Body Building: मेकअप और मसल की बनें क्वीन

Body Building: रोहित पायल के साथ फर्स्ट डेट पर गया था. डेट के शुरुआती पलों में ही वह इस कशमकश में पड़ गया कि डेट को जारी रखे या उठ कर चला जाए. उस की कशमकश की वजह थी पायल का चेहरा. एक तरफ तो रोहित पायल की फिट बौडी से अट्रैक्ट हो रहा था वहीं दूसरी ओर वह पायल के चेहरे पर नजर टिका नहीं पा रहा था. इसलिए नहीं कि पायल डस्की थी बल्कि इसलिए कि पायल का चेहरा उस के गले से कुछ अलग ही बयां कर रहा था. मतलब पायल के चेहरे की स्किन टोन उस के गले की स्किन टोन से अलग थी. यह आधाअधूरा मेकअप रोहित को बिलकुल नहीं भा रहा था. यों अधूरा मेकअप उसे एक बेढंगेपन का उदाहरण दिख रहा था.

डार्क, सांवली या डस्की स्किन वालों को हमेशा से अपने को ले कर एक संकोच रहा है. और वह संकोच है दूसरे से निम्न दिखने का. डस्की लड़कियां अपने रंग और बौडी को ले कर अकसर उल झन में पड़ी रहती हैं.

दरअसल, डस्की स्किन लड़कियों के सामने जो बहुत बड़ी समस्या होती है वह है एक तो मेकअप और दूसरा बौडी फिजिक.

मेकअप का डर: डस्की लड़कियां अपने रंग को ले कर इतनी उदासीन होती हैं कि मेकअप से दूर भागती हैं. डस्की होना उन्हें एक सैल्फ डाउट में डाले रहता है. उन्हें लगता है मेकअप उन के चेहरे पर खराब दिखेगा या मेकअप डार्क लड़कियों के लिए है ही नहीं. पहले जहां लोगों को डस्की होने पर छोटा या कम आंका जाता था आज उसी डस्की रंग का जोरशोर से प्रचार हो रहा है.

पहले जहां हर प्रचार में गोरी लड़कियां का बोलबाला था और उन्हीं के लिए मेकअप और ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाए जाते थे, वहीं आज दुनिया के सारे मेकअप और ब्यूटी ब्रैंड्स अब डस्की स्किन टोन के लिए भी कई सारे प्रोडक्ट्स बना रही हैं, साथ ही अपने प्रमोशनल शोज और विज्ञापनों में डस्की स्किन की मौडल्स को दिखा भी रही हैं. तो अब डस्की टोन चाहे गाढ़ी हो या फीकी, उसे निखारें. आज अपनी सांवली स्किन को निखारने के बहुत से रास्ते हैं और उन्हीं में एक है आप का मेकअप.

फिर भी बहुत सी सांवली या डस्की लड़कियां अपनी डस्की स्किन टोन की वजह से मेकअप करने में संकोच करती है या फिर करती भी हैं तो उसे प्रौपर लुक नहीं देतीं. सिर्फ चेहरे का मेकअप कर छोड़ देती हैं जो अधूरा मेकअप ही कहलाता है. उन्हें लगता है लोग तो सिर्फ चेहरे पर ही ध्यान देते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. आप को हमेशा ही चाहे आप की स्किन टोन डार्क हो या फेयर अपना मेकअप कंप्लीट करना चाहिए.

अधूरा किया मेकअप एक तो आप के चेहरे से बाकी बौडी पार्ट की स्किन टोन से बेमेल रहेगा, ऊपर से देखने में भी अटपटा लगेगा. ऐसे में आप लोगों की अटैंशन तो पा लोगी लेकिन किसी सराहना के तौर पर नहीं बल्कि एक हासपरिहास के रूप में. इसलिए मेकअप करने से और उसे एक कंप्लीट लुक देने से पीछे न हटें. मेकअप तो बनाया ही आप की सुंदरता को और निखारने के लिए है. तो फिर खुद को और निखारने और आकर्षित रूप देने के लिए संकोच क्यों?

मार्केट में आज लगभग हर ब्रैंड चाहे वह छोटा हो या बड़ा, डस्की स्किन टोन के लिए हजारों प्रोडक्ट्स ले आए हैं जो हर डस्की टोन को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. डस्की स्किन के लिए वार्म टोन में कई सारे प्रोडक्ट्स मौजूद हैं. न्यूड शेड और ब्राउनिंश शेड में कई कलर्स आप को फाउंडेशन से ले कर कंसीलर, फेस पाउडर, ब्लश, लिपस्टिक हर प्रोडक्ट आसानी से मिल जाता है.

मेकअप प्रोडक्ट्स लेते समय हमेशा ध्यान रखें कि आप सही टोन और शेड ले रही हों. जैसे डार्क या सांवली स्किन टोन वालों को हमेशा वार्म टोन के शेड और न्यूट्रल टोन के कुछ शेड लेने चाहिए. अगर वे पिंक टोन के प्रोडक्ट्स यूज करेंगी तो उन की स्किन पर एक सफेद परत का मेकअप दिखेगा. इसलिए मेकअप प्रोडक्ट्स अपनी स्किन टोन को ध्यान में रख कर लें.

दूसरी समस्या बौडी फिजिक

बहुत सी डस्की लड़कियां अपनी स्किन टोन को ले कर ही इनती  िझ झक में रहती हैं कि उन पर कौन सा रंग अच्छा लगेगा. कौन सा नहीं, कैसा दिखेगा, कैसा नहीं, कहीं कोई उलाहना न दे दे ऐसी बहुत बातों से उन्हें जू झना पड़ता है. मगर यह हर सांवली लड़की के लिए आम समस्या सी बन गई है. अधिक चिंता का विषय तो तब होता है जब यह रंग उन्हें अपने मन के किसी कैरियर का चुनाव करने से रोक रहा हो जैसेकि ऐक्टिंग और मौडलिंग. ऐक्टिंग, मौडलिंग में तो आज बहुत सी महिलाएं सांवले रंग के साथ ऊंचाइयां छू रही हैं. लेकिन बौडीबिल्डिंग. जी हां बौडीबिल्डिंग जहां लोगों का ध्यान आप की बौडी पर ही होता है.

एक तो बौडीबिल्डिंग को वैसे ही कैरियर के लिहाज से लड़कियों के लिए ठीक नहीं मानते. दूसरा अगर रंग सांवला हो तो जगहंसाई की और चिंता खाती है. बहुत सी डस्की लड़कियों का बौडीबिल्डिंग करने का मन होता है. लेकिन लोग क्या कहेंगे, के डर से कोशिश नहीं करतीं. उन्हें लगता है पहले तो उन का पक्का रंग और फिर उन की मस्कुलर बौडी उन्हें बौडी शेमिंग और जगहंसाई का पात्र न बना दे कि देखो एक तो लड़की और अब ऊपर से अपना काला जिस्म भी दुनिया को दिखा रही है, ऐसे भीमकाय शरीर से क्या ही जीत लेगी या अब तो यह और भी कुरूप दिखती है.

इन्हीं तानों के चलते वह इच्छा होते हुए भी अपनी बौडी पर वर्क नहीं करती, जबकि लड़कियों के लिए तो बौडीबिल्डिंग बहुत ही अच्छा चुनाव है. लेकिन कैसे? तो सब से पहले तो बौडीबिल्डिंग आप की बोंस और मसल को मजबूत तो करता ही है. साथ ही आप को एक फिट बौडी भी देता है. फैट जिस से आज लगभग हर महिला परेशान हो रही है वह आप की लाइफ से दूर हो जाएगा. जहां आज हर तीसरी लड़की वेट इशूज, पीसीओडी, हारमोनल प्रौब्लम्स से तकलीफ में है, बौडीबिल्डिंग आप को इन परेशानियों से बचा सकती है. आप की बौडी फिट ऐंड हैल्दी रहेगी. ये तो शारीरिक हैल्थ की बातें और फायदे हैं. मगर मानसिक या मैंटल हैल्थ का क्या?

बौडीबिल्डिंग सिर्फ एक फिट और मस्कुलर बौडी ही नहीं देती बल्कि माइंड भी फिट ऐंड फाइन करने में मदद करती है. बौडीबिल्डिंग एक चैलेंजिंग स्पोर्ट्स है. तो इस की तैयारी और सफलता आप को बहुत ही मैंटली स्ट्रौंग और कौन्फिडैंट बनाएगी, साथ ही आप में सैल्फ ऐस्टीम को भी बूस्ट करेगी. इस से आप लोगों के तानेबाने को नजरअंदाज करने और अपने गोल्स को पाने के लिए और मजबूत होती जाएंगी. आप की मस्कुलर बौडी आप में एक अलग कौन्फिडैंस पैदा करेगी जो आप के खुद के मन में स्वयं के लिए पैदा हुई हीन भावना को खत्म करेगा. आप का स्ट्रैस, ऐंग्जाइटी और डिप्रैशन दूर होगा. आप की सैल्फ इमेज भी डैवलप होगी और आप ऐंपावरड होंगी.

डस्की स्किन के साथ बौडीबिल्डिंग का ऐडवांटेज भी है जहां इन स्पोर्ट्स में फेयर स्किन वालों को अपनी बौडी मसल, शेप और कंट्रास्ट को दिखाने के लिए क्रीम और बौडी पौलिशिंग से बौडी टैन करनी पड़ती है क्योंकि मस्कुलर बौडी डार्क स्किन टोन पर और अच्छे से निखर कर दिखती है. तो आप को तो आप की डस्की स्किन से एक अच्छा ऐडवांटेज मिल रहा है, जिस से आप लोगों का ध्यान आकर्षित करने में दूसरों से आगे रहेंगी. आज बौडीबिल्डिंग में ऐसी बहुत सी सफल महिलाएं हैं जो डार्क स्किन की हैं. इसलिए डार्क स्किन लड़कियों को बौडीबिल्डिंग से कतराना नहीं चाहिए.

मीडिया, फैशन, स्पोर्ट्स ऐसी इंडस्ट्रीज हैं, जहां सारी जनता की नजरें सिर्फ आप की बौडी और ऐक्टिविटी पर रहती हैं. वहां आज ऐसी बहुत सी कामयाब महिलाएं है जिन का रंग डार्क या कहें सांवला है. जिन्होंने लोगों की सोच, लोगों की बातों की परवाह न करते हुए अपने दिल की सुनी और केवल अपने लक्ष्य के बारे में सोचते हुए आगे बढ़ती रहीं.

डस्की होना कोई अवगुण या अयोग्य होने की बात नहीं. डस्की या सांवला रंग अगर इतना ही निम्न होता है तो उस की खूबसूरती को बयां करने लिए न तो हजारों गाने बनते और न गाए जाते. इसलिए मेकअप और बौडी वर्कसे न भागें.

आप को मेकअप करना है या नहीं. यह आप का निजी फैसला है लेकिन इच्छा होते हुए आप किसी डर से या हिचक के मेकअप न करें यह ठीक नहीं. किसी भी काम को पहली बार करने से पहले थोड़ी हिचक तो होती ही है, मगर हमेशा के लिए उस हिचक को अपना लेना खुद को कम करने जैसा ही है. ठीक वैसे ही बौडीबिल्डिंग या बौडी वर्क आप की अपनी चौइस है. लेकिन बौडी को फिट रखना आप की जिम्मेदारी. आप चाहे फेयर हों या डस्की, वर्किंग हो या गृहिणी. आप को अपनी बौडी फिजिक पर ध्यान देना चाहिए. अपने किसी संकोच के कारण अपनी भावनाओं या इच्छाओं को नकारना ठीक नहीं.

Body Building

Motivation: खुद को बचाएं गौसिप गैंग से

Motivation: कुछ दिन पहले की बात है. दिल्ली मैट्रो में एक जोड़ा चढ़ा. लड़का और लड़की दोनों की उम्र 24-25 साल के आसपास रही होगी. दोनों ही कमाऊ लग रहे थे. लड़की खूबसूरत थी. लड़का भी हैंडसम था. दोनों ने कपड़े भी अच्छे ब्रैंडेड पहने हुए थे. पर थोड़ी देर के बाद उन दोनों में ऐसा कुछ हुआ कि बाकी सवारियों के कान उन की बातों पर लग गए.

लड़की ने लड़के से पूछा, ‘‘क्या आप शुक्रवार की शाम को अपने दोस्तों के साथ बैठे थे?’’

लड़का बोला, ‘‘हां, बैठा था. तो क्या हुआ?’’

‘‘तुम सब ने ड्रिंक भी की थी न?’’ लड़की ने जैसे उस लड़के की पोल खोलते हुए कहा.

‘‘हां, की थी. तुम मुद्दे की बात करो न कि क्या पूछना चाहती हो,’’ लड़के की आवाज में थोड़ी कड़वाहट आ गई थी.

‘‘वहां तुम सब ने बकवास भी की थी…’’ लड़की ने तेज आवाज में कहा.

‘‘जब लड़के पीने बैठते हैं तो बकवास ही करते हैं. पर तुम मेरी जासूसी क्यों कर रही हो?’’ लड़का अब और तेज आवाज में बोला.

लड़की कुछ बोलती उस से पहले ही लड़के ने उस का हाथ  झटक कर कहा, ‘‘तुम्हें यह सब किस ने बताया?’’

लड़की ने जबान नहीं खोली, जबकि लड़का उस पर हावी हो गया. वह गुस्से में तमतमाते हुए बोला, ‘‘कौन है, नाम बता? मु झे गुस्सा मत दिला. जब इतना कुछ जानती है तो नाम भी बता दे. अब डर क्यों रही है?’’

लड़की ने पहले तो अपना हाथ छुड़ाया और फिर बड़बड़ाते हुए एक खाली सीट पर जा कर धम्म से बैठ गई.

सवाल अहम है उन दोनों की यह आपसी लड़़ाई सब ने सुनी और फिर अनसुना कर दिया. पर यहां एक सवाल जरूर मन में उठा कि लोग अपनी पर्सनल बातों में इतने ज्यादा क्यों खो जाते हैं जो अनजान लोगों के सामने अपनी भड़ास निकाल देते हैं और ऐसा जताते हैं कि कोई सुने तो सुने उन की बला से?

मजे की बात तो यह है कि यह वही पीढ़ी है जो अपने घर में मां, बूआ, मौसी, चाचा, चाची जैसी अपने से बड़ी पीढ़ी को इस बात पर कोसती है कि वे लोग पीठ पीछे एकदूसरे की बुराई क्यों करते हैं या पड़ोस में क्या चल रहा है, इस पर मजे ले कर बातें क्यों करते हैं?

मैट्रो या बस आदि में यह आम हो गया है कि लोग आमनेसामने या फिर फोन पर चुगलखोरी करते दिखाई देते हैं. सास अपनी बहू की पोल खोलती दिख जाती है तो बहू अपनी ननद के किस्से अपनी मां को सुनाती नजर आती है.

मर्द और लड़के भी इस सब में पीछे नहीं हैं. कोई औफिस में बौस की बखिया उधेड़ रहा होता है तो कोई अपनी प्रेमिका को ब्लौक करने के किस्से सुना रहा होता है.

ऐसा होता क्यों है

क्यों हम अनजान लोगों के सामने अपने घरकुनबे का पुराण बांचने लग जाते हैं? इस की सब से बड़ी वजह यह है कि हमें यह सीख देने वाला शायद कोई बचा ही नहीं है कि सार्वजनिक जगहों पर हमें कैसे बरताव करना है और जब से सोशल मीडिया में ‘रीलरील’ खेलने का दौर चला है, तब से ऐसा लगने लगा कि हरकोई ‘गौसिप गैंग’ का हिस्सा बन गया है.

यहां सीख देने वाला कौन है? दरअसल, कुदरत ने हमें सुनने और बोलने की सैंस (इंद्रियां) तो दे दी है, पर कब और कितना बोलना है और कितना सुनना है, यह जो व्यावहारिक बुद्धि, जिसे इंगलिश में ‘कौमन सैंस’ कहते हैं, को इस्तेमाल करना हम भूलते जा रहे हैं.

पहले टीचर, परिवार और पासपड़ोस के बड़ेबूढ़े नई पीढ़ी को बता दिया करते थे कि इस ‘कौमन सैंस’ का कैसे इस्तेमाल करना है पर अब तो स्कूलों में ऐसी बातें सिखाना गुजरे जमाने की बात हो गई है. अपनों की सुनता ही कौन है.

कभीकभार इस के नतीजे बहुत बुरे भी होते हैं जो सार्वजनिक जगहों पर अमूमन दिखाई दे जाते हैं. जैसे क्रिकेट एक खेल है जो मनोरंजन के लिए खेला जाता है पर नासम झी की वजह से इस खेल के खूनी लड़ाई में बदलने में देर नहीं लगती है.

18 फरवरी, 2025 को आकाश नाम का एक लड़का शाम को अपने दोस्तों के साथ फरीदाबाद के अगवानपुर चौक के पास बने दुर्गा बिल्डर के खाली प्लाट में क्रिकेट खेल रहा था. खेल के दौरान गेंद वहां मौजूद एक लड़के को लग गई, जिस से  झगड़ा हो गया.

आसपास के लोगों ने उस समय मामला शांत करा दिया, लेकिन करीब 15 मिनट बाद वही लड़का 5-6 साथियों के साथ लाठीडंडे और हौकी ले कर लौटा और आकाश पर हमला कर दिया. उन लोगों ने आकाश को इतना पीटा कि 1 महीना अस्पताल में रहने के बाद उस की मौत हो गई.

इस वारदात में एक की जान चली गई और बाकी कोर्टकचहरी के चक्कर में फंसेंगे. पर ऐसी वारदात से एक सीख लेनी चाहिए कि कोई भी विवाद छोटी सी बात से शुरू होता है और हमारा अहं उसे इतना ज्यादा तूल दे देता है कि खेल का मनोरंजन मौत के मातम में बदल जाता है.

ऐसा ही कुछ घरेलू समस्याओं को सार्वजनिक जगह पर जाहिर करने से होता है. बहुत बार मैट्रो या बस वगैरह में 2 जानपहचान वालों की चुगलखोरी के हाथापाई में बदलते देर नहीं लगाती है.

राजदार न बनाएं

एक बार एक जोड़ा इस बात पर बहस करने लगा कि लड़की का पहना हुआ टौप कितने का होगा. लड़की ने ज्यादा कीमत बताई तो लड़के ने कहा कि सस्ता माल है. इसी बात पर उन दोनों ने अपने रिश्ते को सब के सामने उघाड़ना शुरू कर दिया. आखिर में लड़की ने लड़के को चांटा जड़ दिया और मैट्रो से उतर गई.

दिक्कत यह है कि हम आपसी गपशप और चुगलखोरी के साथ निजी बातों को सार्वजनिक करने के फर्क को सम झ गए हैं. पहले गांवदेहात में लोग गपशप ज्यादा किया करते थे. उसी में बीच में चुगलखोरी और निजी बातों का तड़का लगा दिया जाता था और बात आईगई हो जाती थी.

मगर अब चूंकि बातें करने की जगह और समय की कमी से हम मोबाइल फोन पर या कहीं भी आमनेसामने निजी बातों का पिटारा खोल कर बैठ जाते हैं. वहीं सारी गड़बड़ होती है. भीड़ में लोग आप की बातों अनुसना करते हुए भी बड़े ध्यान से सुनते हैं और अनचाहे में ऐसी बातों के राजदार बन जाते हैं जो बेहद निजी होती हैं.

Motivation

Weight Loss: बढ़ता वजन ऐसे करें कम

Weight Loss: अकसर हम लोगों से सुनते रहते हैं कि क्या करूं वजन कम ही नहीं हो रहा सबकुछ जैसे ऐक्सरसाइज और कम खाना यानी डाइटिंग तो कर रहा/रही हूं. मगर इस बात पर ध्यान नहीं देते कि हम क्या, कितना, कैसे और कब खा रहे हैं क्योंकि आप के वजन पर इन सब का असर पड़ता है.

जैसे आप ने एक ही रोटी खाई लेकिन आप ने यह एक रोटी कैसे खाई बटर या बिना बटर के यह माने रखता है. दूसरी ओर एक बड़ा प्लेन परांठा जो 30 ग्राम आटे से बना होता है उस में 121 कैलोरी मौजूद होती है और भरे हुए आलू के परांठे में 210 कैलोरी होती है. यदि आप डाइटिंग पर हैं तब इस बात पर गौर करना जरूरी हो जाता है कि आप ने रोटी या परांठा कैसे खाया यानी साथ में और क्या था जैसे क्या उबली सब्जी खाई या तरी वाली मसालेदार या पनीर क्योंकि इन सभी में कैलोरी की मात्रा अलगअलग होती है. तब फिर बढ़ते वजन पर यह कैलोरी कहीं न कहीं असर या प्रभाव डालती ही है. फिर इस परिस्थिति में इस बात से जागरूक रहना जरूरी हो जाता है कि आप अपना भोजन या डाइट प्लान किस तरह करें ताकि कैलोरी का इनटेक कम से कम रहे, साथ ही जितनी कैलोरी आप ले उतनी बर्न भी करें.

कई बार ऐसा होता है हम डाइटिंग पर होते हैं. इस के लिए प्लान करते हैं कि घर का बना साधा खाना ही खाएंगे, मीठा और जंक फूड नहीं लेंगे लेकिन जैसे ही मौका मिलता है या अच्छा खाना सामने आता है हमारा डाइटिंग का प्लान एक तरफ रह जाता है और हम ढेर सारा कैलोरी से भरपूर खाना यह सोचते हुए खा लेते हैं कि आज ही तो खाना है. एक दिन खाने से क्या होगा कल नहीं खाएंगे और फिर यह कहते हैं कि इतना सब करने के बाद भी मेरा वजन कम नहीं हो रहा और फिर बढ़ते वजन को ले कर परेशान बने रहते हैं.

लेकिन अगर हम चाहें तो अपनी खानेपीने की आदतों में बदलाव से बढ़ते वजन को कम कर सकते हैं. इस के लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं:

अपने डाइटिंग प्लान पर रहें अडिग

यदि आप ने अपने बढ़ते वजन को कम करने के लिए कुछ डाइट प्लान किया है तो उस पर अडिग रहें. अच्छा खाना देख कर मन को विचलित न होने दें क्योंकिप्रकृति ने हमें यह क्षमता दी है कि हम बिना कुछ खाएं भी 6-7 दिनों तक स्वस्थ बने रह सकते हैं. इस के लिए हमारा शरीर शरीर में स्टोर फैट या वसा का उपयोग करता है, जिस के कारण तेजी से वजन कम होता है. लेकिन वजन कम करने के लिए जरूरी नहीं कि आप भूखे रहें बल्कि अपनी डाइट में कम कैलोरी वाला खाना शामिल कर, शक्कर और जंक फूड से दूरी और नियमित ऐक्सरसाइज की मदद से आप अपने बढ़ते वजन को कंट्रोल कर सकते हैं और अपनी फिटनैस को बनाए रख सकते हैं.

कितनी कैलोरी जरूरी

आप को कितनी कैलोरी की आवश्यकता है यह इस बात पर निर्भर है कि आप की दिनचर्या, फिजिकल ऐक्टिविटी कैसी है और उम्र क्या है? आप पुरुष हैं या महिला क्योंकि पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले ज्यादा कैलोरी की आवश्यकता होती है. यदि आप की फिजिकल ऐक्टिविटी कम है तो कम कैलोरी युक्त खाना खाएं, यदि हमें शरीर के वजन को बढ़ने से रोकना है तो याद रहे कि हम जितनी कैलोरी लें उतनी बर्न भी करें. अपने बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए यह जरूरी कदम है.

आदत 1: बहुत जल्दीजल्दी खाना 

आप की बहुत जल्दीजल्दी खाना खाने की आदत आप के बढ़ते वजन के लिए जिम्मेदार हो सकती है क्योंकि आप के पेट को आपके मस्तिष्क को यह संकेत देने में लगभग 20 मिनट लगते हैं कि आप का पेट भर गया है, इसलिए इस से पहले कि आप को पता चले कि आप का पेट भर गया है आप बहुत अधिक कैलोरी या खाना खा लेंगे. इस के लिए खाना आरामआराम से और चबाचबा कर खाए और बीच में थोड़ा ब्रेक ले लें ताकि आप के पेट को मस्तिष्क यह संकेत दे सके कि पेट भर गया है. अब आप खाना बंद कर दें.

आदत 2: पर्याप्त पानी न पीना

वजन कम करने के लिए पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना होता है क्योंकि पानी शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर करने में मदद करता है और मैटाबोलिज्म को बढ़ता है. फैट बर्न करने के लिए पानी जरूरी होता है क्योंकि पानी के बिना शरीर स्टोर्ड या जमा फैट या कार्बोहाइड्रेट को ठीक से चयापचय नहीं कर सकता है, साथ ही पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड भी रहता है. इस से वेट लौस होने में मदद मिलती है और कैलोरी भी तेजी से बर्न होती है.

वजन कम करने के लिए हमेशा खाना खाने से आधा घंटा पहले 1 या 2 गिलास पानी पीएं ताकि आप को खाने से पहले पेट भरे होने का एहसास हो तभी आप खाना कम खाएंगे और ओवर ईटिंग करने से बच जाएंगे.

डिटौक्स वाटर भी वजन कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है. डिटौक्स वाटर के लिए आप फल या सब्जियों का उपयोग कर सकते हैं. इस पानी को आप सुबहसुबह खाली पेट पीएं. इस से शरीर को पोषक तत्त्व भी मिलेंगे और शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाएंगे. यही नहीं, डिटौक्स वाटर पीने से शरीर में कैलोरी इनटेक कम हो जाता है, जिस से वजन को संतुलित रखने में मदद मिलती है.

इस के लिए भरपूर पानी पीएं और पैक बंद जूस की जगह नारियल पानी, नीबू पानी आदि का सेवन करें.

आदत 3: हाई ऐनर्जी/कैलोरी वाले ड्रिंक्स और प्रोटीन से रहें दूर

अधिकतर लोग ऐक्सरसाइज करने के बाद ऐनर्जी ड्रिंक और प्रोटीन शेक (कुछ प्रौटीन शेक में शक्कर की भरपूर मात्रा होती है जो वजन को बढ़ा सकती है) का सेवन करते हैं लेकिन ध्यान रहे ये आप को ऐनर्जी तो देते हैं लेकिन इन में कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो आप के मोटापे को कम करने के बजाय और बढ़ा सकते हैं.

इस के लिए हाई कैलोरी वाले ड्रिंक्स सीमित करें क्योंकि इन में अकसर छिपी हुई शुगर होती है जो वजन बढ़ाने का काम करती है. इन्हें लेने के बजाय पानी,ताजे फलों ओर सब्जियों का जूस, ग्रीन टी और घर पर बनी ग्रीन स्मूदी का विकल्प चुनें.

आदत 4: शादी समारोह या पार्टियों में ज्यादा खाने की आदत

पार्टियों या शादी समारोहों के दौरान जब भोजन और नाश्ते की प्लेट होती है तो हम अपने दोस्तों के बीच बातोंबातों में बिना सोचेसम झे ज्यादा खाना खा लेते हैं या अधिक कैलोरी खा सकते हैं.

ज्यादा खाने से बचने के लिए सोचसम झ कर खाएं और अपनी भूख के संकेतों पर ध्यान दें. अपने लिए प्लेट लगाते समय उस में अधिक कैलोरी का खाना न लें.

आदत 5: टीवी देखते और मोबाइल चलाते खाना खाना

जब आप टीवी देख रहे हों, अपने फोन पर स्क्रौल कर रहे हों या काम करते हुए खाना खा रहे हों तब ऐसा हो सकता है कि आप का इस बात पर ध्यान ही न जाए कि आप का पेट भरा गया है क्योंकि इस दौरान आप ने कितना खा लिया ध्यान ही नहीं देते और ज्यादा खाना खा लेते हैं.

इस के लिए आप क्या और कितना खा रहे हैं केवल उस पर ध्यान देना आप के वजन पर एक बड़ा बदलाव ला सकता है. इस के लिए भोजन करते समय स्क्रीन से दूरी बनाएं. अपना ध्यान भटकाने से बचें ताकि आप भोजन के दौरान केवल ध्यान आप क्या और कितना खा रहे हैं पर लगाए यानी माइंडफुल ईटिंग करें.

आदत 6: नियमित शारीरिक व्यायाम न करना

नियमित व्यायाम हमारे बढ़ते वजन को कम करने का एक कारगर तरीका है. बढ़ते वजन को नियंत्रण में रखने के लिए हमे प्रतिदिन सुबह आधा या 1 घंटा शारीरिक व्यायाम/ऐक्सरसाइज की आवश्यकता होती है. इस के लिए आप अपने लिए वह ऐक्सरसाइज या व्यायाम चुनें जिसे करने में आप को मजा आए, आप अपने नियमित व्यायाम में जैसे तेज चलना, दौड़ लगाना, साइक्लिंग करना आदि कर सकते हैं. यदि आप को यह करना बोरिंग लगता है तो आप जुंबा या ऐरोबिक्स या फिर डांस को भी शामिल कर सकती हैं. यदि घर पर व्यायाम करना संभव नहीं हो पा रहा है तो आप जिम या फिर योग क्लास या किसी अन्य फिटनैस क्लास का हिस्सा भी बन सकती हैं.

नियमित रूप से व्यायाम करने से मैटाबोलिज्म बढ़ता है एवं हमारी कैलोरी तेजी से बर्न होती है जिस से वजन नियंत्रण में रहता है.

आदत 7: पर्याप्त प्रोटीन या फाइबर नहीं खाना

फाइबर और प्रोटीन जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स लंबे समय तक आप के पेट को भरा हुआ रखते हैं या इस का एहसास कराते हैं, इसलिए यदि आप इन्हें पर्याप्त मात्रा में नहीं खाते हैं, तो आप को अधिक और बारबार भूख लग सकती है क्योंकि प्रोटीन और फाइबर दोनों को पचने में अधिक समय लगता है. इन में मौजूद ऊर्जा धीरेधीरे अवशोषित होती है, जिस का अर्थ है कि खाने के बाद आप लंबे समय तक ऊर्जावान बने रहेंगे और भूख भी नहीं लगेगी.

इस के लिए अपने भोजन में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं जैसे बींस और फलियां  दाल, ब्रोकली, सेब और साबूत अनाज और हर भोजन के साथ प्रोटीन का एक हिस्सा खाने की कोशिश करें, जिस में अंडे, नट्स, दूध और दही शामिल करें.

आदत 8: भोजन की प्लानिंग न होना

आज आप क्या खाने वाले हैं और कब आप के ऐसा करने से आप अपने बढ़ते वजन को बेहतर कंट्रोल कर सकती है नहीं तो ऐसा हो सकता है कि आप बहुत देर तक कुछ भी न खाएं  और कभी भी खाएं, ज्यादा खा लें, एकसाथ बहुत ज्यादा खा लें. इस के लिए यदि आप एक प्लानिंग से भोजन करेंगे तो आप वजन को कंट्रोल रखने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं.

यदि आप वजन को कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो भोजन का यानी नाश्ता, लंच और डिनर का एक शैड्यूल बनाएं यानी दिन का एक निश्चित समय तय करें और उस का पालन करें, साथ ही आप क्या खाएंगे, कब खाएंगे और कितना खाएंगे, इस की प्लानिंग भी आवश्यक है ताकि संतुलित मात्रा में भोजन का सेवन कर सकें और ओवरईटिंग से बच सकें.

आदत 9: देर रात को खाना खाने की आदत

दिनभर की भागदौड़ के बाद रात के समय हम ज्यादा और हाई कैलोरी वाला भोजन करते हैं. तब यह वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है क्योंकि रात के समय मैटाबोलिज्म दर धीमी होने लगती है, जिस के कारण फैट बर्न कम होता है इसलिए रात के समय कम कैलोरी वाला भोजन लेना आप के बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है.

Weight Loss

Fictional Story: यह है यंगिस्तान

Fictional Story: ‘‘ब्रो,  आज शाम को मैं नेल स्पा जा रही हूं, नेल ऐक्सटैंशन कराने. तू चलेगी क्या?’’

‘‘आज शाम?’’

‘‘हां.’’

‘‘सौरी डूडेट, मैं आज सोशल जा रही हूं.’’

‘‘अकेले?’’

‘‘पागल है क्या?

मैं अकेले क्यों जाऊंगी?’’

‘‘फिर और कौन जा रहा है?’’

‘‘याद है, वह डेटिंग ऐप वाला हीरो?’’

‘‘कौन रोमिल?’’

‘‘हां, आज मैं उस से पहली बार मिलूंगी.’’

‘‘वाओ ब्रो, आखिर वह मिलने आ ही रहा है.’’

‘‘यार, मैं बहुत नर्वस हूं.‘‘

‘‘डौंट वरी, यू आर ए डूडेट. तू यह भी हैंडल कर लेगी.’’

यह वार्त्तालाप हो रहा था आजकल की इक्कीस वर्षीय कालेज स्टूडैंट्स में. जो ‘सोशल रेस्त्ररां’ जा रही थीं. उस का नाम था बेला और उस की सहेली, जो नेल स्पा जा रही थी, उस का नाम था मानसी. बेला देखने में एकदम साधारण रूपरंग एवं हृष्टपुष्ट व्यक्तित्व की स्वामिनी थी. बड़ीबड़ी आंखें, मोटी सी नाक व मोटे होंठ. आजकल की दुबलीपतली लड़कियों में से वह नहीं थी. उसे अच्छा खाना पसंद था. उस के दोस्त तो बहुत थे पर उस का दुख  यही था कि उस का कोई बौयफ्रैंड नहीं था. इसलिए अब वह डेटिंग एप के थू्र अपना बौयफ्रैंड ढूंढ़ने में लगी हुई थी.

कदकाठी में उस के बिलकुल विपरीत उस की सहेली मानसी थी. मानसी बहुत ही दुबलीपतली छोटी सी लड़की थी. उस के फीचर्स तो ठीकठाक से थे यानी होंठ काफी पतले थे, आंखें बड़ी तो नहीं पर बादाम के आकार की थीं, नाक थोड़ी छोटी सी थी और रंग गेहुआं था. भीड़ में आसानी से खो जाने वाला उस का व्यक्तित्व था. उस का दुख कुछ अलग था. उस की बहन नीमा, गोरीचिट्टी,

सुंदर तो थी ही, साथ ही बहुत प्रभावशाली इन्फ्लुएंसर भी बन चुकी थी. उस के फौलोअर्स मिलियंस में थे.

मानसी को भी नीमा की तरह आकर्षक दिखने और नए तरह के कपड़े पहनने का शौक था. उस का बौयफ्रैंड औलरैडी था और इस समय  अमेरिका में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था. मानसी उस के साथ घर बसाने के सपने देख रही थी. उस का ख्वाब अमेरिका में ही सैटल होने का था. उसे इसी बात की तसल्ली थी कि नीमा का अभी तक कोई बौयफ्रैंड नहीं है और वह इस चीज में उस से आगे थी वरना बहन का इनफ्लुएंसर होना उसे एक हीनभावना से हमेशा ग्रस्त रखता था.

मानसी की मां आरती उसे बहुत सम झाती थीं पर मानसी जिद्द पर अड़ी थी कि उसे भी अपनी बहन की तरह इन्फ्लुएंसर बनना था. उसे पता था कि शक्लसूरत से वह साधारण थी, इसलिए हर रोज नया हेयरस्टाइल या मेकअप ट्राई करना उस का शौक था.

एक दिन मानसी अपने पापा रमेश से बोली, ‘‘पापा, मु झे अपनी अच्छी फोटोस चाहिए, मु झे आई फोन का लेटैस्ट मौडल दिला दो,’’ रमेश ने लाडली बेटी की यह जिद्द भी पूरी कर दी. अब मानसी अपनी पिक्चर शूट करना सीख रही थी. उस पर जल्द से जल्द इन्फ्लुएंसर बनने की धुन जो सवार थी.

इस बार जब गरमियों की छुट्टियां हुईं तो मानसी का बौयफ्रैंड रोहित इंडिया आया और उस ने उसे प्रपोज कर दिया. मानसी की खुशी का पारावार न था. हालांकि वह अभी सिर्फ 21 साल की थी और ग्रैजुएशन कंप्लीट की थी. मगर रोहित ने कहा कि अगले साल वे लोग शादी कर लेंगे. उस के बाद मानसी उस के साथ अमेरिका जा कर पढ़ाई कर सकती है. रोहित के परिवार वाले बिजनैस करते थे और काफी अमीर थे. उन का लाड़ला कुछ भी करता, उसे फैमिली बिजनैस ही संभालना था. वे रोहित की शादी 1-2 साल में करने ही वाले थे. मानसी को वे सब रोहित की पसंद के रूप में जानते थे. मानसी ने अब तक अपने घर में रोहित के बारे में किसी को नहीं बताया था; हां उस की बहन नीमा को जरूर पता था. लड़कियों के मम्मीपापा इस से बिलकुल अनजान थे.

अब मानसी ने अपने मातापिता को यह बात बताई. मानसी के पापा रमेश बहुत समझदार व्यक्ति थे. उन्होंने उसे बहुत सम झाया कि अभी उस की पढ़नेलिखने की उम्र है, शादी करने की नहीं. मगर मानसी पर तो जैसे अपनी बहन को नीचा दिखाने का भूत सवार था. उस ने जिद्द की कि वह रोहित के साथ शादी कर के अमेरिका जाएगी. हार कर आरती और रमेश ने

हां कर दी. उन्होंने एक बार रोहित से मिलना जरूरी सम झा. रोहित की पर्सनैलिटी से वे लोग भी इंप्रैस हो गए. रोहित के परिवार वालों ने आरती और रमेश से भी मुलाकात की और मामला लगभग तय हो गया. मानसी ने अमेरिका जाने की तैयारी शुरू कर दी. उस ने आईईएलटीएस क्लासेज जौइन कीं और मनचित्त से पढ़ाई करने लगी.

इधर बेला रोमिल से मिलने लगी थी. एक दिन वह मानसी को भी अपने साथ ले गई. उन लोगों ने अपने काफी सारे फोटो खींचे. रोमिल ने भी मानसी के साथ कुछ फोटो लिए और अपने इंस्टाग्राम पेज पर मानसी को टैग कर शेयर किए. मानसी के बौयफ्रैंड रोहित ने जब वे फोटो देखे तो वह जलभुन गया. उसे लगा मानसी लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप का फायदा उठा कर उस के साथ चीटिंग कर रही थी. उधर मानसी रोहित के साथ घर बसाने के सपने देख रही थी और साथ ही अपने ऐग्जाम की तैयारी भी कर रही थी.

इधर ऐग्जाम के एक दिन पहले रोहित ने मानसी को कौल किया. ‘‘बेब, यह सब क्या है? यह कौन तुम्हारे साथ इंस्टा पर फोटो डाल रहा

है? तुम इसे कब मिलीं? तुम्हारा चक्कर कब से चल रहा है? अब मेरी कोई वैल्यू नहीं है न क्योंकि मैं इंडिया में नहीं हूं?’’ और भी उसे बहुत खरीखोटी सुनाई.

इन बातों को सुन कर मानसी रुआंसी हो आई. उस ने कुछ भी न बोल कर रोहित का फोन काट दिया और एक लंबा व्हाट्सऐप मैसेज सब बातें क्लीयर करते हुए छोड़ दिया. अगले दिन उस ने किसी तरह जा कर अपना ऐग्जाम तो दिया पर वह काफी डिस्टर्ब हो गई थी.

1 हफ्ते बाद रोहित ने फिर से फोन कर के रोमिल के बारे में पूछताछ शुरू की. मानसी ने उसे सम झाने की कोशिश भी की और बताया कि रोमिल बेला का दोस्त था. फिर भी शक का कीड़ा तो रोहित के मन में पल ही रहा था. उस ने फिर से कौल पर मानसी को ‘यू बिच, टू टाइमिंग कर रही है,’ कह दिया.

मानसी ने भी गुस्से में कहा, ‘‘मु झे इस तरह की टौक्सिक रिलेशनशिप में नहीं रहना जहां पर ट्रस्ट बिलकुल भी नहीं है. तुम अभी से इतना शक कर रहे हो तो आगे पता नहीं कितनी बंदिशें लगाओगे. आई नीड माई स्पेस.’’

दोनों का फोन पर ही ब्रेकअप हो गया. रमेश और आरती ने जब इस बारे में सुना तो बेटी का दिल टूटने से उन्हें दुख तो हुआ पर वे एक तरह से काफी राहत महसूस कर रहे थे. उन्होंने मानसी को कोई प्रोफैशनल कोर्स करने की सलाह दी. मानसी अभी पढ़ाई के मूड में नहीं थी तो उस ने टीचर की जौब कर ली. काम पर जाने से, व बच्चों के साथ खेलने से मानसी का दुख कम होने लगा था. फोटो शूट फिर से चालू हो गया था.

उधर बेला और रोमिल का प्यार परवान चढ़ रहा था. उन्होंने अपना स्टेटस इंस्टाग्राम पर डिक्लेयर कर दिया था और एक जौइंट अकाउंट खोल लिया था. उस पर वे तरहतरह की रील और फोटो पोस्ट करते थे. मानसी को उन्हें देख कर अपनी रिलेशनशिप याद आ जाती थी. फिर एक दिन उस के स्कूल में एक यंग, गुड लुकिंग, मेल टीचर रंजन ने जौइन किया.

मानसी और रंजन जल्द ही, एक एज ग्रुप होने से काफी अच्छे दोस्त बन गए. दोनों के व्यूज भी बहुत मिलते थे. रंजन चाहता था कि वह मानसी के साथ एक सीरियस रिलेशनशिप बनाए, मगर मानसी ने उसे मना कर दिया. रंजन कोशिश करता रहा.

वह बारबार मानसी से कहता, ‘‘जरूरी तो नहीं कि जो पहले हुआ वह फिर से हो? मु झे तुम्हारे साथ रहकर खुशी मिलती है और मु झे लगता है कि तुम भी मु झे और मेरे साथ को पसंद करती हो. फिर क्या प्रौब्लम है?’’

मानसी यह सुन कर चुप हो जाती. ज्यादा दिन तक वह रंजन से खुद को दूर करने की

नहीं सोच पाती थी क्योंकि इस उम्र में लड़कों

के प्रति आकर्षित होना स्वाभाविक है. फिर

एक दिन उस ने रंजन से कहा, ‘‘देखो रंजन,

हम लोग ट्राई करेंगे मगर यहां कोई कमिटमेंट

नहीं होगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो कमिटमैंट की सोचेंगे.’’

रंजन को भला क्या ऐतराज हो सकता था. उस ने फौरन हां कर दी. अब रंजन और मानसी औफिशियली गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड हो गए थे. उन्होंने भी अपना इंस्टाग्राम पर एक अकाउंट खोल लिया था और उस पर अपने स्टेटस और फोटो डालने लगे थे.

इस बार मानसी थोड़ा सा सतर्क थी और उस ने मम्मीपापा को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था. उस का इंस्टा अकाउंट भी प्राइवेट था. हां, नीमा को उस ने बताना जरूरी सम झा ताकि वह अपनी बहन को थोड़ा सा दुखी कर सके. नीमा पर इस का असर नहीं होता था क्योंकि एक तो उस की फैन फौलोइंग बहुत थी, दूसरे वह अपनी लाइफ में व्यस्त और मस्त रहती थी. थी तो वह छोटी पर मानसी से ज्यादा सम झदार थी, इसलिए मानसी को उस के ब्रेकअप के बाद काफी खुश रखने की कोशिश भी करती थी. मानसी पर हालांकि इस प्यार का कोई खास असर नहीं होता था.

जब रंजन और मानसी की रिलेशन को 2 महीने हो गए तो रंजन की उम्मीदें बढ़ गईं. उस ने एक दिन कहा, ‘‘मानसी, आई वांट टु स्पैंड क्वालिटी टाइम विद यू.’’

‘‘रंजन हम लोग मिलते तो हैं रोज, फिर यह क्वालिटी टाइम की बात क्यों?’’

‘‘मानसी, अब तक हम लोग पब्लिक प्लेसेज में मिलते रहे हैं. अब मैं चाहता हूं कि सिर्फ तुम और मैं हों और हम दिनरात बस एकदूसरे के साथ रहें. अगले हफ्ते लौंग

वीकैंड आ रहा है. मैं 1-2 दिन की छुट्टी और ले लूंगा. तुम भी छुट्टी के लिए अप्लाई कर दो. हम दोनों एक अच्छा सा रिजोर्ट बुक कर के वहां चलेंगे.’’

मानसी ने पूछा, ‘‘और मैं अपने मम्मीपापा से क्या कहूंगी?’’

रंजन बोला, ‘‘अरे, तुम एडल्ट हो, कोई भी बहाना बना देना.’’

मानसी इस उल झन को ले कर अपनी हमदर्द बेला के पास गई. बेला बोली, ‘‘इस में क्या मुश्किल है? अपने  मम्मीपापा को बोल दे कि तू 4-5 दिन के लिए मेरे घर जा रही है और स्कूल भी मेरे घर से ही वापस जाएगी.’’

मानसी बोली, ‘‘और अगर उन्होंने कारण पूछा तो?’’ बेला बोली.

‘‘यार तू बड़ी डरपोक है. कह देना कि मैं अपने बर्थडे की पार्टी लौंग वीकैंड पर कर रही हूं और मैं चाहती हूं कि तू मेरे साथ आ कर रहे.’’

मानसी को यह बहाना जंच गया. बस फिर क्या था, रंजन ने फटाफट रिजोर्ट बुक किया और अगले हफ्ते मानसी और रंजन ने 5 दिन एकदूसरे के साथ गुजारे. मानसी जब घर लौटी तो उस का चेहरा खुशी से चमक रहा था.

1 हफ्ते बाद बेला मुंह लटकाए उससे मिलने आई और बोली, ‘‘डूड, मेरा रोमिल के साथ ब्रेकअप हो गया है. वह मेरे वेट को ले कर बहुत कमैंट कर रहा था और चाहता था कि मैं जिम जौइन करूं. मैं ने जौइन किया भी था पर मु झे कोई फर्क नहीं पड़ा. रोमिल चाहता था कि मैं भी तेरी तरह स्लिम ऐंड ट्रिम हो जाऊं.’’

बेला ने दोस्त को दिलासा दिया और उस के साथ फिर से समय बिताने लगी. कभी इस रेस्त्ररां में तो कभी स्पा में. एक दिन बेला ने मानसी से कहा, ‘‘ब्रो तू भी ‘मंबल’ जौइन कर ले न.’’

मानसी बोली, ‘‘यह क्या है?’’

‘‘अरे यही तो वह ऐप है जिस से मैं रोमिल से मिली थी.’’

‘‘तु झे भी कोई न कोई ज़रूर मिल जाएगा.’’

मानसी ने बात को अनसुना कर दिया.

एक दिन मानसी दिन के टाइम अकेली ही मौल चली गई. वहां एक चौकलेट शौप में उसे एक बड़ा शरीफ दिखने वाला लड़का दिखा. उसे लगा कि वह लड़का भी उसे नजरों से परख रहा है. लड़का बोला, ‘‘ऐक्सक्यूज मी, आप को शायद कहीं देखा है.’’

लाइन पुरानी थी पर मानसी को हंसी आ गई. जब दोनों शौप से निकले तो दोनों ने एकदूसरे का नंबर ले लिया. लड़के का नाम भुवन था. मानसी ने उस के साथ चैटिंग शुरू कर दी. भुवन म्यूजिक में अपना कैरियर बना रहा था.

1 महीने बाद भुवन ने मानसी से कहा, ‘‘क्या हम दोनों फ्रैंड्स कहीं मिल सकते हैं? मैं तुम्हें अपनी कंपोजिशन सुनाऊंगा.’’

मानसी बोली, ‘‘वह तो तुम मु झे कौल कर के भी सुना सकते हो.’’

‘‘नहीं मानसी, मैं तुम्हें मिल कर सुनाना चाहता हूं. मुझे लगता है कि तुम मेरे अंदर के कलाकार को सम झोगी.’’

मानसी बड़े दुविधा में थी. अभी तक जिस के साथ सिर्फ एक ऐक्सीडैंटल मुलाकात हुई थी या जिस से कौल पर बात की थी, वह मिलने की बात कर रहा है.

वह एक बार फिर बेला के पास गई, ‘‘यार मुझे समझ नहीं आ रहा कि मु झे भुवन से मिलना चाहिए कि नहीं.’’

‘‘क्यों क्या प्रौब्लम है?’’

‘‘वही यार. यह भी सीरियस न निकला तो?’’

‘‘तब की तब देखेंगे. रिलैक्स. थोड़ा टैंशन कम लिया कर. और हां, यह नाइट क्रीम ट्राई कर, इस में नियासिनामाइड है.’’

बेला फिर बोली, ‘‘एक सीक्रेट बताऊं?’’

‘‘बोल न.’’

‘‘मेरा भी ‘मंबल’ पर एक नया फ्रैंड है. वह मु झे मेरे फोटो के बदले गिफ्ट्स भेजता है.’’

मानसी चौंकी, ‘‘कौन से फोटो बेब?’’

‘‘कुछ बोल्ड फोटो हैं यार मेरे.’’

‘‘तू पागल हो गई है क्या?’’

‘‘नहीं रे, पर मु झे सम झ आ गया है कि इन बौयज से कोई ऐक्सपैक्टेशन रखना बेकार है. मैं तो ऐसे ही खुश हूं.

मानसी बोली, ‘‘आई एम शौक्ड ऐंड डिस्गस्टेड विद यू.’’

‘‘चिल मार. जा उस म्यूजिक वाले को मिल ले.’’

मानसी वहां से चली आई. अगले हफ्ते वह भुवन को मिली. भुवन तो अपने ऊपर ही लट्टू था. सिर्फ अपने गाने के बारे में ही उस से पूछता रहा. अपने फ्यूचर के बारे में उस से बात करता रहा. उस के साथ आगे की ऐजुकेशन के बारे में डिस्कशन करता रहा. उसे मानसी काफी नीरस जान पड़ी. वह खुद थोड़ा इंटलैक्चुअल टाइप का लड़का था.

मानसी को भुवन काफी सैलफिश लगा क्योंकि उस ने मानसी को कोई कंप्लीमैंट नहीं दिया. न ही उस ने मानसी से फिल्मों या ऐक्टर्स की कोई बात की. अब दोनों की चैट्स काफी कम हो गई थीं. एक दिन मानसी ने बोर हो कर भुवन को फोन से ही ब्लौक कर दिया.

आज फिर बेला और मानसी ड्रिंक्स के लिए अपने फैवरिट बार में मिल रहे थे.

बेला ने आते ही पूछा, ‘‘अरे तेरा म्यूजिक वाला कैसा है?’’

मानसी ने कहा, ‘‘यह तो उसे ही पता होगा.’’

बेला ने भौंहें चढ़ा लीं.

फिर मानसी बोली, ‘‘तू सुना, गिफ्ट वाला कैसा है?’’

‘‘मैं ने उस से एक लैपटौप क्या मांग लिया, बस्टर्ड गायब ही हो गया,’’ इतना कहने के बाद बेला फोन खोल कर कुछ करने लगी.

‘‘क्या कर रही है अब फोन पर?’’

बेला हंसी, ‘‘तेरा ‘मंबल’ पर अकाउंट खोल रही हूं और क्या?’’ और फिर दोनों सहेलियां मिल कर खिलखिलाने लगीं.

Fictional Story

Hindi Drama Story: मोलभाव

Hindi Drama Story: ‘सही भाव लगाओ दूसरी जगह भिंडी 40 रुपए किलोग्राम मिल रही है और तुम 100 रुपए किलोग्राम दे रहे हो,’’ अबीर के कानों में गाड़ी पार्क करते समय मां के ये अल्फाज पड़े जो बाहर सब्जी वाले से उल झ रही थीं.

‘‘अरे मांजी कौन देता है 40 रुपए में 1 किलोग्राम भिंडी आजकल? 80 रुपए किलोग्राम की तो खरीद है. अब 20 रुपए भी न कमाऊं तो बच्चे कैसे पालूं?’’ सब्जी वाले ने भुनभुनाते हुए कहा.

‘‘ख़ूब जानती हूं तुम्हें. ये इमोशनल बातें कर के तुम हमें चूना लगाते हो. बाजार से दोगुने से भी ज्यादा दाम में हमें चीजें देते हो.’’

‘‘अरे मांजी कारबंगले वाली हैं, फिर हम ठेले वालों का हक क्यों मारती हैं?’’

‘‘कारबंगले वाले हैं तो क्या सबकुछ लुटा दें? हुंह, ऊंट की गरदन लंबी है तो क्या उसे काट दिया जाए?’’

यह नोक झोंक और सौदेबाजी और लंबी चलती अगर अबीर आ कर मां का हाथ पकड़ कर अंदर न ले जाता.

जातेजाते अबीर 5 सौ का नोट ठेले वाले की तरफ फेंक कर सब्जी उठा कर मां का हाथ पकड़ेपकड़े अंदर आ कर एकदम से फट पड़ा, ‘‘क्या है मां तुम से सौ बार कहा कि इन रेहड़ी वालों और फेरी वालों के मुंह न लगा करो. जो भी मंगवाना हो दीपाली से कह दिया करो. वह औनलाइन और्डर कर दिया करेगी. मोलभाव करने की कोई जरूरत नहीं.’’

‘‘अच्छा औनलाइन ले लूं. न जाने कितने दिन का पड़ा कोल्ड स्टोरेज का माल सिर मढ़ दें और औनलाइन पेमैंट से मु झे पता ही न चले कि हमें कितने का चूना लगा,’’ मां हाथ नचा कर बोलीं.

‘‘रहने दे अबीर, मत मना कर वही तो तेरी मां के ऐंटरटेनमैंट का साधन है. इतने बरसों से इस की यही आदत है,’’ अबीर के पिता अपनी हंसी दबाते हुए बोले.

‘‘अरे इसी आदत ने तुम्हारी गृहस्थी को संभाल लिया वरना 3 लड़कियों और 1 लड़के समेत तुम्हारे मातापिता और 3 बहनों के परिवार का क्या होता कौन जानता,’’ मां जलभुन कर बोलीं.

‘‘वह सब ठीक है मां,’’ अबीर ने कहा, ‘‘मगर उस वक्त हालात दूसरे थे. पापाजी की एक पोस्ट औफिस की नौकरी से पूरा घर चलता था. महीने में एक बार तनख्वाह आती और पूरा महीना खींचना पड़ता था, पर अब हालात वे नहीं हैं. अब आप रौयल इन्फो के मालिक अबीर की मां हो. अब मैं अच्छा कमाता हूं. अब उतनी कंजूसी की जरूरत नहीं है मां. ये लोग जितना मांगें दे दिया करो न. हर महीने मैं आप को 2 लाख से भी ज्यादा रुपए इसीलिए देता हूं कि आप चिकचिक न करो.’’

‘‘तो बेटा यह जिम्मेदारी तू अब दीपाली को देदे, मैं भी चैन से बैठूं. मोलभाव इसलिए करती हूं कि आज अगर हालात ठीक हैं तो लंबे समय तक ठीक रहें. आज इनकम है तो क्या हुआ मु झ से यह बेकार की लूट नहीं देखी जाती. अगले महीने से तू दीपाली को पैसे दे देना, वही घर की बहू है वही चलाए घर. मेरा क्या है? मेरी आंखें किसी दिन बंद हो गईं तो?’’ मां ने धीमे लहजे में कहा.

‘‘नहीं मम्मी मु झ से नहीं होगा यह. यह जिम्मेदारी आप अपने हाथ में ही रखें वरना मैं एक स्टोरी राइटर की जगह सिर्फ होम मेकर बन कर रह जाऊंगी,’’ दीपाली ने अपना बचाव करते हुए कहा जो लेखिका होने के कारण इतना तो सम झती थी कि बड़ों का मैनेजमैंट दरअसल कितना बड़ा होता है.

‘‘अच्छा बाबा ठीक है अब चाय पिला दे. फालतू की बहस ने सिर में दर्द

कर दिया है और चाय लाते हुए पानी और सिरदर्द की टैबलेट भी लेते आना. इन की कमाई बचाने को बहस करो फिर इन से बहस करो और नतीजा ख़ुद के सिर में दर्द, हुंह,’’ कहते हुए मां अतीत के अलबम में  झांकने लगीं जब वे इसी शहर की पोस्ट औफिस कालोनी में 2 कमरों के क्वार्टर में रहती थीं. अबीर 3 बहनों के बाद हुआ था. घर में सब से छोटा और सब का लाड़ला. उस समय सरकारी नौकरी में भी इतनी आय नहीं थी. नतीजा यह कि अबीर के पिताजी पोस्ट औफिस से आने के बाद कुछ बच्चों को ट़्यूशन पढ़ाते थे और सारी फीस अबीर की मां के हाथों में रख देते और कहते तुम इसी से घर चलाऊं.

मां ने भी कभी उफ नहीं की न ही ज्यादा की मांग रखी. जो मिला उस में घर चला लिया. समय पंख लगा कर उड़ता रहा. तीनों बहनों की पढ़ाई, शादीब्याह पिताजी ने अपनी सरकारी सेवा में रहते हुए ही कर दिए, इस बीच अबीर ने भी पढ़ाई पूरी कर के मल्टी नैशनल कंपनी में जौब करनी शुरू कर दी, जब पिताजी रिटायर हुए तो ग्रैच्युटी के कुछ पैसों से एक छोटा सा मकान खरीदा और बाकी पैसे अबीर के हाथों में रख कर बोले, ‘‘यह मेरी उम्रभर की कमाई है. इसे तुम रखो, जो भी करना है करो. हम बुढ्डेबुढि़या के लिए मेरी पैंशन काफी है.’’

अबीर भी गुडबौय निकला. उस ने बड़ी सम झदारी से अपनी एक आईटी फर्म खड़ी की, कई नौकर उस के पास काम करने लगे. कुछ ही अरसे में उस की कंपनी ने बहुत तरक्की की.

अब अबीर की लाइफस्टाइल बदल गया. महंगे गैजेट्स, शानदार कार, ब्रैंडेड कपड़े, शहर के पौश इलाके में कोठी के अलावा शहर के बाहर फार्महाउस सब फाइनैंस के बलबूते हासिल कर लिया था. हालांकि मां ने कई बार कहा कि अबीर जितना पैसा हाथ में हो उतने की ही चीज ले मगर अबीर इस से उलट था. वह कहता था इस इंतजार में 10 साल निकल जाएंगे. किश्तों में थोड़ा ब्याज ही तो लगता है जब उतना कमा रहे हैं तो किस्त नाम की चिडि़या पालने में क्या हरज है?

अबीर नए दौर का लड़का था. उसे सबकुछ चाहिए था. फिर चाहे वह महंगे क्लब की मैंबरशिप हो या हाई प्रोफाइल लाइफस्टाइल अपने वुजूद को हाईलाइट करने की भूख जैसाकि आजकल के लोगों में होती है, उस में भी थी. इस के अलावा भी बड़े लोगों से दोस्ती निभाने में भी, उन्हें महंगे तोहफे देने में भी अबीर पीछे नहीं था.

मां भी जानती थीं कि अबीर अब दूध पीता बच्चा नहीं रहा. वह सम झदार है अपना भलाबुरा सम झता है इसलिए उन्होंने उसे टोकना भी बंद कर दिया. अबीर उन्हें बाकायदा हर महीने 2 लाख से ज्यादा रुपए सिर्फ घर खर्च के लिए देता था जोकि बहुत ज्यादा थे. शायद इस के पीछे अबीर की यह सोच भी थी कि मांपापा जो शौक अपनी जिंदगी में पूरे नहीं कर पाए उन्हें अब कर लें. वह पूरे परिवार को वीकैंड पर बाहर डिनर भी कराता. साल में 2 बार विदेश के दौरे भी होते, जहां पूरा परिवार साथ जाता.

बस अबीर को उल झन होती थी तो मां के मोलभाव से. वे जहां जातीं वहीं शुरू हो जातीं. जब वे पुष्कर गईं, तब भी वहां के पंडों और अजमेर की दरगाह के खादिमों तक से उन्होंने मोलभाव किया, जबकि अबीर को वह सख्त नापसंद था. मगर बचपन के पौधे में संस्कार की ऐसी खाद पड़ी थी कि वह मां से ज्यादा कुछ कह नहीं पाता था.

अबीर की बीवी दीपाली तटस्थ थी, उसे सासबहू में सामंजस्य बैठाना आता था. अबीर की मां भी 3 बेटियों की मां थीं. उन्होंने दीपाली को बेटी की तरह ही रखा. फालतू की टोकाटाकी से वे बचती थीं और इसीलिए उन के घर में कलह नहीं होती थी. इस बीच अबीर के आंगन में माहिर और सहर नाम के 2 फूल खिले, जिस से परिवार पूरा भी हो गया और दादादादी को व्यस्त रखने के लिए 2 बच्चे भी थे मगर मां की मोलभाव की आदत वैसी की वैसी बल्कि अब तो बच्चों का सामान लेने में भी वे अपनी इस कला का प्रदर्शन बख़ूबी करने लगीं. अबीर  झल्ला कर रह जाता मगर कुछ न कर पाता था.

‘‘इतना उल झे हुए क्यों हो?’’ दीपाली ने अबीर से पूछा.

‘‘कुछ नहीं सब तुम्हारे सामने है,’’ अबीर ने जवाब दिया.

‘‘देखो अबीर हम उम्र के इस पड़ाव में अब मां और पापाजी की आदत को तो बिलकुल नहीं बदल सकते.’’

‘‘हां यही तो मजबूरी है,’’ अबीर ने लंबी सांस छोड़ते हुए जवाब दिया.

‘‘हां अबीर हम नहीं बदल सकते क्योंकि उम्र का एक लंबा हिस्सा उन्होंने इसी तरह निकाला है या यों कहें कि आज तुम जिस स्टेटस को जी रहे हो उस की जड़ में शायद मां और पापा की यही बातें हैं,’’ दीपाली ने कहा.

‘‘अरे यार अब तुम भी उन की साइड लोगी?’’

‘‘नहीं अबीर, बात साइड लेने की नहीं है. मां जो करती हैं उस से उन्हें संतुष्टि मिलती है कि अपनी इस स्किल से वे घर के लिए कुछ बचाती हैं तो हम उन के सुकून को क्यों ख़राब करें?’’

‘‘हां उन का सुकून खराब न हो मगर 10-20 रुपए के लिए उन्हें  िझक िझक करता देख कर मेरा दिमाग भले ही खराब हो,’’ अबीर ने तुनक कर जवाब दिया.

‘‘टेक इट ईजी अबीर. अच्छा बताओ तुम्हारे सिडनी वाले क्लाइंट का क्या रहा?’’ दीपाली ने बात का रुख बदलते हुए पूछा.

‘‘वह सैटल हो गया आधी पेमैंट भी कर दी उस ने. बाकी बाद में करेगा. तुम बताओ तुम्हारी वह लैंप पोस्ट वाली कहानी कहीं छपी?’’ अबीर ने पूछा.

‘‘तुम्हें पता नहीं. बताया तो था कि ‘सरिता’ पत्रिका में छपी है. उस की पेमैंट भी आने वाली है और इस कहानी का तो प्ले भी किया जाएगा. आज ही दिल्ली के एक नाटक गु्रप ने मु झे फोन किया था,’’ दीपाली ने जवाब दिया.

‘दैट्स गुड यार अगर इस कहानी को थिएटर वालों ने प्ले किया तो उम्मीद करता हूं कोई डाइरैक्टर इस पर फिल्म भी बनाए,’’ अबीर ने चहकते हुए कहा.

‘‘उम्मीद तो कम है फिर भी देखते हैं क्या होता है?’’ दीपाली ने कहा.

सुबह जब अबीर औफिस के लिए निकला तो पापाजी ने टोका, ‘‘अबीर तुम बिना मास्क के जा रहे हो. पता है न कि चाइना से आए वायरस के कुछ रोगी अपने शहर में भी मिले हैं? मास्क लगा लो बेटा और यह सैनिटाइजर की शीशी जेब में रखो और ध्यान रहे  कि कितना भी जरूरी मामला क्यों न हो किसी से हाथ मत मिलाना.’’

‘‘जी पापा,’’ कह कर अबीर निकल गया और दादा पोतेपोती के साथ खेलने में मगन हो गए.

रात में खाना खाते वक्त मां ने भुरते की प्लेट उठाते हुए अबीर से पूछा, ‘‘क्या यह सच

है कि पूरा शहर कोरोना के कारण कुछ दिनों के लिए बंद हो जाएगा?’’

‘‘हां मां 2 या 3 हफ्तों के लिए लौकडाउन लगाया जाएगा.’’

‘‘उफ फिर क्या होगा?’’ मां ने चितिंत स्वर में पूछा.

‘‘फिर होगा यह कि कोई ठेले वाला सब्जी या दूसरी चीजें, बेचने नहीं आएगा और तुम्हारा मनपसंद काम यानी मोलभाव बंद हो जाएगा,’’ पिताजी ने हंसते हुए कहा.

‘‘तुम्हें तो हर बात में मेरा मोलभाव करना अखरता है. हुंह,’’ मां ने तुनक कर कहा.

अगले दिन से लौकडाउन लगा जो हफ्तों के आगे महीनों का हो गया.

‘‘अरे यार थोड़े दिन रुको लौकडाउन में सब बंद है किसी क्लाइंट से कोई पेमैंट नहीं आ रही तो तुम्हें कहां से दूं?’’ अबीर किसी से फोन पर बात कर रहा था.

किचन में खाना बनाती दीपाली से मां ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, अबीर इतना चिड़चिड़ा क्यों हो रहा है.?’’

‘‘मां मु झे भी ज्यादा नहीं बताते मगर उन्हें फाइनैंशियल क्राइस का सामना करना पड़ रहा है. इसी वजह से हमेशा खिंचेखिंचे रहते हैं. बच्चों पर भी गुस्सा करते हैं,’’ दीपाली ने जवाब दिया.

‘‘अच्छा तभी मैं कहूं कि इसे क्या हो गया है. अब सम झ में आई असली वजह,’’ मां ने कहा.

लौकडाउन खुल तो गया मगर बाजार में वह पहले जैसी तेजी न रही. अभी भी एक अनजान डर सब के सिर पर सवार था. सब को कुछ न कुछ होने का धक्का लगा था. रहीसही कसर टीवी और अखबारों ने पूरी कर दी. शाम को अबीर को अपनी कार की जगह टैक्सी से लौटते देख कर मां का माथा ठनका. उस वक्त तो वे कुछ नहीं बोलीं, मगर खाना खाते वक्त पूछ ही बैठीं, ‘‘अबीर तेरी कार कहां गई? आज तू औफिस से भी कैब में आया था.?’’

‘‘हां मां हो सकता है कल औटो से जाना पड़े या फिर बाइक से,’’ अबीर गहरी सांस ले कर गुमसुम सा बोला, ‘‘यह भी हो सकता है कि हमें यह कोठी छोड़ कर पुराने वाले छोटे घर में शिफ्ट होना पड़े, 3-3 किस्ते घर की पैंडिंग चल रही हैं, कार भी आज किस्तें न चुका पाने के कारण बैंक से आए सीजर ने सीज कर ली.

‘‘आप तो जानती ही हैं कि घर फाइनैंस पर लिया था और कार भी. अभी मार्केट डाउन है तो हो सकता है कि हमें कुछ और भी बुरा देखना पड़े.’’

मां ने कुछ नहीं कहा. बस चुपचाप खाना खाती रहीं और शायद खाना भी इसी वजह से खाती रहीं कि अबीर का सामना कर सकें.

रात को अबीर अपने कमरे में बैठा मोबाइल पर कुछ देख रहा था कि मां ने खंखारा.

अबीर ने चौंक कर गरदन उठाई और पूछा, ‘‘क्या हुआ मां और आप यह बैग ले कर क्यों आई हो? हम अभी घर नहीं छोड़ रहे हैं. मैं कोशिश कर रहा हूं कहीं से कुछ बंदोबस्त करने का. देखिए शायद कोई रास्ता निकाल ही आए.’’

‘‘पागल नहीं तो है,’’ कह कर मां ने उस के सिर पर चपत लगाई, ‘‘मैं कहीं जाने के लिए यह बैग नहीं लाई हूं यह देख,’’ इतना कह कर मां ने बैग उलट दिया.

बिस्तर पर लगते नोटों का ढेर देख कर अबीर हैरान रह गया, ‘‘पर… पर

आप ये कहां से लाई हो?’’ अबीर ने हैरत से हकलाते हुए पूछा.

‘‘मैं कहीं से नहीं लाई. ये तेरे ही पैसे हैं तू हर महीना घर को राजसी ठाठबाट से चलाने के लिए जो बड़ी रकम देता था, मैं उसी में से बचत कर के और हर जगह मोलभाव कर पैसा बचाती रही. इस के अलावा तेरे पापाजी भी हर महीने अपनी आधी पैंशन मु झे देते थे, यह सब उसी का नतीजा है?’’

‘‘अरे वाह मां इतने पैसों में तो पूरे साल की किस्ते दी जा सकती हैं. घर की भी और कार की भी,’’ अबीर खुशी से चहकते हुए बोला.

‘‘हां बेटा इसीलिए तो कहती हूं मोलभाव करने में कोई हरज नहीं बल्कि इस से बचत ही होती है जो बुरे दिनों में काम आती है,’’ मां ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

‘‘मां अब तो मु झे सच में लगने लगा है…’’

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि मोलभाव जिंदाबाद.’’

लेखक- सरताज अली रिजवी

Hindi Drama Story

Long Story in Hindi: जहर

Long Story in Hindi: ‘‘राशि  राशि, जल्दी आओ न यार.’’ राज की पुकार सुनते ही राशि लगभग दौड़ती हुई अपने कमरे से निकल कर हॉल में चली आयी. राज शाम को जैसे ही अपनी कम्पनी से वापिस आता था कि बस दरवाजे पर पहुंचते ही राशि को पुकारने लगता.

अभी राज और राशि की शादी को एक महिने ही हुए थे और इस एक महिने में ही दोनों, एकदूसरे के इतने नजदीक आ गए थे… मानो बरसों से साथ साथ ही रह रहे हों. वैसे भी खूबसूरत राशि और हैंडसम राज की जोड़ी खूब जंचती थी. अरेंज मैरिज होने पर भी दोनों में लव मैरिज जैसा प्यार था.

आज भी राशि अपने रूम में घड़ी पर नजर टिकाए हुए जल्दी जल्दी तैयार हो रही थी कि तभी राज की पुकार सुन वो खुश होती हुई हॉल की तरफ लपकी.

पर जैसे ही राशि ने हौल में कदम रखा, उस के कदम ठिठक से गए राज अकेला नहीं था, बल्कि राज के सामने ही एक युवक और दो युवतियां भी बैठीं थी.

राशि थोड़ी सकुचाई सी धीरे से बोली, ‘‘राज, तुम ने बताया ही नहीं कि तुम्हारे साथ आज गेस्ट भी आए हैं.’’

राज कुछ बोलता कि सामने बैठी हुई एक चुलबुली सी दिखने वाली युवती उठ कर राशि के करीब आती हुई बोली… अरे रे रे राशि जी, हमें गेस्ट मत कहिए. हम तो राज को तब से जानते हैं, जब आप राज की लाइज में आई भी नहीं थीं. इस बंगलो के कोने कोने से हम सब वाकिफ हैं, शादी से पहले इसी बंगलो में ही तो हमारी वीकैंड पार्टियां होतीं थीं. क्यों सुहाना!तुम भी तो कुछ बोलो न.’’

अब राज ने जल्दी से उठकर,उस चुलबुली युवती को टोकते हुए कहा… ओह्ह गॉड शीना, तुम तो एक बार बोलना शुरू करती हो न तो बस… सुपरफास्ट एक्सप्रेस को भी पीछे छोड़ दोगी.’’

फिर राज ने राशि का हाथ पकड़ा और उसे सामने लाते हुए बोला… आओ न राशि, जरा मेरे कलिग्स और फ्रैंड्स से भी तो मिलो. ये तीनों ही मेरे बहुत क्लोज हैं, पर कोइनसिडेंटली एक सेमिनार अटैंड करने ये तीनों दुबई गए हुए थे और इसीलिए न तो मेरी शादी में आ सके और न ही आज तक तुम से ही मिलने आ पाए. अभी कल शाम ही लौटे हैं ये लोग दुबई से और आते ही पीछे लग गए पार्टी के लिए. आओ तुमको मिलवाता हूं… ये है… सुबोध, वो सुहाना और इस पागल शीना से तो तुम मिल ही ली हो.’’

‘‘अच्छा तो अब बीवी के आते ही मु झे पागल बोल रहे हो, मैं न अभी खबर लेती हूं तुम्हारी.’’ और शीना ने सचमुच सोफे पर पड़ा कुशन उठा कर राज की ओर फेंक दिया.

राज ने हंसते हुए वो कुशन कैच किया और फिर राशि से बोला… इस का तो ये सब चलता ही रहेगा. तुम प्लीज अपने हाथों की बनी बढि़या सी चाय और गरमगरम स्नैक्स ले कर आओ न.’’

राशि ने सिर हिलाया और किचन की तरफ चल पड़ी. तभी राशि को पीछे से आती हुई शीना और राज की खिलखिलाहट सुनाई दी. उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था कि आज तक तो कभी राज ने उस के सामने शीना सुहाना का नाम भी नहीं लिया था.

कुछ देर बाद राशि जब हॉल में चाय और पकौड़ों की ट्रे लिए आई… तो सुहाना ने

फौरन आगे बढ़ कर राशि के हाथ से ट्रे ले कर टेबल पर रख दी और फिर राशि को हाथ पकड़ कर बैठाते हुए बोली… ओफ्फ राशि जी, आप बेवजह ही इतनी परेशान होती रहीं, मैं ने तो यहां आते ही पिज्जा और्डर कर दिया था.’’

शीना ने राज की ओर देखते हुए पूछा…. क्यों राज मेरी फेवरेट कोल्डड्रिंक तो रखी है न तुम ने फिज में? मालूम है न कि मैं कोल्ड ड्रिंक के बिना पिज्जा नहीं खा सकती.’’

‘‘पता है शीना मु झे!मैं ने कल ही ला कर दो बॉटल रख ली थी,’’ राज ने फ्रिज की तरफ जाते हुए कहा.

राशि ने थोड़ा मायूस होते हुए पूछा, ‘‘तो… तो क्या आप लोग ये चाय और पकौडि़यां नहीं खाएंगे?’’

‘‘वाह, खाएंगे क्यों नहीं? मैं तो ये चाय और पकौडि़यां ही खाऊंगा. पिज्जा और कोल्डड्रिंक तो रोज ही खाने को मिल जाते हैं, पर ऐसा टेस्टी गर्मागर्म नाश्ता कहां मिलेगा,’’ सुबोध ने कहा और आगे बढ़ कर एक पकौड़ी अपने मुंह में डाल ली.

सुहाना ने सुबोध को घूरते हुए वार्निंग दी, ‘‘देख सुबोध, इस तरह से पकौड़ीकचौड़ी खाते रहेगा तो जल्दी ही फूल कर खुद भी कचौड़ी जैसा बन जाएगा.’’

अब राशि से चुप न रहा गया, ‘‘पर पिज्जा में भी तो बहुत कैलोरी होती है.’’

‘‘ओह राशि जी, आप न सच में बहुत भोली हैं. हम जो पिज्जा और्डर करते हैं न, वो एकदम स्पेशल होता है… लो फैट और लो चीज वाला,’’ सुहाना ने हाथ हिलाते हुए सम झाया.

राशि को एक बात बड़ी अजीब सी लग रही थी, ये दोनों लड़कियां राशि को तो ‘राशिजी’ कह कर बुलाती थीं पर राज को सिर्फ ‘राज’ ही पुकारती थीं. फिर राशि ने अपने मन को तसल्ली दी… हो सकता है कि एकसाथ काम करते रहने से ये सब आपस में घुलमिल गए हों. तभी डोरबैल बज उठी.

राशि जल्दी से दरवाजा खोलने गई. देखा तो पड़ोस में ही रहने वाले निखिल और उन की वाइफ आहना खड़े थे.

राशि ने मुसकराते हुए उन दोनों का स्वागत किया और फिर हौल में ले आई राज ने जैसे ही निखिल और आहना को देखा उस के माथे पर बल पड़ गए. निखिल उस का पड़ोसी जरूर था, पर राज को वह कभी भी अच्छा नहीं लगा.

राशि ने पता नहीं कैसे निखिल की बीवी आहना से दोस्ती कर ली थी और इसीलिए अब आहना और निखिल अकसर राज के यहां आते रहते थे.

वैसे तो राज यों निखिल और आहना से हंसबोल लेता था पर आज खुद उस के गैस्ट आए हुए थे, इसलिए उसे अभी निखिल का यों अचानक चले आना बुरा लगा. राज के चेहरे पर गंभीरता  झलकने लगी.

निखिल बैठते हुए बोला, ‘‘लगता है हम एकदम सही मौके पर आए हैं. टेबल पर चाय और पकौड़े रखे हैं. वाह, क्या बढि़या खुशबू आ रही है इन की.’’

आहना ने महसूस किया कि शायद राज को उन दोनों का इस वक्त आना

पसंद नहीं आया है, इसलिए वह फौरन उठते हुए बोली, ‘‘लगता है हम गलत वक्त पर चले आए. सौरी, वह ऐक्चुअली हमें मालूम नहीं था कि आप के गैस्ट आए हुए हैं.’’

अब राज जबरन फीकी हंसी हंसते हुए बोला, ‘‘न… नहीं तो ऐसी तो कोई बात नहीं. ये सब मेरे कलीग्स और फ्रैंड्स हैं. मेरी शादी में तो आ नहीं पाए थे, इसलिए आज चले आए पार्टी करने.’’

निखिल ने गरदन हिलाई और फिर बेमन से कहा, ‘‘तो फिर आप सब ऐंजौय कीजिए, हम बाद में आ जाएंगे.’’

राशि ने जल्दी से उन्हें रोका, ‘‘नहीं नहीं आप लोग क्यों जाने की बात कर रहे हैं? यह तो अच्छा ही हुआ न कि आप लोग पार्टी के टाइम पर ही आ गए. अब हम सब मिल कर ऐंजौय करेंगे.’’

निखिल आराम से पकौड़े खाते हुए चाय पीने लगा.

तभी डोरबेल बजी और सुहाना लपकती

हुई गई, ‘‘पक्का डिलिवरी बौय आया होगा पिज्जा ले कर.’’

सचमुच पिज्जा डिलिवरी करने ही आया था एक लड़का. सुहाना ने पिज्जा लिया और हौल में आती हुई बोली, ‘‘लो अब हमारी आइटम तो आ गई साथ में कोल्डड्रिंक भी आ गयी है.’’

राशि बोली, ‘‘लाइए मैं पिज्जा को अच्छे से प्लेट्स में निकाल कर लाती हूं.’’

शीना ने हाथ हिला कर लापरवाही से कहा, ‘‘नो नीड हमें तो यों ही मजा आता है छीना झपटी कर के खाने में. हां, अगर ये पकौड़े और चाय उठा कर ले जाएंगी तो अच्छा रहेगा.’’

राशि का चेहरा बु झ सा गया. वह चुपचाप ट्रे समेट कर ले जाने लगी.

तभी आहना ने कप उठाए और बोली, ‘‘चलो, मैं इन्हें किचन में रखवा देती हूं.’’

किचन में पहुंचते ही आहना ने राशि का हाथ पकड़ा और हैरानी से बोली, ‘‘आर यू मैड राशि? तुम ने इन तितलियों को यों राज के साथ इतना फ्री कैसे छोड़ दिया है? अभी तुम्हारी शादी को 1 महीना ही हुआ है और अभी से राज दूसरी लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहा है?’’

राशि ने रोंआसी आवाज में कहा, ‘‘तो मैं क्या करूं आहना? क्या जा कर उन लड़कियों के सामने ही राज को खरीखोटी सुनाऊं और उन लड़कियों को धक्के दे कर घर से बाहर निकाल दूं?’’

‘‘ऊफ, तू तो न बिलकुल बुद्धू ही है. मैं सिर्फ यह कह रही हूं कि तू जा कर राज के बिलकुल करीब बैठ और अपने बिहेवियर से उन तितलियों को जता दे कि राज पर सिर्फ तेरा हक है. देखना वह खुद ही तिलमिला कर यहां से भाग खड़ी होंगी,’’ आहना ने सम झाया.

राशि कुछ पल सोचविचार करती रही, फिर उस के कानों में हौल से आने वाली खिलखिलाहट गूंजने लगी. वह फौरन सिर  झटकती हुई बाहर निकली और तेज कदमों से राज की तरफ बढ़ गई.

राज तब शीना के हाथ से पिज्जा लेने की कोशिश में था. राशि ने थोड़ी रुकी, फिर धीमी आवाज में राज को पुकारा, ‘‘राज यह कैसी हरकत कर रहे हो? तुम कोई बच्चे नहीं हो जो ऐसे छीन झपट कर खाना ले रहे हो.’’

राशि की आवाज से राज एकदम स्तब्ध रह गया. उस ने आज से पहले राशि को कभी ऐसा बोलते नहीं सुना था.

तभी शीना ने मुंह मटकाते हुए अपनी जुल्फें संवारीं और बोली, ‘‘आप क्यों राज को मना कर रही हैं राशिजी? यह तो हम दोस्तों के बीच की बात है, आप बेवजह दखल मत दीजिए.’’

राशि तो अब अंगारे की तरह सुलग उठी. कुछ बोलती कि आहना बीच में ही कहने लगी, ‘‘इस तरह बिहेवियर क्या आप को ठीक लगता है शीनाजी? दूसरे के घर आ कर दूसरे के पति के साथ इस तरह से मजाकमस्ती भला क्या अच्छा लगती हैं?’’

शीना के ऊपर तो जैसे किसी ने खौलता हुआ तेल डाल दिया. वह ऊपर से

नीचे तक अपमान की आग में जल गई. फिर उस ने एक  झटके से अपना बैग उठाया और सुहाना की बांह पकड़े सीधे घर से बाहर चल दी. सुबोध भी जल्दी से उन के पीछे चल पड़ा.

अब राज ने गुस्से से जलती निगाहें राशि पर डालीं और गुर्राते हुए बोला, ‘‘मिल गई तसल्ली? हो गई शांति मेरे घर आए मेहमानों का यों अपमान कर के? तुम ने बहुत ही गलत किया है राशि. तुम्हें इसी वक्त उन सब से माफी मांगनी होगी.’’

आहना ने आगे बढ़ कर चिढ़े स्वर में कहा, ‘‘राशि को नहीं, आप को माफी मांगनी चाहिए. भला इस तरह से उन आवारा लड़कियों को घर बुला कर कोई अपनी बीवी की ऐसी बेइज्जती करता है क्या? राशि बेचारी भोलीभाली है, मेरे साथ कोई ऐसा करता तो मैं अब तक उस के होश ठिकाने लगा देती.’’

राशि अचानक फूटफूट कर रो पड़ी, फिर भागती हुई अपने कमरे में चली गई. राज भी गुस्से में पैर पटकते हुए घर से बाहर निकल गया.

निखिल ने अपनी बीवी आहना को इशारा किया. फिर दोनों राज के घर से निकल गए. तभी आहना को कुछ खयाल आया, वह निखिल से बोली, ‘‘तुम घर जाओ,मैं जरा राशि को सम झा कर आती हूं. नादानी में कुछ उलटासीधा न कर ले वह.’’

निखिल ने हामी भरी और आगे बढ़ गया. आहना वापस घर के अंदर चली आई. दरवाजा तो अब तक खुला ही था. आहना ने अंदर आ कर दरवाजा लगाया और फिर जल्दीजल्दी राशि के रूम की तरफ चल दी.

राशि अपने बैड पर पड़ी बिलखबिलख कर रो रही थी. जैसे ही आहना ने राशि के कंधे को छूते हुए उसे पुकारा कि राशि का रोना और भी तेज हो गया.

आहना ने कुछ देर वहीं बैठ कर राशि को दिलासा बंधाते हुए सम झायाबु झाया, फिर उठती हुई बोली, ‘‘राशि, चल अब उठ कर हाथमुंह धो ले और अच्छे से तैयार हो जा और सुन राज की मनपसंद साड़ी पहन कर रैडी होना, देखना राज भी तेरे लिए चौकलेट, आइसक्रीम वगैरह ले कर आ रहा होगा.’’

राशि सुबकती हुई उठी, फिर आहना को थैंक्यू बोल कर वाशरूम में चल दी.

देर तक ठंडे पानी से शौवर लेने के बाद राशि को थोड़ा बैटर फील होने लगा. उस ने

सोचा कि जब राज घर वापस आ कर मुझे मनाएगा तो मैं भी  झट से मान जाऊंगी. पर राज से मैं आज क्लीयर कह दूंगी कि अब आगे से कभी वे शीना और सुहाना को यों घर पर न लाएं.

राशि वाशरूम से निकली और फिर ब्लू कलर की साड़ी निकाली, जो राज ने उसे शादी के बाद पहली बार गिफ्ट में दी थी. ब्लू साड़ी पहन कर जब राशि ने अपनेआप को देखा तो बुदबुदा उठी कि आज तो मु झे देखते ही राज के होश उड़ जाएंगे. फिर राशि ने अपने बालों को संवारा और हलका सा मेकअप कर बाहर हौल में चली आई.

हाल में आते ही राशि की नजर सामने वाले सोफे पर गई जहां आहना बैठी हुई कुछ सोच रही थी.

राशि ने हैरानी से पूछा, ‘‘अरे आहना तुम अब तक यहीं हो मु झे तो लगा कि तुम घर चली गई होगी.’’

मगर अहाना पहले की ही तरह खामोशी से आंखें बंद किए हुए बैठी रही. अब तो राशि और भी ज्यादा हैरत में पड़ गई. उस ने अब आहना की तरफ आगे बढ़ कर उस के कंधे पर हाथ रखते हुए थोड़ा जोर से कहा, ‘‘आहना, किन खयालों में खोई हुई हो तुम?’’

राशि का आहना के कंधे पर हाथ रखना था कि आहना की निष्प्राण देह सोफे पर लुढ़क गई.

राशि चीख मार कर आहना को उठाने की कोशिश करने लगी पर आहना की तो सांसें थम चुकी थीं, अब भला वह उठती भी तो कैसे?

‘‘क्या रोनाचीखना मचा रखा है अब तक यह घर है या कोई थिएटर?’’ दरवाजे से अंदर आते हुए राज ने चिढ़ाते हुए राशि से कहा.

राशि ने राज के चिढ़ने की परवाह किए बगैर और भी जोर से चिल्लाते हुए कहा, ‘‘राज… राज यह… यह आहना को देखो न क्या हो गया है? उठ ही नहीं रही है.’’

राज की आंखें सिकुड़ गईं. अब राज चिंतित हो कर तेजी से सोफे के पास आया और सोफे पर लुढ़की पड़ी आहना का हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगा पर जैसे ही राज ने आहना का हाथ पकड़ा खुद उस के मुंह से भी चीख निकल पड़ी. आहना का हाथ तो बर्फ की तरह ठंडा लग रहा था.

अब राज ने कांपते हुए अपना हाथ आहना की नाक के आगे रखा और फिर फौरन इस

तरह से डर कर पीछे हटा मानो उस के सामने मौत खड़ी हो और वाकई में मौत तो थी ही राज के सामने. आहना की सांसें थम चुकी थीं. उस के शरीर में अब प्राण बाकी नहीं थे.

राज को यों डरतेकांपते देख राशि बोली, ‘‘जल्दी से डाक्टर को काल करो राज.’’

राज ने किसी तरह से अपनी बेकाबू होती धड़कनों को कंट्रोल करते हुए अटकती आवाज में कहा, ‘‘डाक्टर अब कुछ नहीं कर सकता राशि अब तो मु झे निखिल को काल करना पड़ेगा क्योंकि आहना की सांस हमेशा के लिए थम चुकी है. आहना मर चुकी है राशि.’’

‘‘मर चुकी है क्या? कुछ भी बोल रहे हो राज तुम? अभी थोड़ी ही देर पहले तो आहना मेरे रूम में आ कर मु झे सम झाबु झा कर गई थी. वह कैसे मर सकती है राज, राशि पागलों की तरह चीखते हुए बोली.

राज ने राशि की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपना मोबाइल ले कर निखिल को कौल लगाने लगा.

राशि अब जैसे स्टैच्यू बनी हुई टकटकी लगाए आहना को घूरे जा रही थी. उस के सोचनेसम झने की ताकत जैसे गायब हो गई थी.

राज ने निखिल को काल कर के तुरंत अपने घर आने के लिए कहा. फिर बेचैनी से अपने हाथ मसलते हुए हाल में चहलकदमी करने लगा. उस की सम झ में नहीं आ रहा था कि वह निखिल को कैसे बताएगा और क्या सम झाएगा?

निखिल तुरंत आ पहुंचा. उस ने सामने खड़े राज को देखते ही पूछा, ‘‘क्या हुआ राज तुम ने एकदम अर्जेंट घर बुलाया मु झे? अब तक प्रौब्लम नहीं सौल्व हुई क्या तुम्हारे और राशि के बीच?’’

राज ने बिना कुछ कहे बस सोफे की तरफ इशारा कर दिया.

निखिल ने हैरानी से उधर देखा और जैसे ही सोफे पर लुड़की पड़ी आहना पर उस की निगाह गई. वह बिजली की तेजी से आहना के पास जा पहुंचा और चिल्लाते हुए बोला, ‘‘आहना, क्या हुआ बेबी? तुम ठीक तो हो न? कैसा फील हो रहा है तुम्हें? आंखें तो खोलो डियर एक बार.’’

तभी राज ने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और निखिल के कंधे पर हाथ रखते हुए किसी तरह से कहा, ‘‘निखिल… वह… वह आहना अब… कभी अपनी आंखें नहीं खोलेगी. आहना की मौत…’’

निखिल इतनी जोर से चीखा कि पूरा घर हिल उठा. फिर वह पागलों की तरह आहना को पकड़ कर उठाने की कोशिश करता हुआ उसे जोरजोर से पुकारने लगा.पर जब उस की लाख कोशिशों के बाद भी आहना नहीं उठी तो निखिल अचानक राज के करीब जा पहुंचा.

निखिल ने राज का कौलर पकड़ते हुए आग उगलती आवाज में पूछा, ‘‘क्या कर दिया है तुम ने मेरी बीवी को? उस ने तुम्हें थोड़ा सा सम झाया क्या कि तुम ने उस की जान ही ले ली. मैं… मैं छोडूंगा नहीं तुम्हें,’’ और फिर निखिल ने राज को जोर से परे धकेला और मोबाइल निकाल कर पुलिस का नंबर मिलाने लगा.

राज तो यों हताशा से आहना की डैड बौडी की ओर देख रहा था मानो उसे अपनी

मौत साफसाफ नजर आ रही हो.

जल्द ही पुलिस गाड़ी के सायरन से वातावरण गूंज उठा. धड़धड़ाती हुई पुलिस टीम राज के घर आ पहुंची. पुलिस टीम का लीडर था सीनियर इंस्पैक्टर राजशेखर. राजशेखर ने घर में घुसते ही सामने खड़े निखिल और राज को घूरते हुए कहा, ‘‘अभीअभी किसी ने काल कर के यहां का पता बताया था. आप दोनों में से किस ने की थी काल और क्या हुआ है यहां?’’

निखिल जल्दी से सोफे की ओर इशारा करते हुए बोला, ‘‘मैं ने आप को काल की थी सर वह… वह देखिए जरा मेरी बीवी आहना को मार डाला उसे इस कमबख्त राज ने.’’

राजशेखर फौरन सोफे की ओर लपका. उस ने ग्लव्ज पहने हाथों से आहना की गरदन पर हाथ रखा और फिर सिर हिलाते हुए आहना के मरने की पुष्टि कर दी.

राजशेखर ने अपनी पुलिस टीम को इंस्ट्रक्शन दीं कि पूरे घर की अच्छी तरह से छानबीन की जाए और फिर तुरंत ही फोरेंसिक टीम और ऐंबुलैंस को भी काल कर के बुला लिया.

पुलिस टीम फौरन अपनी तफ्तीश में जुट गई.

अब राजशेखर ने निखिल का रुख किया, ‘‘तो यह आप की बीवी है और यह घर… यह घर किस का है और आप की बीवी यहां कैसे आ गई?’’

निखिल रोते हुए बोला, ‘‘सर… सर मैं निखिल हूं और यह मेरी बीवी आहना. हम यहीं पड़ोस में रहते हैं. आज शाम को आहना ने ही यहां इस राज के घर आने का प्लान बनाया था.हम यहां आए तो राज के दोस्त भी मौजूद थे. कुछ ही देर में राशि और राज की एक दोस्त के बीच  झगड़ा हो गया.

‘‘राज के दोस्त चले गए, राज की बीवी रोने लगी तो मेरी बीवी ने राज को सम झाया. पर राज तो इतना गुस्सा हो गया कि उस ने मेरी बीवी की जान ही ले ली.’’

‘‘झूठ बिलकुल  झूठ बोल रहा है यह सर, मैं तो अपने दोस्तों के साथ ही घर से

बाहर चल दिया था और तब यह निखिल और उस की बीवी दोनों ही यहीं थे. फिर जब मैं वापस घर आया तो मैं ने देखा कि मेरी बीवी रोतीचीखतीं हुई आहना को पुकार रही है. मैं तो खुद हैरान हो उठा सर यों आहना को सोफे पर डैड देख कर,’’ राज ने अपनी सफाई देने में एक पल की देरी नहीं की.

निखिल फिर चीख पड़ा, ‘‘मैं दावे से कह रहा हूं सर कि इस राज ने ही मेरी बीवी को मार डाला. यह तो हमेशा से ही मु झ से चिढ़ता था. आज भी जब हम यहां आए तो यह एकदम उखड़ गया था.’’

राज ने अब राशि का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘जरा बताओ इन औफिसर को तुम कि मैं जब यहां से गया था तब यह निखिल और उस की बीवी यहीं बैठे थे.’’

राशि तो इस कदर घबराई हुई थी कि उस के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था.

निखिल ही फिर से चिल्ला उठा, ‘‘अपनी बीवी से क्या पूछ रहा है मैं बताता हूं न सारी बात. सर, मैं घर चला गया था क्योंकि मेरी बीवी को राशि की फिक्र हो रही थी इसलिए वह उसे सम झाने के लिए रुक गई थी और अभी कुछ देर पहले जब मैं अपनी बीवी को बुलाने के लिए आ ही रहा था कि राज ने मु झे काल कर के तुरंत यहां बुलाया और जब मैं यहां पहुंचा तो मेरे सामने मेरी बीवी की लाश पड़ी थी,’’ और निखिल फिर फफकफफक कर रोने लगा.

राजशेखर ने निखिल को सांत्वना दी,फिर राज की ओर मुड़ते हुए सर्द लहजे में कहा, ‘‘राज मेरा रिकौर्ड रहा है कि आज तक कभी भी मेरी नजरों से असली मुजरिम बच नहीं सके हैं. इसलिए बेकार की बातें छोड़ कर आप मु झे सीधे और स्पष्ट शब्दों में सारा माजरा सिलसिलेवार बताइए.’’

राज ने गहरी सांस ली फिर बोलना शुरू किया, ‘‘सर आज शाम को मैं जब औफिस से आया, तो मेरे साथ मेरे 3 कलीग्स भी साथ आ गए. वे तीनों मेरी वाइफ से मिलना चाहते थे, इसलिए मैं उन्हें घर ले कर आ गया. पर तभी यह निखिल और उस की बीवी आहना भी अचानक चले आए. अच्छेखासे हम पार्टी कर रहे थे कि जाने आहना ने मेरी बीवी राशि को क्या उलटीसीधी पट्टी पढ़ा दी… राशि ने मेरे दोस्तों के सामने रूखा बरताव किया तो मैं नाराज हो गया.

‘‘मेरे दोस्त तो फौरन घर से चले गए और मैं भी फिर उन्हीं के पीछेपीछे घर से बाहर

चला गया. तब तक यह निखिल और आहना मेरे ही घर पर थे. फिर मु झे कुछ नहीं मालूम कि मेरे जाने के बाद यहां क्या हुआ और क्या नहीं. बस मु झे इतना ही मालूम है कि जब मैं वापस घर आया तो आहना सोफे पर पड़ी थी और राशि रोतीचिल्लाती हुई उसे उठाने की कोशिश कर रही थी,’’ राज ने पूरी बात बता दी.

राजशेखर ने अब राशि के करीब जा कर गंभीरता से कहा, ‘‘देखिए राशिजी, हम आप की मनोस्थिति सम झ सकते हैं. पर आप का बयान हमारे लिए बहुत ज्यादा माने रखता है क्योंकि अकेली आप ही थीं जो आहना के साथ इस घर में मौजूद थीं. हम जानना चाहते हैं कि जब आप और आहना यहां अकेले थे तो यहां पर क्या क्या हुआ और आहना की यों अचानक मौत कैसे हो गई?’’

राशि कुछ देर तो फूटफूट कर रोती रही फिर किसी तरह से अपनी रुलाई पर काबू पाती हुई बोली, ‘‘म… मैं… मैं कुछ नहीं जानती कि आहना अचानक कैसे मर गई. मैं तो अपने कमरे में रोती हुई पड़ी थी कि आहना ने आ कर मु झे सम झाया. मैं उठ कर वाशरूम में चली गई और जब आधेपौने घंटे बाद नहाधो कर तैयार हो वापस हौल में आई तो मैं ने देखा कि आहना सोफे पर आंखें मूंदे हुए बैठी है.

‘‘मु झे हैरानी हुई क्योंकि मु झे तो लगा था कि आहना अपने घर चली गई होगी. फिर जब मैं ने उस के करीब जा कर उस के कंधे पर थपकी देते हुए पुकारा तो वह सोफे पर लुढ़क गई,’’ राशि फिर से बिलख उठी.

राजशेखर ने गरदन हिलाई फिर बोला, ‘‘मतलब कि आप ही थीं जिन्होंने पहली बार आहना को मृत देखा और सिर्फ आप ही थीं जो आहना के साथ उस की मौत के समय इस घर में मौजूद थीं.’’

राशि ने फिर किसी तरह से कहा, ‘‘पर मैं सच कह रही हूं कि मु झे तो आहना के बारे में पता तक नहीं था कि वह मेरे ही घर में है. मैं तो नहानेधोने और फिर तैयार होने में लगी थी. मु झे कुछ भी नहीं मालूम कि इस बीच आहना के साथ क्या हुआ.’’

तभी निखिल चिल्लाया, ‘‘सर यह सब इस राज की ही वजह से हुआ है. राज ने आप को यह तो बताया कि उस के कलीग्स आए थे पर यह नहीं बताया कि उन कलीग्स में 2 लड़कियां भी थीं, जिन में से एक तो राज से बिलकुल ऐसे बिहेव कर रही थी मानो वह राज की गर्लफ्रैंड ही हो. इसी बात को ले कर तो राशिजी ने राज से नाराजगी जाहिर की थी.’’

‘‘बकवास मत करो निखिल. वे तीनों सिर्फ मेरे कलीग्स हैं और कुछ नहीं,’’ राज भी चीखते हुए बोला.

तभी फोरेंसिक टीम और ऐंबुलैंस भी आ पहुंची. आहना की बौडी का पंचनामा कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. फोरेंसिक टीम ने हर जगह से फिंगरप्रिंट और दूसरे कई सुबूत ट्रेस किए और फिर राजशेखर से ऐक्सपर्ट ने कहा, ‘‘पहली नजर में तो यह मु झे पौइजन का मामला लग रहा है, बाकी डिटेल्स तो पोस्टमार्टम से ही पता चलेगी.’’

राजशेखर ने गरदन हिलाई, फिर राज से बोला, ‘‘आज शाम को इस घर में जोजो भी शख्स मौजूद था उन सब की पूरी इन्फौर्मेशन मु झे एक पेपर पर अभी लिख कर दो.’’

राज ने विरोध करते हुए कहा, ‘‘सर, अब आप बिना मतलब उन बेचारे कलीग्स को क्यों लपेट रहे हैं? मैं आप को बता चुका हूं कि जब मेरे कलीग्स और मैं घर से बाहर निकले थे. तब तक आहना और निखिल दोनों ही इस घर में अच्छेखासे मौजूद थे. अब हमारे जाने के बाद क्या हुआ क्या नहीं, इस के लिए मैं और मेरे कलीग्स तो दोषी नहीं ठहराए जा सकते.’’

राजशेखर की आवाज कठोर हो गई, ‘‘आप अपना ज्ञान अपने ही

पास रखिए और जो पूछा जा रहा है उस का ठीकठीक जवाब दीजिए. यह पुलिस पूछताछ है कोई आप के औफिस की रुटीन कार्यवाही नहीं हो रही है.’’

राज एकदम से सकपकाते हुए इधरउधर देखने लगा.

राजशेखर ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा, ‘‘10 मिनट के अंदर मु झे उन तीनों की फुल डिटेल्स एक पेपर पर लिख कर दो.’’

फिर निखिल की ओर मुड़ते हुए राजशेखर ने उस से कहा, ‘‘चलिए निखिल जरा आप का घर भी देख आते हैं. वहां भी छानबीन तो जरूरी ही है. आखिर आप और आहना रहते तो वहां थे.’’

निखिल ने सिर हिलाया और सुस्त कदमों से बाहर दरवाजे की तरफ चल पड़ा. राजशेखर ने 2 पुलिसकर्मियों को अपने साथ लिया और निखिल के घर की तलाशी लेने चल दिया.

निखिल के घर का दरवाजा और मेन गेट सब लौक्ड थे. कंपाउंड की लाइट्स भी औफ थीं और घर के अंदर भी अंधेरा ही नजर आ रहा था.

राजशेखर ने थोड़ी हैरानी से पूछा, ‘‘निखिल, आप तो बता रहे थे कि आप राज की काल आते ही हड़बड़ाते हुए भाग कर राज के घर पहुंच गए थे. लेकिन यहां तो देख कर लगता है कि काल आने के बाद भी आप बड़े इत्मीनान से 1-1 दरवाजा लौक कर के और घर की सारी लाइट्स औफ करने के बाद ही राज के घर गए थे.’’

निखिल का चेहरा सकपका गया. राजशेखर ने आगे कहा, ‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपने घर आए ही नहीं थे और जब राज ने आप को काल की तब आप कहीं और ही बिजी थे क्योंकि ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि कोई अर्जैंट काल आने पर भी घर की सारी लाइट्स औफ करता रहेगा.’’

अब निखिल ने अपने होंठों पर जबान फेरते हुए धीमे से कहा, ‘‘वह… वह दरअसल मैं अपने घर गया ही नहीं था. मैं जैसे ही अपने घर जाने के लिए निकला कि मैं ने आगे वाले मोड़ पर खड़ी गाड़ी में बैठती हुई शीना को देखा. राज भी उसी गाड़ी के पास ही खड़ा कुछ बातें कर रहा था. मु झे थोड़ी उत्सुकता हुई कि ये राज आखिर इतनी देर तक बाहर खड़े हो कर शीना से क्या बातें कर रहा है तब मैं भी अपने घर न जा कर उधर पास ही में एक पेड़ के पीछे छिप कर उन दोनों को देखने लगा. फिर कुछ देर बाद जब राज वापस अपने घर आने लगा तो मैं भी फिर पेड़ के पीछे से निकल कर अपने घर की ओर चल पड़ा. लेकिन अभी मैं अपने गेट के पास पहुंचा ही था कि राज की काल आ गई और मैं भागते हुए यहां आ गया.’’

राजशेखर ने निखिल को घूरते हुए देखा फिर कहा, ‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि आप वहीं राज के घर के बाहर ही छिप गए हों और जैसे ही आप ने अपनी बीवी को हाल में अकेले देखा वैसे ही मौका पाते ही आप ने उस का काम तमाम कर दिया.’’

‘‘कैसी बातें कर रहे हैं सर. मैं क्यों मारूंगा अपनी बीवी को और फिर अगर मु झे मारनी ही होती तो मैं अपने ही घर में मारता न,’’ निखिल एकदम तमकते हुए बोला.

राजशेखर ने कहा, ‘‘अगर तुम अपनी बीवी को अपने ही घर मे मारते तो फौरन सब का शक तुम पर ही तो जाता न पर अब तुम ने उसे राज के यहां मारा है तो अब कोई तुम पर कैसे शक करेगा? क्यों सच कहा न?’’

फिर राजशेखर घर का मेन डोर खुलवाया लाइट्स औन कर के घर के अंदर आ

गए. निखिल भी परेशान सा उन के ही साथ अंदर आ गया.

राजशेखर ने अपने साथ आए दोनों पुलिस कर्मियों को छानबीन करने के आदेश दिए और खुद राजशेखर भी घर में टहलते हुए अपनी पैनी नजरों से पूरे घर का मुआयना करने लगे.

राजशेखर को निखिल का घर बहुत ही बेतरतीब सा लगा.

निखिल सफाई देते हुए बोला, ‘‘वह हम अपना घर थोड़ा अच्छे से अरेंज कर रहे थे, इसीलिए सामान अस्तव्यस्त सा है. हम सामान जमाते हुए थक से गए थे तो बस थोड़ा रिफ्रैश होने राज और राशि के घर चले गए पर कहां पता था कि वहां जाने के बाद मेरी आहना कभी वापस नहीं आएगी.’’

राजशेखर ने घर की सरसरी निगाहों से तलाशी ली, फिर अपने साथ आए दोनों पुलिसकर्मियों को यहीं रहने का आदेश दे कर वे निखिल के साथ वापस राज के घर की तरफ चल पड़े.

राज और राशि दोनों ही शौक्ड से मूर्ति बने एक कोने में बैठे हुए थे. उन की सम झ

में नहीं आ रहा था कि ये अचानक इतनी बड़ी घटना उन के घर में कैसे घट गई.

राजशेखर और निखिल के आते ही राज उठ कर खड़ा हो गया. उस ने बेचैन स्वर में पूछा, ‘‘सर, कुछ पता चला आप को निखिल के घर की तलाशी में? मु झे तो अब भी पूरा यकीन है सर कि निखिल ने ही अपनी बीवी आहना की हत्या कर दी. इसे लगा होगा कि हत्या का इलजाम राज यानी मेरे सिर पर लगेगा और इसे अपनी बीवी से छुटकारा भी मिल जाएगा.’’

‘‘पर मैं क्यों अपनी बीवी से छुटकारा पाना चाहूंगा? क्या कुछ भी अनापशनाप बोले जा रहे हो राज?’’ निखिल चिढ़ते हुए बोला.

राज ने भी फौरन कहा, ‘‘मु झे बहुत अच्छी तरह से मालूम था निखिल कि तुम हमेशा दूसरी लड़कियों के पीछे लगे रहते थे. तुम्हारी बीवी आहना ने एक दिन खुद मु झे तुम्हारा पीछा करने के लिए कहा था क्योंकि उसे शक था कि तुम बहाना बना कर किसी लड़की से मिलने जा रहे हो.’’

राजशेखर ने घूरते हुए निखिल के चेहरे को ध्यान से देखा और सोचने लगे कि क्या राज का कहना सही है? कहीं सच में तो निखिल ने ही नहीं मार डाला अपनी बीवी को?

काफी सोचविचार के बाद राजशेखर ने राज और निखिल दोनों से कहा, ‘‘अभी तो मैं जा रहा हूं पर यहां पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी रहेगी. आप दोनों के ही घर पर हमारी निगरानी तब तक रहेगी, जब तक यह केस सौल्व नहीं हो जाता और यह बताने की जरूरत नहीं कि बिना मतलब होशियारी दिखाना आप के ही अगेंस्ट जा सकता है. कल सुबह पोस्टमार्टम रिपोर्ट और आप सब की कौल रिकौर्ड्स मिलते ही मैं आगे की इन्वैस्टिगेशन शुरू करूंगा.’’

फिर थोड़ा रुक कर राशि की तरफ देखते हुए राजशेखर ने आगे कहा, ‘‘वैसे तो फर्स्ट इन्वैस्टिगेशन रिपोर्ट आप को दोषी करार देती है क्योंकि तब सिर्फ आप ही आहना के साथ थीं पर अभी चूंकि रात ज्यादा हो गई है इसलिए मैं आप को अरैस्ट नहीं कर रहा हूं. लेकिन कल बाकी रिपोर्ट मिलने के बाद अगर शक की सुई आप की ओर घूमी तो फिर आप को अरैस्ट करना ही होगा.’’

राशि तो बुत बनी खड़ी ही रही.

जल्द ही पुलिस टीम और राजशेखर वापस चले गए, सिर्फ 2 पुलिसकर्मी राज के घर में रुक गए.

निखिल के उस के घर में जाते ही, राज ने राशि का हाथ पकड़ा और गंभीर स्वर में बोला, ‘‘राशि… राशि, प्लीज मु झे बताओ कि जब मैं अपने कलीग्स के पीछेपीछे चला गया था तो उस के बाद यहां क्या क्या हुआ?’’

राशि ने तमक कर अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से से बोली, ‘‘मु झ से क्या पूछते हो जाओ? अपनी उस शीना से पूछो, जिस के पीछेपीछे तुम उठ कर चले गए थे.’’

हताशा से गरदन  झटकते हुए राज ने कहा, ‘‘उफ,

तुम भी क्या उस निखिल की बातों में आ गई हो. तुम्हें कुछ भी नहीं पता है राशि, जानती हो वह शीना दरअसल मेरे बौस की बेटी है और मेरा बौस अपनी बेटी के इशारों पर ही चलता है इसीलिए मैं बस शीना की नजरों में उस का फ्रैंड बना रहना चाहता था. अगर मेरी शीना में दिलचस्पी होती तो मैं क्या शीना से ही शादी नहीं कर लेता.’’

राशि अब सोच में पड़ गई.

राज ने आगे कहा, ‘‘मैं तो अब इस बात से परेशान हो रहा हूं कि कहीं पुलिस औफिसर ने शीना से पूछताछ के लिए काल की तो पता नहीं बौस मेरा क्या हाल करेंगे.’’

‘‘उफ, और क्या तुम्हें मेरी कुछ चिंता है? कल अगर वह औफिसर आ कर मु झे आहना के कत्ल के जुर्म में अरैस्ट कर लेगा तो? तो क्या करोगे तुम?’’ राशि लगभग रोते हुए बोली.

राज खामोशी से मन ही मन कुछ सोचते हुए हौल में टहलने  लगा.

राजशेखर ने रातोंरात ही इस केस से रिलेटेड सभी लोगों के काल रिकौर्ड्स निकालने के लिए मोबाइल कंपनियों में अपने पुलिसकर्मियों को भेज दिया. राजशेखर को अंदर से फील हो रहा था कि यह केस जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं.

आधी रात करीब 2 बजे राजशेखर को अपने घर जाने की फुरसत मिल पाई.

सुबह के 9 बज रहे थे. राजशेखर उठ कर अभी चाय पी ही रहा था कि उस का मोबाइल बजने लगा.

राजशेखर ने जल्दी से मोबाइल लिया और बोला, ‘‘हैलो, राजशेखर हियर.’’

दूसरी तरफ से एक पुलिसकर्मी ने कहा, ‘‘जयहिंद सर मैं राजन बोल रहा हूं. मैं अभीअभी मोबाइल कंपनी के मैनेजर से मिल कर आ रहा हूं. आप ने कल जिन 7 लोगों की काल डिटेल्स लाने के लिए कहा था मैं ने उन सब की काल डिटेल्स आप के नंबर पर सैंड कर दी है.’’

राजशेखर ने राजन को शाबाशी दी और फिर काल कट कर के अपना मोबाइल चैक करने लगे. सब की काल डिटेल्स देखते ही राजशेखर की आंखें चमक उठीं. वे फौरन सारी काल डिटेल्स की बड़ी बारीकी से स्टडी करने लगे.

कुछ देर बाद जब राजशेखर ने अपना मोबाइल वापस पौकेट में रखा तो उन के चेहरे पर सुकून  झलक रहा था.

राजशेखर अपनी गाड़ी में बैठे और सीधे फोरेंसिक ऐक्सपर्ट से मिलने जा पहुंचे. फोरेंसिक ऐक्सपर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर ली थी. रिपोर्ट के अनुसार आहना की मौत रात के 8 से 9 बजे के बीच हुई थी. मौत का कारण था तेज असरकारक जहर. ऐसा जहर जो शरीर में जाते ही 2 मिनट के अंदर शरीर के सारे और्गंस के सिस्टम को फेल कर देता है.

राजशेखर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट ली और फिर राज के घर की तरफ रवाना हो गया. राज के घर जब राजशेखर पहुंचे तो उस के पहले ही वहां निखिल, सुबोध, सुहाना और शीना आ चुके थे.

शीना और सुहाना दोनों ही बुरी तरह तिलमिला रही थीं.

उन्हें इस तरह से घर पर पुलिस भेज कर यहां बुलवाया जाना अपना अपमान लग रहा था. वे दोनों राशि को इस तरह से घूर रही थीं मानो उन का बस चलता तो वे राशि का खून ही कर देतीं.

राजशेखर जैसे ही हौल में आए, शीना एकदम से उठते हुए बोली, ‘‘आप ने हमें यहां क्यों बुलवाया है? मैं ने कल रात भी आप की काल आने पर बताया था न कि हमें कुछ भी नहीं मालूम कि यहां क्या हुआ और क्या नहीं. हम तो चले गए थे यहां से बहुत पहले ही.’’

राजशेखर ने इत्मीनान से मुसकराते हुए कहा, ‘‘कूल… कूल डाउन शीना. इतना उखड़ने की जरूरत नहीं है और मैं आप को पहले ही बता चुका हूं कि यह कोई चोरी वगैरह का नहीं बल्कि कत्ल का केस है और जिस की मौत हुई है, वह कल आप के साथ ही यहां एक पार्टी में शामिल थी.’’

सुहाना भी चिढ़ते हुए बोली, ‘‘जिस की मौत हुई, उस से तो हम जीवन में कभी मिले तक नहीं थे. मु झे तो लगता है कि हमारे जाने के बाद यहां जरूर कुछ नया ड्रामा हुआ होगा इन पतिपत्नी के बीच. हम तो कल ही यहां से प्रण खा कर गए थे कि अब कभी यहां नहीं आएंगे.’’

राजशेखर ने सुबोध की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप एकदम खामोश हैं, क्या आप को कुछ नहीं बोलना है?’’

सुबोध ने गरदन हिलाते हुए कहा, ‘‘सर, मैं भला क्या बोलूं? वैसे भी न तो मैं मरने वाली को जानता और न ही मेरा उस से कभी कोई वास्ता रहा है. इसलिए मेरा खामोश रहना ही ठीक है.’’

अब राजशेखर ने सब को देखते हुए कहा, ‘‘अब हम कल वाले पार्टी के सीन को रिक्रिएट करेंगे यानी कल जोजो शख्स जहांजहां पर बैठा था वह वापस अपनी उसी जगह पर ही बैठेगा. सम झ गए न आप लोग?’’

निखिल रोते हुए बोला, ‘‘पर मेरी आहना वह… वह तो अब रही नहीं.’’

‘‘डोंट वरी निखिल, हम आहना की जगह पर अपने एक पुलिसकर्मी को बैठा देंगे. आप सब जल्दी से अपनीअपनी जगह पर आ जाइए,’’ राजशेखर ने सम झाया

कुछ ही देर में सब ने अपनीअपनी पोजिशन संभाल ली. सुबोध और सुहाना सामने

वाले सोफे पर बैठ गए और निखिल साइड वाले सोफे पर एक पुलिसकर्मी के साथ बैठ गया. राज सैंटर वाले सोफे पर बैठ गया और उस की साइड वाले सोफे पर शीना बैठ गई.

राशि ने राजशेखर से कहा, ‘‘मैं तो पार्टी में बस 2-4 पल के लिए ही बैठी थी. बाकी तो मैं किचन में ही बैठी थी या फिर हौल में सब को देखते हुए एक कोने में चुपचाप खड़ी थी.’’

राजशेखर ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘आप जहां भी खड़ी थीं, वहीं पर खड़ी हो जाए.’’

राशि एक कोने में आ कर खड़ी हो गई.

राजशेखर ने सब के बयान तो कल ही ले लिए थे कि पार्टी में क्याक्या हो रहा था. आज राजशेखर ने उसी के हिसाब से रिक्रिएशन की तैयारी कर के रखी थी. उस के इशारा करते ही राज उठ कर फ्रिज में रखी हुई कोल्डड्रिंक और एक पानी की बोतल उठा कर ले आया और टेबल पर रख दी.

तभी डोरबैल बजी और सुहाना कल की तरह उठ कर पिज्जा लेने चली गई, फिर पिज्जा का पैक ला कर उस ने टेबल पर रख दिया.

सुबोध ने पानी की बोतल उठाई और गिलास में डालने लगा. निखिल तो मूर्ति की तरह खामोश सोफे पर बैठा हुआ था.

अब राजशेखर ने राशि को इशारा किया और राशि कल की तरह राज की तरफ बढ़ी और उसे 2-3 खरीखोटी सुना दी.

फिर शीना ने अपना बैग उठाया और सुहाना के साथ दरवाजे से बाहर भागी. फिर पीछेपीछे सुबोध भी बाहर निकल गए. कुछ ही देर बाद राज भी दरवाजे से बाहर निकल गया.

अब राजशेखर ने राशि और निखिल से कहा, ‘‘राज के जाने के एक्जेक्ट बाद यहां क्या हुआ था?’’

राशि बोली, ‘‘मैं रोती हुई अपने रूम में चली गई थी.’’

निखिल ने सोचते हुए कहा, ‘‘मैं और आहना भी निकलने ही वाले थे

कि आहना बोली कि मैं राशि को सम झाने जाती हूं और फिर मैं अकेले ही बाहर चला गया.’’

‘‘ओके, फिर क्या हुआ राशि जी?’’ राजशेखर ने पूछा.

राशि ने अपनी आंखें बंद कीं और फिर कुछ याद करती हुई बोली, ‘‘आहना मेरे रूम में आ कर मु झे सम झाबु झा कर चली गई. मैं ने सोचा कि वह अब अपने घर चली गई होगी. मैं नहाने और तैयार होने के बाद करीब पौन घंटे बाद वापस अपने रूम से निकल कर हौल में आई तो देखा कि आहना आंखें बंद किए हुए सोफे पर बैठी है. फिर जब मैं ने उसे पुकारते हुए आहना के कंधे को हिलाया तो वह सोफे पर ही लुढ़क गई.’’

‘‘और फिर राज वहां आ गए, हैं न?’’ राजशेखर ने पूछा

राशि ने गरदन हिला दी.

फिर राजशेखर ने दरवाजे पर खड़े पुलिसकर्मियों को इशारा किया और उन्होंने बाहर खड़े हुए सुबोध, शीना, सुहाना और राज को अंदर जाने के लिए कहा.

जब सब अंदर आ गए, तो राजशेखर ने वापस उन से बैठने के लिए कहा. फिर राशि की ओर देखते हुए पूछा, ‘‘अब अपने दिमाग पर जोर डालिए और सोच कर बताइए कि जब आप हौल में आए तो क्या उस वक्त आहना के हाथ में कुछ था?’’

राशि कुछ पल सोचने के बाद बोली, ‘‘आहना के हाथ में तो कुछ नहीं था पर उस के बिलकुल करीब ही सोफे पर एक कोल्डड्रिंक की बोतल खुली पड़ी थी. उस बोतल का कोल्डड्रिंक आहना के कपड़ों पर भी गिरा हुआ था.’’

राजशेखर ने गरदन हिलाते हुए कहा, ‘‘उफ, इसीलिए हमें एक बोतल नीचे पड़ी मिली थी जो शायद आहना के सोफे पर लुढ़कने की वजह से नीचे गिर पड़ी होगी और जानती हैं, हमें उसी बोतल में जहर के ट्रेसेज मिले हैं.’’

फिर 2 मिनट तक सब के चेहरों को ध्यान से देखने के बाद राजशेखर ने कहना शुरू

किया, ‘‘इस केस में आहना की मौत सिर्फ एक को इनसिडैंट है. ऐक्चुअली तो कातिल की प्लानिंग तो किसी और को ही मारने की थी पर अन्फौचूनेटली बेचारी आहना मारी गई.’’

निखिल ने चीखते हुए कहा, ‘‘किस ने? किस ने मारा है मेरी आहना को?’’

राजशेखर ने हाथ उठाते हुए कहा, ‘‘शांत रहिए निखिलजी, मैं बस बताने ही जा रहा हूं सब माजरा. तो हुआ ये होगा कि निखिलजी के यहां से जाने के बाद आहना सम झाने के लिए राशि के रूम में गई. फिर जब राशि उठ कर वाशरूम में चली गईं तो आहना वापस अपने घर जाने लगी पर तभी उन की नजर टेबल पर पड़ह बोतल पर गई और वह सोफे पर कुछ पलों के लिए बैठ कर बोतल से कोल्डड्रिंक पीने लगीं पर यही उन की मौत का कारण बन गया क्योंकि बोतल की कोल्डड्रिंक में जहर मिला हुआ था.’’

‘‘क्या? क्या कह रहे हैं आप सर, बोतल तो मैं ने फ्रिज से निकाल कर रखी थी. मैं ने जहर नहीं मिलाया है सर,’’ राज चीखते हुए बोला.

राजशेखर ने सर्द लहजे में कहा, ‘‘मैं ने कब कहा कि जहर आप ने मिलाया है, मैं तो ये कह रहा हूं कि बोतल में जहर था और अगर आप गौर से देखते तो कल ही आप की सम झ में आ जाता क्योंकि आप के फ्रिज और टेबल पर पड़ी हुई बोतल्स 400 एमएल की थीं, जबकि सोफे से लुढ़क कर नीचे गिरी हुई बोतल 200 एमएल की थी.’’

राज चौंकते हुए बोला, ‘‘पर… पर ऐसा कैसे हो सकता है? मैं तो हमेशा ही 400 एमएल बोतल्स लाता हूं.’’

राजशेखर ने गरदन हिलाई और जोर देते हुए कहा, ‘‘वह इसलिए कि दूसरी बोतल कातिल ने मौका पा कर टेबल पर रख दी थी.’’

फिर राजशेखर ने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘अब मैं आप को वह स्टोरी बताता हूं जो कातिल ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए बनाई थी. दरअसल जब राज के यहां शाम की पार्टी का प्लान बना, तभी कातिल ने भी अपनी प्लानिंग शुरू कर दी और फिर जब सब यहां घर में बैठे हुए पार्टी ऐंजौय कर रहे थे तभी याद कीजिए कोई और भी आया था.’’

‘‘पिज्जा बौय, पिज्जा बौय आया था यहां वह तो दरवाजे से ही लौट गया था,’’ राज ने हैरानी से कहा.

राजशेखर सिर हिलाते हुए बोला, ‘‘करैक्ट, पिज्जा बौय आया था यहां और वह दरवाजे से लौट भी गया पर वह सिर्फ पिज्जा ही ले कर नहीं आया था बल्कि अपने साथ कोल्डड्रिंक की 2 बोतल भी ले कर आया था.’’

‘‘गलत. पिज्जा के साथ तो सिर्फ एक ही बोतल आई थी,’’ शीना बोल पड़ी.

राजशेखर ने एक पुलिसकर्मी को संकेत किया और वह कुछ ही मिनटों में उस पिज्जा बौय को लिए आ पहुंचा. सब उसे देख कर चौंक से गए.

‘‘यह… यह तो हमारे औफिस का चपरासी रमेश है,’’ सुबोध, शीना और राज चीखते हुए बोले.

राजशेखर ने अब सुहाना की ओर देखा जो बेचैनी से अपने होंठ काट

रही थी. फिर राजशेखर ने सुहाना के करीब जा कर पूछा, ‘‘आप नहीं चौंकीं सुहाना? आप को तो पता ही होगा इस बारे में क्योंकि पिज्जा लेने दरवाजे तक आप ही तो गई थीं न?’’

अब सुहाना गुस्से और चिढ़न भरे स्वर में चिल्लाई, ‘‘क्या पिज्जापिज्जा रट रहे हैं आप?’’

राजशेखर का लहजा अब कठोर हो गया, ‘‘पिज्जा ही तो वह मेन क्लू था, जिस ने मु झे इस कत्ल के पीछे की थ्योरी सम झाई.’’

राजशेखर ने अब हौल के बीचोंबीच खड़े हो कर, टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘सुहाना डोरबेल बजते ही पिज्जा लेने दरवाजे की ओर लपकी पर ऐक्चुअली वहां पिज्जा का बौक्स और 2 कोल्डड्रिंक की बोतल्स लिए हुए औफिस का चपरासी रमेश आया हुआ था.’’

‘‘पर… पर सुहाना के हाथ में तो एक ही बोतल थी तब?’’ शीना बोली.

राजशेखर ने गंभीरता से कहा, ‘‘हां, एक ही बोतल आप लोगों को दिखी थी क्योंकि दूसरी छोटी वाली बोतल सुहाना ने बड़ी ही चालाकी से अपने पास छिपा कर रख ली थी और उसी छोटी बोतल में मिला हुआ था जहर.’’

‘‘बकवास… बिलकुल बकवास कर रहे हैं आप,’’ सुहाना भड़क उठी.

राजशेखर ने सर्द लहजे में आगे कहना शुरू किया, ‘‘सुहाना ने सोफे पर बैठते ही पिज्जा का पैक खोल दिया और सब पिज्जा खाने लगे. इसी बीच मौका पाते ही सुहाना ने अपने पास की छोटी बोतल निकाली और शीना के सामने टेबल पर रख दी. उसे लगा कि शीना बोतल उठा कर कोल्डड्रिंक पीएगी और फिर खेल खत्म. लेकिन तभी राशि और राज के बीच  झगड़ा हो गया और शीना पार्टी छोड़ कर चली गई और साथ ही सुहाना को भी अपने साथ ले गई. सुबोध भी उन के पीछे चल दिया. हैरत में पड़ी सुहाना को वह छोटी बोतल वापस उठाने का खयाल ही नहीं आया.’’

अचानक शीना उठ कर चीखती हुई बोली, ‘‘तो तो क्या यह

कातिल की प्लानिंग सुहाना ने की थी और वह भी मु झे मारने के लिए? पर क्यों?’’

राजशेखर ने सुहाना की ओर कड़ी दृष्टि से देखा, फिर गुर्राते हुए बोले, ‘‘सुहाना, अब भलाई इसी में है कि आप सबकुछ सचसच बता दें क्योंकि आप के खिलाफ सारे सुबूत हम पहले ही जमा कर चुके हैं. औफिस के चपरासी रमेश को कल आपने 4 बार काल की थी, यही नहीं रमेश के अकाउंट में आप ने कल ही क्व50 हजार ट्रांसफर किए हैं और सब से बड़ी बात यह कि रमेश ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है.’’

सुहाना कुछ पल तो राजशेखर को एकटक घूरती रही, फिर एकदम से चीखते हुए बोली, ‘‘हां, हां मैं ने ही की थी यह प्लानिंग और मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था, शीना ने हमेशा मु झे नीचा दिखाने की ही कोशिश की. पहले राज को अपने जाल में फंसाना चाहा, जबकि उसे मालूम था कि मैं राज से बहुत प्यार करती हूं. फिर जब मैं ने सुबोध से अपनी दोस्ती बढ़ाई… तो यहां पर भी शीना बीच में आ गई. वह बौस की बेटी थी, हैसियत और पैसों में उस से मुकाबला करने की मु झ में हिम्मत नहीं थी, इसलिए फिर मु झे यह प्लानिंग बनानी पड़ी. जैसे ही कल सुबह राज ने हमें अपने घर शाम की पार्टी के लिए बुलाया, वैसे ही मैं ने औफिस बौय रमेश को अपनी प्लानिंग में लालच दे कर मिला लिया.

‘‘रमेश को सिर्फ पिज्जा ले कर और 2 कोल्डड्रिंक की बोतल ले कर राज के घर पहुंचना था. छोटी बोतल में जहर मिलाने के लिए मैं ने उसे पहले से ही कह दिया था. मु झे लगा था कि शीना की हत्या अगर राज के घर होगी तो कोई भी मु झ पर शक नहीं करेगा.

‘‘सबकुछ ठीक चल रहा था, मैं ने जहर वाली बोतल शीना के करीब रख भी दी थी. मैं ने सोचा कि जैसे ही शीना वह जहर वाला कोल्डड्रिंक पीएगी वैसे ही मैं फिर से वह बोतल उठा कर फिर अपने पास छिपा लूंगी. लेकिन

तभी राशि ने बखेड़ा खड़ा कर दिया और शीना वहां से चलती बनी. साथ ही मु झे भी अपने साथ ले चली और मु झे वह बोतल उठाने का मौका ही नहीं मिल पाया.’’

राजशेखर ने अफसोसभरे स्वर में कहा, ‘‘और वही बोतल उठा कर आहना ने उस में रखी हुई जहरीली कोल्डड्रिंक पी ली और अपनी जान गवां बैठी.’’

शीना गुस्से से सुहाना की ओर लपकी, ‘‘तूने मु झे मारना चाहा…’’

राज, सुबोध और निखिल हकबकाए से खड़े थे. उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि सुहाना इतनी भयंकर प्लानिंग कर सकती है और वो भी सिर्फ इसलिए कि वह शीना से नाराज थी.

राशि तो जैसे शौक्ड हो गई थी. उसे पलभर को लगा किकहीं गलती से वह जहरीली कोल्डड्रिंक अगर पी लेती तो…

जल्द ही पुलिस सुहाना और रमेश को

ले कर वहां से चली गई. पीछे रह गए सदमे

में डूबे निखिल, राज, राशि, शीना और सुबोध

जो शायद अब कभी किसी पार्टी को ऐंजौय नहीं कर पाएंगे.

लेखक-  मृणालिका दुबे                   

Long Story in Hindi

Sad Story in Hindi: टिनमिन

Sad Story in Hindi: आरोही  हरिता और विहाना ने आज फैशन स्ट्रीट से कुछ शौपिंग की थी. सुबह से ही मौसम अच्छा था और संडे था. जब तीनों सो कर उठीं, मन हुआ, कहीं बाहर चला जाए, औनलाइन और्डर करके मन भर चुका था. आज मन हुआ था कि थोड़ा बाहर निकला जाए. तीनों ही लड़कियां देखने में अच्छी, सभ्य और आज के भागतेदौड़ते जीवन में भी आराम से अपने कैरियर पर फोकस करने यूपी से यहां मुंबई चली आई थीं. उन की उम्र 25 के आसपास थी. अब इस उम्र में घर से दूर थीं, अकेली थीं, बौयफ्रैंड तो होने ही थे, सो इन के भी थे. तीनों ने अपने बौयफ्रैंड्स से भी साथ चलने के लिए पूछा था पर तीनों ने शौपिंग के नाम से हाथ खड़े कर दिए थे.

तीनों लड़कियां अब बांबे सैंट्रल से वापस बोरीवली जाने के लिए फास्ट एसी लोकल में बैठीं थीं. तीनों को बैठने के लिए सीट्स मिल गई थीं, अब उन का ध्यान, अपने सामने बैठी हुई एक महिला पर था जिस की उम्र करीब 30-35 के आसपास  थी, उस की गोद में एक नवजात था. महिला कुछ गंभीर और परेशान सी थी पर तीनों लड़कियों से बीचबीच में बातें करने लगी.

आरोही ने पूछा, ‘‘यह लड़की है या लड़का?’’

‘‘लड़की.’’

‘‘कितने महीने की है? बहुत छोटी लग रही है.’’

‘‘2 महीने की है.’’

‘‘इस का नाम क्या है?’’

‘‘अभी रखा नहीं है.’’

महिला देखने में बहुत आम से घर की लग रही थी. उस ने हलके ग्रे रंग का सूट पहना हुआ था. उस पर गुलाबी रंग का दुपट्टा. उस का रंग सांवला था. बच्ची को उस ने काफी लपेट रखा था. आसपास के लोगों की इस वार्त्तालाप में कोई खास रुचि थी नहीं. वैसे भी मुंबई की ट्रेन में थकेहारे लोगों की इसी बात में रुचि होती है कि कब उन का सफर खत्म हो और वे घर पहुंचें. बोरीवली स्टेशन आया तो तीनों लड़कियों के साथ वह महिला भी बच्ची को लिए उतर गई और अचानक उसे याद आया, ‘‘अरे. मेरा बैग तो सीट के नीचे ही रह गया, आप लोग जल्दी से एक मिनट बच्ची को पकड़ लो, मैं भाग कर अपना बैग ले आऊं.’’

उस की रिक्वैस्ट करने का ढंग इतना स्वाभाविक था कि तीनों लड़कियों के हाथ बच्ची को लेने उठ गए. लगभग तीनों ने ही बच्ची को पकड़ लिया, ‘‘आप जल्दी से बैग ले कर आओ.’’

महिला हड़बड़ाती सी ट्रेन में वापस चढ़ गई. तीनों अपनेअपने कंधे पर टंगे अपने बैग को संभालती हुई एक किनारे हो गईं. इस समय बच्ची को हरिता ने ढंग से पकड़ लिया था, ‘‘लाओ, इसे मु झे दो. मैं ने अपने भानजे, भतीजे को अपनी गोद में कई बार पकड़ा है. तुम लोग कहीं गिरा न दो.’’

अचानक तीनों ने देखा, ट्रेन चलने वाली है और उस महिला का कहीं अतापता नहीं है. विहाना ट्रेन की तरफ भाग पड़ी, ट्रेन देखते ही देखते उन की आंखों के सामने से गुजर गई. वह अरे… अरे… कहती रह गईं और उस के भागने से न कुछ होना था, न हुआ. तीनों एकदूसरे का मुंह देखती रह गईं.

विहाना ने घबरा कर कहा, ‘‘यह क्या हो गया, यार. अब क्या करें?’’

आरोही ने कहा, ‘‘चलो, जीआरपी (सरकारी रेलवे पुलिस) स्टेशन चल कर देखते हैं. उन्हें बताते हैं.’’

जीआरपी रेलवे परिसर और ट्रेन में होने वाले अपराधों को देखती है. तीनों पसीनापसीना हो रही थीं. जीआरपी जा कर वहां इंस्पैक्टर संजय कदम को पूरी बात बताई जिन्होनें पूरी बात ध्यान से सुनी, गौर से तीनों को पुलसिया नजरों से देखा, फिर कहा, ‘‘सीसीटीवी चैक कराता हूं. आप लोग महिला की पहचान करो.’’

फिर किसी को आवाज दे कर पूरी बात बताई और सीसीटीवी चैक करने के लिए कहा. आरोही, हरिता और विहाना भी उस आदमी के पीछेपीछे चली गईं. बच्ची अभी तक हरिता ने संभाल रखी थी. सीसीटीवी की फुटेज में तीनों ने उस महिला को पहचाना पर अब उस ने सूट नहीं, साड़ी पहन ली थी. इस का मतलब वह साड़ी लपेट कर उन के सामने से चली गई थी, वह भागती सी जाती दिखी थी. स्टेशन से बाहर जा कर वह कहां गई, यह पता करना आसान नहीं था. संजय उन्हें वापस अपने औफिस में ले गया. लड़कियां अब थक भी गई थीं और घबरा भी गई थीं.

हरिता ने कहा, ‘‘संजय साहब. अब मैं कब तक बच्ची को पकड़ी रहूंगी. आप इस का इंतजाम कर दीजिए कि इस का क्या करना है. इसे किसी अनाथालय में छुड़वा देंगें?’’

‘‘क्या मैं आप तीनों के बारे में जान सकता हूं? मु झे अपना परिचय दे दीजिए.’’

‘‘मैं हरिता, एक मोबाइल कंपनी में काम करती हूं.’’

‘‘मैं आरोही हूं, एक फार्मा कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हूं.’’

‘‘मैं विहाना एक फाइवस्टार होटल में बैंकेट मैनेजर हूं. हम तीनों बोरीवली में ही एक फ्लैट शेयर करते हैं और हम तीनों ही यूपी से हैं.’’

संजय ने आसपास एक नजर डाली और धीरे से कहा, ‘‘मैं इस बच्ची का अनाथालय में रहने का इंतजाम तो कर ही दूंगा पर उस में कुछ वक्त लग जाएगा, मेरी आप से एक रिक्वैस्ट है कि जब तक इस बच्ची का इंतजाम हो रहा है तब तक इसे कुछ दिन अपने पास रख लें.’’

तीनों को जैसे करंट सा लगा, ‘‘यह आप क्या कह रहे हैं? हम एक बच्चे को कैसे अपने पास रख सकते हैं? हमें औफिस भी जाना है. हमारे लिए यह सब बिलकुल आसान नहीं है.’’

मगर संजय के बात करने के ढंग से तीनों को यह जरूर सम झ आ गया था कि वह एक सभ्य, नर्म दिल इंसान है. उस ने कहा, ‘‘कई लोग ऐसे मिले  हुए बच्चों को फुटपाथ पर छोड़ जाते हैं, आप पढ़ीलिखी हैं, फिल्मों में भी देखा ही होगा, अंदाजा लगा ही सकती हैं कि फिर उन बच्चों के साथ क्या होता होगा. बस मु झे थोड़ा वक्त दे दीजिए कि मैं जांचपरख कर किसी अनाथालय में इस के रहने का प्रबंध कर लूं. बस इतना  सहयोग कर दीजिए.’’

तीनों ने एकदूसरे को देखा, आंखों ही आंखों में कुछ बात करने का इशारा किया.

विहाना ने कहा, ‘‘हम आपस में बात कर के आप को बताते हैं. लो, विहाना, अब तुम इसे थोड़ी देर पकड़ लो, मेरे हाथ दुखने लगे.’’

‘‘हां, हां, आप लोग उस बैंच पर आराम से आपस में बात कर लो, मैं आप लोगों के लिए चाय भिजवाता हूं,’’ संजय ने एक कोने में रखी बैंच की तरफ इशारा करते हुए कहा.

तीनों थकी सी बैंच पर बैठ गईं, बच्ची जरा सा हिली तो आरोही चौंकी, ‘‘अरे, इसे भी तो देख लो, बेचारी को भूख तो नहीं लगी?’’

उस का कपड़ा हटाया गया. बच्ची भूखी थी. अपना मुंह इधरउधर मार रही थी. तीनों

को उस पर बड़ा स्नेह उमड़ा. स्त्री मन में ममता का भाव स्वाभाविक रूप से होता है चाहे वह किसी भी उम्र की हो. गोरी, काले घुंघराले बाल, छोटेछोटे हाथ देखते हुए तीनों बोल पड़ीं, ‘‘यार, कैसी गुडि़या सी है.’’

अब तक बच्ची ने आरोही के हाथ की एक ऊंगली पकड़ ली थी. आरोही हंसने लगी, ‘‘यार, यह तो बहुत प्यारी है. इसे ले ही चलें क्या?’’

‘‘जब हम औफिस चले जाएंगे तो कौन देखेगा?’’

‘‘इस की देखभाल के लिए ममता आंटी के पैसे बढ़ा देंगे, अपना आनेजाने का टाइम आपस में सैट कर लेंगे, बेचारी पता नहीं कब, कैसे, कहां पलेगी? कहीं गलत हाथों में न पड़ जाए.’’

‘‘सोच लो, बड़ी जिम्मेदारी का काम है. बाहर घूमनेफिरने के टाइम का बंधन हो जाएगा और फिर अपने घर वालों को क्या जवाब देंगे?’’

‘‘उन्हें कैसे पता चलेगा? और अगर कोई यहां मिलने आ गया तो ममता आंटी को सब संभालने के लिए बोल देंगे, ममता आंटी हमें कितना प्यार करती हैं.’’

इतने में बच्ची ने आंखें खोल दीं. टुकुरटुकुर तीनों को देखने लगी. उस ने अब तक आरोही की ऊंगली पकड़ी हुई थी. आरोही हंसी, ‘‘चलो, इस का नाम रखते हैं, टिनमिन.’’

विहाना और हरिता इस नाम पर हंस पड़ीं, ‘‘ठीक है. और टिनमिन हमारे साथ चलोगी? हमें परेशान तो नहीं करोगी? हमारे साथ 3 अंकल भी फ्री मिलेंगे.’’

हरिता की इस बात पर विहाना और आरोही ने अपनी हंसी बड़ी मुश्किल से रोकी. संजय ने उन के लिए चाय भिजवा दी थी. थोड़ी देर बाद वह खुद आया, ‘‘क्या सोचा आप ने मेरी हैल्प करेंगी? आप चिंता न करें, मैं आप की टच में रहूंगा. फोन पर बात होती रहेगी, बहुत जल्दी आप को इस बच्ची से फ्री कर दूंगा.’’

‘‘ठीक है, हम कोशिश करेंगे कि कुछ दिन टिनमिन को अपने साथ रख लें.’’

‘‘टिनमिन?’’

‘‘हां, अभी हम इसे टिनमिन कह रहे थे,’’ आरोही ने कहा तो संजय मुसकरा दिया, बोला, ‘‘पता नहीं, मां की क्या मजबूरी होगी जो बच्ची को छोड़ गई, यह भी देखना है कि उसी का बच्चा था या किसी और का तो नहीं उठा लाई थी. अभी हमें काफी चीजें देखनी हैं. अभी बस इतना सुकून है कि बच्ची सेफ हैंड्स में है. मैं आप से जल्दी मिलता हूं,’’ और तीनों का पता और फोन नंबर ले कर संजय ने उन्हें भेज दिया.

स्टेशन से निकलते ही हरिता ने ममता को फोन मिलाया.

उधर से उन के हैलो कहते ही हरिता शुरू हो गई, ‘‘आंटी, प्लीज न मत कहना. बहुत

अर्जेंट बात है. हमें आप की हैल्प चाहिए , हम बस कैब से 20 मिनट में घर पहुंच रही हैं, आप बस अभी आ जाओ.’’

‘‘इस टाइम? नहीं, अभी मु झे सब के लिए घर में खाना बनाना है, बहुत काम है? सुबह आऊंगी.’’

‘‘आंटी, प्लीज.’’

ममता को इन लड़कियों से विशेष स्नेह था, इन लड़कियों से ही नहीं, इन के बौयफ्रैंड्स की बातों पर, आपस के हंसीमजाक पर ममता को बहुत हंसी आती थी. तीनों के घर वाले जब भी आए, उसे कुछ दे कर ही गए. सब उसे अपने घर का ही मैंबर मानने लगे थे.

तीनों लड़कियों के स्पीकर पर प्लीजप्लीज कहने पर वह आने के लिए तैयार हो गई. कैब ड्राइवर तीनों की बातें बहुत ध्यान से सुनता रहा, पर उन्होंने बहुत तोलमोल कर ऐसे बातें कीं कि वह कुछ अंदाजा नहीं लगा पाया कि बच्ची है किस की.

जब तीनों घर पहुंचीं, ममता आ चुकी थी, बच्ची को देख कर चौंकी, ‘‘इसे कहां से ले आए? कौन है यह?’’

‘‘अंदर तो आओ, आंटी,’’ और फिर अंदर जा कर उन की गोद में टिनमिन को देते हुए तीनों बोलीं, ‘‘लो आंटी, इसे संभालो. पहले इसे कुछ खाने को दे दो, यह भूखी है,’’ फिर ममता को पूरी बात बताई गई.

ममता ने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा, ‘‘यह क्या किया तुम लोगों ने? इसे संभालेगा कौन?’’

‘‘आंटी, हम चारों ही मिल कर संभाल लेंगे, आंटी, देखो न, कितनी छोटी सी है, इसे कुछ खाने को तो दो.’’

‘‘इसे खाने को नहीं, पीने के लिए दूध देना है. अभी यह बस दूध पीएगी. कैसे करोगी तुम लोग? न इस के कपड़े हैं, न बोतल.’’

तीनों उसी टाइम ममता से पूछपूछ कर उस की जरूरत की चीजें और्डर करने लगीं. आरोही ने कहा, ‘‘आंटी जो कहती हैं, सब और्डर कर लेते हैं, फिर बाद में शेयर कर लेंगे.’’

विहाना ने कहा, ‘‘आंटी, आप जितना पैसा कहेंगी. हम बढ़ा देंगे, बस आप इसे दिन में संभाल लेना और जितनी देर हो सके, रात में भी. प्लीज आंटी.’’

50 साल की ममता नर्म दिल की स्त्री थी. वह भी सम झ रही थी कि जब तक इस का इंतजाम नहीं होता, इस की देखरेख करनी ही चाहिए. उस के बच्चे बड़े थे, वे घर संभाल सकते थे. जल्द ही टिनमिन का सामान आ गया. ममता ने उसे नहला कर तैयार कर दिया. अब तीनों उस से एक खिलौने की तरह खेलने लगीं.

अगले दिन औफिस था. तीनों के औफिस निकलने तक ममता अपने बाकी 2

घरों का काम कर के आ गई. फिर शाम तक टिनमिन की देखभाल की. जब वे औफिस से आ गईं, तब वह अपने घर गई. रात को आरोही का बौयफ्रैंड कविश, हरिता का जीविन और विहाना का बौयफ्रैंड मानव आ गया. तीनों लड़के टिनमिन का किस्सा सुन कर तीनों का मुंह देखते रह गए.

लड़कों को कुछ सम झ नहीं आया कि ये तीनों सीदीसादी सी लड़कियां कैसे टिनमिन को संभालेंगी. मानव ने कहा, ‘‘यह सब आसान नहीं है, तुम लोग किसी मुसीबत में न पड़ जाना.’’

विहाना ने कहा, ‘‘हम ने भी यह सब सोचा पर इंस्पैक्टर संजय से बात कर के तसल्ली है, ऐसा लगा उन की बात सम झनी चाहिए, बच्ची गलत हाथों में भी नहीं पड़नी चाहिए. वे लगातार हम से टच में हैं. तुम लोग चाहो तो उन से टच में रह लो, उन्हें भी लगेगा कि हम अकेले नहीं हैं. और हां, तुम लोग भी फ्री होने पर इसे संभालने में हमारी हैल्प कर दिया करना.’’

तीनों लड़कों ने ‘‘ठीक है,’’ कहा तो लड़कियों को एक राहत सी मिली.

कविश, जीविन और मानव ने इंस्पैक्टर का नंबर लेकर सेव कर लिया.

अब सब मिल कर टिनमिन का ध्यान रखने लगे. कोई न कोई अपना काम ऐसा सैट कर लेता कि ममता की भी हैल्प हो जाती. अब टिनमिन को घर आए 15 दिन हो रहे थे. मुंबई में आसपास का माहौल ऐसा होता है कि दूसरे के निजी जीवन में ताक झांक नहीं की जाती. वैसे भी टिनमिन घर में ही रहती, ज्यादा रोने वाली बच्ची थी भी नहीं. साफसुथरी सी गुडि़या जैसी टिनमिन अब मुंह से कोई आवाज निकालती तो सब के लिए एक खेल हो जाता.

सब उस से ऐसी बातें करने लगतीं जैसे वह सब सम झ रही हो. तीनों के बौयफ्रैंड्स

आते तो अब सब की बातें ही बदल गई थीं. अब तीनों टिनमिन की बातें ही उन से करतीं तो वे कहते, ‘‘इस बच्ची ने तो हमारी आउटिंग्स ही बंद करा दी, देखने में जरा सी है, पर सब का रूटीन बदल कर रख दिया.’’

1-1 रात सब टिनमिन को रात को संभालने की जिम्मेदारी ले लेतीं. कभी उस के डायपर बदलतीं. कभी उस के लिए बोतल में दूध लातीं, पर किसी को भी रात में नींद पूरी न होने की शिकायत नहीं थी. उन्हें अब टिनमिन से लगाव हो गया था. औफिस में रहतीं तो ममता को फोन कर के उस के हालचाल पूछती रहतीं. एक छोटी सी जान जैसे अब उन्हीं का हिस्सा हो गई थी. तीनों में एक अलग ही ऐनर्जी आ गई, तीनों खूब हंसती, मजाक करतीं, कोई शिकायत नहीं, बस टिनमिन और उस की बातें.

टिनमिन ने कैसे बोतल पकड़ी, कब गिराई, कब हंसी, कब रोई, रात में कितनी बार जागी. बस टिनमिन और टिनमिन. जैसे अब टिनमिन के सिवा उन की लाइफ में और कोई जैसे है ही नहीं. अपने पेरैंट्स से किसी कोने में जा कर बात करती, कहीं कोई पूछ न ले कि बच्चे की आवाज कहां से आ रही है. न किसी को शौपिंग याद आती, न बाहर जा कर अपने बौयफ्रैंड के साथ घूमनाफिरना. ममता ने भी बच्ची को पूरे मन से संभाल लिया था. वह भी सम झ रही थी कि बच्ची को सही ठिकाना मिलना चाहिए.

1-2 बार संजय भी सादे कपड़ों में फ्लैट पर चक्कर काट गए थे. वे यूनिफार्म पहन कर नहीं आते थे, कहीं लड़कियों को पड़ोस के लोग परेशान न करें. वे उन की हर बात का ध्यान रख रहे थे, एक दिन आए, कविश, जीविन और मानव भी बैठे हुए थे. छुट्टी का दिन था, तो बताने लगे, ‘‘एक अनाथालय में इस के पेपर्स बन गए हैं, अब थोड़ी ही देर में एक महिला आएगी, इसे ले कर मैं उस के साथ ही चला जाऊंगा, मेरे साथी नीचे गाड़ी में ही है. आप लोगों ने इस बच्ची को संभालने में मेरी जो हैल्प की उसे मैं याद रखूंगा.’’

आरोही, हरिता और विहाना को जैसे एक धक्का सा लगा, हड़बड़ा गईं, कुछ सम झ नहीं आया कि क्या कहें. संजय का मुंह देखती रह गईं, इस समय ममता के हाथ में थी टिनमिन. तीनों उस की ओर लपकीं, तीनों ने ही उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाए, ये पल इतने भारी होंगे, किसी ने भी नहीं सोचा था.

ममता ने तीनों की तरफ देखा, तीनों के आंसू बह निकले थे. इतने में दरवाजे

की घंटी बजी, ममता ने आरोही की गोद में टिनमिन को दे दिया. एक महिला थी, सब सम झ गए, ये संजय की साथी हैं.

संजय ने उठते हुए कहा, ‘‘आओ मीरा. यह है बच्ची.’’

‘‘जी सर,’’ कहते हुए मीरा ने आरोही के हाथ से बच्ची को ले कर अपने गले से लगा लिया. बच्ची कुनमुनाई तो मीरा ने उसे प्यार से थपका. तीनों को लग रहा था जैसे उन के हाथ से किसी ने एक  झटके में उन की प्रिय चीज छीन ली है. मीरा सब को ‘थैंक यू’ कहते हुए निकल गई,

संजय कह रहे थे, ‘‘आप लोगों के मन की स्थिति का अंदाजा लगा सकता हूं पर टिनमिन का जाना भी बहुत जरूरी है. आप लोग उसे हमेशा अपने साथ नहीं रख सकते थे. प्लीज बी प्रैक्टिकल. आप लोगों ने बच्ची के लिए जो किया, एक बार फिर उस के लिए शुक्रिया’’ कह कर वे हाथ जोड़ कर चले गए.

हरिता, आरोही और विहाना धम से सोफे पर बैठ कर मुंह को हाथों से ढक कर सिसकने लगीं. मानव, जीविन और कविश तीनों को तसल्ली देने लगे, ‘‘संजय साहब सही कह गए हैं, टिनमिन को तो जाना ही था. उन्होंने उस का सही प्रबंध किया होगा और अभी तुम लोग उसे ज्यादा दिन अपने साथ नहीं रख सकती थीं. तुम लोगों के पेरैंट्स को अभी तक पता नहीं चला था, यही अच्छी बात है वरना वे तुम्हें इस चीज में पड़ने ही न देते. आगे किसी का भी जीवन इतना आसान न होता जितना अभी लग रहा था.’’

ममता भी कह रही थी, ‘‘यह सम झ लो कि जितने दिन टिनमिन साथ रही. तुम लोगों को जीवन का एक मीठा सा अनुभव दे गई, तुम लोगों को अभी से सम झ आ गया कि बच्चे की जिम्मेदारी क्या होती है. जाओ, इतने दिन से घर में बैठी थीं, अब थोड़ा बाहर घूम आओ.’’

अब तक तीनों लड़कियां अपनेआप को संभाल चुकी थीं. कहने लगीं, ‘‘आंटी,

थैंक यू, टिनमिन को संभालने में आप ने हमारी बहुत हैल्प की. क्या हमें उसे गोद ले लेना

चाहिए था?’’

‘‘नहीं, मैं ने एक दिन अपने वकील दोस्त

से पूछा था, उस ने बताया था कि बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है और बहुत टाइम लगता है,’’ मानव ने बताया.

ममता ने कहा, ‘‘और हां, मैं टिनमिन को संभालने का एक भी ऐक्स्ट्रा पैसा नहीं लूंगी,’’ कहतेकहते उस की आवाज भी भर्रा गई, ‘‘अभी तो पता नहीं उस के जीवन में क्याक्या संघर्ष लिखे होंगे.’’

‘‘आंटी, हम सब कभीकभी उसे देखने चला करेंगे, मैं कदम से इस बारे में बात कर लूंगी.’’

तीनों लड़के भी कहने लगे, ‘‘हमें भी ले जाना. हम ने भी कभीकभी रोती हुई टिनमिन को चुप कराया है.

इस बात पर सब ने हलका सा मुसकराने की कोशिश की पर इस मुसकराहट में एक उदासी थी. टिनमिन की आवाजें जैसे खाली घर में गूंज रही थीं.

Sad Story in Hindi

Hindi Love Story: वह शाम जब मौन बोला

Hindi Love Story: उन के वैवाहिक जीवन की शुरुआत किसी मधुर रागिनी सी थी. रितु और रोहन दोनों ही प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत, परिपक्व और एकदूसरे के प्रति स्नेहिल भावनाओं से भरे हुए. उन की अरेज्ड मैरिज थी और दोनों परिवारों ने इस जोड़े की शुरुआत को बड़ी उम्मीदों और उत्साह के साथ देखा. शुरुआती 4 वर्ष प्रेम, उत्साह और आपसी सामंजस्य में बीते.

मगर समय के साथ जीवन की लय धीरेधीरे बदलने लगी. अब वे अकसर एकदूसरे से कुछ खिंचेखिंचे से रहने लगे थे. जहां कभी बातों की बहार होती थी, वहीं अब चुप्पियों का सन्नाटा पसरा रहने लगा था.

अब जीवन की व्यस्तताएं उन के घर की दीवारों पर अपनी थकी हुई. परछाइयां छोड़ने लगी थीं. सुबह से रात तक मीटिंग्स, डैडलाइंस और मोबाइल स्क्रीन पर टिकी आंखें.

रितु भी अपनी नौकरी में व्यस्त रहती थी और रोहन की तरह ही उस का दिन भी योजनाओं, प्रेजैंटेशंस और कार्यभार में बीतता. इन सब ने रितु और रोहन की दिनचर्या को जैसे मशीन में बदल दिया था. सहज संवाद की जगह अब अनकही थकावट ने ले ली थी. रितु जब बात करने की कोशिश करती तो रोहन बस ‘हूं,’ ‘हां’ में जवाब दे कर चुप हो जाता. कभी जो शामें साथ बीतती थीं, वे अब मोबाइल और लैपटौप की रोशनी में धुंधला जातीं.

रिश्तों की गरमाहट अब धीरेधीरे ठंडी पड़ने लगी थी मानो किसी पुराने अलाव की बु झती हुई राख, जिस में कभी चिनगारियां दहका करती थीं. रितु भी रोहन जितनी ही मेहनत करती थी, उतना ही थकती थी लेकिन उस के हिस्से में औफिस से लौटने के बाद भी रसोई, सफाई और पूरे घर की जिम्मेदारियां आती थीं. थकी हुई आंखें, बो िझल कंधे और पीठ में उतरती हुई थकान लिए वह हर दिन घर को सहेजती और हर दिन मन ही मन बस इतना चाहती थी कि रोहन कुछ पल उस के पास बैठे कुछ कहे, कुछ सुने.

मगर रोहन अकसर चुपचाप अपने लैपटौप या मोबाइल में डूबा रहता जैसे उस के पास सब के लिए वक्त था बस रितु के लिए नहीं.

पर रितु को सब से ज्यादा जो चुभता था वह थी वह खामोशी जो हर शाम कमरे की दीवारों पर उतर आती थी.

एक छोटा सा सवाल जो कभी उस का सब से बड़ा सहारा लगता था, ‘‘आज दिन कैसा रहा?’’

अब कई दिनों से उस सवाल की कोई आवाज ही नहीं आती थी. जैसे उस का दिन अब किसी की परवाह से बाहर हो गया था जैसे वह हर रोज अपने भीतर ही लौट जाती थी. अपनी बातें, अपने एहसास सब अधूरे रह जाते.

धीरेधीरे यह चुप्पी ही उन के रिश्ते को भीतर से खोखला करने लगी थी. थकावट अब केवल शरीर की नहीं रही यह अब दिल और संवाद दोनों को थकाने लगी थी.

उस पर समाज की अनकही अपेक्षाएं भी जैसे रोज एक नया भार बन कर उतरतीं, ‘‘अब बच्चा कब करोगे?’’

यह सवाल हर मुलाकात का अपरिहार्य हिस्सा बन गया था.

‘‘इतना कमा रहे हो, अब तो गाड़ी बदल लो, मकान बड़ा ले लो…’’ ये बातें जैसे प्यार और सम झदारी की जगह लेती जा रही थीं जैसे जिंदगी अब ‘साथ’ नहीं, एक ‘परियोजना’ बनती जा रही थी, जिस में हर चीज मापी जा रही थी सिवा उस खामोशी के जो बीच में पसरी थी.

हर ओर से दबाव था, हर किसी की अपनीअपनी अपेक्षाएं. एक आदर्श पत्नी, एक आदर्श बहू बनने की अनकही, लेकिन तीव्र मांगें. इन सब के बीच रितु खुद को हर दिन थोड़ा और खोती जा रही थी. उसे लगता मानो वह अपने ही जीवन में कहीं पीछे छूट गई है जैसे उस का अस्तित्व अब सिर्फ इन तमाम भूमिकाओं के नीचे दबा कोई धुंधला सा नाम रह गया हो.

वह रितु जो कभी सपने देखती थी, हंसती थी, खुल कर बोलती थी अब कहीं गुम हो चुकी थी.

शहर में वे दोनों नएनए आए थे और रिश्तेदार या पुराने दोस्त आसपास नहीं थे यही अकेलापन और अनजान माहौल रितु और रोहन की जिंदगी में अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक दबाव डाल रहा था.

परिवार की भूमिका भी कम निर्णायक नहीं थी. रोहन की मां जो पारंपरिक सोच की थीं, रितु की स्वतंत्रता और उस की निर्णयक्षमता को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रही थीं. और रितु? उस ने अपने मांपिता का घर, वह परिचित संसार छोड़ कर इस नए घर में कदम रखा था. लेकिन यहां कोई आत्मीय कोना, कोई अपनापन उसे ठौर नहीं दे सका. हर दिन उसे यही लगता कि उसे खुद को बारबार साबित करना है कि वह योग्य है, स्वीकार्य है और इस घर का हिस्सा बनने के काबिल है मानो हर सांस भी स्वीकृति मांगती हो.

धीरेधीरे संवाद की जगह खामोशियां लेने लगीं. शब्द अब बचे नहीं. वे या तो थक गए थे या डर गए थे. एकदूजे की आंखों में अनगिनत प्रश्न थे, लेकिन होंठों पर जमी थी एक जानीपहचानी चुप्पी.

यह कोई सामान्य मौन नहीं था. यह तो जैसे एक मरघट सा सन्नाटा था, जहां न कोई सुनता, न कोई कहता, बस मन की चीखें दीवारों से टकरा कर वापस लौट आती थीं और फिर भीतर ही कहीं गूंजती रहती थीं.

रोहन इस बदलते भाव को महसूस तो करता था पर उस ने कभी इसे सम झने की जरूरत नहीं सम झी. उसे लगता वह तो अपनी ओर से सबकुछ ठीक कर रहा है नौकरी, जिम्मेदारियां, मां की सेवा पर रितु वह तो अकेली पड़ गई थी.

अपने सारे रिश्ते, सारी दुनिया छोड़ कर वह सिर्फ रोहन के भरोसे आई थी. उसे सिर्फ उसी से उम्मीद थी. लेकिन हर उम्मीद चुप्पियों में खोती जा रही थी. उस ने कई बार बात करने की कोशिश की पर हर बार जवाब वही मिलता.

‘‘तुम हर बात को इतना बढ़ाचढ़ा कर क्यों कहती हो, रितु? थोड़ा तो समायोजन जरूरी होता है न?’’ और समायोजन करतेकरते वह खुद में सिमटती चली गई. एक खोल में, जहां न रोशनी थी, न आवाज. रितु की चुप्पी अब दीवार बनती जा रही थी अदृश्य, लेकिन भारी और रोहन उस दीवार की इस ओर एक अजीब सी थकान और खालीपन में धीरेधीरे खुद को खोता जा रहा था. न वह कुछ सम झ पा रहा था, न ही किसी से कुछ कह पाने की स्थिति में था.

एक शाम जब वह घर लौटा तो उस की आंखों में वही ठहराव था जैसे किसी सूखते तालाब की थकी दरारें जो चुपचाप भीतर तक रिसती जा रही हों. भीतर कुछ दरकने लगा था. लेकिन अब भी दोनों चुप थे.

कपड़े बदले बिना ही रोहन सीधे सोसाइटी के पार्क में आ बैठा. तन से ज्यादा मन थका हुआ था. पास की बैंच पर वही बुजुर्ग पहले से मौजूद थे जिन से कुछ पुरानी मुलाकातें हो चुकी थीं. उन की मुसकान में उम्र का ठहराव था और अनुभव की ठंडी छाया भी.

बुजुर्ग ने अपनी छड़ी एक ओर टिकाई, रोहन की आंखों में  झोंका और धीमे से बोले, ‘‘बेटा, यह थकान बदन की नहीं लगती. यह तो किसी ऐसे सवाल का बो झ है जो अब तक जवाब नहीं बन पाया.’’

रोहन कुछ पल तक चुप रहा. आंखें जमीन पर टिकाए हुए, फिर बोला, ‘‘शायद आप ने सही पहचाना. सबकुछ होते हुए भी जैसे कुछ भी नहीं है. कोई रिक्तता है जो भरती ही नहीं जैसे कोई दरार है दिल में, जिस में जितना भरोसा डालो, रिस जाता है.’’

बुजुर्ग ने नजरें आसमान की ओर उठाईं, फिर धीरे से बोले, ‘‘एक जमाना था बेटा जब मैं भी यही सोचता था कि सबकुछ है मेरे पास. पत्नी थी, घर था, बच्चा भी पर फिर एक दिन वह चली गई और तब सम झ आया घर तो था पर उस में वह नहीं थी और उस के बिना सबकुछ हो कर भी, सबकुछ अधूरा था. कभी पूछा ही नहीं कि वह क्या सोचती है. क्या महसूस करती है. बस सम झाता रहा जैसे हम मर्द करते हैं न.

हम सुनते कहां हैं बेटा? हम सिर्फ सम झा देते हैं और सोचते हैं कि बात खत्म हो गई पर सामने वाला हर सम झाइश में थोड़ा और चुप हो जाता है. धीरेधीरे वह ख़ुद से बात करना बंद कर देता है और फिर तुम से बात करना वह तो बहुत दूर की बात हो जाती है.’’

रोहन की आंखें कहीं गहराई में डूबती चली गई जैसे किसी सूने कुएं में  झांक रहा हो, जहां अंधेरा भी अपने उत्तर खोजता हो.

बुजुर्ग ने एक क्षण की चुप्पी के बाद धीरे से जोड़ा, ‘‘अगर कोई रोज थोड़ा कम बोलने लगे तो यह मत सम झना कि सब ठीक है. कभीकभी किसी की खामोशी, किसी की चीख से भी ज्यादा तेज होती है. बस सुनने वाला चाहिए. सच में सुनने वाला.’’

उस रात पहली बार रोहन देर तक जागा. बुजुर्ग की बातों के बाद उस के भीतर जैसे कोई दरवाजा खटका हो. भीतर की खामोशियों में कोई दस्तक सी गूंज रही थी. एक बेचैनी थी जो नींद से कहीं ज्यादा जरूरी लगने लगी थी.

कुछ ही दिन बाद जैसे शरीर ने उस मन की थकान को पकड़ लिया. रोहन की तबीयत बिगड़ गई. तेज बुखार, बदन दर्द, हफ्तों की अनदेखी थकान एकसाथ लिपट गई उस से. उस की आंखों में जलन थी और मन में चुप्पी.

रितु ने बिना एक शब्द कहे उस की देखभाल शुरू कर दी.

दवाइयां, भाप, गरम सूप. रात में उठ कर माथा टटोलना. उस के हर स्पर्श में एक पुरानी सी ममता लौट आई थी जैसे वो नाराज नहीं थी.

इधर बिस्तर पर पड़े रोहन के पास अब समय ही समय था और एक गहरी, बेचैन खामोशी जो भीतर से कुरेदती रही, पूछती रही, ‘‘कब आखिरी बार तुम ने उसे सुना था बिना टोके?’’

बीमारी के उन दिनों में रोहन को अपने भीतर  झांकने का बहुत समय मिला.

बुजुर्ग की बातें रहरह कर उसे मथती रहीं जैसे वह खुद से भाग नहीं पा रहा था. उसे हर वह क्षण याद आने लगा जब रितु कुछ कहना चाहती थी पर वह फोन में व्यस्त होता था या किसी मीटिंग में उल झा होता था या जब उस ने अनसुना करते हुए कहा था, ‘‘छोटीछोटी बातों में क्यों उल झी रहती हो?’’

अब समझ आने लगा शब्दों को अनसुना करना, कभीकभी रिश्तों को अनदेखा कर देने जितना ही दर्दनाक होता है.

एक सवाल उस के भीतर बारबार गूंजता रहा, ‘‘क्यों हमेशा कोई हादसा, कोई गिरावट या कोई बीमारी ही हमें अपनों की अहमियत का एहसास कराती है?’’

अब सम झ आ रहा था कि रिश्ते जब अपने मौन में डूबते हैं तब अकसर जीवन कोई  झटका दे कर उन्हें फिर सुनने लायक बना देता है.

वह सम झ रहा था पर देर से. बहुत देर से.

मनोविज्ञान कहता है कि मानव मन तब तक दूसरों की पीड़ा या असुविधा को महसूस नहीं करता जब तक वह स्वयं उस अनुभव से न गुजरे. और रोहन के साथ भी यही हुआ.

जब उस का शरीर असहाय हो गया, जब पलंग उस का ठिकाना बना और रितु की परछाईं उस का सहारा तब पहली बार उस ने रितु के त्याग, स्नेह और मौन समर्पण की गहराई को, उस की नजर, उस के स्पर्श और उस की रातों की थकान को महसूस किया.

हर रात जब रितु उस के सिर पर ठंडी पट्टियां रखती, तो रोहन को लगता जैसे उस की हथेलियां कुछ कहती हैं, ‘‘तू चाहे कुछ न कह, मैं तु झे अब भी उसी प्रेम से देखती हूं, जिसे तू कभी जान ही न सका.’’

उस के स्नेह ने न कोई शर्त रखी, न कोई शिकवा बस एक मौन आशीर्वाद था जीवित और अनमोल.

उस ने जाना मनुष्य अकसर जीवन की सचाइयों को तब तक नहीं सम झता, जब तक वह शारीरिक या मानसिक संकट से न गुजरे और यही वह क्षण होता है जब हम सब से कमजोर होते हैं और उसी समय हम अपने रिश्तों, अपने परिवार और स्वयं को एक नए दृष्टिकोण से देखना शुरू करते हैं.

वह जो हम से दूर लगता था, वह सब से करीब होता है पर हमें देखने की आंख और महसूस करने का समय तब आता है जब हम खुद टूटने लगते हैं.

जीवन की व्यस्तता और आदतों की जड़ता उसे इस कदर जकड़ चुकी थी कि वह रिश्तों की दरारों को या तो देख नहीं पाया या देख कर भी अनदेखा करता चला गया.

रोजमर्रा की आपाधापी में वह ठहरना, सोचना, महसूस करना सब भूल चुका था. जब तक यह बीमारी का  झटका न आया, उसे अपनी ही चुप्पियों की गूंज सुनाई न दी. लेकिन अब वह क्षण आ चुका था और वही अनुभव उसे भीतर तक  झक झोर रहा था जैसे किसी सच के बंद दरवाजे पर पहली बार दस्तक पड़ी हो.

हर खामोशी अब एक सवाल थी और हर जवाब रितु की आंखों में था, जिसे वह पहले कभी पढ़ना ही नहीं चाहता था.

रोहन को अब महसूस हो रहा था वह रितु, जिसे वह नजरअंदाज करता रहा, जो उस की बातों में पीछे रह जाती थी, जिस के मौन को वह कमजोरी सम झता था आज उस की सब से बड़ी ताकत बन कर खड़ी थी.

उस की बीमारी की रातें रितु की जागती हुई दुआओं से संजीवनी पा रही थीं. बीमारी के उस सप्ताह में उसे बारबार उस बुजुर्ग की बातें याद आईं, ‘‘हम सुनते कहां हैं बेटा? हम बस सम झा देते हैं और सोचते हैं कि बात खत्म.’’

अब उसे सम झ आ रहा था. रितु की हर चुप्पी में वह एक कहानी पढ़ता रहा जो शब्दों में कभी कही नहीं गई थी पर सेवा और प्रेम में हर रात दोहराई जाती रही.

एक दिन जब बुखार कुछ हलका पड़ा, रोहन की नजर रितु पर पड़ी. थकी हुई थी वह, लेकिन चेहरे पर एक जबरदस्ती की मुसकान सजाए थी.

रोहन का गला भर आया. धीरे से बोला, ‘‘तुम थक गई होगी न? मैं ने कभी महसूस ही नहीं किया कि तुम रोज क्याक्या  झेलती रही.’’

रितु चौंकी जैसे कुछ टूटा हो और जुड़ भी गया हो पर बोली कुछ नहीं. बस निगाहें  झुका लीं.

वह शाम जब शब्द नहीं बोले, मौन बोला. बिजली के चमकते उजाले में 2 चाय के कप रखे थे सामने पर उस दिन किसी ने चाय नहीं पी.

रोहन ने रितु का हाथ अपने हाथ में लिया न कोई लंबा भाषण, न कोई सफाई, बस एक मौन जिस में वर्षों की दूरी क्षणभर में सिमट आई.

‘‘मु झे माफ कर सको, तो करना रितु,’’ उस की आवाज धीमी थी, पर सच्ची, ‘‘अब से हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा सिर्फ एक पति के तौर पर नहीं, एक साथी की तरह जो तुम्हें सुनेगा, सम झेगा और तुम्हें फिर से खोने नहीं देगा.’’

रितु की आंखें भर आईं लेकिन होंठों पर जो मुसकान आई वह पहली बार भीतर से निकली थी और उस में एक विश्वास था जो सिर्फ कहे हुए शब्दों से नहीं, सम झे गए मौन से पैदा होता है और यही वह रात थी, जिस ने रिश्तों की चुप परतों को धीरेधीरे खोलना शुरू किया.

रोहन ने रितु का हाथ थामे रखा और पहली बार अपने मन की दीवारों को गिरते देखा.

सुबह की पहली किरण खिड़की से  झांकी और रितु ने हलके से मुसकरा कर कहा,

‘‘कभीकभी हम घर में होते हैं पर उस में अपनी जगह नहीं होती.’’

रोहन ने धीरे से जवाब दिया, ‘‘अब तुम्हारा हर कोना तुम्हारा है रितु क्योंकि तुम ही हो जो इस घर को घर बनाती हो.’’

जिंदगी कभीकभी बीमारियों के रास्ते हमें वह सबक सिखाती है जो हम हंसतेखेलते हुए भूल चुके होते हैं.

उस रात रोहन और रितु ने शब्दों से नहीं संवेदनाओं से एक नया अध्याय शुरू किया और जैसे ही नींद ने रितु की आंखों को छुआ, रोहन ने अपने मन में एक चुप वादा दोहराया, ‘‘अब मैं हर दिन सुनूंगा तुम्हें, हर दिन समझूंगा तुम्हें क्योंकि अब मैं जानता हूं प्यार का मतलब सिर्फ साथ होना नहीं बल्कि उसे महसूस करना है हर खामोशी, हर मुसकान, हर त्याग में.

लेखक- विजय आनंद

Hindi Love Story

Dry Hair : सर्दियों में रूखे बालों की देखभाल कैसे करें

Dry Hair : सर्दियों में चलने वाली ठंडी और ड्राई हवाएं स्कैल्प में मौजूद नमी को छीन लेती हैं. जब ये ड्राई और ठंडी हवाएं स्कैल्प तक पहुंचती हैं, तो आप के स्कैल्प स्किन की नमी छीन जाती है, जिस की वजह से स्कैल्प पर डेड स्किन सैल्स बढ़ने लगते हैं और डैंड्रफ की समस्या होने लगती है. ऐसे में स्कैल्प और बालों की जड़ें ड्राई और पपड़ीदार हो जाती हैं और खुजली होने लगती है.

आप कभीकभी अपने सिर पर डैंड्रफ जैसे डेड स्किन के छोटेछोटे टुकड़े भी नोटिस करेंगे, लेकिन ड्राई स्कैल्प और डैंडर्फ में काफी अंतर होता है. इस के साथ ही आप के बाल डल और रूखे नजर आएंगे.  बालों से मोइस्चर कम होने लगता है और आप के बाल बेहद ड्राई, डैमेज और रफ हो जाते हैं. ऐसे में आप के लिए अपने बालों को मैनेज करना बेहद मुश्किल हो जाता है. इसलिए आज हम आप को बता रहे हैं कि सर्दी के मौसम में अपने बालों का खयाल कैसे रखें.

मोइस्चराइजिंग शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें

हमारे बाल गरमियों की तुलना में सर्दियों के दौरान अधिक रूखे होते हैं, क्योंकि उन्हें अधिक नमी की जरूरत होती है. मोइस्चराइजिंग के लिए शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें. यह बालों को गहरे से पोषण देते हैं और रूखापन दूर करने में मदद करते हैं. शैंपू करने के बाद कंडीशनिंग करना बेहद जरूरी है, ताकि बालों में नमी और मुलायम रहें.

हेयर ड्रायर का यूज

इस मौसम में स्ट्रैटनर, कर्लर और हेयर ड्रायर का ज्यादा यूज करने से बालों को नुकसान पहुंच सकता है. वे पतले और कमजोर हो सकते हैं. फिर भी अगर इन्हें यूज करना जरूरी हो तो एक हीट प्रोटेक्टेंट स्प्रे का इस्तेमाल करें ताकि बालों को गरमी से बचाया जा सके. इस के आलावा कम तापमान वाले ड्रायर और कर्लिंग उपकरणों का प्रयोग करें. साथ ही इन उपकरणों का प्रयोग करने के बाद बालों पर जैल या हेयर क्रीम लगाना चाहिए.

बालों में औयलिंग करते रहें

बालों को नरिश करने का सब से अच्छा तरीका है तेल लगाना. बालों में गरम तेल से मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और बालों को पोषण मिलता है. नारियल तेल, और्गन औयल या जैतून का तेल बालों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. तेल को रात भर बालों में छोड़ कर सुबह धो लें, इस से बाल मजबूत और शाइनी रहते हैं.

डीप कंडीशनिंग करें

आप सूखे बालों को नौर्मल रखना चाहते हैं तो हर 2 हफ्ते या हर दूसरे 3 दिन में बालों को डीप कंडीशनिंग करते रहें. इस के लिए प्रोटीन, मोइस्चराइजिंग औयल और ऐंटी-औक्सीडेंट जैसे कंडिशनिंग इनग्रेडिऐंट वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दें. इस से आप के बालों में औयल बैलेंस रिस्टोर हो जाएगा. इस से बालों में सीबम भी ठीक रहेगा और आप के बाल मैनेजिएबल रहेंगे.

इस के आलावा हफ्ते में 1 या 2 बार गहराई से कंडीशनिंग करने वाला हेयर मास्क लगाएं. यह रूखेपन को कम करने में मदद करता है. आप दही, केला, शहद या जैतून/नारियल तेल से बने होममेड मास्क भी लगा सकते हैं.

स्विमिंग और बीच पर जाने से पहले

पानी में नमक आप के बालों से नमी को तुरंत दूर कर देता है. यदि आप को बीच पर जाना है या स्विमिंग करना है तो लीव-इन कंडिशनर का प्रयोग इस से पहले कर लें. यह आप के बालों पर प्रोटेक्शन लेयर बना देगा और आप के बाल सूखने से बचेंगे.

लीव-इन कंडीशनर या सीरम

बाल धोने के बाद थोड़ा सा लीव-इन कंडीशनर या हेयर सीरम (जिस में फ्रिजी कंट्रोल हो) लगाएं. यह बालों के उलझने को कम करता है और नमी को बनाए रखता है.

कलर वाले कैमिकल्स

कलरिंग ऐजेंट्स में व्याप्त कैमिकल्स आप के बालों से प्राकृतिक तेल को सोख लेते हैं. नियमित रंगों के उपयोग से कुछ समय बाद आप के बाल ड्राई और फ्रिजी हो जाते हैं. ऐसे में आप को कुछ दिन शैंपू से दूर रहना चाहिए और डाई करने के बाद कंडिशनर जरूर लगाना चाहिए.

सर्दियों में बालों में हेयर स्पा करवाएं

कई लोगों को लगता है हेयर स्पा सिर्फ गरमियों में करवाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है. सर्दी के दिनों में बालों के रूखेपन को कम कर के मुलायम और नैचुरल शाइनी बनाए रखने के लिए हेयर स्पा करवाना एक बढ़िया औप्शन है, क्योंकि इस में बालों को डीप कंडीशनिंग किया जाता है. स्पा करवाना अच्छा इसलिए भी रहता है क्योंकि उस में हार्श कैमिकल्स नहीं होते हैं. इस में स्पा क्रीम का यूज होता है.

स्पा की प्रक्रिया में सब से पहले बालों को माइल्ड शैंपू से क्लीन किया जाता है और फिर बालों को सुखा कर सुलझाने के बाद बालों पर स्पा क्रीम की लेयर लगाई जाती है. क्रीम के सूख जाने के बाद बालों को स्टीम दी जाती है और फिर ताजे पानी से बाल धोने के बाद कंडीशनर लगा कर हेयर वाश किया जाता है. इस तरह से स्पा की प्रक्रिया में बालों को डीप कंडीशनिंग किया जाता है.

बालों को स्टीम दें

स्टीम देने से बालों की क्यूटिकल्स खुल जाते हैं और एक ही बार में उन्हें नमी मिल जाती है, जिस से रूखेपन और उलझन से निबटने में मदद मिलती है. ऐसा करने के लिए शावर कैप लगाएं और उस के ऊपर गरम तौलिया लपेट लें और बालों को स्टीम दें.

हाइड्रेटेड रहें और पौष्टिक भोजन करें

ठंड के मौसम में हाइड्रेटेड रहें और अच्छा खाने पर ध्यान दें. सर्दियों में कम प्यास लगती है, इसलिए ध्यान रखें और रोजाना कम से कम 7-8 गिलास पानी जरूर पीएं. साथ ही, नियमित रूप से पौष्टिक और संतुलित भोजन करें, जैसेकि विटामिन, हैल्दी फैट, प्रोटीन, मिनरल्स और कार्ब्स से भरपूर खाद्य पदार्थ. ये आप के शरीर को उचित पोषण प्रदान करते हैं, जिस से आप के स्कैल्प को पोषण मिलता है. इस प्रकार ये बालों की सेहत को बढ़ावा दे सकता है.

हीट प्रोटेक्टेंट यूज  करें

हीट प्रोटेक्टेंट बालों को गरमी से होने वाले डैमेज से बचाते हैं, जो ब्लो ड्राई, कर्लिंग या स्ट्रेटनर्स से होते हैं.  ये आप के बालों को हैल्दी और टूटने से बचाने में मदद करता है और स्प्लिटऐंड्स से भी बचाता है.

ड्राई शैंपू

ड्राई शैंपू इसलिए जरूरी है क्योंकि ये बालों से ऐक्सेस औयल को ऐब्जौर्ब कर लेता है और धोने के बाद रिफ्रेश हेयर देता है. यह बिजी लाइफस्टाइल वालों के लिए वक्त बचाने का तरीका भी है. यह ब्लोआउट की लाइफ को बढ़ाने और हेयरस्टाइल को लंबे समय तक वैसा ही रखने के लिए भी कारगर है और उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो शैंपू को ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहते.

Dry Hair

Intimacy Hygiene: रैग्युलर हाइजीन फौर विंटर इंटिमेसी

Intimacy Hygiene: प्रीति और ऋषि को डेट करते 6 महीने हो चुके थे और दोनों ही अपने रिश्ते को ले कर काफी आशावादी भी थे. जैसेजैसे समय बीत रहा था दोनों की नजदीकियां भी बढ़ रही थीं. यों ही दिसंबर की एक सर्द शाम दोनों को काफी करीब ले आई. एक रोमांटिक मूड जब सारी हदें पार ही करने वाला था कि ऋषि की बगल से आती गंध ने प्रिया को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और नाखुश प्रिया ऋषि से  झेंप कर बोली, ‘‘तुम आखिरी बार कब नहाए थे?’’

ठंड के मौसम में रोमांस का अलग ही चार्म रहता है. आप एक महकदार कोलोन या परफ्यूम से अपने खास को करीब तो ले आएंगे लेकिन वे करीब रहेंगे कब तक? क्या पता आप के बदन से आती बदबू और ड्राई स्किन की रफनैस रोमांटिक मूड को एक अपसैटिंग मूड में बदल दे.

सर्दियों में हम अपनी बौडी को ऊनी कपड़ों में लपेट देते हैं. अब ऊनी कपड़ो की गरमाहट आप को ठंड से बचा लेती है. लेकिन आप की स्किन को उचित रूप से हवा पाने से रोकती भी है. नतीजा यह होता है कि बौडी पार्ट्स में खासकर आप की बगल और प्राइवेट पार्ट्स के आसपास पसीना इकठ्ठा होने लगता है और हवा की कमी से वहां गंदगी के साथ बदबू भी घर कर लेती है जो आगे जा कर बैक्टीरिया में बदल जाती है, जिस से आप को स्किन रैश, खुजली, छोटेमोटे दानों की समस्या का सामना करना पड़ता है.

ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपनी बौडी स्किन का सर्दियों में भी उतना ही ध्यान रखें जितना बाकी मौसमों में रखते हों. अपनी स्किन की सही साफसफाई करें और मौइस्चर दें ताकि जब आप अपने किसी खास के करीब हों तो बौडी से आती बदबू या कोई रैश आप के बीच न आ सके.

किसी खास के करीब होने या कहें इंटिमेसी का मूड कब हो जाए यह कहना मुश्किल है. आखिर ये तो फीलिंग की बातें हैं और फीलिंग कब उमड़ जाए यह किसी को नहीं पता. इसलिए अपने खास पलों के लिए हमेशा तैयार या कहें साफ हाइजीन रहने के लिए कुछ छोटी और नियमित बातें गांठ बांध लें, जिन से आप खास पलों के लिए तैयार रहेंगे.

कैसे रखें हाइजीन का ध्यान

स्किन फ्रैंडली क्लोथ: ठंड से बचने के लिए गरम कपड़े पहनना जरूरी है लेकिन स्किन का सांस लेना भी जरूरी है. इसलिए कौटन सौफ्ट जैसे फैब्रिक्स का चयन करें. सिंथैटिक और मिक्स्ड क्वालिटी फैब्रिक्स के कपड़ों में जमा पसीना स्किन पर बैक्टीरिया को जन्म देता है जो स्किन के लिए बहुत हार्मफुल है. इसलिए हमेशा कोशिश करें कि आप के कपड़े खासकर आप के अंडरवियर कौटन या अच्छे फैब्रिक क्वालिटी के हों, जिन में हवा स्किन को पसीने से पैदा होने वाले जर्म्स और बदबू से बचा सके.

समय पर कपड़े बदलते रहे: सर्दियों में कपड़े बारबार नहीं धुलते साथ एक ही स्वैटर, जींस, कोट को कई बार पहना जाता है. लेकिन उन्हें निरंतर पहने रखना ठीक नहीं. सर्दियों के कपड़े गरमी के कपड़ों की तरह हलके और हवादार नहीं होते कि थोड़ी धूल आ जाए तो  झट से फटक कर उड़ा दें या पसीना हवा से सूख जाए बल्कि ये तो ऊनी और मोटे होते हैं जो धूलमिट्टी को बांध लेते हैं और पसीना भी आसानी से नहीं सूखता. इस तरह कपड़ों पर जमी धूल और पसीना कपड़ों में बदबू पैदा कर देता है और फिर आप की बौडी पर. इसलिए एक ही स्वैटर या जीन्स को ज्यादा दिन मत पहनिए बल्कि 1-2 दिन के अंतराल पर पहनें. लेकिन हमेशा कोशिश करें कि आप अपने इनरवियर रोजना चेंज करें क्योंकि बाहरी कोट या स्वैटर से जर्म का खतरा उतना नहीं, जितना कि रोजना पहने जाने वाले इनर वियर से है. इनर वियर का सीधा कौंटैक्ट आप की बौडी स्किन, आप के गुप्तांगों से हैं, इसलिए इन का साफ रहना बहुत जरूरी है.

नहाना न छोड़ें: कपड़े कई दिन बाद बदलने वाले लोगों से बढ़ कर कुछ और लोग भी हैं. वे हैं न नहाने वाले या कहें कम नहाने वाले. बहुत से लोग सर्दियों के मौसम में नहाने से आलस करते हैं. रोजाना नहीं नहाते. हर अगले दिन या 2 दिन बाद नहाते हैं. साथ कुछ ऐसे भी हैं जो हफ्ते में सिर्फ एक बार नहाते हैं. इस तरह नहाने से बचना आप की स्किन पर मैल के साथ कीटाणु भी जमा देता है जो आप की सेहत के लिए तो खतरा है ही साथ ही आप के साथी के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है.

प्राइवेट एरिया क्लीन ऐंड ड्राई: वैलनैस के लिए दोनों को हाइजीन मैंटेन करना बहुत जरूरी है, इसलिए दोनों ही अपने प्राइवेट एरिया या बौडी पार्ट्स को रैग्युलर क्लीन करें. अगर आप को रोज नहाने में परेशानी है तो कम से कम अपने प्राइवेट पार्ट्स तो नियमित रूप से साफ रखें. दिनभर का पसीना और हारमोन डिस्चार्ज की नमी का जमा रहना आप के साथ आप के पार्टनर के लिए भी एक बहुत बड़ी परेशानी और जर्मस का खतरा है खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें ओरल सैक्स पसंद हो. इसलिए प्राइवेट पार्ट्स हमेशा क्लीन और ड्राई रखें.

यूज माइल्ड वाश: आज बाजार में औरतों के साथसाथ मर्दों के लिए भी इंटिमेट वाश आसानी से मिल जाते हैं. क्लीनिंग के लिए आप रैग्युलर वाटर या कुनकुना पानी और माइल्ड लिक्विड वाश या सोप यूज करें. स्ट्रौंग फ्रैगरैंस सोप या लिक्विड का इस्तेमाल न करें. इन में खुशबू तो होती है लेकिन कैमिकल की मात्रा भी बहुत अधिक होती है जो आप की सैंसिटिव स्किन को नुकसान दे उस का पीएच लैवल डिस्टर्ब कर देती है. कई लोगों को इस वजह से स्किन रैश और इचिंग की परेशानी  झेलनी पड़ती है, साथ ही ये हार्मफुल कैमिकल स्किन का मौइस्चर सुखा देते हैं और उसे ड्राई कर देते हैं.

कीप स्किन मौइस्चराइज: बौडी का सौफ्ट रहना भी जरूरी है. सोचिए की नजदीकी की घड़ी में आप का पार्टनर आप के चेहरे, कमर, बांहों में हाथ फेरे और उसे एक रूखीसूखी स्किन की फील आए. अब इस से तो सारा मूड औफ हो सकता है. इसलिए अपनी स्किन को अच्छी बौडी क्रीम से कोमलता जरूर दें. यह आप की अपनी स्किन के लिए भी एक स्किन हैल्दी ट्रीटमैंट है.

टाइट क्लोथ न पहनें: टाइट फिट क्लोथ न गरमी में अच्छे हैं न ही सर्दी में. जब आप अपने शरीर को टाइट कपड़ों में कैद कर लेंगे तो आप की स्किन कैसे सांस लेगी. टाइट फिट कपड़े न केवल हवा का आना कम करते हैं बल्कि अपनी जकड़न से आउटर बौडी पार्ट्स के साथ इनर पार्ट्स में भी रैश जैसी दिक्कत पैदा करते हैं. अब भला रैश की परेशानी में कोई रोमांटिक माहौल कैसे बनाएगा.

ये हाइजीन टिप्स आप दोनों अर्थात लड़का और लड़की दोनों के लिए हैं किसी एक के लिए नहीं. आखिर रिश्ता तो दोनों के बीच बनेगा तो हाइजीन भी दोनों को ही बनाए रखना होगा. किसी के भी गंदे या अनहाइजीनिक होने से इन्फैक्शन का खतरा दोनों को ही बराबर उठाना पड़ता है. इसलिए साफसफाई का खयाल दोनों को ही रखना पड़ेगा. एक बैटर इंटिमेसी के लिए क्लीन बौडी होनी जरूरी है.

Intimacy Hygiene

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