Web Series Review: जानें कैसी है शेफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी की Human

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः सनशाइन पिक्चर्स

निर्देशकःमोजेज सिंह

कलाकारः‘शेफाली शाह, कीर्ति कुल्हारी, सीमा विश्वास,विशाल जेठवा, राम कपूर,इंद्रनील सेन गुप्ता, आदित्य श्रीवास्तव,दामिनी सिन्हा, अतुल कुमार मित्तल,मोहन अगाशे,संदप कुलकर्णी, गौरव द्विवेदी व अन्य

अवधिः लगभग पैंतालिस मिनट के दस एपीसोडः साढ़े सात घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिज्नी

कोरोना महामारी के दौरान जब  लोगों की जिंदगी की अहमियत लोगों की समझ में आयी और दवा फार्मा कंपनियों ने रिसर्च कर वैक्सीन का निर्माण व परीक्षण किया,उसी दौर में विपुल अमृत लाल शाह,मोजेज सिंह व उनकी टीम दस एपीसोड की वेब सीरीज ‘‘ ह्यूमन’’ लेकर आयी है. जिसमें अस्पताल के अंदर चल रहे अनैतिक करोबार व दवा के अवैध परीक्षण के स्याह पक्ष के साथ इंसानी महत्वाकांक्षा का चित्रण है.  एक समासायिक व अत्यावश्यक विषय केा जरुर उठाया गया है,मगर यथार्थ को पेश करते हुए इसमें भोपाल गैस कांड,समलैगिकता व समलैंगिक प्यार ,आपसी जलन व प्रतिस्पधा,राजनीति, सेक्स,ड्ग्स सहित बहुत कुछ ठॅूंस कर मूल मुद्दे को ही गौण कर दिया गया. पूरी सीरीज को जिस तरह से पेश किया गया है,उसके चलते यह सीरीज बोर करती है. पहले एपीसोड से ही दर्शक का सीरीज से मन उचट जाता है.

कहानीः

कहानी के केंद्र में प्रतिष्ठित भोपाल न्यूरोसर्जन डॉ गौरी नाथ (शेफाली शाह) हैं,जो कि शहर के बहुत बड़े मल्टीफैशिलिटी अस्पताल की मालिक भी है. वह अपने पति   (राम कपूर) के पूर्ण समर्थन के साथ महत्वाकांक्षी विस्तार योजना शुरू करने पर काम कर रही हैं.  कहानी शुरू होती है ‘मंथन’में नई कार्डियो सर्जन डॉ सायरा सबरवाल (कृति कुल्हारी) की नियुक्ति से.  डॉ. सायरा की शादी हो चुकी है और उसके पति व फोटो-पत्रकार (इंद्रनील सेनगुप्ता) दूसरे देश में युद्ध के मैदान में कार्यरत हैं.  डॉ.  सायरा, डॉ.  गौरी के असली खेल से अनजान  उनकी योजना की सहभागी बन जाती है. डॉ.  गौरी का अपना अतीत है. उसके माता पिता भोपाल गैस त्रासदी मंे मारे गए थे,तब डॉ.  युधिष्ठिर ने उसे अपनी बेटी बनाया था. मगर घर मे उसे गरीब समझकर हमेशा नौकरों के कमरे में ही रखा गया. वहीं पर रोमा भी है,जिन्हे गौरी, ‘रोमा मां’(सीमा बिस्वास) कहती हैं.  फिर गौरी व रोमा ने मिलकर साजिश रचते हुए डॉ. युधिष्ठिर के परिवार से बदला लेने की भावना के साथ ही ‘मंथन’ का जन्म हुआ था.

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आज भी डॉ.  गौरी के गलत काम को आगे बढ़ाने में रोमा मां पूरा हाथ बंटा रही है. डॉ.  सायरा यौन संबंधों का एक ऐसा अतीत है,जिससे वह आज तक लड़ रही है. महज दस वर्ष की उम्र से ही वह समलैंगिक संबंध बनाती आ रही है. इसी के साथ अवैध दवा परीक्षण का कारोबार है,जिसकी मुखिया डॉ.  गौरी नाथ ही हैं.  वायु फार्मा कंपनी हृदय रोगियों के लिए ‘एस 93 आर’ दवा बना रही है. इस दवा में खामियां हैं. वह अपनी इस नई दवा का अवैध परीक्षण डॉ.  गौरी की ही कंपनी के मार्फत गरीबांे को फंसाकर कर रही है.  जिन पर भी परीक्षण किया जा रहा है,वह सभी मौत के मुॅह में जा रहे हैं. रोमा मां ने कुछ लड़कियों को बहला फुसलाकर अपने साथ सारी सुविधाएं देते हुए रखा है,उन्हे नर्स बना दिया है. इन पर ‘न्यूरो’ संबंधी एक दवा का अवैध परीक्षण हो रहा है.  ,जिन्हे हर दिन ऐसी दवा दी जा रही है,जो कि उनके अंदर खास तरह का बदलाव ला रही है. यह लड़कियां ही नर्स बनकर गरीबों पर अवैध दवा का परीक्षण करने के लिए इंजेक्शन लगाने से लेकर दवाएं आदि देती हैं.

बहरहाल,कहानी तब मोड़ लेती है जब इस दवा के ट्ायल@परीक्षण के चलते गरीब तुकाराम और गरीब युवक मंगू (विशाल जेठवा) की मां पर इस दवा का रिएक्शन होता है.  यह दानों तड़प-तड़प कर मर जाते हैं.  मंगू जैसे और भी लोग हैं, जिनके परिवारों ने ट्रायल के खराब नतीजे भुगते.  जब सवाल उठने लगते है तो डॉ.  गौरी खुद को बचाने के लिए डॉ. विवेक सहित दूसरों को मरवाने गलती है. तभी एक एनजीओ ‘आरोग्य’ इन पीड़ितों को मुआवजा और न्याय दिलानें के लिए आगे आता है. उधर राजनीतिक चालें चली जाती हैं. महत्वाकांक्षी प्रताप भी अपनी पत्नी का साथ देने की बजाय उसे ही बलि का बकरा बना देता है.

समीक्षाः       

फिल्मकार ने अहम विषय उठाया, मगर सीरीज देखकर अहसास होता है कि इस विषय व फार्मा कंपनियों  की उन्हें खास जानकारी ही नही है. संभावित रूप से घातक ड्रग परीक्षणों में बेहद गरीब लोगों को लुभाना सदियों पुरानी वैश्विक प्रथा है,जिसे दर्शक सैकड़ों फिल्मों मे देख व आपराधिक उपन्यासों में पढ़ता रहा है. इंसान लालच व स्वार्थपूर्ति में अंधा होकर किस हद तक जा सकता है,यह सब भी बहुत पुराना मसाला है. कारपोरेट अस्पतालों में किस तरह से मरीज को लूटा जाता है,यह भी किसी से छिपा नही है. इतना ही नही सीरीज का अंत जिस तरह से खत्म किया गया है,वह अति फिल्मी हो गया है. क्लायमेक्स अति घटिया है. पटकथा लेखन में काफी कमियंा हैं. इंद्रनील सेन गुप्ता के किरदार नील को विकसित ही नही किया गया. यह तो जबरन ठॅूंसा हुआ लगता है.

अवैध दवा परीक्षण,हमेशा आर्थिक रूप से कमजोर मनुष्यों का शिकार करने वाली एक सत्य व बड़ी समस्या है. इस पर बेहतरीन रोमांचक सीरीज बन सकती थी,मगर फिल्मकार ने महज कल्पना के घोड़े दौड़ाने के अलावा सेक्स,ड्ग्स,समलैंगिक प्यार,अवैध यौन संबंधो व राजनीतिक प्रतिद्वंदिता पर ही ज्यादा ध्यान दिया. इसमें जिस तरह से भोपाल गैस त्रासदी का मुद्दा उठाया गया,वह भी मजाक के अलावा कुछ नही रहा. वहीं एनजीओ की कार्यशैली को भी बहुत सतही स्तर पर ही पेश किया गया. इस सीरीज में गालियां कम नही है. डॉ.  गौरी के अतीत में गरीबी और चैंकाने वाली गालियां शामिल हैं.

अवैध दवा परीक्षण के दुश्परिणाम व मानवता की सेवा के नाम पर क्रूरता का सही अंदाज में चित्रण करने में लेखक व निर्देशक बुरी तरह से विफल रहे हैं. निजी दवा कंपनियां मुनाफे की खातिर लोगों की जान से खेलती है और कई बार इस खेल में बड़े अस्पताल और सम्मानित डॉक्टर तक हिस्सेदार होते हैं,वह डॉक्टर जिन्हें लोग भगवान का दर्जा देते हैं. इसे बहुत सतही स्तर पर ही पेश किया गया है. दवाओं के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले इंसान कंपनियों और डॉक्टरों के लिए नोट छापने की मशीन में बदल जाते हैं,इसे भी ठीक से चित्रित नही किया गया.

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संसार में ब्लैक और व्हाइट दोेनो तरह के किरदार होते हैं. हर ंइंसाान में अच्छाई व बुराई होती है. मगर इस सीरीज का हर किरदार समस्याग्रस्त है. सभी के परिवार विखरे हुए हैं. ख्ुाशनुमा पल किसी की जिंदगीमें नहीं है. हर किरदार की किरदार अलग-अलग महत्वाकांक्षाएं है,जिनके ेचलते वह तनवाग्रस्त नजर आते हैं. यहां प्यार नही है. वैसे भी अंततः एक जगह डॉं.  गौरी नाथ कहती हैं-‘‘ प्यार जताने के लिए होना भी तो चाहिए. ’’जबकि रोमा मां बार बार  डॉ गोरी को आगाह करते हुए कहती हैं-‘‘प्यार हमेशा दर्द देता है,यह बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए. ’’

इस सीरीज को देख कर दर्शक की समझ में यह बात जरुर आती है कि मानव-सेवा की आड़ में कैसे पैसे, भ्रष्टाचार और राजनीति का बोलबाला है.  यह एक मकड़जाल है,जिसमें ज्यादातर कीड़े-मकोड़े की जिंदगी जीने वाले गरीब और अभाव ग्रस्त लोग फंसते हैं. यह सीरीज डाक्टरों के अमानवीय व असंवेदनशील चेहरे को ही सामने लाती है. मगर अफसोस की बात यह है कि लेखक व निर्देशक ने मूल विषय को पेश करने की इमानदार कोशिश नही की.

अभिनयः

डॉ. गौरी के किरदार में शेफाली शाह ने बेहतरीन अभिनय किया है. कुटिलता उनके चहरे से साफ तौर पर उभरती है. उनके हाव भाव व चेहरे के भावों से यह स्पष्ट नजर आता है कि वह अपनी महत्वाकांक्षा के रास्ते मंे आने वाले को हटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं.  कई दृश्यों में उनकी खामोशी और उनकी आॅंखे बहुत कुछ कह जाती हैं. डॉ. सायरा के किरदार में कीर्ति कुल्हारी ने बढ़िया काम किया है. किरदार के अंदर का अंतद्र्वंद भी उनके चेहरे पर पढ़ा जा सकता है. इमोशनल दृश्यों में उनका अभिनय उभरकर आता है.  गरीब युवक मंगू के किरदार में विशाल जेठवा अपनी एपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहते हैं. राम कपूर और इंद्रनील सेन गुप्ता की प्रतिभा को जाया किया गया है. सीमा विश्वास अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रही हैं.

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GHKKPM: श्रुति से होगा भवानी और चौह्वाण परिवार का सामना, देखें वीडियो

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisi Ke Pyaar Mein) की कहानी जहां दिलचस्प मोड़ लेने वाली है तो वहीं सई (Ayesha Singh) के फैंस विराट (Neil Bhatt) को सोशलमीडिया पर ट्रोल करते नजर आ रहे हैं. वहीं शो में सई के लिए हैंडसम हंक लाने की डिमांड करते नजर आ रहे हैं. इसी बीच शो में जल्द नया ड्रामा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

भवानी का हुआ एक्सीडेंट

अब तक आपने देखा कि भवानी ने विराट और सई के तलाक की बात बताने के लिए  सोनाली को फटकार लगाती है. हालांकि सोनाली, भवानी से बहस करते हुए कहती है कि सई और विराट के रिश्ते की टूटने की वजह अश्विनी है. वहीं भवानी भी सोनाली की बात पर यकीन करते हुए निनाद और अश्विनी को जिम्मेदार ठहराती है. इसी के साथ सीढ़ियों पर जाते वक्त भवानी गिर जाती है और उसे चोट लग जाती है.

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सोनाली बताएगी परिवार को सच

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि भवानी को उसी अस्पताल में परिवार ले जाएगा. जहां पर श्रुति एडमिट होगी. वहीं सम्राट की मुलाकात विराट से होगी. हालांकि सम्राट उसे भवानी के बारे में नहीं बताएगा. इसी बीच एक नर्स विराट को श्रुति की स्थिति के बारे में बताएगी, जिसे सुनकर परिवार वाले विराट पर फिर तंज कसने लगेंगे, जिसके चलते विराट वहां से चला जाएगा. लेकिन विराट का पीछा करते हुए सोनाली, श्रुति को देखेगी जहां पर विराट उसके बच्चे को गोद में लिए बैठा होगा. इसी के चलते सोनाली पूरे परिवार को सच बताने जाएगी.

श्रुति से मिलेगी भवानी

आगे आप देखेंगे कि सोनाली पूरे परिवार को विराट को श्रुति के बच्चे का पिता बताएगी, जिसके सबूत में वह अस्पताल में एस चौहान के नाम के पेपर्स दिखाएगी. सोनाली की बात पर भरोसा करके पूरा परिवार हैरान रह जाएगा. वहीं भवानी वीलचेयर में श्रुति से मिलने जाएगी और पूछेगी कि क्या वह श्रुति है, जिसने विराट और उसके परिवार को बर्बाद कर दिया. इसी बीच खबरों की मानें तो श्रुति के बच्चे की खबर जानकर वारिस होने की सोच से भवानी, श्रुति को घर ले जाने का फैसला करती नजर आएगी.

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Anupama के सामने वनराज ने तोड़ा समर-नंदिनी का रिश्ता, मिला करारा जवाब

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. काव्या के कारण जहां समर-नंदिनी के बीच बहस छिड़ गई है तो वहीं वनराज (Sudhanshu Panday) अब रिश्ते को तोड़ने वाला है. इसी बीच खबरे हैं कि शो में लीप (Anupama Leap) आने वाला है. हालांकि इससे पहले सीरियल में वनराज और अनुपमा की भयंकर लड़ाई देखने को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Anupama Latest Update)….

समर को समझाती है अनुपमा

अब तक आपने देखा कि समर ने नंदिनी के साथ अपनी लड़ाई को याद करते हुए गुस्से में डांस करता है . हालांकि अनुपमा और बा आकर उसे समझाने की कोशिश करती है. लेकिन समर नहीं मानता और कहता है कि एक तलाक से जहां पूरा घर बिखर गया तो शादी से पहले ही रिश्ता तोड़ना सही रहता है. समर की ये बात सुनकर अनुपमा हैरान रह जाती है और उसे समझाने की कोशिश करती है कि नंदिनी अपनी जगह सही है.

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नंदिनी और वनराज के बीच हुई बहस

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि नंदिनी, वनराज को महान कहते हुए उसे सुनाएगी. वहीं काव्या को लेकर कहेगी कि लोग अजनबियों के लिए भी चिंतित हो जाते हैं, जबकि उनकी पत्नी घर छोड़ देती है तो उन्हें थोड़ी भी परवाह नहीं होती. इसी बीच नंदिनी पूछेगी कि क्या वह बा या उसके परिवार के किसी सदस्य के घर से जाने पर शांति से बैठ होता. नंदिनी कहेगी कि जब वह अपने परिवार और यहां तक ​​कि अपने दोस्तों के लिए परेशान हो सकता है तो उसकी मासी काव्या के लिए क्यों नहीं, जिसके जवाब में वनराज कहेगा कि उन सभी ने इतनी गलतियां नहीं की, जितनी काव्या ने की है. वहीं वनराज की बात का जवाब देते हुए नंदिनी कहेगी कि उसे याद है कि उसने ऐसी ही गलतियां की थीं. नंदिनी की बात सुनकर वनराज भड़क जाएगा.

वनराज पर भड़की अनुपमा

 

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इसी के साथ आप देखेंगे कि समर गुस्से में सगाई की अंगूठी फेंक देगा. वहीं वनराज, नंदिनी से कहेगा कि भले ही समर उससे अलग हों, लेकिन उसकी रगों में एक ही खून दौड़ता है वो वनराज शाह का. इसी के साथ ही वह नंदिनी को घर से निकालते हुए धक्का देगा. लेकिन अनुपमा उसे रोक देगी और कहेगी कि समर और नंदिनी के बीच सुलह करने के बजाय लड़ाई बिगाड़ रहा है. हालांकि वनराज कहेगा कि यह रिश्ता खत्म होने लायक ही है. लेकिन अनुपमा उसे चेतावनी देगी कि समर, वनराज शाह नहीं है और ना ही नंदिनी, काव्या बनेगी.

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प्रैग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए क्या नहीं ?

सवाल-

हाय डाक्टर, मैं 30 वर्षीय महिला हूं. और यह मेरा दूसरा महीना है प्रेग्नेंसी का. दरअसल, मैं अपने रोजाना आहार को लेकर थोड़ा चिंतित हूं. कृपया मुझे बताएं मुझे इस दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

जवाब-

प्रेग्नेंसी के शुरुआती समय में महिलाओं को बार बार उल्टी आना, जी मचलाना जैसी समस्या होती रहती है. ऐसे अवस्था में थोड़ा थोड़ा कर के ही खाना चाहिए. ऑयली फूड, ज्यादा तीखा खाना को अवॉइड करना चाहिए. खास तौर पर बाहर का खाना. जितना हो सके घर का खाना ही खाये. समय समय पर फल और जूस का सेवन करते रहे. इससे आपको उल्टी और जी मचलाने जैसी समस्या नहीं होगी.

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गर्भावस्था में मां को अच्छे पोषण की जरूरत होती है. इस दौरान सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी है. इस दौरान मांओं को विशेषकर कि खानपान का ध्यान देना होता है. इस दौरान जरूरी है कि वो सही डाइट चार्ट का पालन करें.

इस खबर में हम आपको उन जरूरी बातों के बारे में बताएंगे जिससे गर्भवती महिलाओं को अपनी पोषण की जरूरतों को ध्यान रखने में मदद मिलेगी.

ध्यान रखें कि इस दौरान आप जो भी आहार लेती हैं, उससे न केवल आपके शरीर को पोषण मिलता है, बल्कि आपके पेट में पल रहे बच्चे का भी विकास होता है. हर दिन के साथ आपकी मैक्रो एवं माइक्रो न्यूट्रिएन्ट्स की जरूरत बढ़ती जाती है.

आपको सभी तरह के पोषण वाले भोजन को अपने आहार में शामिल करना होगा. जंक फूड के सेवन से बचें क्योंकि इससे बेवजह आपका वजन बढ़ेगा और पोषक पदार्थों की कमी होगी.

पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- जानिए प्रेग्नेंसी में कैसी होनी चाहिए आपकी डाइट

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Health Insurance के हैं कई फायदे

कोरोना महामारी का कहर अभी भी बरकरार है. अगर किसी व्यक्ति को कोरोना या उस से जुड़े कौंप्लीकेशंस होते हैं और उस का इलाज प्राइवेट अस्पताल में होता है तो कुल खर्च ₹10 से ₹12 लाख तक जा सकता है. कोरोना के अलावा भी तमाम तरह की बीमारियां हैं जो लोगों को परेशान करती हैं और उन के इलाज में लोगों की सारी जमापूंजी खत्म हो जाती है. यही वजह है कि हैल्थ इंश्योरैंस के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता.

कोरोनाकाल में हम सभी को इस सवाल का जवाब भी मिल गया है कि अचानक आई बीमारी से निबटने, सही इलाज और परिवार की सुरक्षा के लिए ₹2-3 लाख का साधारण हैल्थ इंश्योरैंस कुछ भी नहीं है. वह भी तब जब घर में एक व्यक्ति से ज्यादा लोग एकसाथ बीमार हो जाते हैं. कोरोना के दौर में इस तरह का वाकेआ आप के आसपास ही कई घरों में दिखा होगा. इसलिए अगर आप के पास कोई हैल्थ इंश्योरैंस की पौलिसी नहीं है तो आप जल्द से जल्द एक अच्छी पौलिसी अवश्य ले लें.

यदि आप ऐंप्लोई ग्रुप बीमा कवर में आते हैं, तब भी आप अपने लिए कम से कम ₹5 से ₹10 लाख का हैल्थ इंश्योरैंस अवश्य ले लें. अगर आप ने इंश्योरैंस लिया हुआ है तो भी उसे मौजूदा हालात के हिसाब से रीशेप करना जरूरी है. आप चाहें तो एक इंश्योरैंस कंपनी से दूसरी कंपनी में शिफ्ट भी कर सकते हैं. जिस कंपनी द्वारा ज्यादा सुविधाएं दी जा रही हैं उसे चुन सकते हैं.

आइए जानते हैं इस के बारे में:

फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना

लगभग हर बीमा कंपनी बेसिक हैल्थ इंश्योरैंस कवर उपलब्ध कराती है, जिस में अस्पताल में भरती होने से पहले के खर्चों के अलावा अस्पताल में भरती होने के बाद का खर्च, दवाइयों के लिए खर्च, डाक्टर की फीस और जांच आदि भी शामिल हैं. बेसिक हैल्थ इंश्योरैंस 2 प्रकार के होते हैं- पहला इन्डिविजुअल और दूसरा फैमिली फ्लोटर. इन्डिविजुअल में सिर्फ आप को कवरेज मिलता है जबकि फैमिली फ्लोटर में पूरे परिवार को कवरेज मिलता है.

फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना आमतौर पर एक व्यक्ति, उस के जीवनसाथी और उस के बच्चों को कवर करती है. हालांकि कुछ बीमा कंपनियां बीमा पौलिसी खरीदने वाले के आश्रित मातापिता, भाईबहन और सासससुर को भी कवरेज देती हैं. फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा का एक फायदा यह भी है कि कम रकम में पूरे परिवार को सुरक्षा मिल जाती है. आवश्यकता पड़ने पर एक व्यक्ति द्वारा अधिक धनराशि का उपयोग भी किया जा सकता है. इसलिए आज के समय में फैमिली फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा योजना एक बेहतरीन औप्शन है.

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लिमिट/सब लिमिट वाला प्लान न लें

कई हैल्थ पौलिसीज में अस्पताल में कमरे के किराए की सीमा तय होती है. ऐसी लिमिट वाली पौलिसीज से बचें. यह आप के हाथ में नहीं है कि आप के इलाज के दौरान आप को किस कमरे में रखा जाएगा. वैसे भी कोरोनाकाल में हम ने देखा है कि अचानक गंभीर रूप से बीमारी और फिर कई सप्ताह हौस्पिटल में एडमिट होने की नौबत आ सकती है. उस पर अलग कमरे में क्वारंटाइन में रहने की जरूरत भी होती है. कई बार जो बैड या रूम मिला वही लेना पड़ता है. आप यह नहीं कह सकते कि सस्ते वाले बैड पर शिफ्ट करो. ऐसे में खर्च के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनी द्वारा कोई सब लिमिट तय किया जाना आप के लिए ठीक नहीं है. हैल्थ पौलिसी खरीदते या रीशेप करते वक्त इस बात का ध्यान रखें और ऐसी पौलिसी न लें.

ताउम्र रिन्यू की सुविधा

ऐसी पौलिसी लें जिसे जीवन में किसी भी समय रिन्यू कराया जा सके. दरअसल, उम्र बढ़ने पर इलाज के लिए रुपयों की जरूरत ज्यादा होती है क्योंकि बड़ी उम्र में बीमारियों का हमला अधिक होता है. आमतौर पर इस समय तक इंसान रिटायर भी हो चुका होता है. उस के पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं होते. इन सब बातों का खयाल रखना जरूरी हो जाता है.

कोरोना कवच

आप कोरोना के इलाज के लिए अलग से भी पौलिसी ले सकते हैं. आईआरडीएआई के निर्देश पर इंश्योरैंस कंपनियों ने कोरोना स्पैशल पौलिसी लौंच की है. इसे कोरोना कवच के नाम से जाना जाता है. इस के लिए बीमा की राशि ₹50 हजार से ₹5 लाख तक है. कोरोना कवच पौलिसी शौर्ट टर्म के लिए साढ़े तीन महीने, साढ़े छह महीने और साढ़े नौ महीने के लिए हो सकती है.

घर पर इलाज कराने पर इंश्योरैंस का फायदा

कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के इस दौर में कई कंपनियां घर पर ही रह कर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं. इस के अलावा कई बीमा कंपनियां सरकार द्वारा बनाए जाने वाले क्वारंटाइन सैंटर पर भरती हो कर इलाज कराने पर होने वाले खर्च को भी कवर कर रही हैं. इंश्योरैंस लेते समय यह देख लें कि आप की कंपनी यह सुविधा दे रही है या नहीं.

महामारी को कवर करे

वैसे तो अधिकांश स्वास्थ्य बीमा पौलिसियां कोरोना जैसी महामारियों को कवर करती हैं. हालांकि यह मुख्य रूप से पौलिसी पर निर्भर करता है. कुछ पौलिसीज ऐसी भी हैं जो महामारी को कवर नहीं करती हैं. आप को पौलिसी दस्तावेज पढ़ने चाहिए और उसी हिसाब से पौलिसी लेनी चाहिए जिस में इसे कवर किया गया हो.

इन्वैस्टमैंट एडवाइजर मनीषा अग्रवाल कहती हैं कि कोई भी पौलिसी लेते समय कुछ और महत्त्वपूर्ण बातों का खयाल जरूर रखें.

कैशलैस पौलिसी ज्यादा बैस्ट

ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी खरीदनी चाहिए जो कैशलैस सुविधा दे रही हो. कैशलैस इंश्योरैंस पौलिसी का फायदा यह होता है कि पौलिसीधारक को अस्पताल का बिल नहीं चुकाना होता है बल्कि वे इस के लिए सीधे इंश्योरैंस कंपनी से संपर्क करते हैं.

हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी लेते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप जिस शहर में रहते हैं, वहां के बड़े और अच्छी सुविधा वाले अस्पताल कैशलैस अस्पतालों की सूची में शामिल हों. इस से आप को किसी भी प्रकार की दिक्कत महसूस नहीं होगी, आप आसानी से हेल्थ इंश्योरैंस का फायदा उठा सकते हैं.

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क्लेम सैटलमैंट

जिस कंपनी का क्लेम रेशो अच्छा हो यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों के क्लेम सैटल कर रही हो और उस में आप की सारी जरूरतें पूरी हो रही हों वही पौलिसी लें.

रीफिल बैनिफिट का औप्शन

अगर आप की ₹5 लाख की पौलिसी है और वे रुपए एक बीमारी में खर्च हो गए जबकि 3 माह बाद फिर कोई बीमारी हो जाती है तो ऐसे में पौलिसी ऐसी लें जिस में रिफिल का औप्शन हो ताकि आप को दूसरी बीमारी के लिए भी पैसे मिल जाएं.

ज्यादातर पौलिसीज में यह बैनिफिट सेम पर्सन सेम डिजीज और डिफरैंट पर्सन सेम डिजीज के लिए भी मिल जाता है.

को पेमैंट से बचें

कुछ प्लान्स में को पेमैंट की भी बात होती है यानी किसी बीमारी के इलाज में जितना खर्च आया उस का कुछ प्रतिशत पौलिसीधारक को भी देना होता है. कई ऐसे प्लान्स भी हैं जिन में

60+ वाले लोगों के लिए खासतौर पर को पेमैंट का औप्शन लगा दिया जाता है यानी पूरा पैसा कंपनी के द्वारा नहीं दिया जाएगा बल्कि इस में कुछ खर्च आप को भी करना होगा. इस तरह के प्लान लेने से बचें और यदि लिया हुआ है तो बदलवा लें.

टौपअप प्लान

मौजूदा हालात को देखते हुए बहुत सी कंपनियों के टौपअप प्लान आ गए हैं. मान लीजिए आप का ₹5 लाख का इंश्योरैंस है तो ₹डेढ़ दो हजार की मामूली रकम से ही आप को एडिशनल ₹5 लाख का टौपअप मिल जाता है यानी औलरैडी रनिंग पौलिसी ₹5 लाख की है और उस में ₹5 लाख का टौपअप ले लिया जाए तो आप को कुल ₹10 लाख का बीमा कवर मिल जाएगा. जाहिर है ऐसा प्लान फायदे का सौदा है.

हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं. हैल्थ पौलिसी खरीदने से पहले यह जान लें कि उस में कितना और क्याक्या कवर होगा. जिस पौलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे टैस्ट का खर्च और ऐंबुलैंस का खर्च कवर हो उस पौलिसी को लेना चाहिए ताकि आप को जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें.

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पतंग: जिव्हानी ने क्यों छोड़ा शहर

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न उड़े मर्दानगी का मजाक तो घटे रेप की वारदात

आए दिन बलात्कार की घटनाएं हमें झंझोड़ कर रख देती हैं, पर हम इन्हें  रोकने के लिए कुछ कर नहीं पाते. सरकारे और पुलिस कुछ मेजर स्टैप्स लेने के बाद भी इन्हें घटने से रोक नहीं पा रही. जाहिर है सरकार को और भी सख्त कानून लाना होगा, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी करनी होगी. सरकार के साथसाथ हम सब का दायित्व भी कम नहीं. टीवी चैनलों पर शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो, जिस में रेप की खबर न शामिल हुई हो. हमारे समाज की यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

स्थिति का सूक्ष्मता से अवलोकन करने पर बहुत कारण प्रकाश में आते हैं जैसे गूगल, यूट्यूब पर बेशुमार वल्गर वीडियोज, फिल्म, घटिया, विज्ञापन,्र गलत परवरिश, मर्दानगी साबित करने की बलवती इच्छा, बदला, दुश्मनी, जगहजगह नशे की दुकानें मौडर्न सोच दिख कर लडक़ों पर अंधा भरोसा करती लड़कियां, सार्वजनिक स्थलों पर उत्तेजक पहनावा, हावभाव दोहरे अर्थ वाले संवाद घटिनया सोच, घटती इंसानियत इत्यादि. एक और बहुत बड़ा और महत्त्वपूर्ण कारण है लडक़ों की मर्दानगी का मजाक उड़ाना या उन्हें उकसाना, जिस में कभी दोस्त, कभी रिश्तेदार तो कभी खुद लड़कियां शामिल होती हैं. ‘अरे यह तो मूंछों वाला बच्चा है’, ‘इस के तो अभी दूध के भी दांत नहीं टूटे’, ‘कहीं तीसरा जैंडर तो नहीं’, आदि. घृणित वाक्यों से लडक़ों की मर्दानगी को ठेस पहुंचते हैं जो उन के लिए असहनीय हो जाती हैं. इस से आहत हो कर वे अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए बलात्कार जैसा अनैतिक, घृणित कदम उठा लेते हैं.

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बचपन से ही लडक़ों के दिमाग में ये बातें अच्छी तरह बैठा दी जाती हैं कि ‘तुम लडक़ी थोड़े ही हो? मर्द हो, ताकत वर हो’, ‘लडक़े रोते थोड़े ही हैं, रोती तो लड़कियां है’, ‘मतलब यह कि तुम ज्यादा भावुक, जज्बाती भी नहीं हो सकतें’, ‘मर्द को दर्द नहीं होता’, ‘मर्द हो. मतलब तुम्हें फौलाद सा कठोर होना है’, ‘किसी आघात चोट का जल्दी तुम्हारे तनमन पर असर नहीं होगा, जल्दी असर तो लड़कियों पर होता है.’

लडक़े घर में भी बहन, मां, बूआ, चाची, लड़कियों को देखते हैं कि उन्हें देर रात बाहर नहीं जाने दिया जाता, क्योंकि बाहर उन्हें मर्दों से खतरा रहता है, कोई उन से जोरजबरदस्ती कर सकता है. पर लडक़ों को कोई डर नहीं, क्योंकि वे मर्द है. समाज में उन का बलात्कार अथवा यौन शोषण हो जाए तो उसे कलंक की भी संज्ञा नहीं दी जाती.

सामाजिक दृष्टि से लडक़े अपने भविष्य के लिए भी निङ्क्षश्चत होते हैं, क्योंकि उसी घरपरिवार में इज्जत से उन्हें हमेशा रहना है. उन्हें मालूम है उन्हें विदा हो कर कहीं और नहीं जाना. वे ही घरपरिवार के वारिस हैं. वे दिल से हिम्मती और शरीर से बलवान भी अतएव जन्म से ही शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सभी स्थितियों से मजबूत, स्वतंत्र वे भारतीय समाज में शुरू से ही लड़कियों से ऊंची पोजीशन पर रखे जाते हैं. यह बात उन्हें घुट्टी में पिलाई जाती है, जो उन के मनमस्तिष्क में घर कर लेती है जो उन में कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास भर अपने को उच्चतम मान लेने की सोच देती है. ऐसे में वे जब किशोर, जवान होने लगते हैं तब किसी ने भी यदि उन की मर्दानगी पर शब्दों के प्रहार किए तो वे बेहद आहत हो उठते हैं. तब चोट खाए वे अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए कुछ भी कर डालते हैं. यहां तक कि किसी भी उम्र की किसी भी लडक़ी, महिलाका बलात्कार जैसे कुकृत्य भी कर डालते है. कभीकभी तो बलात्कार पीडि़ता की हत्या तक भी कर देते हैं.

आज के समाज में कई तरह के वर्गों का आपस में मेलजोल शुरू हो गया है. पहले पिछड़े लोग ऊंचे घरों को डर की नजर से देखते थे. पिछड़ों की लड़कियों को तो बलात्कार किया जाना आम था पर अब उलटा भी होने लगा है और पैसा पातीं और पौवर वाली पिछड़ी जातियां बिना जाति पूछे मौके का काम उठा लेती हैं. लड़कियों को भी एकदूसरे वर्ग के तौरतरीकों का ज्यादा पता नहीं होता. वे सोचती है कि हर लडक़ा उन के घर सा होगा पर कुछ घरों में बहुत कुछ छिपा हुआ चलता है चाहे उसे हमेशा नकारा जाता है.

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आज के समय में स्वार्थ, सुख, मजा, पैसा ही जब सर्वोपरि रह गया है तो ऐसे में दूसरे के दर्द, पीड़ा के वैसे ही कोई माने नहीं रह गए हैं. पैसा, सुविधा, स्वार्थ और अपना मजा हवस आदमी को मशीनी बना रही है. भावनाएं निर्मोल होती जा रही है. दूसरे की भावनाओं से खिलवाड़ कभीकभी बहुत महंगा भी पड़ जाता है. अत: किशोर से युवा बन रहे अथवा बन चुके लडक़ों की कोमल मनोस्थिति को समझें, उन की भावनाओं से खिलवाड़ कर उन का मजाक उड़ाने से बचें. उन की मर्दानगी का मजाक महिलाओं के बल, बुद्धि योग्यता और साहस का महत्त्व भी समझाना होगा. साथ ही यह भी कि लड़कियां भी लडक़ों की ही तरह बुद्धिमान विचारवान इंसान हैं, जो आज हर क्षेत्र में, परिवार, समाज, राष्ट्र क्या विश्व स्तर तक प्रगति मं अपना भरपूर योगदान दे रही हैं. उन्हें सम्मान देना ही होगा.

बलात्कार जैसे कुकृत्य से भले लडक़े अपने ईगो को संतुष्ट कर लें पर जब ऐसी घटनाएं खुद उन के अपनों पर घटती हैं तो वे उन के लिए भी असहनीय होती हैं. अत: लडक़ों की मर्दानगी का मजाक उड़ाने पर अंकुश लगने से यकीनन रेप की घटनाओं में कमी आएगी.

वर्किंग वाइफ पसंद करते हैं पुरुष

दिलचस्प बात यह है कि जहां लोग पहले शादी के लिए कामकाज में दक्ष, संस्कारी और घरेलू लड़की पसंद करते थे वहीं आज इस ट्रेंड में बदलाव नजर आ रहा है. अब पुरुष शादी के लिए घर बैठी लड़की नहीं बल्कि वर्किंग वूमन पसंद करने लगे हैं. अपनी वर्किंग वाइफ का दूसरों से परिचय कराते हुए उन्हें गर्व महसूस होता है. आइये जानते हैं पुरुषों की इस बदलती सोच की वजह;

पति की परिस्थितियों को समझती है

अगर पत्नी खुद भी कामकाजी है तो वह पति की काम से जु़ड़ी हर परेशानी को बखूबी समझ जाती है. वह समयसमय पर न तो पति को घर जल्दी आने के लिए फोन करती रहेगी और न घर लौटने पर हजारों सवाल ही करेगी. इस तरह पतिपत्नी का रिश्ता स्मूथली चलता रहता है. दोनों हर संभव एक दूसरे की मदद को भी तैयार रहते हैं. यही वजह है कि पुरुष कामकाजी लड़कियां खोजने लगे हैं.

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अपना खर्च खुद उठा सकती हैं

जो महिलाएं जौब नहीं करतीं वे अपने खर्चे के लिए पूरी तरह पति पर निर्भर होती हैं. छोटी सी छोटी चीज़ के लिए भी उन्हें पति और घरवालों के आगे हाथ पसारना पड़ता है. दूसरी तरफ वर्किंग वूमन खर्चों को पूरा करने के लिए पति पर डिपेंडेंट नहीं रहती हैं. वे न सिर्फ अपने खर्चे खुद उठाती हैं बल्कि समय पड़ने पर परिवार की भी मदद करती हैं.

पौजिटिव होती हैं

कामकाजी महिलाओं पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादातर वर्किंग वूमन सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहती हैं. उन के अंदर आत्मविश्वास और चीज़ों को हैंडल करने का अनूठा जज्बा होता है. उन्हें पता होता है कि किस परेशानी से किस तरह निपटना है.इस लिए वे छोटी छोटी बातों पर हाइपर नहीं होती न ही घबड़ाती हैं. उन्हें पता होता है कि प्रयास करने पर वे काफी आगे बढ़ सकती हैं.

खर्च कम बचत ज्यादा

आज की महंगाई में यदि पतिपत्नी दोनों कमाई करते हैं तो जिंदगी आसान हो जाती है. आप को कोई भी प्लान बनाते समय सोचना नहीं पड़ता. भविष्य के लिए बचत भी आसानी से कर पाते हैं. घर और वाहन खरीदने या फिर किसी और जरुरत के लिए लोन लेना हो तो वह भी दोनों मिल कर आसानी से ले लेते हैं और किश्तें भी चुका पाते हैं. आलम तो यह है कि आज महिलाएं लोन लेने और उसे चुकाने के मामले में पुरुषों से कहीं आगे हैं. वे न सिर्फ पारिवारिक और सामाजिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी घर की धुरी बनती जा रही है.

बढ़ रही है लोन लेने वाली औरतों की संख्या

क्रेडिट इन्फौर्मेशन कंपनी ‘ट्रांसयूनियन सिबिल’ की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले 3 सालों में कर्ज लेने के मामले में महिला आवेदको की संख्या लगातार बढ़ रही हैं. देखा जाए तो औरतों ने मर्दों को पीछे छोड़ दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘साल 2015 से 2018 के बीच कर्ज लेने के लिए सफल महिला आवेदकों की संख्या में 48 फीसदी की बढ़त हुई है. इस की तुलना में सफल पुरुष आवेदकों की संख्या में 35 फीसदी की बढ़त हुई है. हालांकि कुल कस्टमर बेस के हिसाब से अभी भी कर्ज लेने वाले पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा है.

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रिपोर्ट के अनुसार करीब 5.64 करोड़ के कुल लोन अकाउंट में अब भी ज्यादा हिस्सा गोल्ड लोन का है, हालांकि साल 2018 में इस में 13 फीसदी की गिरावट आई है. इस के बाद बिजनेस लोन का स्थान है. कंज्यूमर लोन, पर्सनल लोन और टू व्हीलर लोन के लिए महिलाओं की तरफ से मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है.

आज हर 4 कर्जधारकों में से एक महिला है. यह अनुपात और भी बदलेगा क्यों कि कर्ज लेने लायक महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. बेहतर शिक्षा और श्रम बाजार में बेहतर हिस्सेदारी की वजह से अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने वित्तीय फैसले खुद ले रही हैं.

GHKKPM: भवानी का होगा एक्सीडेंट, श्रुति के बच्चे की बात जानेगी सोनाली

सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां पाखी (Aishwarya Sharma) और सोनाली, विराट (Neil Bhatt) को ताने मारती नजर आ रही हैं. तो वहीं अपमकिंग एपिसोड में श्रुति के बाद उसके बच्चे का भी सच चौह्वाण परिवार के सामने आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin Latest Update) …

विराट ने छोड़ा घर

 

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अब तक आपने देखा कि चौह्वाण परिवार के सवालों से परेशान होकर विराट घर छोड़ने का फैसला करता है. हालांकि भवानी चाहती है कि विराट और सई के बीच का रिश्ता एक बार फिर ठीक हो जाए. लेकिन ओंकार और सोनाली, विराट की हरकत का जिम्मेदार भवानी को मानते नजर आ ती है. वहीं भवानी इस दौरान गुस्से में चली जाती है.

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सोनाली को पता चलेगा सच

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि झगड़े के दौरान सीड़ियों में भवानी का पैर फिसल जाएगा और उसका सिर लग जाएगा, जिसके बाद पूरा परिवार अस्पताल जाएगा. जहां सभी की मुलाकात सई से होगी. इसी बीच सोनाली, विराट की गोद में बच्चे को देखेगी. वहीं इस दौरान विराट कहता नजर आएगा कि उसकी मां अभी आती ही होगी, जिसे सुनकर सोनाली हैरान रह जाएगी. वहीं ये पूरी बात जाकर चौह्वाण परिवार को बताएगी.

श्रुति को जिम्मेदार मानेगा सम्राट

दूसरी तरफ, पाखी और सम्राट के बीच बहस होगी, जिसमें सम्राट, श्रुति को जिम्मेदार मानते हुए कहेगा कि अगर श्रुति उसके सामने आई तो वह उसे छोड़ेगा नहीं. हालांकि पाखी, सम्राट से कहेगी कि केवल श्रुति की गलती नही है. विराट भी उतना ही दोषी है.

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Anupama: वनराज को काव्या से बड़ा दोषी ठहराएगी नंदिनी, परिवार के सामने कहेगी ये बात

सीरियल अनुपमा (Anupama) में इन दिनों काव्या (Madalsa Sharma), शाह परिवार से दूर नजर आ रही हैं. हालांकि उसके कारण नंदिनी और समर की जिंदगी में बवाल देखने को मिल रहा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में नंदिनी, काव्या के लिए वनराज पर बरसती हुई भी नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

नंदिनी-समर की हुई लड़ाई

 

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अब तक आपने देखा कि जहां मालविका और अनुज के कहने पर अनुपमा कपाड़िया हाउस में रहने का फैसला करती है तो वहीं शाह हाउस में समर और नंदिनी के बीच लड़ाई देखने को मिलती है. दरअसल, नंदिनी, समर से पूछती है कि जब सभी की गलतियों को माफ किया जा सकता है, तो उसकी मासी काव्या को माफ क्यों नहीं किया जाता. हालांकि समर जवाब देते हुए कहता है कि पश्चाताप करने वाले की गलतियों को माफ किया जाता है, इसलिए उसे अपनी मासी से 9 साल तक धोखा देने के लिए अनुपमा से माफ़ी मांगने के लिए कहना चाहिए. इसी के चलते दोनों के बीच बहस इतनी बढ़ जाती है कि दोनों अपने रिश्ते को खत्म करने के बारे में एक बार सोचने के लिए कहते हैं.

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वनराज के लिए ये बात कहेगी अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज, अनुपमा को वनराज को समझाने के लिए शुक्रिया कहेगा. हालांकि अनुपमा उससे कहेगी कि वनराज और मालविका के पति में कोई अंतर नहीं है. क्योंकि मालविका के पति ने उसके साथ शारीरिक हिंसा की है. लेकिन वनराज ने उसे अपनी बातों और 9 साल तक अफेयर के धोखे से दर्द दिया है. इसीलिए दोनों उसके लिए बराबर है.

 

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नंदिनी दिखाएगी वनराज को आईना

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि नंदिनी से हुई लड़ाई के बाद समर टूट जाएगा, जिसके चलते अनुपमा उसे दिलासा देगी. वहीं समर कहेगा कि घर में एक तलाक से पूरा परिवार बिखर गया. इसीलिए शादी से पहले रिश्ता तोड़ लेना ही बेहतर है. अनु सोचेगी कि अगर समर यहां दर्द में है, तो नंदिनी का क्या हाल होगा. वहीं नंदिनी शाह हाउस जाकर वनराज को कहेगी कि वह अपनी पूर्व पत्नी, उसके दोस्त और पूरी दुनिया के लिए चिंतित है, न कि उसकी मासी काव्या के लिए. वहीं वनराज कहेगी कि उनकी मासी ने सबसे ज्यादा गलतियां की हैं. लेकिन नंदिनी कहेगी कि काव्या से ज्यादा कोई और यानी वनराज ज्यादा गलतियां कर चुका है, जिससे वनराज ज्यादा चिढ़ जाएगा.

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