Bigg Boss 15 में नजर आएंगी Shehnaaz Gill? पढ़ें खबर

बीते दिनों एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला के निधन के बाद शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) दोबारा काम पर लौटती नजर आईं थीं. वहीं उनकी और दिलजीत दोसांझ की फिल्म भी हिट साबित हुई है. वहीं अब खबरे हैं कि बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) के मेकर्स ने शहनाज गिल को अप्रोच किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शहनाज गिल को मिला औफर

 

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खबरों की मानें तो बिग बॉस 15 के मेकर्स ने शो को और भी मजेदार बनाने के लिए एक्ट्रेस शहनाज गिल को अप्रोच किया है. दरअसल, बिग बॉस 15 के निर्माता चाहते हैं कि एक्ट्रेस शहनाज गिल शो में बतौर गेस्ट एक हफ्ते के लिए हिस्सा लें. हालांकि एक्ट्रेस शहनाज गिल ने अभी तक मेकर्स का ऑफर एक्सेप्ट नहीं किया है. लेकिन अब वह यह एक्सेप्ट करती हैं तो शो की टीआरपी पर असर पड़ने वाला है.

 

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फिल्म हुई हिट

 

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हाल ही में रिलीज हुई शहनाज गिल की फिल्म हौंसला रख ने वर्ल्ड वाइड 54 करोड़ की कमाई कर ली है, जो कि पहली पंजाबी फिल्म है. वहीं इस फिल्म के बाद फैंस उनके अगले प्रौजेक्ट का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ शहनाज गिल की कुछ फोटोज भी वायरल हुई थीं, जिनमें वह एक अनाथालय में बच्चों के साथ समय बिताती नजर आईं थीं.

 

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बता दें कि बिग बॉस 13 के हिट सीजन होने में शहनाज गिल और सिद्धार्थ शुक्ला का काफी हाथ था. दोनों की जोड़ी ने फैंस का दिल जीता था, जिसके कारण #sidnaaz की जोड़ी का हैशटैग काफी फेमस हुआ था. लेकिन हार्ट अटैक से सिद्धार्थ शुक्ला के निधन के बाद फैंस को काफी दुख हुआ था. वहीं वह शहनाज गिल का सपोर्ट करते नजर आए थे.

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फिल्म निर्माता, निर्देशक की किस प्रौब्लम का जिक्र कर रहे है एक्टर Manoj Bajpayee

फिल्म ‘बेंडिटक्वीन’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी को फिल्म ‘सत्या’ से प्रसिद्धी मिली. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. उन्होंने धीरज धरा और हर तरह की फिल्में की और कई पुरस्कार भी जीते है.बचपन से कवितायें पढ़ने का शौक रखने वाले मनोज बाजपेयी एक थिएटर आर्टिस्ट भी है. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी  में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. साल 2019 में साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है.ओटीटी पुरस्कार की प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित मनोज बाजपेयी कहते है कि ओटीटी ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नई दिशा दी है, पेंड़ेमिक और लॉकडाउन में अगर इसकी सुविधा नहीं होती, तो लोगों को घर में समय बिताना बहुत मुश्किल होता,वे और अधिक तनाव में होते. हालांकि अभी भी लोग थिएटर हॉल जाने से डर रहे है, क्योंकि ओमिक्रोन वायरस एकबार फिर सबको डरा रहा है.

करनी पड़ेगी मेहनत

आज आम जनता की आदत घरों में आराम से बैठकर फ़िल्में अपनी समय के अनुसार देखने की है,ऐसे में फिल्म निर्माता, निर्देशक, लेखक और कलाकार के लिए थिएटर हॉल तक दर्शकों को लाना कितनी चुनौती होगी ?पूछे जाने पर मनोज कहते है कि सेटेलाइट टीवी, थिएटर, ओटीटी आदि ये सारे मीडियम रहने वाले है. लॉकडाउन के बाद थिएटर हॉल में दर्शकों की संख्या कम रही, पर सूर्यवंशी फिल्म अच्छी चली है. दर्शकों को समय नहीं मिल रहा है कि वे कुछ सोच पाए और हॉल में बैठकर फिल्म का आनंद उठाएं. कोविड वायरस उन्हें समय नहीं दे रहा है. असल में सभी की आदत बदलने की वजह पेंडेमिक है,जो पिछले दो सालों में हुआ है, इसे कम करना वाकई मुश्किल है.इसके अलावा इसे आर्थिक और सहूलियत से भी जोड़ा जा सकता है, क्योंकि अब दर्शक घरों में या गाड़ी में बैठकर अपनी पसंद के अनुसार कंटेंट देख सकते है, इसमें उन्हें थोड़े पैसे में सब्सक्रिप्शन और इन्टरनेट की सुविधा मिल जाती है और वे एक से एक अच्छी फिल्में देख सकते है, इसमें पैसे और समय दोनों की बचत होती है. फिल्म निर्माता, निर्देशक, कहानीकार, कलाकार आदि सभी के लिए ये एक चुनौती अवश्य है, क्योंकि फिर से लार्जर देन लाइफ’ और अच्छी कंटेंट वाली फिल्में देखने ही दर्शक हॉल तक जायेंगे और इंडस्ट्री के सभी को मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन मैं इतना मानता हूँ कि कोविड सालों तक रहने वाली नहीं है, उम्मीद है वैज्ञानिक जल्द ही इस बीमारी की दवा अवश्य खोज लेंगे और तब सुबह एक टेबलेट लेने से शाम तक व्यक्ति बिल्कुल इस कोविड फीवर से स्वस्थ हो जाएगा. तब दर्शक बिना डरे फिर से थिएटर हॉल में आयेंगे. इसके अलावा ओटीटी की वजह से नए और प्रतिभाशाली कलाकारों को देखने का मौका मिला है, जो बिग स्टार वर्ल्ड लॉबी से दूर अपनी उपस्थिती को दर्ज कराने में सफल हो रहे है, जिसमें नए निर्देशक, लेखक, कलाकार, एडिटर, कैमरामैन आदि सभी को काम मिल रहा है.

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आहत होती है क्रिएटिविटी

कई बार ओटीटी फिल्मों में कुछ अन्तरंग दृश्य या अपशब्द होते है, ऐसे में कई बार फिल्म निर्देशकों और कलाकारों को धमकी मिलती है कि वे ऐसी फिल्में न बनाये और न ही एक्टिंग करें, क्योंकि ये समाज के लिए घातक साबित हो सकती है.फिल्म बनाने वाले पर ऐसे लोग अपना गुस्सा भी उतारते है. इसके अलावा कुछ लोग इन फिल्मों पर सेंसर बोर्ड की सर्टिफिकेशन करने पर जोर देते आ रहे है. इस बारें में मनोज बाजपेयी कहते हैकि डर के साये में क्रिएटिविटी पनप नहीं सकती. सुरक्षा के लिए कठिन कानून होनी चाहिए, क्योंकि क्रिएटिव माइंड पर किसी की दखलअंदाजी से क्रिएटिव माइंड मर जाती है. किसी भी फिल्म को बनाने में सालों की मेहनत होती है, अगर उसमें कोई दूसरा आकर कुछ बदलाव करने को कहे, तो उस फिल्म को दिखाने का कोई अर्थ नहीं होता. समाज के आईने को उसी रूप में दिखाने के उद्देश्य से ऐसी फिल्में बनती है. दर्शकके पास सही फिल्म चुनने का अधिकार होता है.वे ही तय करते है कि फिल्म या वेब सीरीज उनके या उनके बच्चे देखने के लायक है या नहीं. सेंसर बोर्ड किसी फिल्म को पूरा करने में निर्माता, निर्देशक के साथ नहीं होता, इसलिए वे सालों की मेहनत को नहीं समझते, लेकिन वे सर्टिफाइड करते है, इससे फिल्म की कंटेंट का अस्तित्व समाप्त हो जाता है.

एक्टर बनने की थी चाहत

मनोज बाजपेयी पिछले 25 साल से काम कर रहे है और उन्होंने हर चरित्र को अपनी इच्छा के अनुसार ही चुना है. बचपन की दिनों को याद करते हुए मनोज कहते है कि मुझे छोटी उम्र से फिल्में देखने का शौक था और मेरे पिता मुझे कभी-कभी शहर ले जाकर फिल्में दिखाते थे, तब उस छोटे से पंखे वाली हॉल में देखना भी अच्छा लगता था. थिएटर से मैं फिल्मों में आया और मुझे हमेशा अनुभवी कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिला है. सभी ने मुझे सहयोग दिया, इसलिए आज मैं भी जरूरतमंद को सहयोग करता हूँ.

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Top 10 Personal Problem Tips in Hindi: टॉप 10 पर्सनल प्रौब्लम टिप्स हिंदी में

Personal Problem in Hindi:  इस आर्टिकल में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं Grihshobha की 10 Personal Problem in Hindi 2021. लोगों के पास कई प्रौब्लम होती हैं, जिन्हें वह दूसरों से शेयर नहीं कर पाते. लेकिन आज हम आपके लिए लाए हैं हमारे रीडर्स द्वारा भेजी गई कुछ प्रौब्लम्स, जो आपकी भी जिंदगी का हिस्सा हो सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं गृहशोभा की ये Readers Personal Problem in Hindi, जिसमें रीडर्स की हेल्थ, ब्यूटी और मैरिड लाइफ से जुड़ी पर्सनल प्रौब्लम और उनके सौल्यूशन आपको मिलेंगे.

1. प्रैगनैंसी रोकने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?

personal problem in hindi

मैं 24 साल की हूं. मेरे विवाह को 2 महीने हुए हैं. प्रैगनैंसी से बचे रहने के लिए कौपर टी, कंडोम और डायाफ्राम में से कौन सा गर्भनिरोधक मेरे लिए सब से अच्छा रहेगा और ये गर्भनिरोधक कितनेकितने साल तक प्रैगनैंसी रोकने के लिए अपनाए जा सकते हैं, कृपया विस्तार से जानकारी दें?

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2. ग्लोइंग स्किन के लिए कोई उपाय बताएं?

personal problem in hindi

मेरी त्वचा सांवली है और साथ ही औयली भी है, जिस की वजह से चेहरे पर रौनक नहीं दिखती. कृपया त्वचा की रंगत निखारने का कोई उपाय बताएं?

किसी का गोरा या काला होना जीन्स पर निर्भर करता है. फिर भी घरेलू उपायों से चेहरे की रंगत को थोड़ा निखारा जा सकता है. आप बेसन में दही व शहद मिला कर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं. पेस्ट के सूखने के बाद उसे पानी से मसाज करते हुए धो लें. बेसन जहां चेहरे के औयल को कम करेगा, वहीं शहद रैशेज होने से बचाव करेगा. इस के अलावा आप बादाम के पाउडर में मिल्क पाउडर और रोजवाटर मिला कर पैक बना कर चेहरे पर लगाएं. सूखने पर कच्चे दूध की सहायता से धो लें. यह पैक भी आप के चेहरे की रंगत को निखारने में मदद करेगा.

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3. मैं अपने पति को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाती, क्या करूं?

personal problem in hindi

मैं 27 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. मेरी शादी 10 महीने पहले हुई है. पति बहुत प्यार करते हैं पर मैं उन्हें सैक्स में पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाती. वजह है मेरी वैजाइनल मसल्स का जरूरत से ज्यादा संकुचित यानी टाइट होना. सैक्स संबंध के दौरान इस वजह से मैं पति को पूरा साथ नहीं दे पाती. इस दौरान मुझे तेज दर्द होता है. पति के आग्रह को मैं ठुकरा भी नहीं सकती पर सैक्स करने के नाम से ही मेरे हाथपांव फूल जाते हैं और पूरी कोशिश करती हूं कि टाल जाऊं. इस से पति नाराज रहने लगे हैं. बताएं मैं क्या करूं?

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4. बालों को झड़ने से रोकने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

personal problem in hindi

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. इन दिनों मेरे बाल बहुत झड़ रहे हैं. बालों को झड़ने से रोकने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब-

बालों को रूखा न रहने दें, क्योंकि रूखे बाल अधिक टूटते हैं. अपने खानपान में प्रोटीनयुक्त आहार शामिल करें. बालों की हफ्ते में 1 बार अच्छी तरह औयलिंग करें. उन्हें मजबूत और घना बनाने के लिए दही में मेथीदाना पाउडर, काले तिल का पाउडर बराबर मात्रा में मिला कर हेयर पैक बना कर साफ धुले बालों में लगाएं. आधे घंटे बाद बालों को धो लें. ऐसा 15 दिन में 1 बार करें. जरूर लाभ होगा.

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5. मेरे सास-ससुर पुराने ख्यालात वाले हैं, मैं क्या करूं?

personal problem in hindi

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हां हूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभी-कभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

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6. मेरे पति मारपीट व गाली-गलौज करते हैं, मैं क्या करूं?

personal problem in hindi

मैं विवाहित महिला हूं. 4 साल का बेटा है. पति सरकारी नौकरी करते हैं. समस्या यह है कि ससुराल वालों के कहने पर मेरे पति मेरे साथ मारपीट व गालीगलौज करते हैं और बातबात पर दूसरी शादी करने व तलाक देने की धमकी देते हैं. घरेलू हिंसा से परेशान हो कर मैं अपने बेटे के साथ मायके रहने चली गई. कुछ समय पहले मेरे पिता का देहांत हो गया तो मैं ससुराल वापस आ गई. लेकिन पति व ससुराल वालों का मेरे प्रति रवैया अभी भी वैसा का वैसा ही है. ससुर अकसर धमकी देते हैं कि उन की पहुंच ऊपर तक है. दरअसल, मेरी ननद पुलिस में दारोगा है, इसी बात का वे मुझ पर रोब जमाते रहते हैं. मैं बहत परेशान हूं. उचित सलाह दें.

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7. मेरे पति मुझ से नौकरी करवाना चाहते हैं, मै क्या करूं?

personal problem in hindi

मेरे विवाह को 2 वर्ष हो चुके हैं. मेरे पति मुझ से नौकरी करवाना चाहते हैं जबकि मैं संतानोत्पत्ति चाहती हूं. मेरे पति की उम्र 38 वर्ष हो चुकी है, इसलिए यदि हम ने अभी से इस विषय में नहीं सोचा तो दिक्कत होगी. मैं भी इस वर्ष 30 की हो गई हूं. कृपया बताएं कि हमें क्या करना चाहिए?

जवाब
आप की उम्र 30 वर्ष हो चुकी है. अधिक विलंब करने से गर्भधारण करने और संतानोत्पत्ति में दिक्कत होगी, इसलिए आप को समय रहते संतानोत्पत्ति के लिए प्रयास करना चाहिए. आप के पति दिनोंदिन बढ़ती महंगाई के कारण चाहते होंगे कि आप नौकरी करें. यदि पति की आमदनी संतोषजनक नहीं है, तो आप घर पर रह कर ट्यूशन आदि कार्य कर के भी उन्हें आर्थिक सहयोग दे सकती हैं.

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8. पीरियड्स में निकल आए पिम्पल्स तो मैं क्या करूं?

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मैं 18 वर्ष की युवा हूं. पीरियड्स शुरू होने से एक दो दिन पहले मेरे चेहरे पर पिम्पल्स निकल आते है? ऐसा क्यों होता है? कृपया इससे निजात पाने का उपाय बताएं?

 जवाब-

पीरियड्स के दौरान चेहरे पर पिम्पल्स-मुहांसे निकल आना आम बात है.  दरअसल, पीरियड्स के शुरू होने के सात दिन पहले वाले समय को प्रीमेन्स्ट्रूअल पीरियड कहते हैं. इन सात दिनों में एस्ट्रोजन का स्तर कम और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाने के कारण स्किन काफी सेंसेटिव हो जाती है, जिससे चेहरे पर पिम्प्ल्स निकलने लगते हैं. ऐसे में परेशान होने की कोई बात नहीं है. आप इन जरूरी बातों का ध्यान रख कर पिम्पल्स से छुटकारा पा सकती हैं.

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9. कुछ दिनों से मुझे बहुत अधिक व्हाइट डिस्चार्ज हो रहा है, मैं क्या करूं?

personal problem in hindi

  मेरी उम्र 25 साल है और मुझे कोई बीमारी नहीं है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुझे बहुत अधिक व्हाइट डिस्चार्ज हो रहा है. मुझे समझ नहीं आ रहा ऐसा क्यों हो रहा है. क्या कोई चिंता करने वाली बात हैं?

जवाब-

महिलाओं को वैजाइनल डिस्चार्ज होना आम बात है. इससे यह पता चलता है की बौडी के अंदर मौजूद ग्लैंड अच्छी तरह काम कर रहे हैं और हार्मोन्स बनने की प्रक्रिया भी नॉर्मल तरीके से चल रही है.

गायनोकोलौजिस्ट डौक्टर सुषमा के अनुसार व्हाइट डिस्चार्ज होने के कई कारण है जैसे –…

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10. नसबंदी कराने से मैरिज लाइफ पर कोई असर तो नहीं होगा?

personal problem in hindi

सवाल-

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब-

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

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7 Tips: परखिए अपने हमसफर का अपनापन

एक शख्स, जिस की खातिर मन जमाने से बगावत करने पर उतर आता है. हर आहट में उसी का खयाल आने लगता है. उसे पाने की हसरत जिंदगी का मकसद बन जाती है, बस, यही है मुहब्बत. आप का किसी को पूरी शिद्दत से चाहना ही काफी नहीं होता, जरूरी है कि वह भी आप के खयालों में गुम हो.

वैसे तो प्यार को परखने का कोई पैरामीटर नहीं होता, लेकिन निम्न बातों पर ध्यान दे कर आप कुछ हद तक अपने बौयफ्रैंड की हकीकत से रूबरू हो सकती हैं :

1. आप के प्रति उस का नजरिया

आप जब उस के साथ होती हैं तो आप के प्रति उस का नजरिया क्या होता है? यदि वह आप को समानता के स्तर पर रखता है तो यह सब से प्रमुख बात है. इस से यह जाहिर होता है कि मुसीबत के पलों में वह पल्ला नहीं झाड़ेगा. हमेशा आप का साथ देगा.

2. आप की कही बात पर उस की सोच

जब वह आप से बात करता है तो क्या वह जिंदगी के बारे में भी बातें करता है? अगर हां तो वह सही माने में गंभीर है, क्योंकि फ्लर्ट करने वाले अकसर मौजमस्ती की बातों को ही प्रमुखता देते हैं.

3. अपेक्षाएं जायज रखता है

क्या वह आप से आत्मीय सहयोग तथा अपनापन रखता है. कहीं ऐसा तो नहीं कि घूमनेफिरने या अकसर अकेले में घूमने की जिद करता है. न मानने पर डांट भी देता है. इस से न तो आप खुश रह सकती हैं और न ही वह.

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4. आप की सहेलियों से उस का व्यवहार

एक अच्छे इंसान की तरह पेश आता है या आशिक मिजाज के रूप में. इस से उस का चरित्र पता चलता है. स्त्रीपुरुष के परस्पर रिश्तों में ईमानदारी बरतना जरूरी है, क्योंकि यदि आप समाज और परिवार में रहते हैं तो उन के उत्तरदायित्वों का पालन करना आप का नैतिक कर्तव्य भी है. यदि आप के चोरीछिपे कहीं और रिश्ते हैं तो एक दिन आप की पोल खुलनी तय है.

5. आप का मूड खराब होने पर क्या करता है

कभीकभी सामान्य बातचीत में आप का मूड खराब हो जाता है तब क्या वह आप को खुश करने का प्रयास करता है या उसे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता या  उस की ईगो आड़े आती है कि मैं क्यों मनाऊं. समस्याएं तो जीवन का हिस्सा हैं, अत: उन का दोनों को ही डट कर मुकाबला करना चाहिए. मैं और तुम का चक्कर छोड़ हम पर महत्त्व देना चाहिए.

6. तारीफ भी जरूरी है

क्या वह आप का बर्थडे याद रखता है? अगर नहीं तो समझ लीजिए कि उस का प्रेम बनावटी है और ये ही छोटीछोटी बातें बाद में कई बार तनाव की वजह बन जाती हैं. वैसे भी सफल रिश्ते का मूलमंत्र है अपने जीवन साथी की तारीफ करना.

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7. सब से जरूरी बात

क्या वह आप पर भरोसा करता है या सुनीसुनाई बातों पर यकीन कर के झगड़ा मोल लेता है.

तो अब देखें क्या आप का भावी जीवन साथी आप की बातों पर खरा उतरता है. ये बातें दिखनेसुनने में भले ही सामान्य लगें, पर पूरे जीवन का सफल मूलमंत्र हैं.

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अपूर्ण: मंदार के आने के बाद क्या हुआ धारिणी की जिंदगी में

लेखिका- अर्चना पाटील

‘‘धारिणीआज पहली बार नौकरी के लिए बाहर निकली थी. रुद्र के गुजरने के बाद वाह बहुत अकेली ही थी. समीरा की जिम्मेदारी निभाते हुए वह थक जाती थी. समीरा के जिंदगी में पिता रुद्र की खाली जगह भी धारिणी को ही पूरी करनी पड़ती थी. नौकरी के कारण धारिणी की समस्याएं और भी बढ़ गईं. मगर घर में ऐसे कितने दिन बीतते? इसलिए नौकरी धारिणी की जरूरत बन गई थी. एक होस्टल में उसे रिसैप्शनिस्ट की नौकरी मिली थी. रोज रेल से आनाजाना सब से बड़ी समस्या थी, क्योंकि उसे इस की आदत नहीं थी. पहले दिन धारिणी का भाई सारंग साथ आया.’’

सारंग ने उस की अपने दोस्तों से पहचान करा दी, ‘‘दीदी, ये सब आप को मदद करेंगे… किसी को भी पुकारो.’’

‘‘जरूर, टैंशन मत लो मैडम,’’ दोस्तों के गु्रप से आवाज आई.

‘‘दीदी, ये मंदार शेटे. ये और आप ट्रेन से साथसाथ ही उतरोगे. शाम को भी यह आप के साथ ही रहेंगे. चलो, मैं अब निकलता हूं.’’

‘‘हां, जाओ,’’ धारिणी थोड़ी नाराजगी

से बोली.

2 मिनट में ट्रेन आई. धारिणी महिलाओं के डब्बे में चढ़ने की कोशिश कर रही थी. सारंग के सभी दोस्त उसी डब्बे में चढ़ गए.

‘‘अरे, यह तो लेडीज डब्बा है… आप लोग इस डब्बे में कैसे?’’

‘‘ओ मैडम, हम यही रहते हैं. अपने गांव की ट्रेन में सबकुछ चलता है. यह मुंबई थोड़ी है,’’ मंदार बोला.

धारिणी चुप हो गई. मन ही मन आज का दिन अच्छा गुजरे ऐसी कामना करने लगी. जैसे

ही सावरगांव आया धारिणी और मंदार ट्रेन से नीचे उतरे, ‘‘चलो मैडम मैं आप को होटल तक छोड़ता हूं.’’

‘‘नहींनहीं, आप को क्यों परेशानी…’’

‘‘अरे, इस में किस बात की परेशानी. आप सारंग की बहन… सारंग मेरा अच्छा दोस्त है… मैं छोड़ता हूं आप को…’’

धारिणी का भी पहला दिन था. वह भी घबरा रही थी. मंदार के कारण उस ने खुद को थोड़ा हलका महसूस किया. इसलिए वह मंदार की गाड़ी में बैठ गई. वैसे दिन अच्छा ही गया. शाम रेलवे में उसे फिर मंदार मिला.

‘‘कैसा गया आज का दिन धारिणी… सौरी मैं जरा जल्द ही नाम से पुकारने लगा.’’

‘‘नहीं इट्स ओके. आप पुकारें नाम से. मैं गुस्सा नहीं होऊंगी.’’

दोनों घर पहुंचे. दूसरे दिन वही किस्सा. धीरेधीरे धारिणी और मंदार अच्छे दोस्त

बने. सुबहशाम मंदार और धारिणी रेल में मिलते थे. कभीकभार मंदार धारिणी को होटल तक छोड़ने के लिए भी आता था, तो कभी लेने के लिए आता था. रातबेरात व्हाट्सऐप पर उन का चैटिंग भी चलता था. धारिणी सभी समस्याएं मंदार के साथ शेयर करती थी.

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‘‘जाने भी दो, कुछ नहीं होगा…’’ इन लफ्जों में मंदार धारिणी को समझता था.

धारिणी के लिए मंदार उस की स्ट्रैस रिलीफ की दवा था, समीरा, मांपिताजी, सारंग ये सभी रुद्र की खाली जगह भरने के लिए असमर्थ थे. लेकिन मंदार रुद्र की तरह मानसिक सहारा देता था. मंदार के कारण धारिणी फिर से संजनेसवरने लगी, हंसने लगी, अच्छे कपड़े पहन के घूमने लगी. उस के लिए वह अच्छा दोस्त था. बाइक पर कभीकभी वह उस के कंधे पर हाथ रखती थी. बोलतेबोलते अनजाने में पीठ पर चपत मारती थी. मगर ये सब एक अच्छा दोस्त होने के नाते ही होता था. 6-7 महीने अच्छे बीत गए. एक दिन सावरगांव उतर दोनों ने चाय पी.

‘‘तुम बहुत बातें करती हो मुझ से. ऐसा क्यों?’’

‘‘तुम अच्छे लगते हो मुझे. मुझे तुम्हारे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है. मुझे तुम्हारी पर्सनैलिटी भी बहुत अच्छी लगती है. रेल में नहीं बोल सकती सब के सामने. इस वक्त हम दोनों ही हैं, इसलिए बता रही हूं.’’

‘‘अरे बाप रे, क्या खा कर निकली हो

घर से?’’

‘‘कुछ नहीं, जो सच है वही बता रही हूं,

तुम से जो लड़की ब्याह करेगी वह सचमुच खुशहाल रहेगी.’’

‘‘हां, यहां से 35 किलीमीटर पर गुफाएं हैं. चलोगी देखने?’’

‘‘पागल हो गए क्या? मैं ने घर पर नहीं बताया. किसी कारण विलंब हुआ तो मांबाबूजी चिंता करेंगे.’’

‘‘नहीं, विलंब नहीं होगा, ट्रेन से तुम रात

9 बजे तक  घर पहुंच जाएगी.’’

‘‘मांबाबूजी क्या कहेंगे?’’

‘‘तुम मेरे साथ गुफा देखने जा रही हो यह मत बताना उन को. एक दिन झठ बोलेगी तो क्या फर्क पड़ने वाला है. पिछले 6 महीनों से मैं ने कुछ मांगा तुम से? थोड़ा घूम के आएंगे… तुम्हें चेंज मिलेगा. तुम्हारे लिए कह रहा हूं… मैं तो हजारों बार गया हूं वहां.’’

‘‘नहीं, मैं काम पर जाती हूं.’’

‘‘हां जाओ. अभी कह रही थी कि तुम्हारे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है. जब वक्त आया तो घबरा रही हो.’’

‘‘अरे, मुझे अच्छा लगता है तो क्या मैं तुम्हारे साथ पूरे गांव में कहीं भी घुमूं क्या?’’

‘‘ठीक है, यहां मेरा और सारंग का एक दोस्त रहता है. शाम को उस के बच्चे को देखने तो चलोगी न?’’

‘‘ट्रेन जाएगी फिर?’’

‘‘मैं छोड़ दूंगा तुम्हें तुम्हारे घर पर मेरी मां… इस बारे में पहले ही सोचा है मैं ने.’’

‘‘ठीक है, हो के आएंगे,’’ धारिणी ने मंदार नाराज न हो, इसलिए हामी भर दी.

‘‘1 घंटा जल्दी निकलना ताकि तुम्हें घर पहुंचने में देर न हो.’’

‘‘हां बाबा, कोशिश करूंगी.’’

शाम को धारिणी हमेशाकी तरह 4 बजे होटल के बाहर आ कर खड़ी हो गई. मंदार उस का ही इंतजार कर रहा था.

धारिणी ने बाइक पर बैठते हुए पूछा, ‘‘कहां रहता है तुम्हारा दोस्त?’’

आखिरकार गाड़ी एक घर के पास रुकी. घर को ताला लगा था. आसपास खेत फैले थे. जगह सुनसान थी. लोगों की बस्ती नहीं थी और चहलपहल भी नहीं थी.

‘‘इस घर को ताला क्यों लगा है मंदार?’’

‘‘चाबी मेरे पास है. आओ अंदर चलते हैं.’’

‘‘मगर क्यों? मुझे घर छोड़ दो.’’

‘‘बावली हो क्या? कभी न मिलने वाला एकांत मिला है हमें. आधा घंटा बैठेंगे, फिर निकलेंगे.’’

‘‘मैं नहीं जाउंगी अंदर.’’

‘‘देखो, तुम पहले आंखें बंद कर के खड़ी रहो. मैं सिर्फ एक जीभर के किस लूंगा और फिर निकलेंगे. तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है क्या?’’

‘‘देखो मंदार, तुम मुझे दोस्त की हैसीयत से अच्छे लगते हो. लेकिन इस बात के लिए मेरी नजदीकी सिर्फ रुद्र से थी और मरते दम तक उस से ही रहेगी.’’

‘‘लेकिन मुझे भी तुम अच्छी लगती हो और अगर मुझे तुम्हें स्पर्श करने को दिल करता है, तो इस में गलत क्या है?’’

‘‘शायद मेरी ही गलती… मुझे तुम से दूर रहना चाहिए था.’’

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‘‘अरे सुनो तो, खाली 1/2 घंटा है हमारे पास. क्यों वक्त जाया कर रही हो? ऐसी कौन सी धनदौलत मांग रहा हूं तुम से…’’

‘‘माफ करना… मैं अगर अपनी मर्यादा समझती तो शायद तुम्हें गलतफहमी

न होती अपनी रिलेशनशिप पर… अब तो मेरी ट्रेन भी छूट गई होगी… मुझे सहीसलामत घर पहुंचा दो.’’

‘‘ओह मेरी मां. तुम टैंशन मत ले. तुम्हारी रजामंदी के सिवा मैं कुछ नहीं करूंगा,’’ कह मंदार ने जल्दी बाइक को किक लगाई. 8 बजे गाड़ी घर के सामने खड़ी थी. बाइक की स्पीड और मंदार का गुस्सा साथसाथ चल रहे थे. मगर रास्ते में दोनों एकदूसरे से एक लफ्ज तक नहीं बोले. घर आते ही धारिणी जल्दीजल्दी चलने लगी.

‘‘ओ मैडम, आप को बिना स्पर्श किए घर तक छोड़ा है मैं ने. आप जीत गईं, मैं हारा. मैं ही पागल था, जो हर वक्त आगेपीछे घूमता था. मेरी एक इच्छा पूरी करती, तो कौन सा पहाड़ टूट जाता… मैं कुछ सोने के लिए नहीं कह रहा था मेरे साथ. मैं भी अपनी मर्यादा जानता हूं मैडम.’’

‘‘मंदार, प्लीज इस तरह मुझ से बात मत करो. आखिरकार संस्कार भी कोई चीज होती है या नहीं? इस बात के लिए मेरा मन कभी भी राजी नहीं होगा. तुम्हारे कारण रुद्र के जाने के बाद मैं ने फिर से जीना सीखा. मगर तुम्हें अगर सिर्फ मेरा स्पर्श ही चाहिए, तो मुझ से फिर कभी मत मिलना.’’

‘‘यह भी कहती हो कि तुम मुझे अच्छे लगते हो… पगली स्पर्श करने से ही प्यार व्यक्त होता है.’’

‘‘मंदार मेरे तन पर केवल रुद्र का अधिकार था और रहेगा. तुम जो कह रहे हो वह मेरे संस्कार में कभी नहीं बैठेगा… मेरी सोच कुछ ऐसी ही है.’’

‘‘फिर एक बार गौर करना मेरे कहने पर… मैं इंतजार करूंगा तुम्हारा.’’

‘‘मंदार, तुम्हारी इस साल शादी होने वाली है. तुम्हारी पत्नी को क्या मुंह दिखाऊंगी मैं? तुम मेरे दोस्त हो. शायद उस से भी बढ़ कर हो. मगर हर चीज पूरी होनी ही चाहिए ऐसा नहीं होता. मेरे दोस्त, इसलिए आज से मैं तुम्हें कभी भी परेशान नहीं करूंगी… हम दोनों इस के बाद कभी नहीं मिलेंगे. अगर मेरे कारण तुम्हारा दिल टूट गया होगा, तो मुझे माफ कर देना.’’

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परिवारवाद पर कटाक्ष

घर का काम पीढिय़ों तक चलता आए, यह सिद्धांत हिंदू धर्म और हिंदू कानून की देन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि परिवारों से चलती हुई राजनीतिक पार्टियां संविधान की भावना के विरुद्ध हैं घर वही नरेंद्र मोदी उस हिंदू भारतीय संस्कृति के गुण गाते अघाने नहीं हैं जिस में बारबार परिवारों का व्याख्यान है.

सगर राजा की कहानी को लें जिसे विश्वमित्र ने सुनाई. सगर अयोध्या का राजा था. उस की 2 पत्नियां थीं. 100 वर्ष (!) तप करने पर उसे वरदान मिला, और एक के एक पुत्र असमंजस पुत्र हुआ और दूसरी के एक लूंबी उत्पन्न हुई जिसे फोडऩे से 6000 पुत्र निकले. अब राजा सगर का बड़ा पुत्र असंमजस दृष्ट निकला और वह लोगों को और अपने भाइयों तक को पानी में फेंक कर खुश होना पर उस का पुत्र अंशुमन सज्जन निकला. इसी राजा समर ने एक यज्ञ करने का फैंसला लिया और उस में इंद्र ने यज्ञ के पवित्र अश्व को चुरा लिया. उस को ढूंढऩे 60000 पुत्र ही निकले.

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जब हमारे नेता धर्मग्रंथों पर अपाध श्रद्धा करते हुए उन का बखान करते हैं, उन के चमत्कारों को वैज्ञानिक खोज बताते हैं तो परिवारों को कैसे दोष दे सकते हैं. जब महाभारत का युद्ध जनता के हित के लिए नहीं राजाओं के पुत्रों के लिए हुआ हो तो उस की आलोचना कैसी की जा सकती है.

प्रधानमंत्री को विपक्षी दलों के बारे में सब कुछ बोलने का राजनीतिक अधिकार है पर नैतिकता कहती है कि आज जो बोलो, उस पर टिके और टिके रहो. सिर्फ बोलने के लिए मंहगाई का ‘म’ न बोलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह की आलोचना जनसभाओं में करने वाले अपनी मंहगाई न रोकने पर कांग्रेस का परिवारबाद पर भाषण नहीं दे सकते जबकि उन्हीं की पार्टी में मेनका गांधी और वरुण गांधी सांसद हैं. जब वे गांधी परिवार के महत्व को समझ रहे हैं तो कांग्रेस या समाजवादी या अन्य दलों को दोष कैसे दे सकते हैं.

भारतीय जनता पार्टी की शिवसेना लंबे समय सहयोगी रही जो बाल ठाकरे के बाद बेटे उद्धव ठाकरे के हाथों में है. परिवार के बिना पार्टियां चल सकती हैं यह पश्चिम के लोकतंत्र स्पष्ट कर रहे हैं पर भारत तो अपने पुराने ढोल पीटता रहता है, वह कैसे परिवारों को दोष दे सकता है?

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Winter Special: आंवले से बनाएं ये 3 टेस्टी रेसिपीज

सुपर फ़ूड कहा जाने वाला आंवला (अंग्रेजी में गूजबेरी) विटामिन सी से भरपूर होता है. 100 ग्राम ताजे आंवले में 20 सन्तरों के बराबर विटामिन सी पाया जाता है. आंवले में विटामिन सी के साथ साथ फायबर, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और आंखों तथा पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं. आंवले को आप चटनी, मुरब्बा, जूस और कैंडी के रूप में अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. आज हम आपको आंवले से बनने वाली कुछ रेसिपीज बता रहे हैं जिनके बनाकर आप आंवले को अपनी डाइट में शामिल कर सकतीं हैं. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-बेसनी आंवला

कितने लोगों के लिए       6

बनने में लगने वाला समय    20 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

आंवले                         250 ग्राम

तेल                             1 टेबलस्पून

बारीक कटी प्याज          1

बारीक कटी लहसुन         4 कली

कटी अदरक                    1 छोटी गांठ

कटी हरी मिर्च                  4

राई                                1/4 टीस्पून

हल्दी पाउडर                   1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर             1/2 टीस्पून

धनिया पाउडर                   1/2 टीस्पून

गरम मसाला                      1/4 टीस्पून

बारीक कटा हरा धनिया      1 टीस्पून

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विधि

आंवले को 1/2 कप पानी के साथ प्रेशर कुकर में डालकर तेज आंच पर 1 सीटी ले लें. ठंडा होने पर इनकी कलियां अलग कर लें. अब गर्म तेल में प्याज, लहसुन, अदरक और हरी मिर्च भूनकर राई व हल्दी डालकर भूनें. आंवले की कलियां , नमक और समस्त मसाले डालकर चलाएं. अब भुना बेसन डालें और खोलकर धीमी आंच पर लगभग 7 मिनट तक भूनें. गैस बंद करके तैयार सब्जी परांठा, पूरी या रोटी के साथ सर्व करें.

-आंवले की तीखी चटनी

कितने लोगों के लिए           8

बनने में लगने वाला समय      20 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

आंवले                               250 ग्राम

शकर                                  1 टीस्पून

काला नमक                         1/2  टीस्पून

कश्मीरी लाल मिर्च                 1 टेबलस्पून

तेल                                      2 टीस्पून

दालचीनी पाउडर                   1/4 टीस्पून

राई                                    1/4 टीस्पून

साबुत लाल मिर्च                   2

विधि

आंवले को 1 टेबलस्पून पानी के साथ प्रेशर कुकर में डालकर तेज आंच पर 2 सीटी ले लें. ठंडा होने पर कलियां निकालकर मिक्सी में ग्राइंड कर लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में 1 टीस्पून तेल गरम करके 2-3 मिनट तक आंवले को भूनें. कश्मीरी लाल मिर्च, शकर, नमक और दालचीनी पाउडर डालकर 5 मिनट तक धीमी आंच पर चलाते हुए पकाएं. शेष बचे 1 टीस्पून तेल को गर्म करके राई और साबुत लाल मिर्च डालें और इस बघार को तैयार चटनी में मिलाएं. आंवले की तीखी चटनी तैयार है.

-चटपटी आंवला कैंडी

कितने लोगों के लिए           10

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

आंवला                           1 किलो

शकर                              1 किलो

काला नमक                      1 टीस्पून

काली मिर्च पाउडर             1 टीस्पून

अनारदाना पाउडर               1 टीस्पून

विधि

प्रेशर कुकर में 1 टी स्पून तेल डालकर आंवलों को डाल दें. प्रेशर कुकर की सीटी निकाल दें और धीमी आंच पर 15 मिनट तक पकाएं. ठंडा होने पर आंवले की कलियां निकालकर दो हिस्सों में काट लें. इन कटे आंवलों को एक प्लास्टिक या कांच के डिब्बे में डालकर ऊपर से शकर डाल दें. अच्छी तरह चलाकर ढक्कन बंद करके 3 दिन तक धूप में रखें. हर रोज हिलाती रहें ताकि शकर पूरी तरह घुल जाए. चौथे दिन छलनी से छानकर पानी निकाल दें. अब आंवले की कलियों को दो दिन तक धूप में सुखाएं. तीसरे दिन इसमें नमक, काली मिर्च और अनारदाना पाउडर मिलाएं और पुनः 3-4 दिन तक धूप में सुखाएं. एयरटाइट डिब्बे में भरकर साल भर तक प्रयोग करें.

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उम्र के अनुसार खाने में ऐसे शामिल करें पनीर

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

पनीर और इससे बने सभी व्यंजन लोगों को पसंद होते हैं. यह न केवल प्रोटीन और कैल्शियम बल्कि शरीर में विटामिन -डी की कमी को भी पूरा करता है. पनीर में शॉट चेन फैट के रूप में फैटी एसिड होते हैं, जो आसानी से पच जाते हैं. इससे फैट शरीर में बहुत जल्दी जमा नहीं होता और शरीर को ऊर्जा देने के लिए टुकड़ों में टूट जाता है, जिससे वजन नहीं बढ़ पाता. बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन पनीर के नियमित सेवन से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. यह शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है और शरीर में बेहतर इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है. पनीर में मौजूद विटामिन बी न केवल बढ़ते बच्चों के विकास में मददगार है, बल्कि एकाग्रता और यादाश्त में सुधार करके मास्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. वहीं पनीर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोरिस को रोकने में मददगार है. चूंकि पनीर के इतने सारे स्वास्थ्य लाभ  हैं, इसलिए सभी अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तो आइए जानते हैं उम्र के अनुसार इसे अपने आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है.

6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए-

पनीर एक पौष्टिक शिशु आहार है. आप बेबी फूड जैसे गाजर की प्यूरी, सेब की प्यूरी आदि में थोड़ा सा पनीर का पेस्ट मिलाकर बच्चे को दे सकते हैं. ध्यान रखें बच्चे को इसे बहुत कम मात्रा में दिया जाना चाहिए.

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बढ़ते बच्चों के लिए –

बढ़ते हुए बच्चों को अपने दैनिक आहार में कार्बोहाइड्रेट के साथ पोषक तत्वों से भरपूर आहार की जरूरत होती है. ऐसे में अपने बढ़ते बच्चों के लिए पनीर के भरवां पराठे बना सकते हैं. बच्चों के लिए दिन की शुरूआत करने का यह एक हाई कार्ब नाश्ता है. आप चाहें, तो तले हुए पनीर के टुकड़ों और सब्जियों के साथ गेहूं की ब्रेड की सैंडविच बनाकर उन्हें खिला सकते हैं. पनीर टिक्का और पनीर रोल जैसे स्टाटर्स भी बच्चों को पौष्टिक भोजन देने का एक बेहतरीन विकल्प है.

वयस्कों के लिए –

दिल की बीमारियों को दूर करने के साथ ब्लड प्रेशर कम करने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि पनीर हर वयस्क के आहार का हिस्सा होना चाहिए. विशेषज्ञ कहते हैं कि वयस्क को अपने भोजन के विकल्प चुनते समय पनीर के साथ बहुत सारी सब्जियां शामिल करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि वयस्कों में चयापचय दर बच्चों की तुलना में बहुत कम होती है. ऐसे में पनीर के साथ सब्जियों को शामिल करने से भोजन को पचाना बेहद आसान हो जाता है. आप सब्जी, पुलाव, हरे पत्तेदार सलाद में पनीर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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बुजुर्गों के लिए –

पनीर को पचाना बेहद आसान होता है. चूंकि बेहतर पाचन के लिए मैग्नीशियम और फास्फोरस दोनों की जरूरत  होती है, इसलिए पनीर बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा पौष्टिक भोजन है. हालांकि, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस उम्र में आंत के स्वास्थ्य से समझौता करने के कारण इसका कैसे और कितना सेवन करना है. विशेषज्ञों की सलाह है कि बुजुर्ग लोगों के लिए पनीर को बहुत कम तेल और मसालों के साथ हल्के तरीके से पकाना चाहिए. हो सके, तो पनीर के साथ दही न दें. ध्यान रखें बुजुर्गों को ज्यादा से ज्यादा घर का बना पनीर देना फायदेमंद साबित होता है.

पनीर हर आयु वर्ग के लिए बहुत फायदेमंद है. इसलिए हर किसी को नियमित रूप से इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए.

ट्रस्ट एक कोशिश: भाग 2- क्या हुआ आलोक के साथ

लेखिका- अर्चना वाधवानी   

उफ, बाऊजी ने मुझे इतनी अच्छी परवरिश दी थी लेकिन लानत है मुझ पर जो आखिरी समय उन की सेवा न कर सकी. वह लाड़ करते  हुए मुझ से कहते थे कि किसी ने सच ही कहा है कि बेटी सारी जिंदगी बेटी ही रहती है. लेकिन मैं ने क्या फर्ज पूरे किए बेटी होने के?

आलोक ने मुझे बहुत समझाया कि इस सब में मेरी कोई गलती नहीं थी. हमें यदि समय पर खबर की जाती और तब भी न पहुंचते तब गलत था. उन की बातें ठीक थीं लेकिन दिल को कैसे समझाती.

बहुत गुस्सा था मन में भाइयों के लिए. बाऊजी की क्रिया थी. पगड़ी की रस्म के बाद आलोक किसी जरूरी काम से चले गए पर मैं वहीं रुकी थी. जब सब लोग चले गए तो मैं जा कर भाइयों के पास बैठ गई.

‘भैया, आप लोगों ने मुझे खबर क्यों नहीं की? बाऊजी आखिरी समय तक मेरी राह देखते रहे.’

‘नैना, जो बात करनी है, हम से करो,’ तीखा स्वर गूंजा तो मैं चौंक पड़ी. सामने दोनों भाभियां लाललाल आंखों से मुझे घूर रही थीं.

मैं थोड़ी सी अचकचा कर बोली, ‘भाभी, क्या बात हो गई. आप सब मुझ से नाराज क्यों हैं?’

‘पूछ रही हो नाराज क्यों हैं? पता नहीं तुम ने बाबूजी को क्या पट्टी पढ़ा दी कि उन्होंने हमारा हक ही छीन लिया,’ जवाब में छोटी भाभी बोलीं तो मैं तिलमिला गई.

बस, फिर क्या था, दोनों भाभियों ने मुझे खूब खरीखोटी सुनाईं और उस का सार था कि बाऊजी ने मेरे बहकावे में आ कर मकान में मेरा भी हिस्सा रखा था. बाऊजी के इलाज पर खर्चा उन लोगों ने किया, सेवा उन लोगों ने की इसीलिए केवल उन लोगों का ही मकान पर हक बनता था.

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मैं ने भाइयों की ओर देखा तो बडे़ भाई विजय मुझ से नजरें चुरा रहे थे. इस का मतलब था कि मकान के गुस्से में आ कर इन लोगों ने मुझे बाऊजी के बीमार होने की खबर नहीं की थी.

मैं ने बाऊजी की तसवीर की ओर देखा, वह मुसकरा रहे थे. इस से पहले कि मैं कुछ बोल पाती, छोटी भाभी ने ऐसी बात कह दी कि मेरे पांव तले की जमीन खिसक गई. उन्होंने कड़वाहट से कहा, ‘पता नहीं बाबूजी को बाहर वालों पर इतना तरस क्यों आता था. न जात का पता न मांबाप का, बस, ले आए उठा कर.’

मुझ से और नहीं सुना गया. मैं उठ खड़ी हुई. मेरे दोनों बडे़ भाई एकदम से मेरे पास आ कर बोले, ‘नैना, दरअसल हम पर बहुत उधार है और मकान बेच कर हम यह उधार चुकाएंगे, इसलिए ये दोनों परेशान हैं. हम ने तो इन से कहा था कि नैना को हम अपनी परेशानी बताएंगे तो वह हमारे साथ रजिस्ट्रार आफिस जा कर ‘रिलीज डीड’ पर साइन कर देगी. ठीक कहा न?’

सच क्या था, मैं अच्छी तरह समझती थी. मैं मरी सी आवाज में केवल यही पूछ पाई कि कब चलना है, और अगले ही दिन हम रजिस्ट्रार आफिस में बैठे हुए थे.

मेरे आगे कई कागज रखे गए. मैं एकएक कर के सब कागजों पर अंगूठा लगाती गई और अपने हस्ताक्षर भी करती गईर्र्र्र्. हर हस्ताक्षर पर भाई का प्यारदुलार, मेरा रूठना उन का मनाना मेरी आंखों के आगे आता चला गया. वहीं बैठे एक आदमी ने जब मुझ से उन कागजों को पढ़ने के लिए कहा, तो मेरा मन भर आया था. क्या कहती उस से कि मेरा तो मायका ही सदा के लिए छिन गया. बाऊजी क्या गए सब ने मुंह ही फेर लिया. भाभियां तो फिर पराई थीं लेकिन भाइयों की क्या कहूं. वे भी पराए हो गए.

भाइयों को जो चाहिए था वह उन्हें मिल गया लेकिन मेरा सबकुछ छिन गया. मेरे बाऊजी, मेरा मायका, मेरा बचपन. लगा, जैसे अनाथ तो मैं आज हुई हूं.

शायद मैं यानी नैना, जिस पर बाऊजी कितना गर्व करते थे, उस रोज टूट गई थी. घर पहुंची तो आलोक कहीं फोन मिला रहे थे.

‘कहां चली गई थीं तुम? पता है कहांकहां फोन नहीं किए?’ वह चिल्ला पडे़ लेकिन मेरी हालत देख कर कुछ नरम पड़ते हुए पूछा, ‘नैना, कहां थीं तुम?’

क्या कहती उन्हें. वह मेरे पास आए और बोले, ‘तुम्हारे वर्मा चाचाजी ने यह पैकेट तुम्हारे लिए भिजवाया था.’

मैं चुपचाप बैठी रही.

वह आगे बोले, ‘लाओ, मैं खोल देता हूं.’

वह जब पैकिट खोल रहे थे तो मैं अंदर कमरे में चली गई.

कुछ देर बाद वह भी मेरे पीछेपीछे कमरे में आ गए और बोले, ‘नैना, आखिर बात क्या हुई. कल से देख रहा हूं तुम हद से ज्यादा परेशान हो.’

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कब तक छिपाती उन से. वैसे छिपाने का फायदा क्या और बताने में नुकसान क्या. रिश्ता तो उन लोगों ने लगभग तोड़ ही दिया था. मैं ने आलोक को एकएक बात बता दी.

वह कुछ देर के लिए सन्न रह गए. कुछ देर बाद बोले, ‘नैना, कितना सहा तुम ने. तुम्हें क्या जरूरत थी उन लोगों के साथ अकेले रजिस्ट्रार आफिस जाने की. मुझे इस लायक भी नहीं समझा. कल रात से मैं तुम से पूछ रहा था लेकिन तुम ने कुछ नहीं बताया. वहां से इतना कुछ सुनना पड़ा फिर भी उन लोगों की हर बात मानती चली गईं. द फैक्ट इज, यू डोंट ट्रस्ट मीं. सचाई तो यह है कि तुम्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं है,’ कह कर वह दूसरे कमरे में चले गए.

जेहन में जैसे ही भरोसे की बात आई मुझे लगा जैसे किसी ने झकझोर कर मुझे जगा दिया हो. मैं अतीत से निकल वर्तमान में आ गई.

‘‘आलोक, क्या कह रहे हैं आप. मैं आप पर भरोसा नहीं करती.’’

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