कादर खान के निधन की खबरों पर बोले उनके बेटे सरफराज

पिछले कुछ समय से बौलीवुड के दिग्गज अभिनेता और डायलौग रायटर कादर खान बीमार चल रहे हैं और उनका इलाज कनाडा में चल रहा है. पिछले दिनों खबर आई कि उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. इस बीच सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का सिलसिला चल पड़ा. रविवार रात सोशल मीडिया पर अफवाह फैल गई थी कि कादर खान नहीं रहे. निधन की खबर से उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई. लेकिन उनके प्रशंसकों के लिए अच्छी खबर यह है कि उनके निधन की खबर सिर्फ एक अफवाह है. खुद उनके बेटे सरफराज खान ने निधन की खबर को कोरी अफवाह बताया है.

सरफराज ने कहा, ‘ये खबरें गलत हैं और ये केवल अफवाहें हैं…मेरे पिताजी हौस्पिटल में हैं.’ सरफराज का यह बयान कादर खान के फैन्स के लिए एक बड़ी राहत है. खबरों के अनुसार 81 वर्षीय अभिनेता को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. बताया जा रहा है कि वह अभी तक रेग्यूलर वेंटिलेटर पर थे और अब उन्हें BiPAP वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है. कादर खान की देखरेख के लिए उनके बेटा सरफराज खान और बहू कनाडा में ही हैं.

कादर खान की तबीयत को लेकर चल रही खबरों के बाद बौलीवुड सिलेब्रिटीज भी उनके अच्छे स्वास्थ्य की दुआएं करने लगे हैं. कादर खान की सेहत को लेकर चिंतित अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, ‘कादर खान, बेहद प्रतिभाशाली ऐक्टर और राइटर अस्पताल में हैं. उनकी सेहत के लिए दुआ करता हूं.’ बताना चाहेंगे कि अमिताभ बच्चन और कादर खान ने ‘दो और दो पांच’, ‘मुकद्दर का सिंकदर’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सुहाग’, ‘कुली’ और ‘शहंशाह’ जैसी यादगार फिल्मों में साथ काम किया है.

बहुत कुछ तकदीर पर निर्भर करता है : सिद्धार्थ जाधव

हिंदी भाषी सिनेमा के विशाल दर्शक वर्ग को देखते हुए हर भाषा का कलाकार हिंदी फिल्मों से जुड़ना चाहता है. मराठी, गुजराती, मलयालम, तमिल, बंगला, पंजाबी सहित हर भाषा के स्टार कलाकार हिंदी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाते आए हैं, कुछ सफल हुए तो कुछ अपनी भाषा के सिनेमा में वापस लौट गए. मराठी और हिंदी भाषी सिनेमा का गढ़ मुंबई में होने की वजह से इन दोनों भाषाओं के कलाकार एक दूसरे की भाषा में अक्सर काम करते आए हैं और कर रहे हैं. डा. श्री राम लागू, सचिन खेड़ेकर, सदाशिव अमरापुरकर सहित कई ऐसे मराठी भाषी कलाकार हैं, जिनकी पहचान हिंदी सिनेमा से ही है. कुछ कलाकार मराठी सिनेमा में अच्छा नाम कमाने के बावजूद बीच बीच में हिंदी सिनेमा में भी अपनी प्रतिभा दिखाते रहते हैं. इसी कड़ी में एक मराठी फिल्मों के व्यस्ततम कलाकार हैं- सिद्धार्थ जाधव, जो कि ‘गोलमाल’, ‘सिटी आफ गोल्ड’ सहित कई हिंदी फिल्मों व कौमेडी सर्कस’’ जैसे टीवी र्कायक्रम का हिस्सा रह चुके हैं. इन दिनों सिद्धार्थ जाधव 28 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘सिंबा’’ में सब इंस्पक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाकर चर्चा में हैं.

आप अपनी सफलता से खुश हैं?

2018 मेरे लिए बहुत ही बेहतर वर्ष रहा. इस वर्ष ‘सिंबा’ मेरी तीसरी फिल्म प्रदर्शित हो रही है. इससे पहले मेरी दो मराठी फिल्में ‘ए रे ए रे पैसा’ व ‘माउली’ प्रदर्शित हुई हैं. ‘ये रे ये रे पैसा’ और ‘माउली’ सुपर डुपर हिट थी. उम्मीद है कि ‘सिंबा’ भी सुपर डुटर हिट होगी. फिलहाल तो मैं 2018 की सफलता का आनंद उठा रहा हूं. सच यह है कि यहां मेरा कोई गौड फादर नही है. मैंने अभिनय की कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. पर मेरे अंदर जो ठहराव है, वह मुझे मेरे परिवार ने दिया है.

18 साल के अभिनय करियर में आप हास्य किरदारों तक ही सीमित होकर रह गए हैं. इसकी क्या वजह है?

ऐसा नही है. आप मुझे देख रहे हैं. मेरे चेहरे की बनावट कैसी है? मैं खूबसूरत नही हूं. दांत भी बाहर रहते हैं. ऐसे में मैं जब किसी हास्य किरदार को निभाता हूं, तो वह लोगों को ज्यादा पसंद आता है. मैंने अपनी पहली फिल्म में तो सिर्फ एक सीन का किरदार निभाया था. पर मेरी हमेशा कोशिश रही कि एक सीन भी यादगार बन जाए. उन दिनों मुझे टीवी सीरियल मिल नहीं रहे थे. टीवी सीरियलों के लिए सुंदर चेहरे ढूंढ़े जाते थे. वास्तव में थिएटर पर मेरे अभिनय को देखकर लोगों को लगा कि यह देखने में भले खराब हो, पर अभिनेता बहुत अच्छा है. तो शुरूआत में मुझे कौमेडी किरदार ही मिले. दर्शकों का बहुत प्यार मिला. मैंने केदार शिंदे की फिल्मों में हीरो का किरदार भी निभाया है. पहली बार महेश मांजरेकर ने मुझे समझाया कि मैं एक अभिनेता हूं, कौमेडियन नहीं. उन्होंने मुझे फिल्म ‘मी शिवाजी राजे भोसले बोलते.’ में एकदम अलग तरह का किरदार निभाने को दिया. उसके बाद उन्होंने मुझे एक फिल्म में विलेन का किरदार दिया. हिंदी फिल्म ‘सिटी औफ गोल्ड’ में हकला का किरदार दिया, जो कि हास्य किरदार नही है. महेश मांजरेकर ने मुझसे अपनी किसी भी फिल्म में कौमेडी नहीं करवायी. मैंने एक फिल्म ‘डीमोल्ड’ में बलात्कारी का किरदार निभाया. इसके लिए 2016 में मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था. मराठी में मैं सिर्फ हास्य कलाकार नही हूं. हर तरह के किरदार निभाए है. मैंने कुछ बहुत ही संजीदा किरदार भी निभाए हैं. मैं अपने आपको खुशनसीब समझता हूं कि मराठी फिल्मों में जिस लड़के को पहले रिजेक्ट किया जाता था, आज उसी को बुलाकर फिल्में दी जा रही हैं. इतना ही नही यदि आप हिंदी फिल्म ‘सिंबा का ट्रेलर देखेंगे, उसमें मेरे किरदार में ह्यूमरस के साथ साथ कुछ अलग अंदाज भी मिलेगा. इसका संवाद है- ‘जब तक रेपिस्ट को पुलिस ठोकती नही है, तब तक कुछ नहीं बदलता.’ तो इसमें एक संजीदगी भी है. मेरा मानना है कि कलाकार के अंदर की संजीदगी को पहचानना एक निर्देशक का काम है. फिल्म ‘सिंबा’ में निर्देशक रोहित शेट्टी ने मेरे अंदर की प्रतिभा को पहचाना, जो कि अब फिल्म में नजर आएगी. तो मैं कौमेडी के परे जाकर भी बहुत काम कर रहा हूं. यह सब निर्देशकों की वजह से संभव हो पा रहा है.

रोहित शेट्टी के साथ आपने 12 साल बाद फिल्म सिंबा की. बीच में कोई फिल्म नहीं की?

रोहित शेट्टी ने ‘गोलमाल’ के बाद अपनी हर फिल्म के लिए याद किया. लेकिन तारीखों की समस्या के चलते मैं कर नहीं पाया. क्योंकि मैं मराठी फिल्मों में बहुत व्यस्त हूं. मुझे मजबूरन उन्हें ‘सिंघम’ व ‘दिलवाले’ के लिए भी मना करना पड़ा था.

फिल्म सिंबा के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

इस फिल्म में मैंने सब पुलिस इंस्पेक्टर संतोष तावड़े का किरदार निभाया है, जो कि सिंबा यानी कि रणवीर सिंह की टीम का हिस्सा है. पूरी फिल्म में वह सिंबा के साथ है और जो कुछ होता है, उसका एकमात्र गवाह संतोष तावड़े ही है. इससे अधिक जानकारी देकर दर्शकों की उत्सुकता खत्म नहीं करना चाहता. मेरा किरदार इस बात को रेखांकित करता है कि जब तक पुलिस के लोग कुछ ठोस कदम नही उठाएंगे, तब तक समाज में बदलाव नही आएगा. ट्रेलर देखकर लोगों ने मुझे बहुत अच्छे संदेश भेजे हैं. पूरी फिल्म में मेरा यह संजीदा किरदार सरप्राइज फैक्टर है.

मराठी की तरह हिंदी फिल्मों में आप कम नजर आते हैं?

देखिए, बहुत कुछ तकदीर पर निर्भर करता है. मैंने कुछ हिंदी की फिल्में की हैं, जो कि अब तक सिनेमाघरो में नहीं पहुंच पायी. मसलन, विश्राम सावंत निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘शूटर’’ की है, जिसमें रणदीप हुड्डा भी हैं. पर यह फिल्म अब तक प्रदर्शित नहीं हुई. मैंने भाषा की बजाय कहानी और किरदारों को ही महत्व दिया है. मैं मराठी में तो बहुत विविध तरह के किरदार निभा रहा हूं और बहुत व्यस्त हूं. मैं मराठी में हीरो भी बन रहा हूं. आइटम नंबर भी कर रहा हूं. तो वहीं ‘माउली’ जैसी फिल्म में हीरो का दोस्त बन जाता हूं.

हिंदी फिल्मों में यदि आप हीरो के दोस्त बनते हैं, तो फिर हीरो के किरदार मिलने मुश्किल हो जाते हैं ?

मैं यह सब नहीं मानता. मेरे लिए काम काम होता है. मैंने किरदार की लंबाई के बजाय किरदार की ताकत पर भरोसा किया. मैंने फिल्म ‘फास्टर फैनी’ में तीन सीन का किरदार निभाया था, जिसके लिए मुझे सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार का पुरस्कार मिला था. मैं तो अच्छा काम करने में यकीन करता हूं. कलाकार के तौर पर मैं दूसरे कलाकारों के साथ भी अपनी तुलना नहीं करता.

इन दिनों मराठी फिल्मों की जो स्थिति है, उसको लेकर क्या कहना चाहेंगे?

बहुत अच्छा दौर चल रहा है. अच्छी कहानी पर फिल्में बन रही हैं. ‘श्वास’ के बाद मराठी फिल्मों में जो परिवर्तन का दौर शुरू हुआ, वह कमाल का रहा. अब तो मराठी सिनेमा कंटेंट प्रधान हो गया है. इस तरह का बेहतरीन सिनेमा हिंदी में भी नही बन रहा है. मराठी सिनेमा की प्रतिस्पर्धा विश्व सिनेमा के साथ है. मराठी सिनेमा में बहुत अच्छे प्रयोग हो रहे हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मैं ऐसे सिनेमा का हिस्सा हूं. इन दिनों हिंदी से ज्यादा सफलता मराठी भाषा की फिल्में बटोर रही हैं.

2019 में आपकी कौन सी फिल्म आने वाली हैं?

मेरी मराठी की तीन फिल्में लगभग पूरी हैं. 2019 में ‘सर्व लाइन व्यस्त आहे’ सहित मेरी तीन फिल्में रिलीज होंगी. इसके अलावा मैं हिंदी के बहुत बड़े निर्देशक की मराठी फिल्म कर रहा हूं, जिसके बारे में अभी कुछ बता नहीं सकता. इस फिल्म की शूटिंग 20 जनवरी से शुरू होगी.

बिना दवा खाए करें अस्थमा का इलाज

अस्थमा एक गंभीर बीमारी बनती जा रही है. प्रदूषण के कारण बच्चों से लिए बुजुर्गों में ये बीमारी आम हो गई है. ऐसे में डाक्टरों और दवाइयों पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मछली का इस्तेमाल कर आप कैसे इस रोग से छुटकारा पा सकती हैं.

बच्चों में बढ़ रही अस्थमा की बीमारी के बाबत एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है. एक शोध में या बात सामने आई कि सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को अपने आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है.

औस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में ये पता चला है कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब 6 महीने तक वसा युक्त मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार पाया गया.

इस अध्ययन को ‘ह्यूमन न्यूट्रिशन ऐंड डायटेटिक्स’ में हाल ही में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया कि पौष्टिक आहार, बच्चों में अस्थमा का संभावित इलाज हो सकता है.

कई जानकारों का मानना है कि जाहिरतौर पर वसा, चीनी, नमक बच्चों में अस्थमा के बढ़ने को प्रभावित करता है. पर पौष्टिक भोजन से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है.

आपको बता दें कि वसा युक्त मछलियों में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं. सप्ताह में दो बार या ज्यादा मछली खाने से अस्थमा से पीड़ित बच्चों के फेफड़े के सूजन में कमी आ सकती है.

हेयर टूल्स के बेहतरीन उपयोग

बालों की स्टाइलिंग करने के लिए हम जिन टूल्स का इस्तेमाल करते हैं उन का और बेहतरीन उपयोग कर के अपनी ब्यूटी को इनहैंस तभी कर सकते हैं जब आप को यह पता हो कि इन का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है.

आइए, जानते हैं हेयर टूल्स के इस्तेमाल का बेहतर तरीका:

हेयर कौंब्स

कंघियां न सिर्फ लकड़ी की, बल्कि प्लास्टिक, मैटल इत्यादि से भी बनती हैं. बेहतर रिजल्ट के लिए अलगअलग स्कैल्प, हेयरस्टाइल और बालों की शैली के हिसाब से कंघी का प्रयोग किया जाता है

फाइन टूथ टेल कौंब: यह कंघी नौर्मल कंघी के जैसी ही लगती है. लेकिन इस के पौइंट लंबे और सौफ्ट होते हैं. ऐसी कंघियों का इस्तेमाल बालों को अलग लुक देने और बालों को 2 भागों में विभाजित करने के लिए भी किया जाता है.

बड़े दांतों वाली कंघी: यह उलझे बालों को सुलझाने में मदद करती है, जिस से बाल टूटने और गिरने से बचते हैं.

Comb

रेक कंघी: अगर आप के बाल उलझे और घुंघराले हैं तो इस के लिए आप इस हेयर ब्रश का इस्तेमाल कर सकती हैं.

टीजिंग कौंब: अगर आप अपने बालों में बैककौंबिंग करती हैं तो इस के लिए यह काफी फायदेमंद है. इस कौंब के इस्तेमाल से आप अपने बालों में बैककौंबिंग कर सकती हैं जोकि आप के बालों को एक नया स्टालिश लुक देगी.

कटिंग कौंब: कटिंग के लिए प्रयोग किए जाने वाले कौंब को कटिंग कौंब के नाम से जाना जाता है. डिफरैंट कट्स के लिए कटिंग कौंब की जरूरत होती है. छोटे बालों की स्टाइलिंग के लिए भी इस कौंब का इस्तेमाल किया जाता है.

पैडल ब्रश: इस कंघी में बड़े पैडल होते हैं जोकि हमारे बालों को कोमल बनाने में मदद करते हैं. यह हेयरब्रश उन के लिए काफी फायदेमंद है जिन के बाल काफी उलझे और कमजोर होते हैं. यह बालों के घुंघरालेपन को कम करती है और बालों को सिल्की बनाने में मदद करता है.

Comb

लेजर कौंब: लेजर कंघी कम पावर की लेजर किरणें पैदा करने वाली डिवाइस है जो बालों के रूप को संवारती है. इस से निकलने वाली कम पावर की लाल किरणें स्कैल्प तक जा कर त्वचा और बालों को खूबसूरत बनाती हैं. लेजर कंघी पतले बालों वाली या गर्भावस्था के दौरान बाल झड़ने की समस्या से परेशान महिलाओं के लिए एक कारगर विकल्प है. बेहतर परिणाम के लिए इस का उपयोग नियमित तौर पर किया जाना चाहिए.

हेयर पिन

बालों को अलग व खास स्टाइल देना हो, तो इस के लिए हेयर पिंस और क्लिप्स की आवश्यकता होती है. हेयर पिन और क्लिप सामान्यत: मेटल से बने होते हैं और इन की संरचना घुमावदार होती है. ये बालों को होल्ड कर के रखते हैं और सुंदरता को भी बढ़ाते हैं.

बौबी पिन: किसी भी हेयरस्टाइल के लिए बौबी पिन की जरूरत सब से ज्यादा महसूस होती है. चाहे कोई जूड़ा बनाना हो या सिर्फ आगे की लटों को पीछे कर के होल्ड करना हो, बिना बौबी पिन के कुछ भी नहीं हो सकता. अलगअलग केशविन्यास के हिसाब से बौबी पिन भी कई तरह के आते हैं.

bobby-pins

सामान्य बौबी पिन: ये हर तरह की चोटी को सैट करने और अलग हेयरस्टाइल के लिए उपयुक्त होते हैं.

छोटी बौबी पिन: यह पतले बालों के लिए उपयुक्त हैं. बालों को होल्ड करने के लिए अगर रबर बैंड इलास्टिक का प्रयोग किया जाए तो इलास्टिक के आसपास इन्हें लगाने से बाल अच्छी तरह सैट हो जाते हैं.

जंबो पिन: मोटे, घुंघराले बालों के लिए इस प्रकार के बौबी पिन सही होते हैं.

यू पिन: इन्हें वी पिन या सिर्फ हेयर पिन भी कहा जाता है. इन का इस्तेमाल इधरउधर बिखरी लटों को जूड़े में सैट करने के लिए किया जाता है.

बारेट: बारेट पिंस महिलाओं को काफी पसंद होती हैं. इन्हें इस्तेमाल करना आसान होता है और ये बालों को अच्छी तरह होल्ड करती हैं. ये पोनीटेल, अप डू और कई तरह के हेयर डू के लिए परफैक्ट हेयर पिन हैं. ये कई तरह के आकर्षक डिजाइंस में आती हैं.

Uhairpin

बंपिट: यह नई तरह के पिन हैं, जिन का इस्तेमाल मुख्य रूप से पफ बनाने के लिए किया जाता है.

डबल इनसैट हेयर पिन: डबल इनसैट हेयर पिन की मदद से आप अपने बालों को अच्छे से पिनअप कर सकती हैं. यह बालों को बेहतर और आकर्षक लुक देती है.

ब्रोच या ज्वैल पिन: इस का इस्तेमाल ज्यादातर किसी खास मौके पर किया जाता है. ब्रोच से आप अपने बालों को अपने चेहरे की तरफ से गिरते हुए बांध सकती हैं. इसे आप कई तरह के आकार और डिजाइन में ले सकती हैं.

हेयर क्लिप्स

पिंस की तरह ही क्लिप्स भी बालों को संवारने में मददगार हैं.

बनाना क्लिप: बनाना क्लिप एक घुमावदार क्लिप है, जो एक सिरे पर खुलती और बंद होती है. यह हर तरह की बनावट वाले बालों के लिए उपयुक्त है. इस का इस्तेमाल विशेष रूप से अप डू हेयरस्टाइल के लिए किया जाता है.

banana clip

स्नैप क्लिप: ये मैटल क्लिप्स कई रगों व आकारों में उपलब्ध होते हैं. इन्हें बच्चियां व टीन ऐजर्स लड़कियां ज्यादा इस्तेमाल करती हैं. इन्हें बालों में फंसा कर बंद किया जाता है. इन का इस्तेमाल बिखरी हुई लटों को होल्ड करने के लिए होता है और ये ज्यादातर कैजुअल लुक के लिए इस्तेमाल की जाती हैं.

हेयरबैंड: आजकल मार्केट में कई तरह के हेयरबैंड मिल जाते हैं. हेयरबैंड को बालों में एक ऐक्सैसरीज के तौर पर इस्तेमाल करने से आप का लुक एकदम क्यूट लगने लगता है.

इस से आप पोनीटेल भी बना सकती हैं. अगर आप दोस्तों के साथ किसी गैटटूगैदर में जा रही हैं तो ऐसे में आप अपने लुक को स्टालिश बना सकती हैं.

हेयरबैंड का इस्तेमाल करते समय यह ध्यान रखें कि यह ज्यादा भारी या फिर चमकीला न हो. हमेशा एक सोबर हेयरबैंड का इस्तेमाल करें. इसी तरह हेयर बैरेट एक तरह की लकड़ी और प्लास्टिक का टुकड़ा होता है जो आप के बालों को बांधने के लिए साथसाथ उन्हें स्टाइलिश लुक भी देता है. अगर आप के बाल छोटे हैं तो आप भी इस का इस्तेमाल कर सकती हैं.

लौंग हेयर ऐक्सटैंशन: लौंग हेयर ऐक्सटैंशन छोटे बालों को लंबाई दे कर आप को अलग लुक देता है. इसे आप अपने बालों पर जोड़ कर अपने बालों को एक स्टाइलिश लुक दे सकती हैं. इस के अलावा आप चाहें तो एकसाथ 2 अलगअलग रंगों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

हेयर रोलर्स

रोलर्स से बेहतरीन रिजल्ट पाने के लिए इस का प्रयोग करने से पहले बालों को एक शैंपू से साफ कर लेना अच्छा होता है. अगर आप शैंपू लगाने के बाद कंडीशनर का प्रयोग कर सकें तो और भी अच्छा होगा. इस समय आप के बालों का पूरी तरह मुलायम होना जरूरी है.

कोमल बालों के लिए आप को सौफ्टनर का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आप को अपने कर्ल कोमल और मुलायम बनाने हों तो अमोनिया बेस्ड और हार्ड शैंपू का प्रयोग बिलकुल न करें. बालों पर कंघी कर के इन की उलझनें सुलझा लेने के बाद बालों को घना दिखाने के लिए हेयर मूस का प्रयोग किया जाता है. बाजार में बालों को टैक्सचर प्रदान करने के लिए कई तरह के उत्पाद उपलब्ध हैं जिन की मदद से आप आसानी से अपने बालों को डैंसिटी प्रदान कर सकती हैं.

– आश्मीन मुंजाल

(फाउंडर, स्टार सलून ऐंड ऐकैडमी)

इन राज्यों की महिलाएं कमाती हैं पुरुषों से ज्यादा, ये राज्य हैं पीछे

महिलाएं कमाई के मामले में पुरुषों से बेहतर स्थिति में आ गई हैं. अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दिल्ली और पंजाब जैसे इलाकों में महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा सैलरी मिलती है. एक रिपोर्ट की माने तो इन हिस्सों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का औसत वेतन 77 फीसदी है.

वहीं उत्तराखंड, राजस्थान, गोवा जैसी जगहों के शहरी इलाकों में महिलाओं और पुरुषों की सैलरी के बीच मामूली अंतर है.

नागालैंड और सिक्किम जैसे प्रदेशों के शहरी और ग्रामिण क्षेत्रों की महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा कमाती हैं. आपको बता दें कि सिक्किम, नागालैंड, मिजोरम, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड 5 ऐसे राज्य हैं जहां ग्रामीण महिलाओं का वेतन सबसे ज्यादा है. इन 5 राज्यों में शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाओं का औसत वेतन 55 फीसदी है.

एक ओर जहां इन राज्यों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति पुरुषों से बेहतर है, वहीं कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां महिलाओं की आर्थिक स्थिति पुरुषों से बुरी है. इनमें पुड्डुचेरी, मध्य प्रदेश, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और गुजरात हैं.

फिल्म रिव्यू : सिंबा

किसी भी सफल फिल्म का रीमेक बनाते समय फिल्मकार उसे तहस नहस कर देते हैं. इससे पहले मराठी फिल्म ‘सैराट’ की जब हिंदी रीमेक ‘धड़क’ आयी, तो बात नहीं जमी थी. अब रोहित शेट्टी 2015 में प्रदर्षित तेलुगू की सुपर हिट फिल्म ‘‘टेम्पर’’ का हिंदी रीमेक एक्शन व हास्य प्रधान फिल्म ‘‘सिंबा’’ लेकर आए हैं, पर इस बार वह भी मात खा गए.

फिल्म ‘‘टेंम्पर’’ में जिस तरह का अभिनय जूनियर एनटीआर ने किया है, उसके सामने रणवीर सिंह फीके पड़ जाते हैं. जिन लोगों ने तेलुगू फिल्म ‘टेम्पर’ या हिंदी में डब इस फिल्म को देखा है, उन्हे ‘सिंबा’ पसंद नहीं आएगी. अन्यथा यह मनोरंजक मसाला फिल्म है, जिसमें एक्शन, हास्य, रोमांस, इमोशंस के साथ ऐसा हीरो है, जो कि वक्त पड़ने पर बीस पच्चीस लोगों को धूल चटा देता है.

संग्राम भालेराव उर्फ सिंबा (रणवीर सिंह) एक अनाथ बालक से शिवगढ़ के एसीपी बने हैं, जो कि भ्रष्ट पुलिस आफिसर है. यह वही शहर है, जहां डीसीपी बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) की परवरिश हुई थी. बाजीराव इमानदार पुलिस अफसर रहा है, जबकि सिंबा को भ्रष्ट तरीके से जिंदगी का आनंद उठाते दिखाया गया है. वास्तव में बचपन में ही सिनेमाघर के सामने ब्लैक में टिकट बेचते हुए सिंबा समझ जाता है कि पैसा कमाने के लिए पावर चाहिए, इसीलिए वह पुलिस अफसर बनना चाहता है. पुलिस अफसर बनने के बाद सिंबा बेईमानी पूरी इमानदारी से करता है. पुलिस अफसर की ड्यूटी निभाते हुए उसका ध्यान सिर्फ जायज व नाजायज ढंग से पैसा कमाने पर ही होता है. कुल मिलाकर संग्राम उर्फ सिंबा को भ्रष्ट पुलिस अफसर की जीवनशैली जीने में ज्यादा आनंद आता है. उसे प्रदेश के गृहमंत्री का वरदहस्त हासिल है.

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संग्राम भालेराव, गृहमंत्री को अपना पिता और उनकी बेटी को बहन मानता है. गृहमंत्री उसका तबादला गोवा में मीरा मार पुलिस स्टेशन में इस हिदायत के साथ करते हैं कि वह वहां पर दुर्वा रानाडे (सोनू सूद) को क्रास नही करेगा. मीरा मार पुलिस स्टेशन पहुंचने पर सिंबा का सामना हेड कांस्टेबल मोहिले (आशुतोष राणा) से होती है, जोकि बहुत इमानदार है, उसने सिंबा के बारे में सब कुछ सुन रखा है, इसलिए वह उन्हे सलाम नहीं करता है. गुस्से में सिंबा उसे अपनी गाड़ी का ड्राइवर बना लेता है. पर सब इंस्पेक्टर संतोष तावड़े (सिद्धार्थ जाधव) से सिंबा की जमती है और दोनों मिलकर हर नाजायज काम को अंजाम देते हैं. पुलिस स्टेशन के सामने ही कैटरिंग चलाने वाली शगुन (सारा अली खान) पर सिंबा लट्टू हो जाता है.

तो वहीं वह शगुन की सहेली आकृति को अपनी बहन बना लेता है. एक दिन शगुन भी सिंबा से प्यार करने की बात कबूल कर लेती है.दु र्वा रानाडे के ड्रग्स के अवैध व्यापार से अनभिज्ञ सिंबा, दुर्वा के हर अपराध में उसका साथ देता है, जिसके बदले में उसे एक बड़ी रकम मिलती रहती है. दुर्वा के ड्रग्स का व्यापार उसके दो भाई संभालते हैं. यह छोटे स्कूल जाने वाले बच्चे के बैग में ड्रग्स के पैकेट भरकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते रहते हैं. जब इसकी भनक आकृति को लगती है, तो वह उनके अड्डे पर पहुंच जाती है, जिसके साथ बलात्कार करने के बाद दुर्वा के भाई उसकी हत्या कर देते हैं. आकृति के साथ जो कुछ होता है, वह जानकर सिंबा में परिवर्तन आता है और वह सही राह पर चलना शुरू कर देता है.अं ततः दुर्वा के दोनो भाईयों का पुलिस स्टेशन के ही अंदर इनकाउंटर होता है. मामला अदालत में पहुंचता है. डीसीपी बाजीराव सिंघम भी आते हैं और अंत में सिंबा बरी और दुर्वा को सजा हो जाती है.

तेलगू फिल्म ‘टेम्पर’ की यह आधिकारिक रीमेक है, मगर रोहित शेट्टी ने थोड़ा सा बदलाव करते हुए इसे मसालेदार बनाने की कोशिश की है. फिल्म में गाने काफी डाले गए हैं. इंटरवल से पहले फिल्म की कहानी ह्यूमर व हास्य के साथ एक भ्रष्ट पुलिस अफसर की कहानी है. इंटरवल से पहले हास्य का तगड़ा डोज है. मगर इंटरवल के बाद कहानी का केंद्र लड़की के साथ बलात्कार व बलात्कारियों को सजा देने की तरफ मुड़ जाता है. इंटरवल के बाद फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी के हाथ से फिसल सी जाती है. क्योंकि उन्होंने देश के लोगों के मिजाज को भुनाने का ही प्रयास किया है.

जिसके चलते फिल्म काफी बोरिंग हो जाती है. फिल्म में अदालत के दृष्य प्रभाव नहीं डालते. निर्भया केस के साथ फिल्म को जोड़कर उपदेशात्मक बना दिया है, जो कि बहुत बोर करता है. यह एक बलात्कार पर आधारित मैलोड्रैमेटिक फिल्म बनकर रह गयी है.

बौलीवुड की सबसे बड़ी कमजोरी है कि कोई भी फिल्मकार फिल्म में मनोरंजन के साथ उपदेश नहीं परोस पाते हैं. इस कमजोरी के शिकार रोहित शेट्टी भी नजर आए. समस्या का निराकरण तलाशने की बजाय हवाई समाधान देना इनका हक बन गया है. पुलिस स्टेशन में एनकाउंटर/मुठभेड़ का दृष्य अवास्तविक लगता है. अंत में अजय देवगन को लाकर एक्शन दृष्यों की मदद से निर्देशक ने फिल्म को संभालने का असफल प्रयास किया है.

पटकथा के स्तर पर तमाम कमियां हैं. कई दृष्यों में अजीब सा विरोधाभास है. एक तरफ बलात्कार की शिकार आकृति का पिता दुःखी व सदमे में है, तो उसी क्षण वह एक कप चाय की मांग करता है. अदालती दृष्य तो बेवकूफी से भरे हैं. जिस तरह की भाषणबाजी अदालती दृष्य मे है, वह गले नहीं उतरती. जज के चैंबर में अपराधी, पुलिस व वकीलों के साथ ही राज्य के गृहमंत्री की मौजूदगी तो लेखक के दिमागी सोच की पराकास्ठा है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो इंटरवल से पहले हास्य के दृश्यों में रणवीर सिंह ने पूरा जोश दिखाया है, मगर वह खुद को दोहराते हुए ही नजर आए हैं. कई दृश्यों में उनका अभिनय देखकर फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ की याद आ जाती हैं. कई दृष्यों में रणवीर सिंह ने जूनियर एनटीआर की नकल की है, तो कई जगह वह ओवरएक्टिंग करते हुए नजर आते हैं. शगुन के किरदार में सारा अली खान सिर्फ सुंदर लगी हैं, अन्यथा उनके हिस्से में करने के लिए कुछ है ही नहीं. दुर्वा रानाडे के किरदार में सोनू सूद जरुर प्रभावित करते हैं. एक अति ईमानदार हेड पुलिस कौंस्टेबल की भ्रष्ट अधिकारी के साथ काम करने की बेबसी को पेश करने में आशुतोष राणा काफी हद तक कामयाब रहे हैं. संतोष तावड़े के किरदार में सिद्धार्थ जाधव भी अपना असर छोड़ जाते हैं.

फिल्म में गीतों की भरमार है, मगर वह गीत संगीत असरदार नहीं है. फिल्म देखकर अहसास होता है कि अब धर्मा प्रोडकशन मौलिक बेहतरीन गीत संगीत रचने में असमर्थ हो गया है.

दो घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘सिंबा’’ का निर्माण करण जौहर, हीरू जौहर, अपूर्वा मेहता व रोहित शेट्टी ने किया है. फिल्म के निर्देशक रोहित शेट्टी हैं. तेलुगू फिल्म ‘‘टेम्पर’’ की हिंदी रीमेक वाली इस फिल्म के पटकथा लेखक युनूस सेजावल व साजिद सामजी, संवाद लेखक फरहाद सामजी, संगीतकार तनिष्क बागची, कैमरामैन जोमोन टी जौन तथा इसे अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – रणवीर सिंह, सारा अली खान, सोनू सूद, अजय देवगन, वृजेष हीरजी, आषुतोष राणा, सिद्धार्थ जाधव, अरूण नलावड़े, सुलभा आर्या, अष्विनी कलसेकर, विजय पाटकर, सौरभ गोखले, अषोक समर्थ, वैदेही परषुरामी, सुचित्रा बांदेकर के अलावा मेहमान कलाकार के तौर पर तुषार कपूर, कुणाल खेमू, श्रेयस तलपड़े, अरशद वारसी व करण जौहर.

इस तरह से सेविंग्स कर बने स्मार्ट हाउसवाइफ

आज के समय में पैसों की बचत बेहद जरूरी है. जिंदगी में कब कैसी परेशानी आ जाए, किसी को नहीं पता होता है. चूंकि महिलाएं घर की सारी चीजें संभालती हैं, जरूरी होता है वो इन बातों को ले कर सजग रहें. हम आपको कुछ स्मार्ट टिप्स बताने वाले हैं, जिनकी मदद से आप अच्छी सेविंग्स कर सकेंगी.

करें डेली बजट प्लानिंग

मंथली बजट के साथ साथ जरूरी है कि आप डेली बजट पर भी काम करें. जैसे कि आप रोज सुबह प्लान करें कि दिनभर भी आपके क्या खर्चे होने हैं, कौन से जरूरी काम हैं. कुल मिला कर पूरे दिना का बजट एक साथ तय कर लें. इस तरह से हर दिन कुछ रकम बचाएं.

आरडी का विकल्प चुनें

पैसे को घर में रखने से बेहतर है आप निवेश करना शुरू करें. हर माह इसमें कुछ रकम जमा करती रहें. छोटी छोटी बचत आपके लिए बड़ी बचत साबित होगी.

पहले ही बनाएं शौपिंग लिस्ट

शौपिंग के लिए पूरी प्लानिंग के साथ निकलें. बिना तैयारी के शौपिंग करने से ज्यादा पैसा खर्च होता है. कभी भी शौपिंग पर निकलने से पहले सामान की पूरी लिस्ट तैयार करें. अपनी जरूरत की चीजें नोट कर के रखें और केवल उन्हीं की खरीदारी करें. इस तरह से आपके ज्यादा पैसे खर्च नहीं होंगे.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का करें प्रयोग

अपनी कार या बाइक का ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें. इससे ना सिर्फ पैसा कम खर्च होंगे, बल्कि आपकी जर्नी भी सेफ रहेगी.

क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने से बचें

क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने से आपने कितने पैसे खर्च कर लिए हैं पता नहीं चलता. इसका मुख्य कारण है कार्ड फिजिकली आपको पैसा पे नहीं करना होता. इससे आपके दिमाग़ में खर्च का खाका नहीं बनता.

संबंधों की मिठास बहुत अलग होती है : रणवीर सिंह

फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ से अपने अभिनय करियर की शुरुवात करने वाले अभिनेता रणवीर सिंह ने बचपन से स्कूल और कौलेज के थिएटर में अभिनय किया है. स्नातक की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका गए और पढ़ाई के साथ-साथ अभिनय की तालीम भी ली. मुंबई वापस आने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक असिस्टेंट डायरेक्टर और कौपी राइटिंग का काम किया. अभिनय के लिए वे औडिशन देते रहें. ऐसा करते – करते उन्हें पता चला कि यशराज फिल्म्स में किसी नए चेहरे की तलाश है, वे वहां गए और फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ के लिए चुन लिए गए. फिल्म सफल रही और रणवीर को रातों – रात सफलता मिल गयी. इसके बाद उन्होंने बाजीराव मस्तानी और पद्मावत जैसी फिल्में कर अपना नाम अभिनेता की श्रेणी में सबसे ऊपर कर लिया.

वे युवाओं के आइकन माने जाते हैं और अपने एनर्जी के लिए खास प्रसिद्ध हैं. पर्दे पर हो या रियल लाइफ में वे हमेशा हंसते और मुस्कराते हुए दिखते हैं. इसका राज वे अपनी जीन्स को देते हैं, जो उन्हें अपने माता-पिता से मिली है. फिल्मों के अलावा रियल लाइफ में भी रणवीर और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की जोड़ी खास प्रसिद्ध रही है, जिसका अंजाम उनदोनों ने शादी के बंधन में बंधकर दिया. अभी रणवीर की फिल्म ‘सिम्बा’ रिलीज पर है, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

आपका साल 2018 कैसा रहा?

इस साल को मैं अपने करियर का सबसे बेहतरीन वर्ष कह सकता हूं, इस साल फिल्म ‘पद्मावत’ रिलीज हुई, जो काफी सफल रही, क्योंकि इसमें मैंने निगेटिव और डार्क भूमिका निभाई, जो मेरे लिए काफी रिस्की था. असल में इससे पहले मैंने सभी सकारात्मक भूमिका निभाई थी, लेकिन फिल्म सफल रही. इसलिए मैं इसे मेरे जीवन का एक टर्निंग प्वइंट मानता हूं. इसके बाद मैंने अपनी नानी को खोया, जो मेरे लिए दुःख की बात थी. फिर मैंने अब एक मसाला फिल्म ‘सिम्बा’ किया है. इसके साथ-साथ मुझे एक अच्छी जीवन साथी भी मिल गई हैं, जो मेरे लिए गर्व की बात है.

आपकी शादी बहुत ही व्यवस्थित तरीके से हुई, इसका क्रेडिट किसे जाता है?

मैंने सपने में भी कभी सोचा नहीं था कि मेरी शादी ऐसे होगी. पूरी व्यवस्था दीपिका ने की थी और बहुत ही अच्छे तरीके से उसने अंजाम दिया है. मैंने उससे कई बार पूछा भी था कि उसने कैसे ये सब सोचा. मैं अगर कभी सोचता भी, तो भी शायद मैं ऐसे नहीं कर सकता था. ये मेरे जीवन में एक खुशनुमा याद बन चुका है.

आपको दीपिका में क्या खास लगता है, जिससे आप प्रभावित हुए?

दीपिका एक साधारण परिवार को चाहने वाली और जमीनी स्तर पर रहने वाली कलाकार हैं. उसने खुद अपना करियर स्थापित किया है. मैंने अपने जीवन के 8 साल इंडस्ट्री में बिताएं हैं, जिसमें से 6 साल से मैंने दीपिका को प्यार किया है. आज जो मैं हूं, इसका क्रेडिट भी उसी को जाता है. उसने मुझे हमेशा ग्राउंडेड रखा. मैंने फिल्म ‘कौकटेल’ से उसे डेट करना शुरू कर दिया था. हम दोनों ने साथ ग्रो किया है. मैंने उससे प्रोफेशनलिज्म, टाइम मनेजमेंट और अनुशासन सबकुछ सीखा है. उसने मुझे संघर्ष करते हुए देखा है और बहुत सहयोग दिया है. अभी जब वह मुझसे पूछती हैं कि कितने बजे आओगे और क्या खाओगे तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं सभी यूथ से कहना चाहता हूं कि वे शादी अवश्य करें, क्योंकि संबंधो की मिठास बहुत अलग होती है.

अभी आप स्टारडम को कैसे एन्जाय करते हैं?

मेरे फैन्स काफी हैं और मैं उन्हें मेरे बारें में अच्छा फील करवाना चाहता हूं. ये मेरा दायित्व है कि मैं अच्छी फिल्म करूं. मेरे माता-पिता मेरे काम से गर्वित हैं और मेरी इच्छा है कि मेरी पत्नी भी मेरे काम से गर्व महसूस करें. इसलिए मैं हर फिल्म को सोच समझकर करना चाहता हूं. इसी तरह से मैं अपने स्टारडम को एन्जाय करता हूं. मैंने हमेशा अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन देने की कोशिश की है. मेरी कामयाबी में उनका भी बहुत बड़ा हाथ है.

आप किसी कहानी को किस तरह से चुनते हैं?

मेरी सोच पहले से काफी बदल चुकी है. पहले मुझे काम की अधिक जरुरत थी, ताकि मैं अपने आप को सिद्ध कर सकूं. अभी मैं ऐसे मुकाम पर पहुंच चुका हूं कि पसंद न आने पर किसी कहानी को ‘ना’ कह सकूं. मैं अभी कहानी को अधिक महत्व देता हूं, क्योंकि फिल्म की कहानी पर उसकी सफलता निर्भर करती है. समय के साथ-साथ आप सही कहानी के बारें में समझ सकते हैं.

दीपिका और आपकी जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया है, क्या आप दोनों साथ में पर्दे पर आयेंगे?

मैं दीपिका के काम को बहुत पसंद करता हूं और अगर कोई अच्छी कहानी मिले, जो दोनों को सपोर्ट करती है, तो अवश्य करना चाहूंगा.

दीपिका ने डिप्रेशन में फंसे लोगों को ठीक करने के लिए काम करना शुरू किया है, क्या आप ऐसे किसी सामाजिक काम से जुड़ना पसंद करेंगे?

मैं जल्दी ही इस बारें में बताऊंगा, क्योंकि उस विषय पर बात चल रही है, लेकिन मैं अभी दीपिका के काम की प्रसंशा करता हूं.

ऐक्ने : सुंदरता पर दाग

रेशु बहुत उत्साहित थी. अगले हफ्ते उस की दीदी की शादी थी. पर सुबह वह उठी तो देखा 3 छोटेछोटे दाने उस के दाहिने गाल पर आ गए. वह पूरा दिन तनाव में रही. एक दोस्त की सलाह पर उस ने उन पर टूथपेस्ट लगा लिया. वह जल्दी से जल्दी अपने चेहरे को साफ करना चाहती थी पर डाक्टर के पास जाने के बजाय उस ने घरेलू इलाज करना बेहतर समझा. नतीजा यह हुआ कि शादी के दिन तक तनाव और उत्तेजना के कारण उस का पूरा चेहरा मवाद वाले दानों से भर गया.

मैं निजी उदाहरण से इस समस्या पर प्रकाश डालती हूं. मैं जब 12 वर्ष की थी तब पहली बार एक छोटा सा पिंपल मेरे चेहरे पर हो गया. मैं परेशान हो गई थी. पर यह नहीं मालूम था कि आगे राह और भी कठिन है. 13 वर्ष की होतेहोते छोटेछोटे दाने मेरे माथे और गालों पर हो गए. तब मुझे मेरी बड़ी बहन ने पिंपल क्रीम ला कर दी. कुछ दिनों बाद कालेकाले निशान मेरे चेहरे पर नजर आने लगे. 18 वर्ष तक ये सब चलता ही रहा. गरमियों में बहुत पिंपल होते थे पर सर्दियों में मेरी त्वचा साफ हो जाती. मैं बस अपनी किशोरावस्था खत्म होने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. पर पिंपल खत्म नहीं हुए. यह सिलसिला चलता रहा और सब से बड़ी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस कारण से मैं अपना आत्मविश्वास खोती चली गई. विवाह के पश्चात घर बदला, रहनसहन और 3 महीने के भीतर फिर से ऐक्ने का आक्रमण हुआ. इस बार अपनी सासूमां की सलाह पर मैं आयुर्वेदिक इलाज लेने लगी.

मौसम बदला और सर्दियों में फिर से त्वचा पर निखार आ गया. इसी बीच मैं गर्भवती हो गई. एक चीज मैं ने महसूस करी कि पूरे 9 माह मेरी त्वचा शीशे की तरह चमकती रही. बेटी अक्तूबर में हुई और फिर सर्दियां आ गईं. मुझे लगा ऐक्ने की कहानी अब भूलीबिसरी याद बन गई है पर गरमियां आतेआते फिर से आक्रमण हुआ. यह आक्रमण पहले से भी घातक था. बहुत बड़ेबड़े ऐक्ने मेरे चेहरे पर हो गए. दूर से दिखने पर वे एक लंबी लकीर की तरह दिखते थे. पूरीपूरी रात मैं दर्द के कारण सो नहीं पाती थी. मैं अब 26 वर्ष की थी.

पहली बार मैं ने स्किन स्पैशलिस्ट के पास जाने की सोची. मैं गई बस एक बार. दोबारा जाने की जहमत नहीं उठाई, क्योंकि मुझे लगा कि डाक्टर तो दवाई देगा. अपने निजी अनुभव से मैं आज यह कह सकती हूं, वह मेरी सब से बड़ी गलती थी. आज मुझे पता है कि वह हारमोनल असंतुलन के कारण था.

दवाई खत्म होने के बाद मैं ने घरेलू उपचार करने आरंभ कर दिए. एक और गलती. जब मेरा चेहरा आईने में देखने लायक नहीं रहा और मैं तनाव में रहने लगी तो फिर से मैं डाक्टर के पास गई. 4 माह के इलाज के बाद मुझे आराम आ गया पर सही समय पर इलाज न कराने के कारण ऐक्ने के निशान आज तक मौजूद हैं. लेजर और अन्य उपाय भी कराए पर 50% ही फायदा हो पाया. अपने निजी अनुभव के बाद मैं इस निर्णय पर पहुंची कि ऐक्ने निम्नलिखित कारणों से होते हैं:

– हारमोनल असंतुलन जो किशोरावस्था, प्रीमेनोपाज और गर्भावस्था में ज्यादातर होता है और त्वचा पर इस का सब से अधिक प्रभाव होता है.

– कभीकभी कुछ खा-पदार्थों के कारण भी ऐक्ने हो जाते हैं जैसे अत्यधिक तेल और मसाले वाले पदार्थ.

– पीसीओडी भी ऐक्ने का एक मुख्य कारण है. इस में ऐक्ने के अलावा चेहरे पर सख्त बाल भी आ जाते हैं.

– तनाव भी ऐक्ने का एक मुख्य कारण है. ऐक्ने का मतलब यह नहीं है कि आप आईने में लगातार उस को देखते रहें. यह तनाव को न्योता देता है.

– मौसम का बदलता मिजाज भी ऐक्ने का कारण हो सकता है. जब भी मौसम बदलता है और अधिक गरमी या मौसम में नमी हो जाती है तो ऐक्ने का हमला हो सकता है.

– मासिकधर्म होने के कुछ दिनों पहले भी कुछ महिलाओं के चेहरे पर ऐक्ने हो जाते हैं जोकि मासिकचक्र की समाप्ति के साथसाथ समाप्त हो जाते हैं.

ऐक्ने कोई रोग नहीं है. यह आप की त्वचा का रिएक्शन है तनाव, तापमान या हारमोनल गड़बडि़यों की तरफ. इसे हम निम्नलिखित उपायों से काफी हद तक काबू में रख सकते हैं:

– सब से पहली और जरूरी बात यह कि घरेलू उपाय से कभी भी हम ऐक्ने का सफाया नहीं कर सकते. चंदन या मुलतानी मिट्टी का लेप हमारे चेहरे को ठंडक दे सकता है पर इन लेपों से ऐक्ने पर असर होगा या नहीं यह कोई नहीं कह सकता.

– एक या 2 ऐक्ने होने पर तनाव लेने की कतई जरूरत नहीं है. बारबार आईना देख कर खुद को तनाव न दें. पर अगर ऐक्ने रोजरोज हो रहे हैं तो डाक्टर के पास जाने से गुरेज ना करें.

– ऐक्ने जैसी समस्या को हम 1-2 माह में ठीक नहीं कर सकते. इस के लिए लगातार आप को डाक्टर के संपर्क में रहना होगा.

– टैलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों से प्रभावित हो कर कभी कोई फेस पैक या फेस वाश न लें.

– 30% मामलों में ऐक्ने के कारण चेहरे पर गहरे गड्ढे हो जाते हैं जिस का लेजर से ट्रीटमैंट हो सकता है. इस से 70% फायदा हो सकता है.

– अगर आप महंगे लेजर से उपचार नहीं करवा सकते तो निराश न हों. माइक्रोडर्माबे्रजन भी आप को फायदा कर सकता है, जो लेजर से कम महंगा है.

– किसी तकनीक का सहारा नहीं लेना चाहतीं तो मत लें. जितनी गहराई से आप खुद को देखती हैं, कोई आप को नहीं देखता. चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान ही काफी है.

करें घर के ये काम, कम होगा वजन

मोटापा, ज्यादा वजन जैसी समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है. आलम ये है कि वजन कम करने के लिए लोग हजारों लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं. दवाइयों से लिए, एक्सर्साइज, खास खानपान और जिम में पसीना बहाने के लिए लोग तैयार हैं. पर क्या आपको पता है कि आप बिना जिम गए, बिना किसी स्पेशल डाइट के, घर के 6 काम कर के कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

पोछा लगा सकती हैं

घर में पोछा लगाना काफी मेहनत का काम है. इससे पैरों का अच्छे से वर्कआउट होता है. इस दौरान कमर में लगातार होने वाले मुवमेंट से फैट कम फैट पर काफी असर होता है. अगर आप रोज 20 मिनट पोछा लगाती हैं तो आप रोज 150 कैलोरी बर्न कर सकेंगी.

कपड़ा धोना

कपड़े धोने से शरीर का अच्छे से एक्सर्साइज होता है. अगर आप हाथ से कपड़े धोती हैं तो आपका 130 कैलोरी बर्न होगा.

खुद से धोएं बर्तन

बर्तन धोने से भी कैलोरी बर्न होती है. सेहत के लिए बेहतर होगा कि आप खुद बर्तन धोना शुरू कर दें, इससे आप करीब 125 कैलरीज बर्न कर सकेंगी.

खुद से बनाएं खाना

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद से खाना बनाना छोड़ चुके हैं. नौकरी पेशे के बीच से खाना बनाने के लिए समय निकाल पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है. पर कुकिंग के कई फायदे हैं, उनमें से एक वजन का कम करना भी शामिल है. खाना बनाने की प्रक्रिया में करीब 100 कैलोरीज बर्न होती हैं.

आटा गुंथे

आटा गुंथना एक मुश्किल और मेहनत वाला काम है. इसमें आपका जोर लगता है और शरीर से भी आप काफी मेहनत करती हैं. इस दौरान लगने वाली ताकत से आप शरीर की 50 कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

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