वजन कम करने के लिए ऐसे करें डायट प्लान

लेखिका- स्नेहा सिंह 

इंडियन फूड का नाम लेते ही हमारे दिमाग में पंजाबी,साउथ इंडियन, राजस्थानी आदि व्यंजनो की छवि नजर आ जाती है और मुंह में पानी आ जाता है. यह स्वाभाविक भी है. क्योंकि हमारे देश में सब से अधिक प्रकार के व्यंजन खाए जाते हैं. पर इस के साथ हमारे मन में हमेशा एक्स्ट्रा चर्बी और फैट को ले कर भी चिंता बनी रहती है कि क्या खाएं और क्या न खाएं? कितना खाएं और कब खाएं? इन सभी समस्या को दूर करने के लिए अपने स्वाद को ध्यान में रख कर वेट लौस डायट के प्लान की बात करेंगे.

हम जो भी खाते हैं, उससे हमें कार्य करने की शक्ति मिलती है और यह शक्ति हमें केलरी के रूप में मिलती है. केलरी चार तरह की होती है.

1. कार्बोहाइड्रेट 

यह शरीर को कार्बन के रूप में ऊर्जा (शक्ति) देता है. ऊर्जा का मुख्य स्रोत कार्बोहाइड्रेट है. जिससे शरीर को सभी प्रकार के कार्य करने की शक्ति मिलती है. एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से चार केलरी के बराबर ऊर्जा मिलती है.

2. प्रोटीन

प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर के स्नायुओं और पेशियों का निर्माण करना और उन्हें स्वस्थ रखना है. इसलिए बच्चों एवं युवकों के शरीर के विकास के लिए प्रोटीन बहुत महत्वपूर्ण है. एक ग्राम प्रोटीन से भी 4 केलरी ऊर्जा मिलती है.

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3. फैट

फैट शरीर के स्नायुओं को फैटी एसिड के रूप में ऊर्जा प्रदान करता है. इस बीच जो फैट रह जाता है, वह ड्राइग्लिसराइड्स के रूप में स्नायुओं में जमा होता है. एक ग्राम फैट में 9 केलरी होती है. इसलिए वेट लौस डायट में ज्यादा चर्बी वाला खाना खाने से मना किया जाता है.

4. विटामिन और मिनरल्स

विटामिन और मिनरल्स हड्डियों को मजबूत बनाने में, घाव ठीक करने में और शरीर में रोगप्रतिकारक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. ये भोजन को ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं और स्नायुओं को स्वस्थ रखते हैं.

5. वेट लौस के लिए कितनी केलरी लें

यह जानना बहुत जरूरी है कि पूरे दिन में महिलाओं को कितनी केलरीयुक्त भोजन खाना चाहिए, जिससे शरीर का वजन नियंत्रण में रहे. तो इसका जवाब यह है कि सामान्य रूप से पूरे दिन में महिलाओं को 18– से 2— केलरीयुक्त खुराक खानी चाहिए. पूरे दिन में केलरी लेने का मापदंड कई बातों पर निर्भर करता है. इसमें पूरे दिन काम करने के प्रकार, उम्र, शरीर के आकार और जीवनशैली आदि के आधार पर तय किया जाता है. अगर आप 25– केलरीयुक्त भोजन लेती हैं और इतनी ही ऊर्जा खर्च करती हैं तो शरीर में शून्य केलरी रहती है. इस परिस्थिति में वजन एकदम स्टबल रहता है. परंतु अगर आप मात्र 2— केलरी खर्च करती हैं तो 5– केलरी बचेगी और आप का वजन एक सप्ताह में आधा किलोग्राम बढ़ जाएगा. महीने में 2 से 3 किलोग्राम शरीर का वजन बढ़ जाएगा.

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तो वजन कम करने के लिए पूरे दिन में 3 बार खाएं, पर थोड़ाथोड़ा खाएं. कुछ डायटीशियन दिन में 5 बार डायट की सलाह देते हैं, तब थोड़ी मुश्किल होती है. वर्कआउट अधिक करना पड़ता है. इसके अलावा अगर आप का मेटाबोलिज्म कम होगा, तो पाचनतंत्र पर अधिक श्रम पड़ेगा और पाचन ठीक से नहीं होगा.

वजन कम करने के लिए सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि दिन के शुरू में सुबह का नाश्ता दिन भर की डायट की अपेक्षा अधिक होना चाहिए. क्योंकि सुबह के नाश्ते की केलरी तेजी और पूरी तरह बर्न हो जाती है. यानी कि हम दिन भर अनेक एक्टिविटी करते हैं, जिसमें अधिक केलरी खर्च होती है. इसलिए सुबह नाश्ता जरूर करपा चाहिए.

नई-नई ज्वैलरी फ्लौंट करती दिखीं सपना चौधरी, स्टाइलिश अंदाज से बटोर रही हैं फैंस की तारीफें

कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस में अपने जलवे बिखेर चुकीं हरियाणवी सिंगर और डांसर सपना चौधरी सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वहीं उनके नए-नए लुक्स औऱ अपकमिंग प्रोजेक्ट्स की झलक वह फैंस के साथ शेयर करती हैं. इसी बीच मां बनने के बाद सपना चौधरी का लुक और भी खूबसूरत हो गया है, जिसका अंदाजा हाल ही में वायरल हुई फोटोज में लगाया जा सकता है.

पोल्क डौट साड़ी में दिखाए जलवे

 

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हाल ही में सपना चौधरी ने कुछ फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं, जिसमें वह ब्लैक ऐंड वाइट कौम्बिनेशन वाली पोल्का डौट साड़ी में नजर आ रहा है. पोल्का डॉट प्रिंट वाली साड़ी को सपना ने बेल स्लीव्स के ब्लाउज और वाइट पर्स के साथ पर्ल ज्वैलरी के साथ कैरी किया है, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

झुमकों पर आया फैंस का दिल

 

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सपना ने अपने ‘साड़ी वाली गर्ल’ सॉन्ग पर वॉक करते हुए शॉर्ट क्लिप फैंस के साथ शेयर की है, जिसमें वह बेबी ब्लू कलर की फ्लोरल प्रिंट साड़ी और उसके साथ पिंक ब्लाउज मैच करते हुए खूबसूरत अंदाज में नजर आ रही हैं. वहीं इस लुक के साथ सपना के हैवी झुमके बेहद खूबूसरत लग रहे हैं. फैंस उनके इस लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.

ज्वैलरी को देती हैं अलग लुक

 

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अलग-अलग लुक्स में नजर आने वाली सपना चौधरी के पास साड़ी से लेकर ज्वैलरी तक के बेहद खूबसूरत कलेक्शन हैं, जिसे वह फैंस के साथ लगातार शेयर करती रहती हैं. वहीं ज्वैलरी की शौकीन सपना के पास हैवी झुमके फैंस का दिल जीत लेते हैं.

सूट में दिखा खूबसूरत अंदाज

 

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साड़ियों के अलावा सूट में भी सपना बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं हैवी सूट संग हैवी झुमके उनके लुक पर चार चांद लगाते हैं.

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मौर्डन लुक भी है स्टाइलिश

 

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मौर्डन लुक में भी सपना चौधरी ज्वैलरी को अलग लुक देना नही भूलतीं. मौडर्न ज्वैलरी के साथ वह अपने लुक को सजाने में परफेक्ट हैं, जिसका अंदाजा इन फोटोज से लगाया जा सकता है.

Family Story In Hindi: स्वस्थ दृष्टिकोण- भाग 1- क्या हुआ था नंदा के साथ

मैं इस चेहरे के बारे में. कुछ ऐसा जो इस चेहरे से बहुत जुड़ा हुआ सा, कुछ इस के अतीत से, कुछ इस के बीते हुए कल से, कौन है आखिर वह? कार्यालय में भी मैं फुरसत में उसी चेहरे के बारे में सोचता रहा, कौन था आखिर वह?

वापसी में भी मैं भीड़ में नजर दौड़ाता रहा, शायद वह चेहरा नजर आ जाए.

ऐसा होता है न अकसर, हम बिना वजह परेशान हो उठते हैं. अचेतन में कुछ ऐसा इतना सक्रिय हो उठता है कि बीता हुआ कुछ धुंधली सी सूरत में मानस पटल पर आनेजाने लगता है. न साफ नजर आता है न पूरी तरह छिपता ही है.

‘‘क्या बात है, आज आप कुछ परेशान से नजर आ रहे हैं. कुछ सोच रहे हैं?’’ पत्नी ने आखिर पूछ ही लिया. उस ने भी पहचान लिया था मेरा भाव. हैरान हूं मैं, कैसे मेरी पत्नी झट से जान जाती है कि मैं किसी सोच में हूं. 28 साल से साथ हैं हम. हजार बार ऐसा हुआ होगा जब मैं ने चाहा होगा कि पत्नी से कुछ छिपा जाऊं मगर आज तक मेरा हर प्रयास असफल रहा.

‘‘आज मुझे एक चेहरा जानापहचाना लगा और ऐसा लगा कि उसे मैं बहुत करीब से जानता हूं और इतना भी आभास है कि जो भी उस चेहरे से जुड़ा है सुखद कदापि नहीं है. यहां तक कि मैं अपनी जानपहचान में भी दूर तक नजर दौड़ा आया हूं वह कहीं भी नजर नहीं आया.’’

‘‘होगा कोई. एक दिन अपनेआप याद आ जाएगा. आप आराम से खाना खाइए,’’ झुंझला कर उत्तर दिया पत्नी ने.

मेरी यह आदत उसे अच्छी नहीं लगती थी सो बड़बड़ाने लगी थी वह, ‘सारे जहां का दर्द मेरे दिल में है.’

‘‘तो क्या तुम्हारे दिल में नहीं है? पड़ोस में कोई गलत काम करता है तो यहां तुम्हारा खून उबलने लगता है. तब मुझे सुनासुना कर मेरा दिमाग खराब करती हो. अब जब मैं सुना रहा…’’

‘‘आप तो हवाई तीर चला रहे हो. जिस की चिंता है उसे जानते भी तो नहीं हो न. कम से कम मैं जिस की बात करती हूं उसे जानती तो हूं.’’

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‘‘मैं उसे जानता हूं, नंदा, यही तो परेशानी है कि याद नहीं आ रहा.’’

मैं बुदबुदा रहा था, ‘आखिर कौन था वह?’

दूसरे दिन, तीसरे दिन और उस के बाद कई दिन मैं उस के बारे में सोचता रहा. लोकल ट्रेन से आतेजाते निरंतर नजर भी दौड़ाता रहा, पर वह चेहरा नजर नहीं आया. धीरेधीरे मैं उसे भूल गया.

सच है न, समय से बड़ा कोई मरहम नहीं है. समय से बड़ा कोई आवरण भी नहीं. समय सब ढक लेता है. समय सब छिपा जाता है. चाहे सदा के लिए छिपा पाए तो भी कुछ समय का भुलावा तो होता ही है.

एक शाम पता चला, पड़ोस में कोई रहने आया है. पत्नी बहुत खुश थी. हमारी दोनों बेटियों के ससुराल चले जाने के बाद उसे अकेलापन बहुत खलता था न. पड़ोस में कोई बस जाएगा ऐसा सोच कर मुझे भी सुरक्षा का सा भाव प्रतीत होने लगा. कभी देरसवेर हो जाए तो मुझे चिंता होती थी. अब बगल के आंगन में होने वाली खटरपटर बड़ी सुखद लगने लगी थी. अभी जानपहचान नहीं थी फिर भी उन का एहसास ही बड़ी गहराई से हमें पुलकित करने लगा था.

‘‘चलो, उन से मिलने चला जाए या फिर उन्हें ही अपने घर पर बुला लें,’’ मैं ने पत्नी से कहा.

‘‘लगता है

वे किसी से

भी मिलना नहीं चाहते. आज

वह लड़की

सब्जी लेने बाहर निकली थी, मैं ने बात करनी चाही थी मगर वह बिना कुछ सुने ही चली गई.’’

‘‘क्यों?’’

पलक झप- काना ही भूल गया मैं. भला ऐसा क्यों? क्या इतने बूढ़े हैं हम जो एक जवान जोड़ा हम से बातें करना भी नहीं चाहता.

‘‘हम इतने बुरे लगते हैं क्या?’’

‘‘पता नहीं,’’ कह कर मुसकरा पड़ी थी नंदा.

नंदा सब्जी उठा कर रसोई में चली गई. अखबार पढ़ने में मन नहीं लगा मेरा सो उठ कर घर के बाहर निकल आया. गली में चक्कर लगाने लगा पर आतेजाते नजर पड़ोसी के बंद दरवाजे पर ही थी.

बहुत ही सुहानी हवा चल रही थी मगर उस के घर के दरवाजेखिड़कियां सब बंद थे. मैं सोचने लगा, क्या वे ठंडी हवा लेना नहीं चाहते? क्या दम नहीं घुटता उन का बंद घर में?

सुबह जब मैं कार्यालय जाने को निकला तो सहसा चौंक गया. पड़ोस के द्वार पर वही खड़ा था. वही सूरत जिसे मैं ने स्टेशन पर भीड़ में उस रोज देखा था. उसे देखते ही मैं पलक झपकाना भूल गया और दिमाग पर जोर डालने लगा, कौन है यह लड़का? कहां देखा है इसे?

मुझ से उस की नजरें मिलीं और वह झट से मुंह फेर कर निकल गया. तब मुझे ऐसा लगा, वह परिवार वास्तव में किसी से मिलना नहीं चाहता. यह लड़का कौन है? मैं कुछ जानता हूं इस के बारे में. अरे, मुझे सहसा सब याद आ गया, यह तो भाईसाहब का दामाद था, था क्या अभी भी है. इतना ध्यान आते ही काटो तो खून नहीं रहा मुझ में.

यह मेरी भतीजी का पति है जिस से उस का रिश्ता निभ नहीं पाया था और वह शादी के 4-5 महीने बाद ही वापस लौट आई थी.

भाई साहब तो यही बताते थे कि लड़के वाले दहेज के लालची थे. काफी लंबीचौड़ी कहानी बन गई थी. बाद में पुलिस काररवाई और दामाद की  जेलयात्रा, कितना दुखद था न सब.

मुझे तो यही पता था कि अभी भतीजी का तलाक नहीं हुआ है. भला बिना तलाक वह लड़का दूसरी शादी कैसे कर सकता है? मन में आया वापस घर आ कर पत्नी को सब बता दूं.

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बेचैन हो उठा था मैं. यह समस्या तो मेरे ही घर की थी न, हमारी ही बेटी का जीवन अधर में लटका कर यह लालची पुरुष चैन से जी रहा था.

वापस चला आया मैं. जब नंदा को बताया तो हक्कीबक्की रह गई वह. सोचने लगी, तो क्या यह मानसी का पति है? जेठजी तो घुलघुल कर आधे रह गए हैं बेटी के दुख में और लड़का दूसरा घर बसा कर चैन से जी रहा है.

एक बार तो जी चाहा झट से साथ वाले घर पर जाएं और…मगर फिर सोचा, आखिर उस लड़की का क्या दोष है? कौन जाने उसे कुछ पता भी है या नहीं. पता नहीं यहां इस लड़के ने क्या रंग घोल रखा है. हम भी बेटियों वाले हैं, कैसे किसी की बेटी का घर ताश के पत्ते सा गिरा दें? पहले भाई साहब से ही क्यों न बात कर लें?

उसी शाम भाई साहब से फोन पर बात हुई और पता चला, मानसी का तलाक हो गया है. चलो, एक बात तो साफ हो गई. चैन की सांस ली मैं ने

परंतु वह प्रश्न तो वहीं रहा न, अगर यह लड़का लालची था तो इस लड़की के साथ तो ऐसा नहीं लगता कि बहुत अमीरी में रह रहा हो. उन का सामान तो

हमारे सामने ही छोटे से ट्रक से उतरा था. नईनई गृहस्थी जमाने को बस,

ठीकठाक सामान ही था. क्या पता इस लड़की के पिता से नकद दहेज ले

लिया हो?

पत्नी ने बताया कि लड़की भी बड़ी मासूम, सीधीसादी, प्यारी सी है. तब वह क्या था जब मानसी के साथ दुखद घटा था? सीधासादा सा सामान्य परिवार ही तो है इस लड़के का. हम जैसा सामान्य वर्ग, तो फिर उस कार की मांग का क्या हुआ? भाई साहब तो बता रहे थे कि लड़का कार की मांग कर रहा है. मानसी के बाद अब यहां मुझे तो कोई कार दिखाई नहीं दी.

उथलपुथल मच गई थी मेरे अंतर्मन में. हजारों सवाल नागफनी से मुझे डसने लगे थे. क्यों मानसी का घर उजड़ गया और यह लड़का यहां अपना घर बसा कर जी रहा है? एक जलन का सा भाव पनप रहा था मन में, हमारी बच्ची को सता कर वह सुखी क्यों है?

आगे पढ़ें- कुछ पल को तो हम समझ ही नहीं पाए कि…

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सई के बैडरुम में अजिंक्य को देख खौला विराट का खून, पाखी ने लगाई आग

सीरियल गुम है किसी के प्‍यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin ) में आए दिन विराट और सई की कहानी में ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. वहीं पाखी पूरी कोशिश कर रही है कि दोनों को अलग रख सके. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में विराट को सई की तरफ गुस्सा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सई पर पाखी लगाती है आरोप

 

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अब तक आपने देखा कि पाखी, सई पर घर से पैसे लेकर भागने का आरोप लगाती है. वहीं यह भी कहती है कि वह अजिंक्य के साथ गई होगी, जिसके बाद विराट और उसके परिवार में गुस्सा देखने को मिलता है. हालांकि सई के ससुर उसका साथ देते हैं और उसके खिलाफ कोई बात नही कहते . वहीं उसकी सास भी उसका साथ देती है, जिसके कारण पाखी को गुस्सा आ जाता है.


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विराट को भड़काएगी पाखी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई की अजिंक्य के साथ बढ़ती नजदीकियां देखकर विराट गुस्से में नजर आता है. वहीं पाखी इस गुस्से को बढ़ाने के लिए विराट के दिल में सई के लिए गलतफहमी डालती है. इस बीच आप देखेंगे कि अजिंक्य, सई के बैडरुम में आएगा. वहीं विराट दोनों को बैडरुम में एक साथ देखकर बौखला जाएगा औऱ सई पर बरस पड़ेगा, जिसके कारण सीरियल में ड्रामा देखने को मिलेगा.

औफस्क्रीन सई संग रोमांस फरमाते दिखे विराट

औफस्क्रीन रोमांस की बात करें तो बीते दिनों विराट यानी नील भट्ट अपनी औफस्क्रीन सई यानी एश्वर्या शर्मा संग क्वालिटी टाइम बिताते नजर आए, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. वहीं फैंस दोनों की जोड़ी की तारीफें करते नजर आ रहे हैं.

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‘ये रिश्ता…’ में हुई रणवीर की मौत, सीरत-कार्तिक पर लगा ये बड़ा इल्जाम

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है एक बार फिर दर्शकों के दिल में राज करने के लिए तैयार हैं. जहां बीते दिनों सीरियल के सेट से रणवीर यानी करण कुंद्रा के फेयरवेल की फोटोज वायरल हुई थीं. तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में रणवीर की मौत का ट्विस्ट भी दिखाया जाएगा. इसी बीच मेकर्स सीरियल में कार्तिक-सीरत की जिंदगी में नया तूफान लाने की तैयारी में हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

कार्तिक-सीरत की हुई लड़ाई

अब तक आपने देखा कि जहां रणवीर की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है तो वहीं कार्तिक-सीरत के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. दरअसल, सीरत, कार्तिक पर आरोप लगाती है कि उसने रणवीर की हेल्थ के बारे में उसे नहीं बताया, वरना वो उसे बचा लेती. हालांकि कार्तिक, रणवीर से किया वादा निभा रहा था, जिसके कारण वह सच सीरत को नही बता पाया.

 

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रणवीर की हुई मौत

 

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दूसरी तरफ रणवीर अपनी आखिरी सांस लेने से पहले कार्तिक से वादा करने को कहता है कि वह सीरत का साथ हर कदम पर देगा और उसका ख्याल रखेगा. इसके बाद रणवीर की मौत हो जाती है और सीरत टूट जाती है. वहीं कार्तिक, रणवीर से किए वादे को भुला नहीं पाता.

सीरत को पड़ा थप्पड़

 

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रणवीर की मौत के बाद जहां पूरा परिवार सदमे में है तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में उसकी मां का गुस्सा सीरत और कार्तिक पर देखने को मिलेगा. दरअसल, रणवीर की मां रोते हुए सीरत को थप्पड़ मारते हुए कहेगी कि पहले उसने मेरे बेटे को घर से अलग कर दिया और फिर दुनिया से, जिसे सुनकर कार्तिक कहेगा कि हम आपका दर्द नही समझ सकते. पर रणवीर की मां सीरत और कार्तिक पर इल्जाम लगाएगी कि दोनों के गंदे इरादों ने उनके बेटे को छीन लिया.

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Family Story In Hindi: सितारों से आगे- कैसे विद्या की राहों में रोड़ा बना अमित

लेखिका- डा. सरस्वती अय्यर

   

हम क्यों बोलते हैं झूठ

‘झूठ बोले कौवा काटे, काले कौवे से डरियो…’ बचपन में हमें सिखाया गया था. मगर फिर भी हम  झूठ बोलते हैं, रोज बोलते हैं. कहते हैं किसी भी रिश्ते में  झूठफरेब नहीं होना चाहिए, नहीं तो यह उस रिश्ते को तबाह कर देता है. फिर भी हम  झूठ बोलते हैं और छोटीछोटी बातों पर बोलते हैं. कभीकभी जरूरत नहीं है, फिर भी  झूठ बोलते हैं. आखिर क्यों?

कुछ लोगों के लिए तो  झूठ बोलना इतना आसान है कि जहां सच से काम चल जाए. वहां भी उन के मुंह से  झूठ ही निकलता है. वैसे  झूठ बोलने की अनिवार्यता को पहली बार करीब  2 दशक पहले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनोविज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफैसर बेला  डे पोलो ने दस्तावेज किया था.’

पोलो और उन के साथियों ने 147 वयस्कों से कहा था कि वे लिखें हर हफ्ते उन्होंने कितनी बार  झूठ बोला. सामने आया कि हर व्यक्ति ने दिन में औसतन 1 या 2 बार  झूठ बोला. इन में से ज्यादातर  झूठ किसी को नुकसान पहुंचाने या धोखा देने वाले नहीं थे. बल्कि, उद्देश्य अपनी कमियां छिपाना या दूसरों की भावनाओं को बचाना था. हालांकि, बाद में की गई एक स्टडी में पोलो ने पाया कि ज्यादातर ने किसी मौके पर एक या एक से ज्यादा बार बड़े  झूठ भी बोले हैं. जैसे शादी के बाहर किसी रिश्ते को छिपाना और उस के बारे में  झूठ बोलना.

आदत या कुछ और

भले ही  झूठ बोलने पर कौवा काट ले, पर हम  झूठ बोलने से परहेज नहीं कर सकते, क्योंकि कहीं न कहीं यह हम इंसान के डीएनए का हिस्सा है या कहें आधुनिक जीवन के करीब हर पहलू में  झूठ बोलना एक सामान्य रिवाज बन गया है. इस पर नैशनल जियोग्राफिक की जून, 2017 के अंक में  झूठ के पीछे के विज्ञान को सम झते एक लेख पर नजर डालिए, तो इस के मुताबिक, इंसानों में  झूठ बोलने की प्रतिभा नई नहीं है. शोध बताता है कि भाषा की उत्पत्ति के कुछ वक्त बाद ही  झूठ बोलना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया.

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आखिर क्यों बोलते हैं लोग  झूठ

हिटलर के प्रचार मंत्री जोसेफ गोयबल्स की एक बात बड़ी मशहूर है. वह यह कि किसी  झूठ को इतनी बार कहो कि वह सच बन जाए और सब उस पर यकीन करने लगें.

आप ने भी अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा होगा, जो बहुत ही सफाई से  झूठ बोल लेते हैं. वे अपना  झूठ इतने यकीन से पेश करते हैं कि वह सच लगने लगता है. हमें लगता है इंसान इतने भरोसे से कह रहा है, तो बात सच ही होगी.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक ‘सैल्फ सविंग ह्यूमन टैडेंसी’ है. कई लोगों को  झूठ बोलने की आदत होती है, तो वहीं कई लोग मजबूरी में या किसी परेशानीवश  झूठ बोल देते हैं.  झूठ बोलने की बहुत सारी वजहें हो सकती हैं, जिन्हें आसानी से जान पाना और सम झना बहुत कठिन है क्योंकि हरेक इंसान में  झूठ बोलने की अपनीअपनी वजह होती है.

कभी कोई किसी के अच्छे के लिए  झूठ बोलता है तो किसी के  झूठ बोलने का कारण होता है विवादित बयानों के जरीए अन्य लोगों को बुरे इरादों वाला या उन के चरित्र पर प्रश्नचिह्न लगाने का प्रयास करना ताकि खुद के दोष को छिपा सकें. कोई आगे बढ़ने के लिए  झूठ बोलता है, तो कोईर् किसी को पीछे धकेलने के लिए  झूठ का सहारा लेता है. फिर ऐसे लोग भी हैं जो लज्जा से बचने, पिछले  झूठ को सही साबित करने या लोगों को धोखा देने के खयाल से  झूठ बोलते हैं.

वैसे  झूठ बोलने की अनिवार्यता को पहली बार करीब 2 दशक पहले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनोविज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफैसर बेला डे पोलो ने दस्तावेज किया था.

झूठ बोलना आसान क्यों

संसाधनों की रस्साकशी में बिना किसी ताकत और जोरजबरदस्ती के लोगों से चालाकी से काम निकलवाना ज्यादा कारगर होता है और यह  झूठ का रास्ता अपनाने पर आसानी से हो पाता है. यह जानवरों की अपनाई जाने वाली रणनीतियों से काफी मिलताजुलता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नीतिशास्त्र पढ़ाने वाली सिसेला बोक मानती हैं कि किसी का पैसा या संपत्ति हासिल करने के लिए, डाका डालने या सिर फोड़ने से ज्यादा आसान है  झूठ बोलना.

दिलचस्प बात यह है कि कुछ  झूठ की सचाई जानते हुए भी हम उस पर यकीन करते हैं, इस से हमारी दूसरों को धोखा देने की और हमारी खुद की धोखा खाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है. अगर सोशल मीडिया की ही बात करें तो शोध के मुताबिक, हमें उस  झूठ को स्वीकारने में जरा भी संकोच नहीं होता है जो हमारी ही सोच को और मजबूत करता है.

विचारों का समर्थन

इसलिए जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन के शपथग्रहण समारोह में ऐतिहासिक भीड़ जमा हुई थी, तब उन के समर्थकों ने बगैर उस बात को जांचे स्वीकार कर लिया था. जबकि बाद में सामने आया कि ट्रंप की ओर से जारी की गई तसवीरें दरअसल फोटोशाप्ड थीं. वाशिंगटन पोस्ट फैक्ट चैकर्स ने उन के बयानों को खंगाला तो पता चला कि वे औसतन लगभग 22  झूठ प्रतिदिन बोलते हैं. बावजूद इस के हम उसे  झूठ मानने से इनकार करते हैं क्योंकि वह बात कहीं न कहीं हमारे बनाए विचारों का समर्थन करती है.

जार्ज लैकआफ, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बकली में भाषाविद हैं और कहते हैं कि अगर कोई तथ्य सामने रखे और वह आप की सोच में फिट न हो, तो या तो आप उसे अनदेखा करेंगे या फिर उसे बकवास बताने लगेंगे.

कुछ समय पहले की ही बात है. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में एक महुआ का पेड़ रातोंरात चमत्कारी बन गया. दरअसल, एक चरवाहे ने लोगों को कहानी सुनाई कि जब वह जंगल से गुजर रहा था तब उसे महसूस हुआ कि कोई उसे खींच रहा है. फिर जा कर वह एक महुआ के पेड़ से लिपट गया और पलभर में ही उस के शरीर और जोड़ों का दर्द गायब हो गया. फिर क्या था, लोगों की वहां भीड़ जमा होने लगी, यह जांचे बगैर कि वह चरवाहा सच बोल रहा है या  झूठ.

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 झूठ हमें आकर्षित क्यों करता है

कहते हैं सच कड़वा होता है, पर  झूठ हमें आकर्षित करता है. इस का एक कारण तो यह है कि  झूठ बोलने की हमारी सैल्फ सविंग ह्यूमन टैडेंसी इतनी सामान्य है कि मनोवैज्ञानिकों ने इसे एक रोचक नाम दिया है ‘द फंडामैंटल अट्रिब्यूशन एरर’ यानी मौलिक रूप से गलती थोपने की आदत. यह हमारे भीतर इतनी गहरी बैठ गई है कि हम हर किसी के साथ  झूठ बोलने में अभ्यस्त हो गए हैं. ऐसा हम ईमेल, सोशल मीडिया, वाहन बीमा राशि के समय, बच्चों के साथ, दोस्तों यहां तक कि अपने जीवनसाथी के साथ भी बेवजह लगातार  झूठ बोलते हैं.

वैसे जानकार मानते हैं कि  झूठ बोलने की आदत हमारे विकास का वैसा ही हिस्सा है जैसे कि चलना, बोलना, खानापीना आदि. हालांकि  झूठ बोलने को कहीं न कहीं मासूमियत खोने की शुरुआत माना जाता है. मनोवैज्ञानिक तो यह भी कहते हैं कि बच्चे का  झूठ बोलना इस बात का संकेत है कि उस का ज्ञान संबंधी विकास पटरी पर है. उम्र के साथ बच्चे बेहतर तरीके से  झूठ बोल पाते हैं.  झूठ बोलने के दौरान दूसरे पक्ष के दिमाग, उस की सोच को सम झने के तरीकों को ‘थ्योरी औफ माइंड’ कहा गया है. बच्चों के  झूठ में धीरेधीरे इस थ्योरी का असर दिखाईर् देने लगता है.

2008 के एक अध्ययन में सामने आया कि सच्ची भावनाओं को छिपाना आसान नहीं है, जबकि हम स्वाभाविक रूप से  झूठ नहीं बोल सकते हैं वहीं 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि धोखा या  झूठ किसी को अस्थायी रूप से थोड़ा और रचनात्मक होने के लिए प्रेरित कर सकता है.

बहुत भारी भी पड़ सकती है

वैसे अगर किसी के भले के लिए  झूठ बोला जाए, तो वह कई सच से बड़ा होता है, ऐसा भी हम ने सुना है, लेकिन कितना  झूठ है सही?

इस संबंध में मनोवैज्ञानिक डा. अशुम गुप्ता कहती हैं कि दूसरों की भलाई के लिए कुछ खास स्थितियों में बोले गए  झूठ को  झूठ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, लेकिन अपने फायदे, लालच और दूसरों को नुकसान पहुंचाने या उन्हें परखने के उद्देश्य से  झूठ बोलने की आदत बहुत भारी पड़ सकती है.

ऐसा करने वाले लोग अपनों का विश्वास खो देते हैं. नकारात्मक छवि की वजह से इन की सच्ची बातों पर भी लोगों को यकीन नहीं होता. अगर कभी मजबूरी में आप को  झूठ बोलना भी पड़े तो बाद में जब स्थितियां सामान्य हो जाएं तो विनम्रता से माफी मांगते हुए अपना  झूठ स्वीकार लेना चाहिए. इस से मन में कोई ग्लानि नहीं रहेगी और आप की छवि भी नहीं बिगाड़ेगी.

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जानें क्या है फाइब्रॉएड से जुड़े मिथ

जब महिलाएं 35 वर्ष की अवस्था तक पहुंचती है तो उनमें यूटरीन फाइब्रॉएड होना काफी आम बात होती है. इसे अक्सर यूटरस में सॉफ्ट ट्यूमर के रूप में जाना जाता है. अगर फाइब्रॉएड का इलाज लम्बे समय के लिए नहीं किया जाता है तो महिला की जिंदगी और उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

इससे कभी-कभी मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की समस्या होती है या अगर यह फाइब्रॉएड बहुत ज्यादा बड़ा हो गया तो इससे पेल्विस में बहुत ज्यादा दर्द तथा भारीपन, पीठ दर्द, पैर में दर्द, यूरिनरी फ्रीक़्वेन्सी, और बॉवेल मूवमेंट में मुश्किल, सेक्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और ब्लॉटिंग में सामान्य दर्द की भावना हो सकती है. चूंकि महिलाओं को इस कंडीशन के बारे में विधिवत जानकारी नहीं होती है. इसलिए उनमें इससे सम्बंधित कई मिथक तथा भ्रांतियां फ़ैल गयी है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं फाइब्रॉएड के बारें में जाने और इससे बचने के लिए उपाय कर सकें.

नीचे इस कंडीशन से सम्बंधित कुछ मिथक बताये जा रहे हैं.

पहला मिथक- यूट्रीन फाइब्रॉएड के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र प्रभावी इलाज है

एक दशक पहले यह बात सही थी. लेकिन अब मेडिकल के क्षेत्र में कई उन्नति होने से अब हमारे पास यूट्रीन फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए कम से कम चीरफाड़ वाली प्रक्रिया मौजूद है. और अब हिस्टेरेक्टॉमी एक वैकल्पिक इलाज बन गया है. हमने कई महिलाओं के लिए न्यूनतम इनवेसिव विकल्प यूट्रीन फाइब्रॉएड एम्बोलिज़ेशन (यूएफई) किया . यह नॉनसर्जिकल आउट पेशेंट प्रक्रिया गर्भाशय (यूटरस) को निकाले बिना यूटरीन फाइब्रॉएड का इलाज कर सकती है. यूएफई उन महिलाओं के लिए बढ़िया होती है जो इनवेसिव सर्जरी से बचना चाहती हैं.

दूसरा मिथक: फाइब्रॉएड कैंसर हैं

यूटरीन फाइब्रॉएड का पता चलने के बाद महिला के दिमाग में पहला सवाल यह आता है कि “क्या फाइब्रॉएड कैंसर? ” इस सवाल का जवाब है कि यह कैंसर नहीं होता है. फाइब्रॉएड ट्यूमर की स्लो वृद्धि होती हैं और इसका यूट्रीन कैंसर से कोई संबंध नहीं है. फाइब्रॉएड इस हद तक दर्दनाक होते हैं कि वे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं.लेकिन ये जानलेवा नहीं होते है. फाइब्रॉएड का इलाज दवा या न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है.

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तीसरा मिथक: फाइब्रॉएड से गर्भावस्था प्रभावित होती है

लोगों का मानना है कि अगर किसी महिला को यूट्रीन फाइब्रॉएड का पता चलता है, तो वह गर्भधारण नहीं कर सकती है. वे अक्सर यूट्रीन फाइब्रॉएड को बांझपन समझते हैं. लेकिन सभी फाइब्रॉएड आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करते हैं. गर्भावस्था वास्तव में कई अन्य फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है. यह देखा गया है कि जिन महिलाओं में फाइब्रॉएड का लक्षण नहीं दिखता है, वैसी महिलाएं आमतौर पर किसी भी प्रजनन समस्या का सामना नहीं करती है. फाइब्रॉएड होने के बावजूद कई महिलाएं स्वस्थ गर्भ धारण कर सकती हैं.

चौथा मिथक: फाइब्रॉएड एक बार अगर हटा दिया गया तो वह दोबारा नहीं होता है

फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है, भले ही आपने इस स्थिति का इलाज करा लिया हो. यह महत्वपूर्ण है कि अगर आपमें यह समस्या हो चुकी हो तो इलाज के बाद भी अपने चिकित्सक के साथ नियमित तौर पर संपर्क में रहे. नियमित टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से आपका चिकित्सक दोबारा फाइब्रॉएड होने की जांच करेगा. अग़र यूट्रीन फाइब्रॉएड फिर से हो जाता है तो मरीज को अलग इलाज कराने का सुझाव दिया जाता है. आपका चिकित्सक आपके लिए सही उपचार चुनने में आपकी सहायता करेगा. यूएफई सहित अधिकांश इनवेसिव सर्जरी कई महिलाओं को उनके गर्भाशय से फाइब्रॉएड को स्थायी रूप से बाहर करने में मदद करती हैं.

पांचवां मिथक: फाइब्रॉएड का इलाज दवाओं के खाने से हो सकता है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फाइब्रॉएड फिर से भी हो सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद भी दवाओं को खाते रहना चाहिए. कुछ दवाएं समय के साथ फाइब्रॉएड को सिकोड़ने में मदद करती हैं और कभी-कभी कुछ अक्रामक उपचार भी स्थिति को खत्म करने के लिए फायदेमंद होते हैं. लेकिन दवाओं का सेवन न करना लक्षणों को बदतर कर सकता है और फाइब्रॉएड को बढ़ा सकता है.

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छठा मिथक: मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉएड गायब हो जाता हैं

कभी-कभी मेनोपॉज के दौरान हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने से आपके गर्भाशय में नया फाइब्रॉएड भी विकसित हो सकता हैं. यह दर्शाता है कि मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को भी फाइब्रॉएड के इलाज कराने की जरुरत होती है. यूएफई एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो फाइब्रॉएड को ब्लड के प्रवाह को अवरुद्ध करके सुरक्षित और प्रभावी ढंग से सिकोड़ती है, जिससे फाइब्रॉएड सिकुड़ जाते हैं और लंबे समय के लिए गायब हो जाते हैं.

मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा के गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन- सीनियर कंसल्टेंट डॉ मंजू गुप्ता

शादी के लिए हां करने से पहले जाननी जरुरी हैं ये 5 बातें

‘शादी,’ यह शब्द सुनते ही किसी के चेहरे पर मुसकराहट आ जाती है तो किसी के चेहरे पर टैंशन. कई लोगों के साथ ये दोनों चीजें होती हैं. मतलब वे कभी खुश होते हैं तो कभी चिंता में पड़ जाते हैं. एक तरफ नए रिश्ते की एक्साइटमैंट होती है तो दूसरी तरफ जिम्मेदारियों का एहसास. कहते हैं न ‘शादी का लड्डू, जो खाए पछताए जो न खाए वह भी पछताए.’ भई, जब पछताना ही है तो क्यों न खा कर ही पछताया जाए. तो अब जब आप ने शादी करने का मन बना ही लिया है तो कुछ सवालों के जवाब जानना आप के लिए बेहद जरूरी हैं. चाहें आप लव मैरिज कर रही हों या फिर अरेंज.

शादी के बाद आप रोज कुछ न कुछ अपने पार्टनर के बारे में नई बातें जान सकती हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो शादी से पहले ही आप दोनों को जानना जरूरी है. इन के जवाब जानने के बाद आप को यह पता चल जाता है कि आप उन से शादी कर सकती हैं या नहीं. साथ ही, इस बात का एहसास हो जाता है कि आप दोनों के लिए आने वाली लाइफ कैसी हो सकती है.

घर के काम की जिम्मेदारी

अब वह समय नहीं रहा कि किसी एक पर काम का पूरा बोझ दे दिया जाए. शादी के बाद ज्यादातर लड़ाई इसी बात की होती है कि झाड़ ूपोंछा, बरतन, कपड़े धोने और खाना बनाने का काम कौन करेगा. अगर होने वाला लाइफपार्टनर आप से यह कहता है कि वह तो पानी भी नहीं उबाल सकता, घर के काम करना तो दूर की बात है. फिर आप सोच लीजिए. अगर आप मैनेज कर सकती हैं तो इस रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर आप को लगता है कि घर के कामों में उन्हें भी मदद करनी चाहिए तो यह बात उन को बता दें.

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अगर वे यह जवाब देते हैं कि वे इस के लिए तैयार हैं तब तो रिश्ते को आगे ले जाइए लेकिन अगर वे यह जताते हैं कि घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ औरत की है तो ऐसे रिश्ते में संभल जाना ही बेहतर है.

शादी के बाद का कैरियर

अपने कैरियर के बारे में अपने होने वाले लाइफपार्टनर से पहले ही बता दें. जैसे, आप कैरियर को ले कर काफी सीरियस और प्रोफैशनल हैं. इस के लिए आप काफी मेहनत भी कर रही हैं और शादी के बाद भी बाहर जा कर काम करना चाहती हैं. वहीं अगर शादी के बाद आप काम नहीं करना चाहतीं तो भी उन से साफसाफ बता दें. साथ ही, उन से यह भी पूछें कि आगे चल कर कैरियर प्लानिंग क्या है. अगर वे ट्रांसफर लेना चाहते हैं तो क्या आप के लिए यह पौसिबल है, यह शादी से पहले ही क्लीयर कर लेना चाहिए.

कर्ज तो नहीं

शादी के कई साल बाद अगर पता चलता है कि पार्टनर ने लाखों का कर्जा लिया है तो बसीबसाई गृहस्थी खराब हो जाती है. इसलिए उन से पहले ही पूछ लें कि क्या कोई उधार या क्रैडिट कार्ड का बड़ा बकाया बिल तो नहीं है. उन के जवाब के बाद सोचसमझ कर अगला कदम बढ़ाएं, क्योंकि आर्थिक वजह से भी बड़ेबड़े झगड़े होते हैं.

बच्चों के बारे में

आज के दौर में बहुत सारे कपल ऐसे हैं जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. वे एडौप्शन या आईवीएफ को बेहतर मानते हैं. इसलिए शादी के पहले ही एकदूसरे के विचार जानना जरूरी है. क्या पता आप बच्चा चाहती हों और वे नहीं या यह भी हो सकता है कि वे बच्चा चाहते हों लेकिन आप नहीं. इसलिए इस पर खुल कर बात कर लें.

धार्मिक, राजनीतिक विचार और रिस्पैक्ट

आप दोनों एकदूसरे से अपने धार्मिक व राजनीतिक विचार शेयर करें. आजकल हर किसी की अपनी राजनीतिक विचारधारा और धार्मिक नजरिया होता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धार्मिक या नास्तिक होते हुए भी किसी और पर अपनी सोच नहीं थोपते और कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरे पर बहुत ज्यादा हावी हो जाते हैं. तो आप उन के सामने अपनी बात रखिए. हो सकता है कि आप दोनों की सोच एक हो और अगर एक न भी हो तो भी उन से पूछिए कि फ्यूचर में आप दोनों एकदूसरे की विचारधाराओं का सम्मान कर पाएंगे या नहीं. क्या एकदूसरे को इस की आजादी दे पाएंगे. कहीं यह आप के बीच दूरी की वजह तो नहीं बनेगी.

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हैल्थ प्रौब्लम

वैसे तो होने वाले पार्टनर से शादी करने से पहले कोई ऐसी बात नहीं छिपानी चाहिए जिस से आगे चल कर आप दोनों के रिश्ते में दरार पड़े लेकिन आज के दौर में एक अहम सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है, वह है हैल्थ प्रौब्लम. जरूरी नहीं है कि बीमारी बड़ी हो. आप दोनों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं पर बात कर लेनी चाहिए, भले ही वह छोटी बीमारी क्यों न हो. आप दोनों अगर मैनेज कर सकते हैं तो रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई बुराई नहीं है.

जैस्मीन भसीन से लेकर श्वेता तिवारी तक, दिशा-राहुल के रिसेप्शन में छाईं टीवी की ये हसीनाएं

बीते दिनों दिशा परमार और राहुल वैद्य की शादी सुर्खियों में बनी रही. वहीं उनकी शादी से लेकर रिसेप्शन में कई सेलेब्स ने शिरकत की. लेकिन इस दौरान टीवी की हसीनाओं के लुक्स ने महफिल में चार चांद लगा दिए थे. आइए आपको दिखाते हैं #Dishul की शादी सेलिब्रेशन में टीवी हसीनाओं के कातिलाना लुक्स की झलक…

अली संग जैस्मीन का लुक था अलग

 

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राहुल और दिशा परमार की शादी के हर फंक्शन में अली गोनी और उनकी गर्लफ्रेंड जैस्मिन भसीन नजर आए. वहीं हर फंक्शन में जैस्मीन का स्टाइलिश लुक देखने को मिला.  जहां शादी में वह लहंगा कैरी करते हुए दिखीं तो वहीं रिसेप्शन के लिए एक्ट्रेस ने गुलाबी रंग की सीक्वन वर्क वाली साड़ी पहनी, जिसके साथ ट्रेंडी ब्लाउज गजब ढा रहा था. जैस्मीन भसीन का हर लुक दुल्हन दिशा परमार को टक्कर दे रहा था.

 

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सेक्सी लुक में पहुंची श्वेता तिवारी

 

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वेट ट्रांसफौर्मेशन के बाद फैंस के बीच अपने फैशन के लेकर सुर्खियां बटोर रहीं एक्ट्रेस श्वेता तिवारी, राहुल- दिशा की शादी में लिए ब्लू कलर की एम्बेलिश्ड साड़ी पहने नजर आईं, जिसमें उनका लुक जवान एक्ट्रेस को टक्कर देते नजर आ रहा था. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे थे.

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इस एक्ट्रेस ने बिखेरी अदाएं

 

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खतरों के खिलाड़ी 11 में नजर आ रहीं एक्ट्रेस सना मकबूल का लुक भी रिसेप्शन पार्टी में धमाल मचा रहा था. हेवी एम्ब्रोडरी वाले लहंगे के साथ मैचिंग ब्लाउज और दुपट्टा सना के लुक को और भी शानदार बना रहा था. लाइट शेड होने के बावजूद सना बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

फैशन के मामले में टक्कर देती दिखीं अनुष्का

 

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सीरियल बालवीर में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस अनुष्का सेन भी रिसेप्शन पार्टी में शामिल हुई थी, जिन्होंने पेस्टल शेड वाला लहंगा पहना था, जिसके साथ मल्टीकलर फ्लोरल पैटर्न वाला ब्लाउज कैरी किया था. इस लुक में अनुष्का बेहद खूबसूरत लग रही थी.

पवित्रा का दिशा सिंपल लुक

 

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इन दिनों अपने लिवइन रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियां बटोर रही एजाज खान और पवित्रा पुनिया भी रिसेप्शन में पहुंचे जहां दोनों मैचिंग वाइट लुक कैरी करते नजर आए. दोनों की जोड़ी बेहद खूबसूरत लग रही थी.

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