5 बातें रिजैक्ट कर देतीं Proposal

जब प्रपोज करने पर हमेशा नाकामयाबी ही मिलती हो तो दिल टूट जाता है. समझ नहीं आता कि आखिर हम में ऐसी क्या कमी रह गई थी जो हमारा प्यार अधूरा रह गया. इस स्थिति में आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि पार्टनर ने आप को क्यों न कहा आइए, जानते हैं इस संबंध में:

ऐटिट्यूड भरा प्रोपोजल

भले ही आप ने अपने क्रश को प्रपोज तो कर दिया, लेकिन वह प्रोपोजल आप का ऐटिट्यूड से भरा हुआ हो, तो हमेशा आप को न ही सुनने को मिलेगी क्योंकि आप जिसे भी प्रपोज करें वह नहीं चाहेगा कि जिस से वह संबंध जोड़ने जा रहा, उस में ऐटिट्यूड हो. फिर चाहे आप कितनी भी गुड लुकिंग क्यों न हों.

आप के प्रोपोजल को न करने पर मजबूर कर ही देगा क्योंकि जिस में अभी इतना ऐटिट्यूड है आगे कितना होगा, कहा नहीं जा सकता. इसीलिए आप को हमेशा अपने क्रश को प्रपोज करने में असफलता मिलती है.

टिप: जब भी आप अपने पार्टनर को प्रपोज करने जाएं तो आप के प्रोपोजल का तरीका बहुत ही सौफ्ट व उसे आकर्षित करने वाला होना चाहिए न कि रोब व ऐटिट्टूड से भरा हुआ हो.

आप का गुड लुकिंग नहीं होना

हो सकता है कि आप जब भी अपने क्रश को प्रपोज करते हों, तो आप को न ही सुनने को मिलता हो. ऐसा इसलिए क्योंकि आप उसे प्रपोज करने तो पहुंच गए, लेकिन अपने हुलिए पर जरा ध्यान नहीं दिया. ऐसे में आप के क्रश से आप को न ही सुनने को मिलेगी, क्योंकि कोई भी लड़की यह नहीं चाहेगी कि उस का पार्टनर दिखने में अच्छा न हो, क्योंकि कहते हैं न कि बातों का इफैक्ट लोगों पर बाद में पड़ता है पहले तो चेहरा ही वर्क करता है. ऐसे में प्रपोज करने से पहले अपने हुलिए पर ध्यान जरूर दें.

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टिप: भले ही आप को टिपटौप रहने का शौक न हो, लेकिन जब आप अपने क्रश को प्रपोज करने जा रहे हों तो खुद को टिपटौप बना कर ही जाएं ताकि लड़की की नजर में आप पहली बार ही बस जाएं और वह आप के प्रोपोजल को न न कर पाए. गुड लुकिंग, हैंडसम बौय की चाह हर लड़की को होती है.

इशारों के बाद प्रपोज करना

कुछ लड़कों की यह आदत होती है कि वे जिसे पसंद करते हैं उसे इशारों से अपने मन का हाल बताने की कोशिश करते हैं, जबकि लड़कियां ऐसे लड़कों से दूरी बनाने में ही समझदारी समझती हैं, क्योंकि ऐसे लड़के उन्हें नियत के सही नहीं लगते. उन्हें लगता है कि जो अभी ऐसी हरकत कर रहा है वह आगे किस हद तक चला जाएगा, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में वे उस के प्रपोज करते ही उसे साफ इनकार कर देती हैं.

टिप: जिस पर भी आप का क्रश है और आप उसे प्रपोज करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि आप भले ही उसे छिपछिप कर देखें, लेकिन उसे इशारे न करें. जब भी उसे प्रपोज करें तो आप की आंखों में उस के लिए प्यार दिखे न कि एक अजीब सी शरारत.

शो औफ कर के प्रपोज करना

अगर आप अपने क्रश को प्रपोज करने जा रहे हैं और उसे अपने पैसों का रुतबा दिखा कर प्रपोज कर रहे हैं तो यकीन मानिए आप को न ही सुनने को मिलेगी, क्योंकि जो शुरुआत में ही इतना दिखावा कर रहा है वह आगे भी अपने पैसों के बल पर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करेगा, ऐसा सोच कर लड़की आप के गुड लुकिंग होते हुए भी आप को न करने में ही समझदारी समझेगी.

टिप: जब प्रपोज करने के लिए जाएं तो आप इस बात का ध्यान रखें कि आप की पर्सनैलिटी व आप के प्रपोज करने के अंदाज में पैसों का दिखावा जरा भी न हो.

ज्यादा स्मार्ट बनना

कुछ लड़कों की यह आदत होती है कि वे लड़कियों के सामने खुद को जरूरत से ज्यादा स्मार्ट दिखाने की कोशिश करते हैं. इसी चक्कर में जब वे अपने क्रश को अपना बनाने के बारे में सोचते हैं तब उन की यह स्मार्टनैस उन के रिजैक्शन के रूप में सामने आती है, क्योंकि कोई भी लड़की जरूरत से ज्यादा स्मार्ट बनने वाले लड़के को पसंद नहीं करना चाहती. ऐसे में बस वे यही सोचते रह जाते हैं कि लड़की ने उन्हें रिजैक्ट क्यों किया, जबकि उन्होंने तो उन्हें पहल कर के पहले प्रपोज किया.

टिप: ओवर स्मार्टनैस को एक तरफ रख कर कूल डाउन हो कर इस अंदाज में प्रपोज करें कि आप का क्रश आप को हां कहे बिना न रह सके.

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गठिया बाय: सिर्फ जोड़ों की समस्या नहीं

गठिया का नाम सुनते ही अधिकतर लोग मान लेते हैं कि आप जोड़ों के घिसाव की बात कर रहे हैं और इससे अधिकतर वृद्ध पीडि़त होते हैं. परंतु वो ऑस्टियोआर्थराइटिस यानी अस्थिसंधिशोध है. गठिया बाय एक अलग स्थिति है. यह वृद्धावस्था की स्थिति नहीं है. दरअसल, गठिया बाय किसी भी उम्र में हो सकता है, यहां तक कि बच्चे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं.

गठिया बाय  एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका अर्थ है कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमारी रक्षा करने की बजाय स्वस्थ ऊतकों (जैसे जोड़ों) पर हमला कर देती है और सूजन और दर्द का कारण बनती है. शुरुआत में यह हाथों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है और बाद में कलाई, कोहनी, कंधे, टखने, घुटने आदि जैसे अन्य जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देता है. जोड़ों के अलावा यह शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, फेफड़े, त्वचा, गुर्दे, आंखें आदि पर भी हमला कर सकता है. इसलिए यह मत सोचिए कि गठिया बाय सिर्फ जोड़ों की समस्या है, यह बहुत अधिक गंभीर समस्या है और इसका तत्काल उपचार करना आवश्यक है.

गठिया बाय के उपचार के लिए अब कई दवाएं उपलब्ध हैं, जो गठिया बाय को जल्दी से नियंत्रित करती हैं और इसकी जटिलताओं को रोकती हैं.

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें-

– 6 सप्ताह से अधिक समय तक जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न होना.

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– सुबह उठने पर या थोड़ी देर बैठने के बाद जोड़ों में 30 मिनट से अधिक समय तक रहनेवाली और बेवजह की जकड़न महसूस होना.

– बहुत ज्यादा थकावट लगना.

– चीजों को पकड़ने या मुट्ठी बनाने में कठिनाई.

– सीढि़यां चढ़ने या गाड़ी से बाहर निकलने में कठिनाई.

– गठिया बाय का शीघ्र निदान और उचित उपचार होने वाली जटिलताओं से बचा सकता है और आपको बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है.

यदि गठिया बाय को नजरअंदाज किया गया या इसका सही उपचार नहीं किया गया, तो इसका गंभीर परिणाम हो सकता है.

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काजल आंखों से फैल जाता है, मैं क्या करुं?

सवाल- 

मु झे काजल लगाना बहुत पसंद है. लेकिन जब भी काजल लगाती हूं वह फैल जाता है. कोई इलाज बताएं जिससे कि मेरा काजल फैले नहीं?

जवाब-

आजकल मार्केट में बहुत अच्छी क्वालिटी के काजल उपलब्ध हैं जो स्मजप्रूफ और वाटरप्रूफ होते हैं. वे जल्दी फैलते नहीं हैं. इस के अलावा आप काजल लगाने के बाद आंखों के नीचे वाटरप्रूफ आईलाइनर की लाइन लगा लें. इस से काजल नहीं फैलता.

काजल लगाने के बाद एक पतले ब्रश से ब्राउन, ब्लैक, पिंक, ग्रीन या ब्लू यानी ड्रैस से मैच करते कौंप्लिमैंटरी कलर के आईशैडो से एक लाइन काजल के नीचेनीचे लगा लें. इस से काजल जल्दी फैलता नहीं. यदि आप हमेशा काजल लगा कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो प्रौमिनैंट काजल लगवा लें जो 15 साल से भी ज्यादा समय तक टिका रहता है.

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मेकअप करना आसान काम नहीं है . इसमें छोटी से चूक आपकी खूबसूरती को संवारने की बजाय बिगाड़ देती है . जैसे की काजल का फैलना . कजरारी आंखों के बिना खूबसूरती के बारे में सोचा नहीं जा सकता . काजल का इस्तेमाल आप अपनी आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए करते है . आप और भी  कई तरह से अपनी आंखों को खूबसूरत बनाने के लिए चीजों का इस्तेमाल करते हैं . लेकिन काजल की बात ही कुछ और है .

काजल लगाने से आंखे खूबसूरत लगती है उनमें चमक आती है . लेकिन जब काजल फैल जाता है तो वह देखने में बहुत ही खराब लगता है और आपकी सुन्दरता पर एक धब्बा बन जाता है . लेकिन इस समस्या से भी निपटा जा सकता है . तो यहां कुछ सरल ट्रिक्स हैं जो आपके काजल को फैलने से रोकते हैं .

इन टिप्स से नहीं फैलेगा काजल :

1. चेहरे को अच्छे से करें साफ  –

सबसे पहले अपने चेहरे को अच्छे से साफ करें . काजल लगाने से पहले अपने चेहरे को किसी भी फेस वॉश से धो लें और चेहरा पूरी तरह से सूखने के बाद की काजल को लगाएं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 10 Tips: काजल को फैलने से कैसे बचाएं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जीवन बीमा क्यों है जरूरी

हमारे देश में आज भी जीवन बीमा को ले कर लोगों में झिक है खासतौर से महिलाओं में. अधिकांश महिलाओं को तो जीवन बीमा के विषय में जानकारी ही नहीं होती. इन सब बातों को वे अपने पति पर छोड़ देती हैं. पति भी पत्नियों को बचत के तरीकों, अपने खातों की जानकारी, विकास पत्र या बीमा पौलिसी के बारे में अधिक जानकारी देने से बचते हैं.

हमारे यहां परिवार का आर्थिक बोझ उठाने की जिम्मेदारी अकसर पुरुषों के कंधों पर होती है. हालांकि अब बड़ी संख्या में  महिलाएं भी नौकरी कर रही हैं और घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में अपना योगदान दे रही हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रखने का इंतजाम समय रहते कर लें.

घर की आर्थिक गाड़ी खींचने वाला व्यक्ति चाहे स्त्री हो या पुरुष, उस के कंधों पर कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं. बच्चों की शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को विदेश भेजने की ख्वाहिश, बेटी का अच्छा विवाह, अपना घर बनवाना और रिटायर होने के बाद भी आय का कोई सोर्स हर व्यक्ति चाहता है.

बीमा की उपयोगिता

इन तमाम जिम्मेदारियों को पूरा करने से पहले ही अगर घर के कमाऊ सदस्य के साथ कोई अनहोनी घट जाए तो सोचिए उस के लक्ष्यों का क्या होगा? परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए पैसे कहां से आएंगे? इस का सिर्फ एक इलाज है- जीवन बीमा. इस के जरीए सभी वित्तीय लक्ष्यों के लिए परिवार को सुरक्षा कवच मिल जाता है. जीवन बीमा परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा करता है. घर के मुख्य कमाऊ सदस्य की अचानक मृत्यु के बाद परिवार को दूसरों पर आश्रित नहीं होना पड़ता है.

जीवन बीमा के बारे में आज हर व्यक्ति को जानने की जरूरत है. इस के विषय में ज्यादा से ज्यादा सवाल पूछने की जरूरत है. जीवन बीमा की उपयोगिता क्या है? यह कितनी रकम का होना चाहिए? इसे कब लेना चाहिए? ऐसे सभी सवालों के जवाब हम आप को दे रहे हैं.

अगर आप नौकरीपेशा हैं या अपना कोई व्यवसाय करते हैं तो आप को अपनी सालाना आमदनी का कम से कम 10 गुना जीवन बीमा कवर जरूर लेना चाहिए.

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क्यों खरीदें जीवन बीमा पौलिसी

मान लीजिए किसी व्यक्ति ने होम लोन ले कर घर खरीदा है. उस के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. घर के सभी प्रकार के खर्च के लिए परिवार उस व्यक्ति पर निर्भर है. अब यदि किसी बीमारी या दुर्घटना की वजह से उस व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस के नहीं रहने की स्थिति में उस का परिवार सड़क पर न आ जाए, इस के लिए बीमा पौलिसी खरीदना जरूरी है.

बीमा कवरेज लेने से उस के नहीं होने की स्थिति में उस के आश्रितों को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलेगा, जिस से उन का आगे का समय आसानी से कट सकता है. जीवन बीमा पौलिसी व्यक्ति के नहीं रहने की स्थिति में उस के परिवार को वित्तीय जोखिम से सुरक्षा देता है.

जीवन बीमा किसे लेना चाहिए

यदि व्यक्ति के परिवार में पत्नी है, बच्चे हैं और उस के मातापिता वृद्ध हैं तथा उन की अपनी कोई कमाई नहीं है तो उस व्यक्ति को निश्चित रूप से जीवन बीमा पौलिसी खरीदना चाहिए. जीवन बीमा पौलिसी खरीदने की सब से आम वजह किसी अप्रत्याशित घटना से परिवार को संरक्षण प्रदान करना है. जीवन बीमा पौलिसी से मुआवजे के रूप में मिली रकम का उपयोग कर परिवार के आश्रित सदस्यों के अगले कई सालों का खर्च उठाया जा सकता है.

अगर आप पर ऋण या देनदारी है

यदि किसी व्यक्ति ने लोन ले कर खरीदारी यानी घर खरीदा है या अपनी संपत्ति गिरवी रखी है, तो उसे जीवन बीमा पौलिसी अवश्य ले लेनी चाहिए. इस से उस के नहीं रहने की स्थिति में न सिर्फ उस के परिवार को उस कर्ज को चुकाने में मदद मिलेगी, बल्कि परिवार के लिए आमदनी का एक नियमित स्रोत भी बनेगा.

पार्टनरशिप फर्म में भागीदार

यदि आप के साथ पार्टनरशिप फर्म में शामिल कोई व्यक्ति है तो आप दोनों को जीवन बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. इस प्रकार की पौलिसी आप के पार्टनर की मृत्यु होने की स्थिति में होने वाले किसी प्रकार के वित्तीय नुकसान की स्थिति में आप की फर्म को वित्तीय सुरक्षा देगी.

कब कराना चाहिए जीवन बीमा

नौकरी लगते ही आप को जीवन बीमा पौलिसी खरीद लेनी चाहिए. जीवन बीमा कवरेज लेने के लिए टर्म प्लान कम प्रीमियम में अधिकतम कवरेज हासिल करने का बेहतरीन विकल्प है. आप की उम्र जितनी कम होगी जीवन बीमा पौलिसी में आप का प्रीमियम उतना ही कम होगा.

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बीमा कितने समय के लिए कराना चाहिए

जब तक आप के परिवार के सदस्य अपने खर्च के लिए आप की कमाई पर निर्भर हों, आप को उतने समय का अंदाजा लगा कर ही बीमा पौलिसी खरीदनी चाहिए. आप जब तक अपने परिवार के लिए कमाने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्य हैं तब तक के लिए आप को जीवन बीमा कराना चाहिए.

आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर आप की शादी 30 साल की उम्र में हो गई है और 35 साल की उम्र तक आप के 2 बच्चे हैं तो उन की पढ़ाईलिखाई आदि अगले 25 साल में पूरी हो जाएगी और तब तक वे जौब शुरू कर देंगे. इस हिसाब से आप को जीवन बीमा पौलिसी में 60-65 साल तक की उम्र के लिए लेनी चाहिए.

Top 10 Best Romantic Stories in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रोमांटिक कहानियां हिंदी में

Romantic Stories in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Best Romantic Stories in Hindi 2022. इन कहानियों में प्यार और रिश्तों से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं जो आपके दिल को छू लेगी और जिससे आपको प्यार का नया मतलब जानने को मिलेगा. इन Romantic Stories से आप कई अहम बाते भी जान सकते हैं कि प्यार की जिंदगी में क्या अहमियत है और क्या कभी किसी को मिल सकता है सच्चा प्यार. तो अगर आपको भी है संजीदा कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Best Romantic Stories in Hindi.

1. मिलन: क्या हिमालय और भावना की नई शुरुआत हो पाई

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एक तरफ हिमालय ने अपनी पत्नी को खोया तो दूसरी तरफ भावना की पति प्रांजल की मृत्यु के बाद दुनिया उजड़ गई. दोनों का यही अकेलापन उन्हें एकदूसरे के करीब ले आया, और उन्हें एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेना ही पड़ा…

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2. तुम मेरी हो: क्या शीतल के जख्मों पर मरहम लगा पाया सारांश

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बेकुसूर होते हुए भी शीतल बेवजह खुशियों से दूर जिंदगी जीने को मजबूर थी. सारांश की नजरों ने उस के दिल के जख्मों को देख लिया था. लेकिन, कुछ कर पाया वह शीतल के लिए?

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3. घरौंदा : क्यों दोराहे पर खड़ी थी रेखा की जिंदगी

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रेखा की जिंदगी कई धूपछांही रंगों से गुजर चुकी थी. पर ऐसा तो कभी न हुआ था. आज जिंदगी एक ऐसे दोराहे पर जा खड़ी हुई थी कि रेखा एकदम चकरा गई.

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4. उपहार: क्या मोहिनी का दिल जीत पाया सत्या

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सत्या मोहिनी की जरूरतों की वे चीजे तोहफे में दे कर उसे खुश रखना चाहता था. उस के लिए दोस्तों से उधार मांगने, घर का सामान चोरी कर के बेचने से भी उस ने परहेज नहीं किया.

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5. प्यार झुकता नहीं

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“एक जरूरी बात बतानी थी सुजाता” पटना से उसकी सहेली श्वेता बोल रही थी- “अरूण को कोरोना हुआ है. बहुत सताया था न तुम्हें. अब भुगत रहा है.” “पर मुझे क्या” वह लापरवाही से बोली- “अब तो तलाक की औपचारिकता भर रह गई है. उसे मुझे भरण-पोषण का खर्च देना ही होगा.”

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6. Romantic Story In Hindi: सबसे हसीन वह

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इन दिनों अनुजा की स्थिति ‘कहां फंस गई मैं’ वाली थी. कहीं ऐसा भी होता है भला? वह अपनेआप में कसमसा रही थी. ऊपर से बर्फ का ढेला बनी बैठी थी और भीतर उस के ज्वालामुखी दहक रहा था. ‘क्या मेरे मातापिता तब अंधेबहरे थे? क्या वे इतने निष्ठुर हैं? अगर नहीं, तो बिना परखे ऐसे लड़के से क्यों बांध दिया मु झे जो किसी अन्य की खातिर मु झे छोड़ भागा है, जाने कहां? अभी तो अपनी सुहागरात तक भी नहीं हुई है. जाने कहां भटक रहा होगा. फिर, पता नहीं वह लौटेगा भी या नहीं.’

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7. धुआं-धुआं सा: पति के बाइसेक्सुअल होने की बात पर क्या था विशाखा का फैसला

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सचाई स्पष्ट होने के बाद विशाखा बोली थी कि उस के दिल और दिमाग की जंग में जीत उस के दिमाग की हुई. तुम मूव औन कर चुके हो, मुझे भी करना चाहिए. करना ही होगा. एकसाथ रह कर दुखी रहा जाए, इस से बेहतर है…

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8. Romantic Story In Hindi: भावनात्मक सुरक्षा

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यह जानते हुए भी कि कविता के बगैर उस की जिंदगी अधूरी है, मुकेश को ऐसा क्या एहसास हुआ कि वह उस से कटाकटा सा रहने लगा. एक दिन तो हद ही हो गई…

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9. Romantic Story In Hindi: बुझते दिए की लौ

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बरसों बाद नूपुर से मिल कर एक बार फिर जिंदगी खुशनुमा सी लगने लगी थी. लेकिन जिंदगी के इस मोड़ पर हमेशा के लिए एकदूसरे का साथ पाना आज भी इतना आसान नहीं था.

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10. सयाना इश्क: क्यों अच्छा लाइफ पार्टनर नही बन सकता संजय

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पीहू लेटीलेटी सोच रही थी, संजय की बेफिक्री, उस के कूल नैचर पर फ़िदा हो कर ही उस के साथ जीवन में आगे नहीं बढ़ा जा सकता. वह अच्छा दोस्त हो सकता है पर लाइफपार्टनर तो बिलकुल नहीं. अब वह जमाना भी नहीं कि सिर्फ भावनाओं के सहारे भविष्य का कोई फैसला लिया जाए…

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क्या यही प्यार है

लेखक- आदर्श मलगूरिया

‘‘इस धुंध में बाहर निकलना भी मुसीबत है. कपड़े, बाल सब सीलन से भर कर चिपकने से लगते हैं.’’

‘‘और बलराम मियां, कहीं वह भी तो…’’ मैं ने चुटकी ली.

सुधा ने मुझे मुक्का दिखा दिया.

‘‘मैं ने ऐसा क्या कहा? अपने स्वीट हार्ट के साथ खुद ही घूमफिर आई, हम से मिलवाया भी नहीं…’’ मैं ने रूठने का अभिनय करते हुए मुंह फुला लिया.

‘‘अच्छा बाबा, नाराज क्यों होती है? कल तुम सब की पार्टी पक्की रही.’’

सुधा मेरे कमरे में मेरे साथ ही रहती थी. यों वह मुझ से 7-8 साल बड़ी थी. वह बड़ी कक्षा की अध्यापिका थी. फिर भी हम दोनों में गहरी छनती थी. हम रात के 11-12 बजे तक बतियाते रहते.

गरीब घर की लड़की, छात्रवृत्ति के बल पर ही पढ़ती रही थी. घर में एक छोटा भाई और मां थी. हर महीने मां व भाई के लिए खर्चा भेजती थी. भाई इसी साल इंजीनियंिंरग कालिज में दाखिल हुआ था.

और भी एक व्यक्ति था सुधा के जीवन में, फ्लाइट लेफ्टिनेंट बलराज, जो कभीकभी हवाई जहाज ले कर स्कूल के ऊपर भी आता था. चर्च की मीनारों के ऐन ऊपर आ कर वह हवाई जहाज को नीचे ले आता तो सुधा का चेहरा जर्द पड़ जाता था. पर कुशल उड़ाक शोर मचाता, घाटी को गुंजाता हुआ पल भर में नीलेकाले पहाड़ों की सीमा लांघ जाता. वह कभीकभार सुधा से मिलने भी आता. लंबा, बांका, आंखें हरदम जीने की उमंग से चमकतीं मचलतीं.

सुधा और वह बचपन से ही एकसाथ खेलकूद कर बड़े हुए थे. एकसाथ गरीबी के अंधड़ों से गुजरे थे. फिर बलराज अनाथ हो गया. एक सांप्रदायिक दंगे में उस के मांबाप मारे गए. तभी करीब की हवेली के सेठजी ने उस की पढ़ाईलिखाई का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया था. पढ़ाई समाप्त कर बलराज वायुसेना में चला गया था.

जीवन के दुखभरे रास्तों को दोनों ने एकदूसरे की आंखों के प्रेमभरे आश्वासनों को भांपते हुए पार किया था. अब मंजिल करीब थी. सुधा के भाई के इंजीनियर बनते ही दोनों की शादी की बात पक्की थी.

इस बीच मेरी सगाई भी हो गई. नवंबर में स्कूल बंद हुए तो सुधा से मैं ने शादी में आने का वादा ले लिया. उस ने भी अपनी बात रखी. शादी से एक सप्ताह पहले ही वह आ पहुंची. फिर नैनीताल से दिल्ली की दूरी ही कितनी थी? मां सुधा के सिर पर शापिंग, कपड़े, गोटे तिल्ले का भार डाल कर निश्चिंत हो गईं. रिश्तेदार औरतों को इस काम में लगातीं तो सौ मीनमेख निकलते और पचास सलाह देने वाले जुट जाते.

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डोली चलते समय मुझे लगा जैसे सगी बहन का साथ छूट रहा हो. पर फिर भी मालूम था कि स्नेह का बंधन अटूट है.

शादी के बाद भी सुधा के पत्र आते रहे. एकडेढ़ साल बीत चला था, पर उस की शादी का कार्ड नहीं आया, जिस की मुझे प्रतीक्षा थी.

इधर मेरे अपने घर में अनेक झमेले थे. संयुक्त परिवार, देवर, ननदों का भार सिर पर. मैं 3 भाइयों की लाड़ली बहन, गुस्सा नाक पर बैठा रहता. मुझ में कहां ताब कि एक तो दैनिक दिनचर्या के एकरस काम निबटाऊं, साथ ही सब की धौंस सहूं और फिर अपने पति की झल्लाहट भी झेलूं. अब अगर दफ्तर जाते समय कमीज का बटन टूटा है तो साहबजादे मुझ पर चिल्लाने की बजाय स्वयं भी तो लगा सकते हैं. पर नहीं, मैं रसोई में भी जूझूं, यह सब नखरे भी सहूं. अब सास तो सिर पर है नहीं कि घर की देखभाल करें.

छोटीछोटी बातों पर झगड़ा होता और बात का बतंगड़ बन जाता. मैं रूठ कर मायके आ जाती. उस भरेपूरे परिवार में मानमनोअल का अवसर भी कहां मिलता? एक बार इसी तरह रूठ कर गरमियों में मैं दिल्ली आई हुई थी. मन में क्या आया कि गरमियां बिताने भैया और माया भाभी के साथ नैनीताल आ गई. मन में सुधा से मिलने की दबी इच्छा भी थी और विवेक को थोड़ी और उपेक्षा दिखा कर तड़पाने की आकांक्षा भी. पता नहीं सुधा वहां है या नहीं. वैसे शादी तो अब तक हुई नहीं होगी वरना मुझे कार्ड तो अवश्य आता.

सुधा वहीं थी, उसी होस्टल में हम दोनों टूट कर गले मिलीं. पिछली स्मृतियों के पिटारे खुल गए. मैं ने तो साफ पूछ लिया, ‘‘बलराज की क्या खबर है? अभी तक हवा में ही कुलांचें भर रहे हैं क्या?’’

‘‘बस, इस साल के अंत तक ही…’’ सुधा का सिंदूरी रंग लज्जा से लाल पड़ गया. वह मेरे हालचाल पूछने लगी.

विवेक का नाम आते ही मेरा मुख कसैला सा हो आया, ‘‘मैं वह चिकचिक भरा जहन्नुम छोड़ आई हूं, अब वापस जाने वाली नहीं.’’

‘‘क्या पागलों जैसी बातें कर रही है,’’ सुधा ने मुझे लगभग झिंझोड़ सा दिया.

मेरे असंतुष्ट मन ने भरभरा कर अपना गुबार निकाला और वह बड़ीबूढ़ी की तरह मुझे नसीहतें देती रही, ‘‘तुम स्वयं को उन के घर की बांदी का दरजा दे रही हो, पर वह बेचारा भी तो तुम्हारे प्यार का गुलाम है. गृहस्थी की गाड़ी इसी आधार पर तो चलती है.’’

सुधा ने मुझे समझाना चाहा, पर मैं इस विषय में कोई बात नहीं करना चाहती थी.

2 महीने बीत चले थे. मेरा मन धीरेधीरे उदास हो उठा. भैया की नईनई शादी हुई थी. वह और भाभी बाहर घूमने जाते तो कोई न कोई बहाना बना कर मैं पीछे रह जाती. वे भी मुझ से साथ चलने का आग्रह न करते थे. आखिर मैं कब से मायके में आई हुई थी. अब मेहमान तो थी नहीं.

कई बार मन में आया कि स्कूल जा कर पिं्रसिपल से नौकरी के लिए कहूं पर अभी तो स्टाफ पूरा था. इसी संस्था में गृहविज्ञान की कक्षा में हमें आदर्श, निपुण गृहिणी बनने की शिक्षा दी गई थी. वही ब्रिटिश नन, अब नीली आंखों की तीखी दृष्टि से ताक कर घरबार छोड़ नौकरी ढूंढ़ने पर मुझ से जवाब तलब करेगी, व्यावहारिक जीवन की पहली ही परीक्षा में फेल हो जाने की सचाई स्वीकार कर सकूं, इतना साहस मुझ में नहीं था.

नैनीताल के एक सिनेमाघर में ‘गौन विद दी विंड’ फिल्म लगी हुई थी. थी तो वर्षों पुरानी पर सदाबहार. मैं पुलक उठी, कालिज के दिनों में एक बार देखी थी, फिर देखने का मन हो आया. पर दोपहर को भैया आए तो 2 ही टिकट ले कर.

‘‘तुम ने देख रखी है न यह फिल्म, मैं ने सोचा माया को दिखा दूं.’’

और वे दोनों चले गए. मैं काटेज में अकेली रह गई, अपनी उदासी से घिरी.

रसोइया पूछ रहा था, ‘‘बीबीजी, रात के खाने में क्या बनेगा?’’

‘‘मेरा सिर,’’ मैं झल्ला उठी.

सर्दी के बावजूद, बाहर लोहे की ठंडी रेलिंग से टिकी जाने कब तक खड़ी रही.

दिन भर का जलता सूरज क्षितिज पर बचीखुची आग बिखरा कर अंधेरे की चादर ओढ़ पहाडि़यों की ओट में उतर गया था. तभी काले भालू सा दिखता, गंदे बोरों व रस्सियों में लिपटा, गंधाता पहाड़ी कुली परिचित सा नीला सूटकेस उठाए आता दिखाई दिया. मैं सोचने लगी, यह कौन पगडंडी के पेड़ों के पीछे छिपता- दिखता ढलान उतर रहा है? शायद भैया का कोई दोस्त एकाध सप्ताह काटने आया हो. आगंतुक के अंतिम मोड़ पार कर पलटते ही मैं सुखद आश्चर्य से भर उठी. यह तो विवेक था. न कोई चिट्ठी, न तार. अचानक कैसे? पल भर को मैं अपना सारा गुस्सा भूल कर हुलस उठी.

अगले ही पल उस की बांहों में लिपटी मैं पूछ रही थी, ‘‘अब याद आई हमारी?’’

फिर हमें कुली का ध्यान आया.  अवसर भांप उस ने भी तगड़ी मजदूरी मांगी और चलता बना. विवेक जम्हाई लेता हुआ बोला, ‘‘चलो, कुछ चायवाय पिलवाओ, डीलक्स बस में भी चूलें हिल गईं हड्डियों की.’’

मैं हैरान भी थी और खुश भी. कुछ अभिमान भी हो आया. मैं ने तो एक चिट्ठी भी नहीं लिखी. आए न दौडे़ स्वयं मनाने. भला मेरे बगैर रह सकते हैं कभी?

विवेक कह रहा था, ‘‘सच मानो, तुम्हारे बिना बहुत उदास रहा. घर में सब तुम्हें याद करते हैं.’’

‘‘छोड़ो, तुम्हें कहां परवा मेरी, अब बडे़ देवदास बन कर दिखा रहे हो,’’ मैं तिनकी.

‘‘तुम भी तो पारो सी, उदासी की प्रतिमूर्ति बनी हुई थीं.’’

‘‘पर तुम्हें मेरा ध्यान आया कैसे, अभिमानी वीर पुरुष?’’ मैं ने छेड़ा.

‘‘वह जो तुम्हारी पुरानी सहेली है न सुधा, जिस ने शादी में कलीचढ़ी के लिए मेरी फजीहत की थी, उसी ने चिट्ठी लिख कर मुझे यहां आने की कसम दी थी. और मैं भी तो आने का बहाना ढूंढ़ रहा था,’’ विवेक ने स्वीकार किया.

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मुझे सुधा के इस कार्य से प्रसन्नता ही हुई. शायद वह समझ गई थी कि अपनेअपने आत्मसम्मान व अहं की रक्षा करते हुए हम अपनी कच्ची गृहस्थी ही छितरा रहे थे. पर हमारे मानअभिमान के बीच रेशम की डोर का फासला था. एक के जरा आगे बढ़ते ही दूसरा स्वयं दौड़ आया था.

अगले सप्ताह विवेक के साथ मैं वापस आ गई. सुधा ने जिन नसीहतों का पाठ पढ़ा कर मुझे भेजा था, उन्हीं के बल पर मैं अपने घोंसले के तिनके संभाले रही.

2 साल बीतने को आए पर सुधा की शादी के विषय में कुछ निर्णय न हो पाया था. इस बार सर्दियों में मैं ने उसे जिद कर के अपने पास बुला लिया. उस में न पहले सी रंगत रही थी, न कुंआरे सपनों की महक. मैं ने बलराज के विषय में पूछा तो वह दुख के गहरे भंवर में डूब सी गई. हिचकियों के बीच उस ने जो कहानी सुनाई, उस से यही निष्कर्ष निकला कि जिन सेठजी ने बलराज को पाला था, उन की अचानक मृत्यु हो गई थी. अपनी इकलौती कुरूप बेटी के गम में सेठजी के प्राण गले में आ अटके. कातर हो कर उन्होंने बलराज से ही भिक्षा मांगी कि वह उन के बाद उन की बेटी और फैक्टरी को संभाले.

मौत के मुंह में जाते व्यक्ति का आग्रह ठुकरा सके, इतना पत्थर दिल बलराज नहीं था.

‘‘वह साहब तो शहीद हो कर फैक्टरी के मालिक बन बैठे. घरघर में उन की नजफगढ़ रोड वाली फैक्टरी की बनी ट्यूबें व बल्ब जलते हैं पर तुझे क्या मिला? वर्षों का प्यार क्या एक हलके झोंके से ही उड़ गया? अच्छा तगड़ा दहेज दे कर क्या बलराज सेठजी की बेटी की शादी नहीं करवा सकता था कहीं?’’ मैं गुस्से से उफन पड़ी.

‘‘वह मेरे पास आया था, इस विषय में बात करने, कर्तव्य व प्रेम के दो पाटों में पिसता वह चूरचूर हो रहा था. मैं ने ही उसे मुक्त कर दिया. आखिर अपने उपकारक मरणासन्न व्यक्ति को दिए वचन का भी तो कुछ मूल्य होता है,’’ सुधा ने बलराज का ही पक्ष लिया.

‘‘हां…हां, एक वही तो रह गए थे सूली पर चढ़ने को,’’ मैं ने तीखे स्वर में कहा.

‘‘जब मैं कुछ नहीं बोल रही तो तू क्यों इतना उबल रही है?’’ सुधा मुझ पर ही झल्ला पड़ी.

‘‘तो फिर आंखों में नमी क्यों भर आ रही है बारबार?’’

मैं ने उस की आंखें पोंछ दीं. सुधा के जीवन में अब बलराज वाला अध्याय समाप्त हो चुका था.

मैं ने और विवेक ने कितनी कोशिश की उस की शादी के लिए, पर उस ने  तो शादी न करने की कसम खा ली थी. जिस प्रेम की जड़ें बचपन तक फैली हुई थीं उसे उखाड़ फेंकना शायद उस के वश का न था. फिर उस की मां की मृत्यु हो गई. इंजीनियर भाई को घरजामाता बना कर धनी ससुर अमेरिका ले गया.

वह नितांत अकेली रह गई. बालों में सफेदी झांकने लगी थी. पर हम ने अब भी कोशिश नहीं छोड़ी. हमारे सिवा उस का था ही कौन? अब उस की सर्दियों की 3 महीने की छुट्टियां मेरे बच्चों के साथ खेलते बीततीं या वह लड़कियों का दल ले कर उन्हें कहीं घुमाने ले जाती. एक बार तो वह सिंगापुर तक हो आई थी और अपनी एक महीने की तनख्वाह हमारे लिए महंगे उपहार खरीदने में फूंक आई थी.

इस वर्ष दिलीप बदली हो कर विवेक के दफ्तर में आया. मुझे लगा शायद उसे सुधा के लिए ही भेजा गया है. साधारण घर का, अच्छी नौकरी पर लगा बेटा. सारी जवानी छोटे भाईबहनों को पढ़ाते- लिखाते, ठिकाने लगाते बीत गई. अब अपने लिए अधिक आयु की, सुलझे विचारों वाली पत्नी चाहता था.

मैं ने उसे सुधा की फोटो दिखाई नापसंद करने का सवाल ही कहां था. हम चाहते थे कि दोनों एकदूसरे को मिल कर देखपरख लें. इसीलिए मैं ने सुधा को चिट्ठी लिख दी और विवेक को छुट्टी मिलते ही हम लोग कार ले कर नैनीताल के लिए निकल पड़े, यह निश्चय कर के कि इस बार जैसे भी हो, सुधा को मनाना ही है.

पर उस के होस्टल के काटेज में एक और आश्चर्य हमारी प्रतीक्षा कर रहा था. लान में सुधा एक 15-16 साल के लड़के के साथ बैठी थी. बिना परिचय कराए ही मैं समझ गई कि वह बलराज का बेटा है, एकदम कार्बन कापी.

ऐसे में उस से दिलीप का परिचय कराना व्यर्थ था. दूसरे दिन मैं ने उसे पकड़ा, ‘‘यह क्या तमाशा लगा रखा है? पंछी भी शाम ढले घरों को लौटते हैं. तुम क्या जीवन भर इस होस्टल में काट दोगी?’’ मैं उस पर बरस ही तो पड़ी.

‘‘अब मैं अकेली कहां हूं? रवि जो है मेरे पास,’’ वह मुसकरा कर बोली.

‘‘पागल हुई हो? पराए बेटे को अपना कह रही हो?’’

‘‘अब वह मेरा ही बेटा है,’’ सुधा गंभीर हो उठी. उस ने मुझे बताया कि बलराज से फैक्टरी तो चली नहीं, घाटे में चलातेचलाते कर्ज चुकाने में बिक गई. शराब पी कर पतिपत्नी में झगड़ा होता. पत्नी सुधा का नाम ले कर बलराज को कोसती. इसी चिल्लपों में रवि सुधा के विषय में जान गया. एक रेल दुर्घटना में बलराज की मृत्यु हो गई. पत्नी पागलखाने में भरती कर दी गई, क्योंकि उसे दौरे पड़ने लगे थे. अनाथ बच्चे की जिम्मेदारी कौन ले? रिश्तेदार भी पल्ला झाड़ गए. अब रवि अंतिम सहारा समझ उसी के पास आया था.

मैं अवाक् बैठी थी. सुधा गर्व से बता रही थी, ‘‘सीनियर सेकंडरी की परीक्षा दी है रवि ने. मेडिकल में जाने का विचार है.’’

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‘‘और उस की पढ़ाई का खर्चा तुम दोगी?’’ मैं ने चिढ़ कर पूछा.

‘‘अब कौन बैठा है उस का सरपरस्त?’’ सुधा बोली.

‘‘ओफ्फोह, तुम कभी समझोगी भी? तुम ने भाई को पढ़ायालिखाया, लेकिन कभी उस ने इस ओर झांका भी कि तुम जिंदा हो या मर गईं?’’ मैं बड़बड़ाती हुई उसे कोसती रही.

‘‘दिलीप बाबू से मेरी ओर से माफी मांग लेना. मैं मजबूर हूं,’’ वह इतना ही बोली. मैं पैर पटकती वापस आ गई. वापसी पर भी मेरा मूड उखड़ा रहा. विवेक कार चला रहा था, सो तीखी ढलान के मोड़ों पर दृष्टि गड़ाए बैठा था. मैं भुनभुनाती दिलीप को सुना रही थी, ‘‘कुछ कमबख्त होते ही हैं अपना शोषण करवाने को. चाहे सारी दुनिया उन्हें रौंद कर आगे बढ़ जाए, उन के कानों पर जूं नहीं रेंगेगी.’’

दिलीप ने मेरे गुस्से पर पानी डाला, ‘‘छोडि़ए, भाभीजी, हम आप जैसे दुनिया के पचड़ों में फंसे सांसारिक जीव इसे नहीं समझ पाएंगे. पर शायद यही प्यार है.’’

‘‘जो अच्छेभले को अंधा कर दे, उस प्यार का क्या लाभ?’’ मैं बड़बड़ाई.

‘‘देखूं, शायद इसे कभी जीत पाऊं,’’ गहरी सांस ले कर दिलीप ने कहा और मैं अपना गुस्सा भूल आश्चर्य से उसे देखने लगी.

Winter Special: कोल्ड क्रीम से स्किन को करें नरिश

जब सर्दियों में स्किन अपनी नमी खोने लगती है तो खूबसूरती में भी कमी आने लगती है जो शायद किसी को भी गवारा नहीं होता है. ऐसे में कोल्ड क्रीम खोए हुए मोइस्चर को वापस लौटाने के साथसाथ स्किन में मॉइस्चर को लौक करने का काम भी करती है, जिससे स्किन को विंटर प्रोब्लम्स से दूर रखने में मदद मिलती है. लेकिन इसके लिए जरूरत है सही कोल्ड क्रीम का चयन करने की और जब बात आए कोल्ड क्रीम की और रोजा हर्बल कोल्ड क्रीम का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है क्योंकि यह मौसम व आपकी स्किन का खास ध्यान रखकर जो बनाई गई है. जानते हैं क्यों है यह खास:

है विटामिन ई की खूबियां

विटामिन ई बहुत ही पावरफुल एन्टिओक्सीडेंट होने के कारण यह स्किन को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के साथसाथ स्किन को नौरिश करने में भी मदद करता है. इसकी मॉइस्चराइजिंग प्रोपर्टीज स्किन को सोफ्ट, स्मूद व जवां बनाए रखने का काम करती हैं. तभी तो सलाह दी जाती है कि आप विंटर के मौसम में स्किन प्रोब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए विटामिन ई युक्त क्रीम जरूर अप्लाई करें.

ऐलोवेरा की मौजूदगी

ऐलोवेरा में ढेरों माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होने के कारण यह शरीर को बीमारियों से दूर रखकर न सिर्फ शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है, बल्कि इसमें विटामिन बी, सी, बीटा कैरोटिन होने के कारण यह स्किन को नौरिश करने के साथसाथ एजिंग प्रोसेस को भी स्लो करने का काम करता है. इस इनग्रीडिएंट से बनी क्रीम का खासकर के विंटर्स में इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है क्योंकि यह ड्राई व डीहाइड्रेट स्किन को बिना ग्रीसी इफेक्ट दिए मॉइस्चराइज करने का काम जो करता है. इसकी खास बात यह है कि ऐलोवेरा सभी स्किन टाइप के लिए परफेक्ट होता है.

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फ्रूट एक्सट्रैक्ट्स भी

इसमें फलों की मौजूदगी होने के कारण इसमें है विटामिन ए, सी और डी की खूबियां जो स्किन को प्रोटेक्ट करने के साथसाथ उसे हैल्दी, सॉफ्ट बनाने का काम करती हैं. ये स्किन टोन को भी नेचुरली इंप्रूव करके स्किन को हील करके उसे जवां बनाए रखने का काम करती हैं. विटामिन ए अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन को प्रोटेक्ट करने का काम करता है, तो  विटामिन सी कोलेजन के उत्पादन में मदद करके स्किन को यंग लुक देने का काम करता है खास करके इसकी सर्दियों में सबसे ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि सर्दियों में कोलेजन के कम होने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे स्किन पर झुर्रियों व फाइन लाइन्स की समस्या खड़ी हो जाती है. वहीं विटामिन डी को सनशाइन विटामिन कहा जाता हैं. यह हैल्दी स्किन सेल ग्रोथ के निर्माण में मददगार होने के साथसाथ उसे हील भी करने का काम करता है. कह सकते हैं कि यह स्किन की इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है.

बादाम की खूबियां भी

बादाम विटामिन ई में रिच होने के कारण स्किन को नॉरिश व सॉफ्ट बनाने का काम करता है, साथ ही इससे फेशियल रिंकल्स भी कम होती हैं. बादाम विटामिंस, ओमेगा 3 और एन्टिऑक्सीडेंट्स में रिच होता है जो स्किन को पोषण देने का काम करते हैं, साथ ही बढ़ती उम्र के संकेतों को भी कम करने में मददगार हैं. अगर आप रोजाना इससे युक्त क्रीम को चेहरे पर अप्लाई करती हैं तो इससे स्किन सर्दियों में ड्रॉयनेस की समस्या से बची रहती है, जिससे उस की नेचुरल ब्यूटी भी मेन्टेन रहती है.

है नेचुरल ऑयल्स

जितना स्किन पर नेचुरल ऑयल्स का इस्तेमाल किया जाता है, स्किन उतनी ही नेचुरल व प्रॉब्लम फ्री रहती है. ऐसे में रोजा कोल्ड क्रीम में है नेचुरल ऑयल्स, जिनमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट्स व एंटीइनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जो स्किन के मॉइस्चर को स्किन में लॉक करने के साथसाथ स्किन के हीलिंग प्रोसेस को भी तेज करने का काम करते हैं, साथ ही ये चेहरे की ऑउटर लेयर को भी मजबूती प्रदान करते हैं.

बेनिफिट्स इन शॉर्ट्स

– स्किन को एजिंग और डिहाइड्रेशन से बचाए.

– स्किन से वाटर लॉस को कम करे.

– स्किन में तेजी से जाकर उसे सॉफ्ट बनाता है.

– नेचुरल इनग्रीडिएंट्स व ऑयल्स की खूबियों से भरपूर.

– इजी टू अवेलेबल.

– बजट फ्रेंडली भी.

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इन बातों का रखें ध्यान

– कोल्ड क्रीम हमेशा नेचुरल तत्त्वों से ही बनी हो.

– जब भी आप क्रीम खरीदें तो उसके इनग्रीडिएंट्स जरूर चेक करें.

– एक्सपायरी डेट देखकर ही कोल्ड क्रीम खरीदें.

– केमिकलरहित कोल्ड क्रीम ही स्किन के लिए फायदेमंद होती है.

– ऑनलाइन, ऑफलाइन जहां से भी आप क्रीम खरीदें, विश्वसनीय प्लेटफॉर्म से ही खरीदें. तो फिर इस विंटर अपनी स्किन को रोजा हर्बल केयर से करें नॉरिश.

क्या फायदा ऐसे धर्म का

महंगे परिधानों और गहनों से लदी महिलाएं जब बड़ीबड़ी गाडि़यों से राजाओं की तरह सजेधजे अपने पतियों के संग उतरीं तो सभी की नजरें उसी ओर घूम गईं.

उन के स्वागत और सम्मान में हाल के मुख्यद्वार पर कुछ लोग फूलमालाएं ले कर खड़े थे और उन्हें सब से आगे की तरफ ले जा रहे थे. सब से आगे उन के लिए महंगे सोफे लगे थे जिन पर जा कर वे लोग विराजमान हो गए.

पीछे बैठे लोग भी समझ गए थे कि वे जरूर बड़ी हस्ती के लोग हैं. दरअसल, आज जो महान विभूति यहां प्रवचन देने आए हैं, ये उन के उच्च स्तरीय शिष्यों के परिवार के लोग हैं, जिन्हें यहां खास स्थान मिला है.

ऐसा नजारा देश के किसी भी कोने में चले जाएं हर जगह देखने को मिल जाएगा. अब प्रवचन भी तो एयरकंडीशंड कमरों में होते हैं जहां एअरकंडीशंड लंबी गाडि़यों में आने वालों का खास ध्यान रखा जाता है.

सत्संग की महिमा

नेहा जब विवाह कर अपनी ससुराल में गई तो उस के यहां इष्ट देव को पूजने जाने का रिवाज है. सब बड़ी गाड़ी ले कर वहां पहुंच गए, गरमी बहुत तेज थी और लंबी कतार में खड़े होने के बाद दर्शन हो रहे थे. नेहा ने मन ही मन सोचा आज तो गरमी में शरीर का बेहाल हो जाएगा. किंतु कतार छोड़ आगे भेज दिया गया और

जल्दी से दर्शन कर बड़ी रकम भेंट चढ़ा कर वे लौट आए.

उस के सास व ससुर बहुत प्रसन्न थे कि झट से काम हो गया. किंतु नेहा की तीसरी आंख खुल गई थी, उस से रहा न गया तो अपनी अफसर सास से पूछ, ‘‘बैठी कि मां यह क्या हम इष्ट देव के यहां भी अपनी पहचान और रूतबे से दूसरों को पीछे छोड़ आग निकल जाते हैं? क्या फायदा ऐसे धर्म का? कम से कम वहां तो सभी को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए?

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‘‘बेटी यह तो पिछले जन्म के संस्कार हैं जिन के कारण आज हमें यह पद और रुतबा मिला है सो इस में कोई बुराई नहीं.’’

नेहा को बात कुछ हजम नहीं हुई, किंतु अपने पद की धौंस और रुतबा दिखाने वाली सास के आगे चुप रहने में ही समझदारी लगी.

इसी तरह सौफ्टवेयर प्रोफैशनल रीता अपने गुरु के सत्संग में हर रविवार जाती है और अपने आसपास रहने वाले व दफ्तर के लोगों के सामने इस सत्संग की महिमा का बखान करते नहीं थकती. यहां तक कि वह लोगों को इस समूह से जोड़ने के लिए खूब कोशिश भी करती है ताकि उस के गुरु के समक्ष उस का रुतबा बढ़ सके.

धर्म का हथियार

दफ्तर में उस के उच्च पद पर आसीन होने के कारण उस के नीचे कार्यरत कई लोग इस समूह से सिर्फ इसलिए जुड़े कि बौस अन्यथा न लें. इस में उन गुरु के प्रति उन की कोई भावना नहीं थी, किंतु नौकरी में तरक्की की लालसा उन्हें यहां तक खींच लाई थी.

समझ में नहीं आया कि शिक्षित हो कर रीता यह सब क्यों कर रही थी. हो सकता है उसे भी अंदर ही अंदर कोई अन्य लाभ हो या फिर यह सिर्फ उस की अंधविश्वासी प्रवृत्ति हो जिस की चपेट में उस के संपर्क में आने वाले लोग भी आए और वह भी सिर्फ उस की धौंस के कारण.

इसी तरह के न जाने कितने उदाहरण हमारे आसपास मिल जाएंगे जिन से महसूस होता है कि इतना पढ़लिख कर भी जाति, वर्ण, अमीरी, धर्म का असर और गहरा हो रहा है, कमजोर नहीं हो रहा. शिक्षा से तर्क का कोई वास्ता नहीं रहा. अमीरों को अपनी अमीरी बनाए रखने के लिए धर्म का हथियार मिल गया है. पूजापाठ और कर्मों का फल कह कर गरीबों का मुंह बंद रखने को तैयार तरीका किया गया है.

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TMKOC: जेठालाल के सामने पड़ेंगे तारक मेहता को कोड़े! पढ़ें खबर

सीरियल अनुपमा को टक्कर देते हुए इस बार कौमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा टीआरपी चार्टस में पहले नंबर पर आ गया है. वहीं सुर्खियों में रहने वाले शो के सितारे इस खबर से काफी खुश है. क्योंकि बीते दिनों कई सेलेब्स के शो छोड़ने की खबर से दर्शक काफी नाराज नजर आए थे. इसी बीच मेकर्स शो को और भी दिलचस्प बनाने के लिए तारक मेहता पर कोड़े बरसाते हुए नजर आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

तारक मेहता पर चढा करेले का भूत

अब तक आपने देखा कि पत्नी अंजलि के डाइट प्लान से बचने के लिए तारक मेहता ने करेले के भूत से सभी को डरा दिया था. वहीं सोसायटी छोड़ने का भी फैसला कर लिया था. लेकिन डौक्टर और तांत्रिक की मदद से अब गोकुलधामवासी तारक मेहता का इलाज करते हुए नजर आने वाले हैं.

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तांत्रिक की होगी एंट्री

तारक मेहता की तबीयत खराब होते देख अपकमिंग एपिसोड में भूत भगाने वाले तांत्रिक को गोकुलधाम के लोग बुलाने वाले हैं. दरअसल, तांत्रिक बाबा कोड़ो की मार और जलते अंगारों पर चलाकर तारक मेहता के सिर से करेले का भूत निकालने वाले हैं. हालांकि इस दौरान जेठालाल भी कुछ नहीं कर पाएगा. लेकिन तारक मेहता को इस मुसीबत से निकालने के लिए टप्पू सेना प्लान बनाती नजर आएगी.

शो के सितारे हैं सुर्खियों में

शो के सितारों की बात की जाए तो बबीता जी यानी एक्ट्रेस मुनमुन दत्ता इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई हैं. जहां बीते दिनों बिग बॉस 15 में नजर आने से मुनमुन दत्ता के शो छोड़ने की अफवाह उड़ी थी तो वहीं टप्पू यानी राज अनादकट ने भी शो को अलविदा कहने का फैसला कर लिया था. हालांकि दर्शकों का प्यार देखकर वह शो को अलविदा नहीं कह पाए थे.

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इन 8 ब्यूटी सीक्रेट्स से पाएं नई पहचान

आजकल का दौर ऐसा है कि हर स्मार्ट लड़की हमेशा चमकते और दमकते रहना चाहती है. और हो भी क्‍यों न, इससे अंदर से कांफिडेंस आता है जिससे आप हंसते-हंसते कई कामों को आसानी से कर सकती हैं. चलिए जानते हैं कि क्‍या हैं वह ब्‍यूटी सीक्रेट्स जो दे सकते हैं आपको एक नई पहचान.

  • काजल और लिपलाइनर हमेशा लगाएं 

8 beauty secrets

 काजल भारतीय स्त्री की खूबसूरती में हमेशा ही चार चांद लगाता है. यह आंखों का आकर्षण बढाने का आसान तरीका है. इसी तरह लिपलाइनर भी लगाना जरूरी होता है, क्योंकि यह लंबे समय तक टिकता है और फैलता भी नहीं है. अगर आप अपनी पसंदीदा लिपस्टिक लगा रही हैं तो साथ में लिपलाइनर लगाना न भूलें

  • सनस्क्रीन जरूर लगाएं 

8 beauty secrets

सनस्‍क्रीन सौंदर्य बढाने में मदद तो नहीं करती बल्कि त्वचा को धूप की तेज अल्ट्रावौयलेट किरणों से सुरक्षा जरुर प्रदान करती है. धूप से बचने के लिए हर चार घंटे में सनस्क्रीन का प्रयोग करना जरूरी है. अगर आप इसका प्रयोग नहीं करेगीं तो संवाली होने का डर भी रहेगा. साथ ही ब्राउन स्पौट और झुर्रियां भी इन्हीं के कारण होती है. इसलिए चाहे घर पर रहे या बाहर निकलें, लेकिन सनस्क्रीन जरूर लगाएं.

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  • हर दूसरे दिन शैंपू: 

8 beauty secrets

भारतीय युवतियों की सबसे आम समस्या है बालों का रूखापन, क्योंकि हर दूसरी स्त्री कामकाजी है और चारों तरफ प्रदूषण का सामना, धूप का प्रकोप, काम का बोझ और स्ट्रेस का सामना करती है. सबसे बडी बात यह कि स्त्री चाहे किसी भी उम्र की हो, मेकअप किया हो या नहीं, लेकिन जिस दिन शैंपू करती है उस दिन वह बेहद सुंदर दिखती है. इसलिए शैंपू करने में कोताही न बरतें.

  • भरपूर नींद

8 beauty secrets

 रोजाना निश्चित समय पर ही सोएं. अगर आप रात में सोएगीं नहीं तो दिन-भर आप थकी-थकी सी रहेगीं. टिश्यू और सेल्स को रेजुवेनेट करने के लिए नींद बहुत जरूरी है. त्वचा को रेजुवेनेट करने के लिए रात में एक अच्छी नाइट क्रीम लगाएं. रेटिनौल बेस्ड क्रीम चुनें जो पिग्मेंटेशन, पोर्स और बारीक लकीरों को कम करने में मदद करते हैं.

  • त्वचा को दमकने दें

8 beauty secrets

 त्‍वचा का एक्सफोलिएशन सबसे जरूरी है. प्रदूषण भरे वातावरण में डेड सेल्स की समस्या आम होती है. एक्सफोलिएट इस्तेमाल करने से त्वचा के मृत कोश भी निकल जाते हैं और त्वचा रेशम सी कोमल और चमकदार हो जाती है.

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  • मेहंदी और औयल ट्रीटमेंट

8 beauty secrets

 रेशमी बाल और चमकदार त्वचा हर स्त्री का गहना होते हैं. इसलिए हफ्ते में एक बार हौट औयल मसाज बेहद जरूरी है. स्कैल्प में तेल जज्ब हो जाए इसलिए मसाज के बाद बालों में गर्म तौलिया लपेटें. मसाज के लिए कोकोनट औयल का ही इस्तेमाल करें. औलिव औयल बालों के लिए हेवी हो सकता है. इसके अलावा महीने में एक बार मेहंदी ट्रीटमेंट भी ले.

  • एक अच्छा हेयर कट

8 beauty secrets

 जब कुछ समझ न आए तो एक अच्छा हेयर कट लें. लेकिन अपनी पर्सनैल्टी और चेहरे पर सूट करने वाला. प्रत्येक दो-चार माह में हेयरकट जरूरी है. बिखरे, उलझे, दो मुंहे, बेजान बाल आपके व्यक्तित्व के आकर्षण को खत्म कर देते हैं. एक अच्छा हेयरकट आपकी पर्सनैल्टी में वॉल्यूम भर देता है.

  • सेहत का रखें खयाल

8 beauty secrets

स्वास्थ्य सही हो तो सौंदर्य दोगुना हो जाता है. स्वास्थ्य तभी सही रह सकता है जब आप अपना खयाल रखें. सही वक्त पर सही, संतुलित एवं पौष्टिक आहार लें. हफ्ते में कम से कम 5 बार 30 से 40 मिनट तक एक्सरसाइज करें. वजन पर नियंत्रण रखने के लिए जंक फूड, औयली चीजें और मिर्च मसालों से दूर रहें. एक्सरसाइज से रक्त संचार बढता है और चेहरे पर ग्लो आता है.

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