जानें क्या हैं 7 होम इंटीरियर ट्रैंड्स

होम डैकोर में आजकल मिनिमलिस्टिक डिजाइन सब से ज्यादा चलन में है. आप अपने इंटीरियर का थीम जो भी रखें, आप का अप्रोच मिनिमलिस्टिक डिजाइन होगा तो आप का घर ट्रैंडी नजर आएगा. इस में सभी चीजें कम रखी जाती हैं फिर चाहे कलर हो, फर्नीचर हो या डिजाइनर पीस. मिनिमलिस्टिक डिजाइन में कमरे थोड़े खालीखाली लेकिन ऐलिगैंट नजर आते हैं. अधिकतर लोग इस के साथ घर में सफेद रंग का पेंट कराना पसंद करते हैं. अगर दूसरे रंग भी चुने जाते हैं तो उन की टोन म्युटेड रखी जाती है. मिनिमलिस्टिक डिजाइन पैटर्न और नियो क्लासिकल थीम डिजाइन सब से ज्यादा ट्रैंड में हैं, जिन में मौडर्न और क्लासिकल का ब्लैंड होता है.

झूमर

पहले झूमर राजामहाराजाओं और रईसों के महलों और हवेलियों में ही लगते थे, लेकिन 21वीं सदी में झूमर होम डैकोरेशन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं.

इस की 2 मुख्य वजहें हैं- पहली तो लोग अपने घरों को सजाने के लिए पैसे खर्च करने को तैयार हैं, दूसरी अब बाजार में ट्रैडिशनल के साथसाथ लेटैस्ट डिजाइन के झूमर भी मिल रहे हैं. ये झूमर नियो क्लासिक होम डैकोर के साथ घर को अच्छा लुक देते हैं.

पेंटिंग

आजकल इंटीरियर पेंटिंग में सफेद, पिस्ता ग्रीन, लाइट ग्रे, डार्क ग्रीन, सौफ्ट क्ले, लाइट ब्लू, मस्टर्ड, मिस्ट (पेस्टल ब्लू और ग्रीन का मिक्स), मशरूम कलर, लाइट ग्रे, ग्रीन आदि रंगों का ट्रैंड चल रहा है.

वैसे बोल्ड रंग भी काफी चलन में हैं. अगर आप अपने घर या औफिस को थोड़ा जीवंत लुक देना चाहते हैं तो बोल्ड रंगों का चयन करने में हिचकिचाएं नहीं. बोल्ड रंग कमरों को डैप्थ और टैक्सचर देते हैं. वैसे आजकल इंटीरियर पेंटिंग में ब्लैक रंग भी ट्रैंड में है, लेकिन इन बोल्ड रंगों की टोन म्युटेड रखी जाती है. आजकल ग्लास, साटिन, एग शेल, मेट टैक्सचर चलन में हैं.

ये भी पढ़ें- निजामों का शहर हैदराबाद, अगर जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमें

इनडोर वर्टिकल गार्डन

इनडोर वर्टिकल गार्डन भी काफी चलन में हैं. आज इन्हें लगाना भी काफी आसान हो गया है. ये आप की दीवारों को एक अलग ही लुक और टैक्सचर देते हैं. ये आकर्षक तो लगते ही हैं, थर्मल इंसुलेटर की तरह भी काम करते हैं. गरमियों में ये कमरे को ठंडा और सर्दियों में गरम रखते हैं.

डबल हाइट स्पेसेज

अगर आप नई कंस्ट्रक्शन करा रहे हैं तो आप डबल हाइट स्पेसेज का कौंसैप्ट चुन सकते हैं. इस में जगह बड़ी लगती है. सामान्यत: छत

9-11 फुट की ऊंचाई पर होती है. डबल हाइट सीलिंग में इस से दोगुनी से थोड़ी कम या ज्यादा ऊंचाई पर हो सकती है.

इस में डबल हाइट विंडो लगाई जा सकती है, जिस से अंदर नैचुरल लाइट अधिक आएगी और वैंटिलेशन भी बेहतर रहेगा. अंदर लाइट अच्छी आने से दीवार पर जो भी लगाएंगे उस का लुक अच्छा आएगा. डबल हाइट बालकनी भी बनाई जा सकती है, जिस में आप हैंगिंग लाइट्स और प्लांट्स लगा सकते हैं. इस से न केवल बालकनी का लुक बेहतर होता है बल्कि पूरे घर की खूबसूरती भी बढ़ जाती है.

ऊंचीऊंची दीवारों पर पेंटिंग्स और आर्ट पीस लगाए जा सकते हैं. बड़ेबड़े दरवाजों के साथ ये बहुत ही ग्रांड लुक देते हैं. डबल हाइट स्पेसेज में ट्रैडिशनल झूमर बहुत ही रौयल लुक देते हैं.

प्लांट्स ऐंड फ्लौवर्स

वैसे तो होम डैकोर में पौधों और फूलों का खास महत्त्व हमेशा से ही रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इन का इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ गया है. ये घर का आकर्षण बढ़ाने के साथ ही उसे नैचुरल लुक भी देते हैं. इंडोर प्लांट्स एक प्राकृतिक रूम फ्रैशनर की तरह काम करते हैं.

आप इन्हें बालकनी और टैरेस में भी लगा सकते हैं. टैरेस गार्डन की हरियाली रंगबिरंगे फूलों, ताजा हवा और खुले आसमान के साथ एक प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराती है.

वार्डरोब डिजाइनिंग

फ्लूटेड और फैब्रिक फिनिश ग्लास अभी जो नियो क्लासिकल ट्रैंड चल रहा है, उस में 19वीं सदी में प्रचलित फ्लूटेड ग्लासेज फिर से चलन में आ गए हैं. ये स्टाइलिश होने के साथसाथ नाजुक और सुंदर भी लगते हैं.

आप इन्हें वार्डरोब डिजाइनिंग और स्लाइडिंग डोर में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये इनडोर प्राइवेसी के लिए प्राइवेसी स्क्रीन की तरह भी इस्तेमाल किए जाते हैं. इसलिए इन्हें बैडरूम स्टडी, बैडरूम ड्रैसिंगरूम में पार्टिशन के लिए भी लगाया जाता है. ये शावर स्क्रीन के रूप में भी काम करते हैं. सेमीओपन किचन विंडो में ये बहुत ही ऐलिगैंट लुक देते हैं.

फ्लूटेड ग्लासेज के अलावा फैब्रिक फिनिश ग्लास भी काफी चलन में हैं. इन में पतलीपतली फैब्रिक की जाली को 2 ग्लासेज के बीच में सैंडविच कर दिया जाता है. इस में जो जाली इस्तेमाल होती है वह अलगअलग रंगों और डिजाइनों की हो सकती है. आप अपने घर के थीम और जरूरत के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं.

-रेशम सेठी

आर्किटैक्ट, ग्रे इंक स्टूडियो

ये भी पढ़ें- घर को सजाने में चार चांद लगाती ये 4 लाइट्स

मैं वजन कम करना चाहता हूं, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मुझे अस्थमा की शिकायत है तथा मेरा वजन 90 किलोग्राम है. मैं वजन कम करना चाहता हूं. इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब- 

आप रोज जिम जा कर ऐक्सरसाइज करें. सही तरीके से ऐक्सरसाइज करने से आप के अस्थमा के लक्षणों में कमी आ सकती है. व्यायाम से लंग्स कपैसिटी बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा फेफड़ों की सूजन भी कम होगी. इस से आप के फेफड़े अच्छा काम करेंगे और आप का इम्यून सिस्टम बूस्ट होगा. इस से आप को सर्दीजुकाम कम होगा. ऐक्सरसाइज से वजन कम होता है जिस से अस्थमा अटैक के चांस कम होते हैं.

ये भी पढ़ें- 

अस्थमा की बीमारी एक सामान्य और लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है. वेस्ट इंडिया के लोगों में ये बीमारी हर 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है. एक शोध से पता चला है कि अस्थमा मोटे लोगों को ज्यादा होता है. यदि ठीक से व्यायाम किया जाए और रोज के खाने में प्रोटीन, फलों और सब्जियों का सेवन किया जाए तो अस्थमा के रोगियों की हालत में सुधार लाया जा सकता है.

अस्‍थमा या दमा फेफड़ो को प्रभावित करती है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है. आस्थमा अटैक कभी भी कहीं भी हो सकता है. आस्थमा अटैक तब होता है जब धूल के कण आक्सीजन ले जाने वाली नलियों को बंद कर देते हैं. आस्थमा के अटैक से बचने के लिए जितनी जल्‍दी हो सके दवाईयों या इन्‍हेलर का प्रयोग किया जाना चाहिए.

दमे के दौरान अपनाएं ये उपाय

दमे के मरीजों को चावल, तिल, शुगर और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए. ताजे फलों का रस दमे को रोगी के लिए बेहद फायदेमंद है. उन्हें हरी सब्जियां और अंकुरित चने जैसे खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में ले और भूख से कम ही खाना खाये. दिनभर में कम से कम दस गिलास पानी पीये. तेज मसाले, मिर्च अचार, अधिक चाय-काफी के सेवन से बचें. मरीज को रोजाना योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए. रोगी को एनीमा देकर उसकी आंतों की सफाई करनी चाहिए.

ब्रेकफास्ट में सर्व करें हेल्दी सोया परांठा

परांठा हर किसी को पसंद आता है, लेकिन अक्सर लोग आलू का परांठा खाना पसंद करते हैं, जो हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता. कहा जाता है आलू फैट बढ़ाने का काम करता है, वहीं डायबिटीज के मरीज को भी आलू न खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आपने आलू के परांठे की  बजाय सोयाबीन परांठा ट्राय किया है. सोयाबीन हेल्थ के साथ-साथ टेस्टी भी होता है. इसे आप अपनी फैमिली को ब्रेकफास्ट में बिना हेल्थ की चिंता किए खिला सकते हैं. तो आइए आपको बताते हैं सोया परांठा की टेस्टी रेसिपी.

हमें चाहिए

2 कप गेंहू का आटा

पानी आवश्यकतानुसार

नमक स्वादानुसार

6 चम्मच रिफाइन्ड औइल

1 कप क्रश किए हुए सोयाबीन

ये भी पढ़ें- फैमिली के लिए बनाएं कौर्न कोन

1 चम्मच कटा हुआ धनिया पत्ता

1 चौथाई चम्मच हींग

1 बारीक कटी हरी मिर्च

1 बड़ी प्याज बारीक कटी हुई

आधा चम्मच जीरा पाउडर

1 चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक

बनाने का तरीका

सबसे पहले सोया चंक्स को गर्म पानी में भिगो दें. थोड़ी देर बाद सोया चंक्स को निचोड़कर निकाल लें और मिक्सी में थोड़ा मोटा-मोटा पीस लें.

अब एक बोल में पिसे सोयाबीन को निकाल लें. इसमें आटा, रिफाइन्ड औइल और बाकी सभी मसाले डाल दें.

ये भी पढ़ें- घर पर बनाएं टेस्टी पंजाबी छोले

अच्छी तरह से गूंथकर आटा लगा लें. अब इसे 15-20 मिनट के लिए एक तरफ रख दें. आटे की छोटी-छोटी लोई बनाएं.

अब गैस पर एक पैन गर्म करें. लोई को बेलकर परांठे का आकार दें और उसे पैन में डालें. ऊपरी परत पर औइल लगाएं और उसे पलट दें. दूसरी तरफ भी औइल की परत लगाएं और फिर परांठे को दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पकाएं. पक जाने पर अपनी फैमिली को ब्रेकफास्ट में चटनी या सौस के साथ गरमागरम परोसें.

वक्त की अदालत में: मेहर ने शौहर मुकीम के खिलाफ क्या फैसला लिया

family story in hindi

ऐसे निकालें बालों से हाईलाइट कलर

बालों को नया रंग देने या उन्हें हाईलाइट करने से आपकी पर्सनालिटी में निखार आता है. पर कभी-कभार बालों पर मन का रंग ना चढ़ने की वजह से सारा मूड खराब हो जाता है. ये रंग बड़े पक्के होते हैं और लगभग 6 महिने तक आपके बालों के साथ रहते हैं. पर बालों पर मन मुताबिक कलर ना हो पाया है तो इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपको उस गलती के साथ जीना पडेगा. अगर आपको लगता है कि आपके बालों का हेयर कलर आप पर बिल्कुल भी सूट नहीं करता तो उसे बिना कुछ सोंचे समझे निकाल डालिये. प्रस्तुत हैं ये टिप्स

1. विटामिन सी टेबलेट

बाजार से जा कर सबसे सस्ती विटामिन सी की टेबलेट्स खरीद कर ले आइये. उसके बाद करीबन 25-30 टेबलेट को पीस कर पानी के साथ पेस्ट बना लें. अब इसे हल्के हल्के अपने सिर पर लगा कर मालिश करें और 30 मिनट तक ऐसे ही रखने के बाद बालों को शैंपू से धो लें. ऐसा करने से बालों का रंग दो-तीन शेड हल्का हो जाएगा.

2. हौट आयल ट्रीटमेंट

इस ट्रीटमेंट को आप घर पर भी कर सकती हैं. इससे बाल जड़ से मजबूत होते हैं और बालों का कलर भी हल्का हो जाता है. लेकिन इस ट्रीटमेंट को एक हफ्ते में एक बार से ज्यादा ना करें.

ये भी पढ़ें- तेल मालिश के हैं फायदे अनेक, आप भी जानिए

3. लौन्ड्री डिटर्जेंट या साबुन

बालों से रंग को छुडा़ने के लिये अपने शैंपू में डिटर्जेंट या कपड़े धोने वाला साबुन मिला कर बाल धोएं. इस विधि को आप कई बार प्रयोग कर सकती हैं. ध्यान रहे कि इसमें ज्यादा ब्लीचिंक कंटेंट ना रहे वरना बालों को नुक्सान भी पहुंच सकता है.

4. दुबारा कलर करवाएं

सबसे अच्छा है कि आप अपने हेयर कलर पर फिर से दुबारा रंग चढवा लें. इस बार बालों पर वो रंग चढवाएं जो असली में आपके बालों के रंग से मेल खाता हो.

5. हेयर कलर रिमूवर

अगर आप आगे चल कर अपने बालों पर कोई कलर नहीं करवाना चाहती हैं, तो अच्छा होगा कि बाजार से कोई अच्छी कंपनी का हेयर कलर रिमूवर खरीद लें. ऐसा प्रोडक्ट लें जो बालों को नुकसान ना पहुंचाए और रंग भी निकाल दे.

ये भी पढ़ें- बालों को लहराने दें, कुछ ऐसे

6. हेयर स्टाइलिश से सपंर्क करे

भले ही आपने हेयर कलर घर पर लगाया हो या फिर पार्लर में, इसके बारे में अपनी हेयर स्टाइलिश को तुरंत सूचित करना जरुरी है. अगर आपके बालों पर हल्का रंग चढा है तो अच्छा होगा की उस पर कोई डार्क कलर करवा कर उसे तुरंत ठीक कर लें.

इस कारण मां ना बनने का फैसला लेगी सीरत, कार्तिक को पता चलेगा प्रैग्नेंसी का सच

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की कहानी आए दिन नया मोड़ लेकर आती हैं. वहीं जल्द ही सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है. दरअसल, हाल ही में सीरत को बौक्सिंग करते वक्त बेहोश होते हुए दिखाया गया था, जिसके चलते अब कहानी में सीरत की प्रैग्नेंसी की खबर फैंस को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

दादी होती हैं नाराज

सीरियल में अब तक आपने देखा कि जन्माष्टमी के दौरान सीरत गलती से गणेश जी की मूर्ति बना देती है, जिसके चलते पूरा परिवार गुस्से में नजर आता है. वहीं दूसरी तरफ सीरत, कार्तिक के बच्चों को गलती पर डांटती है. लेकिन दादी उससे नाराज हो जाती है कि उसने क्यों बच्चों पर गुस्सा किया.

ये भी पढ़ें- वनराज के खिलाफ जाकर अनुज को पार्टनर बनाएगी Anupama, लेकिन नई करेगी दोबारा प्यार

सीरत लेगी फैसला

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Telly TV (@telly_tv_pk)

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सीरत डौक्टर के पास जाएगी और उसे अपनी प्रैग्नेंसी के बारे में पता चलेगा, जिसके बाद वह बेहद खुश होगी. लेकिन घर पहुंचते ही वह देखेगी की कार्तिक की चाची और उसकी मां दोनों आपस में सीरत के बच्चों पर गुस्सा करने की बात कह रहे होंगे. वहीं ये भी कहेंगे कि सीरत उनकी सौतेली मां है इसलिए उसने डाटा  और अगर उसका खुद का बच्चा हो जाएगा तो वह बच्चों को प्यार नही दे पाएगी. इसलिए सीरत अपनी प्रैग्नेंसी की बात छिपाती नजर आएगी.

कार्तिक जानेगा सच

 

View this post on Instagram

 

A post shared by StarPlus (@starplus)

प्रैग्नेंसी को लेकर परेशान सीरत को देख कार्तिक उससे सवाल पूछेगा. दरअसल सीरत मां बनने वाली है, जिसके चलते वह चाहती है कि कि ये बात किसी को भी पता ना चले. इसी के चलते कार्तिक परेशान हो जाएगा और पूरी बात जानने की कोशिश करेगा. वहीं सच पता लगने पर वह सीरत को प्रैग्नेंसी ना छिपाने के लिए कहेगा.

ये भी पढ़ें- हर औरत के लिए फेमेनिजम की अपनी परिभाषा होती है- किट्टू गिडवाणी

वनराज के खिलाफ जाकर अनुज को पार्टनर बनाएगी Anupama, लेकिन नई करेगी दोबारा प्यार

सीरियल अनुपमा में वनराज और बा एक बार फिर साथ आ गए हैं, जिसके चलते दोनों अनुपमा और अनुज कपाड़ियां संग हुई डील पर बवाल शुरु हो गया है. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा एक बड़ा फैसला लेने वाली है, जिसका अंदाजा शो के नए प्रोमो से लगाया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा रखेगी शर्त

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gaurav Khanna (@gauravkhannaofficial)

हाल ही में सीरियल अनुपमा का मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें अनुपमा, अनुज संग पार्टनरशिप के लिए हां कहती नजर आ रही हैं. दरअसल, डील साइन करने से पहले वह अनुज के सामने एक शर्त रखेगी, जिसमें अनुपमा, अनुज से कह रही है कि यह सिर्फ पार्टनरशिप और दोस्ती है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. वहीं अनुज इस बात पर मुस्कुराते हुए सहमत होता दिख रहा है और अनुपमा के साथ उनकी डील होने पर हाथ मिला रहा है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupama serial (@anupama_serial_fan)

ये भी पढ़ें- वनराज के बाद बा हुई Anupama के खिलाफ, अनुज के साथ डील करने के लिए कहेगी ना

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupama serial (@anupama_serial_fan)

वनराज को खिलाएगी मिठाई

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां एक तरफ अनुपमा, अनुज कपाड़िया डील मंजूर होने की खुशी में मिठाई देकर आएगी तो वहीं वह वनराज समेत पूरे शाह परिवार को भी मिठाई खिलाएगी. हालांकि वनराज इसकी वजह पूछेगा , जिसके जवाब में अनुपमा पूरे परिवार को डील पक्की होने की बात बताएगी, जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाएंगे. वहीं अनुज पूरे स्टाफ को अनुपमा से मिलवाएगा.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by amykreations (@amykreation)

अनुपमा के आगे आई थी मुसीबत

अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़ियां, वनराज और काव्या की बजाय अनुपमा को पार्टनरशिप का प्रपोजल देता है, जिसे सुनकर सभी चौंक जाते हैं. वहीं अनुज के जाने के बाद ­वनराज, अनुपमा और अनुज की दोस्ती पर सवाल उठाते हुए उसे डील को मना करने के लिए कहता है, जिसके जवाब में अनुपमा कहती है कि अब वो उसकी पत्नी नही है तो वह उसकी बातें नहीं सुनेगी. वहीं इस मामले में बा भी वनराज का साथ देंगी, जिसके चलते अनुपमा हैरान रह जाएगी.

ये भी पढ़ें- पाखी को सबक सिखाएगा सम्राट तो सई उठाएगी नया कदम

उत्तर प्रदेश में पेप्सिको इण्डिया फूड्स प्लांट्स

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में पेप्सिको इण्डिया कोसी कलां मथुरा फूड्स प्लाण्ट का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया.

मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की सोच उसकी कार्य पद्धति में दिखाई देती है. सरकार की सकारात्मक सोच से निवेश बढ़ता है. निवेश से रोजगार सृजन होता है, जिससे आत्मनिर्भरता व स्वावलम्बन प्राप्त करने में मदद मिलती है. पेप्सिको द्वारा कोसी कलां में स्थापित इकाई इसी सकारात्मक सोच का परिणाम है. उन्हांेने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा कल 14 सितम्बर, 2021 को जनपद अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर के अलीगढ़ नोड का शुभारम्भ किया गया था. इससे 1,250 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को जमीनी धरातल पर उतारने की कार्यवाही सम्पन्न हुई है. श्रीकृष्ण की पावन भूमि मथुरा के कोसी कलां में 800 करोड़ रुपए से अधिक की इस यूनिट का उद्घाटन सम्पन्न हुआ.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ब्रज भूमि के किसानों की वर्षाें से मांग थी कि उनके क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण की अत्याधुनिक इकाइयां स्थापित हों. प्रदेश सरकार की औद्योगिक नीति के अन्तर्गत पेप्सिको ने कोसी कलां में निवेश किया है. आज पेप्सिको द्वारा स्थापित इकाई का उद्घाटन किया गया है. सरकार व निवेशक जब मिलकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ंेगे, तो इसके सकारात्मक परिणाम इसी रूप में सामने आएंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य सरकार और पेप्सिको की साझेदारी उन्नति, विश्वास तथा स्वावलम्बन की साझेदारी होने के साथ ही, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को आगे बढ़ाने की भी साझेदारी होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए बनायी गयी नीतियों के तहत निवेशकों द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है. यह निवेश किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन का आधार बन रहा है. साथ ही, इससे नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन हो रहा है. 04 वर्ष पूर्व प्रदेश में आलू उत्पादक किसान संकट में था. ऐसी स्थिति में आलू उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने आलू का न्यून्तम समर्थन मूल्य घोषित किया, जिससे किसानों के सामने असहाय जैसी स्थिति पैदा न हो और उन्हें आलू का उचित मूल्य प्राप्त हो सके. पेप्सिको इण्डिया द्वारा स्थापित प्लाण्ट से इस क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया कि कोसी कलां में स्थापित फूड्स प्लाण्ट यूनिट के माध्यम से डेढ़ लाख मीट्रिक टन आलू का प्रति वर्ष प्रसंस्करण किया जाएगा.

पेप्सिको इण्डिया किसान भाइयों के साथ पहले से ही साझेदारी करते हुए उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि कोसी कलां में स्थापित प्लाण्ट खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आलू उत्पादक किसानों की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा. इस खाद्य प्रसंस्करण इकाई से किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक मंच मिला है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य है. प्रदेश मंे पर्याप्त जल संसाधन एवं उर्वरा भूमि मौजूद है. प्रदेश में किसानों की बड़ी संख्या एवं देश का सबसे बड़ा बाजार है. प्रदेश में 24 करोड़ जनता निवास करती है. साथ ही, यहां पर निवेश के लिए अनुकूल वातावरण भी है. ब्रज क्षेत्र में आगरा एवं अलीगढ़ मण्डलों के 08 जनपदों में बड़े पैमाने पर आलू उत्पादन होता है. इस यूनिट की स्थापना इस क्षेत्र के आलू उत्पादक किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाने में सहायक होगी.

औद्योगिक विकास मंत्री श्री सतीश महाना ने कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगिक विकास के नये युग की शुरुआत हुई है. सरकार, किसानों और उद्यमियों के बीच विश्वास पैदा हुआ है. प्रदेश सरकार के सहयोग से पेप्सिको द्वारा कोसी कलां में दो वर्ष से भी कम समय में खाद्य प्रंसस्करण इकाई की स्थापना की गयी है. यहां प्रति वर्ष डेढ़ लाख टन आलू का प्रसंस्करण किया जाएगा. प्लाण्ट की स्थापना से 1500 लोगों को प्रत्यक्ष तथा बड़ी संख्या में लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में जनपद मथुरा में पर्यटन विकास, बिजली, सड़क आदि विभिन्न विकास कार्य सम्पन्न कराये गये हैं. मुख्यमंत्री जी के प्रयास से प्रदेश में पेप्सिको की इकाई स्थापित हुई है. इससे किसानों को लाभ होगा. साथ ही, युवाओं को रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रेसिडेण्ट पेप्सिको इण्डिया श्री अहमद अलशेख ने कहा कि मुख्यमंत्री जी द्वारा पेप्सिको इण्डिया के कोसी कलां, मथुरा फूड्स प्लाण्ट का उद्घाटन पेप्सिको के लिए गर्व का विषय है. राज्य सरकार के सहयोग से दो वर्ष से भी कम समय में इस प्लाण्ट को स्थापित कर प्रारम्भ कराया जा रहा है. यह पेप्सिको इण्डिया का भारत में स्थापित सबसे बड़ा खाद्य प्रसंस्करण प्लाण्ट है. सीईओ एएमईएसए पेप्सिको श्री यूजीन विलेम्सन ने भी कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया. कार्यक्रम के दौरान पेप्सिको द्वारा निर्मित एक लघु फिल्म ‘उन्नति की साझेदारी’ भी प्रदर्शित की गयी.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आरकेतिवारी, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास श्री अरविन्द कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

निजामों का शहर हैदराबाद, अगर जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमें

तेलंगाना तथा आन्ध्रप्रदेश की राजधानी है हैदराबाद. जिसे निजामों का शहर भी कहा जाता है. इसे मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने बनवाया था और अपनी प्रेमिका भागमती के नाम पर हैदराबाद का नाम ‘भाग्य नगर’ रखा था. जब भागमती का नाम ‘हैदरी बेगम’ पड़ा तो भाग्य नगर नाम बदलकर ‘हैदराबाद’ हो गया. तब से हैदराबाद को इसी नाम से जाना जाता है.

हैदराबाद को बेहतरीन ‘निजामों का शहर’ तथा ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है. हैदराबाद की खूबसूरती चारों तरफ खड़ी पहाड़ियों और उनके बीचो-बीच बहती मूसा नदी में देखी जा सकती है. आइए, हम आपको बताते हैं हैदराबाद की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में.

चारमीनार

चारमीनार का निर्माण 1591 में नवाब कुली कुतुबशाह ने करवाया था. कहा जाता है हैदराबाद में भयंकर महामारी प्लेग पर विजय पाने की खुशी में नवाब कुली कुतुबशाह ने इसे बनवाया था. इस मीनार की ऊंचाई 180 फुट है.

travel in hindi

ये भी पढ़ें- घर को सजाने में चार चांद लगाती ये 4 लाइट्स

मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद यह मस्जिद इस्लामिक कला का बेहद खूबसूरत और बेजोड़ नमूना है. चारमीनार के कुछ ही दूरी पर है. यह मक्का मस्जिद जिसे पर्यटक आसानी से देख सकती हैं. इस मस्जिद की खासियत यह है कि इसमें 10 हजार एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.

गोलकुंडा का किला

गोलकुंडा का किला गोलकुंडा कभी हीरों की खानों के लिए मशहूर है. 11 किलोमीटर के एरिये में फैले इस किले को मजबूत ग्रेनाइट दीवार जो किले को चारों ओर से घेरे हुए है. इसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इस किले की खासियत यह है कि यहां के मुख्य प्रवेश द्वार पर गुंबद के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज को किले के सबसे ऊपरी हिस्से तक सुना जा सकता है.

travel in hindi

हुसैन सागर झील

हुसैन सागर झील इस झील के बीचो-बीच महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा बेहद खूबसूरत है. इस झील का निर्माण हजरत हुसैन शाह वली ने इब्राहिम कुतुबशाह के काल में करवाया गया था.

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय बिड़ला तारा गृह पूरे देश के ताराग्रहों में से एक हैं. यह तारागृह हिंदी,अंग्रेजी और तेलुगु में स्काई शो आयोजित करता है.

नेहरू चिड़ियाघर

नेहरू चिड़ियाघर नेहरू चिड़ियाघर देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है. यहां आप लायन सफारी तथा सफेद शेर लुफ्त उठा सकती हैं.

travel in hindi

ये भी पढे़ं- अगर कश्मीर जाएं तो लें इन 5 जायकों का स्वाद लेना ना भूलें

कैसे पहुंचे

राष्ट्रीय राजमार्ग 2 गया से होकर गुजरता है, इस मार्ग का काम अभी चल रहा है, इसके प्रोजेक्ट को गोल्ड न क्वाहड्रिलैट्ररल प्रोजेक्ट कहा गया है. जो गया शहर से 30 किमी. की दूरी पर है. इस प्रकार, गया कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. गया में रेलवे स्टेाशन स्थित है. जहां से देश के कई हिस्सों जैसे कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, मुम्बई आदि के लिए महत्वसपूर्ण ब्रौड गेज मार्ग की ट्रेन मिल जाती है. गया, भारत के कई शहरों व राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

चखना न भूलें स्ट्रीट फूड

हैदराबादी बिरयानी के अलावा आप हलीम, फिरनी बोटी कबाब, मिर्ची का सालन ट्राई कर सकती हैं.

न बढ़े भाई-बहनों में जलन

सगे भाईबहनों के बीच ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता का भाव यानी एकदूसरे से बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा या होड़, जिसे सिबलिंग जेलेसी कहते हैं, में कुछ भी गलत या अजीबोगरीब नहीं है. जब किन्हीं भी 2 लोगों के बीच यह सहज और स्वाभाविक भाव है, तो फिर सगे भाईबहन इस से अछूते कैसे रह सकते हैं? लेकिन जब यह प्रतिस्पर्धा उग्र रूप धारण कर ईर्ष्या में परिवर्तित होने लगती है और सगे भाईबहन एकदूसरे का काम बिगाड़ने और नीचा दिखाने के मौके तलाशने लगते हैं, तो यह निश्चित रूप से मातापिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है. अगर हम अपने आसपास झांक कर देखें तो हमें बहुत से ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे, जिन में सगे भाईबहनों ने ईर्ष्या के चलते एकदूसरे पर जानलेवा हमले तक किए हैं. कुछ नामीगिरामी परिवारों के झगड़े तो घर की दहलीज लांघ कर सड़कों तक पहुंच जाते हैं.

हमारे समक्ष प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या का ताजा उदाहरण हैं दिवंगत धीरूभाई अंबानी के पुत्र मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी. विश्व के 10 अमीर व्यक्तियों की सूची में 5वें और छठे नंबर पर विराजमान इन भाइयों ने स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने की जिद में न केवल सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगाए, बल्कि अपने घरेलू और व्यावसायिक झगड़ों को कोर्ट तक ले जाने में भी नहीं हिचकिचाए. अनिल अंबानी ने तो प्राकृतिक गैस विवाद के मामले में मीडिया के समक्ष भारत सरकार के पैट्रोलियम मंत्रालय पर ही सीधेसीधे आरोप लगाया था कि पैट्रोलियम मंत्रालय उन के भाई मुकेश अंबानी की तरफदारी कर उसे निजी लाभ पहुंचा रहा है. उन के इस बयान पर तत्कालीन पैट्रोलियम मंत्री मुरली देओरा ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे यह देख कर बहुत आश्चर्य हो रहा है कि ये दोनों भाई सार्वजनिक रूप से उस चीज के लिए लड़ रहे हैं, जो उन की है ही नहीं.

उन की मां कोकिलाबेन अंबानी ने शायद दोनों भाइयों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या की भावना को भांप लिया था, इसीलिए उन्होंने पति की मृत्यु के बाद उन के व्यवसाय को दोनों भाइयों में बांट दिया था. लेकिन इस के बावजूद ये दोनों भाई आपसी झगड़ों के लिए निरंतर चर्चा में रहते हैं. एक अन्य खबर के अनुसार, अनिल अंबानी अपने नए घर को 150 मीटर ऊंचा बनाना चाहते हैं (उन के पास स्वीकृति सिर्फ 66 मीटर ऊंचा बनाने की है) क्योंकि उन के भाई मुकेश अंबानी का घर 170 मीटर ऊंचा है. जानीमानी लेखिका शोभा डे ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह और कुछ नहीं सिबलिंग राइवलरी है.

ये भी पढ़ें- जानें क्या हैं सफल Married Life के 6 सूत्र

‘सिबलिंग राइवलरी: सैवन सिंपल सौल्यूशंस’ पुस्तक की लेखिका करेन दोहर्टी, जिन के अपने 4 बच्चे हैं, कहती हैं, ‘‘सिबलिंग राइवलरी यानी भाईबहनों के मन में एकदूसरे के लिए ईर्ष्या का भाव एक ऐसा जख्म है, जिस का उपचार न किया जाए तो वह नासूर बन जाता है और रिश्तों में इतनी कड़वाहट पैदा कर देता है कि हम अपने सगे भाईबहनों की तरक्की को भी सहन नहीं कर पाते हैं. उलटे उन की असफलताओं से हमें खुशी मिलती है.’’

प्रतिस्पर्धा की अहमियत

बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उन के बीच प्रतिस्पर्धा का भाव जरूरी है. छोटे बच्चों में यह प्रतिस्पर्धा उन्हें एकदूसरे के करीब लाती है, एकदूसरे से बेहतर करने की प्रेरणा देती है, जिस से बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायता मिलती है. लेकिन जैसेजैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, यह प्रतिस्पर्धा ईर्ष्या में परिवर्तित होने लगती है और बच्चे एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ में एकदूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं या फिर एकदूसरे के काम बिगाड़ते हैं. यह बहुत नाजुक समय होता है, जिस में बच्चों को कदमकदम पर मार्गदर्शन की जरूरत होती है. बच्चों की नकारात्मक सोच को नियंत्रित कर सही दिशा प्रदान करना ही हर मातापिता का कर्तव्य है.

हरकतों पर नजर रखें

मातापिता को बड़े होते बच्चों की हर छोटीबड़ी हरकतों पर नजर रखनी चाहिए. अगर बच्चों की बातों में तनिक भी ईर्ष्या का भाव झलकता है, तो प्यार से समझाबुझा कर उन के बीच पनप रही ईर्ष्या की भावना को उसी समय दबा देना चाहिए. इस के लिए सब से जरूरी है कि मातापिता बच्चों में तुलना कभी न करें, न ही एक के मुकाबले दूसरे को ज्यादा होशियार, समझदार सिद्ध करने का प्रयास करें. इस से दूसरे बच्चे का मन आहत होता है और उस के मन में हीनभावना पनपने लगती है, जो आगे चल कर ईर्ष्या का रूप धारण कर लेती है.

बच्चों को समय दें

मातापिता सभी बच्चों को अधिक से अधिक समय दें. सभी के साथ एकसाथ बैठें, अलगअलग नहीं. अगर मातापिता बच्चों को पूरा समय नहीं देते, तो वे खुद को असहाय सा पाते हैं और उन का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अजीबोगरीब हरकतें करते हैं. अगर वे एक बच्चे के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं, तो दूसरा बच्चा निश्चित रूप से आहत होता है और उन का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई बार वह खुद को नुकसान भी पहुंचाता है. अगर वे दोनों बच्चों को पूरा समय देते हैं, तो एक बच्चे को थोड़ा अधिक समय देने से दूसरे बच्चे को उतना बुरा नहीं लगता. जहां मातापिता दोनों कामकाजी हैं, उन्हें बच्चों को समय देने के लिए कुछ अधिक मेहनत करनी पड़ती है. ज्यादा नहीं, तो सोने के समय बच्चों के कमरे में उन के साथ एकाध घंटा व्यतीत करें, स्कूल में क्या हुआ, सुनें. उन के साथ बिस्तर में लेटें, किस्सेकहानियां सुनेंसुनाएं, घरपरिवार की बातें करें. इस तरह वे न केवल मातापिता से बल्कि एकदूसरे से भी तन और मन से जुड़े रहेंगे.

तुलना न करें

जब मातापिता दोनों बच्चों के बीच तुलना कर एक को दूसरे से बेहतर साबित करने की कोशिश करते हैं, तो वे नहीं जानते कि अनजाने में ही वे दूसरे बच्चे के मन में पनप रही ईर्ष्या की आग को हवा दे रहे हैं. अपने बच्चे की तुलना किसी बाहर वाले बच्चे से कर उसे छोटा दिखाने की कोशिश भी न करें. ‘जब रोहन तीसरी कक्षा में था तो वह हमेशा कक्षा में प्रथम आता था, तुम्हारी रैंक इतनी नीचे क्यों है?’ ‘तुम्हें तो बात करने की तमीज तक नहीं है, रिया ने तो कभी हमें पलट कर जवाब नहीं दिया. अपनी बहन से कुछ सीखो.’ इस तरह की बातें सुन कर बच्चों में ईर्ष्या की भावना जोर पकड़ने लगती है.

ये भी पढ़ें- Married Life में क्या है बिखराव के संकेत

हर बच्चे की सुनें

अगर आप के बच्चे आपस में झगड़ते हैं, एकदूसरे पर चीखतेचिल्लाते हैं, तो कभी भी एक बच्चे को दोषी ठहरा कर दूसरे को डांटें या डराएंधमकाएं नहीं. दूसरे को भी अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दें. इस से उन्हें लगता है कि आप दोनों की बात को महत्त्व देते हैं. किस की गलती है, यह फैसला पूरी ईमानदारी से करें. मातापिता आमतौर पर छोटे बच्चे का साथ देते हैं और बड़े बच्चे को हमेशा पीछे हटने के लिए कहते हैं, जिस से उस का अहं आहत होता है. जहां बच्चों में अंतर कम होता है, वहां बड़ा बच्चा 2 साल की उम्र से ही बड़ा हो जाता है और छोटा 10 वर्ष की उम्र तक भी छोटा रहता है. इस से न केवल वह बिगड़ता है, बल्कि गलत काम करने से भी नहीं हिचकिचाता, क्योंकि वह जानता है कि उसे छोटे होने का फायदा मिलेगा. दूसरी तरफ मातापिता का स्नेह छोटे को ज्यादा मिलता है, यह देख कर बड़े भाई या बहन का मन आहत होता है और मातापिता व भाई या बहन के प्रति उस की सोच नकारात्मक होती चली जाती है. जब युवा बच्चे किसी विषय पर बहस कर रहे हों, तो बीच में न पड़ें. उन्हें अपनी बात कहने का और दूसरे की सुनने का मौका दें. किसी एक का पक्ष ले कर न बोलें. अगर बहस ज्यादा गरम हो जाए, तो विषय बदल कर बहस को खत्म करने के लिए कहें. जैसे, खाने का समय हो तो खाने के लिए बुला लें या फिर घूमने अथवा फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाने के लिए कहें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें