Best Hindi Story: पर्सनल स्पेस

Best Hindi Story: आज औफिस में मैं बिलकुल भी ढंग से काम नहीं कर सका था. इस कारण बौस से तो कई बार डांट खानी पड़ी ही, सहयोगियों के साथ भी झड़प हो गई थी.

आखिर में तंग आ कर मैं ने औफिस से1 घंटा पहले जाने की अनुमति बौस से मांगी, तो उन्होंने तीखे शब्दों में मुझ से कहा, ‘‘मोहित, आज सारा दिन तुम ने कोई भी काम ढंग से नहीं किया है. मुझे छोटीछोटी बातों पर

किसी को डांटना अच्छा नहीं लगता. मुझे उम्मीद है कि कल तुम्हारा चेहरा मुझे यों लटका हुआ नहीं दिखेगा.’’

‘‘बिलकुल नहीं दिखेगा, सर,’’ ऐसा वादा कर मैं उन के कक्ष से बाहर आ गया.

औफिस से निकल कर मैं मोटरसाइकिल से बाजार जाने को निकल पड़ा. मुझे अपनी पत्नी नेहा के लिए कोई अच्छा सा गिफ्ट लेना था.

हमारी शादी को अभी 4 महीने ही हुए हैं. वह मेरे सुख व खुशियों का बहुत ध्यान रखती है. मेरी पसंद पूछे बिना मजाल है वह कोई काम कर ले.

पिछले गुरुवार को उस का यही प्यार भरा व्यवहार मुझे ऐसा खला कि मैं ने उसे शादी के बाद पहली बार बहुत जोर से डांट दिया था.

उस दिन हमें रवि की शादी की पहली सालगिरह की पार्टी में जाना था. जगहजगह टै्रफिक जाम मिलने के कारण मुझे औफिस से घर पहुंचने में पहले ही देर हो गई थी. ऊपर से ये देख कर मेरा गुस्सा बढ़ने लगा कि नेहा समय से तैयार होना शुरू करने की बजाय मेरे घर पहुंचने का इंतजार कर रही थी.

‘‘इन में से मैं कौन सी साड़ी पहनूं, यह तो बता दो?’’ आदत के अनुरूप उस ने इस मामले में भी मेरी पसंद जाननी चाही थी.

‘‘नीली साड़ी पहन लो,’’ अपना व उस का मूड खराब करने से बचने के लिए मैं ने अपनी आवाज में गुस्से के भाव पैदा नहीं होने दिए थे.

‘‘मुझे लग रहा है कि मैं ने इसे तब भी पहना था, जब हम रवि के घर पहली बार डिनर करने गए थे.’’

‘‘तो कोई दूसरी साड़ी पहन लो.’’

‘‘आप प्लीज बताओ न कि कौन सी पहनूं?’’

इस बार मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं उस पर जोर से चिल्ला उठा, ‘‘यार, तुम जल्दी तैयार होने के बजाय फालतू की बातें करने में समय बरबाद क्यों कर रही हो? हर काम करने से पहले मेरी जान खाने की बजाय तुम अपनेआप फैसला क्यों नहीं करतीं कि क्या किया जाए, क्या न किया जाए? मुझे ऐसा बचकाना व्यवहार बिलकुल अच्छा नहीं लगता है.’’

पार्टी में पहुंच कर उस का मूड पूरी तरह से ठीक हो गया, पर मेरा मूड उस के चिपकू व्यवहार के कारण खराब बना रहा.

रवि मेरा कालेज का दोस्त है. उस पार्टी में शामिल होने कालेज के और भी बहुत से दोस्त आए थे. मैं कुछ समय अपने इन पुराने दोस्तों के साथ बिताना चाहता था, पर नेहा मेरा हाथ छोड़ने को तैयार ही नहीं थी.

कुछ देर के लिए जब वह फ्रैश होने गई, तब मैं अपने दोस्तों के पास पहुंच गया था. मेरे दोस्त मौका नहीं चूके और नेहा का चिपकू व्यवहार मेरी खिंचाई का कारण बन गया था.

मुंहफट सुमित ने मेरा मजाक उड़ाते हुए कह भी दिया, ‘‘अबे मोहित, ऐसा लगता है कि तू ने तो किसी थानेदारनी के साथ शादी कर ली है. नेहा भाभी तो तुझे बिलकुल पर्सनल स्पेस नहीं देती हैं.’’

‘‘शायद मोहित शादी के बाद भी हर सुंदर लड़की के साथ इश्क लड़ाने को उतावला रहता होगा, तभी भाभी इस की इतनी जबरदस्त चौकीदारी करती हैं,’’ कुंआरे नीरज के इस मजाक पर सभी दोस्तों ने एकसाथ ठहाका लगाया था.

अपने मन की खीज को काबू में रखते हुए मैं ने जवाब दिया, ‘‘वह थानेदारनी नहीं बल्कि बहुत डिवोटिड वाइफ है. तुम सब अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि वह कितनी केयरिंग और घर संभालने में कितनी कुशल है.’’

‘‘अपना यार तो बेडि़यों को ही आभूषण समझने लगा है,’’ नीरज के इस मजाक पर जब दोस्तों ने एक और जोरदार ठहाका लगाया, तो मैं मन ही मन नेहा से चिढ़ उठा था.

पार्टी में हमारे साथ पढ़ी सीमा भी मौजूद थी. वह कुछ दिनों के लिए मुंबई से यहां मायके में अकेली रहने आई थी. पति के साथ न होने के कारण वह खूब खुल कर कालेज के पुराने दोस्तों से हंसबोल रही थी. मेरे मन में उस के ऊपर डोरे डालने जैसा कोई खोट नहीं था, पर कुछ देर उस के साथ हलकेफुलके अंदाज में फ्लर्ट करने का मजा मैं जरूर लेना चाहता था.

नेहा के हर समय चिपके रहने के कारण मैं उस के साथ कुछ देर भी मस्ती भरी गपशप नहीं कर सका. अपने सारे दोस्तों को उस के साथ खूब ठहाके लगाते देख मेरा मन खिन्न हो उठा.

मुझे थोड़ा सा भी समय अपने ढंग से जीने के लिए नहीं मिल रहा है, मेरे मन में इस शिकायत की जड़ें पलपल मजबूत होती चली गई थीं.

मैं खराब मूड के साथ पार्टी से घर लौटा था. मेरे माथे पर खिंची तनाव की रेखाएं देख कर नेहा ने मुझ से पूछा, ‘‘क्या सिर में दर्द हो रहा है?’’

‘‘हां, मुझे भयंकर सिरदर्द हो रहा है, पर तुम सिर दबाने की बात मुंह से निकालना भी मत,’’ मैं ने रूखे लहजे में जवाब दिया.

‘‘मैं सिर दबा दूंगी तो आप की तबीयत जल्दी ठीक हो जाएगी,’’ मेरी रुखाई देख कर उस का चेहरा फौरन उतर सा गया था.

‘‘मुझे सिरदर्द जल्दी ठीक नहीं करना है. अब तुम मेरा सिर खाना बंद करो, क्योंकि मैं कुछ देर शांति से अकेले बैठना चाहता हूं. मुझे खुशी व सुकून से जीने के लिए पर्सनल स्पेस चाहिए, यह बात तुम जितनी जल्दी समझ लोगी उतना अच्छा रहेगा,’’ मैं उस के ऊपर जोर से गुर्राया, तो वह आंसू बहाती हुई मेरे सामने से हट गई थी.

अगले दिन मैं ने उस के साथ ढंग से बात नहीं की. वह रात को मुझ से लिपट कर सोने लगी, तो मैं ने उसे दूर धकेला और करवट बदल ली. मुझे उस का अपने साथ चिपक कर रहना फिलहाल बिलकुल बरदाश्त नहीं हो रहा था.

अगले दिन शनिवार की सुबह मैं जब औफिस जाने को घर से निकलने लगा, तब उस ने मुझ से दुखी व उदास लहजे में कहा था, ‘‘आपस का प्यार बढ़ाने के लिए पर्सनल स्पेस की नहीं, बल्कि प्यार भरे साथ की जरूरत होती है. मैं आप से दूर नहीं रह सकती, क्योंकि आप के साथ मैं कितना भी हंसबोल लूं, पर मेरा मन नहीं भरता है. आज अपने भाई के साथ मैं कुछ दिनों के लिए मायके रहने जा रही हूं. मेरी अनुपस्थिति में आप जी भर कर पर्सनल स्पेस का मजा ले लेना.’’

मैं ने उसे रुकने के लिए एक बार भी नहीं कहा, क्योंकि मैं सचमुच कुछ दिनों के लिए अपने ढंग से अकेले जीना चाहता था.

नेहा से मिली आजादी का फायदा उठाने के लिए मैं ने उस दिन औफिस खत्म होने के बाद अपने दोस्त नीरज को फोन किया. उस ने फौरन मुझे अपने घर आने की दावत दे दी, क्योंकि वह मुफ्त की शराब पीने को हमेशा ही तैयार रहता था.

हम दोनों ने उस के ड्राइंगरूम में बैठ कर शराब पी. हमारी महफिल सजने के कारण उस की पत्नी कविता का मूड खराब नजर आ रहा था, पर हम दोनों ने अपनी मस्ती के चलते इस बात की फिक्र नहीं की.

शराब खत्म हो जाने के बाद मुझे मालूम पड़ा कि मेरा दोस्त बदल चुका था. नीरज ने कविता के डर के कारण मुझे डिनर कराए बिना ही घर से विदा कर दिया.

मैं ने बाहर से बर्गर खाया और घर लौट कर नीरज को मन ही मन ढेर सारी गालियां देता पलंग पर ढेर हो गया.

पार्टी के दिन सीमा से खुल कर हंसीमजाक न कर पाने की बात अभी भी मेरे मन में अटकी हुई थी. इतवार की सुबह मैं ने रवि से उस का फोन नंबर ले कर उस के साथ लंच करने का कार्यक्रम बना लिया.

हम 12 बजे एक चाइनीज रेस्तरां में मिले. पहले मैं ने उसे बढि़या लंच कराया और फिर हम बाजार में घूमने लगे. उस की खनकती हंसी और बातें करने का दिलकश अंदाज लगातार मेरे मन को गुदगुदाए जा रहा था.

कुछ देर बाद मैं ने उस से पूछा, ‘‘क्या हम मैटनी शो देखने चलें?’’

‘‘नहीं,’’ उस ने अपनी आंखों में शरारत भर कर जवाब दिया.

‘‘क्यों मना कर रही हो?’’ मैं ने हंसते हुए पूछा.

‘‘हाल के अंधेरे में तुम अपने हाथों को काबू में नहीं रख पाओगे.’’

‘‘मैं वादा करता हूं कि बिलकुल शरीफ बच्चा बन कर फिल्म देखूंगा.’’

‘‘सौरी मोहित, शादी के बाद तुम्हें नेहा के प्रति वफादार रहना चाहिए.’’

उस का यह वाक्य मेरे मन को बुरी तरह चुभ गया. मैं ने उस से चिढ़ कर पूछा, ‘‘क्या तुम अपने पति के प्रति वफादार हो?’’

‘‘मैं उन के प्रति पूरी तरह से वफादार हूं,’’ उस का इतरा कर यह जवाब देना मेरी चिढ़ को और ज्यादा बढ़ा गया.

‘‘फिर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि अगर मैं जरा सी भी कोशिश करूं, तो तुम मेरे साथ सोने को राजी हो जाओगी.’’

‘‘शटअप.’’ उस ने मुझे चिढ़ कर डांटा, तो मैं उस का मजाक उड़ाने वाले अंदाज में हंस पड़ा था.

मेरे खराब व्यवहार के लिए उस ने मुझे माफ नहीं किया और कुछ मिनट बाद जरूरी काम होने का बहाना बना कर चली गई. मुझे उस के चले जाने का अफसोस तो नहीं हुआ, पर मन अजीब सी उदासी का शिकार जरूर हो गया.

मैं ने अकेले ही फिल्म देखी और बाद में देर रात तक बाजार में अकारण घूमता रहा. उस रात भी मैं ढंग से सो नहीं सका, क्योंकि नेहा की याद बहुत सता रही थी. बारबार उस से फोन पर बातें करने की इच्छा हो रही थी, पर उस के साथ गलत व्यवहार करने के अपराधबोध ने ऐसा नहीं करने दिया.

सोमवार को औफिस में दिन गुजारना मेरे लिए मुश्किल हो गया था. काम में मन न लगने के कारण बौस से कई बार डांट खाई. जब वहां रुकना बेहद कठिन हो गया, तो बौस से इजाजत ले कर मैं घंटा भर पहले औफिस से बाहर आ गया था.

औफिस से निकलने के घंटे भर बाद मैं ने नेहा को फोन कर के उलाहना दिया, ‘‘तुम इतनी ज्यादा निर्मोही कैसे हो गई हो? आज दिन भर फोन कर के मेरा हालचाल क्यों नहीं पूछा?’’

‘‘मैं ने तो आप की नाराजगी व डांट के डर से फोन नहीं किया,’’ उस की आवाज का कंपन बता रहा था कि मेरी आवाज सुन कर वह भावुक हो उठी थी.

‘‘तुम्हारा फोन आने से मैं नाराज क्यों होऊंगा?’’

‘‘मैं फोन करती तो आप जरूर डांट कर कहते कि मैं मायके में रह कर भी आप को चैन से जीने नहीं दे रही हूं.’’

‘‘मैं पागल हूं, जो तुम्हें अकारण डांटूंगा. मुझे लगता है कि मायके पहुंच कर तुम्हें मेरा ध्यान ही नहीं आया.’’

‘‘जिस के अंदर मेरी जान बसती है, उस का ध्यान मुझे कैसे नहीं आएगा?’’

‘‘तो वापस कब आओगी?’’

‘‘आप आज लेने आ जाओगे, तो आज ही साथ चल चलूंगी.’’

‘‘मैं तो आ गया हूं.’’

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि दरवाजा क्यों नहीं खोल रही है, पगली?’’

‘‘क्या बारबार घंटी आप बजा रहे हो?’’

‘‘दरवाजा खोल कर देख लो न मेरी जान.’’

‘‘मैं अभी आई.’’

उस की उतावलेपन व खुशी से भरी आवाज सुन कर मैं जोर से हंस पड़ा था.

दरवाजा खोल कर जब नेहा ने मुझे फूलों का बहुत सुंदर सा गुलदस्ता हाथ में लिए खड़ा देखा, तो उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. अपना उपहार स्वीकार करने के बाद वह मेरी छाती से लिपट कर खुशी के आंसू बहाने लगी.

मुझे इस समय उस की वह बात ध्यान आ रही थी, जो उस ने मायके आने से पहले कही थी, ‘आपस का प्यार बढ़ाने के लिए पर्सनल स्पेस की नहीं, बल्कि प्यार भरे साथ की जरूरत होती है. मैं आप से दूर नहीं रह सकती, क्योंकि आप के साथ मैं कितना भी हंसबोल लूं, पर मेरा मन नहीं भरता है.’

मैं ने उस का माथा चूम कर भावुक लहजे में कहा, ‘‘मेरी समझ में यह आ गया

है कि तुम्हारे अलावा मेरी जिंदगी में खुशियां भरने की किसी के पास फुरसत नहीं है. मुझे अपनी जिंदगी में पर्सनल स्पेस नहीं, बल्कि तुम्हारा प्यार भरा साथ चाहिए. भविष्य में मेरी बातों का बुरा मान कर फिर कभी मुझे अकेला मत छोड़ना.’’

‘‘कभी नहीं छोड़ूंगी.’’ अपनी मम्मी की उपस्थिति की परवाह न करते हुए उस ने मेरे होंठों पर छोटा सा चुंबन अंकित किया और फिर शरमा भी गई.

उस ने कुछ देर बाद ही मेरे साथ सट कर बैठते हुए ढेर सारे सवाल पूछने शुरू कर दिए. मुझे उस के सवालों का जवाब देने में अब कोई परेशानी महसूस नहीं हो रही थी. उस से दूर रहने के मेरे अनुभव इतने घटिया रहे थे कि मेरे सिर से पर्सनल स्पेस में जीने का भूत पूरी तरह से उतर गया था.

Best Hindi Story

Family Story in Hindi: एक दूजे के वास्ते

Family Story in Hindi: ‘‘शादी की सालगिरह मुबारक हो तूलिका दी,’’ मेरी भाभी ने मुझे फोन पर मुबारकबाद देते हुए कहा.

‘‘शादी की सालगिरह मुबारक हो बेटा. दामादजी कहां हैं?’’ पापा ने भी फोन पर मुबारकबाद देते हुए पूछा.

‘‘पापा, वे औफिस गए हैं.’’

‘‘ठीक है बेटा, मैं उन से बाद में बात कर लूंगा.’’

मेरी छोटी बहन कनिका और उस के पति परेश सब ने मुझे बधाई दी, पर मेरे पति रवि ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. आज हमारी शादी की सालगिरह है और रवि को कोई उत्साह ही नहीं है. माना कि उन्हें औफिस में बहुत काम होता है और सुबह जल्दी निकलना पड़ता है, पर शादी की सालगिरह कौन सी रोजरोज आती है.’’

रवि कह कर गए थे, ‘‘तूलिका, आज मैं जल्दी आ जाऊंगा… हम बाहर ही खाना खाएंगे.’’

‘सुबह से शाम हो गई और शाम से रात. रवि अभी तक नहीं आए. हो सकता है मेरे लिए कोई उपहार खरीद रहे हों, इसलिए देरी हो रही है,’ मन ही मन मैं सोच रही थी.

‘‘मां भूख लगी है,’’ मेरी 5 साल की बेटी निया कहने लगी. वह सो न जाए, उस से पहले ही मैं ने उसे कुछ बना कर खिला दिया.

तभी दरवाजे की घंटी बजी. वे आते ही बोले, ‘‘बहुत थक गया हूं… तूलिका माफ करना लेट हो गया… अचानक मीटिंग हो गई. शादी की सालगिरह मुबारक हो मेरी जान… यह तुम्हारा उपहार… फूलों सी नाजुक बीवी के लिए गुलदस्ता… आज हमारी शादी को 6 साल हो गए और तुम अभी भी पहले जैसी ही लगती हो.’’

पर मैं ने उन की किसी भी बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की और उन के लाए गुलदस्ते को एक तरफ रख दिया. फिर बोलने लगे, ‘‘आज होटल में बहुत भीड़ थी… तुम्हारी पसंद का सारा खाना पैक करवा लाया हूं. जल्दी से निकालो… जोर की भूख लगी है.’’

‘‘जोर की भूख लगी थी तो बाहर से ही खा कर आ जाते… यह खाना लाने की तकलीफ क्यों की और इस गुलदस्ते पर पैसे खर्च करने की क्या जरूरत थी? आप खा लीजिए… मेरी भूख मर गई… मैं सोने जा रही हूं.’’

‘‘माफी तो मांग ली अब क्या करूं? बौस ने अचानक मीटिंग रख दी तो क्या करता? मुझे भी बुरा लग रहा है… खाना खा लो तूलिका भूखी मत सो,’’ रवि बोले.

कितना कहा पर मैं नहीं मानी और भूखी सो गई. मैं रात भर रोतीसिसकती रही कि किस बेवकूफ से मेरी शादी हो गई… शादी के 6 साल पूरे हो गए पर आज तक कभी मुझे मनचाहा उपहार नहीं दिया. मैं ने सुबह से कितना इंतजार किया, कम से कम होटल में तो खिला ही सकते थे.

 

आज तक कौन सी बड़ी खुशी दी है मुझे… हर छोटी से छोटी चीज के लिए

तरसती आई हूं. एक मेरी बहन का पति है, जो उसे कितना प्यार करता है. भूख से नींद भी नहीं आ रही थी. सोचा कुछ खा लूं पर मेरा गुस्सा भूख से ज्यादा तेज था. एक गिलास ठंडा पानी पी कर मैं सोने की कोशिश करने लगी पर नींद नहीं आ रही थी. क्या कभी रवि को महसूस नहीं होता कि मैं क्या चाहती हूं? फिर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई.

‘‘गुड मौर्निंग मेरी जान…’’ कह रवि ने मुझे पीछे से पकड़ लिया जैसा हमेशा करते हैं. आज रवि की पकड़ से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मेरे बदन पर बिच्छू रेंग रहा हो.

मैं ने उन्हें धक्का देते हुए कहा, ‘‘झूठे प्यार का दिखावा करना बंद कीजिए… इतने भी सीधे और सरल नहीं हैं आप जितना दिखाने की कोशिश करते हैं.’’

‘‘अब जैसा भी हूं तुम्हारा ही हूं. हां, मुझे पता है कल मैं ने तुम्हारे साथ बहुत ज्यादती की पर मैं क्या करूं तूलिका नौकरी भी तो जरूरी है. अचानक मीटिंग रख दी बौस ने. अब बौस से जवाबतलब तो नहीं कर सकता न… इसी नौकरी पर तो रोजीरोटी चलती है हमारी,’’ रवि बोले.

‘‘कौन सा महीने का लाख रुपए देती है यह नौकरी? आज तक कौन सी बड़ी खुशी दी है आप ने मुझे? बस दो वक्त की रोटी, तन पर कपड़ा और यह घर. इस के अलावा कुछ भी तो नहीं दिया है,’’ मैं ने गुस्से में कहा.

‘‘बस इन्हीं 3 चीजों की तो जरूरत है हम सब की जिंदगी में… किसीकिसी को तो ये भी नहीं मिलती हैं तूलिका… जो भी हमारे पास है उसी में खुश रहना सीखो. अब छोड़ो यह गुस्सा.. गुस्से में तुम अच्छी नहीं लगती हो.

चलो आज कहीं बाहर घूमने चलेंगे और बाहर ही खाना खाएंगे… तुम कहो तो फिल्म भी देखेंगे… आज छुट्टी का दिन है… यार अब छोड़ो यह गुस्सा.’’

‘‘मुझे कहीं नहीं जाना है दोबारा बोलने की कोशिश भी मत कीजिएगा. पछता रही हूं आप से शादी कर के… पता नहीं क्या देखा था मेरे पापा ने आप में… कितना कुछ ले कर आई थी मैं… सभी कुछ आप के परिवार वालों ने रख लिया. कितने अरमान संजोए आई थी ससुराल में… सब चकनाचूर हो गया. अब मुझे जो भी जरूरत होगी अपने पापा से मांगूंगी. आप से उम्मीद करना ही बेकार है. आप जैसे आदमी को तो शादी ही नहीं करनी चाहिए,’’ जो मन में आया वह बोले जा रही थी.

‘‘मैं ने पहले ही तुम्हारे पापा से कहा था कि मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरे जीवन का एक संकल्प है, उद्देश्य है और बिना संकल्प जीवन और मृत्यु का भेद समाप्त हो जाता है. क्या बेईमानी से करोड़ों कमा कर या किसी से पैसे मांग कर मैं तुम्हें ज्यादा सुखी रख सकता हूं?

मैं अपने परिवार को अपने बलबूते पर रखना चाहता हूं. मुझे किसी का 1 रुपया भी नहीं लेना है. अपने पापा का भी नहीं. अब तुम्हारे पापा ने दिए औैर मेरे पापा ने लिए तो इस में मैं क्या कर सकता हूं? अभी हमारे घर का लोन कट रहा है इसलिए पैसे की थोड़ी किल्लत है. फिर सब ठीक हो जाएगा तूलिका… मुझे भरोसा है अपनेआप पर कि मैं सारी खुशियां दूंगा तुम्हें एक दिन,’’ रवि बोले.

रवि ने मुझे बहुत मनाने की कोशिश की पर मैं अपने गुस्से पर कायम थी. रविवार की छुट्टी ऐसे ही बीत गई. शाम को निया बाहर घूमने की जिद्द करने लगी. रवि उसे घुमाने ले गए. मुझे भी कितनी बार कहा रवि ने पर मैं

नहीं गई.

तभी भाभी का फोन आया. ‘‘भाभी प्रणाम.’’ ‘‘तूलिका, कैसी हैं? आप दोनों को परेशान तो नहीं किया न?’’

‘‘अरे नहीं भाभी.. कहिए न.’’

‘‘कनिका अपने पति के साथ आई हुई है तो पापा चाह रहे थे कि अगर कुछ दिनों के लिए आप सब भी आ जाते तो अच्छा लगता,’’ भाभी ने मुझ से कहा.

‘‘हां भाभी, देखती हूं. वैसे भी आप सब से मिलने का बहुत मन कर रहा है,’’ कह फोन काट कर मैं सोचने लगी कि कितनी खुशहाल है कनिका… कुछ दिन पहले ही सिंगापुर घूम कर आई है अपने पति के साथ और एक मैं…

मैं ने सोचा कि कुछ दिनों के लिए पापा के पास चली ही जाऊं. कम से कम कुछ दिनों के लिए इस घर के काम से दूर तो रहूंगी और फिर मुझे अपने पति को सबक भी सिखाना था, जो सिर्फ मुझे इस्तेमाल करना जानते हैं.

‘‘मां,’’ कह कर निया मुझ से लिपट गई. कहांकहां घूमी, क्याक्या खाया, सब बताया.

फिर बोली, ‘‘पापा आप के लिए भी आइसक्रीम लाए हैं.’’

‘‘मुझे नहीं खानी है… जाओ बोल दो अपने पापा को कि वही खा लें और यह भी बोलना कि तुम और मैं नाना के घर जाएंगे… टिकट करवा दें.’’

‘‘पापा, हमें नाना के घर जाना है. मां ने बोला है कि टिकट करवा दो,’’ निया बोली.

‘‘आप की मां आप के पापा से गुस्सा हैं, इसलिए पापा को छोड़ कर जाना चाहती हैं. ठीक है मैं टिकट करवा दूंगा,’’ रवि मेरी तरफ देखते हुए बोले.

रवि जब मुझे और निया को ट्रेन में बैठा कर अपना हाथ हिलाने लगे और ट्रेन भी अपनी गति पकड़ने लगी, तो निया पापा पापा कह कर चिल्लाने लगी. रवि का चेहरा उदास हो गया.

वे मुझे ही देखे जा रहे थे. तभी लगा कि आवेग में आ कर कहीं गलती तो नहीं कर रही हूं मायके जाने की? पर ट्रेन की रफ्तार तेज हो चुकी थी. पूरा रास्ता यही सोचती रही कि इतना नहीं बोलना चाहिए था मुझे… सुबह ही हम पटना पहुंच गए.

सब से मिल कर अच्छा लगा. पापा तो बहुत खुश हुए. सब रवि के बारे में पूछने लगे तो मैं ने कह दिया कि उन्हें काम था, इसलिए नहीं आ पाए.’’

यहां आए 4-5 दिन हो गए. रवि रोज सुबह शाम फोन करते. एक रोज कनिका ने पूछ ही लिया कि रवि ने सालगिरह पर मुझे क्या उपहार दिया तो मैं ने हंस कर टाल दिया.

कनिका और परेश हमेशा यही जताने की कोशिश करते कि दोनों में बहुत प्यार है. पापा ने ही दोनों के टिकट करवाए थे, सिंगापुर जाने के लिए. पापा ने रवि से भी पूछा था कि कहीं घूमने जाना हो तो टिकट करवा दूं पर मेरे पति तो राजा हरीशचंद हैं, उन्होंने मना कर दिया.

एक रात पापा और भाभी भैया किसी की शादी में गए थे. निया और मैं कमरे में टैलीविजन देख रहे थे.

‘‘दीदी, मैं ने खाना बना दिया है… मैं अपने घर जा रही हूं,’’ कामवाली कह कर चली गई.

थोड़ी देर बाद निया के खाने का वक्त हो गया. निया सो न जाए यह सोच कर मैं किचन मैं खाना लेने जाने लगी कि तभी कनिका के कमरे से हंसने की और अजीब सी आवाजें आने लगीं.

ये कनिका भी न… कम से कम कमरे का दरवाजा तो लगा लेती. मैं ने सोचा परेश के साथ अभी उसे समय मिला. मैं बुदबुदाई पर जैसे ही मैं किचन से खाना ले कर निकली तो मैं ने देखा कि कनिका तो बाहर से आ रही है.

‘‘कनिका तुम? तो तुम्हारे कमरे में कौन है? तुम कहीं बाहर गई थीं?’’ मैं ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘हां दीदी, मैं पड़ोस की स्वाति भाभी के घर गई थी. कब से बुला रही थीं… देखो न कितनी देर तक बैठा लिया.’’

‘‘कनिका, निया के लिए खाना ले कर मेरे कमरे में आओ न जरा कुछ बातें करनी हैं तुम से,’’ मैं ने हड़बड़ाते हुए कनिका के हाथ में खाने की प्लेट थामते हुए कहा. मुझे लगा कहीं कनिका कुछ ऐसावैसा देख न ले, पर कौन है कमरे में? जैसे ही मैं पलटी देख कर दंग रह गई. सोना अपने ब्लाउज का बटन लगाते हुए कनिका के कमरे से निकल रही थी. उस के  बाल औैर कपड़े अस्तव्यस्त थे. मुझे देखते ही सकपका गई और भाग गई.

परेश का शारीरिक संबंध एक नौकरानी के साथ… छि:…

‘‘ दीदी, निया का खाना ले आई… कुछ बातें करनी थीं आप को मुझ से?’’

उफ, दिमाग से निकल गया कि क्या बातें करनी थीं. सुबह कर लूंगी… अभी तू जा कर आराम कर.’’

‘‘ठीक है दीदी.’’ उफ, क्या समझा था मैं ने परेश को और वह क्या निकला… अब तो परेश से घिन्न आने लगी है… और यह कनिका अपने पति की बड़ाई करते नहीं थकती है.

रवि तो मेरी खुशी में ही अपनी खुशी देखते हैं और मैं ने कितना कुछ सुना दिया उन्हें. आज तक कभी उन्होंने पराई औरत की तरफ नजर उठा कर नहीं देखा… मुझे रवि की याद सताने लगी. मन हुआ कि अभी फोन लगा कर बात कर लूं.

सुबह जब रवि का फोन नहीं आया तो मैं ने ही फोन लगाया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया. बारबार फोन लगा रही थी पर वे नहीं उठा रहे थे. मेरा मन बहुत बैचेन होने लगा. अब मुझे चिंता भी होने लगी, इसलिए मैं ने उन के औफिस में फोन किया तो रिसैप्शनिस्ट ने बताया कि  रवि आज औफिस नहीं आए और कल भी जल्दी चले गए थे. उन की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी.

यह सुन कर मुझे और चिंता होने लगी.

‘‘पापा, रवि की तबीयत ठीक नहीं है. अभी औफिस से पता चला, इसलिए मैं कल की गाड़ी से चली जाऊंगी,’’ मैं ने पापा से कहा.

‘‘कोई चिंता की बात तो नहीं है न? मैं हवाईजहाज की टिकट करवा देता हूं,’’ पापा ने मुझ से कहा.

मैं ने सोचा कि जो बात मेरे पति को नहीं पसंद वह मैं नहीं करूंगी. अत: बोली, ‘‘नहीं पापा मैं ट्रेन से चली जाऊंगी. आप चिंता न करें. वैसे भी पटना से दिल्ली ज्यादा दूर नहीं है.’’

रास्ते भर मैं परेशान रही कि क्या हुआ होगा. ऐसा लग रहा था कि उड़ कर अपने घर पहुंच जाऊं. करीब 7 बजे सुबह हम अपने घर पहुंच गए. मैं बारबार दरवाजा खटखटा रही थी पर रवि दरवाजा नहीं खोल रहे थे. फिर मैं ने घर की दूसरी चाबी से दरवाजा खोला. अंदर गई तो देखा रवि बेसुध सोए थे. उन का बदन बुखार से तप रहा था. मैं ने तुरंत डाक्टर को बुलाया. डाक्टर ने रवि को इंजैक्शन दिया. धीरेधीरे उन का बुखार उतरने लगा.

जब उन की आंखें खुलीं तो चौंक कर बोले, ‘‘अरे तुम. मैं ने तुम्हें परेशान नहीं करना चाहा इसलिए बताया नहीं. माफ कर दो कि मायके से जल्दी आना पड़ा,’’ कहते हुए रवि रो पड़ा.

‘‘माफ आप मुझे कर दीजिए. मैं ही गलत थीं,’’ मेरी आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. फिर सोचने लगी कि मैं अपने अरमान उन पर लादती रही. कभी रवि के बारे में नहीं सोचा. कितने सौम्य, शालीन और सुव्यवस्थित किस्म के इनसान हैं मेरे पति. कितना प्यार और समर्पण दिया रवि ने मुझे पर मैं ही अपने पति को पहचान नहीं पाई.

‘‘अब कुछ मत सोचो तूलिका जो हुआ उसे भूल जाओ… हम दोनों एक हैं और कभी अलग नहीं होंगे, यह वादा रहा.’’

मैं ने भी हां में अपना सिर हिला दिया. सच में हम दोनों एकदूजे के वास्ते हैं.

Family Story in Hindi

Social Story: नो गिल्ट ट्रिप प्लीज

Social Story: नेहा औफिस से निकली तो कपिल बाइक पर उस का इंतज़ार कर रहा था. वह इठलाती हुई उस की कमर में हाथ डाल कर उस के पीछे बैठ गई फिर मुंह पर स्कार्फ बांध लिया.

कपिल ने मुसकराते हुए बाइक स्टार्ट की. सड़क के ट्रैफिक से दूर बाइक पर जब कुछ खाली रोड पर निकली तो नेहा ने कपिल की गरदन पर किस कर दिया. कपिल ने सुनसान जगह देख कर बाइक एक किनारे लगा दी. नेहा हंसती हुई बाइक से उतरी और  कपिल ने जैसे ही हैलमेट उतार कर रखा, नेहा ने कपिल के गले में बांहें डाल दीं. कपिल ने भी उस की कमर में हाथ डाल उसे अपने से और सटा लिया. दोनों काफी देर तक एकदूसरे में खोए रहे.

उतरतीचढ़ती सांसों को काबू में करते हुए नेहा बोली,” सुनो, अभी मेरे घर चलना चाहोगे?”

”क्या?” कपिल हैरान हो गया.

”हां, घर पर कोई नहीं है, चलो न.”

”तुम्हारे मम्मीपापा कहां गए?”

”किसी की डैथ पर अफसोस करने गए हैं, रात तक आएंगे.”

”तो चलो, फिर हम देर क्यों कर रहे हैं? मैं तो अभी से सोच कर मरा जा रहा हूं कि क्या हम सचमुच अभी वही करने जा रहे हैं जो हम 15 दिनों से नहीं कर पाए. यार, रूड़की में जगह ही नहीं मिलती. पिछली बार मेरे घर पर कोई नहीं था, तब मौका मिला था.”

”चलो अब, बातें नहीं कुछ और करने का मूड है अभी.”

कपिल ने बड़े उत्साह से बाइक नेहा के घर की तरफ दौड़ा दी. रास्ते भर मुंह पर स्कार्फ बांधे नेहा कपिल की कमर में बाहें डाल उस से लिपटी रही. दोनों युवा प्रेमी अपनीअपनी धुन में खोए हुए थे.

दोनों का अफेयर 2 साल से चल रहा था. दोनों का औफिस एक ही बिल्डिंग में था. इसी बिल्डिंग में कभी कैफेटैरिया में, तो कभी लिफ्ट में मिलते रहने से दोनों की जानपहचान हुई थी. दोनों ने एकदूसरे को देखते ही पसंद कर लिया था.

नेहा की बोल्डनैस पर कपिल फिदा था तो कपिल के शांत व सौम्य स्वभाव पर नेहा मुग्ध हो गई थी. इन 2 सालों में दोनों पता नहीं कितनी बार शारीरिक रूप से भी पास आ गए थे. नेहा लाइफ को खुल कर जीना चाहती थी. कई बार तो कपिल उस के जीने के ढंग को देख कर हैरान रह जाता.

नेहा के घर में उसके पेरैंट्स थे. दोनों कामकाजी थे. छोटा भाई कालेज में पढ़ रहा था. कपिल अपने पेरैंट्स की इकलौती संतान था. उस की मम्मी हाउसवाइफ थी. कपिल के पिता रवि एक बिल्डर थे. आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी.

कपिल ने अपने घर में नेहा के बारे में बता दिया था. नेहा को बहू बनाने में कपिल के पेरैंट्स को कोई आपत्ति  नहीं थी. नेहा कपिल के घर भी आतीजाती रहती पर नेहा के घर में कपिल के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था.

हमेशा की तरह कपिल ने नेहा की बिल्डिंग से कुछ दूर एक शौपिंग कौंप्लैक्स की पार्किंग में बाइक खड़ी की. पहले नेहा अपने घर गई. थोड़ी देर बाद कपिल उस के घर पहुंचा. पहले भी घर पर किसी के न होने का  दोनों ने भरपूर फायदा उठाया था.

घर में अंदर जाते ही कपिल ने अपना बैग एक तरफ रख नेहा को बांहों में भर लिया. उस पर अपने प्यार की बरसात कर दी. नेहा ने उस बरसात में अपनेआप को पूरी तरह भीग जाने दिया. प्यार की यह बरसात नेहा के बैड पर कुछ देर बाद ही रुकी.

कपिल ने कहा,”यार, अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता, चलो न, शादी कर लेते हैं. देर क्यों कर रही हो?”

नेहा ने अपने बोल्ड अंदाज में कहा,”शादी के लिए क्यों परेशान हो?, जो बाद में करना है अभी कर ही रहे हैं न.”

‘अरे ,ऐसे नहीं, अब चोरीचोरी नहीं, खुल कर अपने घर में तुम्हारे साथ रहना है.”

”पर मेरा मूड शादी का नहीं है, कपिल.”

”कब तक इंतजार करवाओगी?”

”पर मैं ने तो यह कभी नहीं कहा कि मैं तुम से शादी जल्दी ही करूंगी.”

”पर मैं तो तुम से ही करूंगा, मैं तुम्हारे बिना जी ही नहीं सकता, नेहा. मैं ने सिर्फ तुम से ही प्यार किया है.”

”ओह, कपिल,” कहते हुए नेहा ने फिर कपिल के गले में बांहें डाल दीं, कहा, ”चलो, अब तुम्हे फिर कौफी पिलाती हूं.”

दोनों ने कौफी भी काफी रोमांस करते हुए पी. कपिल थोड़ी देर बाद चला गया. हर समय टच में रहने के लिए व्हाट्सऐप था ही.

यह दोनों का रोज का नियम था कि कपिल ही नेहा को उस के घर छोड़ कर जाता. कपिल ने घर जा कर साफसाफ बताया कि वह नेहा के साथ था.

उस की मम्मी सुधा ने कहा,” बेटा, तुम दोनों शादी क्यों नहीं कर रहे हो? अब दोनों ही अच्छी नौकरी भी कर रहे हो, तो देर किस बात की है?”

”मम्मी, अभी नेहा शादी नहीं करना चाहती.”

”फिर कब तक करेगी ?उस के पेरैंट्स क्या कहते हैं?”

”कुछ नहीं,मम्मी. अभी तो उस ने अपने घर में हमारे बारे में बताया ही नहीं.”

”यह क्या बात हुई ?”

”छोड़ो मम्मी, जैसा नेहा को ठीक लगे. वह शायद और टाइम लेना चाहती है.”

”बेटा, एक बात और मेरे मन में है. क्या तुम उस से निभा लोगे? वह काफी बोल्ड लड़की है, तुम ठहरे सीधेसादे.”

”मम्मी, वह आज की लड़की है. आज की लड़कियां आप के टाइम से थोड़ी अलग होती हैं. नेहा बोल्ड है मगर गलत नहीं. आप चिंता न करो वह शायद कुछ और रुकना चाहती है.”

“पर मुझे लगता है अब तुम सीरियसली शादी के बारे में सोचो.”

”अच्छा ठीक है मम्मी, उस से बात करता हूं.”

2 दिन बाद ही नेहा ने कपिल से कहा,”यार, लौटरी लग गई, मेरा भाई दोस्तों के साथ पिकनिक पर जा रहा है और मेरे चाचा की तबीयत खराब हो गई है. मेरे मम्मीपापा उन्हें देखने दिल्ली जा रहे हैं. चलो, अब तुम भी अपने घर बोल दो कि तुम भी टूर पर जा रहे हो. दोनों औफिस से छुट्टी ले कर जम कर घर पर ऐश करेंगे.”

”सच?”

”लाइफ ऐंजौय करेंगे, यार. आ जाओ, खाना बाहर से और्डर करेंगे. बस सिर्फ ऐश ही ऐश.”

कपिल नेहा को दिलोजान से चाहता था. जैसा उस ने कहा था कपिल ने वैसा ही किया. वह अपने घर पर टूर पर जाने की बात बता कर नेहा के घर रात गुजारने के लिए अपने कपङे वगैरह ले कर आ गया. दोनों ने जीभर कर रोमांस किया. जब मन हुआ पास आए, एकदूसरे में खोए रहे.

कपिल ने कहा,”यार, तुम्हारे साथ ये पल ही मेरा जीवन हैं. अब तुम हमेशा के लिए मेरी लाइफ में जल्दी आ जाओ. अब मैं नहीं रुक सकता बोलो, कब मिला रही हो अपने पेरैंट्स से?”

नेहा ने प्यार से झिड़का,”तुम क्या यह शादीशादी करते रहते हो? शादी की क्या आफत आई है? और मैं तुम्हें कितनी बार बता चुकी हूं कि मेरा मूड शादी करने का नहीं है.”

अब कपिल गंभीर हुआ,”नेहा, यह क्या कहती रहती हो? मेरी मम्मी बारबार मुझे शादी करने के लिए कह रही हैं और हम रूक क्यों रहे हैं ?”

नेहा ने अब शांत पर गंभीर स्वर में कहा ,”देखो, मैं अभी काफी साल शादी के बंधन में नहीं बंधने वाली. अभी मैं सिर्फ 26 साल की हूं और लाइफ ऐंजौय कर रही हूं.”

”पर मैं 30 का हो रहा हूं. आज नहीं तो कल हमें शादी करनी ही है. एकदूसरे के इतने करीब हैं तो चोरीचोरी कब तक क्यों मिलें?”

”यह मैं ने कब कहा कि आज नहीं तो कल हम शादी कर ही रहे हैं?”

”मतलब ?”

”देखो, कपिल अब तक मैं ने तुम्हें अपने पेरैंट्स से इसलिए नहीं मिलवाया क्योंकि अरैंज्ड मैरिज तो हमारी होगी नहीं क्योंकि हम अलगअलग जाति के हैं. मेरे पेरैंट्स ठहरे पक्के पंडित और तुम हम से नीची जाति के. अभी इस उम्र में जाति को ले कर मुझे टैंशन चाहिए ही नहीं. हम प्यार, रोमांस सैक्स सब कुछ तो ऐंजौय कर रहे हैं, तुम शादी के पीछे क्यों पड़े हो? शादी तो अभी दूरदूर तक मैं नहीं करने वाली.”

”क्या तुम मुझे प्यार नहीं करतीं?”

”करती तो हूं.”

”फिर तुम्हारा मन नहीं करता कि हम दोनों एकसाथ रहने के लिए शादी कर लें?”

‘नहीं, यह मन तो नहीं करता मेरा.”

”अच्छा बताओ, कितने दिन रुकना चाहती हो, मैं तुम्हारा इंतजिर करूंगा.”

”मुझे नहीं पता.”

कपिल कुछ गंभीर सा बैठ गया तो नेहा ने शरारती अंदाज में मस्ती शुरू कर दी. कहा,”मैं तुम्हें फिर कहती हूं कि शादी की रट छोड़ो, लाइफ को ऐंजौय करो.”

”मतलब तुम मुझ से शादी नहीं करोगी?”

”नहीं.”

”मैं समझ ही नहीं पा रहा, नेहा यह सब क्या है? तुम 2 साल से मेरे साथ रिलैशनशिप में हो, पता नहीं कितनी बार हम ने सैक्स किया होगा और तुम कह रही हो कि मुझ से शादी नहीं करोगी?”

“सैक्स कर लिया तो कौन सा गुनाह कर लिया? हम एकदूसरे को पसंद करते थे और करीब आ गए. अच्छा लगा. इस में शादी कहां से आ गई?”

”तो शादी कब और किस से करने वाली हो ?”

”अभी तो कुछ भी नहीं पता. मैं यह सोच कर तुम से सैक्स थोड़े ही कर रही थी कि तुम से ही शादी करूंगी. कपिल, अब वह जमाना गया जब कोई लड़की किसी लङके को इसलिए अपने पास आने देती थी कि उसी से शादी करेगी. ऐसा कुछ नहीं है अब. कम से कम मैं ऐसा नहीं सोचती. अभी मैं लाइफ ऐंजौय करने के मूड में हूं. अभी गृहस्थी संभालने का मेरा कोई मूड नहीं. तुम भी अब यह शादी शादी की रट छोड़ दो और ऐंजौय करो.”

”नहीं… नेहा मैं इस रिश्ते को कोई नाम देना चाहता हूं.”

नेहा अब झुंझला गई,” तो कोई ऐसी लड़की ढूंढ़ लो जो तुम से अभी शादी कर ले.”

कपिल ने भावुक हो कर उस का हाथ पकड़ लिया,”ऐसा कभी न कहना नेहा. मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता.”

”अरे, सब कहने की बातें हैं. रोज हजारों दिल जुड़ते हैं और हजारों टूटते हैं. सब चलता रहता है.”

कपिल की आंखों में सचमुच नमी आ गई. यह नमी गालों पर भी बह गई  तो नेहा हंस पड़ी,” यह क्या कपिल, इतना इमोशनल क्यों हो यार… रिलैक्स.”

”कभी मुझ से दूर मत होना, नेहा. आई रियली लव यू , कहतेकहते कपिल ने उसे बांहों में भर कर किस कर दिया. नेहा भी उस के पास सिमट आई. थोड़ी देर रोमांस चलता रहा.

काफी समय दोनों ने साथ बिता लिया था. अगले दिन कपिल घर जाने लगा तो नेहा ने कहा,”कपिल, बी प्रैक्टिकल.”

कपिल ने उसे घूरा तो वह हंस पड़ी और कहा ,”प्रैक्टिकल होने में ही समझदारी है. इमोशनल हो कर मुझे गिल्ट ट्रिप पर भेजने की कोशिश मत करो.”

कुछ दिन तो सामान्य से कटे , फिर कपिल ने महसूस किया कि नेहा उस से कटने लगी है. कभी फोन पर कह देती,”तुम जाओ, मेरी कुछ जरूरी मीटिंग्स हैं, देर लगेगी. कभी मिलती तो जल्दी में होती. बाइक पर कभी साथ भी होती तो चुप ही रहती. पहले की तरह बाइक पर शरारतों भरा रोमांस खत्म होने लगा. दूरदूर अजनबी सी बैठी रहती. कपिल के पूछने पर औफिस का स्ट्रैस कह देती.कपिल को साफ समझ आ रहा था कि वह उस से दूर हो रही है. फोन भी अकसर नहीं उठाती और कुछ भी बहाना कर देती.

एक दिन कपिल ने बाइक रास्ते में एक सुनसान जगह पर रोक दी और पूछा,”नेहा, मुझे साफसाफ बताओ कि तुम मुझ से दूर क्यों भाग रही हो ? मुझे तुम्हारा यह अजनबी जैसा व्यवहार बरदाश्त नहीं हो रहा है.”

नेहा ने भी अपने मन की बात उस दिन साफसाफ बता दी,” कपिल, तुम बहुत इमोशनल हो. हमारे अभी तक के संबंधों को शादी के रूप में देखने लगे हो. मेरा अभी दूरदूर तक शादी का इरादा नहीं है. अभी तो मुझे अपने कैरियर पर ध्यान देना है. मैं शादी के झमेले में अभी नहीं फंसना चाहती. तुम्हारी शादी की चाहत से मैं बोर होने लगी हूं और शायद तुम जैसे इमोशनल इंसान के साथ मेरी ज्यादा निभे भी न, तो समझो कि मैं तुम से ब्रैकअप कर रही हूं.”

कपिल का स्वर भर्रा गया,”ऐसा मत कहो, नेहा. मैं तुम्हारे बिना जीने की सोच भी नहीं सकता.”

”अरे ,यह सब डायलाग फिल्मों के लिए रहने दो. कोई किसी के बिना नहीं मरता. चलो, आज लास्ट टाइम घर छोड़ दो अब ऐंड औल द बैस्ट फौर योर फ्यूचर. एक अच्छी लड़की ढूंढ़ कर शादी कर लो. और हां, मुझे भी बुला लेना, मैं भी आउंगी. मुझे कोई गिल्ट नहीं है और मैं उन में से भी नहीं जो अपने प्रेमी को किसी और का होते न देख सकूं, ”कह कर नेहा जोर से हंसी.

कपिल ने उसे किसी रोबोट की तरह उस के घर तक छोड़ दिया.

“बाय, कपिल कह कर इठ लाती हुई नेहा अपने घर की तरफ चली गई. नेहा ने एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा. कपिल नेहा को तब तक देखता रहा जब तक वह उस की आंखों से ओझल न हो गई.

कपिल वापसी में रोता हुआ बाइक चलाता रहा. वह सचमुच नेहा से प्यार करता था. उस के बिना जीने की वह कल्पना ही नहीं कर पा रहा था.

लुटापिटा, हारा सा घर पहुंचा. उस की शक्ल देख कर उस की मम्मीपापा घबरा गए. वह खराब तबीयत का बहाना बता कर अपने कमरे में 2 दिन पड़ा रहा तो सब को चिंता हुई. न कुछ खापी रहा था और न ही कुछ बोल रहा था.

उस की मम्मी सुधा ने उस के एक दोस्त सुदीप को बुलाया. सुदीप उस के और नेहा के संबंधों के बारे में जानता था. सुदीप ने काफी समय कपिल के पास बैठ कर बिताया. कपिल कुछ बोल ही नहीं रहा था, पत्थर सा हो गया था. दीवानों सी हालत थी. बहुत देर बाद सुदीप के कुछ सवालों का जवाब उस ने रोते हुए दे कर बता दिया कि नेहा ने उसे छोड़ दिया है. सुदीप देर तक उसे समझाता रहा.

अगले दिन की सुबह घर में मातम ले कर आई. कपिल ने रात में हाथ की नस काट कर आत्महत्या कर ली थी. एक पेपर पर लिख गया था ,”सौरी मम्मी, मुझे माफ कर देना. नेहा ने मुझे छोड़ दिया है. मैं उस के बिना नहीं जी पाउंगा. पापा, मुझे माफ कर देना.”

मातापिता बिलखते रहे. सुदीप पता चलने पर बदहवास सा भागा आया. जोरजोर से रोने लगा. बड़ी मुश्किल घङी थी. सुधा बारबार गश खाती और कहती कि क्या एक लड़की के प्यार में हमें भी भूल गया? हमारा अब कौन है? पडोसी, रिश्तेदार सब इकठ्ठा होते रहे. सब ने रमेश और सुधा को बहुत मुश्किल से संभाला. दोनों को कहां चैन आने वाला था. सुदीप को नेहा पर बहुत गुस्सा आ रहा था.

एक शाम वह नेहा के औफिस की बिल्डिंग के नीचे खड़े हो कर उस का इंतजार करने लगा. वह निकली तो उस ने अपना परिचय देते हुए उसे कपिल की आत्महत्या के बारे में बताया तो नेहा ने एक ठंडी सांस ले कर कहा ,”दुख जरूर हुआ मुझे पर गिल्ट फील करवाने की जरूरत नहीं है. वह कमजोर था , मेरी सचाई के साथ कही बात को सहन नहीं कर पाया तो मेरी गलती नहीं है. उस की आत्महत्या के लिए मैं खुद को दोषी बिलकुल नहीं समझूंगी. मुझे गिल्ट ट्रिप मत भेजो, ओके…” कहते हुए वह सधे कदमों से आगे बढ़ गई. सुदीप हैरानी से उसे देखता रह गया.

Social Story

Nariyal laddoo: इस तरह बनाएंगी नारियल लड्डू तो पड़ोसी रेसिपी मांगेंगे

Nariyal laddoo

सामग्री :-

कसा हुआ नारियल २/१/१ कप

कंडेंस्ड मिल्क १ कप

बादाम कटे हुए २  बड़े  चम्मच

कटी हुई किशमिश २ बड़े चम्मच

चिरोंजी १ बड़ा चम्मच

देशी घी २ बड़े चम्मच

इलाइची पाउडर १ छोटा चम्मच

खस शरबत  १ बड़े चम्मच

नारियल लपेटने के लिए

विधि :-

सबसे पहले नारियल को सूखा ही एक पैन में हल्का गुलाबी हो जाने तक भून लें और पैन से निकाल लें.

अब इसी पैन में कंडेंस्ड  लगातार चलाते हुए दो से तीन मिनट के लिए पका लें और इसमें भुना हुआ नारियल डालें अच्छी तरह से मिला लें.

अब इसमें घी, कटी मेवा, इलाइची पाउडर और खस शरबत डालें अच्छी तरह से मिला कर लगातार चलाते हुए पांच मिनट के लिए धीमी आंच पर पका कर गैस को बंद कर दें.

मिश्रण को ठंडा करें और जब मिश्रण हल्का गुनगुना रहे तभी इसके लड्डू बना लें.

और कसे हुए नारियल को ऊपर से लपेट दें.

ठंडा करके इसे जार में रख दें.

Nariyal laddoo

Dumb Phone Trend: डिजिटल डिटौक्स और सुकून की वापसी?

Dumb Phone Trend: सोचिए, सुबह उठते ही सब से पहले हाथ में मोबाइल. सोने से पहले भी जब तक कम से कम एक घंटा स्क्रौलिंग न कर लें तब तक नींद नहीं पड़ती. दिन भर न जाने कितनी बार फोन चैक करते हैं, सोशल मीडिया स्क्रौल करते हैं, नोटिफिकेशन देखते हैं. कुछ मिस न हो जाए, इस डर में जीते हैं. यही है डिजिटल एडिक्शन, जिस से आज की पीढ़ी ही नहीं बल्कि सोसायटी का हर तबका जूझ रहा है.

लेकिन अब एक नया ट्रैंड सामने आ रहा है डंब फोन का. मतलब वही पुराने जमाने वाले मोबाइल जिन में न इंटरनैट है, न सोशल मीडिया, न कैमरा क्वालिटी, न ऐप्स. बस, कौल व एसएमएस.

आज लोग जानबूझ कर स्मार्टफोन छोड़ कर डंब फोन की तरफ लौट रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह वाकई जरूरी है? क्या लोग इसे अपना पा रहे हैं या बस शोऔफ के लिए एक ट्रैंड सेट कर दिया गया है. इस से पहले जान लेते हैं कि ये डंब फोन आखिर होते क्या हैं.

डंब फोन क्या होते हैं?

डंब फोन यानी वे मोबाइल जो सिर्फ कौल और एसएमएस के लिए बने हैं. उन में स्मार्टफोन जैसी सुविधाएं नहीं होतीं. म्यूजिक सुन सकते हैं, अलार्म लगा सकते हैं लेकिन उन में इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप या यूट्यूब जैसे ऐप नहीं चलते. कुछ मौडलों में बेसिक कैमरा या रेडियो होता है, लेकिन बहुत लिमिटेड फंक्शन होते हैं.

डिजिटल डिटौक्स क्या है?

डिजिटल डिटौक्स का मतलब है खुद को कुछ वक्त के लिए डिजिटल स्क्रीन से दूर रखना. जैसे सोशल मीडिया से ब्रेक लेना, मोबाइल से दूरी बनाना, सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही इंटरनैट यूज करना.

सवाल उठता है कि लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्यों बढ़ रहा है डंब फोन का ट्रैंड?

स्क्रीनटाइम से थक चुके लोग : ईवाई कंपनी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औसत स्क्रीनटाइम 5 घंटे प्रतिदिन तक पहुंच चुका है. इस में सब से ज्यादा समय सोशल मीडिया, यूट्यूब और औनलाइन शौपिंग पर जाता है.

लोग कहने लगे हैं, ‘बस, बहुत हो गया. हर समय फोन में घुसे रहना थका देता है.’

मैंटल हैल्थ पर असर : डब्ल्यूएचओ ने भी माना है कि ज्यादा डिजिटल एक्सपोजर से एंग्जायटी, डिप्रैशन और नींद की कमी की समस्या बढ़ रही है. दिल्ली की रहने वाली 25 वर्षीया काम्या बताती हैं, “मैं हर वक्त इंस्टाग्राम पर स्क्रौल करती थी. मुझे लगने लगा था कि सब की जिंदगी बेहतर है, मेरी क्यों नहीं? तब मैं ने एक महीना डंब फोन यूज किया. यकीन मानिए, मैं ने खुद से दोबारा जुड़ना सीखा. मैं फालतू की शौपिंग करने से बची और दिनभर रील्स और शौर्ट देख कर दिमाग भी दुखने लगा था. खुद की कोई स्किल्स यूज नहीं हो रही थी, बस, वही कौपी-पेस्ट. अब इस ब्रेनरौट से भी धीरेधीरे छुटकारा मिल रहा है.”

हालांकि काम्या ने बताया कि वह अपने स्मार्टफोन से फुलटाइम दूर नहीं हो पा रही थी. औफिस का कोई काम, रिश्तेदारों और दोस्तों से वीडियोकौल या किसी जानकारी के लिए वह बारबार स्मार्टफोन की ओर खिंची चली आ रही थी. वह कहती है कि आजकल हम इंटरनैट पर इतना डिपैंडेंट हो गए हैं कि चाह कर भी उस का बौयकौट नहीं कर सकते.

फोकस और प्रोडक्टिविटी में गिरावट : वर्क फ्रौम होम और डिजिटल क्लासेस के कारण भी फोन की आदत बढ़ी है. लेकिन इस का सीधा असर हमारे फोकस पर पड़ा. रिसर्च कहती है कि एक नोटिफिकेशन भी आप का ध्यान भटका सकता है और फिर दोबारा से उसी काम में फोकस करने के लिए 20-25 मिनट तक लग सकते हैं.

रिलेशनशिप में दूरी : हर कोई फोन में व्यस्त है. एक ही घर में बैठे लोग भी आपस में बात नहीं करते. इसीलिए कुछ कपल्स अब वीकैंड्स पर डंब फोन यूज करने का ‘पैक्ट’ बना रहे हैं.

रिपोर्टस की मानें तो अमेरिका में पिछले 2-3 सालों में डंब फोन की डिमांड बढ़ी है. भारत में भी धीरेधीर जियो, नोकिया, सैमसंग और मोटोरोला फोन की डिमांड सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, अब यंगस्टर्स भी इसे ‘डिटौक्स फोन’ की तरह खरीदने की तैयारी में हैं.

योरगवर्मेंट की रिपोर्ट कहती है कि 67 फीसदी युवा मानते हैं कि सोशल मीडिया से ब्रेक लेना मानसिक रूप से फायदेमंद है.

कौन लोग अपना रहे हैं यह ट्रैंड?

-यंग प्रोफैशनल्स – जो काम में ध्यान लगाना चाहते हैं.

-मैडिटेशन प्रैक्टिशनर्स – जो ‘साइलेंस’ और ‘माइंडफुलनैस’ को तवज्जुह देते हैं.

-स्टूडैंट्स – जो पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहे.

-ट्रैवलर और हाइकर्स – जो डिजिटल डिस्कनैक्ट को फ्रीडम मानते हैं.

क्या डंब फोन सब के लिए सही है?

जरूरी नहीं कि हर किसी के लिए यह पूरा काम करे. कुछ लोगों को काम के लिए स्मार्टफोन जरूरी होता है. लेकिन हां, ‘डिटौक्स मोड’ में आ कर कुछ समय के लिए खुद को स्क्रीन से दूर रखना हर किसी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

रेडिट की एक पोस्ट में एक यूजर ने शेयर किया कि उस के एक दोस्त ने डिजिटल डिटौक्स के लिए कीपैड फोन रखने का फैसला किया. जब एक दिन वह अपने दोस्त के घर मूवी नाइट के लिए गया तो उस ने पाया कि उस का दोस्त सिर्फ कौलिंग के लिए डंब फोन को इस्तेमाल करता है और सारा समय अपने आईपैड पर डूमस्क्रौलिंग करता है (डूमस्क्रौलिंग का मतलब है सोशल मीडिया या वैबसाइट्स पर लगातार नकारात्मक खबरों को देखते रहना, खासकर बुरी खबरों को देखने की लत लगना).

ऐसे में डंब फोन रखने का कोई फायदा नहीं. और देखा जाए तो भारत में डंब फोन रखने का ट्रैंड सिर्फ शोऔफ के लिए है.

डंब फोन का ट्रैंड क्या सिर्फ फैशन है?

कुछ लोग इसे ‘नया फैशन’ मानते हैं. इंस्टाग्राम पर कई लोग डंब फोन के साथ पोज डालते हैं जैसे वह कोई स्टाइल स्टेटमैंट हो. लेकिन इस के पीछे की असल भावना सिंपलिसिटी का दिखावा है.

आज की बिजी लाइफस्टाइल में स्मार्टफोन से दूरी बनाना टेढ़ी खीर है. डंब फोन एक अच्छा औप्शन हो सकता है लेकिन यह पूरी तरह से पौसिबल नहीं है. इस के अलावा आप डंब फोन न इस्तेमाल करते हुए भी नीचे दिए जा रहे टिप्स को फौलो कर फोन से चिपके रहने की आदत से छुटकारा पा सकते हैं.

  • रोज एक घंटा बिना फोन बिताएं.
  • रविवार को ‘नो स्क्रीन डे’ बनाएं.
  • छुट्टी के दौरान डंब फोन का इस्तेमाल करें.

डंब फोन यूज करने के फायदे

  • माइंड रिलैक्स रहता है.
  • नींद बेहतर होती है.
  • आंखों को आराम मिलता है.
  • रिश्तों में ध्यान आता है.
  • खुद से जुड़ाव बढ़ता है.
  • नोटिफिकेशन की टैंशन नहीं रहती.

डिजिटल दुनिया ने हमें कई सहूलियतें दी हैं लेकिन साथ ही वह हमें खुद से दूर भी ले जा रही है. ऐसे में डंब फोन जैसे ट्रैंड हमें याद दिलाते हैं कि जिंदगी सिर्फ औनलाइन नहीं होती, असली जिंदगी वह है जो आप की स्क्रीन के बाहर चल रही है.

Dumb Phone Trend

Harnaaz Kaur Sandhu: फिल्म में डैब्यू, क्या पिछलों से सीख पाएगी हरनाज

Harnaaz Kaur Sandhu: हरनाज कौर संधू का जन्म 3 मार्च, 2000 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के कोहाली गांव में हुआ था. उस के पिता प्रीतमपाल सिंह संधू, एक रियल्टर हैं जबकि उस की मां डा. रबिंदर कौर संधू गायनीकोलौजिस्ट हैं. हरनाज के बड़े भाई हरनूर सिंह म्यूजिशियन और वीडियो एडिटर हैं.

हरनाज का बचपन काफी इंट्रैस्टिंग रहा. 2006 में उस का परिवार इंगलैंड में शिफ्ट हो गया, लेकिन दो साल बाद 2008 में वे सब वापस भारत आए और चंडीगढ़ में सैटल हो गए. चंडीगढ़ में ही उस की शिक्षा हुई और कैरियर का फाउंडेशन भी बना.

हरनाज ने अपनी स्कूलिंग शिवालिक पब्लिक स्कूल से कंप्लीट की. इस के बाद उस ने पोस्टग्रेजुएट गवर्नमैंट कालेज फौर गर्ल्स से बीए (आईटी) कंप्लीट किया और फिर एमए इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एनरोलमैंट लिया, जो उन्होंने ‘मिस यूनिवर्स’ खिताब जीतने से पहले पर्स्यू किया था.

हरनाज की कालेज प्रिंसिपल निशा अग्रवाल ने उसे एक ब्राइट, पोलाइट और हंबल स्टूडैंट बताया. उस के प्रोफैसर मोहित वर्मा ने भी कहा कि हरनाज मिमिक्री में काफी टैलेंटेड थी, जो उस की क्रिएटिव साइड को दिखाता है. ये क्वालिटीज उस के पेजेंट कैरियर में भी काम आईं.

ब्यूटी पेजेंट्स में पहला कदम

हरनाज का कैरियर का सफर तब शुरू हुआ जब वह सिर्फ 17 साल की थी. उस ने अपने पेजेंट्री कैरियर की शुरुआत 2017 में टाइम्स फ्रैश फेस मिस चंडीगढ़ टाइटल जीत कर की. यह एक छोटा प्लेटफौर्म था लेकिन इस ने उन्हें कौन्फिडैंस दिया कि वह बड़े स्टेज पर भी अपना जलवा दिखा सकती है.

इस के बाद उस ने 2018 में मिस मैक्स इमर्जिंग स्टार इंडिया का टाइटल जीता, और फिर 2019 में फेमिना मिस इंडिया पंजाब का क्राउन अपने नाम किया. फेमिना मिस इंडिया 2019 में हरनाज टौप 12 तक पहुंची, लेकिन वह यहां फाइनल क्राउन नहीं जीत सकी. इस के बावजूद उस ने प्रिलिमिनरी कंपीटिशन्स में मिस ब्यूटिफुल स्किन अवार्ड जीता. यही नहीं, वह मिस बीच बौडी, मिस ब्यूटीफुल स्माइल, मिस फोटोजेनिक और मिस टैलेंटेड कैटेगरीज में फाइनलिस्ट भी रही.

उस का ओपनिंग स्टेटमैंट, “फ्रौम अ यंग गर्ल विथ फ्रैजाइल मैंटल हैल्थ हू फेस्ड बुलीइंग एंड बौडीशेमिंग टू अ वुमन हू इमर्ज्ड लाइक अ फीनिक्स, रियलाइज़िंग हर ट्रू पोटैंशियल” ने सब का दिल जीत लिया और उस की रेजिलियन्स को दिखाया.

2021 में हरनाज ने लिवा मिस दीवा यूनिवर्स का टाइटल जीता, जो उसे मिस यूनिवर्स 2021 के स्टेज तक ले गया. 13 दिसंबर, 2021 को इजराइल के ईलात में हुई 70वीं मिस यूनिवर्स पेजेंट में उस ने  80 कंट्रीज के कंटेस्टेंट्स को पीछे छोड़ कर भारत के लिए क्राउन जीता. उस के नैशनल कौस्ट्यूम राउंड में पिंक रौयल लहंगा और मिरर वर्क वाला छाता जबकि फाइनल राउंड में उस का जवाब—“बिलीव इन योरसैल्फ, नो दैट यू आर यूनिक एंड ब्यूटीफुल. स्टौप कंपेयरिंग योरसैल्फ विथ अदर्स” ने जजेस और औडियंस दोनों का दिल जीत लिया.

मौडलिंग में नाम कैसे बना

हरनाज का मौडलिंग कैरियर उस के टीनएज ईयर्स से ही शुरू हो गया था. 16 साल की उम्र में उस ने अपना पहला मौडलिंग असाइनमैंट किया. उस की नैचुरल ब्यूटी, 5 फुट 9 इंच की हाइट और कौन्फिडैंट पर्सनैलिटी ने उसे रैंप पर एक अलग ही चार्म दिया. चंडीगढ़ के लोकल फैशन सीन से ले कर नैशनल और इंटरनैशनल स्टेज तक हरनाज ने अपनी प्रेज़ेंस से सब को इंप्रैस किया. मिस यूनिवर्स जीतने के बाद उस की पौपुलैरिटी स्काईहाई हो गई. उस की सोशल मीडिया प्रेज़ेंस भी काफी स्ट्रौंग रही, जहां इंस्टाग्राम और ट्विटर पर उस के लाखों फौलोअर्स हुए.

बौलीवुड और पंजाबी फिल्मों में कदम

हरनाज ने मौडलिंग के साथसाथ ऐक्टिंग में भी अपना हाथ आजमाया. उस ने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री की फिल्मों जैसे ‘यारा दियां पू बरन’ और ‘बाई जी कुट्टंगे’ के साथ. ये दोनों फिल्में 2022 में रिलीज हुई थीं. इन में हरनाज ने लीड रोल्स प्ले किए. इस के अलावा उस ने कलर्स टीवी के शो ‘उड़ारियां’ में एक कैमियो किया, जिस में उस ने एक ब्यूटी पेजेंट कंटेस्टेंट मणिका सूरी का रोल प्ले किया. इस कैमियो में उस की नैचुरल चार्म और स्क्रीन प्रेज़ेंस को काफी पसंद किया गया.

लेकिन, यहां एक ट्विस्ट आता है. हरनाज की खूबसूरती और मिस यूनिवर्स टाइटल के बावजूद वह फिल्मों में वह सक्सैस नहीं पा सकी जो शायद उस ने सोचा था. पंजाबी फिल्मों में उस का काम लिमिटेड रहा और बौलीवुड में भी उसे कोई बड़ा ब्रेक नहीं मिला. एक इंटरव्यू में हरनाज ने बताया था कि उस ने बौलीवुड में डैब्यू करने की सोचा है और उस का ड्रीम शाहरुख खान के साथ काम करना है. लेकिन अब तक उस का बौलीवुड कैरियर सिर्फ एस्पिरेशन्स तक ही सीमित रहा.

क्यों नहीं मिली फिल्मों में सक्सैस

हरनाज कौर संधू की खूबसूरती और टैलेंट के बावजूद उस का फिल्म कैरियर उतना सक्सैसफुल नहीं रहा जितना उस के फैंस ने एक्सपैक्ट किया था. इस के पीछे कुछ वजहें हैं.

टाइपकास्टिंग एज अ शोपीस: ब्यूटी पेजेंट विनर्स को अकसर प्रोड्यूसर्स एक ‘शोपीस’ के रूप में देखते हैं. उन्हें ग्लैमरस रोल्स या आइटम नंबर्स औफर किए जाते हैं, जिन में ऐक्टिंग से ज्यादा उन की ब्यूटी को हाइलाइट किया जाता है. हरनाज के साथ भी शायद यही हुआ. उस के पास मीटिंग डायलौग्स या चैलेंजिंग रोल्स नहीं आए कि जिन से वह अपनी ऐक्टिंग स्किल्स दिखा सके.

कंपीटिशन और इंडस्ट्री डायनामिक्स: बौलीवुड एक कंपीटीटिव इंडस्ट्री है, जहां एस्टैब्लिश्ड ऐक्टर्स और स्टारकिड्स को प्रिफरैंस मिलती है. ऐश्वर्या राय एक एक्सैप्शन रहीं, जिन के टैलेंट और लक ने उन्हें बौलीवुड की टौप ऐक्ट्रैस बनाया.

 दूसरी ब्यूटी क्वीन्स जो बौलीवुड में कामयाब न हुईं

हरनाज अकेली नहीं हैं जिस ने फिल्मों में स्ट्रगल किया. भारत से कई ब्यूटी पेजेंट विनर्स बौलीवुड में आईं लेकिन ऐश्वर्या राय और प्रियंका चोपड़ा के अलावा ज़्यादातर सक्सैस नहीं हो पाईं. जैसे-

सुष्मिता सेन: 1994 की मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन ने ‘दस्तक’ और ‘मैं हूं ना’ जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन उस की फिल्मोग्राफी उतनी कंसिस्टेंट नहीं रही. वह सिलैक्टिव रोल्स करती और ज़्यादा ऐक्टिंग से दूर रही.

लारा दत्ता: 2000 की मिस यूनिवर्स लारा दत्ता ने ‘अंदाज’, ‘नो एंट्री’, और ‘डौन 2’ जैसी फिल्में कीं, लेकिन उस का कैरियर भी एक पौइंट के बाद स्लो हो गया. आजकल वह ओटीटी प्लेटफौर्म्स पर ऐक्टिव है.

मानुषी छिल्लर: 2017 की मिस वर्ल्ड मानुषी ने ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ में काम किया, लेकिन ये फिल्में कमर्शियली सक्सैसफुल नहीं रहीं. उसे अभी भी एक बड़ा ब्रेक चाहिए.

दिया मिर्ज़ा: 2000 की मिस एशिया पैसिफिक दिया मिर्ज़ा ने ‘रहना है तेरे दिल में’ से डैब्यू किया, लेकिन उस का ऐक्टिंग कैरियर भी लिमिटेड रहा. आज वह प्रोड्यूसिंग और एनवायरनमैंटल एक्टिविज़्म में ऐक्टिव है.

यह पैटर्न दिखाता है कि ब्यूटी पेजेंट विनर्स को अकसर इनिशियल हाइप मिलता है लेकिन लौंग टर्म सक्सैस के लिए ऐक्टिंग स्किल्स, स्ट्रौंग स्क्रिप्ट्स और इंडस्ट्री कनैक्शन्स चाहिए. ऐश्वर्या राय और प्रियंका चोपड़ा ने यह बैलेंस बनाया, लेकिन बाकी कई क्वीन्स इस में पीछे रह गईं.

ग्लैमर ओवर सब्सटांस

प्रोड्यूसर्स दरअसल इन्हें ग्लैमरस रोल्स या गेस्ट अपीयरेंस में कास्ट करते हैं, जिस में डायलौग्स या कैरेक्टर डैप्थ कम होता है. इस से उन की ऐक्टिंग स्किल्स शोकेस नहीं होती.

मिस यूनिवर्स या मिस वर्ल्ड जैसा टाइटल एक फिल्म के प्रमोशन के लिए बड़ा मार्केटिंग टूल होता है. लेकिन जब फिल्म रिलीज होती है, तो फोकस स्टोरी या लीड ऐक्टर्स पर चला जाता है और ब्यूटी क्वीन्स बैकग्राउंड में रह जाती हैं.

इंडस्ट्री में एक परसैप्शन है कि ब्यूटी क्वीन्स ऐक्टिंग में उतनी कैपेबल नहीं होती. इस वजह से उन्हें चैलेंजिंग रोल्स नहीं मिलते. और वे टाइपकास्ट हो जाती हैं. हरनाज ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे बौलीवुड और हौलीवुड दोनों में स्टीरियोटाइप्स तोड़ना चाहती हैं. लेकिन अब तक उस की जर्नी इस डायरैक्शन में स्लो ही रही है.

बौलीवुड में एंट्री

हरनाज बौलीवुड में एंट्री करने वाली है. 2024 में अनाउंस हुआ कि वह ‘बागी 4’ में टाइगर श्राफ के साथ लीड रोल में है. यह फिल्म 5 सितंबर, 2025 को रिलीज होगी. जब ‘बागी 4’ अनाउंस हुई तो लोगों ने ट्रोल करना शुरू कर दिया.

‘यह फिल्म फ्लौप होगी’

‘मिस यूनिवर्स बनने के बाद मूवीज में आ कर सब का कैरियर डूबता है.’

बहरहाल, बौलीवुड में अगर वह सफल होना चाहती है तो उसे अपनी ऐक्टिंग स्किल्स पर काम करना होगा. वह खूबसूरत है, इस में शक नहीं. मगर सिर्फ शक्ल के बेस पर बौलीवुड में टिकना मुश्किल है. प्रोफैशनल ऐक्टिंग ट्रेनिंग ले कर, डायलौग्स डिलीवरी, इमोशन्स और एक्सप्रेशन्स पर काम कर वह फिल्मों में अपनी जगह बना सकती है. इस के लिए वह ग्लैमर के बजाय कंटैंट-बेस्ड स्क्रिप्ट्स चुने.

हरनाज का फ्यूचर अभी भी ब्राइट है. उस की उम्र सिर्फ 25 साल. वह अपने पैशन के साथ आगे बढ़ रही है. शायद एक दिन वह बौलीवुड में भी अपना मार्क बना ले. लेकिन अभी उस की मिस यूनिवर्स जर्नी और एडवोकेसी काम उसे एक ट्रू स्टार तो बनाता है.

Harnaaz Kaur Sandhu

War Memes: सोशल मीडिया पर गिरता ह्यूमर

War Memes: इंटरनैट पर मीम्स आज के युवाओं का ह्यूमर है. यह ह्यूमर तब ढहता हुआ दिखता है जब अधकचरी सोच और संवेदनाओं की कमी इन मीम्स में दिखाई पड़ती है. पहले जब भी किसी देश पर हमला होता था, जब भी कहीं जंग की खबर आती थी तो लोग बेचैन हो जाते थे. डर लगता था कि अब क्या होगा. लोगों के मन में सवाल उठते थे, हमारे जवान ठीक तो हैं? फोन कर के रिश्तेदारों से पूछा जाता था, ‘सब ठीक है न?’

मोबाइल का ज़माना तब भले न था पर ऐसी विकट स्थिति में पोस्ट से हालचाल जरूर पूछा जाता था. उस दौर में युद्ध का मतलब होता था अपनों के लिए डर, चिंता, बेचैनी और एक अनजाना खौफ. इस के अलावा अगर ह्यूमर की जगह होती थी तो उस में सत्ताओं से कड़े सवाल होते थे. कवि सम्मेलनों में थो खूब मसखरी हुआ करती थीं मगर जूतमपजामा जैसी मसखरी नहीं, बल्कि सलीके वाली.

अब का माहौल देखिए. जैसे ही 2 देशों के बीच कोई टैंशन होती है तो एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मीम्स की बाढ़ आ जाती है. कोई दुश्मन देश का मजाक उड़ा रहा होता है, कोई युद्ध को जोक्स में बदल रहा होता है और कोई उस में छिछले कमैंट कर रहा होता है. यह ह्यूमर नहीं, बल्कि छिछोरापन है, क्योंकि इस से सैंस डैवलप नहीं होता बल्कि युद्ध जैसी गंभीर स्थिति की हत्या होती है. ऐसा लगता है जैसे जंग नहीं, बल्कि कोई एंटरटेनमैंट चल रहा हो.

हर चीज को मजाक में लेना यह ट्रैंड क्यों आया?

युवाओं के पास हर मुद्दे का जवाब आज मीम के तौर पर होता है. राजनीति हो, महंगाई हो, कोई सैलिब्रिटी का विवाद हो या फिर 2 देशों के बीच तनाव. हर बात को एक मीम में बदल देना जैसे अब हमारी आदत बन गई है, जैसे हमारे पास शब्दों की कमी होने लगी हो. जैसे ही कोई बड़ा मुद्दा ट्रैंड करता है, लोग सब से पहले ‘फनी एंगल’ ढूंढ़ने लगते हैं. उन्हें लगता है कि अगर मजेदार मीम नहीं बनाया तो आप ट्रैंड से पीछे हैं और ट्रैंड फौलो कर आप ‘कूल’ कहलाते हैं. लेकिन इस ‘कूल’ बनने की चाह में हम इनसैंसिटिव बन गए हैं. क्या हर बात मजाक हो सकती है. सोनम रघुवंशी मामले में भी यूथ सोशल मीडिया पर पिल पड़ा मीम बनाने और शेयर करने में. किसी ने इस का सोशल इंपैक्ट पर सोचा नहीं. यह नहीं सोचा कि पीड़ित परिवार पर इन मीम्स से क्या गुजर रही होगी.

जंग सिर्फ न्यूज नहीं होती, जिंदगियां दांव पर होती हैं

जब 2 देशों के बीच जंग होती है तो सिर्फ मिसाइलें नहीं चलतीं, घर उजड़ते हैं, फौजी शहीद होते हैं, बच्चे अनाथ होते हैं और आम लोगों की जिंदगी तबाह हो जाती है. देश की इकोनौमी को तो छोड़ ही दें, उस पर कौन ही सोचे. लेकिन शायद इन बातों का स्क्रीन के पीछे छिप कर मीम बनाने वालों को अंदाजा नहीं है.

 मजाक की एक सीमा होती है

मीम बनाना गलत नहीं है. ह्यूमर भी जरूरी है. लेकिन ह्यूमर कैसा हो, यह आप की सोच पर निर्भर करता है. दिक्कत यह है कि मीमर इसे डार्क ह्यूमर कहते हैं. मगर यह डार्क ह्यूमर कम बल्कि मन में भरी गंदगी उड़ेलना ज्यादा दिखाई पड़ता है. हर मुद्दा फनी नहीं होता. युद्ध में शहर के शहर उजड़ जाते हैं, सरकारी और निजी संपत्तियों का भारी नुकसान होता है.

युद्ध कोई कौमेडी शो नहीं है कि आप पौपकौर्न ले कर देखें और हंसे. जब हम जंग पर जोक्स बनाते हैं तो हम उन लोगों की तकलीफ का मजाक उड़ा रहे होते हैं जो असल में उस दर्द से गुजर रहे होते हैं, जैसे सरहद पर खड़े सिपाही जो हर पल जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं.

 मीम्स का जलवा और भारतीय युवा

भारत में मीम्स का क्रेज पिछले कुछ सालों में गजब बढ़ा है. इंस्टाग्राम, एक्स, फेसबुक और व्हाट्सऐप पर ढेर सारे मीम पेज हैं, जो हर दिन नए व मजेदार कंटैंट लाते हैं. यहां कुछ पौपुलर मीम पेज की चर्चा की गई है जो आएदिन दुनियाभर में चल रही झड़पों को मीम और जोक की तरह पेश करते हैं:

पौलीटूंस: इंस्टाग्राम का यह पेज पौलिटिक्स, बोल्ड ओपिनियन और ग्लोबल इवैंट्स पर मीम्स बनाता है. भारत व पाकिस्तान तनाव के वक्त इस ने कई मीम्स डाले, जो पाकिस्तानी आर्मी और वहां की जनता के हालात मजेदार मजाकिया अंदाज में दिखाते थे.

द इंडियन मीम्स- यह पेज बौलीवुड न्यूज से ले कर लगभग सभी पहलुओं पर फोकस करता है और युद्ध जैसे सीरियस टौपिक को भी हलकेफुलके ढंग से पेश करता है. मिसाल के तौर पर, ईरान व इजराइल झगड़े के दौरान इस ने एक मीम डाला, जिस में लिखा था, ‘ईरान व इजराइल लड़ रहे हैं और हम यहां पैट्रोल की कीमत बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.’

मीमनिस्ट- एक्स प्लेटफौर्म पर जब कमाल राशिद खान ने कहा कि इंडिया-पाक वार में अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी जंग लड़ने जाऊंगा, तो मीमनिस्ट पेज ने एक मीम बनाया कि ‘अब कचरा भी खेलेगा.’ इस पर हजारों लोगों ने ठहाके लगाए.

घंटा- यह पेज अपने तीखे और बेबाक कंटैंट के लिए फेमस है. भारत व पाकिस्तान तनाव के दौरान इस ने ऐसे मीम्स बनाए जो दोनों देशों के न्यूज चैनलों की ओवर द टौप बातों का मजाक उड़ाते थे.

इस के अलावा ऐसे सैकड़ों मीम पेज हैं जो वाकर या किसी भी स्थिति में धड़ाधड़ मीम बनाना शुरू कर देते हैं, जैसे सर्कास्टिक अस, बींग ह्यूमर, इंडियन ट्विटर आदि. इन सभी के लाखों में फौलोअर्स हैं औऱ ये देशविदेश, पौलिटिक्स, बौलीवुड आदि पर मीम बनाते करते हैं.

युवा पीढ़ी को जिम्मेदारी समझनी होगी

आज के युवा तेज हैं, स्मार्ट हैं, टैक्नोलौजी में आगे हैं. लेकिन अगर यही पीढ़ी हर गंभीर बात को हलके में लेने लगे, तो आने वाले कल में कोई हमें गंभीरता से नहीं लेगा.

देश के लिए सोचने का मतलब सिर्फ झंडा लहराना या जय हिंद कहना नहीं होता. कभीकभी चुप रह कर, सोचसमझ कर रिऐक्ट करना भी देशभक्ति होती है. हर मुद्दे को ट्रैंड में लाने के बजाय कभीकभी उस के पीछे की सच्चाई को समझना भी जरूरी होता है.

भारत व पाकिस्तान का तनाव हो या ईरान व इजरायल का झगड़ा, मीम ने इन सभी देशों के बीच की झड़प को जोक का जरिया बना दिया है. यह ट्रैंड एक तरफ तो क्रिएटिविटी दिखाता है लेकिन दूसरी तरफ इस से सवाल उठता है कि क्या इतने गंभीर मुद्दों को मजाक बनाना ठीक है?

War Memes

Sridevi: किरदार पसंद न आने पर ठुकराई करोड़ों की हौलीवुड फिल्म

Sridevi: आज की कई हीरोइनें छोटीछोटी बातों को चर्चा में ला कर पब्लिसिटी पाने के नएनए हथकंडे अपनाती रहती हैं लेकिन जो सब से ज्यादा जरूरी है अपने अभिनय पर ध्यान देना उस से वह कोसो दूर रहती हैं. इस के विपरीत 90s की हीरोइन श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित पूरी कोशिश करती थी कि उन को निगेटिव पब्लिसिटी न मिले. वह जो भी काम करती थी शांतिपूर्वक बिना बताए ही करती थी.

ऐसा ही एक कारनामा श्रीदेवी का सामने आया जो तारीफ के काबिल था लेकिन श्रीदेवी ने उस बात की चर्चा तक नहीं की.

करोड़ों की मालकिन, और उस दौरान की नंबर वन हीरोइन श्रीदेवी जिन के नाम पर फिल्म चलती थी और हिट भी होती थी. उस दौरान एक फिल्म की फीस एक करोड़ लेती थी. इनफैक्ट श्रीदेवी को ध्यान में रख कर फिल्म की कहानी लिखी जाती थी जैसे चांदनी, लम्हे, नगीना आदि वही श्रीदेवी पब्लिकली ऐसे पेश आती थी जैसे वह इंडस्ट्री में नईनई आई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1993 में जुरासिक पार्क के लिए जिस का बजट हजार करोड़ था, वह फिल्म श्रीदेवी को औफर हुई थी इस फिल्म के लिए एक्टर इरफान खान को भी साइन किया गया था और यह फिल्म ग्लोबल सीरीज से जुड़ने वाली बौलीवुड फिल्म थी, इस में काम करने के बाद श्रीदेवी को न सिर्फ अच्छा खासा पैसा मिलने वाला था बल्कि वह ग्लोबल स्टार भी बन जाती लेकिन श्रीदेवी ने स्टीफन स्पिलबर्ग की फिल्म जुरासिक पार्क का औफर ठुकरा दिया, क्योंकि उस फिल्म में श्रीदेवी को अपना रोल पसंद नहीं आया था. उस दौरान श्री देवी जिस तरह के दमदार रोल कर रही थी, उस हिसाब से जुरासिक पार्क का रोल उतना असरदार नहीं था.

हालांकि बाद में यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई, और कई पार्ट्स में बनी. गौरतलब है आज जहां बौलीवुड हीरोइन हौलीवुड फिल्म करने के लिए छोटा किरदार करने को भी तैयार हैं वही श्रीदेवी ने अपनी काबिलियत और पसंद की खातिर इतनी बड़ी फिल्म का औफर ठुकरा दिया और अपनी गरिमा बनाए रखी.

Sridevi

Romantic story in hindi: फर्स्ट ईयर

Romantic story in hindi: कालेज शुरू हुए कुछ दिन बीते थे मगर फिर भी पहले साल के विद्यार्थियों में हलचल कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी. युवा उत्साह का तकाजा था और कुछ कालेजलाइफ का शुरुआती रोमांच भी था. एक अजीब सी लहर चल रही थी क्लास में, दोस्ती की शुरुआत की. हालांकि दोस्ती की लहर तो ऊपरी तौर पर थी, लेकिन सतह के नीचे कहीं न कहीं प्यार वाली लहरों की भी हलचल जारी थी. दोस्ती की लहर तो आप ऊपरी तौर पर हर जगह देख सकते थे, लेकिन प्यार की लहर देखने के लिए आप को किसी सूक्ष्मदर्शी की जरूरत पड़ सकती थी.

कनखियों से देखना, इक पल को एकदूसरे को देख कर मुसकराना, ये सब आप खुली आंखों से कहां देख सकते हैं. जरा ध्यान देना पड़ता है, हुजूर. मैं खुद कुछ उलझन में था कि वह मुझे देख कर मुसकराती है या फिर मुझे कनखियों से देखती है. खैर, मैं ठहरा कवि, कहानीकार. मेरे अतिगंभीर स्वभाव के कारण जो युवतियां मुझ में शुरू में रुचि लेती थीं वे अब दूसरे ठिठोलीबाज युवकों के साथ घूमनेफिरने लगी थीं. यहां मेरी रुचि का तो कोई सवाल ही नहीं था, भाई, मेरे लिए भागते चोर की लंगोटी ही काफी थी, लेकिन मेरे पास तो उस लंगोटी का भी विकल्प नहीं छूटा था.

लेकिन कुछ लड़कों का कनखियों से देखने व मुसकराने का सिलसिला जरा लंबा खिंच गया था और प्यार का धीमाधीमा धुआं उठने लगा था, अब वह धुआं कच्चा था या पक्का, यह तो आग सुलगने के बाद ही पता चलना था. खैर, उन सहपाठियों में मेरा दोस्त भी शामिल था. गगन नाम था उस का. वह उस समय किसी विनीशा नाम की लड़की पर फिदा हो चुका था. दोनों का एकदूसरे को कनखियों से देखने का सिलसिला अब मुसकराहटों पर जा कर अटक चुका था. मैं इतना बोरिंग और पढ़ाकू था कि मुझे अपने उस मित्र के बारे में कुछ पता ही नहीं चल सकता था. खैर, उस ने एक दिन मुझे बता ही दिया.

’’यार कवि, तुझे पता है विनीशा और मेरा कुछ चल रहा है,’’ गगन ने हलका सा मुसकराते हुए मुझे बताया था. ’’कौन विनीशा?’’ मेरा यह सवाल था, क्योंकि मैं अपने संकोची व्यवहार के कारण क्लास की सभी लड़कियों का नाम तक नहीं जानता था.

पास ही हामिद भी खड़ा था, जो मेरे बाद गगन का क्लास में सब से अच्छा दोस्त था. उस ने बताया, ’’अरे, वह जो आगे की बैंच पर बैठती है,’’ हामिद ने मुझे इशारा किया. ’’कौन निशा?’’ मैं ने अंदाजा लगाया, क्योंकि मैं खुद शुरू में उस लड़की में रुचि लेता था, इसलिए उस का नाम मुझे मालूम था.

’’नहीं यार, निशा के पास जो बैठती है,’’ गगन ने फिर मुसकराते हुए बताया था. ’’अच्छा वह,’’ अब मैं मुसकरा रहा था, मैं अब उस लड़की को चेहरे से पहचान गया था. ’’उस का नाम विनीशा है,’’ मैं ने हलका सा आश्चर्य व्यक्त किया था.

’’हां यार, वही,’’ गगन ने हलका भावुक हो कर कहा था. ’’अच्छा, तो मेरे लायक कोई काम इस मामले में, मैं ने हंसते हुए पूछा था.

’’नहीं यार, तू तो मेरा दोस्त है. तुझे तो मैं अपनी पर्सनल फीलिंग बताऊंगा ही,’’ गगन ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा था. वह पल ऐसा था, जिस में भले ही विनीशा का जिक्र था, लेकिन मुझे हमेशा वह पल मेरा अपना ही लगा. वह एहसास था एक अच्छी और सच्ची दोस्ती की शुरुआत का. मैं मुसकराया और धीमे से बोला, ’’मेरी विशेज हमेशा तुम्हारे साथ हैं, तो मैं चलूं. मुझे लाइब्रेरी जाना है.’’

’’हां, चल ठीक है,’’ गगन के इतना कहते ही मैं लाइब्रेरी की ओर चल दिया. मुझे किसी विनीशा की फिक्र नहीं थी लेकिन एक ताजा सा खयाल था नई दोस्ती की शुरुआत का. वह क्लास की लहर कहीं न कहीं मुझ में भी दौड़ रही थी.

अगले दिन जब मैं कालेज के हाफटाइम में कुछ समय के लिए कालेज की सीढि़यों पर बैठा था, तो राजन मिला. ’’हाय राजन,’’ मैं इतना कह कर कालेज के गेट के बाहर वाली सड़क के पार मैदान में देखने लगा.

तभी मेरी नजरें मैदान में जाने से पहले उस सड़क पर ठहर गईं जहां गगन निशा के साथ टहल रहा था. मेरे मन में कई सवाल उठे कि गगन तो विनीशा को पसंद करता है तो फिर निशा के साथ क्या कर रहा है. खैर, मैं ने हाफटाइम के बाद गगन के क्लास में आने पर उस से पूछा, ’’यार गगन, तू तो कह रहा था कि तू विनीशा को पसंद करता है, फिर निशा?’’

’’अरे, मैं विनीशा के बारे में ही उस से बात कर रहा था,’’ गगन ने गंभीरता से बताया. ’’फिर,’’ मैं ने पूछा था.

’’वह बता रही थी कि विनीशा का पहले से ही कोई बौयफ्रैंड है,’’ उस ने उतनी ही गंभीरता से बताया. ’’हूं… अभी,’’ मैं ने भी गंभीरता व्यक्त की थी.

’’मैं यार, फिर भी उस से एक बार मिलना चाहता हूं,’’ गगन में कहीं न कहीं उम्मीद अभी भी दबी नहीं थी. ’’ठीक है, फिर बताना. अच्छा हो कि निशा की बात गलत हो,’’ मैं ने मुसकराते हुए कहा, फिर पूरी क्लास पढ़ाई में लग गई, क्योंकि हमारे टीचर अब थोड़े सख्ती बरत रहे थे.

अगले दिन तक गगन विनीशा से मिल चुका था और मुझे बता रहा था, ’’यार, वह तो मुझे कन्फ्यूज कर रही है, उस का बौयफ्रैंड है तो वह सीधीसीधी बात क्यों नहीं कहती?’’ ’’हो सकता है वह अपने बौयफ्रैंड से छुटकारा पाना चाहती हो, ब्रेकअप करना चाहती हो,’’ मैं ने उसे समझाया, जबकि मैं खुद इन मामलों में अनाड़ी था.

’’हां यार, देखते हैं. मैं खुद समझ नहीं पा रहा हूं,’’ गगन गंभीर था. खैर, फिर यों ही चलता रहा और आखिर में पहले सैमेस्टर की परीक्षाएं करीब आ गईं. तब तक मैं विनीशा और गगन के चक्कर को भूल ही गया था.

रिजल्ट आया, गगन पास तो हो गया था, लेकिन पूरी क्लास की अपेक्षा उसे कम नंबर मिले थे. गगन उन दिनों हामिद के साथ ज्यादा रहने लगा था. दूसरे सैमेस्टर में तो वह मेरे साथ ज्यादा रहा ही नहीं, लेकिन दूसरे साल में वह अब फिर मेरे साथ रहने लगा था. मैं ने एक दिन उस से विनीशा का जिक्र किया, तो वह बताने लगा, ’’यार, मैं ने उस लड़की की खूबियां देखी थीं, लेकिन कमियां नहीं देखी थीं. वह मुझे उलझाए बैठी थी. उस का बौयफै्रंड था तो भी वह मुझ से क्या चाह रही थी, मैं समझ नहीं पा रहा था. एक दिन वह मेरा इंतजार करती रही और मैं उस से मिलने नहीं गया.’’

’’हूं… मतलब सब ओवर,’’ मैं ने मुसकरा कर पूछा. ’’देखो कवि, एक बात बताऊं,’’ वह मुझे अकसर कवि ही कहता था, ’’तेरे और मेरे जैसे लोग इस कालेज में लाखों रुपए फीस दे कर कोई लक्ष्य ले कर आए हैं और ये सब फालतू चीजें हमें अपने लक्ष्य से भटका देती हैं.’’

मैं उसे ध्यान से सुन रहा था और गौर भी कर रहा था. ’’यार, तू ने देखा न, पिछले सैमेस्टरों में मेरा क्या रिजल्ट रहा,’’ वह मेरी तरफ देख रहा था.

’’अब तू ही बता. एक लड़की के प्यार के पीछे मैं ने कितना कुछ खो दिया,’’ वह गंभीर था. ’’हां यार, मैं तुझे पहले ही कहने वाला था, पर मुझे लगा कि तू बुरा मान जाएगा,’’ मैं ने आज अपने दिल की बात कह दी.

’’नहीं यार, तू तो मेरा दोस्त है. अब तो मैं ने तय कर लिया है कि फालतू यारीदोस्ती व प्यारमुहब्बत में पड़ूंगा ही नहीं और बस, तेरे और दोचार लोगों के साथ ही रहूंगा,’’ उस ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा, ’’दोस्त, तुम मिडिल क्लास पर्सन हो, और तुम आज को ऐंजौय करने की नहीं बल्कि भविष्य संवारने की सोचते हो.’’ ’’वह तो है,’’ मैं ने मुसकरा कर कहा.

’’और मैं भी फालतू बातों से ध्यान हटा कर अपना भविष्य संवारना चाहता हूं,’’ उस का हाथ मेरे कंधे पर ही था. वह भावुक हो गया था. हमारी दोस्ती की यह लहर मुझे अभी भी ताजी महसूस हो रही थी. उस के बाद से अब तक वह मेरे साथ ही रहता है. कालेज में विनीशा की तरफ देखता भी नहीं है. क्लास में खाली समय में भी पढ़ता रहता है.

वह समय पर एनसीसी जौइन नहीं कर पाया था, लेकिन अपनी मेहनत के बलबूते पर अब वह एनसीसी में न सिर्फ सिलैक्ट हो गया, बल्कि एक कैंप भी अटैंड कर के आया है. कैंप में फायरिंग सीखने के बाद अब वह एक और कैंप में एयर फ्लाइंग के लिए भी जाने वाला है. उस का लक्ष्य आर्मी या पुलिस में जाना है और वह उस के करीब भी नजर आने लगा है. गगन एक विशालकाय समुद्र की लहरों को चीरते हुए सतह पर आने लगा है, जिस में कई नौजवान गोते खाते रहते हैं. फर्स्ट ईयर के बाद अब सैकंड ईयर उस का ज्यादा मजे में व उद्देश्यपूर्ण ढंग से बीत रहा है.

Romantic story in hindi

Fictional Story: नमक हलाल- मनोहरा ने आखिर कैसे चुकाया नमक का कर्ज

लेखक- चंद्रभूषण ध्रुव

Fictional Story: बैठक की मेज पर रखा मोबाइल फोन बारबार बज रहा था. मनोहरा ने इधरउधर झांका. शायद उस के मालिक बाबू बंका सिंह गलती से मोबाइल फोन छोड़ कर गांव में ही कहीं जा चुके थे.

मनोहरा ने दौड़ कर मोबाइल फोन उठाया और कान से लगा लिया. उधर से रोबदार जनाना आवाज आई, ‘हैलो, मैं निक्की की मां बोल रही हूं.’

अपनी मालकिन की मां का फोन पा कर मनोहरा घबराते हुए बोला, ‘‘जी, मालिक घर से बाहर गए हुए हैं.’’

‘अरे, तू उन का नौकर मनोहरा बोल रहा है क्या?’

‘‘जी…जी, मालकिन.’’

‘‘ठीक है, मुझे तुम से ही बात करनी है. कल निक्की बता रही थी कि तू जितना खयाल भैंस का रखता है, उतना खयाल निक्की का नहीं रखता. क्या यह बात सच है?’’

मनोहरा और घबरा उठा. वह अपनी सफाई में बोला, ‘‘नहीं… नहीं मालकिन, यह झूठ है. मैं निक्की मालकिन का हर हुक्म मानता हूं.’’

‘ठीक है, आइंदा उन की सेवा में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए,’ इतना कह कर मोबाइल फोन कट गया.

मनोहरा ने ठंडी सांस ली. उस का दिमाग दौड़ने लगा. फोन की आवाज जानीपहचानी सी लग रही थी. निक्की मालकिन जब से इस घर में आई हैं, तब से वे कई बार उसे बेवकूफ बना चुकी हैं. उस ने ओट ले कर आंगन में झांका. निक्की मालकिन हाथ में मोबाइल फोन लिए हंसी के मारे लोटपोट हो रही थीं. मनोहरा सारा माजरा समझ गया. वह मुसकराता हुआ भैंस दुहने निकल पड़ा.

निक्की बाबू बंका सिंह की दूसरी पत्नी थीं. पहली पत्नी के बारे में गांव के लोगों का कहना था कि बच्चा नहीं जनने के चलते बाबू बंका सिंह ने उन्हें मारपीट कर घर से निकाल दिया था. बाद में वे मर गई थीं.

निक्की पढ़ीलिखी खूबसूरत थीं. वे इस बेमेल शादी के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीं, लेकिन मांबाप की गरीबी और उन के आंसुओं ने उन्हें समझौता करने को मजबूर कर दिया था.

शादी के कई महीनों तक निक्की बिलकुल गुमसुम बनी रहीं. उन की जिंदगी सोने के पिंजरे में कैद तोते की तरह हो गई थी.

हालांकि बाबू बंका सिंह निक्की की सुखसुविधा का काफी ध्यान रखते थे, इस के बावजूद उम्र का फासला निक्की को खुलने नहीं दे रहा था.

मनोहरा घर का नौकर था. हमउम्र मनोहरा से बतियाने में निक्की को अच्छा लगता था. समय गुजरने के साथसाथ निक्की का जख्म भरता गया और वे खुल कर मनोहरा से हंसीठिठोली करने लगीं.

उस दिन बाबू बंका सिंह गांव की पंचायत में गए हुए थे. निक्की गपशप के मूड में थीं. सो, उन्होंने मनोहरा को अंदर बुला लिया.

निक्की मनोहरा की आंखों में आंखें डाल कर बोलीं, ‘‘अच्छा, बता उस दिन मोबाइल फोन पर मेरी मां से क्या बातें हुई थीं?’’

मनोहरा मन ही मन मुसकराया, फिर अनजान बनते हुए कहने लगा, ‘‘कह रही थीं कि मैं आप का जरा भी खयाल नहीं रखता.’’

‘‘हांहां, मेरी मां ठीक ही कह रही थीं. मेरे सामने तुम शरमाए से खड़े रहते हो. तुम्हीं बताओ, मैं किस से बातें करूं? बाबू बंका सिंह की मूंछें और लाललाल आंखें देख कर ही मैं डर जाती हूं. उन की कदकाठी देख कर मुझे अपने काका की याद आने लगती है. एक तुम्हीं हो, जो मुझे हमदर्द लगते हो…’’

इस बेमेल शादी पर गांव वाले तो थूथू कर ही रहे थे. खुद मनोहरा को भी नहीं सुहाया था, पर उस की हैसियत हमदर्दी जताने की नहीं थी. सो, वह चुपचाप निक्की की बात सुनता रहा.

मनोहरा को चुप देख कर निक्की बोल पड़ीं, ‘‘मनोहरा, तुम्हारी शादी के लिए मैं ने अपने मायके में 60 साल की खूबसूरत औरत पसंद की है…’’

‘‘60 साल,’’ कहते हुए मनोहरा की आंखें चौड़ी हो गईं.

‘‘इस में क्या हर्ज है? जब मेरी शादी 60 साल के मर्द के साथ हो सकती है, तो तुम्हारी क्यों नहीं?’’

‘‘नहीं मालकिन, शादी बराबर की उम्र वालों के बीच ही अच्छी लगती है.’’

‘‘तो तुम ने अपने मालिक को समझाया क्यों नहीं? उन्होंने एक लड़की की खुशहाल जिंदगी क्यों बरबाद कर दी?’’ कहते हुए निक्की की आंखें आंसुओं से भर आईं.

समय बीतता गया. निक्की कीशादी के 5 साल गुजर गए, फिर भी आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंज पाई. निक्की को ओझा, गुनी, संतमहात्मा सब को दिखाया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. गांवसमाज में निक्की को ‘बांझ’ कहा जाने लगा.

निक्की मालकिन दिलेर थीं. उन्हें ओझागुनी के यहां चक्कर लगाना अच्छा नहीं लग रहा था. उन्होंने शहर के बड़े डाक्टर से अपने पति और खुद का चैकअप कराने की ठानी.

शहर के माहिर डाक्टर ने दोनों के नमूने जांच लिए और बोला, ‘‘देखिए बंका सिंह, 10 दिन बाद निक्की की एक और जांच होगी. फिर सारी रिपोर्टें सौंप दी जाएंगी.’’

देखतेदेखते 10 दिन गुजर गए. उन दिनों गेहूं की कटाई जोरों पर थी. आकाश में बादल उमड़घुमड़ रहे थे. सो, किसानों में गेहूं समेटने की होड़ सी लगी थी.

बाबू बंका सिंह को भी दम मारने की फुरसत नहीं थी. वे दोबारा निक्की को चैकअप कराने में आनाकानी करने लगे. लेकिन निक्की की जिद के आगे उन की एक न चली. आखिर में मनोहरा को साथ ले कर जाने की बात तय हो गई.

दूसरे दिन निक्की मनोहरा को साथ ले कर सुबह वाली बस से डाक्टर के यहां चल पड़ीं. उस दिन डाक्टर के यहां ज्यादा भीड़ थी.

निक्की का नंबर आने पर डाक्टर ने चैकअप किया, फिर रिपोर्ट देते हुए बोला, ‘‘मैडम, आप बिलकुल ठीक हैं. फिर भी आप मां नहीं बन सकतीं, क्योंकि आप के पति की सारी रिपोर्टें ठीक नहीं हैं. आप के पति की उम्र काफी हो चुकी है, इसलिए उन्हें दवा से नहीं ठीक किया जा सकता है.’’

निक्की का चेहरा सफेद पड़ गया. डाक्टर उन की हालत को समझते हुए बोला, ‘‘घबराएं मत. विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है. आप चाहें तो और भी रास्ते हैं.’’

निक्की डाक्टर के चैंबर से थके पैर निकली. बाहर मनोहरा उन का इंतजार कर रहा था. वह निक्की को सहारा देते हुए बोला, ‘‘मालकिन, सब ठीकठाक तो है?’’

‘‘मनोहरा, मुझे कुछ चक्कर सा आ रहा है. शाम हो चुकी है. चलो, किसी रैस्टहाउस में रुक जाते हैं. कल सुबह वाली बस से गांव चलेंगे.’’

आटोरिकशा में बैठते हुए मनोहरा बोला, ‘‘मालकिन, गांव से हो कर निकलने वाली एक बस का समय होने वाला है. उस से हम लोग निकल चलते हैं. हम लोगों के आज नहीं पहुंचने पर कहीं मालिक नाराज नहीं हो जाएं.’’

‘‘भाड़ में जाए तुम्हारा मालिक. उन्होंने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा,’’ निक्की बिफर उठीं.

आटोरिकशा एक रैस्टहाउस में रुका. निक्की ने 2 बैड वाला कमरा बुक कराया और कमरे में जा कर निढाल पड़ गईं. उन के दिमाग में विचारों का पहिया घूमने लगा, ‘मेरे पति ने अपनी पहली पत्नी को बच्चा नहीं जनने के कारण ही घर से निकाला था, लेकिन खोट मेरे पति में है, यह कोई नहीं जान पाया. अगर इस बात को मैं ने उजागर किया, तो यह समाज मुझे बेहया कहने लगेगा. हो सकता है कि मेरा भी वही हाल हो, जो पहली पत्नी का हुआ था.’

निक्की के दिमाग के एक कोने से आवाज आई, ‘डाक्टर ने बताया है कि बच्चा पाने के और भी वैज्ञानिक रास्ते हैं…’

लेकिन दिमाग के दूसरे कोने ने इस सलाह को काट दिया, ‘क्या बाबू बंका सिंह अपनी झूठी शान के चलते ऐसा करने देंगे?’

सवालजवाब की चल रही इस आंधी में अपने को बेबस पा कर निक्की सुबकने लगीं.

मनोहरा को भी नींद नहीं आ रही थी. मालकिन के सुबकने से उस के होश उड़ गए. वह पास आ कर बोला, ‘‘मालकिन, आप रो क्यों रही हैं? क्या आप को कुछ हो रहा है?’’

निक्की का सुबकना बंद हो गया. उन्होंने जैसे फैसला कर लिया था. वे मनोहरा का हाथ पकड़ कर बोलीं, ‘‘मनोहरा, जो काम बाबू बंका सिंह 5 साल में नहीं कर पाए, वह काम तुझे करना है. बोलो, मेरा साथ दोगे?’’

मनोहरा निक्की की बातों का मतलब समझे बिना ही फटाक से बोल पड़ा,

‘‘मालकिन, मैं तो आप के लिए जान भी दे सकता हूं.’’

निक्की मालकिन मनोहरा के गले लग गईं. उन का बदन तवे की तरह जल रहा था. मनोहरा हैरान रह गया. वह निक्की से अलग होता हुआ बोला, ‘‘नहीं मालकिन, यह मुझ से नहीं होगा.’’

‘‘मनोहरा, डाक्टर का कहना है कि तुम्हारे मालिक में वह ताकत नहीं है, जिस से मैं मां बन सकूं. मैं तुम से बच्चा पाना चाहती हूं…’’

‘‘नहीं, यह नमक हरामी होगी.’’

‘‘मनोहरा, यह वक्त नमक हरामी या नमक हलाली का नहीं है. मेरे पास सिर्फ एक रास्ता बचा है और वह तुम हो. सोच लो, अगर मैं ने देहरी से बाहर पैर रखा, तो तुम्हारे मालिक की मूंछें नीची हो जाएंगी…’’ कहते हुए निक्की ने मनोहरा को अपनी बांहों में समेट लिया.

कोमल बदन की छुअन ने मनोहरा को मदहोश बना डाला. उस ने निक्की को अपनी बांहों में ऐसा जकड़ा कि उन के मुंह से आह निकल पड़ी.

घर आने के बाद भी लुकछिप कर यह सिलसिला चलता रहा. आखिरकार निक्की ने वह मंजिल पा ली, जिस की उन्हें दरकार थी.

गोदभराई रस्म के दिन बाबू बंका सिंह चहकते फिर रहे थे. निक्की दिल से मनोहरा की आभारी थीं, जिस ने एक उजड़ते घर को बचा लिया था.

Fictional Story

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