#coronavirus: सितम्बर में डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाली थीं ये एक्ट्रेस, पढ़ें पूरी खबर

कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण टीवी से लेकर बौलीवुड के कई स्टार्स की शादी 2020 में टल गई हैं. वहीं अब एक्ट्रेस शमा सिकंदर (Shama Sikander) ने भी अपनी शादी की डेट पोस्टपोन कर दी है. हाल ही में एक इंटरव्यू में शमा सिकंदर ने अपने होने वाले पति के बारे में बताते हुए शादी के प्लान्स का भी खुलासा किया है. आइए आपके बताते हैं क्या कहना है शमा सिकंदर का…

डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाली थीं शमा

शमा सिकंदर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया है कि, ‘हम सितम्बर में डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाले थे और वेन्यू से लेकर लगभग हर एक चीज फाइनल भी हो गई थी. हम सारी चीजों के साथ तैयार ही थे कि फिर कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी. हम दोनों का परिवार तैयारियों में जुटा हुआ था. जेम्स का परिवार ट्रैवल नहीं करता है तो उनके पास पासपोर्ट नहीं था. हमने उन्हें जल्द से जल्द पेपरवर्क को पूरा करने के लिए कहा था. खैर, अभी हमारा सारा प्लान होल्ड पर है क्योंकि इस समय ट्रैवल करना ठीक नहीं है.’

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लोगों की मदद कर रही हैं शमा

शमा सिकंदर ने आगे कहा है कि, ‘कोविड-19 के चलते हमारी जिंदगी में काफी बदलाव आ चुका है. हम इस वायरस से प्रभावित लोगों की मदद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. इससे हमें अंदरुनी खुशी मिल रही है और शादी का क्या है वो तो कभी भी हो सकती है.’ वहीं शमा सिकंदर इस समय मुंबई में अपने मंगेतर जेम्स मिलिरॉन के साथ ही हैं और क्वौलिटी टाइम बिता रही हैं. वहीं इस खास समय को लेकर उनका कहना है कि ‘मैं इमेजिन कर सकती हूं कि इस समय जो लोग अकेले है, उन पर क्या बीत रही होगी. मैं खुश हूं कि इस मुश्किल हालात में जेम्स मेरे साथ है. एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथ-साथ हम जिंदगी को नई तरह से जीना भी सीख रहे हैं.’

बता दें, एक्ट्रेस शमा सिकंदर कई सालों से यूएस बेस्ड बिजनेसमैन जेम्स मिलिरॉन को डेट कर रही हैं. वहीं साल 2016 में ही शमा सिकंदर और जेम्स ने सगाई कर ली थी,  जिसके बाद अब उनका शादी का प्लान था.

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मैं फ्रंट लाइन में काम करने वालों को सैल्यूट करता हूं – अक्षय ओबेरॉय

राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘इसी लाइफ में’ से अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता अक्षय ओबेरॉय को शुरू से अभिनय करने की इच्छा थी, जिसमें उसके माता-पिता ने साथ दिया. विदेश में अपनी पढाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आये और पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया और अभिनय की तालीम ली. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में और वेब सीरीज में काम किया और अपनी जर्नी से खुश है.

अक्षय ओबेरॉय का इस जर्नी में साथ दे रही उनकी पत्नी ज्योति है, जो उनके बचपन की प्रेमिका रही है. दोनों का बेटा अव्यान है. अक्षय ने हमेशा अलग और रुचिपूर्ण कहानियों को महत्व दिया और कामयाब रहे. वे सेल्फ मेड इंसान है और खुद की मेहनत को प्रमुखता देते है. उनसे बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

सवाल-लॉक डाउन में क्या कर रहे है?

इनदिनों मैं अपने तीन साल के बेटे के साथ समय बिता रहा हूं उसे खाना खिलाना, खेलना, गार्डनिंग करना, किताबे पढ़ना, घर की साफ़ सफाई करना आदि करता हूं.मैंने पिछले कुछ सालों में बहुत सारा काम किया है अब थोडा समय मिला है. अपने परिवार के साथ बिता रहा हूं.

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सवाल-अभिनय के क्षेत्र में आने की इच्छा कैसे हुई?

मैं जब 12-13 साल का था, तो लगा कि एक्टिंग मेरी दुनिया है, क्योंकि मेरे पिता को फिल्मों से रूचि थी और वे मुझे फिल्में दिखाते थे, उस समय मैंने गुरुदत्त, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की कई फिल्में देख, लगा कि मुझे अभिनय ही करना है.

 

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सवाल-जब पिता को पहली बार अभिनय के बारे में बताया तो उनका रिएक्शन क्या था? उनका सहयोग कितना था?

12 साल की उम्र में जब मैंने पिता को अभिनय के बारें में कहा, तो वे पहले मेरी तरफ देखते रह गए और मेरी निश्चयता को परखने की कोशिश की. वे एक्टिंग फील्ड से परिचित थे, इसलिए अधिक कुछ नहीं कहा. बाद में मैंने भी उसी दिशा में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया. स्टडी ख़त्म होने के बाद मैं फ्लाइट पकड़ कर मुंबई आ गया और काम करने की दिशा में लग गया. मैंने हमेशा अच्छी फिल्मों में काम करने की कोशिश की है. इससे दर्शकों का प्यार मुझे मिला है.

मेरे मुंबई आने से कुछ साल पहले मेरे माता-पिता अमेरिका से मुंबई आ चुके थे इसलिए यहाँ आने के लिए अधिक सोचना नहीं पड़ा. मुंबई आकर मैंने सबसे पहले पृथ्वी थिएटर में काम करना शुरू कर दिया. वहां मकरंद देशपांडे से मिला और कई नाटक किये. इससे सबसे परिचय हुआ और मैंने अपना पोर्टफोलियो हर प्रोडक्शन हाउस में छोड़ आगे बढ़ता गया.

सवाल-पहला ब्रेक मिलने में कितना संघर्ष रहा?

पहला ब्रेक मिलना बहुत मुश्किल होता है, बाहर से आने पर ये और अधिक मुश्किल होता है, लेकिन मुझे ये मौका राजश्री प्रोडक्शन वालों की तरफ से मिला जो मेरे लिए अच्छी बात रही. फिल्म अच्छी नहीं चली. फिर मैं थिएटर करने चला गया. वहां से टीवी और उसके बाद फिल्म ‘पिज़्ज़ा’ मिली. इसके बाद से मुझे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. मेरी सफल फिल्म ‘गुडगांव’ है, जिसे आलोचकों ने काफी सराहा. मैंने हमेशा उन फिल्मों को चुना, जिसमें मुझे अभिनय करने का मौका मिला. मैं अपने आपको वर्सेटाइल एक्टर कहलाना पसंद करता हूं.

सवाल-लॉक डाउन के बाद किस तरह से इंडस्ट्री को ग्रो करने की जरुरत होगी?

सभी बड़े निर्माता और निर्देशक इस बारें में अवश्य सोच रहे होंगे. कुछ सावधानियां लेनी पड़ेगी. सेट पर मास्क पहनना और हायजिन का ध्यान रखना पड़ेगा, क्योंकि इस लॉकडाउन के बाद में दर्शक भी कुछ नया देखना चाहेंगे.

सवाल-वेब सीरीज को आप कितना सराहते है?

ये एक अच्छा प्लेटफार्म है और आज के दर्शक भी बहुत स्मार्ट है, इसलिए अच्छी-अच्छी कहानियां वेब पर दिखाने की कोशिश लगातार चल रही है. फिल्मों को अगर टक्कर देने की बात हो, तो और भी अच्छी कहानियां लिखनी पड़ेगी. मैंने कई वेब सीरीज किये है, जो आगे आने वाली है. वेब सीरीज के विषय बहुत अच्छे होते है और किसी चरित्र को दिखाने के लिए बहुत समय मिलता है. क्रिएटिवली इसमें संतुष्टि अधिक मिलती है.

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सवाल-आपने एक छोटी सी भूमिका अभिनेता इरफ़ान खान की फिल्मपिकूमें किया था, कैसा अनुभव रहा?

मैंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी जिसमें उनके साथ अभिनय का मौका नहीं मिला, पर मैं उनके काम से बहुत प्रभावित हूं. उनकी फिल्म ‘मकबूल’ मुझे बहुत पसंद है, उन्हें देखकर मुझे इंडस्ट्री में काम करने का हौसला मिला है. ऋषिकपूर की फिल्म ‘डी डे’ मुझे बहुत अच्छी लगी थी.

सवाल-क्या मेसेज देना चाहते है?

मैं इस समय फ्रंट लाइन पर काम करने वाले सभी को सैल्यूट करना चाहता हूं, जिसमें डॉक्टर्स, नर्सेज, पुलिस, वोलेंटियर्स और सफाईकर्मी सभी है. उनकी वजह से हम सभी सुरक्षित है. वे हमारे सुपर हीरो है.

हाई हील्स से परेशान हुईं स्वरा भास्कर तो मीडिया के सामने ही उतार दी सैंडल

हाल ही में हुए आईफा अवौर्ड्स में बौलीवुड सेलेब्स की धूम रही. ग्रीन कार्पेट पर सभी सेलेब्स ने एंट्री कर फोटोग्राफर्स को पोज दिए. स्वरा भास्कर भी इस दौरान व्हाइट गाउन में यहां पहुंचीं, लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि स्वरा ग्रीन कार्पेट पर परेशान हो गईं.

हील्स से परेशान हुईं स्वरा…

दरअसल, बाकी सितारों की तरह ही स्वरा भास्कर भी ग्रीन कारपेट पर वौक करने पहुंची थीं. इस दौरान स्वरा अपनी हाई हील्स की वजह से काफी परेशान दिखीं. जिसकी वजह यह है कि, उनकी हील्स बार बार उनकी लंबी ड्रेस में अटक रही थी. इस बात से परेशान हो कर स्वरा भास्कर ने कैमरे के सामने ही अपनी हील्स उतार दी. तस्वीरों में स्वरा झुककर अपनी हील्स उतारती नजर आ रही हैं. इस दौरान स्वरा को देखकर हर कोई हैरान हो गया.

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फैंस को पसंद आया अंदाज

स्वरा का ये अंदाज फोटोग्राफर्स से लेकर फैन्स तक सभी को खूब पसंद आया. दरअसल, आमतौर पर एक्ट्रेसेस हील्स पहनती हैं और उनके प्रोफेशन में ये सब बहुत ज़रूरी होता है, लेकिन स्वरा ने ये सब ना देखते हुए मस्त कंफर्टेबल होकर पोज दिए. वैसे स्वरा से पहले फिल्म ट्वाइलाइट में नजर आ चुकी हौलीवुड एक्ट्रेस क्रिस्टन स्टीवर्ट भी रेड कारपेट पर यह कारनामा कर चुकी हैं.

स्वरा के लुक्स की बात करें तो उन्होंने इस दौरान व्हाइट गाउन पहना था. इसके साथ ही उन्होंने हाई हेयरबन बनाया था. जिसमें वो काफी ग्लैमरस लग रही थीं.


जब चोरी हुई जूतिया…

अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है जब स्वरा भास्कर की कोल्हापुरी जूतियां चोरी हो गई थी. दरअसल, लाल बाग के राजा के पंडाल में कोई स्वरा की जूतियां चुरा कर ले गया था. जिसके बाद स्वरा को नंगे पैर ही घर आना पड़ गया था.

स्वरा की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो लास्ट फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ नजर आई थीं. फिल्म में उनके किरदार को काफी पसंद किया गया था.

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इस साल नहीं होगी वरुण-नताशा की शादी, पिता ने किया खुलासा

बौलीवुड में कुछ भी स्थायी नहीं होता. कब क्या बदल जाए, कह नहीं सकते. तभी तो वरूण धवन और उनकी प्रेमिका नताशा दलाल के विवाह की तारीखें भी बार-बार बदलती जा रही हैं. 2018 में चर्चाएं गर्म हुई थी कि वरूण धवन और नताशा 2019 की शुरूआत में शादी कर लेंगे. फिर खबर आयी कि वरूण धवन के जन्मदिन पर इनकी सगाई होगी और मई माह में दोनों गोवा में शादी होगी. पर वरूण धवन अपने जन्मदिन से एक दिन पहले विदेश चले गए थे. उसके बाद वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि शादी टूटी नहीं है. यह शादी होगी जरुर.

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पिता ने किया खुलासा…

फिलहाल कुछ दिनो से खबरें गर्म थी कि वरूण धवन और नताशा दलाल इसी साल नवंबर या दिसंबर माह में जोधपुर में शादी करेंगे. लेकिन अब एक बार फिर वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने ही पत्रकारों से कहा है कि नवंबर या दिसंबर माह में वरूण की शादी नहीं हो रही है.

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जल्द होगी अनाउंसमेंट…

इस बार डेविड धवन ने थोड़ा गुस्से मे पत्रकारों से कहा -‘‘कुछ पत्रकार बिना हमसे पूछे वरूण की शादी की तारीखें घोषित कर रहे हैं. सच यह है कि वरूण इस वर्ष शादी नहीं कर रहे हैं. वरूण धवन 2020 में शादी करेंगे. शादी की तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी.’’ॉ

EDITED BY- NISHA RAI

जानें किसे डेट कर रही हैं संजय दत्त की बेटी…

हाल ही में रिलीज हुई कलंक के एक्टर संजय दत्त की फिल्म ने अभी धमाल मचाना शुरू भी नही किया था कि संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त औलरेडी इंटरनेट सेंसेशन बन गई हैं. इसकी वजह हैं इंस्टाग्राम पर छाईं उनकी हौट और ग्लैमरस तस्वीरें, जिनमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र किया है.

संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त 31 साल की हैं और परिवार से दूर विदेश में पढा़ई कर रही हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर किए अपने एक पोस्ट में अपनी एक हौट फोटो डाली है, जिसमें वह अपना खाना इंजौय करती दिख नजर आ रही हैं. जिसमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘इटैलियन लड़के को डेट करना यानी ढेर सारा पास्ता और ढेर सारी वाइन.’

 

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dating an Italian means lots of pasta ? and lots of wine ? #carboverload #gymtomorrowtho #cantkeepeatinglikethis

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इससे पहले भी त्रिशला ने सोशल मीडिया पर अपने रिलेशनशिप का जिक्र हुए पोस्ट में अपने रिलेशनशिप के बारे में बताते हुए लिखा था, ‘उसने मेरा गला पकड़ा, पर दबाया नहीं, उसने मुझे एक गहरा किस किया और मैं भूल गई की मैं किसकी सांसे ले रही हूं.

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बता दें, कुछ दिन पहले त्रिशाला ने संजय दत्त की एक तस्वीर पर कमेंट किया था जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी. संजय दत्त ने ‘कलंक’ फिल्म के अपने लुक को इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इस तस्वीर को शेयर करते हुए संजय ने लिखा था- ‘कम शब्दों के साथ आदमी का रोल निभाना आसान नहीं होता.’ इसके साथ ही संजय ने बलराज लिखा.  ‘

संजय दत्त के इस पोस्ट के बाद मानों सोशल मीडिया पर यूजर्स के कमेंट की बौछार सी आ गई. हर कोई संजय के लुक की तारीफ करने लगा. इस बीच बौलीवुड भी पीछे नहीं रहा. वरुण धवन ने संजय दत्त की तस्वीर पर कमेंट करते हुए लिखा ‘क्या तस्वीर है…’. वरुण के इस पोस्ट के बाद संजय दत्त की बेटी भी खुद को रोक नहीं पाईं. त्रिशाला ने संजय दत्त की तस्वीर पर लिखा – ‘पापा आइ लव यू’.

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जलियांवाला बाग पर बनेगी फिल्म, 100वीं वर्षगांठ पर ऐलान

इंडियन फिल्ममेकरों ने समय-समय पर आजादी, पौराणिक कथाओं के साथ-साथ इतिहास के कई पन्नों को सिनेमा के जरिए से पेश कर भारतीय इतिहास को गौरवान्वित करने के साथ ही देशवासियों को भी शिक्षित भी किया है. ऐसे में फिल्ममेकर सौ साल पहले घटी विनाशकारी और दर्दनाक घटना को कैसे भुला सकते हैं.

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‘‘लंदन ड्रीम्स’’ जैसी फिल्म के निर्माताओं ने 13 अप्रैल 2019 को मुंबई में तमाम फिल्म कर्मियों व पत्रकारों की मौजूदगी में फिल्म ‘‘जलियांवाला बाग’’के निर्माण की घोषणा की. उससे पहले सरबजीत ‘बोनी’ दुग्गल, विनीता मेनन, केशव पनेरी, हरीश कोहली ने पत्रकारों से बात की. कार्यक्रम की शुरूआत अरदास से की गयी. जिसमें जलियां वाला बाग नरसंहार में शहीद हुए सभी लोगो को श्रद्धांजलि दी गयी.

JALIAYAN-WALA-BAGH-

भारतीय इतिहास में ‘जलियांवाला बाग’ नरसंहार हिंसा के अति क्रूर राजनीतिक कृत्य के रूप में चित्रित है. ‘जलियांवाला बाग’ नरसंहार ऐसी घटना है, जो देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करती है. यह भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है.

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अरदास के कार्यक्रम के बाद ‘टर्बन फिल्म’ के तहत सरबजीत ‘बोनी’ दुग्गल और उनकी बेटी विनीता मेनन इसी काले अध्याय पर ‘‘जलियांवाला बाग’नामक फिल्म का निर्माण की घोषणा की. इस फिल्म में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हजारों निर्दोष स्त्री व पुरूषों की हत्या की त्रासदी के साथ उनके बलिदान को भी दिखाया जाएगा.

Edited by- Rosy

फिल्म रिव्यू : रिस्कनामा

रेटिंग : दो स्टार

गांव के पुरुष के अत्याचार से अकाल मृत्यु प्राप्त लड़की भूतनी बनकर किस तरह पूरे गांव के मर्दों से बदला लेती है, उसी की कहानी है फिल्म ‘‘रिस्कनामा’’. पर पूरे परिवार के साथ देखने योग्य नही है.

फिल्म की कहानी राजस्थान के एक गांव की है, जहां के सरपंच शेरसिंह गुर्जर (सचिन गुर्जर) का हुकुम ही सर्वोपरी है. कोई भी इंसान उनके खिलाफ जाने की जुर्रत नही करता. पंचायत के सभी सदस्य शेरसिंह की ही बात का समर्थन करते हैं. शेरसिंह का दावा है कि वह हर काम देश व समाज की संस्कृति को बचाने व गांव की भलाई के लिए ही करते हैं. शेरसिंह के गांव में प्यार करना अपराध है. जो युवक व युवती प्यार करते हुए पकड़े जाते हैं, उन दोनों को शेरसिंह मौत की नींद सुला देता है. गांव के काका (प्रमोद माउथो) की लड़की दामिनी जब एक लड़के राजू के प्यार में पड़कर गांव से बाहर जा रही होती है, तो काका पंचायत पहुंचते हैं, जहां प्रेम की सजा मौत सुनाई जाती है. सरपंच शेरसिंह का मानना है कि दामिनी अपनी मनमर्जी से राजू के साथ गयी है. दोनो को ढूंढकर मौत की सजा दी जाए. गांव के लोग दामिनी व राजू को ढूंढकर लाते हैं, और दोनों को मौत की नींद सुला दिया जाता है. पर दामिनी भूतनी बनकर एक पेड़ पर रहने लगती है. उसके बाद आए दिन किसी न किसी गांव के युवक का शव गांव के उसी पेड़ पर लटकते हुए मिलता है, जिस पर दामिनी के भूत ने कब्जा जमा रखा है.

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सरपंच शेरसिंह जितने नेक दिल इंसान हैं, उनका भाई वीर सिंह (सचिन गुर्जर) उतना ही बदचलन है. हर दिन गांव की किसी न किसी लड़की की इज्जत लूटना उसका पेशा सा बन गया है. दिन भर शराब में डूबा रहता है या जुआ खेलता है. मगर शेरसिंह कि ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है. पड़ोसी गांव के चौधरी (शहबाज खान) अपनी बेटी मोहिनी (अनुपमा) की शादी शेरसिंह के भाई वीर सिंह से करने का प्रस्ताव यह सोचकर रखते हैं कि शेरसिंह की ही तरह वीर सिंह भी अच्छा आदमी होगा. शादी के बाद पहली रात ही मोहिनी को पता चल जाता है कि उसकी शादी गलत इंसान से हुई है. वीर सिंह हर दिन रात में शराब पीकर किसी तरह कमरे में पहुंचता है. कुछ दिन बाद चौधरी अपनी बेटी मोहिनी को बिदा कराने आते हैं. जब वह मोहिनी को बिदा कराकर जा रहे होते हैं, तो कुछ पलों के लिए उसकी गाड़ी उसी पेड़ के नीचे रूकती है और दामिनी का भूत मोहिनी में समा जाता है. घर पहुंचने पर मोहिनी बीमार हो जाती है. बेसुध रहती है. डाक्टरों को बीमारी की वजह समझ नही आती. डाक्टर कहते हैं कि यह किसी सदमे में है. इसे खुश रखने की कोशिश की जाए. समय गुजरता है. पर वीर सिंह अपनी पत्नी मोहिनी को बिदा कराने नही जाता. तब शेरसिंह की पत्नी सरला (कल्पना अग्रवाल), शेरसिंह को घर की इज्जत बचाने के लिए मोहिनी को बिदा कराने भेजती है. पर चौधरी गांव की पंचायत बुलाकर शेरसिह पर आरोप लगाते हुए मोहिनी को भेजने से मना कर देते हैं.

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शेरसिंह अपनी गलती कबूल करते हुए कहते हैं कि वह एक बार मोहिनी से मिलना चाहेंगे. शेरसिंह, मोहिनी से मिलने घर के अंदर जाता है. मोहिनी इस शर्त पर जाने के लिए राजी होती हैं कि वह उसके साथ पत्नी जैसा व्यवहार करेंगे. क्योंकि उसके पिता ने उसकी शादी उन्ही को देखकर की थी ना कि वीरसिंह को. अपने गांव व घर में अपनी इज्जत बचाने के लिए शर्त मान लेते हैं. मोहिनी बिदा होकर आ जाती है. अब मोहिनी हर रात शराब में डूबे वीरसिंह को कमरे से बाहर कर शेरसिंह के साथ रात गुजारती है. एक दिन रात में मोहिनी के कमरे से शेरसिंह को निकलते हुए शेरसिंह की बहन ज्योति देख लेती है. शेरसिंह कहता है कि वह मोहिनी को समझाने गया था. फिर ज्योति की सलाह पर शेरसिंह, वीर व मोहिनी को पिकनिक मनाने भेजते हैं. जहां वीर सिंह सुधर जाता है. फिर कहानी तेजी से बदलती है. फिर हालात ऐसे बनते हैं कि वीरसिंह, शेरसिंह और मोहिनी को रंगेहाथों पकड़ता है. वीरसिंह के हाथों गोली चलती है. शेरसिंह व मोहिनी मारे जाते हैं, पर फिर मोहिनी खड़ी हो जाती है, पता चलता है कि उसके अंदर तो दामिनी का भूत है, जिसने बदला लेने के लिए  शेरसिंह से यह सब करवाया. अंततः वीरसिंह भी मारा जाता है और सरला को गांव का सरपंच बना दिया जाता है.

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बदला लेने की कहानी ‘‘रिस्कनामा’’ एक बोझिल फिल्म है. इसमें मनोरंजन का घोर अभाव है. फिल्म में गंदी गालियों की भरमार है, जिसके चलते पूरे परिवार के साथ बैठकर फिल्म नहीं देखी जा सकती. जबकि इस विषय पर यह बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. मगर अपरिपक्व लेखन व निर्देशन के चलते फिल्म एकदम सतही बनकर रह गयी. कई जगह लगता है कि पटकथा लिखते समय लेखक खुद स्पष्ट नही रहें कि उन्हें अपनी फिल्म को वास्तव में किस दिशा की तरफ ले जाना है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो फिल्म में एक भी कलाकार अपने किरदार के साथ न्याय करने में पूर्णतः सफल नही है. दोहरी भूमिका में सचिन गुर्जर है, मगर शेरसिंह के किरदार में वह कुछ हद तक सफल रहे हैं, पर वीर सिंह के किरदार में वह बेवजह लाउड हो गए हैं. अनुपमा तो सुंदर लगी हैं. कल्पना अग्रवाल ठीक ठाक हैं. प्रमोद माउथो एक गरीब व मजबूर गांव वाले के छोटे किरदार में अपनी छाप छोड़ जाते हैं.

लगभग पौने दो घंटे की फिल्म ‘रिस्कनामा’ का निर्माण अर्जुन सिंह ने किया है. फिल्म के निर्देशक गुर्जर अर्जन नागर हैं.

मैं कोई रईस बाप का बेटा नहीं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी

हिंदी फिल्म ‘शूल’ और ‘सरफरोश’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरपुर जिले के बुधाना कस्बे के एक किसान परिवार से हैं. अभिनय की इच्छा उन्हें बचपन से ही थी. यही वजह थी कि विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल औफ ड्रामा से भी स्नातक की शिक्षा पूरी की और थिएटर में अभिनय करने लगे. शुरुआत में उन्होंने कई बड़े और छोटे फिल्मों में काम किया, पर वे अधिक सफल नहीं रहे. असली पहचान उन्हें फिल्म पिपली लाइव, कहानी, गैंग्स औफ वासेपुर, लंचबौक्स जैसी फिल्मों से मिली. साधारण कदकाठी के होते हुए भी उन्होंने फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनायीं. अभी उनकी फिल्म ‘फोटोग्राफ’ रिलीज पर है. जिसे लेकर वे काफी उत्सुक हैं. पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म में आपकी चुनौती क्या रही?

इसमें अपने आपको साधारण रखना ही चुनौती थी. निर्देशक रितेश बत्रा ने मुझे एक आम फोटोग्राफर की तरह लुक रखने को कहा, जो मेरे लिए आसान नहीं था, क्योंकि एक्शन बोलते ही एक्टिंग का सुर लग जाता है और उसी को निर्देशक ने दबाया है. एक्टिंग न करना ही इसमें चुनौती रही. जब हम कैजुअल होते थे, तभी निर्देशक उसे शूट करता था.

आपने इस चरित्र के लिए क्या-क्या तैयारियां की है?

गेट वे औफ इंडिया से कई फोटोग्राफर को बुलाया गया और उनके काम को मैंने नजदीक से देखा और पाया कि कैसे वे पूरा दिन काम करते हैं, दोपहर तक कैसे थक जाते हैं आदि सभी को फिल्म में दिखाने की कोशिश की गयी है.

आपने पहला पोर्टफोलियो कब बनाया था?

मैं साल 2000 में मुंबई आ गया था. उस समय मेरे पास पैसे नहीं थे, इसलिए वर्ष 2003 में मैंने पहला पोर्टफोलियो बनाया था.

इस फिल्म में दिखाए गए बेमेल रिलेशनशिप पर आप कितना विश्वास रखते हैं?

ऐसे रिश्ते बहुत होते हैं और इसमें मैं विश्वास रखता हूं. फिल्मों में उन्ही घटनाओं को दिखाया जाता है, जो रुचिकर और अलग हो. जिसमें ड्रामा होता है. इसमें एक पड़ाव है कोई ड्रामा नहीं है.

शादी का प्रेशर आप पर कितना था और अपने रिश्ते को परिवार तक कैसे ले गए?

मुझपर अधिक शादी का प्रेशर नहीं था. मैंने अपने रिश्ते को बताया और उन्होंने हां कर दी.

आपकी फिल्में लगातार आ रही हैं क्या आपको ओवर एक्सपोज होने का डर नहीं है?

मैंने अपने जीवन में थिएटर में 211 चरित्र निभाए हैं. 200 नाटक किये हैं और रियल लाइफ में मैंने तकरीबन 3 हजार लोगों को औब्जर्व किया है, क्योंकि जब मेरे पास काम नहीं था. आगे के सौ साल भी मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं, क्योंकि मेरे पास मसाला बहुत है. मैंने हर तरह के लोगों के साथ मिलकर समय बिताया है, मैं कोई रईस बाप का बेटा नहीं हूं, जिसे आस-पास के बारें में पता न हो.

क्या आपको लगता है कि अभी फोटोग्राफ की कोई एल्बम नहीं बनती, जिसे देखकर पुरानी बातों की यादें ताजा की जा सके?

ये सही है कि अब यादें जल्दी धुंधली पड़ जाती है, क्योंकि मोबाइल और उसकी तस्वीरें अधिक दिनों तक नहीं रहती, पर जमाना ऐसा है और लोग इसे ही पसंद कर रहे हैं. तस्वीरों की एल्बम होना आवश्यक है, जिसे आप बाद में याद कर सकें.

आपने खेतिहर किसानों के लिए अपने गांव में काफी सारा काम किया है, अभी वह कैसा चल रहा है?

मैंने डेढ़ साल से गांव में जाना कम कर दिया है. मेरा किसान भाई आधुनिक तरीके से खेती कर रहा है, जिसमें कम पानी में अधिक फसल उगाई जा सकती है. इसके लिए अधिक से अधिक प्रयोग किसानों को करना जरुरी है, क्योंकि हमारे यहां ट्यूबवेल से जो पानी आता है. उसका लेवल कम हो रहा है. पहले जब मैं खेती करता था तो 80 फीट पर पानी आ जाता था. अब 400 फीट पर पानी आता है. मैं चाहता हूं कि किसानों में इस बारें में जागरूकता बढे. अभी हमारे गांव के आसपास के क्षेत्र में काम हो रहा है, आगे और अधिक काम करने की इच्छा है.

आप स्टारडम को कितना एन्जाय करते हैं?

मैं अभी काम कर रहा हूं, स्टारडम को एन्जाय करने का समय नहीं है.

क्या दूसरे भाषाओं की फिल्में करने की इच्छा है?

मैं अच्छी किसी भी भाषा की कहानी को करना पसंद करता हूं.

अभी आप अपने व्यक्तित्व में क्या परिवर्तन पाते हैं?

मेरी पर्सनालिटी कभी कुछ खास नहीं थी. मैंने सोच रखा था कि मुझे जो काम मिलेगा, उसे मैं करता रहूंगा. मेरा कोई ड्रीम नहीं था, उसकी कोई शुरुआत भी नहीं थी, पर अब मैं खुश हूं.

मैं अभिनेत्री कंगना रनौत से काफी प्रेरित हूं : अनुष्का सेन

साल 2011 में धारावाहिक ‘बालवीर’ में मेहर की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री अनुष्का सेन झारखण्ड की हैं. बचपन से ही उसे अभिनय का शौक था, जिसमें साथ दिया उनकी मां राजरूपा सेन और पिता अनिर्बान सेन ने. वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और 16 वर्ष की उम्र से उनके करोड़ों फोलोवर्स हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कई विज्ञापनों और फिल्मों में भी काम किया है. उन्हें नई भूमिका और नयी कहानियों में काम करना बेहद पसंद है. उसे कई अवार्ड मिल चुके हैं. साल 2018 में 20 टौप यंग अचीवर्स का अवार्ड भी मिल चुका है. इसके अलावा उन्हें डांस बहुत पसंद है और शामक डावर के डांस क्लास में नृत्य भी सीख चुकी हैं. स्वभाव से नम्र और चुलबुली अनुष्का अभी कलर्स टीवी पर प्रसारित होने वाली शो ‘झांसी की रानी’ में ‘मणिकर्णिका’ की भूमिका निभा रही हैं. उनसे बात हुई, पेश है कुछ अंश.

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

डांस मेरा पैशन है, इसलिए मैंने बहुत कम उम्र से ही शामक डावर के डांस क्लास में नृत्य सीखना शुरू कर दिया था. वहां टीवी के लिए कभी-कभी औडिशन होता है, जिसमें मुझे मौका मिला और मैं 7 साल की उम्र में पहली धारावाहिक ‘बालवीर’ के लिए चुनी गयी और काम करना शुरू कर दिया. मैं अभिनेत्री कंगना रनौत से बहुत प्रेरित हूं, क्योंकि बाहर से आने के बावजूद उन्होंने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है. उनकी फिल्में मैं हमेशा देखना पसंद करती हूं.

anushka

झांसी की रानी धारावाहिक में अपनी भूमिका के लिए आपको कितनी मेहनत करनी पड़ी?

जब मुझे इसका औफर मिला, तो मैं बहुत खुश हुई, क्योंकि इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझे मिल रही थी. रानी लक्ष्मीबाई ने सालों पहले महिला सशक्तिकरण की दिशा में अपनी शक्ति दिखाई थी. लड़की होते हुए भी उन्होंने इतनी मुश्किल लड़ाई अंग्रेजों से लड़ी थी.

इसके लिए मैंने कई वर्कशौप अटेंड किये. 10 दिन तक सोर्ड फाइटिंग, हैण्ड फाइटिंग, उसके चाल चलन, जोश, लुक आदि विषयों पर काम किया, ताकि अभिनय रियल लगे. अभी इसका सेट आमगांव में है, जहां मैं कई दिनों तक रहकर शूट करती हूं.

झारखण्ड से मुंबई कैसे आना हुआ?

मैं 11 साल से मुंबई में हूं. मेरे पिता की नौकरी के साथ-साथ हम सभी अलग-अलग शहरों में शिफ्ट हुआ करते थे. ऐसा करते-करते मुम्बई पहुंची और मुझे यहां मेरे कला को मुकाम मिला.

पहला ब्रेक कैसे मिला? कितना संघर्ष था?

मुझे अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा. मैं जब डांस सीख रही थी वहां एक एजेंसी आई और एक म्यूजिक वीडियो के लिए औडिशन हुआ, जिसके निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा थे. जिसमें मैं चुनी गयी और ये मेरा पहला प्रोजेक्ट था. इसके बाद धारावाहिक, मूवी और दक्षिण की एक फिल्म में काम किया. ऐसे मेरी जर्नी शुरू हो गयी. अभी संघर्ष अच्छे काम के मिलने का रहता है.

आप अभिनय के साथ-साथ पढ़ाई कैसे करती हैं?

मेरे इस काम में मेरे दोस्त और अध्यापिकाएं बहुत सहायता करती हैं. मैं अभिनय के साथ उसे भी करती हूं. समय मिलने पर स्कूल भी जाती हूं. वहां मैं एक आम छात्रा की तरह ही अपनी पढ़ाई पर फोकस्ड रहती हूं. मैं सुबह और रात में अपनी पढ़ाई पूरी करती हूं. 12 वीं के बाद मैं मास मीडिया पढ़ना चाहती हूं और आगे चलकर निर्देशक बनना चाहती हूं.

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पहली कमाई से आपने क्या किया?

पैसे का मुझसे कुछ लेना देना नहीं है, वह सब मेरे माता-पिता ही करते हैं. मुझे जो चाहिए वे सब दिला देते हैं. इतना जरुर है कि जब मैंने अपने आपको पहली बार टीवी पर देखा था या फिर मेरा होर्डिंग क्रिकेटर एम् एस धोनी के साथ देखा, तो बहुत खुशी हुई थी.

पहली बार कैमरा फेस करने का अनुभव कैसा था?

मैंने जब कैमरा फेस किया था, तब मैं बहुत छोटी थी. डांस करुंगी इस बात पर ही मैं खुश थी. कैमरे के बारें में कुछ पता नहीं था. जहां खड़ा कर दिया वहीं अभिनय कर लेती थी. जब मैं बड़ी हुई, तो अब इस बारें में पता चलता है. मैंने काम के दौरान ही अभिनय सीखा है.

आपके यहां तक पहुंचने में माता-पिता कितना सहयोग करते हैं?

मां हमेशा मेरे साथ रहती हैं और पिता मुझे साहस देते हैं. रानी लक्ष्मीबाई की शूटिंग के दौरान पिता ने ही मुझे कई बार घुड़सवारी, तलवारबाजी आदि में हौसला दिया, क्योंकि ये सब मेरे लिए करना आसान नहीं था.

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली? डांस मेरा पैशन है, इसलिए मैंने बहुत कम उम्र से ही शामक डावर के डांस क्लास में नृत्य सीखना शुरू कर दिया था. वहां टीवी के लिए कभी-कभी औडिशन होता है, जिसमें मुझे मौका मिला और मैं 7 साल की उम्र में पहली धारावाहिक ‘बालवीर’ के लिए चुनी गयी और काम करना शुरू कर दिया. मैं अभिनेत्री कंगना रनौत से बहुत प्रेरित हूं, क्योंकि बाहर से आने के बावजूद उन्होंने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है. उनकी फिल्में मैं हमेशा देखना पसंद करती हूं.

आप कितनी फैशनेबल हैं?

मुझे फैशन अच्छा लगता है. मैं एक फैशन ब्लागर भी हूं और नए-नए फैशन को पोस्ट भी करती हूं. हर तरह के परिधान मुझे पसंद हैं.

कितनी फूडी हैं?

मछली, चिकन बर्गर, पिज्जा, बिरयानी आदि सब कुछ मुझे पसंद है. मैं बहुत फूडी हूं और डाइट बिल्कुल भी नहीं करती. मां के हाथ की बनी हुई मछली, भिन्डी, पालक, चिकन आदि सब मुझे पसंद है.

समय मिले तो क्या करती हैं?

मैं मुंबई आकर मेरी डौगी सिंड्रा के साथ खेलती हूं. वह मुझे रोज सुबह जगाती है.

मेकअप कितना पसंद करती हैं?

मुझे साधारण रहना पसंद है. कैमरे के आगे सिर्फ मेकअप लगाती हूं.

आप किसे नापसंद करती हैं?

जो अहंकार करते हैं, उन्हें मैं पसंद नहीं करती.

ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

वुमन सेंट्रिक रोल, जिसमें बिना हीरो के काम करने का अवसर मिले, उस फिल्म में मैं अभिनय करना चाहती हूं.

जब दिलीप कुमार ने सायरा बानो को दे दिया था तलाक

बौलीवुड के ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके बाद उनका निधन हो गया है. ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह कई बार सुर्खियों में रहे हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में तलाक होना जहां आम बात है, वहीं दिलीप कुमार और सायरा बानो की जोड़ी एक मिसाल मानी जाती है. आज भले ही इन दोनों दिग्गज कलाकार के बीच गहरा रिश्ता रहा हो लेकिन एक समय था जब दिलीप और सायरा की शादी भी विवादों से दूर नहीं थी. दोनों के बीच उस वक्त दरार पड़ गई थी, जब दिलीप कुमार की लाइफ में पाकिस्तानी लेडी आसमां आ गई थीं. यही नहीं दिलीप ने सायरा को तलाक देकर आसमां से शादी कर ली थी.

आसमां और दिलीप कुमार की मुलाकात हैदराबाद में एक क्रिकेट मैच के दौरान हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच काफी लंबे समय तक अफेयर चला. लोगों के सवाल से बचने के लिए दिलीप कुमार ने घर से निकलना तक छोड़ दिया था.

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आखिरकार 1980 में दिलीप और आसमां ने शादी कर ली थी. लेकिन फिर अचानक दिलीप कुमार आसमां को 1982 में तलाक दे दिया और वापस सायरा की ओर लौट आए. इस अफेयर का जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया था.

दिलीप कुमार ने अपनी किताब में लिखा था कि ‘मेरी लाइफ का ये एपिसोड था, जिसे हम दोनों ही भूलना चाहते थे और हमने भूला भी दिया है. जब मेरी मुलाकात आसमां से हुई तो वह अपने पति के साथ रह रही थी. वह तीन बच्चों की मां थी. आसमां से मेरी मुलाकात मेरी बहन-फौजिया और सईदा ने कराई थी. आसमां मेरी दोनों बहनों की दोस्त थी. पहले मुझे लगा कि वह भी मेरे दूसरे फैन्स की तरह ही होगी.’

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