7 टिप्स: नहाते समय न करें गलतियां

आम तौर पर नहाना किसे अच्छा नहीं लगता है और खासकर बात गर्मियों में नहाने की हो तो क्या कहना? लेकिन नहाते समय अगर आप भी करते हैं ऐसी गलतियां तो हो जाइए सावधान क्योंकि नहाते समय होने वाली ये छोटी-छोटी गलतियां आप पर पड़ सकती हैं भारी!

स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी चीज होती है साफ-सफाई और गर्मी के मौसम में इंसानों के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं पसीने जो ना केवल आपको अनकंफर्ट फील कराते हैं बल्कि बीमार भी कर देते हैं. जिसके चलते कई लोगों को दिन में कई बार नहाने की आदत हो जाती है.

हालांकि शरीर की साफ-सफाई के लिए नहाना बेहद जरुरी होता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप नहाने के दौरान होने वाली गलतियों से बच सकते हैं. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं वो बातें जो नहाते समय जरुर याद रखनी चाहिए.

1. आम तौर पर कुछ लोगों को लंबे समय तक नहाना अच्छा लगता है लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये ना केवल आपकी स्किन बल्कि आपके हेल्थ के लिए हार्मफुल होता है.

2. लंबे समय तक पानी में रहने से स्किन में होने वाला नेचुरल ऑयल खत्म हो जाता है जिससे आपकी स्किन रुखी हो जाती है. इसलिए कभी भी नहाने के दौरान 10 मिनट से ज्यादा समय तक पानी में ना रहें.

3. केवल इतना ही नहीं अगर आप नहाने के दौरान किसी का भी स्क्रबर यानी लोफा यूज कर लेते हैं तो सावधान क्योंकि किसी और का स्क्रबर यूज करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

4. आपका स्क्रबर बहुत पुराना या गंदा हो गया है तो उसे तुरंत बदल दें क्योंकि लंबे समय तक यूज होने से स्क्रबर में बैक्टीरिया और कीटाणु हो जाते हैं.

5. साथ ही साथ साबुन या शैम्पू से नहाते समय इस बात का ध्यान जरुर रखें कि शैंम्पू या साबुन शरीर पर से अच्छे से छूट गया है या नहीं क्योंकि कई बार ऐसी चीजें स्किन के पोर्स में रह जाती है जिससे बाद में मुंहासे या दाने हो जाते हैं.

6. तो वहीं कुछ लोंगो को गर्म पानी से नहाना अधिक पसंद होता है. हालांकि गर्म पानी से नहाने से मांसपेशियों को आराम मिलता है लेकिन बहुत ज्यादा गर्म पानी त्वचा को सीधे तौर पर नुकसान भी पहुंचाता है.

7. आपको बता दें कि इससे त्वचा का प्राकृतिक तेल गायब हो जाता है. जिसके चलते कई बार खुजली और रुखापन आ जाता है. इसलिए हल्के गर्म पानी का ही इस्तेमान करें या फिर इतना गर्म हो जितना त्वचा पर कोई नुकसान ना हो.

यों इलजाम न लगाओ: क्या मधु और अरिहंत की शादी हुई?

यों इलजाम न लगाओ…मधु और अरिहंत अलग-अलग जाति के थे और शादी करना चाहते थे. इस बात की जानकारी जब घर वालों को मिली तो फिर वही हुआ जिस की उम्मीद न थी…‘‘मां,आज मयंक का बर्थडे है…’’  मैं अभी बोल ही रही थी कि विनीत का फोन बज उठा. ‘दीदी, मयंक का जन्मदिन है. आज प्लीज छुट्टी ले कर आ जाओ.’’

‘‘अरे वाह, मैं तो अभी मां से यही बोल रही थी. जरूर आऊंगी. मैं ने औलरैडी छुट्टी के लिए बोल दिया है,’’ कह कर मैं अपने औफिस चली गई. हाफ डे के बाद मैं ने छुट्टी ले ली और फिर वहां से मौल चली गई. ठंड के दिन आ गए थे.

मैं मोंटे कार्लो के शोरूम में जा कर मयंक के लिए स्वैटर पसंद करने लगी. कई स्वैटर, जैकेट देखे. उन सब में एक स्वैटर मु   झे बहुत ही अच्छा लग रहा था. उसे देख कर मैं ने पैक कराया और फिर मोबाइल से बिल पेमैंट कर मैं चली आई. आजकल सबकुछ मोबाइल से होता है. मोबाइल मेरे कुरते की जेब में था. जब मैं घर आई, तब मु   झे याद आया कि मैं पर्स तो वहीं दुकान में भूल आई. अब मु   झे सम   झ नहीं आ रहा था कि मैं वापस जाऊं या क्या करूं क्योंकि अंधेरा भी घिरने लगा था. मैं ने मां से कहा, ‘‘मां मैं एक बार मौल में हो आती हूं. मैं ने अपना पर्स वहीं छोड़ दिया है. उसी में मेरा आधार कार्ड और सारे बैंक के कार्ड भी रखे हुए हैं इसलिए मु   झे जाना ही होगा.’’

‘‘क्या करती हो बेटी, अब तक इतनी लापरवाह कैसे हो?’’ मां बड़बड़ाई. तभी दरवाजे पर कौलिंग बैल बजी. ‘‘अरे, इस समय कौन आ गया?’’ मैं ने आश्चर्यचकित हो कर दरवाजा खोला. सामने एक अजनबी था. उस के हाथ में मेरा पर्स था. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘माधुरी, यह लो अपना पर्स. तुम अपनी पुरानी आदत कभी नहीं बदलोगी. पता नहीं कैसे मैंटेन रखती हो खुद को? हमेशा भूलने की आदत है तुम्हारी.’’ ‘‘ऐसे तो अरिहंत बोलता था,’’ मैं ने मन ही मन सोचा और अजनबी पर गौर किया. वह सचमुच में अरिहंत ही था.

‘‘अरे अरिहंत, तुम?’’‘‘हां मैं, चलो तुम ने मु   झे पहचान तो लिया,’’ उस ने अपने हाथों को अपने सिर से लगाते हुए कहा, ‘‘बड़ी इल्तिजा हमारी जो आप ने हमें पहचान लिया. अब अंदर भी बुला लो.’’‘‘हांहां,’’ मैं दरवाजे से हटते हुए बोली. अरिहंत अंदर जा कर ड्राइंगरूम में बैठ गया. उस ने कहा, ‘‘अब अपने हस्बैंड से परिचय कराओ और यह स्वैटर जो तुम खरीद रही थी वह तुम्हारे बच्चे के लिए है?’’

‘‘नहीं, वह मेरे भतीजे के लिए है, मेरे भाई के बेटे के लिए.’’ ‘‘अच्छा… विनीत का बेटा… इतना बड़ा हो गया. उस की शादी हो गई. बच्चे भी हो गए और तुम्हारे?’’ उस ने प्रश्नसूचक निगाहें मेरे ऊपर टिका दीं.‘‘नहीं…’’ मेरी बात अधूरी रह गई. तभी मां ड्राइंगरूम में आते हुए बोली, ‘‘इस की शादी में कोई रुचि नहीं. पता नहीं अपना दिल किसे दिया. कुछ बताती भी नहीं… बोलबोल कर थक गई हूं. अब बोलना भी बंद कर दिया.’’ मां की चिढ़ती हुई आवाज से न जाने क्यों मु   झे अरिहंत की आंखों में राहत नजर आई. उस ने कहा, ‘‘तो मैडम, आप ने शादी नहीं की?’’‘‘नहीं की.’’

‘‘जाओ बेटी, चाय बना कर लाओ,’’ मां ने कहा तो मैं किचन में चली गई.‘‘और बताओ बेटा, तुम्हारा क्या हालचाल है?’’ मां की आवाज रसोई तक आ रही थी. ‘‘एक बार यहां से गए तो पलट कर आए नहीं कभी?’’ मां बोल रही थी. ‘‘नहीं आंटी, हिम्मत नहीं पड़ती थी आने की. बड़ी हिम्मत करता था लेकिन पैर पीछे हट जाते थे. कुछ यादें ही ऐसी रह गई हैं,’’ अरिहंत ने टूटेफूटे शब्दों में कहा.

‘‘फिर यहां कैसे आना हुआ?’’

‘‘मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में आया हूं. अब मेरे विभाग ने मेरा ट्रांसफर कर दिया है. मैं इस शहर को कभी भूल नहीं पाया. आज मैं यहां आने ही वाला था कि मेरी नजर माधुरी पर पड़ी जो औफिस से निकल कर मौल की तरफ जा रही थी. मैं वहीं था. तभी मैं ने उसे स्वैटर के शोरूम में घुसते हुए देखा. मैं पीछेपीछे गया मगर मैं उस से कुछ कह नहीं पाया. तभी मैं ने देखा कि वह वहां अपना पर्स भूल आई है तो मैं ने दुकान वाले भाई साहब को सारी बात बताई तो उस ने मु   झे पर्स दे दिया. मैं ने उसे चैक किया, उस में मु   झे घर का पता नजर आया. तब मु   झे लगा कि आप लोग इसी पुराने घर में रहते हैं. फिर उसी के पीछेपीछे मैं यहां तक आ गया.’’

‘‘बहुत अच्छा किया बेटा,’’ मां ने कहा. तब तक मैं चाय और प्याज की पकौड़े ले कर वहां आ चुकी थी.‘‘अरे वाह, प्याज की पकौडि़यां…’’ उस ने पूरा प्लेट उठा ली. पकौड़े खाते हुए बोला, ‘‘भूली नहीं हो पकौड़े बनाना,’’ और वह मुसकराने लगा.‘‘चाय और पकौड़े खाने के बाद उस ने मां और मु   झ से आज्ञा मांगी और चला गया. शाम हो चुकी थी. रूही खाना बनाने के लिए आ चुकी थी.

‘‘रूही आज खाना नहीं बनेगा तुम बस दूध उबाल लो.’’‘‘ठीक है दीदी, मैं सुबह की सब्जियां अभी काट लेती हूं,’’ कह कर वह रसोई में चली गई और मैं अपने कमरे में. कुछ पुरानी यादें मेरे जेहन में दोबारा घूमने लगीं… जब मैं कालेज में थी और अरिहंत भी मेरे साथ ही था. न चाहते हुए भी मेरी नजरें कई बार उस से टकरा जाती थीं और हम एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिया करते थे. समय बीता हम दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया था. अपने घर वालों से छिपछिप कर हम ने प्यार तो कर लिया था लेकिन डर लगता था कि कहीं हमारी पेरैंट्स हमारे प्रेम कहानी को स्वीकार करें या न करें.

मगर हमारा प्यार अधूरा रह गया था. अरिहंत के घर में उन की एक बड़ी बूआ जो साथ में रहती थीं. उन्हें हमारी प्रेम कहानी बिलकुल पसंद नहीं थी. कालेज के बाद अरिहंत ने बैंक के पीओ की परीक्षा दी और पास कर गया. उस के बाद उस ने अपने घर में मेरे बारे में बात की. उस की बड़ी बूआ ने सिरे से इनकार कर दिया. अरिहंत की बड़ी बूआ उस के पिता से बहुत ज्यादा बड़ी थी. वह विधवा भी थी और मायके में रह रही थी. कोई भी उन की बात नहीं काटा करता था.

मैं और अरिहंत दोनों 2 अलग-अलग जाति के थे. यह मध्यवर्ग के समाज में बहुत बड़ा मुद्दा होता है, जिस से हम दोनों भी अछूते नहीं थे. मैं चुप रही थी. मैं ने अरिहंत को पहल करने के लिए कहा था, जिस में अरिहंत पूरी तरह से फेल हो चुका था.‘‘कान खोल कर सुन लो लल्ला, मेरे रहते हुए किसी और जात की लड़की इस घर में बहू नहीं बनेगी,’’ बड़ी बूआ ने दहाड़ते हुए कहा था. बूआ की इस बात से निराश हो कर अरिहंत ने अपना ट्रांसफर दूसरे शहर में करवा लिया था.

जाने से पहले उस ने मुझसे से कहा था, ‘‘जब तक बड़ी बूआ हैं, हम दोनों नहीं मिल सकते. मेरे मातापिता को कोई आपत्ति नहीं लेकिन तुम मेरा इंतजार मत करना. तुम्हें कोई अच्छा रिश्ता नजर आए तो तुम फौरन शादी कर लेना…’’ मगर इस के लिए मैं तैयार नहीं थी. मैं ने कहा, ‘‘अब इस टूटे दिल में कौन बसेगा अरिहंत? मेरा जो कुछ है वह तुम हो.’’ ‘‘पागल मत बनो मधु, जब समय बीत जाता है तो सब कुछ सही हो जाता है. मैं जा रहा हूं तुम्हें आजाद कर के,’’ अरिहंत की इस बात पर मैं ने कुछ भी नहीं कहा फिर दोनों के रास्ते अलग हो गए. मैंने पढ़ाई के बाद कंप्यूटर का कोर्स किया और एक औफिस में काम करने लगी. मेरे घर में मेरे अलावा मेरा छोटा भाई ही था. मेरे पिता कई तरह के रिश्ते ले कर आए लेकिन मैं ने हर रिश्ते को न कर दिया. मैं ने अपनेआप को पढ़ाई में पूरी तरह डुबो दिया और बड़ी दृढ़ता से कहा, ‘‘जब तक मेरी नौकरी नहीं लगेगी मैं शादी नहीं करूंगी.’’

पिता बोलते हुए थक गए लेकिन मैं टस से मस नहीं हुई. आज अचानक अरिहंत दोबारा सामने आ गया. मेरे सोए हुए सपने और सारे अरमान जागने लगे थे. ‘‘मधु… मधु…’’ तभी मां की आवाज आई. ‘‘हां मां…’’ मैं ने अपना चेहरा छिपाते हुए कहा. मेरा पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था. मैं ने जल्दी से नल में जा कर अपना चेहरा धोया और बाहर निकली. ‘‘किन खयालों में गुम हो मधु? तुम्हें पता है कि हमें विनीत के घर जाना है?’’ मां ने कहा. ‘‘मैं तो भूल ही गई थी मां. मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूं. मां आप भी तैयार हो जाइए.’’ ‘‘मैं तैयार बैठी हूं. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हैं?’’  मां चिंतित हो गई.‘‘पता नहीं,’’ कह कर मैं जल्दी से तैयार होने के लिए चली गई. पार्टी काफी अच्छी थी. विनीत ने बहुत अच्छा अरेंजमैंट किया था. रात में खाना खाने के बाद हम मांबेटी दोनों वापस आ गए और सो गए. दूसरे दिन अरिहंत के फोन से ही मेरी नींद टूटी.

‘‘हैलो, मधु, मैं अरिहंत बोल रहा हूं.’’‘‘अरिहंत, तुम्हारे पास मेरा नंबर कैसे? मैं तो कल नंबर लेना ही भूल गई थी,’’ मैं चौंक कर बोली. ‘‘ओह मधु, आई एम सौरी. तुम्हारा नंबर मेरे पास पहले से था. मैं ने तुम्हारे बारे में सबकुछ पता कर लिया था. माधुरी, तुम्हारा फोन नंबर, तुम्हारी जौब प्रोफाइल, हर चीज मु   झे पता है. तुम ने शादी नहीं की, यह भी पता है और यही मु   झे जीने के लिए हिम्मत देता रहा. मैं तुम से मिलने ही आया हूं यह बताने कि अब बड़ी बूआ नहीं रही. मां और पापा को तुम से कोई आपत्ति नहीं. मैं शादी करने के लिए तैयार हूं अगर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं हो तो बताओ?’’ मैं इस सरप्राइज के लिए तैयार नहीं थी. मैं खिसियाते हुए बोली, ‘‘अरिहंत, प्लीज इस तरह का मजाक मत करो.’’‘‘नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा. मैं सीरियस हूं. अगर तुम्हारी हां है तो मैं अभी आ रहा हूं तुम्हारी मां से बात करने के लिए.’’

अचानक इस सरप्राइज गिफ्ट से मेरी आंखें शर्म से झुक गईं. मैं ने कहा, ‘‘नहीं मुझे कोई आपत्ति नहीं है. मैं तो तुम्हारा इंतजार कर रही थी.’’ ‘‘सेम टू सेम… हियर,’’ अरिहंत ने कहा. थोड़ी देर बाद अरिहंत घर आया. उस ने मम्मी को पैर छू कर प्रणाम किया और कहा, ‘‘आंटी प्रणाम, मैं शुरू से माधुरी से बहुत ज्यादा प्यार करता था. उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता था. वह भी मेरा ही इंतजार करती रह गई.  अब मैं इस अधूरे प्यार को पूरे रिश्ते में बदलना चाहता हूं, अगर आप इजाजत दें तो?’’मां आश्चर्यचकित हो कर देखने लगीं. मां की आंखें भर उठीं, ‘‘माधुरी के पापा तुम्हारा इंतजार करते हुए चले गए बेटा.’’ ‘‘कोई बात नहीं आंटी आप हैं न. आप आशीर्वाद दे दीजिएगा.’’ मां ने तुरंत विनीत को फोन लगाया और सारी बातें बताई. विनीत भी हड़बढ़ाते हुए चला आया. उस ने सारी बातें सुन कर अरिहंत को शगुन की रकम पकड़ाते हुए कहा, ‘‘हमें यह शादी मंजूर है.’’मेरा और अरिहंत का त्याग पूरा हो चुका था. हम दोनों को अपना प्यार मिल चुका था.

 

 

औरतों की बात बस चुनावी जुमला

इस चुनाव में औरतों के मामले बिलकुल नदारद हैंहमेशा की तरह. औरतोंयुवतियोंवृद्धोंछोटी बच्चियों को ही नहींउन के परिवारों को भी यह चुनाव कुछ नहीं दिला रहा. कुछ पार्टियां गरीब लड़कियों को हर साल कुछ नक्दी की बात कर रही हैं पर यह वादा ढेरों वादों में से एक हैयह अकेला वादा नहीं है. औरतों को कुछ न मिलने का अर्थ है कि उन के परिवारों को भी कुछ नहीं मिलना.

चाहे औरतों के पास आज समाज कोई अधिकार नहीं छोड़ता पर उन पर जिम्मेदारियां तो लदी ही रहती हैं. यदि परिवार गरीब है तो हर जने का पेट भरा रहेहरेक साफ व धुले कपड़े पहनेहरेक की बीमारी में उस की देखभाल होकिसी पर भी बाहरी आर्थिक या शारीरिक हमले पर उस की पहली ढाल औरत हो. यह व्यवस्था तो धर्मसमाज और सरकार ने कर रखी है पर उसे देने के नाम पर सब मुंह फेर लेते हैं.

यह चुनाव भी औरतों के बल पर लड़ा जा रहा है पर उन्हें कुछ खास इस से मिलेगाइस की उम्मीद नहीं. आम आदमी पार्टी ने जहां भी जीत हासिल की कुछ सफल प्रयोग किए. बिजली का बो   झ कम करामहल्ला क्लीनिक खोल कर पहली चिकित्सा का प्रबंध करास्कूलों पर मंदिरों से ज्यादा खर्च कराबागबगीचे बनवाए. पर हुआ क्यादेश के कानूनअदालत व संविधान के बावजूद उस के नेताओं को एकदूसरे के कहने मात्र पर पकड़ रखा है.

भारतीय जनता पार्टी जो 545 में से 400 सीटें पाने की उम्मीद कर रही हैऔरतों को मंदिरों की लाइनों में लगवाने का वादा कर रही हैधर्म की रक्षा के लिए उन्हें अपने बच्चों को उकसाने को प्रोत्साहित कर रही है. उन को बता रही है कि अब कौन सा खाना अपनी रसोई में पकाएं और बनाएं. उन्हें 2000 साल पुरानी है कह कर अनपढ़ भगवाधारी आयुर्वेद डाक्टरों की फौज के हवाले कर रही है.

इंडिया ब्लौक की पार्टियां अपनीअपनी जातियों या अपनेअपने गढ़ों को सुरक्षित करने में लगी हैंकोई भी कुछ भी औरतों की बराबरी के लिए करने का खुला वादा नहीं कर रहीं. 1955-56 और फिर 2001 व 2013 में कांग्रेस ने हिंदू विवाह व विरासत के कानून व जमीन पर परिवार के हकों के कानून बनाए थे पर इस चुनाव में कांग्रेस भी इन की याद दिलाने में कतरा रही है. मानो उन्होंने अपने 70 सालों में ये गुनाह तो किए थे.

सदियों से बड़ेबड़े मकबरोंपिरामिडों और मंदिरों का निर्माण हुआ हैकिले बने हैंफौजें खड़ी की गई हैंहमले हुए हैं पर इन सब की कीमत किस ने दीऔरतों ने क्योंकि उन की रसोई में पहुंचने वाला अनाज धर्म और समाज के वसूलीदार पहले से ही ले गए.

आज भी हर साल जीडीपीकुल सकल उत्पादन से ज्यादा कुल टैक्स क्लैशन हर साल ज्यादा बढ़ रहा है. इस का मतलब है कि हर परिवार जो कमा रहा है उस का पहले से ज्यादा हिस्सा सरकार को दे रहा है.किसी चुनावी मंच पर औरतों के मामले पहले नंबर पर नहीं हैं. सरकारी पार्टियों के एजेंडों में तो बिलकुल नहीं. जब केंद्र सरकार औरतों की लोकतंत्र में सुरक्षा नहीं करेगी तो आखिर क्या धर्म तंत्रकौरपोरेट तंत्रऔरतों का सामान बनाने वाला तंत्रकानूनअदालतेंशहरी निकाय औरतों की चिंता करेंगे? औरतों को तो बसों की कतारों मेंपानी के टैंकरों के इंतजारराशन ढोनेरसोई की

गरमीपति और पिता की डांट और सब से बड़ी बात अगले जन्म की सुरक्षा के लिए मंदिरोंमसजिदोंचर्चों की सेवा में लगा रखा है. आदमी इन सब में कम लगते हैं. उन्हें तो सड़कों पर तेज वाहन चलानेधार्मिक जलसों में उछलकूद या हंगामा करने कीमोबाइलों से मजे लेने के लिए छूट दे रखी है क्योंकि उन का वोट जरूरी है. औरतें तो पुरुषों की गुलाम रही हैं और आज भी हैंउन की क्या चिंता करनी?

मैं 25 वर्षीय कामकाजी युवती हूं मेरी शादी होने वाली है मुझे खाना बनाना नहीं आता

सवाल

मैं 25 वर्षीय कामकाजी युवती हूं. मेरी शादी होने वाली है. मुझे खाना बनाना नहीं आता जबकि टीवी धारावाहिकों में मैं ने देखा है कि बहू को खाना बनाना नहीं आने पर ससुराल के लोग न सिर्फ उस का मजाक उड़ाते हैं वरन उसे प्रताडि़त भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

छोटे परदे पर प्रसारित ज्यादातर धारावाहिकों का वास्तविक जीवन से दूरदूर तक वास्ता नहीं होता. सासबहू टाइप के कुछ धारावाहिक तो इतने कपोलकल्पित होते हैं कि जागरूकता फैलाने के बजाय ये समाज में भ्रम और अंधविश्वास फैलाने का काम करते हैं. शायद ही कोई धारावाहिक हो जिस में सासबहू के रिश्ते को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया हो. वास्तविक दुनिया धारावाहिकों की दुनिया से बिलकुल अलग है. आज की सासें सम   झदार और आधुनिक खयाल की हैं. उन्हें पता है कि एक कामकाजी बहू को किस तरह गृहस्थ जीवन में ढालना है.

फिर भी आप अपने मंगेतर से बात कर इस बारे में जानकारी दे दें. अभी विवाह में 2 महीने बाकी भी हैं, इसलिए खाना बनाने के लिए सीखना अभी से शुरू कर दें. खाना बनाना भी एक कला है, जिस में निपुण महिला को किसी और पर आश्रित नहीं होना पड़ता, साथ ही उसे पति व बच्चों सहित घर के सभी सदस्यों का भरपूर प्यार भी मिलता है.

गर्मियों में शिशु की त्वचा के मॉइस्चर का रखें खयाल

जैसे-जैसे सूरज चमकता है वैसे-वैसे तापमान भी बढ़ने लगता है और इसका सीधा असर नन्हेमुन्नों की नाजुक त्वचा पर पड़ता है. गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को ऐक्स्ट्रा देखभाल और निगरानी की जरूरत होती है क्योंकि गर्मी में त्वचा रूखी और नमी रहित हो सकती है. शिशु को से बचाने के लिए उसकी देखभाल में सबसे महत्त्वपूर्ण त्वचा को मॉइस्चराइज करना है, जिसे अकसर अनदेखा कर दिया जाता है. ज्यादातर पेरैंट्स सिर्फ सर्दियों या फिर जब त्वचा रूखी दिखाई देती है, तब ही शिशु को मॉइस्चराइज करते हैं. हालांकि शिशु की त्वचा को रूखेपन से बचाने, उसमें नमी बनाए रखने और हैल्दी स्किन बैरियर को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी है.

शिशु की त्वचा की सबसे बाहरी परत एक वयस्क व्यक्ति की त्वचा की तुलना में 3 गुना तक पतली होती है, इसलिए शिशु की त्वचा दोगुनी तेजी से नमी खो देती है और खुश्की और गर्मी के कारण होने वाले नुकसान से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए नवजात शिशु की स्किन को ड्राई करने वाली कड़क गर्मी के दौरान मॉइस्चराइजर की बहुत अधिक जरूरत होती है.

कड़ी धूप और एयर कंडीशनिंग के इस्तेमाल के कारण शिशु की नाजुक त्वचा से प्राकृतिक नमी खो जाती है, जिससे त्वचा खुश्क और खुजलीदार हो जाती है. गर्मियों के दौरान, शिशुओं के लिए स्किन केयर रूटीन के हिस्से के रूप में मॉइस्चराजिंग अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह उनकी त्वचा को नर्म, चिकना और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. यह त्वचा में एक ऐसी परत बना देता है जो नमी को लॉक कर देता है और ड्राईनैस को रोक देता है. गर्मी के बावजूद स्किन मॉइस्चराइजिंग होने से भी यह उनकी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है.

गर्मियों के दौरान सही मॉइस्चराइजर कैसे चुनें?

यह सच है कि अपने शिशु के लिए सही मॉइस्चराइजर चुनना बहुत मुश्किल हो सकता है. इसलिए इसे चुनते समय आपको इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए:

लंबे समय तक रखें मॉइस्चराइज्ड: अपने शिशु के लिए क्रीम चुनते समय ऐसी क्रीम चुनना सही है जो विशेष रूप से शिशुओं के लिए बनाई गई हो या उन्हें ध्यान में रख कर बनाई गई हो और लंबे समय तक स्किन में नमी बनाए रखने का काम करती हो.

शिशु के लिए सुरक्षित उत्पाद: शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए ऐसे उत्पाद चुनें, जिनमें ऐसे तत्व हों, जो पहले दिन से ही शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हों. सबसे पहले आप यह बात अच्छी तरह से जान लें कि क्रीम नैचुरल इनग्रीडिएंट्स जैसे कैमोमाइल से युक्त हो और शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल होने वाली प्रोडक्ट्स में प्राकृतिक तरीके से प्राप्त ग्लिसरीन हो, साथ ही यह त्वचा पर सूजन न लाए.

इसके अलावा ये प्रोडक्ट त्वचा की जलन को रोकते हों और आराम देते हों. ये शिशु की त्वचा को विशेष रूप से गर्मियों के दौरान ड्राईनैस से बचाने के लिए बैस्ट हों.

मॉइस्चराइजर या लोशन का इस्तेमाल करते समय ऐसे प्रोडक्ट्स की तलाश करने की सलाह दी जाती है, जिनमें नारियल तेल, दूध, प्रोटीन और चावल के अर्क जैसे तत्व हों क्योंकि वे अपने पोषक गुणों के लिए जाने जाते हैं.

वाटर बेस्ड, हल्का और चिपचिपा न हो: गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करने के लिए वाटर बेस्ड हल्का लोशन या क्रीम ही चुनें क्योंकि यह बिना किसी चिकनाई के जल्दी स्किन में ऑब्सर्व हो जाती है, जिससे यह रोजाना इस्तेमाल के लिए बैस्ट होती है.

कोई हानिकारक कैमिकल न हो: हमेशा यह जांचें कि शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट में पैराबेंस, सल्फेट्स, फथलेट्स और ड्राई न हो. इनके बजाय ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जिन्हें हाइपोएलर्जेनिक के रूप में लेबल किया गया हो क्योंकि इनसे ऐलर्जी होने के चांस कम होते हैं.

इस गर्मी में अपने बच्चे की त्वचा को कोमल, मुलायम और सॉफ्ट बनाए रखने के लिए उसे मॉइस्चराइज करना न भूलें.

 

खामोश जवाब: क्या है नीमा की कहानी

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नीमा एक अतिमहत्त्वकांक्षा वाली महिला थी और यही कारण था कि वह ऐशोआराम की जिंदगी जीने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी. अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए उस ने पति को तलाक दे कर युवान से शादी करने की सोची. मगर क्या यह इतना आसान था…

Mother’s Day 2024: हसीं वादियों का तोहफा धर्मशाला

घूमने या सैरसपाटे की जब भी बात आती है तो शहरी आपाधापी से दूर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. इन छुट्टियों को अगर आप भी हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियों, चारों ओर हरेभरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता के बीच गुजारना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के उत्तरपूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मशाला पर्यटन की दृष्टि से परफैक्ट डैस्टिनेशन हो सकता है. धर्मशाला की पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी छोलाधार पर्वतशृंखला इस स्थान के नैसर्गिक सौंदर्य को बढ़ाने का काम करती है. हाल के दिनों में धर्मशाला अपने सब से ऊंचे और खूबसूरत क्रिकेट मैदान के लिए भी सुर्खियों में बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों से अधिक ऊंचाई पर बसा धर्मशाला प्रकृति की गोद में शांति और सुकून से कुछ दिन बिताने के लिए बेहतरीन जगह है.

धर्मशाला शहर बहुत छोटा है और आप टहलतेघूमते इस की सैर दिन में कई बार करना चाहेंगे. इस के लिए आप धर्मशाला के ब्लोसम्स विलेज रिजौर्ट को अपने ठहरने का ठिकाना बना सकते हैं. पर्यटकों की पसंद में ऊपरी स्थान रखने वाला यह रिजौर्ट आधुनिक सुविधाओं से लैस है जहां सुसज्जित कमरे हैं जो पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. बजट के अनुसार सुपीरियर, प्रीमियम और कोटेजेस के औप्शन मौजूद हैं. यहां के सुविधाजनक कमरों की खिड़की से आप धौलाधार की पहाडि़यों के नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां की साजसजावट व सुविधाएं न केवल पर्यटकों को रिलैक्स करती हैं बल्कि आसपास के स्थानों को देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं. इस रिजौर्ट से आप आसपास के म्यूजियम, फोर्ट्स, नदियों, झरनों, वाइल्ड लाइफ पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं.

धर्मशाला चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को कांगड़ा घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. ओक और शंकुधारी वृक्षों से भरे जंगलों के बीच बसा यह शहर कांगड़ा घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त धर्मशाला को ‘भारत का छोटा ल्हासा’ उपनाम से भी जाना जाता है. हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियां, देवदार के घने जंगल, सेब के बाग, झीलों व नदियों का यह शहर पर्यटकों को प्रकृति की गोद में होने का एहसास देता है.

कांगड़ा कला संग्रहालय: कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए यह संग्रहालय एक बेहतरीन स्थल हो सकता है. धर्मशाला के इस कला संग्रहालय में यहां के कलात्मक और सांस्कृतिक चिह्न मिलते हैं. 5वीं शताब्दी की बहुमूल्य कलाकृतियां और मूर्तियां, पेंटिंग, सिक्के, बरतन, आभूषण, मूर्तियां और शाही वस्त्रों को यहां देखा जा सकता है.

मैकलौडगंज : अगर आप तिब्बती कला व संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो मैकलौडगंज एक बेहतरीन जगह हो सकती है. अगर आप शौपिंग का शौक रखते हैं तो यहां से सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (एक प्रकार की सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं. यहां से आप हिमाचली पशमीना शाल व कारपेट, जो अपनी विशिष्टता के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित हैं, की खरीदारी कर सकते हैं. समुद्रतल से 1,030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मैकलौडगंज एक छोटा सा कसबा है. यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सबकुछ हैं. गरमी के मौसम में भी यहां आप ठंडक का एहसास कर सकते हैं. यहां पर्यटकों की पसंद के ठंडे पानी के झरने व झील आदि सबकुछ हैं. दूरदूर तक फैली हरियाली और पहाडि़यों के बीच बने ऊंचेनीचे घुमावदार रास्ते पर्यटकों को ट्रैकिंग के लिए प्रेरित करते हैं.

कररी : यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल व रैस्टहाउस है. यह झील अल्पाइन घास के मैदानों और पाइन के जंगलों से घिरी हुई है. कररी 1983 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हनीमून कपल्स के लिए यह बेहतरीन सैरगाह है.

मछरियल और ततवानी : मछरियल में एक खूबसूरत जलप्रपात है जबकि ततवानी गरम पानी का प्राकृतिक सोता है. ये दोनों स्थान पर्यटकों को पिकनिक मनाने का अवसर देते हैं.

कैसे जाएं

धर्मशाला जाने के लिए सड़क मार्ग सब से बेहतर रहता है लेकिन अगर आप चाहें तो वायु या रेलमार्ग से भी जा सकते हैं.

वायुमार्ग : कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा धर्मशाला का नजदीकी एअरपोर्ट है. यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंच कर बस या टैक्सी से धर्मशाला पहुंचा जा सकता है.

रेलमार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट यहां से 95 किलोमीटर दूर है. पठानकोट और जोगिंदर नगर के बीच गुजरने वाली नैरोगेज रेल लाइन पर स्थित कांगड़ा स्टेशन से धर्मशाला 17 किलोमीटर दूर है.

सड़क मार्ग : चंडीगढ़, दिल्ली, होशियारपुर, मंडी आदि से हिमाचल रोड परिवहन निगम की बसें धर्मशाला के लिए नियमित रूप से चलती हैं. उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से यहां के लिए सीधी बससेवा है. दिल्ली के कश्मीरी गेट और कनाट प्लेस से आप धर्मशाला के लिए बस ले सकते हैं.

कब जाएं

धर्मशाला में गरमी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है. इस दौरान यहां का तापमान 22 डिगरी सैल्सियस से 38 डिगरी सैल्सियस के बीच रहता है. इस खुशनुमा मौसम में पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं. मानसून के दौरान यहां भारी वर्षा होती है. सर्दी के मौसम में यहां अत्यधिक ठंड होती है और तापमान -4 डिगरी सैल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिस के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और विजिबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए धर्मशाला में घूमने के लिए जून से सितंबर के महीने उपयुक्त हैं.

Mother’s Day 2024: मदर्स डे gift idea

मां एक ऐसा शब्द जिसमें बच्चों की पूरी दुनिया समाहित होती है. मां वो है जो हर कष्ट सहती है पर बच्चों पर कोई आंच नहीं आने देती. आने वाले रविवार को मदर्स डे है. इस दिन पर मां को स्पेशल फील कराने के लिए क्या गिफ्ट दें इसको लेकर हम सब कंफ्यूज हो जाते हैं. तो आज हमारे पास आपके लिए कुछ आइडियाज है. मां को गिफ्ट करें ये गिफ्ट्स

1) बुके के साथ केक– इस दिन आप फूलों का गुलदस्ता और केक देकर मां को स्पेशल फील करा सकते हैं. फूल ऐसा तोहफा है जो सदाबहार है और हमेशा ट्रेंड में रहेगा.


2) पसंदीदा कपड़े- अगर आपकी मां को अलग-अलग तरीके के कपड़े पहनने का शौक है तो आप उन्हें उनके पसंद की साड़ी, सूट या कोई स्पेशल ड्रेस तोहफे में दे सकते हैं.


3) मेकअप किट- अगर मां को सजने संवरने का शौक है तो उन्हें मेकअप का किट गिफ्ट कर सकते हैं. इसमें आप लिपस्टिक, कॉम्पैक्ट, नेल पॉलिश, काजल,पर्फ्यूम आदि रख सकते हैं.


4) पर्स- अगर आपकी मां वर्किंग हैं या हाउसवाइफ भी हैं तो आप उन्हें पर्स या हैंड बैग तोहफे में दे सकते हैं. यह एक ऐसी चीज है जो उनके हमेशा काम आएगा. वो हमेशा जब इसे इस्तेमाल करेंगी तो आपको याद करेंगी.


5) जेवर- अगर आपकी मां को ज्वेलरी पहनने का शौक है तो उन्हें आप अंगूठी, कान की बालियां या फिर चेन, कंगन इत्यादि गिफ्ट में दे सकते हैं. यह उनकी खूबसूरती बढ़ाने में मदद करेगा.


6) घड़ी- अगर आपकी मां को असेसरीज का शौक है तो उन्हें आप अपनी पसंद की घड़ी तोहफे में दे सकते हैं. आजकल बाजार में कई तरह की घड़ियां उपलब्ध हैं. स्मार्ट वॉच से लेकर ब्रेसलेट वॉच. आप इनमें से किसी भी प्रकार की घड़ी ले सकते हैं.


7) फोटो कोलाज- इस कोलाज में आप मम्मी के बचपन से लेकर यंग ऐज के दिनों और फिर उनके रीसेंट फोटोज का एक कोलाज बनाकर गिफ्ट कर सकते हैं. यह फोटो सिलसिलेवार तरीके से होना चाहिए. इसे इस तरह लगाएं कि हर फोटो अपने आप में एक कहानी कहती हो.


8) डायरी और पेन – अगर आपकी मम्मी को लिखना पसंद है तो आप उन्हें डायरी तोहफे में दे सकते हैं. जिसमें वो अपने रोज के खर्च, हिसाब-किताब, उनकी कुछ कविताएं, शेर-शायरी आदि लिख सकती हैं.


9) फोन – अगर मां को गैजेट्स का शौक है तो आप उन्हें तोहफे में स्मार्टफोन गिफ्ट कर सकते हैं. यह आजकल के समय की एक बहुत ज़रूरी चीज हो गई है और बाजार में हर तरह के फोन उपलब्ध हैं.


10) लैपटॉप- अगर आपकी मम्मी वर्किंग हैं तो आप उन्हें लैपटॉप गिफ्ट कर सकते हैं. इससे उन्हें उनका काम करने में आसानी हो जाएगी. वो अपने रुके हुए असाइंमेंट्स कही से भी कर सकती हैं.

हर चीज की शुरुआत के साथ अंत भी होता है: ‘मुन्नाभाई’ फिल्म सीरीज पर अरशद वारसी

मुन्नाभाई एमबीबीएस एक ऐसी फिल्म है जिसने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है. फिल्म की तीसरी कड़ी को लेकर बौलीवुड एक्टर अरशद वारसी ने कहा है कि फिल्म के डायरेक्टर राजू हिरानी, प्रड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा और संजू भाई और वो खुद भी अगली कड़ी में काम करना चाहते हैं लेकिन अभी तक कोई फिल्म नहीं बनी है. राजू हिरानी के पास तीन स्क्रिप्ट भी हैं लेकिन अरशद ने उन्हें बताया कि जो चीज शुरू होती है उसका अंत होना भी जरूरी है.

 

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मुन्नाभाई की सीरीज में राजकुमार हिरानी ने बेस्ट फिल्में दी हैं. यह उनके करियर की बहुत अच्छी फिल्म है और ट्रैक रिकॉर्ड पर भी यह बहुत अच्छी रही हैं. इस फिल्म को दर्शकों ने भी बहुत पसंद किया है. फिल्म बौक्स ऑफिस पर भी सुपरहिट रही थी. स्टोरी के साथ-साथ औडियंस के दिलों पर मुन्ना और सर्किट की जोड़ी को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया. यह एवरग्रीन फिल्म थी और समय के साथ और स्पेशल होती गई.

इसके साथ ही वर्क फ्रंट की बात करें तो अरशद इन दिनों जौली एलएलबी की तीसरी कड़ी में काम कर रहे हैं. फिल्म को सुभाष कपूर ने लिखा है और डायरेक्ट भी किया है. फिल्म की पहली कड़ी मार्च 2013 में आई थी. इसके बाद फरवरी 2017 में इसकी दूसरी कड़ी आई थी. यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म संजीव नंदा हिट एंड रन केस पर केंद्रित थी.

 

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फिल्म में एक्टर अरशद वारसी गरीब मजदूरों की ओर से लड़ाई लड़ते हैं लेकिन उनके खिलाफ कुशल वकील राजपाल नियुक्त किए जाते हैं. राजपाल वकील का रोल फिल्म अभिनेता बोमन ईरानी ने किया था. दूसरी कड़ी में एक वकील फर्म शुरू करने के लिए एक महिला को धोखा देता है। जब उसे पता चलता है कि उस महिला ने आत्महत्या कर ली है और उसके साथ अन्याय हुआ था, तो वह खुद को दोषी समझता है और गलती सुधारने की कोशिश करता है.

  यंग मदर्स के हैल्थ इशूज

अगर आप भी स्वस्थ शरीर का साथ पाना चाहती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है…

फ्रीज करवाएं एग आमतौर पर महिलाओं में गर्भधारण की वैज्ञानिक उम्र 20 से 30 साल के बीच मानी जाती है लेकिन कैरियर को ध्यान में रख कर आज की महिला जल्दी मां नहीं बनना चाहतीं. लेकिन एक उम्र के बाद मां बनने में कौंप्लिकेशन आ सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर ऐसी कई महिलाएं हैं जो 30+ की उम्र में गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं. ऐसे में वे एग फ्रीज का रास्ता अपना सकती हैं ताकि बाद में उन्हें किसी तरह की प्रौब्लम न आए. एग फ्रीजिंग को मैडिकल भाषा में  क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं. इस प्रकिया में महिला अपने अंडाणु को 10-15 साल के लिए भी फ्रीज करवा सकती है.

युवा महिलाओं के लिए अपने अंडे फ्रीज करवाना अब आम बात हो गई है. कई फेमस सैलिब्रिटीज जैसे प्रियंका चोपड़ा, तनीषा मुखर्जी, एकता कपूर और राखी सांवत ने अपने एग फ्रीजिंग का रास्ता चुना है.

काया भटनागर जब औफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठ रही थी तो अचानक उस की कमर में तेज दर्द हुआ. यह दर्द उसे पहली बार नहीं हुआ, इस से पहले भी 2 बार उसे इस दर्द का सामना करना पड़ा था. लेकिन उस ने इसे इग्नोर किया और अब उस की यह समस्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है. ऐसा नहीं है कि काया की उम्र 40-45 साल है. इसलिए वह यह प्रौब्लम फेस कर रही है. काया अभी महज 35 साल की है और 3 साल के बच्चे की मां है. लेकिन अभी से उसे इस तरह का दर्द होना अपनेआप में चिंता का विषय है.

इस बारे में मणिपाल हौस्पिटल द्वारका में कंसल्टैंट गाइनोकोलौजिस्ट डाक्टर योगिता पाराशर कहती हैं कि 30 के बाद महिलाओं के शरीर में औस्टियोपोरोसिस की समस्या होने लगती है. इस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं जिस से वे आसानी से टूट सकती हैं, इसलिए उन के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है. यह समस्या आमतौर से मेनोपौज के बाद शुरू होती है जब शरीर में ऐस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है.

भरपूर डाइट लें

अगर आप इस से बचना चाहती हैं तो कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें. पौसिबल हो तो सुबह की ताजा भी धूप भी लें. इस के अलावा वजन उठाने वाले काम करने से बचें. स्मोकिंग और शराब को अवौइड करें और साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए नियमित तौर से बोन डैंसिटी टैस्ट भी करवाती रहें. तभी आप एक स्वस्थ शरीर का साथ पा पाएंगी. सिर्फ औस्टियोपोरोसिस ही एक ऐसी समस्या नहीं है जिस का सामना महिलाओं को 30+ होने के बाद करना पड़ता है. ऐसे बहुत से हैल्थ इशूज हैं जो महिलाएं अपनी लाइफ में 30 की उम्र पार करने के बाद देखती हैं, ये क्या हैं आइए जानते हैं:

इनरैग्युलर पीरियड्स

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन में बदलाव की वजह से महिलाओं की मैंस्ट्रुअल साइकिल भी प्रभावित होता है, जिसे मैडिकल भाषा में पीसीओडी भी कहा जाता है वहीं पीरियड्स के दिन आगेपीछे होने की वजह से कई बार हैवी ब्लीडिंग होने लगती है तो कई बार ब्लीडिंग कम होती है या फिर कई बार पीरियड्स महीनामहीना नहीं होते.

इंडिया में 25त्न महिलाएं इनरैग्युलर पीरियड्स या कई महीने तक पीरियड्स न होने के बाद फिर से पीरियड्स होना, जिसे अमेनोरिया कहते हैं जैसी समस्याओं से जू?ा रही हैं वहीं 30 से 40 साल की उम्र वाली महिलाओं में प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर या पीओएफ के मामले 0.1त्न है.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या का एक मुख्य कारण है. इस की वजह से बनने वाले सिस्ट का अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह आगे चल कर कैंसर का रूप ले सकता है. भारत में आज करीब 10त्न महिलाएं किशोरावस्था में ही पीसीओएस की प्रौब्लम का सामना कर रही हैं.

फाइब्रौयड्स की प्रौब्लम

फाइब्रौयड्स आजकल महिलाओं की सब से आम समस्या बन गई है. आमतौर पर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में होता है. इस से पीडि़त कुछ महिलाएं अपने फाइब्रौयड्स से अज्ञान होती हैं, जबकि कुछ फाइब्रौयड्स को अल्ट्रासाउंड या अन्य जांचों से पता लगाया जाता है. इसलिए समयसमय पर अपने मैडिकल टैस्ट करवाती रहें ताकि समय रहते बीमारी का इलाज किया जा सके.

मोटापे को कहें न

इस के अलावा 30+ की उम्र की महिलाओं में ऐंड्रौइड ओबेसिटी की समस्या भी देखने को मिलती है. इस समस्या में पेट के आसपास चरबी जमा होने लगती, जिसे आम भाषा में बैली फैट भी कहते हैं. होता यह है कि 30 साल की उम्र के बाद फीमेल हारमोन में कमी आने लगती है, जिस की वजह से यह प्रौब्लम होने लगती है. अगर आप अपने पेट के आसपास फैट नहीं चाहतीं तो आप खुद को मोटापे से बचाए रखें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट से चावल, मैगी, जंक फूड, ब्रैड और बेकरी से बने प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं और प्रोटीन, विटामिन सी, ई, बी12 को डाइट में शामिल करें.

डायबिटीज का बढ़ सकता है खतरा

30+ की उम्र में अगर लाइफस्टाइल और खानपान को सही नहीं रखा जाए तो डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. डायबिटीज की बीमारी होने पर उस के साइन बौडी में दिखने लगते हैं. ये साइन हैं- ज्यादा थकान होना, नजर का धुंधला होना, बहुत प्यास लगना, पेशाब ज्यादा आना, वजन कम होना, मसूड़ों में परेशानी होना. ये लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से मिलें.

हड्डियों की बिगड़ सकती है सेहत

30+ होते ही महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्सियम और विटामिन डी को भरपूर मात्रा में लेना चाहिए. इस उम्र को पार करने के बाद हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. हारमोंस में चेंज की वजह से शरीर के ढांचे पर असर पड़ता है. जोड़ों में पुराना दर्द, भंगुर हड्डियां खराब होने का ही एक लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए आप कैल्सियम से भरपूर खाद्यपदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें जैसे दूध, पनीर और अन्य डेयरी खाद्यपदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, गोभी और भिंडी आदि, सोया सेम, मछली.

ताकि न बनें हार्ट पेशैंट

30 साल के बाद महिलाओं में दिल की समस्याओं जैसे हार्ट अटैक एक खास समस्या बन कर उभरती है. इस की वजह में हाई ब्लड प्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा और स्मोकिंग शामिल हैं. डाइटिशियन का मानना है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए. इस के लिए उन्हें रैग्युलर ऐक्सरसाइज करनी चाहिए और डाइट में सैचुरेटेड फैट्स व ट्रांस फैट्स कम मात्रा में लेने चाहिए.  इस के अलावा डाक्टर से समयसमय पर ब्लड प्रैशर और कोलैस्ट्रौल की जांच भी करवाते रहना चाहिए.

मैंटल हैल्थ भी है जरूरी 30 साल की उम्र के बाद हमारे लाइफस्टाइल और कुछ गलत आदतों की वजह से हम खुद को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन से घिरा हुआ पाते हैं. आलसपन में बिस्तर पर पड़े रहना, पोषक आहार की कमी, देर रात तक पार्टीज, शराब इन सब का असर हमारी फिजिकल हैल्थ के साथसाथ मैंटल हैल्थ पर भी पड़ता है. ऐसे में खुद को इन समस्याओं से बचाने के लिए हमें हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए जिस में ऐक्सरसाइज से लेकर हैल्दी फूड तक शामिल है.

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