टीवी की Anupama रुपाली गांगुली ने मां के साथ ऐसे की मस्ती, देखें वीडियो

अनुपमा शो स्टारर एक्ट्रेस रुपाली गागुंली इऩ दिनों काफी चर्चा में चल रही है एक तरफ उनका शो मीडिया की लाइमलाइट में बना हुआ है वही, दूसरी तरफ अपनी ऑफसक्रीन मां के साथ शेयर किया वीडियो काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

जी हां, रुपाली गागुंली सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती है ऐसे में उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया जिस वीडियो में रुपाली अपनी मां और मौसी के साथ मस्ती करती हुई नज़र आ रही है.वीडियो को शेयर करते हुए रुपाली ने कैप्शन में लिखा है कि ‘अब आपको पता चला कि ड्रामा कहां से आता है, फाइनली मम्मी और मौसी का रील डेब्यू’ रुपाली के इस वीडियो क्लिप पर फैंस ने जमकर कमैंट किए. रुपाली को यू मां और मौसी के साथ वीडियो शेयर करना फैंस खूब पसंद आया है.

 

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आपको बता दें, कि वायरल वीडियो में रुपाली पहले फोन पर बात करती हुई नज़र आ रही है. जिसके बाद उनकी मां और मौसी उनसे फोन छीन लेती है और फोन काट देती है जिसके बाद तीनों वीडियो में हस्ते हुए नज़र आते है. वीडियो में ये रुपाली की मां रजनी गागुंली है साथ में उनकी मौसी है.

 

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बता दें, रुपाली इससे पहले भी कई फोटो और वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर करती हुई नजर आई है. वो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है और अपने फैंस को खुश करने के लिए समय-समय पर वीडियो -फोटो शेयर करती रहती है वही, रुपाली के वर्क फ्रंट की बात करें, तो वो अपने Anupama टीवी सीरियल में बीजी चल रही है.

कभी ट्रक पर लिखे मेसेज पढ़े हैं?

क्या कभी ट्रक, मिनी ट्रक, ऑटो या रिक्शे पर लिखे मेसेज पढ़े हैं? कलरफुल, फनी या कभी कभी ज्ञान का सागर मिलता है इनमें! वैसे आपको गुदगुदाने के साथ साथ बहुत बड़ी सीख भी देते हैं. मजेदार मेसेज के साथ साथ भारत में ट्रक ड्राइवर्स अपने विश्वास, धर्म की निशानियां भी साथ लेकर चलते हैं. बुरी नजर से बचने के लिए इनके तरीके वाकई काबिल-ए-तारीफ होते हैं.

यहां हैं कुछ ऐसे ही मजेदार मेसेज जिसे पढ़कर आप हंसने पर मजबूर हो जायेंगे.

1.नशा त्यागें, जिन्दगी नहीं!

‘पब्लिक गुड्स कैरियर’ हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. हालांकि कई बार इनके द्वारा ड्रग्स, स्मगलिंग का सामान भी ट्रांसपोर्ट किया जाता है. पर ट्रकों में ऐसे मेसेजेस दिख जाते हैं.

2. हम सबकी जिम्मेदारी, प्रदूषण मुक्त गड्डी हमारी!

ये तो सत्य वचन है जी. देश के हर नागरिक का धर्म है कि वह पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करे. और हमारे ट्रक ड्राइवर्स भी इस बात को भली भांति समझते हैं.

3.Ditch the Bitch, Let’s go trucking!

ब्रेक-अप के बाद और क्या चाहिए? ट्रक ड्राईवर्स अब मॉडर्न होते जा रहे हैं. राइमिंग पर जरा ध्यान दीजिए!

4.सबकी नजर में रहते हैं, हर वक्त सफर में रहते हैं

क्या लाजवाब तरीका है अपने सफर को डेस्क्राइब करने का!

5.ना मुन्ना ना!

जब मुन्ना ओवरटेक करने के चक्कर में स्पीड बढ़ाने की कोशिश करता है. मुन्ने को कुछ विशेषण भी सुनने पड़ते हैं. और उसके परिवार को कोई और याद करता है! खैर ये बिहार का ट्रक तो नहीं लगता!

6.ज्यादा खाएगी, तो मोटी हो जाएगी

एक ट्रक ड्राइवर अपने ट्रक को फिट रखने के लिए क्या कुछ नहीं करता! यहां ड्राइवर अपने ट्रक को कम तेल पीने को कह रहा है. ये तो डाइटिंग वाला ट्रक है!

7.गुर्जर जब दहाड़ता है, तब शेर भी पालथी मारता है.

इसे रिजर्वेशन से जोड़कर न देखें. जरा सोचिए, शेरों का क्या रिएक्शन होगा ये सुनकर!

8.हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा!

इन्हें तो कोई अवार्ड मिलना चाहिए दोस्तों!

9.ये नीम के पेड़ चंदन से कम नहीं, हमारा लखनऊ लंडन से कम नहीं

ये है नवाबों के शहर का टशन.

10.धीरे चलोगे तो बार-बार मिलेंगे, तेज चलोगे तो हरिद्वार मिलेंगे

सत्यमेव जयते. जबरदस्त पर थोड़ा कड़वा.

11.मैं बड़ा होकर ट्रक बनूंगा

सपने देखने का हक तो सभी को होता है. तो ये पीछे क्यों रहेंगे?

12.ड्राइवर की जिन्दगी में लाखों इल्जाम होते हैं, निगाहें नेक होती हैं फिर भी बदनाम होते हैं.

इन्होंने तो अपना दिल निकालकर रख दिया. सच में ऑटो चालक को कितना सहना पड़ता है.

डेटिंग पर जाने के लिए 12 स्टाइलिश टिप्स

डेटिंग तो आज जैसे एक स्टेटस सिंबल बन गया है. गर्ल्स में तो वैसे भी डेटिंग को ले कर काफी क्रेज देखने को मिलता है. यह क्रेज उन्हें अपनी ड्रैसेज को ले कर होता है कि क्या ड्रैस पहनें जो कुछ अलग लुक दे. सब से पहले तो जान लें कि ऐसी ड्रैस और ऐक्सैसरीज ही चुनें जो मौके और टाइम के अनुसार हो. अब आप को घंटों समय बरबाद करने की जरूरत नहीं है. यहां हम आप को बता रहे हैं कि कैसे आप अपने आउटफिट्स के जरिए अपनी डेट को यादगार बना सकती हैं :

लंच डेट

यदि आप अपने बौयफ्रैंड के साथ लंच पर जा रही हैं, तो ऐसा लुक अपनाएं जो भारीभरकम महसूस होने के बजाय आरामदायक और स्टाइलिश हो. शौर्ट स्कर्ट और टौप भी पहन सकती हैं या फिर जींस के साथ कट स्लीव्स टौप आप को एक स्टाइलिश लुक देगा.

कलर

ड्रैस का कलर हमेशा ऐसा चुनें, जो आप पर फबता हो. वैसे गरमियों में हलके कलर काफी अच्छे लगते हैं. यदि आप पर शोख और चटक कलर अच्छे लगते हैं, तो जरूर ट्राई करें, ऐसे रंगों में आप खिलीखिली नजर आएंगी.

मेकअप

लंच पर जाते समय न्यूड कलर्स का इस्तेमाल करें, क्योंकि दिन में ज्यादा ब्राइट कलर्स अच्छे नहीं लगते हैं.

ऐक्सैसरीज

यदि आप गर्ली लुक चाहती हैं, तो बालों में हेयर बैंड या हलका सा पफ बना सकती हैं. इस के साथ हलकीफुलकी ज्वैलरी व वेज हील्स सैंडिल ही पहनें.

डिनर डेट

डेट पर जाना है और साथ ही डिनर भी है, तो कुछ ऐसी ड्रैस पहनें जो आप के लुक पर असर डाले साथ ही आप की फिगर को भी उभारे. इस के लिए आप वन पीस ड्रैस ट्राई कर सकती हैं. मौके को देखते हुए यह ड्रैस आप पर काफी फबेगी.

कलर

यदि आप वन पीस ड्रैस पहन रही हैं और आप को डिनर पर भी जाना है तो रैड, रौयल ब्लू व ग्रीन जैसे खिले हुए कलर्स पहन सकती हैं.

मेकअप

डिनर पर आप सिर्फ आई मेकअप पर ध्यान दें क्योंकि ऐसे में आप की आंखों को खूबसूरत दिखना चाहिए. साथ ही लिपस्टिक न्यूड कलर्स की ही लगाएं.

ऐक्सैसरीज

सिंपल सोबर सी ज्वैलरी, नैक पीस, कोकटेल रिंग्स आदि पहन सकती हैं. इस पर हाई हील्स ज्यादा सूट करेंगी.

स्पोर्टी डेट

यदि आप अपने बौयफ्रैंड के साथ कोई मैच या रोमांचक स्पोर्ट्स देखने जा रही हैं, तो शौर्ट्स पहनें. टैंक टौप के बजाय टी शर्ट या आरामदायक ड्रैस ही पहनें. लुक को मजेदार बनाने के लिए प्रिंटेड व रंगबिरंगे आउटफिट पहनें.

मेकअप

ऐसे में आप का मेकअप काफी लाइट होना चाहिए, आंखों में काजल और हलके कलर का लिपग्लौस इस्तेमाल करें.

ऐक्सैसरीज

कम से कम ऐक्सैसरीज पहनें और औक्सफोर्ड शूज पहन कर जानदार लुक बनाएं.

winter Special: हैप्पी विंटर के ये है 15 टिप्स

सर्दियों के आते ही महिलाओं की आम समस्या होती है कांतिहीन और शुष्क त्वचा, जिस का खास कारण होता है सूखी हवा. यानी आप के आसपास के वातावरण में नमी की कमी. सूखी हवा आप की त्वचा से नमी को सोख लेती है और उसे कांतिहीन व शुष्क बना देती है.

यहां कुछ ऐसे सरल उपाय बताए जा रहे हैं, जो इन सर्दियों में आप की त्वचा का खयाल रखेंगे और उसे नमी व कांति प्रदान करेंगे-

1  रोजाना कुनकुने पानी में शौवर लें और तौलिए से थपथपा कर त्वचा सुखाएं. त्वचा को रगड़ें नहीं.

2  स्नान के तुरंत बाद जब त्वचा नम हो तब एक क्रीम बेस्ड मौइश्चराइजर अपने पूरे शरीर पर लगाएं. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए ‘शी’ बटर या कोकोआयुक्त मौइश्चराइजर का चयन करें.

3  वैसे अपनी त्वचा को नम व कोमल रखने के लिए नहाने के पानी में जैतून या नारियल तेल की कुछ बूंदें डालें.

4  कोमल शौवर जैल इस्तेमाल करें और कठोर व अत्यधिक खुशबूदार साबुन से परहेज करें.

5  त्वचा से मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए कुछ हफ्तों के अंतराल पर एक बार आप को अपनी त्वचा को रगड़ना पड़ सकता है.

6  होंठों को फटने से बचने के लिए नियमित रूप से उन पर लिप बाम लगाती रहें. होंठों को अपनी लार से नम करने की गलती न करें, क्योंकि इस से वे और खराब हो जाएंगे. एक पुराना व घरेलू नुसखा भी है- शहद में कुछ बूंदें जैतून तेल की मिला कर अपने होंठों पर लगाएं और उन्हें आर्द्र बनाए रखें.

7  घर के कामकाज करते वक्त दस्ताने जरूर पहनें. खासकर तब, जब आप डिटर्जैंट आदि का इस्तेमाल कर रही हों. ऐसा कर के आप अपने हाथों को खुरदरा होने से बचा सकेंगी. इस के अलावा, घरेलू काम खत्म करने के बाद दिन में 2-3 बार अपने हाथों पर एक अच्छी हैंड क्रीम लगाएं.

8  सर्दियों के मौसम में एडि़यां आसानी से क्रैक हो जाती हैं. इसलिए मृत त्वचा को निकालने के लिए समयसमय पर ऐक्सफोलिएट इस्तेमाल करें और उस के बाद ऐसी पैट्रोलियम जैली या ग्लिसरीन बेस्ड क्रीम लगाएं, जिस में यूरिया या लैक्टिक ऐसिड मौजूद हो. आप हर रोज रात में फुट क्रीम लगा सकती हैं और ऊपर से सूती मोजे पहन सकती हैं.

9  अपने केशों व शरीर की सप्ताह में एक बार कुनकुने तेल से मालिश करें. इस के लिए आप जैतून या नारियल का तेल इस्तेमाल करें.

10 धूप में निकलने से आधा घंटा पहले अपने चेहरे व हाथों पर सनस्क्रीन लगाएं. यदि आप को ज्यादा वक्त बाहर रहना है, तो 3-4 घंटे बाद फिर सनस्क्रीन लगाएं.

11 सर्दियों में भी खूब पानी पीएं.

12 कठोर पील्स, मास्क, टोनर, ऐस्ट्रिंजैंट या अन्य किसी ऐसे त्वचा अथवा हेयर स्टाइलिंग उत्पाद से परहेज करें जिस में अल्कोहोलिक कंटैंट ज्यादा हो. क्योंकि जब अल्कोहल वाष्प बन कर उड़ता है, तो त्वचा की नमी भी उड़ा ले जाता है.

13 सर्दियों में आप घर की बनी एक और चीज भी इस्तेमाल में ला सकती हैं. ऐवोकैडो को जैतून तेल की कुछ बूंदों या दही में मिश्रित करें, पिसे बादाम मिलाएं और इस मिक्सचर को स्नान से पहले अपने पूरे शरीर पर मलें. 20 मिनट बाद इसे धो लें और उस के बाद नहाएं.

14 यह समझना अत्यावश्यक है कि सस्ते उत्पाद भी उतना ही अच्छा काम कर सकते हैं जितना कि महंगे उत्पाद. अहम बात यह है कि आप की त्वचा उस उत्पाद पर कैसी प्रतिक्रिया देती है और आप को उस के साथ कैसा अनुभव होता है, न कि आप ने कितना पैसा खर्च किया.

15 कम से कम एक बार त्वचा विशेषज्ञ के पास जाना भी एक अच्छा तरीका है. विशेषज्ञ आप की त्वचा की किस्म का विश्लेषण कर के, त्वचा की देखभाल हेतु परामर्श देता है, विकारों को दूर करता है और आप को त्वचा के लिए किस प्रकार के उत्पाद इस्तेमाल करने चाहिए, यह बताता है.

– डा. नितिन एस. वालिया
(वरिष्ठ त्वचा विशेषज्ञ, बीएलके सुपर स्पैशलिटी हौस्पिटल)

Winter Special: बेक्ड पकौड़े ऐसे बनाएं

घर में नाशते में कई बार ब्रेड और चाय से काम चालाना पड़ता है लेकिन, इसके आलावा भी आप कई अन्य डिश इस्तेमाल करते होंगे. ऐसे में नाशते मेॆं बनाने के लिए सबसे आसान और टेस्टी डिश है  बेक्ड पकौडे। जिन्हे जल्दी और आराम से घर पर नाशते में बना सकते है.

सामग्री

-3/4  कप ढोकला आटा

-2 बड़े चम्मच बेसन

-3 बड़े चम्मच प्याज बारीक कटा

-3 बड़े चम्मच गाजर कद्दूकस की

-1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

-1/2 छोटा चम्मच धनिया दरदरा कुटा

-लालमिर्च पाउडर स्वादानुसार

-1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

-1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल, नमक स्वादानुसार.

विधि

ढोकले के आटे में बेसन मिला कर पानी डालें और पकौड़ों लायक घोल तैयार करें. इस में प्याज, गाजर और बाकी सारी सामग्री मिला लें. अप्पा पत्रम के प्रत्येक गड्ढे को तेल से चिकना करें और उस में 1-1 चम्मच घोल डाल कर आंच पर रखें. बरतन को ढक दें. आंच धीमी रखें. पकौड़ों को पलटें और थोड़ा सा तेल लगा दें. दोनों तरफ से करारा सेंक कर चटनी के साथ सर्व करें.

जंजाल – भाग 3 : नैना मानव को झूठे केस में क्यों फंसाना चाहती थी?

उस ने एक सादे पन्ने पर मानव के खिलाफ यौन दुराचार की शिकायत लिख कर अजय को थमा दी. शिकायत में पूरी घटना का विवरण लिखा था. अजय ने पढ़ा लिखा था, ‘‘मैं और मानव अच्छे दोस्त हैं. हम कई बार आउटिंग पर जाते हैं. मानव के साथ मैं बहुत सहज महसूस करती हूं और सुरक्षित भी. आज शाम क्लास के बाद मैं ने मानव के साथ रामनिवास बाग घूमने का कार्यक्रम बनाया. मानव मेरे कमरे में आया तब मैं बाल बना रही थी.अचानक न जाने इसे क्या हुआ और यह मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा. मैं ने इसे रोकने की बहुत कोशिश की.

हमारी हाथापाई भी हुई लेकिन इस पर तो जैसे भूत सवार था. तभी अजय सर वहां आ गए. इन्होंने दरवाजा खटखटाया तो मानव घबरा गया और इस ने मु झे छोड़ दिया. आज तो मैं बच गई लेकिन मु झे डर है कि मानव भविष्य में मु झे परेशान कर सकता है. हो सकता है कि अपनी बेइज्जती का बदला ही लेने की कोशिश करे. मु झे सुरक्षा दिलवाने की व्यवस्था करवाई जाए.’’ अजय ने नैना की शिकायत विभाग की विशाखा कमेटी को मेल कर दी.

4 दिन बाद विशाखा कमेटी की बैठक हुई. नैना, मानव और अजय. तीनों को इस बैठक में बुलाया गया. नैना ने जो बात शिकायती पत्र में लिखी थी वही कमेटी के सामने दोहरा दी. अजय ने चश्मदीद गवाह का काम किया. अब तो शक की कोई गुंजाइश ही कहां बची थी.मानव ने लाख सफाई दी. कहा भी कि नैना और उस के बीच रिश्ता दोस्ती से कहीं बढ़ कर है. जो कुछ हो रहा था, वह दोनों की सहमति से ही हो रहा था लेकिन अचानक अजय सर के आने से नैना ने यू टर्न ले लिया और चिल्लाने लगी. मगर उस की दलील किसी ने नहीं सुनी.

कमेटी ने अपने निर्णय में मानव को दोषी करार दिया और उसे निलंबित करने की अनुशंसा कर के अपनी रिपोर्ट विभाग सचिव को भेज दी.विशाखा कमेटी के इस निर्णय को स्वीकार करते हुए सचिव ने मानव को निलंबित कर दिया और उस का मुख्यालय राज्य के अंतिम छोर यानी जैसलमेर कर दिया गया. मानव कसमसा कर रह गया लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

उस ने नैना और अजय के खिलाफ अदालत में जाना तय कर लिया.हालांकि कोर्ट और वकीलों से उस का कोई वास्ता नहीं रहा था, लेकिन जब मंजिल तय हो जाए तो फिर रास्ते तलाश करना बड़ी बात नहीं. 1-2 मित्रों से सलाह करने के बाद उस ने एडवोकेट सुहानी से मिलना तय किया. सुहानी एक कम उम्र की नई वकील है और 2 साल पहले ही उस ने अपनी प्रैक्टिस शुरू की है.

अधिक अनुभव तो उसे नहीं है, लेकिन मानव जानता था कि अपनी साख बनाने के लिए वह उस के मुकदमे पर बहुत मेहनत करेगी. मानव सुहानी से मिला और सुहानी ने उस की पूरी बात सुनने के बाद यह मुकदमा अपने हाथ लेना स्वीकार कर लिया.‘‘आप का कहना है कि नैना और आप के बीच का रिश्ता दोस्ती से कहीं ज्यादा है. क्या आप इसे साबित कर सकते हैं.

मसलन नैना की कोई स्वीकारोक्ति जैसे लव लैटर या कोई मेल या फिर व्हाट्सऐप चैट आदि?’’ सुहानी ने मानव से पूछा.‘‘लैटर तो आजकल लिखता ही कौन है. मेल उस ने कभी नहीं किया. हां, व्हाट्सऐप पर कई बार हमारी रोमांटिक चैट होती थी, लेकिन नैना अपने मैसेज डिलीट कर देती थी. मैं ने भी अपने मोबाइल में उस की कोई चैट नहीं रखी क्योंकि यह खुद मेरे लिए भी नुकसानदेह हो सकता था,’’ मानव ने कहा.‘‘यानी आप दोनों को ही एकदूसरे पर भरोसा नहीं था.

यानी प्यार भी नहीं था. भरोसा प्रेम की पहली शर्त होती है मानव,’’ कहते हुए सुहानी मुसकराई तो मानव थोड़ा शर्मिंदा हुआ.‘‘खैर. यह आप का व्यक्तिगत मामला है. फिलहाल तो हमें यह साबित करना है कि आप के खिलाफ लगाया गया नैना का आरोप बेबुनियाद है और उस ने ऐसी शिकायत या तो किसी दबाव में आ कर की है या फिर यह आप को बदनाम करने की कोई साजिश है,’’ सुहानी ने मानव को नौर्मल करने की मंशा से कहा. मानव को लग रहा था मानो सुहानी से मिल कर उस की आधी समस्या तो हल हो ही गई. शेष आधी सुहानी हल कर ही देगी.

सुहानी ने मानव से नैना द्वारा की गई शिकायत से ले कर विशाखा कमेटी के निर्णय और उस के बाद मानव के निलंबन तक के सभी आवश्यक दस्तावेज देखे.‘‘मानव, यह तो अच्छी बात हुई कि कमेटी ने आप के केस को आपराधिक नहीं माना वरना आईपीसी की धारा 354 के अंतर्गत यह मामला पुलिस में जाता और हमारी समस्याएं बढ़ जातीं. आप को जेल भी हो सकती थी और जुरमाना भी लेकिन अब यह केस सर्विस रूल के अंतर्गत आएगा और हम आप के निलंबन के खिलाफ सीधे विभाग के सचिव को अपील करेंगे,’’ सुहानी ने दस्तावेजों का अवलोकन करने केबाद कहा.

‘‘मानव, नैना के खिलाफ हमारे पास कोई ठोस सुबूत नहीं है. क्या तुम्हारे फोन में कौल्स की औटो रिकौर्डिंग होती है? मतलब उस रात की बात करें तो क्या नैना ने तुम्हें ऐसा कुछ फोन पर कहा था जिस का दावा तुम कर रहे हो? मसलन, कमरे में इनवाइट करना या कोई रोमांटिक संकेत आदि. यदि ऐसा कुछ मिले तो शायद हम अपने पक्ष में कुछ साबित कर पाएं,’’

सुहानी ने मानवसे कहा.‘‘उस ने मु झे कमरे में आने के लिए कहा तो था, लेकिन फोन पर नहीं बल्कि व्हाट्सएंप कौल पर. जब भी इस तरह की कोई बात उसे फोन पर करनी होती थी तब वह फोन काट कर व्हाट्सऐप कौल किया करती थी. जहां तक मेरी जानकारी है,

व्हाट्सऐप कौल रिकौर्ड नहीं होती,’’ मानव ने अपनी शंका जाहिर की.सुहानी ने मानव की व्हाट्सऐप कौल्सकी हिस्ट्री देखी. उस में नैना की बहुत सी इनकमिंग कौल्स थीं. उस दिन भी उस ने मानव को कौल किया था. समय भी वही था जो मानव ने बताया था. ‘‘कोई बात नहीं, हम नैना के साथ एक गेम खेलेंगे. तुम उसे कौल लगाओ,’’ सुहानी ने मुसकराते हुए कहा.सुहानी की योजना के अनुसार मानव ने नैना को कौल लगाई. जैसाकि मानव ने कहा था, नैना ने उस का फोन काट दिया और व्हाट्सऐप कौल लगाई.‘‘नैना, तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं निर्दोष हूं.

तुम ने खुद ही मु झे कमरे में बुलाया और खुद ही मेरे खिलाफ शिकायत भी कर दी. तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो?’’ मानवने कहा.‘‘तुम मेरे मामले में निर्दोष हो सकते हो लेकिन मेरी बहन के मामले में नहीं. याद करो,3 साल पहले तुमने मेरी बहन से सिर्फ इसलिए सगाई करने से इनकार कर दिया था क्योंकि तुम्हारी सरकारी नौकरी लग गई थी और शादी के बाजार में तुम्हारी कीमत बढ़ गई थी,’’ नैना ने कड़वाहट से कहा. स्पीकर पर रखे फोन पर सुहानी यह सारी बात सुन रही थी. नैना का जवाब सुन कर उस ने आश्चर्य से मानव की तरफ देखा. खुद मानव भी असमंजस में था कि नैना आखिर किस घटना का जिक्र कर रही है.

GHKKPM: सई-विराट को कमरे में एक साथ देख, पाखी को लगा बड़ा झटका

गुम है किसी के प्यार में, शो इन दिनों हिट चल रहा है, टीआरपी की रेस में ये शो दूसरे नंबर पर है. ऐसे मेकर्स शो को नंबर वन की लिस्ट में लाने की पूरी कोशिश कर रहे है नील भट्ट, आयशा सिंह और ऐश्वर्या शर्मा स्टार्स ने शो को हिट करने में ज़रा भी कसर नहीं छोड़ी है.शो में अब नए मोड़ आ रहे है जो लोगों को काफी एंटरटेन कर रहे है.

आपको बता दें, कि शो का प्रोमो रीलिज़ हुआ था जिसमें दिखाया गया कि सई और विराट एक ही कमरे मे साथ होते है वही, दोनो को साथ कमरे में पाखी देख लेती है और ये सब देख उसे बड़ा झटका लगता है. मानों पाखी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई है।

 

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“गुम है किसी के प्यार मे” के प्रोमो वीडियो में दिखाया गया है कि रात 12 बजे भी विराट और विनायक घर नहीं आते है, जिससे पाखी चिंता करने लग जाती है। इससे पाखी की तबीयत खराब हो जाती है। वह सोचती है कि सई को दोनों के बारें में ज़रुर पता होगा, जिससे वह भागकर सई के घर चली जाती है. जहां पाखी को विनायक मिलता है जो बताता है कि वह काफी देर से यही है. पाखी उससे पूछती है कि वह और विराट कल रात से घर क्यो नहीं आए.

 

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बता दें, ये किस्सा यही खत्म नहीं होता है आगे पाखी, सई के कमरे में जाकर देखती है तो वहां सई विराट के कंधे पर सिर रखकर सो रही होती है। यह सब देख पाखी को धक्का लगता है और वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाती है।

प्रोमो वीडियो पर फैंस के कमेंट्स

प्रोमो वीडियो को देख यूज़र ने कई तरह के कमेंट्स किए ,जिसमें एक यूजर ने लिखा है कि “इस सीरियल में यही चलता रहेगा कि एक बार शायद पति बाद में उसका पति” वही किसी दूसरे यूज़र ने लिखा है कि ये “गुम है किसी के प्यार में वाले सई और विराट के नाम पर सीरियल फेक प्रोमो बनाते है और बाद में देवर भाभी का प्यार दिखाते है” तीसरा कमेंट् सोनिया नाम की यूज़र ने लिखा है कि “जो आप बोते हो वही काचते हो अब इस बेशर्म महिला को पता लगेगा कि जब पति-पत्नी के बीच कोई तीसरा आता है तो कैसा लगता है”

Winter Special: सर्दी-खांसी में फायदेमंद देसी काढ़ा

सर्दी-खांसी हो जाए तो पूरा शरीर जकड़ सा जाता है. दवा लेने से फायदा तो तुरंत हो जाता है लेकिन इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं. वैसे भी हर बार दवा लेना सही नहीं है. बेहतर यही होगा कि सर्दी-खांसी के लिए घरेलू उपाय आजमाए जाएं. इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और सर्दी जड़ से दूर हो जाती है.

काढ़ा बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

साफ पानी

काली तुलसी की पत्ती

लौंग

काली मिर्च

छोटी इलायची

अदरक

गुड़

चायपत्ती

विधि:

पानी गर्म होने के लिए रख दें. जब पानी उबलने लगे तब उसमें पीसी हुई लौंग, काली मिर्च, इलायची, अदरक, और स्वादानुसार गुड़ ड़ाल दें. थोड़ी देर बाद तुलसी की पत्तियां इसमें डाल दें. उसके बाद चायपत्ती. जब पानी आधा रह जाए तो गैस बंद कर दीजिए. पानी को छान लें.

इसे गर्म पीना ही फायदेमंद रहेगा. कुछ ही दिनों में इसके सेवन से सर्दी-खांसी दूर हो जाएगी.

डायपर का है जमाना

आज के बदलते दौर ने बच्चे के पालनपोषण को आसान बना दिया है. आज मातापिता छोटे बच्चे को ले कर कहीं बाहर जाने से नहीं कतराते. परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, डायपर्स के प्रयोग से बच्चे को भी आराम मिलने लगा है. लेकिन इस के इस्तेमाल में थोड़ी सावधानी बरती जाए तो और भी आसानी हो जाती है अन्यथा कई बार लेने के देने भी पड़ सकते हैं. इस बारे में मुंबई की श्री गुरु मैटरनिटी एंड चिल्ड्रंस नर्सिंगहोम की बाल रोग विशेषज्ञा डा. सविता एस नाइक कहती हैं कि डायपर्स फायदेमंद होता है, पर इसे उचित रूप से इस्तेमाल करना जरूरी है. डायपर्स में नमी सोखने की शक्ति होती है, जो कपड़ों में कम होती है. इसलिए अगर इसे बच्चे को एक बार पहना दिया जाए तो 2 या 3 बार पेशाब करने के बाद ही डायपर बदला जाता है. अगर उस ने मलत्याग किया हो तो इसे तुरंत बदलना जरूरी होता है, क्योंकि बच्चे की कोमल त्वचा को इस से नुकसान हो सकता है. गीले डायपर से बच्चे को कई प्रकार की त्वचा की बीमारियां हो जाती हैं. पेशाब में यूरिया, ऐसिड, अमोनिया आदि होते हैं, जो त्वचा में खुजली पैदा करते हैं. इस से बच्चों की त्वचा लाल हो जाती है.

जांच करती रहें

इसलिए जब भी बच्चा डायपर पहने हो तो मां को पीछे हाथ लगा कर जांच करते रहना चाहिए. कुछ बच्चे एक बार में अधिक पेशाब करते हैं. अगर उस ने 2-3 घंटों के बाद पेशाब किया हो तो डायपर जल्दी गीला हो जाता है. तब डायपर जल्दी बदलना जरूरी हो जाता है. अगर रात में उसे डायपर पहना कर सुलाया हो तो हर 2 घंटों बाद जांच करनी चाहिए कि डायपर कितना गीला है. डायपर की ऊपरी परत हमेशा सूखी रहनी चाहिए. गीला होने पर ही यह त्वचा के संपर्क में आती है और शिशु की वहां की त्वचा लाल हो जाती है. उस के बाद खुजली, सूजन या फिर त्वचा लाल हो जाती है. इसे डायपर डर्मेटिक्स कहते हैं. हलका लाल होने पर इमोजिएंट क्रीम लगाने से त्वचा मुलायम हो जाती है और लाली भी कम हो जाती है.

समयसमय पर बदलती रहें

गीले डायपर को अधिक देर तक पहनाए रखने से फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है. इस संक्रमण के अधिक दिनों तक रहने पर बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए. रेगुलर टेल्कम पाउडर से ऐसे संक्रमण पर कोई फायदा नहीं होता. डायपर पाउडर, जो अलग होता है, उस में कौर्न स्टार्च होता है. उस की सोखने की क्षमता अधिक होती है. अगर डायपर पहनाने से पहले इस पाउडर को बुरक दिया जाए तो त्वचा सूखी और नरम रहती है. एंटीफंगल पाउडर भी आप लगा सकती हैं. इस से फंगल इन्फेक्शन कम हो सकता है.

कई औप्शन उपलब्ध

डायपर्स कई तरह के होते हैं. वही डायपर्स चुनें, जो पतले और नरम हों, जिन्हें पहनने में बच्चे को आराम मिले. अगर प्लास्टिक पैंट में कौटनपैड डालते हैं तो वह पतला होता है, जिसे बारबार बदलना पड़ता है. बाजार में मिलने वाले डायपर्स मोटे होते हैं और उन में नमी सोखने की क्षमता अधिक होती है. आप वही डायपर चुनें, जो आप के बजट की सीमा में हो. डा. सविता कहती हैं कि 2 साल के बाद बच्चे को पेशाब और पौटी की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, जिसे टायलेट ट्रेनिंग कहा जाता है. कई बार 1 साल में ही बच्चा इसे सीख जाता है. लेकिन जिन बच्चों को रात में बिस्तर गीला करने की आदत होती है, वहां डायपर्स का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है. अगर बच्चे को लूज मोशन हों तो डायपर्स न पहनाएं, क्योंकि लूज मोशन में उस के मल में अधिक मात्रा में ऐसिड होता है. ऐसे में फंगल इन्फेक्शन हो जाता है. उस समय बच्चे को खुला छोड़ना या कौटन पैंटीज पहनाना सही होता है. कई बार अधिक संक्रमण होने से त्वचा पक जाती है. तब एंटीबायोटिक्स का सहारा भी लेना पड़ता है. मातापिता की लापरवाही से बच्चे की बीमारी काफी सीरियस भी हो जाती है. इसलिए जब भी बच्चे को डायपर पहनाएं, पूरा ध्यान रखें कि उस से आराम हो, तकलीफ न हो. आप अपनी सुविधा देखें पर बच्चे के आराम का भी ध्यान रखें, क्योंकि अगर उसे परेशानी होगी तो वह कह नहीं पाएगा और रोएगा, जिस से आप की परेशानी और भी बढ़ सकती है.

एकल परिवार में जब एक हो जाए बीमार, तो क्या करें?

आधुनिकीकरण ने परिवार नामक इकाई का ढांचा बदल दिया है. अब पहले की तरह संयुक्त परिवार नहीं होते. लोगों ने वैस्टर्न कल्चर के तहत एकल परिवार में रहना शुरू कर दिया है. लेकिन परिवार के इस ढांचे के कुछ फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी. खासतौर पर जब ऐसे परिवार में कोई गंभीर बीमारी से पीडि़त हो जाए.

इस बाबत एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के नेफरोलौजिस्ट डाक्टर जितेंद्र कहते हैं कि न्यूक्लियर फैमिली का ट्रैंड तो भारत में आ गया, लेकिन इस टै्रंड को अपनाने वालों को यह नहीं पता कि वैस्टर्न कंट्रीज में न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाले वृद्ध और बच्चों की जिम्मेदारी वहां की सरकार की होती है. वही उन्हें हर तरह की सुरक्षा और सुविधा मुहैया कराती है. यहां तक कि वहां पर ऐसे संसाधन हैं कि वृद्ध हो, युवा या फिर बच्चा किसी को भी विपरीत परिस्थितियों से निबटने में ज्यादा परेशानी नहीं होती.

डा. जितेंद्र आगे कहते हैं कि उन देशें में जब भी कोई बीमार पड़ता है और अगर उसे तत्काल चिकित्सा की जरूरत पड़ जाती है तब उसे ऐंबुलैंस के आने का इंतजार नहीं करना पड़ता, बल्कि ऐसे समय के लिए विशेष वाहन होते हैं जो बिना रुकावट सड़कों पर सरपट दौड़ सकते हैं और इन से मरीज को अस्पताल तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है. लेकिन भारत में ट्रैफिक की हालत इतनी खराब है कि ऐंबुलैंस को ही मरीज तक पहुंचने में वक्त लग जाता है.

एकल परिवार में हर किसी को बीमारी से उबरने और उस से जुड़े सभी जरूरी काम स्वयं करने की आदत डालनी चाहिए. बीमारी के समय भी इस तरह आत्मनिर्भरता को कायम रखा जा सकता है: बीमारी के लक्षण को गंभीरता से लें: रोज की अपेक्षा कमजोरी महसूस कर रहे हों या फिर हलका सा भी बुखार हो तो उस के प्रति लापरवाही अच्छी नहीं. हो सकता है जिसे आप मामूली बुखार या कमजोरी समझ रहे हों वह किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो. अपने फैमिली डाक्टर से इस बारे में चर्चा जरूर करें. फैमिली डाक्टर के पास जाने में अधिक समय न लगाएं. इस बात का इंतजार न करें कि घर का कोई दूसरा सदस्य आप को डाक्टर के पास ले जाएगा.

डाक्टर से बात करने में न हिचकें: अपने डाक्टर से खुल कर बात करें. आप क्या महसूस कर रहे हैं और आप को क्या तकलीफ है, इस के बारे में अपने डाक्टर को जरूर बताएं. फिर डाक्टर जो भी पूछे उस का सोचसमझ कर जवाब दें. बढ़ाचढ़ा कर भी कुछ न बताएं क्योंकि डाक्टर इस से भ्रमित हो जाता है. मरीज इस बात का ध्यान रखे कि वह अब आधुनिक समय में जी रहा है, जहां हर बीमारी का इलाज है. फिर चाहे वह कैंसर हो, टयूबरक्लोसिस हो या फिर जौंडिस. बीमारी पर खुल कर बात करने में डरने की क्या जरूरत?

प्रैस्क्रिप्शन को सहेज कर रखें: डाक्टर जो प्रैस्क्रिप्शन लिख कर दें उसे हमेशा संभाल कर रखें. हो सकता है कोई शारीरिक समस्या आप को बारबार रिपीट हो रही हो. इस परिस्थिति में आप डाक्टर को पुराना प्रैस्क्रिप्शन दिखा कर याद दिला सकते हैं कि पिछली बार भी आप को यही समस्या हुई थी. बारबार होने वाली बीमारी गंभीर रूप भी ले सकती है. यदि आप के डाक्टर को यह पता चल जाएगा तो वह इस की रोकथाम के लिए पहले ही आप को सतर्क कर देगा. सही डाक्टर चुनें: अकसर देखा गया है कि लोगों को तकलीफ शरीर के किसी भी हिस्से में क्यों न हो, लेकिन वे जाते जनरल फिजिशियन के पास ही हैं. जबकि जनरल फिजिशियन आप को सिर्फ राय दे सकता है. यदि आप को दांतों की तकलीफ है तो डैंटिस्ट के पास जाएं. हो सकता है कि आप को दांतों से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी हो.

बीमारी टालें नहीं: अकसर लोग बीमारी के सिमटम्स नजरअंदाज कर देते हैं. मसलन, शरीर के किसी अंग में गांठ होना, बलगम में खून आना या फिर कहीं पस पड़ जाना. ये सभी बड़ी बीमारियों के संकेत होते हैं. लेकिन लोग इन्हें महीनों नजरअंदाज करते हैं. वे सोचते हैं कि कुछ समय बाद उन की तकलीफ खुदबखुद खत्म हो जाएगी. लेकिन तकलीफ जब बढ़ती है तब उन्हें डाक्टर की याद आती है. तब तक देर हो चुकी होती है. जिस बीमारी पर पहले लगाम कसी जा सकती थी वह बेलगाम हो जाती है इसलिए तकलीफ छोटी हो या बड़ी डाक्टर से एक बार सलाह जरूर लें. मैडिकल कार्ड अपने साथ रखें: यदि आप को कोई गंभीर बीमारी है, तो आप अपना मैडिकल कार्ड और डायरी अपने पास रखें. डाक्टर जितेंद्र कहते हैं कि किसी को सड़क पर चलतेचलते अचानक चक्कर आ जाए या दौरा पड़ जाए तो राहगीर सब से पहले मरीज की जेब की तलाशी लेते हैं ताकि मरीज से जुड़ी कोई परिचय सामग्री मिल जाए. यदि मैडिकल कार्ड रखा जाए तो किसी को भी पता चल जाएगा कि आप को क्या बीमारी है और बेहोश होने की स्थिति में आप को क्या ट्रीटमैंट दिया जाना चाहिए. यदि इस मैडिकल कार्ड में आप का पता और आप के परिचितों का नंबर होगा तो राहगीरों को उन से संपर्क करने में भी आसानी होगी. इस तरह समय रहते आप का इलाज हो सकेगा और परिचित लोग आप के पास हो सकेंगे.

मैडिकल डायरी भी है जरूरी: गंभीर बीमारी होने पर मरीज को अपने पास एक मैडिकल डायरी भी रखनी चाहिए. इस डायरी में मरीज को अपने सभी जरूरी टैस्ट, दवाएं और खानेपीने का रूटीन लिख लेना चाहिए. डाक्टर जितेंद्र इस डायरी का महत्त्व बताते हुए कहते हैं कि मैडिकल डायरी में मरीज अपने होने वाले टैस्टों की तारीख, दवाओं के खाने का समय और उन के खत्म होने और लाने की तारीख लिख सकता है. कई बार बीमारी की वजह से उसे सब कुछ याद नहीं रहता. इसलिए रोजाना इस डायरी को एक बार पढ़ लेने पर उसे ज्ञात हो जाएगा कि कब उसे क्या करना है.

आधुनिक तकनीकों का हो ज्ञान: वैसे तो आधुनिक युग में प्रचलित तकनीकों का ज्ञान सभी को होना चाहिए. लेकिन यदि किसी, का कोई गंभीर रोग है तो उस के लिए तकनीकों को जानना अनिवार्य हो जाता है. जैसे आजकल स्मार्टफोन का जमाना है, तो स्मार्टफोन मरीज के पास होना चाहिए और उस का इस्तेमाल भी मरीज को आना चाहिए. आजकल स्मार्टफोन में बहुत से एप्स हैं जो काफी मददगार हैं. मसलन, कैब बुकिंग एप्स, डायट अलर्ट एप्स, चैटिंग एप्स और विभिन्न प्रकार के ऐसे एप्स जो मरीज को सुविधा और उसे नई जानकारियां देने में काफी मददगार हैं.

डाक्टर जितेंद्र की मानें तो चैटिंग एप्स ऐसे हैं जो मरीज और डाक्टर के बीच इंटरैक्शन को बाधित नहीं होने देते. यदि मरीज को कोई छोटीमोटी जानकारी लेनी है तो वह डाक्टर से इस के जरीए बात कर सकता है. कई बार मरीज अपने डाक्टर से काफी दूर पर होता है, तो उस के लिए डाक्टर से प्रत्यक्ष रूप से मिल पाना मुमकिन नहीं होता. तब वीडियो कौन्फ्रैंसिंग के द्वारा मरीज अपने डाक्टर से परामर्श ले सकता है.नकद पैसा जरूर रखें: मरीज को घर में हमेशा कुछ नकद पैसा जरूर रखना चाहिए. यदि नकद पैसा रखने में असुरक्षा का एहसास हो तो मरीज अपने नाम से क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी रख सकता है.

परिवार वालों का सहयोग भी जरूरी

एकल परिवार हो या संयुक्त परिवार, यदि परिवार में किसी को भी गंभीर बीमारी हो जाए तो मरीज को घर के सदस्यों का मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार का सहयोग चाहिए होता है. खासतौर पर एकल परिवार में मरीज खुद को ज्यादा अकेला महसूस करता है. एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस में साइकोलौजिस्ट डाक्टर मीनाक्षी मानचंदा कहती हैं कि एकल परिवार में चुनिंदा लोग होते हैं, इसलिए सब की जिम्मेदारियां और काम बंटे होते हैं. घर में किसी के बीमार पड़ने से उन के लिए अतिरिक्त काम बढ़ जाता है. ऐसे में मरीज यदि अपनी छोटीमोटी चीजों का खुद ध्यान रख ले तब भी उस के परिवार के सदस्यों को ही करना होता है.

मरीज को बीमारी से लड़ने के लिए मानसिक तौर पर कैसे मजबूत बनाया जा सकता है, आइए जानते हैं:

बीमारी कितनी भी गंभीर हो मरीज को इस बात का भरोसा दिलाएं कि उस का अच्छे से अच्छा इलाज कराया जाएगा और वह पूरी तरह ठीक हो जाएगा.

मरीज को ऐसा न बनाएं कि वह आप पर निर्भर रहे. यदि वह डाक्टर के पास खुद जाना चाहे तो उसे अकेले ही जाने दें.

काम में कितने भी व्यस्त हों, लेकिन मरीज का दिन में 2 से 3 बार हालचाल जरूर पूछें. इस से मरीज को लगता है कि उस के अपने भी उस की चिंता कर रहे हैं.

यदि मरीज बीमारी से पूर्व औफिस जाता था तो उस का औफिस जाना बंद न कराएं. डाक्टर से सलाह लें कि मरीज औफिस जा सकता है या नहीं? मरीज को किसी भी छोटेमोटे काम में उलझा कर रखें, जिस से उसे मानसिक तनाव भी न  महसूस करे.

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