नशे में थे संजय खान और धर्मेंद्र ने जड़ दिया थप्पड़

बौलीवुड की गलियां सितारों से सजती है. इन गलियों के चौराहों पर कई किस्‍से भी बसते हैं. इन किस्‍सों के बारे में लोगों की दिलचस्‍पी भी खूब होती है. आम तौर पर हमेशा हंसते रहने वाले ये सितारे भी हमारी और आपकी तरह इंसान ही हैं. इन्‍हें भी गुस्‍सा आता है और कई बार तो इतना की वो अपना आपा खो देते हैं और सामने वाले पर हाथ उठा देते हैं.

ऐसा ही एक किस्‍सा धमेंद्र और फिरोज खान के भाई संजय खान के बीच का है. धर्मेंद्र अक्सर फिल्म की शूटिंग खत्म करने के बाद साथी कलाकारों के साथ बैठकर मस्ती-मजाक करते थे. इसी मस्ती के बीच संजय खान ने कुछ ज्यादा ही नशा कर लिया. जब नशा चढ़ा तो संजय खान एक्टर ओम प्रकाश के बारे में उल्टा-सीधा बोलने लगे.

धर्मेंद्र ने उन्‍हें चुप करने की खूब कोशिश की. लेकिन नशे में संजय खान चुप नहीं हो रहे थे. बताया जाता है कि तब धर्मेंद्र का पारा इस कदर चढ़ गया कि उन्‍होंने संजय खान को थप्‍पड़ जड़ दिया. हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी.

यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बौलीवुड में ऐसे कई झगड़े हैं. आइए जानते हैं इन मंझे हुए कलाकरों के बीच हुए अनबन की दिलचस्प कहानी.

नूतन और संजीव कुमार

नूतन और संजीव कुमार का किस्‍सा भी खूब चर्चित है. संजीव कुमार तब स्‍ट्रगल कर रहे थे, जबकि नूतन टौप की एक्‍ट्रेस थी. 1969 में ‘देवी’ फिल्म की शूटिंग चल रही थी. संजीव इसमें नूतन के अपोजिट थे. एक मैगजीन में खबर छपी की दोनों एक्‍टर्स के बीच अफेयर है. नूतन बहुत परेशान हो गईं. बाद में उन्‍हें पता चला कि यह खबर संजीव कुमार ने भी सुर्ख‍ियां बटोरने के लिए प्‍लांट करवाई है. बताया जाता है कि एक दिन सेट पर नूतन ने ना सिर्फ संजीव कुमार को खरी-खोटी सुनाई बल्‍कि‍ सबके सामने थप्‍पड़ भी जड़ दिया.

राज कपूर और राजकुमार

राज कपूर और राजकुमार के बीच भी एक बार जबरदस्त झगड़ा हुआ था. दोनों ही अपने जमाने के सुपरस्टार थे. लेकिन प्रेम चोपड़ा की शादी की पार्टी के दौरान दोनों के बीच अनबन हो गई. पार्टी पूरे शबाब पर थी और राज कपूर ने ज्यादा पी ली थी. वह राजकुमार के पास गए और उनसे कहा कि तुम हत्यारे हो. राज कुमार ने भी मजाक में कहा, ‘हां मैं हत्यारा हूं, लेकिन तुम मेरे पास काम मांगने आए थे. मैं तुम्हारे पास नहीं आया.’

सूत्रों की मानें तो कि इस बात को लेकर दोनों में खूब अनबन हुई. मामला हाथापाई तक पहुंच चुका था. बता दें कि फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले राजकुमार मुंबई पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे. लेकिन एक मर्डर केस में नाम होने की वजह से वह पुलिस की नौकरी छोड़ फिल्मों में आ गए थे.

माला सिन्‍हा और शर्मिला टैगोर

बात 60 और 70 के दशक की है. 1968 में जौय मुखर्जी ने फिल्म ‘हमसाया’ के लिए शर्मिला टैगोर और माला सिन्‍हा को कास्ट किया था. एक दिन शूटिंग के दौरान दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन शुरू हो गई. देखते ही देखते यह अनबन हाथापाई में बदल गई. यह भी कहा जाता है कि माला ने बिना सोचे-समझे शर्मिला को थप्पड़ मार दिया था. इस घटना के बाद दोनों में फिर कभी पहले जैसी बातचीत नहीं देखी गई.

त्योहारों के मौसम में पेपर डेकोरेशन से घर को दें यूनिक लुक

जल्द ही शादियों और त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है. त्योहारों पर आप अपने कपड़ों पर तो ध्यान देती ही हैं लेकिन घर की डेकोरेशन भी खास करती हैं. जैसे जमाना मौडर्न होता जा रहा है, वैसे ही डेकोरेशन के आइडियाज भी बदलते जा रहे हैं. आजकल डेकोरेशन में नए-नए थीम और आइटम्स आ चुके हैं, जिनमें पैसा भी ढेर सारा लग जाता है. ऐसे में आप इसी उलझन में रहती हैं कि आखिर घर को कैसे नया और आकर्षक बनाया जाए. तो चलिए इस बार हम आपकी ये परेशानी दूर किए देते हैं. तो क्यों न आप इस बार कुछ अलग तरह से अपने घर को सजाएं जिसमें खर्च भी कम हो और डेकोरेशन भी मौडर्न स्टाइल में हो.

क्रेन्स डेकोरेशन

इसके लिए आपको ग्लेज पेपर, कलर्ड पेपर और हैगिंग के लिए थ्रेड की जरुरत पड़ेगी. ग्लेज और कलर्ड पेपर की मदद से छोटे-छोटे क्रेन बना लें. फिर इनपर धागा बांध कर इनहें लटका दें.

पेपर फैन डेकोरेशन

यह सबसे आसान आइडिया है. इस से आपके घर को नया लुक मिलेगा और आपके मेहमान इसे देखते रह जाएंगे. इसे बनाने के लिए आप दो रंग के कागज लें और फिर उनके पंखे बना लें और इसे अपने दीवाल पर या दरवाजे पर सजाएं.

पेपर बोट डेकोरेश

हैगिंग पेपर बोट डेकोरेशन भी डेकोरेशन के लिए अच्छा आइडिया है. पेपर की मदद से बोट बनाएं और उन्हें हैगिंग की तरह लटका दें. इसके लिए आप पोल्का डाट्स या स्ट्राइप पेपर भी चुन सकती हैं.

हैंगिंग अम्ब्रेला

इसके अलावा आप हैगिंग अम्ब्रेला से भी अपने घर को सजा सकती हैं. अगर आप थीम के हिसाब से डेकोरेशन करेंगी तो यह सबसे अच्छा आइडिया है. इसके अलावा आप हैंगिंग एलीफैंट डेकोरेशन भी कर सकती हैं.

पिन व्हील डेकोरेशन

आप इन्हें रंगीन पेपर के इस्तेमाल से बना सकती हैं. यह आइ़डिया सेंटर टेबल की सजावट के लिए सबसे अच्छा औप्शन है. पेपर की मदद से पिन व्हील बनाएं और उनको लकड़ी की स्टिक से टेबल पर सजाएं.

क्या आप भी अस्थमा से परेशान हैं तो ऐसे करें अपना बचाव

अस्थमा की बीमारी एक सामान्य और लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है. वेस्ट इंडिया के लोगों में ये बीमारी हर 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है. एक शोध से पता चला है कि अस्थमा मोटे लोगों को ज्यादा होता है. यदि ठीक से व्यायाम किया जाए और रोज के खाने में प्रोटीन, फलों और सब्जियों का सेवन किया जाए तो अस्थमा के रोगियों की हालत में सुधार लाया जा सकता है.

अस्‍थमा या दमा फेफड़ो को प्रभावित करती है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है. आस्थमा अटैक कभी भी कहीं भी हो सकता है. आस्थमा अटैक तब होता है जब धूल के कण आक्सीजन ले जाने वाली नलियों को बंद कर देते हैं. आस्थमा के अटैक से बचने के लिए जितनी जल्‍दी हो सके दवाईयों या इन्‍हेलर का प्रयोग किया जाना चाहिए.

दमे के दौरान अपनाएं ये उपाय

दमे के मरीजों को चावल, तिल, शुगर और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए. ताजे फलों का रस दमे को रोगी के लिए बेहद फायदेमंद है. उन्हें हरी सब्जियां और अंकुरित चने जैसे खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में ले और भूख से कम ही खाना खाये. दिनभर में कम से कम दस गिलास पानी पीये. तेज मसाले, मिर्च अचार, अधिक चाय-काफी के सेवन से बचें. मरीज को रोजाना योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए. रोगी को एनीमा देकर उसकी आंतों की सफाई करनी चाहिए.

उपचार

अस्थमा का कोई पुख्ता इलाज तो नहीं है लेकिन दमे के दौरे के दौरान उसे आसानी से सामान्य किया जा सकता है. दमे के मरीज को अनुकूल माहौल देना चाहिए. यदि मरीज को एलर्जी है तो उन चीजों को दूर कर देना चाहिए जिससे एलर्जी है.

अस्थमा के मरीज को धूल, धुएं, गंध और प्रदूषण से खासतौर पर दूर रहना चाहिए.

बदलते मौसम में सावधानी बरते और पालतू जानवरों को मरीज से दूर रखें.

डाक्टर के द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें अधिक परेशानी होने पर चिकित्‍सक से जल्‍द से जल्‍द संपर्क करें.

डाक्टर की सलाह पर इन्हेलर का प्रयोग करें.

घबराए नही, घबराने से मांस पेशियों पर तनाव बढ़ता है जिससे की सांस लेने में परेशानी बढ़ सकती है.

मुंह से सांस लेते रहें, फिर मुंह बंद करके नाक से सांस लें. धीरे धीरे सांस अन्दर की तरफ लें और फिर बाहर की तरफ छोड़े. सांस अन्दर की तरफ लेने और बाहर की तरफ छोड़ने के बीच में सांस न रोकें.

घरेलू उपचार

दमा का घरेलू उपचार भी मौजूद है. एंटीआक्सीडेंट से भरपूर लहसुन से दमा आसानी से नियंत्रि‍त किया जा सकता है. लहसुन को दूध के साथ मिलाकर पीने या सुबह शाम लहसून की चाय पीने से भी दमा नियंत्रि‍त रहता है.

स्टीम लेने से भी दमा को कंट्रोल किया जा सकता है. पानी को अजवायन में डालकर उबालकर भाप लेने से भी दमे के मरीज को आराम मिलता है.

लौंग मिश्रित गर्म पानी में शहद मिलाकर पीने से भी अस्थमा के दौरान आराम मिलता है.

अदरक, शहद और मेथी को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना भी दमे के मरीजों के लिए फायदेमंद है.गर्म पानी में तुलसी उबालकर देने से भी दमे के मरीजों को आराम मिलता है.

इस तरह कम दामों में करें बेहतरीन शौपिंग

आज बात करेंगे देश कि राजधानी दिल्ली के बारे में. दिल्ली वाले न सिर्फ शौपिंग बल्कि घूमने लिए भी बाजार को ही चुनते हैं. सही भी है शौपिंग की शौपिंग और तरह तरह की चाट पकौड़ियों का मजा भी मिल जाता है.

दिल्‍ली के सभी बाजारों की अपनी अपनी खूबियां हैं. फिलहाल यहां पर हम आपको दिल्‍ली के उन बाजारों के बारे में बता रहे हैं जो सबसे अच्छी और मशहूर हैं. अगर आप अच्छी मोलभाव जानती हैं तो फिर एक बार तो आपको इन बाजारों का चक्‍कर लगाना ही पड़ेगा

आज हम आपको कुछ ऐसे बाजारों के बारे में बताएंगे जहां कम दामों में अच्छी खासी शौपिंग की जा सकती है.

जनपथ

दिल्ली के बीचोंबीच स्थित इस मार्केट का अपना अलग ही मजा है. इस मार्केट से आप न सिर्फ कौटन के वेस्टर्न और एथनिक कपड़े खरीद सकती हैं, बल्कि थोड़े बहुत डिफेक्टिव ब्रांडेड कपड़ों का भी ये बड़ा ठिकाना है. यहां आपको ढेरों वैरायटी के कपड़े मिल जाएंगे. यहां मोल भाव भी जमकर होता है.

सरोजनी नगर

वैसे अगर आप मोलभाव में विश्वास रखती हैं तो सरोजनी नगर मार्केट से बेहतर जगह और कोई नहीं हो सकती. इस किफायती बाजार में आपको ढेरों औप्‍शन मिलेंगे. ये मार्केट इतनी बड़ी है कि आप पहली बार जाकर इसे पूरा नहीं देख पाएंगी. वेस्टर्न के साथ इंडियन कपड़ों की भरमार इस मार्केट को सबसे अलग बनाती है. हालांकि इंडियन पहनने वालों के लिए ये मार्केट अच्छा औप्शन नहीं है.

मौनेस्ट्री

डीयू स्टूडेंट्स की फेवरिट शौपिंग डेस्टिनेशंस में से एक है मौनेस्ट्री. यहां आपको जींस , टीशर्ट , शूज और लेदर प्रौडक्ट्स की खूब वैराइटी मिलेगी. मौनेस्ट्री सस्ती शौपिंग के शौकीनो के लिए मशहूर है.

सेंट्रल मार्केट लाजपत नगर

बेहतरीन शौपिंग का मन हो और हर स्टाइल के कपड़े खरीदना चाहते हों, तो लाजपत नगर की सेंट्रल मार्केट इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इस मार्केट में आपको सूई से लेकर पहाड़ तक सब मिल सकता है, बशर्ते आपको मार्केट का अंदाजा हो. अच्छी शौपिंग बेहतरीन सामान और माहौल सबकुछ एकदम पर्फेक्‍ट. किफायती कीमतों पर बढ़िया खरीददारी के लिए इस मार्केट का रुख जरूर करें. और हां, यहां मेंहेदी लगवाना बिल्कुल न भूलें.

करोल बाग मार्केट

गफ्फार मार्केट, अजमल खां रोड, आर्य समाज रोड और बैंक स्ट्रीट ये सभी मार्केट करोल बाग में ही हैं. ब्राइडल गारमेंट्स, जूलरी और साड़ी वगैरह के अलावा यहां आपको इंपोर्टेड गैजेट्स और एक्‍सेसरीज़ भी मिल जाएंगी. इस मार्केट में आपको पटरी पर हर तरह की चीज मिल जाती है.

चांदनी चौक

यह दिल्ली की सबसे बड़ा मार्केट है. इसके अंदर इतनी सारे अलग अलग बाजार हैं कि आप घूमते घूमते थक जाएंगे. यहां चावड़ी बाजार, बल्लीमारान, फतेहपुरी, दरीबा कलां, किनारी बाजार, मीना बाजार, मोती बाजार, साइकिल मार्केट, कटरा नील और भागीरथी पैलेस जैसे कई बाजार हैं. देश के कोने कोने से लोग यहां साड़ियां, आर्टिफिशियल जूलरी, फैब्रिक और इलेक्ट्रौनिक सामान खरीदने आते हैं. यही नहीं यहां खाने पीने के भी ढेर सारे औप्‍शन हैं. अगर आप चांदनी चौक का चक्‍कर नहीं लगा पाईं तो दिल्‍ली को ठीक से समझ नहीं पाएंगी.

एम ब्लौक जीके

ग्रेटर कैलाश पार्ट वन की यह मार्केट एलीट क्लास का मार्केट कहलाता है. बड़े ब्रैंडेड शोरूम के साथ साथ यहां की स्ट्रीट मार्केट भी लाजवाब है. आपको यहां हेयरपिंस से लेकर हाई एंड फैशन क्लौथ तक से जुड़ी सभी चीजें आसानी से मिल जाएंगी.

सदर बाजार

सदर बाजार दिल्ली में सबसे बड़ी होलसेल मार्केट के तौर पर जाना जाता है, लेकिन आप यहां से रिटेल शौपिंग भी कर सकते हैं. यहां आपको आर्टिफिशियलल जूलरी, स्टेशनरी, खिलौने और बर्तन समेत तमाम चीजे इतने कम दामों में मिलती हैं कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते. जरूरत की हर चीज, घर का हर सामान आपको सदर बाजार में आसानी से और किफायती दामों पर मिल जाएगा.

दिल्ली हाट आईएनए

अगर आपको देश भर के लजीज व्‍यंजनों और अच्छे फैबरिक पहनने का शौक है तो आपको दिल्ली हाट जरूर जाना चाहिए. दिल्ली हाट का मिट्टी और गांव वाला टच आपकी शौपिंग के एक्सपीरियंस में चार चांद लगा देता है. कला के शौकीनों के लिए यह जगह बेहतरीन है

कमला नगर मार्केट

डीयू के पास बनी ये मार्केट स्टूडेंट्स की पसंदीदा जगह है. यहां डिजाइनर कपड़ों की भरमार है. फैशनेबल जूते, बैग और एक्सेसरीज में आपको यहां आपको ढेरों औप्शन मिल जाएंगे. वैसे यहां का स्ट्रीट फूड भी मजेदार है और इसके लिए आपको जेब भी ज्‍यादा ढीली नहीं करनी पड़ती. यहां रेड़ी पर बिकने वाला कांजीवड़ा खाकर आपको मजा ही आ जाएगा.

कुदरत के अदभुत नजारों का संगम अंडमान निकोबार

दूर तक फैला साफ समुद्र, साफ स्वच्छ हवा, तरह तरह के समुद्री पक्षी, दूर तक फैले जंगल, काजू और नारियल के पेड़ और मनमोहक नजारों के साथ लजीज समुद्री व्यंजनों का अगर लुफ्त लेना है तो एक बार अंडमाननिकोबार की सैर जरूर कीजिए.

यहां का नीला पानी और शांत समुद्र किसी भी माने में मारीशस, मालदीव, मलेशिया या सैशल्स से कम नहीं. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को स्नेह से ‘एमरल्ड आइलैंड्स’ (पन्ने जैसे द्वीप) कहा जाता है. इस की खासीयत है इस की अनुपम सुंदरता और चकित कर देने वाली वनस्पति तथा जीवजंतु. यहां के आकर्षक स्थान, सूर्य से चमकते समुद्री तट, मनमोहक पिकनिक स्पौट्स और कई अन्य आश्चर्य हैं, जो सैलानियों को बारबार आकर्षित करते हैं. समुद्री तट अपने विस्तार और सुनहरी रेत की वजह से मनमोहक बन गए हैं.

प्रमुख पर्यटन स्थल

पोर्ट ब्लेयर

कभी काले पानी की सजा की संज्ञा से पहचाने जाने वाले आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित पोर्ट ब्लेयर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहों की राजधानी है. यह जगह सैलानियों के घूमने के लिए प्रमुख है. यहां पर्यटकों की सुविधाओं और उन के मनोरंजन के कई इंतजाम किए गए हैं.

यहां जलक्रीड़ा की भी व्यवस्था है, जो एक अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र है. पोर्ट ब्लेयर से 35 किलोमीटर दक्षिण में स्थित चिडि़या टापू, जिसे सनसैट पौइंट भी कहते हैं अपने मनमोहक समुद्री तटों के लिए मशहूर है. कोरबिन कोव, माउंट हैरिट, रोस टापू, मधुबन तट तथा काला पत्थर पोर्ट ब्लेयर के अन्य लोकप्रिय स्थल हैं. पोर्ट ब्लेयर में ही ऐसे कई होटल हैं जहां आप ठहर कर अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं.

सैल्युलर जेल

अंडमान की यात्रा पर जाने वाला हर पर्यटक सैल्युलर जेल की चौखट पर सिर जरूर नवाता है. पोर्ट ब्लेयर में मौजूद सैल्युलर जेल यहां की ऐतिहासिक धरोहरों में सब से प्रमुख है. यह स्वतंत्रता सेनानियों पर अंगरेजी हुकूमत के अत्याचार की मूक गवाह है. यहां बंद किए जाने वाले सेनानियों को तरहतरह से प्रताडि़त किया जाता था. 1906 में बन कर तैयार हुई इस सैल्युलर जेल में बंद होने की सजा को ही काला पानी कहा जाता रहा है.

हैवलौक द्वीप

यहां के स्वच्छ निर्मल पानी का सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेता है. इन द्वीपों में कई बार तैरती हुई डौल्फिनों के झुंड देखे जा सकते हैं. शीशे की तरह साफ पानी के नीचे जलीय पौधे व रंगीन मछलियों को तैरते देख कर पर्यटक अपनी बाहरी दुनिया को भूल जाते हैं.

लंबा द्वीप

अंडमान में मनोरम दृश्य देखने वालों के लिए लंबा द्वीप यानी लौंग आइलैंड सब से पसंदीदा जगहों में से एक है. पर्यटक इस जगह पर इस इलाके में पाई जाने वाली डौल्फिनें देखने जुटते हैं. लालाजी बे पर रेतीला समुद्री तट भी लौंग आइलैंड पर एक महत्त्वपूर्ण जगह है.

महात्मा गांधी मरीन नैशनल पार्क

अंडमान के मनोरम दृश्यों में शामिल है-महात्मा गांधी मरीन नैशनल पार्क. यह नैशनल पार्क वांडूर में है. यह खुले समुद्र और संकरी खाड़ी के साथ ही 15 द्वीपों से मिल कर बना है. पर्यटक इस जगह दुर्लभ मूंगों की खूबसूरती देखने और अंडमान के समुद्री जीवों की आकर्षक जिंदगी देखने आते हैं. 

ऐंथ्रोपोलौजिकल म्यूजियम

ऐथ्रोपोलौजिकल म्यूजियम यानी मानवशास्त्रीय संग्रहालय में अंडमान के आदि युग के जीवन के अवशेष मिलते हैं. इस वजह से यहां अंडमान की अलगअलग आदिम जातियों की कलाकृतियां, बरतन, कपड़े, मूर्तियां आदि देखने को मिलती हैं.

निकोबार में देखने लायक जगहें

इस द्वीप के प्रमुख आकर्षणों में पक्षी और फूल प्रमुख हैं, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. निकोबार के मनोरम दृश्यों में विविधता लिए समुद्री तट भी शामिल हैं. कोई भी व्यक्ति यहां आ कर इस द्वीप की शांत प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठा सकता है. निकोबार द्वीप में दूरदूर तक मनोरम खूबसूरती और काव्यात्मक सुंदरता फैली हुई है.

इंदिरा पौइंट

यहां के कुछ पर्यटन केंद्र खासे लोकप्रिय हैं, जहां साल भर पर्यटकों का जमावड़ा रहता है. इन जगहों में इंदिरा पौइंट भी शामिल है, जहां लोग बारबार जाना पसंद करते हैं. इंदिरा पौइंट एक विशाल लाइटहाउस है. आसमान छूती इस की इमारत सब से खूबसूरत जगहों में से एक है. आसपास की प्राकृतिक खूबसूरती के बीच समुद्री तट प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं. इस समुद्र तटीय इलाके में आप को बिना प्रदूषण वाले वातावरण में कुछ वक्त बिताने का मौका मिलता है.

इंदिरा पौइंट लाइटहाउस 1972 में बना था. मलक्का से आने वाले जहाजों के लिए तब से यह एक महत्त्वपूर्ण लैंडमार्क है. इस लाइट स्टेशन को पहले पार्संस पौइंट और फिर पाइगमेलियन पौइंट कहा जाता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस जगह आ चुकी हैं. इसी वजह से इस का नाम उन पर रखा गया.

कार निकोबार

मूलरूप से यह निकोबार द्वीप समूह का मुख्यालय है. कोई भी व्यक्ति कार निकोबार द्वीप पर प्रकृति की गोद में अपनी छुट्टियां खुशी के साथ बिता सकता है. यह उर्वर जमीन नारियल पेड़ों से ढकी है. यहां समुद्री पानी का शोर भी पर्यटकों के दिमाग पर हावी रहता है. प्रकृति की रहस्यमय सुंदरता को निकोबार जिले के कार निकोबार द्वीप पर ज्यादा करीब से अनुभव किया जा सकता है.

पोर्ट ब्लेयर से इस द्वीप तक पहुंचने में समुद्र के रास्ते 16 घंटे का वक्त लगता है. निकोबारी झोंपडि़यों में रहना यहां का सब से खास अनुभव है, जिन्हें बांस के बेस पर बनाया जाता है. इस में फर्श से दाखिल होते हैं. झोंपड़ी लकड़ी से बनी होती है.

कटचाल

कटचाल द्वीप की खूबसूरती अतुलनीय है. यह 174.4 वर्ग किलोमीटर में फैला है. बेमिसाल खूबसूरती की वजह से यह द्वीप दुनिया भर के पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है. कटचाल द्वीप खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता से भरा है. समुद्र का पानी क्रिस्टल क्लीयर है. समुद्री तट पर सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा आप के दिमाग में अविस्मरणीय अनुभव दे जाएगा.

ग्रेट निकोबार द्वीप

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कई द्वीप आते हैं. इन में ही एक है ग्रेट निकोबार द्वीप. दुनिया के अलगअलग कोनों से हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. उन का उद्देश्य यही होता है कि ग्रेट निकोबार की अनदेखी प्राकृतिक सुंदरता को निहारना.

कार्बिन कोव्स समुद्र तट

हरेभरे वृक्षों से घिरा यह समुद्र तट एक मनोरम स्थान है. यहां समुद्र में डुबकी लगा कर पानी के नीचे की दुनिया का अवलोकन किया जा सकता है. यहां से सूर्यास्त का अद्भुत नजारा काफी आकर्षक प्रतीत होता है. यह बीच अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए लोकप्रिय है.

रोज द्वीप

यह द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्घ है. रोज द्वीप 200 एकड़ में फैला हुआ है. फिनिक्स उपसागर से नाव के माध्यम से चंद मिनटों में रोज द्वीप पहुंचा जा सकता है. सुबह के समय यह द्वीप पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है.

बैरन द्वीप का ज्वालामुखी

यहां भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है. यह द्वीप लगभग 3 किलोमीटर में फैला है. यहां का ज्वालामुखी 28 मई, 2005 में फटा था. तब से अब तक इस से लावा निकल रहा है. बैरन द्वीप पर आग का लावा उगल रहा ज्वालामुखी देख कर पर्यटक बहुत अचंभित होते हैं.

डिगलीपुर

यह स्थान संतरों, चावलों और समुद्री जीवन के लिए प्रसिद्ध है. यहां का सैडल पीक आसपास के द्वीपों से सब से ऊंचा पौइंट है, जो 732 मीटर ऊंचा है. अंडमान की एकमात्र नदी कलपोंग यहां से बहती है.

वाइपर द्वीप

यहां किसी जमाने में गुलाम भारत से लाए गए बंदियों को पोर्ट ब्लेयर के पास वाइपर द्वीप पर उतारा जाता था. अब यह पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है. यहां आज भी अंगरेजी शासन के दौरान बने टूटेफूटे फांसी के फंदे निर्मम अतीत के साक्षी बने खड़े हैं. यहीं पर शेर अली को भी फांसी दी गई थी, जिसने 1872 में भारत के गवर्नर जनरल लौर्ड मेयो की हत्या की थी.

रैडस्किन द्वीप

आइलैंड टूरिज्म फैस्टिवल यहां मनाया जाने वाला मुख्य उत्सव है. अंडमाननिकोबार प्रशासन की आरे से आयोजित यह उत्सव हर साल 30 दिसंबर को शुरू हो कर 15 जनवरी तक चलता है. इस उत्सव के अंतर्गत प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा कई तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती हैं. इस उत्सव में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के अलावा स्थानीय जनजातीय कलाकारों की भी भरपूर भागीदारी होती है.

अंडमान और निकोबार प्रशासन साल भर पर्यटकों का दिल खोल कर स्वागत करता है. पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख साधन टूरिज्म ही है. पूरा साल देश और विदेश से लाखों पर्यटक छुट्टियां बिताने यहां आते हैं.    

कहां ठहरें

इस केंद्र शासित प्रदेश में कई श्रेणी के होटल हैं, जो इन द्वीपों पर आने वाले पर्यटकों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराते हैं. इस के अलावा यहां रिजोर्ट्स, रेस्तरां और कैफे हैं, जो सभी तरह के पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करते हैं. अंडमान और निकोबार में अंडमान टील हाउस, हवाबिल नैस्ट, टर्टल रिजोर्ट और सरकारी सर्किट हाउस ठहरने के लिए अच्छी जगहें हैं. पर्यटकों के ठहरने की सब से अच्छी और आधुनिक सुविधाओं से संपन्न जगह साउथ अंडमान व पोर्ट ब्लेयर के आसपास हैं. हैवलौक और कैंपबेल के आसपास भी अच्छी और सस्ती सुविधाएं हैं. बजट के हिसाब से यहां ठहरने के साधन मौजूद हैं.   

– अतुल सिंघल 

(लेखक अंडमाननिकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल के ओएसडी हैं)

    

मैं एक युवती से प्रेम कर रहा हूं. मुझे शक है कि कहीं हस्तमैथुन के कारण उसे यौनसुख देने में असमर्थ न रहूं. क्या करूं.

सवाल
मैं काफी समय से हस्तमैथुन का आदी हूं. पिछले 1 वर्ष से एक युवती से प्रेम कर रहा हूं. वह मुझ से शादी भी करना चाहती है, लेकिन मैं  संदेहग्रस्त हूं कि कहीं हस्तमैथुन के कारण उसे यौनसुख देने में असमर्थ न रहूं. कभीकभी ‘शादी से पहले, शादी के बाद’ जैसे विज्ञापन पढ़ कर मन में घबराहट पैदा होती है, क्या करूं?

जवाब
सब से पहले तो आप यह जान लीजिए कि हस्तमैथुन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. इस उम्र में अकसर यह होता है और इस से किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती. दूसरा आप जिस से प्रेम करते हैं उस से शादी कर सकते हैं. आप की इस आदत के कारण यौनसुख में कोई कमी नहीं आएगी बल्कि शादी के बाद स्वत: यह आदत छूट जाएगी. तीसरा जब भी आप कोई ‘शादी के बाद…’ वाला विज्ञापन पढ़ें तो उस पर गौर न करें. ये लोग इसी तरह के युवकों को भ्रमा कर पैसा कमाते हैं.

बैडमिंटन सीखने सायना के घर के पहुंची श्रद्धा कपूर

श्रद्धा कपूर अभी तक कई फिक्‍शन फिल्‍मों में नजर आ चुकी हैं ले‍किन अब वह जल्‍द ही एक नहीं बल्कि दो-दो बायोपिक में नजर आने वाली हैं. श्रद्धा अभी तक फिल्‍म ‘हसीना’ में दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की असल जिंदगी का किरदार निभा रही हैं. और अब जल्‍द ही वह भारत की बैडमिंटन स्‍टार सायना नेहवाल की बायोपिक का हिस्‍सा भी बनने वाली हैं. ‘स्टेनली का डब्बा’ और ‘हवा हवाई’ के निर्देशक अमोल गुप्ते ‘साइना’ का निर्देशन करेंगे और इस फिल्‍म को टी-सीरीज प्रोड्यूज करेगी.

एक तरफ श्रद्धा जहां ‘हसीना’ के प्रमोशन में लगी हैं तो वहीं दूसरी तरफ वह जमकर बैडमिंटन की प्रैक्टिस भी कर रही हैं. इसी बीच श्रद्धा आज सायना नेहवाल के घर उनसे मिलने पहुंचीं. श्रद्धा, सायना बनने के लिए सिर्फ बैडमिंटन ही नहीं सीख रहीं, बल्कि उनके घर परिवार के साथ भी घुल मिल भी रही हैं. सायना नेहवाल ने आज इंस्‍टाग्राम पर एक वीडियो पोस्‍ट किया है, जिसमें श्रद्धा, सायना के डौग टौप्‍सी के साथ खेलते हुए दिखाई दे रही हैं.

 

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बताते चले कि सायना और श्रद्धा अच्‍छी दोस्‍त भी हैं और इस फिल्‍म के लिए श्रद्धा को बैडमिंटन सीखने में सायना उनकी काफी मदद भी कर रही हैं.

श्रद्धा ने लिखा, ‘फिल्म की तैयारी मेरे लिए बहुत-बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है. यह अभी तक की मेरी सबसे मुश्किल फिल्म होने वाली है. मुझे शुभकामनाएं दें.’ इसी के साथ उन्होने यह भी कहा कि बड़े पर्दे पर साइना की भूमिका निभाने का मौका मिलने पर वह काफी गर्व महसूस कर रही हैं.

कैदियों के जीवन पर आधारित फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’

सच्ची घटना पर आधारित एक कैदी की जीवन पर बनी ड्रामा फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ में एक कैदी की मनोदशा को बारीकी से दिखने की कोशिश की गयी है, जिसमें उसका जेल से भागने की इच्छा, ‘फीलगुड फैक्टर’ और एक अच्छा ‘ह्यूमन बीइंग’ आदि सब कुछ दिखाया गया है. फिल्म पूरी तरह से फरहान अख्तर के कन्धों पर थी. जिसे फरहान ने पूरी मेहनत से निभाया है, इसमें साथ दिया डायना पेंटी ने. उन्होंने अपने कद काठी के अनुसार एक एनजीओ वर्कर की भूमिका, जितना मिला, उसे अच्छी तरह से निभाया है.

निर्देशक रंजीत तिवारी ने फिल्म को अधिक सच्चाई के करीब दिखाने की कोशिश में थोड़ी ‘डार्क’ और ‘लेंदी’ फिल्म बनायी है, इंटरवल तक फिल्म ठीक थी बाद में कुछ धीमी गति होने की वजह से थोड़ी उबाऊ लगी. फिल्म के पटकथा की लम्बाई को कम करने से फिल्म थोड़ी और अच्छी बन पाती.

कहानी

किशन मोहन गिरहोत्रा (फरहान खान) जो उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का रहने वाला है और एक अच्छा सिंगर है, अपना बैंड तैयार कर विश्व में अपना नाम कमाना चाहता है. उसके पिता छोटे शहर में रहकर इतना बड़ा सपना देखने से मना करते हैं, पर वह सुनता नहीं. और एक दिन एक आईएएस की हत्या का झूठा आरोप उस पर लगाकर उसे फांसी की सजा ऐलान कर लखनऊ सेंट्रल जेल भेज दिया जाता है. एनजीओ वर्कर गायत्री कश्यप (डायना पेंटी) जो अधिकतर जेल में कैदियों को सुधारने का काम करती है, उसे यहां कैदियों की एक बैंड बनाने के लिए कहा जाता है, जो 15 अगस्त को परफार्म करेगी. आज तक लखनऊ सेंट्रल जेल से कभी कोई कैदियों का बैंड तैयार नहीं हुआ क्योंकि यहां सारे ‘हार्ड कोर क्रिमिनल्स’ रहते हैं, जो या तो आजीवन कारावास भुगत रहे हैं या फांसी की सजा पाने वाले है. यहां का जेलर रोनित राय बहुत कड़क है और सुरक्षा की दृष्टिकोण से वह किसी भी अपराधी को बैंड बनाने की इजाजत नहीं  देना चाहता, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री और आई जी के कहने पर उसे अनुमति देनी पड़ती है और 5 कैदियों की एक अच्छी बैंड बनती है, लेकिन इसके पीछे की मंशा चालाक जेलर समझ जाता है, लेकिन प्रूव नहीं कर पाता. इसी उतार–चढ़ाव के बीच कहानी अंजाम तक पहुंचती है.

फिल्म में बाकी सहकलाकारों दीपक डोबरियाल, इनामुल हक, राजेश शर्मा, गिप्पी गरेवाल सभी ने अच्छा काम किया है. रवि किशन मुख्यामंत्री के रूप में काफी अच्छे जंचे हैं. फिल्म में जेल और कैदियों के रहन-सहन को सटीक दिखाया गया है, फिल्म के गाने कुछ खास नहीं हैं. अगर फिल्म की स्क्रिप्ट थोड़ी क्रिस्पी होती तो फिल्म और अधिक अच्छी बन सकती थी. बहरहाल फिल्म देखने लायक है, इसे थ्री स्टार दिया जा सकता है.

मानवीय जज्बा जरूरी

शिक्षा के लिए समर्पित लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख  डा. जगमोहन सिंह  वर्मा (72) का मृत शरीर अब मैडिकल स्टूडैंट्स के काम आएगा. प्रो. जगमोहन सिंह का निधन  30 जनवरी, 2017 को सुबह हो गया. पत्नी कुसुम लता सिंह ने बताया कि  डा. जगमोहन सिंह ने 31 अगस्त, 2016 को देहदान के लिए पंजीकरण कराया था.  उन की आखिरी इच्छा थी कि जो शरीर जिंदगीभर घरपरिवार और बच्चों को शिक्षित करने के काम आया, वह प्राण त्यागने के बाद मैडिकल छात्रों के काम आ सके, ताकि वे कुछ नया सीख सकें. मरणोपरांत नेत्रदान तथा देहदान का संकल्प होना चाहिए. किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं, पराया दर्द जो अपनाए उसे इंसान कहते हैं.

परोपकार की भावना

डा. शिवशंकर प्रसाद पिछले करीब 30 सालों से गरीब और जरूरतमंद लोगों का केवल 10 रुपए की फीस ले कर इलाज कर रहे हैं. बिहार के नालंदा जिले में चल रहा उन का सुहागी क्लिनिक गरीब मरीजों के लिए अंतिम उम्मीद बन गया है. उन्होंने वर्ष 1986 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुहागी क्लिनिक नाम से एक अस्पताल शुरू किया.

ऐसा करने के पीछे उन का व्यक्तिगत दुख छिपा हुआ है. जब उन की उम्र महज 1 साल थी, तब मां का निधन हो गया था. उन की मां को टिटनैस हो गया था. पैसे की कमी के कारण उन की मां का इलाज नहीं हो सका था और उन की मृत्यु हो गई. पिताजी से जब यह बात उन को पता चली तो बचपन में ही उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें डाक्टर बनना है. उन्होंने यह भी फैसला किया कि डाक्टर बनने के बाद वे किसी गरीब को पैसे की कमी के कारण मरने नहीं देंगे.  गुजरात के शुष्क बनासकांठा जिले के एक विकलांग किसान ने अनार की अच्छी पैदावार कर अन्य लोगों को अपनी जमीन का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है. लखानी तालुका में गोलिया गांव के अनार किसान गेनाभाई पटेल के दोनों पैर पोलियोग्रस्त हैं. लेकिन इसे उन्होंने अपने लिए बाधा नहीं बनने दिया. उलटे, उन्होंने अपने लिए बाधा इस अतिशुष्क और अनावृष्टि वाले क्षेत्र में अनार के बागान लगा कर ड्रिप सिंचाई वाली कृषि पद्धतियों का प्रयोग किया. कई किसानों ने उन का अनुसरण किया और आज ये सारे किसान नई कृषि पद्धति से मुनाफा कमा रहे हैं. करीब 70 हजार किसानों ने उन की इस सफलता को दोहराने के लिए पटेल के बागान का दौरा किया.

सार्थक प्रयास

टोक्यो में आयोजित होने वाले 2020 ओलिंपिक और पैरालिंपिक खेलों के मैडल देश के आम नागरिकों के फोन से तैयार किए जाएंगे. जापान सरकार ने इस के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. जापान सरकार ने जापान ओलिंपिक प्रबंधन समिति की सिफारिशों को मान लिया है. देश के हर सरकारी दफ्तर और फोन की दुकानों पर डब्बे रखे जाएंगे. हर नागरिक इन में इच्छा से खराब और पुराने फोन तथा पुराने बिजली के उपकरण जमा करा सकेंगे. स्मार्टफोन के अंदर कई खनिज पदार्थ होते हैं. इन खनिज पदार्थों को रिसाइकिल कर उन से 5,000 ओलिंपिक मैडल तैयार किए जाएंगे. इस प्रयास से मैडल की लागत कम होगी. जापान सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया है.

रोजर फेडरर टैनिस खिलाड़ी का व्यक्तित्व सिर्फ उन के खेल में ही नहीं उभरता. टैनिस कोर्ट के बाहर जो फेडरर हैं, वही उन के खेल को महानतम और उन्हें अनुकरणीय बनाता है. फेडरर को हार या जीत से ज्यादा खेलते रहने से प्रेम रहा है. जीवन में अकसर ऐसा ही होता है. जीतने वाले को जगभलाई मिलती है और हारने वाले को केवल गुमनामी या उदासी ही सहारा रहता है. लेकिन कुछ ऐसे विरले होते हैं जिन के लिए हार या जीत का अंतर नाममात्र रहता है. वे जीत कर भी हार को देखते, समझते हैं और हार में भी जीतना जानते हैं. उन के लिए खेलना ही महत्त्वपूर्ण रहता है. टैनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर ऐसे ही व्यक्तित्व हैं.

आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ जहां दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही, वहीं कमाई के मामले में उस ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. बौक्स औफिस पर ‘दंगल’ से लगभग 400 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई हुई है. वहीं, 2014 में आई आमिर की ‘पीके’ पहली फिल्म थी जिस ने कमाई में 300 करोड़ रुपए की कमाई का आंकड़ा पार किया था. अब लोग मारधाड़ तथा सैक्स से भरी फिल्मों को नकार रहे हैं. वे संदेशपरक, सफल व्यक्तित्व तथा सच्ची कहानियों पर आधारित फिल्मों को देखना चाहते हैं. लखनऊ के मोहन रोड स्थित राजकीय संप्रेक्षणगृह में जघन्य अपराधों के आरोपों में लाए गए किशोर पिछले 2 वर्षों से संस्था में चल रही ट्रेनिंग के जरिए डिजिटल दुनिया में अपनी पैठ मजबूत कर चुके हैं. यही वजह है कि संस्था से निकले कई किशोर आज डिजिटल बिजनैस कर रहे हैं.

सरकार ब्रेनड्रेन के चलते विदेशों में बस गए युवा भारतीय प्रतिभाओं को वापस लाने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. विदेशों में शोधकार्य में लगे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों को आईआईटी में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा. आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम अमेरिका, ब्रिटेन, जापान समेत तमाम देशों में जा कर साक्षात्कार की प्रक्रिया वहीं पूरी करेगी. चुने गए उम्मीदवारों को तुरंत नियुक्ति दी जाएगी. देश की प्रतिभाओं को देश में लाने की यह अच्छी पहल है. एक इंजीनियर तथा डाक्टर बनाने में देश का काफी संसाधन खर्च होता है. पहले अपने देश को रोगमुक्त तथा गरीबीमुक्त बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए.

गवाह

‘‘जो कहूंगा सच कहूंगा. सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा.’’ ‘गवाह’ शब्द सुनते ही दिमाग में गीता पर हाथ रख कर यह बोलते एक ऐसे व्यक्ति की तसवीर उभर आती है जिस के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि वह कितना सच बोल रहा है और कितना झूठ. वकीलों के कितने शब्दबाण वह झेल पाएगा, उसे इस का पता नहीं होता. गीता जिस पर हाथ रख कर वह सच बोलने की कसम खाता है, उस में क्या लिखा है, न कसम खाने वाले को पता है और न ही खिलाने वाले को. गवाह का इतिहास तो जजों और वकीलों से भी पुराना है. महाभारत के एक प्रसंग में गुरु द्रोण को पराजित करने के लिए कृष्ण को युधिष्ठिर की गवाही का सहारा लेना पड़ा. गवाही भी सच्ची मगर चालाकी से दिलवाई गई. उस वक्त रामजेठमलानी या अरुण जेटली जैसे वकील तो थे नहीं. सो कृष्ण ने उलझा दिया गुरु द्रोण को छलकपट के जाल में और निकाल लिया अपना मतलब.

अब जम्मू में नैशनल कांफ्रैंस के नेता मोहम्मद यूसुफ की मौत को ले कर चश्मदीद गवाह अब्दुल सलाम ने टैलीविजन चैनलों में ऐसी बात बोली कि इस में जम्मूकश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उन के पिता डा. फारूख अब्दुला शक के घेरे में आ गए. अब अब्दुल सलाम कितना सच और कितना झूठ बोल रहे हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा.

गवाहों की उपयोगिता सिर्फ अदालतों तक ही सीमित नहीं है. जिंदगी के हर लमहे में इस की जरूरत पड़ती है. अपनी जान बचाने के लिए सफाई देनी हो और मौके पर गवाह न मिले तो ‘खुदा गवाह’ है. यकीन मानो या न मानो पर मेरा भगवान जानता है या ईश्वर सब देख रहा है. भला बिना गवाह के गुजारा है कहीं?

कभीकभी तो जान बचाने के लिए एकदूसरे की गवाही का सहारा भी लेना पड़ता है. एक दिन बीवी ने बाजार से सामान लाने के लिए मुझे भेज दिया. बाजार में मुझे एक पुराने मित्र मिल गए. हम गपशप कर पुरानी यादें ताजा करने लगे तो घंटों बीत गए.  जेब में रखा फोन जब घनघनाने लगा तब ध्यान आया कि बाजार क्यों आए थे. फोन उठाया तो लगे बहाना बनाने. अपने दोस्त से झूठी गवाही दिलाई कि साहब की गाड़ी में पंक्चर हो गया था. तब कहीं जा कर जान बची.

मगर कभी आप ने गवाह की दुर्दशा के बारे में सोचा है. सच बोलो तो मुसीबत और न बोलो तो मुसीबत ही मुसीबत. अदालतों के जो फैसले आजकल अखबारों में आ रहे हैं उन्हें आप पढ़ें तो यही पता चलेगा कि मुख्य मुजरिम के बारे में कम और गवाहों के बारे में ज्यादा कुछ लिखा गया है. एक मामले में तो 32 गवाह मुकर गए. अदालत अब उन के खिलाफ कार्यवाही करेगी. ऐसे मामले में 4 साल तक सजा होने का प्रावधान है. यह अनुमान लगाना गवाहों की अवमानना होगी कि वे या तो गांधीछाप नोटों की ललक में या फिर भाई लोगों की धमकी के डर से मुकर गए. कुछ भी हो, रसूखदार लोग धन, बल और दल से मामला अपने पक्ष में करने की कोशिश तो करते ही हैं. चाहे सीधेसीधे गवाहों को धमकी देने से बात बने या फिर सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर गवाहों को तंग करने से बने. कुछ गवाह तो सीधे मुकर जाते हैं मगर कुछ लोग मैदान में डटे रहते हैं और एकएक कर किस्तों में मुकरते हैं.

आप गवाह हैं. आप के सामने बोली और गोली की शर्त हो तो जान बचाने के लिए आप बोली को चुनना पसंद करेंगे. पुलिस के सामने सच बोल दिया था. जज के सामने झूठ बोलने में क्या हर्ज है? गवाहों की सुरक्षा के बारे में सरकार क्या कर रही है? यह ऐसा सवाल है जो गवाहों को डगमगाने पर मजबूर कर देता है.  अदालत में सच का झंडा बुलंद करने वाले गवाहों को जब सफेदपोश बाहुबली डिगा नहीं पाते तो वे सरकारी तंत्र का सहारा ले कर उन की रोजीरोटी पर प्रहार करते हैं. जेसिका लाल के मामले में उस बार को सील करवा दिया गया. उस पर कई तरह की धाराएं लगवा दी गईं. जेसिका लाल के हत्यारों को तो सजा मिल गईं. वे कम से कम सलाखों के पीछे आराम से तो हैं.

अदालत में न्याय मांगने वालों में एक को न्याय मिलता है तो दूसरा मायूस हो जाता है. मगर गवाह को क्या मिलता है? कुछ गवाह अदालत जाने के बदले पाते हैं मौत जैसी बदतर जिंदगी तो कुछ अदालत परिसर के बाहर ही मार दिए जाते हैं. जिन गवाहों का संबंध सेलिब्रिटी मामलों से जुड़ा होता है वे अखबारों में छप जाते हैं. कुछ गवाह तनाव में अपनी ही मौत मर जाते हैं जिन का सिर्फ मृत्यु प्रमाणपत्र ही अदालत के लिए काफी है.

विदेशों में गवाह की सुरक्षा के लिए खासा इंतजाम किया जाता है. यहां तक कि उन का नाम, उन की पहचान और काम का स्थान तक गोपनीय रखा जाता है. मगर भारत में गवाह को उस के हाल पर छोड़ दिया जाता है. चर्चित मामलों में मीडिया गवाहों की इतनी पब्लिसिटी कर देती है कि उस के नाम की ‘सुपारी’ देने वाले को गवाह की फोटो देने की भी जरूरत नहीं उठानी पड़ती. ऐसी स्थिति में भला कोई जाहिरा शेख क्यों न बन जाए? जाहिरा सही बयान देती तो न जाने कितनों को फांसी होती. फिर धर्म के ठेकेदार जनून में बलवा करते. फिर लोग मारे जाते, इसी डर से या किसी और मजबूरी में उसे सच से मुकरना पड़ा.

गवाही किस के खिलाफ दें और किसे बचाने के लिए दें? एक तरफ दोस्त की मौत का गम तो दूसरी ओर भाई के जीवन की चाहत और पिता की प्रतिष्ठा. भारती यादव करे तो क्या करे? कुछ सच, कुछ झूठ बोल कर काम चलाने में ही समझदारी है. मतलब सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. गवाह सच बोले तो खाई और झूठ बोले तो कुआं.       

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