Bollywood LoveStories: इन सितारों ने एकतरफा प्यार में बरबाद की जिंदगी

Bollywood LoveStories: कहते हैं प्रेम रोग एक ऐसा रोग है जो लाइलाज है यानि कि उस का कोई इलाज नहीं है, क्योंकि यह रोग जिस को लग जाता है उस के ऊपर कोई भी इलाज काम नहीं करता. प्रेम रोग से पीड़ित प्रेमी अगर एकदूसरे के लिए जान देने को तैयार होते हैं तो प्यार में धोखा मिलने पर उसी प्रेमी की जान लेने से भी पीछे नहीं हटते. इस बात का अनुभव जहां वास्तविक जीवन में देखने को मिला है, वहीं फिल्मों में ऐसे कई प्यार करने वाले आशिक देखने को मिले हैं जो अपने प्यार को ले कर इतने पजेसिव होते हैं कि किसी का खून करने से भी पीछे नहीं हटते.

फिल्में हों या असली जीवन, इस तरह के प्यार करने वाले आशिक हमेशा चर्चा में रहते हैं. लेकिन इस से भी ज्यादा खतरनाक है एकतरफा प्यार करने वाले आशिक क्योंकि एकतरफा प्यार असल में झूठ पर जीने वाला प्यार होता है जिस में एक प्यार करने वाला इंसान जो किसी से बेइंतिहा प्यार करने लगता है और उसे यह लगता है कि सामने वाला इंसान भी उस से उतना ही प्यार करता है लेकिन वह बोलता नहीं है. लेकिन असल में सच यह होता है कि कोई आप से बहुत ज्यादा प्यार करता है तो आप उस को दुख नहीं पहुंचाना चाहते और उसे हमदर्दी दिखाते हुए दोस्ती के तहत उस के एकतरफा प्यार को बिना कुछ कहे झेल लेते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते कि आप उस का किसी भी तरह दिल दुखाएं जो आप से बहुत प्यार करता है.

कई बार एकतरफा प्यार करने वाले प्रेमी को सचाई पता भी चल जाती है तो भी वह झूठ में जीना चाहता है और अपने एकतरफा प्यार के तहत कई बार अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा देता है. उसी प्यार के सहारे पूरी जिंदगी निकाल देता है. किसी और से शादी किए बिना अपने झूठे प्यार के सहारे पूरा जीवन निकाल देता है.

एकतरफा प्यार करने वाले पर एक शायर कहते भी हैं- ‘माना कि गैर है सपने, खुशियां मेरी अधूरी, मगर जिंदगी जीने के लिए गलतफहमियां भी हैं जरूरी…’

ऐसे प्रेमी मन ही मन अपने काल्पनिक प्रेमी को सबकुछ मान कर पूरी जिंदगी उस के नाम पर ही बिता देते हैं फिर चाहे वह शादीशुदा ही क्यों न हो या फिर 4-5 बच्चों का बाप ही क्यों न हो. ऐसे प्यार करने वाले सबकुछ पता होते हुए भी अपने प्रेमी को नहीं छोड़ते और कई बार उस के साथ बिना कोई नाम दिए सिर्फ उस प्रेमी का साथ पाने के लिए लिवइन रिलेशनशिप तक में सालों साथ रह जाते हैं.

ऐसे लोगों की जिंदगी का एक ही फलसफा होता है- प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो.

इस तरह के एकतरफा प्यार करने वाले आशिकों के किस्से हर जगह सुनने को मिलेंगे, लेकिन ग्लैमर वर्ल्ड भी इस से अछूता नहीं है, जहां खूबसूरत चेहरों की भरमार है. कुछ ऐसे प्यार करने वाले आशिक भी हैं, जो एकतरफा प्यार के चक्कर में अपनी पूरी जिंदगी बरबाद कर दी लेकिन किसी और को नहीं अपनाया.

बौलीवुड और एकतरफा प्यार

बौलीवुड में कई ऐसे ऐक्टर हैं जिन्होंने एकतरफा प्यार के चक्कर में पूरा जीवन अपने प्यार के नाम निकाल दिया. फिर चाहे वह ऐक्टर और फिल्म मेकर गुरुदत्त हों जिस ने वहीदा रहमान के प्यार में सिर्फ जिंदगी ही बरबाद नहीं की बल्कि जिंदगी खत्म कर ली. एक जमाने के सब से हैंडसम हीरो देव आनंद भी मशहूर और खूबसूरत अभिनेत्री सुरैया के प्यार में पागल थे. दोनों ने साथ में मिल कर कई फिल्में भी कीं. इस जोड़ी को बहुत पसंद किया जाता था. देवानंद ने सुरैया के सामने अपने प्यार का इजहार किया तो अभिनेत्री सुरैया ने न कर दिया.

इसी तरह सुलक्षणा पंडित एक जमाने की मशहूर हीरोइन थीं. वे ऐक्टर संजीव कुमार से बेहद प्यार करती थीं लेकिन जब सुलक्षणा पंडित ने संजीव कुमार के सामने अपने प्यार का इजहार किया तो संजीव कुमार ने उन का प्यार अस्वीकार कर दिया, जिस का असर सुलक्षणा पर इस कदर पड़ा कि उन का मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया.

फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला संजय दत्त से एकतरफा प्यार करती थीं, लेकिन उन्होंने अपना यह प्यार जगजाहिर नहीं किया. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मनीषा कोइराला ने संजय दत्त के प्रति अपने एकतरफा प्यार का जिक्र किया.

करिश्मा कपूर एक समय में अजय देवगन से बेहद प्यार करती थीं, लेकिन उन का यह प्यार असफल रहा.

मशहूर फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली जिन्होंने एक लड़की के प्यार में असफल होने पर पूरी जिंदगी बिना शादी के निकाल दी.

ऐक्टर संजीव कुमार जो हेमा मालिनी से प्यार करते थे लेकिन हेमा मालिनी उन से प्यार नहीं करती थीं. ऐसे में हेमा मालिनी के प्यार में मिली बेरूखी से पीड़ित हो कर पूरी जिंदगी अपने इसी प्यार के नाम निकाल दी.

मशहूर फिल्म मेकर करण जौहर, जो अक्षय कुमार की बीवी और ऐक्ट्रैस ट्विंकल खन्ना से एकतरफा प्यार करते थे, लेकिन ट्विंकल की तरफ से कोई प्यार भरा रिस्पौंस न मिलने पर करण जौहर ने भी शादी नहीं की.

मशहूर खलनायक और गब्बर सिंह कहलाने वाले अमजद खान से उस समय की मशहूर डांसर कल्पना अय्यर बहुत प्यार करती थीं. यह प्यार भी एक तरफा था. लिहाजा, अमजद खान की मौत होने के बावजूद कल्पना अय्यर ने किसी और से शादी नहीं की.

एकतरफा प्यार पर बनी फिल्में

किसी शायर ने सच ही कहा है-‘यह इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है…’ शायर की इस बात को वे लोग ज्यादा अच्छे से समझते हैं जिन्होंने टूट कर प्यार तो किया लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ तनहाई, दुख और उदासियां ही मिलीं.

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए करण जौहर ने रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा को ले कर फिल्म बनाई, जिस का नाम है ‘ऐ दिल है मुश्किल.’ इस फिल्म के जरीए करण जौहर ने अपने एकतरफा प्यार के दर्द को फिल्म के जरीए प्रस्तुत किया.

इसी तरह एकतरफा प्यार पर कई और फिल्में बनीं. ऋषि कपूर पद्मिनी कोल्हापुरी की फिल्म ‘प्रेमरोग’, राज बब्बर और डिंपल कपाड़िया अभिनीत ‘एतबार’, शाहरुख खान जूही चावला अभिनीत ‘डर’, माधुरी दीक्षित और शाहरुख खान अभिनित ‘अंजाम’,  शाहरुख दिव्या भारती अभिनीत ‘दीवाना’, संजय दत्त माधुरी अभिनीत ‘खलनायक’, करिश्मा कपूर और शाहरुख खान अभिनीत ‘दिल तो पागल है’, उर्मिला मातोंडकर फरदीन खान अभिनीत  ‘प्यार तूने क्या किया’, ऐश्वर्या राय शाहरुख खान अभिनित ‘देवदास’, दीपिका पादुकोण सैफ अली खान अभिनीत ‘काकटेल‘ आदि फिल्में एकतरफा प्यार पर आधारित हैं.

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HD Makeup: जानिए एचडी मेकअप की पूरी ABCD

HD Makeup: एक ड्रैमेटिक मेकअप लुक की तलाश में दुलहनों के लिए एचडी मेकअप लुक परफैक्ट चौइस है. एचडी मेकअप, जिसे हाई डैफिनिशन मेकअप भी कहते हैं, इस मेकअप के कई फायदे हैं, खासकर जब आप कैमरे के सामने हों या किसी खास इवेंट के लिए तैयार हो रहे हों.

इस मेकअप की मदद से आप के डार्क स्पौट, पोरस और डार्क सर्किल को इस तरह छिपाया जाता है कि आप के फोटो बिलकुल नैचुरल आते हैं. अगर आप एचडी मेकअप करवाते हैं तो आप अपने चेहरे के फ्लौस को छिपा सकते हैं और एक फ्लौलेस स्किन पा सकते हैं. यह मेकअप लौंग लास्टिंग भी होता है और केकी नहीं होता.

इस मेकअप को लंबे समय तक लगाए रखने के बाद भी उस में क्रीज और लाइंस नहीं आने देता. एचडी मेकअप के प्रोडक्ट्स लाइट डिफ्यूजिंग कोटिंग से कोटेड होते हैं. जब लाइट आप के चहरे पर रिफ्लैक्ट होती है तो मेकअप स्मूद, ट्रांसपेरैंट और फ्लौलेस दिखता है. एचडी मेकअप स्किन पर केकी फील नहीं कराता और औलमोस्ट रियल लुक देता है.

क्या होते हैं एचडी मेकअप प्रोडक्ट्स

एचडी मेकअप में जिन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है वे हाई ऐंड और लाइट डिफ्यूजिंग कोटिंग से कोटेड रहते हैं, जिस से चेहरे पर लाइट नहीं पड़ती. इस मेकअप के लिए आप को ऐसे प्रोडक्ट्स चुनने होते हैं जो आप को स्मूद, ट्रांसपेरैंट और ब्लेमिश फ्री लुक दें. मेकअप को स्किन के साथ ऐसे मर्ज किया जाता है जो बिलकुल हैवी नहीं लगता. मेकअप के बाद नैचुरल ग्लो नजर आता है.

कैसे करते हैं एचडी मेकअप

एचडी मेकअप को नौर्मल मेकअप की तरह मेकअप ब्रश और स्पंज के साथ किया जाता है. इसे करते हुए हाई ऐंड प्रोडक्ट्स का ही उपयोग करना चाहिए. हां, ये प्रोडक्ट्स थोड़े महंगे जरूर होते हैं. एचडी मेकअप प्रोडक्ट्स टैक्स्चर में हलके होते हैं. इन प्रोडक्ट्स को भर कर चेहरे पर एकसाथ न लगाएं. इस से वे अच्छी तरह ब्लैंड नहीं हो पाते और फिर आप को नैचुरल लुकिंग फ्लौलेस लुक नहीं मिल पाता है.

कैसा होता है एअरब्रश एचडी मेकअप

एअरब्रश एचडी मेकअप एक प्रकार का मेकअप है, जिसे एअरब्रश मशीन का उपयोग कर के लगाया जाता है. इस प्रकार का मेकअप आप की त्वचा को एक स्मूद और फ्लौलेस फिनिश देता है. इस में एअरगन का इस्तेमाल किया जाता है. इस एअरगन में मौजूद एक चेंबर में लिक्विड फाउंडेशन डाला जाता है और इसे चेहरे पर स्प्रे किया जाता है. इस से चेहरे को फ्लौलेस फिनिश मिलती है और पूरी कवरेज भी होती है. इतना ही नहीं ब्लशर, आईशैडो, लिप कलर, आइब्रो फीलिंग के लिए भी आजकल एअरब्रश तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जो काफी लंबे समय तक स्टे करता है.

एचडी मेकअप के फायदे

-एचडी मेकअप को साधारण मेकअप की तरह ब्रश और मेकअप स्पौंज के साथ ही किया जाता है. इस के लिए कोई स्पैशल गन का इस्तेमाल नहीं होता है.

-एचडी मेकअप के लिए हाई ऐंड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है, जो थोड़े ऐक्सपैंसिव होते हैं.

-एअरब्रश की तुलना में एचडी मेकअप थोड़े कम समय तक टिकते हैं, फिर भी इन की लास्टिंग 12-15 घंटे तक होती है.

-एचडी मेकअप एअरब्रश मेकअप से थोड़ा सस्ता होता है.

-एचडी मेकअप औयली, सैंसिटिव और ड्राई स्किन वालों के लिए सही होता है.

-एचडी मेकअप में ल्यूक्स प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल होता है, जो नैचुरल लुक देते हैं और यह आप के सभी दागधब्बों को अच्छी तरह छिपाने का काम करता है.

-एचडी मेकअप चेहरे को सौफ्ट फोकस देता है और इसे नैचुरल और कम लेयर्ड बनाता है.

-एचडी मेकअप प्रोडक्ट्स में खास लाइट डिफ्यूजिंग पिगमैंट्स होते हैं, जो लाइट को इस तरह से बिखेरते हैं कि चेहरे की छोटी से छोटी कमियां जैसे महीन रेखाएं, दागधब्बे और काले घेरे कैमरे में दिखाई नहीं देते.

-यह आप की त्वचा को सौफ्ट फोकस इफैक्ट्स देता है, जिस से तसवीरें और वीडियो परफैक्ट आते हैं.

-एच डी मेकअप लंबे समय तक टिकाऊ होता है और समय के साथ चेहरे पर पपड़ीदार या फटा हुआ (केकी) नहीं दिखता.

-एचडी मेकअप बिल्डेबल कवरेज देता है और आवश्यकतानुसार इसे लेयर किया जा सकता है, जिस से आप अपनी जरूरत के हिसाब से कवरेज चुन सकते हैं.

-मेकअप आर्टिस्ट चुनते वक्त यह तो ध्यान रखें ही कि वह विश्वसनीय हो और अच्छी तरह से उसे एचडी मेकअप करने का अनुभव हो.

-मेकअप करने से पहले खुद चैक करें कि जो प्रोडक्ट्स यूज किए जा रहे हैं वे एचडी क्वालिटी के हैं या नहीं, क्योंकि ये प्रोडक्ट्स काफी महंगे होते हैं और कई बार लोग सस्ते मेकअप को एचडी क्वालिटी का बता देते हैं और आप भी जानकारी के आभाव के कारण उसे ही सही मान लेते हैं.

-एचडी मेकअप में अकसर ट्रैडिशनल मेकअप की तुलना में कम लेयरिंग (परत) की जाती है, जिस से बेस हलका और प्राकृतिक लगता है.

कितना महंगा होता है एचडी मेकअप

एचडी मेकअप के प्राइस रेंज पार्लर और जगह के अनुसार निर्भर करती है. एचडी मेकअप की शुरुआत ₹12 हजार से शुरू होती है. साथ ही इस मेकअप का खर्चा ₹50 हजार से भी अधिक जा सकता है. मेकअप की प्राइस उस के प्रोडक्ट्स और लुक पर निर्भर करती है.

HD Makeup

Ashnoor Kaur: मोटापे की वजह से अशनूर को घरवालों ने कहा ‘डायनसोर’

Ashnoor Kaur: ‘बिग बॉस 19’ में बीते हफ्ते प्रतियोगी तान्या मित्तल, कुनिका और नीलम गिरी ने मिल कर 21 वर्षीय अशनूर कौर का जम कर मजाक उड़ाया. मजाक की वजह अशनूर का मोटापा था, जिस की वजह से तान्या और अन्य लोगों ने मिल कर एकदूसरे से चुगली करते हुए अशनूर के मोटापे को ले कर भद्दे कमैंट्स पास किए. तान्या ने अशनूर को डायनासोर, मोटी जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर के व बौडी शेमिंग कर के बेइज्जती करने वाला काम किया.

मोटापे की वजह

इस के बाद सलमान खान ने वीकेंड में सभी की क्लास लगाई, जिस के बाद अशनूर कौर ने सलमान के सामने अपने मोटापे की वजह बताते हुए अपना दुख और बीमारी को ले कर अपनी तकलीफ जाहिर की.

अशनूर कौर ने रोते हुए बताया कि उन के मोटापे की असली वजह हारमोंस डिसबैलेंस प्रौब्लम है. अशनूर ने सलमान खान के सामने अपना दुख जाहिर करते हुए बताया कि हारमोंस प्रौब्लम के चलते तनावपूर्ण स्थिति में उन का वजन बढ़ने लगता है. पिछले 7 सालों से अशनूर ने कोई जंक फूड नहीं खाया है. खाना भी उन का बहुत कम है. उन्होंने बहुत डाइटिंग भी की है. फिर भी उन का वजन उस वक्त ज्यादा बढ़ जाता है जब उन को टैंशन होती है या वे तनावपूर्ण माहौल में रहती हैं.

इटिंग डिसऔर्डर

अशनूर के अनुसार, ‘बिग बॉस’ में आने से पहले मैं ने अपना 9 किलोग्राम वजन कम कर लिया था, लेकिन ‘बिग बॉस’ में आने के बाद मेरा वजन फिर से बढ़ गया, क्योंकि टैंशन में मेरा शरीर फूलने लगता है. बतौर टीनएजर मैं ने कई चीजें ट्राई कीं, बहुत डाइटिंग भी की.

एक समय ऐसा भी आ गया कि मुझे इटिंग प्रौब्लम शुरू हो गई. मुझे इटिंग डिसऔर्डर हो गए थे. मैं अगर कुछ भी खाती हूं तो मुझे उलटी होने लगती है. अपने मोटापे को ले कर मुझे कई बार अपमान भी सहना पड़ा है, इसलिए अपनेआप को स्लिमट्रिम बनाने के लिए मैं 14 साल की उम्र से पतले होने की कोशिश में लगी हुई हूं.

अशनूर की बात सुन कर घर के सभी लोग दुखी हो गए. सलमान खान ने अशनूर से कहा कि उन के साथ भी यही प्रौब्लम है. सलमान खान के अनुसार, वे भी जब तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं, तो उन का वजन बढ़ने लगता है.

सलमान खान ने अशनूर को सहयोग देते हुए घर के उन सभी लोगों की क्लास लगा दी जो अशनूर के मोटापे को ले कर बौडी शेमिंग जैसी हरकतें कर रहे थे. उन्होंने समझाते हुए कहा कि हरेक का शरीर अलगअलग होता है. उन की प्रौब्लम्स भी अलगअलग होती हैं. इसलिए बौडी शेमिंग के पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप की कही बातें सामने वाले को मानसिक तौर पर परेशान न करें.

Ashnoor Kaur

Golden Chariot: दक्षिण भारत की शाही रेल यात्रा

Golden Chariot: क्या आप ने कभी सोचा है कि रेल की खिड़की से बाहर  झांकते हुए आप किसी साधारण डब्बे में नहीं बल्कि किसी महाराजा के महल में बैठे हों? सामने रंगीन परदे, चारों ओर कर्नाटक की कला से सजे दरवाजे और आप के सामने चांदी की थाली में परोसे गए व्यंजन हों. यह सपना मात्र नहीं बल्कि हकीकत है. गोल्डन चैरियट दक्षिण भारत की शाही रेलगाड़ी. यह रेल केवल पटरियों पर दौड़ती गाड़ी नहीं बल्कि वह मंच है जहां इतिहास, संस्कृति, कला और आधुनिकता एकसाथ सफर करते हैं.

नाम तथा निर्माण

2008 में जब कर्नाटक पर्यटन विभाग और भारतीय रेल ने मिल कर इस ट्रेन की शुरुआत की तो उन का उद्देश्य था दक्षिण भारत की असली धरोहर को नए अंदाज में दुनिया के सामने लाना.

इस का नाम ‘गोल्डन चैरियट’ इसलिए रखा गया क्योंकि विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी में स्थित प्रसिद्ध स्टोन चैरियट (पत्थर का रथ) इस की प्रेरणा बना. यह रथ दक्षिण भारत की स्थापत्य कला और वैभव का प्रतीक है.

शाही महल जैसा डब्बा

गोल्डन चैरियट के डब्बों में कदम रखते ही यात्री खुद को किसी महल में पाते हैं. हर डब्बे का नाम दक्षिण भारत की ऐतिहासिक राजधानियों पर रखा गया है. कैबिन में गुलाबी, सुनहरी और नीली सजावट, कर्नाटक की पारंपरिक लकड़ी की नक्काशी और आधुनिक सुविधाओं का अद्भुत संगम है. एसी, इंटरनैट, टीवी, अटैच बाथरूम हर सुविधा मौजूद.

सिर्फ यही नहीं इस ट्रेन में नल और रुचि नामक 2 रेस्तरां भी हैं, जहां महलनुमा झूमरों के नीचे पांचसितारा भोजन परोसा जाता है. मदिरा नाम का बार यात्रियों को मैसूर पैलेस की याद दिलाता है. वहीं आयुष, स्पा शरीर और मन को सुकून देते हैं.

यात्रा की रूपरेखा

गोल्डन चैरियट यात्रियों को दक्षिण भारत की विरासत का साक्षात अनुभव कराती है. इस के कई पैकेज हैं:

– प्राइड औफ कर्नाटक: बैंगलुरु, मैसूर, हम्पी, बदामी और काबिनी जैसे ऐतिहासिक व प्राकृतिक स्थल.

– ज्वैल्स औफ साउथ: महाबलीपुरम, पांडिचेरी, तंजावुर, मदुरै, कोचीन, कुमारकोम और गोवा की अद्भुत यात्रा.

– ग्लिंप्सेस औफ कर्नाटक: छोटा पैकेज, जिस में मैसूर और हंपी का वैभव दिखाया जाता है.

हर ठहराव पर पारंपरिक नृत्य, लोक संगीत और गाइडेड टूर यात्रियों का स्वागत करते हैं.

अनुभव का रंग

सोचिए, खिड़की के बाहर नारियल के पेड़ों की कतारें हों, कहीं मंदिरों की घंटियां बज रही हों, कहीं समुद्र की लहरें किनारों से टकरा रही हों और भीतर आप रेशमी परदों वाले कैबिन में चाय का आनंद ले रहे हों, यही है गोल्डन चैरियट का असली जादू. यह ट्रेन यात्रियों को केवल स्थानों तक नहीं ले जाती बल्कि उन्हें इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से भी जोड़ती है.

महत्त्व और प्रभाव

– पर्यटन को नई पहचान: गोल्डन चैरियट ने दक्षिण भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का केंद्र बनाया.

– आर्थिक योगदान: स्थानीय होटल, हस्तशिल्प, गाइड और कलाकारों को रोजगार मिला.

– संस्कृति का संरक्षण: यात्रियों के सामने लोक नृत्य, संगीत और परंपराओं की  झलक प्रस्तुत होती है.

किराया और विशिष्टता

गोल्डन चैरियट का किराया लाखों में है. 7 दिन की यात्रा का मूल्य लगभग क्व34 लाख प्रति व्यक्ति पड़ता है. यद्यपि यह हर किसी की पहुंच में नहीं, लेकिन जो भी इस सफर को करता है, वह जीवन भर इसे याद रखता है.

चुनौतियां

महंगा किराया इसे सीमित वर्ग तक बांध देता है. कोविड-19 काल में यह कई महीनों तक बंद रही.

विदेशी सैलानियों पर अधिक निर्भरता भी एक चुनौती है. फिर भी सरकार और पर्यटन मंत्रालय लगातार इसे पुन: लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं.

गोल्डन चैरियट केवल एक रेलगाड़ी नहीं बल्कि दक्षिण भारत का चलताफिरता महल है. यह हमें बताती है कि भारत की धरोहरें कितनी जीवंत और बहुमूल्य हैं.

यही कारण है कि गोल्डन चैरियट आज भी भारत की सब से प्रतिष्ठित लग्जरी ट्रेनों में गिनी जाती है और इसे सचमुच ‘दक्षिण भारत का शाही रेल अनुभव’ कहा जा सकता है.

-विभा कनन

Golden Chariot

Home Security Tips: सुरक्षित घर सुखद यात्रा

Home Security Tips: त्योहार का मौसम हो या छुट्टियों का, कहीं घूमने जाने का या फिर अपनों से मिलने का मन तो करता ही है. किंतु कई बार हम घर की ओर बिना ध्यान दिए आननफानन में पैकिंग कर निकल जाते हैं. नतीजतन वापस आने के बाद या तो कोई बड़ा नुकसान हो जाता है या फिर घर बहुत गंदा और अव्यवस्थित मिलता है, जिस से आने के बाद बेहद तनाव और परेशानी का सामना करना पड़ता है, साथ ही घूमने के क्षणों को याद कर खुशी का एहसास भी न के बराबर रह जाता है.

सरिता भाभी की पोती का जन्मदिन था. बेटेबहू के आग्रह पर दिल्ली से 4-5 दिनों के लिए पति संग देहरादून चली गईं. कुछ दिनों में तो आ ही जाऊंगी यही सोच घर भलीभांति न तो बंद किया, न ही घर में रखे जेवरात व नक्दी बैंक में रख कर गईं. दोनों देहरादून से वापस आए तो घर का पीछे का दरवाजा टूटा था व कमरे की खिड़की के रास्ते अंदर जा कर अज्ञात लोग काफी सामान ले जा चुके थे. अब सिवा पछताने के कुछ भी हासिल नहीं हो सकता था. बस भविष्य के लिए सबक मिल गया कि आगे से घर को ध्यान से बंद कर के जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसा नुकसान न हो.

मेरी एक और परिचित है रविवार सुबह प्रोगाम बना कि आज पूरा दिन सुबह से शाम तक घूमा जाएं, मस्ती की जाए. फिर क्या था, फटाफट नाश्ता किया, तैयार हुए और निकल गए. जब रात को वापस आए तो दरवाजा खोलते ही हक्केबक्के रह गए. सारे घर में पानी भरा था.

जल्दबाजी में उन की बेटी नहाकर आई तो बाथरूम का नल खुला छोड़ दिया था, जिसे  चलते वक्त किसी ने चैक नहीं किया. थोड़ी सी लापरवाही से जहां घर में रखे सामान का पानी भरने से नुकसान हुआ वहीं पानी निकालने में भी अच्छीखासी मेहनत करने पड़ी. घूमने का सारा मजा क्षणभर में ही खत्म हो गया.

ऐसी स्थिति का सामना जीवन में न ही करना पड़े इस के लिए कहीं घूमने जाने से पहले निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें ताकि वापस आने पर साफ और सुरक्षित घर देख आप की खुशियां दोगुनी हो जाएं:

– आप जहां जा रहे हैं अथवा जाना चाह रहे हैं, वहां से संबंधित आवश्यक जानकारी साथ ले कर जाएं. सारा इंतजाम पहले से समयानुसार कर लें ताकि किसी तरह की असुविधा न हो और अपनी छुट्टियां मनमाफिक तनावरहित बिता सकें.

– घर से बाहर जाने से पहले जितने भी खिड़कीदरवाजे हैं उन्हें जाली सहित बंद कर दें,

– ऐसा करने से आप के न रहने पर जहां धूलमिट्टी आने से घर गंदा नहीं होगा वहीं सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहतर रहेगा. घर के बाहर तथा पीछे की तरफ खुलने वाले दरवाजे ध्यान से बंद कर ताले लगा दें, सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर रहेगा, साथ ही किसी अन्य को न कह स्वयं ही सब नल बंद करें और वाटर सप्लाई पंप का कनैक्शन भी बंद है कि नहीं, अवश्य चैक कर लें.

– माइको सर्किट बेकर (एमसीबी), जिसे मिनिएचर सर्किट बे्रकर भी कहा जाता है, एक विद्युत सुरक्षा उपकरण है जो ओवरलोड या शौर्ट सर्किट से बचाता है. यह स्वचालित रूप से सर्किट को बंद कर देता है, जब विद्युतधारा एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है, जिस से उपकरण और तारों को नुकसान से बचाया जा सकता है. सभी विद्युत उपकरणों टीवी, कंप्यूटर आदि को अनप्लग करें व सुनिश्चित कर के ही जाएं  कि कोई भी उपकरण बिजली से जुड़ा न हो. वापस आने पर सभी उपकरणों को वापस लगा कर एमसीबी चालू करें.

– अपने घर में हर जगह सैंसर लगाएं जिन में दरवाजा सैंसर, खिड़की सैंसर और कांच तोड़ने वाले सैंसर शािमल हैं.

– सिस्टम में जो भी सुरक्षा कैमरे शािमल हैं, उन्हें अपने सामने के प्रवेशद्वार और मुख्य रहने वाले क्षेत्र जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में रखें. जब आप अपने सुरक्षा कैमरे लगाते हैं तो सुनिश्चित करें कि आप उन सभी कोनों को कवर करें जहां कोई व्यक्ति दरवाजे या खिड़की से घुसता हुआ दिखाई दे सकता है.

– कुछ अतिरिक्त कदम भी उठाए जा सकते हैं जैसेकि रात में लाइट चालू रखना, इस के अलावा रेडियो या टीवी चालू रखने के लिए टाइमर स्विच का उपयोग भी किया जा सकता है. अपने घर की देखभाल के लिए किसी भरोसेमंद व्यक्ति को कहना और उस से लगातार फोन पर संपर्क में रहना. इस से आप की घनिष्ठता को भी बढ़ावा मिलता है.

– सुरक्षा की दृष्टि से यह भी जांच करें कि अलार्म काम कर रहे हैं या नहीं, आप की सुरक्षा स्थापनाएं चुस्तदुरुस्त हैं या नहीं, आग बु झाने वाले यंत्रों में वह दबाव है जिस की उन्हें जरूरत है आदि.

– घनी, कांटेदार  झाडि़यां या हैजेज भी आप के घर में न रहने पर बाहरी व्यक्ति को अंदर आने से काफी हद तक रोकती हैं, इसलिए अपने घर के आसपास इन्हें अवश्य लगाएं. एक अहम बात कि कहीं जाने से पहले अपने कीमती सामान की तसवीरें लें और उन पर अपना पोस्टकोड और घर का नंबर लिख कर

– सुरक्षाचिह्न लगा दें. कहीं कभी आप के न रहने पर चोरी आदि हो भी जाए तो पुलिस को चोरी हुए सामान को बरामद करने मे मदद मिल सके व आप को अपना सामान वापस पाने की संभावना बढ़ सके. तसवीरें लेने से बीमा पर दावा करना भी आसान हो जाएगा.

– कहीं बाहर जाने से पहले घर में रखे नक्द रुपए व गहने लौकर में रख कर जाएं. बाहर जाने से पहले अखबार अथवा दूध से संबंधित व्यक्ति या फिर जिन का रोजाना किसी न किसी कारण घर में आनाजाना रहता हो, आवश्यकतानुसार अपने न रहने की सूचना दे दें ताकि बेवजह का आवागमन रुक सके.

– जहां तक संभव हो फर्नीचर और सजावटी सामान पर कोई कपड़ा या अखबार ढक दे, ताकि घूम कर आने के बाद सफाई करने में ज्यादा दिक्कत का सामना न करना पड़े. कमरे या रसोईघर में जो भी अलमारी या वार्डरोब है उसे भलीभांति बंद कर दें पर आप के न रहने पर कीड़ेमकोड़े उस में प्रवेश न करें. कई बार खाने के सामान अलमारी खुली रहने से छोटेछोटे कीड़े खाद्यपदार्थों में आ जाते हैं व उन्हें प्रदूषित कर देते हैं.

– फ्रिज में ऐसा कोई खाने का सामान न छोड़ कर जाएं जो आने तक खराब हो जाए. इस के अतिरिक्त ज्यादा दिन के लिए जा रहे हों तो रसोईघर में भी ऐसा कोई मसाला या खाने का सामान न छोड़ कर जाएं जो जल्दी खराब होने वाला हो. रास्ते में उपयोग आने के लिए खानेपीने का सामान व कुछ महत्त्वपूर्ण दवाइयां अवश्य साथ रख लें और जहां जा रहे हैं वहां के मौसम अनुसार कपड़ों का चयन भी सोचसम झ कर करें ताकि घूमने का बिना परेशानी भरपूर आनंद ले लिया जा सके.

– अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए सिर्फ सिस्टम और लौक के बारे में ही जानकारी पर्याप्त नहीं है वरन इस बात से भी सुरक्षा

जुड़ी होती है कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी कैसे जीते हैं? हम सभी को अपने घूमनेफिरने जाने के बारे में बताने की आदत है, लेकिन इस प्रक्रिया में हम अपराधियों को भी यह बता देते हैं कि हमारा घर खाली है. इसलिए अपन द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स और सोशल मीडिया पर अपनी प्राइवेसी सैटिंग पर नजर रखें.

– जाने से पहले घर व्यवस्थित कर ही जाएं न कि इतना अव्यवस्थित छोड़ जाएं कि आते ही आप की खुशियां घर को देख कम हो जाएं व समझ ही न सकें कि घर व्यवस्थित करना कहां से शुरू करें और कहां खत्म?

Home Security Tips

Special Recipes: ठंडी शामों का परफेक्ट स्नैक और बच्चों के लिए डेजर्ट

Special Recipes

‘तिल की चिक्की तो बहुत खा ली अब जरा यह बना कर देखें.’

तिल हौट पौट

सामग्री

– 2 आलू उबले

– 50 ग्राम नूडल्स उबले

– 50 ग्राम पत्तागोभी कद्दूकस की

– 4 बड़े चम्मच प्याज कटा

–  हरी व लाल मिर्च स्वादानुसार

– 1/2 छोटा चम्मच अमचूर

– 11/2 छोटे चम्मच कौर्नफ्लोर

– 1/4 कटोरी मैदे का घोल

– 3 कलियां लहसुन

– थोड़ा सा लाल, औरेंज कलर

– थोड़ा सा तेल तलने के लिए

– नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को कद्दूकस कर के उन में नमक, कौर्नफ्लोर, मिर्च व अमचूर डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. मैदे के घोल में कलर मिक्स कर लें. नूडल्स में प्याजलहसुन व पत्तागोभी मिला लें. हलका सा नमक व मिर्च मिला लें. 2 बड़े चम्मच पीठी हाथ पर फैला कर उस में नूडल्स मिक्सचर भर के चारों तरफ से बंद कर दें. फिर मैदे के घोल में डुबो कर पेड़े को तिल में लपेट गरम तेल में सुनहरा होने तक तल लें. इसी तरह सारे तैयार कर चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

‘अब जरा बच्चों के मन का भी कुछ हो जाए.’

क्रीमी ट्रूफल पुडिंग

सामग्री

– थोड़ा सा स्पंज केक – व्हिपिंग क्रीम – 1 कप मिक्स फू्रट केला, अनार, बब्बूगोसा,

सेब, अंगूर – थोड़ा सा वैनिला कस्टर्ड पाउडर – थोड़ा सा पीला, लाल फूड कलर

– 1 गिलास दूध  – चीनी या शहद स्वादानुसार.

विधि

दूध में  से 3-4 छोटे चम्मच दूध एक कटोरी में निकाल कर बाकी दूध एक फ्राइंगपैन में डाल कर उबलने रखें. जब दूध उबलने लगे तो आंच धीमी कर दें. कस्टर्ड पाउडर को निकाले दूध में घोल कर दूध को चलाते हुए उस में मिला दें. 5 मिनट पका कर आंच से उतार कर ठंडा होने दें. व्हिपिंग क्रीम बीट में क्रीम भर लें. अलगअलग कलर की तैयार कर लें. एक सर्विंग बाउल में स्पंज केक के टुकड़े कर के लगा लें. ऊपर से फू्रट्स सजा कस्टर्ड फैला दें. फिर अलगअलग कलर की क्रीम से सजा कर फ्रिज में चिल्ड कर सर्व करें.    Special Recipes

Winter Season: सर्दियों में जायकेदार रैसिपीज ट्राई जरूर करें

Winter Season

कौर्न कौस्तिनी

सामग्री

– 2 ब्रैड

– 2 चम्मच मक्खन

– 1 टमाटर

– 1 खीरा

– 1 कप पत्तागोभी

– 1-1 लाल, हरी व पीली शिमलामिर्च

– चाटमसाला स्वादानुसार

– 1/2 कप कौर्न उबले

– कालीमिर्च पाउडर स्वादानुसार.

विधि

धीमी आंच पर तवा गरम कर ब्रैड को सुखा लें. इस से वह कुरकुरी हो जाएगी. टमाटर के बीज निकाल कर 2 टुकड़े कर लें. पत्तागोभी और तीनों शिमलामिर्च को भी बीज निकाल कर काट लें. फ्राइंगपैन में 1/2 चम्मच मक्खन डाल कर हलका सा सौफ्ट होने पर शैलो फ्राई कर लें. ब्रैड के छोटेछोटे टुकड़े करें. इस में सारी सामग्री मिला लें. ऊपर से चाटमसाला व कालीमिर्च पाउडर बुरक तुरंत सर्व करें.

‘मिल्क, कोकोनट और क्रीम से बना यह स्वादा सभी को पसंद आएगा.’

स्वीट्स डिलाइट

सामग्री      

– 1 कप मिल्क पाउडर

– 1 कप नारियल पाउडर

–  4-5 छोटे चम्मच क्रीम

– 1 कप बूरा

–  कुछ बूंदें गुलाबजल

– थोड़ा सा लाल फूड कलर

– 10-12 काजू कटे हुए.

विधि

बूरा, मिल्क पाउडर, नारियल पाउडर और क्रीम को अच्छी तरह आटे की तरह कड़ा गूंध लें. फिर इस में से आधा अलग निकाल लें. इस में लाल कलर मिला लें. फिर गुलाबजल मिक्स कर लें. काजुओं के सफेद हिस्सों के नीचे भी और ऊपर भी पौलिथीन लगा कर लंबे डंडे की तरह उतना ही लंबा बना लें जितनी सफेद हिस्से की रोटी की चौड़ाई हो. लंबे लाल डंडे को रोटी पर रख कर रोटी में लपेट दें. अब अंदर लाल बाहर सफेद रंग का लंबा डंडा बन जाएगा. अब टुकड़े काट कर लाल रंग के हिस्से पर काजू रख कर हलका सा दबा कर चिपका दें ताकि काजू हटें नहीं. स्वीट डिलाइट तैयार है.

‘विंटर सीजन में गोंद और मखाने वाली यह रैसिपी बनाना तो बनता है.’

ड्राईफ्रूट डिलाइट

सामग्री

– 15 मखाने शैलो फ्राई किए

– गोंद फ्राई किया

– 2 बड़े चम्मच मगज भुनी

– 50 ग्राम काजूबादाम

भुने – 1/4 छोटा चम्मच सोंठ

– गुड़ स्वादानुसार

– 2 बड़े चम्मच घी

– 1 गिलास पानी

विधि

मखाने, गोंद, मगज व काजूबादाम को दरदरा पीस या कूट लें. पैन में घी गरम करें. 1 गिलास पानी में गुड़ डाल कर घुलने तक पकाएं. अब इस में सारी सामग्री डाल कर 20 मिनट धीमी आंच पर पकाएं और फिर गरमगरम सर्व करें.

‘चावल और सागूदाना से बनी स्वीट डिश बना तो देखें.’ 

बादामी चसका

सामग्री

– 50 ग्राम चावल

– 3-4 चम्मच सागूदाना

– 100 ग्राम बादाम

– थोड़ा सा गुड़

– 1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– 5-6 बूंदें केवड़ा ऐसेंस

– 1 कप मिल्क पाउडर

– 1/2 लिटर दूध

– मिस्री स्वादानुसार

– थोड़ा सा चांदी वर्क सजाने के लिए.

विधि

चावलों और सागूदाने को पानी में भिगो कर रख दें. दूध को उबलने रखें. जब वह उबलने लगे तो उस में चावल व सागूदाना डाल कर पकने दें. बादामों को पानी में भिगो दें ताकि छिलका उतार सकें. दूध उबलने लगे तो 5 मिनट के बाद सारी सामग्री मिला दें. 10 मिनट में बादामी चसका तैयार हो जाएगा. आंच बंद करने के बाद केवड़ा ऐसेंस की बूंदें डाल कर चांदी के वर्क से सजा कर गरम या ठंडा सर्व कर सकती हैं.

Drama Story: एहसास- शिखा की जिंदगी क्यों दांव पर लग चुकी थी

Drama Story: करीब 50 से ज्यादा मेहमान मेरी सहेली सीमा की शादी की दूसरी सालगिरह की पार्टी का पूरा आनंद उठा रहे थे. मैं ने फ्रैश होने की जरूरत महसूस करी तो हौल में बनी सीढि़यां चढ़ कर पहली मंजिल पर बने गैस्टरूम में आ गई.

मैं बाथरूम में घुस पाती उस से पहले ही रवि ने तेजी से कमरे में प्रवेश कर के मु झे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया. मैं बड़ी कठिनाई से अपनी चीख दबा पाई.

‘‘बड़ी देर से इंतजार कर रहा था मैं इस मौके का स्वीटहार्ट. कितनी सुंदर हो तुम शिखा,’’ बड़ी गरमगरम सांसे छोड़ते हुए उस ने मेरी गरदन पर छोटेछोटे चुंबन अंकित करने शुरू कर दिए.

उस का स्पर्श बड़ा उत्तेजक था, पर अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखते हुए मैं ने उसे डपट दिया, ‘‘पागल हो गए हो क्या. कोई देख लेगा तो गजब हो जाएगा. छोड़ो मु झे.’’

‘‘वहां कब मिलोगी जहां कोई देखने वाला नहीं होगा, मेरी जान,’’ मेरे गाल का चुंबन लेने के बाद उस ने मु झे अपनी बांहों को कैद से तो आजाद कर दिया, पर मेरा हाथ पकड़े रखा.

‘‘तुम जाओ यहां से,’’ कुछ सहज हो कर मैं मुसकरा उठी.

‘‘पहले अकेले में मिलने का पक्का वादा करो.’’

‘‘ऐसी कोई जगह नहीं है जहां हम अकेले मिल सकें.’’

‘‘है, बिलकुल है.’’

‘‘कहां?’’ मेरे मुंह से अपनेआप निकल गया.

‘‘मेरे घर वाले परसों शहर से बाहर जा रहे हैं. पूरा दिन घर खाली रहेगा. तुम्हें किसी भी तरह मु झ से मिलने आना ही पड़ेगा, शिखा.’’

‘‘मैं कोशिश करूंगी. अब तुम…’’

‘‘प्लीज, पक्का वादा करो.’’

‘‘ओके, बाबा. अब भागो यहां से.’’

कमरे से बाहर जाने से पहले रवि ने खींच कर मु झे एक बार फिर अपनी चौड़ी

छाती से चिपका लिया. मेरी आंखों और गालों को कई बार जल्दीजल्दी चूमने के बाद ही वह वहां से गया.

बाथरूम के अंदर अपनी उखड़ी गरम सांसों और दिल की बढ़ी धड़कनों को संतुलित करने में मु झे कुछ वक्त लगा. अगर मैं अपनी घर में होती तो रवि के स्पर्श सुख की कल्पना करते हुए जरूर ही फव्वारे के नीचे नहा लेती. इस वक्त वही मेरे दिलोदिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था.

रवि सीमा का देवर है. उस से मेरी अकसर मुलाकात हो जाती है क्योंकि सीमा के यहां हमारा आनाजाना बहुत है. मेरे पति अजय भी सीमा के पति नीरज के अच्छे दोस्त बन गए हैं.

रवि के पास मनमोहक बातें करने की कला है. मैं बहुत सुंदर हूं. अकसर लोगों के मुंह से मैं अपनी प्रशंसा सुनती रहती हूं, लेकिन जिस खूबसूरत अंदाज में रवि मेरे रंगरूम की तारीफ करता है, वह मेरे मन को गुदगुदा जाता है.

करीब 3 महीने पहले सीमा के प्रकाश नर्सिंगहोम में बेटा हुआ था. वहां मैं रोज ही उस से मिलने जाती थी. एक  शाम को मैं रवि की किसी बात पर खुल कर हंस रही थी जब उस ने अचानक मेरा हाथ पकड़ कर चूमा और बड़े भावुक लहजे में बोला था, ‘‘शिखा, मैं ने हमेशा तुम जैसी सुंदर, हंसमुख लड़की की हमसफर के रूप में कल्पना करी है. तुम्हारी जोड़ी अजय भैया के नहीं, बल्कि मेरे साथ जमती है.

उस वक्त सीमा बाथरूम में थी. कमरे में हम दोनों के अलावा बस नन्हा शिशु ही था. रवि ने अजय का जिक्र कर के मु झे अंदर तक बेचैन कर दिया था. अजीब सी उल झन व घबराहट का शिकार बन कर मैं कुछ भी बोल नहीं पाई थी.

तब उस ने मौके का फायदा उठा कर मु झे जल्दी से अपनी बांहों में भरा और मेरे गाल का चुम्मा ले कर शरारती अंदाज में मुसकराता हुआ कमरे से बाहर चला गया.

उस रात मैं बहुत बेचैन रही. अजय ने मु झे प्यार करना चाहा तो मैं ने तेज सिरदर्द का  झूठा बहाना बना कर उन्हें अपने से पहली बार दूर रखा. मु झे उस रात अजय का स्पर्श सुहा ही नहीं रहा था.

‘‘तुम्हारी जोड़ी अजय भैया के साथ नहीं बल्कि मेरे साथ जमती है,’’ रवि के मुंह से निकला यह वाक्य बारबार मेरे मन में गूंज कर मेरे अंदर तनाव, बेचैनी और असंतोष के भाव गहराता जा रहा था.

यह सचाई ही है कि अजय शक्लसूरत और कदकाठी के हिसाब से मेरे लिए उपयुक्त जीवनसाथी नहीं है.

‘‘हूर की बगल में लंगूर. कौए की चोंच में अनार की कली जैसे वाक्य कई बार बाहर घूमते हुए हमारे कानों में पड़ते रहे हैं.

वरमाला के समय मैं ने अपनी सहेलियों की आंखों में जबरदस्त हैरानी व सहानुभूति के मिलेजुले भाव देखे थे. मेरी सब से अच्छी सहेली निशा ने तो अफसोस भरे लहजे में विदा होने से पहले कह भी दिया था, ‘‘शिखा, तु झे यहां शादी करने से इनकार कर देना चाहिए था.’’

वैसे उसे पता था कि मैं चाह कर भी शादी करने से इनकार नहीं कर सकती थी. अपने तानाशाह पिताजी की इच्छा और आदेश के खिलाफ चूं तक की आवाज निकालने की हिम्मत भी नहीं बल्कि घर में किसी की भी नहीं थी.

उन्हीं के डर के कारण मैं ने कभी किसी लड़के को अपने करीब नहीं आने दिया था. अनगिनत आकर्षक युवकों ने मेरा दिल जीतने की पहल करी थी, पर पापा के भय के चलते मैं ने किसी से भी निकटता बढ़ने नहीं दी थी.

कालेज की सब से खूबसूरत लड़की को वे सब हताश युवक लैस्बियन मानने लगे थे. मेरे सपने बड़े रोमांटिक होते, पर असलियत में किसी युवक के साथ अकेले में बात करते हुए मेरे हाथपैर पापा के गुस्से की कल्पना कर फूलने लगते थे.

अजय की नौकरी बहुत अच्छी थी. अपनी बेटी को इज्जतदार घर की बहू बनाने का फैसला पापा ने अकेले ही लिया था. अजय की शक्लसूरत को छोड़ कर सबकुछ बहुत अच्छा था. पापा के फैसले का विरोध कोई कर ही नहीं सकता था, सो 10 महीने पहले मैं अजय की दुलहन बन कर ससुराल आई थी.

अजय की आंखों में मैं ने सुहागरात के दिन अपने लिए गहरे प्यार के भाव देखे थे, ‘‘शिखा, तुम जैसी सुंदर लड़की का पति बनने की तो मैं ने सपने में भी कभी उम्मीद नहीं की थी. तुम्हें पा कर मैं संसार का सब से खुशहाल इंसान बन गया हूं.’’

अजय के प्यार ने उसी पल से मेरा दिल जीत लिया था. वे दिल के बड़े अच्छे इंसान निकले. मेरी इच्छाओं व खुशियों का हमेशा ध्यान रखते.

बस कभीकभी लोगों की बातें मन को दुखी व परेशान कर जातीं. जिस भी परिचित या रिश्तेदार को मौका मिलता, वह हंसीमजाक करने के बहाने हम दोनों के रंगरूम की तुलना करने से चूकता नहीं था.

इस का नतीजा यह रहा कि अजय का रंगरूम से आकर्षक न होने का सत्य मेरा मन भूल नहीं पाता था. यह बात फांस सी बन कर मेरे मन में चुभती ही रहती थी. उन के बाकी सब गुणों पर यही एक कमी कभीकभी भारी पड़ कर मु झे बहुत परेशान कर जाती थी.

दूसरी तरफ रवि किसी फिल्म स्टार सा सुंदर और आकर्षक था. उस की आंखों में अपने लिए मैं ने चाहत के भाव पढ़े, तो यह मेरे दिल को बहुत अच्छा लगा था.

न जाने कब मैं रवि के सपने देखने लगी थी. हमारे मिलनेजुलने पर कोई रोकटोक नहीं थी. मैं जब चाहे सीमा से मिलने के बहाने उस के घर जा सकती थी. उस के सासससुर व पति को कभी रत्तीभर शक हम दोनों पर नहीं हुआ था.

परसों वे सब नीरज की मौसी के घर मेरठ जा रहे थे. उन के पोते की पहली

सालगिरह का समारोह था. यह बात मु झे सीमा से पहले ही मालूम पड़ गई थी.

‘क्या मैं अकेले घर में परसों रवि से मिलने आऊंगी.’ अपने मन से मैं ने यह सवाल गुसलखाने में कई बार पूछा और मेरे मन की गुदगुदी व उत्तेजना से बढ़ी धड़कनों ने हर बार जवाब ‘हां’ में दिया.

हाथमुंह धोने के बाद मैं ने अपने बाल व लिपस्टिक ठीक की और रवि के स्पर्श को अब भी अपने बदन पर महसूस करती सीमा के गैस्टरूम के गुसलखाने से बाहर आ गई.

गुसलखाने का दरवाजा खोल कर मैं कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ी तो अचानक मेरा ध्यान कमरे से जुड़ी बालकनी की तरफ गया.

जब मैं अंदर आई थी, तब भी बालकनी में खुलने वाला दरवाजा खुला था, यह मु झे याद आ गया, लेकिन इस बार मैं ने जब उस तरफ देखा, तो वहां बालकनी में अपने पति को खड़ा पाया.

अजय की पीठ मेरी तरफ थी. मु झे पता नहीं था कि वे कब से वहां मौजूद हैं. वैसे जब मैं हौल से यहां गैस्टरूम में करीब 10 मिनट पहले आई थी, तब मैं ने उन्हें हौल में नहीं देखा था.

‘क्या रवि और मु झे उन्होंने कमरे में साथसाथ देखा है?’ इस सवाल ने हथौड़े की

तरह से मेरे मन पर चोट करी और मैं बेहद डरीघबराई सी हौल की तरफ चलती चली गई. अपने पति का सामना करने की मेरी बिलकुल हिम्मत नहीं हुई.

पार्टी की सारी रौनक और मौजमस्ती इस पल के बाद मेरे लिए बिलकुल खत्म हो गई. रवि ने मेरी आंखों से आंखें मिलाने की कोशिश कई बार करी, पर इस वक्त तो वे मु झे जहर नजर आ रहा था.

‘अजय ने हमें साथसाथ देखा है या नहीं’ मेरे मन में तो बस यही एक सवाल हड़कंप सा मचाए जा रहा था.मेरी नजरें सीढि़यों की तरफ बारबार उठ जातीं. अजय के हावभाव देखने को मेरा मन बेचैन होने के साथसाथ अजीब सा डर भी महसूस कर रहा था. तभी रवि को अपनी तरफ बढ़ते देख कर मैं ने अपना मुंह फेर लिया.

उस ने पास आ कर मु झ से कुछ कहने को मुंह खोला ही था कि मैं ने दबे पर गुस्से से कांपते स्वर में कहा, ‘‘मु झ से दूर रहो तुम.’’

‘‘क्या हुआ है शिखा?’’ मेरी ऐसी प्रतिक्रिया देख वह जोर से चौंक पड़ा.

‘‘मर गई शिखा. बात मत करना तुम कभी मु झ से,’’ उसे यों चेतावनी दे कर मैं अपनी कुछ परिचित महिलाओं की तरफ  झटके से चल पड़ी.

‘अजय ने अगर मु झे रवि की बांहों में बंधे देख लिया होगा और हमारी बातें सुन ली होंगी, तो क्या होगा’ इस सवाल के मन में उठते ही मेरे ठंडे पसीने छूट जाते.

अजय को करीब 15 मिनट बाद मैं ने सीढि़यों से नीचे आते देखा. उन्होंने गरदन घुमा कर मु झे ढूंढ़ा और मेरी तरफ बढ़ चले.

वे मु झे देख कर मुसकराए नहीं, तो मेरा मन बैठ सा गया. अपराधबोध की एक तेज लहर मेरे अंदर उठ कर मु झे जबरदस्त डर और तनाव का शिकार बना गई.

‘‘तुम ने खाना खा लिया है?’’ अजय ने पास आ कर सुस्त से स्वर में पूछा.

‘‘नहीं,’’ मैं उन के मुर झाए चेहरे की तरफ बड़ी कठिनाई से ही देख पा रही थी.

‘‘तुम जल्दी से खाना खा लो. फिर घर चलेंगे.’’

‘‘आप की तबीयत ठीक नहीं है क्या?’’ इस सवाल को पूछते हुए मेरी जान खूख हो रही थी.

‘‘सिर में तेज दर्द है. मैं कुछ नहीं खाऊंगा,’’ कह कर वे थके से मेरे पास से हटे और कोने में पड़ी एक कुरसी पर आंखें मूंद कर बैठ गए. मैं ने नाम के लिए अपनी प्लेट में थोड़ा सा खाना परोसा पर वह भी मेरे गले से नीचे नहीं उतरा. बारबार मेरी नजर अजय की तरफ उठ जाती. वे आंखें मूंदे ही बैठे रहे. उन के मन में क्या चल रहा है, यह जानने को मैं मरी जा रही थी, पर सवाल पूछ कर उन के मनोभावों को जानने की हिम्मत मुझ में बिलकुल नहीं थी.

हम दोनों करीब पौने घंटे बाद सीमा और नीरज से विदा ले कर घर लौट आए. मेरे खराब मूड को पहचान कर रवि मेरे निकट नहीं आया, तो मैं ने मन ही मन बड़ी राहत महसूस करी. अजय कपड़े बदल कर पलंग पर लेट गए थे. कमरे की रोशनी भी उन्होंने बु झा रखी थी. उन के चेहरे के भावों को न देख पाने के कारण मेरे मन की उल झन, परेशानी और तनाव बढ़ता जा रहा था.

‘‘मैं सिर दबा दूं? बाम लगा दूं?’’ इन सवालों को अजय से पूछते हुए मु झे अपनी आवाज असहज और बनावटी सी लगी.

‘‘नहीं, मैं ने दर्द के लिए गोली खा ली है,’’ उन्होंने थके से स्वर में जवाब दिया और फिर तकिया मुंह पर रख आगे न बोलने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी.

अजय ने रवि और मु झे साथसाथ गैस्टरूम में देखा था या नहीं यह सस्पैंस मु झे मारे जा रहा था. जब मन सोचता कि उन्होंने मु झे रवि के साथ देखा है, तो मैं अपराधबोध, आत्मग्लानि और शर्मिंदगी के भावों से खुद को जमीन में गड़ता सा महसूस करती.

उन्होंने कुछ नहीं देखा है, मन ऐेसे भी सोचता, लेकिन यह विचार ज्यादा देर रुकता नहीं था. अजय की खामोशी मेरे मन को सब बुराबुरा ही सोचने में सहायक हो रही थी. अजय को यों तेज सिरदर्द पहले भी हो जाता था. तब मैं बड़े अधिकार से उन का सिर दबा देती थी. उन से लिपट कर सोने की भी मु झे आदत है, लेकिन उस रात ऐसा कुछ भी करने की हिम्मत मु झ में पैदा नहीं हो सकी.

‘‘तुम धोखेबाज और चरित्रहीन स्त्री हो,’’ अजय के मुंह से ऐसे शब्दों को सुनने का भय मु झे उन के नजदीक आने से रोक रहा था.

वे तो कुछ देर बाद सो गए, पर मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी. मैं अपने को खूब कोस रही थी. बारबार रो पड़ने का दिल करता.

कभी अजय से माफी मांगने का दिल करता, पर फिर मैं खुद को रोक लेती. अगर उन्होंने कुछ देखा नहीं, तो बेकार रवि से अपने संबंध की जानकारी उन्हें देना मूर्खतापूर्ण होता.

वह सारी रात मैं ने करवटें बदलते हुए गुजारी. सुबह मेरे सिर में तेज दर्द हो रहा था. अजय मु झ से सहज हो कर वार्त्तालाप नहीं कर रहे थे. मैं अपने अंदर उन से आंखें मिला कर कुछ भी कहनेसुनने का साहस नहीं पैदा कर पा रही थी. औफिस जाते हुए उन्होंने हमेशा की तरह मु झे गले से नहीं लगाया, तो मेरा यह शक बड़ी हद तक विश्वास में बदल गया कि पिछली रात उन्होंने रवि और मु झे कमरे में बालकनी से जरूर देख लिया था.

उन्हें विदा कर मैं शयनकक्ष में आ कर पलंग पर गिर पड़ी. रातभर मेरे अंदर पैदा हुए अपराधबोध, तनाव, डर, अनिश्चितता जैसे भावों ने अचानक मु झ पर हावी हो मु झे रुला डाला.

मैं खुद से बेहद खफा थी. रवि की बातों के जाल में फंस कर मैं ने अपने अच्छेखासे विवाहित जीवन की खुशियां और सुखशांति नष्ट कर ली थी. अजय की नजरों में हमेशा के लिए गिर जाने का एहसास मेरे मन को बुरी तरह कचोट रहा था.

शाम को अजय औफिस से लौटे, तो भी सुस्त और मुर झाए से दिख रहे थे. कुछ वार्त्तालाप हमारे बीच हुआ, पर उस में सहज आत्मीयता का अभाव मु झे साफ खल रहा था.

मैं चाहती हूं कि अब एक बार सारा मामला साफ हो जाए. उन्होंने रवि और मु झे साथसाथ देखा है, तो वे मु झे खूब डांटें, मारें और शर्मिंदा करें. दूसरी तरफ वे अगर बालकनी में बाद में आए थे, तो किसी तरह से यह बात मु झे मालूम पड़नी ही चाहिए. तब मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ उन के संग अपने संबंध सहज व प्रेमपूर्ण बना लूंगी.

इस मामले को ले कर बना सस्पैंस मु झे मारे जा रहा है. अजय की नजरों में मैं चरित्रहीन साबित हो चुकी हूं, इस बात का अंदेशा भी मु झे मारे शर्म के जमीन में गाड़े दे रहा था.

रवि जैसा प्रेमी मेरे जीवन में कभी नहीं आएगा, यह सबक मैं ने हमेशा के लिए सीख लिया है. ऐसा गलत कदम उठाना मेरे बस की बात नहीं है. मुझे एहसास हो चुका है कि अपने पति की नजरों में गिर कर जीना जीते जी नर्क भोगने जैसा है. खेलखेल में आपसी प्रेम व विश्वास को खो देने की नौबत मेरे जीवन में फिर कभी नहीं आएगी.

Drama Story

Best Hindi Story: बेकरी की यादें- काम शुरु करने पर क्या हुआ दीप्ति के साथ

Best Hindi Story: मिहिरऔर दीप्ति की शादी को 2 साल हो गए थे, दोनों बेहद खुश थे. अभी वे नई शादी की खुमारी से उभर ही रहे थे कि मिहिर को कैलिफोर्निया की एक कंपनी में 5 सालों के लिए नियुक्ति मिल गई. दोनों ने खुशीखुशी इस बदलाव को स्वीकार कर लिया और फिर कैलिफोर्निया पहुंच गए.

दीप्ति को शुरूशुरू में बहुत अच्छा लगा. सब काम अपने आप करना, किसी तीसरे का आसपास न होना… सुबह उठ कर चाय के साथ ही वह नाश्ता और लंच बना लेती. फिर जैसे ही मिहिर दफ्तर जाता वह बरतन साफ कर लेती. बिस्तर ठीक कर के नहाधो लेती, इस के बाद सारा दिन अपना. अकेले बाजार जाना और पार्क के चक्कर लगाना, यही उस का नियम था. अब वह पैंट, स्कर्ट और स्लीवलैस कमीज पहनती तो अपनी तसवीरें फेसबुक पर जरूर डालती और पूरा दिन फेसबुक पर चैक करती रहती कि किस ने उसे लाइक या कमैंट किया है. 100-200 लाइक्स देख कर अपने जीवन के  इस आधुनिक बदलाव से निहाल हो उठती.

मगर यह जिंदगी भी चंद दिनों तक ही मजेदार लगती है. कुछ ही दिनों में यही रूटीन वाली जिंदगी उबाऊ हो जाती है, क्योंकि इस में हासिल करने को कुछ नहीं होता. दीप्ति के साथ भी ऐसा ही हुआ, फिर उस ने कुछ देशी लोगों से भी दोस्ती कर ली.

अब भारतीय तो हर जगह होते हैं और फिर इस अपरिचित वातावरण में परिचय की गांठ लगाना कौन सी बड़ी बात थी. घर के आसपास टहलते हुए ही काफी लोग मिल जाते हैं. दीप्ति ने उन्हीं लोगों के साथ मौल जाना, घूमनाफिरना शुरू कर दिया.

यूट्यूब देख कर कुछ नए व्यंजन बना कर वह अपने दिन काटने लगी, लेकिन जैसेजैसे मिहिर अपने काम में व्यस्त होता गया, वैसेवैसे दीप्ति का सूनापन भी बढ़ता गया. उसे अब भारत की बहुत याद आने लगी. वह परिवार के साथ रहने का सुख याद कर के और भी अकेला महसूस करने लगी.

एक दिन उस ने बैठेबैठे सोचा कि अब उसे कुछ काम करना चाहिए. काम करने का उसे परमिट मिला हुआ था. अत: कई जगह आवेदन कर दिया. राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री लिए हुए दीप्ति कई जगह भटकी. औनलाइन भी आवेदन किया, लेकिन कहीं से भी कोई जवाब नहीं आया. उस की बेचैनी बहुत बढ़ने लगी. वह किसी दफ्तर में डाटा ऐंट्री का काम करने को भी तैयार थी, लेकिन काम का कोई अनुभव न होने के कारण कहीं काम नहीं बना.

एक दिन पास की ग्रोसरी में शौपिंग करते हुए उस ने देखा कि बेकरी में एक जगह खाली है. उस ने वहीं खड़ेखड़े आवेदन कर दिया. 2 दिन बाद उस का इंटरव्यू हुआ. इंग्लिश उस की बहुत अच्छी नहीं थी. बस कामचलाऊ थी. लेकिन उस का इंटरव्यू ठीकठाक हुआ, क्योंकि उस में बोलना कम और सुनना अधिक था.

बेकरी के मैनेजर ने कहा, ‘‘तुम यहां काम कर सकती हो, लेकिन बेकरी में काम करने के लिए नाक की लौंग और मंगलसूत्र उतारना पड़ेगा, क्योंकि साफसफाई के नजरिए से यह बहुत जरूरी है.’’

दीप्ति को यह बहुत नागवार लगा. उस ने सोचा कि अगर ये लोग दूसरों की संस्कृति और भावनाओं का खयाल करते तो वह ऐसा न कहता. क्या मेरे मंगलसूत्र और लौंग में गंद भरा है, जो उड़ कर इन के खाने में चला जाएगा? फिर खुद को नियंत्रित करते हुए उस ने कहा कि वह सोच कर बताएगी.

मिहिर से पूछा तो उस ने कहा, ‘‘जो तुम ठीक समझो, करो. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. बस शाम को मेरे आने से पहले घर वापस आ जाया करना.’’

दीप्ति ने वहां नौकरी शुरू कर दी. नाक की लौंग तो उस ने बहुत पीड़ा के साथ उतार दी. अभी शादी के कुछ दिन पहले ही उस ने नाक छिदवाई थी और बड़ी मुश्किल से वह लौंग नाक में फिट हुईर् थी, लेकिन मंगलसूत्र नहीं उतार पाई, इसलिए कमीज के बटन गले तक बंद कर के रखती ताकि वह दिखे न. पहले दिन वह बहुत खुशीखुशी बेकरी पर गई. वहां जा कर उस ने बेकरी का ऐप्रन पहन लिया.

मैनेजर ने पूछा, ‘‘क्या पहले कभी काम किया है?’’

‘‘नहीं, लेकिन मैं कोई भी काम कर सकती हूं.’’

मैनेजर ने हंसते हुए कहा, ‘‘ठीक है अभी सिर्फ देखो और काम समझो… कुछ दिन सिर्फ बरतन ही धोओ.’’

दीप्ति ने देखा बड़ीबड़ी ट्रे धोने के लिए रखी थीं. उस ने सब धो दीं. जब मैनेजर ने देखा कि वह खाली खड़ी है तो कहा, ‘‘जाओ और बिस्कुट के डब्बे बाहर डिसप्ले में लगाओ, लेकिन पहले सभी मेजों को साफ कर देना,’’ और उस ने आंखों के इशारे से मेज साफ करने का सामान उसे दिखा दिया.

4 घंटों तक यही काम करतेकरते दीप्ति को ऊब होने लगी. लेकिन मन में कुछ संतुष्टि थी.

दीप्ति को वहां काम करना ठीकठाक ही लगा. काम करने से एक तो यहां की दुकानों के बारे में और जानकारी मिली वहीं बेकिंग के कुछ राज भी उस के हाथ लग गए. लेकिन उस के मन में बेकरी पर नौकरी करना एक निचते दर्जे का काम था. उस की जाति और खानदान के संस्कार उसे यह करने से रोक रहे थे.

वह इस काम के बारे में अपने घर या ससुराल में शर्म के मारे कुछ नहीं बता पाई. उस के लिए यह कोई इज्जत की नौकरी तो थी नहीं.

खैर, वह कुछ भी सोचे लेकिन काम तो वह बेकरी पर ही कर रही थी और उस में मुख्य काम था हर ग्राहक का अभिवादन करना और सैंपल चखने के लिए प्रेरित करना. दूसरा काम था ब्रैड और बिस्कुट को गिन कर डब्बों में भरना और बेकरी के बरतनों को धोना.

धीरेधीरे उस ने महसूस किया कि वहां भी प्रतिद्वंद्विता की होड़ थी, एकदूसरे की चुगली की जाती थी. परनिंदा में परम आनंद का अनुभव किया जाता था. लगभग 50 फीसदी बेकरी पर काम करने वाले लोग मैक्सिकन थे जो सिर्फ स्पैनिश में पटरपटर करते थे. दीप्ति उन की बातों का हिस्सा नहीं बन पाती.

बरहाल दीप्ति को बिस्कुट भरने में मजा आता, लेकिन बरतन धोने में बहुत शर्म आती. उसे अपना घर याद आता. उस ने भारत में कभी बरतन नहीं धोए थे. कामवाली या मां सब काम करती थीं. अब यहां बरतन धोते हुए उसे लगता उस का दर्जा कम हो गया है.

एक दिन वहां काम करने वाली एक महिला ने उसे झाड़ू लगाने का आदेश दिया. पहले तो दीप्ति ने कुछ ऐसा भाव दिखाया कि बात उस की समझ में नहीं आई, लेकिन वह महिला तो उस के पीछे ही पड़ गई.

दीप्ति ने मन कड़ा कर के कहा, ‘‘दिस इज नौट माई जौब.’’

यह सुनते ही वह मैनेजर के पास गई और उस की शिकायत करनी लगी. दीप्ति ने भी सोचा कि जो करना है कर ले.

शाम को जब दीप्ति बरतन धो रही थी तो एक देशी आंटी पीछे आ कर खड़ी हो गईं और उसे पुकारने लगीं. उस ने अपनी कनखियों से पहले ही उसे आते देख लिया था. अब जानबूझ कर पीछे नहीं मुड़ रही थी. आंटी भी तोते की तरह ऐक्सक्यूज मी की रट लगाए खड़ी थीं, वहां कोई नहीं था सिवाए रौबर्ट के, जो बिस्कुट बना रहा था.

आखिर रौबर्ट ने भी दीप्ति को पुकार कर कहा, ‘‘जा कर देखो कस्टमर को क्या चाहिए.’’

हार कर दीप्ति को अपना न सुनने का अभिनय बंद कर के काउंटर पर आना पड़ा. बातचीत शुरू हुई. बिस्कुट के दाम से और ले गई फिर वही कि तुम कहां से हो? तुम्हारे घर में कौनकौन है? यहां कब आई? पति क्या करते हैं? हिचकिचाते हुए उसे प्रश्नों के उत्तर देने पड़े जैसे यह भी उस के काम का हिस्सा हो.

खैर, आंटी ने कुछ बिस्कुट के सैंपल खाए और बिना कुछ खरीदे खिसक गई.

अभी दीप्ति आंटी के सवालों और जवाबों से उभरी ही थी कि बेकरी का फोन घनघना उठा. रिसीवर उसी को उठाना पड़ा. फोन पर लग रहा था कि कोई बूढ़ी महिला केक का और्डर देना चाह रही है. जैसे ही दीप्ति ने थोड़ी देर बात की, बूढ़ी महिला ने कहा, ‘‘कैन यू गिव द फोन टू समबौडी हू स्पीक्स इंग्लिश?’’

दीप्ति को काटो तो खून नहीं. इस का मतलब क्या? क्या वह अब तक उस से इंग्लिश में बात नहीं कर रही थी? उस ने पहले कभी इंग्लिश को ले कर इतना अपमानित महसूस नहीं किया था. इतनी तहजीब और सब्र से वह ‘मैडममैडम’ कह कर बात कर रही थी.

लेकिन उस का उच्चारण बता देता है कि इंग्लिश उस की भाषा नहीं है. उसे बहुत कोफ्त हुई, उस ने रौबर्ट को बुलाया और रिसीवर उस के हवाले कर दिया और कहा, ‘‘आई विल नौट वर्क हियर एनीमोर.’’

इस के बाद दनदनाती हुई वह अपना बेकरी का ऐप्रन उतार कर समय से पहले ही बेकरी से बाहर निकल आई. अगर वह न जाती तो उस की आंखों के आंसू वहीं छलछला पड़ते.

घर जा कर दीप्ति खूब रोई. पति के सामने अपना गुबार निकाला. पति ने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बस इतने में ही डर गई. अरे, अपनी भाषा का हम ही आदर नहीं करते, लेकिन अन्य लोग तो अपनी भाषा ही पसंद करते हैं और वह भी सही उच्चारण के साथ.

‘‘जिस इंग्लिश की हम भारत में पूजा करते हैं वह हमें देती क्या है और इस बात को भी समझो कि सभी लोग एकजैसे नहीं होते. शायद उस औरत को विदेशी लोग पसंद न हों.

‘‘भाषा तो सिर्फ अपनी बात दूसरे तक पहुंचाने का माध्यम है. तुम ने कोशिश की. तुम इतना निराश मत हो. ये सब तो विदेश में होता ही रहता है.’’

मिहिर की बातों का दीप्ति पर असर यह हुआ कि अगले दिन वह समय पर अपना ऐप्रन पहन कर बेकरी के काम में लग गई जैसे कुछ हुआ ही न हो. किसी ने भी उस से सवालजवाब नहीं किया. अब उसे लगा कि वह किसी से नहीं डरती. अपने अहं को दरकिनार कर उस ने नए सिरे से काम शुरू कर दिया. उस ने अपने काम को पूरे दिल से अपना लिया. अपनी मेहनत पर उसे गर्व महसूस होने लगा.

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Family Kahani: आत्मबोध- क्या हुआ था सुनिधि के साथ

Family Kahani: ‘‘सनी,मेरे पापा मेरी शादी की जल्दी कर रहे हैं,’’ सुनिधि कालेज कंपाउंड में घूमते हुए अपने बौयफ्रैंड से बोली.

‘‘तो इस में कौन सी बड़ी बात है? हर बाप पैदा होते ही अपनी लड़की की शादी कर देना चाहता है,’’ सनी लापरवाही से बोला.

‘‘तुम समझे नहीं. वे मेरी पंसद के नहीं अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहते हैं,’’ सुनिधि कुछ तनाव में बोली.

‘‘जाहिर है, घर के मुखिया वे हैं तो उन की पसंद ही चलेगी न?’’ सनी उसी अंदाज में बोला.

‘‘सुनिधि, देखो अभी मेरे परिवार के साथ कई समस्याए हैं. पहली तो पापा की फैक्टरी उस हिसाब से नहीं चल रही जिस हिसाब से चलनी चाहिए. दूसरे मुझ से बड़ी 2 बहनें हैं जिन की शादी करनी है. अगर दोनों की शादी एकसाथ भी कर दें तो भी कम से कम 3 साल तो लगेंगे ही और उस के बाद 2 साल यानी 5 साल तक तो तुम्हे इंतजार करना ही पड़ेगा,’’ सनी बोला.

‘‘5 साल तक तो शायद पिताजी इंतजार न कर पाएं, क्योंकि 6 बहनों में मैं सब छोटी हूं. बाकी 5 बहनों की शादी वे कर चुके हैं. मेरी शादी कर के वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री करना चाहते हैं. मां तो बचपन से है नहीं, पिताजी को भी एक अटैक आ चुका है. इसी कारण जल्दी मचा रहे हैं,’’ सुनिधि बोली.

‘‘तब तो तुम्हें अपने पिता की इच्छा का सम्मान करना ही चाहिए, क्योंकि मेरी समस्या तो 5 साल से अधिक भी चल सकती है,’’ सनी सुनिधि को समझाते हुए बोला.

‘‘मैं जानती हूं सनी, मगर डर इस बात का है कि शादी के बाद मेरे पति को यदि हमारे संबंधों के बारे में पता चल गया तो क्या होगा? हम लोग गलती तो कर ही चुके हैं,’’ सुनिधि तनिक भयभीत स्वर में बोली.

‘‘देखो सुनिधि डरो मत. जब तक तुम खुद अपने मुंह से नहीं बताओगी किसी को कुछ मालूम नहीं पड़ेगा. विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस तरह की चीजें कभी भी नष्ट हो सकती हैं. किसी भी अप्रिय स्थिति में तुम विज्ञान की इन बातों का सहारा ले सकती हो,’’ सनी ने रास्ता सुझाया.

न चाहते हुए भी पारिवारिक स्थितियों से समझौता करते हुए सुनिधि ने शादी के लिए स्वीकृति दे दी.

सुनील की शादी के समय उस के

मातापिता ने सोचा था सुनिधि 6 बहनों में सब से छोटी और बिन मां की बच्ची है, इसलिए संयुक्त परिवार में अच्छी तरह रहेगी. इसीलिए उन्होंने इसे अपनी बहू के रूप में चुना था. सुनील का परिवार वैसे बहुत बड़ा नहीं था. मातापिता के अलावा एक छोटा भाई ही था. पिता बैंक में नौकरी करते हैं तथा छोटे भाई का अपना बिजनैस है. सुनील खुद एक प्राइवेट फैक्टरी में मैकैनिकल इंजीनियर है.

सुनिधि के परिवार में पिता और कुल 6 बहनों व 1 छोटे भाई के साथ 8 लोग थे. भाई के जन्म के कुछ समय बाद मां का निधन हो गया था. पिता का रैडीमेड कपड़ों का छोटामोटा व्यवसाय था. दूसरी तरफ सुनील का परिवार अपेक्षाकृत छोटा था तथा बेटी न होने के कारण सुनील की मां ऐसी लड़की चाहती थी जो परिवार के महत्त्व को जानती हो. सासससुर और देवर के साथ परिवार को जोड़ कर रखे. कई भाईबहनों के बीच रहने और मां न होने के कारण सुनिधि इन सब मानदंडों पर खरी उतरती थी.

शादी के बाद सुनिधि का नए घर में शानदार स्वागत हुआ. शादी के बाद 2 महीनों तक सुनिधि को सब बहुत अच्छा लगा. फिर धीरेधीरे उस की भावनाओं ने जन्म लेना प्रारंभ किया. पिता के घर अभावों और दबावों के बीच पत्नी सुनिधि को अपने स्वतंत्र होने का एहसास होने लगा. अब उसे सास की कोईर् भी बात, सलाह या निर्देश अपनी निजी जिंदगी में दखल लगने लगा. सुनिधि को दिनभर साड़ी पहनना और संभालना भी बहुत भारी लगता. यद्यपि सुनिधि अपने साथ कई सलवार सूट लाई थी, किंतु छोटी जगह होने के कारण उसे पहनने की अनुमति नहीं थी.

‘‘अभी नईनई शादी है. मिलने, देखने के लिए कई लोग आ सकते हैं. ऐसे में तुम्हारा साड़ी के अलावा कोईर् और ड्रैस पहनना उचित नहीं होगा,’’ सुनिधि के पूछने पर सास ने जवाब दिया.

‘तब तक तो इन कपड़ों का फैशन ही चला जाएगा और मेरी शादी भी पुरानी हो जाएगी तब इन भारीभारी कपड़ों को कौन पहनेगा?’ कुढ़ती हुई सुनिधि मन ही मन बोली. फिल्मों में देर रात वाले शो देखने पर भी प्रतिबंध था. सुनिधि को यह भी लगता था कि मातापिता के साथ रहने के कारण सुनील उसे पर्याप्त समय नहीं दे पाता.

यहां पर ‘करेला और वह भी नीम चढ़ा वाली’ कहावत चरितार्थ हो रही थी. सनी की छवि दिल में बसाए सुनिधि सुनील को दिल से स्वीकार न कर सकी थी. ऊपर से सास के निर्देश उसे कलेजे में छुरी के समान चुभते थे. वैसे भी

6 बहनों में सब से छोटी होने के कारण सभी से आदेशित होती रहती थी और अपनेआप को उपेक्षित सा महसूस करती थी. इसी कारण उसे संयुक्त परिवार से चिढ़ सी हो गईर् थी.

यही सोच कर एक दिन सुनिधि सुनील से बोली, ‘‘यदि तुम नौकरी बदलते हो तो कितना पैसा बढ़ जाएगा?’’

‘‘लगभग 25-30%.’’ सुनील ने जवाब दिया.

‘‘तो कोशिश करो न नौकरी बदलने की,’’ सुनिधि ने कहा.

‘‘क्यों यहां क्या परेशानी है?’’ सुनील ने पूछा.

‘‘परेशानी कुछ नहीं, परंतु अपना पैसा अपना होता है. फिर कुछ समय बाद अपना परिवार भी बढ़ेगा ही. मेरी भी कई तरह की इच्छाएं हैं कि मैं तुम्हें अलगअलग तरह का खाना बना कर खिलाऊं. क्या जिंदगीभर ऐसा ही बिना रस वाला खाना खाते रहोगे?’’ सुनिधि अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए बोली.

पहली बार तो सुनील ने इसे हंसी में टाल दिया था, किंतु जब रोजरोज इस

तरह की बातें होने लगीं तो उस ने इसे गंभीरता से लिया. एक दिन सुनिधि उस से बोली, ‘‘यदि तुम्हें आवेदन करने में कोई परेशानी आ रही हो तो मुझे बताओ… मेरे कालेज के एक मित्र सनी की फैक्टरी उसी इंडस्ट्रियल एरिया में है. वह कोशिश कर के किसी अच्छी फैक्टरी में तुम्हारी जौब लगवा देगा?’’

सुनील ने आसपास के शहरों की फैक्टरियों में आवेदन देना आरंभ किया. अच्छा कार्यानुभव होने के कारण उसे अपने शहर से 50 किलोमीटर दूर ही अच्छी नौकरी भी मिल गई. वेतन बढ़ोतरी तो थी ही.

उसी शहर में होने के कारण सुनिधि व सनी फिर से मिलने लगे. कई बार सनी के बुलाने पर सुनिधि उस के साथ होटल के कमरों में भी गई. लगभग वर्षभर के अंतराल के बाद सुनिधि गर्भवती हो गई. यह बच्चा सुनील का ही था, क्योंकि सनी तो अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरतता था. यद्यपि अपने पे्रम का सच्चा एहसास दिलवाने के लिए सनी यह जरूर कहता कि मौका पड़ने पर वह अपने खून का एक-एक कतरा तक उसे दे देगा.

इन सब के बीच सुनिधि गर्भवती भी हो गई और उस ने सुयश को जन्म भी दे दिया. सुयश के जन्म के बाद सुनिधि ससुराल से सुनील के साथ आ गई. यद्यपि सास ने बहुत आग्रह किया. सुनील को भी समझाया, किंतु सुनिधि अपने निर्णय पर अडिग रही.

नए शहर में आते ही सुनिधि ने अपने पासपड़ोसियों से अच्छे संबंध बना लिए. सभी छोटीमोटी जरूरतों के समय अच्छे तालमेल के साथ एकदूसरे का साथ देते. इन्हीं बेहतर रिश्तों के दम पर सुनिधि इतना आश्वस्त थी कि जरूरत पड़ने पर उसे अपनी ससुराल वालों की मदद की कतई आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

अलग रहतेरहते सुनिधि की सेहत भी कुछ ठीक हो गई तथा चेहरे की रंगत भी खिल गई. यद्यपि ससुरजी हफ्ते 2 हफ्ते में सुयश से मिलने जरूर आते थे. शुरुआत में कुछ दिन सास भी आईं, किंतु शायद वे यह समझ चुकी थीं कि उन का आना सुनिधि को पसंद नहीं आता. अत: उन्होंने स्वयं ही आना कम कर दिया.

समय की अपनी रफ्तार है. आज सुयश का 5वां जन्मदिन है. इस उपलक्ष्य में शाम

को बच्चों की पार्टी का आयोजन किया गया था.

सुनील केक और मिठाई ले कर अपनी बाइक से लौट रहा था. हलकी बारिश के कारण सड़क पर फिसलन बढ़ गई थी और इसी कारण सड़क से टर्न लेते समय सुनील की बाइक स्लिप हो गई. यह सब इतना अचानक हुआ कि सामने से आती हुई तेज कार को संभलने का मौका ही नहीं मिला और उस ने गिर कर उठते हुए सुनील को टक्कर मार दी. सुनील के सिर में गहरी चोट लगी और उसे तुरंत आईसीयू में भरती करना पड़ा.

इस स्थिति में सुनिधि को सब से पहले याद सनी की आई. उस ने घबरा कर सनी को फोन किया. असमय फोन आते ही सनी समझ गया कि सुनिधि किसी मुसीबत में है.

‘‘हैलो सनी, सुनील का गंभीर ऐक्सीडैंट हो गया है,’’ सुनिधि ने घबराए स्वर में कहा.

‘‘तो मैं क्या करूं?’’ सनी ने रूखा सा जवाब दिया.

‘‘मुझे क्व2 लाख की सख्त जरूरत है. तुरंत ले कर अस्पताल आ जाओ,’’ सुनिधि ने सुबकते हुए कहा.

‘‘हम रईस हैं और रईसों के 2 ही शौक होते हैं शराब और शबाब. वह रईस ही क्या जिस की 2-4 रखैल न हों. हर रखैल पर इस तरह लाखों लुटाता रहा तो रईस एक दिन तो भिखारी ही बन जाऊंगा न?’’ कहते हुए सनी ने फोन काट दिया.

सुनील के मातापिता और छोटा भाई तुरंत पहुंच गए. सुनिधि तो बेसुध सी हो गई थी. पासपड़ोसियों ने तात्कालिक सहायता अवश्य की, किंतु स्थिति को लंबी व गंभीर होते देख सभी ने धीरेधीरे आना कम कर दिया. 5 दिनों के बाद ही यह दशा थी कि परिवार वालों के अलावा धैर्य बंधाने वाला और कोई भी नहीं था. सुनील के मातापिता व भाई पूरा समय उस के साथ बने रहते. हालांकि छोटे भाई के बिजनैस में काफी नुकसान हो रहा था, फिर भी वह भाई को इस हालत में छोड़ कर जाने को तैयार नहीं था.

करीब 2 महीने अस्पताल में रहने के बाद सुनील को छुट्टी मिली, किंतु अगले 6 महीने कंप्लीट बैड रैस्ट की सलाह दी गई. सुनिधि पड़ोसियों की सहायता और मजबूरी पहले ही देख चुकी थी. अब तक सुनिधि समझ चुकी थी कि पासपड़ोस और जानपहचान के माध्यम से मात्र छोटीमोटी और दिखावटी चीजें ही प्राप्त की जा सकती हैं. किंतु साथ, साहस, अपनापन, संबल और समर्पण अपनों से और परिवार से ही प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में पड़ोसियों के भरोसे रहना असंभव था. वैसे ही सुनिधि अपने पिछले आचरण को ले कर शर्मिंदा महसूस कर रही थी.

सुनिधि को बहुत संकोच हो रहा था, फिर भी उस ने हिम्मत कर के सास से पूछ ही लिया, ‘‘क्या बैड रैस्ट वाले पीरियड में सुनील को ससुराल में शिफ्ट कर सकते हैं?’’

‘‘इस में इतना संकोच करने वाली कौन सी बात है सुनिधि. वह घर तो हमेशा से ही हम सब लोगों का है. 6 महीने क्या तुम पूरी जिंदगी बेझिझक वहां रह सकती हो,’’ सास ने स्नेह से सिर पर हाथ फेरते हुए जब यह बात कही तो सुनिधि की आंखें नम हो गईं.

आज सुनील पूरी तरह स्वस्थ हो कर नौकरी जौइन करने जा रहा था. मां ने उस से पूछ ही लिया, ‘‘बेटा, सुनिधि कब जाएगी?’’

‘‘नहीं मां मैं अब कभी नहीं जाऊंगी. मैं अपने और पराए में अंतर समझ चुकी हूं. मैं यह भी समझ चुकी हूं कि सिर्फ परिवार ही अपना होता है. सुनील ने अपनी पुरानी फैक्टरी में बात कर ली है और अगले महीने से वही ड्यूटी जौइन कर लेंगे,’’ किचन में से सुनील के लिए लंच का डब्बा ले कर निकलते हुए सुनिधि बोली.

‘‘सब मिल कर एकसाथ रहें, इस से बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है,’’ मां सुनील को दहीशक्कर खिलाते हुए बोली.

‘‘देखो सुधा, मैं कहता था न कि खून ही खून को पुकारता है,’’ पिताजी सुनील की मम्मी से बोल रहे थे.

‘‘हां, हमेशा घुटने ही पेट की तरफ मुड़ते हैं,’’ मां खुश हो कर बोलीं, आज उन्हें लग रहा था 7 वर्षों बाद ही सही पर उन का चयन सार्थक हुआ.

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