमाल ज्यादातर किसी खास मौके पर किया जाता है. ब्रोच से आप अपने बालों को अपने चेहरे की तरफ से गिरते हुए बांध सकती हैं. इसे आप कई तरह के आकार और डिजाइन में ले सकती हैं.

हेयर क्लिप्स

पिंस की तरह ही क्लिप्स भी बालों को संवारने में मददगार हैं.

बनाना क्लिप: बनाना क्लिप एक घुमावदार क्लिप है, जो एक सिरे पर खुलती और बंद होती है. यह हर तरह की बनावट वाले बालों के लिए उपयुक्त है. इस का इस्तेमाल विशेष रूप से अप डू हेयरस्टाइल के लिए किया जाता है.

banana clip

स्नैप क्लिप: ये मैटल क्लिप्स कई रगों व आकारों में उपलब्ध होते हैं. इन्हें बच्चियां व टीन ऐजर्स लड़कियां ज्यादा इस्तेमाल करती हैं. इन्हें बालों में फंसा कर बंद किया जाता है. इन का इस्तेमाल बिखरी हुई लटों को होल्ड करने के लिए होता है और ये ज्यादातर कैजुअल लुक के लिए इस्तेमाल की जाती हैं.

हेयरबैंड: आजकल मार्केट में कई तरह के हेयरबैंड मिल जाते हैं. हेयरबैंड को बालों में एक ऐक्सैसरीज के तौर पर इस्तेमाल करने से आप का लुक एकदम क्यूट लगने लगता है.

इस से आप पोनीटेल भी बना सकती हैं. अगर आप दोस्तों के साथ किसी गैटटूगैदर में जा रही हैं तो ऐसे में आप अपने लुक को स्टालिश बना सकती हैं.

हेयरबैंड का इस्तेमाल करते समय यह ध्यान रखें कि यह ज्यादा भारी या फिर चमकीला न हो. हमेशा एक सोबर हेयरबैंड का इस्तेमाल करें. इसी तरह हेयर बैरेट एक तरह की लकड़ी और प्लास्टिक का टुकड़ा होता है जो आप के बालों को बांधने के लिए साथसाथ उन्हें स्टाइलिश लुक भी देता है. अगर आप के बाल छोटे हैं तो आप भी इस का इस्तेमाल कर सकती हैं.

लौंग हेयर ऐक्सटैंशन: लौंग हेयर ऐक्सटैंशन छोटे बालों को लंबाई दे कर आप को अलग लुक देता है. इसे आप अपने बालों पर जोड़ कर अपने बालों को एक स्टाइलिश लुक दे सकती हैं. इस के अलावा आप चाहें तो एकसाथ 2 अलगअलग रंगों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

हेयर रोलर्स

रोलर्स से बेहतरीन रिजल्ट पाने के लिए इस का प्रयोग करने से पहले बालों को एक शैंपू से साफ कर लेना अच्छा होता है. अगर आप शैंपू लगाने के बाद कंडीशनर का प्रयोग कर सकें तो और भी अच्छा होगा. इस समय आप के बालों का पूरी तरह मुलायम होना जरूरी है.

कोमल बालों के लिए आप को सौफ्टनर का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आप को अपने कर्ल कोमल और मुलायम बनाने हों तो अमोनिया बेस्ड और हार्ड शैंपू का प्रयोग बिलकुल न करें. बालों पर कंघी कर के इन की उलझनें सुलझा लेने के बाद बालों को घना दिखाने के लिए हेयर मूस का प्रयोग किया जाता है. बाजार में बालों को टैक्सचर प्रदान करने के लिए कई तरह के उत्पाद उपलब्ध हैं जिन की मदद से आप आसानी से अपने बालों को डैंसिटी प्रदान कर सकती हैं.

– आश्मीन मुंजाल

(फाउंडर, स्टार सलून ऐंड ऐकैडमी)

इन राज्यों की महिलाएं कमाती हैं पुरुषों से ज्यादा, ये राज्य हैं पीछे

महिलाएं कमाई के मामले में पुरुषों से बेहतर स्थिति में आ गई हैं. अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दिल्ली और पंजाब जैसे इलाकों में महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा सैलरी मिलती है. एक रिपोर्ट की माने तो इन हिस्सों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का औसत वेतन 77 फीसदी है.

वहीं उत्तराखंड, राजस्थान, गोवा जैसी जगहों के शहरी इलाकों में महिलाओं और पुरुषों की सैलरी के बीच मामूली अंतर है.

नागालैंड और सिक्किम जैसे प्रदेशों के शहरी और ग्रामिण क्षेत्रों की महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा कमाती हैं. आपको बता दें कि सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड 5 ऐसे राज्य हैं जहां ग्रामीण महिलाओं का वेतन सबसे ज्यादा है. इन 5 राज्यों में शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाओं का औसत वेतन 55 फीसदी है.

एक ओर जहां इन राज्यों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति पुरुषों से बेहतर है, वहीं कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां महिलाओं की आर्थिक स्थिति पुरुषों से बुरी है. इनमें पुड्डुचेरी, मध्य प्रदेश, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और गुजरात हैं.

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