कैंसर का दर्द: कैंसर का सबसे बड़ा डर

कैंसर की डायग्नोसिस के बाद से प्रभावित लोगों का जीवन बुरी तरह बदल जाता है. लोगों में इसके डर का बड़ा कारण अत्यंत दर्द होना और डायग्नोसिस से जुड़ी घबराहट है. इसका असर लगभग 28 फीसदी डायग्नोज लोगों पर, 50 से 70 फीसदी इलाज करा रहे लोगों पर और एडवांस्ड कैंसर से पीड़ित 64 से 80 फीसदी लोगों पर होता है. अक्सर दर्द के भय के कारण ही लोग चिकित्सा कराने पर मजबूर होते हैं और रोग का पता लगाने के लिए तैयार होते हैं. कैंसर का दर्द अक्सर आम होता है और यही वजह है कि लोग इलाज कराने को तैयार होते हैं, लिहाजा कोई कारण नहीं बनता है कि दर्द से राहत पाने को इलाज की प्राथमिकता में शामिल नहीं किया जाए. डॉ. आमोद मनोचा, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में पेन मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख , के मुताबिक

कैंसर के इलाज में प्रगति होने के कारण मरीज के बचने की दर में सुधार के साथ ही कैंसर मरीजों में गंभीर दर्द के मामले भी बढ़ रहे हैं. एक शोध के मुताबिक, कैंसर के लगभग 33 फीसदी मरीज लंबे समय तक दर्द से जूझते रहते हैं और शोध बताते हैं कि दर्द पर नियंत्रण के साथ प्रतिकूल जीवन गुणवत्ता सुधारने तक इलाज का लक्ष्य सिर्फ मरीज को जैसे—तैसे बचाना नहीं होता है. अनियंत्रित दर्द का प्रभाव मरीज को लंबे समय तक पीड़ित और विकलांगता का शिकार बना देता है जिस कारण वह शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्याओं से जूझता रहता है. नियंत्रण का अभाव, ताकत और गतिशीलता की कमी, घबराहट, डर और अवसाद इस अनियंत्रित दर्द के साथ आम तौर पर जुड़े होते हैं. मरीज की बढ़ती परेशानियों के कारण तीमारदारों के साथ उनके रिश्तों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

कैंसर के दर्द पर काबू पाना

कैंसर के दर्द पर काबू पाना वाकई एक चुनौती है क्योंकि कैंसर के अलावा अन्य अंगों और नसों पर अधिक दबाव, कब्ज, पेट या शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन समेत कई कारण दर्द को बढ़ा देते हैं. सर्जरी, कीमोथेरापी या रेडियोथेरापी जैसे इलाज का दुष्प्रभाव भी उतना ही कष्टदायी होता है या फिर रीढ़ में अर्थराइटिस जैसी अन्य समस्या दर्द को बढ़ा देती है. इससे भी बड़ी चुनौती होती है जब कुछ प्रकार के कैंसर बड़े आक्रामक तरीके से बढ़ते हुए कई तरह के दर्द का कारण बन जाते हैं और इसके लिए नियमित जांच और थेरापी में सुधार की जरूरत पड़ती है.

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अच्छी खबर यह है कि कैंसर मरीजों के बड़े हिस्से को प्राथमिक उपचार पद्धति के साथ योजनाबद्ध इलाज से दर्द से संतोषजनक राहत मिल सकती है. इसमें मेडिकेशन, नर्व ब्लॉक, फिजियोथेरापी और मनोवैज्ञानिक तकनीकों समेत दर्द से निजात दिलाने की आधुनिक पद्धतियों के साथ ट्यूमर का इलाज भी शामिल है. शोध बताते हैं कि शुरुआती इलाज से बेहतर परिणाम मिलते हैं, इसलिए सलाह दी जाती है कि शुरुआती चरण में ही डॉक्टरी मदद लें. कम से कम साइड इफेक्ट के साथ अधिकतम राहत देने का लक्ष्य रखते हुए विशेष दर्द प्रबंधन इनपुट अधिक प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि इस बीमारी की जटिलता या दर्द की गंभीरता समय के साथ बढ़ती ही जाती है.

एक तरह की थेरेपी सभी मरीजों के लिए कारगर नहीं होती

कैंसर के दर्द पर नियंत्रण सिर्फ दवाइयों या इंजेक्शन से नहीं हो सकता है. संतोषजनक नियंत्रण के लिए विस्तृत जांच से दर्द का सटीक कारण जानना जरूरी होता है और मरीज को शिक्षित करने से उसे अपेक्षित परिणाम मिल सकता है. बीमारी के कारण अनुपयोगी मान्यताओं, मिजाज, घबराहट, असुरक्षा की भावना जैसे कारकों पर काबू पाना और इलाज, आध्यात्मिक एवं सामाजिक आवश्यकताएं पूरी करना जरूरी है क्योंकि बीमारी के साथ उनका दर्द बढ़ता जाएगा. मेडिटेशन जैसे सुकूनदायी थेरापी, नियोजित इलाज से मरीजों की सोच बदल सकती है, उनको राहत दिला सकती है. हर मर्ज की एक ही दवा नहीं होती है और किसी भी मरीज पर फार्मास्यूटिकल, इंटरवेंशनल, रिहैबिलिटेशन उपचार और अच्छा बर्ताव का इलाज पर खासा असर पड़ता है.

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आपको एक उदाहरण देता हूं. हाल ही में मैंने सीने के दर्द से पीड़ित एक बुजुर्ग मरीज का इलाज किया. उन्हें रीढ़ में बड़ा ट्यूमर होने के कारण नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा था. उन्हें दर्द से तत्काल राहत देना जरूरी था और 80 डिग्री से कम तापमान पर प्रभावित नसों को फ्रीज करने जैसी क्रायोएब्लेशन पद्धति का इलाज दिया गया. कुछ ही घंटे में उनका दर्द कम होने लगा. आधुनिक टेक्नोलॉजी का यह एक बेहतरीन उदाहरण है. उनकी हर तरह से देखभाल की गई और उनके परिवारवालों ने भी महसूस किया कि वह अपने जीवन के आखिरी दिनों में अपने परिजनों के साथ बेहतर जिंदगी गुजारने लगे.

जानें क्या हैं 7 होम इंटीरियर ट्रैंड्स

होम डैकोर में आजकल मिनिमलिस्टिक डिजाइन सब से ज्यादा चलन में है. आप अपने इंटीरियर का थीम जो भी रखें, आप का अप्रोच मिनिमलिस्टिक डिजाइन होगा तो आप का घर ट्रैंडी नजर आएगा. इस में सभी चीजें कम रखी जाती हैं फिर चाहे कलर हो, फर्नीचर हो या डिजाइनर पीस. मिनिमलिस्टिक डिजाइन में कमरे थोड़े खालीखाली लेकिन ऐलिगैंट नजर आते हैं. अधिकतर लोग इस के साथ घर में सफेद रंग का पेंट कराना पसंद करते हैं. अगर दूसरे रंग भी चुने जाते हैं तो उन की टोन म्युटेड रखी जाती है. मिनिमलिस्टिक डिजाइन पैटर्न और नियो क्लासिकल थीम डिजाइन सब से ज्यादा ट्रैंड में हैं, जिन में मौडर्न और क्लासिकल का ब्लैंड होता है.

झूमर

पहले झूमर राजामहाराजाओं और रईसों के महलों और हवेलियों में ही लगते थे, लेकिन 21वीं सदी में झूमर होम डैकोरेशन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं.

इस की 2 मुख्य वजहें हैं- पहली तो लोग अपने घरों को सजाने के लिए पैसे खर्च करने को तैयार हैं, दूसरी अब बाजार में ट्रैडिशनल के साथसाथ लेटैस्ट डिजाइन के झूमर भी मिल रहे हैं. ये झूमर नियो क्लासिक होम डैकोर के साथ घर को अच्छा लुक देते हैं.

पेंटिंग

आजकल इंटीरियर पेंटिंग में सफेद, पिस्ता ग्रीन, लाइट ग्रे, डार्क ग्रीन, सौफ्ट क्ले, लाइट ब्लू, मस्टर्ड, मिस्ट (पेस्टल ब्लू और ग्रीन का मिक्स), मशरूम कलर, लाइट ग्रे, ग्रीन आदि रंगों का ट्रैंड चल रहा है.

वैसे बोल्ड रंग भी काफी चलन में हैं. अगर आप अपने घर या औफिस को थोड़ा जीवंत लुक देना चाहते हैं तो बोल्ड रंगों का चयन करने में हिचकिचाएं नहीं. बोल्ड रंग कमरों को डैप्थ और टैक्सचर देते हैं. वैसे आजकल इंटीरियर पेंटिंग में ब्लैक रंग भी ट्रैंड में है, लेकिन इन बोल्ड रंगों की टोन म्युटेड रखी जाती है. आजकल ग्लास, साटिन, एग शेल, मेट टैक्सचर चलन में हैं.

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इनडोर वर्टिकल गार्डन

इनडोर वर्टिकल गार्डन भी काफी चलन में हैं. आज इन्हें लगाना भी काफी आसान हो गया है. ये आप की दीवारों को एक अलग ही लुक और टैक्सचर देते हैं. ये आकर्षक तो लगते ही हैं, थर्मल इंसुलेटर की तरह भी काम करते हैं. गरमियों में ये कमरे को ठंडा और सर्दियों में गरम रखते हैं.

डबल हाइट स्पेसेज

अगर आप नई कंस्ट्रक्शन करा रहे हैं तो आप डबल हाइट स्पेसेज का कौंसैप्ट चुन सकते हैं. इस में जगह बड़ी लगती है. सामान्यत: छत

9-11 फुट की ऊंचाई पर होती है. डबल हाइट सीलिंग में इस से दोगुनी से थोड़ी कम या ज्यादा ऊंचाई पर हो सकती है.

इस में डबल हाइट विंडो लगाई जा सकती है, जिस से अंदर नैचुरल लाइट अधिक आएगी और वैंटिलेशन भी बेहतर रहेगा. अंदर लाइट अच्छी आने से दीवार पर जो भी लगाएंगे उस का लुक अच्छा आएगा. डबल हाइट बालकनी भी बनाई जा सकती है, जिस में आप हैंगिंग लाइट्स और प्लांट्स लगा सकते हैं. इस से न केवल बालकनी का लुक बेहतर होता है बल्कि पूरे घर की खूबसूरती भी बढ़ जाती है.

ऊंचीऊंची दीवारों पर पेंटिंग्स और आर्ट पीस लगाए जा सकते हैं. बड़ेबड़े दरवाजों के साथ ये बहुत ही ग्रांड लुक देते हैं. डबल हाइट स्पेसेज में ट्रैडिशनल झूमर बहुत ही रौयल लुक देते हैं.

प्लांट्स ऐंड फ्लौवर्स

वैसे तो होम डैकोर में पौधों और फूलों का खास महत्त्व हमेशा से ही रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इन का इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ गया है. ये घर का आकर्षण बढ़ाने के साथ ही उसे नैचुरल लुक भी देते हैं. इंडोर प्लांट्स एक प्राकृतिक रूम फ्रैशनर की तरह काम करते हैं.

आप इन्हें बालकनी और टैरेस में भी लगा सकते हैं. टैरेस गार्डन की हरियाली रंगबिरंगे फूलों, ताजा हवा और खुले आसमान के साथ एक प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराती है.

वार्डरोब डिजाइनिंग

फ्लूटेड और फैब्रिक फिनिश ग्लास अभी जो नियो क्लासिकल ट्रैंड चल रहा है, उस में 19वीं सदी में प्रचलित फ्लूटेड ग्लासेज फिर से चलन में आ गए हैं. ये स्टाइलिश होने के साथसाथ नाजुक और सुंदर भी लगते हैं.

आप इन्हें वार्डरोब डिजाइनिंग और स्लाइडिंग डोर में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये इनडोर प्राइवेसी के लिए प्राइवेसी स्क्रीन की तरह भी इस्तेमाल किए जाते हैं. इसलिए इन्हें बैडरूम स्टडी, बैडरूम ड्रैसिंगरूम में पार्टिशन के लिए भी लगाया जाता है. ये शावर स्क्रीन के रूप में भी काम करते हैं. सेमीओपन किचन विंडो में ये बहुत ही ऐलिगैंट लुक देते हैं.

फ्लूटेड ग्लासेज के अलावा फैब्रिक फिनिश ग्लास भी काफी चलन में हैं. इन में पतलीपतली फैब्रिक की जाली को 2 ग्लासेज के बीच में सैंडविच कर दिया जाता है. इस में जो जाली इस्तेमाल होती है वह अलगअलग रंगों और डिजाइनों की हो सकती है. आप अपने घर के थीम और जरूरत के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं.

-रेशम सेठी

आर्किटैक्ट, ग्रे इंक स्टूडियो

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मैं वजन कम करना चाहता हूं, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मुझे अस्थमा की शिकायत है तथा मेरा वजन 90 किलोग्राम है. मैं वजन कम करना चाहता हूं. इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब- 

आप रोज जिम जा कर ऐक्सरसाइज करें. सही तरीके से ऐक्सरसाइज करने से आप के अस्थमा के लक्षणों में कमी आ सकती है. व्यायाम से लंग्स कपैसिटी बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा फेफड़ों की सूजन भी कम होगी. इस से आप के फेफड़े अच्छा काम करेंगे और आप का इम्यून सिस्टम बूस्ट होगा. इस से आप को सर्दीजुकाम कम होगा. ऐक्सरसाइज से वजन कम होता है जिस से अस्थमा अटैक के चांस कम होते हैं.

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अस्थमा की बीमारी एक सामान्य और लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है. वेस्ट इंडिया के लोगों में ये बीमारी हर 10 में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है. एक शोध से पता चला है कि अस्थमा मोटे लोगों को ज्यादा होता है. यदि ठीक से व्यायाम किया जाए और रोज के खाने में प्रोटीन, फलों और सब्जियों का सेवन किया जाए तो अस्थमा के रोगियों की हालत में सुधार लाया जा सकता है.

अस्‍थमा या दमा फेफड़ो को प्रभावित करती है. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है. आस्थमा अटैक कभी भी कहीं भी हो सकता है. आस्थमा अटैक तब होता है जब धूल के कण आक्सीजन ले जाने वाली नलियों को बंद कर देते हैं. आस्थमा के अटैक से बचने के लिए जितनी जल्‍दी हो सके दवाईयों या इन्‍हेलर का प्रयोग किया जाना चाहिए.

दमे के दौरान अपनाएं ये उपाय

दमे के मरीजों को चावल, तिल, शुगर और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए. ताजे फलों का रस दमे को रोगी के लिए बेहद फायदेमंद है. उन्हें हरी सब्जियां और अंकुरित चने जैसे खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में ले और भूख से कम ही खाना खाये. दिनभर में कम से कम दस गिलास पानी पीये. तेज मसाले, मिर्च अचार, अधिक चाय-काफी के सेवन से बचें. मरीज को रोजाना योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए. रोगी को एनीमा देकर उसकी आंतों की सफाई करनी चाहिए.

ब्रेकफास्ट में सर्व करें हेल्दी सोया परांठा

परांठा हर किसी को पसंद आता है, लेकिन अक्सर लोग आलू का परांठा खाना पसंद करते हैं, जो हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता. कहा जाता है आलू फैट बढ़ाने का काम करता है, वहीं डायबिटीज के मरीज को भी आलू न खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या आपने आलू के परांठे की  बजाय सोयाबीन परांठा ट्राय किया है. सोयाबीन हेल्थ के साथ-साथ टेस्टी भी होता है. इसे आप अपनी फैमिली को ब्रेकफास्ट में बिना हेल्थ की चिंता किए खिला सकते हैं. तो आइए आपको बताते हैं सोया परांठा की टेस्टी रेसिपी.

हमें चाहिए

2 कप गेंहू का आटा

पानी आवश्यकतानुसार

नमक स्वादानुसार

6 चम्मच रिफाइन्ड औइल

1 कप क्रश किए हुए सोयाबीन

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1 चम्मच कटा हुआ धनिया पत्ता

1 चौथाई चम्मच हींग

1 बारीक कटी हरी मिर्च

1 बड़ी प्याज बारीक कटी हुई

आधा चम्मच जीरा पाउडर

1 चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक

बनाने का तरीका

सबसे पहले सोया चंक्स को गर्म पानी में भिगो दें. थोड़ी देर बाद सोया चंक्स को निचोड़कर निकाल लें और मिक्सी में थोड़ा मोटा-मोटा पीस लें.

अब एक बोल में पिसे सोयाबीन को निकाल लें. इसमें आटा, रिफाइन्ड औइल और बाकी सभी मसाले डाल दें.

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अच्छी तरह से गूंथकर आटा लगा लें. अब इसे 15-20 मिनट के लिए एक तरफ रख दें. आटे की छोटी-छोटी लोई बनाएं.

अब गैस पर एक पैन गर्म करें. लोई को बेलकर परांठे का आकार दें और उसे पैन में डालें. ऊपरी परत पर औइल लगाएं और उसे पलट दें. दूसरी तरफ भी औइल की परत लगाएं और फिर परांठे को दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पकाएं. पक जाने पर अपनी फैमिली को ब्रेकफास्ट में चटनी या सौस के साथ गरमागरम परोसें.

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ऐसे निकालें बालों से हाईलाइट कलर

बालों को नया रंग देने या उन्हें हाईलाइट करने से आपकी पर्सनालिटी में निखार आता है. पर कभी-कभार बालों पर मन का रंग ना चढ़ने की वजह से सारा मूड खराब हो जाता है. ये रंग बड़े पक्के होते हैं और लगभग 6 महिने तक आपके बालों के साथ रहते हैं. पर बालों पर मन मुताबिक कलर ना हो पाया है तो इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपको उस गलती के साथ जीना पडेगा. अगर आपको लगता है कि आपके बालों का हेयर कलर आप पर बिल्कुल भी सूट नहीं करता तो उसे बिना कुछ सोंचे समझे निकाल डालिये. प्रस्तुत हैं ये टिप्स

1. विटामिन सी टेबलेट

बाजार से जा कर सबसे सस्ती विटामिन सी की टेबलेट्स खरीद कर ले आइये. उसके बाद करीबन 25-30 टेबलेट को पीस कर पानी के साथ पेस्ट बना लें. अब इसे हल्के हल्के अपने सिर पर लगा कर मालिश करें और 30 मिनट तक ऐसे ही रखने के बाद बालों को शैंपू से धो लें. ऐसा करने से बालों का रंग दो-तीन शेड हल्का हो जाएगा.

2. हौट आयल ट्रीटमेंट

इस ट्रीटमेंट को आप घर पर भी कर सकती हैं. इससे बाल जड़ से मजबूत होते हैं और बालों का कलर भी हल्का हो जाता है. लेकिन इस ट्रीटमेंट को एक हफ्ते में एक बार से ज्यादा ना करें.

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3. लौन्ड्री डिटर्जेंट या साबुन

बालों से रंग को छुडा़ने के लिये अपने शैंपू में डिटर्जेंट या कपड़े धोने वाला साबुन मिला कर बाल धोएं. इस विधि को आप कई बार प्रयोग कर सकती हैं. ध्यान रहे कि इसमें ज्यादा ब्लीचिंक कंटेंट ना रहे वरना बालों को नुक्सान भी पहुंच सकता है.

4. दुबारा कलर करवाएं

सबसे अच्छा है कि आप अपने हेयर कलर पर फिर से दुबारा रंग चढवा लें. इस बार बालों पर वो रंग चढवाएं जो असली में आपके बालों के रंग से मेल खाता हो.

5. हेयर कलर रिमूवर

अगर आप आगे चल कर अपने बालों पर कोई कलर नहीं करवाना चाहती हैं, तो अच्छा होगा कि बाजार से कोई अच्छी कंपनी का हेयर कलर रिमूवर खरीद लें. ऐसा प्रोडक्ट लें जो बालों को नुकसान ना पहुंचाए और रंग भी निकाल दे.

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6. हेयर स्टाइलिश से सपंर्क करे

भले ही आपने हेयर कलर घर पर लगाया हो या फिर पार्लर में, इसके बारे में अपनी हेयर स्टाइलिश को तुरंत सूचित करना जरुरी है. अगर आपके बालों पर हल्का रंग चढा है तो अच्छा होगा की उस पर कोई डार्क कलर करवा कर उसे तुरंत ठीक कर लें.

इस कारण मां ना बनने का फैसला लेगी सीरत, कार्तिक को पता चलेगा प्रैग्नेंसी का सच

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की कहानी आए दिन नया मोड़ लेकर आती हैं. वहीं जल्द ही सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है. दरअसल, हाल ही में सीरत को बौक्सिंग करते वक्त बेहोश होते हुए दिखाया गया था, जिसके चलते अब कहानी में सीरत की प्रैग्नेंसी की खबर फैंस को मिलने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

दादी होती हैं नाराज

सीरियल में अब तक आपने देखा कि जन्माष्टमी के दौरान सीरत गलती से गणेश जी की मूर्ति बना देती है, जिसके चलते पूरा परिवार गुस्से में नजर आता है. वहीं दूसरी तरफ सीरत, कार्तिक के बच्चों को गलती पर डांटती है. लेकिन दादी उससे नाराज हो जाती है कि उसने क्यों बच्चों पर गुस्सा किया.

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सीरत लेगी फैसला

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सीरत डौक्टर के पास जाएगी और उसे अपनी प्रैग्नेंसी के बारे में पता चलेगा, जिसके बाद वह बेहद खुश होगी. लेकिन घर पहुंचते ही वह देखेगी की कार्तिक की चाची और उसकी मां दोनों आपस में सीरत के बच्चों पर गुस्सा करने की बात कह रहे होंगे. वहीं ये भी कहेंगे कि सीरत उनकी सौतेली मां है इसलिए उसने डाटा  और अगर उसका खुद का बच्चा हो जाएगा तो वह बच्चों को प्यार नही दे पाएगी. इसलिए सीरत अपनी प्रैग्नेंसी की बात छिपाती नजर आएगी.

कार्तिक जानेगा सच

 

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प्रैग्नेंसी को लेकर परेशान सीरत को देख कार्तिक उससे सवाल पूछेगा. दरअसल सीरत मां बनने वाली है, जिसके चलते वह चाहती है कि कि ये बात किसी को भी पता ना चले. इसी के चलते कार्तिक परेशान हो जाएगा और पूरी बात जानने की कोशिश करेगा. वहीं सच पता लगने पर वह सीरत को प्रैग्नेंसी ना छिपाने के लिए कहेगा.

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वनराज के खिलाफ जाकर अनुज को पार्टनर बनाएगी Anupama, लेकिन नई करेगी दोबारा प्यार

सीरियल अनुपमा में वनराज और बा एक बार फिर साथ आ गए हैं, जिसके चलते दोनों अनुपमा और अनुज कपाड़ियां संग हुई डील पर बवाल शुरु हो गया है. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा एक बड़ा फैसला लेने वाली है, जिसका अंदाजा शो के नए प्रोमो से लगाया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा रखेगी शर्त

 

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हाल ही में सीरियल अनुपमा का मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें अनुपमा, अनुज संग पार्टनरशिप के लिए हां कहती नजर आ रही हैं. दरअसल, डील साइन करने से पहले वह अनुज के सामने एक शर्त रखेगी, जिसमें अनुपमा, अनुज से कह रही है कि यह सिर्फ पार्टनरशिप और दोस्ती है और इससे ज्यादा कुछ नहीं. वहीं अनुज इस बात पर मुस्कुराते हुए सहमत होता दिख रहा है और अनुपमा के साथ उनकी डील होने पर हाथ मिला रहा है.

 

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ये भी पढ़ें- वनराज के बाद बा हुई Anupama के खिलाफ, अनुज के साथ डील करने के लिए कहेगी ना

 

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वनराज को खिलाएगी मिठाई

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां एक तरफ अनुपमा, अनुज कपाड़िया डील मंजूर होने की खुशी में मिठाई देकर आएगी तो वहीं वह वनराज समेत पूरे शाह परिवार को भी मिठाई खिलाएगी. हालांकि वनराज इसकी वजह पूछेगा , जिसके जवाब में अनुपमा पूरे परिवार को डील पक्की होने की बात बताएगी, जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाएंगे. वहीं अनुज पूरे स्टाफ को अनुपमा से मिलवाएगा.

 

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अनुपमा के आगे आई थी मुसीबत

अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़ियां, वनराज और काव्या की बजाय अनुपमा को पार्टनरशिप का प्रपोजल देता है, जिसे सुनकर सभी चौंक जाते हैं. वहीं अनुज के जाने के बाद ­वनराज, अनुपमा और अनुज की दोस्ती पर सवाल उठाते हुए उसे डील को मना करने के लिए कहता है, जिसके जवाब में अनुपमा कहती है कि अब वो उसकी पत्नी नही है तो वह उसकी बातें नहीं सुनेगी. वहीं इस मामले में बा भी वनराज का साथ देंगी, जिसके चलते अनुपमा हैरान रह जाएगी.

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उत्तर प्रदेश में पेप्सिको इण्डिया फूड्स प्लांट्स

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में पेप्सिको इण्डिया कोसी कलां मथुरा फूड्स प्लाण्ट का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया.

मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की सोच उसकी कार्य पद्धति में दिखाई देती है. सरकार की सकारात्मक सोच से निवेश बढ़ता है. निवेश से रोजगार सृजन होता है, जिससे आत्मनिर्भरता व स्वावलम्बन प्राप्त करने में मदद मिलती है. पेप्सिको द्वारा कोसी कलां में स्थापित इकाई इसी सकारात्मक सोच का परिणाम है. उन्हांेने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा कल 14 सितम्बर, 2021 को जनपद अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर के अलीगढ़ नोड का शुभारम्भ किया गया था. इससे 1,250 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को जमीनी धरातल पर उतारने की कार्यवाही सम्पन्न हुई है. श्रीकृष्ण की पावन भूमि मथुरा के कोसी कलां में 800 करोड़ रुपए से अधिक की इस यूनिट का उद्घाटन सम्पन्न हुआ.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ब्रज भूमि के किसानों की वर्षाें से मांग थी कि उनके क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण की अत्याधुनिक इकाइयां स्थापित हों. प्रदेश सरकार की औद्योगिक नीति के अन्तर्गत पेप्सिको ने कोसी कलां में निवेश किया है. आज पेप्सिको द्वारा स्थापित इकाई का उद्घाटन किया गया है. सरकार व निवेशक जब मिलकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ंेगे, तो इसके सकारात्मक परिणाम इसी रूप में सामने आएंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य सरकार और पेप्सिको की साझेदारी उन्नति, विश्वास तथा स्वावलम्बन की साझेदारी होने के साथ ही, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को आगे बढ़ाने की भी साझेदारी होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए बनायी गयी नीतियों के तहत निवेशकों द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है. यह निवेश किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन का आधार बन रहा है. साथ ही, इससे नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन हो रहा है. 04 वर्ष पूर्व प्रदेश में आलू उत्पादक किसान संकट में था. ऐसी स्थिति में आलू उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने आलू का न्यून्तम समर्थन मूल्य घोषित किया, जिससे किसानों के सामने असहाय जैसी स्थिति पैदा न हो और उन्हें आलू का उचित मूल्य प्राप्त हो सके. पेप्सिको इण्डिया द्वारा स्थापित प्लाण्ट से इस क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया कि कोसी कलां में स्थापित फूड्स प्लाण्ट यूनिट के माध्यम से डेढ़ लाख मीट्रिक टन आलू का प्रति वर्ष प्रसंस्करण किया जाएगा.

पेप्सिको इण्डिया किसान भाइयों के साथ पहले से ही साझेदारी करते हुए उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि कोसी कलां में स्थापित प्लाण्ट खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आलू उत्पादक किसानों की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा. इस खाद्य प्रसंस्करण इकाई से किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक मंच मिला है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य है. प्रदेश मंे पर्याप्त जल संसाधन एवं उर्वरा भूमि मौजूद है. प्रदेश में किसानों की बड़ी संख्या एवं देश का सबसे बड़ा बाजार है. प्रदेश में 24 करोड़ जनता निवास करती है. साथ ही, यहां पर निवेश के लिए अनुकूल वातावरण भी है. ब्रज क्षेत्र में आगरा एवं अलीगढ़ मण्डलों के 08 जनपदों में बड़े पैमाने पर आलू उत्पादन होता है. इस यूनिट की स्थापना इस क्षेत्र के आलू उत्पादक किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाने में सहायक होगी.

औद्योगिक विकास मंत्री श्री सतीश महाना ने कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगिक विकास के नये युग की शुरुआत हुई है. सरकार, किसानों और उद्यमियों के बीच विश्वास पैदा हुआ है. प्रदेश सरकार के सहयोग से पेप्सिको द्वारा कोसी कलां में दो वर्ष से भी कम समय में खाद्य प्रंसस्करण इकाई की स्थापना की गयी है. यहां प्रति वर्ष डेढ़ लाख टन आलू का प्रसंस्करण किया जाएगा. प्लाण्ट की स्थापना से 1500 लोगों को प्रत्यक्ष तथा बड़ी संख्या में लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे.

दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में जनपद मथुरा में पर्यटन विकास, बिजली, सड़क आदि विभिन्न विकास कार्य सम्पन्न कराये गये हैं. मुख्यमंत्री जी के प्रयास से प्रदेश में पेप्सिको की इकाई स्थापित हुई है. इससे किसानों को लाभ होगा. साथ ही, युवाओं को रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रेसिडेण्ट पेप्सिको इण्डिया श्री अहमद अलशेख ने कहा कि मुख्यमंत्री जी द्वारा पेप्सिको इण्डिया के कोसी कलां, मथुरा फूड्स प्लाण्ट का उद्घाटन पेप्सिको के लिए गर्व का विषय है. राज्य सरकार के सहयोग से दो वर्ष से भी कम समय में इस प्लाण्ट को स्थापित कर प्रारम्भ कराया जा रहा है. यह पेप्सिको इण्डिया का भारत में स्थापित सबसे बड़ा खाद्य प्रसंस्करण प्लाण्ट है. सीईओ एएमईएसए पेप्सिको श्री यूजीन विलेम्सन ने भी कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित किया. कार्यक्रम के दौरान पेप्सिको द्वारा निर्मित एक लघु फिल्म ‘उन्नति की साझेदारी’ भी प्रदर्शित की गयी.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आरकेतिवारी, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री संजीव मित्तल, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास श्री अरविन्द कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

निजामों का शहर हैदराबाद, अगर जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमें

तेलंगाना तथा आन्ध्रप्रदेश की राजधानी है हैदराबाद. जिसे निजामों का शहर भी कहा जाता है. इसे मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने बनवाया था और अपनी प्रेमिका भागमती के नाम पर हैदराबाद का नाम ‘भाग्य नगर’ रखा था. जब भागमती का नाम ‘हैदरी बेगम’ पड़ा तो भाग्य नगर नाम बदलकर ‘हैदराबाद’ हो गया. तब से हैदराबाद को इसी नाम से जाना जाता है.

हैदराबाद को बेहतरीन ‘निजामों का शहर’ तथा ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है. हैदराबाद की खूबसूरती चारों तरफ खड़ी पहाड़ियों और उनके बीचो-बीच बहती मूसा नदी में देखी जा सकती है. आइए, हम आपको बताते हैं हैदराबाद की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में.

चारमीनार

चारमीनार का निर्माण 1591 में नवाब कुली कुतुबशाह ने करवाया था. कहा जाता है हैदराबाद में भयंकर महामारी प्लेग पर विजय पाने की खुशी में नवाब कुली कुतुबशाह ने इसे बनवाया था. इस मीनार की ऊंचाई 180 फुट है.

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मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद यह मस्जिद इस्लामिक कला का बेहद खूबसूरत और बेजोड़ नमूना है. चारमीनार के कुछ ही दूरी पर है. यह मक्का मस्जिद जिसे पर्यटक आसानी से देख सकती हैं. इस मस्जिद की खासियत यह है कि इसमें 10 हजार एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.

गोलकुंडा का किला

गोलकुंडा का किला गोलकुंडा कभी हीरों की खानों के लिए मशहूर है. 11 किलोमीटर के एरिये में फैले इस किले को मजबूत ग्रेनाइट दीवार जो किले को चारों ओर से घेरे हुए है. इसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इस किले की खासियत यह है कि यहां के मुख्य प्रवेश द्वार पर गुंबद के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज को किले के सबसे ऊपरी हिस्से तक सुना जा सकता है.

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हुसैन सागर झील

हुसैन सागर झील इस झील के बीचो-बीच महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा बेहद खूबसूरत है. इस झील का निर्माण हजरत हुसैन शाह वली ने इब्राहिम कुतुबशाह के काल में करवाया गया था.

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय बिड़ला तारा गृह पूरे देश के ताराग्रहों में से एक हैं. यह तारागृह हिंदी,अंग्रेजी और तेलुगु में स्काई शो आयोजित करता है.

नेहरू चिड़ियाघर

नेहरू चिड़ियाघर नेहरू चिड़ियाघर देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है. यहां आप लायन सफारी तथा सफेद शेर लुफ्त उठा सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

राष्ट्रीय राजमार्ग 2 गया से होकर गुजरता है, इस मार्ग का काम अभी चल रहा है, इसके प्रोजेक्ट को गोल्ड न क्वाहड्रिलैट्ररल प्रोजेक्ट कहा गया है. जो गया शहर से 30 किमी. की दूरी पर है. इस प्रकार, गया कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. गया में रेलवे स्टेाशन स्थित है. जहां से देश के कई हिस्सों जैसे कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, मुम्बई आदि के लिए महत्वसपूर्ण ब्रौड गेज मार्ग की ट्रेन मिल जाती है. गया, भारत के कई शहरों व राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

चखना न भूलें स्ट्रीट फूड

हैदराबादी बिरयानी के अलावा आप हलीम, फिरनी बोटी कबाब, मिर्ची का सालन ट्राई कर सकती हैं.

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